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Incest घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ]

पायल किस से अपनी सील तुड़वाये ?

  • पापा

    Votes: 196 70.0%
  • सोनू

    Votes: 80 28.6%
  • शादी के बाद अपने पति से

    Votes: 4 1.4%

  • Total voters
    280
  • Poll closed .

rajeev13

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अगर आप ऐसे ही लिखती रही तो एमएक्स प्लेयर के मस्तराम वाले आपको ही डायलॉग राइटर चुन लेंगे या आपकी इस कहानी से प्रेरित होकर एक एपिसोड आपकी कहानी के ऊपर बना देंगे। :what1:

अगली कड़ी की प्रतीक्षा में . . . . .
 

InceztLuv

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Bhai agar ye story
अगर आप ऐसे ही लिखती रही तो एमएक्स प्लेयर के मस्तराम वाले आपको ही डायलॉग राइटर चुन लेंगे या आपकी इस कहानी से प्रेरित होकर एक एपिसोड आपकी कहानी के ऊपर बना देंगे। :what1:

अगली कड़ी की प्रतीक्षा में . . . . .
Bhai agar ye story par MX player par web series ayi to india ke gharo me bawal bhoukal ho jayega
 

Rinkp219

DO NOT use any nude pictures in your Avatar
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अपडेट २९ :

शीलाजीत की शीशी वापस पन्नी में रख कर पायल सोफे पर बैठ जाती है. उसका दिल अब भी तेज़ी से धड़क रहा था. वो जानती थी की शीलाजीत के बहुत से आयुर्वेदिक फायेदे है पर वो ये बात भी अच्छे से जानती थी की इसका इस्तेमाल संभोग की क्षमता को बढ़ाने के लिए भी किया जाता है. पन्नी में रखी वो शीशी संभोग की क्षमता को कई गुना बढ़ाने वाली शीलाजीत की ही थी. पायल के अन्दर डर के साथ-साथ उत्तेजना भी थी. डर, की जब पापा शीलेजीत खायेंगे तो उनके पहले से ही गधे जैसे लंड का क्या हाल होगा. उत्तेजना, की जब उस भीमकाय लंड से पापा उसकी चुदाई करेंगे तो जो आनंद और संतुस्टी उसे मिलेगी वो अकल्पनीय होगी. इसी डर और उत्तेजना में संतुलन बनाते हुए पायल अपने कमरे की ओर चल देती है. कमरे में पहुँच कर कुर्सी पर रखे टॉवेल को गले में डाले वो ड्राइंग रूम से होते हुए बाथरूम की ओर जाने लगती है.

अपने ख्यालों में खोई पायल जैसे ही बाथरूम के दरवाज़े पर पहुँचती है, उसे पापा की आवाज़ सुनाई देती है.

रमेश : कहाँ जा रही हो पायल बेटी?

पायल घूम कर देखती है तो थोड़ी दूर पर पापा खड़े है. बिना कुर्ते के, निचे एक पतली सी लुंगी लपेटे हुए वो पायल को घुर रहे थे. इतने सालों में पायल ने पापा को कभी भी बिना कुर्ते के नहीं देखा था. धोती के अलावा वो कुछ और पहनते भी नहीं थे. आज उनको इस तरह से देख कर उसे आश्चर्य भी हो रहा था और ख़ुशी भी. अपने पापा को मुस्कुराकर देखते हुए वो कहती है.

पायल : कुछ नहीं पापा, नहाने जा रही हूँ. आज धुप बहुत थी तो बदन पसीने से भर गया था.

पायल की बात सुन कर रमेश धीरे-धीरे चलते हुए उसके करीब आते है. अपना हाथ उसके गालों पर रख कर सहलाते हुए कहते है.

रमेश : अरे मेरी गुड़िया रानी. नाहा कर अपने पापा को साबुन की खुशबू सुन्घायेगी क्या? साबुन की खुशबू क्या मेरी बेटी के बदन की खुशबू से ज्यादा अच्छी है? नहाने की कोई जरुरत नहीं है.

पापा की बात सुन कर पायल भी शर्मा जाती है. वो इस बात को भूल ही गई थी की उसके बदन की खुशबू से पापा पागल हो जाते है. वो मुस्कुराते हुए कहती है.

पायल : सॉरी पापा. अब मैं २ दिन बिना नहाये ही रहूंगी.

रमेश : (पायल के सर पर हाथ फेरते हुए) शाबाश मेरी बिटिया...!! चल..अब ये टॉवेल रख कर मेरे पास सोफे पर आजा.

पायल टॉवेल पास की कुर्सी पर रख देती है. रमेश भी सोफे पर अराम से बैठ जाते है. टॉवेल रख कर पायल भी उनके पास आ कर बैठ जाती है. रमेश पायल के बदन को निहारते हुए अपने हाथ से उसके घने बालों को कान के पीछे करते हुए कहते है.

रमेश : पायल बेटी, तुम कितनी सुन्दर हो. दूध सी गोरी और तुम्हारा बदन भी किसी संगेमरमर की मूरत जैसा है. सही जगहों पर भरा हुआ, आकर्षित उठाव और किसी स्वर्ग की अप्सरा जैसा आकार. तुम्हे अपनी बेटी के रूप में पाकर मैं तो धन्य हो गया.

रमेश की बातों से पायल के दिल में हलचल मचने लगती है. यूँ तो उसकी सुन्दरता और मदहोश कर देने वाले शरीर की तारीफ वो पहले भी कई बार जाने-अनजाने लोगों से सुन चुकी थी पर आज अपने ही पापा के मुहँ से ये बातें सुन कर उसके अन्दर एक अजीब सी गर्मी पैदा हो गई थी. उस गर्मी से उसे पसीना तो आ रहा था पर वो पसीना उसके माथे पर नहीं बल्कि उसकी जांघो के बीच में बह रहा था. तेज़ सांसों से वो पापा से कहती है.

पायल : थैंक यू पापा. मेरी कॉलेज की सहेलियां भी कहती है की पायल तेरे बदन पर हर तरह के कपडे अच्छे लगते है, चाहे तो कुछ भी पहन ले.

रमेश : तेरी सहेलियाँ बिलकुल ठीक कहती है पायल. तेरे बदन पर तो हर तरह के कपडे अच्छे लगेंगे. पर फिर भी तू ये टॉप और लम्बी स्कर्ट ही पहन कर रहती है.

पायल : मम्मी के डर से पापा. आप तो जानते हैं ना मम्मी को. वो मुझे मन चाहे कपडे पहनने ही नहीं देती.

रमेश : जानता हूँ पायल. इसलिए तो मैंने तुझे कह रखा है की जब मम्मी घर पर ना हो तो जो चाहे वो कपडे पहन लिया कर. अब देख, तेरी मम्मी तो २ दिनों के लिए नहीं है. अब तो तू अपने मन चाहे कपडे पहन सकती है ना?

पायल : (शर्माते हुए) हाँ पापा. अब मम्मी नहीं है तो मैं जो चाहे वो पहन सकती हूँ.

रमेश : तो जा बेटी. एक अच्छी सी ड्रेस पहन ले.

पायल मुस्कुरा कर एक बार पापा को देखती है फिर अपनी चुतड हिलाते हुए अपने कमरे में जाने लगती है. सोफे पर बैठा रमेश अपनी बेटी की मटकती हुई चुतड को देख कर बड़ा खुश होता है. कई दिनों के बाद आज उसे अपनी बेटी की जवानी लूटने का मौका मिला था. वो अपनी धोती में हाथ डाल कर अपने मोटे लंड को एक बार जोर से मसल देते हैं.

सोफे पर बैठे रमेश पायल का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार कर रहे है. उनका ध्यान बार-बार पायल के कमरे की तरफ जा रहा था. वो सोच रहे थे की पायल क्या पहन कर आने वाली है. उनकी नज़र टेबल पर रखी शीलाजीत की शीशी पर जाती है. वो मन हे मन सोचते है की आज तो शीलाजीत खा कर पुरे जोश में पायल की चुदाई करूँगा की तभी उनके कानो में पायल की आवाज़ पड़ती है. " मैं कैसी लग रही हूँ पापा...?"

रमेश झट से सर उठा कर देखते है तो रसोई के पास पायल खड़ी है. पायल ने एक बिना बाह की लाल रंग की छोटी सी नाईटी पहन रखी है. नाईटी का गला काफी बड़ा और गहरा होने की वजह से उसके आधे दूध उठ के दिख रहे थे. गोर-गोर बड़े दूध और बीच में लम्बी गहराई. देखने से हे पता चल रहा था की पायल ने अन्दर ब्रा नहीं पहनी है और उसके दोनों निप्पल मात्र नाम के वास्ते ढके हुए थे. नाईटी को थोडा सा निचे खींच दो तो मानो अभी दिखाई देने लगेंगे. नाईटी की लम्बाई भी बहुत ज्यादा नहीं थी. कमर से बस थोड़ी निचे. सोफे पर बैठे रमेश को नाईटी के निचे से पायल की पैन्टी साफ़ दिखाई पड़ रही थी. अपनी बेटी को इस रूप में देख कर रमेश का लंड धोती में तांडव करने लगता है. रमेश एक बार खड़े होते है और अपनी धोती में लंड को ठीक करते हुए कहते है.

रमेश : बहुत प्यारी लग रही है मेरी पायल. आओ बेटी अपने पापा के पास.

रमेश धोती में लंड को ठीक करके फिर से सोफे पर बैठ जाते है और पायल धीरे-धीरे शर्माते हुए उनके पास आने लगती है. पायल पापा के ठीक सामने आ कर खड़ी हो जाती है. रमेश ऊपर से निचे अपनी बेटी की जवानी को आँखे फाड़-फाड़ कर देखते है फिर कहते है.

रमेश : बहुत खूबसूरत लग रही है मेरी बिटिया रानी.

फिर रमेश आगे से पायल की नाईटी थोड़ी ऊपर कर के बूर पर कसी हुई लाल कच्ची देखते है. कच्ची बूर पर कसी हुई है और दोनों तरफ से हलके बाल निकले हुए है. कच्ची पर पायल की बूर उभर के दिख रही है जिस की वजह से बीच में एक हलकी सी लकीर भी दिखाई पड़ रही है. रमेश जब ये नज़ारा देखते है तो उनके मुहँ में पानी आ जाता है. वो कच्छी पर उभरी हुई बूर को देखते हुए कहते है.

रमेश : सीईईई...!! बहुत प्यारी लग रही है. अब जरा पीछे से दिखाओ तो कैसी है.

पापा की बात पर पायल घूम जाती है. उसके घूमते ही पीछे से उसकी चौड़ी चुतड नाईटी के अन्दर उठ के दिखने लगती है. नाईटी छोटी होने की वजह से पीछे से पायल की चूतड़ों पर कसी हुई कच्ची भी दिखने लगती है. रमेश पायल की नाईटी उठा के देखते है तो छोटी सी कच्ची किसी तरह पायल की चूतड़ों पर टिकी हुई है. उसकी चूतड़ों के बीच कच्ची मानो गायब सी हो गई है. रमेश दोनों हाथ से पायल के चूतड़ों को खोल के देखते है तो अन्दर कच्ची पायल के गांड के छेद और निचे बूर की किसी तरह से ढके हुए है.

रमेश : आह पायल..!! बहुत अच्छे कपडे पहने है बिटिया तुमने.

पायल फिर से पापा की तरफ घूम जाती है और कहती है.

पायल : पापा ये नाईटी भाभी की है. भाभी तो मुझे उस दिन ही ये पहनने कह रही थी पर मुझे शर्म आ रही थी इसलिए नहीं पहनी.

रमेश : कोई बात नहीं बेटी. उस दिन नहीं तो आज सही.

दोनों एक दुसरे की आँखों में देखने लगते है. बाप-बेटी के पवित्र रिश्ते पर तो पहले ही कालिख पूत चुकी थी. रमेश और पायल अब इस रिश्ते को हवस के गंदे दलदल में डुबोने को तैयार थे. रमेश का दिल तो कर रहा था की पायल को पटक कर उसकी कच्छी फाड़ दे और अपना मोटा लंड उसकी बूर में ठूँस दे. पर वो अच्छी तरह से जानता था की पायल अभी उसका लंड लेना भी चाहे तो बूर में नहीं ले पायेगी. रमेश और पायल के पास २ दिनों का वक़्त था. रमेश जानता था की पायल जब पूरी तरह से गरमा जाए और उसकी बूर से लगातार पानी बहने लगे और वो खुद बाप का लंड पकड़ के अपनी बूर में ठूँसने लगे, तभी वो पायल की बूर अच्छी तरह से चोद पायेगा. इस बात को ध्यान में रखते हुए वो पायल से कहते है.

रमेश : अच्छा पायल बेटी, जरा चाय तो पिला दो पापा को.

कुछ-कुछ तो पायल भी समझने लगी थी की पापा पूरा समय ले कर ही उसकी बूर का उद्घाटन करेंगे. वो भी उस्कुराते हुए कहती है.

पायल : जी पापा, अभी बना देती हूँ.

रमेश : (मुस्कुराते हुए) अच्छे से दूध डालना बेटी. पता है ना की मैं घर के दूध की ही चाय पीता हूँ.

पायल : हाँ पापा, जानती हूँ.

पायल भी मुस्कुराते हुए रसोई की तरफ बढ़ने लगती है. पीछे से रमेश उसकी चुतड देख के मदहोश होने लगता है. रसोई में पहुँच कर पायल गैस पर बर्तन चढ़ाती है और उसमे दूध, चीनी और चाय की पत्ती डालती है. फिर वो पीछे मुड़ के देखती है तो पापा उसे मुस्कुराते हुए देख रहे है. वो भी मुस्कुराते हुए अपने दोनों हाथों से नाईटी पर से अपने दोनों मोटे दूध दबा कर चाय के बर्तन पर के ऊपर कर देती है. फिर वो जान बुझ कर अपने दोनों मोटे दूध दबाने लगती है. दबाते हुए वो अपने आप ही मुस्कुराने लगती है. तभी उसकी बगलों के निचे से दो मजबूर हाथ उसके दोनों दूधों को दबोच लेते है. वो चौक कर पीछे मुडती है तो पापा मुस्कुराते हुए उसके दूधों को पीछे से दबोचे हुए खड़े है.

रमेश : इतनी कंजूसी क्यूँ कर रही हो पायल? अपने पापा को काली चाय पिलाने का इरादा है क्या?

पायल : (शर्माते हुए) ऐसी बात नहीं है पापा. मैं तो बस दूध डाल ही रही थी.

रमेश : कोई बात नहीं बेटी. अब मैं आ गया हूँ तो खुद ही डाल लूँगा.

ये कहकर रमेश अपने हाथों को नाईटी के बड़े गले में घुसा देते है और पायल के मोटे दूधों को पकड़ के बहार निकाल देते है. पायल के दोनों दूध को पकडे हुए वो उसे चाय के बर्तन के ऊपर जोर-जोर से दबाने लगते है. यूँ तो पापा कई बार पायल के दूध को दबाया था पर आज उसे अलग ही मजा आ रहा था. वो अपनी आँखे बंद किये और ओठों को दाँतों से काटते हुए पापा से अपने दूध दबवाने लगती है.

रमेश : १-१ लीटर के दूध ले कर घर में घुमती रहती है और पापा की चाय में दूध डालने में कंजूसी करती है.....बदमाश...!!

पायल : आह..! सॉरी पापा..!! अब आप ही डाल लीजिये जितना दूध डालना है.

रमेश : हाँ पायल...आज तो मैं तेरी दोनों दूध की थैलियाँ खाली कर दूंगा.

रमेश पायल के दूध को जोर-जोर से दबा रहे थे और बीच-बीच में वो उसके निप्प्लेस को भी मसल देते थे. पायल सिस्कारियां भरते हुए मजे ले रही थी. पीछे से पापा उसकी चौड़ी चुतड पर २-३ ठाप भी मार देते. पायल तो मानो मोम की तरह पिघलने ही लगी थी. तभी रमेश उसके दूध से हाथ हटा लेते है. पायल की आँखे भी खुल जाती है.

रमेश : अच्छा बेटी तुम चाय बनाओ मैं जरा अपना काम कर लेता हूँ.

ये बोल कर रमेश वहां से चले जाते है. पायल एक लम्बी सांस लेती है. पापा की इस हरकत ने तो उसकी कच्ची चिपचिपी कर दी थी. वो पीछे मुड़ के पापा को देखती है तो रमेश टेबल पर से शीलाजीत की शीशी उठा कर अपने कमरे की तरफ जा रहे थे. पायल उन्हें देख कर कुछ सोचती है फिर धीरे से उनके कमरे की तरफ चल देती है. दरवाज़े के पास पहुँच कर वो धीरे से अन्दर देखती है तो पापा शीलाजीत की शीशी से २ गोलियां निकालकर अपने मुहँ में डाल रहे थे. रमेश पानी पीने लगते है तो पायल की नज़र टेबल पर राखी दो शीशियों पर पड़ती है. एक शीशी तो वो पहचानती थी जो शीलेजीत की थी पर दूसरी शीशी वो पहली बार देख रही थी. वो गौर से देखती है तो शीशी पर अंग्रेजी में लिखे अक्षर साफ़ होने लगते है. "VIAGRA" - ये नाम पढ़ते ही पायल की आँखे बड़ी-बड़ी हो जाती है. उसकी दिल की धड़कन अचानक से तेज़ होने लगती है. तभी रमेश दूसरी शीशी से १ गोली निकाल कर मुहँ में डाल लेते है और पानी पीने लगते है. पायल धीमे क़दमों से चुप-चाप रसोई में चली आती है. रसोई में आ कर वो अपनी तेज़ साँसों पर काबू पाने की कोशिश करने लगती है.

"बापरे...!! शीलाजीत और वियाग्रा दोनों एक साथ. पता नहीं आज मेरी बूर का क्या हाल होगा", पायल मन ही मन सोचती है. गैस को धीमा कर वो छत की सीढ़ियों की तरफ बढ़ने लगती है. उसके दिमाग में आगे क्या होने वाला है यही बातें लगातार घुमने लगती है. छत पर पहुँच कर वो सूखे कपड़ों को ले कर निचे आती है. कुर्सी पर कपड़ों को रख कर वो चाय के बर्तन को गैस से उतार कर चाय कप में डाल देती है. तब तक रमेश भी सोफे पर आ कर बैठ जाते है. पायल कप ले कर मुस्कुराते हुए पापा के पास जाती है और झुक कर चाय देते हुए कहती है.

पायल : पापा आपकी चाय.

रमेश भी चाय का कप लेते हुए अपननी गर्दन ऊपर-निचे करते हुए, पायल के मोटे दूध के बीच की गहराई का जायेज़ा लेने लगते है. जब पायल ये देखती है तो वो भी अपना सीने बहार निकाल देती है और पापा को पूरा नज़ारा अच्छे से दिखा देती है. गहराई का अच्छे से जायेज़ा लेने के बाद रमेश कहते है.

रमेश : बहुत बढियाँ पायल बेटी. (चाय की चुस्की लेनेते हुए) वाह...!! मजा आ गया...बहुत अच्छी बनी है चाय.

पायल : मेरी तारीफ़ क्यूँ कर रहे हो पापा? दूध तो आपने अपने हाथों से ही डाला हैं ना.

पायल की इस बात पर रमेश जोर से हँस देते है. पायल पापा के ठीक सामने वाले सोफे पर बैठ जाती है. रमेश मुस्कुरा कर कहते है.

रमेश : आराम से बैठो पायल बेटी.

पापा की बात समझ कर पायल मुस्कुराते हुए अपने दोनों पैरों को सोफे पर रख लेती है और पूरा खोल देती है. मोटी जाँघों के बीच फूली हुई बालों वाली बूर के बीच घुसी हुई लाल कच्छी देख कर रमेश का मन डोलने लगता है. बूर की फांक में कच्ची घुसी हुई है और आगे से पूरी गीली हो चुकी है. ये इस बात का संकेत था की पायल अब धीरे-धीरे तैयार हो रही थी. अब रमेश भी अपनी दोनों टाँगे सोफे पर रख कर आगे से धोती ऊपर कर के बैठ जाते है. उनका तगड़ा लंड पायल की आँखों के सामने किसी खूंटे की तरह खड़ा था. पापा के लंड को देख कर पायल की बूर और भी ज्यादा पानी छोड़ने लगती है. वो एक बार अपनी टांगो को मिला कर धीरे से जांघों को आपस में रगड़ देती है और फिर से टाँगे खोल कर बैठ जाती है. रमेश मुस्कुराते हुए टीवी का रिमोट लेते है और टीवी चालू करते है. वो जान बुझ कर 'भोजपुरी तड़का' चैनल लगाते है जिसमे दो अर्थों वाले बेहद ही उत्तेजक गाने चलते है.

'भोजपुरी तड़का' चैनल के लगते ही टीवी पर एक लड़की को, जिसने एक कसी हुई चोली और छोटा सा लहंगा पहना हुआ है, चार लोग उसे खाट पर लिए चले आ रहे है. पायल बड़ी-बड़ी आँखे कर के पापा की तरफ देखती है तो वो मुस्कुरा देते है. पायल भी मुस्कुरा देती है और दोनों बाप बेटी टीवी की ओर देखने लगते है. चरों मर्द खाट को निचे रख देते है तो वो लड़की अपना घुन्गत उठा देती है. रमेश और पायल झट से पहचान लेते है की वो भोजपुरी जगत की मशहूर आइटम गर्ल सीमा सिंह है. वो अपने बड़े-बड़े दूध हिलाते हुए नाचने लगती है और गाना शुरू होता है.

" करेला चीत जहिया खाके शीलाजीत हो..ssss
देखी के मूड ओकर होनी भयभीत हो..ssss"


गाने की ये पंक्तियाँ सुनते ही पायल झट से पापा की तरफ बड़ी-बड़ी आँखे कर के देखने लगती है. रमेश भी पायल को देख कर मुस्कुरा देते है. गाने की ये पंक्तियाँ उस वक़्त पायल की हालत पर एक दम सही बैठ रही थी. वो पापा को देखते हुए एक बार अपने ओंठ काट लेती है और फिर टीवी की तरफ देखने लगती है. गाना आगे बढ़ता है.

" करेला चीत जहिया खाके शीलाजीत हो..ssss
देखी के मूड ओकर होनी भयभीत हो..ssss"
धड्केला ढुकुर-ढुकुर छाती रे...ssss
हमके मुआवेला, कमर मूचकावे दादा....
सेजिया पे बालम देहाती रे..ssss.... "


गाना सुन कर पायल की छाती भी ढुकुर-ढुकुर धड़कने लगती है. पापा को देख कर पायल को ऐसा लगता है की शीलाजीत खाने के बाद वो भी उसे इसी तरह बिस्तर पर लेटा कर उस पर चढ़ जायेंगे और अपनी कमर हिलाएंगे. टीवी पर गाना चल रहा है और पायल की नज़र पापा पर ही है. रमेश भी गाना सुनते हुए पायल को ही देख रहे है. तभी गाने की पंक्तियाँ फिर से चलती है.

" हमके मुआवेला, कमर मूचकावे दादा.... "

इस पंक्ति पर रमेश अपनी कमर को हल्का सा सोफे से उठा कर बार झटके दे देते है तो पायल भी बैठे हुए अपनी टाँगे और ज्यादा खोल देती है. इस गाने ने बाप-बेटी के बीच की गर्मी और भी ज्यादा बढ़ा दी थी.


[ इस गाने का मज़ा आप इस लिंक पर ले सकते है :
. आगे का भाग आज रात में आएगा ]

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
Shandar update tha dost
 
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Wanton

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हमें आख़िर में एक बेहद रोमांचक अपडेट मिला है। आप इस तरह के प्रतिभाशाली लेखक हैं, जो जानते हैं कि पढ़े जाने वाले को मंत्रमुग्ध कैसे किया जाता है। इस असाधारण कामुक और बेहद हॉट कहानी को लिखने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। :dancing2: :vhappy1::applause::applause::applause:
 
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