भीमा तो अपने होंठों को कामया के गालों और गले तक जहां तक वो जा सटका था ले जा रहा था अपने हाथों का दबाब भी वो अब बढ़ा चुका था कामया के चूचियां पर जोर जोर-जोर से और जोर से की कामया के मुख से एक जोर से चीत्कार जब तक नहीं निकल ग ई
कामया- ईईईईईईईईईईईई आआआआआअह्ह उूुुुउउफफफफफफफफफफफफ्फ़
और झटक से कामया के ब्लाउसने भी कामया का साथ छोड़ दिया अब उसकी ब्लाउस सिर्फ़ अपना अस्तितवा बनाने के लिए ही थे उसके कंधे पर और दोनों पाट खुल चुके थे अंदर से उसकी महीन सी पतली सी स्ट्रॅप्स के सहारे कामया के कंधे पर टीके हुए थे और ब्रा के अंदर भीमा के मोटे-मोटे हाथ उसके उभारों को दबा दबा के निचोड़ रहे थे भीमा भूल चुका था की कामया एक बड़े घर की बहू है कोई गॉव की देहाती लड़की नही या फिर कोई देहात की खेतो में काम करने वाली लड़की नहीं है पर वो तो अपने हाथों में रूई सी कोमल और मखमल सी कोमल नाजुक लड़की को पाकर पागलो की तरह अब उसे रौंदने लगा था वो अपने दोनों हाथों को कामया की चुचियों पर रखे हुए उसे सहारा दिए हुए उसके गालों और गले को चाट और चूम रहा था
उसका थूक कामया के पूरे चेहरे को भिगा चुका था वो अब एक हाथ से भीमा की गर्दन को पकड़ चुकी थी और खुद ही अपने गालों और गर्दन को इधर-उधर या फिर उचका करके भीमा को जगह दे रही थी कि यहां चाटो या फिर यहां चुमो उसके मुख और नाक से सांसें अब भीमा के चेहरे पर पड़ रही थी भीमा की उत्तेजना की कोई सीमा नहीं थी वो अधखुली आखों से कामया की ओर देखता रहा और अपने होंठों को उसके होंठों की ओर बढ़ाने लगा कामया भीमा के इस इंतजार को सह ना पाई और उसकी आखें भी खुली भीमा की आखों में देखते ही वो जैसे समझ गई थी कि भीमा क्या चाहता है उसने अपने होंठों को भीमा के हाथों में रख दिया जैसे कह रही हो लो चूमो चाटो और जो मन में आए करो पर मुझे शांत करो कामया की हालत इस समय ऐसी थी कि वो किसी भी हद तक जा सकती थी वो भीमा के होंठों को अपने कोमल होंठों से चूस रही थी और भीमा जो कि कामया की इस हरकत को नजर अंदाज नहीं कर पाया वो अब भी कामया की दोनों चुचियों को कसकर निचोड़ रहा था और अपने मुँह में कामया के होंठों को लेकर चूस रहा था वो हब्सियो की तरह हो गया था उसके जीवन में इस तरह की घटना आज तक नहीं हुई थी और आज वो इस घटना को अपने आप में समेट कर रख लेना चाहता था वो अब कामया को भोगे बगैर नहीं छोड़ना चाहता था वो भूल चुका था कि वो इस घर का नौकर है अभी तो वो सिर्फ़ और सिर्फ़ एक मर्द था और उसे भूख लगी थी किसी नारी के शरीर की और वो नारी कोई भी हो उससे फरक नहीं पड़ता था उसकी मालकिन ही क्यों ना हो वो अब नहीं रुक सकता .
कामया ऊपर से भीमा के होंठों से जुड़ी हुई अपने हाथों को वो भी भीमा के शरीर पर चला रही थी उसके हाथों में बालों का गुछा आ रहा था जहां भी उसका हाथ जाता बाल ही बाल थे और वो भी इतने कड़े कि काँटे जैसे लग रहे थे पर कामया के नंगे शरीर पर वो कुछ अच्छे लग रहे थे यह बाल उसकी कामुकता को और भी बढ़ा रहे थे भीमा की आखें बंद थी पर कामया ने थोड़ी हिम्मत करके अपनी आखें खोली तो भीमा के नंगे पड़े हुए शरीर को देखती रह गई कसा हुआ था मास पेशिया कही से भी ढीली नहीं थी थुलथुला पन नहीं था कही भी उसके पति की तरह पति की तरह भीमा में कोई कोमलता भी नहीं थी कठोर और बड़ा भी था बालों से भरा हुआ और उसके हाथ तो बस उसकी कमर के चारो और तक जाते थे कुछ जाँघो के बीच में गढ़ रहा था अगर उसका लिंग हुआ तो बाप रे इतना बड़ा भी हो सकता है किसी का उसका मन अब तो भीमा के लिंग को आजाद करके देखने को हो रहा था वो अपने को भीमा पर जिस तरह से घिस रही थी उसका पूरा अंदाज़ा भीमा को था वो जानता था कि कामया अब पूरी तरह से तैयार थी पर वो क्या करे उसका मन तो अब तक इस हसीना के बदन से नहीं भरा था वो चाह कर भी उसे आजाद नहीं करना चाहता था पर इसी उधेड़ बुन में कब कामया उसके नीचे चली गई पता अभी नहीं चला और वो कब उसके ऊपर हावी हो गया नहीं पता वो कामया की पीठ को जकड़े हुए उसके होंठों को अब भी चूस रहा था
कामया के शरीर पर अब वो चढ़ने की कोशिश कर रहा था कामया की पैंटी में एक हाथ ले जाते हुए उसको उतारने लगा उतारने क्या लगभग फाड़ ही दी उसने बची कुची उसके पैरों से आजाद करदी पेटीकोट तो कमर के चारो और था ही जरूरत थी तो बस अपने साहब को आजाद करने की भीमा होंठों से जुड़े हुए ही अपने हाथों से अपनी धोती को अलग करके अपने बड़े से अंडरवेयार को भी खोल दिया और अपने लिंग को आजाद कर लिया और फिर से गुथ गया कामया पर अब उसे कोई चिंता नहीं थी वो अब अपने हर अंग से कामया को छू रहा था
अपने लिंग को भी वो कामया की जाँघो के बीच में रगड़ रहा था उसके लिंग की गर्मी से तो कामया और भी पागल सी हो उठी अपने जाँघो को खोलकर उसने उसको जाँघो के बीच में पकड़ लिया और भीमा से और भी सट गई अपने हाथों को भीमा की पीठ के चारो ओर करके भीमा चाचा को अपनी ओर खींचने लगी और कामया की इस हरकत से भीमा और भी खुल गया जैसे अपनी पत्नी को ही भोग रहा हो वो झट से कामया के शरीर पर छा गया और अपनी कमर को हिलाकर कामया के अंदर घुसने का ठिकाना ढूँडने लगा कामया भी अब तक सहन ही कर रही थी पर भीमा के झटको ने उसे भी अपनी जाँघो को खोलने और अपनी योनि द्वार को भीमा के लिंग के लिए स्वागत पर खड़े होना ही था सो उसने किया पर एक ही झटके में भीमा उसके अंदर जब उतरा तो ....
कामया- ईईईईईईईईईईईईईईईई आआआआआआअह्ह कर उठी भीमा का लिंग था कि मूसल बाप रे मर गई कामया तो शायद फटकर खून निकला होगा आखें पथरा गई थी कामया कि इतना मोटा और कड़ा सा लिंग जो कि उसके योनि में घुसा था अगर वो इतनी तैयार ना होती तो मर ही जाती पर उसकी योनि के रस्स ने भीमा के लिंग को आराम से अपने अंदर समा लिया पर दर्द के मारे तो कामया सिहर उठी भीमा अब भी उसके ऊपर उसे कस कर जकड़े हुए उसकी जाँघो के बीच में रास्ता बना रहा था कामया थोड़ी सी अपनी कमर को हिलाकर किसी तरह से अपने को अड्जस्ट करने की कोशिश कर ही रही थी कि भीमा का एक तेज झटका फिर पड़ा और कामया के मुख से एक तेज चीख निकल ग ई
पर वो तो भीमा के गले में ही गुम हो गई भीमा अब तो जैसे पागल ही हो गया था ना कुछ सोचने की जरूरत थी और नहीं ही कुछ समझने की बस अपने लिंग को पूरी रफ़्तार से कामया की योनि में डाले हुए अपनी रफ़्तार पकड़ने में लगा था उसे इस बात की जरा भी चिंता नहीं थी कि कामया का क्या होगा उसे इस तरह से भोगना क्या ठीक होगा बहुत ही नाजुक है और कोमल भी पर भीमा तो बस पागलो की तरह अपनी रफ़्तार बढ़ाने में लगा था और कामया मारे दर्द के बुरी तरह से तड़प रही थी वो अपनी जाँघो को और भी खोलकर किसी तरह से भीमा को अड्जस्ट करने की कोशिश कर रही थी पर भीमा ने उसे इतनी जोर से जकड़ रखा था कि वो हिल तक नहीं पा रही थी उसके शरीर का कोई भी हिस्सा वो खुद नहीं हिला पा रही थी जो भी हिल रहा था वो बस भीमा के झटको के सहारे ही था भीमा अपनी स्पीड पकड़ चुका था और कामया के अंदर तक पहुँच गया था हर एक धक्के पर कामया चिहुक कर और भी ऊपर उठ जाती थी पर भीमा को क्या आज जिंदगी में पहली बार वो एक ऐसी हसीना को भोग रहा था जिसकी की कल्पना वो तो नहीं कर सकता था वो अब कोई भी कदम उठाने को तैयार था भाड़ में जाए सबकुछ वो तो इसको अपने तरीके से ही भोगेगा और वो सच मुच में पागलो की तरह से कामया के सारे बदन को चूम चाट रहा था और जहां जहां हाथ पहुँचते थे बहुत ही बेदर्दी के साथ दबा भी रहा था
अपने भार से कामया को इस तरह से दबा रखा था कि कामया क्या कामया के पूरे घर वाले भी जमा होकर भीमा को हटाने की कोशिश करेंगे तो नहीं हटा पाएँगे और कामया जो कि भीमा के नीचे पड़े हुए अपने आपको नर्क के द्वार पर पा रही थी अचानक ही उसके शरीर में अजीब सी फुर्ती सी आ गई भीमा की दरिंदगी में उसे सुख का एहसास होने लगा उसके शरीर के हर अंग को भीमा के इस तरह से हाथों रगड़ने की आदत सी होने लगी थी यह सब अब उसे अच्छा लगने लगा था वो अब भी नीचे पड़ी हुई भीमा के धक्कों को झेल रही थी और अपने मुख से हर चोट पर चीत्कार भी निकलती पर वो तो भीमा के गले मे ही गुम हो जाती अचानक ही भीमा की स्पीड और भी तेज हो गई और उसकी जकड़ भी बहुत टाइट हो गई अब तो कामया का सांस लेना भी मुश्किल हो गया था पर उसके शरीर के अंदर भी एक ज्वालामुखी उठ रहा था जो कि बस फूटने ही वाला था हर धक्के के साथ कामया का शरीर उसके फूटने का इंतजार करता जा रहा था और और भीमा के तने हुए लिंग का एक और जोर दार झटका उसके अंदर कही तक टच होना था कि कामया का सारा शरीर काप उठा और वो झड़ने लगी और झड़ती ही जा रही थी कमाया भीमा से बुरी तरह से लिपट गई अपनी दोनों जाँघो को ऊपर उठा कर भीमा की कमर के चारो तरफ एक घेरा बनाकर शायद वो भीमा को और भी अंदर उतार लेना चाहती थी और भीमा भी एक दो जबरदस्त धक्कों के बाद झड़ने लगा था वो भी कामया के अंदर ढेर सारा वीर्य उसके लिंग से निकाला था जो कि कामया की योनि से बाहर तक आ गया था पर फिर भी भीमा आख़िर तक धक्के लगाता रहा जब तक उसके शरीर में आख़िरी बूँद तक बचा था और उसी तरह कस कर कामया को अपनी बाहों में भरे रहा , दोनों कालीन में वैसे ही पड़े रहे कामया के शरीर में तो जैसे जान ही नहीं बची थी वो निढाल सी होकर लटक गई थी भीमा चाचा जो कि अब तक उसे अपनी बाहों में समेटे हुए थे अब धीरे-धीरे अपनी गिरफ़्त को ढीला छोड़ रहे थे और ढीला छोड़ने से कामया के पूरे शरीर में जैसे जान ही वापस आ गई थी उसे सांस लेने की आ जादी मिल गई थी वो जोर-जोर से सांसें लेकर अपने आपको संभालने की कोशिश कर रही थी
भीमा कामया पर से अपनी पकड़ ढीली करता जा रहा था और अपने को उसके ऊपर से हटाता हुआ बगल में लुढ़क गया था वो भी अपनी सांसों को संभालने में लगा था रूम में जो तूफान आया था वो अब थम चुका था दोनों लगभग अपने को संभाल चुके थे लेकिन एक दूसरे की ओर देखने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे भीमा वैसे ही कामया की ओर ना देखते हुए दूसरी तरफ पलट गया और पलटा हुआ अपनी धोती ठीक करने लगा अंडरवेर पहना और अपने बालों को ठीक करता हुआ धीरे से उठा और दबे पाँव कमरे से बाहर निकल गया कामया जो कि दूसरी और चेहरा किए हुए थी भीमा की ओर ना उसने देखा और ना ही उसने उठने की चेष्टा की वो भी चुपचाप वैसे ही पड़ी रही और सबकुछ ध्यान से सुनती रही उसे पता था कि भीमा चाचा उठ चुके हैं और अपने आपको ठीक ठाक करके बाहर की चले गये है कामया के चेहरे पर एक विजयी मुस्कान थी उसके चेहरे पर एक संतोष था एक अजीब सी खुशी थी आखों में और होंठों को देखने से यह बात सामने आ सकती थी पर वो वैसे ही लेटी रही और कुछ देर बाद उठी और अपने आपको देखा उसके शरीर में सिर्फ़ पेटीकोट था जिसका की नाड़ा कब टूट गया था उसे नहीं पता था और कुछ भी नहीं था हाँ … था कुछ और भी भीमा के हाथों और दाँतों के निशान और उसका पूरा शरीर थूक और पसीने से नहाया हुआ था वो अपने को देखकर थोड़ा सा मुस्कुराइ आज तक उसके शरीर में इस तरह के दाग कभी नहीं आए थे होंठों पर एक मुस्कान थी भीमा चाचा के पागलपन को वो अपने शरीर पर देख सकती थी जो की उसने कभी भी अपने पति से नहीं पाया था वो आज उसने भीमा चाचा से पाया था उसकी चुचियों पर लाल लाल हथेली के निशान साफ दिख रहे थे वो यह सब देखती हुई उठी और पेटीकोट को संभालते हुए अपनी ब्लाउस और ब्रा को भी उठाया और बाथरूम में घुस गई जब वो बाथरूम से निकली तो उसे बहुत जोर से भूख लगी थी याद आया कि उसने तो खाना खाया ही नहीं था
अब क्या करे नीचे जाने की हिम्मत नहीं थी भीमा चाचा को फेस करने की हिम्मत वो जुटा नहीं पा रही थी पर खाना तो खाना पड़ेगा नहीं तो भूख का क्या करे घड़ी पर नजर गई तो वो सन्न रह गई 2 30 हो गये थे तो क्या भीमा और वो एक दूसरे से लगभग दो घंटे तक सेक्स का खेल खेल रहे थे कामेश तो 5 से 10 मिनट में ही ठंडा हो जाता था और आज तो कमाल हो गया कामया का पूरा शरीर थक चुका था उसे हाथों पैरों में जान ही नहीं थी पूरा शरीर दुख रहा था हर एक अंग में दर्द था और भूख भी जोर से लगी थी थोड़ी
हिम्मत करके उसने इंटरकम उठाया और किचेन का नंबर डायल किया एक घंटी बजते ही उधर से
भीमा- हेलो जी खाना खा लीजि ए
भीमा की हालत खराब थी वो जब नीचे आया तो उसके हाथ पाँव फूले हुए थे वो सोच नहीं पा रहा था कि वो अब बहू को कैसे फेस करेगा वो अपने आपको कहाँ छुपाए कि बहू की नजर उसपर ना पड़े पर जैसे ही वो नीचे आया तो उसके मन में एक चिंता घर कर गई थी और खड़ा-खड़ाकिचेन में यही सोच रहा था कि बहू ने खाना तो खाया ही नहीं
मर गये अब क्या होगा मतलब कामया को खाना ना खिलाकर वो तो किचेन साफ भी नहीं कर सकता और वो बहू को कैसे नीचे बुलाए और क्या बहू नीचे आएगी कही वो अपने कमरे से कामेश या फिर साहब को फोन करके बुला लिया तो कही पोलीस के हाथों उसे दे दिया तो क्या यार क्या कर दिया मैंने क्योंकिया यह सब वो अपने हाथ जोड़ कर भगवान को प्रार्थना करने लगा प्लीज भगवान मुझे बचा लो प्लीज अब नहीं करूँगा उसके आखों में आँसू थे वो सच मुच में शर्मिंदा था जिस घर का नमक उसने खाया था उसी घर की इज़्ज़त पर उसने हाथ डाला था अगर किसी को पता चला तो उसकी इज़्ज़त का क्या होगा गाँव में भी उसकी थू-थू हो जाएगी और तो और वो साहब और माँ जी को क्या मुँह दिखाएगा सोचते हुए वो
खड़ा ही था की इंटरकम की घंटी बज उठी डर के साथ हकलाहट में वो सबकुछ एक साथ कह गया पर दूसरी ओर से कुछ भी आवाज ना आने से वो फिर घबरा गया
भीमा- हेल्लू
कामया- खाना लगा दो