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♥ ? ? ? घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ] ???♥ ***INDEX*** |
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♥ ? ? ? घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ] ???♥ ***INDEX*** |
Please don’t do that सब बेकार हो जाता है इन घटिया और वाहियात फ़ोटोज़ को देखकर
Okk mastrani ji ...aaapne to mere land ko mast kar diya ...अगले अपडेट पर काम हो रहा है. आशा करती हूँ की आज देर रात तक पोस्ट कर दूंगी.
-मस्तरानी
बड़ी त्वरित गति से कहानी अपडेट हो रही है . लोगो का रुझान इसी कारन बढ़ता ही जा रहा है . बधाईअगले अपडेट पर काम हो रहा है. आशा करती हूँ की आज देर रात तक पोस्ट कर दूंगी.
-मस्तरानी
Samay lijiye janaab aur tabtak lijiye jabtak khud aashvaait na ho. Maine toh 6 mahine Tak gap liya tha bas itna Matt lena.अगले अपडेट पर काम हो रहा है. आशा करती हूँ की आज देर रात तक पोस्ट कर दूंगी.
-मस्तरानी
Behad khubsurat likha hai Bus hindi ki gintiya main samjh nahi paai baki sab behad khubsurat hai sach main maza aa gayaप्रिय पाठकों,
मस्तरानी का आप सभी को प्यार भरा नमस्कार |
इस कहानी का नाम है, "घर की जवान बूरें और मोटे लंड"
आशा करती हूँ की ये कहानी आप सभी को बहुत पसंद आएगी और इसे आप सभी का बहुत प्यार मिलेगा |
तो और वक़्त ज़ाया ना करते हुए मैं इस कहानी की शुरुवात करने जा रही हूँ |
घर की जवान बूरें और मोटे लंड
चेतावनी : ये कहानी पारिवारिक रिश्तों की कामुकता पर आधारित है जो समाज के नियमों के खिलाफ है | अगर आप ये पसंद नहीं करते तो ये आपके लिए बिलकुल भी नहीं है |
संसार में बूर और लंड का रिश्ता सबसे प्यारा होता है | लंड हमेशा से ही अपनी पत्नी और गर्लफ्रेंड की बूरों से अपनी प्यास बुझाते आये हैं, ठीक वैसे ही बूरें भी अपने पति और बॉयफ्रेंड से अपनी प्यास बुझती आईं हैं | लेकिन बुर या लंड पत्नी, गर्लफ्रेंड, पति, बॉयफ्रेंड के अलावा किसी और का हो तो मजा दुगना हो जाता है| जैसे पड़ोसन, पड़ोसी, शिक्षक, शिक्षिका इत्यादि... |
लेकिन एक बूर और लंड को सबसे ज्यादा मज़ा उनके अपने ही परिवार के लंड और बूरें ही दे सकती हैं | किसी भी मर्द का लंड सबसे विकराल रूप तभी लेता है जब उसके सामने जो बूर है वो उसकी अपनी सगी बेटी, बहन या माँ की हो | ठीक वैसे ही किसी भी लड़की या औरत की बूर अपने आप खुल के सबसे ज्यादा तभी रिसती है जब उसके सामने जो लंड है वो उसके अपने सगे बाप, भाई या बेटे का हो |
ये कहानी भी एक परिवार के ऐसे ही कुछ बुरों और लंडों की है जो समाज के नियमो को तार तार करते हुए चुदाई का अनोखा आनंद लेते हैं |
कहानी रामपुर के एक उच्च मध्यम परिवार की है | कहानी के किरदार कुछ इस प्रकार हैं |
पिता : रमेश सिंह ; उम्र ५२ साल. एक किराने की दूकान चलाते हैं. १० साल पहले तक वो अपने खेतों में काम भी करते थे और कसरत भी इसलिए बदन ५२ साल की उम्र में भी उनका बदन कसा हुआ है.
माँ : उमा देवी ; उम्र ४८ साल. घर को संभालने के अलावा वो हिसाब किताब का भी ध्यान रखती है. ज्यादा पढ़ी लिखी ना होने पर भी उसे दुनियादारी की समझ है .
बेटा (बड़ा) : रौनक सिंह ; उम्र २६ साल. एक प्राइवेट कंपनी में काम करता है. सेल्स में होने के कारण वो ज्यादातर टूर पे ही रहता है. वो एक जिम्मेदार बेटा है.
बहु : उर्मिला सिंह ; उम्र २४ साल. अपनी सास के साथ घर संभालती है. १ साल पहले ही शादी कर के इस घर घर में आई थी और जल्द हे सबकी चहेती बन गई है. गोरा रंग, सुड़ौल बदन और अदाएं ऐसी की किसी भी मर्द के होश उड़ा दे.
बेटी/बहन : पायल सिंह ; उम्र २१ साल. बी.ए फर्स्ट इयर की क्षात्रा. इसी साल कॉलेज में एडमिशन लिया है. पायल इस कहानी की मुख्य पात्र भी है. गोरा रंग, भरी हुई चुचियां, पतली कमर और उभरी हुई चुतड देख के उसके कॉलेज के लड़को को अपने बैग सामने टांगने पड़ते हैं.
बेटा (छोटा): सोनू सिंह ; उम्र १८ ; १२ वीं कक्षा का क्षात्र. अव्वल दर्जे का कमीना. स्कूल में लडकियों की स्कर्ट में हमेशा झांकता रहता है. उसके बैग में हमेशा गन्दी कहानियों की ३-४ किताबें रहती है.
सुबह के ६ बजे रहे है. सूरज की पहली किरण खिड़की से होते हुए उर्मिला की आँखों पर पड़ती है. उर्मिला टीम-टीमाती हुई आँखों से एक बार खिड़की से सूरज की और देखती है और फिर एक अंगडाई लेते हुए बिस्तर पर बैठ जाती है. हांफी लेते हुए उर्मिला की नज़र पास के टेबल पर रखी रौनक की तस्वीर पर जाती है तो उसके चेहरे पे हलकी सी मुस्कान आ जाती है. अपनी हथेली को ओठो के निचे रख के वो रौनक की तस्वीर को एक फ्लाइंग किस देती है और अपनी नाईटी ठीक करते हुए बाथरूम में घुस जाती है.
७ बज चुके है. नाश्ता लगभग बन चूका है और गैस पे चाय बन रही है. उर्मिला तेज़ कदमो के साथ अपनी ननद पायल के कमरे की तरफ बढती है. दरवाज़ा खोल के वो अन्दर दाखिल होती है. सामने बिस्तर पे पायल एक टॉप और पजामे में सो रही है. करवट हो कर सोने से पायल की चौड़ी चुतड उभर के दिख रही है. उर्मिला पायल की उभरी हुई चूतड़ों को ध्यान से देखती है. उसके चेहरे पे मुस्कान आ जाती है. वो मन ही मन सोचती है, "देखो तो कैसे अपनी चौड़ी चूतड़ को उठा के सो रही है. किसी मर्द की नज़र पड़ जाये तो उसका लंड अभी सलामी देने लगे". उर्मिला उसके करीब जाती है और एक चपत उसकी उठी हुई चुतड पे लगा देती है.
उर्मिला : ओ महारानी ... ७ बज गए है. (पायल की चुतड को थपथपाते हुए) और इसे क्यूँ उठा रखा है? कॉलेज नहीं जाना?
पायल: (दोनों हाथो को उठा के अंगडाई लेते हुए उर्मिला भाभी की तरफ देखती है. टॉप के ऊपर से उसकी बड़ी बड़ी चुचियां ऐसे उभर के दिख रही है जैसे टॉप में किसी ने दो बड़े गोल गोल खरबूजे रख दिए हो) उंssss
भाभी...बस ५ मिनट और सोने दीजिये ना प्लीज..!! कल रात देर तक पढाई की थी. बस भाभी ..और ५ मिनट....(पायल गिडगिडाते हुए कहती है).
उर्मिला : अच्छा बाबा ठीक है.. लेकिन सिर्फ ५ मिनट. अगर ५ मिनट में तू अपने कमरे से बाहर नहीं आई तो मई मम्मीजी को भेज दूंगी. फिर तो तुझे सुबह सुबह भजन सुनाएगी तो तेरी नींद अपने आप ही खुल जाएगी (उर्मिला हँसते हुए कहती है)
पायल : नहीं भाभी प्लीज. मैं पक्का ५ मिनट में उठ जाउंगी. आप मम्मी से मत बोलियेगा.
उर्मिला : हाँ हाँ नहीं कहूँगी. पर तू ५ मिनट में उठ जाना.
पायल : हाँ भाभी... (फिर पायल तकिये के निचे सर छुपा के सो जाती है और पायल कमरे से बाहर चली जाती है)
पायल रसोई में आती है तो उसकी सास उमा देवी चाय को कप में डाल रही है.
पायल : अरे मम्मी जी ... मैं तो बस पायल को उठा के आ ही रही थी. आप जाईये और टीवी देखिये. आपके प्रवचन का टाइम हो गया है.
उमा : कोई बात नहीं बेटी. थोडा काम मुझे भी तो कर लेने दिया कर. सारा काम तो तू ही करती है घर का (उमा देवी बड़े हे प्यार से उर्मिला से कहती है)
उर्मिला : कप मुझे दीजिये मम्मी जी... मैं सोनू को भी उठा देती हूँ. ये दोनों भाई बहन बिना उठाये उठते ही नहीं है.
उमा : सोनू को मैं उठा दूंगी. तू ये कप ले और पहले अपने बाबूजी को चाय दे दे. बूढ़े हो चले हैं लेकिन अब भी इनकी जवानी नहीं गई. इस उम्र में लोग सुबह सैर सपाटे के लिए जाते है और एक ये हैं की कसरत करेंगे (उमा देवी मुह बनाते हुए कहती है)
उर्मिला : (हँसते हुए) मम्मी जी आप भी ना..बस...!! ५२ साल की उम्र में भी बाबूजी कितने हट्टे-कट्ठे लगते है. उनके सामने तो आजकल के जवान लड़के भी मात खा जाए. आप तो बस यूँ ही बाबूजी को भला-बुर कहती रहती हैं (उर्मिला के चेहरे पर हलकी सी मायूसी आ जाती है)
उमा : (उर्मिला की ठोड़ी को पकड़ के उसका चेहरा प्यार से उठा के कहती है) अरे मेरी बहुरानी को बुरा लग गया? अच्छा बाबा अब नहीं कहूँगी तेरे बाबूजी के बारें में कुछ भी. अब ठीक है? (उमा देवी की बात सुनके उर्मिला के चेहरे पे मुस्कान वापस आ जाती है. उसकी मुस्कान देख के उमा कहती है) इतनी सुन्दर और प्यारी बहु मिली है मुझे. सबका कितना ख्याल रखती है. नहीं तो आज कल कौनसी बहु अपने सास ससुर का इतना ख्याल रखती है?
उर्मिला : क्यूँ ना रखूँ मम्मी जी? आप दोनों ने हमेशा से ही मुझे अपनी बहु नहीं बेटी माना है तो मेरा भी तो फ़र्ज़ है की मैं आप दोनों को अपने माता पिता का दर्ज़ा दू. कप दीजिये.. मैं बाबूजी को है दे कर आती हूँ. वैसे बाबूजी हैं कहाँ?
उमा : छत पर होंगे और कहाँ ? कर रहे होंगे अपने कसरत की तैयारी.
उमा देवी की बात सुनके उर्मिला हँस देती है और छत की सीढीयों की ओर बढ़ जाती है.
छत पर रमेश अपने कसे हुए बदन पर सरसों का तेल लगा रहा है. खुला बदन, निचे एक सफ़ेद धोती जो घुटनों तक उठा राखी है. सूरज की रौशनी में उसका तेल से भरा बदन जैसे चमक रहा है. उर्मिला चाय का कप ले कर छत पर आती है और उसकी नज़र बाबूजी के नंगे सक्त बदन पर पड़ती है. वैसे उर्मिला ने बाबूजी को कई बार इस हाल में देखा है, उनके बदन को कई बार दूर से निहारा भी है. रौनक का घर से दूर रहना उर्मिला के इस बर्ताव के कई कारणों में से एक था. उर्मिला कुछ पल बाबूजी के बदन को दूर से ही निहारती है फिर चाय ले कर उनके पास जाती है.
उर्मिला : ये लीजिये बाबूजी आपकी चाय (चाय पास के टेबल पर रखते हुए कहती है)
रमेश : सही टाइम पे चाय लायी हो बहु. मैं अभी कसरत शुरू करने हे वाला था. ५ मिनट बाद आती तो शायद नहीं पी पाता.
उर्मिला : (बाबूजी की बात सुनके उर्मिला का मुह छोटा हो जाता है. वो जानती है की बाबूजी कसरत सिर्फ लंगोट पहन के करते है. अगर वो ५ मिनट के बाद आती तो बाबूजी को लंगोट में देखने का आनंद ले पाती) आपकी बहु हूँ बाबूजी. आपकी सुबह की चाय कैसे मिस होने देती?
रमेश : (हँसते हुए) हहाहाहा... बहु..सही कहा तुमने. इसलिए तो मैं हमेशा कहता हूँ की मेरी एक नहीं दो बेटियां है.
उर्मिला : ये तो आप हो बाबूजी जो अपनी बहु को बेटी का दर्ज़ा दे रहे हो, नहीं तो लोग तो अपनी बहु को नौकरानी बना के रखते है.
रमेश : ना ना बहु...तू है ही इतनी सुन्दर...और प्यारी. कोई ऐसी बहु को नौकरानी बना के रखता है क्या भला?
बाबूजी की बात सुनके उर्मिला उनके पैर पढने के लये निचे झुकती है. नहाने के बाद उर्मिला ने जो ब्लाउज पहना है उसका गला थोडा गहरा है. झुकने से साड़ी का पल्लू निचे गिर जाता है जिसे उर्मिला सँभालने की जरा भी कोशिश नहीं करती. गहरे गले के ब्लाउज से उर्मिला के तरबूज जैसी चुचियों के बीच की गहराई साफ़ दिखने लगती है. बाबूजी की नज़र जैसे ही उर्मिला की बड़ी बड़ी चुचियों के बीच की घाटी पे पड़ती है उनकी आँखे बड़ी और थूक गले में अटक जाता है. रमेश ने वैसे बहुत सी लडकियों और औरतों को अपने लंड का पानी पिलाया है लेकिन अपनी बहु की जवानी के सामने वो सब पानी भारती है. किसी तरह से रमेश थूक को गले से निचे उतारते हुए कहता है.
रमेश : अरे बस बस बहु. मेरा आशीर्वाद तो हमेशा तेरे साथ है. (बहु के सर पे हाथ रख के आशीर्वाद देने के बाद रमेश उर्मिला के दोनों कंधो को पकड़ के उसे उठाता है) जुग जुग जियो बहु..सदा सुहागन रहो...
उर्मिला : (मुस्कुराते हुए नज़रे झुका के अपना पल्लू ठीक करती है) अच्छा बाबूजी... मैं अब चलती हु. मम्मी जी की रसोई में मदद कर दूँ.
रमेश : हाँ बहु..तुम जाओ. मैं भी अपनी कसरत कर लेता हूँ.
उर्मिला धीरे धीरे सीढीयों की तरफ बढ़ने लगती है. "उफ़ ..!! बाबूजी कैसे मेरी बड़ी बड़ी चुचियों के बीच की गहराई में झाँक रहे थे. उनका लंड तो पक्का धोती में करवटें ले रहा होगा". उर्मिला के दिल में ये ख्याल आता है. उसके कदम सीढीयों से उतरते हुए अपने आप ही थम जाते है. कुछ सोच कर वो दबे पावँ छत के दरवाज़े के पास जाती है और वहीं दिवार की आड़ में बैठ जाती है. थोड़ी दूरी पर बाबूजी खड़े है. चाय की ३-४ चुस्कियां ले कर वो कप टेबल पर रख देते है और अपनी धोती की गाँठ खोलने लगते हैं. उनकी पीठ उर्मिला की तरफ है. धोती खोल कर पास पड़ी खाट पर डालने के बाद बाबूजी अपने दोनों हाथों को कन्धों की सीध में लाते हैं और फिर अपने शारीर के उपरी हिस्से को दायें बाएं करने लगते है. जैसे से बाबूजी दाई तरफ मुड़ते हैं, उर्मिला की नज़र उनके लंगोट के आगे वाले हिस्से पर पड़ती है. उर्मिला के मुह से हलकी आवाज़ निकल जाती है, "हाय दैया ...!!". लंगोट का अगला हिस्सा फूल के उभरा हुआ है, करीब ३-४ इंच. लंगोट के उभार के दोनों तरफ से कुछ काले सफ़ेद बाल दिखाई पड़ रहे है. "उफ़..!! लंगोट का उभार ही ३-४ इंच का है तो बाबूजी का ल ....हे भगवान्....पता नहीं मम्मी जी ने कैसे झेला होगा इसे...". उर्मिला अपने आप में ही बडबडाने लगती है. उसकी नज़र लंगोट के उस उभरे हुए हिस्से पे मानो फंस सी जाती है.
वहां छत पर उर्मिला अपनी दुनिया में खोई हुई है और यहाँ उमा देवी चाय का कप ले कर अपने बेटे सोनू के कमरे तक पहुँच गई है. वो कमरे में घुसती है. सामने सोनू बिस्तर पे चादर ओढ़ के पड़ा हुआ है.
उमा : लल्ला...!! सोनू बेटा..!! उठ जा..आज स्कूल नहीं जाना है क्या?
सोनू : (आँखे खोल के एक बार मम्मी को देखता है और फिर आँखे बंद कर लेता है) मम्मी अभी सोने दीजिये ना...
उमा : (कप टेबल पे रख के) चुप कर..बड़ा आया अभी सोने दीजिये ना वाला..चल उठ जल्दी से...७:३० हो गए है. अभी सोता रहेगा फिर पायल से लडेगा नहाने के लिए....और ये टेबल कितना गन्दा कर रखा है. किताबें तो ठीक से रखा कर बेटा..
उमा टेबल पे रखी किताबें ठीक करने लगती है. जैसे हे वो निचे गिरी किताब उठाने के लिए झुकती है, उसके लो कट ब्लाउज के गले से उसकी फुटबॉल जैसी चुचियों के बीच की गहराई दिखने लगती है. कमीना सोनू रोज इसी मौके का इंतज़ार करता है. अपनी माँ के ब्लाउज में झांकते हुए वो दोनों चुचियों का साइज़ मापने लगता है. चादर के अन्दर उसका एक हाथ चड्डी के ऊपर से लंड को मसल रहा है. उमा किताब उठा के टेबल पे रखती है और दूसरी तरफ घूम के कुर्सी पे रखे कपडे झुक के उठाने लगती है. सोनू की नज़रों के सामने उसके माँ की चौड़ी चुतड उठ के दिखने लगती है जो साड़ी के अन्दर कैद है. सोनू माँ की चुतड को घूरता हुआ अपना हाथ चड्डी में दाल देता है और लंड की चमड़ी निचे खींच के लंड के मोटे टोपे को बिस्तर पे दबा देता है. माँ की चुतड को देखते हुए सोनू लंड के टोपे को एक बार जोर से बिस्तर पे दबाता है और वैसे ही अपनी कमर का जोर लगा के रखता है मानो वो असल में ही अपनी मम्मी की गांड के छेद में अपना लंड घुसाने की कोशिश कर रहा हो. उमा जसी हे कपडे ठीक करके सोनू की तरफ घुमती है, सोनू झट से हाथ चड्डी से बाहर निकाल लेता है और आँखे बंद कर लेता है.
उमा : नहीं सुनेगा तू सोनू? (उमा कड़क आवाज़ में कहती है)
सोनू : अच्छा मम्मी आप जाइये. मैं २ मिनट में आता हूँ.
उमा : अगर तू २ मिनट में नहीं आया तो तुझे आज नाश्ता नहीं मिलेगा. मेरे ही लाड़ प्यार से इसे बिगाड़ दिया है. ना मैं इसे सर पे चढ़ाती, ना ये बिगड़ता..(उमा बडबडाते हुए कमरे से बाहर चली जाती है)
वहां छत पर उर्मिला बाबूजी की लंगोट पर नज़रे गड़ाए हुए है. वो लंगोट के उभरे हुए हिस्से को देख कर लंड के साइज़ का अंदाज़ा लगाने की कोशिश कर रही है. "९ इंच ... ना ना ...१० से ११ इंच का तो होगा ही. जिस लड़की पर भी बाबूजी चड़ेंगे, पसीना छुडवा देंगे". तभी बाबूजी ज़मीन पर सीधा हो कर लेट जाते हैं और दंड पेलने लगते है. बाबूजी की कमर ज़मीन से बार बार ऊपर उठ कर फिर से ज़मीन पर पटकन ले रही हैं. उर्मिला ये नज़ारा गौर से देख रही है. एक बार तो उसका दिल किया की दौड़ के बाबूजी के निचे लेट जाए और साड़ी उठा के अपनी टाँगे खोल दें. लेकिन वो बेचारी करती भी क्या? समाज के नियम उसे ऐसा करने से रोक रहे थे. एक बार को वो उन नियमो को तोड़ भी देती पर क्या बाबूजी उसे ऐसा करने देंगे? उसके दिमाग में ये सारी बातें और सवाल घूम रहे थे. निचे उसकी बूर चिपचिपा पानी छोड़ने लगी थी. बैठे हुए उर्मिला ने साड़ी निचे से जांघो तक उठाई और झुक के अपनी बूर को देखने लगी. उसकी बूर के ऊपर घने और दोनों तरफ हलके काले घुंगराले बाल थे. उसकी बूर डबल रोटी की तरह फूल गई थी और बूर की दरार से चिपचिपा पानी रिस रहा था. उर्मिला ने अपनी बूर को देखते हुए धीरे से कहा, "लेगी बाबूजी का लंड? बहुत लम्बा और मोटा है, गधे के लंड जैसा. लेगी तो पूरी फ़ैल जाएगी. बोल...फैलवाना है बाबूजी का लंड खा के?". अपने ही मुहँ से ये बात सुन के उर्मिला मुस्कुरा देती है फिर वो बाबूजी के लंगोट को देखते हुए २ उँगलियाँ अपनी बूर में ठूँस देती है. बाबूजी के हर दण्ड पेलने पर उर्मिला अपनी कमर को आगे की और झटका देती है और साथ ही साथ दोनों उंगलियों को बूर की गहराई में पेल देती है. उर्मिला बाबूजी के दंड पेलने के साथ ताल में ताल मिलाते हुए अपनी कमर को झटके दे रही है और उंगलियों को बूर में ठूंस रही है. उर्मिला ने ऐसा ताल मिलाया था की अगर उसे बाबूजी के निचे ज़मीन पर लेटा दिया जाए तो बाबूजी के हर दंड पर उसकी कमर उठे और उनका लंड जड़ तक उर्मिला की बूर में घुस जाये.
बाबूजी के १०-१५ दंड पलते ही उर्मिला की उंगलियों ने राजधानी की रफ़्तार पकड़ ली. वो इतनी मदहोश हो चुकी थी की उससे पता ही नहीं चला की कब वो ज़मीन पर दोनों टाँगे खोले लेट गई और उसी अवस्था में अपनी बूर में दोनों उँगलियाँ पेले जा रही है. "ओह बाबूजी...!! एक दो दंड मुझ पर भी पेल दीजिये ना...!! आहsss..!!". उर्मिला अपने होश खो कर बडबडाने लगी थी. कुछ ही पल में उसका बदन अकड़ने लगा और कमर अपने आप ही झटके खाने लगी. एक बार उसके मुहँ से "ओह बाबूजी... आहssssss" निकला और उसकी बूर गाढ़ा सफ़ेद पानी फेकने लगी. पानी इतनी जोर से निकला की कुछ छींटे सामने वाली दिवार पर भी पड़ गए. कुछ ही पल में उर्मिला को होश आया और उसने ज़मीन पर पड़े हुए ही बाबूजी को देखा तो वो अब भी दंड पेल रहे थे. उर्मिला झट से उठी और अपनी साड़ी से बूर और फिर दिवार को साफ़ किया. साड़ी को ठीक करते हुए वो तेज़ कदमो से सीढीयों से निचे उतरने लगी.
(कहानी जारी है. शुरुआत कैसी है कृपया कर के बतायें )
Ufffff itnnna garam, yakinan aap bahut ache writer hai waise bhi aaj kal aisi kahani milti hi nahi padne koअपडेट २:
नाश्ते की मेज़ पर सोनू और पायल आमने सामने बैठे हैं. सोनू अपने स्कूल ड्रेस में है और पायल ने एक नीले रंग की टॉप और लम्बी स्कर्ट, जो उसके घुटनों से थोड़ी निचे तक है, पहन रखी हैं. पायल नाश्ता करने में व्यस्थ है. लेकिन सोनू की नज़र रोज की तरह अपनी पायल दीदी पे गड़ी हुई है. नाश्ता करते हुए सोनू बार बार कनखियों से पायल की टॉप में उठी हुई गोल गोल चूचियां देख रहा है. पायल नाश्ता करते हुए अपने फ़ोन में देख रही है और वो कभी अपनी लटो को ऊँगली से कान के पीछे कर रही है तो कभी बालों को झटक के कंधो के पीछे. उसकी हर अदा पे सोनू कभी मुहँ के अन्दर ही अपनी जीभ दाँतों से दबा देता है तो कभी अपनी जांघो को आपस में चिपका के लंड को दबा देता है. पायल मुहँ बंद करके खाना चबा रही है और उसके गुलाबी रसीले ओंठ सोनू का बुरा हाल कर रहे हैं. पायल के रसीले ओंठ देख कर सोनू मेज़ के निचे अपनी कमर उठा के २-३ झटके भी दे चूका था.
रसोई में खड़ी उर्मिला दोनों को गौर से देख रही थी, ख़ास कर सोनू को. सोनू की हर हरकत का वो पूरा मज़ा ले रही थी. कुछ देर बाद उर्मिला रसोई से आवाज़ लगाती है.
उर्मिला : और कुछ लोगे तुम दोनों ?
पायल : भाभी मेरे लिए आधा पराठा ला दीजिये प्लीज..!
उर्मिला : अभी लायी.. (उर्मिला आधा पराठा ले कर पायल के पास जाती है) ये लीजिये पायल जी, आपका आधा पराठा...
पायल: थैंक्यू भाभी.. यू आर दी बेस्ट...
उर्मिला : सोनू.. तू क्या लेगा ? (ये कहते हुए उर्मिला अपना एक हाथ पायल के कंधे पर रख देती है)
सोनू : (नज़रे पायल की टॉप में उभरी हुई चुचियों पर है. उर्मिला की आवाज़ सुन के वो हडबडा जाता है) अ..अ... कुछ नहीं भाभी... और कुछ नहीं... मेरा हो गया बस...
उर्मिला : (उर्मिला सोनू को देखते हुए मुस्कुरा देती है और पायल के पीछे खड़ी हो के दोनों हाथों को उसके कन्धों पे रख देती है) अभी तो शरुवात हुई है देवरजी .... ऐसे ही छोटे मोटे खाने से पेट भर जायेगा तो जब असल में खाने का वक़्त आएगा तो क्या करोगे ? (सोनू से कहते हुए उर्मिला अपने हाथों से पायल के कन्धों को हलके से दबा देती है. उर्मिला के शब्दों के इस जाल को ना सोनू समझ पाता है और ना ही पायल)
सोनू : नहीं भाभी... सच में पेट भर गया मेरा. और नहीं खा पाउँगा...
उर्मिला : (अपनी आँखे गोल घुमाके ऊपर देखती है और लम्बी सांस छोड़ती है. "चूतिया है साला.... जहाँ दिमाग लगाना है वहां नहीं लगाएगा", उर्मिला मन में सोचती है. फिर वो पायल की नीली टॉप को देखते हुए कहती है) अरे वाह पायल ...!! ये टॉप तो तुझ पे जच रही है. कब ली ?
पायल : २ दिन पहले ही ली है भाभी. सॉरी मैं आपको दिखाना भूल गई...
उर्मिला : कोई बात नहीं पायल. जरा देखू तो कैसी टॉप है तेरी. (उर्मिला पायल के बगल में खड़ी हो जाती है और एक हाथ से उसकी नाभि के उपरी हिस्से की टॉप को पकड़ के कहती है) अरे वाह...!! ये तो बहुत अच्छी है पायल. और ये क्या लिखा है तेरी टॉप पे ?... (टॉप पर गुदी हुई प्रिंटिंग देखने के बहाने उर्मिला टॉप को धीरे से निचे की ओर खींचती है जिस से पायल की बड़ी बड़ी चुचियों पर पहले से ही कसी हुई टॉप और भी ज्यादा कस जाती है. पायल की बड़ी बड़ी चुचियों के अनारदाने टॉप के ऊपर उभर के दिखने लगते है)..."घर की लाड़ली"... एक दम सही लिखा है तेरी टॉप पर पायल. मेरी प्यारी ननद घर की लाड़ली ही तो है....(उर्मिला प्यार से पायल के गाल खींचते हुए कहती है)
पायल : (प्यार से ) थैंक्यू भाभी...!!
सामने बैठे सोनू को ना भाभी की बात सुनाई दे रही थी और ना ही पायल की. उसकी आँखे तो पायल की टॉप में उभरे उन दो अनारदानों पर टिकी हुई थी. उसकी आँखे बड़ी हो गई थी और मुहँ खुला का खुला. हाथ में पराठे का वो टुकड़ा उसके मुहँ में जाते जाते रुक गया था. उर्मिला तिरछी नज़रों से सोनू को देख रही थी. तभी उर्मिला के गंदे दिमाग में एक ख़याल आया.
उर्मिला : फिटिंग तो अच्छी है पायल और टॉप के गले का शेप भी अच्छा है. बस इस टॉप को ना तू थोड़ा सा आगे कर के पहना कर. पीछे खींच कर पहनेगी तो उतनी फिट नहीं आएगी. रुक मैं ठीक कर देती हूँ (उर्मिला टॉप को पीछे से थोड़ा ऊपर की और खींचती है और फिर आगे से थोडा निचे. टॉप का गला पहले से ही हल्का सा गहरा था जो अब टॉप के निचे होने से और गहरा हो गया था. अब पायल की बड़ी बड़ी चुचियों के बीच की गहराई दिखने लगी थी) हाँ... परफेक्ट ..!! अब एक दम सही है ...
पायल : भाभी मानना पड़ेगा. आपकी ड्रेसिंग सेंस सच में बहुत अच्छी है.
उर्मिला : जानती हूँ पायल रानी ... तेरे भैयाँ क्या ऐसे ही मेरे दीवाने है ? (उर्मिला की बात सुन के पायल की हंसी छूठ जाती है. उर्मिला चुपके से सोनू को देखती है तो उसकी नज़रे पायल की टॉप के गहरे गले से दिख रही चुचियों के बीच की गली पर टिकी है. उर्मिला झट से पायल के पीछे जाती है और उसके कन्धों से थोड़ा निचे, बाँहों की ओर, दोनों तरफ हाथ रख देती है. इस बार उर्मिला अपने हाथों को हल्का सा घुमाव देते हुए आगे की ओर दबाती है जिस से टॉप का गला आगे से ढीला हो कर और भी ज्यादा गहरा हो जाता है साथ ही साथ दबाव से पायल की बड़ी बड़ी चूचियां आपस में चिपक जाती है. अब पायल की टॉप के गहरे गले से चुचियों की हलकी सी गोलाई और बीच में एक लम्बी सी गली साफ़ साफ़ दिखाई पड़ने लगती है. उर्मिला अब सोनू से कहती है) क्यों देवर जी ? जरा देख कर बताइए... कैसी लग रही है मेरी प्यारी ननद रानी ?
सोनू अपनी नज़र पहले पायल के चेहरे पर डालता है. पायल फ़ोन में कुछ देख रही है. फिर उसकी नज़र उर्मिला भाभी पर पड़ती है. भाभी के चेहरे पे कुटिल मुस्कान है. भाभी सोनू को देखते हुए एक बार अपनी आँखे छोटी करती है और हल्का सा आगे झुक के सोनू की आँखों में देखती है. उर्मिला के दोनों हाथ एक बार फिर घुमाव के साथ पायल की बाहों को दबातें है और उसकी नज़रे जो सोनू की आँखों में देख रही थी वो अब पायल की टॉप के गहरे गले की और इशारा कर रही है. भाभी की इस हरकत से सोनू डर जाता है. लेकिन था तो वो अव्वल दर्जे का कमीना. उसका कमीनापन उसके डर पे भारी पड़ता है और नज़रे धीरे धीरे पायल की टॉप से दिख रही चुचियों की गहराई पर पड़ती है. वो नज़ारा देख के सोनू की जीभ अपने आप की ओठों पर घूम जाती है. बहन की चुचियों के बीच की उस गहराई को सोनू पहली बार इतने करीब से देख रहा था. पैंट में उसका लंड अंगड़ाईयाँ लेने लगा था. तभी उर्मिला की आवाज़ उसके कानों में पड़ती है.
उर्मिला : कहाँ खो गए देवरजी? बताया नहीं, कैसी लग रही है मेरी प्यारी ननद?
सोनू : (झेंपते हुए) वो..वो.. अच्छी लग रही है भाभी....
उर्मिला : और ये गहराई कैसी लगी?
सोनू : (भाभी का सवाल सुन के उसके होश उड़ जाते है) क...को.. कौनसी गहराई भाभी...??
उर्मिला : अरे बाबा... इस नीले टॉप के रंग के गहराई की बात कर रही हूँ. बहुत गहरा है ना ? (उर्मिला सोनू को देख के झट से आँख मार देती है)
सोनू : (सोनू समझ जाता है की भाभी क्या पूछ रही है. भाभी के आँख मारने से सोनू का डर थोडा कम हो गया है) हाँ भाभी.... बहुत गहरा है.
तभी पायल अपनी प्लेट ले कर खड़ी होती है और रसोई की और चल देती है. पायल के जाते हे उर्मिला धीमी आवाज़ में सोनू से बात करने लगती है.
उर्मिला : तो सोनू जी... बोलिए, मज़ा आया ?
सोनू : किस बात में भाभी ?
उर्मिला : देख सोनू... ज्यादा बन मत. सुबह से देख रही हूँ तुझे. पायल की चुचियों को ऐसे घुर रहा है जैसे अभी उसकी टॉप फाड़ के दोनों चूचियां दबोच लेगा.
सोनू : ये आप क्या बोल रहे हो भाभी ? वो मेरी दीदी है. मैं तो ऐसा सोच भी नहीं सकता.
उर्मिला : अच्छा ? सोच भी नहीं सकता ? तो सुबह जो पायल की चुतड को देख के अपनी कमर को झटके दे रहा था वो क्या था ? अपनी दीदी के लिए प्यार ?
उर्मिला की ये बात सुन के सोनू के होश उड़ जाते हैं. उसका बदन सफ़ेद पड़ जाता है जैसे काटो तो खून नहीं. लड़खड़ाती आवाज़ में सोनू उर्मिला से कहता है.
सोनू : भा..भा.. भाभी प्लीज.... मुझे माफ़ कर दीजिये. अब मैं ऐसा कभी नहीं करूँगा... आप पापा से कुछ मत कहियेगा प्लीज भाभी....
सोनू की हालत देख के उर्मिला को हंसी आ जाती है.
उर्मिला : (हँसते हुए) तू एकदम पागल है सोनू. अगर मुझे पापा जी को बताना होता तो मैं सुबह हे बता देती. और मैं क्या तुझे पायल का वो नज़ारा देखने में हेल्प करती ?
सोनू : तो क्या भाभी आप मुझसे गुस्सा नहीं है?
उर्मिला : (सोनू के बालों में हाथ फेरते हुए) नहीं रे पागल.. मैं बिलकुल भी गुस्सा नहीं हूँ. सच कहूँ तो मुझे अच्छा लगा की तू पायल के साथ ये सब कर रहा है.
उर्मिला की बात सुन के सोनू का सर घूम जाता है. वो समझ नहीं पा रहा था की भाभी को अच्छा क्यूँ लग रहा है.
सोनू : लेकिन भाभी... आपको ये सब अच्छा क्यूँ लग रहा है ?
उर्मिला : वो इसलिए मेरे छोटे देवरजी क्यूंकि तू ये सब कर के एक तरह से पायल की मदद कर रहा है. एक सच्चे भाई होने का फ़र्ज़ निभा रहा है.
सोनू : मैं कुछ समझा नहीं भाभी.
उर्मिला : अभी तेरे स्कूल का समय हो रहा है. तू स्कूल जा. शाम को जब घर आएगा तो मैं तुझे सब समझा दूंगी. हाँ एक और बात. तू पायल या किसी और से इस बारें में बात मत करना. ये भाभी और देवर के बीच की बात हैं (उर्मिला आँख मारते हुए कहती है)
भाभी का इशारा सोनू समझ जाता है. वो भाभी को अपने उस दोस्त की तरह देखता है जिस से वो अपने दिल की हर एक बात बता सके. चाहे वो बात पायल दीदी की हे क्यूँ ना हो.
सोनू : (मुस्कुरा के खुश होते हुए) थैंक्यू भाभी... आप बहुत अच्छी हो. मैं शाम को आऊंगा तो हम ढेर सारी बातें करेंगे.
उर्मिला : हाँ बाबा... करेंगे . लेकिन तू प्रॉमिस कर की तू मुझसे कुछ नहीं छुपायेगा, कुछ भी नहीं...
सोनू : हाँ भाभी ... प्रॉमिस... गॉड प्रॉमिस...
तभी पायल वहां आ जाती है.
पायल : और कितना पकाएगा सोनू भाभी को ? (फिर भाभी की ओर देख कर) भाभी आप भी इस गधे की बातों में आ जाती है. पता नहीं क्या क्या बकवास कर के सबको पकाता रहता है. गधा है ये गधा...
उर्मिला : अरे नहीं पायल ऐसा मत बोल मेरे देवर को. हाँ पर तेरी एक बात से मैं पूरी तरह से सहमत हूँ. (उर्मिला सोनू को देखते हुए आँखों से उसकी पैंट की तरफ इशारा करते हुए कहती है) गधा तो ये है. और जब तू सामने आती है तो ये और भी बड़ा वाला गधा बन जाता है (ये कहते हुए उर्मिला सोनू को देख के आँख मार देती है. भाभी की बात पर कमीने सोनू को भी शर्म आ जाती है )
पायल : हाँ भाभी सही कहा आपने. और आप मिस्टर गधे .... चलिए नहीं तो स्कूल में लेट हो जाओगे....
सोनू सर झुका के बस्ता टाँगे पायल के पीछे पीछे चल देता है. जाते हुए वो एक बार मुड़ के भाभी को देखता है. उर्मिला के चेहरे पर अब भी वही मुस्कान है. वो सोनू को देख कर नजरो से पायल की हिलती हुई चुतड को देखने कहती है. सोनू पायल की मटकती हुई चूतड़ों को एक बार गौर से देखता है फिर भाभी की तरफ देखने लगता है. उर्मिला अपना एक हाथ उठा के अपनी तर्जनी (index finger) और अंगूठे को मिला कर गोला बना के पायल की चुतड 'एक दम मस्त' ? होने का इशारा करती है. भाभी के इस इशारे से सोनू एक बार फिर शर्मा जाता है और पायल के चुतड को निहारता हुआ उसके पीछे पीछे बाहर चला जाता है. अपना काम बनता देख उर्मिला बहुत खुश है और वो गाना गुनगुनाते हुए अपने कमरें में चली जाती हैं.
(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
Wooooow sach main kamal ka likha haiअपडेट ४:
पानी की टंकी छत के एक कोने में स्थीत है. टंकी के पीछे एक त्रिकोण आकार का छत का खाली हिस्सा है जिसके दोनों तरफ छत की ऊँची दीवार और तीसरी तरफ पानी की टंकी है. उर्मिला सोनू का हाथ पकड़ के वहां ले आती है और निचे बैठ जाती है. सोनू का हाथ पकडे हुए उर्मिला कहती है.
उर्मिला : आ सोनू. मेरे सामने बैठ.
सोनू उर्मिला के सामने बैठ जाता है. उसका मोटा लंड अब भी शॉर्ट्स के बाहर ही है. उर्मिला सोनू के सामने पहले तो पेशाब करने वाली पोजीशन में बैठती है और अपनी साड़ी निचे से उठा के कमर तक चढ़ा लेती है. फिर वो ज़मीन पर बैठ जाती है और पीछे हो कर अपना सर दोनों तरफ की दीवारों के बीच टिका देती है. उर्मिला धीरे धीरे अपने पैरों खोलती है और उसकी बूर सोनू के सामने खुल के आ जाती है. उर्मिला की बूर के ऊपर घने और दोनों तरफ हलके काले घुंगराले बाल है. बूर के ओंठ आपस में चिपके हुए है जिनके बीच से चिपचिपा पानी रिस रहा है. उर्मिला प्यार से सोनू की तरफ देखती है और कहती है.
उर्मिला : अपनी भाभी का खज़ाना कैसा लगा देवर जी ?
सोनू भले ही कितना भी बड़ा कमीना हो लेकिन उसने कभी भी उर्मिला को उस नज़र से नहीं देखा था. जब उर्मिला शादी कर के नयी नयी इस घर में आई थी तब से उसने सोनू को बहुत प्यार दिया था. पापा की मार से बचाने से ले कर दोस्तों के साथ फिल्म देखने के पैसो तक भाभी ने हमेशा से ही उसका साथ दिया था. उसके दिल में उर्मिला भाभी के लिए माँ बाप से ज्यादा सम्मान था. वो भाभी को कभी इस हाल में भी देखेगा उसने कभी नहीं सोचा था. सोनू एक बार उर्मिला भाभी की बूर पर नज़र डालता है और फिर पीछे हट जाता है.
सोनू : नहीं भाभी. ये मुझसे नहीं होगा. आप मुझे बहुत प्यारी है. देखिये ना ...(अपने छोटे होते हुए लंड की तरफ इशारा करते हुए)... अब तो इसने भी मना कर दिया है.
उर्मिला सोनू की तरफ बड़े ही आश्चर्यता से देखती है. उसे यकीन ही नहीं होता है की जो लड़का अपनी बहन के पीछे लंड खड़ा किये घूमता है वो अपनी भाभी की खुली बूर से दूर भाग रहा है. तभी उर्मिला के विचार में आये उस 'बहन' शब्द ने सारा मामला सुलझा दिया. उर्मिला ने अँधेरे में एक तीर चला दिया.
उर्मिला : (अपने हाथ की दो उँगलियों से बूर के ओठों को थोड़ा खोलते हुए) देख सोनू... ध्यान से देख. ये बूर तेरी भाभी की थोड़ी ना है. ये तो तेरी पायल दीदी की बूर है.
उर्मिला की बात सुन के सोनू गौर से उसकी बूर को देखने लगता है. उसकी नज़रे उर्मिला की बूर की फांक में धँस जाती है. सोनू को अपनी बूर को इस तरह से घूरता देख उर्मिला का हौसला बढ़ जाता है.
उर्म्मिला : (अपनी कमर को थोड़ा उठा के अपनी बूर को सोनू के और करीब ले जाती है) अपनी पायल दीदी की बूर को देख सोनू. कैसे तुझे बुला रही है. तुझे याद करके देख कैसे पानी छोड़ रही है. (फिर उर्मिला झट से अपने हाथ पीछे पीठ पर ले जा कर ब्राका हुक को खोल देती है. फिर वो ब्लाउज के आगे के हुक्स फटाफट खोल के ब्रा उतर देती है. दोनों हाथों से ब्लाउज को आगे से जैसे ही उर्म्मिला खोलती है, उसकी ३६ डी की बड़ी बड़ी चूचियां उच्चल के बाहर आ जाती है. अपनी एक चूची को पंजे से दबोच के दबाते हुए उर्म्मिला कहती है) ए सोनू...!! देख तेरी पायल दीदी अपनी खुली बूर और नंगी चुचियों के साथ तुझे बुला रही है. आ... अपनी पायल दीदी की प्यास बुझा दे मेरे रजा भैया...!!
उर्मिला भाभी के मुहँ से 'भैया' शब्द सुनते ही सोनू के सामने पायल की तस्वीर आ जाती है. वो उर्मिला भाभी को देखता है तो उसे पायल दीदी नज़र आने लगती है. सोनू का छोटा होता लंड एक झटके के साथ फिर से खड़ा हो जाता है. सोनू के मुहँ और लंड दोनों से लार टपकने लगती है. वो उर्मिला भाभी पर छलांग लगा देता है.
सोनू : (उर्मिला पर चढ़ के उसकी बड़ी बड़ी चुचियों को पागलों की तरह चूमने लगता है. कभी चुचियों के ऊपर, कभी निचे, कभी दायें तो कभी बाएं. कभी वो दोनों निप्पलों को बारी बारी जोर जोर से चूसता है तो कभी दाँतों से काट लेता है. वो बार बार पायल का ही नाम ले रहा है) आह...!! मेरी पायल दीदी, मेरी प्यारी पायल दीदी, कितना तड़पाती हो अपने छोटे भाई को....आह ssssss .... दीदी....!!
सोनू की इस हरकत से उर्मिला पागल सी हो जाती है. २२ दिनों के बाद आज किसी मर्द ने उसे इस तरह से छेड़ा था. वो पायल का नाम ले कर सोनू को और जोश दिलाती है.
उर्मिला : सोनू तेरे सामने तेरी पायल दीदी नंगी है. उसके नंगे बदन से खेल सोनू. तेरा जो दिल करे तू आज वो कर ले अपनी पायल दीदी के साथ.
सोनू पुरे जोश में उर्मिला के बदन को चूमने और चाटने लगता है. चुचियों को जी भर के चूसने के बाद वो उर्मिला के पेट को चूमने लगता है. उसकी गहरी नाभि में जीभ घुसा के अच्छे से चूमता और चाटता है. फिर सोनू की नज़र उर्मिला की फूली हुई बूर पर आ के ठहर जाती है. वो कुछ क्षण वैसे हे बूर को प्यासी नज़रों से देखता है फिर अपना सर उर्मिला की दोनों खुली जांघो के बीच धंसा देता है.
सोनू : उफ्फ्फ्फ़......पायल दीदी...!! (सोनू की जीभ मुहँ से औकात से भी ज्यादा बाहर निकल के सीधा उर्मिला की बूर की फांको के बीच घुस जाती है. बूर के अन्दर जीभ घुसा के सोनू उसे गोल गोल घुमाने लगता है)
उर्मिला ने कॉलेज में खूब मजे किये थे लेकिन ऐसा मज़ा आज उसे पहली बार मिल रहा था. इस नए मज़े का पहला स्वाद चखते हे पायल के होश उड़ जाते है. उसकी आँखे बंद हो जाती है और हाथ अपने आप सोनू का सर पकड़ के जांघो के बीच और ज्यादा धंसा देते है.
उर्मिला : आह....!!!!!! सोनू ssssss...!!! आज पायल दीदी की बूर चूस चूस के लाल कर देगा क्या?
सोनू : हाँ दीदी... आज मुझे इसका जी भर के रस पी लेने दो...
करीब ५ मिनट तक सोनू से बूर चुसवाने के बाद उर्मिला अपनी आँखे खोलती है. वो देखती है की उसकी बूर चूसते हुए सोनू अपने मोटे लंड पर हाथ चला रहा है. उर्मिला समझ जाती है की अभी इसे रोका नहीं गया तो वो अपना पानी गिरा देगा और उसकी बूर प्यासी ही रह जाएगी.
उर्मिला : सोनू...!! ओ मेरे प्यारे भैया...!! अपनी पायल दीदी की बूर में अपना मोटा लंड नहीं ठूँसोगे? (उर्मिला अपनी कमर उठा के सोनू की आँखों के सामने बूर दिखाते हुए कहती है)
उर्मिला की बूर में सोनू को पायल की बूर नज़र आ रही है. वो अपना मोटा लंड खड़ा किये फिर एक बार उर्मिला पर छलांग लगा देता है. सोनू का लंड एक बार बूर की दीवार से टकराता है और चिकनाई से फिसलता हुआ सीधा बूर के अन्दर धंस जाता है. धक्का इतनी जोर का था की उर्मिला की चुतड ज़मीन पर 'धम्म' की आवाज़ के साथ गिर जाती है और सोनू का लंड उसकी बूर में जड़ तक घुस जाता है. उर्मिला तो मानो जन्नत की सैर करने लगती है. सोनू की कमर को अपनी दोनों टांगो से जकड़ के और बाहों को उसके गले में डाले उर्मिला सोनू को चूमने लगती है.
उर्मिला : मेरा सबसे प्यारा भैया...!! अपनी पायल दीदी का दुलारा...!! अपनी कमर को पायल दीदी की जांघो के बीच उठा उठा के पटक सोनू...!!
सोनू : (पूरे जोश में अपनी कमर को उठा उठा के उर्मिला की जांघो के बीच पटके जा रहा है. टंकी के पीछे का वो छोटा सा त्रिकोनी हिस्सा 'ठप्प' 'ठप्प' की तेज़ आवाज़ से गूंजने लगता है) मज़ा आ रहा है दीदी? अपने छोटे भाई का मोटा लंड बूर में ले कर मज़ा आ रहा है?
उर्मिला : हाँ सोनू...!! बहुत मज़ा आ रहा है. और जोर से चोद अपनी बहन को.
सोनू पागलों की तरह उर्मिला को पायल समझ के चोदे जा रहा था. और आखिरकार वो पल आया जब सोनू का पूरा बदन अकड़ने लगा. उसके कमर की रफ़्तार तेज़ हो गई. चेहरे के भाव को उर्मिला ने पढ़ लिया था. उर्मिला के पैरों ने सोनू की कमर पे अपना शिकंजा और कस दिया, बाहों ने उसकी पीठ को सीने पर दबा लिया.
सोनू 'ओह पायल दीदी', 'ओह पायल दीदी' करने लगा और उसकी कमर उर्मिला की जांघो के बीच पूरी तरह से धंस के झटके खाने लगी. उसका लंड उर्मिला की बूर की गहराई में वीर्य की पिचकारियाँ छोड़ने लगा. उर्मिला ने भी अपनी बूर के ओठों को लंड पर कस के वीर्य की एक एक बूँद अपनी बूर में झडवा ली. अपने लंड को पूरी तरह से उर्मिला की बूर में खाली करने के बाद सोनू उर्मिला के ऊपर ही लेट गया. कुछ देर तक दोनों एक दुसरे को बाहों में लिए वैसे ही ज़मीन पर पड़े रहे.
सोनू ने अपनी आँखे खोली तो उर्मिला भाभी का मुस्कुराता हुआ चेहरा उसके सामने था. वो अपनी आँखों में शर्म लिए उर्मिला के शरीर से उठता है. उठते ही उसका लंड उर्मिला की बूर से फिसलता हुआ 'फ़क्क' की आवाज़ के साथ निकल जाता है. उर्मिला की बूर से सफ़ेद गाढ़े पानी की धार बहती हुई उसकी चूतड़ों की दरार में घुसने लगती है. सोनू के लंड पर से भाभी और उसके वीर्य का मिश्रण बहता हुआ लार की तरह टपक रहा है. सोनू भाभी को देखता है.
सोनू : भाभी ... आपको बुरा तो नहीं लगा ना?
उर्मिला : (हस्ते हुए) मुझे बुरा क्यूँ लगेगा? चुदाई तो पायल की हुई है ना? अच्छा अब अपने कपड़े ठीक कर और सबसे नज़रे बचा के निचे चले जा. कोई मेरे बारें में पूछे तो बोल देना की भाभी कपड़े सुखाने डाल के अभी आ रही है.
दोनों एक दुसरे को देख के हँस देते है. सोनू अपने कपडे ठीक कर के यहाँ वहां देखता हुआ निकल जाता है. उर्मिला वहीं बैठे हुए अपनी साड़ी ठीक करती है. वो सोनू को जाता हुआ देखती है और मुस्कुरा देती है . "गजब का बेहनचोद पैदा किया है मम्मी जी ने. लड़के अपनी भाभियों की बूर के लिए लार टपकाते उनके पीछे घूमते रहते है और एक ये बेहनचोद है जो भाभी की बूर को भी तब ही चोदता है जब वो उसे बहन की बूर कहती है". उर्मिला हँसते हुए खड़ी होती है और वहां से निकल कर खाली बाल्टी ले कर सीढ़ियों से निचे उतरने लगती है.
(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )