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Adultery घर की बहू

Coquine_Guy

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ये कहानी मुझे अच्छी लगी .. इसीलिए इसको यहां पोस्ट कर रहा हूँ ताकि आप लोग भी पढ़े और मज़ा उठाएं
 
Last edited:

Coquine_Guy

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अब भीमा और कामया एकदम आमने सामने थे कामेश बाहर निकल गया था ड्राइंग रूम के बीच में खड़ी थी फुल्ली ड्रेस अप बिजली गिराती हुई कामसुख और मादकता लिए हुए सुंदर और सेक्सी दिखती हुई और किसी भी साधु या फिर सन्यासी की नियत को हिलाने के लिए
जैसे ही भीमा और कामया की नजर आपस में टकराई दोनों जैसे जमीन में धस्स गये थे दोनों एक दूसरे को देखते रह गये भीमा की नजर तो जैसे जम गई थी कामया के ऊपर नीचे से ऊपर तक एकटक निहारता रह गया वो कामया को क्या लग रही थी किसी अप्सरा की तरह और भीमा को देखकर कामया को दोपहर का वाकया याद आ गया कि कैसे भीमा ने उसे रोंदा था और कैसे उसके हाथ और होंठों ने उसे छुआ और चूमा था हर वो पहलू दोनों के जेहन में एक बार फिर ताजा हो गई थी दोनों के आँखों में एक सेक्स की लहर दौड़ गई थी कामया का पूरा शरीर सिहर गया था उसके जाँघो के बीच में हलचल मच गई थी निपल्स ब्रा के अंदर सख़्त हो गये थे
भीमा का भी यही हाल था उसके धोती के अंदर एक बार फिर उसके पुरुषार्थ ने चिहुक कर अपने अस्तित्व की आवाज को बुलंद कर दिया था वो अपने को आजाद करने की गुहार लगाने लग गया था दोनों खड़े हुए एक दूसरे को देखते रह गये किसी ने भी आगे बढ़ने की या फिर नजर झुका के हटने की कोशिश नहीं की
पर बाहर से कामेश की आवाज ने कामया और भीमा को चौंका दिया कामया पलटकर जल्दी से गाड़ी की ओर भागी और भीमा ने भी अपनी नजर झुका ली
बाहर कामेश गाड़ी के अंदर बैठ चुका था और लाखा गाड़ी का गेट खोले नज़रें झुकाए खड़ा था कामया ने अपने पल्लू को संभाल कर जल्दी से गाड़ी के पास आई और गाड़ी में बैठने लगी पर ना जाने क्यों उसकी नजर लाखा काका पर पड़ गई जो की नज़रें झुकाए हुए भी कामया के ऊपर नजर डालने से नहीं चुका था जब कामया बैठ गई तो लाखा दरवाजा बंद करके जल्दी से घूमकर ड्राइविंग सीट पर बैठ गया और गाड़ी गेट के बाहर की ओर दौड़ चली
कामेश और कामया पीछे बैठे हुए बाहर की ओर देख रहे थे और अपने पार्टी वाली जगह पर पहुँचने की बारे में सोच रहे थे और बीच बीच में एक दूसरे से कुछ बातें भी करते जा रहे थे लाखा काका गाड़ी चलाने में लगे थे
कामया की नजर कभी बाहर कभी अंदर की ओर थी आज बहुत दिनों बाद बाहर निकली थी पर अचानक ही उसकी नजर बॅक व्यू पर पड़ी तो लाखा काका की नजर को अपनी ओर पाकर वो चौक गई जब वो गाड़ी में बैठ रही थी तब भी उसे लगा था कि लाखा काका उसी को देख रहे है पर उसने ध्यान नहीं दिया था शायद वो कुछ गलत सोच रही थी पर अब वो पक्का था कि लाखा काका की नजर अब उस पर थी अपने पति की नजर चुरा कर वो कई बार इस बात को प्रूव भी कर चुकी थी
जब भी गाड़ी किसी रेड लाइट पर खड़ी होती थी तो या फिर जब भी वो मिरर में देखता था पीछे की ओर देखने के लिए तो एक बार वो कामया को जरूर निहार लेता था कामया के पूरे शरीर में जो सनसनी भीमा चाचा के पास उनके देखने पर हुए थी वो अब एक कदम और आगे बढ़ गया था वो ना चाह कर भी नज़रें बचा कर लाखा काका की नजर का पीछा कर रही थी वो कई बार इस बात की पुष्टि कर चुकी थी कि लाखा काका उसे ही देख रहे थे
तभी वो लोग वहां पहुँच गये और गाड़ी पार्क कर लाखा काका दौड़ कर कामया की ओर के दरवाजे की ओर लपके कामेश तो दूसरी तरफ का दरवाजा खोलकर उतर गये और पास खड़े हुए किसी से बात भी करने लगे थे पर कामया को उतरने में थोड़ी देर हुई जब लाखा काका ने दरवाजा खोला तब पहले उसने अपने टांगों को बाहर निकाला पैरों के ऊपर से उसकी साड़ी थोड़ी ऊपर की ओर हुई और उसके सुंदर और गोरे गोरे पैरों के दर्शान लाखा को हुए जो की नज़रें झुकाए अब भी वही खड़े थे

सुंदर पिंडलियो में उसकी सुंदर सी सैंडल हील वाली उसके गोरे गोरे पैरों पर बहुत ही खूबसूरत लग रही थी दूसरे पैर के बाहर निकलते ही कामया थोड़ा सा आगे की ओर हुई और झुक कर बाहर को निकली तो लाखा अपनी नजर को कामया के पेट और नाभि से लेकर ब्लाउज तक ले जाने से नहीं रोक पाया वो मंत्रमुग्ध सा कामया की उठी हुई चुचियों को और नाजुक और सुडोल शरीर को निहारता रहा जब कामया उसके सामने से निकलकर बाहर खड़ी हुई तो वो उसके नथुनो में एक फ्रेश और ताजी सी खुशबू उसके जेहन तक बस गई और वो लगभग गिरते गिरते बचा था उसका पूरा शरीर उसका साथ नहीं दे रहा था वो इस अप्सरा के इतने पास था पर वो कुछ नहीं कर सकता था बीच में सिर्फ़ गाड़ी का दरवाजा और उस तरफ कामया जिसका की पूरा साड़ी का पल्लू उसके ब्लाउज के ऊपर से ढालका हुआ था और गाड़ी से बाहर निकलने के बाद उसके सामने खड़ी हुई ठीक कर रही थी वाह क्या सीन था लाखा खड़ा-खड़ा उस सुंदरता को अपने अंदर उतार रहा था और नजरें नीचे किए अब भी उसकी कमर को देख रहा था जहां कामया की साड़ी फँसी हुई थी और अपने मुक़द्दर को कोस रहा था तभी कामेश की आवाज पर कामया झटके से पलटी और कामेश की ओर देखने लगी


ऊऊऊओह् ह … लाखा तो शायद मर ही गया होता जब कामया के पलटने से उसके खुले हुए बाल उड़ कर लाखा के चेहरे पर पड़े और गेट के पास से होते हुए नीचे गिर गये उसके सिर के सहारे लाखा का तो जैसे दम ही घुट गया था गला सुख गया था हाथ पाँव ने जबाब दे दिया था वो जहां था वही जम गया था मुँह खुला का खुला रह गया था एक तेज लहर उसके शरीर में दौड़ गई थी और उसके नथुनो में एक और खुशबू ने प्रवेश किया था वो उसके शरीर की खुशबू से अलग थी
उूउउफफफ्फ़ क्या खुशबू थी गाड़ी के अंदर जो खुशबू थी वो तो उसने जो सेंट या पर्फ्यूम लगाया था उसकी थी तो क्या यह खुशुबू कामया के शरीर की थी उउउफफ्फ ़
लाखा खड़ा-खड़ा यही सोच रहा था और नजरें उठाए कामया की पतली कमर को बलखाते हुए अपने पति की ओर जाते हुए देखता रहा क्या कमर पटका पटका कर चलती थी बहू क्या फिगर था कमर कितनी पतली सी थी और चूचियां तो बहुत ही मस्त है कितनी गोरी और नाजुक सी दिखती है , बहू वो गाड़ी का दरवाजा पकड़क र , खड़ा-खड़ा कामया को अपने पति के साथ जाते हुए देखता रहा जैसे कोई भूखा अपने हाथों से रोटी छीनते हुए देख रहा हो
वो अब भी मंत्रमुग्ध सा कामया को निहार रहा था कि अचानक ही कामया पलटी और लाखा की नज़रें उससे टकराई लाखा पथरा गया और जल्दी से नजरें नीचे कर दरवाजा बंद करने लगा पर नजरें झुकाते समय उसे बहू की नजरों में होंठों में एक मुस्कुराहट को उसने देखा था जब तक वो फिर से उसे तरफ देखता तब तक वो अंदर जा चुके थे वो सन्न रह गया था क्या बहू को मालूम था कि वो उसे देख रहा था

बाप रे बाप कही साहब से शिकायत कर दिया तो मेरी तो नौकरी तो गया और फिर बेइज़्ज़ती बाप रे बाप आज तक लाखा इतना नहीं डरा था जो अब भी उसकी हालत थी उसे माफी माँग लेना चाहिए बहू से कह देगा कि गलती हो गई पर पर बहू तो मुस्कुराई थी हाँ … यह तो पक्का था उसे अच्छे से याद था वो जानती थी कि वो उसे देख रहा था फिर भी उसने कुछ नहीं कहा यही कामेश को कह सकती थी लाखा घर से लेकर अब तक की घटना को याद करने लगा था जब भी वो पीछे देखता था तो उसकी नजर बहू से टकराती थ ी
तो क्या बहू जानती थी कि वो उसे देख रहा था या फिर ऐसे ही उसकी कल्पना थी
और उधर कामया जब गाड़ी से बाहर निकली तो लाखा उसके लिए दरवाजा खोले खड़ा था उसके उतरते हुए साड़ी का उठना और फिर उसके खड़े होते हुए लाखा के समीप होना यह सबकामया जानती थी और जब वो पलटकर जाने लगी थी तो एक लंबी सांस लेने की आवाज भी उसे सुनाई दी थी पति के साथ जब वो अंदर की ओर जाने लगी थी तो उसने पलटकर देखा भी था कि वाकई क्या लाखा काका उसे ही देख रहे है या फिर उसके दिल की कल्पना मात्र थी हाँ … काका उसे ही निहार रहे थे
 

Coquine_Guy

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कामया का शरीर झनझना गया था पलटते समय उसके चेहरे पर एक मुश्कान थी जो कि शायद लाखा काका ने देख लिया था

कामया तो अंदर चली गई पर लाखा काका को बेसूध कर गई वो गाड़ी के पास खड़ा-खड़ा बहू के बारे में ही सोच रहा था और अपने आपको बड़ा ही खुशनसीब समझ रहा था कि वो एक इतनी सुंदर मालेकिन का नौकर है घर पर सब उसे बहुत इज़्ज़त देते थे और बहू भी पर आज तो बहू कमाल की लग रही थी आचनक ही उसके दिमाग में एक बात बिजली की तरह दौड़ गई अरे उसे तो बहू को ड्राइविंग भी सिखानी है पर क्या वो बहू को ड्राइविंग सिखा पाएगा कही उससे कोई गलती हो गई तो और बहू अगर इस तरह के कपड़े पहनेगी तो क्या वो अपनी निगाहो को उससे देखने से दूर रख पाएगा बाप रे अब क्या करे अभी तक तो सबकुछ ठीक था पर आज जो कुछ भी उसके मन में चल रहा था
उसके बाद तो वो बहू को देखते ही अपना आपा ना खो दे यही सोचकर वो काप गया था बहू के पास जब वो सामने उसे ड्राइविंग सिखाएगा तो बहू उसके बहुत पास बैठी होगी और उसकी खुशबू से लेकर उसके स्पर्श तक का अंदाज़ा लाखा गाड़ी में बैठे बैठे लगा ही रहा था और अपने में खोया हुआ बहू की सुंदरता को अपनी सोच के अनुरूप ढाल रहा था की बाहर से काँच में दस्तक हुई तो वो बाहर देखा कि कामेश खड़ा है और बहू भी उससे थोड़ी दूर अपने दोस्तों से बात कर रही है वो झट पट बाहर निकला और दौड़ता हुआ गाड़ी का दरवाजा खोलने लगा कामेश तो झट से बैठ गया पर कामया अपने दोस्तों से बात करके जब पलटी तो लाखा अपनी नजर को नीचे नहीं कर पाया वो मंत्रमुग्ध सा कामया के यौवन को निहारता रहा

और अपने आँखों में उसकी सुंदरता को उतारता रहा कामया ने एक बार लाखा काका की ओर देखा और चुपचाप दरवाजे से अंदर जाकर अपनी सीट पर बैठ गई लाखा भी लगभग दौड़ता हुआ अपनी सीट की तरफ भागा उसे पता ही नहीं चला था कि कैसे दो घंटे बीत गये थे और वो सिर्फ़ बहू के बारे में ही सोचता रहा गया था वो अपने अंदर एक ग्लानि से पीड़ित हो गया था छि छी वो क्या सोच रहा था जिनका वो नमक खाता है उनके घर की बहू के बारे में वो क्या सोच रहा था कामेश को उसने दो साल का देखा था और तब से वो इस घर का नौकर था भीमा तो उससे पहले का था नहीं उसे यह सब नहीं सोचना चाहिए यह गलत है वो कोई जानवर तो नहीं है वो एक इंसान है जो गलत है वो उसके लिए भी गलत है वो गाड़ी चला रहा थ ा
पर उसका दिमाग पूरा समय घर तक इसी सोच में डूबा था पर उसके मन का वो क्या करे वो चाह कर भी अपनी नजर बहू के ऊपर से नहीं हटा पाया था पर घर लौट-ते समय उसने एक बार भी बहू की ओर नहीं देखा था उसने अपने मन पर काबू पा लिया था इंसान अगर कोई चीज ठान ले तो क्या वो नहीं कर सकता बिल्कुल कर सकता है उसने अपने दिमाग पर चल रहे ढेर सारे सवाल को एक झटके से निकाल दिया और फिर से एक नमक हलाल ड्राइवर के रूप में आ गया और गाड़ी घर की ओर तेजी से दौड़ चलो थी अंदर बिल्कुल सन्नाटा था घर के गेट पर चौकी दार खड़ा था गाड़ी आते देखकर झट से दरवाजा खुल गया गाड़ी की आवाज से अंदर से भीमा भी दौड़ कर आया और घर का दरवाजा खोलकर बाजू में सिर झुकाए खड़ा हो गया
गाड़ी के रुकते ही लाखा काका बाहर निकले और पहले कामेश की तरफ जाते पर कामेश तो खुद ही दरवाजा खोलकर बाहर आ गया था तो वो बहू की ओर का दरवाजा खोले नीचे नजरें किए खड़ा हो गया कामेश गाड़ी से उतरते ही अंदर की ओर लपका कामया को बाहर ही छोड़ कर भीमा भी दरवाजे पर खड़ा था और लाखा गाड़ी के दरवाजे को खोले कामया अपनी ही नजाकत से बाहर निकली और लाखा के समीप खड़े होकर ही
कामया- काका कल से में गाड़ी सीखने चलूंगी आप शाम को जल्दी से आ जाना
लाखा- जी बहू रानी

उसकी आवाज में लरखराहट थी गला सुख गया था कामया और उसके बीच में सिर्फ़ गाड़ी का दरवाजा ही था उसके बाल हवा में उड़ते हुए उसके चेहरे पर पड़ रहे थे और जब कामया ने अपने हाथों से अपने बालों को संवारा तो लाखा फिर से अपनी सुध खो चुका था फिर से वो सब कुछ भूल चुका था जो वो अभी-अभी गाड़ी चलाते हुए सोच रहा था वो बेसूध सा कमाया के रूप को नज़रें झुकाए हु ए , देखता रहा उसके ब्लाउसमें फसी हुई उसकी दो गोलाईयों को और उसके नीचे की ओर जाते हुए चिकने पेट को और लंबी-लंबी बाहों को वो सबकुछ भूलकर सिर्फ़ कामया के हुश्न के बारे में सोचता रह गया और कामया को घर के अंदर जाते हुए देखता रह गया

दरवाजे पर कामया के गायब होते ही उसे हँसी आई तो देखा कि भीमा उसे ही देख रहा था वो झेप गया और गाड़ी लॉक करके जल्दी से अपनी स्कूटर लेकर गेट से बाहर र्निकल गया कामया भी जल्दी से अपनी नजर को नीचे किए भीमा चाचा को पार करके सीधे सीडियो की ओर भागी और अपने रूम में पहुँची रूम में जाकर देखा कि कामेश बाथरूम में है तो वो अपनी साड़ी उतारकर सिर्फ़ ब्लाउस और पेटीकोट में ही खड़ी होकर अपने आपको मिरर पर निहारती रही
वो जानती थी कि कामेश के बाहर आते ही वो उसपर टूट पड़ेगा इसलिए वो वैसे ही खड़ी होकर उसका इंतजार करती रही हमेशा कामेश उसे घूमके आने के बाद ऐसे ही सिर्फ़ साड़ी उतारने को ही कहता था बाकी उसका काम था आग्याकारी पत्नी की तरह कामया खड़ी कामेश का इंतजार कर रही थी और बाथरूम का दरवाजा खुला कामया को मिरर के सामने देखकर कामेश भी उसके पास आ गया और पीछे से कामया को बाहों में भरकर उसके चूचियां को दबाने लग

कामया के मुख से एक अया निकली और वो अपने सिर को कामेश के कंधों के सहारे छोड़ दिया और कामेश के हाथों को अपने शरीर में घूमते हुए महसूस करती रही वो कामेश का पूरा साथ देती रही और अपने आपको कामेश के ऊपर न्योछाबर करने को तैयार थी कामेश के हाथ कामया की दोनों चुचियों को छोड़ कर उसके पेट पर आ गये थे और अब वो कामया की नाभि को छेड़ रहा था वो अपनी उंगली को उसकी नाभि के अंदर तो कभी बाहर करके कामया को चिढ़ा रह था अपने होंठों को कामया के गले और गले से लेजाकर उसके होंठों पर रखकर वो कामया के होंठों से जैसे सहद को निकालकर अपने अंदर लेने की कोशिश कर रहा था कामया भी नहीं रहा गया वो पलटकर कामेश की गर्दन के चारो और अपनी बाहों को पहना कर खुद को कामेश से सटा लिया और अपने पेट और योनि को वो कामेश से रगड़ने लगी थी उसके शरीर में जो आग भड़की थी वो अब कामेश ही बुझा सकता था
वो अपने आपको कामेश के और भी नजदीक ले जाना चाहती थी और अपने होंठों को वो कामेश के मुख में घुसाकर अपनी जीब को कामेश के मुख में चला रही थी कामेश का भी बुरा हाल था वो भी पूरे जोश के साथ कामया के बदन को अपने अंदर समा लेना चाहता था वो भी कामया को कस्स कर अपने में समेटे हुए धम्म से बिस्तर पर गिर पड़ा और गिरते ही कामेश कामया के ब्लाउसपर टूट पड़ा जल्दी-जल्दी उसने एक झटके में कामया के ब्लाउसको हवा में उछाल दिया और ब्रा भी उसके कंधे से उसी तरह बाहर हो गई थी कामया के ऊपर के वस्त्र के बाद कामेश ने कामया के पेटीकोट और पैंटी को भी खींचकर उत्तार दिया और बिना किसी देरी के वो कामया के अंदर एक ही झटके में समा गया

कामया उउउफ तक नहीं कर पाई अऔर कामेश उसके अंदर था अंदर और अंदर और भी अंदर और फिर कामेश किसी पिस्टन के तरह कामया के अंदर-बाहर होता चला गया कामया के अंदर एक ज्वार सा उठ रही थी और वो लगभग अपने शिखर पर पहुँचने वाली ही थी कामेश जिस तरह से उसके शरीर से खेल रहा था उसको उसकी आदत थी वो कामेश का पूरा साथ दे रही थी और उसे मजा भा आ रहा था उधर कामेश भी अपने आपको जब तक संभाल सकता था संभाल चुका था अब वो भी कामया के शरीर के ऊपर ढेर होने लग गया था अपनी कमर को एक दो बार आगे पीछे करते हुए वो निढाल सा कामया के ऊपर पड़ा रहा और कामया भी कामेश के साथ ही झड चुकी थी और अपने आपको संतुष्ट पाकर वो भी खुश थी वो कामेश को कस्स कर पकड़े हुए उसके चेहरे से अपना चेहरा घिस रही थी और अपने आपको शांत कर रही थी जैसे ही कामेश को थोड़ा सा होश आया वो लुढ़क कर कामया के ऊपर से हाथ और अपने तकिये पर सिर रख कर कामया की ओर देखते हुए
कामेश- स्वीट ड्रीम्स डार्लिंग
कामया- स्वीट ड्रीम्स डियर और उठकर वैसे ही बिना कपड़े के बाथरूम की ओर चल दी जब वो बाहर आई तो कामेश सो चुका था और वो अपने कपड़े जो कि जमीन पर जहां तहाँ पड़े थे उसको समेट कर वारड्रोब में रखा और अपनी जगह पर लेट गई और सीलिंग की ओर देखते हुए कामेश की तरफ नज़रें घुमा ली जो कि गहरी नींद में था कामया अपनी ओर पलटकर सोने की कोशिश करने लगी और बहुत ही जल्दी वो भी नींद के आगोस में चली गई सुबह रोज की तरह वो लेट ही उठी कामेश बाथरूम में था वो भी उठकर अपने आपको मिरर में देखने के बाद कामेश का बाथरूम से निकलने का वेट करने लगी
 

Coquine_Guy

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जब कामेश निकला तो वो भी बाथरूम में घुस गई और कुछ देर बाद दोनों चेंज करके नीचे पापाजी और मम्मीजी के साथ चाय पीरहे थे पापाजी और मम्मीजी और कामेश एक दूसरे से बातों में इतना व्यस्त थे कि कामया का ध्यान किसी को नहीं था और नहीं कामया को कोई इंटेरस्ट था इन सब बातों में वो तो बस अपने आप में ही खुश रहने वाली लड़की थी और कोई ज्यादा अपेक्षा नहीं थी उसे कामेश से और अपने घर वालों से एक तो किसी बात की बंदिश नहीं थी उसे यहां और ना ही कोई रोक टोक और नहीं ही कोई काम था तो क्या शिकायत करे वो बस कामेश की चाय खतम हुई और दोनों अपने कमरे की ओर चल दिए पापाजी और मम्मीजी भी अपने कमरे की ओर और पूरे घर में फिर से शांति सब अपने कमरे में जाने की तैयारी में लगे थे कामया वही बिस्तर बैठी कामेश के बाथरूम से निकलने की राह देख रही थी और उसके कपड़े निकालकर रख दिए थे वो बैठे बैठे सोच रही थी कि कामेश बाथरूम से निकलते ही जल्दी से अपने कपड़े उठाकर पहनने लगा
कामेश-् हाँ … कामया आज तुम क्या गाड़ी चलाने जाओगी
कामया- आप बताइए
कामेश- नहीं नहीं मेरा मतलब है कि शायद मैं थोड़ा देर से आऊँगा तो अगर तुम भी कही बीजी रहोगी तो अपने पति की याद थोड़ा कम आएगी हीही
कामया- कहिए तो पूरा दिन ही गाड़ी चलाती रहूं
कामेश- अरे यार तुमसे तो मजाक भी नहीं कर सकते
कामया- क्यों आएँगे लेट
कामेश- काम है यार पापा भी साथ में रहेंगे
कामया- ठीक है पर क्या मतलब कब तक चलाती रहूं
कामेश- अरे जब तक तुम्हें चलानी है तब तक और क्या मेरा मतलब था कि कोई जरूरत नहीं है जल्दी बाजी करने की
कामया- ठीक है पर क्या रात को इतनी देर तक में वहां ग्राउंड पर लाखा काका के साथ मेरा मतलब
कामेश- अरे यार तुम भी ना लाखा काका हमारे बहुत ही पुराने नौकर है अपनी जान दे देंगे पर तुम्हें कुछ नहीं होने देंगे
कामया- जी प र
कामेश- क्या पर पर छोड़ो मैं छोड़ दूँगा तुम तैयार रहेना ठीक है जब भी आए चली जाना
कामया- जी

और दोनों नीचे की ओर चल दिए डाइनिंग रूम में खाना लगा था कामेश के बैठ-ते ही कामया ने प्लेट मे खाना लगा दिया और पास में बैठकर कामेश को खाते देखती रही कामेश जल्दी-जल्दी अपने मुख में रोटी और सब्जी ठूंस रहा था और जल्दी से हाथ मुँह धोकर बाहर को लपका कामेश के जाने के बाद कामया भी अपने रूम की ओर चल दी पर जाते हुए उसे भीमा चाचा डाइनिंग टेबल के पास दिख गये वो झूठे प्लेट और बाकी का समान समेट रहे थे कामया के कदम एक बार तो लडखडाये फिर वो सम्भल कर जल्दी से अपने कमरे की ओर लपकी और जल्दी से अपने कमरे में घुसकर दरवाजा लगा लिया पता नहीं क्यों उसे डर लग रहा था अभी थोड़ी देर में ही पापाजी भी चले जाएँगे और मम्मीजी भी अपने कमरे में घुस जाएगी तब वो क्या करेगी अभी आते समय उसने भीमा चाचा को देखा था पता नहीं क्यों उनकी आखों में एक आजीब सी बात थी की उनसे नजर मिलते ही वो काप गई थी उसकी नजर में एक निमंत्रण था जैसे की कह रहा था कि आज का क्या कामया बाथरूम में जल्दी सेघुसी और जितनी जल्दी हो सके तैयार होकर नीचे जाने को तैयार थी जब उसे लगा कि पापाजी और मम्मीजी डाइनिंग टेबल पर पहुँच गये होंगे तो वो भी सलवार कुर्ता पहने हुए डाइनिंग टेबल पर पहुँच गई और मम्मी जी के पास बैठ गई पापाजी और मम्मीजी को भी कोई आपत्ति नहीं थी या फिर कोई शक या शुबह नहीं मम्मीजी ने भी कामया का प्लेट लगा दिया और कामया ने नज़रें झुका कर अपना खा ना शुरू रखा

मम्मीजी- आज क्या आपको भी देर होगी
पापाजी- हाँ … बैंक वालों को बुलाया है कामेश ने कुछ और लोग भी है खाना खाके ही आएँगे
मम्मीजी- जल्दी आ जाना और हाँ … वो टूर वालों से भी पता कर लेन ा
पापाजी- हाँ … कर लूँगा
और कामया की ओर देखते हुए
पापाजी- हाँ … लाखा आज आ जाएगा तुम चली जाना गाड़ी सीखने
कामया- जी
और कामया के सोए हुए अरमान फिर से जाग उठे थे जिस बात को वो भूल जाना चाहती थी पापाजी ने एक बार फिर से याद दिला दिया था वो आज अकेले नहीं जाना चाहती थी और ना ही भीमा चाचा के करीब ही आना चाहती थी कल की गलती का उसे गुमान था वो उसे फिर से नहीं दोहराना चाहती थी पर ना जाने क्यों जैसे ही पापाजी ने लाखा काका का नाम लिया तो उसे कल की शाम की घटना याद आ गई थी और फिर खाते खाते दोपहर की बात
उसके शरीर में एक सिहरन सी दौड़ गई थी वो ना चाहते हुए भी एक जोर की सांस छोड़ी और अपने जाँघो को आपस में जोड़ लिया और नज़रें झुका के खाने लगी पर मन था कि बार-बार उसके जेहन में वही बात याद डालती जा रही थी वो आपने आपसे लड़ने लगी थी अपने मन से या फिर कहिए अपने दिमाग से बार-बार वो अपनी निगाहे उठाकर पापाजी और मम्मीजी की ओर देखने लगी थी कि शायद कोई और बात हो
तो वो यह बात भूलकर कहीं और इन्वॉल्व हो जाए पर कहाँ सेक्स एक ऐसा खेल है या फिर कहिए एक-एक नशा है कि पेट भरने के बाद सबसे जरूरी शारीरिक भूक पेट की भूख बुझी नहीं कि पेट के नीचे की चिंता होने लगती है और ,,,,,,,,,,,,,
 

Coquine_Guy

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कामया तो एक बार वो चख चुकी थी और उसका पूरा मजा भी ले चुकी थी वो तो बस उसको अवाय्ड करना चाहती थी वो यह अच्छे से जानती थ ी , कि अगर वो ना चाहे तो भीमा क्या भीमा का बाप भी उसे हाथ नहीं लगा सकता था और वो तो इस घर का नौकर है किसे क्या बताएगा एक शिकायत में तो वो घर से बाहर हो जाएगा इसलिए उसे इस बात की चिंता तो बिल्कुल नहीं थी की भीमा उसके साथ कोई गलत हरकत कर सकता है पर वो अपने आपको कैसे रोके यही सोचते हुए ही तो वो आज पापाजी और मम्मीजी के साथ ही खाना खाने को आ गई थी अभी जब कामेश गया था तब भी उसकी आखें भीमा से टकराई थी उसने भीमा चाचा की आखों में वही भूख देखी थी या फिर शायद इंतजार देखा था जो कि उसके लिए खतरनाक था अगर वो नहीं संभली तो पता नहीं क्या होजायगा
यही सोचते हुए वो अपनी निगाहे झुकाए खाना खा रही थी पापाजी का हो गया था और वो उठ गये थे पर मम्मीजी कामया का साथ देने को अब भी बैठी थी कामया ने जैसे ही पापाजी को उठते देखा तो जल्दी-जल्दी करने लगी
मम्मीजी- अरे अरे आराम से ख़ालो बहू
कामया- जी बस हो गया और आखिरी नीवाला किसी तरह से अपने मुँह में ठूँसा और पानी के ग्लास पर हाथ पहुँचा दिया
मम्मीजी भी हँसते हुए उठ गई और कामया भी
सभी उठकर हाथ मुँह धोया और पापाजी के कमरे से निकलने का इंतजार करने लगे
पापाजी भी आए और बाहर निकल गये
बाहर लाखा गाड़ी के पास खड़ा था पर आज उसकी नजर नहीं उठी ना तो उसने कामया की ओर ही देखा और नहीं कोई ऐसी बात जो की कामया को परेशान कर सकती हो
लेकिन जैसे ही लाखा घूमकर वापस ड्राइविंग सीट पर बैठने जा रहा था कि मम्मीजी की आवाज ने उसे रोक दिया
मम्मीजी- अरे लाखा ध्यान रखना शाम को आ जाना बहू को ले के जाना है
लाखा- जी माँ जी
और उसकी नजर मम्मीजी के बाद एक बार कामया से टकराई और फिर नीचे हो गई
मम्मी जी- तू ही याद रखना इन लोगों के भरोसे नहीं रहना नहीं तो वही खड़ा रह जाएगा याद से आ जाना ठीक है
लाखा- जी माँ जी
और एक बार फिर से उसकी नजर कामया से टकराई और वो झट से गाड़ी के अंदर समा गया जब गाड़ी गेट के बाहर चली गई तो कामया भी मम्मीजी के साथ अंदर दाखिल हुई और मम्मीजी के पीछे-पीछे उनके कमरे की ओर बढ़ गई थी ना जाने क्यों वो अपने को अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी या फिर डर था कही कोई फिर से गलत कदम ना उठा ले या फिर अपने शरीर की भूख को संभालने की चेष्टा थी यह जो भी हो वो मम्मीजी के साथ उनके कमरे में आ गई थी आते समय जब उसका ध्यान डाइनिंग टेबल पर गया तो देखा कि डिननिग टेबल साफ था मतलब भीमा चाचा ने आज जल्दी ही टेबल साफ कर दिया था नहीं तो वो हमेश ही सबके अपने कमरे में पहुँचने का इंतजार करता था और फिर आराम से डाइनिंग टेबल साफ करके वर्तन धो कर रख देता था अंदर किचेन से वर्तन धोने की आवजे भी आ रही थी वो कुछ और ज्यादा नहीं सोचते हुए जल्दी से मम्मीजी कमरे में घुस गई
मम्मीजी कामया को अपने कमरे में घुसते हुए देखकर थोड़ा सा अचम्भित हुई पर हँसते हु ए
मम्मीजी- क्या बात है बहू कोई बात है
कामया- जी नहीं बस ऐसे ही
मम्मीजी- हाँ … मैं जानती हूँ तुझे बहुत अकेलापन लगता होगा ना सारा दिन घर में अकेले अकेले और बस कमरा में और कुछ भी नहीं है
कामया- जी नहीं मैं तो बस ऐसे ही आ गई थी जाती हूँ
मम्मीजी- अरे अरे बुरा मान गई क्या बैठ यहां
और कामिया को अपने पास बिठाकर मम्मीजी दुनियां भर की बातें करती रही और सुनती रही पर कामया का ध्यान तो उनकी बातों में कम था उसका ध्यान कमरे में रखी चीजो पर कही ज्यादा था बहुत ही कास्ट्ली चीज़े रखी थी कमरे में और बहुत से फोटो भी एक फोटो किसी साधु का भी था वो खड़ी होकर उन फोटो को देखने लगी
मम्मीजी- वो हमारे गुरुजी है उन्हीं के आशीर्वाद से कामेश का जनम हुआ था
कामया- क्याआआ
मम्मीजी- हाँ … हमारे बच्चे पहले पैदा होते ही मर जाते थे पर जब से बाबा जी का आशीर्वाद हमारे ऊपर हुआ है तब से हम लोगों ने दिन दूनी और रात चौगुनी तरक्की की है कभी आएँगे तो तुमको मिलाउन्गी बहुत पहुँचे हुए है वो शहर के बाहर एक आश्रम है वहां रहते है तुम्हारे पापाजी ने ही बनवाया है मैं तीरथ से हो आऊ तो तुम्हें ले चलूंगी ठीक है
कामया- जी
कामया को इन साधु सन्यासी से कोई मतलब नहीं था वो तो बस दूर से नमस्कार करती थी उनसबको कोई इच्छा भी नहीं थी मिलने की
मम्मीजी कहते कहते अपने बिस्तर पर पहुँच चुकी थी और आराम से अपने तकिये में सिर रखक र , लेट गई थी कामया जानती थी कि मम्मीजी को नींद आ रही है पर वो अपने को मम्मीजी के साथ ही बँधे रहना चाहती थी पर मम्मीजी की हालत देखकर कामया ने अपना मूड बदला और जाने को खड़ी हो ग ई
कामया-- मम्मीजी आप आराम कीजिए में चलती हूँ
मम्मीजी- हाँ … थोड़ा तू भी सो ले शाम को लाखा आएगा तैयार रहना हाँ …
कामया- जी
और एक लंबी सी सांस फेक कर कामया अपने कमरे की ओर चल दी रूम के बाहर आते ही वो थोड़ा सा सचेत हो गई थी उसकी नजर अनायास ही डाइनिंग रूम और फिर उसके आगे किचेन तक चली गई थी पर वहां शांति थी बिल्कुल सन्नाटा वो थोड़ा रुकी और थोड़ा धीरे-धीरे अपने कदम बढ़ाते हुए सीडियो की ओर चली पर उसे कोई भी आहट सुनाई नहीं दी कहाँ है भीमा चाचा किचेन में नहीं है क्या या फिर अपने कमरे में चले गये होंगे ऊपर या फिर सोचते हुए कामया सीडियो पर चढ़ती हुई अपने कमरे की ओर जा रही थी पर ना जाने क्यों उसका मन बार-बारकिचेन की ओर देखने को हो रहा था शायद इसलिए कि कल दोपहर को जो घटना हुई थी क्या वो भीमा चाचा भूल गये थे या फिर घर छोड़ कर भाग गये थे या फिर कुछ और ......
वो सीडिया चढ़ती जा रही थी और सोच रही थी क्या भीमा चाचा उससे एक बार खेल कर ही उसे भूल गये है पर वो तो नहीं भूल पाई तो क्या वो जितनी सुंदर और सेक्सी लगती थी वो है नहीं क्या भीमा चाचा भी एक बार के बाद उसे फिर से अपने साथ सेक्स के लिए लालायित नहीं होंगे मैंने तो सुना था कि आदमी एक बार किसी औरत को भोग ले तो बार-बार उसकी इच्छा करता है और वो तो इतनी खूबसूरत है और उसने इस बात की पुष्टि भी की थी उसे भीमा चाचा की नज़रों में ही यह बात दिखी थी पर अभी तो कही गायब ही हो गये थे वो सीढ़ियाँ चढ़ना भूल गई थी वही एक जगह खड़ी होकर एकटककिचेन की ओर ही देख रही थी
कुछ सोचते हुए वो फिर से नीचे की ओर उत्तरी और धीरे-धीरेकिचेन की ओर चल दी उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था पर फिर भी हिम्मत करके वो किचेन की ओर जा रही थी पर क्यों क्या पता नहीं पर कामया के पैर जो कि अपने आप ही किचेन की ओर जा रहे थे किचेन के दरवाजे पर पहुँचकर उसने अंदर देखा वहाँ शांति थी वो थोड़ा और
आगे बढ़ी तो उसे भीमा चाचा के पैर देखके वो शायद नीचे फ्लोर पर पोछा लगा रहे थे उसे अपने को इस स्थिति में पाकर आगे क्या करे सोचने का टाइम भी ना मिला कि तभी भीमा की नजर कामया पर पड़ गई वो कामया को दरवाजे पर खड़ा देखकर जल्दी से उठा और अपने धोती को संभालते हुए हाथ पीछे करके खड़ा हो गया
औ र
भीमा- जी बहू रानी कुछ चाहि ए
कामया -- जी वो पानी
भीमा- जी बहू रानी
 

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उसकी नजर अब भी नीचे ही थी पर बहू के इस समय अपने पास खड़े होना उसके लिए एक बहुत बड़ा बरदान था वो नजरें झुकाए हुए कामया की टांगों की ओर देख रहा था और पानी का ग्लास फिल्टर से भरकर कामया की ओर पलटा कामया ने हाथ बढ़ाकर ग्लास लिया तो दोनों की उंगलियां आपस में टच हो गये कामया और भीमा के शरीर में एक साथ एक लहर सी दौड़ गई और शरीर के कोने कोने पर छा गई वो एक दूसरे को आखें उठाकर देखने की हिम्मत नहीं कर पा रहे थे
पर किसी तरह कामया ने पानी पिया पिया वो तो अपने आपको भीमा के सामने पाकर कुछ और नहीं कह पाई थी तो पानी माँग लिया था और झट से ग्लास प्लतेफोर्म में रख कर पलट गई और अपने कमरे की ओर चल दी
भीमा वही खड़ा-खड़ा अपने सामने सुंदरी को जाते हुए देखता रहा वो चाहता था कि कामया रुक कर उससे बात करे कुछ और नहीं भी करे तो कम से कम रुक जाए और वही खड़े रहे वो उसको देखना चाहता था बस देखना चाहता था नजर भर के पर वो तो जा रही थी उसका मन कर रहा था कि जाके रोक ले वो बहू को और कल की घटना के बारे में पूछे कि कल क्यों उसने वो सब किया मेरे साथ पर हिम्मत नहीं हुई वो अब भी कामया को सीडिया चढ़ते देख रहा था किसी पागल भिखारी की तरह जिसे सामने जाती हुई राहगीर से कुछ मिलने की आसा अब भी बाकी थी

तभी कामया आखिरी सीढ़ी में जाकर थोड़ा सा रुकी और पलट कर किचेन की ओर देखी पर भीमा को उसकी तरफ देखता देखकर जल्दी से ऊपर चली गई भीमा अब भी अपनी आखें फाड़-फाड़कर सीडियो की ओर यूँ ही देख रहा था पर वहाँ तो कुछ भी नहीं था सबकुछ खाली था और सिर्फ़ उसके जाने के बाद एक सन्नाटा सा पसर गया था उसे कोने में
कोने में ही नही बल्कि पूरे घर में वो भी पलटा और अपने काम में लग गया पर उसके दिमाग में बहू की छवि अब भी घूम रही थी सीधी साधी सी लगने वाली बहू रानी अभी भी उसके जेहन पर राज कर रही थी कितनी सुंदर सी सलवार कमीज पहेने हुए थी और उसपर कितना जम रहा था
उसका चेहरा कितना चमक रहा था कितनी सुंदर लगती थी वो पर वो अचानक किचेन में क्यों आई थी भीमा का दिमाग ठनका हाँ … यार क्यों आई थी वो तो मम्मीजी कमरे में थी और अगर पानी ही पीना था तो मम्मीजी कमरे में भी तो रखा था और तो और उनके कमरे में भी था तो वो यहां क्यों आई थी कही सिर्फ़ उसे देखने के लिए तो नहीं या फिर कल के बारे में कुछ कह रही हो या फिर उसे फिर से बुला रही हो अरे यार उसने पूछा क्यों नहीं कि और कुछ चाहिए क्या क्या बेवकूफ है वो धत्त तेरी की अच्छा मौका था निकल गया अब क्या करे अभी भी शाम होने को देर थी क्या वो बहू को फोन करके पूछे अरे नहीं कही बहू ने शिकायत कर दी तो

वो अपने दिमाग को एक झटका देकर फिर से अपने काम में जुट गया था पर ना चाहते हुए भी उसकी नजर सीडियो की ओर चली ही जाती थी
और उधर कामया ने जब पलटकर देखा था तो वो बस इतना जानना चाहती थी कि भीमा क्या कर रहा था पर उसे अपनी ओर देखते हुए पाकर वो घबरा गई थी और जल्दी से अपने कमरे में भाग गई थी और जाकर अपने कमरे की कुण्डी लगाकर बिस्तर पर बैठ गई थी पूरे घर में बिल्कुल शांति थी पर उसके मन में एक उथल पुथल मची हुई थी उसने अपनी चुन्नि को उतार फेका और चित्त होकर लेट गई वो सीलिंग की ओर देखते हुए बिस्तर पर लेटी थी उसकी आखों में नींद नहीं थी उसका दिल जोरो से धड़क रहा था उसके शरीर में एक अजीब सी कसक सी उठ रही थी वो ना चाहते हुए भी अपने आपको अपने में समेटने की कोशिश में लगी हुई थी वो एक तरफ घूमकर अपने को ही अपनी बाहों में भरने की कोशिश कर रही थी
पर नहीं वो यह नहीं कर पा रही थी उसे भीमा चाचा की नज़रें याद आ रही थी उसके पानी देते समय जो उंगलियां उससे टकराई थी वो उसे याद करके सनसना गई थी वो एक झटके से उठी और बेड पर ही बैठे बैठे अपने को मिरर में देखने लगी बिल्कुल भी सामान्य नहीं लग रही थी वो मिरर में पता नहीं क्या पर कुछ चाहिए था क्या पता नहीं हाँ … शायद भीमा हाँ … उसे भीमा चाचा के हाथ अपने पूरे शरीर में चाहिए थे उसने बैठे बैठे ही अपनी सलवार को खोलकर खींचकर उतार दिया और अपनी गोरी गोरी टांगों को और जाँघो को खुद ही सहलाने लगी थी जो अच्छी शेप लिए हुए थे उसके टाँगें पतली और सिडौल सी गोरी गोरी और कोमल सी उसकी टांगों को वो सहलाते हुए उनपर भीमा चाचा के सख़्त हाथों की कल्पना कर रही थी उसकी सांसें अब बहुत तेज चलने लगी थी
उसके हाथ अपने आप ही उसके कुर्ते के अंदर उसकी गोलाईयो की ओर बढ़ चले थे जैसे की वो खुद को ही टटोल कर देखना चाहती थी कि क्या वो वाकई इतनी सुंदर है या फिर ऐसे ही हाँ वो बहुत सुंदर है जब उसके हाथ उसके कुर्ते के अंदर उसकी गोलाईयों पर पहुँचे तो खुद को रोक नहीं पाई और खुद ही उन्हें थोड़ा सा दबाकरदेखा उसके मुख से एक आआह्ह निकली कितना सुख है पर अपने हाथों की बजाए और किसी के हाथों से उसे मजा दोगुना हो जाएगा कामेश भी तो कितना खेलता है इन दोनों से पर अपने हाथों के स्पर्श का वो आनंद उसे नहीं मिल पा रहा था उसने अपने कुर्ते को भी उतार दिया और खड़े होकर अपने को मिरर में देखने लगी थी सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में वो कितनी खूबसूरत लग रही थी लंबी-लंबी टाँगों से लेकर जाँघो तक बिल्कुल सफेद और चिकनी थी वो कमर के चारो ओर पैंटी फँसी हुई थी जो की उसकी जाँघो के बीच से होकर पीछे कही चली गई थी

बिल्कुल सपाट पेट और उसपर गहरी सी नाभि और उसके ऊपर उसके ब्रा में क़ैद दो ठग हाँ … कामेश उनको ठग ही कहता था मस्त उभार लिए हुए थे कामया अपने शरीर को मिरर में देखते हुए कही खो गई थी और अपने हाथों को अपने पूरे शरीर पर चला रही थी और अपने अंदर सोई हुई ज्वाला को और भी भड़का रही थी वो नहीं जानती थी कि आगे क्या होगा पर उसे ऐसा अच्छा लग रहा था आज पहली बार कामया अपने जीवन काल में अपने को इस तरह से देखते हुए खेल रही थी
वो अपने आपसे खेलते हुए पता क्यों अपनी ब्रा और पैंटी को भी धीरे से उतार कर एक तरफ बड़े ही स्टाइल से फेक दिया और बिल्कुल नग्न अवस्था , में खड़ी हुई अपने आपको मिरर में देखती रही उसने आपने आपको बहुत बार देखा था पर आज वो अपने आपको कुछ अजीब ही तरह से देख रही थी उसके हाथ उसे पूरे शरीर पर घूमते हुए उसे एक अजीब सा एहसास दे रहे थे उसके अंदर एक ज्वाला सा भड़क रही थी जो कि अब उसके बर्दास्त के बाहर होती जा रही थी उसकी उंगलियां धीरे-धीरे अपने निपल्स के ऊपर घुमाती हुई कामया अपने पेट की ओर जा रही थी और अपने नाभि को भी अंदर तक छू के देखती जा रही थी दूसरे हाथों की उंगलियां अब उसकी जाँघो के बीच में लेने की कोशिश में थी वो उसके मुख से एक हल्की सी सिसकारी पूरे कमरे में फेल गई और वो अपने सिर को उचका करके नाक से और मुख से सांसें छोड़ने लगी उसकी जाँघो के बीच में अब आग लग गई थी वो उसके लिए कुछ भी कर सकती थी हाँ … कुछ भी वो एकदम से नींद से जागी और फिर से अपने आपको मिरर में देखते हुए अपने आपको वारड्रोब के पास ले गई और एक सफेद पेटीकोट और ब्लाउस निकाल कर पहनने लगी बिना ब्रा के ब्लाउस पहनने में उसे थोड़ा सा दिक्कत हुई पर , ठीक है वो तैयार थी अपने बालों को एक झटका देकर वो अपने को एक बड़े ही मादक पोज में मिरर की ओर देखा और लड़खड़ाती हुई इंटरकम तक पहुँची और किचेन का नंबर डायल कर दिया

किचेन में एक घंटी जाते ही भीमा ने फोन उठा लिया
भीमा- हेलो
कामया ने तुरंत फोन कट दिया , और रखकर तेज-तेज सांसें लेने लगी
उसके अंतर मन में एक ग्लानि सी उठ रही थी ना चाहते हुए भी उसने फोन रख दिया था और बिस्तर पर बैठे बैठे सोचने लगी क्या कर रही है वो एक इतने बड़े घर की बहू को क्या यह सोभा देता है अपने घर के नौकरके साथ और वो भी इसी घर में क्या वो पागल हो गई है नहीं उसे यह सब नहीं करना चाहिए वो सोचते हुए बिस्तर पर लूड़क गई और अपने दोनों हाथों से अपने को समेटे हुए वैसे ही पड़ी रही उसका पूरा शरीर जिस आग में जल रहा था उसके लिए उसके पास कोई भी तरीका नहीं था बुझाने को पर क्या कर सकती थी वो जो वो करना चाहती थी वो गलत था पर पर हाँ … नहा लेती हूँ सोचकर वो एक झटके से उठी और तौलिया हाथ में लिए बाथरूम की ओर चल दी उसका पूरा शरीर थर थर का प
रहा था और शरीर से पसीना भी निकल रहा था वो कुछ धीरे कदमो से बाथरूम की ओर जा ही रही थी कि दरवाजे पर एक हल्की सी क्नॉच से वो चौंक गई
वो जहां थी वही खड़ी हो गई और ध्यान से सुनने की कोशिस करने लगी नहीं कोई आहट नहीं हुई थी शायद उसके मन का भ्रम था कोई नहीं है दरवाजे पर मम्मीजी तो नीचे सो रही होंगी और कौन हो सकता है भीमा चाचा अरे नहीं वो इतनी हिम्मत नहीं कर सकता वो क्यों आएगा
और उधर भीमा ने जैसे ही फोन उठाकर हेलो कहाँ फोन कट गया था वो भी फोन हाथ में लिए खड़ा का खड़ा रह गया था सोचता हुआ कि क्या हुआ बहू को कही कोई चीज तो नहीं चाहिए शायद भूल गई हो नीचे या फिर कोई काम था उससे या कुछ और वो धीरे से किचेन से निकला और ऊपर सीडियो की ओर देखता रहा पर कही कोई आवाज ना देखकर वो बड़ी ही हिम्मत करके ऊपर की ओर चला और बहू के कमरे की ओर आते आते पशीनापशीना हो गया बड़ी ही हिम्मत की थी उसने आज दरवाजे पर आकर वो चुपचाप खड़ा हुआ अंदर की आवाज को सुनने की कोशिश करने लगा था एक हल्की सी आहट हुई तो वो कुछ सोचकर हल्के से दरवाजे पर एक कान करके खड़ा हो गया और इंतजार करने लगा था पर कोई आहट नहीं हुई तो यह सोचते हुए नीचे की ओर चल दिया की शायद बहू सो गई होगी
 

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अंदर कामया का पूरा ध्यान दरवाजे पर ही था नारी मन की जिग्याशा ही कहिए वो अपने को उस नोक का कारण जानने की कोशिश में दरवाजे की ओर चली और कान लगाकर सुनने की कोशिश करने लगी कि कही कोई आहट या फिर कोई चहल पहल की आवाज हो रही है कि नहीं पर कोई आवाज ना देखकर वो दरवाजे की कुण्डी खोलकर बाहर की ओर देखती है पर कोई नहीं था वहाँ कुछ भी नहीं था तो वो बाहर आ गई थी बाहर भी कोई नहीं था लेकिन आचनक ही उसकी नजर सामने सीढ़ियो पर पड़ी तो वहां भीमा खड़ा था जो कि अब उसी की ओर देख रहा था कामया ने अब भी सफेद ब्लाउस और पेटीकोट ही पहना हुआ था और हाथ में तौलिया था वो भीमा चाचा को सीढ़ियो में देख अकर सबकुछ भूल गई थीउसे अपने आपको ढकने की बात तो दूर वो फिर से अपने को उस आग की गिरफ़्त में पाती जा रही थी जिस आग से वो अब तक निकलने की कोशिश कर रही थी

उसकी सांसों में अचानक ही तेजी आ गई थी और वो उसकी धमनिओ से टकरा रही थी भीमा सीढ़ियो में खड़ा-खड़ा बहू के इस रूप को देख रहा था बहू तो कल जैसे ही स्थिति में है ती क्या वो आज भी मालिश के बहाने उसे बुला रही थी हाँ शायद पर अब क्या करे वो हिम्मत करके सीढ़ियो में ही घुमा और बहू की ओर कदम बढ़ाया अपने सामने इस तरह से खड़ी कोई स्वप्न सुंदरी को कैसेछोड़ कर जा सकता था वो उसका दीवाना था वो तो उस रूप का पुजारी था उस रूप को उसकाया को वो भोग चुका था उसकी मादकता और नाजूक्ता का अनुमान था उसे उसके लिए वो तो कब से लालायित था और वो उसके सामने इस तरह से खड़ी थी भीमा अपने आपको रोक ना पाया और बड़े ही सधे हुए कदमो से बहू की ओर बढ़ने लग ा
और कामया ने जब भीमा चाचा को अपनी ओर बढ़ते हुए देखा तो जैसे वो जमीन में गढ़ गई थी उसकी सांसें जो कि अब तक उसकी धमनियों से ही टकरा रही थी अब उसके मुँह से बाहर आने को थी हर सांस के साथ उसके मुख से एक हल्की सी सिसकारी भी निकलने लगी थी उसके शरीर के हर एक रोएँ में सेक्स की एक लहर दौड़ गई थी उसे भीमा चाचा के हाथ और उनके शरीर के बालों का गुच्छे याद आने लगे थे कल जब भीमा चाचा ने उसे अपनी बाहों में लेकररोंधा था वो एक-एक वाकया उसे याद आने लगा था वो खड़ी-खड़ी काँपने लगी थी उसका शरीर ने एक के बाद एक झटके लेना शुरू कर दिया था वो खड़े-खड़े लड़खड़ा गई थी और दीवाल का सहारा लेने को मजबूर हो गई थी उसकी और भीमा चाचा की आखें एक दूसरे की ओर ही थी एक बार के लिए भी नहीं हटी थी अब कामया पीछे दीवार के सहारे खड़ी थी कंधा भर टिका था दीवाल से और पूरा शरीर पाँव के सहारे खड़ा था सांसों की तेजी के साथ कामया की चूचियां अब ज्यादा ही ऊपर की ओर उठ जा रही थी वो नाक और मुख से सांस लेते हुए भीमा चाचा को अपने करीब आते देख रही थी भीमा करीब और करीब आते हुए उसके बहुत नजदीक खड़ा हो गया अब भीमा की नजर बहू के शरीर का अवलोकन कर रही थी वही शरीर जिसे कल उसने भोगा था और बहुत ही अच्छे तरीके से भोगा था जैसा मन किया था वैसे ही आज फिर वो उसके सामने खड़ी थी कल जैसे ही परिस्थिटी में औ र , खुल्ला आमंत्रण था भीमा को वो सिर से पैर तक बहू को निहारता रहा और
भीमा की नजर एक बार फिर से बहू के चेहरे पर पड़ी और उनको देखते हुए उसने अपने हाथों को बहू की ओर बढ़ाया धीरे से उसने बहू के पेट को छुआ
कामया- आआआआआआअह्ह उूुुुुुुुुउउम्म्म्ममममममममम म


भीमा के हाथों में जैसे मखमल आ गया हो नाजुक नाजुक और नरम नरम सा बहू का पेट उसकी सांसों के साथ अंदर-बाहर और ऊपर नीचे होते हुए वो अपने हाथों को एक जगह नहीं रख पाया वो अपने दूसरे हाथ को भी लाकर बहू के पेट पर रख दिया और अपने दोनों हाथों से उसको सहलाने लगा सहलाने लगा बल्कि कहिए उनका नाप लेने लगा वो अपने हाथों से बहू के पेट का आकार नाप रहा था और उस ऊपर वाले की रचना को महसूस कर रहा था वो अपनी आखें गढ़ाए बहू के पेट को ऊपर से देख भी रहा था और अपने हाथों से उस रचना की तारीफ भी कर रहा था उसकी आखों के सामने बहू की दोनों चूचियां अपनी जगह से आजाद होने की कोशिश कर रही थी वो अपने हाथों को धीरे से बहू के ब्लाउसकी ओर ले जाने लगा कि आचनक ही बहू लड़खड़ाई और भीमा की सख़्त बाहों ने बहू को संभाल लिया अब बहू भीमा की ग्रफ्त में थी और बेसूध थी उसकी आखें बंद सी थी नथुने फूल रहे थे मुख से सिसकारी निकल रही थी उसका पूरा शरीर अब भीमा के हाथों में था उसके भरोसे में था वो चाहे तो वही पटक कर बहू को भोग सकता था या फिर उठाकर अपने कमरे में ले जा सकता था या फिर अंदर उसी के कमरे में कल जैसे बिल्कुल नंगा करके उसके सारे शरीर को जो चाहे वो कर सकता था उसकी आखें बहू की चेहरे पर थी वो अपना सबकुछ भीमा के हाथों में सौंप कर लंबी-लंबी सांसें लेते हुई उसकी बाहों ले लटकी हुई थी भीमा उस अप्सरा को अपने बाहों में संभाले हुए अपने एक हाथों से उसकी पीठ को सहारा दिया और दूसरे हाथ से उसके पैरों के नीचे से हाथ डालकर एक झटके से उसे उठाकर उसी के बेडरूम में घुस गया वो कमरे में आते ही अपने हाथों की उस सुंदर और कामुक काया को कहाँ रखे सोचने लगा उसके हाथों में कामया एक बेसूध सी जान लग रही थी एक रति के रूप में वो लगभग बेहोशी की मुद्रा में थी उसे सब पता था कि क्या चल रहा था पर उसके हाथों से अब बात निकल चुकी थी वो अब भीमा को भेट चढ़ चुकी थी या कहिए वो अपने को भीमा के सुपुर्द कर चुकी थी अब वो इस खेल का हिस्सा बनने को तैयार थी अब वो उसे भीम काय दैत्य के हर उस पुरुषार्थ को सहने को तैयार थी जो कि उसे चाहिए था जो कि उसे कामेश से नहीं मिला था या फिर उसे नहीं पता था इतनी दिनों तक वो अब अपने आपको किसी भी स्थिति में रोकना नहीं चाहती थी भीमा के गोद में वो ऐसी लग रही थी कि कोई बनमानुष उसे उठाकर अपने हवस का शिकार करने जा रहा हो वो तैयार थी उस बनमानुष को झेलने को उसे राक्षस को अपने अंदर समा लेने को वो चुपचाप उस राक्षस का साथ दे रही थी उसके हर कदम को देख भी रही थी और समझ भी रही थी जैसे कह रही हो करो और करो जो मन में आए करो पर मेरे तन की आग को ठंडा करो प्ली ज

भीमा अपने हाथों में बहू को उठाए कमरे में दाखिल हुआ और सोचने लगा की अब क्या करे पर वो खुद ही बिना किसी इजाज़त के बहू को उसके बिस्तर तक ले गया और धीरे से हाँ बहुत ही धीरे से बहू को उसके बिस्तर पर लिटा दिया बहू अब सिर और नितंबों और पैरों के तले को रखकर बिस्तर पर लेटी हुई थी कामया को जैसे ही भीमा ने बिस्तर पर रखा वो एक जल बिन मछली की तरह से तड़प उठी उसके हाथ पाँव और सिर बिस्तर पर अपने आपसे इधर उधर होने लगे थे वो अपने को भीमा के शरीर से अलग नहीं करना चाहती थी वो जब भीमा उसे अपने गोद में भरकर लाया था तो उसके नथुनो में भीमा के पसीने की खुशबू को सूंघ कर ही बेसूध हो गई थी कितनी मर्दानी खुशबू थी कितनी मादक थी यह खुशबूओ काम अग्नि में जलती हुई कामया का पूरा शरीर अब भीमा के रहमो करम पर था वो चाहती थी कि भीमा कल जैसे उससे निचोड़ कर रख दे उसके शरीर में उठ रही हर एक लहर को अपने हाथों से रोक दे , वो अपने आपको अकेला सा पा रही थी बिस्तर पर और भीमा पास खड़े हुए बहू की इस स्थिति को अपने आखों से देख रहा था बहू के ब्लाउसमें फँसे हुए उसके गोल गोल बड़े-बड़े चुचो को वो वही खड़े-खड़े निहार रहा था उसके ऊपर-नीचे होते हुए आकर को बढ़ते घटते देख रहा था उसके पेट को अंदर-बाहर होते देख रहा था जाँघो में फाँसी हुई पेटीकोट को उसकी टांगों के साथ ऊपर-नीचे होते हुए देख रहा था उसकी आखें बहू के हर हिस्से को देख रही थी और उसकी सुंदरता को अपने अंदर उतारने की कोशिश कर रही थी वो खड़े-खड़े देख ही रहा था कि उसके हाथों से बहू की नाजुक हथेली टकराई वो उसकी मजबूत हथेली को अपनी हथेली में लेने की कोशिश कर रही थी वो अपनी हथेली को भीमा की हथेली पर कस कर पकड़ बनाने की कोशिश कर रही थी और अपने पास खींच रही थी उसके हाथ भीमा को अपने पास और पास आने का न्यौता दे रहे थे भीमा भी अब कहाँ रुकने वाला था वो भी बहू के हाथों के साथ अपने आपको आगे बढ़ाया और बहू के हाथों का अनुसरण करने लगा बहू अपने हाथों को भीमा के हाथों के सहारे अपने चूची तक लाने में सफल हो गई थी उसके चूचियां और भी तेज गति से ऊपर की ओर हो गये

कामया के मुख से एक आआअह्ह निकली और वो भीमा के हाथों को अपने चूची के ऊपर घुमाने लगी थी भीमा को तो मन की मुराद ही मिल गई थी जो खड़े-खड़े देख रहा था अब उसके हाथों में था वो और नहीं रुक पाया वो अपने अंदर के शैतान को और नहीं रोक पाया था वो अपने दोनों हाथों से बहू की दोनों चूचियां को कस कर पकड़ लिया और ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा कामया का पूरा शरीर धनुष की तरह से अकड गया था वो अपने सिर के और कमर के बल ऊपर को उठ गई थी
 

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कामया- उूुुुुउउम्म्म्मममम आआआआआआआअह् ह

और भीमा के होंठ उसकी आवाज को दबाने को तैयार थे उसके होंठों ने कामया के होंठों को सील दिया और अब खेल शुरू हो गया दोनों एक दूसरे से बिना किसी ओपचारिकता से गुथ गये थे भीमा कब बिस्तर पर उसके ऊपर गिर गया पता ही नहीं चला वो कामया को अपने बाहों में जकड़े हुए निचोड़ता जा रहा था और उसकी दोनों चुचियों को अपने हाथों से दबाते जा रहा था कामया जो कि नीचे से भीमा को पूरा समर्थन दे रही थी अब अपनी जाँघो को खोलकर भीमा को अपने बीच में लेने को आतुर थी वो सेक्स के खेल में अब देरी नहीं करना चाहती थी उसकी जाँघो के बीच में जो हलचल मची हुई थी वो अब उसकी जान की दुश्मन बन गई थी वो अब किसी तरह से भीमा को जल्दी से जल्दी अपने अंदर समा लेना चाहती थी पर वो तो अब तक धोती में था और ऊपर भी कुछ पहने हुए था अब तो कामया भूखी शेरनी बन गई थी वो नहीं चाहती थी कि अब देर हो भीमा को अपने ऊपर से पकड़े ही उसने हिम्मत करके एक हाथ से उसकी धोती को खींचना चालू किया और अपने को उसके साथ ही अड्जस्ट करना चालू किया भीमा जो कि उसके ऊपर था बहू के इशारे को समझ गया था और आश्चर्य भी हो रहा था कि बहू आज इतनी उतावली क्यों है पर उसे क्या वो तो आज बहू को जैसे चाहे वैसे भोग सकता था यही उसके लिए वरदान था वो थोड़ा सा ऊपर उठा और अपनी धोती और अंदर अंडरवेअर को एक झटके से निकाल दिया और वापस बहू पर झुक चुका क्या झुका लिया गया नीचे पड़ी कामया को कहाँ सब्र था वो खुद ही अपने हाथों से भीमा को पकड़कर अपने होंठों से मिलाकर अपनी जाँघो को खोलकर भीमा को अड्जस्ट करने लगी थी भीमा का लिंग उसकी योनि के आस-पास टकरा रहा था बहुत ही गरम था और बहुत ही बड़ा पर उससे क्या वो तो कल भी इससे खेल चुकी थी उसको उस चीज का मजा आज भी याद था वो और ज्यादा सह ना पाई
कमाया- आआआआआआह्ह उूुउउंम्म चाचा प्लीज़ करो ना प्ली ज
और भीमा चाचा के कानों में एक मादक सी घुल जाने वाली आवाज़ ने कहा तो भीमा के अंदर तक आग सी दौड़ गई और भीमा का लिंग एक झटके से अंदर हो गया औ र
कामया- ईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई उूुुुुुुुउउम्म्म्मममममममम आवाज भीमा चाचा के गले में कहीं गुम हो गई


भीमा का लिंग बहू के अंदर जाते ही जैसे कमरे में तूफान सा आ गया था बिस्तर पर एक द्वंद युद्ध चल गया था दोनों एक दूसरे में समा जाने की कोशिस में लगे थे और एक दूसरे के हर अंग को छूने की कोशिश में लगे हुए थे कामया तो जैसे पागल हो गई थी कल की बातें याद करके आज वो खुलकर भीमा के साथ इस खेल में हिस्सा ले रही थी वो अपने आपको खुद ही भीमा चाचा के हाथों को अपने शरीर में हर हिस्से को छूने के लिए उकसा रही थी वो अपने होंठों को भीमा के गालों से लेकर जीब तक को अपने होंठों से चूस-चूसकर चख रही थी और भीमा तो जैसे अपने नीचे बहू की सुंदर काया को पाकर समझ ही नहीं पा रहा था वो अपने हाथों को और अपने होंठों को बहू के हर हिस्से में घुमा-घुमाकर चूम भी रहा था और चाट चाट कर उस कमसिन सी नारी का स्वाद भी ले रहा था और अपने अंदर के शैतान को और भी भड़का रहा था

वो किसी वन मानुष की तरह से बहू को अपने नीचे रोंध रहा था और उसे अपनी बाहों में भरकर निचोड़ता जा रहा था उसके धक्कों में कोई कमी नहीं आई थी बल्कि तेजी ही आई थी और हर धक्के में वो बहू को अपनी बाहों में और जोर से जकड़ लेता था , ताकि वो हिल भी ना पाए और उसके नीचे निस्चल सी पड़ी रहे और कामया की जो हालत थी उसकी वो कल्पना भी नहीं कर पा रही थी भीमा के हर धक्के पर वो अपने पड़ाव की ओर बढ़ती जा रही थी और हर धक्के की चोट पर भीमा चाचा की गिरफ़्त में अपने आपको और भी कसा हुआ महसूस करती थी उसकी जान तो बस अब निकल ही जाएगी सोचते हुए वो अपने मुकाम की ओर बढ़ चली थी और वो भीमा चाचा के जोर दार झटको को और नहीं सह पाई और वो झड़ गई थी झरना इसको कहते है उसे पता ही नही चला लगा कि उसकी योनि से एक लंबी धार बाहर की ओर निकलने लगी थी जो कि रुकने का नाम भी नहीं ले रही थी और भीमा तो जैसे पागलों की तरह अपने आपसे गुम बहू को अपनी बाहों में भरे हुए अपनी पकड़ को और भी मजबूत करते हुए लगा तार जोरदार धक्के लगाता जा रहा था वो भी अपनी पीक पर पहुँचने वाला था पर अपने नीचे पड़ी बहू को ठंडा होते देख कर वो और भी सचेत हो गया और बिना किसी रहम के अपनी गति को और भी बढ़ा दिया और अपने होंठों को बहू के होंठों के अंदर डाल कर उसकी जीब को अपने होंठों में दबाकर जोर्र दार धक्के लगाने लगा था कामया जो कि झड कर शांत हो गई थी भीमा चाचा के निरंतर धक्कों से फिर जाग गई थी और हर धक्के का मजा लेते हुए फिर से अपने चरम सीमा को पार करने की कोशिश करने लगी थी उसके जीवन काल में यह पहली बार था कि वो एक के बाद दूसरी बार झड़ने को हो रही थी भीमा चाचा की हर एक चोट पर वो अपनी नाक से सांस लेने को होती थी और नीचे से अपनी कमर और योनि को उठाकर भीमा को और अंदर और अंदर तक उतर जाने का रास्ता भी देती जा रही थी उसके हर एक कदम ने उसका साथ दिया और भीमा का ढेर सारा वीर्य जब उसकी योनि पर टकराया तो वो एक बार फिर से पहली बार से ज्यादा तेजी से झड़ी थी उसका शरीर एकदम से सुन्न हो गया था पर भीमा चाचा की पकड़ अब भी उसके शरीर पर मजबूती से कसा हुआ था वो हिल भी नहीं पा रही थी और नाही ठीक से सांस ही ले पा रही थी हाँ अब दोनों धीरे-धीरे शांत हो चले थे भीमा भी अब बहू के होंठो को छोड़ कर उसके कंधे पर अपने सिर को रखकर लंबी-लंबी सांसें ले रहा था और अपने को सैयम करने की कोशिश कर रहा था उसकी पकड़ अब बहू पर से ढीली पड़ती जा रही थी और उसके कानों में कामिया की सिसकारियां और जल्दी-जल्दी सांस लेने की आवाज भी आ रही थी जैसे वो सपने में कुछ सुनाई दे रही थी भीमा अपने आपको संभालने में लगा था और अपने नीचे पड़ी हुई बहू की ओर भी देख रहा था उसके बाल उसके नीचे थे बहू का चेहरा उस तरफ था और वो तेज-तेज सांसें ले रही थी बीच बीच में खांस भी लेती थी उसकी चूचियां अब आज़ादी से उसके सीने से दबी हुई थी भीमा की जाँघो से बहू की जांघे अब भी सटी हुई थी उसका लिंग अब भी बहू के अंदर ही था वो थोड़ा सा दम लगाकर उठने की चेष्टा करने लगा और अपने लिंग को बहू के अंदर से निकालता हुआ बहू के ऊपर ज़ोर ना देता हुआ उठ खड़ा हुआ या कहिए वही बिस्तर पर बैठ गया बहू अब भी निश्चल सी बिस्तर पर अपने बालों से अपना चेहरा ढके हुए पड़ी हुई थी भीमा ने भी उसे डिस्टर्ब ना करते हुए अपनी धोती और अंडरवेर उठाया और उस सुंदर काया के दर्शन करते हुए अपने कपड़े पहनने लगा

उसके मन की इच्छा अब भी पूरी नहीं हुई थी उस अप्सरा को वैसे ही छोड़ कर वो नहीं जाना चाहता था वो एक बार वही खड़े हुए बहू को एक टक देखता रहा और उसके साथ गुजरे हुए पल को याद करता रहा बहू की कमर के चारो ओर उसका पेटीकोट अब भी बिखरा हुआ था पर ब्लाउस के सारे बटन खुले हुए थे और उसके कंधों के ही सहारे थे उसकी चूचियां अब बहुत ही धीरे-धीरे ऊपर और नीचे हो रही थी नाभि तक उसका पेट बिल्कुल बिस्तर से लगा हुआ था जाँघो के बीच काले बाल जो कि उस हसीना के अंदर जाने के द्वार के पहरेदार थे पेट के नीचे दिख रहे थे और लंबी-लंबी पतली सी जाँघो के बाद टांगों पर खतम हो जाती थी
भीमा की नजर एक बार फिर बहू पर पड़ी और वो वापस जाने को पलटा पर कुछ सोचकर वापस बिस्तर तक आया और बिस्तर के पास झुक कर बैठ गया और बहू के चेहरे से बालों को हटाकर बिना किसी डर के अपने होंठों को बहू के होंठों से जोड़ कर उसका मधु का पान करने लगा वो बहुत देर तक बहू के ऊपर फिर नीचे के होंठों को अपने मुख में लिए चूसता रहा और फिर एक लंबी सी सांस छोड़ कर उठा और नीचे रखी एक कंबल से बहू को ढँक कर वापस दरवाजे से बाहर निकल गया
कामया पड़े हुए भीमा की हर हरकत को देख भी रही थी और महसूस भी कर रही थी लेकिन उसके शरीर में इतनी जान ही नहीं बची थी कि वो कोई कदम उठाती या फिर अपने को ढँकती वो तो बस लेटी लेटी भीमा की हर उस हरकत का लुफ्त उठा रही थी जिसे कि आज तक उसके जीवन में नहीं हुआ था वो तब भी उठी हुई थी जब वो उसके ऊपर से हटा था और उसने पलटकर अपनी धोती और अंडरवेअर पहना था कितना बलिश्त था वो बिल्कुल कसा हुआ सा और उसके नितंब तो जैसे पत्थर के टुकड़े थे बिल्कुल कसे हुए और काले काले थे जाँघो में बाल थे और लिंग तो झड़ने के बाद भी कितना लंबा और मोटा था कमर के चारो ओर एक घेरा सा था और उसके ऊपर उसका सीना था काले और सफेद बालों को लिए हु ए
उसने लेटे हुए उसने भीमा को अच्छे से देखा था उतना अच्छे से तो उसने अपने पति को भी नहीं देखा था पर ना जाने क्यों उसे भीमा चाचा को इस तरह से छुप कर देखना बहुत अच्छा लग रहा था और जब वो जाते जाते रुक गये थे और पलटकर आके उसके होंठों को चूमा था तो उसका मन भी उनको चूमने का हुआ था पर शरम और डर के मारे वो चुपचाप लेटी रही थी उसे बहुत मजा आया था
उसके पति ने भी कभी झड़ने के बाद उसे इस तरह से किस नहीं किया था या फिर ढँक कर सुलाने की कोशिश नहीं की थी वो लेटी लेटी अपने आपसे ही बातें करती हुई सो गई और एक सुखद कल की ओर चल दी उससे पता था कि अब वो भीमा चाचा को कभी भी रोक नहीं पाएगी और वो यह भी जानती थी कि जो उसकी जिंदगी में खाली पन था अब उसे भरने के लिए भीमा चाचा काफी है वो अब हर तरीके से अपने शरीर का सुख भीमा चाचा से हासिल कर सकती है
और किसी को पता भी नहीं चलेगा और वो एक लंबी सी सुखद नींद के आगोस में समा गई
 
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