captain559
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Didi sex chatBhai story going excellent
Why three hero
Keep one hero for chudai
Other two ,ko supporting hero rakh raskte h with one incest partner each, other ladies only for Suraj.
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Didi par sex chatWaah bhai kahani bahut mst jaa rahi hai
awesomeUpdate 4हेमलता 52
नीचे अंकुश नेहा से सामान की लिस्ट लेकर चला गया था उसे पता था चिंकी सूरज के साथ क्या करेगी और उसने कितना समय लगेगा.. अंकुश बिलाल की दूकान पर आ गया था आज दूकान पर कस्टमर बैठे थे और ये देखकर अंकुश खुश होता हुआ बिलाल से दो बात करके एक तरफ बैठकर अपनी बहन नीतू से फ़ोन पर लग गया था वही मुन्ना हलवाई के घर नीचे नेहा अपने दोनों बच्चों के साथ एक रूम में टीवी देख रही थी तो ऊपर चात वाले कमरे में चिंकी ने सूरज की हालत ख़राब कर रखी थी..
क्या लड़कियों की तरह रोता रहता है हमेशा हनी उतार ना इसको.. देख तू नहीं उतारेगा तो मैं फाड़ दूंगी फिर मत कहना बताया नहीं था..
चिंकी.. तेरी शादी हो गई यार.. अब तो मेरा पीछा छोड़ दे.. अब भी पहले की तरह जोर जबरदस्ती कर रही है..
शादी हो गई तो क्या मैं अपने हनी को भूल जाऊ? बेटा पहला बच्चा तो तेरा ही करुँगी.. चल अब उतार अपनी चड्डी..
तू मेरा रेप कर रही है चिंकी.. देख छोड़ दे मुझे.. तूने चुम्मा चाटी का बोला था मेरे होंठों को भी काट लिया इतनी बुरी तरह से..
भोस्डिके तू चुतिया का चुतिया ही रहेगा क्या हमेशा? पहले भी बच्चौ की तरह रोता था अब भी रो रहा है.. भूल गया कैसे नशे में धुत पड़ा रहता था.. मैं बचाया था तुझे.. कितने लड़को को चुना लगाके तुझे खुश रखती थी.. अहसान मानने ही जगह औकात दिखा रहा है मादरचोद..
कमीनी कितनी बार मेरी इज़्ज़त लूटी थी तूने याद दिलाऊ? बहाने बहाने से चिपक के जो करती थी सब याद है.. ब्लैकमेल करके मुझे बुलाया फिर पकडे गए.. मैंने कहा था जाने दे..
तुझे कुछ होने तो नहीं दिया ना मैंने.. मुन्ना भईया को हाथ तक नहीं लगाने दिया था तुझे.. याद है? फिर भी तू साले चुतिया.. मुझे ही बोल रहा है.. अब अपनेआप खोलता है अपनी चड्डी या फाडकर मैं निकालू तेरा लंड..
तुझे बिलकुल शर्म नहीं है क्या? कितना खुलम खुला बोल रही है ये सब.. पहले से और बिगड़ गई है तू चिंकी..
चल मेरे प्यारे.. अब बहुत बातें हो गई.. अब थोड़ा कामसूत्र भी कर मेरे साथ..
चिंकी ने बेड पर पीठ के बल लेटे सूरज के ऊपर आकर उसकी चड्डी में हाथ डालकर लिंग बाहर निकल लिया और अपने मुंह में लेकर चूसने लगी..
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चिंकी 26 साल की सावली सलोनी लड़की थी जिसका 1 साल पहले ब्याह हुआ था.. देखने में बुरी ना थी मगर उतनी आकर्षक भी ना थी की तारीफ में पुल बांधे जाए.. सूरज जब नशे का आदि हुआ था चिंकी ने उसे बहुत संभाला था और उसके साथ कई बार सम्भोग किया और सूरज नशे में सब कर जाता था.. चिंकी को सूरज पसंद आ गया था और चिंकी से इमोशनल और फिजिकल सपोर्ट पाकर वो संभल गया था.. हालांकि इसमें सुमित्रा का बहुत बड़ा योगदान था मगर चिंकी ने हर तरह से सूरज को उन दिनों सुखी रखा था और सुधरने पर मजबूर कर दिया था इसलिए भी सूरज चिंकी को पसंद करता था.. ये बात वो कह ना सकता था मगर उसे चिंकी में एक अच्छा दोस्त मिला था जिसके साथ वो हर इच्छा पूरी कर सकता था वही चिंकी जैसी कामुक औरत तो सूरज पर उस वक़्त गिद्ध की निगाह गड़ा के बैठी और उसने अपना मकसद भी पूरा कर लिया था.. लेकिन सूरज के साथ ने चिंकी को उसके फालतू जगह जगह मुंह मारने की आदत को छुड़वा दिया था.. चिंकी सिर्फ सूरज के साथ रहने लगी थी.. फिर दोनों पकडे गए और कुछ महीनों बाद चिंकी की शादी हो गयी.. उसके बाद आज मुलाक़ात हुई थी दोनों की..
चिंकी आराम से यार... अह्ह्ह इतना जोर क्यों लगा रही है..
चूतिये चुप बैठ.. और करने दे मुझे..
अह्ह्ह.. चिंकी.. अह्ह्ह्ह...
चिंकी ने सूरज के लंड को पूरा खड़ा कर दिया और अब अपने मुंह से निकाल कर सूरज के ऊपर आते हुए उसे अपनी योनि में लेकर सूरज को चोदने लगी.. सूरज नीचे लेटा हुआ था और चिंकी उसके ऊपर चढ़ी हुई उसके जवान जिस्म और मर्दानगी का स्वाद ले रही थी..
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मज़ा आ रहा है ना हनी.. अह्ह्ह.. कब से इसके लिए तड़प रही थी मैं.. मन कर रहा है कच्चा खा जाऊ तुझे.. इतना प्यारा लगता है तू मुझे..
खा ही तो रही है चिंकी.. तेरे साथ ऐसा लगता है जैसे मैं लड़का नहीं लड़की हूँ और तू लड़का..
चिंकी ब्लाउज के बटन खोलती हुई - मादरचोद ज्यादा ना भोला मत बन.. इतना भी शरीफ नहीं है तू.. देख मेरे आम दबा दबा के तूने पपीते कर दिये और मासूम बनके दिखा रहा है लोड़ू.. सब मैं ही कर रही हूँ तू भी हिला अपनी गांड थोड़ी...
सूरज धीरे से - घोड़ी बना जा..
चिंकी हसते हुए - क्या बोला? चेहरा किताबी शोक नवाबी साब के.. चलो कोई ना तेरे लिए घोड़ी कुतीया छिपकली सब बनने को तैयार हूँ मेरे प्यारे.. ले बन गई.. अब सवारी कर अपनी घोड़ी की..
सूरज चिंकी की कमर थाम कर चुत में लंड घुसते हुए - अंदर निकालू ना..
हाँ.. प्रेग्नेंट कर दे.. कर सकता है तो.. खुली छूट है तेरे लिए मेरी जान.. अह्ह्ह.. हनी.. जब तू ऐसे पेलता है ना लगता है सच्चा प्यार हो गया है तुझसे...
सूरज कमर पकड़ कर चिंकी को चोदने लगता है और खुद भी अब मज़े लेने लगता है उसे चिंकी अब पहले से ज्यादा अच्छी लगने लगी थी.. चिंकी लूज़ चेरेक्टर की थी मगर सूरज को उसका स्वभाव और हमेशा बेफिक्री से रहने की आदत भाति थी ऊपर से चिंकी जैसे हनी को ट्रीट करती थी हनी को लगता था जैसे चिंकी उसकी देखभाल करने वाली कोई आया है जो मौका देखकर उसकी इज़्ज़त भी ले लेती है..
अह्ह्ह.. सूरज चिंकी की चुत में झड़ते हुए... अह्ह्ह..
love you..
शाम के पांच बन गए थे और अब दरवाजा बजाते हुए नहा बोली.. चिंकी.. चिंकी.. ख़त्म नहीं हुई क्या तेरी बातें..
अंदर से चिंकी - भाभी बस दस मिनट आती हूँ..
नेहा - मैं बच्चों को टूशन से लेने जा रही हूँ तू अपनी बातें जल्दी कर अब..
चिंकी - ठीक है भाभी..
नेहा चली जाती वही सूरज चिंकी को देखकर कहता.. अब जाने भी दे.. पिछले तीन घंटे में तीन बार पिचकारी चल चुकी है अब क्या निकलेगा इसमें से..
चिंकी सूरज का लंड चूसते हुए - फिर कब आयेगा मेरे पास?
जब भी तू बुलायेगी मेरी माँ.. अब छोड़ मुझे..
भोस्डिके तू नाटक तो ऐसे करता है जैसे मैं अकेली ही मज़े लेती हूँ और तू बेचारा मजबूर असहाय है.. इतने नखरे तो वो भी नहीं करती..
सूरज पैंट पहनते हुए - ठीक है.. लिए मेने भी मज़े.. खुश अब? जाऊ तेरी आज्ञा हो तो..
चिंकी सूरज की गर्दन पकड़कर उसके होंठ को चुमते हुए कहती है - जब तू ऐसे नखरे करता है.. कसम से बहुत प्यारा लगता है.. जचता है तेरे ऊपर ये सब.. मेरी गालियों को दिल पर मत लेना.. आदत हो गई है मुझे गाली गलोच करने की.. तू तो जानता है हनी..
कुछ ज्यादा इमोशनल नहीं हो रही तू आज? रोने तो नहीं वाली ना? चल जाता हूँ सगाई में मिलूंगा तुझसे.. गालियों का ऐसा है लड़कियों के मुंह से गाली बहुत अच्छी लगती है.. और एक बोलू.. शादी के बाद और अच्छी लगती है..
चिंकी मुस्कुराते हुए सूरज को जाते हुए देखने लगती है और सूरज अपने बाप की स्कूटी घुमा के वापस घर आ जाता है और अपने कमरे में जाकर जैसे ही अपना फ़ोन देखता है उसे गरिमा के कई massage देखने को मिलते है..
सूरज व्हाट्सप्प पर गरिमा के इतने massage देखकर हैरान रह जाता है.. सुबह से उसे अपना व्हाट्सप्प देखने की जरुरत नहीं पड़ी थी और अब जब उसने देखा तो पाया की गतिमान ने सुबह से बहुत से massage कर दिए थे शायद वो सूरज से बात करना चाहती थी मगर सूरज आज दिनभर व्यस्त था तो गरिमा से बात नहीं कर पाया..
सूरज गद्दे पर बैठकर गरिमा के सारे मैसेज देखकर रिप्लाई करते हुए कहता है..
सॉरी भाभी.. आज सुबह से बिजी था.. वो सगाई की तैयारियां कर रहा था ना इसलिए सुबह से व्हाट्सप्प चेक करने का समय नहीं मिला.. आपने इतने मैसेज किये मैंने रिप्लाई तक नहीं किया.. सॉरी..
गरिमा तो जैसे फ़ोन से चिपकी हुई उसीके मैसेज के इंतजार में बैठी थी.. सूरज का मैसेज देखकर उसने रिप्लाई किया - कोई बात नहीं देवर जी.. रात को तुमने कहा था खाने के बाद बात करोगे तो मैं तब से ही तुम्हारे मैसेज का वेट कर रही थी.. सुबह तुमसे कुछ पूछना तो मैसेज कर दिया.. अब तो फ्री हो ना तुम..
भाभी रात के लिए भी सॉरी.. आप फ़ोन कर दिया करो ना जब आपका बात करने का मन हो.. अच्छा.. क्या पूछना था आपको?
रुको एक मिनट.. देखो मैंने 3-4 फोटोज भेजी है लहंगे की... तुम्हे कोनसा कलर अच्छा है बताओ?
भाभी भईया से पूछो ना ये सब तो मैं क्या बताऊ इसमें आपको?
तुम्हारे भईया के पास टाइम कहा है? जब भी बात होती है 2 मिनट में कह देते है बाद में बात करूंगा.. अभी भी यही कहा उन्होंने.. जो पसंद हो पहन लेना.. अब तुम बताओ ना सूरज.. कोनसा पसंद है तुम्हे?
हम्म.. रुको भाभी देखने दो.. ये ब्रॉउन वाला अच्छा लगेगा आपके ऊपर..
सच?
हाँ.. और कुछ?
बस यही पूछना था.. वैसे क्या तैयारी कर रहे थे तुम?
यही छोटी मोटी तैयारियां.. आप बताओ.. वो नॉवेल पढ़ना शुरू की आपने जो मैंने कुरियर की थी?
नहीं.. आज रात से पढ़ना शुरू करूंगी.. कैसी कहानी है?
ये आप पढ़कर जान लो.. मैं तो बस इतना बता सकता हूँ एक लव स्टोरी है..
अच्छा? कोई ऐसी वैसी कहानी तो नहीं है ना.. बहुत मारूंगी अगर कुछ वैसा हुआ तो इसमें..
भाभी यार आप भी ना.. आपको वैसी कहानी पढ़ने को कहूंगा क्या मैं?
अच्छा.. तुम क्या पहनने वाले हो उस दिन?
मैं? मैं तो कुछ भी पहन लूगा.. माँ कहती मैं जो पहनता उसमे बिलकुल फ़िल्मी हीरो लगता हूँ..
क्या फ़ायदा ऐसे हीरो का जिसकी एक भी गर्लफ्रेंड नहीं हो.. सूरत से तो इतने प्यारे हो पर एक लड़की तक नहीं पटा सकते..
ताने मार रही हो भाभी? अगर गर्लफ्रेंड बना ली तो आप से बात कौन करेगा? फिर कहोगी देवर जी तो बात ही नहीं करते..
गरिमा के मन में मीठी मीठी लहर उठ रही थी सूरज से बात करके उसे ऐसा लगता था जैसे किसी भगत को देवता से मिलके लग सकता है.. गरिमा इन कुछ ही दिनों में सूरज के साथ लगाव के बंधन में बंध गई थी बिना सूरज से बात करें उसका दिन मानो पूरा ही ना होता हो..
सूरज गरिमा से बात करते करते छत पर आ गया था और अब तक दोनों के बीच बात होते होते एक घंटा बीत गया था..
भाभी उंगलियों में दर्द हो गया टाइप करते करते.. बाद में बात करें अब?
क्या देवर जी.. आप तो मुझसे जान छुड़ाना चाहते हो.. ऊँगली में दर्द का बहाना बनाने लगे..
सच बोल रहा हूँ भाभी.. रात करते है ना बात.. मैं खुद मैसेज करूंगा..
ऊँगली में दर्द हो रहा है तो फ़ोन पर बात करते है ना देवर जी.. थोड़ी और रुक जाओ.. फिर मुझे खाना बनाने जाना है..
गरिमा ने कह तो दिया था मगर उसे अहसास हुआ की व्हाट्सप्प पर चैटिंग करने और कॉल पर बात करने में बहुत अंतर होता है और शायद वो जो जवाब लिख दे देती है और सूरज से हंसी ठिठोली कर लेती है वो कॉल पर बात करते हुए ना कर पाए..
सूरज ने गरिमा का मैसेज पढ़ कर एक पल के लिए सोचा की वो कैसे कॉल पर बात करेगा और कॉल पर बात करना बहुत मुश्किल होगा मगर फिर भी उसने गरिमा से कहा - ठीक पर दो मिनट रुको मैं इयरफोन ले आता हूँ.. वाशरूम भी जाना है..
ठीक है देवर मैं वेट कर करती हूँ.. गरिमा के मन में ना जाने क्यों तितलियाँ उड़ने लगी थी उसे एक अलग अहसास ने घेर लिया था मन में मोर नाच रहे थे.. उसे ऐसा लग रहा जैसे वो शर्म से लाल हुए जा रही है मगर ऐसा क्यों था? विनोद से जो पल भर की बात होती थी उसमे गरिमा को कुछ नहीं होता मगर सूरज.. सूरज से जब वो बात करती तो मन खुश रहता और लम्बी से लम्बी बात करने का उसका मन करता.. और अब वो फ़ोन पर उससे बात करने वाली थी..
सूरज नीचे जाकर पहले बाथरूम मे जाता है और पेशाब करके बाहर आता है और फिर अपने इयरफोन उठाकर फ़ोन से जोड़ते हुए वापस छत पर आ जाता है.. और छत पर बने एक्स्ट्रा कमरे के अंदर जाकर वहा पड़े एक पुराने से एक पलंग पर बैठते हुए गरिमा को फोन लगा देता है..
गरिमा सूरज का फ़ोन आता देखकर उत्साह से भर जाती है उसकी धड़कन तेज़ थी और वो फ़ोन उठाने की हिम्मत नहीं कर पास रही थी मगर जैसे तैसे उसने खुद पर काबू पाते हुए फ़ोन को उठा लिया और बोली - हेलो..
हेलो भाभी..
जी देवर जी.. बताइये उंगलियां कैसी है आपकी? अभी अभी दर्द हो रहा है उंगलियों में?
क्यों? अगर मेरी उंगलियों में दर्द होगा तो आप क्या करोगी? कोई नुस्खा है आपके पास उंगलियों का दर्द ठीक करने का?
अगर तुम पास होते तो शायद मैं तुम्हारी उंगलियों में दर्द की दवा लगा देती और तुम्हारा दर्द ठीक कर देती..
भाभी बचपन से एक अजीब चीज है मेरे साथ.. मेरे ना दवा असर नहीं करती.. तो आपके दवा लगाने से कुछ नहीं होता.. दर्द भी ठीक ना होता..
दवा से कुछ नहीं तो मैं अपने देवर की उंगलियों को अपने हाथ में लेकर मालिश कर देती तब जरुर कुछ होता..
सूरज हसते हुए - भईया की मालिश करना भाभी.. उनको कमर में बहुत दर्द रहता है आजकल.. मेरी मालिश रहने दो.. वरना कोई देखेगा तो कुछ गलत मतलब ही निकालेगा..
तुम इतना डरते हो लोगों से?
सूरज पलंग से उठाकर छिपाई हुई जगह से सिगरेट लाइटर निकाल कर सिगरेट जलाते हुए - क्यों नहीं डरना चाहिए? अगर लोग बातें बनाने लगे तो अफवाह भी आग की तरह फैलती है भाभी..
गरिमा लाइटर की आवाज सुनकर समझ जाती है और कहती है - सिगरेट पी रहे हो ना देवर जी तुम छत पर?
सूरज सिगरेट का पहला कश लेकर - नहीं तो.. आपको ऐसा क्यों बोल रही हो?
गरिमा - देखो देवर जी.. मुझसे तो मत ही छीपाओ तुम.. मुझे यहां तक स्मेल आ रही है..
सूरज सिगरेट का कश लेते हुए - भाभी आप ना इलाज कराओ अपनी नाक का.. कुछ ज्यादा ही स्मेल आती है आपको.. सवा सो किलोमीटर दूर का भी सूंघ लेती हो..
गरिमा - मुझे तुम पागल नहीं बना सकते.. समझें देवर जी? मुझे पता है तुम घर छत पर मुझसे बात करते हुए सिगरेट पीकर धुआँ उड़ा रहे होंगे..
सूरज कश लेता हुआ - आप ना कुछ भी सोच और बोल रही हो भाभी.. इतना ख्याल भईया का रखो.. आजकल रात रात भर किसी से बात करते है वो.. मुझे लगता है भईया का बाहर चक्कर भी चल रहा है शायद..
गरिमा - ज्यादा ना बात घुमाने की कोशिश मत करो तुम.. सिगरेट पीने से कितना नुकसान होता पाता भी है.. एक बार शादी होने दो तुम्हारे भईया से फिर देखती तुम सिगरेट के कैसे हाथ लगाते हो..
सूरज सिगरेट के कश लेता हुआ - अच्छा ठीक है.. ठीक है.. नहीं पीता अब से.. खुश?
गुड बॉय.. अच्छा मैं खाना बनाने जा रही हूँ.. रात को फ़ोन करूंगी.. बाय..
सूरज फ़ोन काटते हुए - बाय भाभी..
सूरज फ़ोन कटने के बाद काफी देर तक छत पर टहलता रहा और अपने मन में उठते ख्यालों से मिलता रहा.. उसके मन में गरिमा के लिए कुछ नहीं था.. वो गरिमा को सिर्फ भाभी के रूप में देख रहा था जो अच्छा दोस्त बन गई थी.. दोनों की उम्र में सिर्फ दो-तीन साल का फासला था और कुछ नहीं.. गरिमा को प्रेम के बंधन में बंधने लगी थी और उसे इस बात की खबर तक ना थी.. अनजाने में ही सही मगर उसे अहसास होने लगा था कि सूरज से बात करके वो खुश रहने लगी थी और उसकी उदासी गायब होने लगी थी अकेलापन दूर होने लगा था..
सूरज को आज चिंकी से भरपूर सेक्स मिला था जिससे सूरज फ्री और फ्रेश महसूस कर रहा था.. छत पर बैठे बैठे उसे शाम के सवा सात बज गए थे.. सूरज को एक फ़ोन आया तो वो छत से नीचे अपने कमरे में आ गया और जूते पहनने लगा कि तभी सुमित्रा ने सूरज से कहा - कहीं जारहा है हनी?
हाँ माँ एक दोस्त के पास जा रहा हूँ..
ले चाय पिले..
माँ इस वक़्त चाय? इस वक्त क्यू चाय बनाई है आपने?
बस ऐसे ही.. दिनभर बाहर था ना तू.. मुझे लगा तुझे नींद आ रही होगी.. इसलिए बना दी.. ले पिले..
रहने दो माँ मेरा मन नहीं चाय पिने का..
पिले ना हनी.. इतनी प्यार से बनाकर लाई हूँ और तू ऐसे जा रहा है..
अच्छा लाओ.. आप भी ना.. कई दिनों से जैसे पीछे ही पड़ गई हो.. इतना ख्याल मत रखा करो मेरा.. बच्चा नहीं हूँ मैं अब..
सूरज ने चाय पीते हुए कहा और सुमित्रा सूरज को चाय पीते देखकर एक्ससाईंटेड हो गई मगर अपनी फीलिंग पर नियंत्रण करते हुए सूरज को चाय पीते हुए ऐसे देखने लगी जैसे सूरज चाय नहीं कुछ और पी रहा हो..
माँ.. माँ... ध्यान कहा है आपका?
कहीं नहीं.. बस तू बड़ा प्यारा लग रहा है.. नज़र टिका लगाना शुरू करना पड़ेगा तुझे.. कहीं नज़र ना लग जाए तुझे.. पहले कि तरह..
अच्छा जी.. ये पकड़ो कप.. चाय अच्छी थी.. और अब जाने दो.. थोड़ा लेट आऊंगा तो आप सो जाना..
ठीक है बेटू जी..
सूरज बाहर चला जाता है और सुमित्रा चाय का कप लेकर नीचे रसोई में आ जाती है और कप रखकर अपने कमरे के बाथरूम में जाकर सूरज को चाय पीता हुआ याद करके अपनी योनि सहलाती थी कुछ कामुक ख़याल सोचती है.. सुमित्रा ने चाय में कुछ मिलाया था पर क्या ये तो वही जानती थी जिससे वो सूरज को चाय पीता देखकर उत्तेजित हो उठी थी.. खैर.. जल्दी ही सुमित्रा ने अपने बेटे सूरज के नाम की चुत में ऊँगली करते हुए जयकारा लगाकर अपना पानी बहा दिया और फिर रसोई में आकर खाना बनाने लग गई..
सूरज घर से निकलकर अंकुश के पास आ गया था और दोनों मिलकर बंसी काका के घर चले गए थे जहाँ बंसी उन दोनों का ही बड़ी बेसब्री से इंतेज़ार कर रहा था.. आज दूकान जल्दी बंद कर बंसी घर आ गया था और शराब कि एक बोतल के साथ कुछ चखने का सामान और छोटी मोटी चीज़े लेकर अंकुश और सूरज के इंतजार में खड़ा था..
बंसी एक 55-60 साल के करीब का आदमी था और बचपन से ही पुशतेनी किराने कि दूकान चलाता था.. स्वभाव से सरल लेकिन आशिक़ मिज़ाज़ और बातूनी किस्म का आदमी था बंसी.. सूरज को बंसी कि बेटी बरखा टूशन पढ़ाती थी और बचपन से ही बंसी और उसकी पत्नी हेमलता दोनों सूरज को जानते थे.. बंसी के खुलेपन और बाल सफ़ेद होने के बाद भी रंगिनिया ऐसी थी कि आज का नौजवान लड़का भी शर्मा जाए.. इसके करण उसकि दोस्ती पहले सूरज फिर अंकुश से हो गई थी और दोनों स्कूल के बाद से ही बंसी के साथ बैठकर टाइमपास और कभी कभी महफिल जमाकार शराब पिने लगे थे.. बंसी को अगर किसी का डर था तो वो उसकी पत्नी हेमलता थी.. बंसी के 2 बेटे और एक बेटी थी.. दोनों बेटे तो बड़े शहर जाकर वही सेटल हो चुके थे और बेटी बरखा का भी 8 साल पहले ब्याह हो चूका था.. बंसी और उसकी पत्नी हेमलता ही अब यहां साथ रहते थे.. आज हेमलता मोहल्ले में किसी के घर जगराते में चली गई थी और बंसी अकेला घर में था..
सूरज और अंकुश रात आठ बजे बंसी के घर पहुचे तो उन्होंने देखा कि बंसी उनकी का इंतेज़ार कर रहा था.. तीनो एक साथ घर कि छत पर आ गए और छत पर सीढ़ियों के पास एक छोटी सी जगह बैठकर तीनो ने शराब कि बोलत खोलकर एक एक पेग बना लिया जाम हाथ में लेकर इधर उधर कि बातें करने लगे.. बंसी को सामान कि लिस्ट भी दे दी गई थी और बंसी ने सूरज से परवाह ना करने का कहते हुए पड़ोस में नई नई आकर रहने लगी एक 40 साल की महिला सपना के बारे में बात करते हुए अपनी ठरक को बाहर लाने लगे..
साली आग है आग.. बोबे तो इतने हिलते है क्या कहु.. आज दूकान पर सामान लेने आई थी मेरा तो मन किया पकड़ के चूस लूँ सपना के बोबो को.. बहन कि लोड़ी क्या चीज है..
अंकुश हसते हुए - काका लगता है वापस जुगाड़ करवाना पड़ेगा आपका.. ठरक चढ़ती जा रही है आपके सर में..
सूरज - काका क्यों किसी भली औरत को देखते हो.. छेड़खानी के अलावा कुछ करना तो है नहीं आपको.. पिछली बार का याद है ना अक्कू? क्या बोल रही थी वो औरत कमरे निकलकर..
अंकुश हँसते हुए - हाँ.. बन्दुक जंग खा चुकी है अब गोली नहीं चलेगी.. आधे घंटे काका ढीले लंड को पकड़ के हिलाती रही फिर भी कुछ नहीं हुआ..
बंसी - अरे उस दिन तो मैं बीमार था..
सूरज - कम से कम झूठ तो मत बोलो काका.. शराब पी रहे हो.. बीमार होते जुगाड़ के पास थोड़ी आने को तैयार होते.. ये बोलो अब उम्र हो गई है आपकी बातों के अलावा कुछ नहीं कर सकते..
अंकुश - ऐसा मत बोल भाई.. काका इस बार मैं गोली लाऊंगा आपको गोली खा के पेलना..
बंसी - इस बार तो धुमा उठा दूंगा बहनचोद..
सूरज हसते हुए - ज्यादा एक्ससिटेड मत हो काका कहीं अभी हार्टअटैक ना आ जाए..
बंसी - कोई सपना जैसी मिल जाए बहन चोद.. तब मज़ा आये..
अंकुश दूसरा पेग बनाते हुए - इस बार कोई मिल्फ ही देखेंगे काका आपके लिए..
सूरज - जाके सपना से बात कर लेना अक्कू.. क्या पता मान जाए.. काका कि पेर्सनालिटी भी गज़ब है..
बंसी - हाँ बड़ा धर्मेंद्र हूँ ना मैं.. बहनचोद..
अंकुश - धर्मेंद्र से कम भी नहीं हो काका..
सूरज - और क्या.. बस सर के आधे बाल ही तो उड़े है.. बाकी आधे सफ़ेद है.. और थोड़ी तोंद निकली है..
अंकुश - और क्या.. लम्बाई ज्यादा नहीं तो क्या हुआ उसे क्या फर्क पड़ता है.. नावाज़ुद्दीन सिद्दकी लगते हो बिलकुल..
बंसी - तुम दोनों तारीफ़ कर रहे हो या मेरी गांड मार रहे हो..
अंकुश - काका आप तो गलत ले गए बातों को.. कोई ना छोडो इस बार ऐसी ढूंढेगे आपको पसंद आएगी..
बंसी पेग पीते हुए - बहनचोद उठा उठा के चोदुँगा.. अह्ह्ह.. करगी देखना..
सूरज हसते हुए अपना दूसरा पेग बिना पिए - मैं मूत के आता हूँ काका..
छत पर पीछे कोने में बाथरूम था जहाँ सूरज चला गया था और अब अंकुश ने तीसरा पेग बनाया ही था कि हेमलता एक डंडा लेकर छत पर आ गई और बंसी और अंकुश को मारते हुए बोली - यही सब करना आता है तुम लोगों को.. और तुम बेटे से भी कम उम्र के बच्चों के साथ शराब पीते हो शर्म नहीं आती तुमको..
अंकुश तो जैसे हेमलता को देखते ही उसका पहला डंडा खाकर रफ्फुचकर हो गया मगर बंसी के 3-4 पड़ चुके थे.. बंसी हेमलता के सामने हाथ जोड़ता हुआ नीचे चला गया और उसका सारा नशा उतर चूका था..
अंकुश बंसी तो हेमलता से बचकर नीचे भाग गए मगर हेमलता शराब के तीन गिलास देखकर सब समझ गई थी.. हेमलता ने इधर उधर देखा फिर बाथरूम के दरवाजे बंद देखे तो वो समझ गई थी कि सूरज अंदर ही है.. हेमलता ने सीढ़ियों का दरवाजा बंद कर दिया और बाथरूम के पास आ गई..
बाथरूम के अंदर बैठे हुये सूरज ने शोर होने पर बाथरूम के दरवाजे के ऊपर से सब देख लिया था और वो चुपचाप अंदर बैठ गया था और सोच रहा था कि अगर वो बाहर निकला तो उसका पीटना भी आज तय है..
हेमलता हाथ में डंडा लेकर बाथरूम के दरवाजे के बाहर आकर खड़ी हो गई और बोली - हनी बाहर आ..
सूरज ये सुनते ही अपने सर पर हाथ रख कर मन में बोल पड़ा - आज तो गए.. काका ने फंसा दिया..
हेमलता फिर से बोली - हनी बाहर आता है या मैं बाहर से दरवाजा लॉक करू? रुक सुमित्रा को भी फ़ोन करती हूँ मैं..
सूरज दरवाजा खोलकर अपने दोनों कान पकडे हुए खड़े होकर - काकी माफ़ कर दो.. मैं बस काम से आया था काका ने जबरदस्ती बैठा लिया..
हेमलता बाथरूम के अंदर जाकर सूरज कि गांड और पीठ पर 2-3 डंडे मारती है और कहती है - तूने फिर से पीना शुरू कर दिया.. रुक आज मैं अच्छे से सबक सिखाती हूँ तुझे.. बहुत बिगड़ गया है तू.. अरे उस 60 साल के बूढ़े को दिमाग नहीं है पर तुझे तो शर्म होनी चाहिए ना..
इस बार हेमलता ने डंडा घुमाया और सूरज को मारती इससे पहले ही सूरज ने हेमलता को बाहों में कस के पकड़ लिया और उसे बाहों में भरके डंडा नीचे करते हुए बोला - सॉरी ना काकी.. मैं मना कर रहा था.. वो दोनों ही मुझे लेकर आये थे मैं तो अब शराब को हाथ भी नहीं लगाता.. आप तो जानती हो काकी मैं केसा हूँ.. प्लीज माफ़ कर दो..
हेमलता हरयाना के एक पहलवान परिवार से आती थी और अब उसकी उम्र का 52वा साल चल रहा था.. देखने में रंग साफ और बदन सुडोल था मगर उम्र के अनुसार ही दिखती थी.. सूरज जिस तरह हेमलता को बाहों में भरा हुआ था उसे हेमलता को अजीब सी सिरहन होने लगी थी.. उसे याद भी नहीं था कभी किसी मर्द ने पहले उसे इस तरह पकड़ा हो.. सूरज कि मजबूत पकड़ ने हेमलता के मन को अस्त यस्त कर दिया था हेमलता सूरज को अपने बच्चे जैसा ही मानती थी और बचपन से उसे देखते आई थी जब वो उसकी बेटी बरखा के पास टूशन पढ़ने आया करता था.. हेमलता का पति सालों पहले ही सम्भोग की परिधि से बाहर हो चूका था अब बस छेड़खानी ही कर सकता और हेमलता के साथ तो वो भी नहीं करता.. ऊपर से बंसी कम हाइट का था और हेमलता उसे लम्बी थी तो बाहों में भरने का सवाल ही नहीं था..
सूरज अभी हेमलता को बाहों में भरे छत के बाथरूम में खड़ा था और बार बार हेमलता से माफ़ करने और सुमित्रा से ना कहने की बात कर रहा था वही हेमलता को अब सूरज की शारीरिक ताकत का अहसास होने लगा था और वो सूरज के इतने करीब थी की उसकी साँसों में घुली हुई शराब की महक तक को महसूस कर रही थी.. हेमलता सूरज की साँसों को महसूस करते हुए अपनी आँखे बड़ी करके सूरज के मुख को देखे ही जा रही थी मगर सूरज हेमलता की मनोदशा से अनजान उसे अपने बातें कहे जा रहा था..
हेमलता अपने मन को संभालती हुई सूरज से बोली - हनी छोड़ मुझे...
सूरज - नहीं.. पहले काकी आपको वादा करो मम्मी से कुछ नहीं कहोगी..
हेमलता मन में सोच रही थी की अगर वो सूरज की बात झट से मान लेगी तो सूरज उसे छोड़ देगा मगर अब हेमलता सूरज के साथ उसी तरह थोड़ा और समय खड़ी रहना चाहती थी इसलिए उसने नाटक करना शुरू कर दिया..
हेमलता - बोलना पड़ेगा ना.. कितना बिगड़ चूका है तू.. 4-5 दिन बाद में बड़े बेटे की सगाई भाई की सगाई और छोटा बेटा अपने बाप दादा की उम्र के आदमी के साथ बैठकर शराब पी रहा है.. छोड़ मुझे..
सूरज - काकी बताया तो मैं अपने मन से नहीं आया.. और आपको क्या मिलेगा माँ या पापा को बताकर? रहने दो.. इस बार माफ़ कर दो काकी अगली बार काका के साथ दिखूंगा भी नहीं..
हेमलता की छाती के उभर सूरज के सीने में धसे हुए थे और सूरज एक हाथ से हेमलता की कमर थाम कर उसे अपने करीब खींचके खड़ा था तो दूसरे हाथ से हेमलता के हाथ की कलाई पकड़े हुए था जिसमे हेमलता ने डंडा पकड़ा था.. हेमलता की चूची के चुचक खड़े हो चुके थे जिसका अहसास सूरज को अपनी छाती पर होने तो लगा था मगर उसने इन सब पर ध्यान नहीं दिया और हेमलता से उसी तरह बात करता रहा.. हेमलता का सारा गुस्सा शांत हो चूका था और अब वो धीरे से ही सूरज से बात कर रही थी..
हेमलता - मैं कैसे मानु?
सूरज - आपकी कसम काकी..
हेमलता - झूठी कसम खा रहा है.. तू तो चाहता ही है कि मैं मर जाऊ..
सूरज - ऐसा मत बोलो काकी.. आपके लिए मैं ऐसा कभी नहीं सोच सकता.. आप तो सो साल से भी ज्यादा जीने वाली हो.. अभी उम्र ही क्या है आपकी..
हेमलता मुस्कुराते हुए - अच्छा छोड़ नहीं बोलूंगी सुमित्रा को.. पर अब अपने काका के साथ दिखा ना बता देती हूँ छोडूंगी नहीं..
सूरज हेमलता को छोड़ते हुए - पक्का अब से बंसी काका से बात भी नहीं करूँगा.. मैं जाऊ?
हेमलता चाहती तो नहीं थी कि सूरज उसे अपनी बाहों से छोड़कर वहा से जाए मगर उसने दिल पर पत्थर रखकर कहा - जा.. फिर कुछ सोचकर बोली.. अच्छा सुन हनी...
सूरज - हाँ.. काकी?
हेमलता छत पर सीढ़ियों के पास सूरज को रोककर बोली - तू एक काम कर देगा?
सूरज - बोलो ना काकी क्या करना..
हेमलता - कल तेरी बरखा दीदी सुबह की ट्रैन से आ रही है तू सुबह छः बजे जाकर दीदी को ले आएगा...
सूरज मुस्कुराते हुए - काकी ये भी कोई पूछने वाली बात है मैं सुबह स्टेशन जाकर दीदी को ले आऊंगा.. वैसे एक बात पुछु काकी.
हेमलता - बोल.
सूरज - आपको जगराते में गई थी ना काका बता रहे थे.
हेमलता सूराज के गाल खींचते हुए प्यार से - हाँ गई थी.. मगर मुझे इसी बात का शक था तो वहा बहाना बनाकर थोड़ी देर के लिए वापस आ गई.. और तुम सब पकडे गए.. इस बार जो वादा किया है याद रखना.
सूरज - हाँ काकी.. ठीक है.. मैं चलता हूँ कल दीदी को ले आऊंगा.
सूरज चला जाता है और हेमलता खड़ी हुई उसे जाते हुए देखती रहती है... हेमलता सूरज को अपने बेटे जेसा ही मानती थी मगर आज जैसे सूरज ने हेमलता को पकड़ा था उसने हेमलता की सोच को बदलने के लिए मजबूर कर दिया था.. हेमलता ने अपने आँचल को बाथरूम से आने के बाद जानबूझ कर सरका दिया था ताकी सूरज उसके उभार देख सके और चूचियाँ देखकर उसकी तरफ आकर्षित हो मगर सूरज ने उसके चेहरे के नीचे खुले बगीचे को देखकर भी अनदेखा कर दिया.. सूरज के लिए हेमलता भी अनुराधा जैसी ही थी.. सूरज के मन में कोई पाप नहीं था सो हेमलता के आँचल हटाने और अपनी आधी नंगी चूचियाँ जानबूझकर दिखाने के बाद भी सूरज ने हेमलता के उभारो पर धयान नहीं दिया और सामान्य तरीके से बात करता हुआ वहा से चला गया..
सूरज के जाने के बाद हेमलता के अहसास हुआ की उसकी योनि से तरल बह रहा है और वो सूरज के कराने इतने सालों बाद ऐसी दशा में आई थी.. हेमलता ने बाथरूम में जाकर सूरज की पकड़ के याद करते हुए अपनी चुत को सहलाना शुरू कर दिया और अपनी ऊँगली को चुत में अंदर डालकर सूरज के नाम की ऊँगली करके अपने अंदर का सेलाब बाहर निकाल दिया..
थोड़ी देर बाद हेमलता वापस जगराते में आ गई थी मगर अब उसका मन घर की छत के बाथरूम में ही था जहाँ सूरज ने उसे पकड़ा था हेमलता उस पल को याद कर मंद मंद मुस्काते हुए बाकी औरतों के साथ ही बैठी थी.. और अब उसका मन जगराते में हो रहे भजन में नहीं लग रहा था..
अंकुश तो सीधा बंसी के यहां से निकालकर घर चला गया था मगर सूरज सीधा बिलाल की दूकान पर पहुंच गया था और सीधा पर कुर्सी पर बैठ गया..
हनी यहां मत बैठे.. बाल ही बाल पड़े है लग जाएंगे..
सूरज कुर्सी पर से खड़ा होकर पुरानी कुर्सी पर बैठ जाता है और कहता है - लगता है आज कई कस्टमर आये दूकान पर..
बिलाल कुर्सी साफ करता हुआ - भाई कल जो तूने बोला था आज सच हो गया.. सुबह से फुर्सत ही नहीं मिली काम से.. अभी फ्री हुआ हूँ.. तू बता कहाँ से आ रहा है..
सूरज - बंसी काका के यहां शराब पिने गया था अक्कू के साथ..
बिलाल - फिर? शराब पिया हुआ तो नहीं लग रहा तू..
सूरज - कहा से पीते छोटा सा एक पग पिने के बाद तो काकी प्रकट हो गई.. डंडे से मार रही थी बड़ी मुश्किल से बचके भागे है सब..
बिलाल हसते हुए - कोई बात नहीं भाई.. अपन दोनों भाई बैठके पीते है.. चाबी दे तेरी.. मैं लेके आता हूँ बोतल..
सूरज चाबी देते हुए - बोतल का क्या करेगा?
बिलाल दूकान का शटर नीचे करते हुए - आगे काम आ जायेगी.. बिलाल शराब लाने चला जाता है..
नज़मा - भाईजान.. ये कहा गए?
सूरज फ़ोन देखते हुए - ठेके पर गया है.. मैंने तो मना किया पर माना नहीं..
नज़मा - आज सुबह से भीड़ थी दूकान पर.. खाने की भी फुर्सत नहीं मिली..
सूरज उसी तरह - आज इतवार है ना भाभी.. इतवार को भीड़ तो रहती ही है..
नज़मा - इस दूकान में पहली बार थी भाईजान.. वरना कोई गिनती का एक्का दुक्का ही आता था इतवार को भी.. आपने जो मदद की है इनकी..
सूरज फ़ोन से निकालकर नज़मा को देखते हुए - भाभी बिलाल भाई जैसा है मेरे.. आप क्यों फालतू इतना सोचती हो.. बिलाल बता रहा था आपकी तबियत ख़राब है.. आपको आराम करो ना..
नज़मा मुस्कुराते हुए - अब ठीक है भाईजान.. कुछ चाहिए आपको..
सूरज वापस फ़ोन देखते हुए - नहीं भाभी..
नज़मा कुछ देर वही खड़ी रहकर हनी को देखती है फिर कुछ सोचकर अंदर चली जाती है..
बिलाल अंदर आकर अंदर वाले दरवाजे से दूकान में आ जाता है और बोतल सामने रखकर दो पेग बनाते हुए नज़मा को आवाज लगाता है और सलाद मंगा कर सूरज के साथ शराब पिने लगता है..
रात के गयराह बजे तक बिलाल और सूरज शराब पीते पीते आधी से ज्यादा बोतल खाली कर देते है और अब बिलाल और सूरज दोनों पुरे नशे में आ चुके थे..
सूरज - क्या हुआ बिल्ले.. इतना उदास क्यों है तू.. ज्यादा हो गई क्या तेरे?
बिलाल नशे में - हनी एक बात है यार.. बहुत दिल दुःखाती है..
सूरज - बता ना साले.. क्यों अंदर ही अंदर छुपा के रखी है तूने बात.. मैं हूँ ना बता क्या दुख है..
बिलाल - समझ नहीं आता यार.. कैसे कहूं..
सूरज - मुंह से बोल.. भाई तू अपना.. मुझ से क्या छिपाना.. बता क्या टेंशन है..
बिलाल - हनी.. नज़मा..
क्या हुआ नज़मा भाभी को?
उसे कुछ नहीं हुआ हनी.. कमी मुझसे में है.. यार.. शादी के 4 साल हो गए और अब तक कोई बच्चा नहीं हुआ..
तो हो जाएगा इतनी टेंशन क्यों ले रहा है.. अभी उम्र ही क्या है तेरी..
नहीं हनी.. नहीं होगा.. मैंने यार चेक अप करवाया था नज़मा की और मेरा.. भाई मेरे अंदर कमी है.. डॉक्टर कह रहे थे मैं कभी बाप नहीं बन पाऊंगा यार.. (रोते हुए) हनी.. पता नहीं क्या होगा यार.. तू भाई है इसलिए तुझे बता रहा हूँ..
ये क्या कह रहा है बिल्ले.. मतलब कैसे? कुछ समझ नहीं आ रहा.. तू बाप नहीं बन सकता.. मगर ये कैसे मुमकिन है..
भाई.. तू किसी से कहना मत..
अरे पागल है क्या बिल्ले.. तू फ़िक्र मत कर उस बात की.. पर.. ऐसा हो कैसे सकता है?
मुझे भी कुछ समझ नहीं आता यार.. बेचारी नज़मा मेरे साथ फंस गई.. मुझे कभी कभी ऐसा लगता है कि नज़मा मेरे साथ खुश नहीं है.. बिना बच्चे के कैसे रहेंगी.. मैं बहुत दिनों एक बात मन में दबा के बैठा हूँ हनी..
क्या बिल्ले..
यार समझ नहीं आता ये सही है या गलत पर.. आज मुझसे रहा नहीं जा रहा है..
बिल्ले तू जो भी कहना चाहता है खुलके बोल मैं तेरा बचपन का यार हूँ.. मुझसे जो हो सकेगा मैं करूँगा तू बता भाई.. और क्या मुसीबत है..
भाई.. मेरी एक बात मानेगा? क्या तू नज़मा के साथ..
बिल्ले पागल हो गया है क्या तू.. क्या कह रहा है.. देख तुझे ज्यादा हो गई छोड़ अब इसे.. जा तू खाना खाके सोजा अपन कल मिलेंगे..
हनी.. बैठ ना यार मैं नशे हूँ पर ये बात मैं बहुत पहले से सोच रहा था.. देख सिर्फ बच्चे की बात है.. एक बार नज़मा पेट से हो जाए बस...
बिल्ले.. देख मैं किसी अच्छे डॉक्टर को देखता हूँ सब सही हो जाएगा यार.. तू क्यों फ़िक्र करता है..
हनी मैंने कई बार टेस्ट करवाये है भाई.. मेरी बात मान ले.. तेरा ये अहसास मैं कभी नहीं भूलूंगा..
देख भाई.. ऐसा है अपन कभी और ये बात करेंगे तू अब जाके सो जा.. मैं भाभी को बुलाता हूँ..
यार तुझे क्या लगता है मैं ये सब पीके बोल रहा हूँ? नहीं हनी.. मैं कह रहा हूँ समझ यार.. जब नज़मा को सब बच्चे के लिए ताने मारते है मुझे बहुत बुरा लगता है शर्म आती है डर भी लगता है कहीं मेरी इस बात का किसी को बता ना लग जाए.. बहुत बदनामी होगी यार मेरी.. भाई तू मेरी बात मान ले.. देख तू मेरे सबसे ख़ास दोस्त है.. ये बात में तेरे अलावा किसी से नहीं कर सकता.. अक्कू से भी नहीं..
बिल्ले मैं तैयार भी हो जाऊ तो भाभी इसके लिए नहीं मानेगी.. समझ यार.. छोड़ ये बात अब.. सारा नशा काफूर हो गया.
उसकी चिंता तू मत कर.. मैं उसे मना लूंगा.. तू बस हाँ कर एक बार... हनी ये बात सिर्फ हमारे बिच ही रहनी चाहिए..
देख बिल्ले मैं नहीं जानता ये सही है या गलत पर तू एक बार और सोच ले भाई.. मुझे ये सब ठीक नहीं लगता.. चल मैं निकलता हूँ.. ज्यादा लेट हो गया आज..
बिलाल सूरज के गले लागकर - भाई मैं तेरा ये अहसास कभी नहीं भूलूंगा यार.. तूने मेरे लिए इतना सब किया है और अब भी कर रहा है..
सूरज - बिल्ले.. छोड़ यार.. बाद में बात करते है..
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बिलाल सूरज के गले लागकर - भाई मैं तेरा ये अहसास कभी नहीं भूलूंगा यार.. तूने मेरे लिए इतना सब किया है और अब भी कर रहा है..
सूरज - बिल्ले.. छोड़ यार.. बाद में बात करते है..
सूरज बिलाल की दूकान से अपने घर आ जाता है और अब तक विनोद और जयप्रकाश दोनों सो चुके थे दरवाजा सुमित्रा ने खोला और सूरज सुमित्रा से बचते हुए होने कमरे में आ गया.. सुमित्रा जान गई थी की सूरज ने शराब पी है मगर उसने कुछ ना कहा..
सूरज कपड़े बदल कर गद्दे पर आ गया और जैसे ही उसने फ़ोन उठाया उसके कमरे के दरवाजे पर सुमित्रा खाना लेकर आ गई और अंदर आते हुए बोली - बेटू जी खाना भी खाना है या सिर्फ पीके सोने का ही इरादा है?
सूरज सुमित्रा को देखकर हड़बड़ाते हुए - माँ.. आप..
सुमित्रा गद्दे ओर बैठकर - चल खाना खा ले.. मुझे पता ही था आज तू कहीं पार्टी वार्टी करके आएगा..
सूरज शर्म से - आपको कहा था ना वेट मत करना..
सुमित्रा अपने हाथ से निवाला खिलाते हुए - क्यों ना वेट करू? मेरा इतना प्यारा जवाँ बेटा देर तक घर से बाहर था.. वैसे कहा पार्टी कर रहा था? कोई लड़की भी थी साथ मे?
सूरज - माँ...
सुमित्रा - अच्छा मत बता..
सूरज खाने की थाली लेते हुए - मैं खा लूंगा आप जाओ.. सो जाओ.. इतना देर तक जागोगी तो सुबह देर से उठोगी...
सुमित्रा - हा हा भगा अपनी माँ को अपने पास से.. दो पल साथ में बैठु तो तुझे पसंद नहीं आता.. आएगा भी क्यों.. मैं कोई लगती थोड़ी हूँ तेरी..
सूरज खाना खाते हुए - रहने दो इतना नाटक मत करो.. बैठ जाओ.. कुछ नहीं कहता..
सुमित्रा मुस्कुराते हुए - कल मेरे साथ मार्किट चलेगा ना? सगाई के कपड़े लेने है.. बुआ भी आएगी.. तेरे लिए कोई अच्छा सा सूट भी ले लेंगे..
सूरज - नहीं नहीं.. मैं कहीं नहीं जाने वाला.. आपके साथ जाउगा तो सुबह की शाम हो जायेगी..
सुमित्रा - बड़ा बिजी है ना तू.. जो कुछ बिगड़ जाएगा.. चल ना हनी.. वैसे भी घर पर ही तो रहेगा..
सूरज खाने की प्लेट वापस देते हुए - नहीं मतलब नहीं.. भईया को ले जाना ना..
सुमित्रा - और उसकी जगह ऑफिस तू जाएगा?
सूरज - अच्छा ठीक है चल चलूँगा.. अब खुश आप?
सुमित्रा सूरज के गाल चूमकर - बहुत खुश..
सूरज - माँ लाइट बंद कर देना जाते हुए..
सुमित्रा लाइट ऑफ करके दरवाजा लगाकर नीचे आ जाती है रसोई में प्लेट धोकर रखती हुई कुछ सोचने लगती है फिर अपने कमरे में जाकर लेट जाती है उसकी आँखों में नींद नहीं थी वो जो सोच रही थी उसने उसे कामुक कर दिया था मगर उसने कुछ देर पहले भी ऊँगली से हवस मिटाइ थी.. बार बार वो सूरज को चाय पीता हुआ सोचकर कामुक हो जाती.. मगर चाय पिने में ऐसा क्या था जो वो उत्तेजित हो गई थी? सुमित्रा ने एक नज़र जयप्रकाश को देखा और फिर खुद भी आँख बंद करके सो गई..
सूरज बिलाल की बातें सोच रहा था और उसे मन ही मन बिलाल के लिए बुरा लग रहा था.. वो नज़मा की बहुत इज़्ज़त करता था और उसके साथ कुछ ऐसा वैसा करने की सोच भी नहीं सकता था लेकिन बिलाल ने जो उसे मज़बूरी बताई थी उससे उसे हैरानी और बिलाल ओर अफ़सोस हो रहा था..
रात के बारह बजे तो सूरज के फ़ोन पर गरिमा का फ़ोन आ गया और सूरज बिलाल की बातों से निकल कर गरिमा का फ़ोन उठाते हुए उसे बात करने लगा..
बड़े झूठे हो आप तो देवर जी.. कहा था फ़ोन करोगे पर फ़ोन किया ही नहीं तुमने..
भाभी कहीं चला गया था.. सॉरी.. आपको अब तक जाग रही हो..मुझे लगा आपको सो गई होंगी..
ठीक है फिर मैं सो ही जाती हूँ.. गुडनाईट..
आप फिर से नाराज़ हो गई.. पता नहीं भईया कैसे संभालेंगे आपको.. आपको उनका जीना मुहाल कर दोगी..
मैं ऐसी हूँ देवर जी? तुम ये सोचते हो मेरे बारे में?
क्यों.. गलत सोचता हूँ भाभी? वैसे आप तो दस बजे सो जाती हो ना.. आज इतनी देर तक सिर्फ मुझसे बात करने के लिए जाग रही हो.. भईया को पता चलेगा तो शादी से पहले डाइवोर्स हो जायेगा आपका..
ठीक है तो फिर सो जाओ.. मैं भी सो जाती हूँ.. मैंने बस ये बताने के लिए फ़ोन किया था की तुम्हारी भेजा हुआ उपन्यास मैंने पढ़ना शुरू कर दिया है.. और मुझे पसंद भी आ रहा है.. और कुछ नहीं..
मुझे भी कुछ बताओ ना भाभी.. जो मैं भी पढ़ सकूँ..
हम्म.. मैं भी एक किताब भेजूंगी तुम्हे.. वो पढ़ना.. अब गुडनाइट.. बाए..
गुडनाईट भाभी.. स्वीट ड्रीम्स.. फ़ोन कट हो जाता है.. और सूरज सुबह पांच बजे का अलार्म सेट करके सो जाता है..
बिलाल और नज़मा के बीच आज बहुत लम्बी बातचीत हुई थी और बिलाल ने नज़मा को सूरज के साथ बच्चा करने के लिए मना लिया था.. नज़मा सूरज को पसंद करती थी मगर उस तरह नहीं पर अब नज़मा बिलाल की इज़ाज़त से सूरज के साथ सोने के लिए तैयार हो गई थी नज़मा को ये सब अजीब लग रहा था पर वो क्या कर सकती थी.. बिलाल उसका शोहर था और उसकी बात मानने के अलावा नज़मा के पास और कोई चारा भी ना था..
अगले दिन सुबह पांच बजे अलार्म से सूरज जाग गया और अपनी नींद तोड़ते हुए बाथरूम में जा घुसा.. आधे घंटे बाद ब्रश करके और नहाकर निकला फिर विनोद के दिए कपडे में से एक जीन्स और चेक शर्ट पहन कर विनोद की बाइक उठाकर सीधा रेलवे स्टेशन पहुच गया जहाँ उसे बरखा को लेके आना था..
गाडी 2 घंटा लेट थी.. सुबह सुबह का समय था लोग कम ही थे स्टेशन के आस पास लोग आ जा रहे थे सूर्य की पहली किरण अभी नहीं पड़ी थी फिर भी उजाला होने लगा था.. भोर का समय था..
सूरज स्टेशन के बाहर टहल रहा था की एक 35 साल की औरत उसके पास आ गई और बोली - भईया जी चलोगे क्या?
सूरज उसकी बात नहीं समझा और बोला - क्या?
औरत - चलोगे क्या.. करना है..
सूरज इस बार औरत को देखकर और उसकी बात सुनकर सब समझ गया और बोला - नहीं.. नहीं जाना..
औरत - भईया जी सिर्फ तीन सो दे देना..
सूरज - नहीं जाना ना.. जाओ यहां से..
औरत - भईया जी.. 200 दे देना.. आपको जो चाहिए वो करुँगी... चलिए ना..
सूरज चिढ़ते हुए - नहीं जाना ना.. जाओ यहां से..
औरत ने सूरज का हाथ पकड़ कर कहा - भईया सिर्फ सो दे देना..
सूरज हाथ छुड़ा कर गुस्से से - भोसड़ीवाली बोला ना तुझे नहीं करना मुझे जा यहां से.. बहनचोद चिपक रही है..
औरत इस बार बिन कुछ बोले सूरज से दूर हट जाती है और सूरज एक दूकान के पास जाकर एक चाय लेकर दुकान के पीछे खड़े होकर पिने लगता है तभी उसकी नज़र उस औरत पर पड़ी जिसे वो अभी गाली देखकर भगा रहा था..
औरत उसे कुछ दूर एक जगह बैठकर उदासी से रोने लगी थी जैसे उसका दिल बहुत दुखा हो..
सूरज ने उस औरत का रोना देखा ना गया और वो उस औरत के पास जाकर बैठ गया और बोला - रो क्यों रही है तू.. मेरा मन नहीं..
औरत - हमें कोनसा पसंद है भईया जी.. मज़बूरी में सब करना पड़ता है.. अकेली हूँ.. कल से कुछ खाया नहीं..
सूरज एक दो सो ना नोट देते हुए - अच्छा तुम ये लो कुछ खा लो.. मुझे गाली नहीं बकनी चाहिए थी.. माफ़ करना.
औरत पैसे लेकर - नहीं भईया जी.. हमारी तो आदत हो गई है.. आप चाहो तो मैं..
सूरज - मैंने कहा नहीं करना मुझे कुछ..
औरत - आप अच्छे आदमी है भईया जी..
सूरज - कहा से हो? कोनसा गाँव है?
औरत - हम बरेली से है.. हमारे पति के साथ आये थे मजदूरी करने पर वो तो पक्का शराबी है.. मज़बूरी है भईया जी..
सूरज - नाम क्या है तुम्हारा?
औरत - फुलवा भईया जी..
सूरज फुलवा के ब्लाउज में देखता हुआ - कहा रहती हो..
फुलवा - कहा रहेंगे? स्टेशन के उस पार छोटी सी झोपडी है वही रहती हूँ पति वही पड़ा रहता है..
सूरज - अगर कोई काम मिलेगा तो करेगी?
फुलवा - हमें कौन काम देगा भईया जी..
सूरज रमन को फ़ोन करके - तुझे वो गार्डन के लिए दो लोगों जरुरत थी ना..
रमन - सुबह सुबह ये बोलने के लिए फ़ोन किया है तूने?
सूरज - अरे एक बेचारी औरत है रख ले काम पर..
रमन - वही गार्डन भेज दे.. धरमु होगा वहाँ..
सूरह फोन काटकर फुलवा से - चल..
फुलवा - कहा भईया जी..
सूरज - तेरा सामान लेके आ जा.. काम दिलवाता हूँ तुझे.. रहना खाना भी वही पड़ेगा..
फुलवा - सच भईया जी.. मैं अभी लाती हूँ..
फुलवा वहा से चली जाती है और 10-15 मिनट बाद वापस वही आकर सूरज से मिलती है..
भईया जी.. मैं आ गई..
सूरज की नज़र फुलवा की छाती पर बड़े बड़े उभारो पर थी सुबह सुबह वो भी कामुक हो उठा था उसके मन में फुलवा के साथ कुछ करने का ख्याल नहीं आया था पर अब वो फुलवाके आम का रस पिने के बारे मे सोच रहा था..
सूरज - फुलवा ऐसे तो शायद तुझे काम नहीं मिलेगा.. कोई साफ कपडे है तेरे पास?
फुलवा - इस गठरी मे है भईया जी मैं बदल के आउ..
सूरज - नहाना भी पड़ेगा फुलवा.. चल..
सूरज फुलवा को वही आस पास होटल के कमरे मे ले आता है और फुलवा से नहा कर साफ कपडे पहनने को कहता है और फुलवा वैसा ही करती है.. साथ में सूरज कुछ खाने को भी मंगा लेता है..
फुलव जब नहाकर साथ कपड़े पहनती है तो सूरज उसके निखरे रूप को देखता ही रह जाता है.. सूरज फुलवा से खाने के लिऐ कहता है और फुलवा खाना खा कर बैठ जाती है..
फुलवा - भईया जी.. आप बहुत अच्छे है..
सूरज - अच्छा चल फुलवा.. मुझे वापस भी आना है.
सूरज फुलवा को उसी गार्डन में ले आया था और वहा धरमु से मिलवा देता है जहाँ फुलवा को छोटा मोटा काम मिल जाता है और उसके रहने खाने की व्यवस्था भी हो जाती है..
सूरज वापस स्टेशन जाता है और अब तक गाडी नहीं आई थी मगर आने की अनाउंसमेंट हो गई थी..
सूरज प्लेटफार्म पर खड़ा था और बरखा के आने का इंतजार कर रहा था..
बरखा ट्रैन से उतरती है तो सूरज उसकी तरफ बढ़ जाता है और बरखा के हाथ से उसका बेग लेता हुआ कहता है - लाओ दीदी मैं उठा लेता हूँ...
बरखा हनी को देखती तो एक पल हैरान होकर उसे गले से लगा लेती है और कहती है - हनी यहां कैसे?
बरखा 34
सूरज - आपको लेने आया हूँ दी.. यहां आने पर पता चला ट्रैन लेट है तो इंतजार कर रहा था.. चलो..
बरखा - तुझे किसने बताया मेरे आने का?
सूरज - काकी ने... उन्होंने ही तो कहा था आपको लाने के लिए..
बरखा सूरज को प्यार से - क्या करता है आजकल? कोई जॉब मिली या नहीं तुझे?.
सूरज - नहीं दी.. आपको तो जानती हो मुझे. मैं पढ़ाई में केसा हूँ..
बरखा - क्या करने का इरादा है जनाब का?
सूरज - अभी सोचा नहीं दी..
बरखा बाइक ओर बैठती हुई - तो कब सोचेगा हीरो.. इतना बड़ा हो गया है अब भी ऐसे घूमता है शर्म नहीं आती तुझे?
सूरज - आप तो आते ही ताने मारने लगी दी..
बरखा - तो क्या करू? तेरी आरती उतारू? जब मेरा हनी ऐसे बेकार घूमेगा तो गुस्सा नहीं आएगा मुझे? अच्छा उस चिंकी सेतो दूर है ना तू? अब तो परेशान नहीं करती ना वो तुझे?
सूरज - अब सब ठीक है दी.. आपको अकेली क्यों आयी हो? और किट्टू कहा है?
बरखा - किट्टू अपने पापा के पास है.. उसको आने का मन ही नहीं था.. अच्छा सुन उस पान वाले के पास रोक..
सूरज बाइक रोकते हुए - क्या हुआ दी..
बरखा - एक सुट्टा फुकना है.. बरखा पान वाले से एक सिगरेट लेकर जलाते हुए साइड में आकर पिने लगती है..
सूरज - आप अब भी सिगरेट पीती हो?
बरखा कश लेती हुई - तू घर पर बताना मत..
सूरज - पहले कभी बताया है क्या?
बरखा - अच्छा गर्लफ्रेंड बनाई तूने कोई या अभी भी अपने हाथ से जयकारे लगाकर बाथरूम की दिवार खराब करता है?
सूरज - दी यार कैसी बातें कर रही हो..
बरखा मुस्कुराते हुए सिगरेट पीकर - ओ हो.. अभी भी वैसे ही शर्माता है तू तो.. नहीं पटी ना तुझसे कोई?
सूरज - आप ना छोडो ये बात और सिगरेट ख़त्म करो ताकि घर चले..
बरखा सिगरेट का एक कश लेकर - चल..
सूरज - इसे तो ख़त्म करो..
बरखा - बाइक पर हो जायेगी हनी.. चल..
सूरज - बड़े शहर की हवा लग गई आपको...
बरखा हसते हुए - ऐसा होता ना तो तेरी दीदी सलवार कमीज़ में नहीं बल्कि हाफ टॉप और छोटी सी स्कर्ट में आती..
सूरज - आप पहनती हो स्कर्ट?
बरखा आखिरी कश लेकर सिगरेट फेंकते हुए - तू देखना चाहता है मुझे स्कर्ट में?
सूरज - मैंने ऐसा तो नहीं कहा..
बरखा अपने होंठ सूरज के कान के पास लाकर - दस साल बड़ी बड़ी हूँ तुझसे.. तुझे टूशन भी पढ़ाया है मैंने याद रखना.. कोई और नहीं पट रही तो मेरे ऊपर लाइन मत मारने लग जाना..
सूरज हसते हुए - दी.. आप फ़िक्र मत करो.. मैं सेकंड हैंड का चीज़ो शौकीन नहीं हूँ..
बरखा पीछे से एक टपली मारते हुए - मैं सेकंड हैंड हूँ..
सूरज - क्यों शादी नहीं हुई आपकी? सेकंड हैंड ही हुई ना..
बरखा सूरज कान को चूमते हुए - तुझे ना टूशन में डंडे से पीटना चाहिए था.. क्यूट कमीना.. इतना प्यारा और हैंडसम हो गया पर लड़कियों से बात करना भी नहीं आया अभी तक..
सूरज बात करते करते बरखा को उसके घर छोड़ देता है और रास्ते में उसे सुमित्रा का फ़ोन आता है तो वो सुमित्रा के कहने पर अपनी बुआ अनुराधा को लेने चला जाता है और अनुराधा को लेकर वापस अपने घर आ जाता है दस बज गए थे...
अनुराधा हॉल में सोफे पर बैठ गई और सूरज अपने कमरे में चला गया..
सुमित्रा ने दो कप चाय छन्नी की एक अनुराधा को दिया और दूसरा कप लेकर अपने कमरे में आ गई और दरवाजा बंद करके अपनी शाडी उठाकर गर्म गर्म चाय के कप में थोड़ा सा अपना मूत मिला दिया और फिर वो कप ले जाकर ऊपर सूरज को देते हुए बोली - हनी.. ले.. चाय पिले..
सूरज चाय पिने लगा तो सुमित्रा कल की तरह आज भी सूरज को अपना मूत मिली चाय पीते देखकर उत्तेजित हो गई और वापस अपने कमरे में आकर सूरज को याद करके ऊँगली से अपनी नदी का पानी निकाल दिया... कुछ देर बाद सुमित्रा अनुराधा और सूरज मार्किट निकल गए...
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अंकुश - नीतू याद है ना कोर्ट में क्या बोलना है?
हाँ हाँ.. मुझे सब याद है अक्कू.. तू फ़िक्र मत कर उसकी तो ऐसी बैंड बजाउंगी ना मैं.. याद रखेगा.. साला हाथ उठाता था ना..
अंकुश नीतू को बाहों में लेता हुआ - एक बार फिर से सोच ले नीतू.. जोगिंदर पति है तेरा.. तुझे वापस घर ले जाने को तैयार है.. तू चाहे तो वापस अपनी गृहस्थी बसा सकती है..
नीतू अंकुश के होंठो चूमकर - वो मेरे ऊपर हाथ उठाता था मैं चुप थी बर्दाश्त कर रही थी.. मगर उसने नशे में जब तेरे ऊपर... मेरे भाई... मेरे अक्कू के ऊपर हाथ उठाया तो चुप नहीं रह सकती.. उसे तो मैं पागल कर दूंगी देखना तू..
अंकुश - तो क्या जिंदगी भर यहां अकेली रहेंगी? शादी तो करनी पडती है ना नीतू.. फिर तुझसे शादी कौन करेगा?
नीतू अंकुश की कॉलर पकड़कर गुस्से मे - तू करेगा और कौन करेगा.. मुझे तेरे अलावा कोई नहीं चाहिए.. मैं खुश हूँ इसी तरह तेरे साथ.. घर में भी और बिस्तर में भी.. वैसे तेरा कहीं चक्कर तो नहीं है ना.. पहले बता रही हूँ बहुत मारूंगी तुझे.. मेरे अलावा किसी को देखा भी तो..
अंकुश - शादी करेगी? जब किसी पता चलेगा ना एक 27 साल की बहन अपने 24 साल के भाई से शादी करना चाहती है तो कोई जीने तक नहीं देगा..
नीतू - किसीको बताना ही क्यों है? हम यहां से कहीं और चले जाएंगे.. वही रहेंगे.. शादी करके..
अंकुश - और मम्मी? उनका क्या? उनको जब पता लगेगा तब क्या होगा? हमारे बारे में पता लगते ही ना जाने क्या करेगी?
नीतू - उनकी चिंता तू मत कर अक्कू मैं सब संभाल लुंगी.. बस एक बार ये दोनों केस निपट जाए और पैसा हाथ में आ जाए..
अंकुश - चल वकील साहिबा का फ़ोन आ रहा है..
नीतू - चल..
अंकुश नीतू को बाइक ओर बैठाकर कोर्ट आ जाता है और वकील से मिलता है..
नीतू आज बयान है.. याद है ना?
हाँ मैडम.. याद है और क्या बोलना ये अच्छे से रट लिया है..
वैरी गुड.. अच्छा अंकुश फीस?
अंकुश 2 हज़ार देते हुए - मैडम..
वकील साहिबा - ये क्या है अंकुश तुझसे कहा था कम से कम 5 चाहिए तू 2 लेके आया है..
नीतू - मैडम केस जिताओ ना.. फिर आप पूरी फीस दे देगे.. 3 साल से कोर्ट आ आकर चप्पल गिस गई है.. सुना है समझौता करना चाहता है वो..
वकील साहिबा - दो दो केस लगाए है.. समझौते के लिए बोलेगा ही..
नीतू - एक बार समझोते की बात करके देखते है.. मैडम..
वकील साहिबा - बयान के बाद करते है.. देखते है क्या कहता है..
अंकुश - मैं निकलता हूँ नीतू.. तू कैब करके आ जाना..
नीतू - आराम से जाना अक्कू..
वकील साहिबा - सिंगल है क्या तेरा भाई..
नीतू - क्यों?
वकील साहिबा - नहीं बस ऐसे ही पूछा.. सही लगता है...
नीतू - उसका ख्याल छोड़ दो.. वो पुलिस और वकील
और फैमिनिस्ट टाइप की औरतों से दूर ही रहता है..
वकील साहिबा - अच्छा? कोई चांस नहीं है.. मतलब अगली बार से पूरी फीस लेनी पड़ेगी.. चलो.. कोर्ट में चलते है..
ब्यान रिकॉर्ड करवाने के बाद वकील साहिबा नीतू को लेकर उसके पति जोगिंदर के साथ समझौते के लिए बैठ जाती जहाँ और भी बाकी लोग थे जो रिस्तेदार थे..
जोगिंदर की माँ - नीतू ये सब बंद कर दे बेटा.. चल घर चल.. तुझे कोई कुछ नहीं कहेगा.. जोगिंदर भी सुधर चूका है..
नीतू - जिसके लिए बैठे है वो बात करिये..
नीतू इतनी सी बात कर लिए ये सब क्यों कर रही है? क्या ये सब तुझे अच्छा लगता है.. हम शरीफ घर से है..
अच्छा.. बेटा शराब पीकर बीवी से मारपीट करता है और माँ कहती है हम शरीफ घर से है वाह.. 2 साल तक मेरे साथ जो जो हुआ मैं सब सहती रही.. कभी कुछ नहीं बोला.. मगर मेरे अक्कू पर हाथ उठाने की हिम्मत कैसे हुई? वो तो बेचारा उस रात शराब पिने से रोक रहा था बस..
नीतू जो गया सो हो गया.. मैं वादा करता है हूँ अब वैसा कुछ नहीं होगा.. चल वापस.. मैं अंकुश से भी माफ़ी मांग लूंगा.. पर ये सब मत कर..
कोई जरुरत नहीं है मेरे भाई से माफ़ी मांगने की.. वो तो उस दिन मेरे खातिर चुप रहा.. वरना तेरे जैसे को मेरा अक्कू एक थप्पड़ में धूल चटवा दे.. अब जो बात करने बैठे वो करो.. मेरे पास टाइमपास नहीं है..
तुम बताओ.. क्या हो सकता है..
बताना क्या है? पहले ही कहा है.. 15 लाख..
मैं 8 देने को तैयार हूँ..
नीतू - मुझे मंज़ूर नहीं है.. चलिए मैडम..
रुको नीतू.. देखो तुम जानती हमारी हालात.. हम कहा से लाएंगे इतने पैसे?
क्यों? हम लोगों से पूछा था हम दहेज़ कहा से लाएंगे? शादी कैसे करेंगे? तब तो कह रहे थे शादी धूम धाम से होनी चाहिए..
देखो नीतू.. तुम समझो.. दो साल तुम रही हो तुम अच्छे से जानती हो हमारी क्या हैसियत है..
रही नहीं हूँ काटे है मैंने दो साल.. मुझे मंज़ूर नहीं है तो नहीं है.. हम कोर्ट में देख लेंगे सब..
नीतू ऐसे ज़िद तो मत करो.. तुम जानती हमारे पास 15 लाख नहीं है और कहा से आएंगे? देखो तुम भी नहीं चाहती यहां बार बार आना ना पड़े.. जो हम दे सकते है कम से काम वो तो मांगो.. देखो 8 तुम चाहो तो कल ही तुम्हे मिल जायेगे.. और लाख डेढ़ लाख मैं कहीं से कर तुम्हे दे दूंगा पर ऐसा मत करो हमारे साथ.. हम थक गए है..
मंज़ूर नहीं है.. चलिए मैडम..
समझौता नहीं होता और नीतू वापस आ जाती है..
वकील साहिबा - 10 तक तो आ गया.. मैं वापस बात करूंगी..
नीतू - मैडम मुझे 13 दिलवा दो ऊपर जो मिले आप रख लेना.. जानबूझकर गरीबी दिखा रहे है सब.. गाँव में जमीन पड़ी है.. किराए पर कमरे दे रखे है और कहते है हैसियत नहीं है.. दवाब पड़ेगा तो सब अकल आ जायेगी इनको..
वकील साहिबा - ठीक है मैं बात करती हूँ..
नीतू टेक्सी लेकर निकल जाती है और वकील साहिबा सामने वाली पार्टी के वकील को फ़ोन करती है..
हाँ आंनद जी.. मेरी पार्टी कह रही है साढ़े 14 तक समझौता हो सकता है.. आप अपनी पार्टी को समझा देना.. अगर माने तो ठीक है वरना कोई बात नहीं..
मेरी पार्टी 11 देने को तैयार है.. अपनी अपनी वाली को थोड़ा तोड़िये ना..
आंनद जी.. आप मेरे सीनियर है मैं आपके लिए 14 तक ला सकती हूँ पर उससे कम आप उम्मीद मत कीजियेगा..
ठीक मैं देखता हूँ.. फोन काटते हुए.. देखो भाई जोगिंदर बात ऐसी है.. 2 केस जो तुम्हारे ऊपर लगे है वो उनकी तरफ से बहुत स्ट्रांग है.. जब भी जज फैसला करेगा तुम्हे सो प्रतिशत सजा होगी और नीतू को पैसे देने पड़ेंगे.. 14 पर वो मान रहे है.. अब तुम देख लो.. तुम्हे क्या करना है.. मैं चलता हूँ...
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सगाई है शादी नहीं.. इतना क्या खरीद रही हो आप.. मैंने कल कहा था.. शाम कर दोगी और कर दी आपने शाम..
बस हो गया हनी.. दीदी.. ये अच्छा है ना..
हाँ सुमित्रा.. अनुराधा ने कहा..
सूरज शॉपिंग के बार जब सुमित्रा और अनुराधा को घर लेकर आया तो शाम के साढ़े पांच बज गए थे..
क्या भाई विनोद.. सबको सगाई का कार्ड व्हाट्सप्प कर रहे हो मुझे नहीं करोगे?
सबसे पहले आपको ही किया था सर.. आपकी जी हुज़ूरी नहीं करूँगा तो प्रमोशन कैसे मिलेगा..
मज़ाक़ मज़ाक़ में सच बोल जाते हो विनोद.. चलो मिलता हूँ..
सर मैं जानता हूँ आप बड़े बिजी हो पर पक्का आना है आपको.. समय निकालना थोड़ा आप आओगे तो अच्छा लगेगा..
मैं जरुर आऊंगा विनोद..
विनोद ने अपने दोस्तों और ऑफिस के स्टाफ को कार्ड व्हाट्सप्प कर दिया था वही जयप्रकाश भी अपने ऑफिस जहाँ वो सरकारी बाबू था यही काम कर रहा था..
जयप्रकाश ने सबको कार्ड व्हाट्सप्प कर दिया था.. और अब अपनी अधिकारी के चम्बर के बाहर खड़ा था..
मैडम..
एक लड़की जिसका कुछ महीने पहले ही सिलेक्शन हुआ था वो किसी सरकारी कागज को देख रही थी और जयप्रकाश के चम्बर में आने ओर उसे देखकर बोली..
हां.. जयप्रकाश जी.. आप घर गए नहीं अभी तक? छः तो बज चुके है ना..
साढ़े छः बज चुके है मैडम..
तो आप क्यों रुके हुए है अब तक? मैंने तो रुकने के लिए नहीं कहा..
जी मैडम दरअसल कुछ कहना था आपसे..
हाँ.. कहिये क्या बात है.. छुट्टी चाहिए? लाइये अप्लीकेशन दीजिये मैं sign कर देती हूँ..
जयप्रकाश एप्लीकेशन देते हुए मैडम इस शुक्रवार शनिवार की छुट्टी चाहिए.. ये एप्लीकेशन है..
लीजिये sign कर दिए है आपकी एप्लीकेशन पर..
मैडम एक कार्ड भेजा है आपको व्हाट्सप्प पर..
केसा कार्ड?
मेरे बड़े बेटे की सगाई का कार्ड मैडम.. उसी के लिए छूटी ले रहा हूँ..
मुबारक हो जयप्रकाश जी..
आप आएगी तो अच्छा लगेगा मैडम..
मैं जरुर आउंगी जयप्रकाश जी.. आप इतने ईमानदार है इतनी मेहनत से काम करते है.. घर फंक्शन है आपने इतने प्यार से बुलाया है आना तो पड़ेगा ही..
शुक्रिया मैडम..
जयप्रकाश घर आ जाता है..
अगले 4 दिन ऐसे ही गुजर जाते है और सब कुछ वैसे ही चलता रहता है..
सुबह 10 बज रहे थे और सूरज कहीं जाने की तैयारी में था..
कहा जा रहा है हनी?
सुमित्रा ने चाय लेकर कमरे में आते हुए कहा तो सूरज ने चाय का कप लेकर पीते हुए कहा - गार्डन जा रहा हूँ माँ.. शाम की तैयारियां हो गई या नहीं वो भी देख लूंगा..
सुमित्रा - बेटू.. तेरे पापा देख रहे है सब वहा..
सूरज - एक बार में भी देख लेता हूँ ना... वरना एन मोके आप सब मुझे ही बोलोगे..
सुमित्रा - अच्छा तूने मुन्ना को काम दिया हलवाई का? उस दिन कितना कुछ बोल के गया था वो यहां तेरे बारे में.. अपनी बहन की गलती तो उसे दिखी ही नहीं..
सूरज चाय का कप रखकर जाते हुए - छोडो ना माँ.. पुरानी बातों को भूल जाओ.. अच्छा मैं निकलता हूँ.. दिन तक वापस आ जाऊंगा.. जो मेहमान आये है आप उनको सम्भालो...
सूरज चला जाता है और सुमित्रा सूरज के कमरे से लगे हुए उसके बाथरूम में चली जाती है जहाँ वो पहले सूरज के चाय पिए हुए कप को चाटती है और फिर उसकी नज़र एक चड्डी पर पडती है जो सूरज की थी.. सुमित्रा बिना कुछ सोचे सूरज की चड्डी उठाकर उसके उस हिस्से को चाटने लगती है जो सूरज के लिंग और आंड से चिपक कर रहता था..
सुमित्रा की इन हरकतो में दिन ब दिन बढ़ोतरी हो रही थी और वो इन सब से वाकिफ भी थी मगर वो ये सब अकेले में ही किया करती थी और सबके सामने सभ्य और संस्कारी बनकर ही रहती थी.. उसने अपने मन के गिल्ट को अब दबा कर मार डाला था और सोच लिया था की वो ऊपरी तौर पर वैसे ही रहेंगी जैसे रहती आई है मगर अंदर अकेले में वो अपनी fantasy को जियेगी..
सुमित्रा सूरज के बाथरूम में नीचे बैठ गई और अपनी शादी कमर तक उठाकर अपनी चुत में ऊँगली करते हुए आँख बंद करके सूरज की चड्डी चाटती हुई सोच रही थी कि जैसे वो सूरज का लिंग पकड़ कर चाट रही हो.. उसकी कल्पनाओ ने उसे जल्दी ही झड़वा दिया और सुमित्रा फिर से सभ्य नारी बनाकर सूरज कि चड्डी रखते हुए कप लेकर नीचे रसोई में आ गई और उसे धोकर रख दिया.. घर में मेहमानो का ताता लगा हुआ था.. जो ख़ास ख़ास रिस्तेदार थे सभी आये हुए थे..
सूरज के घर से निकलते ही उसका फ़ोन आ गया और सीधा अंकुश के बुलाने पर बिलाल कि दूकान पर जा पंहुचा..
भाई क्या हुआ? फिर से गायब हो गया था तू.. ज्यादा जोर से मारा था क्या काकी ने उस दिन? अंकुश ने मज़ाक़ करते हुए पूछा..
सूरज कुर्सी पर बैठता हुआ बोला - भोस्डिके पड़ी तो तेरे भी थी.. भुल गया या याद दिलाऊ?
बिलाल सूरज के कंधे पर अपने दोनों हाथ रखकर उसके कंधे की मालिश करता हुआ बोला - सारी तैयारी हो गई क्या हनी?
बिलाल और सूरज के बीच उस रात के बाद बात नहीं हुई थी और दोनों ही मन में जानते थे की उस दिन दोनों के बीच क्या बातचित हुई थी मगर दोनों ने अंकुश के सामने उसका जिक्र न करते हुए उस बात से अनजान बनकर ही बात करना सही समझा..
सूरज - हाँ बिल्ले सब हो चूका.. सबको बोल दिया है.. तुम दोनों को बोलने की जरुरत नहीं है..
अंकुश - भाई फॅमिली के साथ आएंगे डोंट वोर्री.. अच्छा यार घर से नीतू का फ़ोन आ रहा है मम्मी को डॉक्टर के लेके जाना है.. मैं तुमसे शाम को मिलता हूँ..
अंकुश के जाने के बाद दूकान में सन्नाटा पसर जाता है और सूरज और बिलाल दोनों चुपचाप हो जाते है.. बिलाल सूरज के कंधे और गर्दन दबाते हुए मसाज कर रहा था और अब उसने कुछ देर बाद ख़ामोशी तोड़कर कुछ बोल दिया जो सूरज नहीं सुनना चाहता था और उसीके करण वो कुछ दिनों से दूकान पर भी नहीं आ रहा था..
बिलाल - हनी.. मैंने नज़मा को मना लिया है..
सूरज - बिल्ले.. नहीं यार.. मैं कर पाऊंगा..
बिलाल - भाई देख.. बस ये आखिरी अहसान कर दे मैं हमेशा तेरा अहसानमंद रहूँगा.. उस दिन तुझे लगा होगा मैं नशे में वो सब कह रहा हूँ पर नहीं.. मैंने ये सब सोच समझ कर ही कहा है..
सूरज - मुझे थोड़ा समय दे बिल्ले.. हम इस बारे में बाद में बात करेंगे..
बिलाल दूकान का शटर नीचे कर देता है और अंदर जाकर नज़मा कुछ बात करके वापस आकर सूरज के कंधे दबाते हुए कहता है - ठीक है हनी तू सोच ले.. मैं सगाई के बाद तुझसे इस बारे में बात करूंगा..
थोड़ी देर बाद नज़मा चाय लाती हुई - जी चाय..
बिलाल - यहां रख दे..
सूरज ने आईने में नज़मा को देखा तो पाया की आज नज़मा ने नकाब नहीं पहना था और ना ही दुपट्टा लिया था... उसकी खूबसूरती आज बेपर्दा सूरज की आँखों के सामने थी वो समझ गया था की बिलाल ने ही उसे इस तरह उसके सामने आने को कहा होगा....
नज़मा चाय रखकर जाने लगती है तो बिलाल उसे कहता है - नज़मा.. मैं ऊपर अम्मी को देखकर आता हूँ तू तब तक दूकान मे झाडू लगा दे..
बिलाल दूकान के अंदर वाले दरवाजे से होकर ऊपर छत पर चला जाता है और सिगरेट के कश लेते हुए कुछ सोचने लगता है वही नज़मा अपने हाथ मे झाडू उठाते हुए कहती है..
नज़मा - चाय पिजिये ना.. ठंडी हो जायेगी..
सूरज चाय का कप उठाकर पिने लगता है और दोनों में कोई और बात नहीं होती.. सूरज कुछ भी बोलने से झिझक रहा था मगर उसकी नज़र नज़मा की सुडोल और उन्नत चूचियों पर थी जिसका अहसास नज़मा को अच्छे से था..
नज़मा ने आईने में हनी की सूरत देखकर उसके मन के भाव पढ़ लिए और आगे कहा - चाय कैसी बनी है?
सूरज ने अपनी नज़र को नगमा की चूचियों से नज़मा की आँखों मे फेर लिया और कहा - बहुत अच्छी..
दोनों में आगे कोई बात नहीं होती और सूरज चाय ख़त्म करके कहता है - भाभी मैं चलता हूँ..
नज़मा हनी का हाथ पकड़ कर मुस्कुराते हुए - भाईजान..
सूरज - भाभी.. रहने दो..
नज़मा - भाईजान.. बिलाल ने आपसे जो कहा है एक बार आप सोचना उस बारे में.. बिलाल अच्छे इंसान है.. आपको बहुत मानते है..
सूरज - भाभी मैं आपके साथ..
नज़मा - भाईजान.. मज़बूरी में हम क्या कुछ नहीं करते? मैंने ही बिलाल से आपको वो सब कहने के लिए कहा था..
सूरह हैरानी से - भाभी..
नज़मा हनी के करीब आकर - भाईजान.. कुछ दिनों की बात है..
सूरज जाते हुए - शाम को सगाई में जरुरत आना भाभी..
नज़मा - मैं जरूर आउंगी भाईजान.. शायद शाम को आपका मन भी बदल जाए..
हनी नज़मा के सम्मोहन में आ गया था और उसे नज़मा के साथ कुछ रात सोने में अब कोई बुराई नहीं दिख रही थी मगर वो अपने जिगरी दोस्त की बीवी के साथ ये सब करना भी गलत मानता था.. नज़मा ने जिस तरह इठला कर और प्यार से बात की थी उसने सूरज को कामुक कर दिया था और सूरज कहीं अपना नियंत्रण ना खो दे इसलिए वो दूकान से निकल गया था.. मगर दूकान से निकल कर वो गार्डन जाने की बजाये सीधा मुन्ना के घर चला गया.. उसे पता था मुन्ना और नेहा गार्डन में अपने लोगों को खाना बनाने की तैयारी करवाने में व्यस्त होंगे..
दरवाजा चिंकी ने ही खोला और सूरज चिंकी को उठाकर सीधा उसके रूम में ले गया और उसके होंठों चूमते हुए बिस्तर में उसके साथ गिर गया.. चिंकी सूरज को ऐसा करते देखकर हैरान थी मगर उसे सूरज का ये रूम अच्छा लग रहा था चिंकी ने भी झट से सूरज और अपने कपड़े उतार दिए और सूरज के लंड को अपनी चुत में घुसाके सूरज के लबों को अपने लबों से मिलाकर काम के सागर में गोते खाने लगी..
सूरज चिंकी को आज वो सुख अपनेआप दे रहा था जो चिंकी उसे हमेशा छीनकर लेती थी..
चिंकी ने अपना चुचा सूरज के मुंह में दे दिया और उसे चूसाते हुए बोली - आज तो तू मेरी जान लेने के इरादे से आया है मेरे हीरो.. अह्ह्ह.. मार दी डालेगा मुझे तू आज..
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सूरज चिंकी की बातों को अनसुना करके उसके बदन को भोग रहा था और अब उसने चिंकी को घोड़ी बनाकर पीछे से झटके मारना शुरू कर दिया.. सूरज को नज़मा का भोला सा मासूम चेहरा याद आने लगा जो उसने अभी अभी देखा था और वो हसरत भरी निगाहे जिससे नज़मा सूरज को देख रही थी.. सूरज फूल स्पीड में झटके मार रहा था जिसकी आवाज कमरे से बाहर जाने लगी थी..
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अह्ह्ह.. अह्ह्ह.. उम्म्म्म... अह्ह्ह.. आज क्या कोई गोली खाके आया है क्या हनी.. अह्ह्ह.. ऐसे चोद रहा है जैसे जोनी सीन्स का भी बाप हो... अह्ह्ह..
चिंकी की चुत झड़ झड़ के गीली हो चुकी थी मगर सूरज अब तक नहीं झड़ा था..
सूरज चिंकी की चुत से लंड निकाल कर चिंकी के बाल खींचते हुए उसके मुंह में लंड डालके चिंकी का मुंह चोदने लगा.. सूरज को चिंकी के चेहरे में नज़मा का चेहरा नज़र आने लगा था और उसका दिल जोरो से धड़कते हुए मचलने लगा था.. कुछ देर मुंह चोदकर सूरज चिंकी को मिशनरी में चोदने लगा..
आज फाड़ देगा क्या अपनी चिंकी को चुत को हनी? अह्ह्ह.. कब से कर रहा है.. आज क्या हुआ है तुझे? अह्ह्ह्ह.. अह्ह्ह्ह.. उई.. मममम्मा.. अह्ह्ह्ह.. आई लव यू हनी..
सूरज ने चिंकी चुत चोदते हुए ये तय कर लिया था कि वो नज़मा कि गोद जरुर भरेगा और नज़मा को माँ बनायेगा.. मगर अब अभी तो वो चिंकी को माँ बनाने के इरादे से चोद रहा था और अब झड़ने कि कगार पर था..
चिंकी अपनी चुत में अंदर तक सूरज के लंड को महसूस कर अपनी अदखुली कामुक आँखों से सिसकियाँ भरती हुई सूरज के झड़ने का इंतजार कर रही थी वो खुद कई बार झड़ी थी मगर अब सूरज उसकी चुत में झड़ने लगा था.. चिंकी को सूरज के वीर्य की धार अपने अंदर महसूस होने लगी थी.. सूरज ने अपना सारा माल चिंकी की चुत में भर दिया और लम्बी लम्बी साँसे लेता हुआ उसके ऊपर गिर गया..
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चिंकी सूरज के चेहरे को हल्का सा उठाया और साइड में पड़ी अपनी चड्डी से उसके चेहरे पर आ रहा पसीना पोछ दिया और उसके होंठो को चूमकर बोली - कमीने तू ऐसा ज़ालिम मर्द होगा मुझे पता नहीं था.. आज तो बदन तोड़ कर रख दिया तूने मेरा पूरा.. आज लग रहा है मैं लड़की हूँ और तू लड़का..
सूरज चिंकी को देखता हुआ - छोड़ मुझे.. जाना है..
चिंकी अपनी बाहों से सूरज को आजाद करती हुई - हाज़िरी लगाने आते रहना हनी..
सूरज - शाम को मिलूंगा..
चिंकी - मैं नहीं आउंगी..
सूरज - क्यों?
चिंकी हसते हुए - तेरी मम्मी ने मुझे देख लिया तो जान से ही मार डालेगी मुझे..
सूरज चिंकी के ऊपर से उठता हुआ उसकी चुत से लंड निकालकर जैसे ही बेड से नीचे उतर कर खड़ा होता है कमरे के दरवाजे से चिंकी की माँ रमा अंदर आ जाती है देखती है की...
कमरा पूरा अस्त व्यस्त था बेड पर चिंकी नंगी लेटी हुई थी और उसकी चुत से थोड़ा वीर्य निकल रहा था बेड के साइड में सूरज नंगा खड़ा था जिसका लम्बा मोटा लंड भी वीर्य से सना हुआ था..
रमा ये देखकर गुस्से से भर गई और अपनी चप्पल निकालकर सूरज और चिंकी को मारने लगी..
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Bhai bahut badiya kahani aage bad rahi hai kafi dino baad koi acchi khani padhne ko mil rahi hai ab isse likna band mat karnaUpdate 5
बिलाल सूरज के गले लागकर - भाई मैं तेरा ये अहसास कभी नहीं भूलूंगा यार.. तूने मेरे लिए इतना सब किया है और अब भी कर रहा है..
सूरज - बिल्ले.. छोड़ यार.. बाद में बात करते है..
सूरज बिलाल की दूकान से अपने घर आ जाता है और अब तक विनोद और जयप्रकाश दोनों सो चुके थे दरवाजा सुमित्रा ने खोला और सूरज सुमित्रा से बचते हुए होने कमरे में आ गया.. सुमित्रा जान गई थी की सूरज ने शराब पी है मगर उसने कुछ ना कहा..
सूरज कपड़े बदल कर गद्दे पर आ गया और जैसे ही उसने फ़ोन उठाया उसके कमरे के दरवाजे पर सुमित्रा खाना लेकर आ गई और अंदर आते हुए बोली - बेटू जी खाना भी खाना है या सिर्फ पीके सोने का ही इरादा है?
सूरज सुमित्रा को देखकर हड़बड़ाते हुए - माँ.. आप..
सुमित्रा गद्दे ओर बैठकर - चल खाना खा ले.. मुझे पता ही था आज तू कहीं पार्टी वार्टी करके आएगा..
सूरज शर्म से - आपको कहा था ना वेट मत करना..
सुमित्रा अपने हाथ से निवाला खिलाते हुए - क्यों ना वेट करू? मेरा इतना प्यारा जवाँ बेटा देर तक घर से बाहर था.. वैसे कहा पार्टी कर रहा था? कोई लड़की भी थी साथ मे?
सूरज - माँ...
सुमित्रा - अच्छा मत बता..
सूरज खाने की थाली लेते हुए - मैं खा लूंगा आप जाओ.. सो जाओ.. इतना देर तक जागोगी तो सुबह देर से उठोगी...
सुमित्रा - हा हा भगा अपनी माँ को अपने पास से.. दो पल साथ में बैठु तो तुझे पसंद नहीं आता.. आएगा भी क्यों.. मैं कोई लगती थोड़ी हूँ तेरी..
सूरज खाना खाते हुए - रहने दो इतना नाटक मत करो.. बैठ जाओ.. कुछ नहीं कहता..
सुमित्रा मुस्कुराते हुए - कल मेरे साथ मार्किट चलेगा ना? सगाई के कपड़े लेने है.. बुआ भी आएगी.. तेरे लिए कोई अच्छा सा सूट भी ले लेंगे..
सूरज - नहीं नहीं.. मैं कहीं नहीं जाने वाला.. आपके साथ जाउगा तो सुबह की शाम हो जायेगी..
सुमित्रा - बड़ा बिजी है ना तू.. जो कुछ बिगड़ जाएगा.. चल ना हनी.. वैसे भी घर पर ही तो रहेगा..
सूरज खाने की प्लेट वापस देते हुए - नहीं मतलब नहीं.. भईया को ले जाना ना..
सुमित्रा - और उसकी जगह ऑफिस तू जाएगा?
सूरज - अच्छा ठीक है चल चलूँगा.. अब खुश आप?
सुमित्रा सूरज के गाल चूमकर - बहुत खुश..
सूरज - माँ लाइट बंद कर देना जाते हुए..
सुमित्रा लाइट ऑफ करके दरवाजा लगाकर नीचे आ जाती है रसोई में प्लेट धोकर रखती हुई कुछ सोचने लगती है फिर अपने कमरे में जाकर लेट जाती है उसकी आँखों में नींद नहीं थी वो जो सोच रही थी उसने उसे कामुक कर दिया था मगर उसने कुछ देर पहले भी ऊँगली से हवस मिटाइ थी.. बार बार वो सूरज को चाय पीता हुआ सोचकर कामुक हो जाती.. मगर चाय पिने में ऐसा क्या था जो वो उत्तेजित हो गई थी? सुमित्रा ने एक नज़र जयप्रकाश को देखा और फिर खुद भी आँख बंद करके सो गई..
सूरज बिलाल की बातें सोच रहा था और उसे मन ही मन बिलाल के लिए बुरा लग रहा था.. वो नज़मा की बहुत इज़्ज़त करता था और उसके साथ कुछ ऐसा वैसा करने की सोच भी नहीं सकता था लेकिन बिलाल ने जो उसे मज़बूरी बताई थी उससे उसे हैरानी और बिलाल ओर अफ़सोस हो रहा था..
रात के बारह बजे तो सूरज के फ़ोन पर गरिमा का फ़ोन आ गया और सूरज बिलाल की बातों से निकल कर गरिमा का फ़ोन उठाते हुए उसे बात करने लगा..
बड़े झूठे हो आप तो देवर जी.. कहा था फ़ोन करोगे पर फ़ोन किया ही नहीं तुमने..
भाभी कहीं चला गया था.. सॉरी.. आपको अब तक जाग रही हो..मुझे लगा आपको सो गई होंगी..
ठीक है फिर मैं सो ही जाती हूँ.. गुडनाईट..
आप फिर से नाराज़ हो गई.. पता नहीं भईया कैसे संभालेंगे आपको.. आपको उनका जीना मुहाल कर दोगी..
मैं ऐसी हूँ देवर जी? तुम ये सोचते हो मेरे बारे में?
क्यों.. गलत सोचता हूँ भाभी? वैसे आप तो दस बजे सो जाती हो ना.. आज इतनी देर तक सिर्फ मुझसे बात करने के लिए जाग रही हो.. भईया को पता चलेगा तो शादी से पहले डाइवोर्स हो जायेगा आपका..
ठीक है तो फिर सो जाओ.. मैं भी सो जाती हूँ.. मैंने बस ये बताने के लिए फ़ोन किया था की तुम्हारी भेजा हुआ उपन्यास मैंने पढ़ना शुरू कर दिया है.. और मुझे पसंद भी आ रहा है.. और कुछ नहीं..
मुझे भी कुछ बताओ ना भाभी.. जो मैं भी पढ़ सकूँ..
हम्म.. मैं भी एक किताब भेजूंगी तुम्हे.. वो पढ़ना.. अब गुडनाइट.. बाए..
गुडनाईट भाभी.. स्वीट ड्रीम्स.. फ़ोन कट हो जाता है.. और सूरज सुबह पांच बजे का अलार्म सेट करके सो जाता है..
बिलाल और नज़मा के बीच आज बहुत लम्बी बातचीत हुई थी और बिलाल ने नज़मा को सूरज के साथ बच्चा करने के लिए मना लिया था.. नज़मा सूरज को पसंद करती थी मगर उस तरह नहीं पर अब नज़मा बिलाल की इज़ाज़त से सूरज के साथ सोने के लिए तैयार हो गई थी नज़मा को ये सब अजीब लग रहा था पर वो क्या कर सकती थी.. बिलाल उसका शोहर था और उसकी बात मानने के अलावा नज़मा के पास और कोई चारा भी ना था..
अगले दिन सुबह पांच बजे अलार्म से सूरज जाग गया और अपनी नींद तोड़ते हुए बाथरूम में जा घुसा.. आधे घंटे बाद ब्रश करके और नहाकर निकला फिर विनोद के दिए कपडे में से एक जीन्स और चेक शर्ट पहन कर विनोद की बाइक उठाकर सीधा रेलवे स्टेशन पहुच गया जहाँ उसे बरखा को लेके आना था..
गाडी 2 घंटा लेट थी.. सुबह सुबह का समय था लोग कम ही थे स्टेशन के आस पास लोग आ जा रहे थे सूर्य की पहली किरण अभी नहीं पड़ी थी फिर भी उजाला होने लगा था.. भोर का समय था..
सूरज स्टेशन के बाहर टहल रहा था की एक 35 साल की औरत उसके पास आ गई और बोली - भईया जी चलोगे क्या?
सूरज उसकी बात नहीं समझा और बोला - क्या?
औरत - चलोगे क्या.. करना है..
सूरज इस बार औरत को देखकर और उसकी बात सुनकर सब समझ गया और बोला - नहीं.. नहीं जाना..
औरत - भईया जी सिर्फ तीन सो दे देना..
सूरज - नहीं जाना ना.. जाओ यहां से..
औरत - भईया जी.. 200 दे देना.. आपको जो चाहिए वो करुँगी... चलिए ना..
सूरज चिढ़ते हुए - नहीं जाना ना.. जाओ यहां से..
औरत ने सूरज का हाथ पकड़ कर कहा - भईया सिर्फ सो दे देना..
सूरज हाथ छुड़ा कर गुस्से से - भोसड़ीवाली बोला ना तुझे नहीं करना मुझे जा यहां से.. बहनचोद चिपक रही है..
औरत इस बार बिन कुछ बोले सूरज से दूर हट जाती है और सूरज एक दूकान के पास जाकर एक चाय लेकर दुकान के पीछे खड़े होकर पिने लगता है तभी उसकी नज़र उस औरत पर पड़ी जिसे वो अभी गाली देखकर भगा रहा था..
औरत उसे कुछ दूर एक जगह बैठकर उदासी से रोने लगी थी जैसे उसका दिल बहुत दुखा हो..
सूरज ने उस औरत का रोना देखा ना गया और वो उस औरत के पास जाकर बैठ गया और बोला - रो क्यों रही है तू.. मेरा मन नहीं..
औरत - हमें कोनसा पसंद है भईया जी.. मज़बूरी में सब करना पड़ता है.. अकेली हूँ.. कल से कुछ खाया नहीं..
सूरज एक दो सो ना नोट देते हुए - अच्छा तुम ये लो कुछ खा लो.. मुझे गाली नहीं बकनी चाहिए थी.. माफ़ करना.
औरत पैसे लेकर - नहीं भईया जी.. हमारी तो आदत हो गई है.. आप चाहो तो मैं..
सूरज - मैंने कहा नहीं करना मुझे कुछ..
औरत - आप अच्छे आदमी है भईया जी..
सूरज - कहा से हो? कोनसा गाँव है?
औरत - हम बरेली से है.. हमारे पति के साथ आये थे मजदूरी करने पर वो तो पक्का शराबी है.. मज़बूरी है भईया जी..
सूरज - नाम क्या है तुम्हारा?
औरत - फुलवा भईया जी..
सूरज फुलवा के ब्लाउज में देखता हुआ - कहा रहती हो..
फुलवा - कहा रहेंगे? स्टेशन के उस पार छोटी सी झोपडी है वही रहती हूँ पति वही पड़ा रहता है..
सूरज - अगर कोई काम मिलेगा तो करेगी?
फुलवा - हमें कौन काम देगा भईया जी..
सूरज रमन को फ़ोन करके - तुझे वो गार्डन के लिए दो लोगों जरुरत थी ना..
रमन - सुबह सुबह ये बोलने के लिए फ़ोन किया है तूने?
सूरज - अरे एक बेचारी औरत है रख ले काम पर..
रमन - वही गार्डन भेज दे.. धरमु होगा वहाँ..
सूरह फोन काटकर फुलवा से - चल..
फुलवा - कहा भईया जी..
सूरज - तेरा सामान लेके आ जा.. काम दिलवाता हूँ तुझे.. रहना खाना भी वही पड़ेगा..
फुलवा - सच भईया जी.. मैं अभी लाती हूँ..
फुलवा वहा से चली जाती है और 10-15 मिनट बाद वापस वही आकर सूरज से मिलती है..
भईया जी.. मैं आ गई..
सूरज की नज़र फुलवा की छाती पर बड़े बड़े उभारो पर थी सुबह सुबह वो भी कामुक हो उठा था उसके मन में फुलवा के साथ कुछ करने का ख्याल नहीं आया था पर अब वो फुलवाके आम का रस पिने के बारे मे सोच रहा था..
सूरज - फुलवा ऐसे तो शायद तुझे काम नहीं मिलेगा.. कोई साफ कपडे है तेरे पास?
फुलवा - इस गठरी मे है भईया जी मैं बदल के आउ..
सूरज - नहाना भी पड़ेगा फुलवा.. चल..
सूरज फुलवा को वही आस पास होटल के कमरे मे ले आता है और फुलवा से नहा कर साफ कपडे पहनने को कहता है और फुलवा वैसा ही करती है.. साथ में सूरज कुछ खाने को भी मंगा लेता है..
फुलव जब नहाकर साथ कपड़े पहनती है तो सूरज उसके निखरे रूप को देखता ही रह जाता है.. सूरज फुलवा से खाने के लिऐ कहता है और फुलवा खाना खा कर बैठ जाती है..
फुलवा - भईया जी.. आप बहुत अच्छे है..
सूरज - अच्छा चल फुलवा.. मुझे वापस भी आना है.
सूरज फुलवा को उसी गार्डन में ले आया था और वहा धरमु से मिलवा देता है जहाँ फुलवा को छोटा मोटा काम मिल जाता है और उसके रहने खाने की व्यवस्था भी हो जाती है..
सूरज वापस स्टेशन जाता है और अब तक गाडी नहीं आई थी मगर आने की अनाउंसमेंट हो गई थी..
सूरज प्लेटफार्म पर खड़ा था और बरखा के आने का इंतजार कर रहा था..
बरखा ट्रैन से उतरती है तो सूरज उसकी तरफ बढ़ जाता है और बरखा के हाथ से उसका बेग लेता हुआ कहता है - लाओ दीदी मैं उठा लेता हूँ...
बरखा हनी को देखती तो एक पल हैरान होकर उसे गले से लगा लेती है और कहती है - हनी यहां कैसे?
बरखा 34
सूरज - आपको लेने आया हूँ दी.. यहां आने पर पता चला ट्रैन लेट है तो इंतजार कर रहा था.. चलो..
बरखा - तुझे किसने बताया मेरे आने का?
सूरज - काकी ने... उन्होंने ही तो कहा था आपको लाने के लिए..
बरखा सूरज को प्यार से - क्या करता है आजकल? कोई जॉब मिली या नहीं तुझे?.
सूरज - नहीं दी.. आपको तो जानती हो मुझे. मैं पढ़ाई में केसा हूँ..
बरखा - क्या करने का इरादा है जनाब का?
सूरज - अभी सोचा नहीं दी..
बरखा बाइक ओर बैठती हुई - तो कब सोचेगा हीरो.. इतना बड़ा हो गया है अब भी ऐसे घूमता है शर्म नहीं आती तुझे?
सूरज - आप तो आते ही ताने मारने लगी दी..
बरखा - तो क्या करू? तेरी आरती उतारू? जब मेरा हनी ऐसे बेकार घूमेगा तो गुस्सा नहीं आएगा मुझे? अच्छा उस चिंकी सेतो दूर है ना तू? अब तो परेशान नहीं करती ना वो तुझे?
सूरज - अब सब ठीक है दी.. आपको अकेली क्यों आयी हो? और किट्टू कहा है?
बरखा - किट्टू अपने पापा के पास है.. उसको आने का मन ही नहीं था.. अच्छा सुन उस पान वाले के पास रोक..
सूरज बाइक रोकते हुए - क्या हुआ दी..
बरखा - एक सुट्टा फुकना है.. बरखा पान वाले से एक सिगरेट लेकर जलाते हुए साइड में आकर पिने लगती है..
सूरज - आप अब भी सिगरेट पीती हो?
बरखा कश लेती हुई - तू घर पर बताना मत..
सूरज - पहले कभी बताया है क्या?
बरखा - अच्छा गर्लफ्रेंड बनाई तूने कोई या अभी भी अपने हाथ से जयकारे लगाकर बाथरूम की दिवार खराब करता है?
सूरज - दी यार कैसी बातें कर रही हो..
बरखा मुस्कुराते हुए सिगरेट पीकर - ओ हो.. अभी भी वैसे ही शर्माता है तू तो.. नहीं पटी ना तुझसे कोई?
सूरज - आप ना छोडो ये बात और सिगरेट ख़त्म करो ताकि घर चले..
बरखा सिगरेट का एक कश लेकर - चल..
सूरज - इसे तो ख़त्म करो..
बरखा - बाइक पर हो जायेगी हनी.. चल..
सूरज - बड़े शहर की हवा लग गई आपको...
बरखा हसते हुए - ऐसा होता ना तो तेरी दीदी सलवार कमीज़ में नहीं बल्कि हाफ टॉप और छोटी सी स्कर्ट में आती..
सूरज - आप पहनती हो स्कर्ट?
बरखा आखिरी कश लेकर सिगरेट फेंकते हुए - तू देखना चाहता है मुझे स्कर्ट में?
सूरज - मैंने ऐसा तो नहीं कहा..
बरखा अपने होंठ सूरज के कान के पास लाकर - दस साल बड़ी बड़ी हूँ तुझसे.. तुझे टूशन भी पढ़ाया है मैंने याद रखना.. कोई और नहीं पट रही तो मेरे ऊपर लाइन मत मारने लग जाना..
सूरज हसते हुए - दी.. आप फ़िक्र मत करो.. मैं सेकंड हैंड का चीज़ो शौकीन नहीं हूँ..
बरखा पीछे से एक टपली मारते हुए - मैं सेकंड हैंड हूँ..
सूरज - क्यों शादी नहीं हुई आपकी? सेकंड हैंड ही हुई ना..
बरखा सूरज कान को चूमते हुए - तुझे ना टूशन में डंडे से पीटना चाहिए था.. क्यूट कमीना.. इतना प्यारा और हैंडसम हो गया पर लड़कियों से बात करना भी नहीं आया अभी तक..
सूरज बात करते करते बरखा को उसके घर छोड़ देता है और रास्ते में उसे सुमित्रा का फ़ोन आता है तो वो सुमित्रा के कहने पर अपनी बुआ अनुराधा को लेने चला जाता है और अनुराधा को लेकर वापस अपने घर आ जाता है दस बज गए थे...
अनुराधा हॉल में सोफे पर बैठ गई और सूरज अपने कमरे में चला गया..
सुमित्रा ने दो कप चाय छन्नी की एक अनुराधा को दिया और दूसरा कप लेकर अपने कमरे में आ गई और दरवाजा बंद करके अपनी शाडी उठाकर गर्म गर्म चाय के कप में थोड़ा सा अपना मूत मिला दिया और फिर वो कप ले जाकर ऊपर सूरज को देते हुए बोली - हनी.. ले.. चाय पिले..
सूरज चाय पिने लगा तो सुमित्रा कल की तरह आज भी सूरज को अपना मूत मिली चाय पीते देखकर उत्तेजित हो गई और वापस अपने कमरे में आकर सूरज को याद करके ऊँगली से अपनी नदी का पानी निकाल दिया... कुछ देर बाद सुमित्रा अनुराधा और सूरज मार्किट निकल गए...
*************
अंकुश - नीतू याद है ना कोर्ट में क्या बोलना है?
हाँ हाँ.. मुझे सब याद है अक्कू.. तू फ़िक्र मत कर उसकी तो ऐसी बैंड बजाउंगी ना मैं.. याद रखेगा.. साला हाथ उठाता था ना..
अंकुश नीतू को बाहों में लेता हुआ - एक बार फिर से सोच ले नीतू.. जोगिंदर पति है तेरा.. तुझे वापस घर ले जाने को तैयार है.. तू चाहे तो वापस अपनी गृहस्थी बसा सकती है..
नीतू अंकुश के होंठो चूमकर - वो मेरे ऊपर हाथ उठाता था मैं चुप थी बर्दाश्त कर रही थी.. मगर उसने नशे में जब तेरे ऊपर... मेरे भाई... मेरे अक्कू के ऊपर हाथ उठाया तो चुप नहीं रह सकती.. उसे तो मैं पागल कर दूंगी देखना तू..
अंकुश - तो क्या जिंदगी भर यहां अकेली रहेंगी? शादी तो करनी पडती है ना नीतू.. फिर तुझसे शादी कौन करेगा?
नीतू अंकुश की कॉलर पकड़कर गुस्से मे - तू करेगा और कौन करेगा.. मुझे तेरे अलावा कोई नहीं चाहिए.. मैं खुश हूँ इसी तरह तेरे साथ.. घर में भी और बिस्तर में भी.. वैसे तेरा कहीं चक्कर तो नहीं है ना.. पहले बता रही हूँ बहुत मारूंगी तुझे.. मेरे अलावा किसी को देखा भी तो..
अंकुश - शादी करेगी? जब किसी पता चलेगा ना एक 27 साल की बहन अपने 24 साल के भाई से शादी करना चाहती है तो कोई जीने तक नहीं देगा..
नीतू - किसीको बताना ही क्यों है? हम यहां से कहीं और चले जाएंगे.. वही रहेंगे.. शादी करके..
अंकुश - और मम्मी? उनका क्या? उनको जब पता लगेगा तब क्या होगा? हमारे बारे में पता लगते ही ना जाने क्या करेगी?
नीतू - उनकी चिंता तू मत कर अक्कू मैं सब संभाल लुंगी.. बस एक बार ये दोनों केस निपट जाए और पैसा हाथ में आ जाए..
अंकुश - चल वकील साहिबा का फ़ोन आ रहा है..
नीतू - चल..
अंकुश नीतू को बाइक ओर बैठाकर कोर्ट आ जाता है और वकील से मिलता है..
नीतू आज बयान है.. याद है ना?
हाँ मैडम.. याद है और क्या बोलना ये अच्छे से रट लिया है..
वैरी गुड.. अच्छा अंकुश फीस?
अंकुश 2 हज़ार देते हुए - मैडम..
वकील साहिबा - ये क्या है अंकुश तुझसे कहा था कम से कम 5 चाहिए तू 2 लेके आया है..
नीतू - मैडम केस जिताओ ना.. फिर आप पूरी फीस दे देगे.. 3 साल से कोर्ट आ आकर चप्पल गिस गई है.. सुना है समझौता करना चाहता है वो..
वकील साहिबा - दो दो केस लगाए है.. समझौते के लिए बोलेगा ही..
नीतू - एक बार समझोते की बात करके देखते है.. मैडम..
वकील साहिबा - बयान के बाद करते है.. देखते है क्या कहता है..
अंकुश - मैं निकलता हूँ नीतू.. तू कैब करके आ जाना..
नीतू - आराम से जाना अक्कू..
वकील साहिबा - सिंगल है क्या तेरा भाई..
नीतू - क्यों?
वकील साहिबा - नहीं बस ऐसे ही पूछा.. सही लगता है...
नीतू - उसका ख्याल छोड़ दो.. वो पुलिस और वकील
और फैमिनिस्ट टाइप की औरतों से दूर ही रहता है..
वकील साहिबा - अच्छा? कोई चांस नहीं है.. मतलब अगली बार से पूरी फीस लेनी पड़ेगी.. चलो.. कोर्ट में चलते है..
ब्यान रिकॉर्ड करवाने के बाद वकील साहिबा नीतू को लेकर उसके पति जोगिंदर के साथ समझौते के लिए बैठ जाती जहाँ और भी बाकी लोग थे जो रिस्तेदार थे..
जोगिंदर की माँ - नीतू ये सब बंद कर दे बेटा.. चल घर चल.. तुझे कोई कुछ नहीं कहेगा.. जोगिंदर भी सुधर चूका है..
नीतू - जिसके लिए बैठे है वो बात करिये..
नीतू इतनी सी बात कर लिए ये सब क्यों कर रही है? क्या ये सब तुझे अच्छा लगता है.. हम शरीफ घर से है..
अच्छा.. बेटा शराब पीकर बीवी से मारपीट करता है और माँ कहती है हम शरीफ घर से है वाह.. 2 साल तक मेरे साथ जो जो हुआ मैं सब सहती रही.. कभी कुछ नहीं बोला.. मगर मेरे अक्कू पर हाथ उठाने की हिम्मत कैसे हुई? वो तो बेचारा उस रात शराब पिने से रोक रहा था बस..
नीतू जो गया सो हो गया.. मैं वादा करता है हूँ अब वैसा कुछ नहीं होगा.. चल वापस.. मैं अंकुश से भी माफ़ी मांग लूंगा.. पर ये सब मत कर..
कोई जरुरत नहीं है मेरे भाई से माफ़ी मांगने की.. वो तो उस दिन मेरे खातिर चुप रहा.. वरना तेरे जैसे को मेरा अक्कू एक थप्पड़ में धूल चटवा दे.. अब जो बात करने बैठे वो करो.. मेरे पास टाइमपास नहीं है..
तुम बताओ.. क्या हो सकता है..
बताना क्या है? पहले ही कहा है.. 15 लाख..
मैं 8 देने को तैयार हूँ..
नीतू - मुझे मंज़ूर नहीं है.. चलिए मैडम..
रुको नीतू.. देखो तुम जानती हमारी हालात.. हम कहा से लाएंगे इतने पैसे?
क्यों? हम लोगों से पूछा था हम दहेज़ कहा से लाएंगे? शादी कैसे करेंगे? तब तो कह रहे थे शादी धूम धाम से होनी चाहिए..
देखो नीतू.. तुम समझो.. दो साल तुम रही हो तुम अच्छे से जानती हो हमारी क्या हैसियत है..
रही नहीं हूँ काटे है मैंने दो साल.. मुझे मंज़ूर नहीं है तो नहीं है.. हम कोर्ट में देख लेंगे सब..
नीतू ऐसे ज़िद तो मत करो.. तुम जानती हमारे पास 15 लाख नहीं है और कहा से आएंगे? देखो तुम भी नहीं चाहती यहां बार बार आना ना पड़े.. जो हम दे सकते है कम से काम वो तो मांगो.. देखो 8 तुम चाहो तो कल ही तुम्हे मिल जायेगे.. और लाख डेढ़ लाख मैं कहीं से कर तुम्हे दे दूंगा पर ऐसा मत करो हमारे साथ.. हम थक गए है..
मंज़ूर नहीं है.. चलिए मैडम..
समझौता नहीं होता और नीतू वापस आ जाती है..
वकील साहिबा - 10 तक तो आ गया.. मैं वापस बात करूंगी..
नीतू - मैडम मुझे 13 दिलवा दो ऊपर जो मिले आप रख लेना.. जानबूझकर गरीबी दिखा रहे है सब.. गाँव में जमीन पड़ी है.. किराए पर कमरे दे रखे है और कहते है हैसियत नहीं है.. दवाब पड़ेगा तो सब अकल आ जायेगी इनको..
वकील साहिबा - ठीक है मैं बात करती हूँ..
नीतू टेक्सी लेकर निकल जाती है और वकील साहिबा सामने वाली पार्टी के वकील को फ़ोन करती है..
हाँ आंनद जी.. मेरी पार्टी कह रही है साढ़े 14 तक समझौता हो सकता है.. आप अपनी पार्टी को समझा देना.. अगर माने तो ठीक है वरना कोई बात नहीं..
मेरी पार्टी 11 देने को तैयार है.. अपनी अपनी वाली को थोड़ा तोड़िये ना..
आंनद जी.. आप मेरे सीनियर है मैं आपके लिए 14 तक ला सकती हूँ पर उससे कम आप उम्मीद मत कीजियेगा..
ठीक मैं देखता हूँ.. फोन काटते हुए.. देखो भाई जोगिंदर बात ऐसी है.. 2 केस जो तुम्हारे ऊपर लगे है वो उनकी तरफ से बहुत स्ट्रांग है.. जब भी जज फैसला करेगा तुम्हे सो प्रतिशत सजा होगी और नीतू को पैसे देने पड़ेंगे.. 14 पर वो मान रहे है.. अब तुम देख लो.. तुम्हे क्या करना है.. मैं चलता हूँ...
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सगाई है शादी नहीं.. इतना क्या खरीद रही हो आप.. मैंने कल कहा था.. शाम कर दोगी और कर दी आपने शाम..
बस हो गया हनी.. दीदी.. ये अच्छा है ना..
हाँ सुमित्रा.. अनुराधा ने कहा..
सूरज शॉपिंग के बार जब सुमित्रा और अनुराधा को घर लेकर आया तो शाम के साढ़े पांच बज गए थे..
क्या भाई विनोद.. सबको सगाई का कार्ड व्हाट्सप्प कर रहे हो मुझे नहीं करोगे?
सबसे पहले आपको ही किया था सर.. आपकी जी हुज़ूरी नहीं करूँगा तो प्रमोशन कैसे मिलेगा..
मज़ाक़ मज़ाक़ में सच बोल जाते हो विनोद.. चलो मिलता हूँ..
सर मैं जानता हूँ आप बड़े बिजी हो पर पक्का आना है आपको.. समय निकालना थोड़ा आप आओगे तो अच्छा लगेगा..
मैं जरुर आऊंगा विनोद..
विनोद ने अपने दोस्तों और ऑफिस के स्टाफ को कार्ड व्हाट्सप्प कर दिया था वही जयप्रकाश भी अपने ऑफिस जहाँ वो सरकारी बाबू था यही काम कर रहा था..
जयप्रकाश ने सबको कार्ड व्हाट्सप्प कर दिया था.. और अब अपनी अधिकारी के चम्बर के बाहर खड़ा था..
मैडम..
एक लड़की जिसका कुछ महीने पहले ही सिलेक्शन हुआ था वो किसी सरकारी कागज को देख रही थी और जयप्रकाश के चम्बर में आने ओर उसे देखकर बोली..
हां.. जयप्रकाश जी.. आप घर गए नहीं अभी तक? छः तो बज चुके है ना..
साढ़े छः बज चुके है मैडम..
तो आप क्यों रुके हुए है अब तक? मैंने तो रुकने के लिए नहीं कहा..
जी मैडम दरअसल कुछ कहना था आपसे..
हाँ.. कहिये क्या बात है.. छुट्टी चाहिए? लाइये अप्लीकेशन दीजिये मैं sign कर देती हूँ..
जयप्रकाश एप्लीकेशन देते हुए मैडम इस शुक्रवार शनिवार की छुट्टी चाहिए.. ये एप्लीकेशन है..
लीजिये sign कर दिए है आपकी एप्लीकेशन पर..
मैडम एक कार्ड भेजा है आपको व्हाट्सप्प पर..
केसा कार्ड?
मेरे बड़े बेटे की सगाई का कार्ड मैडम.. उसी के लिए छूटी ले रहा हूँ..
मुबारक हो जयप्रकाश जी..
आप आएगी तो अच्छा लगेगा मैडम..
मैं जरुर आउंगी जयप्रकाश जी.. आप इतने ईमानदार है इतनी मेहनत से काम करते है.. घर फंक्शन है आपने इतने प्यार से बुलाया है आना तो पड़ेगा ही..
शुक्रिया मैडम..
जयप्रकाश घर आ जाता है..
अगले 4 दिन ऐसे ही गुजर जाते है और सब कुछ वैसे ही चलता रहता है..
सुबह 10 बज रहे थे और सूरज कहीं जाने की तैयारी में था..
कहा जा रहा है हनी?
सुमित्रा ने चाय लेकर कमरे में आते हुए कहा तो सूरज ने चाय का कप लेकर पीते हुए कहा - गार्डन जा रहा हूँ माँ.. शाम की तैयारियां हो गई या नहीं वो भी देख लूंगा..
सुमित्रा - बेटू.. तेरे पापा देख रहे है सब वहा..
सूरज - एक बार में भी देख लेता हूँ ना... वरना एन मोके आप सब मुझे ही बोलोगे..
सुमित्रा - अच्छा तूने मुन्ना को काम दिया हलवाई का? उस दिन कितना कुछ बोल के गया था वो यहां तेरे बारे में.. अपनी बहन की गलती तो उसे दिखी ही नहीं..
सूरज चाय का कप रखकर जाते हुए - छोडो ना माँ.. पुरानी बातों को भूल जाओ.. अच्छा मैं निकलता हूँ.. दिन तक वापस आ जाऊंगा.. जो मेहमान आये है आप उनको सम्भालो...
सूरज चला जाता है और सुमित्रा सूरज के कमरे से लगे हुए उसके बाथरूम में चली जाती है जहाँ वो पहले सूरज के चाय पिए हुए कप को चाटती है और फिर उसकी नज़र एक चड्डी पर पडती है जो सूरज की थी.. सुमित्रा बिना कुछ सोचे सूरज की चड्डी उठाकर उसके उस हिस्से को चाटने लगती है जो सूरज के लिंग और आंड से चिपक कर रहता था..
सुमित्रा की इन हरकतो में दिन ब दिन बढ़ोतरी हो रही थी और वो इन सब से वाकिफ भी थी मगर वो ये सब अकेले में ही किया करती थी और सबके सामने सभ्य और संस्कारी बनकर ही रहती थी.. उसने अपने मन के गिल्ट को अब दबा कर मार डाला था और सोच लिया था की वो ऊपरी तौर पर वैसे ही रहेंगी जैसे रहती आई है मगर अंदर अकेले में वो अपनी fantasy को जियेगी..
सुमित्रा सूरज के बाथरूम में नीचे बैठ गई और अपनी शादी कमर तक उठाकर अपनी चुत में ऊँगली करते हुए आँख बंद करके सूरज की चड्डी चाटती हुई सोच रही थी कि जैसे वो सूरज का लिंग पकड़ कर चाट रही हो.. उसकी कल्पनाओ ने उसे जल्दी ही झड़वा दिया और सुमित्रा फिर से सभ्य नारी बनाकर सूरज कि चड्डी रखते हुए कप लेकर नीचे रसोई में आ गई और उसे धोकर रख दिया.. घर में मेहमानो का ताता लगा हुआ था.. जो ख़ास ख़ास रिस्तेदार थे सभी आये हुए थे..
सूरज के घर से निकलते ही उसका फ़ोन आ गया और सीधा अंकुश के बुलाने पर बिलाल कि दूकान पर जा पंहुचा..
भाई क्या हुआ? फिर से गायब हो गया था तू.. ज्यादा जोर से मारा था क्या काकी ने उस दिन? अंकुश ने मज़ाक़ करते हुए पूछा..
सूरज कुर्सी पर बैठता हुआ बोला - भोस्डिके पड़ी तो तेरे भी थी.. भुल गया या याद दिलाऊ?
बिलाल सूरज के कंधे पर अपने दोनों हाथ रखकर उसके कंधे की मालिश करता हुआ बोला - सारी तैयारी हो गई क्या हनी?
बिलाल और सूरज के बीच उस रात के बाद बात नहीं हुई थी और दोनों ही मन में जानते थे की उस दिन दोनों के बीच क्या बातचित हुई थी मगर दोनों ने अंकुश के सामने उसका जिक्र न करते हुए उस बात से अनजान बनकर ही बात करना सही समझा..
सूरज - हाँ बिल्ले सब हो चूका.. सबको बोल दिया है.. तुम दोनों को बोलने की जरुरत नहीं है..
अंकुश - भाई फॅमिली के साथ आएंगे डोंट वोर्री.. अच्छा यार घर से नीतू का फ़ोन आ रहा है मम्मी को डॉक्टर के लेके जाना है.. मैं तुमसे शाम को मिलता हूँ..
अंकुश के जाने के बाद दूकान में सन्नाटा पसर जाता है और सूरज और बिलाल दोनों चुपचाप हो जाते है.. बिलाल सूरज के कंधे और गर्दन दबाते हुए मसाज कर रहा था और अब उसने कुछ देर बाद ख़ामोशी तोड़कर कुछ बोल दिया जो सूरज नहीं सुनना चाहता था और उसीके करण वो कुछ दिनों से दूकान पर भी नहीं आ रहा था..
बिलाल - हनी.. मैंने नज़मा को मना लिया है..
सूरज - बिल्ले.. नहीं यार.. मैं कर पाऊंगा..
बिलाल - भाई देख.. बस ये आखिरी अहसान कर दे मैं हमेशा तेरा अहसानमंद रहूँगा.. उस दिन तुझे लगा होगा मैं नशे में वो सब कह रहा हूँ पर नहीं.. मैंने ये सब सोच समझ कर ही कहा है..
सूरज - मुझे थोड़ा समय दे बिल्ले.. हम इस बारे में बाद में बात करेंगे..
बिलाल दूकान का शटर नीचे कर देता है और अंदर जाकर नज़मा कुछ बात करके वापस आकर सूरज के कंधे दबाते हुए कहता है - ठीक है हनी तू सोच ले.. मैं सगाई के बाद तुझसे इस बारे में बात करूंगा..
थोड़ी देर बाद नज़मा चाय लाती हुई - जी चाय..
बिलाल - यहां रख दे..
सूरज ने आईने में नज़मा को देखा तो पाया की आज नज़मा ने नकाब नहीं पहना था और ना ही दुपट्टा लिया था... उसकी खूबसूरती आज बेपर्दा सूरज की आँखों के सामने थी वो समझ गया था की बिलाल ने ही उसे इस तरह उसके सामने आने को कहा होगा....
नज़मा चाय रखकर जाने लगती है तो बिलाल उसे कहता है - नज़मा.. मैं ऊपर अम्मी को देखकर आता हूँ तू तब तक दूकान मे झाडू लगा दे..
बिलाल दूकान के अंदर वाले दरवाजे से होकर ऊपर छत पर चला जाता है और सिगरेट के कश लेते हुए कुछ सोचने लगता है वही नज़मा अपने हाथ मे झाडू उठाते हुए कहती है..
नज़मा - चाय पिजिये ना.. ठंडी हो जायेगी..
सूरज चाय का कप उठाकर पिने लगता है और दोनों में कोई और बात नहीं होती.. सूरज कुछ भी बोलने से झिझक रहा था मगर उसकी नज़र नज़मा की सुडोल और उन्नत चूचियों पर थी जिसका अहसास नज़मा को अच्छे से था..
नज़मा ने आईने में हनी की सूरत देखकर उसके मन के भाव पढ़ लिए और आगे कहा - चाय कैसी बनी है?
सूरज ने अपनी नज़र को नगमा की चूचियों से नज़मा की आँखों मे फेर लिया और कहा - बहुत अच्छी..
दोनों में आगे कोई बात नहीं होती और सूरज चाय ख़त्म करके कहता है - भाभी मैं चलता हूँ..
नज़मा हनी का हाथ पकड़ कर मुस्कुराते हुए - भाईजान..
सूरज - भाभी.. रहने दो..
नज़मा - भाईजान.. बिलाल ने आपसे जो कहा है एक बार आप सोचना उस बारे में.. बिलाल अच्छे इंसान है.. आपको बहुत मानते है..
सूरज - भाभी मैं आपके साथ..
नज़मा - भाईजान.. मज़बूरी में हम क्या कुछ नहीं करते? मैंने ही बिलाल से आपको वो सब कहने के लिए कहा था..
सूरह हैरानी से - भाभी..
नज़मा हनी के करीब आकर - भाईजान.. कुछ दिनों की बात है..
सूरज जाते हुए - शाम को सगाई में जरुरत आना भाभी..
नज़मा - मैं जरूर आउंगी भाईजान.. शायद शाम को आपका मन भी बदल जाए..
हनी नज़मा के सम्मोहन में आ गया था और उसे नज़मा के साथ कुछ रात सोने में अब कोई बुराई नहीं दिख रही थी मगर वो अपने जिगरी दोस्त की बीवी के साथ ये सब करना भी गलत मानता था.. नज़मा ने जिस तरह इठला कर और प्यार से बात की थी उसने सूरज को कामुक कर दिया था और सूरज कहीं अपना नियंत्रण ना खो दे इसलिए वो दूकान से निकल गया था.. मगर दूकान से निकल कर वो गार्डन जाने की बजाये सीधा मुन्ना के घर चला गया.. उसे पता था मुन्ना और नेहा गार्डन में अपने लोगों को खाना बनाने की तैयारी करवाने में व्यस्त होंगे..
दरवाजा चिंकी ने ही खोला और सूरज चिंकी को उठाकर सीधा उसके रूम में ले गया और उसके होंठों चूमते हुए बिस्तर में उसके साथ गिर गया.. चिंकी सूरज को ऐसा करते देखकर हैरान थी मगर उसे सूरज का ये रूम अच्छा लग रहा था चिंकी ने भी झट से सूरज और अपने कपड़े उतार दिए और सूरज के लंड को अपनी चुत में घुसाके सूरज के लबों को अपने लबों से मिलाकर काम के सागर में गोते खाने लगी..
सूरज चिंकी को आज वो सुख अपनेआप दे रहा था जो चिंकी उसे हमेशा छीनकर लेती थी..
चिंकी ने अपना चुचा सूरज के मुंह में दे दिया और उसे चूसाते हुए बोली - आज तो तू मेरी जान लेने के इरादे से आया है मेरे हीरो.. अह्ह्ह.. मार दी डालेगा मुझे तू आज..
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सूरज चिंकी की बातों को अनसुना करके उसके बदन को भोग रहा था और अब उसने चिंकी को घोड़ी बनाकर पीछे से झटके मारना शुरू कर दिया.. सूरज को नज़मा का भोला सा मासूम चेहरा याद आने लगा जो उसने अभी अभी देखा था और वो हसरत भरी निगाहे जिससे नज़मा सूरज को देख रही थी.. सूरज फूल स्पीड में झटके मार रहा था जिसकी आवाज कमरे से बाहर जाने लगी थी..
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अह्ह्ह.. अह्ह्ह.. उम्म्म्म... अह्ह्ह.. आज क्या कोई गोली खाके आया है क्या हनी.. अह्ह्ह.. ऐसे चोद रहा है जैसे जोनी सीन्स का भी बाप हो... अह्ह्ह..
चिंकी की चुत झड़ झड़ के गीली हो चुकी थी मगर सूरज अब तक नहीं झड़ा था..
सूरज चिंकी की चुत से लंड निकाल कर चिंकी के बाल खींचते हुए उसके मुंह में लंड डालके चिंकी का मुंह चोदने लगा.. सूरज को चिंकी के चेहरे में नज़मा का चेहरा नज़र आने लगा था और उसका दिल जोरो से धड़कते हुए मचलने लगा था.. कुछ देर मुंह चोदकर सूरज चिंकी को मिशनरी में चोदने लगा..
आज फाड़ देगा क्या अपनी चिंकी को चुत को हनी? अह्ह्ह.. कब से कर रहा है.. आज क्या हुआ है तुझे? अह्ह्ह्ह.. अह्ह्ह्ह.. उई.. मममम्मा.. अह्ह्ह्ह.. आई लव यू हनी..
सूरज ने चिंकी चुत चोदते हुए ये तय कर लिया था कि वो नज़मा कि गोद जरुर भरेगा और नज़मा को माँ बनायेगा.. मगर अब अभी तो वो चिंकी को माँ बनाने के इरादे से चोद रहा था और अब झड़ने कि कगार पर था..
चिंकी अपनी चुत में अंदर तक सूरज के लंड को महसूस कर अपनी अदखुली कामुक आँखों से सिसकियाँ भरती हुई सूरज के झड़ने का इंतजार कर रही थी वो खुद कई बार झड़ी थी मगर अब सूरज उसकी चुत में झड़ने लगा था.. चिंकी को सूरज के वीर्य की धार अपने अंदर महसूस होने लगी थी.. सूरज ने अपना सारा माल चिंकी की चुत में भर दिया और लम्बी लम्बी साँसे लेता हुआ उसके ऊपर गिर गया..
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चिंकी सूरज के चेहरे को हल्का सा उठाया और साइड में पड़ी अपनी चड्डी से उसके चेहरे पर आ रहा पसीना पोछ दिया और उसके होंठो को चूमकर बोली - कमीने तू ऐसा ज़ालिम मर्द होगा मुझे पता नहीं था.. आज तो बदन तोड़ कर रख दिया तूने मेरा पूरा.. आज लग रहा है मैं लड़की हूँ और तू लड़का..
सूरज चिंकी को देखता हुआ - छोड़ मुझे.. जाना है..
चिंकी अपनी बाहों से सूरज को आजाद करती हुई - हाज़िरी लगाने आते रहना हनी..
सूरज - शाम को मिलूंगा..
चिंकी - मैं नहीं आउंगी..
सूरज - क्यों?
चिंकी हसते हुए - तेरी मम्मी ने मुझे देख लिया तो जान से ही मार डालेगी मुझे..
सूरज चिंकी के ऊपर से उठता हुआ उसकी चुत से लंड निकालकर जैसे ही बेड से नीचे उतर कर खड़ा होता है कमरे के दरवाजे से चिंकी की माँ रमा अंदर आ जाती है देखती है की...
कमरा पूरा अस्त व्यस्त था बेड पर चिंकी नंगी लेटी हुई थी और उसकी चुत से थोड़ा वीर्य निकल रहा था बेड के साइड में सूरज नंगा खड़ा था जिसका लम्बा मोटा लंड भी वीर्य से सना हुआ था..
रमा ये देखकर गुस्से से भर गई और अपनी चप्पल निकालकर सूरज और चिंकी को मारने लगी..
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Hamesha ki tarah great update bhai.Update 5
बिलाल सूरज के गले लागकर - भाई मैं तेरा ये अहसास कभी नहीं भूलूंगा यार.. तूने मेरे लिए इतना सब किया है और अब भी कर रहा है..
सूरज - बिल्ले.. छोड़ यार.. बाद में बात करते है..
सूरज बिलाल की दूकान से अपने घर आ जाता है और अब तक विनोद और जयप्रकाश दोनों सो चुके थे दरवाजा सुमित्रा ने खोला और सूरज सुमित्रा से बचते हुए होने कमरे में आ गया.. सुमित्रा जान गई थी की सूरज ने शराब पी है मगर उसने कुछ ना कहा..
सूरज कपड़े बदल कर गद्दे पर आ गया और जैसे ही उसने फ़ोन उठाया उसके कमरे के दरवाजे पर सुमित्रा खाना लेकर आ गई और अंदर आते हुए बोली - बेटू जी खाना भी खाना है या सिर्फ पीके सोने का ही इरादा है?
सूरज सुमित्रा को देखकर हड़बड़ाते हुए - माँ.. आप..
सुमित्रा गद्दे ओर बैठकर - चल खाना खा ले.. मुझे पता ही था आज तू कहीं पार्टी वार्टी करके आएगा..
सूरज शर्म से - आपको कहा था ना वेट मत करना..
सुमित्रा अपने हाथ से निवाला खिलाते हुए - क्यों ना वेट करू? मेरा इतना प्यारा जवाँ बेटा देर तक घर से बाहर था.. वैसे कहा पार्टी कर रहा था? कोई लड़की भी थी साथ मे?
सूरज - माँ...
सुमित्रा - अच्छा मत बता..
सूरज खाने की थाली लेते हुए - मैं खा लूंगा आप जाओ.. सो जाओ.. इतना देर तक जागोगी तो सुबह देर से उठोगी...
सुमित्रा - हा हा भगा अपनी माँ को अपने पास से.. दो पल साथ में बैठु तो तुझे पसंद नहीं आता.. आएगा भी क्यों.. मैं कोई लगती थोड़ी हूँ तेरी..
सूरज खाना खाते हुए - रहने दो इतना नाटक मत करो.. बैठ जाओ.. कुछ नहीं कहता..
सुमित्रा मुस्कुराते हुए - कल मेरे साथ मार्किट चलेगा ना? सगाई के कपड़े लेने है.. बुआ भी आएगी.. तेरे लिए कोई अच्छा सा सूट भी ले लेंगे..
सूरज - नहीं नहीं.. मैं कहीं नहीं जाने वाला.. आपके साथ जाउगा तो सुबह की शाम हो जायेगी..
सुमित्रा - बड़ा बिजी है ना तू.. जो कुछ बिगड़ जाएगा.. चल ना हनी.. वैसे भी घर पर ही तो रहेगा..
सूरज खाने की प्लेट वापस देते हुए - नहीं मतलब नहीं.. भईया को ले जाना ना..
सुमित्रा - और उसकी जगह ऑफिस तू जाएगा?
सूरज - अच्छा ठीक है चल चलूँगा.. अब खुश आप?
सुमित्रा सूरज के गाल चूमकर - बहुत खुश..
सूरज - माँ लाइट बंद कर देना जाते हुए..
सुमित्रा लाइट ऑफ करके दरवाजा लगाकर नीचे आ जाती है रसोई में प्लेट धोकर रखती हुई कुछ सोचने लगती है फिर अपने कमरे में जाकर लेट जाती है उसकी आँखों में नींद नहीं थी वो जो सोच रही थी उसने उसे कामुक कर दिया था मगर उसने कुछ देर पहले भी ऊँगली से हवस मिटाइ थी.. बार बार वो सूरज को चाय पीता हुआ सोचकर कामुक हो जाती.. मगर चाय पिने में ऐसा क्या था जो वो उत्तेजित हो गई थी? सुमित्रा ने एक नज़र जयप्रकाश को देखा और फिर खुद भी आँख बंद करके सो गई..
सूरज बिलाल की बातें सोच रहा था और उसे मन ही मन बिलाल के लिए बुरा लग रहा था.. वो नज़मा की बहुत इज़्ज़त करता था और उसके साथ कुछ ऐसा वैसा करने की सोच भी नहीं सकता था लेकिन बिलाल ने जो उसे मज़बूरी बताई थी उससे उसे हैरानी और बिलाल ओर अफ़सोस हो रहा था..
रात के बारह बजे तो सूरज के फ़ोन पर गरिमा का फ़ोन आ गया और सूरज बिलाल की बातों से निकल कर गरिमा का फ़ोन उठाते हुए उसे बात करने लगा..
बड़े झूठे हो आप तो देवर जी.. कहा था फ़ोन करोगे पर फ़ोन किया ही नहीं तुमने..
भाभी कहीं चला गया था.. सॉरी.. आपको अब तक जाग रही हो..मुझे लगा आपको सो गई होंगी..
ठीक है फिर मैं सो ही जाती हूँ.. गुडनाईट..
आप फिर से नाराज़ हो गई.. पता नहीं भईया कैसे संभालेंगे आपको.. आपको उनका जीना मुहाल कर दोगी..
मैं ऐसी हूँ देवर जी? तुम ये सोचते हो मेरे बारे में?
क्यों.. गलत सोचता हूँ भाभी? वैसे आप तो दस बजे सो जाती हो ना.. आज इतनी देर तक सिर्फ मुझसे बात करने के लिए जाग रही हो.. भईया को पता चलेगा तो शादी से पहले डाइवोर्स हो जायेगा आपका..
ठीक है तो फिर सो जाओ.. मैं भी सो जाती हूँ.. मैंने बस ये बताने के लिए फ़ोन किया था की तुम्हारी भेजा हुआ उपन्यास मैंने पढ़ना शुरू कर दिया है.. और मुझे पसंद भी आ रहा है.. और कुछ नहीं..
मुझे भी कुछ बताओ ना भाभी.. जो मैं भी पढ़ सकूँ..
हम्म.. मैं भी एक किताब भेजूंगी तुम्हे.. वो पढ़ना.. अब गुडनाइट.. बाए..
गुडनाईट भाभी.. स्वीट ड्रीम्स.. फ़ोन कट हो जाता है.. और सूरज सुबह पांच बजे का अलार्म सेट करके सो जाता है..
बिलाल और नज़मा के बीच आज बहुत लम्बी बातचीत हुई थी और बिलाल ने नज़मा को सूरज के साथ बच्चा करने के लिए मना लिया था.. नज़मा सूरज को पसंद करती थी मगर उस तरह नहीं पर अब नज़मा बिलाल की इज़ाज़त से सूरज के साथ सोने के लिए तैयार हो गई थी नज़मा को ये सब अजीब लग रहा था पर वो क्या कर सकती थी.. बिलाल उसका शोहर था और उसकी बात मानने के अलावा नज़मा के पास और कोई चारा भी ना था..
अगले दिन सुबह पांच बजे अलार्म से सूरज जाग गया और अपनी नींद तोड़ते हुए बाथरूम में जा घुसा.. आधे घंटे बाद ब्रश करके और नहाकर निकला फिर विनोद के दिए कपडे में से एक जीन्स और चेक शर्ट पहन कर विनोद की बाइक उठाकर सीधा रेलवे स्टेशन पहुच गया जहाँ उसे बरखा को लेके आना था..
गाडी 2 घंटा लेट थी.. सुबह सुबह का समय था लोग कम ही थे स्टेशन के आस पास लोग आ जा रहे थे सूर्य की पहली किरण अभी नहीं पड़ी थी फिर भी उजाला होने लगा था.. भोर का समय था..
सूरज स्टेशन के बाहर टहल रहा था की एक 35 साल की औरत उसके पास आ गई और बोली - भईया जी चलोगे क्या?
सूरज उसकी बात नहीं समझा और बोला - क्या?
औरत - चलोगे क्या.. करना है..
सूरज इस बार औरत को देखकर और उसकी बात सुनकर सब समझ गया और बोला - नहीं.. नहीं जाना..
औरत - भईया जी सिर्फ तीन सो दे देना..
सूरज - नहीं जाना ना.. जाओ यहां से..
औरत - भईया जी.. 200 दे देना.. आपको जो चाहिए वो करुँगी... चलिए ना..
सूरज चिढ़ते हुए - नहीं जाना ना.. जाओ यहां से..
औरत ने सूरज का हाथ पकड़ कर कहा - भईया सिर्फ सो दे देना..
सूरज हाथ छुड़ा कर गुस्से से - भोसड़ीवाली बोला ना तुझे नहीं करना मुझे जा यहां से.. बहनचोद चिपक रही है..
औरत इस बार बिन कुछ बोले सूरज से दूर हट जाती है और सूरज एक दूकान के पास जाकर एक चाय लेकर दुकान के पीछे खड़े होकर पिने लगता है तभी उसकी नज़र उस औरत पर पड़ी जिसे वो अभी गाली देखकर भगा रहा था..
औरत उसे कुछ दूर एक जगह बैठकर उदासी से रोने लगी थी जैसे उसका दिल बहुत दुखा हो..
सूरज ने उस औरत का रोना देखा ना गया और वो उस औरत के पास जाकर बैठ गया और बोला - रो क्यों रही है तू.. मेरा मन नहीं..
औरत - हमें कोनसा पसंद है भईया जी.. मज़बूरी में सब करना पड़ता है.. अकेली हूँ.. कल से कुछ खाया नहीं..
सूरज एक दो सो ना नोट देते हुए - अच्छा तुम ये लो कुछ खा लो.. मुझे गाली नहीं बकनी चाहिए थी.. माफ़ करना.
औरत पैसे लेकर - नहीं भईया जी.. हमारी तो आदत हो गई है.. आप चाहो तो मैं..
सूरज - मैंने कहा नहीं करना मुझे कुछ..
औरत - आप अच्छे आदमी है भईया जी..
सूरज - कहा से हो? कोनसा गाँव है?
औरत - हम बरेली से है.. हमारे पति के साथ आये थे मजदूरी करने पर वो तो पक्का शराबी है.. मज़बूरी है भईया जी..
सूरज - नाम क्या है तुम्हारा?
औरत - फुलवा भईया जी..
सूरज फुलवा के ब्लाउज में देखता हुआ - कहा रहती हो..
फुलवा - कहा रहेंगे? स्टेशन के उस पार छोटी सी झोपडी है वही रहती हूँ पति वही पड़ा रहता है..
सूरज - अगर कोई काम मिलेगा तो करेगी?
फुलवा - हमें कौन काम देगा भईया जी..
सूरज रमन को फ़ोन करके - तुझे वो गार्डन के लिए दो लोगों जरुरत थी ना..
रमन - सुबह सुबह ये बोलने के लिए फ़ोन किया है तूने?
सूरज - अरे एक बेचारी औरत है रख ले काम पर..
रमन - वही गार्डन भेज दे.. धरमु होगा वहाँ..
सूरह फोन काटकर फुलवा से - चल..
फुलवा - कहा भईया जी..
सूरज - तेरा सामान लेके आ जा.. काम दिलवाता हूँ तुझे.. रहना खाना भी वही पड़ेगा..
फुलवा - सच भईया जी.. मैं अभी लाती हूँ..
फुलवा वहा से चली जाती है और 10-15 मिनट बाद वापस वही आकर सूरज से मिलती है..
भईया जी.. मैं आ गई..
सूरज की नज़र फुलवा की छाती पर बड़े बड़े उभारो पर थी सुबह सुबह वो भी कामुक हो उठा था उसके मन में फुलवा के साथ कुछ करने का ख्याल नहीं आया था पर अब वो फुलवाके आम का रस पिने के बारे मे सोच रहा था..
सूरज - फुलवा ऐसे तो शायद तुझे काम नहीं मिलेगा.. कोई साफ कपडे है तेरे पास?
फुलवा - इस गठरी मे है भईया जी मैं बदल के आउ..
सूरज - नहाना भी पड़ेगा फुलवा.. चल..
सूरज फुलवा को वही आस पास होटल के कमरे मे ले आता है और फुलवा से नहा कर साफ कपडे पहनने को कहता है और फुलवा वैसा ही करती है.. साथ में सूरज कुछ खाने को भी मंगा लेता है..
फुलव जब नहाकर साथ कपड़े पहनती है तो सूरज उसके निखरे रूप को देखता ही रह जाता है.. सूरज फुलवा से खाने के लिऐ कहता है और फुलवा खाना खा कर बैठ जाती है..
फुलवा - भईया जी.. आप बहुत अच्छे है..
सूरज - अच्छा चल फुलवा.. मुझे वापस भी आना है.
सूरज फुलवा को उसी गार्डन में ले आया था और वहा धरमु से मिलवा देता है जहाँ फुलवा को छोटा मोटा काम मिल जाता है और उसके रहने खाने की व्यवस्था भी हो जाती है..
सूरज वापस स्टेशन जाता है और अब तक गाडी नहीं आई थी मगर आने की अनाउंसमेंट हो गई थी..
सूरज प्लेटफार्म पर खड़ा था और बरखा के आने का इंतजार कर रहा था..
बरखा ट्रैन से उतरती है तो सूरज उसकी तरफ बढ़ जाता है और बरखा के हाथ से उसका बेग लेता हुआ कहता है - लाओ दीदी मैं उठा लेता हूँ...
बरखा हनी को देखती तो एक पल हैरान होकर उसे गले से लगा लेती है और कहती है - हनी यहां कैसे?
बरखा 34
सूरज - आपको लेने आया हूँ दी.. यहां आने पर पता चला ट्रैन लेट है तो इंतजार कर रहा था.. चलो..
बरखा - तुझे किसने बताया मेरे आने का?
सूरज - काकी ने... उन्होंने ही तो कहा था आपको लाने के लिए..
बरखा सूरज को प्यार से - क्या करता है आजकल? कोई जॉब मिली या नहीं तुझे?.
सूरज - नहीं दी.. आपको तो जानती हो मुझे. मैं पढ़ाई में केसा हूँ..
बरखा - क्या करने का इरादा है जनाब का?
सूरज - अभी सोचा नहीं दी..
बरखा बाइक ओर बैठती हुई - तो कब सोचेगा हीरो.. इतना बड़ा हो गया है अब भी ऐसे घूमता है शर्म नहीं आती तुझे?
सूरज - आप तो आते ही ताने मारने लगी दी..
बरखा - तो क्या करू? तेरी आरती उतारू? जब मेरा हनी ऐसे बेकार घूमेगा तो गुस्सा नहीं आएगा मुझे? अच्छा उस चिंकी सेतो दूर है ना तू? अब तो परेशान नहीं करती ना वो तुझे?
सूरज - अब सब ठीक है दी.. आपको अकेली क्यों आयी हो? और किट्टू कहा है?
बरखा - किट्टू अपने पापा के पास है.. उसको आने का मन ही नहीं था.. अच्छा सुन उस पान वाले के पास रोक..
सूरज बाइक रोकते हुए - क्या हुआ दी..
बरखा - एक सुट्टा फुकना है.. बरखा पान वाले से एक सिगरेट लेकर जलाते हुए साइड में आकर पिने लगती है..
सूरज - आप अब भी सिगरेट पीती हो?
बरखा कश लेती हुई - तू घर पर बताना मत..
सूरज - पहले कभी बताया है क्या?
बरखा - अच्छा गर्लफ्रेंड बनाई तूने कोई या अभी भी अपने हाथ से जयकारे लगाकर बाथरूम की दिवार खराब करता है?
सूरज - दी यार कैसी बातें कर रही हो..
बरखा मुस्कुराते हुए सिगरेट पीकर - ओ हो.. अभी भी वैसे ही शर्माता है तू तो.. नहीं पटी ना तुझसे कोई?
सूरज - आप ना छोडो ये बात और सिगरेट ख़त्म करो ताकि घर चले..
बरखा सिगरेट का एक कश लेकर - चल..
सूरज - इसे तो ख़त्म करो..
बरखा - बाइक पर हो जायेगी हनी.. चल..
सूरज - बड़े शहर की हवा लग गई आपको...
बरखा हसते हुए - ऐसा होता ना तो तेरी दीदी सलवार कमीज़ में नहीं बल्कि हाफ टॉप और छोटी सी स्कर्ट में आती..
सूरज - आप पहनती हो स्कर्ट?
बरखा आखिरी कश लेकर सिगरेट फेंकते हुए - तू देखना चाहता है मुझे स्कर्ट में?
सूरज - मैंने ऐसा तो नहीं कहा..
बरखा अपने होंठ सूरज के कान के पास लाकर - दस साल बड़ी बड़ी हूँ तुझसे.. तुझे टूशन भी पढ़ाया है मैंने याद रखना.. कोई और नहीं पट रही तो मेरे ऊपर लाइन मत मारने लग जाना..
सूरज हसते हुए - दी.. आप फ़िक्र मत करो.. मैं सेकंड हैंड का चीज़ो शौकीन नहीं हूँ..
बरखा पीछे से एक टपली मारते हुए - मैं सेकंड हैंड हूँ..
सूरज - क्यों शादी नहीं हुई आपकी? सेकंड हैंड ही हुई ना..
बरखा सूरज कान को चूमते हुए - तुझे ना टूशन में डंडे से पीटना चाहिए था.. क्यूट कमीना.. इतना प्यारा और हैंडसम हो गया पर लड़कियों से बात करना भी नहीं आया अभी तक..
सूरज बात करते करते बरखा को उसके घर छोड़ देता है और रास्ते में उसे सुमित्रा का फ़ोन आता है तो वो सुमित्रा के कहने पर अपनी बुआ अनुराधा को लेने चला जाता है और अनुराधा को लेकर वापस अपने घर आ जाता है दस बज गए थे...
अनुराधा हॉल में सोफे पर बैठ गई और सूरज अपने कमरे में चला गया..
सुमित्रा ने दो कप चाय छन्नी की एक अनुराधा को दिया और दूसरा कप लेकर अपने कमरे में आ गई और दरवाजा बंद करके अपनी शाडी उठाकर गर्म गर्म चाय के कप में थोड़ा सा अपना मूत मिला दिया और फिर वो कप ले जाकर ऊपर सूरज को देते हुए बोली - हनी.. ले.. चाय पिले..
सूरज चाय पिने लगा तो सुमित्रा कल की तरह आज भी सूरज को अपना मूत मिली चाय पीते देखकर उत्तेजित हो गई और वापस अपने कमरे में आकर सूरज को याद करके ऊँगली से अपनी नदी का पानी निकाल दिया... कुछ देर बाद सुमित्रा अनुराधा और सूरज मार्किट निकल गए...
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अंकुश - नीतू याद है ना कोर्ट में क्या बोलना है?
हाँ हाँ.. मुझे सब याद है अक्कू.. तू फ़िक्र मत कर उसकी तो ऐसी बैंड बजाउंगी ना मैं.. याद रखेगा.. साला हाथ उठाता था ना..
अंकुश नीतू को बाहों में लेता हुआ - एक बार फिर से सोच ले नीतू.. जोगिंदर पति है तेरा.. तुझे वापस घर ले जाने को तैयार है.. तू चाहे तो वापस अपनी गृहस्थी बसा सकती है..
नीतू अंकुश के होंठो चूमकर - वो मेरे ऊपर हाथ उठाता था मैं चुप थी बर्दाश्त कर रही थी.. मगर उसने नशे में जब तेरे ऊपर... मेरे भाई... मेरे अक्कू के ऊपर हाथ उठाया तो चुप नहीं रह सकती.. उसे तो मैं पागल कर दूंगी देखना तू..
अंकुश - तो क्या जिंदगी भर यहां अकेली रहेंगी? शादी तो करनी पडती है ना नीतू.. फिर तुझसे शादी कौन करेगा?
नीतू अंकुश की कॉलर पकड़कर गुस्से मे - तू करेगा और कौन करेगा.. मुझे तेरे अलावा कोई नहीं चाहिए.. मैं खुश हूँ इसी तरह तेरे साथ.. घर में भी और बिस्तर में भी.. वैसे तेरा कहीं चक्कर तो नहीं है ना.. पहले बता रही हूँ बहुत मारूंगी तुझे.. मेरे अलावा किसी को देखा भी तो..
अंकुश - शादी करेगी? जब किसी पता चलेगा ना एक 27 साल की बहन अपने 24 साल के भाई से शादी करना चाहती है तो कोई जीने तक नहीं देगा..
नीतू - किसीको बताना ही क्यों है? हम यहां से कहीं और चले जाएंगे.. वही रहेंगे.. शादी करके..
अंकुश - और मम्मी? उनका क्या? उनको जब पता लगेगा तब क्या होगा? हमारे बारे में पता लगते ही ना जाने क्या करेगी?
नीतू - उनकी चिंता तू मत कर अक्कू मैं सब संभाल लुंगी.. बस एक बार ये दोनों केस निपट जाए और पैसा हाथ में आ जाए..
अंकुश - चल वकील साहिबा का फ़ोन आ रहा है..
नीतू - चल..
अंकुश नीतू को बाइक ओर बैठाकर कोर्ट आ जाता है और वकील से मिलता है..
नीतू आज बयान है.. याद है ना?
हाँ मैडम.. याद है और क्या बोलना ये अच्छे से रट लिया है..
वैरी गुड.. अच्छा अंकुश फीस?
अंकुश 2 हज़ार देते हुए - मैडम..
वकील साहिबा - ये क्या है अंकुश तुझसे कहा था कम से कम 5 चाहिए तू 2 लेके आया है..
नीतू - मैडम केस जिताओ ना.. फिर आप पूरी फीस दे देगे.. 3 साल से कोर्ट आ आकर चप्पल गिस गई है.. सुना है समझौता करना चाहता है वो..
वकील साहिबा - दो दो केस लगाए है.. समझौते के लिए बोलेगा ही..
नीतू - एक बार समझोते की बात करके देखते है.. मैडम..
वकील साहिबा - बयान के बाद करते है.. देखते है क्या कहता है..
अंकुश - मैं निकलता हूँ नीतू.. तू कैब करके आ जाना..
नीतू - आराम से जाना अक्कू..
वकील साहिबा - सिंगल है क्या तेरा भाई..
नीतू - क्यों?
वकील साहिबा - नहीं बस ऐसे ही पूछा.. सही लगता है...
नीतू - उसका ख्याल छोड़ दो.. वो पुलिस और वकील
और फैमिनिस्ट टाइप की औरतों से दूर ही रहता है..
वकील साहिबा - अच्छा? कोई चांस नहीं है.. मतलब अगली बार से पूरी फीस लेनी पड़ेगी.. चलो.. कोर्ट में चलते है..
ब्यान रिकॉर्ड करवाने के बाद वकील साहिबा नीतू को लेकर उसके पति जोगिंदर के साथ समझौते के लिए बैठ जाती जहाँ और भी बाकी लोग थे जो रिस्तेदार थे..
जोगिंदर की माँ - नीतू ये सब बंद कर दे बेटा.. चल घर चल.. तुझे कोई कुछ नहीं कहेगा.. जोगिंदर भी सुधर चूका है..
नीतू - जिसके लिए बैठे है वो बात करिये..
नीतू इतनी सी बात कर लिए ये सब क्यों कर रही है? क्या ये सब तुझे अच्छा लगता है.. हम शरीफ घर से है..
अच्छा.. बेटा शराब पीकर बीवी से मारपीट करता है और माँ कहती है हम शरीफ घर से है वाह.. 2 साल तक मेरे साथ जो जो हुआ मैं सब सहती रही.. कभी कुछ नहीं बोला.. मगर मेरे अक्कू पर हाथ उठाने की हिम्मत कैसे हुई? वो तो बेचारा उस रात शराब पिने से रोक रहा था बस..
नीतू जो गया सो हो गया.. मैं वादा करता है हूँ अब वैसा कुछ नहीं होगा.. चल वापस.. मैं अंकुश से भी माफ़ी मांग लूंगा.. पर ये सब मत कर..
कोई जरुरत नहीं है मेरे भाई से माफ़ी मांगने की.. वो तो उस दिन मेरे खातिर चुप रहा.. वरना तेरे जैसे को मेरा अक्कू एक थप्पड़ में धूल चटवा दे.. अब जो बात करने बैठे वो करो.. मेरे पास टाइमपास नहीं है..
तुम बताओ.. क्या हो सकता है..
बताना क्या है? पहले ही कहा है.. 15 लाख..
मैं 8 देने को तैयार हूँ..
नीतू - मुझे मंज़ूर नहीं है.. चलिए मैडम..
रुको नीतू.. देखो तुम जानती हमारी हालात.. हम कहा से लाएंगे इतने पैसे?
क्यों? हम लोगों से पूछा था हम दहेज़ कहा से लाएंगे? शादी कैसे करेंगे? तब तो कह रहे थे शादी धूम धाम से होनी चाहिए..
देखो नीतू.. तुम समझो.. दो साल तुम रही हो तुम अच्छे से जानती हो हमारी क्या हैसियत है..
रही नहीं हूँ काटे है मैंने दो साल.. मुझे मंज़ूर नहीं है तो नहीं है.. हम कोर्ट में देख लेंगे सब..
नीतू ऐसे ज़िद तो मत करो.. तुम जानती हमारे पास 15 लाख नहीं है और कहा से आएंगे? देखो तुम भी नहीं चाहती यहां बार बार आना ना पड़े.. जो हम दे सकते है कम से काम वो तो मांगो.. देखो 8 तुम चाहो तो कल ही तुम्हे मिल जायेगे.. और लाख डेढ़ लाख मैं कहीं से कर तुम्हे दे दूंगा पर ऐसा मत करो हमारे साथ.. हम थक गए है..
मंज़ूर नहीं है.. चलिए मैडम..
समझौता नहीं होता और नीतू वापस आ जाती है..
वकील साहिबा - 10 तक तो आ गया.. मैं वापस बात करूंगी..
नीतू - मैडम मुझे 13 दिलवा दो ऊपर जो मिले आप रख लेना.. जानबूझकर गरीबी दिखा रहे है सब.. गाँव में जमीन पड़ी है.. किराए पर कमरे दे रखे है और कहते है हैसियत नहीं है.. दवाब पड़ेगा तो सब अकल आ जायेगी इनको..
वकील साहिबा - ठीक है मैं बात करती हूँ..
नीतू टेक्सी लेकर निकल जाती है और वकील साहिबा सामने वाली पार्टी के वकील को फ़ोन करती है..
हाँ आंनद जी.. मेरी पार्टी कह रही है साढ़े 14 तक समझौता हो सकता है.. आप अपनी पार्टी को समझा देना.. अगर माने तो ठीक है वरना कोई बात नहीं..
मेरी पार्टी 11 देने को तैयार है.. अपनी अपनी वाली को थोड़ा तोड़िये ना..
आंनद जी.. आप मेरे सीनियर है मैं आपके लिए 14 तक ला सकती हूँ पर उससे कम आप उम्मीद मत कीजियेगा..
ठीक मैं देखता हूँ.. फोन काटते हुए.. देखो भाई जोगिंदर बात ऐसी है.. 2 केस जो तुम्हारे ऊपर लगे है वो उनकी तरफ से बहुत स्ट्रांग है.. जब भी जज फैसला करेगा तुम्हे सो प्रतिशत सजा होगी और नीतू को पैसे देने पड़ेंगे.. 14 पर वो मान रहे है.. अब तुम देख लो.. तुम्हे क्या करना है.. मैं चलता हूँ...
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सगाई है शादी नहीं.. इतना क्या खरीद रही हो आप.. मैंने कल कहा था.. शाम कर दोगी और कर दी आपने शाम..
बस हो गया हनी.. दीदी.. ये अच्छा है ना..
हाँ सुमित्रा.. अनुराधा ने कहा..
सूरज शॉपिंग के बार जब सुमित्रा और अनुराधा को घर लेकर आया तो शाम के साढ़े पांच बज गए थे..
क्या भाई विनोद.. सबको सगाई का कार्ड व्हाट्सप्प कर रहे हो मुझे नहीं करोगे?
सबसे पहले आपको ही किया था सर.. आपकी जी हुज़ूरी नहीं करूँगा तो प्रमोशन कैसे मिलेगा..
मज़ाक़ मज़ाक़ में सच बोल जाते हो विनोद.. चलो मिलता हूँ..
सर मैं जानता हूँ आप बड़े बिजी हो पर पक्का आना है आपको.. समय निकालना थोड़ा आप आओगे तो अच्छा लगेगा..
मैं जरुर आऊंगा विनोद..
विनोद ने अपने दोस्तों और ऑफिस के स्टाफ को कार्ड व्हाट्सप्प कर दिया था वही जयप्रकाश भी अपने ऑफिस जहाँ वो सरकारी बाबू था यही काम कर रहा था..
जयप्रकाश ने सबको कार्ड व्हाट्सप्प कर दिया था.. और अब अपनी अधिकारी के चम्बर के बाहर खड़ा था..
मैडम..
एक लड़की जिसका कुछ महीने पहले ही सिलेक्शन हुआ था वो किसी सरकारी कागज को देख रही थी और जयप्रकाश के चम्बर में आने ओर उसे देखकर बोली..
हां.. जयप्रकाश जी.. आप घर गए नहीं अभी तक? छः तो बज चुके है ना..
साढ़े छः बज चुके है मैडम..
तो आप क्यों रुके हुए है अब तक? मैंने तो रुकने के लिए नहीं कहा..
जी मैडम दरअसल कुछ कहना था आपसे..
हाँ.. कहिये क्या बात है.. छुट्टी चाहिए? लाइये अप्लीकेशन दीजिये मैं sign कर देती हूँ..
जयप्रकाश एप्लीकेशन देते हुए मैडम इस शुक्रवार शनिवार की छुट्टी चाहिए.. ये एप्लीकेशन है..
लीजिये sign कर दिए है आपकी एप्लीकेशन पर..
मैडम एक कार्ड भेजा है आपको व्हाट्सप्प पर..
केसा कार्ड?
मेरे बड़े बेटे की सगाई का कार्ड मैडम.. उसी के लिए छूटी ले रहा हूँ..
मुबारक हो जयप्रकाश जी..
आप आएगी तो अच्छा लगेगा मैडम..
मैं जरुर आउंगी जयप्रकाश जी.. आप इतने ईमानदार है इतनी मेहनत से काम करते है.. घर फंक्शन है आपने इतने प्यार से बुलाया है आना तो पड़ेगा ही..
शुक्रिया मैडम..
जयप्रकाश घर आ जाता है..
अगले 4 दिन ऐसे ही गुजर जाते है और सब कुछ वैसे ही चलता रहता है..
सुबह 10 बज रहे थे और सूरज कहीं जाने की तैयारी में था..
कहा जा रहा है हनी?
सुमित्रा ने चाय लेकर कमरे में आते हुए कहा तो सूरज ने चाय का कप लेकर पीते हुए कहा - गार्डन जा रहा हूँ माँ.. शाम की तैयारियां हो गई या नहीं वो भी देख लूंगा..
सुमित्रा - बेटू.. तेरे पापा देख रहे है सब वहा..
सूरज - एक बार में भी देख लेता हूँ ना... वरना एन मोके आप सब मुझे ही बोलोगे..
सुमित्रा - अच्छा तूने मुन्ना को काम दिया हलवाई का? उस दिन कितना कुछ बोल के गया था वो यहां तेरे बारे में.. अपनी बहन की गलती तो उसे दिखी ही नहीं..
सूरज चाय का कप रखकर जाते हुए - छोडो ना माँ.. पुरानी बातों को भूल जाओ.. अच्छा मैं निकलता हूँ.. दिन तक वापस आ जाऊंगा.. जो मेहमान आये है आप उनको सम्भालो...
सूरज चला जाता है और सुमित्रा सूरज के कमरे से लगे हुए उसके बाथरूम में चली जाती है जहाँ वो पहले सूरज के चाय पिए हुए कप को चाटती है और फिर उसकी नज़र एक चड्डी पर पडती है जो सूरज की थी.. सुमित्रा बिना कुछ सोचे सूरज की चड्डी उठाकर उसके उस हिस्से को चाटने लगती है जो सूरज के लिंग और आंड से चिपक कर रहता था..
सुमित्रा की इन हरकतो में दिन ब दिन बढ़ोतरी हो रही थी और वो इन सब से वाकिफ भी थी मगर वो ये सब अकेले में ही किया करती थी और सबके सामने सभ्य और संस्कारी बनकर ही रहती थी.. उसने अपने मन के गिल्ट को अब दबा कर मार डाला था और सोच लिया था की वो ऊपरी तौर पर वैसे ही रहेंगी जैसे रहती आई है मगर अंदर अकेले में वो अपनी fantasy को जियेगी..
सुमित्रा सूरज के बाथरूम में नीचे बैठ गई और अपनी शादी कमर तक उठाकर अपनी चुत में ऊँगली करते हुए आँख बंद करके सूरज की चड्डी चाटती हुई सोच रही थी कि जैसे वो सूरज का लिंग पकड़ कर चाट रही हो.. उसकी कल्पनाओ ने उसे जल्दी ही झड़वा दिया और सुमित्रा फिर से सभ्य नारी बनाकर सूरज कि चड्डी रखते हुए कप लेकर नीचे रसोई में आ गई और उसे धोकर रख दिया.. घर में मेहमानो का ताता लगा हुआ था.. जो ख़ास ख़ास रिस्तेदार थे सभी आये हुए थे..
सूरज के घर से निकलते ही उसका फ़ोन आ गया और सीधा अंकुश के बुलाने पर बिलाल कि दूकान पर जा पंहुचा..
भाई क्या हुआ? फिर से गायब हो गया था तू.. ज्यादा जोर से मारा था क्या काकी ने उस दिन? अंकुश ने मज़ाक़ करते हुए पूछा..
सूरज कुर्सी पर बैठता हुआ बोला - भोस्डिके पड़ी तो तेरे भी थी.. भुल गया या याद दिलाऊ?
बिलाल सूरज के कंधे पर अपने दोनों हाथ रखकर उसके कंधे की मालिश करता हुआ बोला - सारी तैयारी हो गई क्या हनी?
बिलाल और सूरज के बीच उस रात के बाद बात नहीं हुई थी और दोनों ही मन में जानते थे की उस दिन दोनों के बीच क्या बातचित हुई थी मगर दोनों ने अंकुश के सामने उसका जिक्र न करते हुए उस बात से अनजान बनकर ही बात करना सही समझा..
सूरज - हाँ बिल्ले सब हो चूका.. सबको बोल दिया है.. तुम दोनों को बोलने की जरुरत नहीं है..
अंकुश - भाई फॅमिली के साथ आएंगे डोंट वोर्री.. अच्छा यार घर से नीतू का फ़ोन आ रहा है मम्मी को डॉक्टर के लेके जाना है.. मैं तुमसे शाम को मिलता हूँ..
अंकुश के जाने के बाद दूकान में सन्नाटा पसर जाता है और सूरज और बिलाल दोनों चुपचाप हो जाते है.. बिलाल सूरज के कंधे और गर्दन दबाते हुए मसाज कर रहा था और अब उसने कुछ देर बाद ख़ामोशी तोड़कर कुछ बोल दिया जो सूरज नहीं सुनना चाहता था और उसीके करण वो कुछ दिनों से दूकान पर भी नहीं आ रहा था..
बिलाल - हनी.. मैंने नज़मा को मना लिया है..
सूरज - बिल्ले.. नहीं यार.. मैं कर पाऊंगा..
बिलाल - भाई देख.. बस ये आखिरी अहसान कर दे मैं हमेशा तेरा अहसानमंद रहूँगा.. उस दिन तुझे लगा होगा मैं नशे में वो सब कह रहा हूँ पर नहीं.. मैंने ये सब सोच समझ कर ही कहा है..
सूरज - मुझे थोड़ा समय दे बिल्ले.. हम इस बारे में बाद में बात करेंगे..
बिलाल दूकान का शटर नीचे कर देता है और अंदर जाकर नज़मा कुछ बात करके वापस आकर सूरज के कंधे दबाते हुए कहता है - ठीक है हनी तू सोच ले.. मैं सगाई के बाद तुझसे इस बारे में बात करूंगा..
थोड़ी देर बाद नज़मा चाय लाती हुई - जी चाय..
बिलाल - यहां रख दे..
सूरज ने आईने में नज़मा को देखा तो पाया की आज नज़मा ने नकाब नहीं पहना था और ना ही दुपट्टा लिया था... उसकी खूबसूरती आज बेपर्दा सूरज की आँखों के सामने थी वो समझ गया था की बिलाल ने ही उसे इस तरह उसके सामने आने को कहा होगा....
नज़मा चाय रखकर जाने लगती है तो बिलाल उसे कहता है - नज़मा.. मैं ऊपर अम्मी को देखकर आता हूँ तू तब तक दूकान मे झाडू लगा दे..
बिलाल दूकान के अंदर वाले दरवाजे से होकर ऊपर छत पर चला जाता है और सिगरेट के कश लेते हुए कुछ सोचने लगता है वही नज़मा अपने हाथ मे झाडू उठाते हुए कहती है..
नज़मा - चाय पिजिये ना.. ठंडी हो जायेगी..
सूरज चाय का कप उठाकर पिने लगता है और दोनों में कोई और बात नहीं होती.. सूरज कुछ भी बोलने से झिझक रहा था मगर उसकी नज़र नज़मा की सुडोल और उन्नत चूचियों पर थी जिसका अहसास नज़मा को अच्छे से था..
नज़मा ने आईने में हनी की सूरत देखकर उसके मन के भाव पढ़ लिए और आगे कहा - चाय कैसी बनी है?
सूरज ने अपनी नज़र को नगमा की चूचियों से नज़मा की आँखों मे फेर लिया और कहा - बहुत अच्छी..
दोनों में आगे कोई बात नहीं होती और सूरज चाय ख़त्म करके कहता है - भाभी मैं चलता हूँ..
नज़मा हनी का हाथ पकड़ कर मुस्कुराते हुए - भाईजान..
सूरज - भाभी.. रहने दो..
नज़मा - भाईजान.. बिलाल ने आपसे जो कहा है एक बार आप सोचना उस बारे में.. बिलाल अच्छे इंसान है.. आपको बहुत मानते है..
सूरज - भाभी मैं आपके साथ..
नज़मा - भाईजान.. मज़बूरी में हम क्या कुछ नहीं करते? मैंने ही बिलाल से आपको वो सब कहने के लिए कहा था..
सूरह हैरानी से - भाभी..
नज़मा हनी के करीब आकर - भाईजान.. कुछ दिनों की बात है..
सूरज जाते हुए - शाम को सगाई में जरुरत आना भाभी..
नज़मा - मैं जरूर आउंगी भाईजान.. शायद शाम को आपका मन भी बदल जाए..
हनी नज़मा के सम्मोहन में आ गया था और उसे नज़मा के साथ कुछ रात सोने में अब कोई बुराई नहीं दिख रही थी मगर वो अपने जिगरी दोस्त की बीवी के साथ ये सब करना भी गलत मानता था.. नज़मा ने जिस तरह इठला कर और प्यार से बात की थी उसने सूरज को कामुक कर दिया था और सूरज कहीं अपना नियंत्रण ना खो दे इसलिए वो दूकान से निकल गया था.. मगर दूकान से निकल कर वो गार्डन जाने की बजाये सीधा मुन्ना के घर चला गया.. उसे पता था मुन्ना और नेहा गार्डन में अपने लोगों को खाना बनाने की तैयारी करवाने में व्यस्त होंगे..
दरवाजा चिंकी ने ही खोला और सूरज चिंकी को उठाकर सीधा उसके रूम में ले गया और उसके होंठों चूमते हुए बिस्तर में उसके साथ गिर गया.. चिंकी सूरज को ऐसा करते देखकर हैरान थी मगर उसे सूरज का ये रूम अच्छा लग रहा था चिंकी ने भी झट से सूरज और अपने कपड़े उतार दिए और सूरज के लंड को अपनी चुत में घुसाके सूरज के लबों को अपने लबों से मिलाकर काम के सागर में गोते खाने लगी..
सूरज चिंकी को आज वो सुख अपनेआप दे रहा था जो चिंकी उसे हमेशा छीनकर लेती थी..
चिंकी ने अपना चुचा सूरज के मुंह में दे दिया और उसे चूसाते हुए बोली - आज तो तू मेरी जान लेने के इरादे से आया है मेरे हीरो.. अह्ह्ह.. मार दी डालेगा मुझे तू आज..
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सूरज चिंकी की बातों को अनसुना करके उसके बदन को भोग रहा था और अब उसने चिंकी को घोड़ी बनाकर पीछे से झटके मारना शुरू कर दिया.. सूरज को नज़मा का भोला सा मासूम चेहरा याद आने लगा जो उसने अभी अभी देखा था और वो हसरत भरी निगाहे जिससे नज़मा सूरज को देख रही थी.. सूरज फूल स्पीड में झटके मार रहा था जिसकी आवाज कमरे से बाहर जाने लगी थी..
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अह्ह्ह.. अह्ह्ह.. उम्म्म्म... अह्ह्ह.. आज क्या कोई गोली खाके आया है क्या हनी.. अह्ह्ह.. ऐसे चोद रहा है जैसे जोनी सीन्स का भी बाप हो... अह्ह्ह..
चिंकी की चुत झड़ झड़ के गीली हो चुकी थी मगर सूरज अब तक नहीं झड़ा था..
सूरज चिंकी की चुत से लंड निकाल कर चिंकी के बाल खींचते हुए उसके मुंह में लंड डालके चिंकी का मुंह चोदने लगा.. सूरज को चिंकी के चेहरे में नज़मा का चेहरा नज़र आने लगा था और उसका दिल जोरो से धड़कते हुए मचलने लगा था.. कुछ देर मुंह चोदकर सूरज चिंकी को मिशनरी में चोदने लगा..
आज फाड़ देगा क्या अपनी चिंकी को चुत को हनी? अह्ह्ह.. कब से कर रहा है.. आज क्या हुआ है तुझे? अह्ह्ह्ह.. अह्ह्ह्ह.. उई.. मममम्मा.. अह्ह्ह्ह.. आई लव यू हनी..
सूरज ने चिंकी चुत चोदते हुए ये तय कर लिया था कि वो नज़मा कि गोद जरुर भरेगा और नज़मा को माँ बनायेगा.. मगर अब अभी तो वो चिंकी को माँ बनाने के इरादे से चोद रहा था और अब झड़ने कि कगार पर था..
चिंकी अपनी चुत में अंदर तक सूरज के लंड को महसूस कर अपनी अदखुली कामुक आँखों से सिसकियाँ भरती हुई सूरज के झड़ने का इंतजार कर रही थी वो खुद कई बार झड़ी थी मगर अब सूरज उसकी चुत में झड़ने लगा था.. चिंकी को सूरज के वीर्य की धार अपने अंदर महसूस होने लगी थी.. सूरज ने अपना सारा माल चिंकी की चुत में भर दिया और लम्बी लम्बी साँसे लेता हुआ उसके ऊपर गिर गया..
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चिंकी सूरज के चेहरे को हल्का सा उठाया और साइड में पड़ी अपनी चड्डी से उसके चेहरे पर आ रहा पसीना पोछ दिया और उसके होंठो को चूमकर बोली - कमीने तू ऐसा ज़ालिम मर्द होगा मुझे पता नहीं था.. आज तो बदन तोड़ कर रख दिया तूने मेरा पूरा.. आज लग रहा है मैं लड़की हूँ और तू लड़का..
सूरज चिंकी को देखता हुआ - छोड़ मुझे.. जाना है..
चिंकी अपनी बाहों से सूरज को आजाद करती हुई - हाज़िरी लगाने आते रहना हनी..
सूरज - शाम को मिलूंगा..
चिंकी - मैं नहीं आउंगी..
सूरज - क्यों?
चिंकी हसते हुए - तेरी मम्मी ने मुझे देख लिया तो जान से ही मार डालेगी मुझे..
सूरज चिंकी के ऊपर से उठता हुआ उसकी चुत से लंड निकालकर जैसे ही बेड से नीचे उतर कर खड़ा होता है कमरे के दरवाजे से चिंकी की माँ रमा अंदर आ जाती है देखती है की...
कमरा पूरा अस्त व्यस्त था बेड पर चिंकी नंगी लेटी हुई थी और उसकी चुत से थोड़ा वीर्य निकल रहा था बेड के साइड में सूरज नंगा खड़ा था जिसका लम्बा मोटा लंड भी वीर्य से सना हुआ था..
रमा ये देखकर गुस्से से भर गई और अपनी चप्पल निकालकर सूरज और चिंकी को मारने लगी..
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