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Incest घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ]

पायल किस से अपनी सील तुड़वाये ?

  • पापा

    Votes: 196 70.0%
  • सोनू

    Votes: 80 28.6%
  • शादी के बाद अपने पति से

    Votes: 4 1.4%

  • Total voters
    280
  • Poll closed .

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अपडेट ३५:

गोलू कम्मो को बदन को जी भर के अच्छे से सूँघता है. कम्मो के पसीने से भरे बदन की गंध से वो पूरी तरह से मदहोश हो चूका था. उर्मिला देख कर समझ जाती है की अब आगे बढ़ने का वक़्त आ गया है.

उर्मिला : सूंघ लिया अच्छे से कम्मो के बदन को?

गोलू : (होश में आते हुए) अ..आ...हाँ भाभी...सूंघ लिया.

उर्मिला :तो अब क्या कर रहा है? बैठ जा एक तरफ.

उर्मिला की बात मान कर गोलू कम्मो के सामने बैठ जाता है. उर्मिला भी कम्मो के ठीक पीछे बैठ जाती है. दोनों हाथों को वो कम्मो के नंगे पेट पर घुमाती हुई कहती है.

उर्मिला : कम्मो, तुम्हारे खेतों से कुछ दूर तेरा भी तो खेत है ना...?

दरअसल जब उर्मिला गाँव आई थी तब ही उसने कम्मो का खेत देख लिए था. आज उसके शैतानी और गंदे दिमाग में कुछ चल रहा था. जो भी चल रहा था वो गोलू के होश उड़ाने वाला था.

कम्मो : (उत्साहित होते हुए) हाँ भाभी. मैं जब १५ साल की थी तब बापू ने वो खेत मेरे लिए लिया था. पर भाभी........

'पर भाभी' कह कर कम्मो गुस्से से गोलू की तरफ देखने लगती है. कम्मो को गुस्से से गोलू की तरफ इस तरह से देखता देख उर्मिला कहती है.

उर्मिला : पर क्या कम्मो..?

कम्मो : भाभी ये गोलू है ना....!! मैंने कितनी बार इस से कहा है की बाकी खेतो के साथ मेरा भी खेत जोत दे पर ये सुनता ही नहीं.

उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) क्यूँ रे गोलू? तेरी दीदी अपना खेत तुझसे जुतवाना चाहती है तो तू मना क्यूँ कर देता है?

गोलू : दीदी का खेत तो छोटा है ना भाभी. और वैसे भी बाकी खेतों की जुताई के बाद वक़्त ही नहीं मिल पाता.

उर्मिला : चुप कर भोंदू...!! लगता है तू भूल गया की कम्मो का खेत कैसा है. नहीं तो फट से तैयार हो जाता जुताई के लिए. कम्मो ... लगता है गोलू को याद दिलाना पड़ेगा की तेरा खेत कैसा है.

कम्मो : हाँ भाभी... गोलू बहुत दिनों से मेरे खेत की तरफ गया भी नहीं है तू पक्का भूल गया होगा.

उर्मिला : हाँ ... लगता तो यही है. तो याद दिला दें इस भोंदू गोलू को की तेरा खेत कैसा है?

कम्मो : (खुश हो कर) हाँ भाभी...!!

उर्मिला : पर कम्मो , इतनी गर्मी में तू अब भी लहंगा पहन के बैठी है? चल उतार दे इसे...

उर्मिला की बात मान कर कम्मो फट से खड़ी हो जाती है और एक ही झटके में उसका लहंगा मचान पर आ गिरता है. मोटी और मांसल जांघो के बीच घने बाल दिखाई देने लगते है जिसे देख कर गोलू एक बार उच्छल पड़ता है. लहंगा उतार कर कम्मो फिर से निचे बैठ जाती है. उसके निचे बैठते ही उर्मिला उसकी टंगे आपस में जोड़ कर बंद कर देती है. सामने बैठा गोलू अपनी नज़रे कम्मो की बंद टांगो के बीच गड़ाए हुए बैठा था.

उर्मिला : तो कम्मो एक बार फिर बता दें गोलू को की तेर खेत कैसा है?

कम्मो : हाँ भाभी...!!

उर्मिला : चल...एक काम कर ... तू ही बता दे गोलू को अपने खेत के बारें में. और हाँ ... जरा अच्छे से समझाना....ये भोंदू सब भूल गया होगा.

उर्मिला के मुहँ से गोलू के लिए भोंदू शब्द सुन कर कम्मो बहुत खुश होती है. अपने आप को गोलू से ज्यादा समझदार सुन कर वो बड़े गर्व के साथ अपने खेत के बारें में विस्तार से बताना शुरू करती है.

कम्मो : ध्यान से सुन भोंदू गोलू....मेरा जो खेत है वो त्रिकोना (triangle) है और तीनो तरफ, घनी घांस से घीरा हुआ है. ऊपर की तरफ ज्यादा घनी घास है और अगल बगल थोड़ी कम.....

उर्मिला : सुन लिया ना सोनू....? त्रिकोना खेत है और तीनो तरफ, घनी घांस से घीरा हुआ है. ऊपर की तरफ ज्यादा घनी घास है और अगल बगल थोड़ी कम.....

ये कहकर उर्मिला धीरे से अपने हाथों से कम्मो की टाँगे खोल देती है. टाँगे खुलने से कम्मो की बालों वाली बूर गोलू को अच्छे से दिखने लगती है. कामो ने जो अपने खेत के बारें में अभी-अभी बताया था और जिसे उर्मिला भाभी ने जोर दे कर दोहराया था वो अब उसे समझ आने लगा था. उसके दिमागे में कम्मो के खेत एक तस्वीर सी आ जाती है और आँखों के सामने कम्मो की बालों वाली बूर. जब वो कम्मो के खेत के वर्णन को सामने दिख रही उसकी बूर से मेल करता है तो बात पूरी तरह से साफ़ हो जाती है. बापू ने जो खेत कम्मो के लिए लिया था वो तो काफी दूरी पर था, पर कम्मो का असली खेत तो उसकी टांगो के बीच और गोलू की नज़रों के सामने था. त्रिकोना, ऊपर घने बाल और दोनों तरफ हलके बाल. गोलू को कम्मो की बूर को घुरते देख उर्मिला कहती है.

उर्मिला : क्यूँ गोलू...? कम्मो के खेत की बनावट तो समझ आ गई ना? कैसी लगी ?

गोलू : (कम्मो की बूर घूरते हुए) ब...बहुत अच्छी है भाभी....

उर्मिला : अच्छा कम्मो...अब जरा गोलू को ये भी बता दे की खेत अन्दर से कैसा है...

कम्मो : हाँ भाभी....!! सुन रे गोलू. घनी घांस से घीरे मेरे त्रिकोने खेत के बीच एक लम्बी सी दरार है. उस दरार के बीच एक गहरा छेद है जो पंप के लिए बनवाया था और उसमे से हमेशा पानी रिसता रहता है.

कम्मो की इस बात पर उर्मिला धीरे से कम्मो की टाँगे और भी ज्यादा खोल देती है.

उर्मिला : कम्मो खुद बता रही है तुझे गोलू. देख ले और समझ ले कम्मो के खेत को.....

उर्मिला जैसे ही कम्मो की टाँगे खोलती है, उसकी बूर के ओंठ खुल जाते है और बूर की दरार फ़ैल जाती है. बूर की दरार से हलकी सी लार बह पड़ती है. अपनी दीदी की बूर का ये नज़ारा देख कर गोलू अब पूरी तरह से बौखला जाता है.

गोलू : हाँ भाभी...!! सीईईईइ...... देख लिया और समझ भी लिया दीदी के खेत को. मैं दीदी के खेत की जुताई करने की लिया पूरी तरह से तैयार हूँ भाभी. कम्मो दीदी.... (हाथ जोड़कर) करवा लो ना मुझसे अपने खेत की जुताई.... मैं आपके हाथ जोड़ता हूँ दीदी....!!

गोलू की ये हालत देख कर कम्मो, उर्मिला और सोनू हँस पड़ते है.

उर्मिला : क्यूँ कम्मो...!! करवाएगी अपने भाई से अपने खेत की जुतवायी?

कम्मो : हाँ भाभी...क्यूँ नहीं...? मेरा खेत मेरा भाई नहीं तो और कौन जोतेगा?

उर्मिला : देख ले गोलू... तेरी दीदी तो तैयार बैठी है तुझसे अपना खेत जुतवाने के लिए...पर तू इतनी गर्मी में अब भी धोती पहने हुआ है? उतार इसे अभी....

उर्मिला की बात सुन कर गोलू झट से अपनी धोती निकाल फेंकता है. धोती के निकलते ही उसका मोटा लंड छलांग मार कर खड़ा हो जाता है. गोलू का लंड ८ इंच लम्बा ४ इंच मोटा था. जैसे ही गोलू का लंड उच्चल कर खड़ा होता है, उसे देख कर कम्मो की आँखे फटी की फटी रह जाती है. वो पहली बार किसी का लंड देख रही थी. बचपन में वो कई बार गोलू की छोटी सी नुन्नी देख चुकी थी. पर वो इस बात से अनजान थी की वो छोटी सी नुन्नी अब एक मोटे तगड़े विशालकाए लंड का रूप ले चुकी है. इतने सालों बाद गोलू का मोटा लंड देख कर वो हैरान थी.

गोलू भी कम्मो की बूर को घूरे जा रहा था. अपनी दीदी की बूर को घूरते हुए उसके लंड के टोपे से लार की २-३ बूंदे फिसल कर लंड पर बहने लगी. कम्मो की नज़र जब लंड पर बहते उस लार की धार पर पड़ी तो वो बोल उठी.

कम्मो : भाभी देखिये....गोलू मचान पर ही पेशाब कर रहा है.

उर्मिला : (हँसते हुए) उसके लंड से जो बह रहा है वो पेशाब नहीं है पगली....

कम्मो : (सर खुजलाते हुए) तो क्या है भाभी...?

उर्मिला : वो तो तेरे लिए गोलू का प्यार है जो उसके लंड से बह रहा है.....

कम्मो : (बड़ी-बड़ी आँखों से उर्मिला की ओर देखते हुए) मेरे लिए गोलू का प्यार ...??

उर्मिला : हाँ कम्मो.... ये सच है. गोलू के लंड से जो बह रहा है वो उसका प्यार है अपनी दीदी के लिए. जो भाई अपनी बहन से प्यार करता है उसके लंड से ऐसे ही बहन के लिए प्यार बहता रहता है. ध्यान से देख कम्मो... कितना प्यार भरा पड़ा है गोलू के लंड में तेरे लिए.

कम्मो गोलू के लंड को ध्यान से देखने लगती है. उसके लंड से बहती लार वो अपने लिए उसका प्यार समझ कर उसका भी दिल भर आता है.

कम्मो : हाँ भाभी....गोलू मुझसे सच में बहुत प्यार करता है.

उर्मिला : हाँ कम्मो. पर तू ऐसे ही क्यूँ बैठी है? तू क्या अपने भाई के प्यार को ऐसे ही बह जाने देगी?

कम्मो : (बड़ी-बड़ी आँखों से उर्मिला की ओर देखते हुए) तू मैं क्या करूँ भाभी ?

उर्मिला : अपने भाई के लंड से बहते प्यार को पी जा कम्मो. अपने भाई के प्यार को ऐसे बर्बाद मत होने दे......

उर्मिला की बात सुन कर कम्मो अपनी नज़रे गोलू के लंड पर गडा देती है. वो एक नज़र घुर के गोलू के लंड से बहती लार को देखती है और अगले ही क्षण वो गोलू के लंड पर झुक जाती है. एक हाथ से गोलू के लंड को पकडे, कम्मो अपना मुहँ खोल कर गोलू के लंड को मुहँ में भर लेती है. धीरे-धीरे कामो गोलू के लंड को चुसना शुरू कर देती है. अपनी दीदी को लंड चूसते देख गोलू मस्ती में अपनी आँखे बंद कर लेता है. उर्मिला भाभी को दिल ही दिल में दुआएँ देता गोलू, एक हाथ से कम्मो के मोटे दूध को सहलाने लगता है. गोले के इस तरह से दूध सहलाने से कम्मो के बदन में भी गर्मी आने लगती है. उसका मुहँ अपने आप ही गोलू के लंड पर ऊपर-निचे होने लगता है और लंड का रस उसके गले में उतरने लगता है. पीछे बैठी उर्मिला भी वक़्त ना गवाएं एक ऊँगली कम्मो की बूर में घुसा देती है और धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगती है. गोलू और उर्मिला की इस हरकत से कम्मो पूरी मस्ती में आ जाती है. गोलू का लंड जोर-जोर से चूसते हुए वो जीभ निकालकर लंड पर बहते पानी को भी चाट लेती है. गोलू के लंड को फिर एक बार मुहँ में भर कर जैसे ही कम्मो चूसने लगती है, गोलू अपनी कमर धीरे-धीरे ऊपर-निचे करता हुआ कम्मो की मुहँ चुदाई करने लगता है.

ये सारा नज़ारा सोनू अब तक चुप-चाप बैठे देख रहा था. धोती में उसका लंड भी पूरी तरह से तन के खड़ा हो चूका था. गोलू और कम्मो को देख कर उसे पायल की याद तो पहले से ही आ रही थी और अब दोनों को इस तरह से देख उसका अपने आप को रोक पाना मुश्किल हो गया था. अपनी धोती खोल कर वो उर्मिला के पीछे जा बैठता है. पीछे से उर्मिला की साड़ी उठा के उसकी नंगी चुतड पर लंड रख कर सोनू एक हाथ आगे ले जा कर २ उँगलियाँ बूर में घुसा देता है. सोनू को अपनी बूर में दो उँगलियाँ घुसाते देख उर्मिला भी अपनी टाँगे खोल देती है. मचान पर जो नज़ारा था वो देखने लायक था. गोलू का लंड कम्मो के मुहँ में था और गोलू का हाथ उसके दूध पर. उर्मिला कम्मो की बूर में ऊँगली दे रही थी और उर्मिला की बूर में सोनू. सोनू का लंड उर्मिला की चूतड़ों के बीच रगड़ खा रहा था. कुछ देर चारों की मस्ती ऐसे ही चलती है और फिर उर्मिला बोल पड़ती है.

उर्मिला : गोलू...कम्मो ने तो तेरा प्यार अच्छे से पी लिया, अब तेरी बारी है कम्मो का प्यार पीने की.

उर्मिला की बात सुन कर कम्मो अपना सर गोलू के लंड से उठा देती है. सर उठते ही उर्मिला कम्मो की टाँगे पूरी खोल देती है. गोलू की नज़र जैसे ही कम्मो की बूर पर पड़ती है, उसे लार के एक छोटी से धार बहती दिखाई पड़ती है. गोलू आगे झुक कर कम्मो की बूर को एक क्षण ध्यान से देखता है और दुसरे ही क्षण गोलू पूरा आगे झुक जाता है. उसके खुले ओंठ कम्मो की बूर के चारों तरफ चिपक जाते है और जीभ बूर की दरार में घुस जाती है. अपनी बहन की बूर को गोलू पागलों की तरह चूसने लगता है. गोलू की इस हरकत से कम्मो का भी बुरा हाल हो जाता है. भुट्टे का मजा तो उसने कई बार लिया था पर बूर चुस्वाने का आनंद वो पहली बार ले रही थी. अपनी आँखे बंद किये कम्मो पीछे हो कर अपनी पीठ उर्मिला के सीने पर टिका देती है. निचे गोलू अपनी जीभ घुमा-घुमा कर कम्मो की बूर चाते जा रहा था. बीच-बीच में कम्मो भी अपनी कमर को ३-४ झटके दे देती. गोलू और कम्मो की मस्ती देख कर सोनू उर्मिला के कान में धीरे से बोल पड़ा.

सोनू : आपके लिए भी मेरा प्यार लंड से बह रहा है भाभी....

सोनू की बात सुनकर उर्मिला मुस्कुरा देती है. कामो को धीरे से मचान पर लेता कर वो सोनू की तरफ घूम जाती है. सामने सोनू अपना मोटा लंड खड़ा किये बैठा था. धीरे-धीरे अपनी साड़ी खोल क्र उर्मिला पास में डाल देती है और प्यार से सोनू से कहती है.

उर्मिला : लगता है भाई-बहन का प्यार देख कर तुझे भी पायल की याद आने लगी है सोनू...

सोनू : हाँ भाभी....पायल दीदी की बहुत याद आ रही है. देखिये ना.... दीदी की याद में मेरा लंड कैसे झटके खा रहा है.

उर्मिला सोनू के खटके खाते लंड को प्यार से देखती है. धीरे से आगे झुक कर वो सोनू के लंड को हाथ में पकड़ लेती है.

उर्मिला : (लंड को देख कर) क्यूँ रे बदमाश...!! अपनी दीदी की याद में इतने झटके खायेगा...? ठहर जा , तुझे अभी मजा चखाती हूँ.....

ये कह कर उर्मिला सोनू के लंड को एक ही झटके में पूरा निगल लेती है. अपने सर को जोर-जोर से आगे पीछे करते हुए उर्मिला सोनू के लंड को चूसने लगती है. सोनू आँखे बंद किये मस्ती में झूम उठता है और अपनी कमर को धीरे-धीरे हिलाते हुए अपना लंड उर्मिला के मुहँ में ठेलने लगता है. कुछ आवाज़े सुन कर कम्मो अपना सर घुमाती है तो पीछे का नज़ारा देख कर उसकी आँखे बड़ी हो जाती है. कुछ क्षण उर्मिला को सोनू का लंड चूसते हुए वैसे ही देखने के बाद कम्मो को कुछ समझ आता है और वो बोल पड़ती है.

कम्मो : भाभी आप भी सोनू का प्यार पी रही हो क्या?

कम्मो की बात सिन कर उर्मिला अपना सर उठा कर कहती है.

उर्मिला : हाँ कम्मो...सोनू का प्यार भी बह रहा था ना....तो बस मैं चूस रही हूँ....

तभी गोलू अपनी पूरी जीभ कम्मो की बूर में ठूँस देता है तो कम्मो कसमसाते हुए कराह उठती है, "उफ्फ्फ .... गोलू". कम्मो को पूरी मस्ती में आता देख उर्मिला गोलू को इशारा करती है. गोलू कामो की टाँगे दोनों हाथों से खोल कर उसकी खुली टांगों के बीच आ जाता है. उसका मोटा लंड ठीक कम्मो की बूर की फांक पर लगा हुआ है. निचे लेटी कम्मो सर उठा के गोलू के लंड को अपनी बूर के मुहँ पर देखती है. उसकी सांसे तेज़ हो चुकी है.
दोनों भाई-बहन की नज़रे आपस में मिलती है. दोनों ही एक दुसरे के बदन से निकलती गर्मी को महसूस कर रहे थे. उर्मिला मुस्कुराकर ये नजारा देख रही थी. अब वो वक़्त आ चूका था. चाँदनी रात थी और रात के सन्नाटे में दूर कहीं रेडियो बज रहा था जिसकी हलकी सी आवाज़ मचान तक आ रही थी. कम्मो निचे नंगी लेटी हुई थी और गोलू भी नंगा उसकी टांगों के बीच अपना लंड बहन की बूर पर सटाये बैठा था. रेडियो के गाने की हलकी सी आवाज़ सबके कानो में पड़ती है,

"अब.. हिले परती परलsssss....! खेतवा हमार बाटेsssss....! आज जोतवावेका....तोहरे से विचार बाटेsssss.....!
मेहनत काराईब भलेsssss....छूटी पसीनवा .... खेतवा जोता हो किसनवा.....खेतवा जोता हो किसनवा.......!!"

[पूरे गाने का मजा यहाँ लीजिये.....]


[ अपडेट के बीच ज्यादा फासला न हो जाए इसलिए इस अपडेट का पहला भाग पोस्ट कर रही हूँ. दूसरा भाग जल्दी ही ]

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
Awesome update❤❤❤.
 

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अपडेट ३६:

मचान पर गोलू कम्मो की बालोंवाली बूर पर अपना गधे जैसा लंड सटाए बैठा था. कामो भी बड़ी-बड़ी आँखों से गोलू की ओर देखे जा रही थी. गोलू ने एक नज़र अपनी दीदी के गदरीले जवान जिस्म पर दौड़ाई और धीरे से अपने लंड को कम्मो की बूर में ठूंस दिया. लंड के अन्दर जाते ही कामो की आँखे बंद हो गई और उसके मुहँ से हलकी सी दर्दभरी "आह्ह्ह्ह..." निकल पड़ी. आह सुनकर उर्मिला का ध्यान उस ओर जाता है और वो सोनू का लंड चुसना छोड़ के दोनों की तरफ देखने लगती है.

उर्मिला: हाँ गोलू...ऐसे ही...जोत अपनी दीदी का खेत.

उर्मिला की बात सुनकर गोलू धीरे-धीरे अपना लंड कम्मो की बूर में अन्दर-बाहर करने लगता है. कामो की बूर में आज पहले बार कोई लंड गया था. भले ही वो अपनी बूर में मोटे-मोटे भुट्टे कई बार ले चुकी थी पर असली लंड का मजा भुट्टे में कहाँ? गोलू का लंड जल्द ही कम्मो को मदहोश कर देता है. उर्मिला जब कम्मो की हालत देखती है तो बोल पड़ती है.

उर्मिला: अरी कम्मो...!! क्या हुआ? मजा आ रहा है ना अपने भाई से खेत जुतवाने में?
कम्मो: ह...हा...हाँ भाभी...! अ...आह...!! बहुत....मजा...आ रहा...है...आह...!!
उर्मिला : कहा था ना मैंने....! और आप गोलुजी..., थोडा और जोर लगा....तेरी बहन का खेत है. अपने हल को अन्दर तक डाल के जुताई कर तभी तो बहन का खेत अच्छे से जोत पायेगा ना....

उर्मिला की बात सुन गोलू जोश में आ जाता है और अपनी कमर उठा-उठा के कम्मो की जाँघों के बीच पटकने लगता है और पागलों की तरह बड़बड़ाने लगता है.

गोलू: हाँ भाभी....मेरी दीदी का खेत है....(एक जोरदार ठाप मारता है), मेरी बहन का खेत है....(एक और जोरदार ठाप), रात भर बहन का खेत जोतुंगा....(लगातार जोर-जोर से ठाप मारने लगता है).

गोलू पागलों की तरह कम्मो की बूर में लंड पेलने लगता है. कम्मो भी पूरी मस्ती में आ जाती है और अब वो भी गोलू का साथ देने लगती है.

कम्मो: हाँ गोलू....आह...!! ऐसे ही जोत मेरा खेत. बहुत मजा आ रहा है गोलू...आह्ह्हह्ह....!!
गोलू: दीदी....आह्ह्ह...!! भुट्टे से भी ज्यादा मजा आ रहा है ना...?
कम्मो: हाँ गोलू...! इसमें तो १० भुट्टों वाला मजा है...आह...!!

कम्मो का जवाब सुनकर गोलू का जोश सातवें आसमान में पहुँच जाता है. कम्मो की जवानी को वो अब तक छुप-छुप कर देखा करता था. अपनी दीदी को चोदने के सिर्फ सपने देखा करता था. आज उसकी दीदी नंगी हो कर उसके निचे लेटी अपनी बूर उसके लंड से चुदवा रही थी. गोलू अपनी दीदी के जिसन को महसूस करता और उसके लंड की गति और भी ज्यादा बढ़ जाती. अब गोलू पोरे जोश में कामो की चुदाई करने लगा था. उसका भारी शरीर जोर-जोर से हिलने लगा था. उर्मिला सोनू का लंड चुने में वैस्थ थी. अचानक उसे मचान हिलता हुआ महसूस होता है. वो देखती है तो सामने गोलू जोर-जोर से कम्मो की बुर-चुदाई कर रहा था. चुदाई इतनी घमासान थी की मचान भी हिलने लगा था. उर्मिला जैसे ही कुछ बोलने जाती है, गोलू कम्मो की बूर में अपने लंड से एक जोरदार ठाप लगा देता है. मस्ती में कम्मो अपनी टाँगे गोलू की कमर में लपेट देती है. बस फिर क्या था, गोलू कम्मो की बूर में इतने जोर-जोर से ठाप मारने लगता है की मचान दायें-बाएं हिलने लगती है. उर्मिला और सोनू एक दुसरे को पकड कर सहारा देते है. उर्मिला समझ जाती है की अगर अभी गोलू को रोका नहीं गया तो वो कम्मो की चुदाई के चक्कर में मचान ही तोड़ देगा. उर्मिला चिल्लाकर कहती है.

उर्मिला: धीरे गोलू...!! मचान टूट जायेगा.....!!

उर्मिला की आवाज़ हवस से भरे गोलू के कानों तक नहीं पहुँच पाती है. वो पुरी मस्ती में कामो की चुदाई कर रहा था. उर्मिला उसे फिर से आवाज़ देती है पर गोलू फिर भी नहीं सुनता है. उर्मिला उठकर गोलू के पास जाती है और उसका कन्धा पकड़ कर उसे कम्मो से अलग करने की कोशिश करने लगती है.

उर्मिला: अपनी बहन की चुदाई में बावरा हो गया है क्या? चल उठ...!!
गोलू: मत रोकिये भाभी. आज दीदी की जवानी अच्छे से लूट लेने दीजिये मुझे.

और गोलू फिर से कम्मो को पकड़ के जोरदार चुदाई करने लगता है. उर्मिला समझ जाती है की आज ये नहीं रुकेगा. पर वो ये भी समझ चुकी थी की अगर मचान पर गोलू इसी तरह कम्मो की चुदाई करता रहा तो मचान जरूर तोड़ देगा. उर्मिला फिर से गोलू को कम्मो से अलग करते हुए कहती है.

उर्मिला: गोलू मेरी बात सुन...मचान पर ऐसे कम्मो की चुदाई करेगा तो मचान टूट जाएगा. कम्मो को निचे लेजा, झोपड़े में. वहाँ जा कर इसकी अच्छे से चुदाई कर, कोई नहीं रोकेगा तुझे....

उर्मिला की बात को समझते हुए गोलू अपने हाथो के सहारे खड़ा होने लगता है और अपना मोटा लंड कम्मो की बूर से बाहर निकालने लगता है. गोलू का गधे जैसा लंड कम्मो की बूर से 'पॉप' की आवाज़ के साथ बाहर निकल आता है. निचे कम्मो अब भी अपनी आँखे बंद किये लेती हुई थी. अपनी मस्ती में खोई कम्मो को ये भी होश नहीं था की उर्मिला भी वहाँ आ चुकी है. अपनी आँखे बंद किये कम्मो तड़पती हुई बोल पड़ती है.

कम्मो: क्यूँ निकाल लिया गोलू? ब..बहूत मजा आ रहा था. सीईईई.....!! फिर से डाल दे ना गोलू....पूरा डाल दे ना....आह....!! सीईईईइ.....उई माँ......!!

कम्मो को आँखे बंद किये गोलू के लंड के लिए ऐसे तड़पते देख एक पल के लिए तो उर्मिला भी चकित हो जाती है. "हे भगवान...!! ये लड़की तो एक ही बार में भाई के लंड के लिए पागल हो गई है", उर्मिला मन ही मन सोचती है. फिर संभलकर हाथों से कम्मो को हिलाते हुए कहती है.

उर्मिला: कम्मो...!! होश में आ कम्मो...!!
उर्मिला के इस तरह से कम्मो के शरीर को हिलाने पर पर कम्मो को होश आता है और वो आँखे खोल देती है. उर्मिला को अपने पास पा कर वो चौंक जाती है.

कम्मो: क...क्या हुआ भाभी...?? कोई आ गया क्या?
उर्मिला: नहीं रे पागल....कोई नहीं आया. तू गोलू के साथ निचे वाले झोपड़े में चले जा और वहाँ जा कर मजे ले.

कम्मो: (आशचर्य के साथ) पर क्यूँ भाभी...?
उर्मिला: तुझे तो कुछ होश भी नहीं था. तेरा ये भाई चुदाई के चक्कर में अभी मचान ही तोड़ देता.

कम्मो जैसे ही कुछ बोलने के लिए मुहँ खोलती है, उर्मिला उसे चुप करा देती है.
उर्मिला: कोई सवाल नहीं कम्मो.....चुपचाप गोलू के साथ निचे जा...गोलू, ले जा अपनी दीदी को....

गोलू धीरे से सीढ़ी से मचान के निचे उतरने लगता है. कम्मो भी बड़ी-बड़ी आँखों से उर्मिला को देखते हुए अपने कपडे उठाने लगती है.

उर्मिला: अरे मेरी माँ..... अब ये कपडे क्यूँ ले कर जा रही है? कपडे पहन कर चुदवाएगी क्या? रहने दे इसे येही....

कम्मो कपडे वहीँ छोड़ कर सीढ़ी से निचे उतरने लगती है. कम्मो धीरे-धीरे सीढ़ी से उतर रही थी और निचे गोलू भी उतर रहा था. गोलू ऊपर देखता है तो उसे कम्मो की भारी चूतड़ों और बालों के बीच फैली हुई कम्मो की रसदार बूर दिखाई पड़ती है. गोलू के मुहँ में पानी आ जाता है. वो अपना मुहँ खोले और जीभ निकाले वहीँ रुक जाता है. कम्मो जैसे ही अपना एक पांव निचे वाली लकड़ी पर रखती है, उसकी चूतड़ों से झांकती खुली बूर सीधे गोलू के मुहँ पर जा लगती है. बूर के मुहँ से छुते ही गोलू अपना चेहरा कम्मो की चूतड़ों के बीच घुसा देता है और जीभ घुमा-घुमा के कम्मो की बूर का रस पीने लगता है. अपनी बूर पर गोलू की जीभ को महसूस करते ही कम्मो भी मस्ती में आ जाती है और अपनी चूतड़ों को गोल-गोल घुमाते हुए मजा लेने लगती है. गोलू जीभ घुमाते हुए कम्मो की बूर के दाने को जोर से चूस लेता है तो कम्मो की "अह्ह्ह्हह...!!" निकल जाती है. कम्मो की आवाज़ सुनकर उर्मिला झाँक कर देखती है तो गोलू अपना मुहँ कम्मो की चूतड़ों में घुसाए खड़ा है और ऊपर कम्मो आँखे बंद किये चुतड घुमा रही है.

"हे भगवान....ये दोनों भाई-बहन तो पागल हे हो गए है", उर्मिला सोचती है.

उर्मिला: अरे ओ चुदक्कडो, थोडा तो सब्र करो. झोपड़े में जाने तक भी नहीं रुक सकते क्या तुम दोनों?

उर्मिला की आवाज़ सुनकर कम्मो सहम जाती है और घबराते हुए कहती है.

कम्मो: भाभी मैं तो निचे ही उतर रही थी. ये गोलू ही निचे से मेरी बूर चूसने लगा.....

उर्मिला गोलू की तरफ देखती है और हाथ जोड़ कर कहती है.

उर्मिला: गोलू महाराज....थोड़ी कृपा कीजिये. अपनी दीदी को झोपड़े में ले जाइए और फिर अराम से जो करना है करीये......

गोलू: (घबराते हुए) जी...जी भाभी....जा रहे है हम लोग....

दोनों मचान से निचे उतारते है. कम्मो नंगे बदन अपनी चौड़ी चूतड़ों को हिलाते हुए आगे चलने लगती है. पीछे गोलू जब अपनी दीदी की हिलती हुई चूतड़ों को देखता है तो एक बार फिर अपने होश खो बैठता है. वो दौड़कर कम्मो के पीछे जाता है और दोनों हाथों को कम्मो के सीने पर रख के उसके मोटे दूध मसलने लगता है और अपना मोटा लंड चूतड़ों के बीच घुसा देता है. कम्मो भी मस्ती में आँखे बंद किये अपनी चुतड पीछे कर देती है. गोलू कम्मो के दूध मसलता हुआ अपनी कमर का धक्का उसकी चूतड़ों के बीच देता है और कम्मो धक्के से एक कदम आगे बढ़ जाती है. इसी तरह गोलू अपनी कमर को कम्मो की चूतड़ों के बीच धक्के देता हुआ उसे झोपड़े की और ले जाने लगता है. उर्मिला ये नज़ारा देखती है और अपना सर पकड़ लेती है. "हे भगवान....हमेशा झगड़ने वाले ये दोनों भाई-बहन पूरे चुदक्कड हो गए है. थोडा भी सब्र नहीं है".

दोनों के झोपड़े में जाते ही कम्मो पीछे घुमती है तो सोनू अपने मोटे लंड को हाथ में लिए बैठा है. उर्मिला सोनू के लंड को देखती है जो पूरी तरह से फूल चूका था. मुस्कुराते हुए उर्मिला कहती है.

उर्मिला: क्या हुआ मेरे प्यारे देवर को? पायल दीदी की याद आ रही है क्या?

उर्मिला के मुहँ से पायल का नाम सुनते ही सोनू अपने लंड को मसल देता है.

सोनू: हाँ भाभी....! पायल दीदी की बहुत याद आ रही है.....

उर्मिला: उफ़...!! देखो तो कैसे अपनी दीदी की याद में गधे जैसा लंड खड़ा किये बैठा है ये भाई. बता तो जरा सोनू, पायल की बूर में कितना लंड घुसायेगा?

सोनू एक हाथ की उँगलियों का छल्ला बनाकर लंड को पकड़ता है और उँगलियों को फिसलाता हुआ लंड के जड़ तक ले जाता है. फिर अपनी कमर थोडा उठा के खड़ा लंड दिखाते हुए कहता है, "इतना भाभी...!!"

उर्मिला: बापरे...अपना लंड पायल की बूर में जड़ तक घुसा देगा....उफ़...!!

उर्मिला अपने बड़े-बड़े दूध को एक हाथ से दबाते हुए सोनू के पास आ कर बैठ जाती है. वो लंड को ध्यान से देखती है तो लंड से हल्का-हल्का पानी रिस रहा है.

उर्मिला: हाय रे सोनू... अपनी दीदी की याद में तो तेरा लंड आंसू बहा रहा है. रुक, मैं अभी इसके आंसू पोंछ देती है.

ये कहकर उर्मिला अपना मुहँ खोलती है और निचे झुक कर सोनू का पूरा लंड एक ही बार में निगल लेती है. उर्मिला के लंड निगलते ही सोनू आँखे बंद किये करहा उठता है, "आह्ह्हह्ह......भाभी....!! उफ्फ..!! पायल दीदी.....आ जाओ ने एक बार.....आह्ह्हह्ह्ह्ह.....!!". उर्मिला जोर से सोनू का लंड चुस्ती है और फिर सर उठाकर कहती है.

उर्मिला: पटक पटक के चोदेगा ना अपनी दीदी को? (पुछकार फिर से लंड चूसने लग जाती है)
सोनू: (उर्मिला के मुहँ में लंड पेलता हुआ) हाँ भाभी....पायल दीदी को पटक-पटक के चोदुंगा.....
उर्मिला: (सर उठाकर) अपनी दीदी को चोदकर बहनचोद बन जायेगा? (पुछकार फिर से लंड चूसने लग जाती है)
सोनू: (इस बार जोर से लंड उर्मिला के मुहँ में ठूंसते हुए) ह...हाँ भाभी....दीदी को चोदकर बहनचोद बन जाऊंगा....

ये सुनकर उर्मिला जोश में आ जाती है. वो झट से अपनी साड़ी कमर तक उठा के लेट जाती है और अपनी टाँगे खोल के बालोवाली खुली हुई बूर दिखाते हुए कहती है.

उर्मिला: आ जा सोनू.... लंड ठूंस दे अपनी पायल दीदी की बूर में.

सोनू उर्मिला की बूर को ध्यान से देखता है. उसकी आँखों के सामने पायल की बूर नज़र आने लगती है. सोनू का लंड एक हुंकार मारता है और वो उर्मिला पर छलांग लगा देता है. सोनू का लंड सीधे उर्मिला की खुली हुई गीली बूर में अन्दर तक घुस जाता है और ऊपर सोनू उसके बड़े-बड़े दूध को पीने लगता है. उर्मिला भी अपनी टाँगे सोनू की कमर के इर्द-गिर्द लपेट लेती है. सोनू पायल को याद करता हुआ, उर्मिला के दूध पीता हुआ, अपने मोटे लंड को उर्मिला की बूर में ठूंसने लगता है.

सोनू: आह्ह्ह...!! पायल दीदी....मेरी प्यारी दीदी.....अपने भाई को बूर देदे दीदी...!!

सोनू के पागलपन का पूरा फ़ायदा उर्मिला उठाने लगती है. अपनी दीदी के लिए उसका ये जूनून उर्मिला के लिए किसी वरदान से कम नहीं था. सोनू उर्मिला की बूर को पायल की बूर समझ कर पेले जा रहा था और उर्मिला आँखे बंद किये पायल को मन ही मन दुआएँ दे रही थी.

उधर झोपड़े में गोलू कम्मो को अपने भारी शरीर के निचे दबाये अपना मोटा लंड उसकी बूर में झटके देते हुए पेल रहा था. कम्मो पूरी मदहोश हो चुकी थी.

गोलू: आह....!! कम्मो दीदी....म..मैं आपकी रोज चुदाई करूँगा....आह्ह्ह....!! अपनी प्यारी दीदी की बूर में रोज लंड पेलूँगा.....
कम्मो: ह..हाँ गोलू....अब मैं भी कभी भुट्टा अपनी बूर में नहीं लुंगी. बस तेरा मोटा लंड ही मेरी बूर में जायेगा....आह.....!!

करहाते हुए कम्मो अपने हाथों को सर के पीछे कर लेती है. उसकी हलके बालोवाली दोनों पसीने से भरी बगले गोलू की आँखों के सामने खुल जाती है. अपनी दीदी के बगल की पसीने की महक आग में घी का काम करती है और गोलू अपना मुहँ कम्मो की बगल में घुसा देता है.

गोलू: आह....!! दीदी....(जोर से सांस लेते हुए) हुम्म्म्मम्म्म्म.....!!! आह्ह्हह्ह्ह्ह.....!!

कम्मो के बगल की महक लेते ही गोलू के कमर की रफ़्तार और भी ज्यादा बढ़ जाती है. उसका लंड कम्मो की बूर के अन्दर-बाहर जोर-जोर से होने लगता है. कामो जोश में अपनी टाँगे गोलू की कमर में बाँध लेती है और हाथों को उसके गले में. गोलू भी कम्मो की जाँघों को दोनों हाथो से मजबूती से पकड़ लेता है और एक ही झटके में कम्मो का शरीर गोलू के शरीर से चिपका हुआ हवा में उठ जाता है. अब गोलू खड़ा है और कम्मो अपनी टाँगे और हाथो को गोलू के शरीर से लपेटे हुए है. गोलू का लंड कम्मो की बूर में घुसा हुआ है और गोलू के हाथ पीछे से कम्मो की मोटी जाँघों को पकडे हुए है. गोलू जैसे ही अपने लंड को कम्मो की बूर में झटका देता है, कम्मो उच्छल के फिर से गोलू के लंड पर आ बैठती है. गोलू अपने लंड को उठा-उठा के कम्मो की बूर में देने लगता है और कम्मो गोलू के शरीर से लिपटे हुए उच्छल-उच्छल कर लंड लेने लगती है. ये आसन गोलू कई बार सरपंच के तालाब के पास छुप कर अपने दोस्तों के साथ गन्दी किताबों में देख चूका था. उसी ज्ञान का इस्तेमाल गोलू आज अपनी दीदी की चुदाई में कर रहा था. कम्मो, जिसके के लिए ये सब कुछ नया था, उसे बड़ा ही आनंद दे रहा था. गोलू, जो उसका अपना सगा छोटा भाई था, उससे चुदने में उसे अलग ही मजा आ रहा था. इस रिश्ते में इतनी गन्दगी भी हो सकती ही ये कम्मो ने कभी सोचा भी नहीं था. उसके लिए तो हमेशा से ही ये एक पाप से कम नहीं था. पर आज जब गोलू उसकी बूर में अपना मोटा लंड पेल रहा था तो कम्मो को पता चला की भाई-बहन के बीच का पापी रिश्ता इतना आनंदपूर्ण और उत्साहपूर्ण भी हो सकता है. आक की रात कम्मो गोलू से अलग नहीं होना चाहती थी. वो गोलू को मजबूती से पकडे उसके लंड पर उच्छले जा रही थी.

यहाँ उर्मिला, सोनू, गोलू और कम्मो के बीच चुदाई समारोह चल रहा था और वहाँ दूर, रामपुर, पायल के कमरे में, अलग ही तूफ़ान आया हुआ था. ज़मीन पर शीलाजीत की ३-४ खाली शीशियाँ, माल-डी की गोलियों की पत्ती और पायल की भीगी हुई पैन्टी पड़ी हुई थी. बिस्तर पर पसीने से लथपथ पायल तेज़ साँसे ले रही थी और रमेश जो पसीने से भीगे हुए थे, पायल पर चढ़कर अपना लम्बा और मोटा लंड उसकी बूर में पेले जा रहे थे.

पायल: आह्ह्ह...!! पापाssss....!! और कितना चोदीयेगा मुझे?
रमेश: तेरी जवानी में बड़ी आग है पायल. आज तेरी सारी गर्मी निकाल दूंगा....आह्ह्ह्ह....!!
पायल: ६ घंटे हो गए पापा मेरी चुदाई करते हुए....आह्ह्ह...!! शीलाजीत की ४ शीशियाँ आप खाली कर चुके हो......५ बार आप मेरी बूर में पानी गिरा चुके हो....अब तो रुक जाईये.....!
रमेश: शाम को तो रुक ही गया था ना बेटी. तुझे अपने बड़े-बड़े दूध उठा के किसने कहा था मेरे सामने आने? और फिर मेरे सामने अपनी बालोवाली बूर खोल के क्यूँ बैठ गई थी तू? बोल...?
पायल: बूर में बहुत खुजली हो रही थी पापा....इसलिए आपके सामने चली आई.....
रमेश: अब पापा तेरी बूर की खुजली मिटा रहे है तो क्यूँ चिल्ला रही है?

ये कहकर रमेश अपनी कमर जोर-जोर से पायल की जाँघों के बीच पटकने लगते है. पायल भी मस्ती में अपने हाथ रमेश के गले में डाल देती है और निचे से अपनी कमर उठा-उठा के पापा का लंड बूर में लेने लगती है. पायल की चुदाई करते हुए रमेश अपना चेहरा पायल के पास ले जा कर जीभ निकाल देते है तो पायल भी अपना सर उठा के उनकी जीभ मुहँ में भर के चूसने लगती है. कुछ देर बेटी से जीभ चुस्वाने के बाद रमेश उठकर बैठ जाते है और अपने हाथों को पायल की कमर के निचे ले जा कर उठा देते है. पायल की कमर ऊपर उठ जाती है और उसकी गीली, फैली हुई बालोवाली बूर रमेश के ठीक आँखों के सामने आ जाती है. सर आगे बढ़ाके रमेश पायल की बूर चाट लेते है और फिर अपनी लम्बी जीभ अन्दर घुसा के घुमाने लगते है. बिस्तर पर लेटी पायल पापा की इस हरकत से तड़प उठती है.

पायल: आह्ह्ह्ह....!! पापाssss.....!! मत चूसिये ना ऐसे मेरी बूर को.....मैं मर जाउंगी पापा....आह्ह्हह्ह....!!
रमेश: दिन भर तेरी बूर चुदी है पायल बेटी. तेरी फैली हुई बूर से रस पीने में बड़ा मजा आ रहा है.....उम्म्मम्म्म्म......!!

पायल की बूर का अच्छे से रसपान करने के बाद रमेश एक बार फिर अपने लंड को पायल की बूर में अन्दर तक ठूंस देते है और उसे अपने आलिंगन में ले कर चुदाई शुरू कर देते है. ६ घंटे लगातार चुदने के बाद भी पायल की गर्मी शांत नहीं हुई थी. अपने पापा से चुदाई में वो पूरा साथ देने लगती है. रमेश भी पूरे जोश में पायल की बूर चुदाई करने लगते है.

रमेश: आह्ह्हह्ह...पायल बेटी...पापा झड़ने वाले हैं बेटी....आह्ह्हह्ह्ह्ह.....!!
पापा की बात सुनते ही पायल अपनी टांगो का घेरा रमेश की कमर पर मजबूत कर लेती है और पैरो से पापा की कमर को अपनी तरफ दबा देती है. रमेश भी अब जोर-जोर से झटके देने लगते है. १५-२० जोरदार झटको के बाद रमेश के लंड से पानी निकलकर पायल की बच्चेदानी में गिरने लगता है. अपने पापा को पैरो से पकडे हुए पायल अपनी बूर को कास देती है तो रमेश का लंड झटके लेता हुआ अपना बचा हुआ पानी भी अन्दर गिरा देता है. कुछ देर रमेश वैसे ही पायल के ऊपर पड़े रहते है और फिर धीरे से अपना लंड उसकी बूर से निकाल लेते है. पायल भी आँखे बंद किये बिस्तर पर कुछ देर वैसे ही पड़ी रहती है. रमेश की नज़र पायल की बूर पर पड़ती है. पायल की बूर के ओंठ पूरे फैलकर जुदा हो चुके थे. बूर के अन्दर के लाल भाग में एक बड़ा सा छेद बंद चूका था जो एक घमासान चुदाई की गाथा सुना रहा था. बूर से गाड़ा सफ़ेद पानी धीरे-धीरे बह रहा था.

रमेश एक बार पायल के चेहरे को देखते है और फिर उसकी फैली हुई बूर को. रमेश को अपनी कही बात याद आती है जो उन्होंने पायल की चुदाई के पहले कही थी, "बेटी, आज तेरी इतनी बूर चुदाई करूँगा की तेरे बूर के ओंठ फ़ैल जायेंगे और आपस में चिपक ही नहीं पायेंगे". इस बात को याद करते ही रमेश के चेहरे पर एक मुस्कराहट आ जाती है.

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
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अपडेट ३७ :

यहाँ रामपुर में तूफ़ान शांत हुआ था तो वहाँ खेत के झोपड़े में भूचाल आया हुआ था. गोलू कम्मो पर पूरी तरह से चढ़ा हुआ था और अपना मोटा लंड उसकी बूर में पेले जा रहा था. भुट्टे से भी मजेदार चीज़ मर्द का लंड होता है ये बात कम्मो की अब समझ में आ गई थी. अब वो भी पूरी तरह गोलू से चुदवाने का मजा लेने लगी थी.

कम्मो: आह्ह्ह्ह....! गोलू....! बहुत मजा आ रहा है...और जोर से गोलू...और जोर से....!!
गोलू: हाँ दीदी...!! आपकी बूर बहुत गर्म है. देखिये मेरा लंड कैसे सटा-सट जा रहा है.
कम्मो: हाँ गोलू, इतनी तेज़ी से तो मैं भुट्टा भी अन्दर-बाहर नहीं कर पाती हूँ...

तभी गोलू ने अपनी कमर उठा के कम्मो की जाँघों के बीच एक जोरदार ठाप मार दी. गोलू का लंड कम्मो की बूर से होता हुआ बच्चेदानी तक अन्दर घुस गया. कम्मो कसमसा उठी.

कम्मो: हाय री मैय्याsssss...!! ये क्या कर रहा है गोलू....? आह्ह्हह्ह्ह्ह......! मार डालेगा क्या?
गोलू: मुझे माफ़ कर दो दीदी. आज मैं अपने आप को रोक नहीं पाउँगा....! अपनी दीदी की बूर का प्यासा हूँ मैं....बहुत प्यासा...!!

गोलू कम्मो की चींखे अनसुनी करता हुआ उसे पटक-पटक कर चोदने लगता है. जैसे-जैसे गोलू का लंड कम्मो की बूर की गहराई में जाने लगता है, कम्मो को और भी मजा आने लगता है.

कम्मो: आह्ह्हह्हssss...गोलू...!! बहुत मजा आ रहा है. मैं तुझसे ही शादी करुँगी गोलू....!!

कम्मो की ये बात सुन कर गोलू पूरे जोश में आ जाता है. जब कोई बहन अपने ही सगे भाई से शादी की बात करे तो भाई के बदन की सारी गर्मी उसके लंड में उतर जाती है. गोलू का भी यही हाल हुआ था. कम्मो की इस बात में गोलू को जोश और आनंद दोनों की प्राप्ति हो रही थी. वो कम्मो की चुदाई करते हुए उसके कान में कहता है.

गोलू: दीदी...आप मुझसे शादी करोगी ?
कम्मो: हाँ गोलू....आह...! मैं तुझसे शादी करुँगी....

कम्मो की बात सुनकर गोलू जोश में १०-१५ ठाप लगा देता है. झोपड़े में जोर-जोर से 'ठप्प-ठप्प' की आवाज़ें गूंजने लगती है. फिर गोलू रुकता है और धीरे से कम्मो से कहता है.
गोलू: आप अपने सगे भाई से शादी करोगी दीदी?
कम्मो: हाँ गोलू....मैं अपने छोटे सगे भाई से शादी करुँगी....

गोलू के कानो में कम्मो के ये शब्द पड़ते ही गोलू के मुहँ से 'ओह मेरी प्यारी दीदी' निकल जाता है और वो कम्मो को कस के दबोच लेता है. गोलू की कमर किसी राजधानी की तरह गति से कम्मो की जांघो के बीच ऊपर-निचे होने लगती है. कुछ ही क्षण में २०-२५ ठाप लगाने के बाद गोलू फिर से रुक जाता है और कहता है.

गोलू: दीदी....आप मुझसे शादी करोगी तो सुहागरात भी मनाना पड़ेगा ना...?
कम्मो: हाँ गोलू.....हम दोनों हर रात सुहागरात मनाएंगे....

कम्मो की बातें गोलू को पागल किये जा रही थी. गोलू पूरे जोश में अपना मोटा लंड कम्मो की बूर में उठा-उठा के पेलने लगा था. जैसे ही लंड बूर में धंसता, बूर से पानी के छींटे 'फ़च्छ' की आवाज़ करते हुए हवा में उड़ जाते. अब गोलू कम्मो से वो सवाल करता है जिसे सोचकर खुद एक बार उसका दिल भी धडकना बंद कर दे.

गोलू: दीदी....आप मेरे साथ सुहागरात मनाओगे और एक दिन आप मेरे बच्चे की माँ बन गई तो?
कम्मो: लड़की जिसके साथ सुहागरात मनाती है उसके बच्चे के ही तो माँ बनती हैं ना गोलू?
गोलू: तो आप मेरे बच्चे की माँ बनोगी ना दीदी?
कम्मो: हाँ गोलू...मैं तेरे बच्चे की माँ बनूँगी....

अब तो गोलू पूरी तरह से पागल हो जाता है. कम्मो को पाहालों की तरह चूमने, चाटने लगता है. कभी उसके रसीले ओंठों को चूस लेता है तो कभी उसके बड़े-बड़े दूधों के निप्पल को. निचे अपने मोटे लंड से कम्मो की बूर पर जोरदार प्रहार करते हुए गोलू बोल पड़ता है.

गोलू: आपके साथ दिन-रात सुहागरात मनाऊँगा दीदी. जब भी मौका मिलेगा आपको पटक कर चुदाई कर दूंगा. आपको अपने बच्चे की माँ बना दूंगा दीदी....ओह्ह्ह्ह....!! मेरी प्यारी कम्मो दीदीsssss....!!

गोलू अपने आप को अब रोक नहीं पाता है. अपनी ही सगी बहन को माँ बनाने का सोचते ही गोलू का लंड एकदम सक्त हो जाता है और एक झटके के साथ ही अपना पानी कम्मो की बूर में खाली करने लगता है. कम्मो भी अपनी टाँगे गोलू की कमर में फ़साये गोलू के लंड का पानी अपनी बूर में गिरता महसूस करती है. गोलू का लंड कम्मो की बूर में पूरा धंसा हुआ हलके झटके खाता हुआ सफ़ेद गाढ़े पानी की एक-एक बूँद अन्दर गिरा देता है. पसीने से लथपथ दोनों भाई-बहन एक दुसरे से लिपटे हुए आँखे बंद किये पड़े रहते है. वहीँ ऊपर मचान पर भी सोनू का लंड उर्मिला की बूर में अपना सारा रूस उढ़ेल चूका था. थक कर चूर हुआ सोनू का बदन उर्मिला पर गिर जाता है. उर्मिला भी उसे अपनी आगोश में लिए आँखे बंद कर लेती है. भूचाल आ कर जा चूका था और धीरे-धीरे रात और गहरी होती जा रही थी.

सुबह ४ बजते ही उर्मिला की आँखे अचानक खुल जाती है. आँखे खुलते ही उसकी नज़र सोनू पर पड़ती है जो उसके ऊपर पड़ा खर्राटे मार रहा था. उर्मिला उसे देखकर मुस्कुरा देती है और धीरे से उसे एक तरफ पलटा देती है. सोनू का लंड फिसलता हुआ उर्मिला की बूर से निकल जाता है. उर्मिला उसके आधे खड़े लंड को देखकर हँस देती है. 'अच्छा...!! तो अपनी भाभी की बूर की गर्मी से रात भर महाशय का लंड जागता रहा है', उर्मिला मन में सोचती है.

उर्मिला: सोनू....सोनू....चल उठ जा. ४ बज गए है. सबके उठने के पहले हमे घर भी पहुँचना है.
अपनी आँखे मलता हुआ सोनू उठता है.
सोनू: रात में अच्छी नींद आयी भाभी..
उर्मिला: भाभी की जम के चुदाई करेगा तो नींद तो अच्छी आएगी ही ना. अब जल्दी से कपडे पहन और चलने के लिए तैयार हो जा. मैं गोलू और कम्मो को जगा कर आती हूँ.

उर्मिला अपनी साड़ी ठीक करके मचान से निचे उतरती है. धीरे-धीरे वो झोपड़े की तरफ बढ़ने लगती है. तभी उसे झोपड़े से कुछ आवाज़े सुनाई देती है. उसका दिल जोरो से धडकने लगता है. पास पहुँचकर वो धीरे से अन्दर झाँक कर देखती है तो उसकी आँखे फटी की फटी रह जाती है. अन्दर गोलू और कम्मो पसीने से भरे हुए थे. कामो अपनी टाँगे खोले खाट पर लेटी हुई थी और गोलू उस पर चढ़ा हुआ था. गोलू का मोटा लंड कम्मो की बूर में 'फ़च्छ-फ़च्छ' की आवाज़ करता हुआ जोरो से अंदर-बाहर हो रहा था. कम्मो गोलू को बाहों में भरे अपनी कमर उठा-उठा के गोलू से चुदवा रही थी. उर्मिला ये नज़ारा देख कर कुछ क्षण के लिए सन्न रह जाती है. फिर धीरे से अन्दर पहुँचकर वो काँपते हुए स्वर में कहती है.

उर्मिला: क...क...कम्मो...! तुम लोग सो कर कब उठ गए...?

कम्मो उर्मिला की तरफ देख कर अपने ओंठ काटते हुए कहती है.

कम्मो: भ...भाभी...आह्ह..!! गोलू ने रातभर सोने ही कहाँ दिया....
उर्मिला: मतलब तुम दोनों रातभर....ये चू....चुदाई करते रहे....
कम्मो: हाँ भाभी.....रात से गोलू मेरी चुदाई ही कर रहा है.

ये सुनकर उर्मिला का सर चकरा जाता है. सुबह हो चुकी थी और अब भी दोनों की चुदाई खत्म नहीं हुई थी. उर्मिला डर जाती है. वो एक हाथ से गोलू को कम्मो से अलग करने की कोशिश करती है.

उर्मिला: गोलू...गोलू हट कम्मो के ऊपर से. पागल हो गया है क्या? सुबह हो गई है और किसी ने हमे खेत में देख लिया तो गड़बड़ हो जायेगी.....

गोलू कम्मो की चुदाई में खोया हुआ था. उर्मिला की बात को अनसुना कर देता है. तभी कम्मो बोल पड़ती ही.

कम्मो: रुक जाईये ना भाभी....इसे कर लेने दीजिये. हम दोनों ने रात में ही तय कर लिया है.
उर्मिला: (बड़ी-बड़ी आँखे करते हुए) क..क्या तय कर लिया है?
कम्मो: यही की भाभी गोलू दिन-रात मेरी चुदाई करके अपने बच्चे की माँ बना देगा और फिर बाद में हम दोनों शादी कर लेंगे.

कम्मो की बात सुनकर उर्मिला अपने सर पर हाथ रखे निचे बैठ जाती है. 'हे भगवान...!! गोलू तो पहले से ही बहनचोद था और अब कम्मो भी भाई का लंड बूर में डलवा के पागल हो गई है', उर्मिला सोचती है. फिर वो झट से खड़ी हो कर गोलू की पीठ पर एक जोरदार चपत लगाते हुए कहती है.

उर्मिला: उठ जा बहनचोद....!! और कितना चोदेगा अपनी दीदी को? रातभर चुदाई करने के बाद भी तेरा दिल नहीं भरा? आज ही अपनी बहन के पेट में बच्चा दे देगा क्या?

उर्मिला के मारने से गोलू को होश आता है. वो हांफते हुए उर्मिला की ओर देखते हुए कहता है.

गोलू: बस भाभी ५ मिनट और. मैं बस झड़ने ही वाला हूँ.
कम्मो: हाँ भाभी....रुक जाइये ना ५ मिनट....!!

उर्मिला गहरी सांस लेते हुए कहती है, "ठीक है...लेकिन सिर्फ ५ मिनट". ये कहकर उर्मिला पसीना पोंछते हुए झोपड़े से बाहर आती है. सोनू भी तब तक मचान से उतर चूका था. उर्मिला को परेशान देखकर वो कहता है.

सोनू: क्या हुआ भाभी? आप परेशान लग रहे हो?
उर्मिला: क्या बताऊँ सोनू.....ये दोनों भाई-बहन तो पागल हो गए है. पता नहीं और क्या-क्या गुल खिलाएंगे. जरा अपने आस-पास ध्यान रख. कोई आ गया तो गड़बड़ हो जायेगी.

उर्मिला और सोनू खेत के आस-पास नज़रे दौडाने लगते है. सुबह की लाली धीरे-धीरे फीकी होने लगती है. कुछ ही देर में गोलू और कम्मो झोपड़े से बाहर निकलते है. दोनों पसीने से भीगे हुए और काफी थके हुए लग रहे थे.

उर्मिला: तुम दोनों ऐसे लग रहे हो जैसे की रातभर खेतो में काम किया हो. अब चुपचाप घर चलो, और हाँ कम्मो, तू अपना मुहँ बिलकुल बंद रखेगी. घर में कुछ भी नहीं बोलेगी...समझी.

कम्मो उर्मिला को देखकर सर हिला देती है. उर्मिला गोलू का कान पकड़ते हुए कहती है.

उर्मिला: और गोलू तू... एक नंबर का बदमाश है. क्या समझता है अपने आप को? इतना बड़ा बहनचोद हो गया है की अपनी दीदी को माँ बनाएगा? बोल.....?
गोलू: आह भाभी....!! मुझे माफ़ कर दीजिये....
उर्मिला: (मुस्कुराते हुए) बदमाश कहीं का. मैं तुझे कम्मो की चुदाई करने के लिए मनानहीं कर रही हूँ पर हर चीज़ का एक समय होता है. अभी कम्मो को माँ बनाने का सोचना भी मत, समझा??
गोलू: हाँ भाभी...समझ गया.

उर्मिला: चलो अब सब घर. और घर में ऐसा बर्ताव करना है की खेत में हम सब अराम से सो कर आ रहे है. कोई ज्यादा बात नहीं करेगा.
उर्मिला की बात पर सभी सर हिला देते है. चारों धीरे-धीरे बातें करते हुए घर की ओर चल देते है. रास्ते में चलते हुए सोनू गोलू की ओर देखकर मुस्कुरा देता है. गोलू भी मुसकुरात देता है. सोनू अपने हाथ की दो ऊँगली, तर्जनी और मध्यमा (index & middle) को मिला देता है और फिर उन्हें बीच से थोडा खोलकर बूर जैसा आकार बनाकर गोलू को दिखाते हुए कम्मो की तरफ इशारा करता है. गोलू भी मुस्कुराते हुए अपने हाथ की ऊँगली, तर्जनी और मध्यमा (index & middle) को मिला देता है और फिर उन्हें बीच से थोडा खोलकर बूर जैसा आकार बनाकर दुसरे हाथ की ऊँगली को बीच में घुसा देता है. गोलू अपनी ऊँगली को अन्दर-बाहर करता है और फिर तर्जनी और मध्यमा के बीच की बूर के आकर की जगह को बड़ा कर देता है. सोनू गोलू का इशारा समझ जाता है की रात में गोलू ने कम्मो की बूर पूरी फैला दी है.

उर्मिला और कम्मो बातें करते हुए आगे चल रहे थे. पीछे सोनू और गोलू उर्मिला और कम्मो की रात की चुदाई की बातें करते हुए, दोनों की बड़ी चूतड़ों को घूरते हुए घर की तरफ चल देते हैं.

[अपडेट का अगला भाग (३७.५)जल्द ही. जिसके बाद रक्षाबंधन वाला अपडेट आएगा ]

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
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अपडेट ३७.५:

सुबह के ९ बज रहे थे. सभी घर के आँगन में बैठकर नाश्ता कर रहे थे. आज मोहन के पैर का प्लास्टर खुलने वाला था इसलिए उन्हें जल्दी घर से भी निकलना था. उमा, बिमला और उर्मिला बातें कर रहे थे.

बिमला: और उर्मिला.... कल खेत में नींद तो अच्छी आई थी ना?

उर्मिला: हाँ मामी जी...अच्छी नींद आई. और फिर बच्चे भी साथ थे तो बाते करते पता ही नहीं चला की कब रात हुई और कब सुबह.

बिमला: (हँसते हुए) हाँ वो तो है. खेतों की ठंडी हवा में सोने का मजा ही कुछ और है.


वहीँ पास बैठी कम्मो की नज़रे गोलू पर ही टिकी हुई थी. गोलू भी नाश्ता करते हुए कम्मो के बदन को घूरे जा रहा था. पास बैठा सोनू भी गोलू और कम्मो की नैन-मिचोली का मजा ले रहा था. कम्मो की चोली में कैद बड़े-बड़े दूध देखकर गोलू ने अपने हाथ के पंजे से दबाने का इशारा किया तो कम्मो ने भी अपनी जीभ दिखाकर गोलू को चिड़ा दिया. गोलू एक बार अपनी नज़रे मोहन, उमा, बिमला और उर्मिला की और करता है जो बातें करने में वैस्थ थे, फिर कम्मो की ओर देखकर धीरे से धोती उठा के अपना मोटा लंड दिखा देता है. इस पर कम्मो पहले तो मुस्कुरा देती है और फिर से एक बार अपनी जीभ दिखा देती है. गोलू धोती निचे करके आँखों के इशारे से कम्मो को अपना लहंगा उठाने कहता है तो कम्मो नखरे दिखाते हुए मुहँ बना देती है. गोलू सब से नज़रे बचाकर इस बार हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हुए कामो से इशारों में लहंगा उठाने कहता है. कामो दोनों पैरो को मोड़े हुए बैठी थी. गोलू की मिन्नत करने पर वो एक बार सबकी तरफ देखती है और फिर धीरे अपना एक पैर उठा के घुटना मोड़े हुए आगे रख देती है. फिर वो धीरे से अपना लहंगे एक तरफ कर देती है. गोलू और सोनू थोडा निचे झुक कर कम्मो के मुड़े हुए पैर और लहंगे के बीच देखते है तो उन्हें कम्मो की बालोवाली रसीली बूर के दर्शन हो जाते है जो गोलू से चुदाई के बाद थोड़ी फ़ैल गई थी. कम्मो की बूर देखते ही सोनू और गोलू अपने लंड धोती के ऊपर से मसलने लगते है. कम्मो की बूर को देखते हुए दोनों धीरे से अपनी धोती उठा के कम्मो को अपना-अपना लंड दिखा देते है. जब कम्मो दोनों भाइयों का लंड एक साथ देखती है तो उसकी आँखे बड़ी हो जाती है. अपने ओंठों को काटते हुए कम्मो एक हाथ लहंगे के अन्दर ले जाती है और दो उँगलियों से अपनी बूर खोल देती है. कम्मो की बूर खुलते ही अन्दर का रसदार गुलाबी हिस्सा और बड़ा छेद देखकर गोलू और सोनू के मुहँ में पानी आ जाता है. दोनों अपने ओंठों पर जीभ फेरने लगते है. तभी उर्मिला की नज़र तीनो पर पड़ती है. नज़ारा देखकर उसका गला सुख जाता है. वो झट से बिमला से ऊँची आवाज़ में बोल पड़ती है.

उर्मिला: अरे मामी जी बातें कम करिए और नाश्ता करिए. हमे अस्पताल भी तो जाना है.

उर्मिला की अवाज सुनते ही कम्मो, गोलू और सोनू घबरा जाते है. कम्मो झट से अपना लहंगा निचे कर देती है और गोलू और सोनू भी अपनी धोती ठीक कर लेते है.

बिमला: अरे हाँ उर्मिला. बातों में भूल ही गई थी.

उर्मिला कम्मो, गोलू और सोनू को घुर के देखती है तो तीनो नज़रे झुका के नाश्ता करने लगते है.

९:३० बज चुके थे और सरपंच जी की गाड़ी दरवाज़े पर आ चुकी थी. बिमला और उमा मोहन को सहारा दे कर गाड़ी में बिठाने लगते है. उर्मिला गोलू और सोनू के पास जाती है.

उर्मिला: तुम दोनों मेरी बात ध्यान से सुनो. मैं देख चुकी हूँ की तुम दोनों की बदमाशी. हमारे जाने के बाद खबरदार तुम दोनों ने कम्मो के साथ कोई बदमाशी की तो.

गोलू: नहीं भाभी....ऐसा कुछ नहीं है. वो तो बस....

उर्मिला: (गोलू की बात काटते हुए) बस-वस कुछ नहीं गोलू. मानती हूँ की कम्मो को देखकर तुम दोनों अपने आप पर काबू नहीं कर पा रहे हो लेकिन कुछ उल्टा सीधा काम मत कर देना.

गोलू और सोनू नज़रे झुकाकर, "जी भाभी". फिर उर्मिला कम्मो के पास जाती है.

उर्मिला: मेरी बात ध्यान से सुन कम्मो. जमारे जाने के बाद अगर ये दोनों तेरे पास आये तो इनकी एक बात नहीं सुनना. दोनों के दोनों बदमाश है. समझ गई ना?

कम्मो: (मुस्कुराते हुए) हाँ भाभी....समझ गई.

तभी उमा उर्मिला को आवाज़ देती है तो वो भी गाड़ी में जा कर बैठ जाती है. गाड़ी धीरे-धीरे घर के अंगान से निकल पड़ती है. गाड़ी के जाते ही कम्मो उच्छालती हुई अपने कमरे में जाने लगती है. गोलू और सोनू पीछे से कम्मो को देखते है. उच्छालती हुई जा रही कम्मो की गदराई चुतड देखकर दोनों एक दुसरे की तरफ देखकर मुस्कुरा देते है. कमरे में जा कर कम्मो बिस्तर पर चढ़कर पैरों को मोड़े बैठ जाती है और अपनी छोटी का छोर पकड़कर बाल के छोर को सुलझाने लगती है. कुछ देर बाद गोलू और सोनू कमरे में आते है. दोनों को देखकर कम्मो मुहँ बना कर फिर से अपनी छोटी ठीक करने लगती है. गोलू और सोनू आकर कम्मो के दोनों तरफ बैठ जाते है. गोलू अपना एक हाथ कम्मो की गोरी जांघ पर रख कर सहलाते हुए कहता है.

गोलू: दीदी...! आपसे एक बात पूछूँ ?

कम्मो: हाँ पूछ....!

गोलू: दीदी आप अपनी बूर में मोटे-मोटे भुट्टे डाला करती थी ना?

कम्मो: हाँ गोलू. बहुत मोटे-मोटे भुट्टे डाला करती थी.

गोलू: हाँ दीदी, तभी तो आपकी बूर में मेरा मोटा लंड आसानी से चला गया. वैसे दीदी आप भुट्टे बूर के अलवा और कहाँ-कहाँ डाला करती थी?

कम्मो: (सोचते हुए) उम्म....! बूर के अलावा.... हाँ , मुहँ में और पिछवाड़े में....

कम्मो की बात सुनकर गोलू और सोनू कुछ क्षण के लिए एक दुसरे की तरफ देखने लगते है. फिर सोनू मुस्कुराते हुए कम्मो की तरफ देख कर कहता है.

सोनू: तो दीदी आप भुट्टे को अपने पिछवाड़े में पूरा घुसा देती थी क्या?

कम्मो: हाँ...!! जैसे बूर में दाल देती थी वैसे ही अपने पिछवाड़े में भी पूरा घुसा देती थी.

कम्मो की इस बात पर गोलू और सोनू एक दुसरे को मुस्कुराकर देखते है. दोनों के बीच इशारों में बातें होती है और फिर गोलू कम्मो की जांघ सहलाता हुआ कहता है.

गोलू: दीदी एक बार हमारे साथ अनाज घर चलिए ना....

कम्मो: मैं नहीं आउंगी. भाभी ने साफ़ मन किया है तुम दोनों की कोई भी बात मानने से......

सोनू: सुनिए ना दीदी प्लीज.....एक बार चलिए ना हमारे साथ.

कम्मो: (नखरा दखाते हुए) कहा ना, नहीं आउंगी. भाभी ने मना किया है.

कम्मो का नखरा देखकर गोलू और सोनू दोनों अपने हाथों से कम्मो की जांघें सहलाने लगते है. जांघ सहलाते हुए दोनों अपना हाथ धीरे-धीरे कम्मो के घागरे के अन्दर घुसाने लगते है. कम्मो मुहँ बनाकर अपनी चोटी ही ठीक करती रहती है. धीरे-धीरे गोलू और सोनू के हाथ कम्मो के घागरे के अन्दर प्रवेश कर जाते है और जाँघों के अंदरूनी हिस्से को सहलाते हुए उसका घागरा ऊपर करने लगते है. इस हरकत से कम्मो भी अपने ओंठ काट लेती है और धीरे से अपने पैरों को थोडा खोल देती है. अब गोलू और सोनू अपने हाथ की एक एक ऊँगली कम्मो की बूर के ओंठों के दोनों तरफ रखते और धीरे से अलग अलग दिशा में खींचते है. ऐसा करने से कम्मो की बूर के ओंठ खुल जाते है. गोलू अपना सर कम्मो के चेहरे के पास ले जा कर कहता है.

गोलू: मान जाओ ना दीदी.....एक बार चलिए ना हमारे साथ अनाज-घर.

जहाँ गोलू कम्मो को मनाने में लगा हुआ था, वहीँ सोनू निचे झुक कर कम्मो की फैली हुई बूर को आँखे फाड़े देख रहा था. कम्मो ने फिर से मुहँ बनाया और नखरा दिखाते हुए गोलू से कहा.

कम्मो: कहा ना गोलू एक बार, मैं नहीं आउंगीsssss......, आह्ह्हह्ह......उफफ्फ्फ्फ़......सीईईईइ....!!

अचानक कम्मो सिसियाने लगती है. गोलू की नज़र निचे पड़ती है तो सोनू अपना सर कम्मो की जाँघों के बीच घुसा चूका था और उसकी फैली हुई रसीली बूर का स्वाद चख रहा था. सोनू अपनी जबान किसी कुत्ते की तरह कम्मो की बूर पर फेर रहा था. कम्मो अपनी आँखे बंद किये सिसिया रही थी. मौका देख कर गोलू भी दुसरे हाथ से कम्मो का मोटा दूध दबोच लेता है. हाथ के अंगुंठे से निप्पल को सहलाते हुए वो कम्मो से कहता है.

गोलू: मान जाओ ना दीदी.... बस एक बार.....
कम्मो: न..नहीं ना गोलूssss.....!

तभी निचे सोनू अपनी जीभ कम्मो की बूर में घुसा के अन्दर-बाहर करने लगता है और फिर उसके उभरे दाने को अपने ओंठों के बीच दबा के चूस लेता है. कम्मो की सिसकारी निकल जाती है. "सीईईईईईईईईइ....!!". अब गोलू अपने दोनों हाथों को कम्मो की चोली में घुसा के दोनों दूधों को बाहर निकाल लेता है और एक दूध को पकड़कर उसका निप्पल चूसने लगता है. कम्मो अपनी आँखे बंद किये बूर और दूध चुसाई का मजा लेने लगती है. कुछ देर बाद सोनू भी कम्मो के पास बैठ जाता है और दुसरे दूध को पकड़कर उसका निप्पल चूसने लगता है. गोलू और सोनू दोनों कम्मो का एक-एक दूध चूस रहे थे और कम्मो मदहोश हुए जा रही थी.

सोनू: दीदी अब तो मान जाइये ना....प्लीज.....
कम्मो: सीईईईई...! ठीक है. लेकिन तुम दोनों मुझे मिठाई खिलाओगे.

कम्मो की बात सुनते ही दोनों एक साथ बोल पड़ते है. "हाँ दीदी मंजूर है....खिला देंगे". कम्मो भी मुहँ बनाते हुए कहती है, "ठीक है फिर. चलो अनाज-घर". कम्मो बिस्तर से उतरती है और अनाज-घर की और चलने लगती है. उसके दोनों तरफ गोलू और सोनू भी साथ चलने लगते है. दोनों अपना एक हाथ कम्मो के घागरे में पीछे से डाल कर उसकी बड़ी चुतड सहलाते हुए चल रहे थे. चलते हुए सोनू पीछे से कम्मो का घागरा उठा देता है तो कम्मो की चौड़ी गोरी चुतड देखकर गोलू अपनी जीभ ओंठों पर फेरने लगता है. तीनो चलते हुए अनाज-घर में पहुँच जाते है. बोरियों के पीछे, एक कोने में, गोलू और सोनू कम्मो को निचे बिठा देते है. कम्मो को बैठाने के बाद दोनों धीरे से अपनी-अपनी धोती उठा देते है और उनके मोटे लंड कम्मो के चेहरे के सामने खड़े होकर झटके खाने लगते है.

गोलू: दीदी...आप तो मोटे-मोटे भुट्टे अपने मुहँ में भर लेती हो ना. एक बार हमारे लंड भी मुहँ में भर के देखो ना.....

कम्मो दोनों के मोटे तगड़े लंड को बारी-बारी देखती है. अपने ओंठ काटते हुए कम्मो कहती है.

कम्मो: लेकिन मुझे मेरी मिठाई देनी पड़ेगी. नहीं दोगे तो मैं भाभी से कह दूंगी.

सोनू अपने लंड को कम्मो के मुहँ के पास लाते हुए कहता है.

सोनू: हाँ हाँ दीदी...आपको मिठाई मिल जाएगी....

कम्मो एक नज़र सोनू के लंड को देखती है और फिर हाथ से पकड़ कर धीरे से मुहँ खोलकर लंड के मोटे टोपे को अपने ओंठों में भर लेती है. लंड मुहँ में जाते ही सोनू की आँखे बंद हो जाती है और गले से लम्बी "आह्ह्हह्ह....!!" की आवाज़ निकल जाती है. कम्मो कर सर धीरे-धीरे आगे होता चला जाता है और सोनू का लंड उसके मुहँ में घुसता चला जाता है. कम्मो के ओंठ लंड की जड़ तक पहुँच जाते है. कम्मो कुछ क्षण सोनू के लंड को गले तक अन्दर लिए वैसे ही रुक जाती है. सोनू को ऐसा लगता है जैसे उसका लंड किसी 'वैक्यूम क्लीनर' के पाइप में खींचता चला जा रहा है. कम्मो का सर पकड़कर सोनू धीरे से अपनी कमर पीछे करता है तो उसका लंड धीरे-धीरे कम्मो के मुहँ से बाहर आने लगता है और एक 'पॉप' की आवाज़ के साथ निकल जाता है. सोनू के लंड से लार का धागा सा लटकता हुआ था जो कम्मो के मुहँ में जा रहा था. कम्मो जीभ फेरते हुए अपने ओंठों पर लगी लंड की लार चाट लेती है. फिर उसका ध्यान गोलू के लंड की तरफ जाता है. वो गोलू के लंड को पकड़ उसकी चमड़ी पूरी निचे कर देती है जिससे लंड का मोटा टोपा खुल के बाहर आ जाता है. कम्मो टोपे को मुहँ में भर लेती है और जोर-जोर से चूसने लगती है. गोलू भी अपनी कमर हिलाते हुए कम्मो के मुहँ में धीरे-धीरे धक्के मारने लगता है. कुछ देर धक्के मारने के बाद सोनू आगे आ जाता है तो कम्मो सोनू का लुंड मुहँ में भर लेती है और चूसने लगती है. मौके का फ़ायदा उठा के गोलू निचे बैठ जाता है और कम्मो की टाँगे फैला कर उसकी बूर चूसने लगता है. कम्मो सिसिया जाती है.

कम्मो: सीईईईई...!! देख ना सोनू. गोलू मेरी बूर कितनी चूस रहा है. मन कर ना इसे....
सोनू: गोलू को चूसने दो ना कम्मो दीदी. भाभी कहती है की भाई को बहन की बूर चूसने में बहुत मजा आता है. भाई तो अपनी बहन की बूर घंटो बिना रुके चूस सकते है.
कम्मो: उफ़...!! ये बात तो भाभी ने भी मुझे बताई थी सोनू पर ये गोलू मेरी बूर बहुत ज्यादा चूस रहा है. काल रात भी इसने मेरी बूर बहुत चुसी थी.
सोनू: चूस लेने दीजिये कम्मो दीदी. लगता है गोलू आपकी बूर का बहुत प्यासा है.

सोनू की बात पर कम्मो कोई जवाब नहीं देती है. गोलू मजे लेकर कम्मो की बूर चूसने लगता है. कुछ देर चूसने के बाद गोलू सर उठाकर सोनू से कहता है.

गोलू: मेरी दीदी बहुत प्यारी है सोनू. जब दीदी कपडे उतार कर पूरी नंगी हो जाती है ना तो बिलकुल परी जैसी लगती है.

गोलू की बात सुनकर कम्मो इतराने लगती है. सोनू भी मजे लेते हुए कहता है.
सोनू: सच दीदी? उतारिये ना अपने कपडे.

कम्मो इठलाते हुए अपनी चोली और लहंगा उतार देती है. अब कम्मो ज़मीन पर पूरी नंगी टाँगे खोले हुए बैठी थी. गोलू उसके पास बैठा हुआ था और सोनू ठीक सामने खड़ा था. गोलू कम्मो के पैरो को पूरा खोलते हुए कहता है.

गोलू: देख सोनू....मेरी दीदी बिना कपड़ो के कितनी प्यारी लग रही है. और ये दीदी की बूर देख. कितनी खूबसूरत लग रही है ना?
सोनू: हाँ गोलू. तू सच कह रहा है. कम्मो दीदी के नंगे जिस्म का जवाब नहीं. और उनकी बूर तो दुनिया में सबसे ज्यादा खूबसूरत है.
गोलू: कम्मो दीदी, कल रात आपने मुझे जैसा मजा दिया था आज वैसा मजा सोनू को भी दे दीजिये ना. उसे भी दिखा दीजिये की आपकी बूर में लंड दाल के कितना मजा आता है.

गोलू की बात सुनकर कम्मो इठलाते हुए कहती है.
कम्मो: ठीक है. आज मैं सोनू को भी अपनी बूर का मजा दे देती हूँ. आजा सोनू....

कम्मो की हरी झंडी मिलते ही सोनू उसके पैरो के बीच जा खड़ा होता है और निचे बैठकर कम्मो के शरीर पर लेट जाता है. अपने लंड को एक हाथ से पकड़ कर वो कम्मो की बूर के मुहँ पर रखता है और एक ही झटके में उसका लंड बूर में समां जाता है. लंड के अन्दर जाते ही कम्मो अपने ओंठ काट लेती है. सोनू को बाहों में जकड लेती है और पैरों के बंधन में बाँध लेती है. सोनू भी कम्मो के कन्धों को पकडे हुए अपनी कमर को जोर जोर से झटके देना शुरू करता है. धीरे-धीरे लंड के अन्दर-बाहर होने की गति और भी ज्यादा ते हो जाती है. गोलू अपनी सगी बहन को सोनू से चुद्ता हुआ देख गरमा जाता है और अपना लंड कम्मो के मुहँ में ठूँस देता है. कम्मो अपनी बूर में सोनू का मोटा लंड पेलवाते हुए गोलू का लंड चूसने लगती है. कुछ देर सोनू अच्छे से कम्मो की बूर चुदाई करता है. तभी गोलू सोनू के कंधे पर एक थाप मारता है तो सोनू कम्मो की बूर में ४-५ जोरदार धक्के दे कर उठ जाता है. अब गोलू कम्मो के ऊपर लेट जाता है और अपना लंड उसकी बूर में घुसा देता है. वहीँ सोनू अपना लंड कम्मो के मुहँ में दे देता है. गोलू भी पूरा मजा लेते हुए कम्मो की बूर अच्छी तरह से चोदता है.

कुछ देर कम्मो की अच्छे से चुदाई करने के बाद गोलू खड़ा हो जाता है. गोलू और सोनू के बीच इशारों में कुछ बातें होती है और फिर गोलू कम्मो से कहता है.

गोलू: दीदी. एक बार अपना पिछवाड़ा दिखाइए ना. आपके गांड का छेद देखने का बड़ा मन कर रहा है.

कम्मो: क्यूँ गोलू? तुझे भी चंपा के भाई की तरह गांड का छेद पसंद है क्या?

कम्मो की बात सुनकर गोलू का दिमाग घूम जाता है.
गोलू: चंपा के भाई की तरह? मैं कुछ समझा नहीं दीदी....
कम्मो: अरे पागल. वो मेरी सहेली चंपा है ना...! उसे खाट पर उल्टा होकर सोने की आदत है. रात में जब वो सो जाती है ना तब उसका छोटा भाई रघु पीछे से घागरा उठा के उसकी चूतड़ों के पट फैलाकर गांड का छेद देखता रहता है.

कम्मो की बात सुनकर गोलू और सोनू को चक्कर आने लगते है.
गोलू: तो दीदी, चंपा ने रघु को कभी पकड़ा नहीं?
कम्मो: एक दिन रघु पकड़ा गया. तब उसे बताया की उसे चंपा के गांड का छेद बहुत पसंद है. चंपा ने उसे समझाया की घर में ये सब ना किया करे. जब उसका मन हो तो उसे बता दिया करे.
सोनू: त..तो..तो दीदी....फिर अब चंपा क्या करती है?
कम्मो: रात में जब रघु का दिल करता है तो चंपा उसे चुप-चाप पास वाले खेत ले जाती है और घागरा उठा के घोड़ी बन जाती है. रघु उसके पीछे बैठ कर घंटो चंपा के गांड का छेद निहारता रहता है.

कम्मो की बात सुनकर गोलू और सोनू के लंड तन्ना जाते है.

गोलू: दीदी एक बार आप भी हुमेत घोड़ी बनके अपने गांड का छेद दिखाइए ना....
कम्मो: अच्छा बाबा ठीक है. रुको अभी दिखाती हूँ.

कम्मो झट से ज़मीन पर घोड़ी की तरह बैठ जाती है. पीछे से उठी हुई उसकी हौदी चूतड़ों के बीच की गहरी खाई दिखने लगती है. गोलू कम्मो के पीछे जा कर बैठ जाता है और चूतड़ों के पटों को हाथो से फैलाता है. चूतड़ों के पट फैलते ही कम्मो के गांड का छेद साफ़-साफ़ दिखने लगता है. देखने में वो बड़ा ही सुर्ख था पर जैसे ही गोलू हलके से हाथ लगा कर उसे फैलाता है, छेद आसानी से फ़ैल जाता है. गोलू को समझने में देर नहीं लगती की कम्मो दीदी ने मोटे-मोटे भुट्टे अपने गांड के छेद में भरे है. कम्मो के गांड के छेद से मनमोहित हो कर गोलू अपनी जीभ छेद में घुसा देता है.

कम्मो: उफ्फ्फ....!! गोलू....ये क्या कर रहा है?
सोनू: दीदी, आपके गांड का छेद है ही इतना प्यारा की गोलू अपने आप पर काबू नहीं कर पाया.
कम्मो: ओह्ह्ह्हह....गोलू...!!

कम्मो ने कभी सोच भी नहीं था की गांड के छेद को भी कोई इस तरह से चाट सकता है. उसे पूरी मस्ती में आने में क्षण भर का समय भी नहीं लगता है. कुछ देर कम्मो के गांड का छेद अच्छी तरह से चाटने के बाद गोलू कम्मो से कहता है.

गोलू: दीदी...एक बार बट की तरह मुझे भी अपना लंड आपके गांड के छेद में डालने दीजिये ना...
गोलू द्वारा छेद चाटने से कम्मो अपने होश पहले ही खो चुकी थी. दोनों हाथों को अपनी चूतड़ों पर रख वो उन्हें फैला देती है. ये गोलू के लिए एक निमंत्रण जैसा था. गोलू झट से कम्मो के पीछे जा चिपकता है और अपना लंड गांड के छेद पर रखे घुटनों को मोड़ देता है. कमर पर दबाव डालते ही गोलू का लंड फिसलता हुआ कम्मो के गांड के छेद में समां जाता है.

कम्मो: उईई माँ...!! पूरा घुसा दिया क्या गोलू? उफ़...!! तेरा तो भुट्टे से भी मोटा है रे.....

गोलू कम्मो की कमर दोनों हाथों से पकडे हुए अपनी कमर चलाने लगता है. उसका मोटा लंड कम्मो की गांड में सटा-सट अन्दर-बाहर होने लगता है. सोनू निचे बैठा ये नज़ारा देख रहा था. गोलू द्वारा अपनी ही दीदी की गांड मारने वाला ये दृश्य देखकर वो उत्तेजित हो जाता है और अपनी दो उंगलियाँ कम्मो की बूर में ठूँस देता है. ऊपर गोलू अपना लंड कम्मो की गांड में पेले जा रहा था और निचे सोनू दो उंगलियाँ उसकी बूर में. कम्मो के लिए ये एक बेहद ही उत्तेजित करने वाली प्रक्रिया थी. कुछ देर कामो की गांड अच्छे से मारने के बाद गोलू खड़ा हो जाता है तो सोनू उठके अपना लंड कम्मो की गांड में पेल देता है. कम्मो की गांड का मजा गोलू और सोनू बारी-बार अच्छे से लेते है. कुछ देर बाद गोलू सोनू से कहता है.

गोलू: सोनू तू ज़मीन पर लेट जा. कम्मो दीदी आप सोनू के लंड पर बैठ जाइये.

अपने होशो-हवास खोई कम्मो सोनू के लेटते ही उसके लंड पर बैठ जाती है और आगे झुक जाती है. उसके बड़े-बड़े दूध सोनू के मुहँ पर आ जाते है जिसे सोनू अपने मुहँ में भर कर चूसने लगता है. निचे उसका लंड कम्मो की बूर की जम कर चुदाई कर रहा था. गोलू की नज़र कम्मो की चूतड़ों पर ही टिकी हुई थी. कुछ देर गौर से देखने के बाद गोलू आगे बढ़ता है और अपने दोनों पैरों को कम्मो की चूतड़ों के इर्द-गिर्द करते हुए अपना लंड उसके गांड के छेद पर रख देता है. कम्मो को जैसे ही इसकी भनक पड़ती है, वो अपने ओंठ काटते हुए आँखे बंद कर लेती है. गोलू अपने लंड को कम्मो के गांड के छेद के अन्दर घुसता चला जाता है, और एक ही झटके में पूरा लंड कम्मो की गांड में प्रवेश कर जाता है. निचे सोनू का लंड कम्मो की बूर में घुसा हुआ था और ऊपर गोलू का लंड उसकी गांड के छेद में. कम्मो एक साथ दो लंड लेकर सातवें आसमान में जा चुकी थी. उसे ऐसा लग रहा था की किसी ने दो भुट्टे उसकी बूर और गांड में एकसाथ दाल दिए हों.

कम्मो: आह्ह्ह्हह्ह्ह्ह...गोलू....! उई माँ सोनू...!! बहुत गंदे हो तुम दोनों. उफ़.....!! अपनी दीदी के साथ कोई ऐसा करता है क्या?

गोलू कम्मो की गांड में लंड पेलता हुआ कहता है.

गोलू: सच बताना दीदी....आपको भी मजा आ रहा है ना अपने दोनों भाइयों का लंड एकसाथ लेते हुए.....सच बताना दीदी...आपको मेरी कसम.

गोलू की कसम को कम्मो झुटला नहीं सकती थी. उसके मुहँ से सच निकल ही जाता है.

कम्मो: हाँ गोलूsss.....!! सच ...! बहुत मजा आ रहा है दोनों का लंड एक साथ ले कर. ऐसा लग रहा है की मैं दो भुट्टों को एक साथ अपनी बूर और पिछवाड़े में ले रही हूँ.

कम्मो की बात सुनकर गोलू और सोनू पूरे जोश में अपना लंड कम्मो की गांड और बूर में ठुसने लगते है. दोनों के शरीर के बीच दबी कम्मो भी मजा लेने लगती है. जहाँ सोनू कम्मो के दूध को अपने सीने पर दबाये निचे से उसकी बूर चोद रहा था वहीँ गोलू कम्मो की नंगी पीठ पर झुके हुए, उसके ओंठों को चूसते हुए लंड उसकी गांड में पेले जा रहा था.

सोनू: दीदी....इसे शहर में 'सैंडविच' कहते है.
कम्मो: 'सैंडविच'...? ये क्या होता है सोनू?
सोनू: दीदी जब हम किसी चीज़ को दो दूसरी दो चीज़ों के बीच दबा देते है तो उसे 'सैंडविच' कहते है. जैसे दो ब्रेडों के बीच आमलेट.....
कम्मो: मुझे समझ नहीं आया सोनू. ब्रेड और आमलेट....?
गोलू: मैं समझ गया दीदी. इस वक़्त आप आमलेट हो और मैं और सोनू ब्रेड. आप हम दोनों के बीच ठीक उसी तरह से दबी हुई हो जैसे किसी 'सैंडविच' में ब्रेडों के बीच आमलेट दबा होता है.
कम्मो: ओह...!! इसका मतलब तुम दोनों ने मुझे आलेत की तरह 'सैंडविच' बना दिया है?
सोनू: हाँ दीदी....अब आपने सही समझा....
कम्मो: तो क्या सोनू शहर में जिस बहन के दो भाई होते है वो अक्सर अपनी बहन को 'सैंडविच' बना देते है?

कम्मो की इस बात पर गोलू और सोनू जोश में अपने लंड जोरदार ठाप के साथ कम्मो की गांड और बूर में एकसाथ ठूँस देते है. कम्मो की चीख निकल जाती है, "उईईई माँssssssss....!!!"

सोनू: हाँ दीदी. शहर में तो मम्मी-पापा के सोने के बाद जो भाई होते है वो अपनी बहन के कमरे में जाते है और रात भर उसे 'सैंडविच' बनाये रखते.
कम्मो: जैसे अभी तुम दोनों ने मुझे बना रखा है, ठीक कहा ना मैंने?
सोनू: हाँ दीदी....अब आप ने ठीक समझा....
कम्मो: तुम दोनों मुझे ऐसे ही 'सैंडविच' बना दिया करना. मैं रात में तुम दोनों के कमरे में आ जाया करुँगी 'सैंडविच' बनने.....

कम्मो की बात पर दोनों उसकी गांड और बूर की चुदाई तेज़ कर देते है. कामो को अपने शरीर के बीच दबाये हुए गोलू और सोनू अपने लंड उसकी गांड और बूर में तेज़ी से पेलने लगते है. कुछ ही देर में सोनू के लंड से पिचकारियाँ छूट कर कम्मो की बूर में गिरने लगती है. २-४ धक्के मारते ही गोलू के लंड का पानी भी कम्मो की गांड में बहने लगता है. दोनों धीर-दीरे अपने लंड हिलाते हुए तड़पने लगते है. कम्मो भी अपनी कमर हिलाते हुए दोनों के लंड अपनी गांड और बूर में निचोड़ने लगती है. कुछ ही क्षण में दोनों ढेर हो जाते है. पसीने से लथपथ गोलू २-३ बार कम्मो के ओंठ चुसता है और फिर एक तरफ लुडक जाता है. कम्मो भी पसीने भरे शरीर को सोनू के ऊपर गिरा देती है. सोनू भी कम्मो के ओंठों का रसपान करता है और कम्मो भी दूसरी और गिर जाती है. कम्मो की आँखे बंद है और उसकी बूर से सोनू के लंड का रस और गांड से गोलू के लंड का रस बह रहा है. गोलू और सोनू एक दुसरे की तरफ देख कर मुस्कुरा देते है. वो जानते है की आगे ये 'सैंडविच' का खेल और भी ज्यादा मजेदार होने वाला है.

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
👙👠💋update.
 

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दिन के ११:३० बज रहे थे. सभी लोग अस्पताल से आ चुके थे. मोहन का प्लास्टर निकल चूका था और वो धीरे-धीरे चल रहे थे. घर में आते ही मोहन कुर्सी पर बैठ जाते है. बिमला की नज़र कम्मो पर पड़ती है जो उच्छलती हुई आ रही थी.

कम्मो: आप लोग आ गए माँ...?
बिमला: हाँ बेटी. सब ठीक हो गया है.और तुम लोगो ने क्या किया घर पर? कोई बदमाशी तो नहीं की ना?
कम्मो: नहीं माँ. गोलू और सोनू आज 'सैंडविच' बनाया था?
बिमला: 'सैंडविच' ? ये क्या होता है?

ये सुनकर पास खड़ी उर्मिला के कान खड़े हो जाते है. वो झट से बिमला के पास आकर खड़ी हो जाती है.
उर्मिला: वो..वो ...मामी जी, दरसल 'सैंडविच' एक तरह का नाश्ता होता है शहरों में. दो ब्रेड के बीच सब्जी या ऐसा कुछ डाल कर लोग खाते है. कम्मो के लिए भी गोलू और सोनू ने मिलकर 'सैंडविच' बनाया होगा खाने के लिए. हैं ना कम्मो? सही कह रही हूँ ना मैं? (बड़ी-बड़ी आँख दिखाते हुए)

कम्मो: अ...हाँ हाँ माँ....भाभी सही कह रही है.
बिमला: (हँसते हुए) चलो अच्छा है. आज मेरी बिटिया रानी के लिए उसके दोनों भाइयों ने मिलकर 'सैंडविच' बना दिया. देखा उर्मिला...गोलू और सोनू कितना प्यार करते है अपनी दीदी से...
उर्मिला: हाँ...हाँ...मामी जी...बहुत प्यार करते है.

बिमला के जाते ही उर्मिला कम्मो का हाथ पकड़कर रसोई में ले जाती है.
उर्मिला: सच-सच बता कम्मो. गोलू और सोनू ने तेरे साथ क्या किया है?
कम्मो: (घबराते हुए) कु...कुछ तो नहीं भाभी...
उर्मिला: (आँखे दिखाते हुए) देख कम्मो, मुझसे झूठ मत बोल. मैं सब जानती हूँ. सच-सच बता क्या हुआ आज.

कम्मो भाभी से झूट नहीं बोल पाती है और सब कुछ बता देती है. कम्मो की बात सुनकर उर्मिला की आँखे बड़ी और मुहँ खुल जाता है.
उर्मिला: मतलब तुने दोनों का लंड एकसाथ अपनी गांड और बूर में ले लिया था?
कम्मो: हाँ भाभी. (भोलेपन से) और भाभी दोनों कह रहे थे की आज रात भी वो मुझे 'सैंडविच' बनायेंगे.
उर्मिला: उफ़.. कम्मो...!! इतनी कम उम्र में तुने वो कर दिया जो लड़कियां शादी के बाद भी नहीं कर पाती है.
कम्मो: क्या भाभी...?
उर्मिला: अ...कुछ नहीं. अच्छा सुन. ये गोली खा ले जल्दी से.
कम्मो: ये क्या है भाभी?
उर्मिला: माला-डी. रातभर जो तुने अपने भाई के लंड का पानी बूर में गिरवाया है ना, ये उसके लिए है. उसका बीज तेरे पेट में पनप गया तो गजब हो जायेगा.
कम्मो: (हँसते हुए) आप कुछ भी बोल रहे हो भाभी. बीज तो खेत में बोते है. पेट में तो खाना होता है ना?

कम्मो की बात सुनकर उर्मिला सर पर हाथ मार लेती है.
उर्मिला: मेरी माँ, जो कह रही हूँ वो कर.

कम्मो एक गिलास में पानी लेती है और गोली खा लेती है. फिर उर्मिला उसे जो बात बताती है वो सुनकर कम्मो की आँखों में पानी भर आता है.

कम्मो: (रोते हुए) नहीं भाभी...आप लोग मत जाइये ....
उर्मिला: जाना तो पड़ेगा कम्मो. अब मामाजी भी ठीक हो गये है और मम्मी भी घर जाना चाहती है. हमे आज दोपहर को ही निकलना पड़ेगा.

कम्मो रोते हुए उर्मिला से चिपक जाती है और साथ चलने की जिद करने लगती है.
कम्मो: मैं भी आपके साथ चलूंगी भाभी.
उर्मिला: पागल. इतनी जिद मत कर. अभी तो मामाजी का प्लास्टर निकला है. गोलू खेत का काम करेगा और फिर मामी जी भी अकेली पड़ जाएगी ना? तू रहेगी तो मामी जी का हाथ बटा देगी ना.
कम्मो: (आंसू पोछते हुए) पर भाभी मुझे आपसब की बहुत याद आएगी.
उर्मिला: याद तो हम सब को भी बहुत आएगी कम्मो. चल अब जल्दी से हस दे और देख तेरे बापू को कुछ चाहिये क्या...

कम्मो हस देती है और उच्छलती हुई वहाँ से चली जाती है. रास्ते में ही उमा ने बता दिया था की वो लोग आज दोपहर ही रामपुर के लिए निकल पडेंगे. उमा को रमेश की बहुत चिंता हो रही थी. मोहन और बिमला भी न चाहते हुए उमा की बात मान ली थी. उर्मिला ने गोलू को भी ये बात अच्छे से समझा दी. वो भी रोया पर अंत में बात समझ गया. अकेले में उर्मिला भी सोचती रही. गाँव में उसका भी मन गोलू और कम्मो से लग गया था. बहुत सोचने पर उसके गंदे दिमाग में एक तरकीब आ जाती है. वो उठकर बिमला के पास जाती है.

उर्मिला: क्या कर रही हो मामी जी?
बिमला: कुछ नहीं रे, इनके लिए हल्दी वाला दूध बना रही हूँ.
उर्मिला: ओह अच्छा. वैसे मामी जी, आज हम लोग जा रहे है तो गोलू और कम्मो बहुत उदास है.
बिमला: हाँ उर्मिला. तुम लोग के आने से बच्चे कितने खुश लग रहे थे. जाने पर दुःख तो होगा ही ना.
उर्मिला: हाँ मामी जी, अब पता नहीं कब मिलना होगा. (कुछ सोच कर) वैसे मामी जी एक बात कहूँ? आप मानोगे मेरी बात?
बिमला: (उर्मिला के गाल पर प्यार से हाथ रखते हुए) अरे मेरी प्यारी बहुरानी...! क्यूँ नहीं मानूंगी? तू बोल तो सही.
उर्मिला: मामी जी इस बार मैं रक्षाबंधन में अपने भाई के घर जा रही हूँ. मेरे साथ सोनू और पायल भी आ रहे है. हम सब वहीँ रक्षाबंधन मनाएंगे. क्यूँ ना आप गोलू और कम्मो को भी हमारे साथ १-२ दिनों के लिए भेज दीजिये? गोलू और कम्मो पायल से भी मिल लेंगे और रक्षाबंधन मन कर घर आ जायेंगे.

उर्मिला की बात सुनकर बिमला सोच में पड़ जाती है. गोलू का तो ठीक था पर कम्मो कभी ठीक से घर से बाहर भी नहीं गई थी. उसे कम्मो की ज्यादा चिंता थी.

बिमला: बात तो ठीक है उर्मिला पर मुझे कम्मो की चिंता है. तू तो जानती ही है की वो कैसी है.
उर्मिला: आप उसकी चिंता बिलकुल भी मत कीजिये मामी जी. वो मेरी जिम्मेदारी है. हम लोग खुद यहाँ आ जायेंगे. कम्मो और गोलू को लेकर यहाँ से मेरे भाई के घर निकल लेंगे. और फिर रक्षाबंधन के बाद दोनों को यहाँ छोड़ते हुए रामपुर चले जायेंगे.
बिमला: (कुछ सोच कर) अच्छा ठीक है. पर मैं पहले कम्मो के बापू से बात कर लेती हूँ फिर तुझे बताउंगी.
उर्मिला: ठीक है मामी जी.

और फिर दोनों अपने-अपने काम में लग जाते है.

दोपहर के २ बज रहे थे. सोनू गाड़ी शुरू करके चलने को तैयार था. उमा मोहन और बिमला से बातें कर रही थी. पास हे उर्मिला गोलू और कम्मो को धीरे से समझा रही थी.

उर्मिला: देख गोलू, कम्मो का ख्याल रखना और कुछ ऐसा वैसा मत कर देना की जिस से तुम दोनों की हरकते सबको पता चल जाए.
गोलू: हाँ भाभी. मैं याद रखूँगा आपकी बात.
उर्मिला: कम्मो, ये माला-डी की गोलियां अपने पास छुपा के रख. जब भी गोलू तेरी बूर में अपना पानी गिराएगा उसके ७२ घंटे होने से पहले तुझे एक गोली खा लेनी है. याद रखेगी ना?
कम्मो: हाँ भाभी...!
उर्मिला: अच्छा. मैं चलती हूँ. तुम दोनों अच्छे से रहना और खूब प्यार करना.

गोलू और कम्मो सर हिलाकर हामी भर देते है. दोनों से विदाई ले कर उर्मिला भी उमा के साथ गाड़ी में बैठ जाती है. सभी की आँखे नम थी. भीगी आँखों से विदाई लेकर उमा, उर्मिला और सोनू घर के लिए निकल पड़ते है.

शाम के ६ बज रहे थे. पायल के कमरे में रमेश पायल को नग्न अवस्था में पीछे से पकडे लेटा हुआ था. पायल भी नंगी, अपनी चुतड पापा से चिपकाए लेटी हुई थी. दोनों आँखे बंद किये आराम से लेते हुए थे. तभी अचानक गाड़ी का हॉर्न सुनकर पायल चोंक जाती है. वो हडबडा के खड़ी होती है और खिड़की के बीच से बाहर देखती है. बाहर सोनू, उर्मिला और उमा गाड़ी में बैठे, गेट के सामने थे. पायल घबरा के रमेश से कहती है.

पायल: प..पापा...!! सब लोग आ गए...
रमेश: अरे कौन आ गया?
पायल: मम्मी लोग, और कौन पापा....

पायल की बात सुनते ही रमेश उच्छल के बिस्तर से कूद पड़ते है. खिड़की से बाहर देखते ही रमेश की हवा खराब हो जाती है.
रमेश: अरे ये लोग बिना बताये इतनी जल्दी कैसे आ गए?
पायल: वो छोड़िये पापा. आप जल्दी से कपडे पहन लीजिये.
रमेश: हाँ हाँ....और तु भी कपडे पहन ले जल्दी से...

रमेश अपने कमरे की ओर भागते है. पायल भी झट से टॉप और पजामा पहन लेती है. कपडे पहन कर वो बाहर निकलती है तो रमेश अपने कमरे में धोती पहन रहे होते है. पायल रमेश को जल्दी करने का इशारा कर, आँगन में दौड़ जाती है. गेट खोलती है और गाड़ी अन्दर आ जाती है. सभी लोग गाड़ी से उतारते है.

उमा: इतनी देर लगा दी पायल गेट खोलने में?
पायल: वो..वो मम्मी, पता नहीं था की आप लोग आने वाले हो तो मैं अपने कमरे में आराम कर रही थी.
उमा: अरे हाँ, वो अचानक ही मन कर दिया घर आने का इसलिए बता नहीं पाए. तेरे पापा कहाँ है.
पायल: वो अपने कमरे में सो रहे है.
उमा: अच्छा..!! मैं थी तो पहलवानी करनी होती है. अभी सो रहे है.

ये बोलकर उमा घर में चली जाती है. उसके पीछे सोनू भी चला जाता है. उर्मिला टॉप में पायल के बड़े-बड़े दूध देखकर कर मुस्कुरा देती है और धीरे से उसके दूध दबाते हुए कहती है.
उर्मिला: वाह पायल. लगता है २ दिनों में ही बाबूजी ने इनका साइज़ बढ़ा दिया है.
पायल: (शर्माते हुए) धत्त भाभी..!! आप भी ना..! चलिए अन्दर....

दोनों एक दुसरे का हाथ पकडे घर में चले जाते है. रमेश और उमा भी आकर सोफे पर बैठ जाते है. उर्मिला, पायल और सोनू भी वही बैठ जाते है और गाँव की बातें शुरू हो जाती है. कुछ देर बाद उर्मिला सबके लिए चाय बना कर लाती है और बातों का सिलसिला शुरू हो जाता है. सभी लोग हंसी-मजाक करने लगते है. कुछ देर बाद सभी अपने-अपने कमरे में आराम करने चले जाते है.

रात के १० बज रहे थे. रमेश और उमा अपने कमरे में जा चुके थे. सोनू भी खाना खा कर अपने कमरे में लेट हुआ था. उर्मिला पायल के कमरे में उसके साथ बातें कर रही थी.
उर्मिला: सच बता पायल. २ दिन खूब लंड लिया है ना तूने बाबूजी का?
पायल: (शर्माते हुए) हाँ भाभी. पापा ने तो मेरा बुरा हाल कर रखा था. घंटो मेरी बुर चुदाई करते थे. पता है... मेरी बूर पूरी फैला दी है पापा ने....
उर्मिला: बापरे...!! जरा दिखा तो मुझे पायल...

पायल अपना स्कर्ट उठा के टाँगे फैला देती है. उसकी बालोवाली फैली हुई बूर दिखने लगती है. उर्मिला बूर देख कर ही समझ जाती है की इसकी दिन-रात जम के चुदाई हुई है.
उर्मिला: उफ़...सच पायल..!! बाबूजी ने तो पूरी फैला दी है तेरी बूर. खूब पटक-पटक के चोदा होगा ना तुझे?
पायल: हाँ भाभी. पापा मुझे बिस्तर पर पटक-पटक कर बुर चुदाई करते थे.
उर्मिला: तू यहाँ अपने पापा से चुद रही थी और वहां गोलू कम्मो की बूर चोद रहा था.
पायल: गोलू?? क्या बोल रही हो भाभी? गोलू कम्मो की चुदाई भी करता है?
उर्मिला: और नहीं तो क्या. और सिर्फ गोलू ही नहीं, सोने ने भी मिलकर कम्मो की चुदाई की है.
पायल: (बड़ी-बड़ी आँखों से) बापरे भाभी...!! मुझे बताइए ना क्या क्या हुआ.

उर्मिला शुरू से अंत तक सारी बात पायल को बता देती है. सुनकर पायल के जोश उड़ जाते है. कम्मो को कितना मजा आया होगा ये सोचकर वो अपने ओंठ काट लेती है.
पायल: भाभी...कम्मो ने तो कमाल कर दिया. एक साथ २-२ लंड...! बापरे...!!
उर्मिला: (पायल की बूर में २ उंगलिया घुसाते हुए) क्यूँ? तेरा भी दिल कर रहा है क्या २-२ लंड एकसाथ लेने का?
पायल: धत भाभी...आप भी ना....
उर्मिला: अच्छा..! मेरी बात सुन. परसों रक्षाबंधन है और मैंने एक प्लान बनाया है.
पायल: वो तो मुझे भी पता है भाभी. आप, मं और सोनू आपके भाई के घर जाने वाले है ना?
उर्मिला: हाँ बाबा, लेकिन मैंने गोलू और कम्मो को भी बुला लिया है.
पायल: वाह भाभी...फिर तो बड़ा मजा आएगा ना...
उर्मिला: हाँ. एक तरफ हम बहने और दूसरी तरफ वो तीनो भाई. खूब परेशान करेंगे हम उन्हें.
पायल: (हँसते हुए) वाओ भाभी...बड़ा मजा आएगा. भाभी..!! क्यूँ ना हम खुशबू को भी बुला लें? फिर एक तरफ ४ बहने और दूसरी तरफ ४ भाई हो जायेंगे.
उर्मिला: अरे वाह कम्मो...!! यह तो बहुत अच्छा सुझाव है तेरा. रुक मैं अभी खुशबू को कॉल करती हूँ.

उर्मिला झट से अपना फ़ोन निकालती है और खुशबू को कॉल करती है.

उर्मिला: हेलो खुशबू...!!
खुशबू: हाँ भाभी, खुशबू बोल रही हूँ. कैसे हो आप?
उर्मिला: मैं ठीक हूँ, और तू कैसी है?
खुशबू: मैं भी ठीक हूँ भाभी.
उर्मिला: अच्छा सुन. अभी तू कहाँ पर है?
खुशबू: स्टेशन पर हूँ भाभी.
उर्मिला: क्यूँ? कहीं जा रही है क्या?
खुशबू: नहीं भाभी. माँ को गाँव छोड़ने आये थे. बस वहीँ से वापस घर जा रहे हैं.
उर्मिला:क्यूँ क्या हुआ? सब ठीक तो है ना?
खुशबू: हाँ भाभी. दरअसल परसों रक्षाबंधन है ना तो भैया ने कहा की माँ को गाँव छोड़ आते है.
उर्मिला: ओह अच्छा, तो रक्षाबंधन की तैयारी चल रही है.
खुशबू: (शर्माते हुए) हाँ भाभी.
उर्मिला: छेदी भी तेरे साथ हे है ना?
खुशबू: हाँ भाभी.
उर्मिला: तुम लोग जरा अकेले में जा कर स्पीकर ऑन करो, मुझे तुम दोनों से जरुरी बात करनी है.

खुशबू छेदी के साथ स्टेशन के एक कोने में जाती है और धीमी आवाज़ में फ़ोन का स्पीकर ऑन कर देती है.

खुशबू: हाँ भाभी, अब बोलिए.
उर्मिला: मेरी बात ध्यान से सुनो. परसों रक्षाबंधन है है मैंने एक बहुत ही मजेदार प्लान बनाया है. मैं अपने भाई के घर जा रही हूँ और मेरे साथ पायल, सोनू, कम्मो और गोलू भी आ रहे है. इस रक्षाबंधन में हम सभी मेरे भाई के घर मजे से रक्षाबंधन मनाने वाले है. तुम लोग भी आ जाओ.
छेदी: भाभी जी, छेदी बोल रहा हूँ.
उर्मिला: कैसे हो छेदी जी?
छेदी: अच्छा हूँ भाभी. रक्षाबंधन में तो हम आ भी जाएँ भाभी जी पर मेरा और खुशबू का रक्षाबंधन जरा हट के है.
उर्मिला: मैं सब जानती हूँ छेदी जी. आप जैसा रक्षाबंधन खुशबू के साथ मनाते हो वसा ही रक्षाबंधन आजकल सभी भाई-बहन मनाते है. मेरे भाई के घर भी 'स्पेशल' रक्षाबंधन होने वाला है.
छेदी: (चौंक कर) सच भाभी...??
उर्मिला: और नहीं तो क्या. आपने हमे कच्चा खिलाड़ी समझा है क्या?
छेदी: अरे नहीं भाभी. वो तो मैं बस में ही समझ गया था की इस मामले में आप बहुत पहुंची हुई खिलाड़ी हैं. आप चिंता मत करिए भाभी. हम दोनों आ जायेंगे. बस ये बता दीजिये की कब और कहाँ आना है.
उर्मिला: ये हुई ना बात. मैं आपको सब कुछ मेसेज कर दूंगी. आप दोनों तैयारी से आ जाना.
छेदी: जी भाभी.
उर्मिला: अच्छा चलिए, फिर मिलते है.
छेदी: ठीक है भाभी.

फ़ोन कट करके उर्मिला पायल से कहती है.

उर्मिला: ले...हो गया ये काम भी. वो दोनों भी आ रहे है.
पायल: रक्षाबंधन के बारें अभी से सोच-सोच कर मेरी बूर पानी छोड़ रही है भाभी.
उर्मिला: बदमाश...!! इतनी जल्दी हो रही है तुझे सोनू का लंड खाने की?
पायल: उफ़...!! हाँ भाभी. बाप के लंड से तो मजा ले चुकी हूँ. अब भाई के लंड के लिए मेरी बूर तरस रही है.
उर्मिला: पूरी चुदक्कड़ हो गई है तू.चल अब जरा अन्दर चलते है.

दोनों हंसी मजाक करते हुए निचे चले जाते है.

वहाँ स्टेशन पर उर्मिला की बात सुनकर छेदी और खुशबू दोनों गरमा चुके थे. उर्मिला की 'स्पेशल' रक्षाबंधन वाली बात ने दोनों के अन्दर आग सी लगा दी थी. स्टेशन के एक कोने में दोनों खड़े थे. छेदी खुशबू के बदन को गन्दी नजरो से ऊपर से निचे घूरे जा रहा था. खुशबू छेदी की गन्दी नज़रों को पहचान जाती है और धीरे से कहती है.

खुशबू: ऐसे मत देखिये भैया. मैं अच्छे से जानती हूँ की आप जब भी मुझे इस तरफ से घूरते हो, आपके मन में कोई गन्दी बात ही होती है.
छेदी: उफ़ खुशबू...!! दिल कर रहा है अभी तेरी जवानी लूट लूँ.
खुशबू: छी भैया. आप तो हमेशा मेरी जवानी लूटने के चक्कर में रहते हो. स्टेशन भी कोई जगह है भला अपनी बहन की जवानी लुटने की?
छेदी: आजकल तो भाई जहाँ मौका मिले अपनी बहनों की जवानी लूट लेते है, ये तो छोटा सा स्टेशन है जहाँ भीड़ न के बराबर है.
खुशबू: नहीं भैया. यहाँ नहीं. एक बार घर पहुँच जाएँ फिर जो दिल करे कर लीजियेगा.
छेदी: खुशबू. एक काम कर. वो पास वाले टॉयलेट में जा और अपनी ब्रा और पैन्टी उतार के आ. तेरे टॉप और इस घुटनों तक लम्बी स्कर्ट में किसी को पता भी नहीं चलेगा की तुने अन्दर कुछ नहीं पहना है.
खुशबू: नहीं भैया. थोडा सब्र कर लीजिये ना. एक बार घर.....
छेदी: (खुशबू की बात काटते हुए) जिद मत कर खुशबू. मेरी बात नहीं मानेगी तो सबके सामने तेरी चुचियाँ दबा दूंगा.

मुहँ बनाकर खुशबू चुपचाप टॉयलेट की तरफ जाने लगती है. उसके चेहरे पर हलकी सी मुस्कान भी थी. असल में वो भी वही चाहती थी जो छेदी के दिल में था. पर बहन बिना नखरे किये अपने भाई को बूर कहाँ देती है. ५ मिनट के बाद खुशबू टॉयलेट से बाहर निकलती है. ब्रा और पैन्टी उतारके उसने अपने हैंडबैग में डाल लिया था. वो धीरे-धीरे चलते हुए छेदी के पास आती है. छेदी की नज़र उसकी टॉप पर पड़ती है. बिना ब्रा के उसके बड़े-बड़े मोटे दूध उभर के दिख रहे थे.

छेदी: उफ़.. खुशबू. दिल कर रहा है तेरी टॉप में हाथ डाल कर तेरे मोटे दूध दबा दूँ.
खुशबू: धत्त भैया. आपकी नज़र हमेशा मेरे दूध पर ही रहती है.
छेदी: तेरे दूध हैं ही इतने बड़े और मुलायम की मेरा दिल ही नहीं भरता खुशबू.

छेदी की नज़र अब खुशबू की चूतड़ों पर जाती है जो स्कर्ट के अन्दर, बिना पैन्टी के दो बड़े गोल तरबूजों की तरह उठी हुई दिख रही थी. छेदी ने एक नज़र यहाँ-वहाँ दौडाई और झट से अपना हाथ स्कर्ट के निचे से घुसा दिया. हाथ अन्दर डालकर छेदी खुशबू की गोल-मटोल चूतड़ों को दबोच लेता है.

खुशबू: ये क्या कर रहे हो भैया? छोड़िये न. कोई देख लेगा.
छेदी: यहाँ कोई नहीं देख रहा है खुशबू. जरा तेरी चूतड़ों का मजा तो लेने दे.

छेदी खुशबू की चूतड़ों को अच्छे से दबाता और मसलता है. फिर अपने पंजे से उसकी फूली हुई बालोंवाली बूर को दबोच लेता है. खुशबू कसमसा जाती है.

खुशबू: सीईई...! छोड़िये ना भैया. आप बहुत गंदे हो.

तभी सिटी बजाती हुई ट्रेन प्लेटफार्म में दाखिल होती है. ट्रेन के आते ही प्लेटफार्म में थोड़ी हलचल होने लगती है. छेदी और खुशबू भी जल्दी से अपनी बोगी की तलाश में दौड़ पड़ते है. ट्रेन रूकती है तो खुशबू जल्दी से डब्बे में प्रवेश कर जाती है और उसके पीछे छेदी भी चढ़ जाता है. डिब्बे में अँधेरा था और ज्यादातर लोग खा-पीकर सो रहे थे. दोनों अपना बर्थ ढूंढते हुए आगे बढ़ते है.दोनों एक कम्पार्टमेंट में आते जहाँ एक बत्ती जल रही थी जिसकी हलकी सी रौशनी से थोडा उजाला था.

खुशबू: भैया ये रहा हमारा कम्पार्टमेंट. आपका ऊपर वाला बर्थ है और मेरा सबसे निचे वाला.

छेदी ऊपर वाले बर्थ में अपना बैग रखता है. खुशबू के बर्थ में कोई आदमी चादर ताने सो रहा था. खुशबू जैसे ही उसे उठाने के लिए आगे बढती है, छेदी उसका हाथ पकड़ के रोक लेता है.

छेदी: सोने दे खुशबू. सोते हुए को नहीं जगाते.
खुशबू: भैया वो मेरी बर्थ पर सो रहा है. उसे नहीं उठाउंगी तो मैं भला कहाँ सोउंगी?
छेदी: (धीमी आवाज़ में) तू मेरे साथ ऊपर वाले बर्थ में सो जा.

खुशबू छेदी का इरादा समझ जाती है. उसके दिल में भी लड्डू फूटने लगते है पर वो नखरा दिखाते हुए कहती है.

खुशबू: (धीरे से) नहीं भैया. मैं आपके साथ ऊपर नहीं सोउंगी.
छेदी: (धीरे से) नखरे मत कर खुशबू. देख तेरे भैया का क्या हाल हो गया है.

छेदी खुशबू का हाथ पाकर कर पैंट के ऊपर से अपने लोहे जैसे सक्त लंड पर रख देता है. खुशबू अपने भैया के हथियार को पकड़ते ही मस्त हो जाती है.

खुशबू: उफ़ भैया..! ये तो पूरा तैयार है.
छेदी: हाँ खुशबू. चल, जल्दी से ऊपर चढ़ जा.

खुशबू बर्थ पर चड़ने के लिए एक पैर रॉड पर रखती है और दूसरा पैर ऊपर वाले रॉड पर. फिर जैसे ही वो दोनों हाथों को बर्थ पर रखकर एक पैर ऊपर करती है, पीछे से छेदी उसकी गांड के छेद में ऊँगली घुसा देता है. ऊँगली अन्दर जाते ही खुशबू उच्छल के बर्थ पर चढ़ जाती है.

खुशबू: (धीमी आवाज़ में) छी भैया. बहुत गंदे हो आप.

छेदी भी ऊपर चढ़ जाता है. बैग को सिरहाने रख कर खुशबू अंदर की ओर, उस तरफ पलट कर लेट जाती है. छेदी बैग से एक चादर निकाल कर खुशबू को ओढा देता है और फिर खुद भी वही चादर ओढ़ कर खुशबू के पीछे चिपक कर लेट जाता है. छेदी धीरे-धीरे अपना हाथ खुशबू की जांघों पर फेरने लगता है. तभी कोई कम्पार्टमेंट की एकमात्र बत्ती भी बुझा देता है और अन्दर अँधेरा छा जाता है. अँधेरा होते ही छेदी अपना हाथ खुशबू की टॉप में घुसा कर उसके मोटे दूध पकड़ लेता है और दबाने लगता है.तभी ट्रेन भी चल पड़ती है.

खुशबू: (धीमी आवाज़ में) सीईई....!! भैया. बहुत जोर से दबाते हो आप मेरे दूध.
छेदी: (धीमी आवाज़ में) बहनों के दूध दबाने में ही तो भाइयों को सबसे ज्यादा मजा आता है बहना (और छेदी अपनी कमर खुशबू की चूतड़ों में सटा देता है )
खुशबू: (धीमी आवाज़ में) उफ़ भैया...!!

छेदी खुशबू के गाल पर हाथ रखकर अपनी तरफ घुमा देता है और सर उठाकर उसके रसीले ओंठों को अपने मुहँ में भर कर चूसने लगता है. खुशबू भी छेदी के मुहँ में अपनी जीभ निकाल कर घुमाने लगती है तो छेदी भी अपनी जीभ खुशबू की जीभ से लड़ाने लगता है. कुछ देर दोनों भाई-बहन एक दुसरे के ओंठों का जी भर के रसपान करते है. फिर छेदी अपनी पैंट खोलकर निचे कर लेता है और खुशबू की स्कर्ट पीछे से उठाकर अपना मोटा लंड उसकी चूतड़ों के बीच रख देता है. खुशबू भी अपना एक पैर हल्का सा ऊपर उठा देती है तो छेदी लंड पकड़ कर उसकी बूर में घुसा देता है. कमर को एक झटका देते ही छेदी का लंड खुशबू की बूर में समां जाता है. ट्रेन तेज़ गति पकड़ चुकी थी और पटरी की तेज़ आवाज़ के साथ डिब्बा जोर-जोर से हिल रहा था. डब्बे के हिलने के साथ छेदी भी अपनी कमर जोर-जोर से हिलाने लगता है. उसका लंड खुशबू की बूर में तेज़ी से अन्दर बाहर होने लगता है. छेदी खुशबू की टॉप में हाथ डाले, उसके दूध दबाते हुए उसकी चुदाई कर रहा था. ट्रेन का डब्बा जितना ज्यादा हिलता, छेदी भी उतनी ही जोर से खुशबू की चुदाई कर देता. ३० मिनट तक खुशबू की अच्छी तरह से चुदाई करने के बाद छेदी अपना पानी उसकी बूर में गिरा देता है. दोनों भाई-बहन थक कर आँखे बंद कर लेते है. चादर ओढ़े धीरे-धीरे दोनों की आँख लग जाती है.

शाम के ५ बज रहे थे. अपने प्लान के मुताबीक उर्मिला सोनू और पायल के साथ माखनपुर से गोलू और कम्मो को साथ ले कर अपने भाई के घर की और निकल पड़ती है. सोनू गाड़ी चला रहा था और उसके साथ गोलू बैठा हुआ था. पीछे उर्मिला, पायल और कम्मो हंसी मजाक कर रहे थे. तीनों में कुछ इशारे होते है और फिर उर्मिला पायल से कहती है.

उर्मिला: अरे वाह पायल. आज तो तुने लाल रंग की कच्छी पहनी है.

पायल दीदी की लाल रंग की कच्छी का नाम सुनते ही सोनू झट से पीछे मुड़ कर देखता है. पायल अपने दोनों पैरों को सीट पर रखे हुए थी और उसकी उठी हुई स्कर्ट और जाँघों के बीच लाल रंग की पैन्टी दिख रही थी. सोनू आँखे फाड़े अपनी दीदी की बूर पर कसी हुई लाल पैन्टी को देखने लगता है. तभी उर्मिला चिल्ला पड़ती है.

उर्मिला: अरे सोनू...!! वो सामने गाड़ी देख...!!

सोनू हडबडा के आगे देखता है तो सड़क खाली होती है. पीछे उर्मिला, कम्मो और पायल खिलखिला कर हँसने लगती है.

उर्मिला: (हँसते हुए) बुद्धू...!! नज़रे अपनी दीदी की पैन्टी पर नहीं, आगे सड़क पर रख, नहीं तो एक्सीडेंट हो जायेगा.
पायल: वैसे भाभी, लाल कपड़ा देखकर तो सांड पागल हो जाता है ना? (तीनो फिर से हँसने लगते है)
उर्मिला: हाँ पायल, और अपने मोटे-मोटे सिंग खड़ा करके दौड़ा चला आता है.

तीनो फिर से खिलखिलाकर हंसने लगते है. गोलू जो चुपचाप सब सुन रहा था बोल पड़ता है.

गोलू: वो तो ठीक है भाभी. पर जब सांड अपने मोटे सिंग लिए दौड़कर आता है तो लाल कपडे को फाड़ देता है और फिर अपना मोटा सिंग अन्दर भी घुसा देता है.

गोलू की इस बात पर सोनू जोर-जोर से हंसने लगता है. सोनू को हँसता देख गोलू को भी हंसी आ जाती है. उर्मिला, पायल और कम्मो का मुहँ उतर जाता है. पायल अपनी स्कर्ट ठीक करती है और एक चपात गोलू के कंधे पर मारते हुए कहती है.

पायल: चुप कर गोलू....!! बड़ा आया सोनू की तरफदारी करने वाला. कम्मो भी अपने सांड को सफ़ेद कपडा दिखाने वाली थी पर अब कुछ नहीं देखने मिलेगा.

पायल की बात सुनकर गोलू का मुहँ उतर जाता है. वो पीछे घूमकर धीरे से कहता है.

गोलू: अरे वो तो मैं ऐसे ही बोल गया था पायल दीदी. मुझे माफ़ कर दो. (कम्मो की तरफ देखकर) कम्मो दीदी, एक बार दिखा दो ना सफ़ेद कपडा.
कम्मो: तू बहुत बोलता है ना. अब कुछ नहीं देखने को मिलेगा.

गोलू का मुहँ पूरा उतर जाता है और वो आगे देखने लगता है. गोलू की हालत देखकर तीनो फिर से हंसने लगती है. हंसी मज़ाक करते हुए गाड़ी अपनी मंजिल तक पहुँच जाती है. उर्मिला के भाई का बड़ा सा फार्महाउस था जो शहर से दूर था. गाड़ी फार्महाउस में आ कर रूकती है. सभी सामान ले कर निचे उतारते है. फार्महाउस ऊँची दीवार से घीरा हुआ था. आसपास बड़े-बड़े पेड़ थे और जगह काफी सुनसान और हरिभरी थी.

उर्मिला दरवाज़े की घंटी बजाती है तो कोई दरवाज़ा खोलता है. "अरे दीदी, आ गए आप लोग...!!"

पायल और सोनू उस आदमी को देखते है तो उनके होश उड़ जाते है.

पायल: भाभी...!! ये...ये तो आपके सगे भाई राजू भैया है....!
उर्मिला: (हँसते हुए) हाँ पायल, ये मेरा छोटा भाई राजू है.
पायल: पर आपने तो कहा था की वो ...जिसके साथ आप रक्षाबंधन में....वो...वो आपका चचेरा भाई था.
उर्मिला: (हँसते हुए) मेरा कोई चचेरा भाई नहीं है. मेरा एक ही भाई है और वो ये है, राजू. कभी-कभी कुछ पत्ते आखरी चाल के लिए छुपा कर रखने पड़ते है.
पायल: (हँसते हुए) आप बड़ी वो हो भाभी...

राजू: अरे आप लोग बाहर ही रहोगे या अन्दर भी आओगे.

सभी अन्दर चले जाते है. फार्महाउस काफी विशाल था जिसमे कई कमरे थे. सभी सामान एक तरफ रख कर हॉल में सोफे पर बैठ जाते है. उर्मिला राजू के पास जाती है.

उर्मिला: इसे तो सभी पहचान ही गए होगे? ये मेरा छोटा भाई है, राजू.
सोनू: हाँ भाभी याद है. आपकी शादी में ही तो मुलाकात हुई थी राजू भैया से.
उर्मिला: हाँ. हम दोनों हर रक्षाबंधन में साथ रहे है. शादी के बाद पिछले रक्षाबंधन में हमने एक दुसरे को बहुत मिस किया था. इस बार हम दोनों फिर से साथ है.

उर्मिला और राजू एक दुसरे को आहें भरते देखने लगते है. कुछ हे क्षण बाद पायल जोर से खांस देती है. पायल की खांसी सुनकर उर्मिला और राजू चौकन्ने हो जाते है.

पायल: लगता है दो बिछड़े भाई-बहन का प्यार उमड़ रहा है.
उर्मिला: क्यूँ? इसमें बुराई ही क्या है? दो भाई-बहन जब सालो बाद मिलते है तो भावुक तो होते ही हैं.
सोनू: हाँ भाभी. और दिल में कई अरमान भी तो होते है ना.
उर्मिला: हाँ हाँ, तू तो रहने ही दे सोनू. तेरे दिल के अरमान मैं अच्छी तरह से जानती हूँ.

उर्मिला की इस बात पर सभी लोग हँस पड़ते है. तभी उन्हें किसी गाड़ी की आवाज़ सुनाई पड़ती है. खिड़की से देखने पर उन्हें छेदी और खुशबू गाड़ी में बैठे दिखाई पड़ते है. उर्मिला दरवाज़ा खोलती है तो दोनों भी अन्दर आ जाते है. उर्मिला दोनों का परिचय राजू से करवाती है. सभी हाल में बैठकर हंसी मजाक करने लगते है. उर्मिला, पायल, कम्मो और खुशबू की आपस में खूब जमने लगती है. दूसरी तरफ राजू, सोनू, गोलू और छेदी भी अच्छी तरह से घुल-मिल जाते है जैसे पुराने यार हों. कुछ ही देर में वहाँ दो गुट बन जाते है. एक गुट - उर्मिला, पायल, कम्मो और खुशबू - यानी बहनों का और दूसरा गुट - राजू, सोनू, गोलू और छेदी - यानी भाइयों का. हंसी मजाक करते हुए ६ बज जाते है.

उर्मिला: अच्छा अब बहुत हंसी मज़ाक हुआ. अब हमे मार्किट जाना है.
सोनू: (उठते हुए) हाँ चलिए भाभी. मैं गाड़ी निकालता हूँ.
उर्मिला: (सोनू को रोकते हुए) आप कहाँ चल दिय सोनू जी? आप बैठिये अपने भाइयों वाले गुट में. ये काम हम बहनों का है.
राजू: क्या हुआ उर्मिला दीदी? कहाँ जा रही है ये बहनों की टोली.
उर्मिला: (अकड़ते हुए) ये बहनों की टोली रक्षाबंधन की शौपिंग करने जा रही है. वहां तुम भाइयों का कोई काम नहीं. ओके गर्ल्स...फॉलो में...!!

उर्मिला जान बुझकर मुहँ बनाये, राजू के सामने अपने दूध उठाकर इठलाते हुए जाने लगती है. उसके पीछे सभी लड़कियां अपना सीना उठाये, अपने-अपने भाई को देखकर मुहँ बनाते हुए चल देती है. सोफे पर बैठे सभी भाई अपनी-अपनी बहनों के टॉप में उठे हुए दूध देखकर लंड मसल देते है. उनके जाते ही सभी एक दुसरे को देखकर हँस पड़ते है. रक्षाबंधन कल था पर उस पर रंग अभी से चड़ने लगा था. सारे भाई जानते थे की ये रक्षाबंधन बड़ा ही रंगीला, रसीला और धमाकेदार होने वाला है.

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
Bhout hi behtreen update diya hai.
 

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अपडेट ४१:

'भैया मेरे....राखी के बंधन को निभानाssss...., भैया मेरे....छोटी बहन को न भुलानाssss......., देखो ये वादा निभाना, निभानाsssss.....भैया मेरे....राखी के बंधन को निभानाssss......!!'
सुबह के ८ बज रहे थे. ये सुबह भाई-बहन के पवित्र रिश्ते और प्यार की, मतलब रक्षाबंधन की थी. आस-पास के घरों से रक्षाबंधन के गीत की मधुर आवाज़ यहाँ तक आ रही थी. ऊपर वाले बड़े से बेडरूम में सारी बहने तैयार हो रही थी. उर्मिला, पायल और खुशबू ने रक्षाबंधन के लिए जो कपडे लिए थे वो बिस्तर पर रखे हुए थे. वहीँ पास बैठी कम्मो एक-एक हाथ में दो अलग-अलग कपडे लिए कुछ सोच रही थी. कुछ देर सोचने के बाद वो उर्मिला के पास दोंनो कपड़ो को ले कर पहुँच जाती है.

कम्मो: भाभी...!! मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है. आप बताइए ना मैं कौनसी ड्रेस पहनू?
उर्मिला: (आईने में देखकर बाल बनाते हुए) अपने लिए खुद ही पसंद की थी तो अब इतना क्या सोच रही है?
कम्मो: पता नहीं भाभी. एक बार आप देखिये ना....
उर्मिला: (उसकी तरफ घूमकर) अच्छा ला, दिखा कौनसे कपडे है.

उर्मिला कम्मो के हाथों से कपड़ों को लेती है और ध्यान से देखने लगती है. कुछ देर गौर से देखने के बाद कहती है.

उर्मिला: तू आज ये कपडे पहनेगी?
कम्मो: (बड़ी-बड़ी आँखों से) हाँ भाभी...क्या हुआ?
उर्मिला: (आँखे ऊपर चडाकर लम्बी सांस छोड़ते हुए) तू भी ना कम्मो...!! रक्षाबंधन के दिन बहने क्या ऐसे कपडे पहना करती है?
कम्मो: हाँ भाभी. मैं तो रक्षाबंधन के दिन ऐसे ही कपडे पहनती हूँ.
उर्मिला: वो इसलिए कम्मो क्यूंकि तू रक्षाबंधन अपने घर में सबके सामने मनाती है. यहाँ पर घर का कोई भी नहीं है. सिर्फ हम चार बहने और हमारे भाई हैं. यहाँ पर ऐसे कपडे नहीं चलेंगे.
कम्मो: (आश्चर्य से) वो क्यूँ भाभी?
उर्मिला: अब तुझे समझाने के वक़्त नहीं है मेरे पास. (खुशबू की तरफ घूमकर) खुशबू....!!
खुशबू: जी भाभी...?
उर्मिला: तेरे पास कम्मो महारानी के लिए कोई अच्छी सी डीप कट और बिना बाहं वाली चोली है?
खुशबू: (मुस्कुराते हुए) हाँ भाभी, है ना. बैकलेस वाली चलेगी ना?
उर्मिला: (खुश होते हुए) दौड़ेगी खुशबू रानी...ला दे मुझे....!

खुशबू अपने बैग से एक चोली निकालकर उर्मिला को देती है. उर्मिला उस चोली को देखकर खुश हो जाती है और फिर कम्मो को देते हुए कहती है.

उर्मिला: ये ले...ये पहन...
कम्मो: पर भाभी....ये...? ऐसे कपडे तो मैं कभी रक्षाबंधन के दिन नहीं पहनती हूँ.
खुशबू: (हँसते हुए) अरे पहन ले कम्मो. कम से कम तुझे ये तो पहनने मिल रहा है, अगर अभी मैं भैया के साथ अपने घर पर होती तो शायद कुछ भी नहीं पहनने मिलता मुझे.

खुसबू की इस बात पर सभी जोर-जोर से हंसने लगते है. उर्मिला कम्मो के सर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहती है...

उर्मिला: पहन ले कम्मो....! वैसे भी बाद में तो सब उतरने ही वाला है.

इस बात पर तो सभी लडकियां खिलखिला कर हँसने लगती है. फिर सभी अपने-अपने कपडे पहनने लगती है तो उर्मिला उन्हें याद दिलाती है.

उर्मिला: याद हैं न सबको? ब्रा और पैन्टी कोई नहीं पहनेगा.....

पायल, खुशबू और कम्मो एक दुसरे की तरफ देखकर मुस्कुरा देती है और फिर एक साथ जवाब देती है, "हाँ भाभी...याद है...!!"

सभी बहने लहंगा और चोली पहन लेती है जो उन्होंने बाज़ार में पसंद किया था. शुक्र था की खुशबू की दी हुई चोली कम्मो को बिलकुल फिट आई थी और क्यूँ न आती. दोनों की चुचियाँ जो एक जैसी बड़ी-बड़ी थी. उर्मिला की नज़र पायल पर पड़ती है. उसकी चोली का डिजाईन और बनावट देखकर उर्मिला का मन प्रसन्न हो जाता है. वो पायल के पास जाती है और उसके सर पर हाथ रखते हुए कहती है.

उर्मिला: बहुत प्यारी लग रही है तू पायल. तेरी चोली तो कयामत ढा देगी. आज तो सोनू की खैर नहीं.
पायल: (शर्माते हुए) थैंक यू भाभी...!!

तभी खुशबू भी वहां आ जाती है और उर्मिला की चोली देखकर ताना मारते हुए कहती है.

खुशबू: पायल की चोली तो क़यामत ढा ही देगी भाभी, पर आज आपको क्या हुआ है?
उर्मिला: (मुहँ बनाते हुए) मुझे..? मुझे कुछ क्यूँ होने लगा..?
खुशबू: ये आपकी चोली बार-बार फिसली क्यूँ जा रही है भाभी?
उर्मिला: (शर्माकर अपनी चोली ठीक करते हुए) कहाँ फिसल रही है? कुछ भी बोलती है तू....

खुशबू की बात सुनकर अब पायल भी मैदान में कूद पड़ती है. उर्मिला भाभी को छेड़ने का उसके लिए ये अच्छा मौका था.

पायल: ओये-होय भाभी...!! आपके गालों पर ये लाली कैसी? (उर्मिला की चोली की डोर पकड़ते हुए) और ये तो देखो जरा...इतने भारी दूध का बोझ इस छोटी सी चोली पर और सबका बोझ इस अकेली पतली सी डोर पर. कहीं राजू भैया ने डोर की गाँठ छु भी दी तो चोली एक ही झटके में ज़मीन पर होगी.

पायल की बात सुनकर खुशबू, कम्मो और पायल हंसने लगती है. अब तो उर्मिला के गालो की लाली का रंग और भी गहरा हो जाता है. गालो का ऐसा लाल रंग तो शायद उसकी सुहागरात में भी नहीं हुआ होगा. शर्माकर उर्मिला अपना चेहरा दोनों हाथो से छुपा लेती है. वो उर्मिला जो सबके सामने नेतागिरी करते फिरती थी, आज शर्म से लाल हुए जा रही थी. रक्षाबंधन का दिन और अपने छोटे भाई से डेढ़ साल बाद मिलना उर्मिला को अपनी जवानी के दिनों में फिर एक बार ले आया था. उर्मिला हाथ हटाती है और चेहरे पर शर्म और हलकी सी मुस्कान लिए कहती है.

उर्मिला: तुम सब मिलकर मुझे छेड़ रहे हो ना? भगवान करे आज तुम्हारे भाई तुम्हे पटक-पटक कर चोदे.
खुशबू: आप तो हमे बद्दुआ देते-देते दुआ दे गई भाभी.....! (सभी हंसने लगती है)
पायल: और यही दुआ भाभी भगवान से अपने लिए रात भर मांग रही थी.

सभी फिर से हंसने लगती है. उर्मिला भी शर्मा कर हँसती है फिर अपने आप पर काबू पाते हुए कहती है.

उर्मिला: अच्छा चलो, बहुत हो गया हंसी-मजाक. अब जल्दी से तैयारी करो.

सभी लडकियां अपने-अपने काम में लग जाती है. यहाँ बहने तैयारी में लगी थी वहाँ सभी भाई धोती और कुरता पहन कर ड्राइंग रूम में आ चुके थे. सभी सोफे पर बैठ जाते है. राजू घड़ी की और देखता है.

राजू: बड़ी देर लगा दी इन लोगो ने.
सोनू: हाँ राजू भैया. लडकियां तो तैयार होने में देर लगाती ही है ना.
छेदी: अब आज के दिन इतना भी क्या तैयार होना? कुछ देर बाद तो सब कुछ उतरना ही है.

छेदी की बात पर सभी लड़के हँसने लगते है.

राजू: गोलू और सोनू का तो घर से बाहर ऐसा पहला रक्षाबंधन होगा ना?
सोनू: हाँ भैया. अब तक तो घर में ही दीदी के साथ रक्षाबंधन मनाया है.
गोलू: हाँ भैया, मैंने भी.
छेदी: अरे सूखे रक्षाबंधन में क्या मजा है भाई. असली मजा तो तब है जब भाई-बहन रक्षाबंधन के दिन घरवालों की नज़रों से बच के अकेले में रक्षाबंधन मनाये.
राजू: ये बात आपने बिलकुल ठीक कही है छेदी भैया. रक्षाबंधन के दिन जब बहने सज-धज कर भाइयों के सामने आती है तो उनकी जवानी पुरे जोश में होती है.
गोलू: सच छेदी भैया?
छेदी: और नहीं तो क्या. रक्षाबंधन के दिन जितनी गर्मी भाइयों के लंड में नहीं होती है उस से ज्यादा गर्मी बहनों की बूर में होती है. बहनों का बस चले तो रक्षाबंधन के दिन नंगी ही हाथ में राखी की थाल लिए भाइयों के सामने आ जाये.
सोनू: राजू भैया...! आपने तो उर्मिला भाभी के साथ ऐसा रक्षाबंधन बहुत बार मनाया होगा ना?
राजू: बहुत बार मनाया है. पर जब से दीदी की शादी हुई है तब से रक्षाबंधन के दिन दीदी को याद करके दिन भर हिलाता ही रहता था. सुबह से शाम तक न जाने कितनी बार दीदी की याद में पानी निकाल देता था.
सोनू: राजू भैया...! उर्मिला भाभी भी रक्षाबंधन के दिन पूरे जोश में रहती थी क्या?

राजू: अरे पूछ मत सोनू. रक्षाबंधन के दिन उर्मिला दीदी तो पागल हो जाती थी. एक बार माँ और बाबूजी घर पर ही थे. दीदी राखी बाँधने के बहाने मुझे अपने कमरे में ले गई. पीछे-पीछे माँ भी आ गई. दीदी ने किसी बहाने से माँ को कुछ लाने भेजा और माँ के जाते ही मेरा लंड मुहँ में भर लिया. दीदी इतने जोश में थी की लग रहा था मेरा लंड खा ही जाएगी. माँ आ रही थी और उर्मिला दीदी थी की मेरा लंड अपने मुहँ में भरे जा रही थी. मैं दीदी को मन कर रहा था और उन्हें अलग करने की कोशिश कर रहा था पर दीदी इतने जोश में थी की मेरा लंड मुहँ से निकाल हे नहीं रही थी. वो तो मैंने एन वक़्त पर दीदी कर सर पकड़ कर अलग कर दिया वरना उस दिन तो हम पकडे ही जाते.

गोलू: तो राजू भैया उस दिन आप उर्मिला भाभी की चुदाई नहीं कर पाए?
राजू: उर्मिला दीदी बिना चुदवाये मानने वाली थी क्या? अपनी सहेली के घर जाने के बहाने मुझे पास के जंगल में ले गई और नंगी हो कर करीब २ घंटे 'भैया, भैया' चिल्लाते हुए अच्छे से चुदी तब जा कर दीदी को ठंडक पहुंची.
छेदी: ये बात तो बिलकुल सच है की रक्षाबंधन के दिन बहने भाइयों के लंड के लिए पगला जाती है. जब तक बहने अपने भाइयों से पटक-पटक के 'भैया-भैया' चिल्लाते हुए अच्छे से चुदवा नहीं लेती, उनका रक्षाबंधन पूरा नहीं होता.

ये सारी बातें करते हुए भाइयों के लंड धोती में तन्ना गए थे. सोनू और गोलू तो २-३ बार धोती पर से अपने लंड को मसल भी चुके थे. बातों का दौर चल रहा था की अचानक सभी को क़दमों की आहट सुनाई देती है. सभी भाई एक साथ सीढ़ी की ओर देखते है तो उनकी नज़र बहनों पर पड़ती है जो सज-धज कर, हाथ में पूजा की थाल लिए, मुस्कुराते हुए धीरे-धीरे सीढ़ियों से उतर रही थी. सभी अपनी-अपनी बहनों को देखकर भोंचक्के रह जाते है. सभी बहने घागरा और बिना बाहं वाली चोली में क़यामत ढा रही थी.

राजू गौर से उर्मिला को देखता है जो सबसे आगे थी. गोरे बदन पर पीले रंग की घागरा-चोली खिल के दिख रही थी. बड़े-बड़े दूध पर कसी हुई छोटी सी चोली जो एक पतली सी डोर के सहारे पीठ पर बंधी हुई थी. चोली का गला इतना गहरा था की उर्मिला के दूधों के बीच के गहराई साफ़ दिखाई दे रही थी. घगरा कमर के थोडा निचे बंधा होने से उर्मिला की गहरी नाभि भी साफ़ दिख रही थी. आँखों में काजल, माथे पर सोने का टीका, कानो में सोने का झुमका और गले में सोने का हार उर्मिला की सुन्दरता पर चार चाँद लगा रहे थे. सीढ़ियों से उतारते हुए उर्मिला ने जब अपने लाल लिपस्टिक वाले ओंठों को दांतों तले दबा दिया तो राजू की 'आह्ह्ह..!!' निकल गई.

सोनू भी पायल को मंत्रमुग्ध होकर देखे जा रहा था जो उर्मिला के पीछे सीढ़ियों से उतर रही थी. पायल ने लाल रंग का घागरा-चोली पहन रखा था. बिना बाहं वाली चोली पायल के बड़े-बड़े दूध पर कसी हुई थी और चोली के दोनों बड़े-बड़े कटोरे पतली सी डोर से पीठ पर बंधे हुए थे. चोली का निचला हिस्सा भी एक डोर से पीठ पर कसा हुआ था. बिना ब्रा की चोली पहने पायल जैसे एक कदम सीढ़ी पर निचे रखती, चोली में बंधे उसके दूध उच्छल जाते. दूध जैसे ही उच्छल कर निचे आते, चोली के गहरे गले से दूध के बीच के गहराई साफ़ दिख जाती. अपनी दीदी का ये रूप देखकर सोनू का लंड धोती में झटके खाने लगा था.

पायल के पीछे खुशबू चली आ रही थी. खुशबू को देखकर छेदी के मुहँ से पानी टपकने लगा था. हरे रंग का घागरा-चोली पहने खुशबू चली आ रही थी. गहरे गले की बिना बाहं वाली बेकलेस चोली क़यामत ढा रही थी. खुशबू अपने भैया की कमजोरी अच्छे से जानती थी. जैसे ही उसकी नज़र छेदी पर पड़ी वो एक हाथ से घागरा संभालने का नाटक करते हुए आगे झुक गई. बड़े-बड़े दूध के बीच के गहराई पर जैसे ही छेदी की नज़र पड़ी, उसने धोती पर से अपना लंड मसल दिया.

कम्मो अपनी ही मस्ती में सबसे पीछे चली आ रही थी. गुलाबी रंग के घागरा-चोली में कम्मो किसी अप्सरा की तरह दिख रही थी. उसकी चोली भी खुशबू की तरह गहरे गले, बिना बाहं वाली और बेकलेस थी. कम्मो के बड़े-बड़े दूध बिना ब्रा के चोली में किसी तरह समां रहे थे. मस्ती में सीढ़ियों से उतरती कम्मो के हर कदम पर उसके दूध उच्छलते हुए दाँये-बाँये हो रहे थे जिसे देखकर गोलू भी उच्छल पड़ा.

धीरे-धीरे मुस्कुराते हुए सारी बहने निचे आ जाती है. हाथ में पूजा की थाल लिए, चुतड हिलाती हुई सभी बहने भाइयों के पास आने लगती है. छेदी की नज़र खुशबू की हिलती हुई चौड़ी चुतड पर पड़ती है तो वो उसे छेड़ते हुए गाना गाने लगता है.

छेदी: (खुशबू की हिलती हुई चुतड देखते हुए) तौबा ये मतवाली चाल, झुक जाए फूलों की डाल.....
छेदी को गाता देख राजू, सोनू और गोलू भी अपनी-अपनी बहनों की चूतड़ों को देखते हुए छेदी के साथ गाने लगते है.
सभी भाई एक साथ : तौबा ये मतवाली चाल, झुक जाए फूलों की डाल.....चाँद और सूरज आकर माँगें तुझसे रँग-ए-जमाल....हसीना ! तेरी मिसालssssss कहाँsssss...!

भाइयों को चूतड़ों को घूरते हुए गाता देख, सभी बहने भी मस्ती में अपनी चूतड़ों को झटका देते हुए हिलाकर चलने लगती है. सारे भाई एक लम्बे से सोफे पर एक-साथ बैठे हुए थे. बहने चलते हुए उनके सामने थोड़ी दूर पर जा कर खड़ी हो जाती है. एक नजर अपने-अपने भाइयों को देखकर सभी एक दुसरे की तरफ देखकर मुस्कुरा देती है. सभी बहनों का आपस में आँखों ही आँखों में इशारा होता है. एक हाथ से सभी पूजा की थाल उठाये अपने भाइयों को देखते हुए, कमर हिलाते हुए एक साथ रक्षाबंधन का गीत गाने लगती है.

सभी बहने : (पूजा की थाल उठाये, कमर को झटके देते हुए) रंग-बिरंगी राखी लेके आई बहनाsss......ओssss राखी..बँधवा लेss मेरे वीरssss ओssss राखी.. बँधवा लेss मेरे वीरssss

अपनी बहनों की झलकती जवानी और उनके मुहँ से रक्षाबंधन के गीत सुनके भाइयों के लंड भी धोती में डोलने लगते है.बड़ी-बड़ी आँखों से सभी अपनी बहनों के योवन को घूरने लगते है.

सभी बहने : मैं न चाँदी, न सोने के हार माँगूँsss, मैं न चाँदी न भैयाsss सोने के हार माँगू , (सभी अपने भाइयों की टांगो के बीच बने उभार को देखते हुए) अपने भैयाss का थोड़ा सा प्यार माँगू, थोड़ा सा प्यार माँगू.....(सभी बहने आगे झुक कर चोली में छुपे बड़े-बड़े दूध के बीच की गहराई दिखाते हुए) इस राखी में प्यार छुपा के लाई बहनाssss....ओssss...रंग-बिरंगी राखी लेके आई बहनाsss....राखी..बँधवा लेss मेरे वीरssss ओssss राखी.. बँधवा लेss मेरे वीरssss

बहनों की अदा और इस गीत ने तो भाइयों के होश उड़ा दिए थे. आँखे फाड़े और खुले मुहँ से सभी अपनी बहनों को घूरे जा रहे थे. बहने भी मुस्कुराते हुए धीरे-धीरे चलते हुए आती है और थाल एक तरफ रखकर उनके सामने खड़ी हो जाती है.

उर्मिला: (मुस्कुराते हुए राजू से) ऐसे क्या देख रहा है अपनी दीदी को?
राजू: (ऊपर से निचे उर्मिला की जवानी को घूरते हुए) आप कितनी सुन्दर लग रही हो दीदी, किसी अप्सरा की तरह. आपको देखकर किसी का भी मन डोल जाए.
उर्मिला: (राजू की धोती में झटके लेते लंड को देखकर) वो तो मैं देख ही रही हूँ. मन के साथ-साथ कुछ और भी डोल रहा है.
राजू: आप हो ही इतनी सुन्दर तो ये बेचारा भी क्या करे दीदी? थोडा करीब आइये ना...

उर्मिला राजू के करीब आती है. राजू उर्मिला के नंगे गोर सपाट पेट पर हाथ फेरता है. उसकी गहरी नाभि पर अंगूठा फेरते हुए दो उँगलियों से फैला देता है. थोडा झुक कर राजू फैली हुई नाभि के अन्दर झांकता है और फिर सर उठकर उर्मिला को देखता है. उर्मिला भी राजू को देखकर अपने ओंठ काट लेती है. राजू फिर एक बार उँगलियों से फैलाकर उर्मिला की नाभि को देखता है और सर आगे बढ़ाकर अपने गर्म ओंठ नाभि पर रख देता है. उर्मिला सिंहर उठती है. राजू धीरे से अपनी जीभ निकालकर उर्मिला की गहरी नाभि में घुसा देता है. जीभ अन्दर घुमाते हुए एक बार जोर से चूस लेता है. उर्मिला आँखे बंद किये सिसिया देती है.

पास ही पायल भी सोनू के सामने खड़ी थी. निचे रखी थाल से वो कपूर का डिब्बा उठाने झुकती है तो सोनू उसके कंधे पर हाथ रख देता है. पायल वैसे ही आधी झुकी हुई सोनू को देखने लगती है. सोनू तेज़ साँसे लेता हुआ पायल की आँखों में देखने लगता है. पायल भी सोनू की आँखों में देखते हुए खो सी जाती है. अपने सगे छोटे भाई की आँखों में अपनी बहन के लिए प्यार और हवस वो साफ़ देख रही थी. सोनू की नज़र पायल के ओंठों पर पड़ती है जिसपर लाल लिपस्टिक का रंग चड़ा हुआ था. अपनी दीदी के लाल ओंठों को सोनू आंहे भरता हुआ देखता है. अपने अंगूठे को धीरे से पायल के निचले ओंठ पर रखकर सोनू धीरे-धीरे फेरने लगता है. सोनू के अंगूठे से पायल के ओंठ खुल जाते है. पायल सोनू की आँखों में देखते हुए धीरे से जीभ निकालकर उसका अंगूठा चाट लेती है. सोनू भी पायल की आँखों में देखते हुए अपने अंगूठे को पायल के ओंठों के बीच रोक देता है. पायल सोनू की आँखों में देखते हुए एक बार अपनी आँखे छोटी करती है और फिर धीरे से सोनू का अंगूठा अपने ओंठों में भर लेती है. दोनों भाई-बहन एक दुसरे की आँखों में खो से गए थे. पायल सोनू का अंगूठा मुहँ में भरकर चूसने लगी थी. सोनू तेज़ साँसों से पायल को देखे जा रहा था. वो धीरे से अपना अंगूठा पायल के मुहँ से निकालकर बीच वाली ऊँगली उसके मुहँ में डाल देता है जिसे पायल चूसने लगती है. अब सोनू धीरे-धीरे अपनी ऊँगली पायल के मुहँ में अंदर-बाहर करने लगता है. पायल ऊँगली के छोर पर अपनी जीभ घुमाती है तो सोनू दूसरी ऊँगली भी पायल के मुहँ में घुसा देता है. अब पायल भी मस्ती में सोनू की दो उँगलियों को मुहँ में भरे चूसने लगती है. अपने सर को आगे-पीछे करते हुए वो सोनू की दो उंगलियो को मुहँ में अंदर-बाहर करने लगती है.

पास ही खुशबू भी छेदी के सामने आ चुकी थी. छेदी खुशबू के बदन को घुर के देखता है. दोनों हाथों को खुशबू की कमर पर फेरते हुए उसकी चौड़ी चूतड़ों पर ले जाता है और पंजो से दबोच लेता है. सीसीयाते हुए खुशबू अपने हाथों को छेदी के कन्धों पर रख देती है और आगे झुक जाती है. खुशबू के दोनों बड़े-बड़े दूध छेदी के मुहँ के सामने आ जाते है. बिना ब्रा के चोली से उभरते हुए दोनों निप्पल को छेदी घुर के देखता है और फिर धीरे से सर आगे बढ़ा कर दांतों से चोली पर उभरे एक निप्पल को काट लेता है. अपने ओंठ काटते हुए खुशबू सिसिया जाती है. खुशबू के बदन को ऊपर से निचे सूँघता हुआ छेदी उसके जाँघों के बीच आ कर रुक जाता है. खुशबू ने पैन्टी नहीं पहनी थी और उसकी बूर तो पहले से ही पानी छोड़ रही थी. अपनी सगी बहन की बूर से निकलती तेज़ गंध को घागरे के ऊपर से सूँघते ही छेदी पर नशा सा चढ़ जाता है.

कम्मो जैसे ही गोलू के सामने जाती है तो उसकी नज़र धोती में बने बड़े से तम्बू पर पड़ती है. कम्मो को धोती में खड़े लंड को घूरता देख गोलू कमर को एक हल्का सा झटका देता है तो टोपे से पानी की एक बूँद निकलकर धोती पर गीला धब्बा बना देती है. धोती पर गीला धब्बा देखकर कम्मो अपने ओंठ काट लेती है. गोलू कम्मो का एक हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख देता है. कम्मो गोलू का लंड हाथ में पकडे उसकी मोटाई नापने लगती है. आज गोलू का लंड पहले से भी ज्यादा मोटा जान पड़ रहा था. ये रक्षाबंदन और सामने खड़ी जवान बहन का असर था. गोलू आँखों के इशारे से कम्मो को अपना लंड दिखाता है और फिर एक हाथ उसकी चूतड़ों पर ले जा कर जोर से दबा देता है. कम्मो बड़ी-बड़ी आँखे किये गोलू के इशारे को समझने की कोशिश करने लगती है. कम्मो की दुविधा दूर करने के लिए गोलू अपनी कमर को हलके झटके देते हुए लंड उच्छालने लगता है और साथ ही साथ एक ऊँगली घागरे के ऊपर से कम्मो की चूतड़ों के बीच दबाने लगता है. इस बार कम्मो गोलू का इशारा समझ जाती है और उसका मुहँ खुल जाता है.

उधर राजू उर्मिला की नाभि चुसे जा रहा था. उर्मिला भी उसके सर पर हाथ रखे आँखे बंद किया मजा ले रही थी. तभी उसकी आँखे खुलती है और उसकी नज़र सोनू-पायल, छेदी-खुशबू और गोलू-कम्मो पर पड़ती है. उसे ध्यान आता है की अभी तो रक्षाबंधन की कोई रस्म भी नहीं हुई और उसके साथ-साथ बाकी सभी भी शुरू हो गए. वो राजू से अलग होते हुए कहती है.

उर्मिला: अरे अरे...!! रक्षाबंधन है तो बहन से टिका आरती ये सब नहीं करवाओगे क्या?

उर्मिला की बात पर बाकी लोग भी अलग हो जाते है. सभी बहने थाली से रुमाल उठाकर अपने भाइयों के सर पर ओढा देती है. उर्मिला थाल पर रखे लाल-टिके पर ऊँगली घुमाकर राजू के सर पर लगाती है. टिका लागाते वक़्त उर्मिला के हाथ ऊपर होते है और राजू को उसकी बिना बाहं वाली चोली से हलके बालोवाली बगल दिख जाती है. राजू की नज़रे उर्मिला की बगल पर ही रुक जाती है जिसे उर्मिला भी समझ जाती है. टिका लगाकर उर्मिला राजू के सर पर रखा रुमाल ठीक करने के बहाने से आगे झुकती है और दुसरे हाथ को धीरे से उठा देती है. मौका देखकर राजू झट से आगे बढ़कर अपनी नाक सीधे उर्मिला की बगल में घुसा देता है और पसीने की गंध सूंघ लेता है. एक दो बार अच्छे से सूंघने के बाद वो पीछे हो कर उर्मिला को देखता है तो वो भी मुस्कुराते हुए पीछे हो जाती है.

पायल जब सोनू के माथे पर टिका लगाती है तो सोनू की नज़रे पायल के बड़े-बड़े दूध के बीच की गहराई पर ठहर जाती है. पायल ये बात भांप लेती है. वो जानबूझ कर वैसे ही अपनी ऊँगली सोनू के माथे पर रखे हुए थोडा और झुक जाती है जिससे उसके दूध के बीच के गहराई और भी खुल के दिखने लगती है. सोनू भी थोड़ी गर्दन झुकाके पायल के दूध की गहराई में झांकने लगता है. पायल मस्ती में दुसरे हाथ की ऊँगली चोली के बड़े गले में फँसाकर एक तरफ खींचती है तो उसके दूध के एक निप्पल के इर्द-गिर्द का हलके ब्राउन रंग का हिस्सा दिखने लगता है. सोनू उसे देखकर अपने ओंठों पर जीभ फेरने लगता है. फिर पायल को देखकर इशारे से मिन्नत करता हुआ निप्पल दिखाने कहता है. पायल सर हिलाते हुए मन करती है और मुस्कुराते हुए चोली के गले से ऊँगली निकाल देती है. आगे झुक कर धीरे से सोनू के कान में कहती है, "रक्षाबंधन के दिन अपनी दीदी का निप्पल देखेगा....! तुझे शर्म नहीं आती". ये सुनकर सोनू का मुहँ उतर जाता है तो पायल हँस देती है.

खुशबू भी छेदी के माथे पर टिका लगाती है. छेदी खुशबू को देखकर अपनी लम्बी सी जीभ निकालकर उसे दिखाता है और फिर उसकी जांघो के बीच देखते हुए घुमाने लगता है. खुशबू ये देखकर मुस्कुरा देती है और शर्मा जाती है. छेद फिर से जीभ निकालकर खुशबू की जाँघों के बीच देखते हुए जीभ को किसी आईस-क्रीम चाटने के अंदाज़ में निचे से ऊपर करने लगता है. ये देखकर खुशबू को हंसी आ जाती है. फिर वो बनावटी गुस्सा दिखाते हुए धीरे से कहती है, "धत्त भैया....!! कम से कम टिका और आरती होने तक तो ये सब मत करिए...!"

कम्मो जैसे ही गोलू के माथे पर टिका लगाती है, गोलू धीरे से बोल पड़ता है, "दीदी....!! आज मैं आपकी बहुत जम के लूँगा". मुहँ बनाते हुए कम्मो कहती है, "क्या लेगा?". गोलू अपना हाथ धीरे से कम्मो के घागरे में घुसा देता है और एक ऊँगली उसकी चूतड़ों के बीच घुसा कर गांड के छेद पर दबाते हुए कहता है, "ये दीदी...!!". एक पल के लिए कम्मो की आँखे बड़ी और मुहँ खुल जाता है फिर वो धीरे से मुस्कुराते हुए कहती है, "भाभी ठीक ही कहती है. सारे भाई गंदे होते है. अभी ना ठीक से टिका किया और ना आरती और ये भाई है की कहीं और ही ध्यान है"

भाई-बहनों पर रक्षाबंधन का खुमार चड़ने लगा था. रस्मे अभी बाकी थी पर भाइयों के सब्र का बाँध कमजोर होता जा रहा था. रक्षाबंधन के दिन जब पूरे परिवार के सामने बहने सज-धज कर आती है तो भाइयों का वहाँ भी अपने लंड को संभालना मुश्किल हो जाता है. यहाँ तो ना कोई बंदिश थी और न ही कोई बंधन, ये था भाई बहन का असली रक्षाबंधन.

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
Mast update.
 

Vishalji1

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अपडेट ४०:

छत पर सभी भाई अपनी बहनों के सामने, शॉर्ट्स से मोटे लंड निकाले बैठे थे. बहने भी उनके सामने अपनी टाँगे फैलाए जाँघों के बीच कसी हुई पैन्टी दिखाते हुए बैठी थी. भाइयों के मोटे लंड देख सभी बहने अपने होश खो बैठी थी. यहाँ तक उर्मिला भी राजू का मोटा लंड १.५ साल के बाद देखकर मदहोश हो चुकी थी. सभी भाई अपने लंड मसलते हुए बहनों को दिखा रहे थे. लंड के मोटे टोपे से रिसता हुआ पानी देख बहने अपनी जीभ ओंठों पर फेरने लगी थी. सभी बहने अपने ओंठ दांतों टेल दबाकर धीरे से भाइयों के लंड की ओर बढती है. बहनों को अपनी तरफ बढ़ता देख सभी भाई अपने लंड की चमड़ी पूरी निचे खींच कर मोटा टोपा बाहर निकाल देते है. मदहोश बहने अपने भाइयों के लंड के पास पहुँच कर एक बार घूरकर लंड को देखती है और धीरे से अपना सर लंड पर झुकाने लगती है. सभी बहने जैसे ही झुक कर भाइयों के लंड को मुहँ में लेने जाती है, पास की सड़क पर एक कुत्ता जोर-जोर से भोंकने लगता है. कुत्ते के भोंकने से उर्मिला के साथ-साथ पायल, कम्मो और खुशबू भी होश में आ जाती है. चारों झट से खड़ी हो जाती है और एक दुसरे की तरफ देखने लगती है. आँखों में कुछ इशारे होते है और फिर उर्मिला बोल पड़ती है.

उर्मिला: (इतराते हुए) हूँ...!! लंड दिखाकर आप लोग हमने पटा नहीं पाओगे. चलो गर्ल्स... चलकर सोते है.

ये कहकर सभी लडकियां अपने भाइयों को जीभ और अंगूठा दिखाकर जाने लगती है. सभी भाई एक आखरी बार अपने मोटे लंड दिखाकर बहनों को पटाने की कोशिश करते है लेकिन सभी बहने मुहँ बनाकर वहां से चली जाती है. लड़कियों के जाते ही राजू की आँखों में खून उतर आता है. वो गुस्से में यहाँ-वहाँ छत पर देखने लगता है.

राजू: (गुस्से में) साला मादरचोद....!! आज इस कुत्ते को मैं नहीं छोडूंगा.

गुस्से में राजू छत पर पड़े २-३ पत्थरों को उठाकर सड़क पर खड़े उस कुत्ते की ओर फेकने लगता है. कुत्ता भी एक पेड़ के पीछे छुपकर राजू पर भोंकने लगता है. राजू बहुत गुस्से में था. उसका गुस्सा देखकर सोनू, छेदी और गोलू उसे रोकने लगते है.

सोनू: अरे रहने दो राजू भैया, कुत्ता है बेचारा....
राजू: (गुस्से में) ये साला कुत्ता नहीं, मादरचोद है. साला दिन रात अपनी माँ-बहन की चुदाई करता है और यहाँ डेढ़ साल बाद मेरी दीदी आई है तो साले की गांड जल रही है.
छेदी: जाने दे राजू. अपनी-अपनी किसमत है. थूक दे गुस्सा.

राजू अपने गुस्से पर किसी तरह से काबू करता है. कुत्ता भी १-२ बार भोंकता है और फिर भाग जाता है. कुत्ते को २-३ गालियाँ दे कर राजू कहता है.

राजू: खड़े लंड पर धोका हो गया भाइयों. साला सारा प्लान चौपट हो गया.
छेदी: अभी प्लान चौपट नहीं हुआ है भाई. देखा नहीं? हमारी बहने पूरी गरमा गयी थी. एक बार उनके कमरे में चलते है. शायद कुछ बात बन जाए.

छेदी की बात से सभी सहमत हो जाते है और निचे जाने लगते है. वहाँ निचे कमरे में सभी बहने एक बड़े से बिस्तर पर लेटे हुए बातें कर रही थी.

पायल: आज तो बच गए. अगर वो कुत्ता एन वक़्त पर न भोंकता तो इस वक़्त हम सभी अपने भाइयों से चुद रही होती.
खुशबू: हाँ पायल दीदी. भगवान भला करे उस कुत्ते का. छेदी भैया तो पुरे जोश में लग रहे थे. आज तो मेरी जम के बूर चुदाई हो जाती.
कम्मो: हाँ दीदी. गोलू तो मेरे पिछवाड़े को शाम से ही घुर रहा था. वो तो मुझे घोड़ी बना देता आज.

बिस्तर पर लेटी, सभी लडकियां अपने भाइयों के बारें में सोचने लगती है. उर्मिला भी राजू के लंड को याद करते हुए धीरे-धीरे अपनी पैन्टी में हाथ डाले बूर को सहलाने लगती है. सभी का एक जैसा हाल था. छत पर सभी ने जो भाइयों के लंड के दर्शन किये थे वो नज़ारा उनके बदन का तापमान बढ़ा रहा था. सभी के हाथ अपनी पैन्टी के अन्दर चले जाते है. कुछ ही क्षण में कमरे में गर्मी बढ़ जाती है. सभी की पैन्टी टांगो से निकल जाती है और टाँगे फैलाए सभी बहने अपनी बालोवाली बूर में उंगलियाँ चलाने लगती है. भाइयों की याद में जैसे ही सभी बहने अपनी-अपनी बूर उँगलियों से फैलाती है, पूरा कमरा बूर की गंध से भर जाता है. तभी दरवाज़े पर दस्तक होती है. सभी हडबडाकर बैठ जाती है और टाँगे बंद कर देती है. उर्मिला उठकर दरवाज़ा खोलती है तो सभी भाई खड़े एक साथ अन्दर घुस जाते है. सभी की नजर बहनों पर पड़ती है जो बिस्तर पर टाँगे बंद किये बैठी थी. उर्मिला भी लड़कियों के साथ जा कर बैठ जाती है. तभी सभी भाइयों की नाक में बूर की तेज गंध जाती है. सभी कुत्तों की तरह कमरे में भरी बूर की गंध को सूंघने लगते है. सभी बहने ये नज़ारा देखकर हँस पड़ती है.

पायल: देखिये भाभी. शिकारी कुत्ते आये है, अपने-अपने शिकार की गंध सूंघते हुए. (सभी बहने फिर से हँस पड़ती है. )
राजू: अब शिकारी कुत्ते अपने शिकार की गंद सूंघते हुए आ ही गए है तो शिकार कर के ही जायेंगे. (इस बात पर सभी भाई हँस पड़ते है)

उर्मिला: इतनी जल्दी भी क्या है? माना की शिकारी कुत्ते बड़े तेज है पर अभी तो सभी शिकार की गंध एक हो गई है. ऐसे में किसी एक शिकार की गंध का पता चलाना तुम लोगो के बस की बात नहीं है. क्यूँ गर्ल्स? सही कहा ना मैंने?

इस बात पर सभी लडकियां एक साथ हामी भर देती है. उर्मिला अपनी पैन्टी बिस्तर से उठाकर राजू की तरफ उच्छाल देती है, जिसे राजू पकड़ लेता है.

उर्मिला: ये लीजिये शिकारी जी. अच्छे से रात भर सूंघ कर गंध पहचान लीजिये और फिर कल निकलना शिकार पर.

उर्मिला की देखा-देखी सभी बहने पैन्टी अपने-अपने भाइयों की तरफ उच्छाल देती है जिसे सभी भाई पकड़ लेते है.

उर्मिला: अब चलिए अपने कमरे में. हमे भी सोना है.

अब उर्मिला के सामने किसी की कहाँ चलने वाली थी. सभी भाई मुहँ बनाकर वहाँ से चले जाते है. उर्मिला दरवाज़ा लगाकर बिस्तर पर आती है तो सभी बहने खिलखिलाकर हँसने लगती है.

कम्मो: बहुत मजा आया भाभी. आपने अच्छा सबक सिखाया लड़कों को.

उर्मिला: अभी हँस लो जितना हँसना है.आज जो हमने अपने भाइयों के साथ किया है उसका बदला वो कल हमसे जरुर लेंगे.
कम्मो: (बड़ी-बड़ी आँखों से) मतलब भाभी?
उर्मिला: मतलब ये की कल हमारे भाई हम बहनों की बूर का भोसड़ा बनाने वाले है.
खुशबू: मत बोलिए ना ऐसा भाभी..! कुछ-कुछ होता है.

उर्मिला: (हँसते हुए) अच्छा चलो...!! अब सब सो जाओ. कल सुबह जल्दी उठाना भी है.

सभी बिस्तर पर लेट जाती है. पायल बत्ती बुझाकर पास वाले साइड टेबल पर से कुछ उठाती है और उर्मिला के पास लेट जाती है. अँधेरे में उर्मिला समझ नहीं पाती की पायल ने साइड टेबल पर से क्या उठाया था. कुछ देर बाद पायल के बदन में हलकी सी हलचल होने लगती है. उर्मिला धीरे से अपना हाथ पायल के हाथ पर रखती है टी पायल डर जाती है.

उर्मिला: (धीमी आवाज़ में) क्या कर रही है पायल?
पायल: (धीमी आवाज़ में) क..कु..कुछ नहीं भाभी.
उर्मिला पायल का हाथ देखती है तो वो उसकी चूतड़ों की के बीच घुसा हुआ था. उर्मिला हैरानी से पूछती है.

उर्मिला: (धीमी आवाज़ में) ये तू क्या कर रही है पायल? अपने पिछवाड़े में हाथ डालकर तू क्या कर रही है?
पायल: (धीमी आवाज़ में) वो..वो..वो मैं तेल लगा रही हूँ भाभी.
उर्मिला को एक पल लगता है बात समझने में.
उर्मिला: (धीमी आवाज़ में) तो कल सोनू को तू ये देगी?
पायल: (धीमी आवाज़ में) हाँ भाभी....! आगे का पापा ने खोला है तो पीछे वाले पर भाई का हक़ तो बनता है ना?

पायल की इस बात पर उर्मिला को बहुत ख़ुशी होती है. वो धीरे से पायल का माथा चूम लेती है. उर्मिला दूसरी तरफ घूम कर सो जाती है और पायल धीरे-धीरे तेल से सनी हुई ऊँगली अपने गांड के छेद में घुसाने लगती है. पायल जानती थी की कल रक्षाबंधन पर सोनू उसे क्या गिफ्ट देने वाला था, पर शायद सोनू ने सपने में भी नहीं सोचा था की पायल ने उसके लिए क्या गिफ्ट सोच रखा है.

धीरे-धीरे रात गहरी होती जा रही थी. अपने-अपने घरों में न जाने कितने जवाँ भाई-बहन आने वाली सुबह के हसीन सपने आँखों में लिए सो रहे थे. वो सुबह, जिसका वो सालभर बेसब्री से इंतज़ार करते है, वो सुबह जिसमे भाई-बहन का प्यार अपनी चरम सीमा पर होता है, वो सुबह जिसमे भाई-बहन जी भर के एक दुसरे पर प्यार लुटाते है, वो सुबह जिसे सारी दुनिया भाई-बहन के पवित्र रिश्ते के त्योहार, 'रक्षाबंधन' के नाम से जानती है.

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )

[ रक्षाबंधन का सीन लम्बा है जो अब भी अधुरा है. काफी वक़्त से मैंने कोई अपडेट नहीं दिया था इसलिए कहानी के इस भाग को पोस्ट कर रही हूँ. मैं चाहती हूँ की रक्षाबंधन का सीन एक ही अपडेट में आ जाए ]
ये kahani dusre site par pahle hi padhi hui hai Maine lekin yha dekha to lga ki usse aage ka likha hua ho sayad but yha bhi utna hi likha hua hai sayad inhone copy ki ho wo story bhi bnd hai ye bhi lekin hai jabardast story yha tak maza hai bahut but rakshabandhan wala scene hota aage aur jati story
 
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Sanjay dutt

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ये kahani dusre site par pahle hi padhi hui hai Maine lekin yha dekha to lga ki usse aage ka likha hua ho sayad but yha bhi utna hi likha hua hai sayad inhone copy ki ho wo story bhi bnd hai ye bhi lekin hai jabardast story yha tak maza hai bahut but rakshabandhan wala scene hota aage aur jati story
हम भी इंतजार में है
 
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