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Adultery घर की बहू

Coquine_Guy

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ये कहानी मुझे अच्छी लगी .. इसीलिए इसको यहां पोस्ट कर रहा हूँ ताकि आप लोग भी पढ़े और मज़ा उठाएं
 
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Coquine_Guy

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Bade Ghar ki Bahu by Laddoo1 - first on xossip - ka hindi rooantar hai yeh ... asha hai aap isko aur bhi kamuk banyenge ... nahi to phir bhi chalega ...
please share the story if u have wanna read it
 

khemucha

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please share the story if u have wanna read it
Google kar leejiye ... mil jayegi kahin na kahin ... hindi mae likhi gayi thi ... engligh lipi mai ... aapne ay kissi ne isse devnagri mae translate kiya ... no problem kyunki original writer - laddoo1 - kahani complete kar ke lupt ho gaya ... app post karte raho ... ho sake to aur kamuk bano ... itna bata doun ki end mazedaar nahi tha ... she participated in an orgy with priests of all faiths and then was declared queen of ashram and guruji left for africa to manage diamond business leaving her in charge of ashram ...

... waise yahan per ek member "Collection of some PDF stories" naam ka thread maintain karte hain ... jissme puraani kahaniyo ka pdf hai ... app unse bhi request kar sakte hain ...
 
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Coquine_Guy

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शाम को इंटरकॉम की घंटी के साथ ही उसकी नींद खुली और उसने झट से फोन उठाया
कामया- हाँ …
- जी वो माँ जी आने वाली है चाय के लि ए
कामया- हाँ …
और फोन रख दिया लेकिन आचनक ही उसके दिमाग की घंटी बज गई अरे यह तो भीमा चाचा थे पर क्यों उन्होंने फोन किया

मम्मीजी भी तो कर सकती थी
तभी उसका ध्यान अपने आप पर गया अरे वो तो पूरी तरह से नंगी थी उसके जेहन में दोपहर की बातें घूमने लगी थी वो वैसे ही बिस्तर पर बैठी अपने बारे में सोचने लगी थी वो जानती थी कि आज उसने क्या किया था सेक्स की भूख खतम होते ही उसे अपनी इज़्ज़त का ख्याल आ गया था वो फिर से चिंतित हो गई और कंधे पर पड़े अपने ब्लाउज को ठीक करने लगी और धीरे से उतर कर बाथरूम की ओर चल दी
बाथरूम में जाने के बाद उसने आपने आपको ठीक से साफ किया और फिर से कमरे में आ गई थी वारड्रोब से सूट निकालकर वो जल्दी से तैयार होने लगी थी पर ध्यान उसका पूरे समय मिरर पर था उसका चेहरा दमक रहा था जैसे कोई चिंता या कोई जीवन की समस्या ही नहीं हो उसके दिमाग पर हाँ … आज तक उसका चेहरा इतना नहीं चमका था उसने मिरर के पास आके और गौर से देखा उसकी आखों में एक अजीब सा नशा था और उसके होंठों पर एक अजीब सी खुशी उसका सारा बदन बिल्कुल हल्का लग रहा था
दोपहर के सेक्स के खेल के बाद वो कुछ ज्यादा ही चमक गया था वो सोचते ही उसके शरीर में एक लहर सी दौड़ गई और उसके निपल्स फिर से टाइट होने लगे थे उसने अपने हाथों से अपनी चुचियों को एक बार सहलाकर छोड़ दिया और वो अपने दिमाग से इस घटना को निकाल देना चाहती थी वो जल्दी से तैयार होकर नीचे की ओर चली सीडियो के कोने से ही उसने देख लिया था कि मम्मीजी अपने कमरे से अभी ही निकली है अच्छा हुआ भीमा ने फोन कर दिया था नहीं तो वो तो सोती ही रह जाती
वो जल्दी से मम्मीजी के पास पहुँच गई और दोनों की चाय सर्व करने लगी वो शांत थी
मम्मीजी- तैयार हो ग ई
कामया- जी
मम्मीजी- अरे लाखा के साथ नहीं जाना गाड़ी चलाने
कामे- जी जी हाँ … बस चाय पीकर तैयार होती हूँ
लाखा का नाम सुनते ही पता नहीं क्यों उसके अंदर एक उथल पुथल फिर मच गई उसे लाखा काका की आखें नजर आने लगी थी और फिर वही बैठे बैठे दोपहर की बातों पर भी ध्यान चला गया किस तरह से भीमा चाचा ने उसे उठाया था और बिस्तर पर रखा था और उसने किस तरह से उनका हाथ पकड़कर अपने सीने पर रखा था सोचते सोचते और चाय पीते पीते उसके शरीर में एक सिहरन सी वापस दौड़ने लगी थी उसकी चूचीफिर से ब्रा में टाइट हो गई थी और उसकी जाँघो के बीच में फिर से कूड़कुड़ी सी होने लगी थी पर मम्मीजी के सामने वो चुपचाप अपने को रोके हुए चाय पीती रही
पर ए क , लंबी सी सांस जरूर उसके मुख और नाक से निकल ही ग ई
मम्मी जी का ध्यान भी उस तरफ गया और कामया की ओर देख कर पूछा
मम्मीजी- क्या हु आ
कामया- जी कुछ नहीं बस हमम्म्मम म
मम्मीजी- आराम से चलाना और कोई जल्दी बाजी नहीं करना ठीक है
कामया- जी हमम्म् म
वो ना चाह कर भी अपने सांसों पर कंट्रोल नहीं रख पा रही थी उसका शरीर उसका साथ नहीं दे रहा था वो चाहती थी कि किसी तरह से वो अपने आप पर कंट्रोल करले पर पता नहीं क्यों लाखा काका के साथ जाने की बात से ही वो उत्तेजित होने लगी थी
मम्मीजी- चल जल्दी करले 6 बजने को है लाखा आता ही होगा तेरे जाने के बाद ही पूजा में बैठूँगी जा तैयार हो जा
मम्मीजी की आवाज ने उसे चोका दिया था वो भी जल्दी से चाय खतम करके अपने कमरे की ओर भागी और वारड्रोब के सामने खड़ी हो गई
क्या पहनु सूट ही ठीक है पर साड़ी में वो ज्यादा अच्छी लगती है और सेक्सी भी लाखा भी अपनी आखें नहीं हटा पा रहा था उसके होंठों पर एक कातिल सी मुश्कान दौड़ गई थी उसने फिर से वही साड़ी निकाली जो वो उस दिन पहनकर पार्टी में गई थी और हँगर को अपने सामने करती हुई उसे ध्यान से देखती रही फिर एक झटके से अपने आपको तैयार करने में जुट गई थी बड़े ही सौम्य तरीके से उसने आपने आपको सजाया था जैसे कि वो अपने पति या फिर किसी दोस्त के साथ कही पार्टी या फिर किसी डेट पर जा रही हो हर बार जब भी वो अपने को मिरर में देखती थी तो उसके होंठों पर एक मुश्कान दौड़ पड़ती थी


एक मुश्कान जिसमें बहुत से सवाल छुपे थे एक मुश्कान जिसे कोई भी देख लेता तो कामया के दिल की हाल को जबान पर लाने से नहीं रोक पाता एक मुश्कान जिसके लिए कितने ही जान न्यौछावर कर जाते पता नहीं जब वो तैयार होकर मिरर के सामने खड़ी हुई तो वाह क्या लग रही थी खुले बाल कंधों तक सपाट कंधे और उसपर जरा सी ब्लाउसकी पट्टी सामने से ब्लाउस इतना खुला था कि उसके आधे चुचे बाहर की ओर निकले पड़े थे साड़ी का पल्लू लेते हुए वो ब्लाउसपर पिन लगाने को हुई पर जाने क्यों उसने पिन वही छोड़ दिया और फिर से अपने पल्लू को ठीक से ब्लाउज के ऊपर रखने लगी दाईं साइड की चूची तो पूरी बाहर थी और साड़ी उसके लेफ्ट और दाए चुचे के बीच से होती हुई पीछे चली गई थी
खुले पल्ले की साड़ी होने की वजह से सिर्फ़ एक महीन लाइन या ढका हुआ था उसकी चूचीया क्या कहूँ सामने वाले की जोर आजमाइश के लिए था यह साड़ी का पल्लू देखा क्या छुपा रखा है अंदर हाँ … हाँ … हाई हाई साड़ी या पेटीकोट बाँधते समय भी कामया ने बहुत ध्यान से उसे कमर के काफी नीचे बाँधा था ताकि उसका पेट और नाभि अच्छे से दिखाई दे और साफ-साफ दिखाई दे , ताकि उसपर से नजर ही ना हटे और पीछे से भी कमर के चारो तरफ एक हल्का सा घेरा जैसा ही ले रखा था उसने ना ही कमर को ढकने की कोशिश थी और बल्कि दिखाने की कोशिश ज्यादा थी कामया ने
हाथों में लटकी हुई साड़ी को लपेट कर वो एक चंचल सी लड़की के समान मिरर के सामने खड़ी हुई अपने को निहारती रही और तभी इंटरकम की घंटी बजी
मम्मीजी- क्या हुआ बहू तैयार नहीं हुई क्या लाखा तो आ गया है
कामया- जी आती हू ँ
और कामया का सारा जोश जैसे पानी पानी हो गया था
वो मम्मीजी के सामने से ऐसे कैसे निकलेगी बाप रे बाप क्या सोचेंगी मम्मीजी धत्त उसके दिमाग में यह बात आई क्यों नहीं वो अब सकपका गई थी दिमाग खराब हो गया था उसका उसके अंदर एक अजीब सा द्वंद चल रहा था वो खड़ी हुई और फिर से वार्ड रोब के पास पहुँच गई ताकि चेंज कर सके वापस सूट पहनकर ही चली जाए वो सूट निकाल ही रही थी कि उसका ध्यान नीचे पड़े हुए एक कपड़े पर पड़ा साड़ी से पहले का प्रिंट था वो उसे बहुत अच्छा लगता था वो एक सम्मर कोट टाइप का था (आप लोगों ने देखा होगा आज कल की लड़कियाँ पहनती है ताकि सन तन से या फिर धूल से बच सके स्कूटी चलाते समय ) रखा था
उसके चेहरे पर एक विजयी मुश्कान दौड़ गई और वो जल्दी से उसे निकाल कर एक झटका दिया और अपनी साड़ी को ठीक करके ऊपर से उसे पहन लिया और फिर मिरर के सामने खड़ी हो गई हाँ अब ठीक है कोट के नीचे साड़ी दिख रही थी जो की बिल्कुल ठीक ठाक थी और ऊपर से कोट उसके पूरे खुले पन को ढके हुए थी अंदर क्या पहना था कुछ भी नहीं दिख रहा था हाँ … अब जा सकती है मम्मीजी के सामने से एक शरारती मुश्कान छोड़ती हुई कामया जल्दी से अपने रूम से निकली और अपने हाइ हील को जोर-जोर से पटकती हुई नीचे की ओर चली गजब की फुर्ती आ गई थी उसमें वो अब घर में रुकना नहीं चाहती थी
वो जब नीचे उतरी तो मम्मीजी ड्राइंग रूम में बैठी थी डाइनिंग रूम पार करते हुए उसने घूमकर किचेन की ओर देखा तो पाया कि लाखा काका भी शायद वही थे और उसे देखते ही बाहर की ओर लपके पीछे के दरवाजे से भीमा चाचा कही नहीं दिखे वो ड्राइंग रूम में मम्मीजी के सामने खड़ी थी
मम्मीजी- आअरए यह क्या पहना है
कामया- जी वो ड्राइविंग पर जा रही थी सोचा कि थोड़ा ढँक कर जाती हूँ
मम्मीजी- हाँ वो तो ठीक है पर यह कोट क्यों सूट भी तो ठीक था
कामया- जी प र
मम्मीजी- अरे ठीक है कोई बात नहीं तू तो बस चल ठीक है ध्यान से चलाना
और कामया की पीठ पर हाथ रख कर बाहर की ओर चल दी कामया भी मम्मीजी के साथ बाहर की ओर मूडी और बाहर आके देखा कि लाखा काका कार का दरवाजा खोले खड़े है
कामया थोड़ी सी ठिठकी पर अपने अंदर उठ रही काम अग्नि को वो ना रोक पाई और अपने बढ़ते हुए कदम को ना रोक पाई थी वो उसने मम्मीजी की ओर मुस्कुराते हुए देखा और गाड़ी के अंदर बैठ गई लाखा भी दौड़ कर सामने की सीट पर बैठ गया था और गाड़ी गेट के बाहर की ओर चल दी गाड़ी सड़क पर चल रही थी और बाहर की आवाजें भी सुनाई दे रही थी पर अंदर एकदम सन्नाटा था शायद सुई भी गिर जाए तो आवाज सुनाई दे जाए लाखा गाड़ी चला रहा था पर उसका मन पीछे बैठी हुई बहू को देखने को हो रहा था पर बहुत देर तक वो देख ना सका आज पहली बार बहू उसके साथ अकेली आई थी वो सुंदरी जिसने कि उसके मन में आग लगाई थी उस दिन जब वो पार्टी में गई थी और आज तो पता नहीं कैसे आई है
एक बड़ा सा लबादा पहने हुए सिर्फ़ साड़ी क्यों नहीं पहने हुए है बहू लाखा ने थोड़ी ही हिम्मत करके रियर व्यू में देखने की हिम्मत जुटा ही ली देखा की बहू पीछे बैठी हुई बाहर की ओर देख रही थी गाड़ी सड़क पर से तेजी से जा रही थी लाखा को मालूम था कि कहाँ जाना है बड़े साहब ने कहा था कि ग्राउंड में ले जाना वहां ठीक रहेगा थोड़ी दूर था पर थी बहुत ही अच्छी जगह दिन में तो बहुत चहल पहेल होती थी वहां पर अंधेरा होते ही सबकुछ शांत हो जाता था पर उसे क्या वो तो इस घर का पुराना नौकर था और बहुत भरोसा था मालिको उसपर वो सोच भी नहीं सकते थे कि उनकी बहू ने उस सोए हुए लाखा के अंदर एक मर्द को जनम दे दिया था जो कि अब तक एक लकड़ी के तख्त की तरह हमेश खड़ा रहता था अब एक पेड़ की तरह हिलने लगा था उसके अंदर का मर्द कब और कहाँ खो गया था इतने सालो में उसे भी पता नहीं चला था वो बस जी साहब और जी माजी के सिवा कुछ भी नहीं कह पाया था इतने दिनों में

पर उस दिन की घटना के बाद वो एक अलग सा बन गया था , जब भी वो खाली समय में बैठता था तो बहू का चेहरा उसके सामने आ जाता था उसके चेहरे का भोलापन और शरारती आखें वो चाह कर भी उसकी वो मुश्कान को आज तक नहीं भूल पाया था वो बार-बार पीछे की ओर देख ही लेता था पर नजर बचा के
और पीछे बैठी कामया का तो पूरा ध्यान ही लाखा काका पर था वो दिखा जरूर रही थी कि वो बाहर या फिर उसका ध्यान कही और था पर जैसे ही लाखा काका की नजर उठने को होती वो बाहर की ओर देखने लगती और कामाया मन ही मन मुस्कुराई वो जानती थी कि लाखा काका के मन में क्या चल रहा है वो जानती थी कि लाखा काका के साथ आज वो पहली बार अकेली आई है और उस दिन के बाद तो शायद लाखा काका भी इंतजार में ही होंगे कि कब वो कामया को फिर से नजर भर के देख सके यह सोच आते ही कामया के पूरे शरीर में फिर से एक झुनझुनी सी फैल गई और वो अपने आपको समेट कर बैठ गई वो जानती थी कि लाखा काका में इतनी हिम्मत नहीं है कि वो कुछ कह सके या फिर कुछ आगे बढ़ेंगे तो कामया ने खुद ही कहानी को आगे बढ़ाने की कोशिश की
 

Coquine_Guy

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कामया- और कितनी दूर है काका
लाखा जो कि अपनी ही उधेड़ बुन में लगा था चलती गाड़ी के अंदर एक मधुर संगीत मई सुर को सुन के मंत्रमुग्ध सा हो गया और बहुत ही हल्के आवाज में कहा
लाखा- जी बस दो 3 मिनट लगेंगे
कामया- जी अच्छा
और फिर से गाड़ी के अंदर एक सन्नाटा सा छा गया दोनो ही कुछ सोच में डूबे थे पर दोनो ही आगे की कहानी के बारे में अंजान थे दोनो ही एक दूसरे के प्रति आकर्षित थे पर एक दूसरे के आकर्षण से अंजान थे हाँ … एक बात जो आम सी लगती थी वो थी कि नजर बचा कर एक दूसरे की ओर देखने की जैसे कोई कालेज के लड़के लड़कियाँ एक दूसरे के प्रति आकर्षित होने के बाद होता था वो था उन दोनों के बीच मे .

पीछे बैठी कामया थोड़ा सा सभाल कर बैठी थी और बाहर से ज्यादा उसका ध्यान सामने बैठे लाखा काका की ओर था वो बार-बार एक ही बात को नोटीस कर रही थी कि लाखा काका कुछ डरे हुए थे औ र , कुछ संकोच कर रहे है वो तो वो नहीं चाहती थी वो तो चाहती थी कि लाखा काका उसे देखे और खूब देखे उनकी नजर में जो भूख उसने उस दिन देखी थी वो उस नजर को वो आज भी नहीं भुला पाई थी उसको उस नजर में अपनी जीत और अपनी खूबसूरती दिखाई दी थी अपनी सुंदरता के आगे किसी की बेबसी दिखाई दी थी उसकी सुंदरता के आगे किसी इंसान को बेसब्र और चंचल होते देखा था उसने वो तो उस नजर को ढूँढ़ रही थी उसे तो बस उस नजर का इंतजार था वो नजर जिसमें की उसकी तारीफ थी उसके अंग अंग की भूख को जगा गई थी वो नजर भीमा और लाखा में कोई फरक नहीं था कामया के लिए दोनों ही उसके दीवाने थे उसके शरीर के दीवाने उसकी सुंदरता के दीवाने और तो और वो चाहती भी यही थी इतने दिनों की शादी के बाद भी यह नजर उसके पति ने नहीं पाई थी जो नजर उसने भीमा की और लाखा काका के अंदर पाई थी उनके देखने के अंदाज से ही वो अपना सबकुछ भूलकर उनकी नज़रों को पढ़ने की कोशिश करने लगती थी और जब वो पाती थी कि उनकी नजर में भूख है तो वो खुद भी एक ऐसे समुंदर में गोते लगाने लग जाती थी कि उसमें से निकलना भीमा चाचा या फिर लाखा काका के हाथ में ही होता था आज वो फिर उस नजर का पीछा कर रही थी पर लाखा काका तो बस गाड़ी चलाते हुए एक दो बार ही पीछे देखा था उस दिन तो पार्टी में जाते समय कामेश के साथ होते हुए भी कितनी बार काका ने पीछे उसे रियर व्यू मे नजर बचा कर देखा था और उतरते उतरते भी उसे नहीं छोड़ा था आज कहाँ गई वो दीवानगी और कहाँ गई वो चाहत कामया सोचने को मजबूर थी कि अचानक ही उसने अपना दाँव खेल दिया वो थोड़ा सा आगे हुई और अपने सम्मर कोट के बटनों को खोलने लगी और धीरे से बहुत ही धीरे से अपने आपको उसकोट से अलग करने लगी

लाखा जिसका कि गाड़ी चलाने पर ध्यान था पीछे की गति विधि को ध्यान से देखने की कोशिश कर रहा था उसकी आखों के सामने जैसे किसी खोल से कोई सुंदरता की तितली बाहर निकल रही थी उूुुुुुुुुुुउउफफफफफफफफफफफ्फ़ क्या नज़ारा था जैसे ही बहू ने अपने कोट को अपने शरीर से अलग किया उसका यौवन उसके सामने था आँचल ढलका हुआ था और


बिल्कुल ब्लाउज के ऊपर था नीचे गिरा हुआ था कोट को उतार कर कमाया ने धीरे से साइड में रखा और अपने दाँये हाथ की नाजुक नाजुक उंगलियों से अपनी साड़ी को उठाकर अपनी चुचियों को ढका या फिर कहिए लाखा को चिड़ाया कि देखा यह में हूँ और आराम से वापस टिक कर बैठ गई थी
जैसे कि कह रही हो लो लाखा मेरी तरफ से तुम्हें गिफ्ट मेरी ओर से तो तुम्हें खुला निमंत्रण है अब तुम्हारी बारी है

लाखा को तो जैसे साप सूंघ गया हो वो गाड़ी चलाए या फिर क्या करे दिमाग काम नहीं कर रहा था जो बहू अब तक उसके गाड़ी के अंदर धकि ढकाई बैठी थी अब सिर्फ़ एक कोट उतारने से ही उसकी सांसों रोक सकती है तो जब वो गाड़ी चलाएगी उसके पास बैठकर तो तो वो तो मर ही जाएगा वो अपने को क्या संभाले वो तो बस उस सुंदरता को रियर व्यू में बार-बार देख रहा था और अपने भाग्य पर इठला रहा था कि क्या मौका मिला था आज उसे जहां वो बहू को गाड़ी चलाने के लिए सब लोगों को मना करने वाला था और कहाँ वो आज उस जन्नत के दीदार कर रहा है वो सोचते सोचते अपनी गाड़ी को ग्राउंड की ओर ले चला था और कामया ने सोचा था वो उसे मिल गया था वो लाखा काका का अटेन्शन खींचने में सफल हुई थी जो नजर गाड़ी चलाते समय सड़क पर थी वो अब बार-बार उसपर पड़ रही थी वो अपने इस कदम से खुश थी और अपनी सुंदरता पर इठला रही थी वो अपने आप को एक जीवंत सा महसूस कर रही थी उसके शरीर में जो आग लगी थी अब वो आग धीरे-धीरे भड़क रही थी उसकी सांसों का तेज होना शुरू हो गया था और हो भी क्यों नहीं उसकी सुंदरता को कोई पुजारी जो मिल गया था उसके शरीर की पूजाकरने वाला और उसकी तारीफ करने वाला भले ही शब्दो से ना करे पर नजर से तो कर ही रहा था वो अपने को और भी ठीक करके बैठने की कोशिश कर रही थी ठीक से क्या अपने आपको काका के दर्शान के लिए और खुला निमंत्रण दे रही थी वो थोड़ा सा आगे की ओर हुई और अपनी दोनों बाहों को सामने सीट पर ले गई और बड़े ही इठलाते हुए कहा

कामया- और कीईईतनीईिइ दुर्र्ररर है हाँ …
लाखा- जी बस पहुँच ही गये
और गाड़ी मैदान में उतर गई थी और एक जगह रोक गई
लाखा ने अपने तरफ का गेट खोलकर बाहर निकलते समय पीछे पलटकर कामया की ओर देखते हुए कहा
लाखा- जी आइए ड्राइविंग सीट पर

कामया ने लगभग मचलते हुए अपने साइड का दरवाजा खोला और जल्दी से नीचे उतर कर बाहर आई और लगभग दौड़ती हुई इचे से घूमती हुई आगे ड्राइविंग सीट की ओर आ गई
बाहर लाखा डोर पकड़े खड़ा था और अपने सामने स्वप्न सुंदरी को ठीक से देख रहा था वो अपनी नजर को नीचे नहीं रख पा रहा था वो उस सुंदरता को पूरा इज़्ज़त देना चाहता था वो अपनी नजर को झुका कर उस सुंदरता का अपमान नहीं करना चाहता था वो अपने जेहन में उस सुंदरता को उतार लेना चाहता था वो अपने पास से बहू को ड्राइविंग सीट की ओर आते हुए देखता रहा और बड़े ही अदब से उसका स्वागत भी किया थोड़ा सा झुक कर और थोड़ा सा मुस्कुराते हुए वो बहू के चेहरे को पढ़ना चाहता था वो उसकी आखों में झाँक कर उसके मन की बातों को पढ़ना चाहता था वो अपने सामने उस सुंदरी को देखना और देखना चाहता था वो एकटक बहू की ओर नजर गढ़ाए देखता रहा जब तक वो उसके सामने से होते हुए ड्राइविंग सीट पर नहीं बैठ गई कामया का बैठना भी एक और दिखावा था वो तो लाखा को अपने शरीर का दीदार करा रही थी बैठते ही उसका आचाल उसके कंधे से ढलक कर उसकी कमर तक उसको नंगा कर गया सिर्फ़ ब्लाउसमें उसके चूचियां जो की आधे से ज्यादा ही बाहर थी लाखा के सामने उजागर हो गया पर कामया का ध्यान ड्राइविंग सीट पर बैठे ही स्टियरिंग पर अपने हाथों को ले जाने की जल्दी में था वो बैठते ही अपने आपको भुलाकर स्टियरिंग पर अपने हाथों को फेरने लगी थी और उसके होंठों पर एक मधुर सी मुस्कान थी पर बाहर खड़े हुए लाखा की तो जैसे जान ही निकल गई थी अपने सामने ड्राइविंग सीट पर बैठी हुई उसे काम अग्नि से जलाती हुई स्वर्ग की उस अप्सरा को वो बिना पलके झपकाए आखें गढ़ाए खड़ा-खड़ा देख रहा था उसकी सांसें जैसे रुक गई थी वो अपने मुख से थूक का घुट पीते हुए डोर को बंद करने को था कि उसकी नजर बहू के साड़ी पर पड़ी जो की डोर से बाहर जमीन तक जा रही थी और बहू तो स्टियरिंग पर ही मस्त थी उसने बिना किसी तकल्लूफ के नीचे झुका और अपने हाथों से बहू की साड़ी को उठाकर गाड़ी के अंदर रखा और अपने हाथों से उसे ठीक करके बाहर आते हुए हल्के हाथों से बहू की जाँघो को थोड़ा सा छुआ और डोर बंद कर दिया

वो जल्दी से घूमकर अपने सीट पर बैठना चाहता था पर घूमकर आते आते उसने धोती को और आपने अंडरवेर को थोड़ा सा हिलाकर अपने लिंग को आकड़ने से रोका या कहिए थोड़ा सा सांस लेने की जगह बना दी वो तो तूफान खड़ा किए हुए था अंदर कामया अब भी उसी स्थिति में बैठी हुई थी उसने अपने पल्लू को उठाने की जहमत नहीं की थी और अपने हाथों को स्तेरिंग पर अब भी घुमाकर देख रही थी लाखा काका के आने के बाद वो उसकी ओर देखकर मुस्कुराई औ र
कामया- हाँ … अब क्या
लाखा साइड की सीट पर बैठे हुए थोड़ा सा हिचका था पर फिर थोड़ा सा दूरी बना के बैठ गया और बहू को देखता रहा ब्लाउज के अंदर से उसकी गोल गोल चूचियां जो कि बाहर से ही दिख रही थी उनपर नजर डालते हुए और गले को तर करते हुए बोला
लाखा - जी आप गाड़ी स्टार्ट करे
कामया- कैसे
और अपने पल्लू को बड़े ही नाटकीय अंदाज से अपने कंधे पर डाल लिया ना देखते हुए कि उससे कुछ ढका कि नहीं
लाखा- जी वो चाबी घुमा के साइड से
और आखों का इशारा करते हुए साइड की ओर देखा कमाया ने भी थोड़ा सा आगे होकर कीस तक हाथ पहुँचाया और घुमा दिया
गाड़ी एक झटके से आगे बड़ी और फिर आगे बढ़ी और बंद
 
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Coquine_Guy

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Ye story mere khayalse laddoo1 ya eise hi kuch user name ne shayad xossip me likha tha. Kya aap wo hi writer ho?😏 Kuch bhi ho, ek tagadi story firse saamane lake ke liye dhanyvad! Lekin us story ke antim mode mujhe bilkul pasand nahi aaye the. Hopfully you would change it better way or end the story before that final chapter of ashram life. Please try to add appropriate pic/gifs 😎
Ye Story Laddoo1 ne bhee nahi Likhi hai .. Jisne likhi hai mujhe pata hai .. but its better ki I don't reveal the original name of author publicily
Let people read and enjoy ..

agar tumhe nahi Jaan ni aage ki kahaani to koi baat nahi .. But i won't give credit to some one who has not written it
 

Coquine_Guy

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लाखा ने झट से अपने पैरों को साइड से लेजाकर ब्रेक पर रख दिया और ध्यान से बहू की ओर देखा
लाखा के ब्रेक पर पैर रखते ही कामया का सारा बदन जल उठा उसकी जाँघो पर अब लाखा काका की जांघे चढ़ि हुई थी और उसकी नाजुक जांघे उनके नीचे थी भारी और मजबूत थी उनकी जांघे और हाथ उसके कंधे पर आ गये थे साड़ी का पल्लू फिर से एक बार उसकी चुचियों को उजागर कर रहा था वो अपनी सांसो को नियंत्रण करने में लगा था लाखा ने जल्दी से अपने पैरों को उसके ऊपर से हठाया और गियर पर हाथ लेजाकर उसे न्यूट्रल किया और बहू की ओर देखता रहा उसकी जान ही अटक गई थी पता नहीं अब क्या होगा उसने एक बहुत बड़ी गलती कर ली थी
पर कामया तो नार्मल थी और बहुत ही सहज भाव से पूछी
कामया- अरे काका हमें कुछ नहीं आता ऐसे थोड़ी सिखाया जाता है गाड़ी
लाखा- जी जी जी वो
उसके गले में सारी आवाज ही फँस गई थी क्या कहे उसके सामने जो चीज बैठी है , उसको देखते ही उसके होश उड़ गये है और क्या कहे कैसे कहे
कामया- अरे काका आप थोड़ा इधर आके बैठो और हमें बताओ कि क्या करना है और ब्रेक बागेरा सबकुछ हमें कुछ नहीं पता ह ै
लाखा- जी जी
और लाखा अपने आपको थोड़ा सा संभालता हुआ बहू की ओर नजर गढ़ा ए , हुए उसे बताने की कोशिश करने लगा
लाखा- जी वो लेफ्ट तरफ वाला ऐक्सीलेटर है बीच में ब्रेक है और दायां में क्लच है और बताते हुए उसकी आखें बहू के उठे हुए उभारों को और उसके नीचे उसे पेट और नाभि तक दीदार कर रहे थे ब्लाउज के अंदर जो उथल पुथल चल रही थी

वो उसे भी दिख रहा था पर जो शरीर के अंदर चल रहा था वो तो सिर्फ़ कमी को ही पता था उसके निपल्स टाइट औट टाइट हो धुके थे जाँघो के बीच में गीला पन इतना बढ़ चुका था कि लग रहा था की सूसू निकल गई है पैरों को जोड़ कर रखना उसके लिए दूभर हो रहा था वो अब जल्दी से अपने शरीर में उठ रही अग्नि को शांत करना चाहती थी और वो आई भी इसीलिए थी लाखा काका की नजर अब उसपर थी और वो काका को और भी भड़का रही थी वो जानती थी कि बस कुछ ही देर में वो लाखा के हाथों का खिलोना बन जाएगी और लाखा काका उसे भीमा चाचा जैसे ही रौंद कर रख देंगे वो चाहत लिए वो हर उसकाम को अंजाम दे रही थी जिससे कि वो जल्दी से मुकाम को हासिल कर सके
कामया- उउउफ़्फुऊऊ काका एक काम कीजिए आप घर चलिए ऐसे मैं तो कभी भी गाड़ी चलना सीख नहीं पाऊँगी
लाखा- जी पर कोशिश तो आप को ही करनी पड़ेगी
कामया- जी पर मैं तो कुछ भी नहीं जानती आप जब तक हाथ पकड़कर नहीं सिखाएँगे गाड़ी चलाना तो दूर स्टार्ट करना भी नहीं आएगा
और अपना हाथ स्तेरिंग पर रखकर बाहर की ओर देखने लगी लाखा भी सकते में था कि क्या करे वो कैसे हाथ पकड़कर सिखाए पर सिखाना तो है बड़े मालिक का आदेश है वो अपने आपको संभालता हुआ बोला
लाखा- आप एक काम करे एक्सीलेटर पर पैर आप रखे मैं ब्रेक और क्लच संभालता हूँ और स्तेरिंग भी थोड़ा सा देखा दूँगा
कामया- ठीक है
एकदम से मचलते हुए उसने कहा और नीचे हाथ लेजाकर कीस को घुमा दिया और एक्सीलेटर पर पैर रख दिया दूसरा पैर फ्री था और लाखा काका की ओर देखने लगी

लाखा भी नहीं जानता था कि अब क्या करे
कामया- अरे काका क्या सोच रहे है आप तो बस ऐसा करेगे तो फिर घर चलिए
घर चलिए के नाम से लाखा के शरीर में जैसे जोश आ गया था अपने हाथों में आई इस चीज को वो नहीं छोड़ सकता अब चाहे कुछ भी हो जाए चाहे जान भी चली जाए वो अब पीछे नहीं हटेगा उसने अपने हाथों को ड्राइविंग सीट के पीछे रखा और थोड़ा सा आगे की ओर झुक कर अपने पैरों को आगे बढ़ाने की कोशिश करने लगा ताकि उसके पैर ब्रेक तक पहुँच जाए पर कहाँ पहुँचे वाले थे पैर कामया लाखा की इस परेशानी को समझते हुए अपने पल्लू को फिर से ऊपर करते हुए
कामया- अरे काका थोड़ा इधर आइए तो आपका पैर पहुँचेगा नहीं तो कहाँ
लाखा- जी पर वो
कामया- उउउफफ्फ़ ऊऊ आप तो बस थोड़ा सा टच हो जाएगा तो क्या होगा आप इधर आईई और अपने आपको भी थोड़ा सा डोर की ओर सरक के वो बैठ गई

अब लाखा के अंदर एक आवेश आ गया था और वो अपने को रोक ना पाया उसने अपने लेफ्ट पैर को गियर के उस तरफ कर लिया और बहू की जाँघो से जोड़ कर बैठ गया उसकी जांघे बहू की जाँघो को रौंद रही थी उसके वेट से कामया की जाँघो को तकलीफ ना हो सोचकर लाखा थोड़ा सा अपनी ओर हुआ ताकि बहू अपना पैर हटा सके पर बहू तो वैसे ही बैठी थी और अपने हाथों को स्टियरिंग पर घुमा रही थी
लाखा ने ही अपने हाथों से उसके जाँघो को पकड़ा और थोड़ा सा उधर कर दिया और अपनी जाँघो को रखने के बाद उसकी जाँघो को अपने ऊपर छोड़ दिया वह कितनी नाजुक और नरम सी जाँघो का स्पर्श था वो कितना सुखद और नरम सा लाखा अपने हाथों को सीट के पीछे लेजाकर अपने आपको अड्जस्ट किया और बहू की ओर देखने लगा बहू अब थोड़ा सा उससे नीचे थी उसका आचल अब भी अपनी जगह पर नहीं था उसकी दोनों चूचियां उसे काफी हद तक दिख रही थी वो उत्तेजित होता जा रहा था पर अपने पर काबू किए हुआ था अपने पैरों को वो ब्रेक तक पहुँचा चुका था और अपनी जाँघो से लेकर टांगों तक बाहू के स्पर्श से अविभूत सा हुआ जा रहा था वो अपने नथुनो में भी बहू की सुगंध को बसा कर अपने आपको जन्नत की सैर की ओर ले जा रहा था
बहू लगभग उसकी बाहों में थी और उसे कुछ भी ध्यान नहीं था वो अपनी स्वप्न सुंदरी के इतने पास था वो सोच भी नहीं सकता था
गाड़ी स्टार्ट थी और गियर पड़ते ही चालू हो जाएगी
लाखा का दायां हाथ अब गियर के ऊपर था और उसने क्लच दबा के धीरे से गियर चेंज किया और धीरे-धीरे क्लच को छोड़ने लगा और
लाखा- आप धीरे से आक्सेलेटर बढ़ाना

कामया- जी हमम्म्मममम म
लाखा ने धीरे से क्लच को छोड़ा पर आक्सेलोटोर बहुत कम था सो गाड़ी फिर रुक ग ई
कामया अपनी जगह पर से ही अपना चेहरा उठाकर काका की ओर देखा औ र
कामया- क्या हुआ
लाखा- जी थोड़ा सा और एक्सीलेटर दीजिएगा
और अपने दाँये हाथ से गियर को फ्री करके रुका पर कामया की ओर से कोई हरकत ना देखकर लेफ्ट हैंड से उसके कंधे पर थोड़ा सा छूके कहा
लाखा- जी वो गाड़ी स्टार्ट कजिए हमम्म्मम म
कामया- जी हाँ
किसी इठलाती हुई लड़की की तरह से हँसी और झुक कर कीस को घुमाकर फिर से गाड़ी स्टार्ट की लाखा की हालत खराब थी वो अपने को अड्जस्ट ही कर रहा था उसका लिंग उसका साथ नहीं दे रहा था वो अपने आपको आजाद करना चाह-ता था लाखा ने फिर से अपने धोती को अड्जस्ट किया और अपने लिंग को गियर के सपोर्ट पर खड़ा कर लिया ढीले अंडरवेअर से उसे कोई दिक्कत नहीं हुई थी अब वो गियर चेंज करने वाला ही था कि कामया का हाथ अपने आप ही गियर रोड पर आ गया था ठीक उसके लिंग के उउऊपर था जरा सा नीचे होते ही उसके लिंग को छू जाता लाखा थोड़ा सा पीछे हो गया और अपने हाथों को बहू के हाथों रख दिया और जोर लगाकर गियर चेंज किया और धीरे से क्लुच छोड़ दिया गाड़ी
आगे की ओर चल दी
लाखा- जी थोड़ा सस्स्साअ और एक्सीलेटर दबाइए हमम्म्मम म

उसकी गरम-गरम सांसें अब कामया के चेहरे पर पड़ रही थी और कामया की तो हालत ही खराब थी वो जानती थी कि वो किस परस्थिति में है और उसे क्या चाहिए उसने आपने आप पर से नियंत्रण हटा लिया था और सबकुछ काका के हाथों में सौंप दिया था उसकी सांसें अब उसका साथ नहीं दे रही थी उसके कपड़े भी जहां तहाँ हो रहे थे उसके ब्लाउज के अंदर से उसकी चूचियां उसका साथ नहीं दे रही थी वो एक बेसूध सी काया बन कर रह गई थीजो कि बस इस इंतजार में थी कि लाखा काका के हाथ उसे सहारा दे
उसने बेसुधि में ही अपनी आखें आगे की ओर गढ़ा ए , हुए स्टियरिंग को किसी तरह से संभाला हुआ था गाड़ी कभी इधर कभी उधर जा रही थी
लाखा का लेफ्ट हैंड तो अब बहू के कंधे पर ही आ गया था और उस नाजुक सी काया का लुफ्त ले रहा था और दायां हैंड कभी उसके हाथो को स्टियरिंग में मदद करते तो कभी गियर चेंज करने में वो भी अपनी स्थिति से भली भाँति परिचित था पर आगे बढ़ने की कोशिश भी कर रहा था पूरी थाली सजी पड़ी थी बस हाथ धोकर श्री गणेश करना बाकी था हाँ बस ओपचारिकता ही उन्हें रोके हुए थी

लाखा अपने दाँये हाथ से कामया का हाथ पकड़कर स्टियरिंग को डाइरेक्ट कर रहा था और अपने लेफ्ट हैंड से कामया के कंधों को अब ज़रा आराम से सहला रहा था उसकी आखें बहू की ओर ही थी और कभी-कभी बाहर ग्राउंड पर भी उठ जाती थी पर बहू की ओर से कोई भी ना नुकर ना होने से उसके मन को वो और नहीं समझ सका उसका लेफ्ट हैंड अब उसके कंधों से लेकर बहू तक को छूने लगे थे पर बड़े ही प्यार से और बड़े ही नाजुक तरीके से वो उस स्पर्श का आनंद ले रहा था उसके लेफ्ट हैंड अब थोड़ा सा आगे की ओर उसके गर्दन तक आ जाता और उसके गले को छूते हुए फिर से कंधे पर पहुँच जाता लाखा अपने को उस सुंदरता पर मर मिटने को तैयार कर रहा था उसकी साँसे अब बहू से तेज चल रही थी वो थोड़ा सा झुक कर कामया के बालों की खुशबू भी अपने अंदर उतार लेता था और फिर से उसके कंधो पर ध्यान कर लेता था उसके हाथ फिर से बहू के कंधे को छूते हुए गले तक पहुँचे थे कि छोटी उंगलियों को उसने और भी फैला कर उसके पैरो के ऊपर छूने की कोशिश करने लगा था
 

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और उधर कामया काका की हर हरकत को अपने अंदर समेट कर अपनी आग को और भी भड़का कर जलने को तैयार थी उसके पल्लू ने तो कब का उसका साथ छोड़ दिया था उसकी सांसें भी उखड़ उखड़ कर चल रही थी लाखा के हाथों का कमाल था कि उसके मुख से अब तक रोकी हुई सिसकारी एक लंबी सी आआह्ह बनकर बाहर निकल ही आई और उसका लेफ्ट हैंड स्टियरिंग से फिसल कर गियर रॉड पा आ गया

ठीक गियर रोड के साथ ही लाखा अपने लिंग को टिकाए हुए था बहू के उंगलियां उससे टकराते ही लाखा का दायां हैंड बहू के ब्लाउज के अंदर और अंदर उतर गया और उसके हाथों में वो जन्नत का मजा या कहिए रूई का वो गोला आ गया था जिससे वो बहुत देर से अपनी आँखे टिकाए देख बार रहा था वो थोड़ा सा आगे हुआ और अपने लिंग को बहू की उंगलियों को छुआ भर दिया और अपने दाएँ हैंड से बहू की चूचियां को दबाने लगा था

और कामया के हाथों में जैसे कोई मोटा सा रोड आ गया था वो अपने हाथों को नीचे और नीचे ले गई थी और उसके लिंग को धोती के ऊपर से कसकर पकड़ लिया उसकी हथेली में नहीं आ रहा था पर गरम बहुत था कपड़े के अंदर से भी उसकी गर्मी वो महसूस कर रही थी वो गाड़ी चलाना भूल गई थी , ना ही उसे मालूम था कि गाड़ी कहाँ खड़ी थी उसे तो बस पता था कि उसके ब्लाउज के अंदर एक बलिष्ठ सा हाथ उसकी चुचियों को दबा दबाकरउसके शरीर की आग को बढ़ा रहा था और उसके हाथों में एक लिंग था जिसके आकार का उसे पता नहीं था उसके चेहरे को देखकर कहा जा सकता था कि उसे जो चाहिए था वो उसे बस मिलने ही वाला था तभी उसके कानों में एक आवाज आई


आप बहुत सुंदर आहियीई ई
यह काका की आवाज थी बहुत दूर से आती हुई और उसके जेहन में उतरती चली गई उसका लेफ्ट हैंड भी अब उठकर काका के हाथों का साथ देने लगा था उसके ब्लाउज के ऊपर से काका का दूसरा हाथ यानी की दायां हाथ अब कामया की दांई चुचि को ब्लाउज के ऊपर से दबा रहा था और होंठो से कामया के गले और गालों को को गीलाकर रहे थे कामया सबकुछ भूल कर अपने सफर पर रवाना हो चुकी थी और काका के हाथों का खिलोना बन चुकी थी वो अपने शरीर के हर हिस्से में काका के हाथों का इंतजार कर रही थी और होंठों को घुमाकर काका के होंठों से जोड़ने की कोशिश कर रही थी लाखा ने भी अपनी बहू को निराश नहीं किया और उसके होंठों को अपने होंठों में लेकर अपनी प्यास बुझानी शुरू कर दी
अब तो गाड़ी के अंदर जैसे तूफान सा आ गया था कि कौन सी चीज पकड़े या किस पर से हाथ हठाए या फिर कहाँ होंठों को रखे या फिर छोड़े दोनों एक दूसरे से गुथ से गये थे कामया की पकड़ लाखा के लिंग पर बहुत कस गई थी और वो उसे अपनी और खींचने लगी थी पर लाखा क्या करता वो लेफ्ट हैंड से अपनी धोती को ढीलाकरके अपने अंडरवेर को भी नीचे कर दिया और फिर से बहू के हाथों को पकड़कर अपने लिंग पर रख दिया और फिर से बहू के होंठों का रास्पान करने लगा लेफ्ट हैंड से उसने कब कामया की साड़ी ऊपर उठा दी थी कामया को पता ही नही चला पर हाँ लाखा की पत्थर जैसी हथेली का स्पर्श जैसे ही उसकी जाँघो और टांगों पर हुआ तो वो अपनी जाँघो को और नहीं जोड़ कर नही रख सकी थी वो अपने आपको काका के सुपुर्द करके मुख को आजाद करके सीट के हेड रेस्ट पर सिर रख कर जोर-जोर से साँसे ले रही थी और लाखा उस मस्त चीज का पूरा लुफ्त उठा रहा था

तभी आचनक ही लाखा अपनी सीट से आलग होकर जल्दी से बाहर की ओर लपका और घूमकर अपनी ढीली धोती और अंडरवेर को संभालता हुआ ड्राइविंग सीट की ओर लपका और एक झटके में ही डोर खोलकर बहू को खीच कर उसकी टांगों को बाहर निकल लिया और उसकी जाँघो और टांगों को चूमने लगा कितनी सुंदर और सुडौल टाँगें थी बहू की और कितनी चिकनी और नरम उूउऊफ वो अपने हाथों को बहुके पेटीकोट के अंदर तक बिना किसी झिझक के ले जा रहा था और एक झटके में उसकी पैंटी को खींचकर बाहर भी निकल भी लिया और देखते ही देखते उसके जाँघो को किस करते हुए उसकी योनि तक पहुँच गया और कामया ने अपने जीवन का पहला अनुभव किया अपनी योनि को छूने का उसका पूरा शरीर जबाब दे गया था और उसके मुख से एक लंबी सी सिसकारी निकल गई और वो बुरी तरह से अपने आपको काका की ग्रिफ्त से छुड़ाने की कोशिश करने लगी थी पर कहाँ काका की पकड़ इतनी मजबूत थी कि वो कुछ भी ना कर पाई हाँ … इतना जरूर था कि उसकी चीख अब उसके बस में नहीं थी वो निरंतर अपनी चीख को सुन भी सकती थी और उसके सुख का आनंद भी ले सकती थी उसे लग रहा था कि जैसे उसका हार्ट फैल हो जाएगा उसके अंदर उठ रही काम अग्नि अपने चरम सीमा पर पहुँच चुकी थिया और वो काका की जीब और होंठों का जबाब ढूँढ़ती और अपने को बचाती वो काका के हाथों में ढेर हो गई पर काका को कहाँ चैन था वो तो अब भी अपने होंठों को बहू की योनि में लगाकर उसके जीवन का अमृत पीरहा था उसका पूरा चेहरा बहू की योनि से निकलने वाले रस से भर गया था और वो अपने चेहरे को अब भी उसपर घिस रहा था कामया जो कि अब तक अपने को संभालने में लगी थी उसे नहीं पता था कि वो किस परिस्थिति में है हाँ पता था तो बस एक बात की वो एक ऐसे जन्नत के सफर पर है जिसका की कोई अंत नहीं है उसके शरीर पर अब भी झुकने से उसकी योनि से रस्स अब तक निकल रहा था और अपनी योनि पर उसे अभी तक के होंठों का और जीब का एहसास हो रहा था उसकी जाँघो पर जैसे कोई सख़्त सी चीज ने जकड रखा था और उसकी पकड़ इतनी मजबूत थी वो चाह कर भी अपनी जाँघो को हिला नहीं पा रही थी

और उधर लाखा अपनी जीब को अब भी बहू की योनि के अंदर आगे पीछे करके अपनी जीब से बहू के अंदर से निकलते हुए रस्स को पी रहा था जैसे कोई अमृत मिल गया हो और वो उसका एक भी कतरा वेस्ट नहीं करना चाहता था उसके दोनों हाथ बहू की जाँघो के चारो और कस के जकड़े हुए थे और वो बहू की जाँघो को थोड़ा सा खोलकर सांस लेने की जगह बनाने की कोशिश कर रहा था पर बहू की जाँघो ने उसके सिर को इतनी जोर से जकड़ रखा था कि वो अपनी पूरी ताकत लगाकर भी उसकी जाँघो को अलग नहीं कर पा रहा था
वो इससे ही अंदाजा लगा सकता था कि बहू कितनी उत्तेजित है या फिर कितना मजा आ रहा है वो अपने को और भी बहू की योनि के अंदर घुसा लेना चाहता था पर उसने अपने को छुड़ाने की कोशिश में एक झटके से अपना चेहरा उसकी जाँघो से आजाद कर लिया और बाहर आके सांस लेने लगा तब उसकी नजर बहू पर पड़ी जो कि अब भी ड्राइविंग सीट पर लेटी हुई थी और जाँघो तक नंगी थी उसकी सफेद और सुडोल सी जांघे और पैर बाहर कार से लटके हुए थे दूर से आ रही रोशनी में उसके नंगे शरीर को चार चाँद लगा रहे थे लाखा का पूरा चेहरा बहू के रस्स से भीगा हुआ था और वो अब भी बहू को
,
एक भूके शेर की तरह देख रहा था और अपने मजबूत हाथों से उसकी जाँघो को और उसके पैरों को सहला रहा था बहू का चेहरा उसे नहीं दिख रहा था वो अंदर कही शायद गियर रोड के पास से नीचे की ओर था लाखा उठा और सहारा देकर बहू को थोड़ा सा बाहर खींचा ताकि बहू का सिर किसी तरह से सीट पा आ जाए उसे अपने नौकर होने का एहसास अब भी था वो नहीं चाहता था कि बहू को तकलीफ हो पर अपनी वासना को भी नहीं रोक पा रहा था उसने एक बार बहू की ओर देखा और उठ खड़ा हुआ और अपनी धोती से अपना चेहरा पोंछा और थोड़ा सा अंदर घुसकर बहू की ओर देखने लगा बहू अब भी शांत थी पर उसके शरीर से अब भी कई झटके उठ रहे थे बीच बीच में थोड़ा सा खांस भी लेती थी पर काका को अचानक ही अपने ऊपर झुके हुए देखकर वो थोड़ा सा सचेत हो ग ई
और अपनी परिस्थिति का अंदाज लगाने लगी काका का चेहरा बहुत ही सख्त सा दिखाई दे रहा था , उस अंधेरे में भी उसे उनकी आखों में एक चमक दिखाई दे रही थी उसके पैरों पर अब थोड़ा सा नंगेपन का एहसास उसे हुआ तो उसने अपने पैरों को मोड़ कर अपने नंगे पन को छुपाने की कोशिश की
तो काका ने उसके कंधों को पकड़कर थोड़ा सा उठाया औ र
काका- बहू
कामया -
काका ने जब देखा कि कामया की ओर से कोई जबाब नहीं है तो वो बाहर आया और अपने हाथों से कामाया को सहारा देकर बैठा लिया काका जो कि बाहर खड़ा था और लगभग कामया के चेहरे तक उसकी कमर आ रही थी कामया के बैठते ही उसने कामया को कंधे से जकड़कर अपने पेट से चिपका लिया कामया भी काका की हरकत को जानकर अपने को रोका नहीं पर जैसे ही वो काका के पेट से लगी तो उसके गले पर एक गरम सी चीज टकराई गरम बहुत ही गरम उसने अपने चेहरे को नीचे करके उस गरम चीज़ को अपने गले और चिन के बीच में फँसा लिया और हल्के से अपनी चिन को हिलाकर उसके एहसास का मजा लेने लगी कामया के शरीर में एक बार फिर से उत्तेजना की लहर उठने लगी थी और वो वैसे ही अपने गले और चिन को उस चीज पर घिसती रही उधर लाखा अपने लिंग के आकड़पन को अब ठंडा करना चाहता था वो उत्तेजित तो था ही पर बहू की हरकत को वो और नहीं झेल पा रहा था उसने भी बहू को अपनी कमर पर कस्स कर जकड़ लिया और अपनी कमर को बहू के गले और चेहरे पर घिसने लगा वो अपने लिंग को शायद अच्छे से दिखा लेना चाहता था कि देख किस चीज पर आज हाथ साफ किया है या कभी देखा है इतनी सुंदर हसीना को या फिर तेरी जिंदगी का वो लम्हा शायद फिर कभी भी ना आए इसलिए देख ले
 

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और उधर कामया की हालत फिर से खराब होने लगी थी वो अपने चेहरे पर और गले और गालों पर काका के लिंग के एहसास को झुटला नहीं पा रही थी और वो भी अपने आपको काका के और भी नजदीक ले जाना चाहती थी उसने अपने दोनों हाथों को काका की कमर में चारो ओर कस्स लिया और खुद ही अपने चेहरे को उनके लिंग पर घिसने लगी थी पहली बार जिंदगी में पहली बार वो यह सब कर रही थी और वो भी अपने घर के ड्राइवर के साथ उसने अपने पति का लिंग भी कभी अपने चेहरे पर नहीं घिसा था या शायद कभी मौका ही नहीं आया था पर हाँ … उसे अच्छा लग रहा था उसकी गर्मी के एहसास को वो भुला नहीं पा रही थी उसके शरीर में एक उत्तेजना की लहर फिर से दौड़ने लगी थी उसकी जाँघो के बीच में फिर से गुदगुदी सी होने लगी थी ठंडी हवा उसकी जाँघो औ र , योनि के द्वार पर अब अच्छे से टकरा रही थी


और वो अपने चेहरे को घिस कर अपने आपको फिर से तैयार कर रही थी उसके लिप्स भी कई बार काका के लिंग को छू गये थे पर सिर्फ़ टच और कुछ नहीं उसके होंठों का टच होना और लाखा के शरीर में एक दीवाने पन की लहर और उसे पर उसका वहशीपन और भी बढ़ गया था वो अपने लिंग को अब बहू के होंठों पर बार-बारछूने की कोशिश करने लगा था वो अपने दोनो हाथों को एक बार फिर बहू की पीठ और बालों को सहलाने के साथ उसकी चूची की ओर ले जाने की कोशिश करने लगा बाहू के बाल कमर के चारो और चिपके होने से उसे थोड़ी सी मसक्कत करी पड़ी पर हाँ … कामयाब हो ही गया वो अपने हाथों को बहू की चूचियां पर पहुँचने में ब्लाउज के ऊपर से ही वो उनको दबाने लगा और उनके मुलायम पन का आनंद लेने लगा एक तरफ तो वो बहू की चुचियों से खेल रहा था और दूसरे तरफ वो अपने लिंग को बहू के होंठों पर घिसने की कोशिश भी कर रहा था
उसके हाथ अब उसके इशारे पर नहीं थे बल्कि उसको मजबूर कर रहे थे की बहू की चुचियों को अंदर से छुए तो वो अपने हाथों से बहू के ब्लाउज के बटन को खोलेकर एक ही झटके से उसकी ब्रा को भी आजाद कर लिया और उसकी दोनों चुचियों को अपने हाथों में लेकर तोलने लगा उसके निप्पल्स को भी अपनी उंगलियों के बीच में लेकर हल्के सा दबाने लगा नीचे बहू के मुख से एक हल्की सी सिसकारी ने उसे और भी दीवाना बना दिया था और वो अपनी उंगलियों के दबाब को उसके निपल्स पर और भी ज्यादा जोर से मसलने लगा था


बहू की सिसकारी अब धीरे धीरे बढ़ने लगी थी और उसका चेहरा भी अब कुछ ज्यादा ही उसके पेट पर घिसने लगा था लाखा अपने हाथो का दबाब खड़े-खड़े उसकी चुचियों पर भी बढ़ाने लगा था और अब तो कुछ देर बाद वो उन्हें मसलने लगा था बहू के मुख से निकलने वाली सिसकारी अब थोड़ी बहुत दर्द भी लिए हुए थी पर मना नहीं कर रही थी बल्कि बहू की पकड़ उसकी कमर पर और भी ज्यादा होती जा रही थी और उसका चेहरा भी उसके ठीक लिंग के ऊपर और उसके लिंग के चारो तरफ कुछ ज्यादा ही इधर-उधर होने लगा था लाखा काका ने एक बार नीचे बहू की ओर देखा और जोर से उसकी चुचियों को दबा दिया दोनों हाथों से और जैसे ही उसके मुख से आआह्ह निकली काका ने झट से अपने लिंग को उसके सुंदर और साँस लेने की लिए खुले होंठों के बीच में रख दिया और एक झटका से अंदर गुलाबी होंठों में फँसा दिया
कामया के तो होश ही गुम हो गये जैसे ही उसके मुख में काका का लिंग घुसा उसे घिंन सी आई और वो अपने आपको आजाद कराने की कोशिश करने लगी और अपने मुख से काका के लिंग को निकालने में लग गई थी पर काका की पकड़ इतनी मजबूत थी कि वो अपने आपको उनसे अलग तो क्या हिला तक नहीं पाई थी काका का एक हाथ अब उसके सिर के पीछे था और दूसरे हाथ से उसके कंधो को पकड़कर उसे अपने लिंग के पास और पास खींचने की कोशिश कर रहे थे कामया का सांस लेना दूभर हो रहा था उसकी आखें बड़ी-बड़ी हो रही थी और वो अपने को छुड़ा ना पाकर काका की ओर बड़ी दयनीय स्थिति में देखने लगी थी पर काका का पूरा ध्यान अपने लिंग को कामया के मुख के अंदर घुसाने में लगा था और वो उसपरम आनंद को कही से भी जाने नहीं देना चाहते थे वो अपने हाथों का दबाब बहू के सिर और कंधे पर बढ़ाते ही जा रहे थे और अपने लिंग को उसके मुँह पर अंदर-बाहर धीरे से करते जा रहे थे


कामया जो कि अपने को छुड़ाने में असमर्थ थी अब किसी तरह से अपने मुख को खोलकर उस गरम चीज को अपने मुख में अड्जस्ट करने की कोशिस करने लगी थी घिंन के मारे उसकी जान जा रही थी और काका के लिंग के आस पाश उगे बालों पर से एक दूसरी गंध आ रही थी जिससे कि उसे उबकाई भी आ रही थी पर वो बेबस थी वो काका जैसे बालिस्त इंसान से शक्ति में बहुत कम थी वो किसी तरह से अपने होंठों को अड्जस्ट करके उनके लिंग को उनके तरीके से अंदर-बाहर होने दे रही थी पर जैसे ही उसने अपने मुख को खोलकर काका के लिंग को अड्जस्ट किया काका और भी वहशी से हो गये थे वो अब इतना जोर का झटका देते थे कि उसके गले तक उनका लिंग चला जाता था और फिर थोड़ा सा बाहर की ओर खींचते थे तो कामया को थोड़ा सा सुकून मिलता काका अपनी गति से लगे हुए थे और कामया अपने को अड्जस्ट करने में पर ना जाने क्यों थोड़ी देर बाद कामया को भी इस खेल में मजा आने लगा था अब वो उतना रेजिस्ट नहीं कर रही थी बल्कि काका के धक्को के साथ ही वो अपने होंठों को जोड़े हीरखा था और धीरे धीरे काका के लिंग को अपने अंदर मुख में लेते जा रही थी अब तो वो अपनी जीब को भी उनके लिंग पर चलाने लग गई थी उसे अब उबकाई नहीं आ रही थी और ना ही घिन ही आ रही थी उसके शरीर से उठ रही गंध को भी वो भूल चुकी थी और तल्लीनता से उनके लिंग को अपने मुँह में लिए चुस्स रही थी लाखा ने जैसे ही देखा कि बहू अब उसके लिंग को चुस्स रही थी और उसे कोई जोर नहीं लगाना पड़ रहा था तो उसने अपने हाथ का दबाब उसके सिर पर ढीला छोड़ दिया और अपनी कमर को आगे पीछे करने में ध्यान देने लगा उसका लिंग बहू के छोटे से मुख में लाल होंठों से लिपटा हुआ देखकर वो और भी उत्तेजित होता जा रहा था वो अब किसी भी कीमत पर बहू की योनि के अंदर अपने आपको उतार देना चाहता था वो जानता था कि अगर बहू के मुख में वो ज्यादा देर रहा तो वो झड जाएगा और वो मजा वो उसकी योनि पर लेने से वंचित रह जाएगा उसने जल्दी से बहुके कंधों को पकड़कर एक झटके से उठाया और अपने होंठों को उसके होंठों से जोड़ दिया और उसके लाल लाल होंठों को अपने मोटे और भद्दे से होंठों की भेंट चढ़ा दिया वो पागलो की तरह से बहू के होंठों को चुस्स रहा था और अपनी जीब से भी उसके मुख की गहराई को नाप रहा था कामया जब तक कुछ समझती तब तक तो काका अपने होंठों से जोड़ चुके थे और पागलो की तरह से किस कर रहे थे किस के टूट-ते ही वो बहू के ऊपर थे और काका का लिंग उसके योनि के द्वार पर था और एक ही झटके में वो उसके अंदर था काका के वहशीपन से लगता था की आज उसका इम्तहान था या फिर उनके पुरुषार्थ को दिखाने का समय या फिर बहू को भोगने का उतावलापन वो भूल चुका था कि वो उस घर का एक नौकर है और जो आज उसके साथ है वो मालकिन है एक बड़े घर की बहू उसे तो लग रहा था की उसके हाथों में जो थी वो एक औरत है और सिर्फ़ औरत जिसके जिश्म का वो दीवाना था और जैसे चाहे वैसे उसे भोग सकता था वो बहू को चित लिटाकर अपनेलिंग को उसके योनि के द्वार पर रखकर एक जोरदार धक्के के साथ उसके अंदर समा गया उसके अंदर घुसते ही बहू के मुख से एक चीत्कार निकली जो कि उस सुनसांन् ग्राउंड के चारों ओर फेल्ल गई और शायद गाडियो की आवाज में दब कर कही खो गई दुबारा धक्के के साथ ही लाखा अपने होंठों को कामया के होंठों पर ले आया और किसी पिस्टन की भाँति अपनी कमर को धक्के पर धक्के लगाने लगा वो जानता था कि वो ज्यादा देर का मेहमान नहीं है उसकी उत्तेजना शिखर पर है और वो इस कामुक सुंदरी को ज्यादा देर नहीं झेल पाएगा सो वो अपने गंतव्य स्थान पर पहुँचने की जल्दी में था और बिना किसी रोक टोक के अपने शिखर की ओर बढ़ने लगा था

और कामया जो कि नीचे काका के हर धक्के के साथ ही अपने को एक बार फिर उस असीम सागर में गोते लगाने लगी थी जिसमें डूब कर अभी-अभी निकली थी पर कितना सुखद था यह सफर कितना सुख दाई था यह सफर एक साथ दो-दो बार उसकी योनि से पानी झरने को था अब भी उसकी योनि इतनी गीली थी कि उसे लग रहा था कि पहली बार पूरी नहीं हो पाई थी कि दूसरे की तैयारी हो चली थी वो भी अपनी कमर को उठाकर काका की हर चोट का मजा भी ले रही थी और उसका पूरा साथ दे रही थी अब तो वो भी अपनी जीब काका के साथ लड़ाने लग गई थी वो भी अपने होंठों को उसके होंठों से जोड़ कर उन्हें चूमने लग गई थी कि अचानक ही उसके मुख से निकला
कामया- आआआआह्ह काका और जोर से
काका -
कमाया- अऔरर्र ज्ज्जूऊऔरर्र्रर सस्स्सीईए उूुुुुुुुुुुउउम्म्म्ममममममममम म




और वो काका के चारो ओर अपनी जाँघो का घेरा बना कर उसकी बाहों में झूल गई और काका के हर धक्के को अंदर अपने अंदर बहुत अंदर महसूस करने लगी उसकी योनि से एक बहुत ही तेज धार जो कि शायद काका के लिंग से टकराई और काका भी अब झड़ने लगे काका की गिरफ़्त बहू के चारो तरफ इतनी कस्स गई थी कि कामया का सांस लेना भी दूभर हो गया था वो अपने मुख को खोलकर बुरी तरह से सांसें ले रही थी और हर सांस लेने से उसके मुख से एक लंबी सी सस्सशह्ह्ह्ह्ह्ह निकलती
 
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काका भी अब अपना दम खो चुका था और धीरे धीरे उसकी पकड़ भी बहू पर से ढीली पड़ने लगी थी वो अपने को अब भी बहू के बालों और कंधों के सहारे अपने चेहरे को ढँके हुए था और अपनी सांसों को कंट्रोल कर रहा था दोनों शांत हो चुके थे पर एक दूसरे को कोई भी नहीं छोड़ रहा था पर धीरे धीरे हल्की सी ठंडक और तेज हवा का झौंका जब उनके नंगे शरीर पर पड़ने लगा या फिर उनको एहसास होने लगा तो जैसे दोनों ही जागे हो और अपनी पकड़ ढीली की और बिना एक दूसरे से नजर मिलाए काका ने सहारा देकर बहू के पैर जमीन पर टिकाए और नीचे गर्दन नीची किए दूसरी तरफ पलट गया वो बहू से नजर नहीं मिला पा रहा था और कामया की भी हालत ऐसी ही थी वो अपने ड्राइवर के सामने ऊपर से बिल कुल नंगी थी नीचे खड़े होने से उसकी साड़ी ने उसके नीचे का नंगा पन तो ढँक लिया था पर ऊपर तो सब खुला हुआ था वो भी एक सुनसान से ग्राउंड में कामया को जैसे ही अपनी परिस्थिति का ग्यान हुआ वो दौड़कर पीछे की सीट पर आ गई और जल्दी से दरवाजा खोलकर अंदर बैठ गई और अपने कंधे पर पड़े हुए ब्रा और ब्लाउसको ठीक करने लगी उसकी नजर बाहर गई तो देखा कि बाहर काका अपनी अंडरवेअर ठीक करने के बाद अपनी धोती को ठीक से बाँध रहे थे और अपने चेहरे को भी पोंछ रहे थे तब तक कामया ने अपने आपको ठीक किया और जल्दी से कोट भी पहन लिया ताकि वो घर चलने से पहले ठीक ठाक हो जाए अपनी साड़ी को अंदर बैठे बैठे ठीक किया और नीचे की ओर झटकारने लगी उसकी नजर बीच बीच में बाहर खड़े हुए काका पर भी चली जाती थी काका अब पूरी तरह से अपने आपको ठीक ठाक कर चुके थे और बाहर खड़े हुए शायद उसी का इंतजार कर रहे थे या फिर अंदर आने में झिहक रहे थे वो शायद उसके तैयार होने का इंतजार बाहर खड़े होकर कर रहे थे पर कामया में तो इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो काका को अंदर बुला ले पर उसने काका को तभी ड्राइविंग साइड कर गेट खोलते हुए देखा तो झट से उसने अपना सिर बाहर खिड़की की ओर कर लिया और बाहर देखने लगी पर कनखियों से उसने देखा कि काका ने नीचे से कुछ उठाया और उसको गाड़ी की लाइट में देखा और अंदर की ओर कामया की तरफ भी उनकी नजर हुई पर कामया की नजर उस चीज पर नहीं पड़ पाई जो उन्होंने उठाई थी पर जब काका को उसे अपने मुख के पास लेकर सूँघते हुए देखा तो वो शरम से पानी पानी हो गई वो उसकी पैंटी थी जो कि काका के हाथ में थी वो अंदर आके बैठ गये और अपने एक हाथ को पीछे करके उसकी पैंटी को साइड सीट की ऊपर रख दिया ताकि कामया की नजर उसपर पड़ जाए और गेट बंद कर लिया और गाड़ी का इग्निशन चालू कर गाड़ी को धीरे से ग्राउंड के बाहर की ओर दौड़ा दिया

गाड़ी जैसे ही ग्राउंड से बाहर की दौड़ी वैसे ही कामया ने अपनी पैंटी को धीरे से हाथ बढ़ाकर अपने पास खींच लिया ताकि काका की नजर में ना आए पर कनखियो से लाखा की नजर से वो ना बच पाई थी हाँ … पर लाखा को एक चिंता अब सताने लगी थी कि अब क्या होगा , जो कुछ करना था वो तो वो कर चुके लेकिन वो चिंतित था कही बहू ने इस बात की शिकायत कही साहब लोगों से कर दी तो या फिर कही बहू को कुछ हो गया तो या फिर कही उसकी नौकरी चली गई तो
इसी उधेड़बुन में काका अपनी गति से गाड़ी चलाते हुए बंगलो की ओर जा रहे थे और उधर कामया भी अपने तन की आग बुझाने के बाद अपने होश में आ चुकी थी वो बार-बार अपनी साड़ी से अपनी जाँघो के बीच का गीलापन और चिपचिपापन को पोन्छ रही थी उसका ध्यान अब भी बाहर की ओर ही था और मन ही मन बहुत कुछ चल रहा था वो काका के साथ बिताए वक्त की बारे में सोच रही थी वो जानती थी कि उसने बहुत बड़ी भूलकर ली है पहले भीमा चाचा और अब लाखा काका दोनों के साथ उसने वो खेल लिया था जिसका कि भविष्य क्या होगा उसके बारे में सोचने से ही उसका कलेजा काप उठ-ता था पर वो क्या करती वो तो यह सबकुछ नहीं चाहती थी वो तो उसके मन या कहिए अपने तंन के आगे मजबूर हो गई थी वो क्या करती जो नजर उस पड़ पड़ी थी

भीमा चाचा की या फिर लाखा काका की वो नजर तो आज तक कामेश की उस पर नहीं पड़ी थी क्या करती वो उसने जानबूझ कर तो यह नहीं किया हालात ही ऐसे बन गये कि वो उसे रोक नहीं पाई और यह सब हो गया
अगर कामेश उसे थोड़ा सा टाइम देता या फिर वो कही एंगेज रहती या फिर उसके लिए भी कोई टाइम टेबल होता तो क्या उसके पास इतना टाइम होता कि वो इन सब बातों की ओर ध्यान देती आज से पहले वो तो कालेज और स्कूल और दोस्तों के साथ कितना घूमी फिरी है पर कभी भी इस तरह की बात नहीं हुई या फिर उसके जेहन में भी इस तरह की बात नहीं आई थी सेक्स तो उसके लिए बाद की बात थी पहले तो वो खुद थी फिर उसकी जिंदगी और फिर सेक्स वो भी रात को अपने पति के साथ घर के नौकरके साथ सेक्स वो तो कभी सोच भी नहीं पाई थी कि वो इतना बड़ा कदम कभी उठा भी सकती थी वो भी एक बार नहीं दो बार पहली को तो गलती कहा जा सकता था पर दूसरी और फिर आज भी वो भी दूसरे के सा थ
यह गलती नहीं हो सकती थी यही सोचते सोचते कब घर आ गया उसे पता भी ना चला और जैसे ही गाड़ी रुकी उसने बाहर की ओर देखा घर का दरवाजा खुला था पर गाड़ी के दरवाजे पर काका को नजर झुकाए खड़े देखकर एक बार फिर कामया सचेत हो गई और जल्दी से गाड़ी के बाहर निकली और लगभग दौड़ती हुई सी घर के अंदर आ गई और जल्द बाजी से अपने कमरे की ओर चली गई कमरे में पहुँचकर सबसे पहले अपने आपको मिरर में देखा अरे बाप रे कैसी दिख रही थी पूरे बाल अस्त व्यस्त थे और चेहरे की तो बुरी हालत थी पूरा मेकप ही बिगड़ा हुआ था अगर कोई देख लेता तो झट से समझ लेता की क्या हुआ है कामया जल्दी से अपने आपको ठीक करने में लग गई और बाथरूम की ओर दौड़ पड़ी

और कुछ ही देर में सूट पहनकर वापस मिरर के सामने थी हाँ अब ठीक है उसने जल्दी से थोड़ा सा टचिंग किया और अपने पति का इंतेजार करने लगी वो बहुत थकि हुई थी उसे नींद आ रही थी और हाथ पाँव जबाब दे रहे थे तभी इंटरकम की घंटी बजी
कौन होगा कामया ने सोचा पर फिर भी हिम्मत करके फोन उठा लिया
कामया- जी
मम्मीजी- अरे बहू खाना खा ले इन लोगों को तो आने में टाइम लगेगा
कामया- जी आ ई
उसे ध्यान आया हाँ आज तो उसके पति और ससुरजी तो लेट आने वाले थे चलो खाना खा लेती हूँ फिर इंतजार करूँगी
वो नीचे आ गई और मम्मीजी के साथ खाना खाने लगी पर मम्मीजी तो बस बड बड किए ही जा रही थी उसका बिल्कुल मन नहीं था कोई भी बात का जबाब देने का पर क्या करे
मम्मीजी- कैसा रहा आज का तेरा क्ला स
कामया- जी ब स
क्या बताती कामया की कैसा रहा
मम्मीजी- क्यों कुछ सीखा की नहीं
कामया- जी खास कुछ नहीं बस थोड़ा सा
क्या बताती कि उसने क्या सीखा बताती कि उसने अपने जीवन का वो सुख पाया था जिसके बारे में उसने कभी सोचा भी नहीं था आज पहली बार किसी ने उसकी योनि को अपने होंठों से या फिर अपने जीब से चाहता था सोचते ही उसे शरीर में एक सिहरन सी दौड़ गई थी
मम्मीजी- चलो शुरू तो किया तूने अब किसी तरह से जल्दी से सीख जा तब हम दोनों खूब घूमेंगे
कामया- जी
कामया का खाना कब का हो चुका था पर मम्मीजी बक बक के आगे वो कुछ भी कह पा थी वो जानती थी कि मम्मीजी भी कितनी अकेली है और उससे बातें नहीं करेंगी तो बेचारी तो मर ही जाएँगी वो बड़े ही हँस हँस कर कामया की देखती हुई अपनी बातों में लगी थी और खाना भी खा रही थी जब खाना खतम हुआ तो दोनों उठे और बेसिन में हाथ मुँह धो कर कामया अपने कमरे की चल दी और मम्मीजी अपने कमरे की ओर ऊपर जाते हुए कामया ने मम्मीजी कहते हुए सुना
मम्मीजी- अरे भीमा ध्यान रखना जरा दोनों को आने में देर होगी तू जाके सो मत जाना
भीमा- जी अप निश्चिंत रहे
तब तक कामया अपने कमरे में घुस चुकी थी उसकी थकान से बुरी हालत थी जैसे शरीर से सबकुछ निचुड चुका था वो जल्दी से चेंज करके अपने बिस्तर पर ढेर हो गई और पता ही नहीं चला कि कब सो गई और कब सुबह हो गई थी
सुबह जब नींद खुली तो रोज की तरह बाथरूम के अंदर से आवाजें आ रही थी मतलब कामेश जाग चुका था और बाथरूम में था वो कामया भी बिस्तर छोड़ कर उठी और बाथरूम में जाने की तैयारी करने लगी कामेश के निकलते ही वो बाथरूम की और लपकी
कामेश- कैसा रहा कल का ड्राइविंग क्लास
कामया- जी कुछ खास नहीं थोड़ा बहुत
कामेश- हाँ … तो क्या एक दिन में ही सीख लोगी क्या
कामया तब तक बाथरूम में घुस चुकी थी जब वो वापस निकली तो कामेश नीचे जाने को तैयार था
और कामया के आते ही दोनों नीचे काफ़ी पीने के लिए चल दिए कामेश कुछ शांत था कुछ सोच रहा था पर क्या और नहीं कुछ पूछा उसने कि कब आई थी कब गई थी क्या-क्या सीखा और क्या हुआ कुछ भी नहीं
कामया का मूड सुबह सुबह ही बिगड़ गया जब वो नीचे पहुँचे तो मम्मीजी चाय सर्व कर रही थी और पापाजी पेपर पर नजर गढ़ाए बैठे थे दोनों के आने की अहाट से मम्मीजी और पापाजी सचेत हो गये ,
पापाजी- कहो कैसी रही कल की क्लास
कामया- जी ठी क
पापाजी- ठीक से चलाना सीख लो लाखा बहुत अच्छा ड्राइवर है
कामया- जी
वो जानती थी कि लाखा कितना आक्चा ड्राइवर है और कितनी अच्छी उसकी ड्राइविंग है उसके शरीर में एक लहर फिर से दौड़ गई वो अपने चाय की चुस्की लेती रही और काका के बारे में सोचने लगी कि कल उसने क्या किया एक ग्राउंड में वो भी खुले में कोई देख लेता तो और कुछ अनहोनी हो जाती तो

पर कल तो काका ने कमाल ही कर दिया था जब उसके योनि पर उन्होंने अपना मुख दिया था तो वो तो जैसे पागल ही हो गई थी और अपना सबकुछ भूलकर वो काका का कैसे साथ दे रही थी वो सोचते ही कामया एक बार फिर से गरम होने लगी थी सुबह सुबह ही उसके शरीर में एक सेक्स की लहर दौड़ गई वो चाय पी तो रही थी पर उसका पूरा ध्यान अपने साथ हुए हादसे या फिर कहिए कल की घटना पर दौड़ रही थी वो ना चाहते हुए भी अपने को रुक नहीं पा रही थी बार-बार उसके जेहन में कल की घटना की घूम रही थी और वो धीरे-धीरे अपनी उत्तेजना को छुपाती जा रही थी
 
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