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Incest घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ]

पायल किस से अपनी सील तुड़वाये ?

  • पापा

    Votes: 196 70.0%
  • सोनू

    Votes: 80 28.6%
  • शादी के बाद अपने पति से

    Votes: 4 1.4%

  • Total voters
    280
  • Poll closed .

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Well-Known Member
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अपडेट २५:

सोनू सोफे पर लेटे हुए अपने फ़ोन में नज़रे गड़ाये हुए है. सामने उमा चिंतित अवस्था में टहले जा रही है. रात के १०:३० हो चुके हैं और रमेश, पायल और उर्मिला का कोई अता-पता नहीं था. बार-बार घड़ी पर नज़र डालते हुए उमा दरवाज़े से बाहर गेट पर भी नज़र रखे हुए थी.

उमा : लल्ला...एक बार फिर से फ़ोन लगा कर देख.

सोनू : १० बार लगा चूका हूँ मम्मी...सबका फ़ोन नेटवर्क से बाहर बता रहा था. पता नहीं कहाँ हैं सब.

उमा : वो लोग जरुर जंगल के पास से गुज़र रहे होंगे. वहां तो बिलकुल भी नेटवर्क नहीं होता है. लल्ला...एक बार फिर से लगा के तो देख. हो सकता है उनकी गाड़ी अब जंगल से पार आ गई हो?

सोनू : ठीक है मम्मी.....

सोनू उर्मिला भाभी को फ़ोन लगता है और रिंग जाने लगती है.

सोनू : (उत्साह में) लग गया मम्मी.....हेलो...!!

उर्मिला : (दुसरे छोर से) हाँ हेलो...!!

सोनू : भाभी कहाँ हो आप लोग? कब से आप सब का फ़ोन लगा रहा हूँ, लग ही नहीं रहा था.

उर्मिला : अरे सोनू...हमारी गाड़ी खराब हो गई है. बड़ी मुश्किल से ऑटोरिक्शा मिला है. रास्ते में ही है.

सोनू : क्या? गाड़ी ख़राब हो गई? कब ? कैसे?

उर्मिला : बाप रे...!! एक साथ इतने सवाल? आ कर अराम से सब बताउंगी. मम्मी जी को बोल दे की चिंता न करें. हम लोग ४०-४५ मिनट में पहुँच जायेंगे. ठीक है?

सोनू : ठीक है भाभी...आप लोग जल्दी आईये....रखता हूँ...

सोनू के फ़ोन रखते ही उमा बोल पड़ती है.

उमा : क्या बोल रहा था तू? गाड़ी खराब हो गई? कैसे हो गई? कहाँ है वो सब?

सोनू : अरे मम्मी... भाभी ने कहा है की चिंता मत करिए सब ठीक है. गाड़ी ख़राब हो गई थी तो वो सब ऑटोरिक्शा में आ रहे है. घर आकर सब पता चल जायेगा. सब ठीक है. चिंता की कोई बात नहीं है.

उमा : (आँखें बंद कर सीने पर हाथ रखते हुए) हे भगवान...!! तेरा लाख-लाख शुकर है. मैं तो डर ही गई थी.

सोनू : आप तो ऐसे ही डर रही थी मम्मी.

सोनू फिर से सोफे पर लेटे हुए अपने फ़ोन में लग जाता है. उर्मिला जो अब तक डरी हुई थी, सब के ठीक होने की खबर से बहुत खुश है. कहते है की जब इंसान खुश होता है तो वो उसे अपने पसंद का काम करने में बड़ा मजा आता है. उमा की ज़िन्दगी में वैसे तो बहुत ही कम ऐसे काम थे जो उसे करने में मजा आता था. लेकिन कुछ दिनों से उसे एक काम में मजा आने लगा था. अभी वो खुश थी और ख़ुशी में अपने बेटे सोनू को निहार रही थी. उमा के बदन में अजीब से सिरहन हो रही थी. वो कुछ देर वैसे ही सोनू को देखती है फिर अपनी कमर पर हाथ रखते हुए कहती है.

उमा : हाय राम...!!

सोनू : (उमा की तरफ देखते हुए) क्या हुआ मम्मी?

उमा : कुछ नहीं रे... वही दिन वाला कमर का दर्द. कमबख्त जा ही नहीं रहा है. तेरी मालिश से थोड़ा अराम भी मिला था और नींद भी अच्छी आ गई थी.

सोनू : (कुछ सोच कर) मम्मी आप कहो तो मैं फिर से मालिश कर दूँ आपके कमर की?

सोनू की बात सुन कर उमा के चेहरे पर हलकी सी मुस्कान आ जाती है. फिर अपनी भावनाओं पर काबू पाते हुए वो जवाब देती है.

उमा : अब क्या मालिश करवाऊ तुझसे. कुछ ही देर में तो सब आ ही जायेंगे. रहने दे...

सोनू : मम्मी उन्हें तो अभी आने में और ४०-४५ मिनट लगेंगे....

सोनू की बात सुन कर उमा के दिल में ख़ुशी की लहर दौड़ जाती है. लेकिन वो आस्वस्थ हो जाना चाहती है की सोनू जो कह रहा है वो सही है. वो सोनू से पूछती है.

उमा : ४०-४५ मिनट ? ये किसने कह दिया तुझे?

सोनू : भाभी कह रही थी मम्मी की उन्हें ४०-४५ मिनट और लगेंगे. तब तक तो मैं आपकी मालिश कर ही दूंगा ना?

उमा के चेहरे पर अब मुस्कान आ जाती है. वो ख़ुशी के साथ सोनू को देखती है. धीरे से अपने कमरे की तरफ मुड़ कर जाते हुए सोनू से कहती है.

उमा : ठीक है लल्ला..कर दे मेरी मालिश. मैं कमरे में जा रही हूँ, तू रसोई से सरसों का तेल एक कटोरी में ले कर आ जा.

उमा के कमरे में जाते ही सोनू उच्छल के सोफे से निचे उतरता है और रसोई में जा कर सरसों का तेल एक छोटी सी कटोरी में डाल लेता है. कटोरी हाथ में लिए वो मम्मी के कमरे के दरवाज़े पर जाता है तो उमा बिस्तर पर उल्टा लेटी हुई है. बदन पर पेटीकोट और ब्लाउज है. उमा की बड़ी और चौड़ी चुतड उठी हुई दिख रही है. सोनू कुछ क्षण वैसे ही अपनी मम्मी की चुतड को निहारता है फिर धीरे से अन्दर चला जाता है.

सोनू : मम्मी मैं तेल ले कर आ गया.

उमा : हुम्म...!! कटोरी मेरे सिरहाने के पास टेबल पर रख दे और बिस्तर पर आ जा.

सोनू कटोरी मम्मी के सिरहाने के पास रखे टेबल पर रख देता है और बिस्तर पर चढ़ कर मम्मी के पास बैठ जाता है. अपनी ३ उँगलियाँ तेल में डुबो कर वो मम्मी की कमर पर रख देता है और धीरे से तेल लगाने लगता है.

सोनू : कैसा लग रहा है मम्मी?

उमा : उम्म..!! अच्छा लग रहा है बेटा. पर ध्यान से तेल लगाना. मेरे पेटीकोट में तेल मत लगा देना नहीं तो मैं धोते-धोते परेशान हो जाउंगी.

सोनू : पर मम्मी आपकी पेटीकोट में तेल तो लग ही जायेगा. आपने इतनी ऊपर जो पहन रखी है.

उमा : अच्छा..?? हुम्म..!! तो एक काम कर लल्ला. मेरी पेटीकोट का नाड़ा ढीला कर और पेटीकोट थोड़ी निचे कर दे.

ये कह कर उमा थोड़ी से एक तरफ घूम जाती है. उसके पेट के एक तरफ पेटीकोट का नाड़ा दिखने लगता है. सोनू झट से उमा के पेटीकोट के नाड़े को खोलने लगता है. जल्दबाजी में नाड़े में गाँठ पड़ जाती है.

सोनू : ओह मम्मी....नाड़े में तो गाँठ पड़ गई.

उमा सर निचे कर नाड़े पर पड़ी गाँठ को देखती है और फिर सोनू की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए कहती है.

उमा : क्या लल्ला..?? अपनी माँ का पेटीकोट भी ठीक से नहीं उतार सकता ? अब गाँठ खोलने में वक़्त ज़ाया मत कर. टेबल पर कैंची रखी है, ला और नाड़ा काट दे.

सोनू झट से उठ कर टेबल पर रखी कैंची उठता है और उमा के पास बैठ कर पेटीकोट का नाड़ा काट देता है. कैंची टेबल पर रख कर वो फिर से मम्मी के पास बैठ जाता है. उमा फिर से पेट के बल लेट जाती है. दूसरी तरफ अपना मुहँ किये हुए वो सोनू से कहती है.

उमा : अब तू देख ले पेटीकोट कितनी निचे करनी है. अपने हिसाब से जितनी निचे करनी है कर ले, बस तेल मत लगने देना.

उमा की बात सुन कर सोनू के चेहरे पर ख़ुशी की लहर दौड़ जाती है. अब तो मम्मी ने भी कह दिया है की पेटीकोट जितनी निचे करनी है कर लो. वो अपने हाथ पेटीकोट के दोनों तरफ रखता है और धीरे-धीरे उसे निचे करने लगता है. सोनू को पेटीकोट निचे करता देख उमा भी अपनी कमर थोड़ी ऊपर कर देती है ताकि सोनू को पेटीकोट निचे करने में कोई तकलीफ न हो. धीरे-धीरे पेटीकोट पहले कमर से निचे आती है, फिर चूतड़ों के ऊपर और फिर चूतड़ों से थोड़ी निचे. सोनू देखता है तो उसे उमा के चूतड़ों की हलकी सी झलक दिख रही है. थोड़ी सी दिख रही चूतड़ों के बीच एक गहरी लकीर पेटीकोट के अन्दर जा रही है. अपनी मम्मी की चूतड़ों के बीच की गहराई की झलक पाते ही सोनू का लंड शॉर्ट्स में उच्छलने लगता है. मम्मी की चूतड़ों को देखते हुए सोनू एक बार जोर से अपना लंड दबा देता है. तभी उमा बोल पड़ती है.

उमा : अब लगा भी दे मम्मी को तेल....

उमा की बात सुन कर सोनू फिर से अपनी ३ उँगलियाँ तेल में डुबोता है और उमा की कमर पर लगाने लगता है. अपने हाथों को धीरे-धीरे उमा की कमर पर फेरता हुआ सोनू बीच-बीच में चूतड़ों की गहराई पर भी फेर देता है. चूतड़ों की गहराई को देख कर सोनू का दिल करता है की एक ऊँगली गहराई में डाल कर पेटीकोट के अन्दर तक घुसा दे, पर उसके अन्दर का डर उसे इस बात की इज़ाज़त नहीं दे रहा था. कुछ देर वैसे ही मालिश करने के बार उसे उमा की आवाज़ सुनाई देती है.

उमा : ठीक से नहीं कर रहा है लल्ला. मेरी कमर के एक तरफ बैठ के करेगा तो ठीक से कैसे कर पायेगा. चल उठ वहां से और मेरी टांगो के बीच आ कर बैठ.

ये कहते ही उमा अपनी टाँगे उल्टा लेटे हुए थोड़ी फैला देती है और पेटीकोट खींच कर जांघो तक चढ़ा लेती है. सोनू झट से उठ कर उमा की टांगो के बीच बैठ जाता है. सामने मम्मी की मोटी-मोटी मांसल जांघे और ऊपर उभरी हुई बड़ी चुतड देख कर सोनू का लंड शॉर्ट्स में झटके मारने लगता है. वो एक बार निचे झुक कर टांगो के बीच देखता है तो पेटीकोट की वजह से अँधेरा सा दिखाई पड़ता है. वो वैसे ही बैठे हुए आगे झुक कर तेल की कटोरी तक पहुँचने की कोशिश करता है पर उसका हाथ वहां तक नहीं पहुँच पाता है. निचे लेटी उमा समझ जाती है की सोनू को क्या दिक्कत हो रही है.

उमा : क्या हुआ लल्ला?

सोनू : मम्मी यहाँ से मेरा हाथ कटोरी तक नहीं पहुँच रहा है. रुकिए ...मैं कटोरी बिस्तर पर ही रख लेता हूँ...

उमा : चुप कर...वहीँ रहने दे कटोरी. बिस्तर पर रखेगा और सारा तेल गिरा देगा. थोडा सामने झुक कर नहीं ले सकता क्या तेल?

सोनू : झुका तो हूँ मम्मी पर फिर भी हाथ नहीं पहुँच रहा है.

उमा : तो और झुक जा न लल्ला...किसने रोका है तुझे?

सोनू : और ज्यादा झुक गया तो मैं आप पर लेट ही जाऊंगा मम्मी....

उमा : तो क्या हुआ? बेटा अपनी माँ पर लेट जायेगा तो कौनसा पहाड़ टूट पड़ेगा? और मैं इतनी भी कमजोर नहीं हूँ की अपने लल्ला का वजन भी ना सह सकूँ. एक काम कर तू घुटनों पर बैठ जा और जब तेल लेना हो तो आगे झुक कर अराम से ले लेना. एक हाथ बिस्तर पर रख के सहारा ले लेना और थोडा सहारा मेरे बदन का, हो गया तेरा काम.

उमा की बात सुन कर सोनू गले में अटका हुआ थूक किसी तरह से गुटकता है.

सोनू : ठी..ठीक है मम्मी....

सोनू उमा के पैरों के बीच घुटनों पर बैठ जाता है. फिर वो आगे झुकने लगता है. अपना एक हाथ बिस्तर पर रख के सहारा लेता है फिर थोडा और आगे झुकता है. सोनू के शॉर्ट्स में लंड का उभार उमा के चूतड़ों के बीच धीरे-धीरे दबने लगता है. उमा अपनी आँखे बंद किये हुए है जैसे इस बात से वो पूरी तरह से अनजान है. सोनू आगे झुक कर ऊँगली तेल में डुबोता है और फिर से घुटनों पर बैठ के उमा की कमर और दिख रही चूतड़ों पर तेल लगाने लगता है. उसके हाथ फिसलते हुए कमर और चूतड़ों पर तेल लागने लगते है. सोनू अपनी ऊँगली को चूतड़ों की दिख रही गहराई के ऊपर रख कर १-२ तेल की बूंदे गिरा देता है जो धीरे-धीरे फिसलते हुए चूतड़ों की गहराई में जाने लगती है. कुछ वक़्त वैसे ही कमर और चूतड़ों की मालिश करने के बाद सोनू फिर एक बार आगे झुकता है. एक हाथ बिस्तर पर रख कर वो अपने शॉर्ट्स में बने उभार को मम्मी के चूतड़ों पर दबा देता है. झुके हुए वो मम्मी के चेहरे को ध्यान से देखता है. उमा की आँखे बंद है और वो सो रही है. सोनू धीरे से अपना सर निचे कर मम्मी के कान के पास ले जाता है और कहता है.

सोनू : मम्मी...!! मम्मी ...!! सो गई क्या?

उमा की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर सोनू धीरे से अपनी कमर का दबाव उमा की चूतड़ों पर बढ़ा देता है और फिर से कहता है.

सोनू : मम्मी..!! सो रही हो क्या?

इस बार भी उमा के चेहरे पर कोई भाव दिखाई नहीं पड़ते है. उसकी आँखे बंद है. इस बात से सोनू की हिम्मत और बढ़ जाती है. अब उसक ध्यान तेल की कटोरी पर नहीं बल्कि अपनी माँ की चूतड़ों पर था. वो धीरे से पीछे होता है और फिर से घुटनों पर बैठ जाता है. उसके हाथ धीरे से उमा के पेटीकोट की तरफ बढ़ते है और पेटीकोट को दोनों तरफ से पकड़ लेते है. धीरे-धीरे उमा की चूतड़ों पर से पेटीकोट निचे खिसकने लगती है और एक जगह आ कर रुक जाती है. उमा के उल्टा लेतटे होने से पेटीकोट उसके अगले हिस्से के निचे दबी हुई है. सोनू कोई उपाए सोच ही रहा था की उमा की चुतड अपने आप ही हलकी सी ऊपर उठ जाती है. सोनू को यकीन नहीं हो रहा था जो उसके आँखों के सामने अभी-अभी हुआ था. वो कुछ क्षण वैसे ही अपनी मम्मी की उठी हुई चूतड़ों को देखता है फिर धीरे से पेटीकोट को निचे करता चला जाता है. पेटीकोट निचे होते हुए उमा की जांघो और घुटनों के बीच आ जाती है. अब उमा की उठी हुई चुतड भी धीरे से निचे हो जाती है. सोनू आगे हो कर उमा के चेहरे को गौर से देखता है तो उसकी आँखे अब भी बंद ही है. वो एक बार फिर से कहता है.

सोनू : मम्मी ...!! सो रही हो क्या?

इस बार भी उमा की तरफ से कोई जवाब नहीं आता है. अब सोनू समझ जाता है की उसका रास्ता एक दम साफ़ है. उसका डर तो मानो किसी पिंजरे से आजाद हुई चिड़ियाँ की भाँती उड़न-छु हो जाता है. अपनी माँ की नंगी चूतड़ों को निहारते हुए सोनू अपनी शॉर्ट्स को निचे कर घुटनों तक ले आता है. उसका ९ इंच लम्बा और २.५ इंच मोटा लंड अपनी मम्मी की नंगी चुतड देख कर हुंकार भरता है. आगे झुक कर, बिस्तर पर दोनों हाथो का सहारा लेते हुए सोनू अपने मोटे लंड को मम्मी की तेल से भरी चूतड़ों के बीच धीरे से रखता है. कमर का हल्का सा दबाव पड़ते ही सोनू का लंड फिसल कर उमा की कमर पर चला जाता है. सोनू अपने लंड को एक हाथ से पकड़ कर फिर से उमा की चूतड़ों के बीच रखता है और कमर का हल्का सा दबाव देता है. इस बार लंड चूतड़ों के बीच से फिसलता हुआ उमा की फैली हुई बुर पर रगड़ खाते हुए बिस्तर से जा टकराता है. बूर पर लंड के रगड़ खाने से उमा की बूर में हलकी सी हरकत होती है. ऊपर उमा भी अपने ओठों को दातों तले दबा देती है जिसे सोनू देख लेता है. तेज़ धडकनों के साथ सोनू बिना हिले उमा से कहता है.

सोनू : मम्मी...!! आप उठ गई क्या?

उमा वैसे ही बिना कुछ कहे आँखे बंद किये लेटी हुई है. सोनू की हिम्मत और भी बढ़ जाती है. वो इस बार अपने लंड को एक हाथ से पकड़ कर उमा की चूतड़ों के ठीक बीच में रखता है और धीरे-धीरे चूतड़ों की गहराई में फिसलाने लगता है. लंड फिसलते हुए एक जगह पर आ कर रुक सा जाता है. सोनू को समझने में देर नहीं लगती है की उसका लंड जिस जगह पर रुका है वो कुछ और नहीं बल्कि उसकी माँ की गांड का छेद है. अपना लंड हाथ में पकडे सोनू धीरे से लंड पर दबाव बढाता है तो लंड का मोटा टोपा फिसलता हुआ उमा की गांड के छेद में घुस जाता है. उमा के मुहँ से एक हलकी "इस्स..!!" की आवाज़ आती है जिसे सुन कर सोनू रुक जाता है. वो बड़े ही ध्यान से मम्मी के चेहरे को देखने लगता है. कुछ देर वैसे ही चेहरे को देखते हुए सोनू को निचे कुछ हरकत महसूस होती है. वो निचे देखता है तो मम्मी की चुतड ऊपर उठ रही है और गांड का छेद सोनू के लंड को जकड रहा है. वो आँखे फाडे ये नज़ारा देखने लगता है. उमा की चुतड सोनू के लंड को जकड़े हुए फिर से निचे होती है और दोबारा ऊपर हो कर फिर निचे हो जाती है. ऐसे हे ४-५ बार ऊपर निचे होने के बाद उमा की चुतड निचे जा कर रुक जाती है. सोनू अब अपने आप को रोक नहीं पाता है. उमा पर लेट कर सोनू अपने दोनों हाथों को उमा की बगलों के निचे डालकर ऊपर की तरफ उसके कंधो को जकड लेता है. उसकी कमर ऊपर उठती है और एक जोर की ठाप उमा की चूतड़ों पर दे मारता है. सोनू का लंड उमा की गांड के गहराई में समां जाता है. ठाप इतनी जोर की थी की उमा के मुह से "आह...!!" निकल जाती है. अपनी मम्मी के दर्द की परवाह न करते हुए सोनू अपनी कमर उठा-उठा के उमा की चूतड़ों पर पटकने लगता है. हर ठाप पर उमा के मुहँ से "आह...!!" और सोनू के मुहँ से "ओह मम्मी..!!" निकलने लगता है. सोनू पूरे जोश में उमा की चूतड़ों पर अपने मोटे लंड का प्रहार किये जा रहा था. सारा कमरा उमा की "आह..!!", सोनू की "ओह मम्मी...!!" और "ठप्प-ठप्प" की आवाजों से गूंजने लगा था. सोनू पूरे जोश में था. मम्मी के जिस छेद को वो कई बार छुप कर बाथरूम में देख चूका था, आज उसी छेद में वो अपना लंड ठूँस रहा था. अब उसे मम्मी की आँखे खुलने का भी डर नहीं था. वो इस पल को पूरी तरह से भोग लेना चाहता था.

मम्मी की गांड में लंड पलते हुए सोनू अपने एक हाथ को उमा के कंधे से हटा कर उसकी चुचियों को पकड़ना चाहा. उमा उलटी लेटी हुई थी और उसकी चुचियाँ बिस्तर पर पूरी तरह से दबी हुई थी. सोनू का हाथ वहां पहुंचना मुश्किल था. वो सोच ही रहा था की क्या किया जाए तभी उमा करवट लेती है. उमा के गांड में लंड डाले हुए सोनू एक तरफ बिस्तर पर गिर जाता है. अपने कंधे के बल पर बिस्तर पर लेटे हुए सोनू का लंड उमा की गांड में घुसा हुआ है. उमा भी ठीक उसी तरह से अपने कंधे पर बिस्तर पर लेटी हुई है और उसकी पीठ सोनू की तरफ है. सोनू के हाथ अब भी उमा की बगलों के नीचे ही थे. वो अपने दोनों हाथों से मम्मी के बड़े-बड़े दूधों को दबोच लेता है और मसलने लगता है. निचे कमर के झटके देते हुए सोनू अपना लंड मम्मी की गांड में पेले जा रहा है. सोनू के हाथ तेज़ी से मम्मी के ब्लाउज के सारे हुक खोल देते है. ब्रा के बिना उमा के दोनों दूध सोनू के हाथों में आ जाते है. माँ-बेटे बिस्तर पर कामसूत्र के एक बेहद ही मनमोहक और कामक्रीड़ा का भरपूर आनंद देने वाले आसन (spoon) में थे. सोनू का लंड अपनी गांड में लेते हुए उमा अपना ऊपर वाला पैर उठा के मोड़ लेती है. सोनू भी झट से अपने हाथ से मम्मी के उठे हुए पैर को सहारा देता है. पैर उठने से उमा की चुतड खुल गयी है और सोनू का लंड अच्छी तरह से अन्दर-बाहर होने लगा है. १५-२० ठाप मारने के बाद सोनू अपनी कमर उमा की चूतड़ों में दबा देता तो उसका लंड गांड के छेद में जड़ तक घुस जाता. सोनू पूरे जोश में ठाप पर ठाप मारे जा रहा था. अपनी मम्मी की गांड की चुदाई वो इतनी तेज़ी और जोश में कर रहा था की बिस्तर भी हिलने लगा था. देखने में ऐसा लग रहा था की कमरे में भूकंप आ गया हो.

उमा जो बहुत देर से अपने आप को रोके हुई थी, अब बोल पड़ती है.

उमा : आह...सोनू..!! धीरे मेरे लल्ला...मम्मी की फाड़ देगा क्या?

सोनू : (पूरे जोश में) ओह मम्मी ...!! मत रोकिये आज मुझे.

उमा : आह...!! रोक थोड़े न रही हूँ अपने लल्ला को. आह...!! जी भर के मार ले बेटा अपनी मम्मी की गांड....बस ज़रा प्यार से ले बेटा...

सोनू : ओह मम्मी...मेरी प्यारी मम्मी...कितना तडपाती थी मुझे आप. बाथरूम में आपके नंगे बदन को देख कर कितना तडपा हूँ मम्मी....

उमा : आह...!! जानती हूँ बेटा. तभी तो मैं भी तुझे बाथरूम से पूरा नज़ारा दिखाया करती थी. बोल...कोई कमी छोड़ी थी तेरी मम्मी ने....

उमा की इस बात पर सोनू अपना मोटा लंड मम्मी की गांड की गहराई में जड़ तक पेल देता है.

सोनू : आह्ह्हह्ह.... मम्मी...!! आपने कोई कमी नहीं छोड़ी थी. अपने बदन का हर हिस्सा आपने खोल-खोल कर दिखाया है मम्मी.

उमा : आह...मेरे लल्ले ने भी तो अपनी मम्मी के नंगे बदन को देख कर खूब मुठीआया है. है ना लल्ला..?

सोनू : हाँ मम्मी...आह...!! आपके नंगे बदन को देख खूब लंड मुठियाता था मम्मी.

उमा : अब मैं अपने लल्ला को कभी लंड मुठीयाने जैसा गन्दा काम नहीं करने दूंगी. मेरे लल्ला की मम्मी के पास दो-दो छेद है. जब भी लल्ला का दिल करे, भर दे किसी भी छेद में. बोल लल्ला अब कभी लंड नहीं मुठीआयेगा ना?

सोनू : कभी नहीं मुठीआऊंगा मम्मी...आपकी कसम. जब भी दिल करेगा अपना लंड पकडे आ जाऊंगा आपके पास.

उमा : हाँ मेरे राजा बेटा बेटा. अपना लंड खड़ा किये आ जाना मम्मी के पास. तेरी मम्मी टाँगे खोल के दोनों छेद दिखा देगी. लल्ला को जो छेद पसंद आये, घुसा देना अपना मोटा लंड.

उमा की इस बात पर सोनू पागलों की तरह मम्मी की गांड चोदने लगता है. एक हाथ से उमा का एक पीर उठाये हुए सोनू अपने मोटे लंड को सटा-सट मम्मी की गांड में ठूंसे जा रहा था. तभी सोनू को अपने अन्डकोशों में उबाल सा महसूस होता है.

सोनू : आह्ह्हह्ह...!! मम्मी मैं झड़ने वाला हूँ...

उमा : भर दे लल्ला...अपनी माँ के गांड के छेद को अपने पानी से भर दे.

सोनू दोनों हाथों से उमा के बड़े-बड़े दूधों को दबाये, अपनी कमर की गति बड़ा डेट है. १०-१५ जोरदार ठाप मारते ही सोनू के लंड से पिचकारिया उमा की गांड के छेद में उड़ने लगती है. उमा अपना एक हाथ निचे ले जा कर सोनू के अन्डकोशों को जकड के दबा देती है तो बचा हुआ पानी भी उमा के छेद में गिर जाता है. कुछ देर माँ-बेटा वैसे ही बिस्तर पर पड़े रहते है. सोनू का लंड अब भी मम्मी की गांड के छेद में ही फसा हुआ है. सोनू जैसे हे सीधा होता है, उसका लंड उमा के छेद से 'पॉप' की आवाज़ के साथ बाहर फिसल जाता है. उमा की गांड के छेद से सोनू का सफ़ेद गडा पानी बहने लगता है, जिसे उमा छेद को सिकोड़ के बाद कर लेती है.

सोनू की तरफ घूम के उमा उसके बालों में हाथ फेरते हुए कहती है.

उमा : थक गया न मेरा लल्ला..?

सोनू : हाँ मम्मी...बहुत थक गया हूँ...

उमा : मेरे लल्ला का लंड कितना बड़ा और मोटा हो गया है. मम्मी के छेद को बड़ा कर दिया है मेरे लल्ला के हथयार ने.

सोनू भी मम्मी की तरफ घूम जाता है. एक हाथ मम्मी की जांघो के बीच डाल कर बूर को सहलाते हुए कहता है.

सोनू : मम्मी...अपनी बूर कब दोगी ?

उमा : तेरी ही है लल्ला. जब दिल करे तब ले लेना. पर ध्यान रहे, इस बात का किसी को भी पता नहीं चलना चाहिए. ये बात मम्मी और लल्ला के बीच ही रहनी चाहिए...

सोनू : समझ गया मम्मी...आप चिंता मत करिए. किसी को कुछ पता नहीं चलेगा.

उमा : (सोनू के माथे पर चुम्मा लेते हुए) हम्म्म..! मेरा राजा बेटा. अच्छा अब जा जल्दी से लंड धो ले. मैं भी सब ठीक करती हूँ. वो लोग आते ही होंगे.

सोनू मम्मी की बात मानते हुए झट से बिस्तर से उतर कर अपना शॉर्ट्स पहनते हुए जाने लगता है. उमा बिस्तर पर लेते हुए अपने ब्लाउज के हुक लगते हुए सोनू को देखती है. अपने दोनों छेदों के लिए बेटे के लंड का इंतज़ाम होते देख उसकी बूर धीरे-धीरे बहने लगती है.

(समय की कमी का कारन मैं कुछ शब्धों को ठीक नहीं कर पाई. कोई गलती हो तो क्षमा करियेगा)

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
Bhout hi bdiya update diya hai👌👌.
 

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Well-Known Member
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अपडेट २६ :

"गजब के इंसान है यें....!! गाड़ी की चाबी भी अनजान आदमी को दे आये और ५००/- रूपए भी. वाह जी वाह..!! कमाल है...!!". सोफे पर बैठी उमा रमेश को आँखे दिखाए बडबडा रही थी. रात के ११:३० हो गए थे और गाड़ी का अब तक कोई अता-पता नहीं था. सभी लोग ड्राइंग रूम में बैठे चिंता में डूबे हुए थे.

रमेश : अरे उमा उस वक़्त मेरे पास और कोई चारा भी तो नहीं था. मैं भला और क्या करता?

उमा : चारा नहीं था...हूँ...!! कुछ और दिमाग नहीं लगा सकते थे?

रमेश : बात को समझो उमा. मैं अकेला होता तो कुछ और कर लेता. पायल और उर्मिला भी साथ थे. अब घर की बहु-बेटी की इज्ज़त का ख्याल भी ना करूँ?

रमेश की इस बात पर पायल और उर्मिला एक दुसरे को देख कर मुस्कुराने लगते है. रमेश की नज़र दोनों पर पड़ती है और वो दोनों भी रमेश को मुस्कुराते हुए देखने लगते है. रमेश एक पल के लिए दोनों को गौर से देखते है तो उम्हे ऐसा लगता है की उर्मिला कह रही है, "घर की बहु की इज्ज़त का कितना ख्याल है वो मैं अच्छे से जानती हूँ बाबूजी". फिर वो पायल को देखते हैं तो उन्हें ऐसा लगता है की वो बोल रही है, "और बेटी की इज्ज़त का तो आपको सबसे ज्यादा ख्याल है पापा". दोनों को मुस्कुराता देख रमेश के चेहरे पर भी मुस्कान आ जाती है. तभी उमा का ख्याल आते ही रमेश गला साफ़ करते हुए उमा की तरफ देखते है. उमा जो कुछ देर पहले गुस्से से लाल हो रही थी, अब शांत बैठ गई थी.

उमा : हम्म..!! बहु-बेटी की इज्ज़त की बात कर के तो आपने मेरा मुहँ ही बंद करा दिया. अब इस पर मैं और क्या कहूँ.

उमिला : सच मम्मी जी...उस वक़्त कुछ समझ ही नहीं आ रहा था की क्या किया जाए. और आस-पास का माहोल भी ठीक नहीं था.

उमा : हाँ बहु... समझ रही हूँ. चलो ठीक है. जैसी ऊपर वाले की मर्ज़ी.

उर्मिला : मम्मी जी , रात बहुत हो गई है. आप लोग जा कर सो जाइये. मैं कुछ देर येही रहूंगी. अगर आज रात कोई नहीं आया तो कल पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा देंगे.

उमा : हाँ बहु...येही ठीक रहेगा. (रमेश की तरफ देख कर) अब चलिए. जो होगा देखा जायेगा.

रमेश और उमा अपने कमरे में चले जाते है. पायल भी उर्मिला को एक किस दे कर अपने कमरे में चली जाती है. उर्मिला वहीँ सोफे पर बैठे हुए टीवी के चैनलों को टटोलने लगती है.

रात के १२ बज रहे है. उर्मिला की आँखों में भी नींद छाने लगी है. वो टीवी बंद कर सोफे से उठती है और अपने कमरे में जाने लगती है, तभी उसे गाड़ी की आवाज़ आती है और एक तेज़ रौशनी घर की खिड़की पर पड़ती है. वो दरवाज़ा खोल कर बाहर निकलती है तो उसे गाड़ी गेट के सामने खड़ी दिखाई पड़ती है. गाड़ी के हेड लाइट जले हुए है और उसकी रौशनी में वो ड्राईवर को देख नहीं पा रही है. वो गेट खोलती है तो ड्राईवर गाड़ी अन्दर ले आता है. गाड़ी कड़ी करके ड्राईवर जैसे ही बाहर निकलता है, उर्मिला की आँखे फटी की फटी रह जाती है. वो ड्राईवर कोई और नहीं बल्कि छेदी था.

छेदी : (देव आनंद के अंदाज़ में चलते हुए) छोटी सी ये दुनिया...अनजाने रास्ते है..तुम कहीं तो मिलोगे...कहीं तो मिलोगे..तो पूछेंगे हाल...!!

उर्मिला : तुम..?? तुम यहाँ क्या कर रहे हो?

छेदी : अजी आपकी गाड़ी छोड़ने आया था...आप कहें तो वापस ले जाऊ?

उर्मिला : बकवास बंद करो और चाबी देकर निकलो यहाँ से.

छेदी : छबी दे कर तो हम निकल ही जायेंगे मैडम जी, पर इतना गुस्सा किस बात का है? वैसे आपके खुबसूरत चेहरे पर गुस्सा बड़ा हसीन लगता है.

उर्मिला : (छेदी की बात पर मुस्कुराते हुए) अच्छा भैया, नहीं करती गुस्सा...दीजिये चाबी.

छेदी : हाय मैडम जी....मार ही डाला आपने भैया कह के...

उर्मिला : भैया नहीं तो क्या सय्याँ कहूँ?

छेदी : हाय मैडम जी... हमने कब कहा की आप हमे सय्याँ कहिये. हम तो चाहते है की आप हमें भैया ही कहिये....

ये कहकर छेदी उर्मिला के बदन को गन्दी नज़रों से ऊपर से निचे देखने लगता है. उर्मिला भी छेदी की बात सुन कर हैरान हो जाती है.

उर्मिला : अजीब बात है. लड़के तो लड़कियों के मुहँ से सय्याँ सुनने के लिए तरस जाते है. लड़की एक बार भी उन्हें भैया कह दे तो उनका दिल टूट जाता है और एक आप हो की भैया सुन कर खुश हो रहे हो.

छेदी : वो ज़माना बीत गया मैडम जी जब लड़के लड़कियों के मुहँ से सय्याँ सुनने के लिए तरस जाया करते थे. अब तो वो खुद ही खूबसूरत लड़कियों को अपनी बहन बना कर उनके मुहँ से भैया सुनना पसंद करते है. खूबसूरत लड़कियां जब टाइट कसे हुए कपडे पहन कर भैया कहती है तो माँ कसम जवानी के मजे आ जाते है.

उर्मिला जानती थी की छेदी जो कह रहा था वो सच था. आजकल लड़के लड़कियों को अपनी बहन बनाना ही पसंद करते है. वो जब कॉलेज में थी तो उसकी सभी सहेलियों ने कॉलेज के २-३ लड़कों को भाई बना रखा था. वो लड़के भी उन्हें अपनी बहन मानते थे. उसकी सहेलियां तो उन्हें रक्षाबंधन के दिन राखी तक बांधती थी. वो तो उसे बाद में पता चला की उसकी सहेलियां जिन लड़कों के साथ 'भैया-भैया' करते हुए दिन भर घुमती थी, रात में उनके मोटे लंड बूर में लिए घंटो चुदती थी.

उर्मिला अपने कॉलेज के दिनों में खो सी गई थी की छेदी की आवाज़ ने उसे होश में ला दिया.

छेदी : कहाँ खो गई मैडम जी?

उर्मिला : अ..वो..कुछ नहीं...लाओ चाबी दो और ये लो तुम्हारे २००/- रूपए.

छेदी : (छबी दे कर २००/- रूपए लेते हुए) वैसे मैडम जी, आप मुझे भैया ही बुलाया करिए. आपके मुहँ से अच्छा लगता है.

उर्मिला : (घर की तरफ जाते हुए मुस्कुरा देती है) ठीक है...भैया...!!

उर्मिला के मुहँ से 'भैया' सुन कर छेदी के मुहँ से 'हाय' निकल जाता है. जाती हुई उर्मिला का पिछवाड़ा देख कर छेदी एक बार अपने लंड को दबा देता है और गेट बंद कर के चला जाता है. उर्मिला भी हँसते हुए घर में आती है और दरवाज़ा लगा कर अपने कमरे में चली जाती है.

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रात के १:३० बज रहे है.
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ऑटोवाले को पैसे दे कर छेदी अपने घर के दरवाज़े पर पहुँचता है और खटखटाता है. २ मिनट के बाद दरवाज़ा खुलता है और सामने एक १८-१९ साल की लड़की खड़ी है. बड़ी-बड़ी चुचियाँ, भरा हुआ बदन, पतली कमर और उठी हुई चौड़ी चुतड. ऊपर बिना बाहं वाला कुर्ता, जिसका गला गहरा है और कुर्ता जाँघों तक आ रहा है. निचे बिना सलवार के उसकी मांसल जांघे दिख रही है. दरवाज़े खोलते ही वो लड़की बोल पड़ती है.

"आ गए आप भैया...!! बड़ी देर कर दी आज आने में?"

छेदी : कुछ नहीं खुशबु...!! कुछ काम निकल आया था.

छेदी अन्दर आता है और दरवाज़ा बंद कर देता है. दो कमरे के मकान में एक बड़ा सा कमरा है जिसमे एक तरफ टीवी और दूसरी तरफ सोफा रखा हुआ है. साथ ही एक छोटा सा कमरा है जिसमे एक बेड रखा हुआ है. बाहर के कमरे के साथ ही एक छोटी की रसोई भी साथ में ही है. खुशबु रसोई की तरफ जाने लगती है. चलते हुए उसकी चौड़ी चुतड हिल रही है और बिना सलवार के उसकी मोटी जांघे कहर धा रही है.

खुशबू छेदी की छोटी बहन थी. दोनों के बाप का देहांत हुए ५ साल हो गए थे. बाप के गुजर जाने के बाद छेदी ने ही घर का सारा भार अपने कन्धों पर ले लिया था. छोटी बहन और माँ का ख़याल वही रख रहा था. काम-काज की वजह से छेदी को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ गई थी लेकिन अपनी छोटी बहन खुशबु की पढ़ाई उसने रुकने नहीं दी. खुसबू अब १८ साल की हो गई थी और १२ वीं कक्षा में थी. वैसे तो वो सरकारी स्कूल में पढ़ती थी लेकिन फिर भी पढ़ने में ठीक-ठाक थी.

रसोई में पहुँच कर वो छेदी से कहती है.

खुशबु : भैया आप हाथ-मुहँ धो लीजिये तब तक मैं आपका खाना गरम कर देती हूँ.

खुशबु गैस पर खाना गरम करने चढ़ा देती है और तभी दो हाथ उसकी बगलों के निचे से होते हुए उसके बड़े-बड़े दूधों को दबोच लेते है.

खुसबू : छोड़िये ना छेदी भैया...ये क्या कर रहे है आप?

छेदी : अपनी प्यारी छोटी बहना को प्यार कर रहा हूँ....

खुशबु : धत्त भैया...!! आपका तो मन ही नहीं भरता. दोपहर में ही तो आपने २ घंटे मेरी चुदाई की थी और अभी फिर से शुरू हो गए. थकते नहीं हो क्या आप?

छेदी खुशबू के दूध मसलते हुए पीछे से चिपका हुआ है और अंडरवियर पहने हुए अपने लंड के उभार को खुशबू की कुर्ती के ऊपर से चूतड़ों के बीच दबाये जा रहा है.

छेदी : पगली..!! बहन की बूर चोदने से कोई भाई थकता है क्या? बहन की बूर के लिए तो भाई का लंड हमेशा ही तैयार रहता है.

खुशबू : आप भी न भैया बड़े गंदे हो. माँ को हमेशा किसी न किसी बहाने से ३-४ दिनों के लिए यहाँ-वहां भेज देते हो और फिर मेरी दिन-रात चुदाई करते हो. परसों ही आपने माँ को काशी भेज दिया और २ दिनों से दिन-रात मेरी बूर पेल रहे हो. २ दिनों से मैं स्कूल भी नहीं गई हूँ.

छेदी पीछे से खुशबू की कुर्ती उठा के अपना अंडरवियर निचे कर लेता है और उसकी नंगी चूतड़ों के बीच अपना मोटा लंड घुसा कर रगड़ने लगता है. लंड से निकलता हुआ पानी खुशबू की चूतड़ों के बीच की गहराई को गीला कर देता है.

छेदी : मेरी बहना है की इतनी गदराई हुई माल. अब ऐसी गदराई जवानी और मोटे-मोटे दूध ले कर घर में घूमेगी तो भैया का लंड तो खड़ा होगा ही ना.

खुशबू : (छेदी की बाहों में मचलते हुए) रहने दीजिये भैया..!! ये भी आपका ही किया धरा है. आपको पता है स्कूल में सबसे मोटे दूध मेरे ही है. सारी लडकियां मुझसे सवाल करती है की खुशबू तेरे दूध छोटी उम्र में ही इतने मोटे कैसे हो गये. एक दो बार तो स्कूल की कुछ मैडम ने भी पूछ लिया की मेरे दूध इतने बड़े कैसे हो गए. बोलिए...मैं सबको क्या जवाब दूँ ?

छेदी खुशबू की कुर्ती में हाथ डाल कर उसके मोटे दूधों का दबा रहा था और लंड को चूतड़ों के बीच रगड़ते हुए कहता है.

छेदी : तो बता दे उन्हें की मेरे भैया ने दबा-दबा कर दूध मोटे कर दिए है.

खुशबू : धत्त भैया...!! आपको तो हमेशा मजाक ही सूझता रहता है.

छेदी : अच्छा खुशबू., अब कमरे में चलते हैं. देख तेरे भैया का लंड तेरी बूर की याद में कैसे आंसूं बहा रहा है.

छेदी अपने लंड को हाथ में थामे खुशबू को दिखता है. लंड के मोटे टोपे से सफ़ेद पानी की २-३ बूंदे टपक कर ज़मीन पर गिर जाती है. खुशबू ये देख कर अपने ओंठ काट लेती है.

खुशबू : आपका लंड तो हर वक़्त मेरी बूर को याद करके पानी छोड़ता रहता है भैया.

छेदी झट से अपनी दो उँगलियाँ खुशबू की बालोंवाली बूर में ठूँस देता है.

छेदी : और मेरी बहना की बूर पानी नहीं छोड़ती है क्या भैया के मोटे लंड की याद में?

छेदी को दो उँगलियाँ बूर में जाते ही खुशबू सिसियाने लगती है. आँखे बंद किये और बूर में दो उँगलियाँ ठूँसवाते हुए वो कहती है.

खुशबू : सीईईईईई...!! भैया...!! बहुत पानी छोड़ती है मेरी बूर आपके मोटे लंड को याद करके. स्कूल में जब भी आपके मोटे लंड की याद आती है तो मैं सबसे आखिर में कोने वाली सीट पर बैठ जाती हूँ और अपने सलवार का नाडा खोल कर बूर में दो उँगलियाँ ठूँस देती हूँ.

खुशबू की बात सुन कर छेदी अपनी दोनों उँगलियों को उसकी बूर में तेज़ी से चलाने लगता है.

छेदी : जानता हूँ खुशबू तभी तो मैं भी तेरी दिन-रात अपने मोटे लंड से चुदाई करता हूँ. चल...अब तेरी बूर चोदने का वक़्त आ गया है.

छेदी की बात सुन कर खुशबू उसके पास आती है और उच्छल कर अपनी बाहें उसके गले में डाल देती है और दोनों टाँगे कमर में लपेट लेती है. छेदी भी अपने दोनों हाथों से खुशबू की भारी चूतड़ों को सहारा देता है. उसका लंड खुशबू की बूर पर रगड़ खाते हुए कमर पर चला जाता है. खुशबू को अपनी बाहों में लिए, सीने से लगाये, छेदी कमरे की तरफ बढ़ने लगता है. कमरे में पहुँच कर छेदी खुशबू को निचे उतार देता है. अपनी कच्ची और बनियान को उतार कर वो अपने लंड को पकडे बिस्तर पर सीधा हो कर लेट जाता है. उसका १० इंच लम्बा और ३ इंच मोटा लंड खुशबू को झूमता हुआ इशारे कर रहा है. अपने भैया के मोटे लंड को देख कर खुशबू की बूर भी पानी छोड़ने लगती है. वो अपने बदन से कुर्ती को खींच कर उतार देती है. कुर्ती के निकलते ही खुशबू के मोटे दूध उच्चल कर बाहर आ जाते है. बहन के मोटे दूध को इस तरह से उच्छलता देख छेदी का लंड भी झटके मारने लगता है.

छेदी : आजा बहना ... और कितना तड़पायेगी अपने भैया को....

खुशबू अपने ओंठ काटते हुए बिस्तर पर चढ़ जाती है और दोनों टाँगे छेदी की कमर के इर्द-गिर्द कर लेती है. छेदी की कमर के दोनों तरफ पैर किये हुए खुशबू खड़ी है. उसकी बालोवाली बूर जिसके ओंठ हलके से फैले हुए हैं, उसपर छेदी की नज़रें गड़ी हुई है. अपने घुटनों को मोड़ कर खुशबू दोनों हाथों को छेदी की छाती पर रख देती है और धीरे-धेरे अपनी भारी चुतड खड़े लंड पर लाने लगती है. खुशबू की बूर के ओंठ छेदी के लंड के मोटे टोपे पर जा चिपकते है. जैसे ही बूर के ओंठ टोपे से छुते है, छेदी का लंड ऊपर की तरफ झटका खाता है. खुशबू छेदी के छाती पर दोनों हाथों को रखे, अपने घुटनों को मोड़े हुए, छेदी के मोटे लंड को बूर में भरने लगती है. उसकी भारी चुतड धीरे-धीरे निचे होती चली जाती है और लंड बूर के अन्दर. कुछ ही क्षण में छेदी का लंड खुशबू की बूर में जड़ तक समां जाता है. भैया के लंड पर बैठ कर खुशबू कहती है.

खुशबू : भैया...मैंने आपसे कितनी बार कहा है की कंडोम लाया करो, पर आप हर बार भूल जाते हो.

खुशबू की चूतड़ों को दोनों हाथो से उठा के अपने मोटे लंड से ३-४ जोरदार ठाप उसकी बूर में मारते हुए छेदी कहता है.

छेदी : बहन की बूर का मजा बिना कंडोम के ही आता है खुशबू.

खुशबू भैया के लंड पर उच्छल-उच्छल के अपनी बूर में लंड लिए जा रही थी. हाँफते हुए खुशबू छेदी से कहती है.

खुशबू : आपकी बात तो ठीक है भैया पर बिना कंडोम के आप मेरी बूर में अपना सारा पानी गिरा देते हो. मेरी सहेली कह रही थी की १८ साल की उम्र में लड़कियां जल्दी माँ बन जाती है. अगर मेरी कोख में आपका बच्चा ठहर गया तो?

छेदी : अब तक तो नहीं हुआ ना ऐसा खुशबू...इतना क्यूँ डर रही है तू?

खुशबू : डर तो लगता है ना भैया. आपको याद है पिछली बार मेरा महिना कितनी देर से शुरू हुआ था. मुझे तो पूरा यकीन हो गया था की आपका बच्चा मेरी कोख में ठहर गया है. वो तो अच्छा हुआ की अगले दिन ही मेरा महिना शुरू हो गया नहीं तो मैं डॉक्टर के पास जाने वाली थी.

छेदी लेटे हुए खुशबू को इशारा करता है तो वो अपनी बूर से लंड निकाल कर खड़ी होती है और घूम जाती है. अपनी पीठ छेदी की तरफ कर के वो दोनों हाथो को छेदी के पैरों पर रख के फिर से लंड पर बैठ जाती है और चुतड उठा-उठा के लंड पर पटकने लगती है. छेदी भी अपनी कमर उठा के उसकी बूर में लंड पलते हुए कहता है.

छेदी : डर तो मैं भी गया था खुशबू...पर सब ठीक ही हुआ ना...

खुशबू छेदी के लंड पर उच्छलते थोडा पीछे होती है तो छेदी उसके कन्धों को पकड़ कर पीछे खींच लेता है. वो अपनी बूर में छेदी का लंड लिए उसकी छाती पर पीठ के बल गिर जाती है. खुशबू के पीठ छेदी के सीने से चिपक जाती है. छेदी बगलों से हाथ डाल कर खुशबू के मोटे दूधों को दबोच कर दबाने लगता है और निचे अपनी कमर उठा-उठा के लंड उसकी बूर में पेलने लगता है. खुशबू कसमसा कर सिसियाने लगती है.

खुशबू : सीईईईईईइ...भैया..!! अब तक नहीं हुआ पर अगर हो गया तो कितनी बदनामी होगी. मेरी सहेली याद है जो हमारे घर आया करती थी?

छेदी : कौन ? वो कोमल ?

खुशबू : आह्ह..!! हाँ भैया...कोमल. उसका टांका अपने पापा से भीड़ा हुआ है. उसकी माँ के गुजर जाने के बाद से ही उसके पापा रोज उसकी बूर चुदाई करते है. अभी २ महीने पहले ही वो अपने पापा के साथ मनाली घूम कर आई थी.

छेदी खुशबू के दोनों मोटे दूधों को अच्छी तरफ से मसलते हुए अपने लंड की ठाप उसकी बूर में मारे जा रहा था. खुशबू की इस बात से उसमे और भी ज्यादा जोश भर जाता है और वो अपनी कमर मिचे कर के एक जोर की ठाप लगाता है तो उसका लंड खुशबू की बूर में जड़ तक घुस जाता है. अपने लंड को खुशबू की बूर में जड़ तक घुसाए हुए छेदी वैसे ही अपनी कमर को उठा कर रखता है.

छेदी : अच्छा...!! तभी तो मैं कहूँ की कोमल के दूध और चुतड इतने मोटे क्यूँ हुए जा रहे है. मनाली में तो उसके पापा खूब बूर पेलाई की होगी उसकी.

खुशबू की बूर में छेदी ने अपना पूरा लंड ठूंसे रहा था. १० इंच का लंड खुशबू के बच्चेदानी तक पहुँच गया था. खुशबू अपने ओठ काटते हुए कहती है.

खुशबू : आह्ह्ह्ह...!! हाँ भैया. वो जब स्कूल आई तो बता रही थी की उसके पापा ने ३ दिनों तक पटक-पटक कर उसकी खूब बूर चुदाई की थी. उसके पापा भी बिना कंडोम के उसकी बूर चोदते हैं लेकिन वो हमेशा कोमल को माला-डी की गोलियां खिला देते है. कोमल तो अपने बस्ते में भी माला-डी की गोलियां रखती है.

छेदी : हाँ खुशबू...इस बात पर तो मेरा कभी ध्यान ही नहीं गया. कल मैं भी तेरे लिए माला-डी की गोलियां ला दूंगा. फिर तेरी बूर चुदाई के बाद उसमे झड़ने में भी डर नहीं लगेगा.

खुशबू : हाँ भैया...!! माला-डी की गोलियां ला दीजिये फिर मैं हमेशा आपके लंड का पानी अपनी बूर में ही झडवाउंगी.

खुशबू की बात सुनकर छेदी झट से घूम जाता है तो खुशबू बिस्तर पर गिर जाती है. बिस्तर पर गिरते ही छेदी उसपर चढ़ जाता है और दोनों हाथों से उसकी जांघे खोले अपने मोटे लंड को बूर में पेल देता है. अपनी कमर को उठा-उठा के खुशबू की जांघो के बीच पटकने लगता है और बूर चोदने लगता है. खुशबू भी आँखे बंद किये अपने भैया के लंड को बूर में पेलवाने लगती है. अब छेदी पूरे जोश में आ चूका था. कमरे में लगा पंखा किसी पेसंजर ट्रेन की तरह धीरे-धीरे चल रहा था और कमरे में गर्मी बढ़ गई थी. भाई-बहन की घमासान चुदाई उस गर्मी को और भी ज्यादा बढ़ा रही थी. छेदी और खुशबू दोनों ही पसीने में नाहा चुके थे. पसीने से लथपथ छेदी अपनी बहन की बूर में तेज़ झटके मारते हुए लंड पेल रहा था. 'ठप्प-ठप्प' की तेज़ आवाज़ से कमरा गूंज रहा था.

छेदी : (तेज़ साँसों के साथ) खुशबू....!! अब मेरे पानी निकलने वाला है. आह्ह...!! अपना खेल शुरू करते है बहना...!!

खुशबू जानती थी की जब वो और भैया झड़ने वाले होते हैं तो क्या करना होता है. छेदी और खुशबू भाई-बहन के इस गंदे रिश्ते का पूरा मजा उठाते थे. जैसे ही छेदी खुशबू की इशारा देता है वो झट से बोल पड़ती है.

खुशबू : आह्ह्ह्ह...भैया...!! मेरे प्यारे भैया...!!

छेदी : (तेज़ आवाज़ में, बूर में तेज़ी से लंड पलते हुए) आह्ह्ह्ह...!! मेरी बहना...!! प्यारी बहना...!!

खुशबू : मजा आ रहा है भैया...!! अपनी छोटी बहन की बूर चुदाई करने में?

छेदी : हाँ बहना..!! बहुत मजा दे रही है तेरी बूर. बोल...तेरा भैया कैसा है?

खुशबू : बहनचोद...!! बहनचोद है मेरा भैया...!! बहुत बड़ा बहनचोद है...!!

अपनी बहन के मुहँ से अपने लिए बहनचोद सुन कर छेदी का लंड पूरा फूल जाता है और बूर में जोर-जोर से अन्दर-बाहर होने लगता है. खुशबू आगे कहती है.

खुशबू : और आपकी छोटी बहन कैसी है भैया?

छेदी खुशबू के मोटे दूध दबोच कर दबाते हुए कहता है.

छेदी : रंडी...!! रंडी है मेरी छोटी बहन..!! अपने भैया की रंडी बहना है..!!

छेदी के मुहँ से अपने लिए रंडी बहना सुनते ही खुशबू की कमर झटके खाने लगती है. अपनी दोनों टाँगे छेदी की कमर में लपेट कर खुशबू जोर-जोर से कमर हिलाने लगती है. छेदी भी अपनी कमर जो जोर-जोर से झटके देते हुए खुशबू की बूर चोदने लगता है. १५-२० झटके देते ही छेदी के लंड से गाढ़ा सफ़ेद पानी खुशबू की बूर की गहराई में गिरने लगता है. खुशबू भी छेदी से लिपटे हुए झड़ने लगती है. दोनों के झड़ने का सिलसिला ३-४ मिनट तक चलता है. पूरी तरह से झड़ने के बाद दोनों निढ़ाल हो कर बिस्तर पर गिर जाते है.

खुशबू की आँखे बंद है और बूर से सफ़ेद गाढ़ा पानी धीरे-धीरे बह रहा है. बूर के ओंठ फ़ैल कर अलग हो गए है. बूर के ओठों के अन्दर की लाली साफ़ बता रही है की खुशबू की बूर की चुदाई कितनी जम के हुई थी. छेदी भी खुशबू के पास ही लेटा हुआ था. धीरे-धीरे सांसे लेते हुए वो अपनी थकान दूर करने की कोशिश कर रहा था. तभी उसके फ़ोन पर कोई मेसेज आता है. वो फ़ोन उठा कर देखता है तो किसी अनजाने नंबर से मेसेज आया था. वो मेसेज खोलता है तो लिखा होता है, "मेरे भैया भी है और सय्याँ भी इसलिए आपसे सिर्फ दोस्ती हो सकती है". मेसेज पढ़ के छेदी के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. गाड़ी की चाबी के साथ उसने उर्मिला को अपना नंबर दिया था, ये उसका ही जवाब था. फ़ोन को तकिये के निचे रख कर, चेहरे पर मुस्कराहट लिए छेदी आँखे बंद करता है और नींद की आगोश में चला जाता है.

(समय की कमी का कारन मैं कुछ शब्धों को ठीक नहीं कर पाई. कोई गलती हो तो क्षमा करियेगा)

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
Chedi toh bhout chalo hai ek taraf behan aur bhar bhi setting ko tayar hai.
 

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अपडेट ३०:

गाने के खत्म होते-होते पायल पूरी तरह से गरमा चुकी थी. उसकी बूर रिसने लगी थी. ऊपर से पापा का गधे जैसा लंड उसे पागल कर रहा था. वियाग्रा और शीलाजीत भी अपना कमाल दिखाने लगे थे. रमेश का लंड फूल के मोटा हो चूका था और नसें पूरी तरह से उभर के दिखने लगी थी. रमेश ने जब लंड की चमड़ी को खींच कर निचे कर दिया और लंड के मोटे टोपे को पूरी तरह से बाहर निकाल दिया तो पायल की हालत खराब हो गई. रमेश का लंड पहले से भी कहीं ज्यादा मोटा हो चूका था. पापा के लंड को देख कर पायल कच्छी के ऊपर से अपनी बूर रगड़ने लगी थी. ये देख कर रमेश ने अपने हाथों को कमर पर ले गए और एक झटके के साथ धोती की गाँठ खोल दी. धोती सामने से खुल कर सोफे पर गिर गई. अब रमेश सोफे पर पड़ी धोती पर नंगे अपना लंड खड़ा किये बैठे थे. रमेश के एक इशारे पर पायल किसी कटी पतंग की तरह लहराती हुई उनके पास आ जाती है. सामने खड़ी पायल की कमर को पकड़ के रमेश उसे घुमा देते है जिस से पायल की चुतड उनकी तरफ हो जाती है. रमेश पायल की कमर को पकडे हुए अपने मोटे लंड पर बिठाने लगते है. पायल अपने पैरो को घुटनों से मोड़े धीरे-धीरे उनके लंड पर बैठने लगती है. रमेश का लंड पायल को चूतड़ों के बीच घुस जाता है और पीछे पायल की कच्छी में चला जाता है. कच्छी के अन्दर चूतड़ों के बीच रगड़ खाता हुआ रमेश का लंड ऊपर कच्छी से बहार निकल कर पायल की कमर से चिपक जाता है. अब पायल रमेश की गोद में बैठी है और पीछे पापा का लंड उसकी कच्छी में घुसा हुआ है. रमेश पायल के चूतड़ों के बीच की गर्माहट अपने लंड पर साफ़ महसूस कर रहे थे.

पायल जैसे ही आंख्ने बंद किये पीछे हो कर अपनी पीठ पापा की छाती पर टिकाती है, रमेश दोनों हाथों को उसकी नाईटी में घुसा के दोनों दूध दबोच लेते है. दोनों दूध हाथों से मसलते हुए रमेश कहते है.

रमेश : मजा आया बिटिया ये गाना सुन कर ?

पायल : सीईईईईइ...!! हाँ पापा...बहुत मजा आया.

रमेश : सीमा सिंह अच्छा नाच लेती है ना बेटी ?

पायल : हाँ पापा... पर मैं तो सीमा सिंह से भी अच्छा नाचती हूँ.

पायल की बात सुन कर रमेश जोर से उसके दूध दबा देते है.

रमेश : (जोर से दूध दबाते हुए) अच्छा..!! सीमा सिंह से भी अच्छा नाच लेती है मेरी पायल ?

पायल : सीईईइ.....!! हाँ पापा....!!

रमेश : देखा था ना बेटी, सीमा सिंह कैसे अपने दूध हिला-हिला कर नाच रही थी. तू नाच पाएगी वैसा?

पायल : हाँ पापा...!! वो तो सिर्फ दूध हिला रही थी. मैं तो अपना सब कुछ हिला कर नाचूंगी.

पायल की इस बात पर रमेश अपने लंड उसकी चूतड़ों के बीच रगड़ देते है.

रमेश : तो फिर देर किस बात की बेटी. दिखाओ अपने पापा को नाच कर.

पायल : लेकिन पापा मैं उस गाने पर नहीं नाचूंगी.

रमेश : तो फिर किस गाने पर नाचेगी मेरी बेटी ?

पायल : गाना वही होगा पापा, पर मैं अपने अंदाज़ में गाऊँगी.

रमेश : ठीक है बेटी. देखते हैं की तू सीमा सिंह को टक्कर दे पाती है या नहीं.

तभी दरवाज़े की घंटी बजती है. रमेश और पायल एक साथ हडबडा जाते है. रमेश का लंड पायल की कच्छी में पीछे से घुसा हुआ था. पायल झटके से खड़ी होने लगती है तो कमर की एक तरफ बंधी कच्छी की डोर खुल जाती है और कच्छी रमेश के मोटे लंड पर ही फंसी रह जाती है. पायल जैसे ही खड़ी होती है तो उसे इस बात का एहसास होता है की उसकी कच्छी पापा के लंड में ही फंसी रह गई है. वो खुल मुहँ पर हाथ रखे पापा की तरफ घुमती है और देखती है की उसकी कच्छी पापा के लंड पर फंसी पड़ी है और पापा उसे देख कर मुस्कुरा रहे है. अब पायल के बदन पर सिर्फ वो छोटी से नाईटी ही रह गई थी. पायल रमेश से कहती है.

पायल : पापा लगता है कोई आया है. मेरी कच्छी तो आपके लंड में ही फंसी रह गई है. आप देखिये ना कौन है.

रमेश खड़े हो कर पायल की कच्ची को एक बार सूंघते है फिर अपनी धोती को को अच्छे से लपेट कर अपने खड़े लंड को छुपाते हुए दरवाज़ा खोलने जाने लगते है. पायल दौड़कर रसोई में चली जाती है. रमेश दरवाज़ा खोलते है तो सामने एक आदमी कुछ सामान लिए खड़ा था. रमेश उस आदमी से सामान लेते है और दरवाज़ा बंद कर देते है. दरवाज़े के बंद होते ही पायल अन्दर से पूछती है.

पायल : कौन था पापा?

रमेश : अरे कोई नहीं बेटी, कूरियर वाला था.

पायल रसोई से झाँक कर देखती है तो रमेश घर के सारे खिड़की और दरवाज़े बंद कर के पर्दा गिरा रहे है. पायल समझ जाती है की पापा किस चीज़ की तैयारी कर रहे है. वो भी रसोई की खिड़की बंद करने लगती है. बहार की तरफ खुली हुई खिड़की को हाथों से अन्दर खीच कर पायल जैसे ही बंद करती है, उसे अपनी चूतड़ों के बीच गर्म और लोहे सी सक्त कोई बेहद मोटी चीज़ महसूस होती है. पायल को समझने में एक क्षण भी नहीं लगता की वो कुछ और नहीं उसके पापा का मोटा लंड है. रमेश पायल के पीछे खड़े हो कर अपना मोटा लंड उसकी चूतड़ों के बीच घुसा रहे थे. लंड चूतड़ों के बीच रगड़ खाता हुआ जांघों के बीच पायल की बूर को चूमता हुआ आगे निकल जाता है. पायल नज़रे निचे कर के देखती है और उसे पापा के लंड अपनी जाँघों के बीच से निकला हुआ दिखाई देता है जिसका टोपा फूल कर बेहद मोटा और लाल हो गया है. पीछे से रमेश पायल से चिपक भी जाते है और अपने दोनों हाथों से उसके दूध मसलते हुए कहते है.

रमेश : अब नाचेगी ना मेरी बेटी पापा के सामने ?

पायल : सीईईई....!! हाँ पापा..!!

रमेश : बेशर्म बन के नाचेगी ना? शर्माएगी तो नहीं ?

पायल : उफ़...!! हाँ पापा...!! सीईईईइ...!! बिलकुल भी नहीं शर्माउंगी. पूरी बेशर्म बन के नाचूंगी आज.

पायल की इस बात पर रमेश पीछे से पायल की कमर पकड़ के उसकी चूतड़ों पर ऐसी जोरदार ठाप मारता है पायल के दोनों पैर ज़मीन से ही उठ जाते है. रमेश का लंड पायल की बूर की फाक में रगड़ खा रहा था और बूर के दाने को अच्छी तरह से सहला रहा था. पायल की बूर अब पानी छोड़ने लगी थी. कुछ देर वैसे हे रगड़ने के बाद रमेश पीछे हट्टे है और अपने लंड को सहलाते हुए सोफे की तरफ बढ़ने लगते है. पायल पापा को देखती है. कसा हुआ नंगा बदन और आगे १२ इंच लम्बा और ३.५ इंच मोटा लंड लिए रमेश सोफे पर टाँगे ऊपर कर के बैठ जाते है. उनकी टाँगे खुली हुई है और लंड सीध खड़ा है. रमेश और पायल की नज़रे मिलती है तो पायल किसी बेशरम लड़की की तरह इठलाती हुई चलकर पापा के सामने खड़ी हो जाती है. दोनों हाथो को उठा के वो अपने बालों को एक अदा के साथ जब पीछे करती है तो उसकी बगलों में घने बालों को देख कर रमेश अपना लंड पकड़ कर एक बार दबा देते है. बालों को पीछे कर पायल सामने वाले सोफे पर टाँगे ऊपर कर लेती है और आपस में जोड़ कर बैठ जाती है. एक बार हवस भरी नज़रों से पापा को देखने के बाद पायल गाना गाने लगती है.

पायल झटके के साथ सोफे पर कंधे के बल लेट जाती है और निचे वाले हाथ से सर को सहारा देते हुए पापा की तरफ देख कर गाती है, - " करेला चीत पापा खाके शीलाजीत हो..ssss "
फिर वो पापा के लंड को देखते हुए आगे गाती है, - "देखी के मूड ओकर होनी भयभीत हो..ssss"
फिर वो जहतके के साथ फिर से सोफे पर कूद कर बैठ जाती है और अपने दोनों दूधों को जोर-जोर से हिलाते हुए गाती है, - "धड्केला ढुकुर-ढुकुर छाती रे...ssss "
फिर पायल दोनों हाथों को अपने घुटनों पर रखती है और एक झटके से टाँगे खोल देती है और फिर झट से बंद करते हुए गाती है, - "हमके मुआवेला, कमर मूचकावे दादा.... सेजिया पे पापा देहाती रे..ssss...."

पायल की बालों वाली बूर की एक झलक पा कर रमेश अपने लंड को मसल देते है. फिर पायल अपनी कमर को झटके देते, नाचते हुए पापा के सामने आती है और अपनी पीठ उनकी तरफ करके कमर पर दोनों हाथों को रख लेती है. पापा की तरफ पीठ किये और कमर पर दोनों हाथों को रख कर अपनी चुतड गोल-गोल घुमाते हुए वो पापा के सामने घुटनों को मोड़कर धीरे-धीरे निचे बैठने लगती है और गाती है, - "बाकी दिन से ज्यादा ऊ दुःख हमके दिहला होss.....पाउडर लगाके ढोडी पर चूमा लेला होss..."

चूतड़ों के गोल-गोल घुमने से नाईटी पीछे से उठ जा रही थी और पायल की गोल-मटोल नंगी चूतड़ों के दर्शन रमेश को हो रहे थे. अपने लंड को मसलते हुए रमेश की नज़र पायल की पीठ पर नाईटी के लेस की गाँठ पर पड़ती है. पायल अपनी चूतड़ों को गोल-गोल घुमाते हुए ऊपर उठने लगी थी. रमेश झट से आगे होते है और अपने दाँतों से नाईटी की डोर को पकड़ लेते है. नाईटी की डोर को दांतों से पकडे रमेश पीछे होते है और तभी पायल भी खड़ी हो जाती है. नाईटी को डोर खुल जाती है और पायल की पीठ नंगी हो जाती है. बदन से नाईटी फिसलती हुई ज़मीन पर गिर जाती है. पायल झट से एक हाथ निचे ले जा कर अपनी बूर छुपा लेती है और दुसरे हाथ से अपने दोनों दूध. पीछे मुड़ कर वो पापा को देख कर मुस्कुराती है. रमेश भी अपना लंड पकडे मुस्कुरा देते है.

पायल दोनों हाथों से अपनी बूर और दूध छुपाये रमेश की तरफ घूम जाती है और आगे गाती है, - " बाकी दिन से ज्यादा ऊ दुःख हमके दिहला होss.....पाउडर लगाके ढोडी पर चूमा लेला होss...", ये सुन कर रमेश आगे बढ़ कर पायल की नाभि को चूम लेते है. पायल भी मस्ती में आँखे बंद कर अपने ओंठ काट लेती है. रमेश फिर से लंड पकडे सोफे पर बैठ जाते है.

अब पायल पापा की तरफ पीठ करे ज़मीन पर लेट जाती है. रमेश को पायल की नंगी पीठ और चुतड दिखने लगता है. पायल गर्दन घुमा कर पापा की तरफ देखती है और आँखे मटकाते हुए आगे गाती है, - " (एक हाथ अपनी चुतड पर रख कर) बीतेला रात पूरा एके करवटीयाss... (फिर पापा के खड़े लंड को देखते हुए) खालेला पापा शीलाजीत सारा रतियाss...."

पायल की इस हरकत पर रमेश पायल की चुतड को देखते हुए अपने लंड की चमड़ी खींच कर पूरी पीछे कर देते है. पायल भी उठ कर खड़ी हो जाती है और दोनों हाथों से अपनी बूर छुपा कर पापा की तरफ घूम जाती है. अब उसके मोटे नंगे दूध खुल कर रमेश को दिखने लगते है.

बूर को दोनों हाथों से छुपाये हुए पायल पापा को आँखे मटकाते हुए इशारे करते हुए गाती है, -" जाने कितना पॉवर होला दादा शीलाजीत मेंss... रातभर मदाइल रहे पापा हमरा प्रीत मेंss... "

अपने दोनों नंगे दूधों को जोर-जोर से हिलाते हुए , -" लागे मुआवे तो हो जाए सबेराss....करेला प्यार पापा हमके सबसे ज्यादा ss.....माने ना कितना हम डाटी रेsssss..... "

अब रमेश भी वहां आ कर पायल के पीछे खड़े हो जाते है और अपना लंड उसकी चूतड़ों के बीच घुसा देते है. पायल दोनों हाथों को उठा कर पीछे पापा के गले में डाल देती है और आगे गाने लगती है, - " गर्दा उड़ावेला ...कमर मुचकावे दादाss.... सेजिया पे पापा देहाती रे ss..... "

रमेश पीछे से अपनी कमर आगे-पीछे करते हुए अपने लंड को पायल की चूतड़ों के बीच रगड़ने लगते है . पायल भी मस्ती में गाती हुई अपनी चुतड हिलाने लगती है.

" गर्दा उड़ावेला ...कमर मुचकावे दादाss.... सेजिया पे पापा देहाती रे ss..... "

इस पंक्ति के खत्म होते ही रमेश पायल के चूतड़ों पर एक जोरदार थप मार देते है तो पायल लड़खड़ाती हुई सामने सोफे पर गिर जाती है. सोफे पर गिरी हुई पायल पापा की तरफ घुर कर देख रही है और निचे उसकी जांघे खुली हुई है. जाँघों के खुलने से बूर के ओंठ भी खुल गए थे. पायल की बालों वाली खुली हुई बूर का गुलाबी छेद देख कर रमेश का लंड जोर-जोर से झटके लेने लगा. सोफे पर गिरी पायल अपने हाथों से टाँगे खोले कर बैठ जाती है और पापा को तेज़ साँसे लेते हुए घूरने लगती है.

पायल : कैसा लगा मेरा नाच पापा?

रमेश : बहुत ही अच्छा था पायल बेटी. तुमने तो सीमा सिंह को भी पीछे छोड़ दिया. अब तो मेरी बिटिया रानी को इनाम देना ही पड़ेगा.

ये कहकर रमेश एक बार पायल की आँखों में देखते है फिर उसकी बूर को गौर से देखते है. बूर किसी डबल रोटी की तरह फूल गई है और उसके ओंठ खुले हुए है. बूर के ऊपर और दोनों तरफ घने घुंगराले बाल और बीच में खुले हुए ओंठों के बीच गुलाबी छेद जिसमे से लार बह रही है. रमेश गौर से अपनी बेटी की बूर का ये नज़ारा देखते है और उनके सब्र का बाँध टूट जाता है. वो खड़े होकर कर पायल की बूर को घूरते हुए अपने लंड को एक बार जोर से मुठिया देते है और पायल की तरफ बढ़ने लगते है. पापा को इस तरह से अपनी ओर आता देख पायल की धड़कने तेज़ हो जाती है.

रमेश पायल के पास आते है और उसकी खुली हुई टांगो के बीच निचे ज़मीन पर बैठ जाते है. सोफे पर बैठी पायल की टाँगे खुली हुई है और रमेश ठीक उसकी बूर के सामने आँखे फाड़े बैठे हुए थे. अपनी नाक आगे कर रमेश एक बार जोर से सांस लेते हुए पायल की बूर की गंध सूंघते है. अपनी बेटी की बूर की गंद से रमेश पागल से हो जाते है. दोनों हाथों से पायल की जाँघों को पकड़ को और ज्यादा फैलाते हुए रमेश अपने ओंठों को बूर के ओंठों पर रख देते है और अपनी जीभ बूर में ठूँस देते है. पापा की जीभ अपनी बूर में महसूस करते ही पायल मस्ती में आ जाती है. आँखे बंद किये वो सिसियाने लगती है.

पायल : सीईईईईईई....!! उफ्फ पापा....!! आहsssss....!!

रमेश पायल की टाँगे और ज्यादा खोलते हुए अपनी जीभ को बूर के अन्दर ठेलने लगते है और साथ ही साथ पायल की बूर से निकलती लार को को चूस के पीने भी लगते है. अपनी लम्बी और मोटी जीभ को पूरी बूर में ठूंसने के बाद रमेश बूर से जीभ निकाल लेते है और फिर बूर को निचे से ऊपर तक किसी कुत्ते की तरह चाटने लगते है. पायल जब पापा को अपनी बूर इस तरह से चाटते देखती है तो वो अपनी कमर हलकी सी ऊपर उठा का धीरे-धीरे गोल घुमाने लगती है. ये देख कर रमेश भी अपनी गर्दन गोल घुमाते हुए बूर चाटने लगते है. बाप-बेटी की बूर चाटने और चटवाने की जुगलबंदी ऐसी थी की अगर उस वक़्त स्वयं कामदेव भी वह होते तो अपना लंड मुठिया देते.

पायल जैसी एक खुबसूरत गोरी-चिट्टी लड़की, जिसकी बूर पर और बगलों में घने बाल है, जो पसीने से महक रही है, अपने दोनों हाथों के सहारे सोफे पर अपनी चौड़ी चुतड उठा के गोल-गोल घुमा रही है, और उसका अपना सगा बाप, अपनी बेटी की चूतड़ों के साथ अपनी गर्दन घुमाते हुए उसकी बूर चाट रहा है. ये नज़ारा दुनिया के किसी भी लंड को खड़ा करने के लिए काफी था. ये नज़ारा इतना उत्तेजना से भरा हुआ था की अगर दोनों बाप-बेटी को इस पाप के लिए किसी अदालत में सजा भी सुनाई जाती तो उस अदालत का जज लंड मुठियाते हुए ही सजा सुनाता.

रमेश पायल की बूर को चाट रहे थे तो कभी अपने ओंठों से बूर के दाने को चूस रहे थे. पापा के इस तरह से बूर चाटने से पायल पूरी तरह से गरमा चुकी थी. कुछ देर अपनी बेटी की बूर का स्वाद चकने के बाद रमेश अपने मुहँ को बूर से अलग करते है. पायल भी धीरे-धीरे अपनी आँखे खोल कर पापा को देखती है. पापा को घूरते हुए पायल अपने ओठों को काटते हुए उनका लंड लेने को तैयार होने की घोषणा करती है. रमेश भी समझ जाते है की अब पायल अपनी सील तुडवाने को तैयार है. अपने मजबूर हाथों से पायल की जाँघों ठीक ऊपर कमर को पकड़ कर रमेश उसे उल्टा हवा में उठा लेते है. पायल की टाँगे ऊपर की ओर है और सर निचे. रमेश ने अपने हाथों को उसकी कमर में लपेटे रखा था. पायल का पेट पापा की छाती पर चिपका हुआ था और पापा के मुहँ के ठीक सामने उसकी खुली जाँघों के बीच बालोवाली बूर अपने ओठों को खोले हुए थी. निचे पायल के मुहँ के ठीक सामने पापा का गधे जैसा लंड तन के खड़ा था जीसे पायल आँखे फाड़े निहारे जा रही थी. रमेश के सामने पायल की फैली हुई जाँघों के बीच खुली हुई बूर थी. पायल को उल्टा अपने सीने से लगाये रमेश उसकी बूर को गौर से देखते है और एक बार फिर से अपने मुहँ खुली बूर में घुसा देते है. निचे लटकी पायल भी पूरी मस्ती में पापा के खड़े लंड को पकड़ लेती है और उसकी चमड़ी खींच कर पूरी पीछे कर देती है. लंड के मोटे टोपे को देखने के बाद वो अपना मुहँ खोले उसे अन्दर लेने लगती है. लंड का टोपा फूल कर काफी बड़ा हो गया था. आज पायल को उसे अपने मुहँ में लेने में कठनाई हो रही थी. पर आज वो भी पूरे जोश में थी. वो अपने मुहँ को पहले से भी ज्यादा खोलते हुए आधा टोपा मुहँ में ले लेती है.मुहँ के अन्दर अपनी जीभ को टोपे पर घुमाते हुए वो टोपे को चूसने लगती है. पायल को अपने लंड को इस तरह से चुस्त देख रमेश भी पूरे जोश में उसकी बूर चूसने लगता है.

पायल को उल्टा लटकाए हुए रमेश उसकी बूर चूसते हुए और अपना लंड चुस्वाते हुए अपने कमरे की तरफ बढ़ने लगता है. कमरे में पहुँच कर रमेश पायल को बिस्तर पर रख देते है. दोनों बाप-बेटी एक दुसरे से नज़र मिलाते है. दोनों की नज़रों में सिर्फ हवस ही नज़र आ रही थी. पायल बिस्तर पर अपनी टाँगे खोल बैठी हुई थी. रमेश उसकी बूर को देखते हुए कहते है.

रमेश : तेरी बूर तो बहुत गरम लग रही है बेटी.

पायल : हाँ पापा. बहुत गरम है. आग फेक रही है.

रमेश : उफ़..!! जरा देखूं तो कितनी गर्मी है मेरी बेटी की बूर में.

ये कहकर रमेश पास रखे टेबल का दराज खोलते है और उसमें से एक थर्मामीटर निकालते है. थर्मोमीटर लेकर रमेश पायल की खुली टांगो के बीच बैठ जाते है.

रमेश : जरा अपनी टाँगे फैलाओ बेटी.

पायल अपनी टाँगे फैला देती है. रमेश उसकी बूर को देखते है और थर्मामीटर बूर में घुसा देते है.

रमेश : इसे २ मिनट तक पकडे रखो पायल.

पापा की बात मानते हुए पायल अपनी बूर के ओंठों को आपस में भींच कर थर्मामीटर को पकड़ लेती है. २ मिनट के बाद रमेश थर्मामीटर को पायल की बूर से निकलते है और २-३ बार झटक कर गौर से तापमान देखते है.

रमेश : बापरे बेटी..!! १०४ डिग्री ...!! इतनी गर्मी है मेरी बेटी की बूर में ? [ १०४ डिग्री F = ४० डिग्री C ]

पायल : हाँ पापा..!! बहुत गर्मी है मेरी बूर में. अब आप ही इसकी सारी गर्मी निकाल कर इसे ठंडा करिए.

पायल की इस बात पर रमेश के लंड में करंट दौड़ने लगता है. वो थर्मामीटर को टेबल पर रखते है और अपने लंड को पकडे पायल के पास आने लगते है.

रमेश : अपनी पायल बेटी की बूर की सारी गर्मी अब मैं २ दिनों तक अच्छे से निकालूँगा.

पायल पापा को अपनी ओर आते देखती है. आगे जो होने वाला है उसकी कल्पना करके दिल धडकने लगता है और साथ ही साथ उसकी बूर भी पानी छोड़ने लगती है.

[आगे की कहानी पर काम जारी है]

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
Gajab ka update hai👌👌👌
 

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अपडेट ३२.५ :

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शाम ४ बजे:
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घर के आँगन में बैठी उमा, बिमला और उर्मिला बातें कर रही थी. पास वाली खाट पर मोहन भी लेटे हुए उनका साथ दे रहे थे. थकावट के कारण सोनू अन्दर कमरें में सो रहा था. पुरानी यादों के साथ-साथ कुछ नयी बातों पर भी चर्चा हो रही थी. मोहन लेटे हुए यहाँ-वहाँ नज़र दौडाते हुए कहते है.

मोहन : ये गोलू कहा चला गया....

उमा : क्या हुआ मोहन?

मोहन : कुछ नहीं दीदी. ४ बजे गए हैं ना. गोशाला में गाय का दूध दुहना था. अब मैं तो कर नहीं सकता इसलिए गोलू ही करता है. पता नहीं कहाँ चला गया?

बिमला : मैं देख कर आती हूँ.

जैसे ही बिमला उठने को होती है, उर्मिला उन्हें रोकते हुए कहती है.

उर्मिला : आप बैठिये मामी. मैं देख कर आती हूँ.

बिमला मुस्कुराकर उसके सर पर हाथ रखते हुए कहती है.

बिमला : बहुत अच्छी बहु मिली है आपको दीदी.

उमा : हाँ बिमला. हमारे घर को तो इसीने संभाला हुआ है.

उर्मिला भी मुस्कुराते हुए बाहार निकल आती है. आँगन में नज़र डालते हुए वो गोशाला की और बढ़ने लगती है. थोडा आगे जाते ही उसे गोलू गाय के पैरों के पास बैठा हुआ उसका दूध दुहते हुए दिखाई देता है. उर्मिला उसे आवाज़ देने ही वाली होती है की उसकी नज़र सामने झाड़ू लगाती कम्मो पर पड़ती है. कम्मो झुक कर झाड़ू लगा रही है और आगे उसकी चोली के बड़े गले से उसके मोटे दूधों की गहराई दिख रही है. उर्मिला झट से गौर से गोलू की तरफ देखती है तो गाय का दूध दुहते हुए सोनू की नज़रें कम्मों की दिख रही दूध के बीच की गहराई पर थी. वो बड़े ही ध्यान से कम्मो की बड़ी-बड़ी चुचियों को निहार रहा था. ये देख कर उर्मिला के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. " साला पूरा खानदान ही बहनचोदों और बेटीचोदों से भरा पड़ा है ", उर्मिला मन में सोचती है. धीमे क़दमों से वो गोलू की तरफ बढ़ने लगती है की तभी कम्मो की नज़र गोलू पर पड़ती है. गुस्से में झाड़ू गोलू को दिखाते हुए वो कहती है.

कम्मो : तू फिर देखने की कोशिश कर रहा है गोलू? तुझे मना किया था ना?

कम्मो के मुहँ से ये सुनकर उर्मिला वहीँ रुक जाती है. उसे लगता है की आज तो गोलू बुरा फंस गया. गोलू दूध दुहना बंद कर के दौड़ कर कम्मो के पास जाता है और निचे बैठ कर उसके पैर पढ़ने लगता है.

गोलू : दीदी मैं आपके पैर पढ़ रहा हूँ. माँ और बापू से कुछ मत कहियेगा.

कम्मो : अगली बार देखने की कोशिश की तो झाड़ू से मरूंगी तुझे.

तभी उर्मिला भी वहां आ जाती है. अनजान बनते हुए वो कहती है.

उर्मिला : क्या हुआ कम्मो? क्यूँ मारेगी तू गोलू को झाड़ू से?

उर्मिला को वहां देख कर गोलू उठ कर वहां से भाग खड़ा होता है. उर्मिला गोलू को भागता हुआ देखती है फिर कम्मो की तरफ घूम कर कहती है.

उर्मिला : क्या हुआ कम्मो? इतना गुस्सा क्यूँ कर रही है?

कम्मो : देखिये ना भाभी. गोलू को मन किया था फिर भी वो बार-बार देखने की कोशिश करता है.

उर्मिला : अरे क्या हुआ? क्या देखने की कोशिश करता है गोलू?

कम्मो : मेरे छाती का तील भाभी.

उर्मिला : (उलझन में) तेरी छाती का तील??

कम्मो : हाँ भाभी....मेरी छाती का तील. ये देखिये.....

ये कहकर कम्मो अपनी चोली का गला पकड़ कर निचे कर देती है. चोली का गला उसके निप्पल के बस कुछ ऊपर ही था और वहां एक काल तील दिखाई पड़ रहा था. उर्मिला वो तील देखती है और हैरानी के साथ कम्मो से कहती है.

उर्मिला : तो गोलू इस तील को देखने की कोशिश कर रहा था.

कम्मो : (बड़ी-बड़ी आखों से) हाँ भाभी. एक बार जब मैं बर्तन धो रही थी तो गोलू खड़े हो कर मेरी चोली में झांक रहा था. मैंने उसे पकड़ लिया तो उसने ही बताया की वो मेरी छाती पर जो तील है वो देखने की कोशिश कर रहा था.

उर्मिला : ओह..!! तो ये बात तुझे गोलू ने बताई थी. पर तुमने कहीं मामा या मामी को ये बात तो नहीं बता दी ना?

कम्मो : मैं तो उसी दिन बता देती भाभी पर सोनू ने मेरे पैर पकड़ लिए. मैं खुश हो गई. मुझे ऐसा लगा की मैं कोई राजकुमारी हूँ और वो मेरे पैर पढ़ रहा है. फिर उसने कहा की जब भी वो मेरी छाती का तील देखते हुए पकड़ा जायेगा, वो मेरे पैर पढ़ेगा और मैं मान गई. तब से जब भी वो पकड़ा जाता है मैं राजकुमारी बन के उस से अपने पैर पढवाती हूँ.

ये बात कहते हुए कम्मो के चेहरे पर गर्व की भावना थी. उर्मिला अब सारी बात समझ जाती है. "वाह री भोली राजकुमारी. एक दिन तेरे भाई तेरी बूर चोद के पैर पढ़ लेगा", उर्मिला मन में सोचती है. फिर कम्मो की तरफ देख कर कहती है.

उर्मिला : पर कम्मो. गोलू तो तेरा भाई है, फिर उसे अपना तील दिखाने में कैसी शर्म?

कम्मो : ऐसे कैसे दिखा दूँ भाभी? माँ कहती है की लड़की का तील शादी के बाद सबसे पहले उसका पति देखता है. मेरा तील भी शादी के बाद मेरा पति ही देखेगा. गोलू को थोड़ी ना देखने दूंगी.

कम्मो की बातों से उर्मिला को पूरा यकीन हो जाता है की इस १८ साल की लड़की को घर से निकलने क्यूँ नहीं दिया जाता है. २ साल पहले जब उर्मिला पहली बार यहाँ आई थी तब से ही कम्मो पर पाबंदियां लगा दी गई थी. अब तो वो पूरी जवान गदराई माल हो गई थी, और पाबंदियां भी कहीं ज्यादा. उर्मिला ये भी बात समझ जाती है की गोलू भी सोनू की तरह ही कमीना और एक नंबर का बहनचोद है, जो अपनी भोली-भाली बहन के चक्कर में है. उर्मिला के अन्दर का कीड़ा रेंगेने लगता है. जिस तरह से घर पर उसने परिवार के सदस्यों के अन्दर की हवस को खुल के बाहार निकाला था अब वो गोलू की हवस को भी ठीक उसी तरह से हवा देने को तैयार थी.

उर्मिला : अच्छा ठीक है कम्मो. ध्यान से कहीं गोलू तेरा तील ना देख ले.

कम्मो : आप चिंता मत कीजिये भाभी. वो मेरी छाती का तील तो क्या, मेरी नाभि के निचे और जांघ पर जो तील है वो भी कभी नहीं देख पायेगा.

उर्मिला : ओह तो तेरी नाभि के निचे और जांघ पर भी तील है.

कम्मो : हाँ भाभी...ये देखिये...

कम्मो झट से अपना घगरा उठाने लगती है. उर्मिला डर के मारे यहाँ वहां देखते हुए उसका हाथ पकड़ लेती है.

उर्मिला : अरे अरे अरे...!! ये क्या कर करी है कम्मो. ठीक है. मैं समझ गई. अच्छा अब तू झाड़ू लगा, मैं चलती हूँ.

कम्मो : ठीक है भाभी.

कम्मो झाड़ू लगाने लगती है और उर्मिला वहां से जाने लगती है. जैसे ही उर्मिला की नज़र सामने पड़ती है, गोलू सामनेवाली मिट्टी की दीवार के पीछे छुपने लगता है. उर्मिला समझ जाती है की वो वहां छिप कर उनकी सारी बातें सुन रहा था. उर्मिला धीमे-धीमे वहां जाती है और झट से गोलू के सामने खड़े हो जाती है. गोलू दीवार के पीछे निचे बैठा हुआ था. उसकी नज़र जैसे ही उर्मिला पर पढ़ती है वो घबरा जाता है.

उर्मिला : क्या कर रहा था गोलू?

गोलू : (डरते हुए) क..क..कुछ नहीं भाभी. वो..वो ..वो मैं ना गोबर उठाने आया था.

उर्मिला : (आसपास देखते हुए ) कहाँ है गोबर जो तू उठाने आया था?

अब गोलू की हवा निकल जाती है. वो झट से उर्मिला के पैरो को पकड़ लेता है.

गोलू : मुझे माफ़ कर दीजिये भाभी. आप माँ और बापू से कुछ मत कहियेगा.

उर्मिला : मैं तेरी भाभी हूँ गोलू, कम्मो नहीं जो तू मुझे बेवकूफ बना दे. और जरा बता तो तू कम्मो की चोली में कौनसा तील देखता है?

ये बात सुन कर गोलू का पिछवाड फट सा जाता है. वो निचे बैठा हाथ जोड़ कर उर्मिला के सामने गिडगिडाने लगता है.

गोलू : भाभी मुझे माफ़ कर दीजिये. अब मैं कभी भी कम्मो की चोली में नही झांकुंगा, मैं वादा करता हूँ.

उर्मिला : चल खड़ा हो जा और मेरे पीछे आ.

गोलू चुपचाप खड़ा होता है और उर्मिला के पीछे चल देता है. उर्मिला उसे गोशाला के पीछे ले जाती है और वहां उस से कहती है.

उर्मिला : अब मुझे सच-सच बता गोलू. तू सच में कोई तील देख रहा था या कम्मो के दो बड़े पहाड़ों की चोटियाँ?

उर्मिला की बात सुन कर गोलू नज़रे झुकाए खड़ा रहता है.

उर्मिला : देख गोलू. अगर तू सच बोलेगा तो तील का तो नहीं कह सकती पर तुझे कम्मो के दोनों पहाड़ों की चोटियाँ जरुर दिखा सकती हूँ.

उर्मिला की बात सुन कर गोलू झट से उसकी तरफ देखने लगता है.

गोलू : पर...पर..भाभी...वो...

उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) तुझे क्या लगता है की बस तू ही एक है जो अपनी बहन पर लट्टू है. तेरे जैसे भरे पड़े है यहाँ. अब सोनू को ही देख ले. पायल के पीछे लंड खड़ा किये घूमता रहता था. मैंने करा दी उसकी सेटिंग पायल के साथ.

उर्मिला की बात सुन कर गोलू उच्छल पड़ता है.

गोलू : क्या बात कर रही हो भाभी? गोलू और पायल दीदी....??

उर्मिला : और नहीं तो क्या? अब तो पायल सोनू का लंड खूब चुस्ती है और उसके साथ बिस्तर पर नंगी भी सोती है.

गोलू : (ख़ुशी से ताली बजाते हुए एक बार गोल-गोल घूम जाता है) सच भाभी...!!

उर्मिला : हाँ गोलू एक दम सच...कसम से..!!

गोलू : भाभी मेरे लिए भी कुछ कीजिये ना. अब तक तो मैं दीदी का कुछ भी नहीं देख पाया हूँ.

उर्मिला : ठीक है गोलू पर मैं जैसा कहूँगी तुझे वैसा ही करना होगा. घर में किसी को कानो कान खबर नहीं पड़नी चाहिए.

गोलू : (ख़ुशी से उच्छालता हुआ) नहीं पड़ेगी भाभी.

उर्मिला : शाबाश..! अच्छा एक बात बता. गाँव में कोई सुनसान जगह है जहाँ बैठ कर बातें किया जा सके.

गोलू : हाँ भाभी. थोड़ी दूर पर एक छोटा सा तालाब है. उसके चारों तरफ सरपंच जी के खेत है इसलिए वहां कोई नहीं जाता.

उर्मिला : तो फिर हम कैसे जायेंगे?

गोलू : ओहो भाभी..!! बापू और सरपंच जी तो बहुत अच्छे दोस्त है. हमारे खेतों में भी तो उसी तालाब का पानी आता है. हमे कोई नहीं रोकता.

उर्मिला : (कुछ सोच कर) अच्छा ठीक है. अब तू जा और दूध दुह ले. मैं भी अन्दर चलती हूँ. ३० मिनट के बाद मैं जब बुलाऊंगी तो आ जाना.

गोलू : ठीक है भाभी.

गोलू ख़ुशी-ख़ुशी दौड़ता हुआ चला जाता है. उर्मिला का गन्दा दिमाग एक बार फिर किसीको बहनचोद बनाने की जुगाड़ में लग जाता है.


(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
Bhabhi ji tusi gr8 ho.
 

Gary1511

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अपडेट २२:

रमेश अपने लंड के टोपे को पायल की गीली बूर पर रगड़ रहे है. रमेश अपनी कमर धीरे से ऊपर की ओर करते है तो लंड बूर पर निचे से ऊपर रगड़ खा जाता है. जब कमर निचे की ओर करते हैं तो लंड ऊपर से निचे की ओर रगड़ खा जाता है. लंड का मोटा टोपा जब भी पायल की बुर पर रगड़ खाता, उसकी बूर काँप सी जाती, कमर हल्का झटका लेती और मुहँ से सिसकारी निकल जाती. बीच-बीच में जब भी पायल आँखे खोल कर पापा को देखती तो तेज़ साँसे लेते हुए अपने ओंठ काट लेती और फिर से आँखे बंद कर दूसरी तरफ सर घुमा लेती. पायल का नंगा बदन और उस पर ये अदा, रमेश के लंड को और ज्यादा गरमा रहे थे.

रमेश ने पायल की बूर पर एक नज़र डाली तो उसमे से धीरे-धीरे पानी बह रहा था. बूर किसी डबल रोटी की तरह फूल गई थी और बूर के ओंठ खुल गए थे. रमेश को ऐसा लगा मानो पायल की बूर उनके लंड को अपने अन्दर समां लेने के लिए बेताब है. अपने दोनों हांथों को पायल की पीठ के निचे से ले जाते हुए रमेश उसके कन्धों को कस लेते है. अपने ओठों को पायल के गुलाबी ओठों पर रख कर रमेश अपने मोटे लंड के टोपे को पायल की बूर पर टिकाते है तो पायल का बदन सिहर उठता है. पायल के दोनों हाथ रमेश की पीठ पर कस जाते है. पायल के ओंठ रमेश के ओंठों से रगड़ खाते हुए अलग होते है और पायल आँखे बंद किये अपने सर को पीछे की और धीरे-धीरे गिराने लगती है. उसकी ठोढ़ी ऊपर उठती चली जाती है और सुराही जैसी गोरी गर्दन रमेश के सामने आ जाती है. रमेश पायल की गर्दन पर जैसे ही अपने ओंठ रखते हैं, पायल अपने नाख़ून रमेश की पीठ पर गड़ा देती है.

एक मंझे हुए खिलाड़ी की तरह रमेश अपनी कमर को धीरे से निचे करते हुए लंड के टोपे का दबाव पायल की बूर के छेद पर डालते है. अपनी बूर पर टोपे का दबाव महसूस कर पायल आँखे बंद किये सिसकारी ले लेती है. रमेश थोडा और दबाव डालते है तो उनका लंड गीली बूर पर से फिसलता हुआ पायल के पेट पर पहुँच जाता है. रमेश के लंड से थोडा पानी निकल कर पायल की नाभि में जमा हो जाता है. रमेश फिर से अपने लंड को पकड़ कर पायल की बूर के मुहँ पर रखते है. हल्का सा दबाव डालते हुए वो जैसे ही कमर आगे करते है, उनका लंड इस बार बूर पर से फिसलता हुआ निचे पायल की चूतड़ों के बीच घुस जाता है. ये देख कर उर्मिला बाबूजी से कहती है.

उर्मिला : बाबूजी...पायल की बूर बहुत कसी हुई है. जरा ध्यान से खोलियेगा....

रमेश : हाँ बहु....बहुत कसी हुई बूर है मेरी बेटी की. लंड फिसल जा रहा है.

रमेश इस बार लंड को हाथ से पकड़ते है और पायल की बूर के मुहँ पर रख देते है. हाथ से लंड पकडे हुए रमेश जोर लगाते है तो लंड का टोपा बूर में घुसा जाता है और पायल रमेश की पीठ पर अपने नाख़ून गडाते हुए चिल्ला देती है.

पायल : आह्ह्ह्हह्ह्ह्ह......!! पापा....!! निकालीये इसे....प्लीज पापा....!!

रमेश पायल को इस तरह से चिल्लाता देख सहम जाते है. वो अपनी कमर पीछे कर लेते है. उर्मिला भी पायल के सर पर हाथ फेरने लगती है.

रमेश : क्या हुआ पायल बेटी? दर्द हो रहा है क्या?

पायल : हाँ पापा...!! बहुत दर्द हो रहा है. आपका लंड बहुत मोटा है. मैं इसे नहीं ले पाऊँगी पापा...!!

रमेश प्यार से पायल के गालों पर हाथ फेरने लगते है.

रमेश : मेरी प्यारी गुडिया रानी. थोडा तो दर्द होगा ना बेटी. कोई बात नहीं...अब पापा धीरे से डालेंगे...अपनी बिटिया को जरा सा भी दर्द नहीं होने देंगे.

पापा की बात सुन कर पायल को थोड़ी हिम्मत मिलती है. वो फिर से एक बार अपने आप को पापा के गधे जैसे लंड के लिए तैयार कर लेती है. रमेश फिर से लंड को पकड़ कर पायल की बूर के मुगन पर रखते है और धीरे से दबाते है. लंड का टोपा फिर एक बार फिसल कर बूर में घुस जाता है. पायल इस बार और भी ज्यादा जोर से चिल्ला उठती है.

पायल : नहीं पापा....!!! मैं नहीं ले पाऊँगी....बहुत मोटा है...प्लीज पापा...!! प्लीज इसे निकाल लीजिये.....

इस बार पायल की आँखों में हलके आंसू भी आ जाते है. पायल के आंसू देखकर रमेश का दिल पिघल जाता है. उनके अन्दर का बाप का प्यार उनकी हवस पर भारी पड़ जाता है. अपनी कमर को पीछे करते हुए रमेश अपने लंड को पायल की बूर पर से हटा लेते है. पायल के माथे को चूम कर रमेश कहते है

रमेश : ठीक है पायल बेटी. अगर तुम्हे लग रहा है की तुम मेरा लंड नहीं ले पाओगी तो मैं जबरदस्ती नहीं करूँगा. बाप हूँ मैं तुम्हारा , बहुत प्यार करता हूँ अपनी पायल बेटी से...

पापा की बात सुन कर पायल को रमेश की बेटी होने पर गर्व महसूस होता है. वो जानती है की पापा चाहते तो एक झटके में उसकी बूर में लंड ठूँस देते. लेकिन पापा ने ऐसा नहीं किया. अपने लिए पापा का प्यार और वो इज्ज़त देख कर पायल अपने आप को रमेश से लिपटने से नहीं रोक पाती है. अपनी बाहें रमेश के गले में डाले वो रमेश से लिपट जाती है. अपने ओठों को रमेश के ओंठों पर रख कर पायल रमेश को चुम्मी देती है. उस चुम्मी में एक बेटी के प्यार के साथ-साथ एक २१ साल की लड़की का भी प्यार था जो अपने पापा का लंड लेना चाहती थी.

पायल : (रमेश की आँखों में देखते हुए) आई एम सॉरी पापा...!! मैंने आपको निराश कर दिया...

रमेश : (मुस्कुराते हुए) कोई बात नहीं बेटा...आज नहीं तो फिर कभी...जब मेरी पायल बिटिया तैयार हो जाएगी तब पापा से अपनी बूर खुलवा लेना...

पायल रमेश को बड़े ही प्यार से देखती है. पापा का लंड अब भी पूरा का पूरा तन कर खड़ा है. पायल एक नज़र पापा के लंड पर डालती है और कहती है.

पायल : पापा आज आप मेरी बूर नहीं ले पाए तो क्या हुआ? भाभी की बूर तो ले ही सकते हो ना?

पायल की बात सुनते ही रमेश की नज़र उर्मिला पर जाती है. बाबूजी को देखते ही उर्मिला शर्म से नज़रे झुका लेती है फिर धीरे-धीरे नज़रें उठा कर बाबूजी को देखने लगती है.

रमेश : ऐसे क्या शर्मा रही हो बहु? क्या मेरा तुम पर इतना भी हक नहीं है?

उर्मिला : ये आप क्या कह रहे हैं बाबूजी? मैं आपकी बहु हूँ. आपका हक तो मुझ पर रौनक से भी कहीं ज्यादा है. और फिर आपने तो अपने लंड के पानी से मेरी मांग भी भरी है. मेरा बदन, मेरा हर अंग, मेरा रोम-रोम आपका है बाबूजी....

उर्मिला की बात सुन कर रमेश को अपनी बहु पर गर्व महसूस होता है. उसे लगता है की ऐसी बहु पाकर वो धन्य हो गया.

रमेश : तुम सच में एक आदर्श बहु हो उर्मिला. भगवान करे तुम्हारी जैसी बहु सबको मिले.

पायल ससुर-बहु की बातें बड़े ध्यान से सुन रही थी. उसे इस बात की ख़ुशी थी की भाभी सच में कितनी अच्छी है. घर में सभी को प्यार और सम्मान देती है. पायल रमेश और उर्मिला के बीच से उठ कर बिस्तर के निचे खड़ी हो जाती है. बाबूजी की बात सुन कर उर्मिला उनके पैरों को पकड़ लेती है.

उर्मिला : (बाबूजी के पैर पर सर रखते हुए) ओह बाबूजी..!! आपने एक पराई लड़की को अपने घर की बहु बनाकर सम्मान दिया, इतना प्यार दिया. मैं भगवान से प्रार्थना करुँगी की वो आप जैसे बाबूजी हर बहु को दे....

रमेश उर्मिला के सर पर हाथ फेरने लगते है. फिर धीरे-धीरे उसे उठाने लगते है. उर्मिला अपना सर धीरे-धीरे ऊपर करने लगती है. उसकी नज़रों के सामने बाबूजी का मोटा लंड तन के खड़ा है. उर्मिला लंड को देखती है फिर बाबूजी को देखते हुए कहती है.

उर्मिला : मुझे आशीर्वाद दीजिये बाबूजी...

रमेश : (उर्मिला को देख कर मुस्कुराते हुए) अपना मुहँ खोलो बहु....

उर्मिला बाबूजी की आँखों में देखती है, फिर नज़रे नीची कर के उनके लंड को. कुछ क्षण लंड को निहारने के बाद, उर्मिला नज़रे उठा के बाबूजी को देखती है और धीरे-धीरे अपना मुहँ खोल देती है. बाबूजी अपना एक हाथ उर्मिला के सर के पीछे ले जा कर पकड़ लेते है और दुसरे हाथ से लंड की जड़ को पकड़ कर लंड का टोपा उर्मिला के मुहँ में डाल देते है. अपने हाथ से उर्मिला के सर को पीछे से पकडे रमेश अपनी कमर को आगे झटका देते हुए लंड उर्मिला के मुहँ में ठूँस देते है.

रमेश : (लंड उर्मिला के मुहँ में ठूँसते हुए) सदा सुहागन रहो बहु.....आह...!!

फिर रमेश अपनी कमर को पीछे करते हुए लंड उर्मिला के मुहँ से बाहर निकाल लेते है. उर्मिला वैसे ही मुहँ खोले बैठी है. रमेश फिर से अपनी कमर को झटका देते हुए लंड को उर्मिला के मुहँ में ठूँस देते है.

रमेश : (लंड उर्मिला के मुहँ में ठूँसते हुए) दूधो नहाओ पूतो फलो....आह....!!

फिर रमेश अपनी कमर को पीछे करते हुए लंड उर्मिला के मुहँ से बाहर निकाल लेते है और फिर से अपनी कमर को झटका देते हुए लंड को उर्मिला के मुहँ में ठूँस देते है.

रमेश : (लंड उर्मिला के मुहँ में ठूँसते हुए) जल्द ही खुशखबरी दो बहु....ओह......!!

रमेश की इस बात पर पायल झट से बोल पड़ती है...

पायल : पापा..!! आप ही भर दीजिये ना भाभी की गोद...रौनक भैया तो १ साल से कुछ कर ही नहीं पाए.

पायल की बात सुन कर रमेश उर्मिला को मुस्कुराते हुए देखते है. पायल की बात और बाबूजी का इस तरह से देखना, उर्मिला तो शर्म से लाल हो जाती है. रमेश अपने हाथ से उसकी ठोड़ी पकड़ के ऊपर करते है और उर्मिला की आँखों में देखते हुए कहते है.

रमेश : बोलो बहु...!! अपने बाबूजी का बच्चा पेट में लोगी? माँ बनोगी अपने ससुर के बच्चे की?

उर्मिला : (बाबूजी को देखते हुए, तेज़ साँसों से) हाँ बाबूजी...!! मेरी कोंख मैं अपना बच्चा दे दीजिये. बना दीजिये मुझे अपने बच्चे की माँ....

उर्मिला की बात सुनते ही बाबूजी जोश में आ जाते है. उर्मिला की जाँघों को पकड़ कर वो अपनी तरफ खींच लेते है. उर्मिला बिस्तर पर रमेश के ठीक सामने टाँगे फैलाए गिर जाती है. रमेश झट से उर्मिला पर छलांग लगा देते है और उसे चूमने-चाटने लगते है.

रमेश : ओह मेरी बहु....!! कितनी सुन्दर, सुशील और पूरी जवान गदराई हुई.

उर्मिला : ओह बाबूजी....!! लूट लीजिये अपनी बहु की जवानी....देखिये ना आपकी बहु कैसे अपनी टाँगे खोले आपके मोटे लंड के लिए तरस रही है....

उर्मिला की बात सुन कर रमेश अपने लंड के टोपे को उसकी गीली बूर के मुहँ पर रख देते है और कमर को एक झटका देते ही टोपा बूर में घुस जाता है. उर्मिली की चीख निकल जाती है.

उर्मिला : आह्ह्ह्हह्ह....!!! बाबूजी.....!!!

उर्मिला रमेश को कास के पकड़ लेती है. उसके बड़े-बड़े दूध रमेश के कसे हुए सीने पर चिपक जाते है. रमेश अपनी कमर को स्थिर किये उर्मिला की बूर पर लंड का दबाव बनाते है तो लंड धीरे-धीरे बूर में धसने लगता है. पायल पापा के लंड को उर्मिला की बूर में धीरे-धीरे घुसता देख आश्चर्यचकित हो जाती है. उसकी आँखे बड़ी और मुहँ खुल जाता है. ऐसा लग रहा है की मानो उसने दुनिया का आँठवा अजूबा देख लिया हो. उसे यकीन नहीं हो रहा था की अभी-अभी जिस लंड ने उसकी जान निकाल दी थी उस लंड को उर्मिला अपनी बूर में कैसे ले रही है.

रमेश जोर लगते हुए अपना लंड उर्मिला की बूर में ठेलते चले जाते है और कुछ ही क्षण में उनका पूरा लंड जड़ तक उर्मिला के बूर में समां जाता है. उर्मिला रमेश को कस कर पकडे हुए है. पापा का पूरा का पूरा लंड उर्मिला की बूर में जड़ तक धंसा देख पायल को चक्कर आने लगता है. रमेश अपनी कमर को पीछे करते है तो उनका लंड बूर से बाहर आ जाता है. फिर वो लंड को उर्मिला की बूर पर रख कर एक जोर का धक्का लगाते है तो लंड एक झटके में उर्मिला की बूर में फिर से पूरा धंस जाता है. रमेश के बड़े-बड़े गोटे जैसे ही उर्मिला की चूतड़ों से टकराते है तो सारा कमरा 'ठप्प' की जोरदार आवाज़ से गूंज उठता है. 'ठप्प' की आवाज़ इतनी तेज़ होती है की पास खड़ी पायल डर के उच्चल सी जाती है.

उर्मिला : आह्ह्हह्ह....बाबूजी..!! बहुत मोटा है आपका....

रमेश : तुम्हारी बूर भी कमाल की है बहु. कसी हुई है फिर भी पूरा अन्दर तक ले रही है....बहुत मजा देगी....

क्रमश:

(आगे का हिस्सा शाम से पहले पोस्ट करने की कोशिश करुँगी. पिछले दिनों में ऐसे-ऐसे काम आ गए जो जरुरी ना होते हुए भी करने पड़े. आशा करती हूँ की अब इस कहानी को जल्दी आगे बढ़ा सकुंगी)

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
Nice
 
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