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♥ ? ? ? घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ] ???♥ ***INDEX*** |
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♥ ? ? ? घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ] ???♥ ***INDEX*** |
अपडेट १४:
शाम का समय है. घड़ी में ५ बज रहे है. ड्राइंग रूम में उर्मिला, पायल, उमा और सोनू बैठे है. ठहाकों की आवाज़ से कमरा गूँज रहा है. उमा सोनू का सर अपने सीने में छुपा कर है.
उमा : (कड़ी आवाज़ में) चुप रहो तुम दोनों..!! मेरे लल्ला को ऐसे ही परेशान करते रहते हो. इतना प्यारा बच्चा है मेरा...
पायल : बच्चा नहीं मम्मी, गधा बोलिए...
उमा : चुप कर घोड़ी...गधा मत बोल मेरे लल्ला को...अपने छोटे भाई को कोई ऐसा कहता है क्या?
उर्मिला : हाँ पायल...अपने छोटे भाई को ऐसा नहीं कहते....
सोनू : दीदी हमेशा मुझे चिढ़ाती रहती है. मैं कुछ बोलता हूँ तो गुस्सा हो जाती है...
पायल : अच्छा बाबा नहीं चिढ़ाउंगी तुझे...अब ठीक है..?
सोनू पायल को उमा के सीने से सटे हुए जीभ दिखा देता है. पायल एक बार मम्मी की तरफ देखती है. मम्मी की नज़र बाहर दरवाज़े पर है. पायल झट से सोनू की तरफ देखते हुए अपनी नज़रे उसकी टांगो के बीच ले जाती है और जीभ निकाल के चाटने के अंदाज़ में एक दो बार निचे से ऊपर कर देती है. पायल की इस हरकत से सोनू का थूक गले में ही अटक जाता है. किसी तरह वो थूक को गले से निचे उतारता है. शॉर्ट्स में उसका लंड फूलने लगता है. वो झट से सोफे पर पड़ा एक कुशन उठा के अपनी गोद में रख लेता है. सोनू को इस हाल में देख कर पायल और उर्मिला दोनों हँसने लगती है. तभी दरवाज़े से रमेश अन्दर आते है. शाम को वो पास की सड़क पर रोज़ टहलने जाते हैं. रमेश को देख कर पायल चुप हो जाती है. उर्मिला पीछे से पायल की चुतड दबा देती है.
उर्मिला : (धीरे से पायल के कान में) जा पायल...दौड़ के पापा का लंड मुहँ में ले ले....
पायल : (बेहद धीरे से) भाभी...प्लीज....
रमेश : ननद-भाभी में क्या खुसुर-फुसुर हो रही है?
उर्मिला : कुछ नहीं बाबूजी...पायल पूछ रही थी की पापा शाम में बाहर टहलने क्यूँ जाते है, छत पर क्यूँ नहीं टहलते ?
रमेश : (हँसते हुए) छत पर तो मैं रोज सुबह कसरत करता ही हूँ, ये बात तो पायल भी जानती है. (फिर पायल को देख कर मुस्कुराते हुए) जानती हैं ना पायल?
पायल : (सुबह की बात सोच कर गालों पर लाली छा जाती है. धीरे से कहती है) हाँ पापा...जानती हूँ...
रमेश : वैसे उर्मिला... बात तो सही है पायल की. मैं भही सोच रहा हूँ की कल से शाम में छत पर ही टहल लिया करूँ...(पायल को देख कर) क्यूँ पायल बेटी? ठीक रहेगा ना?
उर्मिला : हाँ बाबूजी...छत पर टहलना ही ठीक रहेगा. टहलते हुए आप आस-पास के नज़ारें भी देख सकते हैं (उर्मिला फिर से पायल की चुतड पीछे से दबा देती है). क्यूँ पायल सही रहेगा ना?
पायल : (चेहरा लाल हो चूका है) जी भाभी....सही रहेगा....
तभी उमा सक्त आवाज़ में कहती है.
उमा : तुम लोगों का हंसी-मजाक हो गया हो तो कुछ काम की बात कर लें?
रमेश : अब ऐसा कौनसा काम आ गया?
उमा : (रमेश को घूरते हुए) आपको कसरत से फुर्सत मिले तो कुछ याद रहे ना....पिछले हफ्ते ही चंद्रपाल जी का लड़का शादी का कार्ड दे कर गया था...भूल गए?
रमेश : (सर पर हाथ मारते हुए) हे भगवान...!! मुझे तो याद ही नहीं रहा. कब की शादी है उमा?
उमा : कल ही है शादी. इस घर में मैं और बहु ना हो तो पता नहीं तुम लोगों का क्या होगा?
रमेश : अच्छा बाबा ठीक हैं...मान ली तुम्हारी बात. अब ये बताओ की कल निकलना कब है.
उर्मिला : कल शाम में ही निकलना होगा बाबूजी, ७ बजे के करीब. १ घंटा तो लग ही जायेगा पहुँचने में. सब से मिलकर, खाना-वाना खा कर हम सब १० बजे तक निकल आयेंगे...
उमा : हाँ येही ठीक रहेगा. (रमेश को देखते हुए) और आप मेरी बात ध्यान से सुनिए. कल सुबह आप कोई कसरत-वसरत नहीं करेंगे.
रमेश : उमा ...तुम हमेशा मेरी कसरत के पीछे क्यूँ पड़ी रहती हो?
उमा : कह दिया ना एक बार... कल कोई कसरत नहीं होगी. कल सुबह आप गाड़ी की सफाई करोगे. गराज में पड़े-पड़े पता नहीं कितनी धुल-मिटटी जम गई होगी.
रमेश : (एक बार उदास नज़रों से पायल की तरफ देखता है) ठीक है. जैसी तुम्हारी इच्छा...
उमा : और तुम सभी मेरी बात ध्यान से सुन लो. सोनू और उसके पापा गाड़ी की साफ़-सफाई करेंगे. मैं, उर्मिला और पायल कल बाज़ार जायेंगे और शादी में देने के लिए गिफ्ट और कुछ शौपिंग करेंगे. समझ गए सब लोग?
सभी सर हिला के हामी भर देते है. रमेश उठ के अपने कमरे में चले जाते है. सोनू भी अपने फ़ोन में कुछ करता हुआ निकल लेता है. पायल उतरे हुए चेहरे से उर्मिला की तरफ देखती है.
पायल : भाभी....मम्मी ने तो सारा काम बिगाड़ दिया.
उर्मिला : शादी में जाना भी तो जरुर है ना पायल. और एक रास्ता बंद होता है तो दूसरा अपने आप खुल जाता है. क्या पता की की कुछ अच्छा हे होने वाला हो? तू दिल छोटा मत कर.
पायल छोटा मुहँ लिए धीरे धीरे अपने कमरें में चली जाती है और उर्मिला रसोई में.
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अगला दिन :
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अगली सुबह रमेश और सोनू घर के आँगन में गाड़ी को साफ़ कर रहे है. रमेश ये काम जल्दी खत्म करना चाहते है ताकि कुछ वक़्त पायल के साथ बिता सके. वो सोनू को बार बार जल्दी करने कह रहे हैं. किसी तरह से गाड़ी साफ़ कर के रमेश घर में आते है. घड़ी में ११ बज रही है. रमेश का दिमाग घूम जाता है. गाड़ी साफ़ करते हुए समय का पता ही नहीं चला. तभी सामने से पायल, उर्मिला और उमा आते हैं. तीनो बाज़ार जाने के लिए तैयार है.
उमा : हो गई गाड़ी साफ़.
रमेश : (गुस्से से) हाँ हो गई और चमक रही है....जा कर अपना चेहरा देख लो...
बाबूजी की बात सुन के उर्मिला को हंसी आ जाती है. उमा मुहँ बनाते हुए आगे बढ़ जाती है. जाते-जाते रमेश पायल को देखता है. पायल भी उदास चेहरे से पापा को देखती है. दोनों के अन्दर दबी ख्वाइशें दब कर ही रह जाती है. आज के लिए जो सपने संजोय थे वो बिखर के चकनाचूर हो जाते है. धीरे धीरे वो तीनो बहार चली जाती है और रमेश माथा पकड़ के सोफे पर बैठ जाता है.
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शाम के ७ बज रहे है. रमेश कुरता और धोती पहन के सोफे पर सबके आने का इंतज़ार कर रहा है. सोनू भी शर्ट और पैंट में पास हे बैठा है और अपने फ़ोन में गेम खेल रहा है. तभी उर्मिला और उमा वहां आते हैं. उमा और उर्मिला ने साड़ी पहनी हुई है. रमेश की नज़र उर्मिला पर पड़ती है. उर्मिला बहुत ही सुन्दर दिख रही है. उस साड़ी में उसके बदन की बनावट उभर के दिख रही है. कुछ पलों के लिए रमेश उसे देखता ही रह जाता है. तभी पायल वहां आती है. रमेश का ध्यान पायल पर जाता है तो उसकी आँखे फटी की फटी रह जाती है. पायल ने हरे रंग की बिना बाहं वाली चोली पहनी है और हलके पीले क्रीम रंग का लहंगा. कंधे पर चुनरी लटक रही है और पायल धीरे धीरे बलखाती हुई चल रही है. आते ही पायल की नज़र रमेश पर पड़ती है. रमेश पायल को बड़ी-बड़ी आँखों से ऊपर से निचे देख रहा है. पायल शर्माती हुई उर्मिला के पास आ कर खड़ी हो जाती है.
उधर पायल को देख कर सोनू का और भी बुरा हाल है. उसका लंड पैंट में बेचैन हो रहा है जैसे मानो अभी फाड़ के बाहर आ जायेगा. तभी उमा की नज़र पायल पर पड़ती है. वो चल के पायल के पास आती है. वहां मौजूद सभी को येही लगता है की अब पायल को कपड़े बदलने पडेंगे. रमेश का तो मानो मन के खराब हो जाता है. वो चुपचाप मुहँ बना के दरवाज़े के पास चला जाता है.
उमा : (पायल के गाल पर हाथ रखते हुए) कितनी प्यारी लग रही है मेरी बेटी...
ये सुनकर पायल और उर्मिला के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. सोनू भी खुश हो जाता है की अब दीदी की बदन को अच्छे से देख पायेगा.
उर्मिला : देख क्या रही है पायल? मम्मी जी के पैर पढ़ ...
पायल उमा के पैर पढ़ती है और उमा उसके सर पर हाथ रखती है.
उमा : जुग-जुग जियो बेटी...
उर्मिला : अब चलिए भी....नहीं तो खाना ख़तम हो जायेगा...
सभी लोग हँसते हुए बहार आते है. बाबूजी दरवाज़े के बाहर खड़े है. उर्मिला बाबूजी को देखती है और धीरे से पायल को बाबूजी के पैर पढ़ने का इशारा करती है. पायल बाबूजी के पास जाती है.
रमेश : बहुत प्यारी लग रही हैं मेरी बिटिया रानी. एकदम परी जैसी.
उर्मिला : बाबूजी...ये तो पापा की परी है...हैं ना पायल ?
पायल भाभी की बात सुन के शर्मा जाती है और नज़रें नीची कर लेती है. उर्मिला सोनू और उमा के पास जा कर बातें करनी लगती है ताकि उनकी नज़र बाबूजी और पायल पर ना पड़े. पायल झुक के बाबूजी के पैर पढ़ती है.
रमेश : हमेश खुश रहो बिटिया...अपने पापा का नाम रोशन करो...
रमेश पायल के कंधो को पकड़ के उसे उठाने लगते है. थोडा ऊपर आते ही पायल की लो कट चोली से उसकी गहराई दिखने लगती है. रमेश के हाथ वहीँ रुक जाते है. पायल भी समझ जाती है की पापा को बहुत समय बाद ये नज़ारा देखने मिल रहा है तो वो भी वैसे ही झुकी रहती है. रमेश उसके कंधो को पकडे, धीरे से एक ऊँगली उसकी बगल में घुसा देता है. ऊँगली घुसाते ही रमेश को अपनी ऊँगली गीले महसूस होती है. वो एक दो बार अपनी ऊँगली पायल की बगल में अन्दर बहार करते है और फिर पायल का कन्धा पकड़ के उसे खड़ा कर देते है.
रमेश : अच्छा बेटी...चलो अब चलते है. गाड़ी में बैठो...
पायल खुश हो कर गाड़ी की तरफ जाने लगती है. रमेश झट से अपनी ऊँगली जो उसने पायल की बगल में डाली थी उसे अपनी नाक के पास ला कर एक जोर की साँसे लेता है. पायल के बगल की पसीने और परफ्यूम की मिश्रित खुशबू उसकी प्यास और बढ़ा देती है.उर्मिला बाबूजी की ये हरकत देखती है और समझ जाती है की बाबूजी की प्यास अपनी चरम सीमा पर है.
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१ घंटे बाद:
रमेश गाड़ी चला रहें है और उनके साथ सामने सोनू बैठा है. उमा और उर्मिला पीछे बैठे है और उन दोनों के बीच पायल. गाड़ी के अन्दर माहौल बड़ा ही हास्यपूर्ण हैं. ठहाके गूंज रहे है, और चुटकुलों की बौछार हो रही है. इस माहौल से रमेश का मूड भी ताज़ा हो जाता है. गाड़ी एक बड़े से पंडाल के पास आ कर
दोनों बाप बेटी पेड़ों की तरफ बढ़ने लगते है. पायल आगे अपनी चुतड हिलाते हुए चल रही है और पीछे रमेश अपना लंड मसलते. तभी पंडाल के अन्दर डी.जे पर गाना बजने लगता है, "कमरिया ssss, कमरिया ssss, कमरिया कोरे लपालप ...लोलीपोप लागेलु......". गाना सुनते ही पायल को मस्ती सूझती है. वो गाने पर अपनी कमर और ज्यादा दायें-बाएं हिलाते हुए चलने लगती है. उसके पीछे चलते बाबूजी का ये देख कर बुरा हाल हो जाता है.