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Adultery घर की बहू

Coquine_Guy

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ये कहानी मुझे अच्छी लगी .. इसीलिए इसको यहां पोस्ट कर रहा हूँ ताकि आप लोग भी पढ़े और मज़ा उठाएं
 
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Coquine_Guy

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उसके शरीर की सेक्स की भूख को ठंडा कर दे उसकी कामाग्नी को ठंडा करे बस भीमा उसको इस तरह से अपना साथ देता देखकर और भी गरमा गया था उसके धोती के अंदर उसका पुरुष की निशानी अब बिल्कुल तैयार था अपने पुरुषार्थ को दिखाने के लिए भीमा अब सबकुछ भूल चुका था उसके हाथ अब कामया के गालों को छूते हुए होंठों तक बिना किसी झिझक के पहुँच जाते थे वो अपने हाथों के सपर्श से कामया की स्किन का अच्छे से छूकर देख रहा था उसकी जिंदगी का पहला एहसास था वो थोड़ा सा झुका हुआ था ताकि वो कामया को ठीक से देख सके कामया भी चेहरा उठाए चुपचाप भीमा को पूरी आजादी दे रही थी कि जो मन में आए करो और जोर-जोर से सांस ले रही थी भीमा की कुछ और हिम्मत बढ़ी तो उसने कामया के कंधों से उसकी चुन्नी को उतार फैका और फिर अपने हाथों को उसके कंधों पर घुमाने लगा उसकी नजर अब कामया के ब्लाउज के अंदर की ओर थी पर हिम्मत नहीं हो रही थी एक हाथ एक कंधे पर और दूसरा उसके गालों और होंठों पर घूम रहा था

भीमा की उंगलियां जब भी कामया के होंठों को छूती तो कामया के मुख से एक सिसकारी निकलजाति थी उसके होंठ गीले हो जाते थे भीमा की उंगलियां उसके थूक से गीले हो जाती थी भीमा भी अब थोड़ा सा पास होकर अपनी उंगली को कामया के होंठों पर ही घिस रहा था और थोड़ा सा होंठों के अंदर कर देता था

भीमा की सांसें जोर की चल रही थी उसका लिंग भी अब पूरी तरह से कामया की पीठ पर घिस रहा था किसी खंबे की तरह था वो इधर-उधर हो जाता था एक चोट सी पड़ती थी कामया की पीठ पर जब वो थोड़ा सा उसकी पीठ से दायां या लेफ्ट में होता था तो उसकी पीठ पर जो हलचल हो रही थी वो सिर्फ़ कामया ही जानती थी पर वो भीमा को पूरा समय देना चाहती थी भीमा की उंगली अब कामया के होंठों के अंदर तक चली जाती थी उसकी जीब को छूती थी कामया भी उत्तेजित तो थी ही झट से उसकी उंगली को अपने होंठों के अंदर दबा लिया और चूसने लगी थी कामया का पूरा ध्यान भीमा की हरकतों पर था वो धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था वो अब नहीं रुकेगा हाँ … आज वो भीमा के साथ अपने शरीर की आग को ठंडा कर सकती है वो और भी सिसकारी भरकर थोड़ा और उँचा उठ गई भीमा के हाथ जो की कंधे पर थे अब धीरे-धीरे नीचे की ओर उसकी बाहों की ओर सरक रहे थे वो और भी उत्तेजित होकर भीमा की उंगली को चूसने लगी भीमा भी अब खड़े रहने की स्थिति में नहीं था

वो झुक कर अपने हाथों को कामया की बाहों पर घिस रहा था और साथ ही साथ उंगलियों से उसकी चुचियों को छूने की कोशिश भी कर रहा था पर कामया के उत्तेजित होने के कारण वो कुछ ज्यादा ही इधर-उधर हो रही थी तो भीमा ने वापस अपना हाथ उसके कंधे पर पहुँचा दिया और वही से धीरे से अपने हाथों को उसके गले से होते हुए उसकी चुचियों पहुँचने की कोशिश में लग गया उसका पूरा ध्यान कामया पर भी था उसकी एक ना उसके सारी कोशिश को धूमिलकर सकती थी इसलिए वो बहुत ही धीरे धीरे अपने कदम बढ़ा रहा था कामया का शरीर अब पूरी तरह से भीमा की हरकतों का साथ दे रहे थे वो अपनी सांसों को कंट्रोल नहीं कर पा रही थी तेज और बहुत ही तेज सांसें चल रही थी उसकी उसे भीमा के हाथों का अंदाजा था कि अब वो उसकी चूची की ओर बढ़ रहे है उसके ब्लाउज के अंदर एक ज्वार आया हुआ था उसके सांस लेने से उसके ब्लाउज के अंदर उसकी चूचियां और भी सख़्त हो गई थी निपल्स तो जैसे तनकर पत्थर की तरह ठोस से हो गये थे वो बस इंतजार में थी कि कब भीमा उसकी चूचियां छुए और तभी भीमा की हथेली उसकी चुचियों के उपर थी बड़ी बड़ी और कठोर हथेली उसके ब्लाउज के उपर से उसके अंदर तक उसके हाथों की गर्मी को पहुँचा चुकी थी कामया थोड़ा सा चिहुक कर और भी तन गई थी भीमा जो कि अब कामया की गोलाईयों को हल्के हाथों से टटोल रहा था ब्लाउज के उपर से और उपर से उनको देख भी रहा था और अपने आप पर यकीन नहीं कर पा रहा था कि वो क्या कर रहा था सपना था कि हकीकत था वो नहीं जानता था पर हाँ … उसकी हथेलियों में कामया की गोल गोल ठोस और कोमल और नाजुक सी रूई के गोले के समान चुचियाँ थी जरूर वो एक हाथ से कामया की चुचियों को ब्लाउज के ऊपर से ही टटोल रहा था या कहिए सहला रहा था और दूसरे हाथ से कामया के होंठों में अपनी उंगलियों को डाले हुए उसके गालों को सहला रहा था वो खड़ा हुआ अपने लिंग को कामया की पीठ पर रगड़ रहा था और कामया भी उसका पूरा साथ दे रही थी कोई ना नुकर नहीं था उसकी तरफ से कामया का शरीर अब उसका साथ छोड़ चुका था अब वो भीमा के हाथ में थी उसके इशारे पर थी अब वो हर उस हरकत का इंतजार कर रही थी जो भीमा करने वाला था

भीमा अपना सुध बुध खोया हुआ अपने सामने इस सुंदर काया को अपने हाथों का खिलोना बनाने को आजाद था वो चुचियों को तो ब्लाउज के ऊपर से सहला रहा था पर उसका मन तो उसके अंदर से छूने को था उसने दूसरे हाथ को कामया के गालों और होंठों से आजाद किया और धीरे से उसके ब्लाउज के गॅप से उसके अंदर की डाल दिया मखमल सा एहसास उसके हाथों को हुआ और वो बढ़ता ही गया
जैसे-जैसे उसका हाथ कामया के ब्लाउज के अंदर की ओर होता जा रहा था वो कामया से और भी सटताजा रहा था अब दोनों के बीच में कोई भी गॅप नहीं था कामया भीमा से पूरी तरह टिकी हुई थी या कहिए अब पूरी तरह से उसके सहारे थी उसकी जाँघो से टिकी अपने पीठ पर भीमा चाचा के लिंग का एहसास लेती हुई कामया एक अनोखे संसार की सैर कर रही थी उसके शरीर में जो आग लगी थी अब वो धीरे-धीरे इतनी भड़क चुकी थी कि उसने अपने जीवन काल में इस तरह का एहसास नहीं किया था
वो अपने को भूलकर भीमा चाचा को उनका हाथ अपने ब्लाउसमें घुसने में थोड़ा मदद की वो थोड़ा सा आगे की ओर हुई अपने कंधों को आगे करके ताकि भीमा चाचा के हाथ आराम से अंदर जा सके भीमा चाचा की कठोर और सख्त हथेली जब उसकी स्किन से टकराई तो वो और भी सख्त हो गई उसका हाथ अपने आप उठकर अपने ब्लाउज के ऊपर से भीमा चाचा के हाथ पर आ गया एक फिर दोनों और फिर भीमा चाचा का हाथ ब्लाउज के अंदर रखे हुई थी वो और भी तन गई अपने चूचियां को और भी सामने की और करके वो थोड़ा सा सिटी से उठ गई थी

भीमा ने भी कामया के समर्थन को पहचान लिया था वो समझ गये थे कि कामया अब ना नहीं कहेगी वो अब अपने हाथों का जोर उसके चुचियों पर बढ़ने लगे थे धीरे-धीरे भीमा उसकी चुचियों को छेड़ता रहा और उसकी सुडोलता को अपने हाथों से तोलता रहा और फिर उसके उंगलियों के बीच में निपल को लेकर धीरे से दबाने लग ा
उूुुुुुउऊह्ह कामया के मुख से एक लंबी सी सिसकारी निकली

कामया- ऊऊह्ह पल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लीीआआआआअसस्स्स्स्स्स्सीईईई आआआआआह् ह

भीमा को क्या पता क्या बोल गई थी कामया पर हाँ उसके दोनों हाथों के दबाब से वो यह तो समझ ही गया था कि कामया क्या चाहती थी उसने अपने दोनों हाथों को उसके ब्लाउज के अंदर घुसा दिया इस बार कोई ओपचारिकता नहीं की बस अंदर और अंदर और झट से दबाने लगा पहले धीरे फिर थोड़ा सा जोर से इतनी कोमल और नरम चीज आज तक उसके हाथ में नहीं आई थी वो अपने आप पर विश्वास नहीं कर पा रहा था वो थोड़ा सा और झुका और अपने बड़े और मोटे-मोटे होंठों को कामया के चिकने और गुलाबी गालों पर रख दिया और चूमने लगा चूमने क्या लगा सहद जैसे चाटने लगा था पागलो जैसी स्थिति थी भीमा की पाने हाथों में एक बड़े घर की बहू को वो शरीर रूपसे मोलेस्ट कर रहा था और कामया उसका पूरा समर्थन दे रही थी कंधे का दर्द कहाँ गया वो तो पता नहीं हाँ पता था तो बस एक खेल की शुरूरत हो चुकी थी और वो था सेक्स का खेल्ल शारीरिक भूख का खेल एक दूसरे को संत्ुस्त करने का खेल एक दूसरे को समर्पित करने का खेल कामया तो बस अपने आपको खो चुकी थी भीमा के झुक जाने की बजाह से उसके ब्लाउज के अंदर भीमा के हाथ अब बहुत ही सख़्त से हो गये थे वो उसके ब्लाउज के ऊपर के दो तीन बाट्टों को टाफ चुले थे दोनों तरफ के ब्लाउज के साइड लगभग अब उसका साथ छोड़ चुके थी वो अब बस किसी तरह नीचे के कुछ एक दो या फिर तीन हुक के सहारे थे वो भी कब तक साथ देंगे पता नहीं पर कामया को उससे क्या वो तो बस अपने शरीर भूख की शांत करना चाहती थी इसीलिए तो भीमा चाचा को उसने अपने कमरे में बुलाया था वो शांत थी और अपने हाथों का दबाब भीमा के हाथों पर और जोर से कर रही थी वो भीमा के झुके होने से अपना सिर भीमा के कंधे पर टिकाए हुए थी वो शायद सिटी को छोड़ कर अपने पैरों को नीचे रखे हुए और सिर को भीमा के कंधे पर टिकाए हुए अपने को हवा में उठा चुकी थी
 

Coquine_Guy

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भीमा तो अपने होंठों को कामया के गालों और गले तक जहां तक वो जा सटका था ले जा रहा था अपने हाथों का दबाब भी वो अब बढ़ा चुका था कामया के चूचियां पर जोर जोर-जोर से और जोर से की कामया के मुख से एक जोर से चीत्कार जब तक नहीं निकल ग ई
कामया- ईईईईईईईईईईईई आआआआआअह्ह उूुुुउउफफफफफफफफफफफफ्फ़
और झटक से कामया के ब्लाउसने भी कामया का साथ छोड़ दिया अब उसकी ब्लाउस सिर्फ़ अपना अस्तितवा बनाने के लिए ही थे उसके कंधे पर और दोनों पाट खुल चुके थे अंदर से उसकी महीन सी पतली सी स्ट्रॅप्स के सहारे कामया के कंधे पर टीके हुए थे और ब्रा के अंदर भीमा के मोटे-मोटे हाथ उसके उभारों को दबा दबा के निचोड़ रहे थे भीमा भूल चुका था की कामया एक बड़े घर की बहू है कोई गॉव की देहाती लड़की नही या फिर कोई देहात की खेतो में काम करने वाली लड़की नहीं है पर वो तो अपने हाथों में रूई सी कोमल और मखमल सी कोमल नाजुक लड़की को पाकर पागलो की तरह अब उसे रौंदने लगा था वो अपने दोनों हाथों को कामया की चुचियों पर रखे हुए उसे सहारा दिए हुए उसके गालों और गले को चाट और चूम रहा था

उसका थूक कामया के पूरे चेहरे को भिगा चुका था वो अब एक हाथ से भीमा की गर्दन को पकड़ चुकी थी और खुद ही अपने गालों और गर्दन को इधर-उधर या फिर उचका करके भीमा को जगह दे रही थी कि यहां चाटो या फिर यहां चुमो उसके मुख और नाक से सांसें अब भीमा के चेहरे पर पड़ रही थी भीमा की उत्तेजना की कोई सीमा नहीं थी वो अधखुली आखों से कामया की ओर देखता रहा और अपने होंठों को उसके होंठों की ओर बढ़ाने लगा कामया भीमा के इस इंतजार को सह ना पाई और उसकी आखें भी खुली भीमा की आखों में देखते ही वो जैसे समझ गई थी कि भीमा क्या चाहता है उसने अपने होंठों को भीमा के हाथों में रख दिया जैसे कह रही हो लो चूमो चाटो और जो मन में आए करो पर मुझे शांत करो कामया की हालत इस समय ऐसी थी कि वो किसी भी हद तक जा सकती थी वो भीमा के होंठों को अपने कोमल होंठों से चूस रही थी और भीमा जो कि कामया की इस हरकत को नजर अंदाज नहीं कर पाया वो अब भी कामया की दोनों चुचियों को कसकर निचोड़ रहा था और अपने मुँह में कामया के होंठों को लेकर चूस रहा था वो हब्सियो की तरह हो गया था उसके जीवन में इस तरह की घटना आज तक नहीं हुई थी और आज वो इस घटना को अपने आप में समेट कर रख लेना चाहता था वो अब कामया को भोगे बगैर नहीं छोड़ना चाहता था वो भूल चुका था कि वो इस घर का नौकर है अभी तो वो सिर्फ़ और सिर्फ़ एक मर्द था और उसे भूख लगी थी किसी नारी के शरीर की और वो नारी कोई भी हो उससे फरक नहीं पड़ता था उसकी मालकिन ही क्यों ना हो वो अब नहीं रुक सकता .

कामया ऊपर से भीमा के होंठों से जुड़ी हुई अपने हाथों को वो भी भीमा के शरीर पर चला रही थी उसके हाथों में बालों का गुछा आ रहा था जहां भी उसका हाथ जाता बाल ही बाल थे और वो भी इतने कड़े कि काँटे जैसे लग रहे थे पर कामया के नंगे शरीर पर वो कुछ अच्छे लग रहे थे यह बाल उसकी कामुकता को और भी बढ़ा रहे थे भीमा की आखें बंद थी पर कामया ने थोड़ी हिम्मत करके अपनी आखें खोली तो भीमा के नंगे पड़े हुए शरीर को देखती रह गई कसा हुआ था मास पेशिया कही से भी ढीली नहीं थी थुलथुला पन नहीं था कही भी उसके पति की तरह पति की तरह भीमा में कोई कोमलता भी नहीं थी कठोर और बड़ा भी था बालों से भरा हुआ और उसके हाथ तो बस उसकी कमर के चारो और तक जाते थे कुछ जाँघो के बीच में गढ़ रहा था अगर उसका लिंग हुआ तो बाप रे इतना बड़ा भी हो सकता है किसी का उसका मन अब तो भीमा के लिंग को आजाद करके देखने को हो रहा था वो अपने को भीमा पर जिस तरह से घिस रही थी उसका पूरा अंदाज़ा भीमा को था वो जानता था कि कामया अब पूरी तरह से तैयार थी पर वो क्या करे उसका मन तो अब तक इस हसीना के बदन से नहीं भरा था वो चाह कर भी उसे आजाद नहीं करना चाहता था पर इसी उधेड़ बुन में कब कामया उसके नीचे चली गई पता अभी नहीं चला और वो कब उसके ऊपर हावी हो गया नहीं पता वो कामया की पीठ को जकड़े हुए उसके होंठों को अब भी चूस रहा था

कामया के शरीर पर अब वो चढ़ने की कोशिश कर रहा था कामया की पैंटी में एक हाथ ले जाते हुए उसको उतारने लगा उतारने क्या लगभग फाड़ ही दी उसने बची कुची उसके पैरों से आजाद करदी पेटीकोट तो कमर के चारो और था ही जरूरत थी तो बस अपने साहब को आजाद करने की भीमा होंठों से जुड़े हुए ही अपने हाथों से अपनी धोती को अलग करके अपने बड़े से अंडरवेयार को भी खोल दिया और अपने लिंग को आजाद कर लिया और फिर से गुथ गया कामया पर अब उसे कोई चिंता नहीं थी वो अब अपने हर अंग से कामया को छू रहा था
अपने लिंग को भी वो कामया की जाँघो के बीच में रगड़ रहा था उसके लिंग की गर्मी से तो कामया और भी पागल सी हो उठी अपने जाँघो को खोलकर उसने उसको जाँघो के बीच में पकड़ लिया और भीमा से और भी सट गई अपने हाथों को भीमा की पीठ के चारो ओर करके भीमा चाचा को अपनी ओर खींचने लगी और कामया की इस हरकत से भीमा और भी खुल गया जैसे अपनी पत्नी को ही भोग रहा हो वो झट से कामया के शरीर पर छा गया और अपनी कमर को हिलाकर कामया के अंदर घुसने का ठिकाना ढूँडने लगा कामया भी अब तक सहन ही कर रही थी पर भीमा के झटको ने उसे भी अपनी जाँघो को खोलने और अपनी योनि द्वार को भीमा के लिंग के लिए स्वागत पर खड़े होना ही था सो उसने किया पर एक ही झटके में भीमा उसके अंदर जब उतरा तो ....

कामया- ईईईईईईईईईईईईईईईई आआआआआआअह्ह कर उठी भीमा का लिंग था कि मूसल बाप रे मर गई कामया तो शायद फटकर खून निकला होगा आखें पथरा गई थी कामया कि इतना मोटा और कड़ा सा लिंग जो कि उसके योनि में घुसा था अगर वो इतनी तैयार ना होती तो मर ही जाती पर उसकी योनि के रस्स ने भीमा के लिंग को आराम से अपने अंदर समा लिया पर दर्द के मारे तो कामया सिहर उठी भीमा अब भी उसके ऊपर उसे कस कर जकड़े हुए उसकी जाँघो के बीच में रास्ता बना रहा था कामया थोड़ी सी अपनी कमर को हिलाकर किसी तरह से अपने को अड्जस्ट करने की कोशिश कर ही रही थी कि भीमा का एक तेज झटका फिर पड़ा और कामया के मुख से एक तेज चीख निकल ग ई
पर वो तो भीमा के गले में ही गुम हो गई भीमा अब तो जैसे पागल ही हो गया था ना कुछ सोचने की जरूरत थी और नहीं ही कुछ समझने की बस अपने लिंग को पूरी रफ़्तार से कामया की योनि में डाले हुए अपनी रफ़्तार पकड़ने में लगा था उसे इस बात की जरा भी चिंता नहीं थी कि कामया का क्या होगा उसे इस तरह से भोगना क्या ठीक होगा बहुत ही नाजुक है और कोमल भी पर भीमा तो बस पागलो की तरह अपनी रफ़्तार बढ़ाने में लगा था और कामया मारे दर्द के बुरी तरह से तड़प रही थी वो अपनी जाँघो को और भी खोलकर किसी तरह से भीमा को अड्जस्ट करने की कोशिश कर रही थी पर भीमा ने उसे इतनी जोर से जकड़ रखा था कि वो हिल तक नहीं पा रही थी उसके शरीर का कोई भी हिस्सा वो खुद नहीं हिला पा रही थी जो भी हिल रहा था वो बस भीमा के झटको के सहारे ही था भीमा अपनी स्पीड पकड़ चुका था और कामया के अंदर तक पहुँच गया था हर एक धक्के पर कामया चिहुक कर और भी ऊपर उठ जाती थी पर भीमा को क्या आज जिंदगी में पहली बार वो एक ऐसी हसीना को भोग रहा था जिसकी की कल्पना वो तो नहीं कर सकता था वो अब कोई भी कदम उठाने को तैयार था भाड़ में जाए सबकुछ वो तो इसको अपने तरीके से ही भोगेगा और वो सच मुच में पागलो की तरह से कामया के सारे बदन को चूम चाट रहा था और जहां जहां हाथ पहुँचते थे बहुत ही बेदर्दी के साथ दबा भी रहा था

अपने भार से कामया को इस तरह से दबा रखा था कि कामया क्या कामया के पूरे घर वाले भी जमा होकर भीमा को हटाने की कोशिश करेंगे तो नहीं हटा पाएँगे और कामया जो कि भीमा के नीचे पड़े हुए अपने आपको नर्क के द्वार पर पा रही थी अचानक ही उसके शरीर में अजीब सी फुर्ती सी आ गई भीमा की दरिंदगी में उसे सुख का एहसास होने लगा उसके शरीर के हर अंग को भीमा के इस तरह से हाथों रगड़ने की आदत सी होने लगी थी यह सब अब उसे अच्छा लगने लगा था वो अब भी नीचे पड़ी हुई भीमा के धक्कों को झेल रही थी और अपने मुख से हर चोट पर चीत्कार भी निकलती पर वो तो भीमा के गले मे ही गुम हो जाती अचानक ही भीमा की स्पीड और भी तेज हो गई और उसकी जकड़ भी बहुत टाइट हो गई अब तो कामया का सांस लेना भी मुश्किल हो गया था पर उसके शरीर के अंदर भी एक ज्वालामुखी उठ रहा था जो कि बस फूटने ही वाला था हर धक्के के साथ कामया का शरीर उसके फूटने का इंतजार करता जा रहा था और और भीमा के तने हुए लिंग का एक और जोर दार झटका उसके अंदर कही तक टच होना था कि कामया का सारा शरीर काप उठा और वो झड़ने लगी और झड़ती ही जा रही थी कमाया भीमा से बुरी तरह से लिपट गई अपनी दोनों जाँघो को ऊपर उठा कर भीमा की कमर के चारो तरफ एक घेरा बनाकर शायद वो भीमा को और भी अंदर उतार लेना चाहती थी और भीमा भी एक दो जबरदस्त धक्कों के बाद झड़ने लगा था वो भी कामया के अंदर ढेर सारा वीर्य उसके लिंग से निकाला था जो कि कामया की योनि से बाहर तक आ गया था पर फिर भी भीमा आख़िर तक धक्के लगाता रहा जब तक उसके शरीर में आख़िरी बूँद तक बचा था और उसी तरह कस कर कामया को अपनी बाहों में भरे रहा , दोनों कालीन में वैसे ही पड़े रहे कामया के शरीर में तो जैसे जान ही नहीं बची थी वो निढाल सी होकर लटक गई थी भीमा चाचा जो कि अब तक उसे अपनी बाहों में समेटे हुए थे अब धीरे-धीरे अपनी गिरफ़्त को ढीला छोड़ रहे थे और ढीला छोड़ने से कामया के पूरे शरीर में जैसे जान ही वापस आ गई थी उसे सांस लेने की आ जादी मिल गई थी वो जोर-जोर से सांसें लेकर अपने आपको संभालने की कोशिश कर रही थी

भीमा कामया पर से अपनी पकड़ ढीली करता जा रहा था और अपने को उसके ऊपर से हटाता हुआ बगल में लुढ़क गया था वो भी अपनी सांसों को संभालने में लगा था रूम में जो तूफान आया था वो अब थम चुका था दोनों लगभग अपने को संभाल चुके थे लेकिन एक दूसरे की ओर देखने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे भीमा वैसे ही कामया की ओर ना देखते हुए दूसरी तरफ पलट गया और पलटा हुआ अपनी धोती ठीक करने लगा अंडरवेर पहना और अपने बालों को ठीक करता हुआ धीरे से उठा और दबे पाँव कमरे से बाहर निकल गया कामया जो कि दूसरी और चेहरा किए हुए थी भीमा की ओर ना उसने देखा और ना ही उसने उठने की चेष्टा की वो भी चुपचाप वैसे ही पड़ी रही और सबकुछ ध्यान से सुनती रही उसे पता था कि भीमा चाचा उठ चुके हैं और अपने आपको ठीक ठाक करके बाहर की चले गये है कामया के चेहरे पर एक विजयी मुस्कान थी उसके चेहरे पर एक संतोष था एक अजीब सी खुशी थी आखों में और होंठों को देखने से यह बात सामने आ सकती थी पर वो वैसे ही लेटी रही और कुछ देर बाद उठी और अपने आपको देखा उसके शरीर में सिर्फ़ पेटीकोट था जिसका की नाड़ा कब टूट गया था उसे नहीं पता था और कुछ भी नहीं था हाँ … था कुछ और भी भीमा के हाथों और दाँतों के निशान और उसका पूरा शरीर थूक और पसीने से नहाया हुआ था वो अपने को देखकर थोड़ा सा मुस्कुराइ आज तक उसके शरीर में इस तरह के दाग कभी नहीं आए थे होंठों पर एक मुस्कान थी भीमा चाचा के पागलपन को वो अपने शरीर पर देख सकती थी जो की उसने कभी भी अपने पति से नहीं पाया था वो आज उसने भीमा चाचा से पाया था उसकी चुचियों पर लाल लाल हथेली के निशान साफ दिख रहे थे वो यह सब देखती हुई उठी और पेटीकोट को संभालते हुए अपनी ब्लाउस और ब्रा को भी उठाया और बाथरूम में घुस गई जब वो बाथरूम से निकली तो उसे बहुत जोर से भूख लगी थी याद आया कि उसने तो खाना खाया ही नहीं था

अब क्या करे नीचे जाने की हिम्मत नहीं थी भीमा चाचा को फेस करने की हिम्मत वो जुटा नहीं पा रही थी पर खाना तो खाना पड़ेगा नहीं तो भूख का क्या करे घड़ी पर नजर गई तो वो सन्न रह गई 2 30 हो गये थे तो क्या भीमा और वो एक दूसरे से लगभग दो घंटे तक सेक्स का खेल खेल रहे थे कामेश तो 5 से 10 मिनट में ही ठंडा हो जाता था और आज तो कमाल हो गया कामया का पूरा शरीर थक चुका था उसे हाथों पैरों में जान ही नहीं थी पूरा शरीर दुख रहा था हर एक अंग में दर्द था और भूख भी जोर से लगी थी थोड़ी
हिम्मत करके उसने इंटरकम उठाया और किचेन का नंबर डायल किया एक घंटी बजते ही उधर से
भीमा- हेलो जी खाना खा लीजि ए
भीमा की हालत खराब थी वो जब नीचे आया तो उसके हाथ पाँव फूले हुए थे वो सोच नहीं पा रहा था कि वो अब बहू को कैसे फेस करेगा वो अपने आपको कहाँ छुपाए कि बहू की नजर उसपर ना पड़े पर जैसे ही वो नीचे आया तो उसके मन में एक चिंता घर कर गई थी और खड़ा-खड़ाकिचेन में यही सोच रहा था कि बहू ने खाना तो खाया ही नहीं
मर गये अब क्या होगा मतलब कामया को खाना ना खिलाकर वो तो किचेन साफ भी नहीं कर सकता और वो बहू को कैसे नीचे बुलाए और क्या बहू नीचे आएगी कही वो अपने कमरे से कामेश या फिर साहब को फोन करके बुला लिया तो कही पोलीस के हाथों उसे दे दिया तो क्या यार क्या कर दिया मैंने क्योंकिया यह सब वो अपने हाथ जोड़ कर भगवान को प्रार्थना करने लगा प्लीज भगवान मुझे बचा लो प्लीज अब नहीं करूँगा उसके आखों में आँसू थे वो सच मुच में शर्मिंदा था जिस घर का नमक उसने खाया था उसी घर की इज़्ज़त पर उसने हाथ डाला था अगर किसी को पता चला तो उसकी इज़्ज़त का क्या होगा गाँव में भी उसकी थू-थू हो जाएगी और तो और वो साहब और माँ जी को क्या मुँह दिखाएगा सोचते हुए वो
खड़ा ही था की इंटरकम की घंटी बज उठी डर के साथ हकलाहट में वो सबकुछ एक साथ कह गया पर दूसरी ओर से कुछ भी आवाज ना आने से वो फिर घबरा गया
भीमा- हेल्लू
कामया- खाना लगा दो
 

Coquine_Guy

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Sumit1990

सपनों का देवता
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Very nice story par story me pics aur gif bhi add karo.....aur thoda naye tarike se likhna......
 
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Coquine_Guy

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और फोन काट दिया कामया ने उसके पास और कुछ कहने को नहीं था अगर भूखी नहीं होती तो शायद नीचे भी ना जाती पर क्या करे उसने फिर से वही सुबह वाला सूट पहना और नीचे चल दी सीढ़िया के ऊपर से उसे भीमा चाचा को देखा जो की जल्दी-जल्दी खाने के टेबल पर उसका खाना लगा रहे थे वो भी बिना कुछ आहट किए चुपचाप डाइनिंग टेबल पर पहुँची कामया को आता सुनकर ही भीमा जल्दी से किचेन में वापस घुस गया कामया भी नीचे गर्दन किए खाना खाने लगी थी जल्दी-जल्दी में क्या खा रही थी उसे पता नहीं था पर जल्दी से वो यहां से निकल जाना चाहती थी किसी तरह से उसने अपने मुँह में जितनी जल्दी जितना हो सकता था ठूँसा और उठ कर वापस अपने कमरे की ओर भागी नीचे बेसिन पर हाथ मुख भी नहीं धोया था उसन े
कमरे में आकर उसने अपने मुँह के नीवाले को ठीक से खाया और बाथरूम में मुँह हाथ धोकर बिस्तर पर लेट गई अब वो सेफ थी पर अचानक ही उसके दिमाग में बात आई कि उसे तो शाम को ड्राइविंग पर जाना था अरे यार अब क्या करे उसका मन तो बिल्कुल नहीं था उसने फोन उठाया और कामेश को रिंग किय ा
कामेश- हेलो
कामया- सुनिए प्लीज आज ना में ड्राइविंग पर नहीं जाऊँगी कल से चली जाऊँगी ठीक है
कामेश- हहा ठीक है क्यों क्या हुआ
कामया- अरे कुछ नहीं मन नहीं कर रहा कल से ठीक है
कामेश- हाँ ठीक है कल से चलो रखू
कामया- जी
और फोन काट गया
कामया ने भी फोन रखा और बिस्तर पर लेटे लेटे सीलिंग की ओर देखती रही और पता नहीं क्या सोचती रही और कब सो गई पता नहीं चला
शाम को जब वो उठी तो एक अजीब सा एहसास था उसके शरीर में एक अजीब सी कशिश थी उसके अंदर एक ताजगी सी महसूस कर रही थी वो सिर हल्का था शरीर का दर्द पता नहीं कहाँ चला गया था सोई तो ऐसी थी कि जनम में ऐसी नींद उसे नहीं आई थ ी
बहुत अच्छी और फ्रेश करने वाली नींद आई थी उठकर जब कामया बाथरूम से वापस आई तो मोबाइल पर रिंग बज रहा था उसने देखा कामेश का थ ा
कामया- हेलो
कामेश- कहाँ थी अब त क
कामया- क्यों क्या हु आ
कामेश देखो 6 7 बार कॉल किया
कामया- अरे में तो सो रही थी और अभी ही उठी हूँ
कामेश- अच्छा बहुत सोई हो आज तुम
कामया- जी कहिए क्या बात है
कामेश- पार्टी में चलना है रात को
कामया- कहाँ
कामेश- अरे बर्तडे पार्टी है मेहता जी के बेटे के बेटे का
कामया- हाँ हाँ ठीक है कितने बजे
कामेश- वही रात को 9 30 10 बजे करीब तैयार रहना
कामया- ठीक है
और कामया का फोन कट गया अब कामया को देखा कि 6 मिस्ड कॉल थे उसे सेल पर
कितना सोई थी आज वो फ्रेश सा लग रहा था वो मिरर के सामने खड़ी होकर अपने को देखा तो बिल्कुल फ्रेश लग रही थी चेहरा खिला हुआ था और आखें भी नींद के बाद भी खिली हुई थी अपना ड्रेस और बाल को ठीक करने के बाद वो नीचे जाती कि इंटरकम बज उठा
मम्मीजी- बहू चाय नहीं पीनी क्या
कामया- आती हूँ मम्मीजी
और भागती हुई नीचे चली गई भीमा चाचा का कही पता नहीं था शायद किचेन में थे मम्मीजी डाइनिंग टेबल पर थी और कामया का ही इंतजार कर रही थी कामया भी जाकर मम्मीजी पास बैठ गई और दोनों चाय पीने लगे
मम्मीजी- कामेश का फोन आया था कह रहा था कि कोई पार्टी में जाना है
कामया- जी बात हो ग ई
मम्मीजी- हाँ कह रहा था कि कामया फोन नहीं उठा रही है
कामया- जी सो रही थी सुनाई नहीं दिया
मम्मीजी- हाँ … मैंने भी यही कहा था (कुछ सोचते) थोड़ा बहुत घूम आया कर तू पूरा दिन घर में रहने से तू भी मेरे जैसे ही हो जाएगी
कामया- जी कहाँ जा ऊ
मम्मीजी- देख बहू इन दोनों को तो कमाने से फुर्सत नहीं है पर तू तो पढ़ी लिखी है घर के चार दीवारी से बाहर निकल और देख दुनियां में क्या चल रहा है और कुछ खर्चा भी किया कर क्या करेंगे इतना पैसा जमा कर कोई तो खर्चा करे
कामया- जी ही ही (और मम्मीजी को देखकर मुस्कुराने लगी )
 

Coquine_Guy

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मम्मीजी- और क्या मैंने तो सोच लिया है कुछ दिनों के लिए तीरथ हो आती हूँ घूमना भी हो जाएगा और थोड़ा सा बदलाब भी आ जाएगा तू भी कुछ प्रोग्राम बना ले और घूम आ ही ही
दोनों सासू माँ और बहू में हँसी मजाक चल रहा था और एक दूसरे को सिखाने में लगे थे
पर कामया का मन तो आज बिल्कुल साफ था आज का अनुभव उसके जीवन में जो बदलाब लाने वाला था उससे वो बिल्कुल अंजान थी बातों में उसे दोपहर ही घटना को वो भूल चुकी थी या फिर कहिए कि अब भी उसका ध्यान उस तरफ नहीं था वो तो मम्मीजी के साथ हँसी मजाक के मूड में थी और शाम की पार्टी में जाने के लिए तैयार होने को जा रही थी बहुत दिनों के बाद आज वो कही बाहर जा रही थी
चाय पीने के बाद मम्मीजी अपने पूजा के कमरे की ओर चली गई और कामया अपने कमरे की ओर तैयार जो होना था वारड्रोब से साडियो के ढेर से अपने लिए एक जड़ी की साड़ी निकाली और उसके साथ ही मैचिंग ब्लाउस कामेश को बहुत पसंद था एक ड्रे स
यही सोचकर वो तैयारी में लग गई 9 तक कामेश आ जाएगा सोचकर वो जल्दी से अपने काम में लग ग ई
करीब 9 15 तक कामेश आ गया और अपने कमरे में पहुँचा कमरे में कामया लगभग तैयार थी कामेश को देखकर कामया ड्रेसिंग टेबल छोड़ कर खड़ी हो गई और मुस्कुराते हुए अपने आपको कामेश के सामने प्रेज़ेंट करने लगी
कामेश जो कि उसका दिमाग़ कही और था कामया की सुंदरता को अपने सामने खड़े इस तरह की साड़ी में देखता रहता कामया इस समय एक महीन सी साड़ी पहने हुए थी स्लीव्ले ब्लाउज था और चूचियां को समझ के ढका था पर असल में दिखाने की ज्यादा कोशिश थी साड़ी का पल्लू भी दाई चुचि को छोड़ कर बीच से होता हुआ कंधे पर गया था उससे दाई चूची बाहर की और उछलकर मुँह उठाए देख रहा था
लेफ्ट चुचि ढका क्या था सामने वाले को निमंत्रण था कि कोशिश करो तो शायद कुछ ज्यादा दिख जाए क्लीवेज साफ-साफ नीचे तक दिख रहे थे मुस्कुराते हुए कामया ने पलटकर भी कामेश को अपना हुश्न दिखाया पीछे से पीठ आधे से ज्यादा खुले हुए थे पतली सी पट्टी ही उसे सामने से पकड़ी हुई थी और वैसे ही कंधे पर से पट्टी उतरी थी
कामेश- (सिटी बजाते हुए) क्या बात है आज कुछ ज्यादा ही तैयार हो हाँ … कहाँ बिजली गिराने वाली हो
कामया- हीही और कहाँ जहां गिर जाए यहां तो कुछ फरक नहीं पड़ता क्यों है ना
कामेश- हाँ … फिर आज नहीं जाते यही बिजली गिराती रहो ठीक है
कामया- ठीक है
कामेश हँसते हुए बाथरूम में घुस गया और कामया भी वापस अपने आपको मिरर में सवारने का अंतिम टच दे रही थी
कामेश भी जल्दी से तैयार होकर कामया को साथ में लेकर नीचे की चल दिया कामेश के साथ कामया भी नीचे की जा रही थी डाइनिंग रूम के पर करते हुए वो दोनों पापाजी और मम्मीजी के कमरे की तरफ चल दिए ताकि उनको बोल कर जा सके
कामेश- मम्मी हम जा रहे है
मम्मीजी- ठीक है जल्दी आ जाना
पापाजी- लाखा रुका है उसे ले जाना
कामेश- जी
और पलटकर वो बाहर की ओर चले
मम्मीजी- अरे भीमा दरवाजा बंद कर देना
कामया के शरीर में एक सिहरन सी फेल गई जैसे ही उसने भीमा चाचा का नाम सुना उसने ना चाह कर भी पीछे पलटकर किचेन की ओर देख ही लिया शायद पता करना चाहती हो कि भीमा चाचाने उसे इस तरह से तैयार हुए देखा की नहीं
क्यों चाहती थी , कामया की भीमा उसे देखे क्यों पर कामया थोड़ा सा रुक गई कामेश आगे की निकल गया था पलटकर कामया ने जब किचेन की ओर देखा तो पाया कि किचेन के पीछे के दरवाजे से कोई बाहर की ओर निकलते हुए
किचेन में एक दरवाजा पीछे की तरफ भी खुलता था जिससे भीमा कचरा बागेरा फैंकता था या फिर नौकरो के आने जाने का था किसी को खाना खाना हो तो बाहर एक शेड बना था उसमें वो बैठे थे बाहर निकलने वाला शायद लाखा ही होगा
पर वो इस समय किचेन में क्या कर रहा था शायद पानी या फिर कुछ खाने आया होगा जैसे ही लाखा बाहर को निकला वैसे ही भीमा किचेन के दरवाजे पर दरवाजा बंद करने को डाइनिंग स्पेस पर निकलकर आया
 
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