कामेश के जाने के बाद पापाजी को लेने आज लाखा आया था वो खुश थी कि शाम को काका के साथ वो ड्राइविंग करने जा सकती है और अभी भी वो भीमा को अपने कमरे में बुला सकती है वो अब सेक्स की चिता में बैठ चुकी थी उसे अब उस आग में जलने से कोई नहीं रोक सकता था और वो अपने को तैयार भी करचूकी थी उसने भी आज पापा जी और मम्मीजी के साथ ही खाना खा लिया था और सीधे अपने कमरे में चली गई थी
जैसे ही वो अपने कमरे में पहुँची वो अपने को भीमा चाचा के लिए तैयार करने लगी थी उसके तन में वो आग फिर से भड़कने थी वो बस अब जल्दी से उस आग पर काबू पाना चाहती थी वो भीमा चाचा का इंतजार करने लगी थी पर भीमा चाचा तो नहीं आए काफी टाइम हो जाने के बाद भी नहीं (काफी क्या 10 15 मिनट ही हुए होंगे )
पर कामया तो जिस चिता पर जल रही थी वहां संयम ही कहाँ था वो कुछ ना समझ पाई और खुद को ना रोक पाई और वो सीढ़िया उतरने लगी वो जब किचेन में पहुँची तो देखा भीमा चाचा बर्तन धो रहे है
कामया को अचानक ही किचेन में खड़ा देखकर भीमा थोड़ा सा चुका पर बहू के चेहरे को देखकर ही समझ गया कि उसे क्या चाहिए पर कुछ सोचकर वो पानी का ग्लास ले के कर आगे बढ़ा उसके सामने एक बहू खड़ी थी जिसे पानी नहीं कुछ और चाहिए था और यह भीमा अच्छे से जानता था पर पानी का ग्लास तो एक बहाना था उसके नजदीक जाने का
वो पानी का ग्लास लेके जैसे ही बढ़ा तो बहू को भी थोड़ा सा अंदर किचेन की ओर आते देखा वो वही रुक कर बहू को अपने पास आने दे रहा था
वो यह जानता था कि बहू को जैसे चाहे वैसे अपने तरीके से भोग सकता था तो वो वही रुक गया और बहू की ओर पानी का ग्लास बढ़ा दिया भीमा की नजर बहू के चेहरे पर थी पर कामया अपनी नजर भीमा चाचा से नहीं मिला पा रही थी उसकी सांसें बहुत तेज चल रही थी उसकी चाल में भी वो कान्फिडेन्स नहीं था उसकी चाल कुछ लरखड़ा रही थी पर हाँ … उसके मन में जो बात थी वो उसके चेहरे पर पढ़ा जा सकता था
उसने हाथ बढ़ाकर पानी का ग्लास ले लिया लेते समय उसकी उंगलियां भीमा चाचा की मोटी-मोटी उंगलियों से टच हो गई थी कामया के शरीर में एक बिजली की लहर दौड़ गई थी उसके हाथों में आए पानी के ग्लास को बड़ी मुश्किल से संभाल पाई थी वो ग्लास लिए सोचने लगी कि पिए या क्या करे उसने नजर बड़ी मुश्किल से उठाई और एक बार भीमा चाचा की ओर देखा भीमा चाचा अब भी उसी की तरफ एकटक देख रहे थे
कामया ने अपनी नजर झुका ली और एक घुट जल्दी से ग्लास से अपने मुँह में भर लिया तब तक भीमा चाचा के हाथ उसकी कमर तक पहुँच चुके थे और वो कामया को धीरे-धीरे अपनी ओर खींच रहे थे कामया को उनका यह तरीका कुछ समझ में आता तब तक तो भीमा अपने दोनों हाथों से कामया की कमर को चारो ओर से घेर चुके थे और कसकर अपने से सटा रखा था कामया का पूरा ध्यान अब भीमा चाचा की हरकतों पर था उसका शरीर अब जल रहा था उसे अब बस एक आदमी चाहिए था जो कि उसकी आग को भुझा सके
वो अपना चेहरा दूसरी तरफ किए हुए अपने मुख और नाक से बड़ी जोर-जोर से सांस छोड़ रही थी उसके हाथों पर जो ग्लास था उसका पानी अब नीचे जमीन पर गिर रहा था उसके हाथों में अब इतनी ताकत नहीं थी वो ग्लास को जोर से अपने हाथों पर थाम सके ग्लास गिर जाता अगर भीमा चाचा ने जल्दी से उसे पकड़कर प्लेट फार्म में नहीं रख दिया होता भीमा चाचा की पकड़ अब बबी कामया की कमर पर थी और अब उनकी दोनों हथेली उसके नितंबों के चारो और घूमकर उसके आकार को नाप रही थी कामया का पूरा शरीर जैसे आकड़ गया हो
वो धनुष की तरह अपने को आगे और सिर पीछे की ओर किए हुए थी उसके हाथ अब भीमा चाचा की बाहों को पकड़कर अपने को सहारा दिए हुए थी आज भीमा चाचा के हाथों में कुछ अजीब बात थी आज उनके हाथों में एक निर्ममता थी उसकी पकड़ आज बहुत कड़क थी और एक सख्त पन लिए हुए थी पर कामया को यह अच्छा लग रहा था जब भीमा चाचा अपनी हथेलियो से उसकी नितंबों को दबा रहे थे और बीच बीच मेउसके नितंबों की धार पर ले जाते थे तो उसके मुख से एक सिसकारी भी निकल जाती थी
वो अपने पकड़ को और भी मजबूत करते जा रहे थे और कामया को अपने और भी नजदीक लेते जा रहे थे उनका मुख अब कामया की गर्दन में चारो ओर घूम रहा था और एक हाथ उसके पीठ तक आ गये थे और फिर उसके सिर के पीछे भीमा चाचा के होंठ कामया की गर्दन से उठकर अब कामया के चेहरे के चारो ओर घूम रहे थे उनके होंठों के साथ उनकी जीब भी कामया के चिकने और मुलायम शरीर का रस्स पीने को लालायतित थी उनके होंठ अब कामया के होंठों से जुड़ गये थे और बहुत ही कस्स कर उन्होंने कामया को अपने होंठों से जोड़ रखा था कामया भी उनकी हर हरकत का मजा लूट रही थी
आज भीमा चाचा के उतावलेपन से खुश थी , वो जानती थी , कि आज भीमा चाचा बहुत उतावले है और इसीलिए वो बिना कुछ सोचे किचेन में ही उसे इस तरह जकड़े हुए है
जैसे ही कामया को इस बात का ध्यान आया वो थोड़ा सा सचेत हो गई और किसी तरह अपने को भीमा चाचा की पकड़ से छुड़ाने लगी लेकिन बहुत ही धीरे से
जैसे ही भीमा को लगा कि कामया थोड़ा सा हिली और उसे धकेल कर आलग करने लगी है तो वो और भी अपनी पकड़ को मजबूत करने लगे उनके दोनो हाथ अब कामया के चारो और से कस्स कर पकड़े हुए थे औ र , होंठों से कामया के होंठों का कचूमर बनाने में लग गये थे उनके हाथ अब कामया के पूरे शरीर में पीछे की ओर घूमते जा रहे थे और कामया को कपड़ों के ऊपर से ही कस कर दबाते भी जा रहे थे
किसी तरह से कामया ने अपने होंठों को भीमा चाचा के होंठों से आजाद किया और हान्फते हुए
कामया- अह्ह चाचााआआआ यहां नहीं
भीमा- हाँ …
और अपने काम में लगा रहा उसका एक हाथ अब कामया के कुर्ते के अंदर तक उसकी पीठ तक पहुँच चुका था और वो अब उसकी ब्रा के हुक को खोल चुके थे
कामया- प्प्प्प्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लएआसए ऊपर चलिए उूुुुुुउउम्म्म्मममममममम आआआआआअह् ह
भीमा- हाँ …
कामया- प्प्प्प्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लएआआआअस्ई ई
भीमा ने एक नजर बहू की ओर डाली और एक झटके से बहू को अपनी मजबूत बाहों में उठा लिया और लगभग भागता हुआ सीढ़ियो की ओर चल दिय ा
भीमा ने कामया को पैरों और पीठ से सहारा दिए हुए उठा रखा था एक हाथ घुमाकर उसकी लेफ्ट चुचि आ रही थी और नीचे जाँघो के सहारे उसे उठाए हुए सीढ़िया चढ़ने लगे उसकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि कामया उनकी गोद में भी हिल नहीं पा रही थी और अपना सिर पीछे की ओर करके लंबी-लंबी सांसें ले रही थी वो भीमा चाचा को अपने को उठा कर कितनी आसानी से ऊपर ले जाते हुए देखकर आसचर्या चकित थी कि इस इंसान में कितनी ताकत है और कितना बालिश्ट है
उसकी लेफ्ट चुचि को चाचा ने इतनी जोर से दबा रखा था कि कामया की सांसें और भी तेज होती जा रही थी और जाँघो पर भी उनकी पकड़ बहुत मजबूत थी भीमा सीढ़िया चढ़ते हुए जब 1 स्ट फ्लोर पर पहुँचा तो वो वहां नहीं रुका और एक फ्लोर और ऊपर चढ़ने लगा
वो अपनी खोली की तरफ जाने लगा था भीमा के चेहरे पर एक अजीब सी कामुकता थी और वो उसके चेहरे पर साफ छलक रही थी जब वो अपनी खोली के दरवाजे पर पहुँचा तो पैरों के धक्के से ही उसने दरवाजे को खोल लिया और जल्दी से अंदर घुस गया और कामया को नीचे खड़ा करके फिर से उसके होंठों पर टूट पड़ा उसके हाथ कामया के कपड़ों को जैसे तैसे उसके शरीर पर से आजाद करने लगे थे कामया भी भीमा चाचा के उतावले पन को अच्छे से जान चुकी थी पर अपने को उसके कमरे में पाकर थोड़ा सा चिंतित थी पर भीमा चाचा की नोच खसोट के आगे वो भी शांत हो गई और उनकी मदद करने लगी
जैसे ही कामया अपने कपड़ों से आजाद हुए भीमा चाचा तो जैसे पागल हो उठे हो उसके हाथों और होंठ कामया के पूरे शरीर पर घूमने लगे और अपनी छाप छोड़ने लगे थे वो जहां मन करता था चूमते जा रहे थे , और अपनी हथेलियो को ले जाते थे , भीमा चाचा कामया को चूमते हुए जैसे ही ऊपर उठे तो फिर से कामया के होंठों को अपने होंठों से दबाकर चूमते रहे , और अपने कपड़ों से अपने को आजाद कर लिया वो कामया को कसकर पकड़े हुए उसके होंठों का रस पान करते जा रहे थे और अपने हाथों का दबाब भी उसके कंधे पर बढ़ाते जा रहे थे ताकि कामया नीचे की ओर बैठ जाए
कामया भी उनके इशारे को समझ कर धीरे से अपने घुटनों को पकड़ कर बैठी जा रही थी और अपने होंठों को भीमा चाचा के होंठों से आजाद करते ही उसके गालों और गर्दन से होते हुए नीचे उनके सीना से होते हुए और भी नीचे ले गई और उनकी कमर के आते ही वो बैठने लगी पर भीमा चाचा की तो कुछ और ही इच्छा थी उन्होंने कस कर कामया के सिर को अपने एक हाथ से पकड़ा और नीचे अपने लिंग की ओर ले जाने लगा उसके हाथों में इतना जोर था कि कामया अपने सिर को नहीं छुड़ा पाई और दोनों हाथों से भीमा चाचा की जाँघो का सहारा लेके ऊपर चाचा की ओर बड़ी ही दयनीय तरीके से एक बार देखा
पर भीमा चाचा की आँखों में जो जंगली पन था उसे देखकर वो सिहर उठी
कामया- नही प्लीज नहीं
भीमा - चूस और अपने लिंग को कामया के चेहरे पर घिसने लगे और अपनी पकड़ को और भी ज्यादा मजबूत कर लिया था
कामया को उबकाई आ रही थी भीमा चाचा के लिंग के आस-पास बहुत गंद थी और बालों का अंबार लगा था पर वो अपने आप को छुड़ा नहीं पा रही थी अब तो भीमा चाचा अपने लिंग को उसके चेहरे पर भी घिसने लगे थे और वो इतना गरम था कि उसका सारा शरीर फिर से एक बार काम अग्नि में जलने लगा था तभी उसके कानों में भीमा चाचा की आवाज टकराई और वो सुन्न हो ग ई
भीमा- चूस इसे चूस (उनकी आवाज में एक गुस्सा था )
कामया- प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज नहीं
और अपना हाथ लेजाकर धीरे से उनके लिंग को अपने कोमल हाथों से पकड़ लिया ताकि वो अपने लिंग को उसके मुख में डालने से रुक जा ए
कामया की हथेली में जैसे ही भीमा का लिंग आया वो थोड़ा सा रुके और अपनी कमर को कामया के हाथों में ही आगे पीछे करने लगे कामया भी खुश और बहुत ही सलीके से उसने भीमा के लिंग को सहलाते हुए अपने चेहरे पर मलने लगी थी
भीमा- चूस इसे अभी आआआआअह् ह
कामया- प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज चाचा आआआआअह्ह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्शह ऐसे ही कर देती हूँ प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज् ज
भीमा- चूस ले थोड़ा बड़ा मजा आएगा अया तूने लाखा का भी तो चूसा था कर्दे बहू
कामया के कानों पर जैसे ही यह बात टकराई वो सुन्न हो गई थी तो क्या लाखा ने भीमा को सबकुछ बता दिया था पहले दिन की घटना वो सोच ही रही थी कि
कामया- उूुुुुुुउउम्म्म्ममममममममममम आआआआआआआअह् ह
धीरे से भीमा ने अपने लिंग को उसके होंठों पर रख दिया था और उसके नरम नरम होंठों के अंदर धकेलने लगता
भीमा- चूस ले तुझे भी तो मजा आता है लाखा का तो बहुत मजे में चूसा था मेरा क्यों नहीं
और धीरे धीरे वो अपने लिंग को कामया के मुख में आगे पीछे करने लगा था
कामया के जेहन में बहुत सी बातें चल रही थी पर उसका पूरा ध्यान अपने मुख में लिए हुए भीमा चाचा के लिंग पर था वो थोड़ा सा भी इधर-उधर ध्यान देती थी तो , भीमा चाचा के धक्के से लिंग उसके गले तक चला जाता था इसलिए वो बाकी चीजो को ध्यान हटाकर बस भीमा चाचा के लिंग पर ही अपना ध्यान देने लगी थी अब उसे वो इतना बुरा नहीं लग रहा था