• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest घर की जवान बूरें और मोटे लंड - [ Incest - घरेलू चुदाई की कहानी ]

पायल किस से अपनी सील तुड़वाये ?

  • पापा

    Votes: 196 70.0%
  • सोनू

    Votes: 80 28.6%
  • शादी के बाद अपने पति से

    Votes: 4 1.4%

  • Total voters
    280
  • Poll closed .

Rakesh1999

Well-Known Member
3,092
12,408
159
Mast kahani.waiting for next
 

Mastrani

Member
242
2,393
139
मस्तरानी जी रक्षाबंधन वाला scene कब आएगा ?

पहले पोल का जो नतीजा था उस पर काम होगा. उसके बाद रक्षाबंधन.
रक्षाबंधन पर मैं बहुत से जबरदस्त रोल प्ले कर चुकी हूँ.
इसलिए मुझे लगता है की रक्षाबंधन वाला अध्याय अकल्पनीय होगा.

-मस्तरानी
 

ravithefucker9

New Member
99
85
33
अपडेट २३:

"अरे भाई जल्दी करो...जा कर फिर लौटना भी है" - हाथों में ५ किलो मोतीचूर के लड्डू की टोकरी लिए रमेश ने आवाज़ दी. शाम के ६ बज रहे थे और रमेश उर्मिला और पायल का दरवाज़े पर इंतज़ार कर रहा था. उमा और सोनू दिन में मंदिर गए थे पर लड्डू ना चढ़ा पाए थे. हलवाई की बीवी को आज बच्चा हुआ था और उसे जल्दबाजी में अस्पताल जाना पड़ा. उमा और सोनू मंदिर से लौटते हुए लड्डू घर ले कर आ गए थे. मंदिर में चढ़ावा चढ़ाना जरुरी था इसलिए ये तय किया गया की शाम में रमेश के साथ उर्मिला और पायल मंदिर में जा कर लड्डू का चढ़ावा चढ़ा देंगे.

उमा सोफे पर बैठी थी और सामने सोनू भी सोफे पर लेटे हुए अपने फ़ोन में लगा हुआ था. उर्मिला और पायल तैयार हो कर वहां आते है. उर्मिला ने नीले रंग की एक बहुत ही सुन्दर साड़ी पहन रखी है और वो बहुत ही खूबसूरत लग रही है. गोर बदन पर नीला रंग उभर के दिख रहा है. पायल ने लाल रंग की एक छोटे बाहं की टॉप और निचे काले रंग की घुटनों तक लम्बी स्कर्ट पहन रखी है. खुले हुए काले और लंबे बाल उसके गोरे और सुन्दर चेहरे पर चार चाँद लगा रहे थे. दोनों को देखते ही उमा कहती है.

उमा : बाबूजी कब से तुम दोनों की राह देख रहे हैं बेटा. चलो जल्दी करो. और हाँ..!! संभाल के जाना. बहु...दोनों का ख्याल रखना बेटी...

उर्मिला : जी मम्मी जी...

उमा : और जी आप....!! गाड़ी जरा देख कर चलाइएगा. शनिवार को काफी भीड़ होती है मंदिर वाले रास्ते में.

रमेश : हाँ बाबा ठीक है, समझ गया. और तुम दोनों फिर खड़ी हो गई? चलो भाई, बैठो गाड़ी में...

पायल झट से सामने वाली सीट पर बैठ जाती है. रमेश पीछे वाली सीट पर टोकरी रख देते है और टोकरी के साथ उर्मिला भी पीछे बैठ जाती है. रमेश अपनी सीट पर बैठ कर गाड़ी शुरू करते है और गाड़ी धीरे-धीरे गेट से बाहर जाने लगती है. गाड़ी जब पक्की सड़क पर जाते ही दायें लेती है, उमा भी गेट बंद कर घर में आ जाती है. सोफे पर पेट के बल लेटे सोनू के सर पर हाथ फेरते हुए उमा कहती है.

उमा : अच्छा लल्ला. मैं अब नहाने जा रही हूँ. तुझे चाय बिस्कुट खाना हो तो रसोई से ले लेना.

सोनू : हाँ मम्मी...!

उमा अपने कमरे में जाती है और साड़ी उतार के ब्लाउज और पेटीकोट में, कंधे पर टॉवेल लिए बाहर आती है. सोफे पर लेटा सोनू , अपने फ़ोन पर गेम खेलते हुए नज़रे उठाकर उमा को देखता है. ४८ साल की होने पर भी उमा के बदन में कसावट थी. उसकी चूचियां भले ही थोड़ी लटकी हुई थी लेकिन गोल और सक्त थी. पेट हल्का सा बाहर निकला हुआ और चुतड फैली हुई. उमा झुक कर सामने रखी बाल्टी उठाने लगती है. पीछे सोफे पर लेटे हुए सोनू उमा की चूतड़ों को घुर रहा है. उमा की बड़ी-बड़ी चूतड़ों के बीच पेटीकोट सिमट कर घुस गयी है जिससे चूतड़ों का आकर खुल के दिख रहा है. सोनू उन चूतड़ों के बीच की फाक में घुसी हुए पेटीकोट को बड़े गौर से देख रहा है. पेटीकोट कितनी अन्दर घुसी है ये देख कर सोनू उमा की चूतड़ों के बीच की गहराई नाप रहा था. गहराई को समझते ही सोनू अपनी कमर को निचे करते हुए लंड को शॉर्ट्स के अन्दर से ही सोफे पर दबा देता है. उमा बाल्टी उठा कर बाथरूम की ओर जाने लगती है. चलते वक़्त उमा की थिरकती हुई बड़ी-बड़ी चूतड़ों को देखते हुए सोनू लंड को सोफे पर दबा रहा है. उमा की चुतड जब बाएं को होती तो सोनू अपना लंड सोफे पर जोर से दबा देता, जब दायें होती तो कमर पटक कर लंड की ठाप सोफे पर मार देता. उमा बाथरूम में घुस जाती है और दरवाज़ा बंद कर लेती है. कुछ देर सोनू वैसे ही सोफे पर लेटे हुए बाथरूम के दरवाज़े को देखता रहता है. जैसे ही उसे बाथरूम से बाल्टी में पानी गिरने की आवाज़ आती है, वो झट से सोफे से कूद जाता है और धीमे क़दमों से बाथरूम के दरवाज़े के पास पहुँच जाता है. झुक कर वो दरवाज़े पर अपनी आँख लगता है.

ये खेल सोनू के लिए नया नहीं था. ये खेल वो काफी समय से खेलता आ रहा था. हालाँकि बाथरूम के दरवाज़े पर छेद उसे अपनी दीदी पायल को दखने के लिए बनाया था लेकिन कभी देख नहीं पाया. पायल के मामले में उसकी किस्मत फूटी थी. जब भी पायल नहाने जाती, घर में कोई ना कोई होता था और डर के मारे सोनू दरवाज़े के पास तक जाने की हिम्मत नहीं जूटा पाता था. एक दिन उमा नहाने गई और घर में किसी को ना पाकर सोनू ने जब उस छेद से अन्दर झाँका, तो अन्दर का नज़ारा देख सोनू के लंड ने दरवाज़े को सफ़ेद रंग से भिगो दिया था. उमा को उस छेद से देख कर सोनू का लंड बाथरूम के दरवाज़े के साथ न जाने कितनी बार होली खेल चूका था. और आज फिर एक बार सोनू का लंड दरवाज़े के साथ होली खेलने के लिए तैयार था.

झुक कर सोनू उस छेद से अन्दर देखता है तो उमा ब्लाउज उतार चुकी थी. अपने दोनों हाथो को पीछे कर वो जैसे ही ब्रा के हुक खोलती है, दोनों बड़ी-बड़ी चूचियां उच्चल के बाहर आती है और झूलने लगती है. उमा के दोनों उठे हुए निप्प्लेस को देख कर सोनू अपनी जीभ बाहर निकाल के घुमाने लगता है जैसे उमा के निप्प्लेस पर घुमा रहा हो. उमा अपने ब्लाउज और ब्रा को निचे डाल देती है तो सोनू भी इत्मीनान से खड़ा होता है और अपना शॉर्ट्स निकाल के पास रखी कुर्सी पर डाल देता है. अपने लंड को हाथ में पकडे सोनू अराम से टाँगे खोले निचे बैठ जाता है और फिर से होल से अन्दर देखने लगता है. उमा की पीठ सोनू की तरफ है और वो अपने पेटीकोट का नाडा खोल रही है. नाडा खुलते ही पेटीकोट उमा की कमर से फिसलते हुए निचे गिर जाती है. अपने पैरों को ज़मीन पर पड़े पेटीकोट से निकाल कर उमा जैसे ही पेटीकोट उठाने झुकती है, सोनू की आखों के सामने उमा की नंगी चुतड और निचे बालो से भरी उसकी बूर आ जाती है. अपनी नज़रे चुतड और बालोवाली बुर पर गड़ाए सोनू लंड को पकडे हुए कमर को २ बार झटके देता है. निचे गिरी ब्लाउज, ब्रा और पेटीकोट पर उमा मग से पानी डालती है और पास के रैक से साबुन उठाने लगती है. साबुन उमा के हाथ से फिसल कर निचे रखे प्लास्टिक के छोटे से ड्रम के निचे घुस जाता है. उमा धीरे से निचे बैठती है और घोड़ी बन के ड्रम के निचे हाथ डाले साबुन खोजने लगती है. पीछे बैठा सोनू उमा की खुली हुई चूतड़ों का मजा ले रहा है. उमा की खुली हुई चूतड़ों के बीच बड़ी सी गुदा (गांड का छेद) और उसके आसपास की काली चमड़ी रमेश द्वारा कई सालों तक की गई दुर्गति की कहानी बता रहे थे. साबुन हाथ लगते ही उमा पास पड़े लकड़ी के छोटे से स्टूल को बीच में रख देती है और दरवाज़े की तरफ मुहँ कर के उस पर बैठ जाती है. स्टूल पर बैठते ही उमा अपनी टाँगे खोले कपड़ों पर साबुन रगड़ने लगती है. ऊपर उमा की बड़ी बड़ी चूचियां हिल रही है और निचे उसकी बालोवाली बूर अपने ओठों को खोले सोनू को पूरा नज़ारा दिखा रहीं है. उमा के बूर के ओंठ पूरे फैले हुए है और चमड़ी काली पड़ चुकी है. रमेश के मोटे लंड ने न जाने कितनी ही बार उमा की बूर की दुर्गति की होगी इस बात का अंदाज़ा उसकी बूर देख कर ही पता चल रहा था.

अपनी मम्मी की फैली हुई बूर देख कर सोनू जीभ निकाल कर घुमाने लगता है. फिर अपने दोनों हाथों को एक साथ मिला कर वो उँगलियों से गोल आकर बनता है और मम्मी की बूर को देखते हुए अपना लंड उसमे घुसा देता है. अन्दर कपडे धोते हुए उमा की बूर कमर के साथ हिल रही है और बाहर सोनू का लंड दोनों हाथों की उँगलियों से बने छल्लों के बीच अन्दर-बाहर हो रहा है. बीच-बीच में सोनू उमा की बूर को घूरते हुए अपनी कमर पूरी आगे कर देता जिस से उसका लंड उँगलियों के छल्लों से होता हुआ दूसरी तरफ निकल जाता और लंड का टोपा खुल के बाहर आ जाता. लंड के टोपे से २-३ बूँद टपका के सोनू फिर से अपनी कमर हिलाते हुए उँगलियों के छल्लों में लंड को अन्दर-बाहर करने लगता. अपनी मम्मी के नंगे बदन के हर एक अंग को घूरते हुए सोनू कभी जीभ निकाल के घुमा देता तो कभी कमर हिला कर लंड को झटका दे देता. २०-३० झटके लगाते ही सोनू का बदन अकड़ जाता है और अपने लंड को पकडे वो दरवाज़े पर सफ़ेद गाढ़े पानी की पिचकारियाँ छोड़ने लगता है. अपने लंड का सारा पानी दरवाज़े पर फेंक कर सोनू धीरे से खड़ा होता है और अपना शॉर्ट्स पहन कर चुप-चाप अपने कमरे में चला जाता है.


इधर सोनू ने उमा के नंगे बदन को देखते हुए अपने लंड की शांति कर ली थी और उधर रमेश, उर्मिला और पायल गाड़ी में बैठे शहर से बाहर निकल चुके थे. पायल, जो रमेश के साथ वाली सीट पर बैठी थी न जाने क्या सोच कर बार बार मुस्कुरा रही थी. पीछे बैठी उर्मिला बड़ी देर से पायल को गौर से देख रही थी. गाड़ी शहर से बाहर निकल चुकी थी और सड़क पर भीड़ भी काफी कम हो गई थी. उर्मिला मौका देख कर पायल के कंधे पर एक चपत लगते हुए कहती है.

उर्मिला : ये क्या बात हुई पायल? दिन में तो टाँगे खोल कर बाबूजी से अपनी बूर चुसवा रही थी और अब अपनी जांघ पर जांघ चढ़ाये बैठी है.

रमेश : हाँ पायल...!! अपने पापा के सामने कोई ऐसे बैठता है क्या? अराम से बैठो...

पायल उर्मिला और रमेश की बात सुन कर मुस्कुराते हुए अपनी स्कर्ट को घुटनों पर से उठा कर कमर के ऊपर कर लेती है और टाँगे सीट पर रख कर खोल देती है. बूर पर कसी हुई गुलाबी पैन्टी दिखने लगती है. रमेश बूर पर कसी गुलाबी पैन्टी को घुर कर देखते है फिर धीरे से हाथ बढ़ा कर पैन्टी को एक तरफ कर देते है. पैन्टी के एक तरफ होते ही पायल की बालोवाली बूर खुल के दिखने लगती है. बूर के ओंठ आपस में चिपके हुए है. रमेश एक बार सामने सड़क को देखते है और फिर पायल की बूर को देखते हुए अपनी मोटी जीभ निकाल कर निचे से ऊपर हवा में घुमा देते है. उर्मिला पायल की चुतड पर चुंटी काट कर आँखों से पैन्टी को उतार देने का इशारा करती है तो पायल धीरे-धीरे अपनी पैन्टी को टांगो से खीच कर निकाल देती है. पैन्टी के निकलते ही पायल फिर से अपनी टाँगे सीट पर रख कर खोल देती है तो उसकी बूर पूरी फ़ैल जाती है. बूर के ओंठ खुल जाते है और बाबूजी के सामने पायल की बूर का लाल छेद दिखने लगता है. रमेश अपना हाथ बढ़ा के दो उँगलियों से बूर के ओंठों को फैला देते है और अन्दर के लाल छेद को गौर से देखने लगते है. अपनी बेटी की बूर का अच्छे से निरक्षण करते हुए रमेश अंगूठे से बूर के दाने को धीरे से रगड़ देते है तो पायल की बूर काँप जाती है. रमेश बूर से हाथ हटा कर अंगूठे को मुहँ में दाल कर चूस लेते है. पायल की बूर का स्वाद लेते ही रमेश का लंड धोती में खड़ा हो जाता है. उर्मिला जब ये देखती है तो वो कहती है.

उर्मिला : देख पायल...!! गाड़ी का गियर तो बाबूजी बदल रहे है. पर बाबूजी के धोती में जो गियर है वो कौन बदलेगा?

उर्मिला की बात सुन कर पायल मुस्कुराते हुए धीरे से अपनी सीट से उतर कर निचे बैठ जाती है और किसी शेरनी की तरह चलती हुई रमेश की जांघो के पास पहुँच जाती है. धोती को हटाकर पायल रमेश के मोटे लंड को बाहर निकाल लेती है. एक हाथ से लंड की चमड़ी को खींच कर निचे करती है और गौर से मोटे टोपे को देखने लगती है. कुछ क्षण वैसे ही टोपे को देखने के बाद पायल अपना सर लंड पर झुका देती है और टोपे को मुहँ में भर लेती है. पायल की इस हरकत से रमेश किसी तरह अपने आप को संभालता है और गाड़ी की स्टीयरिंग को पकडे सही दिशा देता है. पायल अपना सर निचे कर लंड के टोपे को निगलने लगती है. अपने ओठों को खोलते और सर को लंड पर दबाते हुए पायल आधा लंड मुहँ में भर लेती है. धीरे-धीरे लंड को चूसते हुए वो ऊपर जाने लगती है. लंड के मुहँ से निकलते ही पायल अपनी जीभ से २-३ बार टोपे को चाट लेती है और फिर से लंड पर ओठों को फैलाए अन्दर भरने लगती है. रमेश भी पूरी मस्ती में अपना एक हाथ पायल की गोरी-गोरी चूतड़ों पर ले जाता है और घुमाने लगता है. बारी-बारी वो पायल की दोनों चूतड़ों को अपने पंजों में भर कर दबोच लेता है. अपने हाथों को पायल की नंगी चूतड़ों पर घुमाते हुए रमेश एक चपत चुतड पर जड़ देता है, "चट्ट". फिर हाथ घुमाते हुए दुसरे चुतड पर चपत जड़ देता है, "चट्ट". पापा के हाथो से अपनी चूतड़ों पर चपत खा कर पायल और भी ज्यादा मस्ती में आ जाती है. वो रमेश के लंड को और ज्यादा जोश में चूसने लगती है. अब रमेश पायल की चूतड़ों के बीच अपना हाथ फेरने लगता है. पायल की गांड के छेद पर हाथ जाते ही रमेश अपनी एक ऊँगली उस पर रगड़ने लगते है. रमेश की ऊँगली जब भी पायल की गांड के छेद पर रगड़ खा जाती, उसकी चुतड उच्छल सी जाती. ऊँगली रगडते हुए रमेश बीच-बीच में उसे छेद में घुसाने की कोशिश करता. ऊँगली के ऊपर का हिस्सा थोडा अन्दर जाता और रुक जाता तो रमेश उसे बाहर निकाल कर फिर से छेद पर रगड़ने लगता. कुछ देर ऐसे ही पायल की गांड के छेद पर रगड़ने के बाद रमेश ऊँगली अपने नाक के पास लाता है और सांस अन्दर खीचता हुआ सूंघ लेता है. ऊँगली से आती पायल की गांड की वो खुशबू रमेश को मदहोश कर देती है. रमेश अपनी कमर उठा कर पायल के मुहँ में लंड का एक झटका देता है. ये रमेश का अपना तरीका था पायल को बतलाने का की उसकी गांड के महक कितनी लाजवाब है. तभी रमेश को सड़क पर भीड़ बढती हुई दिखाई देती है. वो सामने देखता है तो कुछ दूर पर मंदिर दिखाई देता है. पायल के सर पर हाथ फेरते हुए रमेश उसे अपनी सीट पर बैठने का इशारा करता है. पायल सर उठा के देखती है तो समझ जाती है. अपनी सीट पर बैठ कर पायल पैन्टी पहन लेती है. कुछ क्षण की ख़ामोशी के बाद रमेश, उर्मिला और पायल एक दुसरे को देखते है और जोरो से हँस देते है.

गाड़ी में हंसी की फुहार सी छुट पड़ती है और तीनो सामने अपनी मंजिल की ओर देखते हुए आगे बढ़ने लगते है.

उधर सोनू अपने बिस्तर पर लेटा अराम कर रहा है. कुछ देर पहले ही वो अपनी मम्मी को नंगा देख कर लंड हल्का कर आया था. बदन की थकावट को दूर करने के लिए वो बिस्तर पर चारों खाने चीत हो कर पड़ा था. एक झपकी लेने के लये जैसे ही वो आँखे बंद करता है, उसे मम्मी की चीख सुनाई देती है.

उमा : हाय राम...!! मर गई रे.....!!!

सोनू झट से बिस्तर से कूदता है और दौड़ता हुआ ड्राइंग रूम में जाता है. सामने बाथरूम के दरवाज़े पर उमा दोनों टाँगे उठाये ज़मीन पर पड़ी है. उसका पेटीकोट जाँघों तक उठा हुआ है और टांगो के बीच उसकी बालोवाली बूर की झलक साफ़ दिख रही है. अपनी माँ की बूर की झलक पाते ही सोनू का लंड फिर से हरकत में आने लगता है. सोनू आँखे फाड़े हुए उमा की टांगो के बीच देखे जा रहा था.

उमा : अरे लल्ला...!! कहाँ ध्यान है रे तेरा? अब मुझे उठाएगा भी की नहीं?

उमा की बात सुन कर सोनू होश में आता है. झट से उमा के पास पहुँच कर वो एक हाथ से कंधे पर सहारा देता है और दूसरा हाथ उमा की बगल में डाले उठाने लगता है.

सोनू : पर मम्मी आप गिरी कैसे?

उमा : पता नहीं किसने दरवाज़े पर पानी गिरा दिया था. मैं जसी ही बाहर निकली, पैर फिसल गया.

सोनू सर घुमा कर दरवाज़े के निचे देखता है कुछ सफ़ेद-सफ़ेद सा दिखाई पड़ता है. उसे समझने में देर नहीं लगती की ये उसके ही लंड के पानी की करामात है. वो झेंप जाता है और उमा को सहारा देते हुए उसके कमरे की और ले जाने लगता है.

सोनू : जयादा चोट तो नहीं लगी मम्मी?

उमा : नहीं रे...!! ज्यादा चोट नहीं लगी...बस कमर में हल्का सा दर्द हो रहा है.

सोनू उमा को कमरे में ले जाता है और बिस्तर पर लेटा देता है. उमा बिस्तर पर लेट जाती है. उसके भीगे ब्लाउज में बड़े-बड़े भारी दूध उठ के दिखने लगते है. सोनू वैसे ही खड़े उमा के दूधों को देखने लगता है. उसके शॉर्ट्स में फिर से हलचल होने लगती है. अपने विचारों में सोनू उमा के बड़े-बड़े दूधों को दोनों हाथों से पकडे दबा रहा था की अचानक उसके कानो में उमा की आवाज़ आती है.

उमा : हाय राम...!! उफ़...!!

सोनू होश में आ कर उमा को देखता है तो वो एक तरफ पलते हुए अपनी कमर को हाथ से दबा रही है. सोनू की नज़र उमा की चूतड़ों से चिपकी पेटीकोट पर जाती है तो उसकी हवा खराब हो जाती है. पीछे पेटीकोट पर सोने के लंड का चिप-चिपा पानी लगा हुआ था. सोनू के लंड के पानी से फिसल कर उमा उस पर ही गिर पड़ी थी. सोनू को डर था की कहीं उमा ने थोडा सा भी हाथ पीछे किया तो उसके हाथ में वो चिप-चिपा पानी लग जायेगा और जब वो देखेगी तो समझ जाएगी की ये सब क्या माज़रा है. सोनू झट से उमा का हाथ पकड़ लेता है.

सोनू : रुक जाओ मम्मी....!!!!!!

उमा : (आश्चर्य हो कर) क्या हुआ लल्ला? ऐसे क्यूँ बोल रहा है?

सोनू : (हडबडाता हुआ) वो...वो...मम्मी...वो..आप क्यूँ तकलीफ करती है? मैं आपकी कमर दबा देता हूँ...

सोनू की इस बात पर उमा बहुत खुश होती है. सोनू का हाथ पकडे हुए वो कहती है.

उमा : अरे मेरा लल्ला...!! इतना बड़ा हो गया है की अब अपनी मम्मी की सेवा करेगा? आजा...दबा दे मेरी कमर...

सोनू उमा के पास जाता है और उसकी कमर पर हाथ रखने लगता है. तभी उमा बोल पड़ती है.

उमा : खड़े-खड़े दबाएगा क्या? बिस्तर पर आजा और मेरे पीछे अराम से बैठ कर दबा.

सोनू बिस्तर पर चढ़ जाता है और उमा की चुतड के ठीक पीछे बैठ जाता है. अपने दोनों हाथों को वो उमा की कमर पर रख देता है. सोनू जैसे ही कमर दबाना शुरू करता है उसे पटल चलता है की उमा की कमर कितनी भरी हुई है. भरी हुई कमर को वो धीरे-धीरे दबा रहा है और दबाते हुए सोनू हलके से उमा की करा को पंजों में दबोच सा लेता. सोनू के इस तरह से कमर दबाने पर उमा को बड़ी रहात मिल रही है. कमरे में हलकी-हलकी हवा चल रही है और उमा के कपडे थोड़े भीगे भी है. सारे बदन में ठंडक का अहसास होते ही उमा की आँखे बंद हो जाती है और नींद हावी होने लगती है. सोनू मम्मी की कमर और चूतड़ों को घूरते हुए धीरे-धीरे नंगी कमर का मजा लेते हुए दबाये जा रहा था. कुछ देर दबाने के बाद वो उमा से पूछता है.

सोनू : अब कैसा लग रहा है मम्मी?

उमा के तरफ से कोई जवाब ना पाकर वो फिर से पूछता है.

सोनू : मम्मी....अब ठीक लगा रहा है तो मैं जाऊ अपने कमरे में?

उमा नींद के आगोश में जा चुकी थी. सोनू क्या अब तो उसे दुनिया की भी कोई खबर न थी. सोनू इस बार उमा की कमर को हिलाते हुए पूछता है.

सोनू : (कमर हिलाते हुए) मम्मी...!! मम्मी...!! सो गई क्या?

इस बार भी उमा की तरफ से कोई प्रतिक्रिया न पाकर सोनू थोडा आगे झुक कर उमा के चेहरे को देखता है. उमा की आँखे बंद है, धीरे-धीरे उसका उठा हुआ सीना ऊपर-निचे हो रहा है. सोनू को समझते देर नही लगती की उमा गहरी नींद में सो चुकी है. उमा के नींद में होने का फायेदा उठा कर सोनू अपनी माँ के बदन को बड़े गौर से देखता है. अपनी माँ के बदन को इस तरह से अपने इतने करीब देख कर सोनू का लंड फिर से शॉर्ट्स में खड़ा हो जाता है. अपने लंड को धीरे से शॉर्ट्स से बाहर निकाल कर वो ४-५ बार धीरे से हिला देता है फिर दोनों हाथों को उमा की कमर पर रख कर धीरे-धीरे दबाने लगता है. कमर दबाते हुए उसके हाथ धीरे-धीरे उमा की पेटीकोट की तरफ बढ़ने लगते है. पेटीकोट कमर पर ढीली बंधी हुई है. उमा के गिरने से पेटीकोट का नाडा पहले ही ढीला हो चूका था और उमा के बिस्तर पर इधर-उधर घुमने से पेटीकोट और भी ढीली हो गई थी. सोनू अपने एक हाथ को धीरे से उमा की कमर पर चिपके पेटीकोट के अन्दर घुसाने लगता है. सोनू का दूसरा हाथ अब भी उमा की कमर को धीरे-धीरे दबा रहा था. पेटीकोट के अन्दर हाथ डाल कर सोनू बड़ी ही सावधानी के साथ अपने हाथ को धीरे-धीरे उमा के पेट के निचले हिस्से पर ले जाने लगता है. फिर वो अपने हाथ को नाभि के सीध में, उमा की जांघो के बीच बढ़ाने लगता है. हाथ के बस थोडा निचे जाते ही उमा का पेट एक हल्का सा झटका खाता है और फिर स्थीर हो जाता है. सोनू की तो मानो दिल की धड़कन ही रुक जाती है. कुछ क्षण वैसे ही रुके हुए सोनू उमा को देखता है तो वो अब भी गहरी नींद में सो रही है. फिर से हिम्मत जूता कर सोनू अपना हाथ और निचे ले जाता है. तभी उसके हाथ में कुछ बालों को छु जाते है. सोनू समझ जाता है की उसका हाथ अब मम्मी की बालोंवाली बूर तक पहुँच गया है. बालो पर से अपने हाथ को धीरे-धीरे निचे ले जाते हुए सोनू उमा की बूर तक पहुँच जाता है. अपनी एक ऊँगली जैसे ही वो बूर के खुले हुए ओंठों पर रखता है तो उमा फिर से चुहंक जाती है. सोनू की साँसे थम सी जाती है. धीरे से नींद में कसमसाते हुए अपने एक उठा के टांग मोड़ देती है तो पेटीकोट टांगो से फिसलते हुए उसकी कमर पर आ कर सिमट जाती है. उमा की टांगो के बीच से सोनू का हाथ दिखने लगता है. अब सोनू धीरे से अपना हाथ पेटीकोट के अन्दर से बाहर निकाल लेता है और फिर बैठे हुए ऊपर से हाथ ले जा कर उमा की बूर पर रख देता है. पहले से ही खुली हुई बूर में सोनू की ऊँगली बड़े अराम से फिसलने लगती है. बूर में ऊँगली डाले सोनू अपनी माँ का छेद ढूँढने लगता है. छेद के मिलते ही धीरे-धीरे अपनी ऊँगली अन्दर घुसाने लागता है. सोनू की ऊँगली उमा की बूर में धीरे-धीरे पूरी समां जाती है. सोनू अपनी ऊँगली को निकालता है और नाक के पास ले जा कर सूंघ लेता है. अपनी माँ की बूर की खुशबू पाते ही उसका लंड खड़ा हो कर हिचकोले खाने लगता है. सोनू अब अपने होश खो बैठा था. उसका जोश अपनी चरम सीमा पर पहुँच चूका था. अब उसे इस बात का भी डर नहीं था की अगर उमा की नींद खुल गई तो क्या होगा?.

सोनू धीरे से पीछे बिस्तर पर लेट जाता है और उमा की तरफ घूम जाता है. उसकी आँखों के सामने उमा की आधी नंगी पीठ है जो ब्लाउज से दिख रही है. अपना सर आगे बढ़ा कर सोनू उमा की नंगी पीठ की एक चुम्मी ले लेता है. फिर धीरे से अपने लंड को पेटीकोट के ऊपर से उमा की चूतड़ों के बीच रख कर दबा डेट है. उसका लंड पेटीकोट के साथ चूतड़ों के बीच घुस जाता है. लगभग आधा लंड घुसाने के बाद सोनू अपना लंड बाहर खींच लेता है. पेटीकोट उमा की चूतड़ों के बीच ही फासी रह जाती है. इस नज़रे को सोनू बड़े ही ध्यान से देखता है. सोनू चूतड़ों में फसी पेटीकोट को धीरे से निकाल देता है. फिर पेटीकोट को उमा की कमर तक ऊपर कर वो उसकी चूतड़ों को नंगा कर देता है. उमा की चूतड़ों के पट आपस में चिपके हुए है. बीच की दरार इतनी बड़ी है की उसमें सोनू जैसे ३-४ लंड अराम से समां जाएँ. अपने लंड को पटों के बीच रख कर सोनू हल्का सा दबाव लगता है. उसका लंड धीरे-धीरे उमा की चूतड़ों के बीच घुसता चला जाता है. एक जगह जा कर लंड थम सा जाता है. सोनू समझ जाता है की ये उसकी मम्मी के गांड का छेद है. सोनू के लंड का टोपा किसी कटोरे जैसे गड्ढे में जा फसा था. सोनू थोडा और जोर लगता है तो लंड का टोपा उस गड्ढे में पूरा घुस जाता है. उमा की कमर में एक हक्ली सी हरकत होती है और फिर वो शांत हो जाती है. सोनू अपने जोश में उस हारकर पर ध्यान तक नहीं देता है. थोडा और जोर लगाने पर सोनू का लंड उस गड्ढे में एक चौथाई घुस जाता है. एक बार सोनू का दिल करता है की झटका दे कर अपना पूरा लंड मम्मी की गांड के छेद में घुसा दे लेकिन उसे इस बात का डर भी है की मम्मी उठा ना जाए. वो अपने लंड को धीरे से बाहर निकालता है और धीरे से फिर अन्दर घुसा देता है. अपनी मम्मी की गांड में लंड जाता देख सोनू के बदन में गर्मी आ जाती है. अपनी कमर को धीरे-धीरे हिलाते हुए सोनू उमा की चूतड़ों के बीच लंड अन्दर-बाहर करने लगता है. हालांकि उसका लंड अब भी उमा की गांड में पूरी तरह से नहीं गया था लेकिन उमा की बड़ी और भारी चुतड उसके लंड को पूरा मजा दे रही थी.अपनी ही मस्ती में खोया हुआ सोनू मन में सोचता है, "हाय मम्मी...!! क्या चुतड है आपकी...!! अपनी गांड में पूरा ले लो ना मम्मी...!! एक बार अपनी बूर दे दो ना मम्मी..!!". अपनी ही सोची गई इस बेहद गन्दी बात पर सोनू का लंड झटके लेने लगता है. अपने लंड को झट से उमा की चूतड़ों के बीच से निकाल सोनू बिस्तर पर खड़ा हो जाता है. एक हाथ से लंड को हिलाते हुए दुसरे हाथ की हथेली की अंजुली बना कर वो लंड के टोपे के ठीक निचे कर देता है. कुछ ही क्षण में सोनू के लंड से सफ़ेद गाढ़े पानी की बौछार निकल कर निचे उसकी हाथों की अंजुली में गिरने लगती है. लंड को दबा दबा कर सोनू सारा पानी अंजुली में गिरा देता है. दुसरे हाथ की अंजुली पूरी तरह से सोनू के लंड के पानी से भर जाती है. कुछ क्षण सोनू वैसे ही खड़े अपनी सांसो पर काबू पाटा है और फिर धीरे से बिस्तर से निचे उतर कर बाथरूम की तरफ चल देता है.

बथ्र्रोम में अपने हाथों को साफ़ करते हुए अचानक सोनू के दिमाग में करंट सा लगता है. उसे याद आता है की मम्मी का पेटीकोट तो अब भी उसकी कमर के ऊपर ही है. अपने तेज़ी से धडकते दिल को लिए सोनू दौड़ता हुआ मम्मी के कमरे के दरवाज़े पर पहुँचता है. सामने उमा सो रही है और उसका पेटीकोट अब कमर के ऊपर नहीं बल्कि घुटनों के निचे था. सोनू वैसे ही खड़ा बात को समझने की कोशिश करता है. "ये पेटीकोट मैंने निचे किया था या मम्मी ने खुद कर लिया?". बात उसकी समझ में नहीं आ रही है. वो सोचते हुए घूमता है और धीरे-धीरे अपने कमरे की तरफ बढ़ने लगता है.

सोनू के जाते ही बिस्तर पर लेटी उमा करवट लेते हुए सीधी लेट जाती है. उसकी आँखे अब भी बंद है और चेहरे पर हलकी सी मुस्कान.

क्रमश:

(आगे का भाग थोड़ी देर बाद आएगा. ३ बजे तक)

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
bahut he badhiya. Shukriya baat sunne ke liya
 

Nasn

Well-Known Member
2,904
4,777
158
पायल बेटी की सील टूटने का
इंतज़ार है।।
लेकिन आराम से,
कोई जल्दबाज़ी नहीं है....
 
Top