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Incest घर की ज़िमेदारी

आप की पंसदीता लड़की/औरत

  • सुमित्रा

    Votes: 4 50.0%
  • पारुल

    Votes: 4 50.0%
  • नेहा

    Votes: 0 0.0%

  • Total voters
    8
231
244
44
Update 06

*Flashback Continue*

धीरे धीरे ही सही पर सूरज का दिल भी प्यारी और चुलबुली नेहा के लिए धड़कने लगा था...पर अभी तक उसे नेहा एक प्रीमिका के रूप में नहीं दिख रही थी...नेहा का स्वभाव भी एक दम बच्चे कैसा था...और उसकी बाते भी...लेकिन उसकी मीठी मीठी बातें सुनना सूरज को बड़ा भाता...नेहा तो हर दिन सुरज के प्यार में पागल हुए जा रही थी...पर उसे ये समझ न आ रहा था की इतने करीब होते हुए भी वो इतने दूर क्यों है... क्यों वो उसे अपनी बाहों में भर प्यार करता..क्यों वो रात के अंधेरे में जब वो घूमने जाते ही तब उसे बाहों में भर उसके गुलाबी होठों को अपने होठों के बीच डाल चुंबन लेता...क्यों सूरज उसके मुलायम जिस्म को प्यार से सहलाता... आखिर उसके ऐसी क्या कमी है जो सूरज उसके करीब नहीं आता...अपनी नादानी में नेहा हर मुनकिन कोसिस करती है जिस से सूरज को अपने करीब कर पाई... नेहा अब घर जाते हुए हर बार सूरज को आलिंगन करती...पर सूरज उसे वैसे कभी नहीं देख रहा था... वही सूरज को नेहा की ऐसी हरकतें बड़ी प्यारी लगती पर वो उसे अभी तक बस अपनी प्यारी चुलबुली दोस्त ही मानता था...



एक दिन.....नेहा ने घर में...

नेहा – मम्मा में नहीं पहन रही है सब...

नेहा की मम्मी – नेहू पहन लेना पापा को अच्छा लगेगा आप के लिए लाई थे और आप ने अभी तक नही पहना ये ड्रेस....

नेहा – मम्मी प्लीज अब आप मुझे इमोशनल ब्लैकमेल न करे.. कितना अजीब लगेगा ये...सब हसेंगे ना...

नेहा की मम्मी ड्रेस उसके आगे कर उसके दिखाते हुए नहीं बेटा इस में तो मेरी बच्ची कितनी प्यारी लगेगी...एक बार पहन के तो देख....

नेहा बड़ा चिड़ते हुए ड्रेस पहन ली..."देखो ना मम्मी कितना बड़ा है" "बड़ा नही है पागल तेरे ये सब कपड़े छोटे है" (नेहा में छोटे छोटे ब्रा शॉर्ट्स हाथ में लेके उसकी मां बोली)

नेहा की मम्मी उसे स्वदेशी कपड़ो में देख बड़ा खुश होते हुए उसे गले से लगा के माथे पे चूम एक छोटी सी बिंदी लगाकर बोली "मेरी बेटी आज लग रही है जिसे बड़ी हो गई हो... किसी की नजर न लगे"

नेहा भागते हुए बाहर जाने लगी की मां ने उसे रोक एक सोने का हार उसके गले में डाल दिया "बस यही कमी थी अब लग रही हो एक दम राजकुमारी"

आज नेहा की छुट्टी थी (वहा कोई लोकल त्योहार था) वो खेलने के लिए अपने दोस्तो के साथ चली गई..उसके कुच दोस्त उसे चिड़ा रहे थे...तो वो तंग आके एक तरफ होंके बैठी हुई थी की...

सूरज को आज भी ऑफिस जाना था वो रोज़ के जैसे ही काम के लिए अपने समय पे निकला... गई भरे पेड़ो के बीच एक रास्ता था वही से वो निकला...वही गार्डन भी था...ये सुबह का सुनहरा समय था... मुबई की बीन बुलाई हल्की हल्की बारिश से मौसम ठंडा था... वहा की ठंडी ठंडी लहरे सूरज को हर्षो उलाश से भर रही थी...उसकी आंखो में आज एक अलग ही नशा था...वो जैसे इस मदहोशी भरे मोशम में पूरी तरार खोया हुआ अपने कानो में गाने सुनता हुआ आगे बड़ रहा था...

तभी सूरज को सामने से एक लड़की आते हुए दिखी...और तभी गाना शुरू हुआ...

"पहला नशा, पहला खुमार
नया प्यार है नया इंतज़ार
कर लूँ मैं क्या अपना हाल
ऐ दिल-ए-बेक़रार
मेरे दिल-ए-बेक़रार तू ही बता

सूरज वही टहर गया..उसके लिए जैसे सब रुक गया..वो बस बिना पलखे जबकाए सामने से आ रही नेहा को एक टक निहारता रहा...

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उसे अपनी आंखो मे बस नेहा के ये नया रूप दिख रहा था..आज सूरज नेहा को देख पहली नजर में ही अपना दिल दे चुका था...इतने दिन से दिल में किसी कोने में पनप रहे नेहा के लिए प्यार आज एक साथ बाहर निकलने लगा था..सूरज कुछ बोलने लायक नही रहा था...और नेहा भी अब सूरज के बिलकुल पास आके खड़ी थी...वो सुरज को इस खुद को घूरता देख शर्म से लाल हो गई...उसे यकीन नही हो रहा था की सूरज उसे ऐसे देख रहा था...उसकी सारी उदासी कहा गई उसे भी पता न चला...पहले तो सुरज कुछ नही बोला फिर...

सूरज के मुंह से निकल गया "खूबसूरत..."

नेहा – क्या क्या... सच में...क्या में...आप को...(वो हड़बड़ा रही थी) (और पहली बार नेहा इतना शरमा रही थी)

सूरज – (थोड़ा खुद को सहज कर के) ये तुम ही होना.. मुझे तो यकीन नहीं हो रहा...सच में तुम्हे पहले तो पहचान ही नही पाया....

कुछ बाते कर सूरज जाने के ऑफिस के लिए बोला तो नेहा पहले आस पास नजर लगा के फिर जट से सूरज की बाहों में आ गई...पहली बार सूरज को नेहा का आलिंगन उत्तेजित करने लगा...वो नेहा के सीने को आज पहली बार अपने सीने पे पूरी तरह महसूस कर रहा था...वो डराता हुए की उन्हें कोई देख न ले नेहा को कस के गले से लगाया और उस से कद में छोटी नेहा को कुछ इंच कहा में उठा लिया.. सूरज का दिल ही नहीं हो रहा था न नेहा की दोनों एक दूसरे से अलग हो....

लेकिन कुछ सेकंड में दोनो अपने अपने रास्ते चले गई... सूरज का आज काम में बिल्कुल मन नहीं लग रहा था..उसे आज अपना पहला प्यार जो मिल गया था...वो नेहा के बारे में पूरा दिन सोचता रहता है...वही नेहा का हाल भी यही था...और अब नेहा समझ गई थी की सुरज को उसका ये रूप कितना अच्छा लगा था....

नेहा उसकी मां से बोल देती है की उसे और भी ड्रेस लेनी ऐसी...और उसकी मां एक पल में समझ गई अपनी बेटी को देख की उसके दिल में कोई लड़का बस चुका है...

और वो दिन भी आ गया जब सूरज ने अपने दिल कि बात नेहा को बोल दी...दोनो अब दो जिस्म एक जान थे...एक दूसरे का साथ दोनों को एक सुकून दे रहा था... सूरज के पास कितने मौके थे पर वो नेहा के साथ शादी से पहले कोई शारीरिक संबंध बनाने के विरुद्ध था... नही तो नेहा जेसी नादान भोली लड़की को यौन संबंध का कोई खास ज्ञान नहीं था... हा वो जानती सब थी पर उसके दिल में कोई अश्लिंता नहीं थी...

और कुछ महीनो में सूरज एक फ्लैट पास में लेता है ताकि वो कभी कभी नेहा के साथ अकेले में खुल के वक्त बिता पाई... अक्सर नेहा यहां उसकी एक सहेली के घर आने के बहाना बना के आती ओ सुरज की बाहों में घंटो पड़ी रहती...

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सूरज नेहा को एक बच्ची जैसे अपनी बाहों में भर इतना प्यार देता की बिचारी नेहा न जाने कितनी बार जाने अंजाने में अपनी कच्छी गीली कर देती...

और फिर वो समय आया जब सुरज अपन घर गया और एक और उसकी शादी हो गई...और नेहा इन सब से बेखबर थी...और अब आगे क्या होगा देखते हे.......




***प्रेजेंट समय***

सूरज – भाभी आप तैयार हो जाओ...नेहा के पापा से मिलने जाना है....

पारुल – ठीक है में आप बैठिए में अभी आई...

सूरज –(अपनी भाभी का हाथ पकड़ उसे रोक लिया) (पारुल डर के पानी पानी हो चुकी थी लेकिन सूरज का इस कोई इरादा नहीं था) भाभी प्लीज आप मुझे नाम से बुलाओ न पहले जैसे ही....(पारुल ने राहत की शास लि)

पारुल – नही में आप को नाम लेके नही बुला सकती हु अब...हम माने न माने आप मेरे पति हो अब...

सूरज – (ये सब मजाक में लेते हुए) भाभी ठीक है जैसी आप की मर्जी लेकिन हमे बड़ा अजीब लगता है...

पारुल कुछ बोले बिना अंदर चली गई...पारुल अपने कपड़े निकाल के खड़ी थी की वो अचानक रुक गई...पारुल के सीने पे एक निशान बना हुआ था जैसे की किसी ने वहा काटा हो... पारुल के कानो में तेज तेज आवाजे आने लगी.."इसके आम आम तो देखो bho*** valo..." "भाभी आप का तो दूध भी आता होगा ha ha"

पारुल की जोर से चीख निकल गई " नही.....नही.... ऐसा मत करो....विक्रम...."

सूरज डर के मारे अपनी भाभी के कमरे के बाहर आके जोर से आवाज दी "भाभी क्या आप को आप ठीक हैं"


पारुल अचानक होस में आते हुए बोली "हा में ठीक हु चिपकलित थी" अभी आई

….....वही गांव में सुमित्रा की नींद आज काफी देर से खुली...उठ के खुद की हालत देख वो बड़ी शरमा गई...पूरी नंगी होकर जो सो गई थी..."पागल सुमित्रा कोई देख लेता तो केसे सो रही है तू देख अपने हालत को..." तभी सुमित्रा की नजर अपने कमरे के दरवाजे पर गई...दरवाजा पूरा खुला था...और उसके बदन पे अभी एक कपड़ा नहीं था...वो सरम से पानी पानी हुए जा रही थी...उसके दिमाग में एक ख्याल आया और सुमित्रा की योनि से अपना बंद तोड़ दिया...और पलंग की चादर भी गीली हो उठी...

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वो जट से अपने बदन सिने पे अभी तक लटक रहे ब्लाउज के बटन बंद करने लगी....और तुरत ही अपने पैरो मे पड़े पेटीकोट को उठा के अपनी कमर तक ले आई और एक दम से खड़ी हुई और अपने बिखरे बाल सही करते हुए...ही जोर से आवाज देने लगी...सूरज के बापू...(बहुत जोर से गुस्से में)

सुमित्रा को कोई जवाब न मिला तो वो और गुस्से से चिल्ला उठी... तभी एक आवाज आई और सुमित्रा और डर गई और उसकी योनि पानी पानी होने लगी...

सुमित्रा का जेठ – बहु विक्रम तो खेतो में चला गया...

सुमित्रा आगे कुछ नही बोली और नहा धोकर खेतो में चल दी...उसकी चाल में एक उछाल था जिस से उसके स्तन ऊपर नीचे हो रहे थे जिसे गांव के कुछ बच्चे देख उत्तेजित हो रहे थे...

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विक्रम के पास जाके सुमित्रा उसे खरी खोटी सुनाने लगी...वो अपना सारा गुस्सा निकल रही थी...वही कुछ मजबूर दूर से उनकी मालकिन के हुस्न का पूरा लुफ्त उठा रहे थे उन्हे सुमित्रा की पूरी नंगी पीठ दिखाई दे रही थी uske बैकलेस ब्लाउज में....

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विक्रम – अरे मैरी मां बस कर...हो गई गलती ना...सब के सामने क्यों इज्जत का पानी करती हो... जरा खुद को देखो कैसे कैसे ब्लाउज पहन रही हो तुम...देखो कैसे सब तुम्हे ही घूर रहे है...कोई इज़्ज़त नही रही मेरी अब...क्या बोलते होंगे सब की छी... जरा पल्लू तो सही रखो...

सुमित्रा अपने पति की बात को समझ रही थी...सच में सब उसकी नंगी पीठ को ही निहार रहे थे...वो फिर से शर्म से पानी पानी हो उठी...वो अपनी सारी से अपनी नंगी पीठ और कमर को छुपा दी...और धीरे से बोली गुस्से में...

सुमित्रा – सब आप की गलती हे...न दरवाजा खुला छोड़ के आते न में गुस्से में यहां इसे आती...और उसके आखों से आशु निकल गई...

विक्रम उसे प्यार से एक तरफ ले गया जहा उन्हें कोई न देखे फिर उसे गले से लगाया और बोला..."इतना क्यों सोच रही हो सूरज की मां... घर में कोई नहीं था...बच्चे कहा ही अभी यहां"

सुमित्रा – और आप के बड़े भाई...

विक्रम के आखों में कुछ आ गया और वो भी एक दम अजीब सी सोच में चला गया और फिर बोला...

विक्रम – तुम भी ना वो घर के बड़े है... तुम को क्या भईया पे भरोसा नही...वो तो तुम से बात करते हुए भी नही देखते है...और उनके होते हुए कोई नही आ सकता समझ घर में...

सुमित्रा – नही मुझे पूरा विश्वास है...पर वो घर के बड़े है आप को आगे से ध्यान रखाना होगा...अब सूरज भी रहेगा... इसी गलती फिर से माफ नही करूंगी में....

विक्रम कुछ याद कर के फिर से बोला...

विक्रम – (सुमित्रा के कान में) वैसे कोई देख लेता तो उसका तो काम तमाम हो गया होता.. भाग्यवान तुम्हारी खूबसूरती उम्र के साथ बड़ ही रही है...(पेट को सहलाते हुए) सुमित्रा की योनि एक बार फिर से गर्म गर्म काम रस रिज दी...

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सुमित्रा की योनि लगातार काम रस रिज रही थी...की अचानक ही उसे कुछ याद आया...और वो गंभीर स्वर से में रोते हुए बोली....

सुमित्रा – आप को बस मजाक सूझ रहा है...भूल गई क्या हुआ था बहु के साथ और फिर...

विक्रम भी गंभीर हो गया और सुमित्रा से माफी मांग उसे चुप कराने लगा...
Bhai mast update tha ab zara dono dewar bhabhi ka romance bhi shuru karwao🥵🥵
 
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rhyme_boy

Well-Known Member
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Bhai abhi tak saare update padhe.....maza aa gaya story mein... Bohot hi mast chal rahi hai....
Romance, sex, pyar, relations, sab bhara hua hai..

Akhir Vikram ki maut kese hue aur Parul ke nishan kesa hai.. ye dekhna hoga
 
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