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Incest घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ]

पायल किस से अपनी सील तुड़वाये ?

  • पापा

    Votes: 196 70.0%
  • सोनू

    Votes: 80 28.6%
  • शादी के बाद अपने पति से

    Votes: 4 1.4%

  • Total voters
    280
  • Poll closed .

Hardips

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oh! paapa!!!! aap bahut sharaarti,ganda aur shaitaan hain. aap apni hi sagi beti ko chod rahe ho. main aapse kabhi baat nahi karonga. kya ek gajab kahaani likh rahe hi aap, is kahaani bahut bahut kamuk aur exciting hai, mujhe ummeed hai ki yah kahaani is forum mein sabse romaanchak, uttejit karanevaala aur kaamuk kahaani hogi.:kiss1::party1::courtesy::rock:
Aap me har story pe ek jaisa comment kiya hai ummed hai ki iss kahani iss forum ki sabse romanchak story hogi aisa
 

Raghu

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I have read your last two updates aur ek baar,kya likhte h aap bhai, ekdum fataka aur dick blowing, aap such mien the only king in the field of interfaith family incest.
woooowww!!!!!!!! I always read your update between the lines.
kia kahun, aap to best of the bests.:yes1::yes1::yes1:
 
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Raghu

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Aap me har story pe ek jaisa comment kiya hai ummed hai ki iss kahani iss forum ki sabse romanchak story hogi aisa
Do you log in this forum only to read the readers' comments? Do you have any ability to write a long appreciating comment to boast the eagerness of the writers so that they can post regular update? I think no. Just one or two words such as accha, mast, lajawab, jabardast etc. So don't find fault of the readers and if you have the ability then write the comments better than she.
 

rajeev13

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उमा : ये बात तो तुमने एकदम ठीक कही है बहु. पायल समझदार तो है. और उसके पापा भी पायल का ध्यान अच्छे से ही रखेंगे. आखिर पायल पापा की परी है..........


"रंडी हूँ मैं आपकी पापा....!! पापा की रंडी हूँ मैं...!!" - रमेश के मोटे लंड पर उच्छलती हुई पायल पूरी बेशर्मी के साथ अपने पापा का मोटा लंड बूर में लिए जा रही थी. बिस्तर पर लेटे हुए रमेश उसकी भारी चूतड़ों को हाथों से सहारा देते हुए पायल को लंड पर उच्छलने में मदद कर रहे थे. दोनों हाथों को उठा कर पायल अपने बालों को संवारती हुई पापा के लंड पर उच्छल रही थी.


उमा : हाँ रे.... पर सोचती हूँ की तेरे बाबूजी तो कभी-कभी प्यास लगने पर पानी भी मुझसे ही मांगते थे. पता नहीं... अगर पायल अपने काम में लगी हो और तेरे बाबूजी को प्यास लगी तो उनकी प्यास कौन बुझाएगा....



"ये लीजिये पापा.... बुझा लीजिये अपनी प्यास....!!" - बिस्तर पर दोनों हाथों का सहारा लिए पायल अपनी कमर उठाये और टाँगे खोले, बालोवाली बूर से निकलती पेशाब की मोटी धार निचे बैठे पापा के मुहँ में गिरा रही थी. रमेश भी निचे बैठे हुए अपना मुहँ खोले पायल की पेशाब की मोटी धार को सीधा अपने मुहँ में गिरवाते हुए पी रहे थे. बेटी की पेशाब पीने में उन्हें अलग ही आनंद की प्राप्ति हो रही थी. पायल भी पूरी मस्ती में अपनी बूर जो झटके देते हुए सारी पेशाब पापा के मुहँ में गिराए जा रही थी.
क्या अद्भुत संयोग बनाया है आपने कहानी में।
वाह।
 
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