• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ]

पायल किस से अपनी सील तुड़वाये ?

  • पापा

    Votes: 196 70.0%
  • सोनू

    Votes: 80 28.6%
  • शादी के बाद अपने पति से

    Votes: 4 1.4%

  • Total voters
    280
  • Poll closed .

Sanjay dutt

Active Member
864
1,075
139
अपडेट २३.५ :

शाम के ७:४५ बज रहे थे. मोतीचूर के लड्डू का चढ़ावा चढ़ा कर रमेश, उर्मिला और पायल मंदिर से निकल कर गाड़ी के पास जा रहे है.

रमेश : ७:४५ हो गए है बहु. घर पहुँचते-पहुँचते ९ तो हो ही जायेंगे.

उर्मिला : हाँ बाबूजी...अब तो रास्ते में ज्यादा भीड़ भी नहीं होगी. हो सकता है और भी जल्दी पहुँच जाये...

पायल : हाँ पापा...रास्ता खाली होगा तो आप गाड़ी तेज़ चलाइयेगा...

उर्मला : हाँ बाबूजी...! पायल रहेगी ना आगे वाली सीट पर आपका 'गियर' बदलने के लिए...

उर्मिला की बात सुनकर पायल शर्मा जाती है, रमेश और उर्मिला जोर-जोर से हँसने लगते है. तीनो गाड़ी के पास पहुँचते है तभी कुछ देख कर रमेश का दिमाग घूम जाता है.

रमेश : धत्त तेरी की..!! इसे भी अभी ही होना था...

पायल : क्या हुआ पापा?

रमेश : (गाड़ी के पहिये की तरफ इशारा करते हुए) ये देखो बेटी....गाड़ी का टायर पंक्चर हुआ पड़ा है.

उर्मिला : हे भगवान बाबूजी...!! अब क्या करें?

रमेश : गाड़ी में स्टेपनी भी नहीं है बहु. सोनू को कितनी बार कहा था की जब कभी भी गाड़ी निकाले पंक्चर वाले के यहाँ से स्टेपनी उठा लेना. गधा किसी की सुने तब तो...

पायल : पर पापा अब क्या करेंगे हम लोग?

रमेश : रुको बेटा...मैं देखता हूँ. शायद कोई पंक्चर वाला मिल जाए. तुम दोनों यहीं रुको, मैं अभी आता हूँ.

रमेश पंक्चर वाले को देखने निकल पड़ते है. गाड़ी के पास उर्मिला और पायल खड़े है. एक दुसरे का उतरा हुआ चेहरा देखते हुए दोनों उस पंक्चर हुए टायर को कोसने लगते है.

उर्मिला : इस मुए की भी हवा अभी ही निकालनी थी.

उर्मिला की इस बात पर पायल को हंसी आ जाती है. तभी एक मनचला घूमता हुआ वहां से गुजरता है. उर्मिला और पायल को अकेला देख कर वो धीरे-धीरे उनके करीब आता है. थोड़ी दूर पर खड़े हो कर वो दोनों की मदमस्त जवानी को ऊपर से निचे तक निहारने लगता है. उर्मिला जब उसे देखती है तो अपनी कोहिनी पायल के हाथ पर मारते हुए उस मनचले की तरफ इशारा करती है. उर्मिला के इशारे पर पायल सामने देखती है तो एक सावंला सा दुबला पतला आदमी, जिसकी उम्र २८-३० साल तक होगी, गले में रुमाल डाले और मुहँ में पतली सी लकड़ी फ़साये मुस्कुराते हुए उनकी तरफ देख रहा है. पायल जैसे ही उस आदमी की तरफ देखती है वो झट से अपना हाथ छाती पर रख कर दिल थामने के अंदाज़ में राजेश खन्ना की स्टाइल में सर हिलाने लगता है. पायल उर्मिला की तरफ घुमती है और दोनों मुहँ पर हाथ रखे हँसने लगती है. वो आदमी दोनों के हँसने से प्रोत्साहीत हो जाता है और उनके पास आ कर खड़ा हो जाता है. पास खड़ी गाड़ी पर अराम से हाथ रख कर और एक पैर को मोड़े हुए इस बार वो देव आनंद की तरह मुहँ बनाते हुए कहता है.

छेदी : बन्दे को लोग प्यार से...छेदी कहते है...

पायल थोडा उर्मिला के पीछे खड़ी हो जाती है और उर्मिला उस आदमी को बड़ी-बड़ी आँखे और मुहँ बनाते हुए कहती है.

उर्मिला : छेदी ??. क्यूँ? तुम्हारी चड्डी में कुछ ज्यादा ही छेद है क्या?

उर्मिला की बात सुन कर पायल को जोरो की हंसी आ जाती है. वो उर्मिला के कंधे पर सर रख कर हँसने लगती है. पहली ही बार में अपनी बेज्ज़ती होता देख वो आदमी सकपका जाता है. फिर संभलते हुए कहता है.

छेदी : हमारी चड्डी में ज्यादा छेद नहीं है मैडम जी...लोग तो हमें छेदी इसलिए कहते है क्यूंकि हम छेद भरने में माहिर हैं...

उर्मिला : ओह...अच्छा-अच्छा...!! तो मिस्त्री हो...दीवारों के छेद भरते हो...

उर्मिला की इस बात पर पायल अपने आप को रोक ही नहीं पाती है और अपने पेट पर हाथ रख कर हँसने लगती है. अपनी दूसरी बेज्ज़ती पर वो आदमी थोडा सहम जाता है. फिर संभलकर जवाब देता है.

छेदी : हम दीवारों के नहीं मैडम जी...खुबसूरत बलाओं के छेद भरते है....

उर्मिला : ओह अच्छा..!! तो आप यहाँ हमारे छेद भरने के इरादे से आयें है...

छेदी : (उर्मिला को ऊपर से निचे देखता हुआ) अब आपने सही समझा मैडम जी...

उर्मिला : चलो अच्छा है, कोई तो मिला. मेरे पति तो कभी मेरे छेद की तरफ देखते भी नहीं है. अब आप आ गए हो तो लग रहा है की मेरे छेद की भराई हो ही जाएगी.

उर्मिला की बात सुन कर पायल बड़े ही हैरानी से उसे देखने लगती है. उसे समझ नहीं आ रहा है की उर्मिला करना क्या चाहती है. उर्मिला की बात सुन कर वो आदमी मुस्कुराते हुए अपने गले के रुमाल में गाँठ मारते हुए कहता है.

छेदी : (मुस्कुराते हुए) तो बताइए मैडम जी...कब भरा जाए आपका छेद...

उर्मिला : नेकी और पूछ-पूछ. अभी ही चलते है...लेकिन........

छेदी : (उत्सुकता से) लेकिन क्या मैडम जी ?

उर्मिला : मेरे पति अभी आते ही होंगे. थोडा इंतज़ार करना होगा...

छेदी : (थोडा सहमते हुए) आपके पति का इंतज़ार? वो क्या करेंगे? वो भी आपका छेद भरेंगे क्या?

उर्मिला : नहीं नहीं...वो तो मेरे छेद को देखेंगे तक नहीं. मेरा छेद तो आप ही भरोगे. वो तो बस आपका छेद भरेंगे...दरअसल उन्हें मर्दों के छेद जो पसंद है....

उर्मिला की बात सुन कर वो आदमी लड़खड़ा जाता है. पायल फिर से अपने मुहँ पर हाथ रख कर हँसने लगती है. अपने आप को सँभालते हुए वो आदमी फिर से सीधा खड़ा हो जाता है.

छेदी : ये...ये आप क्या कह रही है मैडम ?

उर्मिला : वही जो आपने सुना. बस ५ मिनट रुकिए, वो आते ही होंगे.

तभी उर्मिला की नज़र सामने से आते हुए एक हट्टे-कट्ठे आदमी पर पड़ती है. देखते ही पता चल रहा था को वो जरुर जीम जाता है. उसके साथ एक और हट्टा-कट्ठा आदमी है और उसका बदन भी किसी जीम में बना हुआ लग रहा है. उर्मिला झट से उन दोनों की तरफ इशारा करते हुए कहती है.

उर्मिला : वो देखिये...मेरे पति आ रहे है. साथ में उनका साथी भी है. चलिए इसी बहाने से दोनों को आज छेद मिल जायेगा भरने के लिए.

वो आदमी मुड़ के दोनों को देखता है तो उसकी हवा निकल जाती है. उर्मिला भी गरम लोहे पर हतौड़ा मारते हुए उन दो आदमियों की तरफ हाथ उठा के हिला देती है. उनमें से एक उर्मिला को हाथ हिलाता देख अपना हाथ भी दिखा देता है. छेदी जब ये देखता है तो उसे यकीन हो जाता है की ये औरत सही कह रही है. वो तेज़ क़दमों से उन दो आदमियों को देखता हुआ जाने लगता है. पीछे से उर्मिला आवाज़ देती है.

उर्मिला : अरे छेदी जी...कहाँ चल दिए....अब मेरे छेद का क्या होगा ?

छेदी : (लगभग भागते हुए) अरे भाड़ में जाए आपका छेद. यहाँ मेरे छेद की जान पर बन आई है और वहां आपको अपने छेद की पड़ी है.

छेदी वहां से भाग निकलता है. उसके जाते ही उर्मिला और पायल एक दुसरे का हाथ पकडे जोर-जोर से हंसने लगती है.

पायल : बहुत अच्छा मज़ा चखाया आपने उस आदमी को भाभी. बड़ा राजेश खन्ना बना फिर रहा था. अब देखो कैसे दुम दबा कर भाग रहा है.

उर्मिला : और नहीं तो क्या? ऐसे बहुत से मनचलों को मैं स्कूल के वक़्त से ही ठीक करती आ रही हूँ...

पायल : सच भाभी...आपका भी जवाब नहीं...

पायल और उर्मिला छेदी का मजाक उड़ाती हँसे जा रही थी की तभी एक आवाज़ ने उनका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया. "एक्सक्यूज़ मी...!!". दोनों उस आवाज़ की दिशा में देखते है तो सामने वही दो हट्टे-कट्ठे मर्द खड़े हैं जिन्हें अभी-अभी उर्मिला ने हाथ दिखाया था. उर्मिला और पायल बिना कुछ कहे दोनों के शरीर की बनावट देखने में मगन हो जाती है. बड़ी और चौड़ी बाहें, चौड़ा निकला हुआ फौलादी सीना, मजबूत कंधे. उर्मिला दोनों को ऊपर से निचे तक देखने लगती है. पायल दोनों के गठीले शरीर को देखते हुए धीरे से उर्मिला के पीछे चुप जाती है और अपने ओंठ काटते हुए दोनों के बदन को निहारने लगती है.

पहला आदमी : जी मैंने कहा एक्स्क्युस मी....

उस आदमी के दोबारा कहने पर उर्मिला होश में आती है फिर संभलते हुए जवाब देती है.

उर्मिला : अ..जी..जी बोलिए...

पहला आदमी : आपने अभी-अभी हमे हाथ दिखाया था. क्या आप हमे जानती है.

उर्मिला : नहीं नहीं. मांफ करियेगा. दरअसल मैंने तो किसी और को हाथ दिखाया था. आपको जरुर कोई ग़लतफ़हमी हो गई है.

दूसरा आदमी : हो सकता है. वैसे आप लोगों को किस प्रकार की कोई मदद चाहिए तो आप बता सकती है.

उर्मिला : जी ऐसी कोई बात नहीं है. धन्यवाद...!

दूसरा आदमी : चलिए ठीक है......

दोनों आदमी पायल और उर्मिला को एक बार अच्छे से ऊपर से निचे देखते है और फिर मुस्कुराते हुए जाने लगते है. उनके जाते ही पायल अपने हाथ से चेहरे पर हवा करती हुई उर्मिला के सामने आती है.

पायल : बापरे भाभी....!! कितने हट्टे-कट्ठे थे ये दोनों. लगता है खूब कसरत करते हैं दोनों.

उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) अच्छा? बुला लूँ उन्हें कसरत करवाने? एक तेरे निचे कसरत करेगा और दूसरा तेरे ऊपर.

पायल : धत्त भाभी. आप कुछ भी बोल देते हो. अभी तक तो बाबूजी भी ठीक से कसरत नहीं कर पाए हैं और आप तो दो-दो लोगों की एक साथ कसरत करवाने की बात कर रहीं है.

उर्मिला : (प्यार से पायल का गाल सहलाते हुए) ओह हो..!! तो अगर बाबूजी ने कसरत कर ली तो मेरी ननद एक साथ दो मर्दों से कसरत करवा लेगी....हैं ना?

पायल : (शर्माते हुए नज़रें झुका कर) तब की तब देखेंगे....

तभी रमेश आते दिखाई देते है तो दोनों उन्हें देख कर खुश हो जाते है. रमेश के साथ एक और आदमी चला आ रहा था जो देखने में ही कोई टायर ठीक करने वाला लग रहा था. दोनों गाड़ी के पास आते है.

रमेश : लो भाई. ये है गाड़ी. जरा जल्दी से टायर ठीक कर दो. बहुत देर हो चुकी है. (फिर उर्मिला और पायल को देख कर) तुम दोनों को कोई परेशानी तो नहीं हुई ना?

उर्मिला : जी नहीं बाबूजी. हम दोनों तो बस बातें करते हुए वक़्त बिता रहे थे.

वो आदमी निचे बैठ कर टायर का निरक्षण करता है. कुछ देर निरक्षण करने के बाद वो खड़ा होता है और रमेश को एक बड़ी सी कील दिखाते हुए कहता है.

मेकानिक: बाउजी ... इसका ट्यूब तो गया. इस कील ने ट्यूब का काम तमाम कर दिया है. बदलनी पड़ेगी.

रमेश : अरे कोई बात नहीं भाई. बदलो दो. पर जो करना है जरा जल्दी करो.

मेकानिक : बाउजी जल्दी तो नहीं हो पायेगा. इसकी ट्यूब यहाँ मिलेगी नहीं. ४-५ किलोमीटर दूर जाना पड़ेगा. मेरे पास तो साइकिल है. वक़्त लगेगा.

रमेश : (चिंतित होते हुए) कितना वक़्त?

मेकानिक : (सोचते हुए) उम्म... मान के चलिए कुल मिलकर १.३० से २ घंटे तो लग जायेंगे...

रमेश : अरे नहीं भाई...ऐसा मत बोलो...२ घंटे तो बहुत होते है. इतनी देर तो हम रुक नहीं पाएंगे. ८:१५ तो हो चुके, तुम कब टायर ठीक करोगे और कब हम घर पहुचेंगे....

मेकानिक : बाउजी इसके अलवा तो और कोई रास्ता नहीं है.

रमेश : कोई तो रास्ता होगा भाई. इतनी देर तो नहीं रुक पाएंगे.

मेकानिक : देखिये बाउजी ... आप भले लोग लग रहे है. और आपके साथ दो लेडीज़ भी है. अगर आपको इस गरीब पर विशवास है तो बस पकड़ के घर चले जाईये. ५००/- रुपये और अपना पता दे दीजिये. गाड़ी आज रात तक आपके घर पहुँच जाएगी.

रमेश उस आदमी की बात सुन कर कुछ सोचते है फिर पायल और उर्मिला की तरफ देखते है. उनके चेहरे पर भी परेशानी के भाव है. रमेश फिर उस आदमी से कहते है.

रमेश : भाई पर गाड़ी तो सही सलामत पहुँच जाएगी ना?

मेकानिक : आप उसकी चिंता मत करिए बाउजी. बस जो भी गाड़ी ले कर आये उसे २००/- रूपये दे देना वापस आने के लिए.

रमेश : ठीक है भाई. ये ही सही. और ये बस कहाँ से मिलेगी?

मेकानिक : वो सामने बाउजी...चाय की दूकान के दूसरी तरफ.

रमेश उस आदमी को अपना पता और ५००/- देते है. तीनो चलते हुए बस स्टॉप पर पहुँचते है. ८-९ लोग बस के इंतज़ार में खड़े है. रमेश भी पायल और उर्मिला के साथ एक कोने में खड़े हो जाते है और बस का इंतज़ार करने लगते है. कुछ ही देर में एक बस आती दिखाई पड़ती है तो रमेश, उर्मिला और पायल सड़क के किनार जा कर खड़े हो जाते है. बस आ कर रूकती है तो भीड़ के साथ तीनो धक्का-मुक्की करते हुए बस में घुस जाते है. बस के बीच वाले हिस्से में वो तीनो पहुँच जाते है. वहां सिर्फ एक सीट खाली है. उसके साथ वाली सीट पर एक औरत बैठी हुई है. रमेश झट से उस खाली सीट को घेर लेते है.

रमेश : आओ बहु...जल्दी से बैठ जाओ...

उर्मिला : नहीं बाबूजी...आप बैठ जाईये. आप तो इतना चले भी है और आपके घुटनों में भी दर्द रहता है.

पायल : हाँ पापा...आप बैठ जाईये. मैं और भाभी यहीं पर आपके पास ही खड़े हो जाते है.

पायल और उर्मिला की बात मान कर रमेश उस सीट पर बैठ जाते है. उर्मिला रमेश के बगल में उनके कंधे के पास खड़ी हो जाती है और पायल उनके सामने पैरो की तरफ. रमेश अपने साथ बैठी महिला से पूछते है.

रमेश : आप कहाँ तक जायेंगी?

महिला : जी बस दुसरे स्टॉप पर ही उतरना है.

रमेश : (पायल और उर्मिला को देख कर) इनका स्टॉप आएगा तो तुम दोनों में से कोई यहाँ बैठ जाना.

उर्मिला : पायल तू बाबूजी के साथ बैठ जाना. इतनी देर खड़े हो कर सफ़र करेगी तो परेशान हो जाएगी.

पायल भी सर हिला कर उर्मिला की बात मान लेती है. बस अगले स्टॉप की ओर बढती है. सामने बस स्टॉप का नज़ारा देखते ही उर्मिला और पायल की हालत खराब हो जाती है. बस स्टॉप पर बहुत सारे लोग बस का इंतज़ार कर रहे है. पायल और उर्मिला एक दुसरे को मुहँ उतार कर देखते है. आने वाली भीड़ से निपटने की तैयारी करते हुए उर्मिला अपनी कमर रमेश की सीट पर टिका देती है और एक हाथ उठा के ऊपर लगे लोहे के रॉड को पकड़ लेती है. पायल भी रमेश की सामने वाली सीट पर अपनी कमर लगा कर ऊपर वाली रॉड को पकड़ लेती है. स्टॉप पर बस जैसे ही रूकती है, भीड़ जानवरों की तरह बस के दोनों दरवाजों से अन्दर घुसने लगती है. कुछ ही पल में पूरी बस भीड़ से खचा-खच भर जाती है. पायल और उर्मिला के तीनो तरफ लोग आपस में एक दुसरे से चिपके खड़े है. चौथी तरफ बाबूजी सीट पर बैठे है. रमेश भीड़ में उर्मिला और पायल की हालत देखते है पर वो कुछ भी नहीं कर पाते है. भीड़ को देखते हुए उर्मिला मुहँ बनती है. तभी उसकी नज़र पायल के पीछे खड़े एक आदमी पर जाती है तो उसकी आँखे बड़ी हो जाती है. वो वही दो हट्टे-कट्ठे आदमियों में से एक था जिसे उर्मिला ने मंदिर के बाहर हाथ दिखाया था. वो मुस्कुराता हुआ उर्मला को देखते हुए पायल के ठीक पीछे खड़ा था. उर्मिला भी उसे देख कर बनावटी मुस्कान दे देती है. तभी भीड़ में से उसका दूसरा साथी किसी तरह जगह बनता हुआ उर्मिला और पायल के ठीक पास आ कर खड़ा हो जाता है. वो भी उर्मिला को देख कर मुस्कुरा रहा था. उर्मिला की समझ में नहीं आ रहा था की वो क्या करे. पायल भी दोनों को पहचान लेती है और आँखे बड़ी कर के उर्मिला को देखने लगती है. तभी उर्मिला के ठीक पीछे खड़ा एक आदमी कहता है. "और भाई...कैसे हो?". उर्मिला के कानो में जब वो आवाज़ पड़ती है तो उसके दिल की धड़कन बढ़ जाती है. ये आवाज़ उसने पहले भी सुन रखी थी. वो धीरे से अपनी गर्दन घुमा कर तिरछी नज़रों से पीछे देखती है तो उसकी आँखे फटी की फटी रह जाती है. वो आदमी कोई और नहीं, बल्कि वही दुबला पतला मनचला छेदी थे. पायल देखती है तो छेदी उसे देख कर मुस्कुरा रहा है. छेदी की बात का जवाब देते हुए दूसरा हट्टा-कट्ठा मर्द कहता है. "बस भाई...सब बढियां है".

छेदी : भाई कमाल है. इतनी बढियाँ बाडी-शाडी बना राखी है आप दोनों ने और अब तक शादी नहीं हुई ?

दूसरा आदमी : (हँसते हुए) बस लड़की देख रहे है जी...

छेदी की बात सुन कर उर्मिला समझ जाती है की कुछ देर पहले जो उसने झूठ बोल कर छेदी को बेवक़ूफ़ बनाया था, अब वो चोरी पकड़ी गई है. वो चुप-चाप उनकी बाते सुनते हुए खड़ी हो जाती है. येही हाल पायल का भी था. छेदी आगे कहत है.

छेदी : (दोनों हट्टे-कट्ठे आदमियों से) भाई आप दोनों से बस स्टॉप पर बात-चीत करके बड़ा मजा आया. (पायल को घूरते हुए) कुछ लोगों को आपके बारें में गलतफहमी हो गई है. कोई बात नहीं...ठीक है...हो जाता है.

उर्मिला सारी बातें चुप-चाप खड़ी हो कर सुन रही थी. उसकी सारी होशियारी निकल कर हवा हो चुकी थी. पायल भी डरे हुए उर्मिला को देखने लगती है. इन सारी बातों से बेखबर रमेश चुप-चाप सीट पर बैठा है. उसे इस बात की जरा भी भनक नहीं थी की ये सब चल क्या रहा है.

तभी दूसरा बस स्टॉप आ जाता है और बस का ड्राईवर जोरो से ब्रेक लगा देता है. बस एक झटके से रुक जाती है तो उर्मिला के पीछे खड़ा छेदी, उर्मिला से पीछे से चिपक जाता है. पायल भी झटका खा कर पीछे खड़े तगड़े आदमी से टकरा जाती है. छेदी धीरे-धीरे उर्मिला से अलग होता हुआ कहता है.

छेदी : बहुत भीड़ है भाई...बहुत भीड़ है...

रमेश इस घटना को देख लेते है. जिस तरह से एक अनजान आदमी उर्मिला के पीछे से चिपक गया था और जिस तरह से पायल एक अनजान आदमी से पीछे हो कर चिपक गई थी, रमेश को इन बातों पर गुस्सा नहीं आ रहा था. बल्कि रमेश की धोती में सोये हुए लंड में एक हरकत सी होने लगी थी. अपनी ही बहु और बेटी को किसी अनजान मर्दों से चिपकता देख कर रमेश को मजा आया था. इस बात से उर्मिला और पायल दोनों ही अनजान थे.

उस स्टॉप पर भी कुछ लोग बस में घुस जाते है तो बस के अन्दर बुरा हाल हो जाता है. दोनों दरवाजों से घुसती भीड़ की वजह से बस के बीच की जगह का बुरा हाल हो जाता है. लोग एक दुसरे से चिपक जाते है और हिलने डुलने की भी जगह मुश्किल हो जाती है. इस बात का फ़ायदा उठा कर छेदी उर्मिला की बड़ी-बड़ी चुतड पर अपने आगे का हिस्सा चिपका कर खड़े हो जाता है. पायल के पीछे खड़ा तगड़ा आदमी भी पायल की चुतड से चिपक जाता है. दूसरा तगड़ा आदमी अब उर्मिला और पायल के बीच खड़ा हो जाता है और अपना चेहरा उर्मिला की तरफ कर देता है. उर्मिला के पीछे छेदी चिपका खड़ा है और आगे दूसरा तगड़ा आदमी. उर्मिला दोनों के बीच 'सैंडविच' बनी हुई है. पायल के सामने दुसरे तगड़े आदमी की पीठ है और पीछे पहला तगड़ा आदमी. वो भी दोनों के बीच 'सैंडविच' बनी हुई है.

रमेश जब उर्मिला और पायल को इस तरह मर्दों के के बीच फंसा देखते है तो उनके लंड में तनाव आने लगता है. वो बिना कुछ कहे चुप-चाप इस नज़ारे का मज़ा लेने लगते हैं. बस निकल पड़ती है और छेदी उर्मिला के पीछे अपना काम शुरू कर देता है. बस काफी पुरानी है और चलते हुए हिल रही है. बस के इस तरह से हिलने का पूरा फायेदा उठाते हुए छेदी उर्मिला की बड़ी चूतड़ों के बीच अपनी पैंट में बने बड़े से उभार को दबा देता है. अपनी चूतड़ों के बीच किसी मोटे और सक्त चीज़ का अहसास होते ही उर्मिला समझ जाती है की ये छेदी का लंड ही है. वो सोचती है की एक दुबले पतले आदमी का ऐसा मोटा लंड कैसे हो सकता है. लंड को परखने के लिए उर्मिला अपनी चुतड हल्का सा पीछे कर देती है. उर्मिला को इस तरह से चुतड पीछे करते देख छेदी भी अपनी कमर आगे कर देता है और उर्मिला की चूतड़ों के बीच दबाव बना देता है. अब उर्मिला को यकीन हो जाता है की ये छेदी का लंड ही है जो मोटा होने के साथ-साथ लम्बा भी है.

सामने पायल का भी वैसा ही हाल था. उसके पीछे खड़ा तगड़ा आदमी पायल की चूतड़ों के बीच अपना लंड पैंट के अन्दर से चिपकाए खड़ा था. जब भी बस हिल जाती तो वो अपना लंड पायल की स्कर्ट के ऊपर से चूतड़ों पर रगड़ देता. रमेश अब उर्मिला और पायल के साथ हो रही इस घटना का पूरा मजा लेने लगा था. ये सब देख कर उसके लंड में हलचल हो रही थी. तभी बस के सामने एक गाय आ जाती है और ड्राईवर जोर से ब्रेक लगा देता है. ब्रेक लगने से उर्मिला पहले आगे होती है तो उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां सामने वाले तगड़े आदमी के सीने पर पूरी तरह से दब जाती है. पीछे छेदी भी अपनी कमर आगे कर उर्मिला की चूतड़ों के बीच दबा देता है. जैसे ही बस रूकती है तो उर्मिला झटका खाते हुए पीछे हो जाती है. पीछे छेदी अपने लंड का उभार लिए खड़ा था. जैसे ही उर्मिला पीछे हुई, छेदी ने अपने लंड का उभार उर्मिला की चूतड़ों के बीच झटके से घुसा दिया. झटका इतने जोर का था की लंड का उभार उर्मिला की साड़ी के साथ उसकी चूतड़ों के बीच घुस जाता है. अब छेदी का लंड उर्मिला की चूतड़ों में घुसी साड़ी के साथ अन्दर फस हुआ था. उर्मिला भी छेदी के लंड की मोटाई अच्छे से महसूस कर पा रही थी. अब उर्मिला भी मजा लेने लगी थी. छेदी अपने लंड को हल्का सा झटका देता तो उर्मिला भी अपनी चुतड भींच के उसके लंड को पकड़ सी लेती. छेदी भी समझ गया था की अब आगे का रास्ता असान हो गया है.

सामने पायल भी अब उसके साथ होने वाली मस्ती का मजा लेने लगी थी. तगड़े आदमी ने अब अपनी कमर पायल की चुतड से चिपकाए, एक हाथ से उसकी कमर को सहलाना भी शुरू कर दिया था. पैंट के अन्दर से अपने लंड को पायल की स्कर्ट में कैद चूतड़ों पर रगड़ते हुए वो अपने हाथ को कमर से उसके पेट पर लाने लगा था. धीरे-धीरे पायल का पेट सहलाते हुए वो अपनी कमर को पायल की चूतड़ों पर हिलाए जा रहा था. तभी बस के अन्दर जल रही तीन बत्तियों में से पीछे और बीच की बत्तियाँ बुझ जाती है और बस में लगभग अँधेरा सा छा जाता है. एक बत्ती जो ड्राईवर की सीट के पास है, वही जल रही है. बस में अँधेरा होने से रमेश अपनी आँखों पर जोर डालते हुए उर्मिला और पायल के साथ क्या हो रहा है वो देखने लगते है.

अँधेरे का फायेदा उठा के छेदी अब उर्मिला से पूरा चिपक गया था. उर्मिला की कमर में हाथ डाले वो उसके की पिछवाड़े पर निचे से ऊपर अपनी कमर रगड़े जा रहा था. उर्मिला के सामने वाले तगड़े मर्द ने थोडा झुक कर अपना मुहँ उर्मिला की बगल में घुसा दिया था. उर्मिला हाथ उठाये ऊपर रॉड पकडे खड़ी थी और वो मर्द अपना मुहँ उसकी बगल में घुसाए बाहं के निचे ब्लाउज के गीले हिस्से हो सूंघे जा रहा था. उर्मिला के ब्लाउज की बांह छोटी और हाथ ऊपर होने की वजह से उसकी बगल लगभग आधी बाहर दिख रही थी. वो आदमी बगल सूंघते हुए बीच-बीच में छोटी बाहं में जीभ घुसा कर उर्मिला की बालोवाली बगल चाट लेता. पीछे छेदी और आगे तगड़ा आदमी उर्मिला को पूरा मजा दे रहे थे.

सामने पायल की टॉप में तगड़े आदमी ने अपना हाथ घुसा दिया था. टॉप के अन्दर हाथ घुसा के वो पायल के एक दूध को दबोच कर मसले जा रहा था. पायल आँखे बंद किये अपना दूध उस अनजान मर्द से मसलवा रही थी. तेज़ साँसों के साथ पायल मस्ती में मजा ले रही थी की अचानक उसकी नज़र रमेश पर पड़ी. रमेश ये सब घुर के देख रहा था. पायल को सबसे ज्यादा हैरानी तब हुई जब उसने देखा की पापा का एक हाथ धोती के अन्दर है और वो ये सब देखते हुए अपना लंड मसल रहें है. पायल इस बात से हैरान तो हुई लेकिन ना जाने क्यूँ उसे भी इसमें मजा आ रहा था. अपने ही पापा के सामने किसी अनजान मर्द से दूध दबवाने में उसे अब मजा आने लगा था और ये मजा दुगना हो गया था जब खुद उसके पापा भी अपना लंड मसल कर मजा ले रहे थे. पायल का बदन मस्ती में झूम उठा था. रमेश लंड मसलते हुए पायल को देख रहे थे और पायल अपना दूध पराये मर्द से दबवाते हुए पापा को. तभी पापा को देखते हुए पायल ने एक हाथ से अपनी टॉप आगे से थोड़ी ऊपर कर दी तो नीचे सीट पर बैठे रमेश को हलकी सी रौशनी में पायल के बड़े दूध पर एक हाथ घूमता हुआ दिख गया जो बीच-बीच में पायल के दूध को दबोच ले रहा था तो कभी निप्पल मसल दे रहा था. ये नज़ारा देख कर रमेश ने धोती के अन्दर अपने हाथ की गति बढ़ा दी.

तभी अगला बस स्टॉप आ गया और रमेश के साथ बैठी महिला ने चिल्ला कर कहा, "बस रोको भाई. मुझे उतरना है". उस महिला की आवाज़ से छेदी और तगड़े मर्द संभल जाते है और अपना काम छोड़ कर सीधे खड़े हो जाते है. फिर वो महिला रमेश से कहती है. "भाई साहब जरा हटिये. मेरा स्टॉप आ गया है". रमेश उठ जाते है तो वो वहां से बाहर निकलती है. उसके निकलते ही रमेश पायल को इशारा करते है तो पायल झट से अन्दर घुस कर खिड़की वाली सीट पर बैठ जाती है और रमेश अपनी सीट पर बैठ जाते है. पायल को सीट पर बैठता देख तगादा मर्द निराश हो जाता है लेकिन फिर सामने उर्मिला को देख कर मुस्कुराते हुए उसकी दूसरी तरफ खड़ा हो जाता है. अब उर्मिला के पीछे छेदी है, सामने और दूसरी तरफ तगड़े मर्द और एक तरफ बाबूजी बैठे है.

उर्मिला अपने आप को किसी चक्रव्यूह में फंसा हुआ पाती है. उस चक्रव्यूह में कोई तलवार, तीर-कमान या भाले जैसे हथियार नहीं थे, बल्कि लंड और हाथ जैसे हथियार थे जो उर्मिला के बदन को घायल कर रहे थे. लंड और हाथ रुपी इन हथियारों के घाव उर्मिला को पीड़ा नहीं बल्कि उत्तेजना और आनंद से भर दे रहे थे. उसे इस चक्रव्यूह से निकालने वाले अभिमन्यु रुपी बाबूजी खुद इस का एक हिस्सा बने मजा ले रहे थे. जब उर्मिला बाबूजी की तरफ देखती है तो वो आँखे फाड़े धोती में अपना लंड मसलते हुए उसे देख रहे थे. उर्मिला बाबूजी को देखते हुए अपने ओंठ काट लेती है और आँखे बंद किये अपने शरीर को उस चक्रव्यूह के रचेता, छेदी और उन दो तगड़े आदमियों के सामने आत्मसमर्पित कर देती है.

(अगला भाग भी लिख ही रही हूँ. जब तक वो तैयार होता है तब तक इसका मजा लें. छेदी का किरदार कैसा लगा ये जरुर बतायें. आगे छेदी बड़े काम की चीज़ साबित होने वाला है)

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
Poori real story lag rahi han
 

Mastrani

Member
242
2,393
139
अपडेट २४ बस १० मिनट में.

-मस्तरानी
 

Mastrani

Member
242
2,393
139
अपडेट २४:

छेदी उर्मिला की कमर पकडे पीछे से धक्के पर धक्के लगाये जा रहा था. पास खड़ा तगड़ा आदमी अब ब्लाउज के ऊपर से उर्मिला के दूध दबाने शुरू कर दिए थे. दूसरा तगड़ा आदमी सामने से उर्मिला के बदन से चिपक चूका था. उर्मिला आँखे बंद किया मजे लिए जा रही थी. रमेश ये सब देख कर पूरे जोश में आ चूका था. उसने साथ बैठी पायल का हाथ पकड़ा और अपनी धोती में घुसा लिया. धोती में रमेश का लंड फुदक रहा था. पायल ने पापा के लंड को अपने हाथ में जकड लिया और चमड़ी ऊपर निचे करने लगी. रमेश उर्मिला को आँखे फाड़-फाड़ के देख रहा था. तभी छेदी ने पीछे से अपनी कमर उर्मिला की चुतड पर जोर से दे मारी और एक हाथ से उसका दूध भी दबा दिया. ये देख कर पायल के हाथ में रमेश का लंड उच्छल पड़ा. पायल तेज़ धडकनों के साथ पापा के लंड को किसी तरह से संभाल रही थी. वो अब समझ चुकी थी की पापा का लंड पूरी तरह से बेकाबू हो चूका है.

रमेश अब अपने आप को और नहीं रोक सकता था. वो एकदम से चिल्ला पड़ा. "बस रोको भाई....!!!". पायल पापा का मुहँ देखने लगी. बस अभी भी अगले स्टॉप से बहुत दूर थी और फिलहाल किसी घने जंगल से गुजर रही थी. रात के ९:१५ बज रहे थे और पापा का इस तरह से बस को रुकवाना उसके समझ से बाहर था. ड्राईवर रमेश की आवाज़ सुन कर बस रोक देता है. छेदी और दोनों तगड़े आदमी भी चुप-चाप खड़े हो जाते है. रमेश अपनी सीट से उठ कर बस के सामने वाले दरवाज़े की और धक्का-मुक्की करते हुए जाने लगता है. उसके पीछे पायल और उर्मिला भी चल पड़ते है. बस के दरवाज़े के पास पहुँचते ही ड्राईवर कहता है.

ड्राईवर : अरे बाउजी...यहाँ कहाँ उतरोगे? ये तो जंगल है. बस स्टॉप तो अभी ५ की.मी आगे है.

रमेश : अरे नहीं भाई. हमारी गाड़ी आ रही है. इसलिए यहाँ उतर रहे है.

रमेश, पायल और उर्मिला के साथ निचे उतर जाते है. बस भी उन्हें छोड़ कर धीरे-धीरे आगे निकल जाती है. वो तीनो सड़क के किनारे खड़े हो जाते है. सड़क के दोनों तरफ बड़े-बड़े पेड़ है और पीछे ऊँची-ऊँची झाड़ियाँ. उर्मिला और पायल थोड़ा डरते हुए आसपास देखते है. अँधेरा, सड़क पर एक भी बत्ती नहीं और एकदम सुनसान जगह. पायल पापा से धीरे से पूछती है.

पायल : पापा...हम यहाँ क्यूँ उतर गए?

उर्मिला : हाँ बाबूजी...यहाँ से हम आगे कैसे जायेंगे? हमारी गाड़ी तो अभी बनी भी नहीं होगी.

रमेश दोनों को घूर के देखते है. उनकी साँसे तेज़ है. वो पायल और उर्मिला से कहते हैं.

रमेश : जानता हूँ बेटा. यहाँ से हमे आगे जाने के लिए शायद ही कुछ मिले , लेकिन मैं भी क्या करता. बस में जो तुम लोगों के साथ हो रहा था वो मैं और नहीं देख सकता था.

उर्मिला : आपकी बात मैं समझती हूँ बाबूजी. और इसमें आपका कोई दोष नहीं है. आज मेरे और पायल के साथ जो कुछ भी हुआ वो तो उन बदमाशों की वजह से हुआ.

पायल : हाँ पापा...इसमें आपकी की कोई गलती नहीं है.

रमेश एक बार दोनों को बारी-बारी से ऊपर से निचे तक देखते है. फिर वो उर्मिला से पूछते है.

रमेश : बहु...सच-सच बताना...उन लोगों ने तुम्हारे साथ क्या क्या किया?

उर्मिला समझ जाती है की बाबूजी को ये सब सुनकर जोश आ जाता है. वो भी भोलेपन के साथ कहती है.

उर्मिला : बाबूजी...वो सब मेरे बदन के साथ खेल रहे थे...

रमेश : (उत्तेजित जोते हुए) कैसे खेल रहे थे बहु? जरा खुल के बताओ ना...

उर्मिला : बाबूजी...जो आदमी मेरे पीछे खड़ा था वो तो मेरे पिछवाड़े में अपना लंड घुसाने के चक्कर में था. वो तो अच्छा हुआ की मैंने साड़ी पहन रखी थी. सामने वाले दो आदमी मेरे दूध से खेल रहे थे.

रमेश : (तेज़ सांसों से) वो दोनों तुम्हारे दूध भी दबा रहे थे क्या बहु?

उर्मिला : हाँ बाबूजी...दोनों ने मिलकर मेरे दूध को खूब दबाया. एक आदमी तो पीछे से मेरी ब्रा के हुक तक खोलने की कोशिश कर रहा था....

रमेश : उफ़ बहु....कितनी कमीने थे वो तीनो....

फिर रमेश पायल की तरफ घूम जाते है और पूछते है.

रमेश : पायल बेटी. तुम्हारे साथ वो दो बदमाशो ने क्या किया?

पायल पापा को पहले ही मजा लेते देख चुकी थी. वो भी समझ जाती है की पापा जान बुझ कर उसके मुहँ से वो सब सुनकर अपना लंड खड़ा करना चाहते है. वो कहने लगती है.

पायल : बहुत बुरा किया पापा. पहले तो पीछे से स्कर्ट के ऊपर से मेरी चूतड़ों पर खूब लंड रगडा. फिर मेरी टॉप में हाथ दाल कर मेरे दूध दबाने लगा.

रमेश : उफ़ पायल बिटिया...!! बहुत जोरो से दबा रहा था क्या?

पायल : हाँ पापा...पूरा दबोच ले रहा था. और तो और वो मेरे निप्पल भी अपनी उँगलियों के बीच रख कर मसल रहा था.

इतना सुनते ही रमेश अपने होश खो बैठते है. वो पायल का कन्धा पकडे उसे दूसरी तरफ घुमा देते है और उसकी उभरी हुई चूतड़ों पर अपनी कमर पूरी पीछे ले जा कर जोरदार ४-५ ठाप मार देते है. हर एक ठाप इतनी जोरदार थी की पायल हर ठाप पर झटके खा कर पूरी हिल जा रही थी. अगर रमेश ने पायल के कन्धों को न पकड़ रखा होता तो पायल झटका खा कर दूर जा गिरती.

पायल : आह...आह..पापा...!!

ये देख कर उर्मिला भी डर जाती है. वो झट से यहाँ-वहाँ देखने लगती है. वो तीनो सड़क के किनारे खड़े है और उर्मिला को डर था की उस सुनसान जगह पर किसीने बाबूजी को पायल के साथ ऐसा करते देख लिया तो गड़बड़ हो जाएगी. वो बाबूजी से कहती है.

उर्मिला : बाबूजी...ऐसा मत करिए...कोई देख लेगा...

उर्मिला की बात सुनकर रमेश भी होश में आ जाते है. वो पायल के कंधे से अपने हाथ हटा लेते है. सर का पसीना पोचते हुए वो कहते है.

रमेश : मांफ करना बहु.....माफ़ करना पायल बेटी. मैं जोश में अपने होश खो बैठा था.

ये सुन कर पायल पापा के पास आती है.

पायल : हम दोनों आपकी हालत समझ सकते है पापा. हम दोनों की भी हालत आप ही की तरह है, लेकिन इस सड़क पर तो कुछ नहीं कर सकते है ना पापा...

पायल की बात सुनकर रमेश सड़क के निचे देखते है. बड़े-बड़े पेड़ों के पीछे घनी झाड़ियाँ है. वो कुछ क्षण के लिए कुछ सोचते है और फिर कहते है.

रमेश : जितना मैं जानता हूँ, इस जंगल में जानवर के नाम पर बस कुछ जंगली सूअर ही है. वो भी ज्यादातर खेतों के आसपास होते है. इन बड़े पेड़ों के पीछे घनी झाड़ियाँ ही है.

उर्मिला : (आँखे फाड़-फाड़ के) आप कहना क्या चाह रहे है बाबूजी?

रमेश : अब मुझसे नहीं रहा जा रहा है बहु...धोती में मेरे लंड ने परेशान कर रखा है. ये देखो...

रमेश अपनी धोती हटा के ११ इंच लम्बा और ३ इंच मोटा लंड दिखा देते है. उर्मिला और पायल भी लंड देख कर मस्त हो जाते है. रमेश अपनी धोती निचे कर आगे कहते है.

रमेश : एक बार चल के तो देखते है बहु की झाड़ियों के पीछे क्या है. हमारा काम बन भी सकता है या नहीं...

उस जंगल में कोई रुकना भी पसंद ना करें और ये तीनो अपनी-अपनी हवस के मारे वहां अपने ही जुगाड़ में लगे थे. उर्मिला और पायल एक दुसरे को देखते है और एक साथ बाबूजी से कहते है...

उर्मिला - ठीक है बाबूजी...

पायल : हाँ ठीक है पापा...

रमेश पायल का हाथ पकड़ लेते है और उर्मिला के साथ यहाँ-वहाँ देखते हुए धीरे-धीरे सड़क से उतरने लगते है. उर्मिला सड़क के दोनों ओर ध्यान रखे हुए है की कोई उन्हें देख तो नहीं रहा है. बाबूजी भी आसपास ध्यान से देख रहे है की कोई है तो नहीं. इसी तरह छुपते-छुपाते तीनो धीरे-धीरे पेड़ के पीछे की झाड़ियों के बीच से होते हुए दूसरी तरफ निकल जाते है. झाड़ियों के उस पार निकलते ही बड़े-बड़े पेड़ हैं जो आपस में कुछ दुरी पर लगे हुए है. पेड़ों से कुछ ही आगे एक बड़ा सा मैदान है जिसके आगे फिर से घना जंगल. रमेश मुड़ के सड़क को देखने की कोशिश करते है तो बीच में घनी झाड़ियाँ है और उसके आगे पेड़. सड़क दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रही है. सामने देखते है तो वो बड़ा सा मैदान और फिर जंगल. रमेश समझ जाते है की यहाँ पर किसी की नज़र नहीं जा पायेगी. वो पायल को ऊपर से निचे घूरते हुए देखने लगते है. पायल भी तेज़ साँसों से पापा को देखने लगती है.

रमेश पायल का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लेते है. पायल किसी कटी पतंग की तरह लहराती हुई पापा की छाती से चिपक जाती है. रमेश पायल के गुलाबी ओंठों को चूसने लगते है. एक हाथ उसकी टॉप में घुसा कर उसके एक दूध को पकड़ कर जोर-जोर से दबाने लगते है. पायल कसमसाती हुई अपनी जीभ बाहर निकाल देती है तो पापा भी अपनी जीभ निकाल कर पायल की जीभ पर घुमाने लगते है. बाप-बेटी की जीभ आपस में एक दुसरे से ऐसे लिपट रही है मानो दो प्यार करने वाले कई सालों के बाद मिले हो. कुछ देर ऐसे हे एक दुसरे की जीभ चाटते और ओंठ चूसते पापा और पायल अपने मुहँ को अलग करते है. दोनों के ओंठ एक दुसरे की लार से भरे हुए है. उर्मिला दोनों को देखती है तो धीरे से कहती है.

उर्मिला : बाबूजी...आप लोग निचे बैठ जाइये...

उर्मिला की बात सुन कर रमेश पायल को बाहों में लिए निचे बैठ जाते है. पापा पायल की टॉप को निचे से दोनों हाथों से पकड़ते है तो पायल अपने दोनों हाथों को ऊपर उठा देती है. पापा धीरे-धीरे टॉप को ऊपर उठा कर पायल के बदन से अलग कर देते है. पायल के दोनों दूध के आजाद होते ही पापा दोनों को अपने हाथों से पकड़ कर आपस में दबा देते है और फिर अपने मुहँ में एक निप्पल भर लेते है. धीरे-धीरे निप्पल को चूसते हुए पापा पायल के दोनों दूधों को दबाने लगते है. पायल मस्ती में आंख्ने बंद किये अपने दोनों हाथों को उठा के अपने बालों को पीछे करने लगती है. पायल का आधा नंगा शरीर पापा के अन्दर जोश पैदा कर रहा था. रमेश उर्मिला की तरफ देख कर कहते है.

रमेश : बहु...जरा पायल की स्कर्ट और पैन्टी उतार देना.

उर्मिला झट से निचे बैठ जाती है और पायल की स्कर्ट खींच कर उतार देती है. और फिर धीरे-धीरे उसकी पैन्टी भी. इस काम में पायल भी अपनी चुतड ऊपर उठा कर उर्मिला की मदद करती है. अब पायल पापा के सामने पूरी नंगी बैठी थी. पापा पायल की जवानी को एक बार अच्छे से देखते है फिर उसे अपने हाथों का सहारा देते हुए ज़मीन पर लेटा देते है. पायल के लेटते ही रमेश उसके पास बैठ जाते है और निचे झुक कर उसके एक दूध का निप्पल अपने मुहँ में भर लेते है. चूसते हुए रमेश पायल का निप्पल मुहँ में पकडे हुए जब अपना सर ऊपर उठाते हैं तो पायल का दूध भी ऊपर उठता चला जाता है. पापा पायल के दूध को मुहँ में भर कर ऐसे खींच रहे थे की दूध के साथ पायल को भी अपना सीना ऊपर उठा देना पड़ रहा था. जब वो दूध को अपने मुहँ में भर कर पूरा ऊपर खींच कर छोड़ते तो पायल का दूध उसके सीने पर टकराकर किसी स्प्रिंग की भाँती उच्चलने लगता. वैसे ही रमेश पायल के दुसरे दूध के निप्पल को भी मुहँ में पकड़ के ऊपर उठा के छोड़ते है तो वो भी पायल के सीने से टकरा कर स्प्रिंग की तरह उच्छलने लगता है. बारी-बारी दोनों दूध के निप्पल से खेल कर रमेश पायल से कहते है.

रमेश : पायल बेटी. गाड़ी में तेरे पीछे वाले छेद की गंध ली थी. मैं तो मदहोश हो गया था. अपने पापा को फिर से सूंघने देगी अपने पिछवाड़े की गंध.

रमेश की बात सुन कर पायल को हैरानी होती है. वो पापा से कहती है.

पायल : पापा सच में आपको मेरे पिछवाड़े के छेद की गंध इतनी पसंद आई?

रमेश : हाँ बेटी...सच. मेरा तो गाड़ी में ही दिल कर रहा था की तेरे पिछवाड़े में अपना मुहँ घुसा कर एक बार अच्छे से सूंघ लूँ.

पायल : उफ़ पापा...!!

रमेश ज़मीन पर सीधे लेट जाते है और पायल से कहते है.

रमेश : आजा बेटी...पापा के मुहँ पर अपनी चुतड खोल के बैठ जा.

पायल खड़ी होती है और जैसे ही रमेश के मुहँ का पास जाने को होती है, उर्मिला उसका हाथ पकड़ लेती है. वो पायल को घुमा कर पीठ रमेश के सर की तरफ कर देती है. पायल भी समझ जाती है की उसे क्या करना है. वो मुस्कुराते हुए पापा के सर की तरफ अपनी पीठ कर के अपने दोनों पैरों को उनके सर के इर्द-गिर्द रख देती है और अपनी चूतड़ों को हांथों से खोले और घुटनों को मोड़े धीरे-धीरे रमेश के मुहँ पर बैठने लगती है. निचे रमेश अपनी जीभ निकाले पायल की खुली चूतड़ों के लिए तैयार है. पायल दोनों हाथों से चूतड़ों को खोले रमेश के मुहँ पर बैठ जाती है. रमेश की जीभ सीधे पायल की गांड के छेद पर लग जाती है. अपनी जीभ को छेद पर घुमाते हुए रमेश धीरे-धीरे पायल की गांड की गंध भी सूंघ रहा है. उस पर मदहोशी छाने लगती है. पायल जब रमेश को पूरा मजा लेते हुए देखती है तो वो भी आगे झुक कर अपने दूध पापा के पेट पर रख देती है और उनके लंड को मुहँ में भर लेती है. पायल के आगे झुकने से उसकी चुतड और भी ज्यादा खुल जाती है और थोड़ी ऊपर उठ जाती है. अब रमेश की आँखों के सामने पायल की गांड का छेद अच्छे से दिख रहा है. रमेश अपनी नाक छेद पर लगा कर जोर से साँस लेता है तो छेद की गंद से वो पागल सा हो जाता है. अपनी कमर को झटके देते हुए वो पायल के मुहँ की चुदाई करने लगता है. बीच-बीच में रमेश पायल की बूर में जीभ डाल कर घुमा देता है तो पायल भी रमेश के लंड को मुहँ में भरे हुए कस कर चूस लेती है. जब पायल मस्ती में अपनी चुतड उठा देती तो रमेश अपने मुह में पायल की बूर भर लेता. रमेश का खुला हुआ मुहँ पायल की बूर को चारों तरफ से घेर लेता और जब वो बूर को चूसते तो बूर के ओंठ रमेश के मुहँ में चले जाते. अपनी बेटी की बूर को चूसने में आज रमेश को बड़ा मजा आ रहा था. बूर से चिप-चिपा पानी निकल कर रमेश में मुहँ में लगातार जा रहा था जिसे वो चूसते हुए निगल रहे थे.

उर्मिला भी पास ही बैठ कर बाप-बेटी की क्रीडा देख रही थी और अपनी बूर में दो उंगलियाँ अन्दर-बाहर कर रही थी. तभी उसकी नज़र सामने खाली मैदान पर जाती है. वो देखती है की २-३ मर्द हाथों में लोटा लिए चले आ रहे है. उसकी जान सुख जाती है. वो झट से बाबूजी और पायल के पास हो जाती है और धीरे से कहती है.

उर्मिला : बाबूजी...वो देखिये..कुछ लोग लोटा लिए चले आ रहे है. चलिए भागिए जल्दी से...

रमेश और पायल हडबडा कर उस ओर देखते है. वो लोग बातें करते हुए मैदान की तरफ आ रहे है. पायल झट से पापा का लंड छोड़ कर खड़ी हो जाती है और अपने कपड़े उठा लेती है. रमेश भी झट से खड़े हो कर अपनी धोती संभालने लगते है. रमेश, उर्मिला और पायल धीरे-धीरे बिना आवाज़ किये झाड़ियों के बीच घुस जाते है. सामने उर्मिला है, बीच में पायल जो नंगी है और हाथ में कपडे लिए और उसके पीछे रमेश. ऐसे नाज़ुक समय में भी रमेश का लंड पायल की नंगी चुतड देख कर खड़ा का खड़ा ही था. धीरे-धीरे चलते हुए तीनो झाड़ियों से निकल कर बड़े-बड़े पेड़ों के बीच आ जाते है. सामने कुछ दुरी पर थोड़ी उंचाई पर सड़क है. पेड़ों के बीच खड़े हो कर पायल जैसे ही अपने कपडे पहनने जाती है, रमेश उसे रोक लेते है.

रमेश : बस २ मिनट रुक जाओ पायल बेटी. (फिर उर्मिला को देखते हुए) बहु...अपनी साडी उठा कर मेरे पास आ जाओ. मुझे बस ५ मिनट लगेंगे. घर पहुँचने का इंतज़ार अब मैं नहीं कर पाउँगा.

उर्मिला भी बाबूजी की बात समझ कर उनके पास आने लगती है. उर्मिला को अपनी बात मान कर पास आते देख रमेश झट से पायल के पीछे बैठ कर उसकी चुतड को हाथों से खोल देता है और अपना मुहँ घुसा कर सूंघने और चाटने लगता है. पायल भी आगे झुक कर पापा को अपनी चुतड सुंघने और चाटने में मदद करती है. तब तक उर्मिला अपनी साड़ी उठाये रमेश के पास आ जाती है. रमेश उर्मिला को देखता है तो झट से खड़े हो कर अपने लंड को एक बार मसलता है और उर्मिला की कमर को दोनों हाथो से पकड़ कर उसे उठाता है. उर्मिला भी उच्छल कर अपनी टाँगे बाबूजी की कमर में लपेट लेती है. रमेश एक हाथ से अपने लंड को उर्मिला की बूर के मुहँ पर रखते है तो उर्मिला बाबूजी की कमर पर अपने पैरों की पकड़ को ढीला करती है. जैसे ही पकड़ ढीली होती है, उर्मिला फिसल कर बाबूजी के लंड पर बैठ जाती है. रमेश का लंड उर्मिला की बूर में घुसता चला जाता है. कुछ हे क्षण में रमेश का लंड उर्मिला की बूर में जड़ तक धंस जाता है. रमेश अपने मजबूर हाथों से उर्मिला की दोनों चूतड़ों को निचे से पकड़ लेते है और उर्मिला उनके लंड पर उच्छालना शुरू कर देती है. रमेश का लंड तेज़ी से उर्मिला की बूर के अन्दर-बाहर होने लगता है. उर्मिला बाबूजी के गले में बाहें डाले उनके लंड पर उच्छल रही है. रमेश भी अपनी कमर को झटके देते हुए पूरा लंड उर्मिला की बूर में पेल रहे है.

पास खड़ी पायल ने तब तक कपडे पहन लिए थे. वो एक बार सड़क पर नज़र डालती है और दूर से किसी गाड़ी की रौशनी दिखाई पड़ती है. वो झट से पलट कर कहती है.

पायल : पापा जल्दी करिए, कोई गाड़ी आ रही है.

पायल की बात सुन कर रमेश अपनी गति बढ़ा देते है. लंड को उर्मिला की बूर में १५-२० बार लगातार पेलने के बाद उनके लंड का पानी बूर में छुटने लगता है. उर्मिला को सीने में दबाये रमेश अपना सारा पानी उर्मिला की बूर में गिरा देते है. पूरा पानी निकलते ही लंड फिसल कर उर्मिला की बूर से निकल जाता है. रमेश उर्मिला को निचे उतार देते है. दोनों के चेहरे पर थकावट साफ़ दिखाई पड़ रही है. रमेश किसी तरह अपनी धोती ठीक करते है और उर्मिला पसीना-पसीना हो कर बिखरे बालों के साथ रुमाल से अपनी बूर पोंछने लगती है. रमेश और उर्मिला की नज़रे मिलती है तो दोनों मुस्कुराते देते है. तीनो चलते हुए सड़क पर आ जाते है. वो गाड़ी पास आती है तो पता चलता है की वो एक ऑटोरिक्शा है. रमेश सड़क पर आ कर उसे रोकते है. औटोवाला ऑटो रोक देता है.

रमेश : कहाँ जा रहे हो भाई?

औटोवाला : (तीनो को आश्चर्य से देखते हुए) मैं तो शहर जा रहा हूँ साब पर आप लोग इस जंगल में क्या कर रहे है.

रमेश : (घबराते हुए) वो...वो..हम...

उर्मिला : (झट से बीच में बोलते हुए) वो क्या है ना भाईसाहब...हमारी गाड़ी ख़राब हो गई थी तो हम लोग बस में आ रहे थे. अब बस में इतनी भीड़ थी की हमारी साँसे फूलनी लगी और हम यहीं पास में उतर गये. सोचा की कुछ मिल जायेगा घर जाने के लिए. अब आधे घंटे से कुछ मिला ही नहीं. वो तो आप इश्वर के रूप में आ गए वर्ना पता नही हमारा क्या होता.

उर्मिला की बात सुनकर औटोवाला खुश हो जाता है.

औटोवाला : अरे आप भी क्या बात कर रही हैं मेमसाब...आईये, बैठिये. मैं आपको घर छोड़ देता हूँ.

तीनो ऑटो में बैठ जाते है. रमेश बीच में बैठे है और दोनों तरफ उर्मिला और पायल. रमेश को उर्मिला पर गर्व महसूस हो रहा था. जितना खूबसूरत शरीर उतना ही उम्दा दिमाग. जितनी रसीली बूर उतना ही तेज़ दिमाग. वो अपना एक हाथ प्यार से उर्मिला की जांघ पर रख देते है. उर्मिला बाबूजी को देख कर मुस्कुरा देती है. पायल भी पापा का हाथ पकडे अपना सर उनके कंधे पर रख देती है. तीनो ऑटोरिक्शा में बैठे घर की तरफ चल देते है.

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
 

Nasn

Well-Known Member
2,904
4,776
158
अपडेट २४:

छेदी उर्मिला की कमर पकडे पीछे से धक्के पर धक्के लगाये जा रहा था. पास खड़ा तगड़ा आदमी अब ब्लाउज के ऊपर से उर्मिला के दूध दबाने शुरू कर दिए थे. दूसरा तगड़ा आदमी सामने से उर्मिला के बदन से चिपक चूका था. उर्मिला आँखे बंद किया मजे लिए जा रही थी. रमेश ये सब देख कर पूरे जोश में आ चूका था. उसने साथ बैठी पायल का हाथ पकड़ा और अपनी धोती में घुसा लिया. धोती में रमेश का लंड फुदक रहा था. पायल ने पापा के लंड को अपने हाथ में जकड लिया और चमड़ी ऊपर निचे करने लगी. रमेश उर्मिला को आँखे फाड़-फाड़ के देख रहा था. तभी छेदी ने पीछे से अपनी कमर उर्मिला की चुतड पर जोर से दे मारी और एक हाथ से उसका दूध भी दबा दिया. ये देख कर पायल के हाथ में रमेश का लंड उच्छल पड़ा. पायल तेज़ धडकनों के साथ पापा के लंड को किसी तरह से संभाल रही थी. वो अब समझ चुकी थी की पापा का लंड पूरी तरह से बेकाबू हो चूका है.

रमेश अब अपने आप को और नहीं रोक सकता था. वो एकदम से चिल्ला पड़ा. "बस रोको भाई....!!!". पायल पापा का मुहँ देखने लगी. बस अभी भी अगले स्टॉप से बहुत दूर थी और फिलहाल किसी घने जंगल से गुजर रही थी. रात के ९:१५ बज रहे थे और पापा का इस तरह से बस को रुकवाना उसके समझ से बाहर था. ड्राईवर रमेश की आवाज़ सुन कर बस रोक देता है. छेदी और दोनों तगड़े आदमी भी चुप-चाप खड़े हो जाते है. रमेश अपनी सीट से उठ कर बस के सामने वाले दरवाज़े की और धक्का-मुक्की करते हुए जाने लगता है. उसके पीछे पायल और उर्मिला भी चल पड़ते है. बस के दरवाज़े के पास पहुँचते ही ड्राईवर कहता है.

ड्राईवर : अरे बाउजी...यहाँ कहाँ उतरोगे? ये तो जंगल है. बस स्टॉप तो अभी ५ की.मी आगे है.

रमेश : अरे नहीं भाई. हमारी गाड़ी आ रही है. इसलिए यहाँ उतर रहे है.

रमेश, पायल और उर्मिला के साथ निचे उतर जाते है. बस भी उन्हें छोड़ कर धीरे-धीरे आगे निकल जाती है. वो तीनो सड़क के किनारे खड़े हो जाते है. सड़क के दोनों तरफ बड़े-बड़े पेड़ है और पीछे ऊँची-ऊँची झाड़ियाँ. उर्मिला और पायल थोड़ा डरते हुए आसपास देखते है. अँधेरा, सड़क पर एक भी बत्ती नहीं और एकदम सुनसान जगह. पायल पापा से धीरे से पूछती है.

पायल : पापा...हम यहाँ क्यूँ उतर गए?

उर्मिला : हाँ बाबूजी...यहाँ से हम आगे कैसे जायेंगे? हमारी गाड़ी तो अभी बनी भी नहीं होगी.

रमेश दोनों को घूर के देखते है. उनकी साँसे तेज़ है. वो पायल और उर्मिला से कहते हैं.

रमेश : जानता हूँ बेटा. यहाँ से हमे आगे जाने के लिए शायद ही कुछ मिले , लेकिन मैं भी क्या करता. बस में जो तुम लोगों के साथ हो रहा था वो मैं और नहीं देख सकता था.

उर्मिला : आपकी बात मैं समझती हूँ बाबूजी. और इसमें आपका कोई दोष नहीं है. आज मेरे और पायल के साथ जो कुछ भी हुआ वो तो उन बदमाशों की वजह से हुआ.

पायल : हाँ पापा...इसमें आपकी की कोई गलती नहीं है.

रमेश एक बार दोनों को बारी-बारी से ऊपर से निचे तक देखते है. फिर वो उर्मिला से पूछते है.

रमेश : बहु...सच-सच बताना...उन लोगों ने तुम्हारे साथ क्या क्या किया?

उर्मिला समझ जाती है की बाबूजी को ये सब सुनकर जोश आ जाता है. वो भी भोलेपन के साथ कहती है.

उर्मिला : बाबूजी...वो सब मेरे बदन के साथ खेल रहे थे...

रमेश : (उत्तेजित जोते हुए) कैसे खेल रहे थे बहु? जरा खुल के बताओ ना...

उर्मिला : बाबूजी...जो आदमी मेरे पीछे खड़ा था वो तो मेरे पिछवाड़े में अपना लंड घुसाने के चक्कर में था. वो तो अच्छा हुआ की मैंने साड़ी पहन रखी थी. सामने वाले दो आदमी मेरे दूध से खेल रहे थे.

रमेश : (तेज़ सांसों से) वो दोनों तुम्हारे दूध भी दबा रहे थे क्या बहु?

उर्मिला : हाँ बाबूजी...दोनों ने मिलकर मेरे दूध को खूब दबाया. एक आदमी तो पीछे से मेरी ब्रा के हुक तक खोलने की कोशिश कर रहा था....

रमेश : उफ़ बहु....कितनी कमीने थे वो तीनो....

फिर रमेश पायल की तरफ घूम जाते है और पूछते है.

रमेश : पायल बेटी. तुम्हारे साथ वो दो बदमाशो ने क्या किया?

पायल पापा को पहले ही मजा लेते देख चुकी थी. वो भी समझ जाती है की पापा जान बुझ कर उसके मुहँ से वो सब सुनकर अपना लंड खड़ा करना चाहते है. वो कहने लगती है.

पायल : बहुत बुरा किया पापा. पहले तो पीछे से स्कर्ट के ऊपर से मेरी चूतड़ों पर खूब लंड रगडा. फिर मेरी टॉप में हाथ दाल कर मेरे दूध दबाने लगा.

रमेश : उफ़ पायल बिटिया...!! बहुत जोरो से दबा रहा था क्या?

पायल : हाँ पापा...पूरा दबोच ले रहा था. और तो और वो मेरे निप्पल भी अपनी उँगलियों के बीच रख कर मसल रहा था.

इतना सुनते ही रमेश अपने होश खो बैठते है. वो पायल का कन्धा पकडे उसे दूसरी तरफ घुमा देते है और उसकी उभरी हुई चूतड़ों पर अपनी कमर पूरी पीछे ले जा कर जोरदार ४-५ ठाप मार देते है. हर एक ठाप इतनी जोरदार थी की पायल हर ठाप पर झटके खा कर पूरी हिल जा रही थी. अगर रमेश ने पायल के कन्धों को न पकड़ रखा होता तो पायल झटका खा कर दूर जा गिरती.

पायल : आह...आह..पापा...!!

ये देख कर उर्मिला भी डर जाती है. वो झट से यहाँ-वहाँ देखने लगती है. वो तीनो सड़क के किनारे खड़े है और उर्मिला को डर था की उस सुनसान जगह पर किसीने बाबूजी को पायल के साथ ऐसा करते देख लिया तो गड़बड़ हो जाएगी. वो बाबूजी से कहती है.

उर्मिला : बाबूजी...ऐसा मत करिए...कोई देख लेगा...

उर्मिला की बात सुनकर रमेश भी होश में आ जाते है. वो पायल के कंधे से अपने हाथ हटा लेते है. सर का पसीना पोचते हुए वो कहते है.

रमेश : मांफ करना बहु.....माफ़ करना पायल बेटी. मैं जोश में अपने होश खो बैठा था.

ये सुन कर पायल पापा के पास आती है.

पायल : हम दोनों आपकी हालत समझ सकते है पापा. हम दोनों की भी हालत आप ही की तरह है, लेकिन इस सड़क पर तो कुछ नहीं कर सकते है ना पापा...

पायल की बात सुनकर रमेश सड़क के निचे देखते है. बड़े-बड़े पेड़ों के पीछे घनी झाड़ियाँ है. वो कुछ क्षण के लिए कुछ सोचते है और फिर कहते है.

रमेश : जितना मैं जानता हूँ, इस जंगल में जानवर के नाम पर बस कुछ जंगली सूअर ही है. वो भी ज्यादातर खेतों के आसपास होते है. इन बड़े पेड़ों के पीछे घनी झाड़ियाँ ही है.

उर्मिला : (आँखे फाड़-फाड़ के) आप कहना क्या चाह रहे है बाबूजी?

रमेश : अब मुझसे नहीं रहा जा रहा है बहु...धोती में मेरे लंड ने परेशान कर रखा है. ये देखो...

रमेश अपनी धोती हटा के ११ इंच लम्बा और ३ इंच मोटा लंड दिखा देते है. उर्मिला और पायल भी लंड देख कर मस्त हो जाते है. रमेश अपनी धोती निचे कर आगे कहते है.

रमेश : एक बार चल के तो देखते है बहु की झाड़ियों के पीछे क्या है. हमारा काम बन भी सकता है या नहीं...

उस जंगल में कोई रुकना भी पसंद ना करें और ये तीनो अपनी-अपनी हवस के मारे वहां अपने ही जुगाड़ में लगे थे. उर्मिला और पायल एक दुसरे को देखते है और एक साथ बाबूजी से कहते है...

उर्मिला - ठीक है बाबूजी...

पायल : हाँ ठीक है पापा...

रमेश पायल का हाथ पकड़ लेते है और उर्मिला के साथ यहाँ-वहाँ देखते हुए धीरे-धीरे सड़क से उतरने लगते है. उर्मिला सड़क के दोनों ओर ध्यान रखे हुए है की कोई उन्हें देख तो नहीं रहा है. बाबूजी भी आसपास ध्यान से देख रहे है की कोई है तो नहीं. इसी तरह छुपते-छुपाते तीनो धीरे-धीरे पेड़ के पीछे की झाड़ियों के बीच से होते हुए दूसरी तरफ निकल जाते है. झाड़ियों के उस पार निकलते ही बड़े-बड़े पेड़ हैं जो आपस में कुछ दुरी पर लगे हुए है. पेड़ों से कुछ ही आगे एक बड़ा सा मैदान है जिसके आगे फिर से घना जंगल. रमेश मुड़ के सड़क को देखने की कोशिश करते है तो बीच में घनी झाड़ियाँ है और उसके आगे पेड़. सड़क दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रही है. सामने देखते है तो वो बड़ा सा मैदान और फिर जंगल. रमेश समझ जाते है की यहाँ पर किसी की नज़र नहीं जा पायेगी. वो पायल को ऊपर से निचे घूरते हुए देखने लगते है. पायल भी तेज़ साँसों से पापा को देखने लगती है.

रमेश पायल का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लेते है. पायल किसी कटी पतंग की तरह लहराती हुई पापा की छाती से चिपक जाती है. रमेश पायल के गुलाबी ओंठों को चूसने लगते है. एक हाथ उसकी टॉप में घुसा कर उसके एक दूध को पकड़ कर जोर-जोर से दबाने लगते है. पायल कसमसाती हुई अपनी जीभ बाहर निकाल देती है तो पापा भी अपनी जीभ निकाल कर पायल की जीभ पर घुमाने लगते है. बाप-बेटी की जीभ आपस में एक दुसरे से ऐसे लिपट रही है मानो दो प्यार करने वाले कई सालों के बाद मिले हो. कुछ देर ऐसे हे एक दुसरे की जीभ चाटते और ओंठ चूसते पापा और पायल अपने मुहँ को अलग करते है. दोनों के ओंठ एक दुसरे की लार से भरे हुए है. उर्मिला दोनों को देखती है तो धीरे से कहती है.

उर्मिला : बाबूजी...आप लोग निचे बैठ जाइये...

उर्मिला की बात सुन कर रमेश पायल को बाहों में लिए निचे बैठ जाते है. पापा पायल की टॉप को निचे से दोनों हाथों से पकड़ते है तो पायल अपने दोनों हाथों को ऊपर उठा देती है. पापा धीरे-धीरे टॉप को ऊपर उठा कर पायल के बदन से अलग कर देते है. पायल के दोनों दूध के आजाद होते ही पापा दोनों को अपने हाथों से पकड़ कर आपस में दबा देते है और फिर अपने मुहँ में एक निप्पल भर लेते है. धीरे-धीरे निप्पल को चूसते हुए पापा पायल के दोनों दूधों को दबाने लगते है. पायल मस्ती में आंख्ने बंद किये अपने दोनों हाथों को उठा के अपने बालों को पीछे करने लगती है. पायल का आधा नंगा शरीर पापा के अन्दर जोश पैदा कर रहा था. रमेश उर्मिला की तरफ देख कर कहते है.

रमेश : बहु...जरा पायल की स्कर्ट और पैन्टी उतार देना.

उर्मिला झट से निचे बैठ जाती है और पायल की स्कर्ट खींच कर उतार देती है. और फिर धीरे-धीरे उसकी पैन्टी भी. इस काम में पायल भी अपनी चुतड ऊपर उठा कर उर्मिला की मदद करती है. अब पायल पापा के सामने पूरी नंगी बैठी थी. पापा पायल की जवानी को एक बार अच्छे से देखते है फिर उसे अपने हाथों का सहारा देते हुए ज़मीन पर लेटा देते है. पायल के लेटते ही रमेश उसके पास बैठ जाते है और निचे झुक कर उसके एक दूध का निप्पल अपने मुहँ में भर लेते है. चूसते हुए रमेश पायल का निप्पल मुहँ में पकडे हुए जब अपना सर ऊपर उठाते हैं तो पायल का दूध भी ऊपर उठता चला जाता है. पापा पायल के दूध को मुहँ में भर कर ऐसे खींच रहे थे की दूध के साथ पायल को भी अपना सीना ऊपर उठा देना पड़ रहा था. जब वो दूध को अपने मुहँ में भर कर पूरा ऊपर खींच कर छोड़ते तो पायल का दूध उसके सीने पर टकराकर किसी स्प्रिंग की भाँती उच्चलने लगता. वैसे ही रमेश पायल के दुसरे दूध के निप्पल को भी मुहँ में पकड़ के ऊपर उठा के छोड़ते है तो वो भी पायल के सीने से टकरा कर स्प्रिंग की तरह उच्छलने लगता है. बारी-बारी दोनों दूध के निप्पल से खेल कर रमेश पायल से कहते है.

रमेश : पायल बेटी. गाड़ी में तेरे पीछे वाले छेद की गंध ली थी. मैं तो मदहोश हो गया था. अपने पापा को फिर से सूंघने देगी अपने पिछवाड़े की गंध.

रमेश की बात सुन कर पायल को हैरानी होती है. वो पापा से कहती है.

पायल : पापा सच में आपको मेरे पिछवाड़े के छेद की गंध इतनी पसंद आई?

रमेश : हाँ बेटी...सच. मेरा तो गाड़ी में ही दिल कर रहा था की तेरे पिछवाड़े में अपना मुहँ घुसा कर एक बार अच्छे से सूंघ लूँ.

पायल : उफ़ पापा...!!

रमेश ज़मीन पर सीधे लेट जाते है और पायल से कहते है.

रमेश : आजा बेटी...पापा के मुहँ पर अपनी चुतड खोल के बैठ जा.

पायल खड़ी होती है और जैसे ही रमेश के मुहँ का पास जाने को होती है, उर्मिला उसका हाथ पकड़ लेती है. वो पायल को घुमा कर पीठ रमेश के सर की तरफ कर देती है. पायल भी समझ जाती है की उसे क्या करना है. वो मुस्कुराते हुए पापा के सर की तरफ अपनी पीठ कर के अपने दोनों पैरों को उनके सर के इर्द-गिर्द रख देती है और अपनी चूतड़ों को हांथों से खोले और घुटनों को मोड़े धीरे-धीरे रमेश के मुहँ पर बैठने लगती है. निचे रमेश अपनी जीभ निकाले पायल की खुली चूतड़ों के लिए तैयार है. पायल दोनों हाथों से चूतड़ों को खोले रमेश के मुहँ पर बैठ जाती है. रमेश की जीभ सीधे पायल की गांड के छेद पर लग जाती है. अपनी जीभ को छेद पर घुमाते हुए रमेश धीरे-धीरे पायल की गांड की गंध भी सूंघ रहा है. उस पर मदहोशी छाने लगती है. पायल जब रमेश को पूरा मजा लेते हुए देखती है तो वो भी आगे झुक कर अपने दूध पापा के पेट पर रख देती है और उनके लंड को मुहँ में भर लेती है. पायल के आगे झुकने से उसकी चुतड और भी ज्यादा खुल जाती है और थोड़ी ऊपर उठ जाती है. अब रमेश की आँखों के सामने पायल की गांड का छेद अच्छे से दिख रहा है. रमेश अपनी नाक छेद पर लगा कर जोर से साँस लेता है तो छेद की गंद से वो पागल सा हो जाता है. अपनी कमर को झटके देते हुए वो पायल के मुहँ की चुदाई करने लगता है. बीच-बीच में रमेश पायल की बूर में जीभ डाल कर घुमा देता है तो पायल भी रमेश के लंड को मुहँ में भरे हुए कस कर चूस लेती है. जब पायल मस्ती में अपनी चुतड उठा देती तो रमेश अपने मुह में पायल की बूर भर लेता. रमेश का खुला हुआ मुहँ पायल की बूर को चारों तरफ से घेर लेता और जब वो बूर को चूसते तो बूर के ओंठ रमेश के मुहँ में चले जाते. अपनी बेटी की बूर को चूसने में आज रमेश को बड़ा मजा आ रहा था. बूर से चिप-चिपा पानी निकल कर रमेश में मुहँ में लगातार जा रहा था जिसे वो चूसते हुए निगल रहे थे.

उर्मिला भी पास ही बैठ कर बाप-बेटी की क्रीडा देख रही थी और अपनी बूर में दो उंगलियाँ अन्दर-बाहर कर रही थी. तभी उसकी नज़र सामने खाली मैदान पर जाती है. वो देखती है की २-३ मर्द हाथों में लोटा लिए चले आ रहे है. उसकी जान सुख जाती है. वो झट से बाबूजी और पायल के पास हो जाती है और धीरे से कहती है.

उर्मिला : बाबूजी...वो देखिये..कुछ लोग लोटा लिए चले आ रहे है. चलिए भागिए जल्दी से...

रमेश और पायल हडबडा कर उस ओर देखते है. वो लोग बातें करते हुए मैदान की तरफ आ रहे है. पायल झट से पापा का लंड छोड़ कर खड़ी हो जाती है और अपने कपड़े उठा लेती है. रमेश भी झट से खड़े हो कर अपनी धोती संभालने लगते है. रमेश, उर्मिला और पायल धीरे-धीरे बिना आवाज़ किये झाड़ियों के बीच घुस जाते है. सामने उर्मिला है, बीच में पायल जो नंगी है और हाथ में कपडे लिए और उसके पीछे रमेश. ऐसे नाज़ुक समय में भी रमेश का लंड पायल की नंगी चुतड देख कर खड़ा का खड़ा ही था. धीरे-धीरे चलते हुए तीनो झाड़ियों से निकल कर बड़े-बड़े पेड़ों के बीच आ जाते है. सामने कुछ दुरी पर थोड़ी उंचाई पर सड़क है. पेड़ों के बीच खड़े हो कर पायल जैसे ही अपने कपडे पहनने जाती है, रमेश उसे रोक लेते है.

रमेश : बस २ मिनट रुक जाओ पायल बेटी. (फिर उर्मिला को देखते हुए) बहु...अपनी साडी उठा कर मेरे पास आ जाओ. मुझे बस ५ मिनट लगेंगे. घर पहुँचने का इंतज़ार अब मैं नहीं कर पाउँगा.

उर्मिला भी बाबूजी की बात समझ कर उनके पास आने लगती है. उर्मिला को अपनी बात मान कर पास आते देख रमेश झट से पायल के पीछे बैठ कर उसकी चुतड को हाथों से खोल देता है और अपना मुहँ घुसा कर सूंघने और चाटने लगता है. पायल भी आगे झुक कर पापा को अपनी चुतड सुंघने और चाटने में मदद करती है. तब तक उर्मिला अपनी साड़ी उठाये रमेश के पास आ जाती है. रमेश उर्मिला को देखता है तो झट से खड़े हो कर अपने लंड को एक बार मसलता है और उर्मिला की कमर को दोनों हाथो से पकड़ कर उसे उठाता है. उर्मिला भी उच्छल कर अपनी टाँगे बाबूजी की कमर में लपेट लेती है. रमेश एक हाथ से अपने लंड को उर्मिला की बूर के मुहँ पर रखते है तो उर्मिला बाबूजी की कमर पर अपने पैरों की पकड़ को ढीला करती है. जैसे ही पकड़ ढीली होती है, उर्मिला फिसल कर बाबूजी के लंड पर बैठ जाती है. रमेश का लंड उर्मिला की बूर में घुसता चला जाता है. कुछ हे क्षण में रमेश का लंड उर्मिला की बूर में जड़ तक धंस जाता है. रमेश अपने मजबूर हाथों से उर्मिला की दोनों चूतड़ों को निचे से पकड़ लेते है और उर्मिला उनके लंड पर उच्छालना शुरू कर देती है. रमेश का लंड तेज़ी से उर्मिला की बूर के अन्दर-बाहर होने लगता है. उर्मिला बाबूजी के गले में बाहें डाले उनके लंड पर उच्छल रही है. रमेश भी अपनी कमर को झटके देते हुए पूरा लंड उर्मिला की बूर में पेल रहे है.

पास खड़ी पायल ने तब तक कपडे पहन लिए थे. वो एक बार सड़क पर नज़र डालती है और दूर से किसी गाड़ी की रौशनी दिखाई पड़ती है. वो झट से पलट कर कहती है.

पायल : पापा जल्दी करिए, कोई गाड़ी आ रही है.

पायल की बात सुन कर रमेश अपनी गति बढ़ा देते है. लंड को उर्मिला की बूर में १५-२० बार लगातार पेलने के बाद उनके लंड का पानी बूर में छुटने लगता है. उर्मिला को सीने में दबाये रमेश अपना सारा पानी उर्मिला की बूर में गिरा देते है. पूरा पानी निकलते ही लंड फिसल कर उर्मिला की बूर से निकल जाता है. रमेश उर्मिला को निचे उतार देते है. दोनों के चेहरे पर थकावट साफ़ दिखाई पड़ रही है. रमेश किसी तरह अपनी धोती ठीक करते है और उर्मिला पसीना-पसीना हो कर बिखरे बालों के साथ रुमाल से अपनी बूर पोंछने लगती है. रमेश और उर्मिला की नज़रे मिलती है तो दोनों मुस्कुराते देते है. तीनो चलते हुए सड़क पर आ जाते है. वो गाड़ी पास आती है तो पता चलता है की वो एक ऑटोरिक्शा है. रमेश सड़क पर आ कर उसे रोकते है. औटोवाला ऑटो रोक देता है.

रमेश : कहाँ जा रहे हो भाई?

औटोवाला : (तीनो को आश्चर्य से देखते हुए) मैं तो शहर जा रहा हूँ साब पर आप लोग इस जंगल में क्या कर रहे है.

रमेश : (घबराते हुए) वो...वो..हम...

उर्मिला : (झट से बीच में बोलते हुए) वो क्या है ना भाईसाहब...हमारी गाड़ी ख़राब हो गई थी तो हम लोग बस में आ रहे थे. अब बस में इतनी भीड़ थी की हमारी साँसे फूलनी लगी और हम यहीं पास में उतर गये. सोचा की कुछ मिल जायेगा घर जाने के लिए. अब आधे घंटे से कुछ मिला ही नहीं. वो तो आप इश्वर के रूप में आ गए वर्ना पता नही हमारा क्या होता.

उर्मिला की बात सुनकर औटोवाला खुश हो जाता है.

औटोवाला : अरे आप भी क्या बात कर रही हैं मेमसाब...आईये, बैठिये. मैं आपको घर छोड़ देता हूँ.

तीनो ऑटो में बैठ जाते है. रमेश बीच में बैठे है और दोनों तरफ उर्मिला और पायल. रमेश को उर्मिला पर गर्व महसूस हो रहा था. जितना खूबसूरत शरीर उतना ही उम्दा दिमाग. जितनी रसीली बूर उतना ही तेज़ दिमाग. वो अपना एक हाथ प्यार से उर्मिला की जांघ पर रख देते है. उर्मिला बाबूजी को देख कर मुस्कुरा देती है. पायल भी पापा का हाथ पकडे अपना सर उनके कंधे पर रख देती है. तीनो ऑटोरिक्शा में बैठे घर की तरफ चल देते है.

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )

लाजबाब अपडेट
:bday: :party2:

:asw1::dancing::dancing2::iamok::grouphug:


:yourock::esc::esc::yourock::esc::esc::yourock:
 
  • Like
Reactions: Mastrani
Top