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Incest घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ]

पायल किस से अपनी सील तुड़वाये ?

  • पापा

    Votes: 196 70.0%
  • सोनू

    Votes: 80 28.6%
  • शादी के बाद अपने पति से

    Votes: 4 1.4%

  • Total voters
    280
  • Poll closed .

hfmwife

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At first take my warmhearted love for writing such an extremely hot and erotic story. Awesome update, unbelievably lascivious and exciting writings , the erotic narration of the story line just mind blowing.:perfect::yes1:
 

Mastrani

Member
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अपडेट ३२.५ :

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शाम ४ बजे:
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घर के आँगन में बैठी उमा, बिमला और उर्मिला बातें कर रही थी. पास वाली खाट पर मोहन भी लेटे हुए उनका साथ दे रहे थे. थकावट के कारण सोनू अन्दर कमरें में सो रहा था. पुरानी यादों के साथ-साथ कुछ नयी बातों पर भी चर्चा हो रही थी. मोहन लेटे हुए यहाँ-वहाँ नज़र दौडाते हुए कहते है.

मोहन : ये गोलू कहा चला गया....

उमा : क्या हुआ मोहन?

मोहन : कुछ नहीं दीदी. ४ बजे गए हैं ना. गोशाला में गाय का दूध दुहना था. अब मैं तो कर नहीं सकता इसलिए गोलू ही करता है. पता नहीं कहाँ चला गया?

बिमला : मैं देख कर आती हूँ.

जैसे ही बिमला उठने को होती है, उर्मिला उन्हें रोकते हुए कहती है.

उर्मिला : आप बैठिये मामी. मैं देख कर आती हूँ.

बिमला मुस्कुराकर उसके सर पर हाथ रखते हुए कहती है.

बिमला : बहुत अच्छी बहु मिली है आपको दीदी.

उमा : हाँ बिमला. हमारे घर को तो इसीने संभाला हुआ है.

उर्मिला भी मुस्कुराते हुए बाहार निकल आती है. आँगन में नज़र डालते हुए वो गोशाला की और बढ़ने लगती है. थोडा आगे जाते ही उसे गोलू गाय के पैरों के पास बैठा हुआ उसका दूध दुहते हुए दिखाई देता है. उर्मिला उसे आवाज़ देने ही वाली होती है की उसकी नज़र सामने झाड़ू लगाती कम्मो पर पड़ती है. कम्मो झुक कर झाड़ू लगा रही है और आगे उसकी चोली के बड़े गले से उसके मोटे दूधों की गहराई दिख रही है. उर्मिला झट से गौर से गोलू की तरफ देखती है तो गाय का दूध दुहते हुए सोनू की नज़रें कम्मों की दिख रही दूध के बीच की गहराई पर थी. वो बड़े ही ध्यान से कम्मो की बड़ी-बड़ी चुचियों को निहार रहा था. ये देख कर उर्मिला के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. " साला पूरा खानदान ही बहनचोदों और बेटीचोदों से भरा पड़ा है ", उर्मिला मन में सोचती है. धीमे क़दमों से वो गोलू की तरफ बढ़ने लगती है की तभी कम्मो की नज़र गोलू पर पड़ती है. गुस्से में झाड़ू गोलू को दिखाते हुए वो कहती है.

कम्मो : तू फिर देखने की कोशिश कर रहा है गोलू? तुझे मना किया था ना?

कम्मो के मुहँ से ये सुनकर उर्मिला वहीँ रुक जाती है. उसे लगता है की आज तो गोलू बुरा फंस गया. गोलू दूध दुहना बंद कर के दौड़ कर कम्मो के पास जाता है और निचे बैठ कर उसके पैर पढ़ने लगता है.

गोलू : दीदी मैं आपके पैर पढ़ रहा हूँ. माँ और बापू से कुछ मत कहियेगा.

कम्मो : अगली बार देखने की कोशिश की तो झाड़ू से मरूंगी तुझे.

तभी उर्मिला भी वहां आ जाती है. अनजान बनते हुए वो कहती है.

उर्मिला : क्या हुआ कम्मो? क्यूँ मारेगी तू गोलू को झाड़ू से?

उर्मिला को वहां देख कर गोलू उठ कर वहां से भाग खड़ा होता है. उर्मिला गोलू को भागता हुआ देखती है फिर कम्मो की तरफ घूम कर कहती है.

उर्मिला : क्या हुआ कम्मो? इतना गुस्सा क्यूँ कर रही है?

कम्मो : देखिये ना भाभी. गोलू को मन किया था फिर भी वो बार-बार देखने की कोशिश करता है.

उर्मिला : अरे क्या हुआ? क्या देखने की कोशिश करता है गोलू?

कम्मो : मेरे छाती का तील भाभी.

उर्मिला : (उलझन में) तेरी छाती का तील??

कम्मो : हाँ भाभी....मेरी छाती का तील. ये देखिये.....

ये कहकर कम्मो अपनी चोली का गला पकड़ कर निचे कर देती है. चोली का गला उसके निप्पल के बस कुछ ऊपर ही था और वहां एक काल तील दिखाई पड़ रहा था. उर्मिला वो तील देखती है और हैरानी के साथ कम्मो से कहती है.

उर्मिला : तो गोलू इस तील को देखने की कोशिश कर रहा था.

कम्मो : (बड़ी-बड़ी आखों से) हाँ भाभी. एक बार जब मैं बर्तन धो रही थी तो गोलू खड़े हो कर मेरी चोली में झांक रहा था. मैंने उसे पकड़ लिया तो उसने ही बताया की वो मेरी छाती पर जो तील है वो देखने की कोशिश कर रहा था.

उर्मिला : ओह..!! तो ये बात तुझे गोलू ने बताई थी. पर तुमने कहीं मामा या मामी को ये बात तो नहीं बता दी ना?

कम्मो : मैं तो उसी दिन बता देती भाभी पर सोनू ने मेरे पैर पकड़ लिए. मैं खुश हो गई. मुझे ऐसा लगा की मैं कोई राजकुमारी हूँ और वो मेरे पैर पढ़ रहा है. फिर उसने कहा की जब भी वो मेरी छाती का तील देखते हुए पकड़ा जायेगा, वो मेरे पैर पढ़ेगा और मैं मान गई. तब से जब भी वो पकड़ा जाता है मैं राजकुमारी बन के उस से अपने पैर पढवाती हूँ.

ये बात कहते हुए कम्मो के चेहरे पर गर्व की भावना थी. उर्मिला अब सारी बात समझ जाती है. "वाह री भोली राजकुमारी. एक दिन तेरे भाई तेरी बूर चोद के पैर पढ़ लेगा", उर्मिला मन में सोचती है. फिर कम्मो की तरफ देख कर कहती है.

उर्मिला : पर कम्मो. गोलू तो तेरा भाई है, फिर उसे अपना तील दिखाने में कैसी शर्म?

कम्मो : ऐसे कैसे दिखा दूँ भाभी? माँ कहती है की लड़की का तील शादी के बाद सबसे पहले उसका पति देखता है. मेरा तील भी शादी के बाद मेरा पति ही देखेगा. गोलू को थोड़ी ना देखने दूंगी.

कम्मो की बातों से उर्मिला को पूरा यकीन हो जाता है की इस १८ साल की लड़की को घर से निकलने क्यूँ नहीं दिया जाता है. २ साल पहले जब उर्मिला पहली बार यहाँ आई थी तब से ही कम्मो पर पाबंदियां लगा दी गई थी. अब तो वो पूरी जवान गदराई माल हो गई थी, और पाबंदियां भी कहीं ज्यादा. उर्मिला ये भी बात समझ जाती है की गोलू भी सोनू की तरह ही कमीना और एक नंबर का बहनचोद है, जो अपनी भोली-भाली बहन के चक्कर में है. उर्मिला के अन्दर का कीड़ा रेंगेने लगता है. जिस तरह से घर पर उसने परिवार के सदस्यों के अन्दर की हवस को खुल के बाहार निकाला था अब वो गोलू की हवस को भी ठीक उसी तरह से हवा देने को तैयार थी.

उर्मिला : अच्छा ठीक है कम्मो. ध्यान से कहीं गोलू तेरा तील ना देख ले.

कम्मो : आप चिंता मत कीजिये भाभी. वो मेरी छाती का तील तो क्या, मेरी नाभि के निचे और जांघ पर जो तील है वो भी कभी नहीं देख पायेगा.

उर्मिला : ओह तो तेरी नाभि के निचे और जांघ पर भी तील है.

कम्मो : हाँ भाभी...ये देखिये...

कम्मो झट से अपना घगरा उठाने लगती है. उर्मिला डर के मारे यहाँ वहां देखते हुए उसका हाथ पकड़ लेती है.

उर्मिला : अरे अरे अरे...!! ये क्या कर करी है कम्मो. ठीक है. मैं समझ गई. अच्छा अब तू झाड़ू लगा, मैं चलती हूँ.

कम्मो : ठीक है भाभी.

कम्मो झाड़ू लगाने लगती है और उर्मिला वहां से जाने लगती है. जैसे ही उर्मिला की नज़र सामने पड़ती है, गोलू सामनेवाली मिट्टी की दीवार के पीछे छुपने लगता है. उर्मिला समझ जाती है की वो वहां छिप कर उनकी सारी बातें सुन रहा था. उर्मिला धीमे-धीमे वहां जाती है और झट से गोलू के सामने खड़े हो जाती है. गोलू दीवार के पीछे निचे बैठा हुआ था. उसकी नज़र जैसे ही उर्मिला पर पढ़ती है वो घबरा जाता है.

उर्मिला : क्या कर रहा था गोलू?

गोलू : (डरते हुए) क..क..कुछ नहीं भाभी. वो..वो ..वो मैं ना गोबर उठाने आया था.

उर्मिला : (आसपास देखते हुए ) कहाँ है गोबर जो तू उठाने आया था?

अब गोलू की हवा निकल जाती है. वो झट से उर्मिला के पैरो को पकड़ लेता है.

गोलू : मुझे माफ़ कर दीजिये भाभी. आप माँ और बापू से कुछ मत कहियेगा.

उर्मिला : मैं तेरी भाभी हूँ गोलू, कम्मो नहीं जो तू मुझे बेवकूफ बना दे. और जरा बता तो तू कम्मो की चोली में कौनसा तील देखता है?

ये बात सुन कर गोलू का पिछवाड फट सा जाता है. वो निचे बैठा हाथ जोड़ कर उर्मिला के सामने गिडगिडाने लगता है.

गोलू : भाभी मुझे माफ़ कर दीजिये. अब मैं कभी भी कम्मो की चोली में नही झांकुंगा, मैं वादा करता हूँ.

उर्मिला : चल खड़ा हो जा और मेरे पीछे आ.

गोलू चुपचाप खड़ा होता है और उर्मिला के पीछे चल देता है. उर्मिला उसे गोशाला के पीछे ले जाती है और वहां उस से कहती है.

उर्मिला : अब मुझे सच-सच बता गोलू. तू सच में कोई तील देख रहा था या कम्मो के दो बड़े पहाड़ों की चोटियाँ?

उर्मिला की बात सुन कर गोलू नज़रे झुकाए खड़ा रहता है.

उर्मिला : देख गोलू. अगर तू सच बोलेगा तो तील का तो नहीं कह सकती पर तुझे कम्मो के दोनों पहाड़ों की चोटियाँ जरुर दिखा सकती हूँ.

उर्मिला की बात सुन कर गोलू झट से उसकी तरफ देखने लगता है.

गोलू : पर...पर..भाभी...वो...

उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) तुझे क्या लगता है की बस तू ही एक है जो अपनी बहन पर लट्टू है. तेरे जैसे भरे पड़े है यहाँ. अब सोनू को ही देख ले. पायल के पीछे लंड खड़ा किये घूमता रहता था. मैंने करा दी उसकी सेटिंग पायल के साथ.

उर्मिला की बात सुन कर गोलू उच्छल पड़ता है.

गोलू : क्या बात कर रही हो भाभी? गोलू और पायल दीदी....??

उर्मिला : और नहीं तो क्या? अब तो पायल सोनू का लंड खूब चुस्ती है और उसके साथ बिस्तर पर नंगी भी सोती है.

गोलू : (ख़ुशी से ताली बजाते हुए एक बार गोल-गोल घूम जाता है) सच भाभी...!!

उर्मिला : हाँ गोलू एक दम सच...कसम से..!!

गोलू : भाभी मेरे लिए भी कुछ कीजिये ना. अब तक तो मैं दीदी का कुछ भी नहीं देख पाया हूँ.

उर्मिला : ठीक है गोलू पर मैं जैसा कहूँगी तुझे वैसा ही करना होगा. घर में किसी को कानो कान खबर नहीं पड़नी चाहिए.

गोलू : (ख़ुशी से उच्छालता हुआ) नहीं पड़ेगी भाभी.

उर्मिला : शाबाश..! अच्छा एक बात बता. गाँव में कोई सुनसान जगह है जहाँ बैठ कर बातें किया जा सके.

गोलू : हाँ भाभी. थोड़ी दूर पर एक छोटा सा तालाब है. उसके चारों तरफ सरपंच जी के खेत है इसलिए वहां कोई नहीं जाता.

उर्मिला : तो फिर हम कैसे जायेंगे?

गोलू : ओहो भाभी..!! बापू और सरपंच जी तो बहुत अच्छे दोस्त है. हमारे खेतों में भी तो उसी तालाब का पानी आता है. हमे कोई नहीं रोकता.

उर्मिला : (कुछ सोच कर) अच्छा ठीक है. अब तू जा और दूध दुह ले. मैं भी अन्दर चलती हूँ. ३० मिनट के बाद मैं जब बुलाऊंगी तो आ जाना.

गोलू : ठीक है भाभी.

गोलू ख़ुशी-ख़ुशी दौड़ता हुआ चला जाता है. उर्मिला का गन्दा दिमाग एक बार फिर किसीको बहनचोद बनाने की जुगाड़ में लग जाता है.


(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
 
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sharaabi

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Bahut hi behtareen update mastrani ji aur ye nayi Kari to kahani me aur bhi romanch la diye he
 
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