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Incest घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ]

पायल किस से अपनी सील तुड़वाये ?

  • पापा

    Votes: 196 70.0%
  • सोनू

    Votes: 80 28.6%
  • शादी के बाद अपने पति से

    Votes: 4 1.4%

  • Total voters
    280
  • Poll closed .

Hunk1988

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2,055
144
अपडेट १४.५ :

ये सुनते हे रमेश के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान छा जाती है. वो एक बार अपने लंड को धोती पर से जोर से मसलता है और यहाँ-वहां देखकर किसी के ना होने की पुष्टि कर धीरे से पायल के पास जाता है.

रमेश : पायल बेटी..!! तेरा लहंगा तो सच में पीछे से ज़मीन पर लग रहा है.

पायल : हाँ पापा...तभी तो आपको बुलाया है. इस पीछे से उठा दिजियेना प्लीज....

रमेश कांपते हुए हाथों से पायल का लहंगा पीछे से उठाते हैं. लहंगा उठते ही पायल की गोरी और चौड़ी चुतड की झलक उन्हें दिख जाती है. लहंगा उठा के पायल के पीछे ही रमेश भी बैठ जाता है. गोरी गोरी चुतड उसकी आँखों के सामने है और कानो में पेशाब की सुर्र्र्रर्ररसुर्र्र्रर की आवाज़ से उसका लंड अकड़ने लगता है. वो एक हाथ से अपना लंड बाहर निकालता है और लंड पकड़े हुए हुए धीरे से निचे झुकता है. निचे झुकते ही रमेश को पायल की गोल गोल चूतड़ों के बीच घने बाल दिखाई देते है. फैली हुई चुतड और बालो के बीच पायल के गांड का छेद बेहद कसा हुआ दिख रहा है. पायल जब पेशाब करने में जोर लगाती वो उसकी गांड का छेद अन्दर की तरफ सिकुड़ जाता और फिर वापस अपने आकर में आ जाता. ये नज़ारा देख कर रमेश अपनी जुबान ओठों पर फेरने लगता है. उसका दिल करता है की अपनी मोटी जीभ उसी वक़्त पायल की गांड के उस कसे हुए छेद में पेल दे. रमेश थोडा और निचे झुकता है तो उसे पायल की बालों से घिरी बूर दिखाई देती है जिसमे से पेशाब की एक मोटी धार सुर्र्र्ररसुर्र्र की आवाज़ करती हुई ज़मीन पर गिर रही है. रमेश को पायल के बूर से निकल कर ज़मीन पर गिरती वो पेशाब की मोटी धार किसी झरने सी दिखाई देती है. उसका दिल करता है की पायल की टांगों के बीच अपना मुहँ ले जा कर वो उस झरने का पानी पी ले. तभी उसके कानो में पायल की मीठी आवाज़ आती है.

पायल : पापा...मेरा लहंगा भीग तो नहीं रहा है ना?

रमेश : (सपनो की दुनिया से बाहर आता हुआ) नहीं नहीं बिटिया रानी. तेरे पापा लहंगे को ऊपर उठा के है.

पायल : थैंक्यू पापा...आप नहीं होते तो मेरी ड्रेस ख़राब हो जाती.

रमेश : कोई बात नहीं बिटिया...(फिर उसके बहते पेशाब को देख कर) पायल...आज तो तू बहुत पेशाब कर रही है बिटिया...

पायल : अभी तो और वक़्त लगेगा पापा...जब तक मैं अच्छे से पेशाब नहीं कर लेती तब तक मैं ऐसे ही बैठी रहती हूँ.

पायल बीच बीच में अपनी चुतड पीछे से उठा देती तो रमेश को उसकी चुतड, गांड का छेद और बालों से घिरी बूर के दर्शन हो जाते. अब रमेश से रहा नहीं जाता. उसका दिल करता है की पायल को वहीँ पटक के उसकी बूर में लंड ठूँस दे लेकिन वो ऐसा नहीं करना चाहता. वो चाहता है की पायल खुद ही अपने मुहँ से कहे की "पापा ...मेरी चुदाई कर दीजिये". तभी पायल कहती है.

पायल : पापा ...वो सामने खेत देख रहे हो आप?

रमेश देखता है तो उसे कुछ दिखाई नहीं देता..

रमेश : नहीं बेटी...सामने तो कोई खेत दिखाई नहीं दे रहा...

पायल अपना लहंगा पकड़े, पीछे से चुतड उठा देती है. ज़मीन पर घुटने मोड़ के बैठे रमेश के सामने उसकी चुतड खुल के दिखने लगती है. पायल की बूर अब बालों के बीच से दिखाई देने लगी है. डबल रोटी की तरह फूली हुई बूर देख कर रमेश के होश उड़ जाते है.

पायल : ध्यान से देखिये ना पापा...खेत तो आपके सामने ही है.

रमेश समझ जाता है की वो खेत कहीं और नहीं, पायल की जांघो के बीच ही है.

रमेश : ह...हाँ ...हाँ पायल...अब दिखाई दे रहा है खेत..

पायल : कैसा लगा आपको खेत पापा?

रमेश : छोटा सा है बेटी...खेत पर तो घांस भी काफी उग आई है...

पायल : आपको खेत पर घांस पसंद है पापा?

रमेश : हाँ बेटी...बहुत पसंद है...घासं से तो खेत हरा-भरा दीखता है....

पायल : और क्या दिख रहा है पापा खेत में?

रमेश : बेटी ये खेत तो त्रिकोने आकार का है. खेत के उपरी हिस्से में घनी घासं उगी हुई है और दोनों तरफ हलकी. और बिटिया, खेत के बीच में एक लम्बी फैली हुई नहर दिख रही है जिसमे से पानी बह रहा है. खेत के ठीक निचे एक छोटा सा कुआं भी है जो लगता है बंद पड़ा है. कुएं को खोलने के लिए बड़ी मेहनत करनी पड़ेगी....

पापा के मुहँ से अपनी हे बूर और गांड के छेद की बात सुन कर पायल की बूर पानी छोड़ने लगती है.

पायल : पापा ये खेत जुताई के लिए तैयार हो गया है क्या?

रमेश : हाँ बिटिया...पूरी तरह से तैयार....तेरे पापा ने बड़े-बड़े खेत जोते है लेकिन ऐसा प्यारा खेत कभी नहीं जोता. इसकी ज़मीन भी बहुत टाइट दिखाई पड़ रही है. पापा को अपने मोटे हल से इसे जोतने में बड़ा मजा आएगा.

ये सुनकर पायल की साँसे तेज़ हो जाती है और बूर फुदकने लगती है.

पायल : बहुत जोर-जोर से जोतियेगा क्या पापा इस खेत को?

रमेश : (जोश में) हाँ बेटी....इस खेत में तो पापा अपना मोटा हल उठा-उठा के डालेंगे. घंटो इस खेत की जुताई करेंगे. जब पूरा खेत अच्छे से जुत जायेगा तो इसकी गहराई में बीज बो देंगे.

पायल : उफ़ पापा...आप बीज भी बो दोगे क्या?

रमेश : हाँ पायल...बिना बीज बोये खेत की जुताई कभी पूरी नहीं होती....

दोनों बाप-बेटी की हालत खराब हो जाती है. पायल की बूर फ़ैल गई है और रमेश के लंड ने विकराल रूप ले लिया है. तभी जेब में रखा रमेश का फ़ोन बजने लगता है. रमेश अपने लंड को छोड़ फ़ोन कपड़ों में ढूढ़ने लगता है. पायल का लहंगा उसके हाथ से छुट जाता है और वो सीधे कड़ी हो जाती है. अपना फ़ोन निकाल के रमेश कान में लगता है.

रमेश : हे..हे..हेलो ...!!

उधर से उमा की आवाज़ आती है.

उमा : कहाँ हो जी आप? दोस्तों के साथ शराब पीने तो नहीं बैठ गए?

रमेश : (हिचकिचाता हुए) अ..अ..अरे नहीं उमा. मैं तो बस....

उमा : बस-वस छोड़िये...आप पहले जल्दी आईये यहाँ...और जरा पायल को भी देखिये...पता नहीं कौनसे गोलगप्पे खा रही है...

रमेश : हाँ..हाँ..मैं देखता हूँ अभी...तुम फ़ोन रखो...

रमेश फ़ोन रखता है और पायल को देखता है. उसके चेहरे पर उदासी छाई है और चेहरा उतर गया है. रमेश भी निराशा भरी नज़रों से उसे देखता है. दोनों समझ जाते है की अब यहाँ काम नहीं बनेगा. पायल उतरा हुआ चेहरा ले कर पंडाल की तरफ जाने लगती है. पीछे-पीछे रमेश भी उमा को मन हही मन गालियाँ देता चलने लगता है.

[यहाँ पर अपडेट १४ समाप्त होता है]

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
Aapne mootne ka bahut achcha nazara pesh kiya h,kase mootate time gand falti sikudti h,pr virgin chut ccccccc ki awaz deti h,surrrrr ki awaz us chut se ati h jiski siti chud chud k kharab ho jati h
 

Hunk1988

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ये सुनते हे रमेश के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान छा जाती है. वो एक बार अपने लंड को धोती पर से जोर से मसलता है और यहाँ-वहां देखकर किसी के ना होने की पुष्टि कर धीरे से पायल के पास जाता है.

रमेश : पायल बेटी..!! तेरा लहंगा तो सच में पीछे से ज़मीन पर लग रहा है.

पायल : हाँ पापा...तभी तो आपको बुलाया है. इस पीछे से उठा दिजियेना प्लीज....

रमेश कांपते हुए हाथों से पायल का लहंगा पीछे से उठाते हैं. लहंगा उठते ही पायल की गोरी और चौड़ी चुतड की झलक उन्हें दिख जाती है. लहंगा उठा के पायल के पीछे ही रमेश भी बैठ जाता है. गोरी गोरी चुतड उसकी आँखों के सामने है और कानो में पेशाब की सुर्र्र्रर्ररसुर्र्र्रर की आवाज़ से उसका लंड अकड़ने लगता है. वो एक हाथ से अपना लंड बाहर निकालता है और लंड पकड़े हुए हुए धीरे से निचे झुकता है. निचे झुकते ही रमेश को पायल की गोल गोल चूतड़ों के बीच घने बाल दिखाई देते है. फैली हुई चुतड और बालो के बीच पायल के गांड का छेद बेहद कसा हुआ दिख रहा है. पायल जब पेशाब करने में जोर लगाती वो उसकी गांड का छेद अन्दर की तरफ सिकुड़ जाता और फिर वापस अपने आकर में आ जाता. ये नज़ारा देख कर रमेश अपनी जुबान ओठों पर फेरने लगता है. उसका दिल करता है की अपनी मोटी जीभ उसी वक़्त पायल की गांड के उस कसे हुए छेद में पेल दे. रमेश थोडा और निचे झुकता है तो उसे पायल की बालों से घिरी बूर दिखाई देती है जिसमे से पेशाब की एक मोटी धार सुर्र्र्ररसुर्र्र की आवाज़ करती हुई ज़मीन पर गिर रही है. रमेश को पायल के बूर से निकल कर ज़मीन पर गिरती वो पेशाब की मोटी धार किसी झरने सी दिखाई देती है. उसका दिल करता है की पायल की टांगों के बीच अपना मुहँ ले जा कर वो उस झरने का पानी पी ले. तभी उसके कानो में पायल की मीठी आवाज़ आती है.

पायल : पापा...मेरा लहंगा भीग तो नहीं रहा है ना?

रमेश : (सपनो की दुनिया से बाहर आता हुआ) नहीं नहीं बिटिया रानी. तेरे पापा लहंगे को ऊपर उठा के है.

पायल : थैंक्यू पापा...आप नहीं होते तो मेरी ड्रेस ख़राब हो जाती.

रमेश : कोई बात नहीं बिटिया...(फिर उसके बहते पेशाब को देख कर) पायल...आज तो तू बहुत पेशाब कर रही है बिटिया...

पायल : अभी तो और वक़्त लगेगा पापा...जब तक मैं अच्छे से पेशाब नहीं कर लेती तब तक मैं ऐसे ही बैठी रहती हूँ.

पायल बीच बीच में अपनी चुतड पीछे से उठा देती तो रमेश को उसकी चुतड, गांड का छेद और बालों से घिरी बूर के दर्शन हो जाते. अब रमेश से रहा नहीं जाता. उसका दिल करता है की पायल को वहीँ पटक के उसकी बूर में लंड ठूँस दे लेकिन वो ऐसा नहीं करना चाहता. वो चाहता है की पायल खुद ही अपने मुहँ से कहे की "पापा ...मेरी चुदाई कर दीजिये". तभी पायल कहती है.

पायल : पापा ...वो सामने खेत देख रहे हो आप?

रमेश देखता है तो उसे कुछ दिखाई नहीं देता..

रमेश : नहीं बेटी...सामने तो कोई खेत दिखाई नहीं दे रहा...

पायल अपना लहंगा पकड़े, पीछे से चुतड उठा देती है. ज़मीन पर घुटने मोड़ के बैठे रमेश के सामने उसकी चुतड खुल के दिखने लगती है. पायल की बूर अब बालों के बीच से दिखाई देने लगी है. डबल रोटी की तरह फूली हुई बूर देख कर रमेश के होश उड़ जाते है.

पायल : ध्यान से देखिये ना पापा...खेत तो आपके सामने ही है.

रमेश समझ जाता है की वो खेत कहीं और नहीं, पायल की जांघो के बीच ही है.

रमेश : ह...हाँ ...हाँ पायल...अब दिखाई दे रहा है खेत..

पायल : कैसा लगा आपको खेत पापा?

रमेश : छोटा सा है बेटी...खेत पर तो घांस भी काफी उग आई है...

पायल : आपको खेत पर घांस पसंद है पापा?

रमेश : हाँ बेटी...बहुत पसंद है...घासं से तो खेत हरा-भरा दीखता है....

पायल : और क्या दिख रहा है पापा खेत में?

रमेश : बेटी ये खेत तो त्रिकोने आकार का है. खेत के उपरी हिस्से में घनी घासं उगी हुई है और दोनों तरफ हलकी. और बिटिया, खेत के बीच में एक लम्बी फैली हुई नहर दिख रही है जिसमे से पानी बह रहा है. खेत के ठीक निचे एक छोटा सा कुआं भी है जो लगता है बंद पड़ा है. कुएं को खोलने के लिए बड़ी मेहनत करनी पड़ेगी....

पापा के मुहँ से अपनी हे बूर और गांड के छेद की बात सुन कर पायल की बूर पानी छोड़ने लगती है.

पायल : पापा ये खेत जुताई के लिए तैयार हो गया है क्या?

रमेश : हाँ बिटिया...पूरी तरह से तैयार....तेरे पापा ने बड़े-बड़े खेत जोते है लेकिन ऐसा प्यारा खेत कभी नहीं जोता. इसकी ज़मीन भी बहुत टाइट दिखाई पड़ रही है. पापा को अपने मोटे हल से इसे जोतने में बड़ा मजा आएगा.

ये सुनकर पायल की साँसे तेज़ हो जाती है और बूर फुदकने लगती है.

पायल : बहुत जोर-जोर से जोतियेगा क्या पापा इस खेत को?

रमेश : (जोश में) हाँ बेटी....इस खेत में तो पापा अपना मोटा हल उठा-उठा के डालेंगे. घंटो इस खेत की जुताई करेंगे. जब पूरा खेत अच्छे से जुत जायेगा तो इसकी गहराई में बीज बो देंगे.

पायल : उफ़ पापा...आप बीज भी बो दोगे क्या?

रमेश : हाँ पायल...बिना बीज बोये खेत की जुताई कभी पूरी नहीं होती....

दोनों बाप-बेटी की हालत खराब हो जाती है. पायल की बूर फ़ैल गई है और रमेश के लंड ने विकराल रूप ले लिया है. तभी जेब में रखा रमेश का फ़ोन बजने लगता है. रमेश अपने लंड को छोड़ फ़ोन कपड़ों में ढूढ़ने लगता है. पायल का लहंगा उसके हाथ से छुट जाता है और वो सीधे कड़ी हो जाती है. अपना फ़ोन निकाल के रमेश कान में लगता है.

रमेश : हे..हे..हेलो ...!!

उधर से उमा की आवाज़ आती है.

उमा : कहाँ हो जी आप? दोस्तों के साथ शराब पीने तो नहीं बैठ गए?

रमेश : (हिचकिचाता हुए) अ..अ..अरे नहीं उमा. मैं तो बस....

उमा : बस-वस छोड़िये...आप पहले जल्दी आईये यहाँ...और जरा पायल को भी देखिये...पता नहीं कौनसे गोलगप्पे खा रही है...

रमेश : हाँ..हाँ..मैं देखता हूँ अभी...तुम फ़ोन रखो...

रमेश फ़ोन रखता है और पायल को देखता है. उसके चेहरे पर उदासी छाई है और चेहरा उतर गया है. रमेश भी निराशा भरी नज़रों से उसे देखता है. दोनों समझ जाते है की अब यहाँ काम नहीं बनेगा. पायल उतरा हुआ चेहरा ले कर पंडाल की तरफ जाने लगती है. पीछे-पीछे रमेश भी उमा को मन हही मन गालियाँ देता चलने लगता है.

[यहाँ पर अपडेट १४ समाप्त होता है]

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
Baap beti k beech bahut badhiya double meaning baat hui,kya likhti ho yr aap,man krta h aap k hath aur ch..t dono choom loon agar aap ladki ho to
 

Mastrani

Member
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सोच रही हूँ......फिर से कहानी लिखना शुरू कर दू....यही कहानी आगे बढ़ाऊँ या नयी कहानी शुरू करूँ...!!
 

Mass

Well-Known Member
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189
सोच रही हूँ......फिर से कहानी लिखना शुरू कर दू....यही कहानी आगे बढ़ाऊँ या नयी कहानी शुरू करूँ...!!
Good to see you back. Request hain, pehle yeh story complete kare. Bahut majedaar mod par ruka hua hain..Rakshabandhan ke festival par ruka hya hain. Hope app jaldi hi updates dekar story ko aage badhaaogi. Dhanyawaad. Update ke intezaar mein..
 

Yog320010

Member
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सोच रही हूँ......फिर से कहानी लिखना शुरू कर दू....यही कहानी आगे बढ़ाऊँ या नयी कहानी शुरू करूँ...!!
Welcome back please complete this story it is one of best story on internet world
 

S J

New Member
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सोच रही हूँ......फिर से कहानी लिखना शुरू कर दू....यही कहानी आगे बढ़ाऊँ या नयी कहानी शुरू करूँ...!!
Aapko yaha dekh kr bahut achha lga hope everything is fine.
Pahle aap is story ko complete kr do ye story bhut achhi hai.
 
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