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Incest घर की मोहब्बत

Vishalji1

I love lick😋women's @ll body part👅(pee+sweat)
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Gjb mind-blowing rapchik update
 

BRC

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Gajab update ,Gajab story Line and Character build up , Characters like chinki and brakha they are dream girls of every next door teenage boy And also thanks for posting regular update , I hope you post with the same pace further
 

BRC

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sunoanuj

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Bahut hi jabardast update … fir fans gaya is chinki ke chakkar me …

👏🏻👏🏻👏🏻
 

king1969

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Bahut hi mazedar update
 

insotter

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Update 5


बिलाल सूरज के गले लागकर - भाई मैं तेरा ये अहसास कभी नहीं भूलूंगा यार.. तूने मेरे लिए इतना सब किया है और अब भी कर रहा है..

सूरज - बिल्ले.. छोड़ यार.. बाद में बात करते है..

सूरज बिलाल की दूकान से अपने घर आ जाता है और अब तक विनोद और जयप्रकाश दोनों सो चुके थे दरवाजा सुमित्रा ने खोला और सूरज सुमित्रा से बचते हुए होने कमरे में आ गया.. सुमित्रा जान गई थी की सूरज ने शराब पी है मगर उसने कुछ ना कहा..

सूरज कपड़े बदल कर गद्दे पर आ गया और जैसे ही उसने फ़ोन उठाया उसके कमरे के दरवाजे पर सुमित्रा खाना लेकर आ गई और अंदर आते हुए बोली - बेटू जी खाना भी खाना है या सिर्फ पीके सोने का ही इरादा है?

सूरज सुमित्रा को देखकर हड़बड़ाते हुए - माँ.. आप..

सुमित्रा गद्दे ओर बैठकर - चल खाना खा ले.. मुझे पता ही था आज तू कहीं पार्टी वार्टी करके आएगा..

सूरज शर्म से - आपको कहा था ना वेट मत करना..

सुमित्रा अपने हाथ से निवाला खिलाते हुए - क्यों ना वेट करू? मेरा इतना प्यारा जवाँ बेटा देर तक घर से बाहर था.. वैसे कहा पार्टी कर रहा था? कोई लड़की भी थी साथ मे?

सूरज - माँ...

सुमित्रा - अच्छा मत बता..

सूरज खाने की थाली लेते हुए - मैं खा लूंगा आप जाओ.. सो जाओ.. इतना देर तक जागोगी तो सुबह देर से उठोगी...

सुमित्रा - हा हा भगा अपनी माँ को अपने पास से.. दो पल साथ में बैठु तो तुझे पसंद नहीं आता.. आएगा भी क्यों.. मैं कोई लगती थोड़ी हूँ तेरी..

सूरज खाना खाते हुए - रहने दो इतना नाटक मत करो.. बैठ जाओ.. कुछ नहीं कहता..

सुमित्रा मुस्कुराते हुए - कल मेरे साथ मार्किट चलेगा ना? सगाई के कपड़े लेने है.. बुआ भी आएगी.. तेरे लिए कोई अच्छा सा सूट भी ले लेंगे..

सूरज - नहीं नहीं.. मैं कहीं नहीं जाने वाला.. आपके साथ जाउगा तो सुबह की शाम हो जायेगी..

सुमित्रा - बड़ा बिजी है ना तू.. जो कुछ बिगड़ जाएगा.. चल ना हनी.. वैसे भी घर पर ही तो रहेगा..

सूरज खाने की प्लेट वापस देते हुए - नहीं मतलब नहीं.. भईया को ले जाना ना..

सुमित्रा - और उसकी जगह ऑफिस तू जाएगा?

सूरज - अच्छा ठीक है चल चलूँगा.. अब खुश आप?

सुमित्रा सूरज के गाल चूमकर - बहुत खुश..

सूरज - माँ लाइट बंद कर देना जाते हुए..

सुमित्रा लाइट ऑफ करके दरवाजा लगाकर नीचे आ जाती है रसोई में प्लेट धोकर रखती हुई कुछ सोचने लगती है फिर अपने कमरे में जाकर लेट जाती है उसकी आँखों में नींद नहीं थी वो जो सोच रही थी उसने उसे कामुक कर दिया था मगर उसने कुछ देर पहले भी ऊँगली से हवस मिटाइ थी.. बार बार वो सूरज को चाय पीता हुआ सोचकर कामुक हो जाती.. मगर चाय पिने में ऐसा क्या था जो वो उत्तेजित हो गई थी? सुमित्रा ने एक नज़र जयप्रकाश को देखा और फिर खुद भी आँख बंद करके सो गई..

सूरज बिलाल की बातें सोच रहा था और उसे मन ही मन बिलाल के लिए बुरा लग रहा था.. वो नज़मा की बहुत इज़्ज़त करता था और उसके साथ कुछ ऐसा वैसा करने की सोच भी नहीं सकता था लेकिन बिलाल ने जो उसे मज़बूरी बताई थी उससे उसे हैरानी और बिलाल ओर अफ़सोस हो रहा था..

रात के बारह बजे तो सूरज के फ़ोन पर गरिमा का फ़ोन आ गया और सूरज बिलाल की बातों से निकल कर गरिमा का फ़ोन उठाते हुए उसे बात करने लगा..

बड़े झूठे हो आप तो देवर जी.. कहा था फ़ोन करोगे पर फ़ोन किया ही नहीं तुमने..

भाभी कहीं चला गया था.. सॉरी.. आपको अब तक जाग रही हो..मुझे लगा आपको सो गई होंगी..

ठीक है फिर मैं सो ही जाती हूँ.. गुडनाईट..

आप फिर से नाराज़ हो गई.. पता नहीं भईया कैसे संभालेंगे आपको.. आपको उनका जीना मुहाल कर दोगी..

मैं ऐसी हूँ देवर जी? तुम ये सोचते हो मेरे बारे में?

क्यों.. गलत सोचता हूँ भाभी? वैसे आप तो दस बजे सो जाती हो ना.. आज इतनी देर तक सिर्फ मुझसे बात करने के लिए जाग रही हो.. भईया को पता चलेगा तो शादी से पहले डाइवोर्स हो जायेगा आपका..

ठीक है तो फिर सो जाओ.. मैं भी सो जाती हूँ.. मैंने बस ये बताने के लिए फ़ोन किया था की तुम्हारी भेजा हुआ उपन्यास मैंने पढ़ना शुरू कर दिया है.. और मुझे पसंद भी आ रहा है.. और कुछ नहीं..

मुझे भी कुछ बताओ ना भाभी.. जो मैं भी पढ़ सकूँ..

हम्म.. मैं भी एक किताब भेजूंगी तुम्हे.. वो पढ़ना.. अब गुडनाइट.. बाए..

गुडनाईट भाभी.. स्वीट ड्रीम्स.. फ़ोन कट हो जाता है.. और सूरज सुबह पांच बजे का अलार्म सेट करके सो जाता है..

बिलाल और नज़मा के बीच आज बहुत लम्बी बातचीत हुई थी और बिलाल ने नज़मा को सूरज के साथ बच्चा करने के लिए मना लिया था.. नज़मा सूरज को पसंद करती थी मगर उस तरह नहीं पर अब नज़मा बिलाल की इज़ाज़त से सूरज के साथ सोने के लिए तैयार हो गई थी नज़मा को ये सब अजीब लग रहा था पर वो क्या कर सकती थी.. बिलाल उसका शोहर था और उसकी बात मानने के अलावा नज़मा के पास और कोई चारा भी ना था..

अगले दिन सुबह पांच बजे अलार्म से सूरज जाग गया और अपनी नींद तोड़ते हुए बाथरूम में जा घुसा.. आधे घंटे बाद ब्रश करके और नहाकर निकला फिर विनोद के दिए कपडे में से एक जीन्स और चेक शर्ट पहन कर विनोद की बाइक उठाकर सीधा रेलवे स्टेशन पहुच गया जहाँ उसे बरखा को लेके आना था..

गाडी 2 घंटा लेट थी.. सुबह सुबह का समय था लोग कम ही थे स्टेशन के आस पास लोग आ जा रहे थे सूर्य की पहली किरण अभी नहीं पड़ी थी फिर भी उजाला होने लगा था.. भोर का समय था..

सूरज स्टेशन के बाहर टहल रहा था की एक 35 साल की औरत उसके पास आ गई और बोली - भईया जी चलोगे क्या?

सूरज उसकी बात नहीं समझा और बोला - क्या?

औरत - चलोगे क्या.. करना है..

सूरज इस बार औरत को देखकर और उसकी बात सुनकर सब समझ गया और बोला - नहीं.. नहीं जाना..

औरत - भईया जी सिर्फ तीन सो दे देना..

सूरज - नहीं जाना ना.. जाओ यहां से..

औरत - भईया जी.. 200 दे देना.. आपको जो चाहिए वो करुँगी... चलिए ना..

सूरज चिढ़ते हुए - नहीं जाना ना.. जाओ यहां से..

औरत ने सूरज का हाथ पकड़ कर कहा - भईया सिर्फ सो दे देना..

सूरज हाथ छुड़ा कर गुस्से से - भोसड़ीवाली बोला ना तुझे नहीं करना मुझे जा यहां से.. बहनचोद चिपक रही है..

औरत इस बार बिन कुछ बोले सूरज से दूर हट जाती है और सूरज एक दूकान के पास जाकर एक चाय लेकर दुकान के पीछे खड़े होकर पिने लगता है तभी उसकी नज़र उस औरत पर पड़ी जिसे वो अभी गाली देखकर भगा रहा था..

औरत उसे कुछ दूर एक जगह बैठकर उदासी से रोने लगी थी जैसे उसका दिल बहुत दुखा हो..

सूरज ने उस औरत का रोना देखा ना गया और वो उस औरत के पास जाकर बैठ गया और बोला - रो क्यों रही है तू.. मेरा मन नहीं..

औरत - हमें कोनसा पसंद है भईया जी.. मज़बूरी में सब करना पड़ता है.. अकेली हूँ.. कल से कुछ खाया नहीं..

सूरज एक दो सो ना नोट देते हुए - अच्छा तुम ये लो कुछ खा लो.. मुझे गाली नहीं बकनी चाहिए थी.. माफ़ करना.

औरत पैसे लेकर - नहीं भईया जी.. हमारी तो आदत हो गई है.. आप चाहो तो मैं..

सूरज - मैंने कहा नहीं करना मुझे कुछ..

औरत - आप अच्छे आदमी है भईया जी..

सूरज - कहा से हो? कोनसा गाँव है?

औरत - हम बरेली से है.. हमारे पति के साथ आये थे मजदूरी करने पर वो तो पक्का शराबी है.. मज़बूरी है भईया जी..

सूरज - नाम क्या है तुम्हारा?

औरत - फुलवा भईया जी..

सूरज फुलवा के ब्लाउज में देखता हुआ - कहा रहती हो..

फुलवा - कहा रहेंगे? स्टेशन के उस पार छोटी सी झोपडी है वही रहती हूँ पति वही पड़ा रहता है..

सूरज - अगर कोई काम मिलेगा तो करेगी?

फुलवा - हमें कौन काम देगा भईया जी..

सूरज रमन को फ़ोन करके - तुझे वो गार्डन के लिए दो लोगों जरुरत थी ना..

रमन - सुबह सुबह ये बोलने के लिए फ़ोन किया है तूने?

सूरज - अरे एक बेचारी औरत है रख ले काम पर..

रमन - वही गार्डन भेज दे.. धरमु होगा वहाँ..

सूरह फोन काटकर फुलवा से - चल..

फुलवा - कहा भईया जी..

सूरज - तेरा सामान लेके आ जा.. काम दिलवाता हूँ तुझे.. रहना खाना भी वही पड़ेगा..

फुलवा - सच भईया जी.. मैं अभी लाती हूँ..

फुलवा वहा से चली जाती है और 10-15 मिनट बाद वापस वही आकर सूरज से मिलती है..

भईया जी.. मैं आ गई..

सूरज की नज़र फुलवा की छाती पर बड़े बड़े उभारो पर थी सुबह सुबह वो भी कामुक हो उठा था उसके मन में फुलवा के साथ कुछ करने का ख्याल नहीं आया था पर अब वो फुलवाके आम का रस पिने के बारे मे सोच रहा था..

सूरज - फुलवा ऐसे तो शायद तुझे काम नहीं मिलेगा.. कोई साफ कपडे है तेरे पास?

फुलवा - इस गठरी मे है भईया जी मैं बदल के आउ..

सूरज - नहाना भी पड़ेगा फुलवा.. चल..

सूरज फुलवा को वही आस पास होटल के कमरे मे ले आता है और फुलवा से नहा कर साफ कपडे पहनने को कहता है और फुलवा वैसा ही करती है.. साथ में सूरज कुछ खाने को भी मंगा लेता है..

फुलव जब नहाकर साथ कपड़े पहनती है तो सूरज उसके निखरे रूप को देखता ही रह जाता है.. सूरज फुलवा से खाने के लिऐ कहता है और फुलवा खाना खा कर बैठ जाती है..

फुलवा - भईया जी.. आप बहुत अच्छे है..

सूरज - अच्छा चल फुलवा.. मुझे वापस भी आना है.

सूरज फुलवा को उसी गार्डन में ले आया था और वहा धरमु से मिलवा देता है जहाँ फुलवा को छोटा मोटा काम मिल जाता है और उसके रहने खाने की व्यवस्था भी हो जाती है..

सूरज वापस स्टेशन जाता है और अब तक गाडी नहीं आई थी मगर आने की अनाउंसमेंट हो गई थी..

सूरज प्लेटफार्म पर खड़ा था और बरखा के आने का इंतजार कर रहा था..

बरखा ट्रैन से उतरती है तो सूरज उसकी तरफ बढ़ जाता है और बरखा के हाथ से उसका बेग लेता हुआ कहता है - लाओ दीदी मैं उठा लेता हूँ...

बरखा हनी को देखती तो एक पल हैरान होकर उसे गले से लगा लेती है और कहती है - हनी यहां कैसे?

बरखा 34
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सूरज - आपको लेने आया हूँ दी.. यहां आने पर पता चला ट्रैन लेट है तो इंतजार कर रहा था.. चलो..

बरखा - तुझे किसने बताया मेरे आने का?

सूरज - काकी ने... उन्होंने ही तो कहा था आपको लाने के लिए..

बरखा सूरज को प्यार से - क्या करता है आजकल? कोई जॉब मिली या नहीं तुझे?.

सूरज - नहीं दी.. आपको तो जानती हो मुझे. मैं पढ़ाई में केसा हूँ..

बरखा - क्या करने का इरादा है जनाब का?

सूरज - अभी सोचा नहीं दी..

बरखा बाइक ओर बैठती हुई - तो कब सोचेगा हीरो.. इतना बड़ा हो गया है अब भी ऐसे घूमता है शर्म नहीं आती तुझे?

सूरज - आप तो आते ही ताने मारने लगी दी..

बरखा - तो क्या करू? तेरी आरती उतारू? जब मेरा हनी ऐसे बेकार घूमेगा तो गुस्सा नहीं आएगा मुझे? अच्छा उस चिंकी सेतो दूर है ना तू? अब तो परेशान नहीं करती ना वो तुझे?

सूरज - अब सब ठीक है दी.. आपको अकेली क्यों आयी हो? और किट्टू कहा है?

बरखा - किट्टू अपने पापा के पास है.. उसको आने का मन ही नहीं था.. अच्छा सुन उस पान वाले के पास रोक..

सूरज बाइक रोकते हुए - क्या हुआ दी..

बरखा - एक सुट्टा फुकना है.. बरखा पान वाले से एक सिगरेट लेकर जलाते हुए साइड में आकर पिने लगती है..

सूरज - आप अब भी सिगरेट पीती हो?

बरखा कश लेती हुई - तू घर पर बताना मत..

सूरज - पहले कभी बताया है क्या?

बरखा - अच्छा गर्लफ्रेंड बनाई तूने कोई या अभी भी अपने हाथ से जयकारे लगाकर बाथरूम की दिवार खराब करता है?

सूरज - दी यार कैसी बातें कर रही हो..

बरखा मुस्कुराते हुए सिगरेट पीकर - ओ हो.. अभी भी वैसे ही शर्माता है तू तो.. नहीं पटी ना तुझसे कोई?

सूरज - आप ना छोडो ये बात और सिगरेट ख़त्म करो ताकि घर चले..

बरखा सिगरेट का एक कश लेकर - चल..

सूरज - इसे तो ख़त्म करो..

बरखा - बाइक पर हो जायेगी हनी.. चल..

सूरज - बड़े शहर की हवा लग गई आपको...

बरखा हसते हुए - ऐसा होता ना तो तेरी दीदी सलवार कमीज़ में नहीं बल्कि हाफ टॉप और छोटी सी स्कर्ट में आती..

सूरज - आप पहनती हो स्कर्ट?

बरखा आखिरी कश लेकर सिगरेट फेंकते हुए - तू देखना चाहता है मुझे स्कर्ट में?

सूरज - मैंने ऐसा तो नहीं कहा..

बरखा अपने होंठ सूरज के कान के पास लाकर - दस साल बड़ी बड़ी हूँ तुझसे.. तुझे टूशन भी पढ़ाया है मैंने याद रखना.. कोई और नहीं पट रही तो मेरे ऊपर लाइन मत मारने लग जाना..

सूरज हसते हुए - दी.. आप फ़िक्र मत करो.. मैं सेकंड हैंड का चीज़ो शौकीन नहीं हूँ..

बरखा पीछे से एक टपली मारते हुए - मैं सेकंड हैंड हूँ..

सूरज - क्यों शादी नहीं हुई आपकी? सेकंड हैंड ही हुई ना..

बरखा सूरज कान को चूमते हुए - तुझे ना टूशन में डंडे से पीटना चाहिए था.. क्यूट कमीना.. इतना प्यारा और हैंडसम हो गया पर लड़कियों से बात करना भी नहीं आया अभी तक..

सूरज बात करते करते बरखा को उसके घर छोड़ देता है और रास्ते में उसे सुमित्रा का फ़ोन आता है तो वो सुमित्रा के कहने पर अपनी बुआ अनुराधा को लेने चला जाता है और अनुराधा को लेकर वापस अपने घर आ जाता है दस बज गए थे...

अनुराधा हॉल में सोफे पर बैठ गई और सूरज अपने कमरे में चला गया..

सुमित्रा ने दो कप चाय छन्नी की एक अनुराधा को दिया और दूसरा कप लेकर अपने कमरे में आ गई और दरवाजा बंद करके अपनी शाडी उठाकर गर्म गर्म चाय के कप में थोड़ा सा अपना मूत मिला दिया और फिर वो कप ले जाकर ऊपर सूरज को देते हुए बोली - हनी.. ले.. चाय पिले..

सूरज चाय पिने लगा तो सुमित्रा कल की तरह आज भी सूरज को अपना मूत मिली चाय पीते देखकर उत्तेजित हो गई और वापस अपने कमरे में आकर सूरज को याद करके ऊँगली से अपनी नदी का पानी निकाल दिया... कुछ देर बाद सुमित्रा अनुराधा और सूरज मार्किट निकल गए...


*************


अंकुश - नीतू याद है ना कोर्ट में क्या बोलना है?

हाँ हाँ.. मुझे सब याद है अक्कू.. तू फ़िक्र मत कर उसकी तो ऐसी बैंड बजाउंगी ना मैं.. याद रखेगा.. साला हाथ उठाता था ना..

अंकुश नीतू को बाहों में लेता हुआ - एक बार फिर से सोच ले नीतू.. जोगिंदर पति है तेरा.. तुझे वापस घर ले जाने को तैयार है.. तू चाहे तो वापस अपनी गृहस्थी बसा सकती है..

नीतू अंकुश के होंठो चूमकर - वो मेरे ऊपर हाथ उठाता था मैं चुप थी बर्दाश्त कर रही थी.. मगर उसने नशे में जब तेरे ऊपर... मेरे भाई... मेरे अक्कू के ऊपर हाथ उठाया तो चुप नहीं रह सकती.. उसे तो मैं पागल कर दूंगी देखना तू..

अंकुश - तो क्या जिंदगी भर यहां अकेली रहेंगी? शादी तो करनी पडती है ना नीतू.. फिर तुझसे शादी कौन करेगा?

नीतू अंकुश की कॉलर पकड़कर गुस्से मे - तू करेगा और कौन करेगा.. मुझे तेरे अलावा कोई नहीं चाहिए.. मैं खुश हूँ इसी तरह तेरे साथ.. घर में भी और बिस्तर में भी.. वैसे तेरा कहीं चक्कर तो नहीं है ना.. पहले बता रही हूँ बहुत मारूंगी तुझे.. मेरे अलावा किसी को देखा भी तो..

अंकुश - शादी करेगी? जब किसी पता चलेगा ना एक 27 साल की बहन अपने 24 साल के भाई से शादी करना चाहती है तो कोई जीने तक नहीं देगा..

नीतू - किसीको बताना ही क्यों है? हम यहां से कहीं और चले जाएंगे.. वही रहेंगे.. शादी करके..

अंकुश - और मम्मी? उनका क्या? उनको जब पता लगेगा तब क्या होगा? हमारे बारे में पता लगते ही ना जाने क्या करेगी?

नीतू - उनकी चिंता तू मत कर अक्कू मैं सब संभाल लुंगी.. बस एक बार ये दोनों केस निपट जाए और पैसा हाथ में आ जाए..

अंकुश - चल वकील साहिबा का फ़ोन आ रहा है..

नीतू - चल..

अंकुश नीतू को बाइक ओर बैठाकर कोर्ट आ जाता है और वकील से मिलता है..

नीतू आज बयान है.. याद है ना?

हाँ मैडम.. याद है और क्या बोलना ये अच्छे से रट लिया है..

वैरी गुड.. अच्छा अंकुश फीस?

अंकुश 2 हज़ार देते हुए - मैडम..

वकील साहिबा - ये क्या है अंकुश तुझसे कहा था कम से कम 5 चाहिए तू 2 लेके आया है..

नीतू - मैडम केस जिताओ ना.. फिर आप पूरी फीस दे देगे.. 3 साल से कोर्ट आ आकर चप्पल गिस गई है.. सुना है समझौता करना चाहता है वो..

वकील साहिबा - दो दो केस लगाए है.. समझौते के लिए बोलेगा ही..

नीतू - एक बार समझोते की बात करके देखते है.. मैडम..

वकील साहिबा - बयान के बाद करते है.. देखते है क्या कहता है..

अंकुश - मैं निकलता हूँ नीतू.. तू कैब करके आ जाना..

नीतू - आराम से जाना अक्कू..

वकील साहिबा - सिंगल है क्या तेरा भाई..

नीतू - क्यों?

वकील साहिबा - नहीं बस ऐसे ही पूछा.. सही लगता है...

नीतू - उसका ख्याल छोड़ दो.. वो पुलिस और वकील
और फैमिनिस्ट टाइप की औरतों से दूर ही रहता है..

वकील साहिबा - अच्छा? कोई चांस नहीं है.. मतलब अगली बार से पूरी फीस लेनी पड़ेगी.. चलो.. कोर्ट में चलते है..

ब्यान रिकॉर्ड करवाने के बाद वकील साहिबा नीतू को लेकर उसके पति जोगिंदर के साथ समझौते के लिए बैठ जाती जहाँ और भी बाकी लोग थे जो रिस्तेदार थे..

जोगिंदर की माँ - नीतू ये सब बंद कर दे बेटा.. चल घर चल.. तुझे कोई कुछ नहीं कहेगा.. जोगिंदर भी सुधर चूका है..

नीतू - जिसके लिए बैठे है वो बात करिये..

नीतू इतनी सी बात कर लिए ये सब क्यों कर रही है? क्या ये सब तुझे अच्छा लगता है.. हम शरीफ घर से है..

अच्छा.. बेटा शराब पीकर बीवी से मारपीट करता है और माँ कहती है हम शरीफ घर से है वाह.. 2 साल तक मेरे साथ जो जो हुआ मैं सब सहती रही.. कभी कुछ नहीं बोला.. मगर मेरे अक्कू पर हाथ उठाने की हिम्मत कैसे हुई? वो तो बेचारा उस रात शराब पिने से रोक रहा था बस..

नीतू जो गया सो हो गया.. मैं वादा करता है हूँ अब वैसा कुछ नहीं होगा.. चल वापस.. मैं अंकुश से भी माफ़ी मांग लूंगा.. पर ये सब मत कर..

कोई जरुरत नहीं है मेरे भाई से माफ़ी मांगने की.. वो तो उस दिन मेरे खातिर चुप रहा.. वरना तेरे जैसे को मेरा अक्कू एक थप्पड़ में धूल चटवा दे.. अब जो बात करने बैठे वो करो.. मेरे पास टाइमपास नहीं है..

तुम बताओ.. क्या हो सकता है..

बताना क्या है? पहले ही कहा है.. 15 लाख..

मैं 8 देने को तैयार हूँ..

नीतू - मुझे मंज़ूर नहीं है.. चलिए मैडम..

रुको नीतू.. देखो तुम जानती हमारी हालात.. हम कहा से लाएंगे इतने पैसे?

क्यों? हम लोगों से पूछा था हम दहेज़ कहा से लाएंगे? शादी कैसे करेंगे? तब तो कह रहे थे शादी धूम धाम से होनी चाहिए..

देखो नीतू.. तुम समझो.. दो साल तुम रही हो तुम अच्छे से जानती हो हमारी क्या हैसियत है..

रही नहीं हूँ काटे है मैंने दो साल.. मुझे मंज़ूर नहीं है तो नहीं है.. हम कोर्ट में देख लेंगे सब..

नीतू ऐसे ज़िद तो मत करो.. तुम जानती हमारे पास 15 लाख नहीं है और कहा से आएंगे? देखो तुम भी नहीं चाहती यहां बार बार आना ना पड़े.. जो हम दे सकते है कम से काम वो तो मांगो.. देखो 8 तुम चाहो तो कल ही तुम्हे मिल जायेगे.. और लाख डेढ़ लाख मैं कहीं से कर तुम्हे दे दूंगा पर ऐसा मत करो हमारे साथ.. हम थक गए है..

मंज़ूर नहीं है.. चलिए मैडम..

समझौता नहीं होता और नीतू वापस आ जाती है..

वकील साहिबा - 10 तक तो आ गया.. मैं वापस बात करूंगी..

नीतू - मैडम मुझे 13 दिलवा दो ऊपर जो मिले आप रख लेना.. जानबूझकर गरीबी दिखा रहे है सब.. गाँव में जमीन पड़ी है.. किराए पर कमरे दे रखे है और कहते है हैसियत नहीं है.. दवाब पड़ेगा तो सब अकल आ जायेगी इनको..

वकील साहिबा - ठीक है मैं बात करती हूँ..

नीतू टेक्सी लेकर निकल जाती है और वकील साहिबा सामने वाली पार्टी के वकील को फ़ोन करती है..

हाँ आंनद जी.. मेरी पार्टी कह रही है साढ़े 14 तक समझौता हो सकता है.. आप अपनी पार्टी को समझा देना.. अगर माने तो ठीक है वरना कोई बात नहीं..

मेरी पार्टी 11 देने को तैयार है.. अपनी अपनी वाली को थोड़ा तोड़िये ना..

आंनद जी.. आप मेरे सीनियर है मैं आपके लिए 14 तक ला सकती हूँ पर उससे कम आप उम्मीद मत कीजियेगा..

ठीक मैं देखता हूँ.. फोन काटते हुए.. देखो भाई जोगिंदर बात ऐसी है.. 2 केस जो तुम्हारे ऊपर लगे है वो उनकी तरफ से बहुत स्ट्रांग है.. जब भी जज फैसला करेगा तुम्हे सो प्रतिशत सजा होगी और नीतू को पैसे देने पड़ेंगे.. 14 पर वो मान रहे है.. अब तुम देख लो.. तुम्हे क्या करना है.. मैं चलता हूँ...


*************


सगाई है शादी नहीं.. इतना क्या खरीद रही हो आप.. मैंने कल कहा था.. शाम कर दोगी और कर दी आपने शाम..

बस हो गया हनी.. दीदी.. ये अच्छा है ना..
हाँ सुमित्रा.. अनुराधा ने कहा..

सूरज शॉपिंग के बार जब सुमित्रा और अनुराधा को घर लेकर आया तो शाम के साढ़े पांच बज गए थे..


क्या भाई विनोद.. सबको सगाई का कार्ड व्हाट्सप्प कर रहे हो मुझे नहीं करोगे?

सबसे पहले आपको ही किया था सर.. आपकी जी हुज़ूरी नहीं करूँगा तो प्रमोशन कैसे मिलेगा..

मज़ाक़ मज़ाक़ में सच बोल जाते हो विनोद.. चलो मिलता हूँ..

सर मैं जानता हूँ आप बड़े बिजी हो पर पक्का आना है आपको.. समय निकालना थोड़ा आप आओगे तो अच्छा लगेगा..

मैं जरुर आऊंगा विनोद..

विनोद ने अपने दोस्तों और ऑफिस के स्टाफ को कार्ड व्हाट्सप्प कर दिया था वही जयप्रकाश भी अपने ऑफिस जहाँ वो सरकारी बाबू था यही काम कर रहा था..

जयप्रकाश ने सबको कार्ड व्हाट्सप्प कर दिया था.. और अब अपनी अधिकारी के चम्बर के बाहर खड़ा था..

मैडम..

एक लड़की जिसका कुछ महीने पहले ही सिलेक्शन हुआ था वो किसी सरकारी कागज को देख रही थी और जयप्रकाश के चम्बर में आने ओर उसे देखकर बोली..

हां.. जयप्रकाश जी.. आप घर गए नहीं अभी तक? छः तो बज चुके है ना..

साढ़े छः बज चुके है मैडम..

तो आप क्यों रुके हुए है अब तक? मैंने तो रुकने के लिए नहीं कहा..

जी मैडम दरअसल कुछ कहना था आपसे..

हाँ.. कहिये क्या बात है.. छुट्टी चाहिए? लाइये अप्लीकेशन दीजिये मैं sign कर देती हूँ..

जयप्रकाश एप्लीकेशन देते हुए मैडम इस शुक्रवार शनिवार की छुट्टी चाहिए.. ये एप्लीकेशन है..

लीजिये sign कर दिए है आपकी एप्लीकेशन पर..

मैडम एक कार्ड भेजा है आपको व्हाट्सप्प पर..

केसा कार्ड?

मेरे बड़े बेटे की सगाई का कार्ड मैडम.. उसी के लिए छूटी ले रहा हूँ..

मुबारक हो जयप्रकाश जी..

आप आएगी तो अच्छा लगेगा मैडम..

मैं जरुर आउंगी जयप्रकाश जी.. आप इतने ईमानदार है इतनी मेहनत से काम करते है.. घर फंक्शन है आपने इतने प्यार से बुलाया है आना तो पड़ेगा ही..

शुक्रिया मैडम..
जयप्रकाश घर आ जाता है..

अगले 4 दिन ऐसे ही गुजर जाते है और सब कुछ वैसे ही चलता रहता है..

सुबह 10 बज रहे थे और सूरज कहीं जाने की तैयारी में था..

कहा जा रहा है हनी?
सुमित्रा ने चाय लेकर कमरे में आते हुए कहा तो सूरज ने चाय का कप लेकर पीते हुए कहा - गार्डन जा रहा हूँ माँ.. शाम की तैयारियां हो गई या नहीं वो भी देख लूंगा..

सुमित्रा - बेटू.. तेरे पापा देख रहे है सब वहा..

सूरज - एक बार में भी देख लेता हूँ ना... वरना एन मोके आप सब मुझे ही बोलोगे..

सुमित्रा - अच्छा तूने मुन्ना को काम दिया हलवाई का? उस दिन कितना कुछ बोल के गया था वो यहां तेरे बारे में.. अपनी बहन की गलती तो उसे दिखी ही नहीं..

सूरज चाय का कप रखकर जाते हुए - छोडो ना माँ.. पुरानी बातों को भूल जाओ.. अच्छा मैं निकलता हूँ.. दिन तक वापस आ जाऊंगा.. जो मेहमान आये है आप उनको सम्भालो...

सूरज चला जाता है और सुमित्रा सूरज के कमरे से लगे हुए उसके बाथरूम में चली जाती है जहाँ वो पहले सूरज के चाय पिए हुए कप को चाटती है और फिर उसकी नज़र एक चड्डी पर पडती है जो सूरज की थी.. सुमित्रा बिना कुछ सोचे सूरज की चड्डी उठाकर उसके उस हिस्से को चाटने लगती है जो सूरज के लिंग और आंड से चिपक कर रहता था..

सुमित्रा की इन हरकतो में दिन ब दिन बढ़ोतरी हो रही थी और वो इन सब से वाकिफ भी थी मगर वो ये सब अकेले में ही किया करती थी और सबके सामने सभ्य और संस्कारी बनकर ही रहती थी.. उसने अपने मन के गिल्ट को अब दबा कर मार डाला था और सोच लिया था की वो ऊपरी तौर पर वैसे ही रहेंगी जैसे रहती आई है मगर अंदर अकेले में वो अपनी fantasy को जियेगी..

सुमित्रा सूरज के बाथरूम में नीचे बैठ गई और अपनी शादी कमर तक उठाकर अपनी चुत में ऊँगली करते हुए आँख बंद करके सूरज की चड्डी चाटती हुई सोच रही थी कि जैसे वो सूरज का लिंग पकड़ कर चाट रही हो.. उसकी कल्पनाओ ने उसे जल्दी ही झड़वा दिया और सुमित्रा फिर से सभ्य नारी बनाकर सूरज कि चड्डी रखते हुए कप लेकर नीचे रसोई में आ गई और उसे धोकर रख दिया.. घर में मेहमानो का ताता लगा हुआ था.. जो ख़ास ख़ास रिस्तेदार थे सभी आये हुए थे..

सूरज के घर से निकलते ही उसका फ़ोन आ गया और सीधा अंकुश के बुलाने पर बिलाल कि दूकान पर जा पंहुचा..

भाई क्या हुआ? फिर से गायब हो गया था तू.. ज्यादा जोर से मारा था क्या काकी ने उस दिन? अंकुश ने मज़ाक़ करते हुए पूछा..

सूरज कुर्सी पर बैठता हुआ बोला - भोस्डिके पड़ी तो तेरे भी थी.. भुल गया या याद दिलाऊ?

बिलाल सूरज के कंधे पर अपने दोनों हाथ रखकर उसके कंधे की मालिश करता हुआ बोला - सारी तैयारी हो गई क्या हनी?

बिलाल और सूरज के बीच उस रात के बाद बात नहीं हुई थी और दोनों ही मन में जानते थे की उस दिन दोनों के बीच क्या बातचित हुई थी मगर दोनों ने अंकुश के सामने उसका जिक्र न करते हुए उस बात से अनजान बनकर ही बात करना सही समझा..

सूरज - हाँ बिल्ले सब हो चूका.. सबको बोल दिया है.. तुम दोनों को बोलने की जरुरत नहीं है..

अंकुश - भाई फॅमिली के साथ आएंगे डोंट वोर्री.. अच्छा यार घर से नीतू का फ़ोन आ रहा है मम्मी को डॉक्टर के लेके जाना है.. मैं तुमसे शाम को मिलता हूँ..

अंकुश के जाने के बाद दूकान में सन्नाटा पसर जाता है और सूरज और बिलाल दोनों चुपचाप हो जाते है.. बिलाल सूरज के कंधे और गर्दन दबाते हुए मसाज कर रहा था और अब उसने कुछ देर बाद ख़ामोशी तोड़कर कुछ बोल दिया जो सूरज नहीं सुनना चाहता था और उसीके करण वो कुछ दिनों से दूकान पर भी नहीं आ रहा था..

बिलाल - हनी.. मैंने नज़मा को मना लिया है..

सूरज - बिल्ले.. नहीं यार.. मैं कर पाऊंगा..

बिलाल - भाई देख.. बस ये आखिरी अहसान कर दे मैं हमेशा तेरा अहसानमंद रहूँगा.. उस दिन तुझे लगा होगा मैं नशे में वो सब कह रहा हूँ पर नहीं.. मैंने ये सब सोच समझ कर ही कहा है..

सूरज - मुझे थोड़ा समय दे बिल्ले.. हम इस बारे में बाद में बात करेंगे..

बिलाल दूकान का शटर नीचे कर देता है और अंदर जाकर नज़मा कुछ बात करके वापस आकर सूरज के कंधे दबाते हुए कहता है - ठीक है हनी तू सोच ले.. मैं सगाई के बाद तुझसे इस बारे में बात करूंगा..

थोड़ी देर बाद नज़मा चाय लाती हुई - जी चाय..

बिलाल - यहां रख दे..

सूरज ने आईने में नज़मा को देखा तो पाया की आज नज़मा ने नकाब नहीं पहना था और ना ही दुपट्टा लिया था... उसकी खूबसूरती आज बेपर्दा सूरज की आँखों के सामने थी वो समझ गया था की बिलाल ने ही उसे इस तरह उसके सामने आने को कहा होगा....

नज़मा चाय रखकर जाने लगती है तो बिलाल उसे कहता है - नज़मा.. मैं ऊपर अम्मी को देखकर आता हूँ तू तब तक दूकान मे झाडू लगा दे..

बिलाल दूकान के अंदर वाले दरवाजे से होकर ऊपर छत पर चला जाता है और सिगरेट के कश लेते हुए कुछ सोचने लगता है वही नज़मा अपने हाथ मे झाडू उठाते हुए कहती है..

नज़मा - चाय पिजिये ना.. ठंडी हो जायेगी..

सूरज चाय का कप उठाकर पिने लगता है और दोनों में कोई और बात नहीं होती.. सूरज कुछ भी बोलने से झिझक रहा था मगर उसकी नज़र नज़मा की सुडोल और उन्नत चूचियों पर थी जिसका अहसास नज़मा को अच्छे से था..

नज़मा ने आईने में हनी की सूरत देखकर उसके मन के भाव पढ़ लिए और आगे कहा - चाय कैसी बनी है?

सूरज ने अपनी नज़र को नगमा की चूचियों से नज़मा की आँखों मे फेर लिया और कहा - बहुत अच्छी..

दोनों में आगे कोई बात नहीं होती और सूरज चाय ख़त्म करके कहता है - भाभी मैं चलता हूँ..

नज़मा हनी का हाथ पकड़ कर मुस्कुराते हुए - भाईजान..

सूरज - भाभी.. रहने दो..

नज़मा - भाईजान.. बिलाल ने आपसे जो कहा है एक बार आप सोचना उस बारे में.. बिलाल अच्छे इंसान है.. आपको बहुत मानते है..

सूरज - भाभी मैं आपके साथ..

नज़मा - भाईजान.. मज़बूरी में हम क्या कुछ नहीं करते? मैंने ही बिलाल से आपको वो सब कहने के लिए कहा था..

सूरह हैरानी से - भाभी..

नज़मा हनी के करीब आकर - भाईजान.. कुछ दिनों की बात है..

सूरज जाते हुए - शाम को सगाई में जरुरत आना भाभी..

नज़मा - मैं जरूर आउंगी भाईजान.. शायद शाम को आपका मन भी बदल जाए..

हनी नज़मा के सम्मोहन में आ गया था और उसे नज़मा के साथ कुछ रात सोने में अब कोई बुराई नहीं दिख रही थी मगर वो अपने जिगरी दोस्त की बीवी के साथ ये सब करना भी गलत मानता था.. नज़मा ने जिस तरह इठला कर और प्यार से बात की थी उसने सूरज को कामुक कर दिया था और सूरज कहीं अपना नियंत्रण ना खो दे इसलिए वो दूकान से निकल गया था.. मगर दूकान से निकल कर वो गार्डन जाने की बजाये सीधा मुन्ना के घर चला गया.. उसे पता था मुन्ना और नेहा गार्डन में अपने लोगों को खाना बनाने की तैयारी करवाने में व्यस्त होंगे..

दरवाजा चिंकी ने ही खोला और सूरज चिंकी को उठाकर सीधा उसके रूम में ले गया और उसके होंठों चूमते हुए बिस्तर में उसके साथ गिर गया.. चिंकी सूरज को ऐसा करते देखकर हैरान थी मगर उसे सूरज का ये रूम अच्छा लग रहा था चिंकी ने भी झट से सूरज और अपने कपड़े उतार दिए और सूरज के लंड को अपनी चुत में घुसाके सूरज के लबों को अपने लबों से मिलाकर काम के सागर में गोते खाने लगी..

सूरज चिंकी को आज वो सुख अपनेआप दे रहा था जो चिंकी उसे हमेशा छीनकर लेती थी..

चिंकी ने अपना चुचा सूरज के मुंह में दे दिया और उसे चूसाते हुए बोली - आज तो तू मेरी जान लेने के इरादे से आया है मेरे हीरो.. अह्ह्ह.. मार दी डालेगा मुझे तू आज..

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सूरज चिंकी की बातों को अनसुना करके उसके बदन को भोग रहा था और अब उसने चिंकी को घोड़ी बनाकर पीछे से झटके मारना शुरू कर दिया.. सूरज को नज़मा का भोला सा मासूम चेहरा याद आने लगा जो उसने अभी अभी देखा था और वो हसरत भरी निगाहे जिससे नज़मा सूरज को देख रही थी.. सूरज फूल स्पीड में झटके मार रहा था जिसकी आवाज कमरे से बाहर जाने लगी थी..

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अह्ह्ह.. अह्ह्ह.. उम्म्म्म... अह्ह्ह.. आज क्या कोई गोली खाके आया है क्या हनी.. अह्ह्ह.. ऐसे चोद रहा है जैसे जोनी सीन्स का भी बाप हो... अह्ह्ह..

चिंकी की चुत झड़ झड़ के गीली हो चुकी थी मगर सूरज अब तक नहीं झड़ा था..

सूरज चिंकी की चुत से लंड निकाल कर चिंकी के बाल खींचते हुए उसके मुंह में लंड डालके चिंकी का मुंह चोदने लगा.. सूरज को चिंकी के चेहरे में नज़मा का चेहरा नज़र आने लगा था और उसका दिल जोरो से धड़कते हुए मचलने लगा था.. कुछ देर मुंह चोदकर सूरज चिंकी को मिशनरी में चोदने लगा..

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आज फाड़ देगा क्या अपनी चिंकी को चुत को हनी? अह्ह्ह.. कब से कर रहा है.. आज क्या हुआ है तुझे? अह्ह्ह्ह.. अह्ह्ह्ह.. उई.. मममम्मा.. अह्ह्ह्ह.. आई लव यू हनी..

सूरज ने चिंकी चुत चोदते हुए ये तय कर लिया था कि वो नज़मा कि गोद जरुर भरेगा और नज़मा को माँ बनायेगा.. मगर अब अभी तो वो चिंकी को माँ बनाने के इरादे से चोद रहा था और अब झड़ने कि कगार पर था..

चिंकी अपनी चुत में अंदर तक सूरज के लंड को महसूस कर अपनी अदखुली कामुक आँखों से सिसकियाँ भरती हुई सूरज के झड़ने का इंतजार कर रही थी वो खुद कई बार झड़ी थी मगर अब सूरज उसकी चुत में झड़ने लगा था.. चिंकी को सूरज के वीर्य की धार अपने अंदर महसूस होने लगी थी.. सूरज ने अपना सारा माल चिंकी की चुत में भर दिया और लम्बी लम्बी साँसे लेता हुआ उसके ऊपर गिर गया..

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चिंकी सूरज के चेहरे को हल्का सा उठाया और साइड में पड़ी अपनी चड्डी से उसके चेहरे पर आ रहा पसीना पोछ दिया और उसके होंठो को चूमकर बोली - कमीने तू ऐसा ज़ालिम मर्द होगा मुझे पता नहीं था.. आज तो बदन तोड़ कर रख दिया तूने मेरा पूरा.. आज लग रहा है मैं लड़की हूँ और तू लड़का..

सूरज चिंकी को देखता हुआ - छोड़ मुझे.. जाना है..
चिंकी अपनी बाहों से सूरज को आजाद करती हुई - हाज़िरी लगाने आते रहना हनी..
सूरज - शाम को मिलूंगा..
चिंकी - मैं नहीं आउंगी..
सूरज - क्यों?
चिंकी हसते हुए - तेरी मम्मी ने मुझे देख लिया तो जान से ही मार डालेगी मुझे..

सूरज चिंकी के ऊपर से उठता हुआ उसकी चुत से लंड निकालकर जैसे ही बेड से नीचे उतर कर खड़ा होता है कमरे के दरवाजे से चिंकी की माँ रमा अंदर आ जाती है देखती है की...

कमरा पूरा अस्त व्यस्त था बेड पर चिंकी नंगी लेटी हुई थी और उसकी चुत से थोड़ा वीर्य निकल रहा था बेड के साइड में सूरज नंगा खड़ा था जिसका लम्बा मोटा लंड भी वीर्य से सना हुआ था..

रमा ये देखकर गुस्से से भर गई और अपनी चप्पल निकालकर सूरज और चिंकी को मारने लगी..



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Nice update bro 👍
 
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