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very interesting story.
a different kind of story.
Thank you
very interesting story.
a different kind of story.
Is update ke bare me thoda khule ke review do taki pata chale kya likhuRomanchak. Pratiksha agle rasprad update ki
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाUpdated 04
उस रात जब सूरज और पारुल घर से निकले थे...गांव में....
सुमित्रा अपने घर के काम कर उसके कमरे की और जाने लगी... बाहर हल्की हल्की बारिश चालू थी.. मौसम में एक बदामोशी सी छाई हुई है...उसकी आंखों में चमक थी...वो कमरा खोल अंदर आते ही पहले खिड़की दरवाजे बंद कर.. अपने पति की और प्यार से देखते हुए एक एक कर अपनी सारी को अपने गोरे मखमले बदन से अलग कर दी... सुमित्रा किसी अप्सरा से अधिक कामुकता कमरे में फेला रही थी जैसे अपने पति की सालो की तपस्या उसे आज तोड़नी हो...
सुमित्रा के सुडोल स्तन इसके ब्रा के बिना पहले हुए ब्लाउज में जैसे घुटन महसूस कर रही रहे थे और उन्हें बस बाहर आना था...
सामने बैठे सूरज के पापा अपनी किताब पड़ने में व्यस्थ थे... वो किताबी किरदारों में खोए हुए थे और अपनी खूबसूरत प्यारी पत्नी को रोज की तरह आज भी नजरंदाज कर रहे थे...लेकिन आज जैसे सूरज की मां बेहत अथिक उत्तेजित हो रही थी....
सूरज की मां को वो रात रात याद आ गई जब शादी के पूरे 6 महीनो बाद जब उसके पति ने उसके साथ कोई संबंध न बनाया वो कैसे खुद ही अपनी मां की सिखाई बात के मुताबिक अपने ब्लाउस को खुला कर उसके पति के पास सो गई थी और फिर जैसे तैसे उसके गुस्सेल सख्त लेकिन एक दम न समझ और सरमले औरतों के साथ... उन्होंने उसके स्तनों को हाथ लगाया और फिर... तो विक्रम अपनी पत्नी की जवानी देख पागल हुआ और सुमित्रा की थोड़ी साथ सहकार से पहला मिलन कर बैठा....
पति को पड़ने देते हुए सुमित्रा अपने ब्लाउज के कुछ बटन खोल उसके पति की और हो कर लेट गई... और पेटीकोट घुटनों तक ले आई...अगर कोई और होता तो अभी तक सुमित्रा को निचोड़ के रख दिया होता...
अब था तो विक्रम भी एक मर्द ही... हा अंदर से बहोत कामुक कल्पनाएं करता था.. पर अपनी पत्नी के साथ किताबो और फिल्मों में जैसे करते हे वैसे उसे संभोग क्रिया करने में मन ही मन सपने देखता पर... सूरज के पापा थे एक दम सरमिले औरतों के साथ... कभी अपनी पत्नी को भी सभोग के लिए बोल नही पाते...नही वो सामने से इस में दीनचस्पी दिखाते... उन्होंने एक ऐसी छवि बना रखी थी बाहर निकल की वो अब बंद कमरे में अपनी पत्नी के साथ भी वैसे ही रहते जैसे बड़े संत महात्मा हो...लेकिन वो थे नही...और ये बात बिचारी सूरज की मां को भी न पता थी... नहीं तो वो इतने सालो से अपनी काम इच्छा को हर रोज मार न देती....
विक्रम का लिंग उसे उत्तेजित करने लगा था फिर भी वो अपने स्वभाव में के कारण पत्नी ने खुले ब्लाउज में से बाहर आ रहे स्तन को देख बोला
विक्रम – ये क्या है... तुम्हे कितनी बार बोलूं... कपड़े सही कर के सोया करो कोई देख लेगा तो क्या इज्जत रह जाएगी...
सुमित्रा – (नाराजगी और कामुकता के साथ) कोई नही देख रहा उन्हे... दरवाजा खुला थोड़ी है..और वैसे भी घर में सिर्फ जेठ जी है... देखिए ना जी इन्हे..(ब्लाउज के और बटन खोल के) कितने भारी हो गई है दर्द हो रहा है आप जरा देखिए तो कही फिर से दूध तो नहीं आने लगा..(हस के बोली)
विक्रम – (विक्रम के मुंह में पानी आने लगा था उसकी पत्नी के सुडोल स्तन महीनो बाद देख..वाकई में स्तन और भारी लग रहें थे उसे) क्या भाग्यवान क्यू मजाक करती हो...(थोड़ा मजाक करते हुए) अगर तुम्हे दूध आ रहा हो तो अपने बेटे को पिला देना...(हस के)
सुमित्रा – (हस के) अगर आप को नही चाइए मेरा दूध तो सुरज को पीला दू...पर आज तो वो नही यहां...तो आप ही...
कही तो ये बात विक्रम ने मजाक में थी पर दुसरे ही पल उसके आखों के सामने उसका बेटा उसकी पत्नी की गोद में स्तनपान करता हुआ दिखने लगा...वो एक दम से उत्तेजित हो उठा...उसे अपनी किताब में पड़ी हुई एक कहानी याद आ गई जिस में एक मां अपने बेटे को बड़े होने तक स्तनपान कराती थी....
विक्रम – मुझे क्या जो करना है करो बस मुझे पड़ने दो अभी...
सुमित्रा – (अपने पति को परेशान करते हुए छेड़ते हुए) अच्छा ठीक है जी जेठ जी के पास जा रही हु आज खाना भी काम खाए थे उन्हे पीला के आई...(और मन ही मन बहुत हस दी) (हा सुमित्रा को अपने पति को इसे परेशान करना पड़ा भाता था और ऐसा करने से गुस्सा हो के विक्रम भी अपनी शर्म तोड़ उसे अच्छे से निचोड़ निचोड़ के चोदता था)
विक्रम – क्या बोल रही हो यार तुम...कुछ तो शर्म करो दो बच्चो की मां हो... तुम्हे ऐसा हसी मजाक अब सोभा नहीं देता...
सुमित्रा – में मजाक नहीं कर रही मेरे भोले पति देव...(गंभीरता भरे स्वर में बोली) वो भी तो जेठानी जी के जाने के बाद अकेले है..और आप भी बोलते ही भईया का खास ख्याल रखूं...अब उनका हे ही कोन....
विक्रम – (सुमित्रा की बातो को सच मान के एक दम मायूस होकर) क्या बोल रही हो तुम....
सुमित्रा – (मन में आज क्या हुआ इन्हे गुस्सा नही हो रहे) (वो अपना छेड़ना जारी रखती है) मौसी बोल रही थी पहले के समय गांव में ये सब होता था...अब जेठ जी को भी तो सहारा चाइए...
विक्रम – (अपने बड़े भाई की बहोत इज्जत और प्यार करता था इस लिए और उसकी किताबो की कहानी ने उसे इतना गुस्सा नही होने दिया... लेकिन वो अपनी पत्नी के मुंह से ये सुन बहोत अथिक सदमे में पहुंच गया और निराश होकर बोला) जैसा तुम्हे ठीक लगे सूरज की मां...
सुमित्रा को भी बुरा लगा उसके पति को इसे देख वो...एक दम से उसके पति के उपर चढकर लेट गई और विक्रम की बाहों में घुस गई...और विक्रम को यहां चूम के बोली....
सुमित्रा – कितने भोले हो आप...इतने साल हो गई एक मजाक भी नही समझ पाते...
विक्रम – (राहत की शास लेता हुआ अपनी फूल सी पत्नी को अपनी बाहों में अर्ध नंगी देख...उसे अपनी और खींच.. सुमित्रा के गुलाबी गालों को चूम के फिर मरोड़ के प्यार करता हुआ बोला) मेरी नटखट बदमाश सूरज की मां...
कुछ देर दोनो एक दुसरे को सहलाते हुए प्यार में डूब गई...
दोनो किसी नाग नागिन जैसे एक दूसरे से चिपक गई थे...
सुमित्रा – (सुमित्रा अपनी टांगे अपनी पति पर चढ़ा के) आह सूरज के पापा आज कितने महीनो बाद आप ने मुझे अपनी बाहों में आने दिया हे...आप इतना क्यों तड़पा रहे हो मुझे...में काम आग में जल न जाऊ....
विक्रम सुमित्रा को थोड़ा सा अपनी बाहों से बाहर निकल बोला...
विक्रम – सूरज की मां पता नही लेकिन आज कल तुम पहले से भी ज्यादा गरम रहने लगी हो क्या हुआ ही तुम्हे... उम्र के साथ तुम्हारी काम इच्छा और बड़ रही है... देखो तो इन्हें लगता है जैसे और बड़े और कस गई हो...और विक्रम सुमित्रा के काम आग में एक दम कस चूक स्तनों को सहला देता है....
सुमित्रा – आह आह जी अपना बना लो सूरज के पापा कितने महीनो से आप ने ठीक से हाथ तक नहीं लगाया... देखिए ना कितने अथिक संवेदनशील हो गई है... आह जैसे आप का... उह.... आह...
विक्रम ने अब बाते न करना सही समझा और वो सुमित्रा के पहले से खुले बटन ब्लाउज को और खोल एक अंगूर के दाने जैसे निपल को अपने मुंह में भर... सुमित्रा का पेटीकोट उसकी कमर तक ऊपर ले आया...
सुमित्रा को अपने पति का हाथ अपनी गीली योनि पे महसूस हुआ और उसकी धड़कने तेज हो उठी... विक्रम को भी अपनी पत्नी के स्तन पीने में बड़ा आंनद आ रहा था...वो बीच में निप्पल को काट लेता और सुमित्रा की तेज आह बाहर तक पहुंच जाती...अब विक्रम ने एक उंगली भी अपनी पत्नी की योनि में उतार दी थी....सुमित्रा काम आग में इतना पागल हो गई की भूल ही गई की उसके घर में एक और मर्द भी सो रहा था...
विक्रम अब अपना लिंग बाहर निकल धीरे से सुमित्रा की योनि पे रख देता है और कुछ देर रुक के बोला...कमरे में एक दम शांति हो गई...
विक्रम – भग्व्यवान तैयार रहो...आवाज इतना मत करना...
सुमित्रा अपनी योनि पर घिस रहा था उसमे में ही डर गई थी ...
सुमित्रा – सूरज के पापा आप इतने समय बाद करते हो तो ये फिर से कस जाती है में क्या करू...अब धीरे से अंदर करो... आह...
सुमित्रा – सूरज के पापा बस कीजिए में मर जाउंगी डालिए भी अब...ये क्या क्या करते हो आप...किताबे कम पड़े... आह...
सुमित्रा – अह्ह्ह्ह आह आऊउच...सूरज के पापा निकल दो... आह में मर न जाऊं...
लिंग के योनि में प्रवेश के साथ ही सुमित्रा की ऐसी स्थिति हो उठी जैसे पहली बार अपनी सील टूटका रही हो... दुसरे कमरे में सो रहा उसका जेठ भी अपनी नींद से उठ खड़ा हुआ और अपनी भाभी (बहु) के कामुक सिसकारियां सुन अपने लिंग को पकड़ हस्त मैथुन करने से खुद को रोक न सका...और पानी निकलते ही पछतावे में डूब गया...वही सुमित्रा का दर्द से हाल बेहाल था जो धीरे धीरे कर एक मीठे दर्द में बदल गया... हा थी तो दो बच्चो की मां ही...
हर धक्के के साथ सूरज की मां एक कामुक दर्द भरी आह से पूरे घर को उत्तेजित कर देती...भालो से भरी छूत में आज एक लिंग उसकी खुजली मिटा रहा था...
सूरज की मां के हाव भाव इतने कामुक थे की आप का लिंग उसके लिए एक बार में खड़ा हो उठे आप खुद ही देखे...साथ में दोनो अपनी महीनो की आग को बुझाने के लिए एक दुसरे को चूम रहे थे सहला रहे थे...
दोनो पति पत्नी अपने चरम सुख प्राप्त कर एक दूसरे में समां गई...और जब सो गई उन्हे भी पता न चला....
Very eroticUpdated 04
उस रात जब सूरज और पारुल घर से निकले थे...गांव में....
सुमित्रा अपने घर के काम कर उसके कमरे की और जाने लगी... बाहर हल्की हल्की बारिश चालू थी.. मौसम में एक बदामोशी सी छाई हुई है...उसकी आंखों में चमक थी...वो कमरा खोल अंदर आते ही पहले खिड़की दरवाजे बंद कर.. अपने पति की और प्यार से देखते हुए एक एक कर अपनी सारी को अपने गोरे मखमले बदन से अलग कर दी... सुमित्रा किसी अप्सरा से अधिक कामुकता कमरे में फेला रही थी जैसे अपने पति की सालो की तपस्या उसे आज तोड़नी हो...
सुमित्रा के सुडोल स्तन इसके ब्रा के बिना पहले हुए ब्लाउज में जैसे घुटन महसूस कर रही रहे थे और उन्हें बस बाहर आना था...
सामने बैठे सूरज के पापा अपनी किताब पड़ने में व्यस्थ थे... वो किताबी किरदारों में खोए हुए थे और अपनी खूबसूरत प्यारी पत्नी को रोज की तरह आज भी नजरंदाज कर रहे थे...लेकिन आज जैसे सूरज की मां बेहत अथिक उत्तेजित हो रही थी....
सूरज की मां को वो रात रात याद आ गई जब शादी के पूरे 6 महीनो बाद जब उसके पति ने उसके साथ कोई संबंध न बनाया वो कैसे खुद ही अपनी मां की सिखाई बात के मुताबिक अपने ब्लाउस को खुला कर उसके पति के पास सो गई थी और फिर जैसे तैसे उसके गुस्सेल सख्त लेकिन एक दम न समझ और सरमले औरतों के साथ... उन्होंने उसके स्तनों को हाथ लगाया और फिर... तो विक्रम अपनी पत्नी की जवानी देख पागल हुआ और सुमित्रा की थोड़ी साथ सहकार से पहला मिलन कर बैठा....
पति को पड़ने देते हुए सुमित्रा अपने ब्लाउज के कुछ बटन खोल उसके पति की और हो कर लेट गई... और पेटीकोट घुटनों तक ले आई...अगर कोई और होता तो अभी तक सुमित्रा को निचोड़ के रख दिया होता...
अब था तो विक्रम भी एक मर्द ही... हा अंदर से बहोत कामुक कल्पनाएं करता था.. पर अपनी पत्नी के साथ किताबो और फिल्मों में जैसे करते हे वैसे उसे संभोग क्रिया करने में मन ही मन सपने देखता पर... सूरज के पापा थे एक दम सरमिले औरतों के साथ... कभी अपनी पत्नी को भी सभोग के लिए बोल नही पाते...नही वो सामने से इस में दीनचस्पी दिखाते... उन्होंने एक ऐसी छवि बना रखी थी बाहर निकल की वो अब बंद कमरे में अपनी पत्नी के साथ भी वैसे ही रहते जैसे बड़े संत महात्मा हो...लेकिन वो थे नही...और ये बात बिचारी सूरज की मां को भी न पता थी... नहीं तो वो इतने सालो से अपनी काम इच्छा को हर रोज मार न देती....
विक्रम का लिंग उसे उत्तेजित करने लगा था फिर भी वो अपने स्वभाव में के कारण पत्नी ने खुले ब्लाउज में से बाहर आ रहे स्तन को देख बोला
विक्रम – ये क्या है... तुम्हे कितनी बार बोलूं... कपड़े सही कर के सोया करो कोई देख लेगा तो क्या इज्जत रह जाएगी...
सुमित्रा – (नाराजगी और कामुकता के साथ) कोई नही देख रहा उन्हे... दरवाजा खुला थोड़ी है..और वैसे भी घर में सिर्फ जेठ जी है... देखिए ना जी इन्हे..(ब्लाउज के और बटन खोल के) कितने भारी हो गई है दर्द हो रहा है आप जरा देखिए तो कही फिर से दूध तो नहीं आने लगा..(हस के बोली)
विक्रम – (विक्रम के मुंह में पानी आने लगा था उसकी पत्नी के सुडोल स्तन महीनो बाद देख..वाकई में स्तन और भारी लग रहें थे उसे) क्या भाग्यवान क्यू मजाक करती हो...(थोड़ा मजाक करते हुए) अगर तुम्हे दूध आ रहा हो तो अपने बेटे को पिला देना...(हस के)
सुमित्रा – (हस के) अगर आप को नही चाइए मेरा दूध तो सुरज को पीला दू...पर आज तो वो नही यहां...तो आप ही...
कही तो ये बात विक्रम ने मजाक में थी पर दुसरे ही पल उसके आखों के सामने उसका बेटा उसकी पत्नी की गोद में स्तनपान करता हुआ दिखने लगा...वो एक दम से उत्तेजित हो उठा...उसे अपनी किताब में पड़ी हुई एक कहानी याद आ गई जिस में एक मां अपने बेटे को बड़े होने तक स्तनपान कराती थी....
विक्रम – मुझे क्या जो करना है करो बस मुझे पड़ने दो अभी...
सुमित्रा – (अपने पति को परेशान करते हुए छेड़ते हुए) अच्छा ठीक है जी जेठ जी के पास जा रही हु आज खाना भी काम खाए थे उन्हे पीला के आई...(और मन ही मन बहुत हस दी) (हा सुमित्रा को अपने पति को इसे परेशान करना पड़ा भाता था और ऐसा करने से गुस्सा हो के विक्रम भी अपनी शर्म तोड़ उसे अच्छे से निचोड़ निचोड़ के चोदता था)
विक्रम – क्या बोल रही हो यार तुम...कुछ तो शर्म करो दो बच्चो की मां हो... तुम्हे ऐसा हसी मजाक अब सोभा नहीं देता...
सुमित्रा – में मजाक नहीं कर रही मेरे भोले पति देव...(गंभीरता भरे स्वर में बोली) वो भी तो जेठानी जी के जाने के बाद अकेले है..और आप भी बोलते ही भईया का खास ख्याल रखूं...अब उनका हे ही कोन....
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विक्रम – (अपने बड़े भाई की बहोत इज्जत और प्यार करता था इस लिए और उसकी किताबो की कहानी ने उसे इतना गुस्सा नही होने दिया... लेकिन वो अपनी पत्नी के मुंह से ये सुन बहोत अथिक सदमे में पहुंच गया और निराश होकर बोला) जैसा तुम्हे ठीक लगे सूरज की मां...
सुमित्रा को भी बुरा लगा उसके पति को इसे देख वो...एक दम से उसके पति के उपर चढकर लेट गई और विक्रम की बाहों में घुस गई...और विक्रम को यहां चूम के बोली....
सुमित्रा – कितने भोले हो आप...इतने साल हो गई एक मजाक भी नही समझ पाते...
विक्रम – (राहत की शास लेता हुआ अपनी फूल सी पत्नी को अपनी बाहों में अर्ध नंगी देख...उसे अपनी और खींच.. सुमित्रा के गुलाबी गालों को चूम के फिर मरोड़ के प्यार करता हुआ बोला) मेरी नटखट बदमाश सूरज की मां...
कुछ देर दोनो एक दुसरे को सहलाते हुए प्यार में डूब गई...
दोनो किसी नाग नागिन जैसे एक दूसरे से चिपक गई थे...
सुमित्रा – (सुमित्रा अपनी टांगे अपनी पति पर चढ़ा के) आह सूरज के पापा आज कितने महीनो बाद आप ने मुझे अपनी बाहों में आने दिया हे...आप इतना क्यों तड़पा रहे हो मुझे...में काम आग में जल न जाऊ....
विक्रम सुमित्रा को थोड़ा सा अपनी बाहों से बाहर निकल बोला...
विक्रम – सूरज की मां पता नही लेकिन आज कल तुम पहले से भी ज्यादा गरम रहने लगी हो क्या हुआ ही तुम्हे... उम्र के साथ तुम्हारी काम इच्छा और बड़ रही है... देखो तो इन्हें लगता है जैसे और बड़े और कस गई हो...और विक्रम सुमित्रा के काम आग में एक दम कस चूक स्तनों को सहला देता है....
सुमित्रा – आह आह जी अपना बना लो सूरज के पापा कितने महीनो से आप ने ठीक से हाथ तक नहीं लगाया... देखिए ना कितने अथिक संवेदनशील हो गई है... आह जैसे आप का... उह.... आह...
विक्रम ने अब बाते न करना सही समझा और वो सुमित्रा के पहले से खुले बटन ब्लाउज को और खोल एक अंगूर के दाने जैसे निपल को अपने मुंह में भर... सुमित्रा का पेटीकोट उसकी कमर तक ऊपर ले आया...
सुमित्रा को अपने पति का हाथ अपनी गीली योनि पे महसूस हुआ और उसकी धड़कने तेज हो उठी... विक्रम को भी अपनी पत्नी के स्तन पीने में बड़ा आंनद आ रहा था...वो बीच में निप्पल को काट लेता और सुमित्रा की तेज आह बाहर तक पहुंच जाती...अब विक्रम ने एक उंगली भी अपनी पत्नी की योनि में उतार दी थी....सुमित्रा काम आग में इतना पागल हो गई की भूल ही गई की उसके घर में एक और मर्द भी सो रहा था...
विक्रम अब अपना लिंग बाहर निकल धीरे से सुमित्रा की योनि पे रख देता है और कुछ देर रुक के बोला...कमरे में एक दम शांति हो गई...
विक्रम – भग्व्यवान तैयार रहो...आवाज इतना मत करना...
सुमित्रा अपनी योनि पर घिस रहा था उसमे में ही डर गई थी ...
सुमित्रा – सूरज के पापा आप इतने समय बाद करते हो तो ये फिर से कस जाती है में क्या करू...अब धीरे से अंदर करो... आह...
सुमित्रा – सूरज के पापा बस कीजिए में मर जाउंगी डालिए भी अब...ये क्या क्या करते हो आप...किताबे कम पड़े... आह...
सुमित्रा – अह्ह्ह्ह आह आऊउच...सूरज के पापा निकल दो... आह में मर न जाऊं...
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सूरज की मां के हाव भाव इतने कामुक थे की आप का लिंग उसके लिए एक बार में खड़ा हो उठे आप खुद ही देखे...साथ में दोनो अपनी महीनो की आग को बुझाने के लिए एक दुसरे को चूम रहे थे सहला रहे थे...
दोनो पति पत्नी अपने चरम सुख प्राप्त कर एक दूसरे में समां गई...और जब सो गई उन्हे भी पता न चला....
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Very erotic
ThnksHot update
Shandar super hot updateUpdated 04
उस रात जब सूरज और पारुल घर से निकले थे...गांव में....
सुमित्रा अपने घर के काम कर उसके कमरे की और जाने लगी... बाहर हल्की हल्की बारिश चालू थी.. मौसम में एक बदामोशी सी छाई हुई है...उसकी आंखों में चमक थी...वो कमरा खोल अंदर आते ही पहले खिड़की दरवाजे बंद कर.. अपने पति की और प्यार से देखते हुए एक एक कर अपनी सारी को अपने गोरे मखमले बदन से अलग कर दी... सुमित्रा किसी अप्सरा से अधिक कामुकता कमरे में फेला रही थी जैसे अपने पति की सालो की तपस्या उसे आज तोड़नी हो...
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सूरज की मां को वो रात रात याद आ गई जब शादी के पूरे 6 महीनो बाद जब उसके पति ने उसके साथ कोई संबंध न बनाया वो कैसे खुद ही अपनी मां की सिखाई बात के मुताबिक अपने ब्लाउस को खुला कर उसके पति के पास सो गई थी और फिर जैसे तैसे उसके गुस्सेल सख्त लेकिन एक दम न समझ और सरमले औरतों के साथ... उन्होंने उसके स्तनों को हाथ लगाया और फिर... तो विक्रम अपनी पत्नी की जवानी देख पागल हुआ और सुमित्रा की थोड़ी साथ सहकार से पहला मिलन कर बैठा....
पति को पड़ने देते हुए सुमित्रा अपने ब्लाउज के कुछ बटन खोल उसके पति की और हो कर लेट गई... और पेटीकोट घुटनों तक ले आई...अगर कोई और होता तो अभी तक सुमित्रा को निचोड़ के रख दिया होता...
अब था तो विक्रम भी एक मर्द ही... हा अंदर से बहोत कामुक कल्पनाएं करता था.. पर अपनी पत्नी के साथ किताबो और फिल्मों में जैसे करते हे वैसे उसे संभोग क्रिया करने में मन ही मन सपने देखता पर... सूरज के पापा थे एक दम सरमिले औरतों के साथ... कभी अपनी पत्नी को भी सभोग के लिए बोल नही पाते...नही वो सामने से इस में दीनचस्पी दिखाते... उन्होंने एक ऐसी छवि बना रखी थी बाहर निकल की वो अब बंद कमरे में अपनी पत्नी के साथ भी वैसे ही रहते जैसे बड़े संत महात्मा हो...लेकिन वो थे नही...और ये बात बिचारी सूरज की मां को भी न पता थी... नहीं तो वो इतने सालो से अपनी काम इच्छा को हर रोज मार न देती....
विक्रम का लिंग उसे उत्तेजित करने लगा था फिर भी वो अपने स्वभाव में के कारण पत्नी ने खुले ब्लाउज में से बाहर आ रहे स्तन को देख बोला
विक्रम – ये क्या है... तुम्हे कितनी बार बोलूं... कपड़े सही कर के सोया करो कोई देख लेगा तो क्या इज्जत रह जाएगी...
सुमित्रा – (नाराजगी और कामुकता के साथ) कोई नही देख रहा उन्हे... दरवाजा खुला थोड़ी है..और वैसे भी घर में सिर्फ जेठ जी है... देखिए ना जी इन्हे..(ब्लाउज के और बटन खोल के) कितने भारी हो गई है दर्द हो रहा है आप जरा देखिए तो कही फिर से दूध तो नहीं आने लगा..(हस के बोली)
विक्रम – (विक्रम के मुंह में पानी आने लगा था उसकी पत्नी के सुडोल स्तन महीनो बाद देख..वाकई में स्तन और भारी लग रहें थे उसे) क्या भाग्यवान क्यू मजाक करती हो...(थोड़ा मजाक करते हुए) अगर तुम्हे दूध आ रहा हो तो अपने बेटे को पिला देना...(हस के)
सुमित्रा – (हस के) अगर आप को नही चाइए मेरा दूध तो सुरज को पीला दू...पर आज तो वो नही यहां...तो आप ही...
कही तो ये बात विक्रम ने मजाक में थी पर दुसरे ही पल उसके आखों के सामने उसका बेटा उसकी पत्नी की गोद में स्तनपान करता हुआ दिखने लगा...वो एक दम से उत्तेजित हो उठा...उसे अपनी किताब में पड़ी हुई एक कहानी याद आ गई जिस में एक मां अपने बेटे को बड़े होने तक स्तनपान कराती थी....
विक्रम – मुझे क्या जो करना है करो बस मुझे पड़ने दो अभी...
सुमित्रा – (अपने पति को परेशान करते हुए छेड़ते हुए) अच्छा ठीक है जी जेठ जी के पास जा रही हु आज खाना भी काम खाए थे उन्हे पीला के आई...(और मन ही मन बहुत हस दी) (हा सुमित्रा को अपने पति को इसे परेशान करना पड़ा भाता था और ऐसा करने से गुस्सा हो के विक्रम भी अपनी शर्म तोड़ उसे अच्छे से निचोड़ निचोड़ के चोदता था)
विक्रम – क्या बोल रही हो यार तुम...कुछ तो शर्म करो दो बच्चो की मां हो... तुम्हे ऐसा हसी मजाक अब सोभा नहीं देता...
सुमित्रा – में मजाक नहीं कर रही मेरे भोले पति देव...(गंभीरता भरे स्वर में बोली) वो भी तो जेठानी जी के जाने के बाद अकेले है..और आप भी बोलते ही भईया का खास ख्याल रखूं...अब उनका हे ही कोन....
विक्रम – (सुमित्रा की बातो को सच मान के एक दम मायूस होकर) क्या बोल रही हो तुम....
सुमित्रा – (मन में आज क्या हुआ इन्हे गुस्सा नही हो रहे) (वो अपना छेड़ना जारी रखती है) मौसी बोल रही थी पहले के समय गांव में ये सब होता था...अब जेठ जी को भी तो सहारा चाइए...
विक्रम – (अपने बड़े भाई की बहोत इज्जत और प्यार करता था इस लिए और उसकी किताबो की कहानी ने उसे इतना गुस्सा नही होने दिया... लेकिन वो अपनी पत्नी के मुंह से ये सुन बहोत अथिक सदमे में पहुंच गया और निराश होकर बोला) जैसा तुम्हे ठीक लगे सूरज की मां...
सुमित्रा को भी बुरा लगा उसके पति को इसे देख वो...एक दम से उसके पति के उपर चढकर लेट गई और विक्रम की बाहों में घुस गई...और विक्रम को यहां चूम के बोली....
सुमित्रा – कितने भोले हो आप...इतने साल हो गई एक मजाक भी नही समझ पाते...
विक्रम – (राहत की शास लेता हुआ अपनी फूल सी पत्नी को अपनी बाहों में अर्ध नंगी देख...उसे अपनी और खींच.. सुमित्रा के गुलाबी गालों को चूम के फिर मरोड़ के प्यार करता हुआ बोला) मेरी नटखट बदमाश सूरज की मां...
कुछ देर दोनो एक दुसरे को सहलाते हुए प्यार में डूब गई...
दोनो किसी नाग नागिन जैसे एक दूसरे से चिपक गई थे...
सुमित्रा – (सुमित्रा अपनी टांगे अपनी पति पर चढ़ा के) आह सूरज के पापा आज कितने महीनो बाद आप ने मुझे अपनी बाहों में आने दिया हे...आप इतना क्यों तड़पा रहे हो मुझे...में काम आग में जल न जाऊ....
विक्रम सुमित्रा को थोड़ा सा अपनी बाहों से बाहर निकल बोला...
विक्रम – सूरज की मां पता नही लेकिन आज कल तुम पहले से भी ज्यादा गरम रहने लगी हो क्या हुआ ही तुम्हे... उम्र के साथ तुम्हारी काम इच्छा और बड़ रही है... देखो तो इन्हें लगता है जैसे और बड़े और कस गई हो...और विक्रम सुमित्रा के काम आग में एक दम कस चूक स्तनों को सहला देता है....
सुमित्रा – आह आह जी अपना बना लो सूरज के पापा कितने महीनो से आप ने ठीक से हाथ तक नहीं लगाया... देखिए ना कितने अथिक संवेदनशील हो गई है... आह जैसे आप का... उह.... आह...
विक्रम ने अब बाते न करना सही समझा और वो सुमित्रा के पहले से खुले बटन ब्लाउज को और खोल एक अंगूर के दाने जैसे निपल को अपने मुंह में भर... सुमित्रा का पेटीकोट उसकी कमर तक ऊपर ले आया...
सुमित्रा को अपने पति का हाथ अपनी गीली योनि पे महसूस हुआ और उसकी धड़कने तेज हो उठी... विक्रम को भी अपनी पत्नी के स्तन पीने में बड़ा आंनद आ रहा था...वो बीच में निप्पल को काट लेता और सुमित्रा की तेज आह बाहर तक पहुंच जाती...अब विक्रम ने एक उंगली भी अपनी पत्नी की योनि में उतार दी थी....सुमित्रा काम आग में इतना पागल हो गई की भूल ही गई की उसके घर में एक और मर्द भी सो रहा था...
विक्रम अब अपना लिंग बाहर निकल धीरे से सुमित्रा की योनि पे रख देता है और कुछ देर रुक के बोला...कमरे में एक दम शांति हो गई...
विक्रम – भग्व्यवान तैयार रहो...आवाज इतना मत करना...
सुमित्रा अपनी योनि पर घिस रहा था उसमे में ही डर गई थी ...
सुमित्रा – सूरज के पापा आप इतने समय बाद करते हो तो ये फिर से कस जाती है में क्या करू...अब धीरे से अंदर करो... आह...
सुमित्रा – सूरज के पापा बस कीजिए में मर जाउंगी डालिए भी अब...ये क्या क्या करते हो आप...किताबे कम पड़े... आह...
सुमित्रा – अह्ह्ह्ह आह आऊउच...सूरज के पापा निकल दो... आह में मर न जाऊं...
लिंग के योनि में प्रवेश के साथ ही सुमित्रा की ऐसी स्थिति हो उठी जैसे पहली बार अपनी सील टूटका रही हो... दुसरे कमरे में सो रहा उसका जेठ भी अपनी नींद से उठ खड़ा हुआ और अपनी भाभी (बहु) के कामुक सिसकारियां सुन अपने लिंग को पकड़ हस्त मैथुन करने से खुद को रोक न सका...और पानी निकलते ही पछतावे में डूब गया...वही सुमित्रा का दर्द से हाल बेहाल था जो धीरे धीरे कर एक मीठे दर्द में बदल गया... हा थी तो दो बच्चो की मां ही...
हर धक्के के साथ सूरज की मां एक कामुक दर्द भरी आह से पूरे घर को उत्तेजित कर देती...भालो से भरी छूत में आज एक लिंग उसकी खुजली मिटा रहा था...
सूरज की मां के हाव भाव इतने कामुक थे की आप का लिंग उसके लिए एक बार में खड़ा हो उठे आप खुद ही देखे...साथ में दोनो अपनी महीनो की आग को बुझाने के लिए एक दुसरे को चूम रहे थे सहला रहे थे...
दोनो पति पत्नी अपने चरम सुख प्राप्त कर एक दूसरे में समां गई...और जब सो गई उन्हे भी पता न चला....