जब कामेश निकला तो वो भी बाथरूम में घुस गई और कुछ देर बाद दोनों चेंज करके नीचे पापाजी और मम्मीजी के साथ चाय पीरहे थे पापाजी और मम्मीजी और कामेश एक दूसरे से बातों में इतना व्यस्त थे कि कामया का ध्यान किसी को नहीं था और नहीं कामया को कोई इंटेरस्ट था इन सब बातों में वो तो बस अपने आप में ही खुश रहने वाली लड़की थी और कोई ज्यादा अपेक्षा नहीं थी उसे कामेश से और अपने घर वालों से एक तो किसी बात की बंदिश नहीं थी उसे यहां और ना ही कोई रोक टोक और नहीं ही कोई काम था तो क्या शिकायत करे वो बस कामेश की चाय खतम हुई और दोनों अपने कमरे की ओर चल दिए पापाजी और मम्मीजी भी अपने कमरे की ओर और पूरे घर में फिर से शांति सब अपने कमरे में जाने की तैयारी में लगे थे कामया वही बिस्तर बैठी कामेश के बाथरूम से निकलने की राह देख रही थी और उसके कपड़े निकालकर रख दिए थे वो बैठे बैठे सोच रही थी कि कामेश बाथरूम से निकलते ही जल्दी से अपने कपड़े उठाकर पहनने लगा
कामेश-् हाँ … कामया आज तुम क्या गाड़ी चलाने जाओगी
कामया- आप बताइए
कामेश- नहीं नहीं मेरा मतलब है कि शायद मैं थोड़ा देर से आऊँगा तो अगर तुम भी कही बीजी रहोगी तो अपने पति की याद थोड़ा कम आएगी हीही
कामया- कहिए तो पूरा दिन ही गाड़ी चलाती रहूं
कामेश- अरे यार तुमसे तो मजाक भी नहीं कर सकते
कामया- क्यों आएँगे लेट
कामेश- काम है यार पापा भी साथ में रहेंगे
कामया- ठीक है पर क्या मतलब कब तक चलाती रहूं
कामेश- अरे जब तक तुम्हें चलानी है तब तक और क्या मेरा मतलब था कि कोई जरूरत नहीं है जल्दी बाजी करने की
कामया- ठीक है पर क्या रात को इतनी देर तक में वहां ग्राउंड पर लाखा काका के साथ मेरा मतलब
कामेश- अरे यार तुम भी ना लाखा काका हमारे बहुत ही पुराने नौकर है अपनी जान दे देंगे पर तुम्हें कुछ नहीं होने देंगे
कामया- जी प र
कामेश- क्या पर पर छोड़ो मैं छोड़ दूँगा तुम तैयार रहेना ठीक है जब भी आए चली जाना
कामया- जी
और दोनों नीचे की ओर चल दिए डाइनिंग रूम में खाना लगा था कामेश के बैठ-ते ही कामया ने प्लेट मे खाना लगा दिया और पास में बैठकर कामेश को खाते देखती रही कामेश जल्दी-जल्दी अपने मुख में रोटी और सब्जी ठूंस रहा था और जल्दी से हाथ मुँह धोकर बाहर को लपका कामेश के जाने के बाद कामया भी अपने रूम की ओर चल दी पर जाते हुए उसे भीमा चाचा डाइनिंग टेबल के पास दिख गये वो झूठे प्लेट और बाकी का समान समेट रहे थे कामया के कदम एक बार तो लडखडाये फिर वो सम्भल कर जल्दी से अपने कमरे की ओर लपकी और जल्दी से अपने कमरे में घुसकर दरवाजा लगा लिया पता नहीं क्यों उसे डर लग रहा था अभी थोड़ी देर में ही पापाजी भी चले जाएँगे और मम्मीजी भी अपने कमरे में घुस जाएगी तब वो क्या करेगी अभी आते समय उसने भीमा चाचा को देखा था पता नहीं क्यों उनकी आखों में एक आजीब सी बात थी की उनसे नजर मिलते ही वो काप गई थी उसकी नजर में एक निमंत्रण था जैसे की कह रहा था कि आज का क्या कामया बाथरूम में जल्दी सेघुसी और जितनी जल्दी हो सके तैयार होकर नीचे जाने को तैयार थी जब उसे लगा कि पापाजी और मम्मीजी डाइनिंग टेबल पर पहुँच गये होंगे तो वो भी सलवार कुर्ता पहने हुए डाइनिंग टेबल पर पहुँच गई और मम्मी जी के पास बैठ गई पापाजी और मम्मीजी को भी कोई आपत्ति नहीं थी या फिर कोई शक या शुबह नहीं मम्मीजी ने भी कामया का प्लेट लगा दिया और कामया ने नज़रें झुका कर अपना खा ना शुरू रखा
मम्मीजी- आज क्या आपको भी देर होगी
पापाजी- हाँ … बैंक वालों को बुलाया है कामेश ने कुछ और लोग भी है खाना खाके ही आएँगे
मम्मीजी- जल्दी आ जाना और हाँ … वो टूर वालों से भी पता कर लेन ा
पापाजी- हाँ … कर लूँगा
और कामया की ओर देखते हुए
पापाजी- हाँ … लाखा आज आ जाएगा तुम चली जाना गाड़ी सीखने
कामया- जी
और कामया के सोए हुए अरमान फिर से जाग उठे थे जिस बात को वो भूल जाना चाहती थी पापाजी ने एक बार फिर से याद दिला दिया था वो आज अकेले नहीं जाना चाहती थी और ना ही भीमा चाचा के करीब ही आना चाहती थी कल की गलती का उसे गुमान था वो उसे फिर से नहीं दोहराना चाहती थी पर ना जाने क्यों जैसे ही पापाजी ने लाखा काका का नाम लिया तो उसे कल की शाम की घटना याद आ गई थी और फिर खाते खाते दोपहर की बात
उसके शरीर में एक सिहरन सी दौड़ गई थी वो ना चाहते हुए भी एक जोर की सांस छोड़ी और अपने जाँघो को आपस में जोड़ लिया और नज़रें झुका के खाने लगी पर मन था कि बार-बार उसके जेहन में वही बात याद डालती जा रही थी वो आपने आपसे लड़ने लगी थी अपने मन से या फिर कहिए अपने दिमाग से बार-बार वो अपनी निगाहे उठाकर पापाजी और मम्मीजी की ओर देखने लगी थी कि शायद कोई और बात हो
तो वो यह बात भूलकर कहीं और इन्वॉल्व हो जाए पर कहाँ सेक्स एक ऐसा खेल है या फिर कहिए एक-एक नशा है कि पेट भरने के बाद सबसे जरूरी शारीरिक भूक पेट की भूख बुझी नहीं कि पेट के नीचे की चिंता होने लगती है और ,,,,,,,,,,,,,