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♥ ? ? ? घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ] ???♥ ***INDEX*** |
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♥ ? ? ? घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ] ???♥ ***INDEX*** |
Dear writer
Mastrani ji
Sabse pehle to aapka congratulations ek acchi aur kafi lachili patkatha k lia ek reader k roop me aisy stories padhna jisme aage kya ho pta nhi chale. Aur kahani kisi bhi moad par kab aur kaha ghumav lekar kaise aage badhe iska pta hi na chale to kahani kaafi rochak lagti hai halaki abhi aapki kahani ki suruwaat hai jise aaj hi aur raat maine padha pur jaha tak k last update aapne dia hai.
Ye dekhkar bhi accha laga k aap mastraam ki ji kla ko acche se janti hai aur aage bhi badha rhi hai. Unke jaisa lekhak aajtak maine nahi dekha hai unka wo samwad wo lekhni sidhe juban se dimak me chadkar dil me ghus kar aarmano k sath nikal jati thi.???
Chale aage badhe wo purani yaade yahi rehne de to accha hai. Warna bekar me helth jyada kharab ho jayegi ???
Aur kabada hoga so alag.
Sorry mai to kahi aur hi nikal gya to wapas kahani par yaha aapne jo kahani me sayad changes kia hai uske karan sayad kahi kuch galti ki ho ya plot change karne par dubara likhna bhi pada ho sayad isiliye update kabhi chote kabhi bade mile but one thing is very important k aap Enigma sir ji se kuch aspire mat ho jana wo to waise bhi kai chijo me mahir hai jo aap pehle hi lag rhi hai like readers ki KLPD karna baki aapme wo mastraam ji wala frankness dikhta hai par sayad aap plot change karte hue kuch ahem chijo ko bhul gai like
Sonu aur Urmila ka seen kafi update se nahi aaya jo ki ek bar incounter hone k baad na dohraya jaye ye ho nahi sakta but wo missing hai bus last seen chuchi chuswai usne wo bhi mooh band karte hue. That was not fair. Uska seen ek baar laao jarur uske baad Sonu aage badhe apni bhabhi ko sath lekar aur sath hi Sonu shukragujar ho Urmila ka k usne Payal ko manaya uske liye. Jawan hai bechara use to abhi kafi experience ki jarurat hai jo use dijiye. Padhne me accha lagega.
Waise aap writer hai aap marzi jaisa aap chahe.
Mai ab kabhi kisi stori ko jyada apne paas nahi launga kyoki last time Enigma sir ne accha sabak dia hai mujhe ab jyada request and sujjes bhi nahi karunga.
Last bas itna hi k
Aap accha likh rhe hai
Keep it up
Keep writing
Keep posting
Stat healthy
GN ?
[
अपडेट १९:
रात में बिजली देर से आने से सभी घर वाले देर तक सो रहे है. उर्मिला भी आज देर से उठी थी. नाहा-धो कर वो एक अच्छी सी साड़ी पहनकर रसोई में काम कर रही है. कल रात पायल ने बाबूजी के बारें में जो उसे बताया था उस बात से उसके दिल में हलचल चल मची हुई है. वो सोच रही है की बाबूजी उसके सामने आयेंगे तो वो क्या करेगी. पायल को बेशर्म बनानेवाली उर्मिला आज खुद ही शर्मा रही थी.
तभी बाबूजी रसोई में आते है. उर्मिला उन्हें देखते ही झुक के पैर पढ़ने लगती है. रमेश अपना हाथ उर्मिला की पीठ पर रखता है और धीरे से उसके ब्लाउज के खुले हिस्से पर से उसकी नंगी पीठ को सहलाता है. आज पहली बार बाबूजी ने उर्मिला के सर पर नहीं, उसकी पीठ पर हाथ रखा था. निचे झुकी उर्मिला बाबूजी के हाथ का स्पर्श अपनी नंगी पीठ पर पा कर सिहर उठती है.
रमेश : सदा सुहागन रहो बहु, फूलों फलो...
उर्मिला : (खड़ी हो कर, सर पर पल्लू लिए) बाबूजी आज मम्मी जी नहीं उठी?
रमेश : कल रात उमा देर से सोयी थी बहु. इसलिए अभी तक सो रही है. और बच्चे?
उर्मिला : बच्चे भी अभी तक सो रहे है बाबूजी....
रमेश : कल रात पायल से कोई बात हुई था क्या बहु?
उर्मिला समझ जाती है की अब बाबूजी के सामने सती सावित्री बनने का कोई फ़ायदा नहीं है. अब खुल के उनसे बातें करने में ही समझदारी है.
उर्मिला : (शर्माते हुए) जी बाबूजी...वो कह रही थी की आप चाहते है की मैं भी उसके साथ छत पर आया करूँ....
रमेश : (मुस्कुराते हुए) हाँ बहु.....सही कहा पायल ने. एक साल हो गए, मेरी बहु घर में अकेली-सी रहती है मुझे अच्छा नहीं लगता. रौनक भी कभी-कभार ही घर आता है. मैं समझ सकता हूँ की मेरी बहु अपनी रातें कैसे काटती होगी. रात में बहुत अकेलापन महसूस करती होगी ना बहु? (रमेश उर्मिला के कंधे पर हाथ फेरते हुए कहते है)
उर्मिला : (धीरे से) जी बाबूजी....रात में तो मानो घर काटने को दौड़ता है. रह-रह कर प्यास लगती है.
रमेश : अब बहुत हो गया अकेले रहना बहु. अब मैं अपनी बहु को प्यासी नहीं रहने दूंगा. और जब उमा ना हो तो मेरे सामने सर पर आँचल लेने की भी जरुरत नहीं है. (रमेश उर्मिला के सर से आँचल गिरा देते है). अपनी बहु को अच्छे से देख तो लूँगा इसी बहाने से...
उर्मिला : जी बाबूजी...अब मैं आपके सामने कभी सर पर आँचल तो क्या, पल्लू भी नहीं लुंगी...
रमेश : (उर्मिला का पल्लू उसकी छाती से हटाते हुए) हाँ बहु...बिना पल्लू के मेरी बहु कितनी सुन्दर दिखती है....
पल्लू हटने से उर्मिला के बड़े-बड़े दूध ब्लाउज में उठ के दिखने लगते है और बीच की गहराई भी दिखने लगती है. बाबूजी बीच के गहराई में नज़रे गड़ाए हुए कहते है.
रमेश : बहु...पायल ने तो घर में ब्रा पहनना बंद कर दिया है. तुम भी मत पहना करो. इतनी गर्मी में घर की बेटी और बहु ब्रा पहने, ये अच्छी बात नहीं है.
उर्मिला : हाँ बाबूजी...आज से मैं भी ब्रा नहीं पहनूंगी...
रमेश : ठीक है बहु...और जब तुम बिना ब्रा के ब्लाउज पहनो तो एक बार मुझे जरुर दिखा देना. पायल को तो कई बार देखा है. अब एक बार अपनी बहु को भी देख लूँ...
उर्मिला : जी बाबूजी...दिखा दूंगी...
रमेश : अच्छा बहु...अब मैं चालू...उमा भी उठ ही रही होगी...
रमेश के जाने के बाद उर्मिला खुश हो जाती है. पायल की सेटिंग करते करते उसकी भी सेटिंग हो गई. मन में वो पायल को ३-४ चुम्मी दे देती है. छत पर बाबूजी का क्या हाल करना है वो सोचते हुए उर्मिला अपने काम में लग जाती है.
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११ बज रहे है.
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सभी नाश्ता-पानी करने के बाद ड्राइंग रूम में बैठे है. हंसी मजाक चल रहा है लेकिन बाबूजी का दिमाग तो कहीं और ही दौड़ रहा है. वो किसी तरह से पायल और बहु को छत पर ले जाना चाहते है. उर्मिला बाबूजी के चहरे पर वो बेचैनी पढ़ लेती है. वो पायल के सर पर हाथ रख कर कहती है.
उर्मिला : पायल...!! बालों में कब से तेल नहीं लगाया तुने? देख तो कितने रूखे-सूखे हो गए है.
पायल : (समझ नहीं पाती) कल ही तो शैम्पू लगाया था भाभी....
उर्मिला : (पायल को आँख दिखाते हुए) शैम्पू से क्या होता है. तेल लगाया कर...(थोडा जोर से आँखे बड़ी कर के) .."तेल".....
पायल : (उर्मिला का इशारा समझ जाती है) वो..हाँ..हाँ भाभी...तेल लगाना तो जरुरी है.
उर्मिला : तो चल...छत पर चलते है...वहां मैं तेरे बालों में तेल लगा दूंगी...
पायल : हाँ चलिए भाभी....
उमा : दोनों छाओ मैं बैठना...धुप में बैठोगे तो हालत खराब हो जाएगी...
पायल : जी मम्मी....
उर्मिला और पायल उठ कर सीढ़ियों से छत पर जाने लगते है. उर्मिला हाथ में तेल की शीशी ले कर है. पायल बहुत खुश हो रही है. उर्मिला उसे देख के कहती है.
उर्मिला : तू खुश तो ऐसे हो रही है जैसे मैं तेरे सर के नहीं, बूर के बालों में तेल लगाने वाली हूँ ताकि तू बाबूजी का मोटा लंड ले सके...
पायल : (मस्ती में) तो लगा दो ना भाभी....
उर्मिला : (धीरे से पायल के कंधे पर चपत लगाते हुए) चुप कर बदमाश.... अच्छा सुन..मैंने आज बाबूजी को परेशान करने के लिए कुछ सोचा है.
पायल : लेकिन बाबूजी को परेशान क्यूँ करना है?
उर्मिला : अरे ऐसे ही मजाक करना है बाबूजी के साथ. और क्यूँ ना करें? घर की दो-दो जवान बूरें ऐसे ही दे दें क्या?
दोनों हँसते हुए छत पर जाने लगती है. उर्मिला पायल को सारी बात समझाने लगती है.
दोनों के जाते ही बाबूजी का लंड भी मचलने लगा है. अब उन से निचे बैठा नहीं जा रहा. वो उमा से कहते है.
रमेश : उमा ... मैं भी जरा छत से टहल कर आता हूँ...बैठे-बैठे कमर पकड़ ली है...
उमा : हाँ जी..आप भी जाईये....मैं भी जरा कमरें में जा कर लेटती हूँ. कमबख्त बिजली ने कल रात ठीक से सोने भी नहीं दिया. सोनू भी फिर से जा कर सो गया है...
रमेश : हाँ उमा...तुम जरा अराम कर लो...
उमा के जाते ही रमेश तेज़ क़दमों से ऊपर छत पर जाने लगता है. ऊपर जाते ही वो देखता है की छत पर दोनों अमरुद की एक बड़ी सी टहनी की छाओं में बैठे है. पायल अपने घुटनों को मोड़ के बैठी है और उर्मिला ठीक उसके पीछे बैठ कर उसके बालों में तेल लगा रही है. रमेश चेहरे पर मुस्कान लिए धीरे-धीरे टहलते हुए उसके पास जाते है. बाबूजी को आता देख उर्मिला झट से खड़ी हो जाती है और बाबूजी के पैर पढ़ने लगती है.
रमेश : अरे उर्मिला...आज कितना पैर पढ़ेगी मेरे बेटी...
उर्मिला : (मुस्कुराते हुए खड़ी होती है) पैर पढ़ना तो एक बहाना है बाबूजी, असल में तो आपको कुछ दिखाना है...(कहते हुए उर्मिला अपने बड़े-बड़े दूध ब्लाउज के अन्दर से उठा देती है)
रमेश : (उसके उभरे हुए दूध देख कर) ये..ये...बहु....तुमने अन्दर ब्रा नहीं पहनी ?
उर्मिला : हाँ बाबूजी...आपने कहा था ना की एक बार दिखा देना...
रमेश : (ख़ुशी से) जुग-जुग जियो बहुरानी....
रमेश उर्मिला के बड़े-बड़े दूध आँखे फाड़ फाड़ के देख रहा है. ब्रा ना पहनने पर उर्मिला के निप्प्लेस खड़े हो कर ब्लाउज के ऊपर से साफ़ दिख रहे है. उर्मिला की तेज़ साँसों के साथ उसके दूध ऊपर निचे हो रहे है और उसके साथ रमेश की नज़रें भी. ये तमाशा पायल गौर से देख रही है. पापा और भाभी की ये मस्ती उसे बहुत मजा दे रही है. कुछ क्षण बाद पायल कहती है.
पायल : भाभी...पापा को अच्छे से दिखा दिया हो तो अब मेरे बालों में तेल भी लगा दो...
पायल की बात पर उर्मिला हँसते हुए उसके पीछे आ कर बैठ जाती है. रमेश भी मुस्कुराते हुए पायल के ठीक सामने कुछ दूरी पर बैठ जाता है. वहां से वो उसकी टांगो के बीच से पैन्टी देखने लगता है. पायल भी समझ जाती है की पापा की नज़र कहाँ है.
रमेश : पायल बिटिया...अराम से बैठो...टाँगे अच्छे से खोल कर..ऐसे सिमट के क्यूँ बैठी है...?
पायल : (मुहँ बनाते हुए) नहीं पापा...मैं टाँगे नहीं खोलूंगी....
रमेश : (अचरच के साथ) क्यूँ बेटी? क्या हुआ?
उर्मिला : बाबूजी....पायल का कहना है की खजाने तक पहुंचना है तो आपको मेहनत करनी पड़ेगी....
रमेश : (हँसते हुए) अरे बहु...बेटी के खजाने के लिए तो बाप कुछ भी कर सकता है. बोलो क्या करना होगा...
पायल : पापा...मैं और भाभी आपसे कुछ सवाल करेंगे और आपको उनका सही जवाब देना होगा...अगर आप सभी सवालों के सही जवाब दोगे तो आज आपको मेरे और भाभी के खजाने के दर्शन हो जायेगे.
रमेश इस बात पर अपने ओठों पर जीभ फेरने लगता है. आज बेटी और बहु के बूर देखने को मिलेगी ये सोच कर वो ख़ुशी से पागल हो जाते है.
रमेश : हाँ हाँ पायल...कोई बात नहीं...जितने सवाल पूछने है पूछ लो...मैं तैयार हूँ.
पायल और उर्मिला एक दुसरे की तरफ देख कर एक बार जोर से हँस देती है. रमेश कुछ समझ नहीं पाता. फिर उर्मिला बाबूजी से सवाल पूछती है.
उर्मिला : अच्छा बाबूजी...आपका पहला सवाल... "आजू-बाजू बाल, बीच में दरार...बोलो क्या?"....
उर्मिला की बात सुन कर रमेश के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. वो उर्मिला से कहते है...
रमेश : ये तो बड़ा ही आसान सा सवाल है बहूँ....
उर्मिला पीछे से पायल के घुटनों पर हाथ रख के उसके पैरों को खोल देती है और बाबूजी के सामने बूर पे कसी हुई पैन्टी दिखाते हुए कहती है.
उर्मिला : तो बोलिए ना बाबूजी...जवाब दीजिये...
रमेश : (मुस्कुराते हुए) जवाब है - "बूर"..
रमेश की बात पर उर्मिला और पायल जोर जोर से हँसने लगती है. रमेश को कुछ समझ नहीं आता की आखिर ये हो क्या रहा है. वो हक्का-बक्का दोनों को हँसते हुए देख रहा है.
पायल : छी पापा...आप कितने गंदे हो....भाभी के सवाल का जवाब है...(उर्मिला के सर की तरफ इशारा करते हुए) सर की "मांग"...
रमेश : (चुप चाप थूक गुटकते हुए) अ..अ...अच्छा...ठीक है...दूसरा सवाल क्या है?
पायल : आपका दूसरा सवाल है...."जो आधा जाए तो दर्द होए...पूरा जाए तो मज़ा आये..बोलो क्या ?"
पायल बाबूजी की टांगो के बीच देखने लगती है. बाबूजी भी लंड को एक झटका देते हुए कहते है...
रमेश : जवाब है, - "लंड"
फिर से पायल और उर्मिला जोर जोर से हँसने लगती है. रमेश का दिमाग फिर से घूम जाता है. वो समझ नहीं पता की ये हो क्या रहा है.
रमेश : अरे...!! दोनों हँस क्यूँ रहे हो?
पायल : (हँसते हुए) पापा...कितनी गन्दी सोच है आपकी. सवाल का सही जवाब है... (उर्मिला के हाथों की तरफ इशारा करते हुए) .."कंगन"...
रमेश अब ये सब और नहीं झेल सकता था. वो छत पर जिस काम से आया था वो जल्दी से शुरू करना चाहता था.
रमेश : अरे अब बस भी करो. छोड़ो ये सब सवाल-जवाब...पायल बिटिया...जरा मेरे पास आना...
पायल : नहीं पापा...मैंने पहले ही बता दिया था. जवाब गलत होगे तो कुछ नहीं मिलेगा.
रमेश : मेरी प्यारी बिटिया रानी...ऐसी भी क्या जिद है...आजा...देख पापा तुझे बुला रहे है.
पायल : (नखरे से) नहीं मतलब नहीं......!!
रमेश : अरे बहु...तुम ही इसे समझाओ ना...देखो तो कैसे जिद कर रही है...
उर्मिला : अब बाप-बेटी के बीच मैं क्या बोलूं बाबूजी...वैसे पायल ने ठीक ही कहा है. जवाब तो आपने गलत ही दिए है ना....
रमेश का मुहँ उतर जाता है. वो समझ जाता है की अब उनकी दाल नहीं गलेगी. रमेश धीरे से खड़ा होता है और मुड़ के छत के दरवाज़े की तरफ जाने लगता है. तभी रमेश को पायल और उर्मिला की हंसी सुनाई देती है. वो मुड़ के देखते है. तभी उर्मिला कहती है.
उर्मिला : नहीं नहीं बाबूजी...आपसे से हम कुछ नहीं कह रहे है...
रमेश फिर से उदास मुहँ से जाने लगते है. वो मन में सोचते है, "आज का दिन तो बर्बाद हो गया. सोच था मेरी बेटी और बहु आज कुछ मज़ा देगी. सब बेकार हो गया". तभी रमेश को पीछे से धीमी आवाज़ आती है...
उर्मिला : बाबूजी....!!
रमेश पीछे मुड़ के देखते है तो उनकी आँखे बड़ी हो जाती है. सामने अमरुद की डाल की छाओं में बैठी उर्मिला पायल की टॉप उठा के उसके बड़े-बड़े दूध दिखा रही है. पायल भाभी की गोद में बैठी मुस्कुरा रही है और उर्मिला उसके दूध दबा कर बाबूजी को दिखा रही है. रमेश एक नज़र पड़ोस की छतों पर डालता है और झट से छत का दरवाज़ा बंद कर देते है. फिर रमेश दौड़ा कर पायल के पास बैठ जाते है.
रमेश : ऐसे तड़पाएगी अपने पापा को पायल?
पायल : नहीं पापा...हम तो बस आपके साथ मज़ाक कर रहे थे.
उर्मिला : बाबूजी...आप पायल से इस बात का बदला अच्छे से लीजिये....
रमेश : हाँ बहु....अब तो बदला लेना ही पड़ेगा...
ये कहते हुए रमेश पायल पर झुक जाते है और उसके दूध को जोर से चूसने लगते है. पायल मस्ती में दोनों हाथो को पीछे कर के उर्मिला को पकड़ लेती है और उसकी आँखे बंद हो जाती है. मुहँ से सिसकियाँ निकलने लगती है.
पायल : सीईईईइ.....पापा....ओह...!!
रमेश पायल के दूध को दबा दबा के चूसने लगते है. कभी दायाँ दूध तो कभी बायाँ. बारी-बारी दोनों दूध रमेश के मुहँ में फिसल के घुस जाते है और रमेश उन्हें दबा दबा के पीने लगते है. उर्मिला पायल के सर पर हाथ फेरते हुए उसे मस्ती में पापा से अपने दूध चुसवाते हुए देख रही है.
उर्मिला : हाँ बाबूजी...अच्छे से चूसिये...पायल कह रही थी की जब उसका दूध आने लगेगा तो वो सबसे पहले अपने पापा को ही पिलाएगी...
उर्मिला की बात सुन के रमेश दूध चुसना बंद कर के पायल को देखने लगते है. वो पायल की आँखों में देखते हुए कहते है...
रमेश : बहु सच कह रही है पायल ?
पायल पापा की आँखों में देखते हुए अपने ओठ काट लेती है और धीरे से सर हिला कर हामी भर देती है. पायल की हाँ समझते ही रमेश के अन्दर जोश भर जाता है. वो एक बार पायल के दूध को गौर से देखते है और फिर किसी भूके भेड़िये की तरह उन पर टूट पड़ते है. इस बार रमेश पूरे जोश में पायल के दूध दबा-दबा के पीने लगते है. पायल की हालत खराब हो जाती है. उर्मिला पायल की टॉप को उसके बगल से थोडा ऊपर कर देती है. टॉप में बहुत देर से बंद बालोवाली बगल से पसीने की गंध रमेश की नाक में जाती है तो वो दूध छोड़कर अपनी नाक पायल की बगल में घुसा देते है और जोर से साँसे ले कर गंद सूंघ लेते है. फिर वैसे ही वो दुसरे बगल की गंद सूंघते है. दूध को दबा दबे के पीते हुए रमेश बीच बीच में अब पायल के बगलों की गंध भी सूंघ रहे है. पायल भी पूरी मस्ती में आ चुकी है. पापा को पूरे जोश में देख पायल कहती है.
पायल : पापा...देखिये ना, भाभी के भी कितने बड़े है...
पायल की बात सुन कर रमेश उर्मिला के दूध को घुर के देखने लगते है. बाबूजी की ऐसी नज़र देख कर उर्मिला के पसीने छूट जाते है. पायल जब ये देखती है तो वो उर्मिला के ब्लाउज के हुक खोलने लगती है. कुछ ही पल में उर्मिला के बड़े-बड़े दूध उच्छल के बाबूजी के सामने आ जाते है.
रमेश : सच में पायल...तेरी भाभी के तो बहुत बड़े है. बहु...जब मैंने तेरी सुहागरात में दरवाज़े पर से तेरी चिल्लाने की आवाज़े सुनी थी तब मैंने बाथरूम में जा कर ३ बार अपने लंड को मुठिया के पानी निकाला था. उस रात मैंने धोती में हाथ डाले रात भर तुझे याद किया था.
उर्मिला : (तेज़ साँसों के साथ) तो एक बार बोल देते ना बाबूजी...मैं खुद ही अपनी साड़ी उठा के आपके पास आ जाती...
रमेश : ओह बहु...मुझे पहले पता होता की मेरी बहु भी अपनी साड़ी उठाये तैयार है तो मैं कब का बोल देता...
उर्मिला : अब जब आपका दिल करे बोल दीजियेगा बाबूजी... मैं अपनी साड़ी उठाये दौड़ी चली आउंगी...
रमेश : ओह बहु... (रमेश ये कह कर उर्मिला के दूध पर टूट पड़ता है)
रमेश उर्मिला के दूध को दोनों हाथों से दबा-दबा कर चूसने लगता है. उर्मिला मस्ती में अपना सीना उठा के बाबूजी के मुहँ में अपने दूध ठूसने लगती है. बीच बीच में उर्मिला अपना दूध पकड़ के बाबूजी के मुहँ से निकाल लेती है और अपने खड़े निप्पल उनके ओठों पर रगड़ के फिर से मुहँ में ठूसन देती है. बहु के गदराये बड़े-बड़े दूध को चूस कर रमेश के लंड में खून भरने लगता है. उर्मिला बाबूजी का सर अपनी गोद में रख लेती है. बाबूजी भी अपने पैरों को सीधे कर के लेट जाते है और उर्मिला का दूध पीने लगते है. देखने में ऐसा लग रहा है की उर्मिला किसी बच्चे को अपनी गोद में लिए दूध पिला रही हो.
तभी बाबूजी को अपने लंड पर गर्माहट महसूस होती है. वो दूध पीते हुए देखते है तो दांग रह जाते है. सामने पायल बाबूजी के लंड का मोटा टोपा अपने मुहँ में लिए हुए है. निचे हाथ को लंड पर लपेट कर को धीरे-धीरे ऊपर निचे कर रही है और भीमकाय लंड को अपने मुहँ में भर लेने की कोशिश कर रही है. अपनी बेटी को जोश में लंड मुहँ में भरता देख रमेश का जोश मानो छप्पर फाड़ देता है. वो उर्मिला के दूध चुसता हुआ अपनी कमर धीरे से उठा के लंड को पायल के मुहँ में ठूसने लगता है. पायल पूरा मुह खोलते हुए पापा के मोटे टोपे को मुहँ में भरने की कोशिश कर रही है. टोपे पर जीभ घुमाती हुई वो उसे पागलों की तरह चूस रही है. उर्मिला जब ये नज़ारा देखती है तो वो पायल से कहती है.
उर्मिला : आह....पायल....अपने दूध आपस में दबा कर बाबूजी का लंड गहराई में ले ले...आह....!!
पायल दोनों हाथो से अपने दूध आपस में दबा देती है. रमेश अपने लट्ठ जैसे लंड को दूध के निचे से गहराई में ठूँस देता है. रमेश को किसी बूर में लंड ठूसने जैसा अनुभव देता है. रमेश जोश में अपनी कमर ऊपर-निचे करता हुआ पायल के दूध के बीच लंड को अन्दर बाहर करने लगता है. जब भी रमेश का लंड ऊपर से बाहर आता है तो पायल टोपे को मुहँ में डाल कर चूस लेती है. रमेश का मज़ा दुगना हो जाता है. रमेश उर्मिला के दूध चूसता हुआ उसकी आँखों में देखता है. दोनों की नज़रे मिलती है. रमेश दूध से मुहँ हटा कर एक बार उर्मिला की आँखों में देखता है और अपने मोटे ओंठ उसके ओठों पर रख देता है. रमेश अब उर्मिला के रसीले ओठों को चूसने लगता है. ससुर-बहु मानो एक दुसरे के ओठों का रस पूरा पी जाना चाहते है. कुछ ही समय में दोनों एक दुसरे से अलग होते है और उनकी नज़रे फिर से मिलती है. आँखों ही आँखों में कुछ बातें होती है और उर्मिला अपनी जीभ निकाल के रमेश में मुहँ में घुसा देती है. रमेश उर्मिला की जीभ को चूसने लगता है. कुछ ही क्षण में दोनों के मुहँ आपस में मानो चिपक से जाते है और जीभ मुहँ के अन्दर आपस में कुश्ती करने लगती है. रमेश अब अपने एक हाथ उर्मिला की साड़ी के निचे से घुसा कर उसकी पैन्टी ढूंडने लगता है. पैन्टी के साइड पर हाथ जाते ही रमेश की दो उंगलिया अन्दर चली जाती है और उर्मिला की बालोंवाली गीली बूर से टकरा जाती है. चिकनाहट से दोनों उँगलियाँ फिसलते हुए उर्मिला की बूर में घुस जाती है. २-३ धक्के लगते ही दोनों उँगलियाँ उर्मिला की बूर में पूरी घुस जाती है. रमेश अब अपनी दोनों उँगलियों को तेज़ी से उर्मिला की बूर में अन्दर-बाहर करने लगता है. उर्मिला जोश में आ कर बाबूजी के मुहँ में अपनी जीभ अन्दर तक घुसा देती है जिसे बाबूजी प्यार से चूसने लगते है.
रमेश और उर्मिला एक दुसरे के मुहँ में मुहँ डाले पड़े है, निचे बाबूजी उर्मिला की बूर में दो उँगलियाँ ठूस रहे है और उधर बेटी पायल अपने बड़े-बड़े दूध के बीच पापा का लंड ठूँसवाते हुए चूस रही है. बाबूजी के साथ घर की बहु और बेटी का ये अनोखा संगम कामवासना की हदों को पार करता हुआ हवस तक पहुँच गया था. तीनो को जो परम आनंद की प्राप्ति हो रही थी वो मात्र शरीर की नहीं थी. ये उनके बीच बाप-बेटी और ससुर-बहु के रिश्ते थे जो उन्हें उस परम आनंद तक पंहुचा रहे थे.
कुछ ही देर में रमेश का बदन अकड़ने लगता है और वो अपनी कमर को उठा देता है. पायल समझ जाती है की पापा का लंड अब पानी छोड़ने वाला है तो वो लंड के टोपे को मुह में अच्छे से भर लेती है. रमेश अपनी कमर उठा के पायल के मुहँ में पिचकारी छोड़ने लगते है.
रमेश : ओह पायल...मेरी प्यारी बिटिया...आह्ह्ह....!!!
गाड़े सफ़ेद पानी की ६-७ पिचकारियाँ पायल के मुहँ में छोड़ते हुए रमेश आँखे बंद कर के कर्हाने लगते है. फिर वो झट से उठ के बैठ जाते है और अपने लंड को पकड़ के धीरे से पायल के मुहँ से निकालने लगते है. लंड 'पॉप' की आवाज़ के साथ पायल के मुह से फिसलता हुआ बाहर निकल जाता है. रमेश पायल को प्यार से देखते है. पायल भी पापा को देख कर मुस्कुरा देती है. रमेश पायल के सर पर एक चुम्मी लेते है और लंड को पकडे उर्मिला की तरफ घूम जाते है. उर्मिला भी एक आज्ञाकारी बहु की तरह बाबूजी का इशारा समझ के अपना मुहँ खोल देती है. रमेश अपने लंड के टोपे को उर्मिला के खुले मुहँ में डाल देते है. लंड को पकडे हुए रमेश ३-४ बार अन्दर बाहर करते है फिर लंड को बाहर निकाल कर उर्मिला के सर पर ले जाते है. अपने लंड से निकलते हुए सफ़ेद गाड़े पानी को वो उर्मिला की मांग में भरने लगते है. २-३ बार ऊपर से निचे लंड घुमाते हुए बाबूजी उर्मिला की मांग अपने लंड के पानी से भर देते है. उर्मिला आँखे बंद किये ख़ुशी से बाबूजी के लंड के पानी से अपनी मांग भरवाती है. पायल ये नज़ारा देख रही है.
पायल : (खुश होते हुए) पापा...आपने तो अपने लंड के पानी से भाभी की मांग ही भर दी...
रमेश : हाँ पायल...अब तेरी भाभी को प्यासा नहीं रहना पड़ेगा. अब मेरा लंड और तेरी भाभी एक पवित्र बंधन में बंध गए है. उर्मिला को हमेशा खुश रखना अब मेरे लंड की जिम्मेदारी है....
बाबूजी की बात सुन कर उर्मिला की आँखे भर आती है. वो बैठे हुए ही बाबूजी की कमर से लिपट जाती है.
उर्मिला : ओह बाबूजी...आज आपने मुझे धन्य कर दिया...मैं आपके लंड के साथ हर वचन को निभाने के लिए तैयार हूँ...
रमेश अपना हाथ उर्मिला के सर पर रख देते है और पायल को इशारे से पास आने कहते है. पायल भी पास आ कर पापा की कमर से लिपट जाती है. रमेश की एक जांघ पर उर्मिला लिपटी हुई है और दूसरी जांघ पर पायल. दोनों की नज़रों के सामने बाबूजी का मोटा लंड झूल रहा है. उर्मिला और पायल एक दुसरे को देख कर मुस्कुरा देती है और दोनों तरफ से एक साथ लंड को चूम लेती है.
(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
ठीक मस्त राम शैली में इससे अच्छा
इरोटिक अपडेट में आज तक नहीं पड़ा।
पहले बेटी और फिर बहू दोनो को इतने प्यार से प्यार करते हुए बहुत मज़ा आया।
इंतजार है,पायल की शादी का फिर बच्चे पैदा होने का
ताकि बाबूजी शादी शुदा बेटी का दूध पी सकें.
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उर्मिला : हाँ बाबूजी...अच्छे से चूसिये...पायल कह रही थी की जब उसका दूध आने लगेगा तो वो सबसे पहले अपने पापा को ही पिलाएगी...
उर्मिला की बात सुन के रमेश दूध चुसना बंद कर के पायल को देखने लगते है. वो पायल की आँखों में देखते हुए कहते है...
रमेश : बहु सच कह रही है पायल ?
पायल पापा की आँखों में देखते हुए अपने ओठ काट लेती है और धीरे से सर हिला कर हामी भर देती है.
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बगल की पसीने की गंध तो हमेशा से लन्ड
खड़ा कर देती है वो भी अगर सगी बेटी की
हो तो....लन्ड अंडरवियर में. हाहाकर
मचा देता है.....
उर्मिला पायल की टॉप को उसके बगल से थोडा ऊपर कर देती है. टॉप में बहुत देर से बंद बालोवाली बगल से पसीने की गंध रमेश की नाक में जाती है तो वो दूध छोड़कर अपनी नाक पायल की बगल में घुसा देते है और जोर से साँसे ले कर गंद सूंघ लेते है. फिर वैसे ही वो दुसरे बगल की गंद सूंघते है. दूध को दबा दबे के पीते हुए रमेश बीच बीच में अब पायल के बगलों की गंध भी सूंघ रहे है. पायल भी पूरी मस्ती में आ चुकी है
भाभी उर्मिला का भी आज बाबूजी ने कत्लेआम कर दिया .........
रमेश उर्मिला के दूध को दोनों हाथों से दबा-दबा कर चूसने लगता है. उर्मिला मस्ती में अपना सीना उठा के बाबूजी के मुहँ में अपने दूध ठूसने लगती है. बीच बीच में उर्मिला अपना दूध पकड़ के बाबूजी के मुहँ से निकाल लेती है और अपने खड़े निप्पल उनके ओठों पर रगड़ के फिर से मुहँ में ठूसन देती है. बहु के गदराये बड़े-बड़े दूध को चूस कर रमेश के लंड में खून भरने लगता है. उर्मिला बाबूजी का सर अपनी गोद में रख लेती है. बाबूजी भी अपने पैरों को सीधे कर के लेट जाते है और उर्मिला का दूध पीने लगते है. देखने में ऐसा लग रहा है की उर्मिला किसी बच्चे को अपनी गोद में लिए दूध पिला रही हो.
रमेश दूध से मुहँ हटा कर एक बार उर्मिला की आँखों में देखता है और अपने मोटे ओंठ उसके ओठों पर रख देता है. रमेश अब उर्मिला के रसीले ओठों को चूसने लगता है. ससुर-बहु मानो एक दुसरे के ओठों का रस पूरा पी जाना चाहते है. कुछ ही समय में दोनों एक दुसरे से अलग होते है और उनकी नज़रे फिर से मिलती है. आँखों ही आँखों में कुछ बातें होती है और उर्मिला अपनी जीभ निकाल के रमेश में मुहँ में घुसा देती है. रमेश उर्मिला की जीभ को चूसने लगता है. कुछ ही क्षण में दोनों के मुहँ आपस में मानो चिपक से जाते है और जीभ मुहँ के अन्दर आपस में कुश्ती करने लगती है.
??????????
आज का अपडेट ऐसा है कि जिंदगी भर
बार बार पड़ते रहो.
?????????
हर बार पानी निकलेगा...,??
??
फैबुलस......
आउटस्टैंडिंग......
मारवेलश......
अमेजिंग अपडेट....
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Maza aagaya dost... update more.... story main Ramesh ka dost ka character hai kiya?