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Incest घर की मोहब्बत

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दो कहानी लिखने के बाद इस तीसरे कहानी मे आप की लेखनी मे काफी परिपक्वता दिख रही है । बड़े शकून के साथ , धैर्य के साथ और एक प्लानिंग के साथ इसे लिख रहे है ।
जहां तक बात है इस कहानी के किरदारों की तो आप की उन दोनो कहानी की तरह इस कहानी के हीरो के इर्द-गिर्द ही यह कहानी भी अपनी राह तय करेगी ।
सूरज का किरदार एक बार फिर से नायक के रूप मे अच्छा डेवलप किया है आप ने । सेकेंड और थर्ड नायक के रूप मे अंकुश और रमन का किरदार डेवलप होना अभी प्रारंभिक रूप मे है ।
महिलाओं के किरदार मे चिंकी , गुनगुन , गरिमा और सुमित्रा फिलहाल टाॅप किरदार के रूप मे दिख रही हैं । खासकर चिंकी का सूरज के प्रति समर्पित भाव की प्रशंसा अवश्य होनी चाहिए ।
गुनगुन आगे चलकर इस कहानी का हार्ट किरदार बनेगी , ऐसा मुझे विश्वास है ।
गरिमा और सूरज की एक डिफरेंट लव स्टोरी शायद पहली बार इस फोरम पर नजर आने वाली है ।
और सुमित्रा को भी शायद फर्स्ट टाइम एक ऐसी मदर के रूप मे लाया गया है जो लिक से हटकर पुत्र के प्रति इन्सेस्ट सोच विचार रखती है ।

बहुत मजेदार होने वाली है यह कहानी । सब्र के साथ सेक्सुअल रिलेशनशिप बिल्ड अप करते रहिए ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट डियर ।
 

Vishalji1

I love lick😋women's @ll body part👅(pee+sweat)
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Update 6


तुझे मेरा ही घर मिलता है पूरा उदयपुर मे अपनी हवस मिटाने के लिए.. पिछली बार तो बच्चा समझ के छोड़ दिया था मगर तू अब भी नहीं सुधरा.. और तू करमजली रांड.. शर्म हया लाज कुछ बची है या नहीं तेरे अंदर.. पहले ही बदनाम थी अब और नाम कमाने चली है..

सूरज अपने कपड़े उठाकर पहनने लगता है और चिंकी बिना कुछ पहने नंगी ही अपनी माँ रमा को पकड़ कर बेड पर धकलती हुई कहती है - खबरदार जो हनी पर हाथ उठाया तो माँ..

रमा - अरे रंडी.. तू पैदा होते ही मर क्यों नहीं गई? शादी से पहले तो करती थी अब शादी के बाद तो सुधर जा.. कैसे बेशर्म बनकर खड़ी है मेरे सामने.. जरा भी शर्म नहीं है तुझमे?

चिंकी चड्डी और ब्रा पहनती हुई - शर्म की बात तो आप मत ही करो माँ.. मैं अच्छे से जानती हूँ आप कितनी शरीफ और सीधी है.. आप करो तो रास लीला और मैं करू तो करैक्टर ढीला.. सरकारी दामाद चाहिए था ना आप लोगों को? 2 इंच की लुल्ली है आपके सरकारी दामाद की.. घुसने पहले ही ढीला पड़ जाता है.. हनी को मैं पसंद करती हूँ और आप इसे कुछ नहीं कहेंगी.. समझी आप?

रमा - हे भगवान.. कैसी बेटी दी है तूने? इसे तो कोई लाज शर्म ही नहीं है.. अपनी माँ के सामने अपने आशिक को बचा रही है.. रुक मैं मुन्ना को फ़ोन करती हूँ.. जैसी पिछली बार तेरी सुताई की थी वैसे ही अब भी करेगा..

चिंकी - हाँ बुलाओ.. और मुन्ना को ये भी बताना की सुबह मंदिर के बहाने आप कहा जाती हो.. वो दिनु मामा आपके धर्म के भाई आपके साथ क्या क्या करते है वो भी बताना..

रमा इस बार चिंकी की बात सुनकर चुप हो गई थी.. सूरज अपने सारे कपड़े पहन चूका था और अब चिंकी ने भी सलवार पहन ली थी और कुर्ती हाथ में उठा रखी थी..

सूरज रमा के पैर पकड़कर - रमा ताई माफ़ कर देना मुझे.. आप घर पर मत बताना.. प्लीज..

चिंकी सूरज को उठाते हुए - किस बात की माफ़ी हनी.. उठ.. तू जा यहां से मैं देख लुंगी.. तेरे मेरे बीच में क्या है किसी को कुछ पता नहीं चलेगा..

रमा गुस्से में सूरज से - अगली बार ईस घर में कदम रखा तो देख लेना..

चिंकी सूरज का हाथ पकड़ कर रमा के सामने ही उसे स्मूच करके सूरज के होंठो को चूमती है और फिर सूरज वहा से चला जाता है.. रमा देखती रह जाती है..

चिंकी - अगर किसी को मेरे और हनी के बारे में कुछ पता चला ना तो देख लेना माँ.. सुबह सुबह आप मंदिर के बहाने दिनु मामा के साथ जो भजन करके आती हो ना सारे शहर में चिल्ला चिल्ला उसकी कैसेट बजा दूंगी.. हनी मेरा यार है और मैं उसी के बच्चे भी पैदा करुँगी.. आपको अच्छा लगे या बुरा..

रमा शर्म से पानी पानी होकर धीरे से बोलती है - तुझे जो करना है कर.. मगर घर के बाहर.. उस लड़के अगली बार घर मत बुलाना चिंकी..

ये कहते हुए रमा जाने लगती है चिंकी अपनी माँ रमा का हाथ पकड़ कर उसे रोकते हुए कहती है - घर तो वो आएगा माँ.. जब अकेली रहूंगी तो उसे बुलाऊंगी और इसी बिस्तर वो मेरे साथ वो सब करेगा जो वो चाहेगा.. आपने अगर हनी से अगली बार कुछ कहा तो देख लेना.. चप्पल से मारा ना आपने मेरे हनी को.. बेचारे को लगी होगी.. आप शाम को मेरे साथ चलकर उससे माफ़ी मांगोगी.. वरना दिनु मामा सुबह पार्क मे झाड़ियों के पीछे रासलीला होती है ना उसके कई विडिओ पड़े है मेरे फ़ोन में.. गली मोहल्ले के लोग उस वीडियो को देखंगे तो आपके इस सीधे साधे चेहरे के पीछे की चालक औरत को भी पहचान जाएंगे..

रमा आंसू बहाते हुए - मैं तेरी माँ हूँ.. अपनी जबान संभाल के बात कर चिंकी.. एक तो आवारा लड़के के घर बुला कर मुंह काला करती है ऊपर अपनी माँ को ही बुरा भला कहती है..

चिंकी - आवारा नहीं है हनी.. और आपको माफ़ी मांगनी पड़ेगी..

रमा - नहीं माँगने वाली मैं किसी से माफ़ी.. समझी तू.. तुझे जो करना है कर.. मैं तुझसे नहीं डरने वाली.. माँ हूँ तेरी.. और अब ये कुर्ती लेकर खड़ी ही रहेंगी या पहनेगी भी? बेशर्म..

चिंकी कुर्ती पहनती हुई - माँ.. एक सॉरी बोलने में आपका कुछ नहीं जाएगा..

रमा गुस्से से - सॉरी बोलने कि नौबत ही क्यों आने देती है तू.. जो करना है परदे के पीछे छुपकर कर.. खुलेआम घर को रंडीखाना क्यों बना रही है? घर का मैन दरवाजा खुला हुआ था, तेरे कमरे का दरवाजा खुला हुआ था.. अगर मेरी जगह कोई और होता क्या इज़्ज़त रह घर की परिवार की? तेरी टांगो के बीच में आग ही भरी है या तेरे कानो के बीच में दिमाग भी है थोड़ा सा?

चिंकी रमा को गले लगाते हुए - एक छोटी सी सॉरी ही तो बोलनी ना माँ.. आपका असली दामाद है वो.. उसीके बच्चे आपको नानी नानी कहेँगे देखना.. मैं आगे से हर चीज का ख्याल रखूंगी.. कभी पकड़ी भी नहीं जाउंगी... आपने चप्पल से इतना मारा है उसे.. बस एक बार मेरे हनी को सॉरी बोल दो.. फ़ोन पर ही बोल दो..

रमा कुछ सोचकर - बाद में.. अभी बच्चों को स्कूल से लाने का समय हो गए है.. कमरा ठीक कर तेरा..

चिंकी मुस्कुराते हुए रमा के ब्लाउज पर हाथ रखकर अपनी माँ रमा के चुचे मसलते हुए - वैसे माँ.. वो दिनु मामा को आपके आम बड़े अच्छे लगते है.. कल देखा मैंने कैसे चूस रहे थे.. इतना पापा को चूसा देती तो शायद इतनी जल्दी भगवान के पास नहीं जाते..

रमा अपने बूब्स पर से चिंकी का हाथ हटाकर चिंकी को आँख दिखाती हुई बोली - मेरे ऊपर कम नज़र रखा कर.. समझी तू?

चिंकी हस्ती हुई - माँ.. चाहो तो दिनु मामा को घर बुला लो.. कंडोम में लाकर दे दूंगी आपको..

रमा जाते हुए - चुप बेशर्म.. बाल ठीक कर अपने..

रमा अपने बेटे मुन्ना और बहु नेहा के बच्चों को स्कूल से लेने चली जाती है वही चिंकी कमरे को फिर से व्यवस्थित करके हनी को फ़ोन करती है..

हनी गार्डन में मुन्ना और नेहा के पास आ जाता है जहाँ वो अपने लोगों से काम करवा रहे थे और जयप्रकाश के साथ कुछ रिस्तेदार भी वही थे.. हनी चिंकी का फ़ोन आता देखकर वहां से कुछ दूर चला जाता है और फ़ोन उठाता हुआ कहता है..

हेलो..

कहाँ है तू?

तेरे भाई के पास हूँ.. आंटी किसी से कुछ कहने तो नहीं वाली ना?

कहने तो वाली है पर तुझसे.. सॉरी.. माँ तुझे सॉरी बोलने वाली है..

क्यों?

क्यों क्या? चप्पल से कोई मारता है अपने असली दामाद को? सॉरी तो बुलवा कर रहूंगी मैं उनसे..

चिंकी पागल हो गई है क्या तू.. आंटी ने चप्पल से ही तो मारा है कोनसा तलवार से मार दिया..

मेरे हनी को कोई रुमाल से भी नहीं मार सकता.. सिर्फ मैं ही मार सकती हूँ तुझे समझा?

ज्यादा चिपक नहीं रही तू? शादीशुदा है याद है ना? मैंने कोई प्यार मोहब्बत का वादा नहीं किया तुझसे..

आज जैसे तूने मुझे चिपका चिपका के चोदा है ना मेरे हीरो.. मैं तो तेरी फैन हो गई.. तू फ़िक्र मत कर मैं गले नहीं पड़ने वाली तेरे.. जब तेरा मन तब मिल लेना.. मैं फ़ोर्स नहीं करुँगी तुझे.. पर मिलना जरुर.. तू जैसे करना चाहे वैसे करवा लुंगी.. और तेरा रुमाल मेरे पास ही रह गया मेरे क्यूट कमीने..

ठीक है चिंकी.. अच्छा मैं बाद में बात करूंगा अभी बहुत काम है.. बाय..

सूरज फ़ोन काट कर जैसे ही पीछे मुड़ता है नेहा खड़ी होती है..

भाभी.. आप?

भाभी के बच्चे.. चिंकी से बात कर रहा था ना तू? उस दिन जी भरके बात करवाई थी ना तेरी.. बातों बातों में तीन बार उल्टी कर दी थी तूने.. चिंकी ने सब बताया था मुझे बाद में.. अगर ऐसे खुले में उससे बात करेगा और मुन्ना ने सुन लिया तो हंगामा कर देगा..

भाभी उसने फोन किया था.. कह रही थी रुमाल रह गया उसके पास..

तेरा रुमाल उसके पास.. मतलब तू आज भी बात करने गया था ना उससे घर पर? मतलब उसका पेट पक्का फूलने वाला है.. अगर पकडे गए तो तुम ही निपटना फिर.
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भाभी सॉरी ना.. अच्छा सुनो ना..

क्या है हनी.. मिठाई बनी या नहीं देखने जाना है फिर मत कहना ये नहीं हुआ वो नहीं हुआ.. जल्दी बोल..

वो भाभी एक दोस्त का फोन आया था.. अगले महीने उसकी बहन की शादी तो कैर्टिंग के बारे में पूछ रहा था.. मैंने भी कह दिया मेरी नेहा भाभी से अच्छी कैटरिंग कौन कर सकता है.. बड़ी पार्टी है vip लोग आएंगे.. अच्छा माल बन जाएगा.. आपको नम्बर व्हाट्सप्प कर रहा हूँ एक बार बात कर लो शाम को मिलवा भी दूंगा..

नेहा ख़ुशी से इधर उधर देखकर हनी के गाल को चुम लेती है और कहती है - जब भी चिंकी से बात करने का मन करें बता दिया कर हनी.. मैं कोई ना कोई जुगाड़ करवा दिया करुँगी तुम दोनों का..

सूरज - चिंकी के अलावा किसीसे बात करनी हो तो भाभी..

नेहा - बता ना किससे बात करनी है? देख वो जो काम कर रही है ना वहा.. पांचो औरतों में जिसके साथ तेरा मन हो बता मैं ऊपर भेज दूंगी तेरे पास.. घंटे भर में फ्री कर देना.. समझा..

सूरज मुस्कुराते हुए - मैं आपको ऐसा लगता हूँ भाभी.. कि किसी के साथ भी बात कर लूंगा..

नेहा - जल्दी बता ना हनी.. मैं नहीं जाउंगी तो वो सब धीरे धीरे काम करेंगे.. फिर तू मुझे ही कहेगा भाभी ये काम नहीं हुआ वो नहीं हुआ..

सूरज - आप जाओ.. मैं बाद में व्हाट्सप्प पर बता दूंगा..

नेहा वापस इधर उधर देखकर जल्दी से हनी के गाल पर चुम्बन देने को आगे बढ़ती है मगर सूरज गाल घुमा लेता है और नेहा के होंठो से सूरज के होंठ मिल जाते है और नेहा होंठ मिलते ही अपने होंठों को सूरज के होंठों पर से हटा लेती है और सूरज के बाजू पर अपने हाथ से हल्का सा मारते हुए मुस्कुराकर वापस जाते हुए कहती है - लिपस्टिक साफ कर अपने होंठों से..

सूरज अपने होंठों पर जीभ फिरा कर अपने होंठों पर लगी लिपस्टिक साफ करते हुए जाती हुई नेहा को देखने लगता है और नेहा भी मुस्कुराते हुए सूरज को ही देखने लगती है फिर अपने काम में लग जाती है..

शाम के 6 बज चुके थे और अब सब रिश्तेदार और परिवार के सदस्य गार्डन में पहुंचने लगे थे.. गरिमा भी गार्डन में आ चुकी थी और वो वहा अकेले एक रूम में बैठी हुई थी.. वही सूरज घर जा चूका था और अपने कमरे में बैठा हुआ फ़ोन ओर गरिमा के साथ बात कर रहा था..

कहाँ हो? दिखाई क्यों नहीं दिए मुझे यहां? पहले तो कह रहे थे कि आते ही फूलों से मेरा स्वागत करोगे मगर तुम तो नज़र से भी दूर हो.. ऐसा करोगे देवर जी तो मैं नाराज़ हो जाउंगी आपसे..

भाभी किसी काम से घर आया था.. थोड़ी देर में वापस आ जाऊँगा.. वैसे भईया होंगे ना आपजे स्वागत में वहा..

अच्छा जी.. भईया का नाम लेकर तुम बचना चाहते हो देवर जी? जल्दी से यहाँ आ जाओ.. और मुझे अपने दर्शनलाभ दो.. समझें?

मुझे तो समय लगेगा भाभी.. तब तक आप भईया से बात कर लो..

देखो देवर जी मैं तैयार हो रही हूँ.. अगर मेरे तैयार होने तक नहीं आये तो मैं बात भी नहीं करुँगी तुमसे.. बाय.. फोन कट जाता है और सूरज गद्दे से खड़ा होकर अपने सूट को अलमीरा से निकालकर एक तरफ रख देता है और अपनी टीशर्ट उतारकर बाथरूम के अंदर चला जाता है और ब्रश करता हुआ बाल्टी में नहाने के लिए पानी भरने लगता है.. तभी बाथरूम के गेट पर उसे कोई दिखाई देता है और वो कहता है - भाभी देखो सुबह से बर्दास्त कर रहा हूँ आपको.. ये सब हरकते मेरे साथ मत करो.. वरना मैं नीलेश भईया को फोन कर दूंगा..

रचना - कर देना देवर जी.. मैंने रोका थोड़ी है आपको... वैसे बॉडी तो बहुत अच्छी है आपकी.. बिना जिम गए ही काफी अच्छी बॉडी बना ली.. मछली पडती है आपके? दिखाओ ना देवर जी..

भाभी देखो.. आप अकेले में जो करती हो ना मेरे साथ वो सब गलत है.. मैं अनुराधा बुआ और नीलेश भईया से आपकी शिकायत कर दूंगा.. पहले तो बातों से छेड़ती थी अब तो यहां वहां छूने भी लगी हो..

अच्छा ककहाँ छुआ मैंने? बताओ तो..

सुबह सीढ़ियों में आपने कहा कहा हाथ लगाया था? भूल गयी? और अभी थोड़ी देर पहले रसोई में चाय देते वक़्त भी.. शर्म नहीं आती आपको.. दो साल का बच्चा है आपका और ये सब करती हो..

रचना रचना...

रचना बाथरूम के दरवाजे से हटकर कमरे से बाहर आ जाती है और सीढ़ियों से ऊपर आती अनुराधा को देखकर कहती है..

जी माँ जी.. क्या हुआ?

रचना मैं मुन्ने को लेकर सुमित्रा और बाकी लोगों के साथ जा रही हूँ.. तू ये चाबी रख.. घर लॉक करके आना हनी के साथ आ जाना और उसे तंग मत करना.. अनुराधा वापस नीचे चली जाती है..

ठीक है माँ जी.. रचना वापस कमरे के अंदर आती है तो देखती है सूरज ने बाथरूम का दरवाजा लगा लिया है और नहा रहा है.. रचना अपने पर्स से एक vigra कि गोली जो नीलेश खाता था उसे एक जूस के गिलास में डाल कर मिला देती है और वही रख देती है..
फिर सूरज का सूट उठाकर कहीं छिपा देती है और सूरज के बाथरूम से बाहर आने का इंतजार करने लगती है..

सूरज जब बाथरूम से तौलिया लपेटकर बाहर आता है तो देखता है रचना वही गद्दे ओर बैठी हुई थी..

तोलिए में तो कमाल लगते हो देवर जी.. देखते ही आँखों में नशा चढ़ जाता है..

भाभी आप गई नहीं.. देखो अब आप लिमिट क्रॉस कर ही हो..

रचना उठकर करीब आती हुई - अभी कहा लिमिट क्रॉस की है देवर जी.. लेकिन आप चाहो तो लिमिट क्रॉस हो सकती है.. कसम से देवर जी.. पूरा सुखी कर दूंगी.. आप खुद बोलोगे भाभी मज़ा आ गया..

बुआ और भईया को पता चल गया ना आपने क्या बोला है तो आपका वो हाल होगा जो आप सोच भी नहीं सकती.. समझी.. और मेरा सूट कहा छिपाया है आपने..

बता दूंगी.. पहले थोड़ा रिलेक्स हो जाओ देवर जी.. लो जूस पिलो..

मुझे नहीं पीना भाभी मेरे कपड़े दो.. आप मेरे साथ ये सब करोगी मुझे उम्मीद नहीं थी..

अच्छा मेरे शरीफ देवर जी आप जूस तो पियो.. लो.. मैं आपका सूट लाती हूँ.. अब तंग नहीं करती आपको.. लो..

सूरज जूस लेकर एक सांस में पी लेता है.. और उसे अहसास होता है की जूस कुछ अजीब था वो पूछता है - जूस में क्या मिलाया था आपने?

रचना मुस्कुराते हुए सूरज को सूट देती हुई - vigra की गोली है देवर जी.. मेरे साथ कुछ नहीं करना ना आपको.. अब अपने तोते के लिए कोई मैना ढूंढ़ लो.. क्युकी तोता आसमान में उड़ने वाला है.. वैसे घर में अब हमारे अलावा कोई नहीं है.. आप चाहो तो मैं ही आपको ठंडा कर देती हूँ.. कुछ देर आराम रहेगा देवर जी..

सूरज गुस्से से - आप नीलेश भैया की भाई की बीवी हो.. मैं आपके साथ कुछ नहीं करने वाला.. और ये जो हरकत की है ना आपने.. इसका बदला जरुरत लूंगा मैं आपसे.. याद रखना..

रचना सूरज का लंड खड़ा होते देखकर मुस्कुराते हुए - लगता है तोता उड़ने लगा.. सोच लो देवर जी.. ऑफर लिमिट पीरियड के लिए है फिर मत कहना रचना भाभी अपने बोला नहीं था..

सूरज सूट पहनता हुआ - आपसे तो मैं बात करना ही नहीं चाहता..
ये कहते हुए सूरज अपना सूट पहनता है मगर अपने खड़े लंड से परेशान रहता है और रचना उसे देखकर मुस्कुराते हुए कहती है - चलिए ना देवर जी अब तो वहा सब आ गए होंगे..

सूरज सूट पहनकर वापस बाथरूम में घुस जाता है..
रचना - जयकारा लगा रहे हो क्या देवर जी.. कब तक पकड़ के हिलाते रहोगे? बाहर आओ ना मैं मदद कर देती हूँ आपकी..

सूरज सच में अंदर लंड हिला रहा था और उसका लंड बिलकुल लोहै जैसा सख्त और मजबूत हो गया था उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करें और उसे गार्डन में जाकर सबसे मिलने की भी बहुत तमन्ना थी.. रचना बाथरूम के बाहर खड़ी होकर जहरीली हंसी हसते हुए सूरज को बारबार उसके साथ सम्भोग करने के लिए उकसाए जा रही थी..

सूरज ने अपने खड़ा हुआ लंड देखकर रचना के बारे में एक बार सोचा और मन ही मन किसी ख्याल में पहुच गया और दो मिनट बाद उससे बाहर निकालकर पैंट से लंड बाहर रखकर ही बाथरूम से बाहर रचना के सामने आ गया..

रचना सूरज के लंड को उसकी पेंट से बाहर देखकर हसते हुए सूरज को देखने लगी मगर सूरज के लंड को देखकर उसके मुंह में पानी आने लगा था.. रचना के पति नीलेश भी रचना को पूरा मज़ा देते थे मगर रचना जगह जगह मुंह मारने वाली औरतों में थी और उसे सूरज जैसे लड़के की तलब थी..

क्या हुआ देवर जी चाहिए भाभी की मदद?

सूरज शर्म छोड़कर - भाभी घोड़ी बनोगी?
रचना सूरज के मुंह से इतना सुनकर ख़ुशी से झूम उठी और अपनी शाडी उठा के बिना कुछ बोले झट सेगद्दे पर घोड़ी बन गई..

सूरज ने रचना की बड़ी और चौड़ी गांड देगी तो वो कामुकता से भर गया मगर रचना से बदला लेने का उसका इरादा नहीं बदला और वो रचा के पीछे आकर उसकी गांड को सहलाने लगा..

देवर आराम से करना.. कहीं फाड़ मत देना अपनी भाभी की चुत को.. वरना आपके भईया को मैं क्या मुंह दिखाऊंगी? प्यार से करना..

सूरज अपने लंड ओर थूक लगता हुआ - चिंता मत करो भाभी मैं आपकी चुत को छूूँगा तक नहीं..
इतना कहकर सूरज ने लंड सीधा रचना की गांड के छेद पर टिका दिया और दोनों हाथ से रचना की कमर पकड़ कर एक जोरदार धक्का मार दिया.. लंड सीधा खड़ा हुआ था लोडे सा सख्त. रचना की गांड में आधा झट से घुस गया और रचना चिल्ला उठी मगर सूरज को रचना पर गुस्सा आ रहा था उसने 3-4 धक्के दबाव लगाते हुए लगाए जिससे पूरा लंड रचना की गांड में लगभग घुस ही गया था.. रचना दर्द से सिसक उठी थी और उसकी आँख में आंसू थे. उसे लगा था की वो सूरज के मज़े लेगी मगर सूरज ने बदले के चक्कर में रचना के मज़े ले लिए थे.

रचना सिसकती हुई आंसू बहा रही थी मगर उसे देखने सुनने वाला कोई नहीं था.. थोड़ी देर बाद जब रचना की गांड के मसल्स रिलैक्स हुए तब सूरज ने झटके पर झटके लगा कर रचना की गांड मारनी शुरू कर दी..

रचना तो कुछ बोलने लायक़ ही नहीं रही.. सूरज से गांड मरवाते हुए वो बस सूरज को गालिया ही दे रही थी और उसकी पकड़ से छूटने की कोशिश कर रही थी.. मगर सूरज ने इतना कस के रचना को पकड़ लिया था कि उसकी पकड़ से छूटना आसान नहीं था..
सूरज धक्के पर धक्के दे रहा था और रचना गांड मरवाती हुई सिसकियाँ लेकर अपनी गांड का गोदाम बनते हुए लाचार होकर देख रही थी..

दिवार कि गाड़ी शाम के सात बजा रही थी और अब एक घंटे बाद जाकर सूरज रचना कि गांड मार कर उसमे अपना माल भरकर लंड बाहर निकाल चूका था.. रचना अपनी गांड पकड़ कर खड़ी हुई तो उसने महसूस किया कि उसकी गांड में दर्द हो रहा है और चलने में भी हलकी सी जलन का अहसास हो रहा है

सूरज का लंड ठंडा हो गया था और वो अब रचना से पूछने लगा - भाभी हो गई इच्छा पूरी?

रचना एक जोर दार थपड़ सूरज के गाल पर जड़ कर कमरे से अपनी गांड पकड़ कर बाहर आ जाती है.. सूरज भी अपनी पेंट ठीक से पहन कर अपना फ़ोन उठाते हुए कमरे से बाहर आ जाता है..

गरिमा कॉल पर - कहा हो.. आये क्यों नहीं अब तक?

घर पर हूँ बस आ रहा हूँ..

स्टेज पर जा रही हूँ.. जल्दी आओ वरना बात भी नहीं करूंगी समझें ना.. तुम्हारे भईया तो पहले से स्टेज ओर बैठे है..

ठीक है आ रहा हूँ..

सूरज फ़ोन काट कर रचना से - भाभी एक राउंड और हो जाए?

रचना - बहन के लोडे.. गांड में सुरंग बनायेगा क्या? सोचा था चिकना है चुत में घुसा कर निचोड़ लुंगी मगर तू गांड के पीछे पड़ गया..

सूरज खड़ा होता हुआ - 7.15 बजने वाले है.. चलो..

रचना गुस्से से - मेरी चुत नहीं मारेगा?

सूरज - मैंने कहा था मैं हाथ भी नहीं लगाऊंगा आपकी चुत को.. अब चलना है तो बोलो वरना मैं अकेला निकल जाऊँगा..

रचना अपनी गांड पकड़ कर खड़ी हुई - कमीने याद रखूंगी मैं भी.. देखना केसा बदला लेती हूँ तुझसे..

सूरज हसते हुए - दरवाजा लॉक करो और चलो.. देर करोगी तो सबके सवालों का जवाब देते नहीं बनेगा..

गार्डन में काफी लोग आ गए थे कुछ खाने के लिए चले गए तो कुछ स्टेज पर विनोद और गरिमा के साथ फोटोज खिचवा रहे थे.. कुछ dj ओर डांस भी कर रहे थे.. वही जयप्रकाश और उसके सहकर्मी भागते हुए गार्डन के गेट पर आये और अपने ऑफिस की अधिकारी मैडम का स्वागत करने लगे..

बहुत अच्छा लगा मैडम आप समय निकाल कर आई.. आइये मैं आपको अपने बेटे और उसकी मगेतर से मिलवाता हूँ..

आपने इतना जोर देकर कहा था जयप्रकाश जी.. आना तो था ही..

जी मैडम.. आईये.. ये मेरा बड़ा बेटा विनोद और ये उसकी मगेतर गरिमा..

Congratulations..

विनोद और गरिमा - थैंक्यू..

जयप्रकाश - मैडम.. फोटो.. इस तरफ..

सूरज अब तक रचना को गार्डन में ले आया था और रचना सूरज को आज की आखिरी गाली देकर अपनी गांड के दर्द के साथ अनुराधा के पास चला गया था..

सूरज ने स्टेज की तरफ देखा तो देखता ही रह गया और फिर एकदम से छुपते हुए भगकर गार्डन के बाई तरफ से होकर रसोई खाने में चला गया जहाँ अब एक्का दुक्का लोग थे..

सूरज रसोई के पीछे बने एक एक्स्ट्रा बाथरूम की तरफ चला गया और खड़े होकर लम्बी लम्बी साँसे लेता हुआ कुछ सोचने लगा.. उसने स्टेज पर जिसे बिनोद गरिमा के साथ फोटो खिचवाते हुए देखा था वो कोई और नहीं बल्कि सूरज की कॉलेज में गर्लफ्रेंड रह चुकी गुनगुन थी..

सूरज ने गुनगुन से वापस कभी ना मिलने की कसम खाई थी और वो अपनी कसम पर कायम था.. उसे समझ नहीं आ रहा था की ये सब क्या हो रहा है.. गुनगुन अचानक उसके सामने आ गई और कॉलेज के वो चार साल उसे याद आ गए.. दोनों के बीच प्यार और इश्क़ के दिन.. जब दिनों ने अपने अपने जीवन को एकदूसरे के लिए जीने की कसम खाई थी.. दोनों का पहला सम्भोग भी एक दूसरे के साथ ही हुआ था.. मगर फिर सूरज गुनगुन के जाने के बाद किस तरह से जिन्दा रहा उसे वो भी याद आ गया.. उसने नशे करना शुरू कर दिया था.. रात रात भर घर से गायब रहता था.. किसी से बात नहीं करता था.. मरने तक के ख्याल उसके दिमाग में आये थे और तभी उसने गुनगुन से कभी नहीं मिलने की कसम खाई थी और उसके बाद उसे चिंकी ने संभाला था.. उसे होने जिस्म का सुख और मोरल सपोर्ट देकर चिंकी ने वापस नशे से बाहर निकाला था.. सुमित्रा ने सूरज का ख्याल रहा था और उसे प्यार दिया था जिससे वो वापस ठीक हुआ..

आपके दो बेटे है ना जयप्रकाश जी..

जी मैडम.. छोटा वाला यही कहीं होगा.. फ़ोन भी नहीं उठा रहा वरना आपसे मिलवा देता.. आपकी ही उम्र का है पर अब भी कोई काम नहीं करता.. सोच रहा हूँ शादी के बाद उसे अपने भाई के पास भेज दूं.. वही कुछ कर लेगा..

देखना जयप्रकाश जी.. कहीं हाथ से निकल जाए.. आज कल बच्चे माँ बाप की नहीं सुनते..

सही कहा मैडम.. आइये खाना खा लीजिये है..

गुनगुन खाना खाने लगी थी वही सूरज अब वही था और उसने उस बाथरूम से किसी को बाहर आते हुए देखा एक औरत उस बाथरूम से बाहर आकर सूरज से बोली..

हनी तू यहां क्या कर रहा है..

हनी पर vigra का असर था उसने बिना कुछ सोचे समझें उस औरज को पकड़ लिया और उसे वापस वापस बाथरूम के अंदर घुसाकार अंदर से बाथरूम की कुंदी लगा ली और औरत की कमर में हाथ डाल कर उसके होंठों को चूमते हुए कहा..

नेहा भाभी आपसे बात करनी है अभी..

नेहा शॉक्ड हो गई मगर उसने हनी से कुछ नहीं कहा और बस उसे देखती ही रह गयी..

सूरज ने नेहा की ख़ामोशी को उसकी हां समझा और उसके होंठों को चूमने लगा..

नेहा ने पहले कुछ सेकंड तो कुछ नहीं किया मगर फिर वो भी कुछ सोचकर सूरज के साथ चुम्बन के बंधन में बंध गई और सूरज को बेतहाशा चूमने लगी..

सूरज ने नेहा का एक हाथ होने लंड के ऊपर रख दिया और नेहा के चेहरे और गर्दन को चूमने और चाटने लगा.. नेहा अपने हाथ से सूरज का लंड पकड़ते हुए दबा दिया और पेंट के ऊपर से उसके लंड को पकडने लगी फिर बोली - हनी.. यहां इस बाथरूम में कैसे बात होगी? इतनी बू आ रही है..

हो जायेगी बात भाभी.. आप पलट जाओ और शाडी उठाकर झुक जाओ.. सूरज पेंट नीचे सरकाकर लंड बाहर निकलते हुए बोला और नेहा पलट गई और शाडी उठाकर झुक गई..

सूरज ने लंड को चुत पर सेट करके अंदर घुसा दिया और धीरे धीरे चोदने लगा..
भाभी टाइट निकली आओ तो.. ऐसा लगता ही नहीं आप दो बच्चों की माँ हो..

देवर जी मुन्ना ने देख लिया ना तो तुम्हारे साथ मुझे भी जान से मार देंग.. जल्दी से अपनी बात पूरी करो और जाओ.. यहाँ कोई आ ना जाए.. बस..

सूरज धीरे धीरे चोदते हुए - भाभी मुझे जल्दीबाज़ी में बात करनी नहीं आती.. तसल्ली से इत्मीनान से बात करना पसंद है.. यहां कोई नहीं आएगा..

ऐसा है देवर जी.. अभी लम्बी बातचीत का समय नहीं है.. जल्दी से बात ख़त्म करो और जाओ.. लम्बी बात करने के लिए मैं तुम्हे बाद में फ़ोन कर दूंगी.. अभी ज्यादा देर यहां रुकना ठीक नहीं..

सूरज झटके तेज़ करते हुए आपने दोनों हाथ आगे लेजाकर नेहा के चुचे पकड़ लेता है और मसलाते हुए कहता है - लगता है अब भी दूध आता है इनमे भाभी..

मैं बुलाऊंगी तब आके आराम से पी लेना मेरा दूध हनी..

भाभी चिंकी को हमारी इस बात के बारे में मत बताना प्लीज...

उसकी फ़िक्र मत करो देवर जी.. तुम बस जल्दी से बात ख़त्म करो..

बस भाभी झड़ने वाला हूँ..

अंदर मत निकलना हनी..

क्यों भाभी.. अंदर क्या परेशानी है? निकालने दो ना.. प्लीज..

ठीक है हनी.. निकाल दे..

हनी झड़ता हुआ - भाभी मैं प्रेग्नेंट ना कर दूँ आपको आज.. मज़ा आ गया भाई..आप बहुत मस्त हो..

नेहा अपनी शादी नीचे करके पालाते हुए - अब जा हनी.. कोई आ जाएगा वरना..

सूरज लंड की तरफ इशारा करते हुए - भाभी साफ कर दो ना..

नेहा नीचे झुकाकर लंड को मुंह में ले लेती है चूसते हुए साफ करने लगती है.. तभी दरवाजा बजता है..

नेहा अंदर ही रहेगी क्या?

नेहा लंड मुंह से निकालकर - वो मेरा पेट खराब है.. आप जाइये में आती हूँ.. और एक बार बाहर चक्कर लगा लीजियेगा.. कुछ कमी तो नहीं है कही..

मुन्ना - ठीक है..

नेहा - अब मैं जाती हूँ और तू रसोई की तरफ से मत जाना.. समझा.?

सूरज नेहा को चूमकर - thanks भाभी.. आपका ये अहसास याद रखूँगा..

नेहा मुस्कुराते हुए - अगली बार तसल्ली से बात करूंगी हनी..

नेहा चली जाती है कुछ देर बाद सूरज भी बाथरूम से निकालकर कहीं चला जाता है..


अच्छा जयप्रकाश जी.. इज़ाज़त दीजिये अब..

जी मैडम.. आप आई बहुत अच्छा लगा.. वरना छोटे से बाबू के यहाँ कोनसा अफसर आता है..

ऐसा मत कहिये जयप्रकाश जी.. और कुछ दिन आप रेस्ट कारिये.. ऑफिस आने की जरुरत नहीं है.. मैं देख लुंगी..

बहुत शुक्रिया मैडम..

रात के नो बजने तक गुनगुन वहा से चली जाती है..

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Amazing wonderfull update
 

moms_bachha

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Update 7

अरे अरे कौन है तू? और अंदर कैसे चला आया?

वो आंटी मैं.. सो सॉरी.. मुझे पता नहीं था यहाँ कोई है..

गार्डन के एक कमरे मे रमन घुसा तो उसने देखा की एक 50 पार की महिला कमर से ऊपर पूरी तरह नंगी खड़ी हुई अपने कमरे बदल रही थी जो रमन के कमरे मे आने पर अपने हाथों की हथेलियों से अपने चूची को ढक कर रमन को देखने लगी और उसे गुस्से की निगाहो से देखते हुए बोली..

पता नहीं था या सबकुछ पता करके कमरे मे घुसा है? मैं अच्छे से जानती हु तुम जैसे आवारा लफंडर बदमाश लड़को को.. ना रिश्ता देखते हो ना उम्र.. तुम्हारी मा जैसी हूं.. चलो बाहर निकलो.. वरना चमाट खाओगे.. जाओ..

सॉरी आंटी.. माफ़ करना..

रमन बाहर चला जाता है और औरत अपने कपडे बदलने लगती है..

कुछ देर बाद रचना लचकते हुए उस कमरे मे आ जाती है और उस औरत से कहती है - क्या हुआ मम्मी जी?

कुछ नहीं रचना.. आज कल के लड़के भी ना.. ना उम्र देखते है ना समाज.. बस बेशर्म बनकर कुछ भी करने लगते है..

क्या हुआ मम्मी जी ऐसा क्यों बोल रही हो.. किसी ने प्रपोज़ कर दिया क्या आपको?

नहीं रे.. अभी कपडे बदलते वक़्त एक लड़का कमरे मे घुसा आया.. मैं तो शर्म से पानी पानी हो गई..

तो फिर कुछ हुआ क्या उस लड़के और आपके बीच मम्मी जी? बताओ ना?

तू भी बेशर्म हो गई है रचना.. भला मेरी उम्र है ये सब करने की? देख वो वहा जो लड़का है वही आया था.. मैं तो डांट कर भगा दिया..

रचना खिड़की से रमन को देखकर - ये.. मम्मी जी तो रमन है.. सूरज का दोस्त.. बहुत मालदार पार्टी है.. ये गार्डन इसी का तो है.. और भी बहुत सी प्रॉपर्टी है इसकी शहर मे.. बेचारा गलती से आया होगा.. आप भी ना मम्मी जी.. प्यार से जाने को कह देती डांटना जरुरी था? कितना हैंडसम है..

अनुराधा - रचना ये मत भूल तू शादीशुदा है.. और एक बच्चे की मा है.. ये मर्द देखकर तेरे मुँह मे जो पानी आता है ना सब जानती हूं मैं.. तेरी नियत तो हनी पर भी ठीक नहीं है.. अगर मुझे ऐसा वैसा कुछ पता चाला ना तो देख लेना..

रचना हस्ते हुए - मम्मी जी.. आप भी ना.. ना खुद बाहर की मिठाई खाती है ना मुझे खाने देती है.. अच्छा लो.. दो घूंट मार लो..

रचना अपने पर्स मे से एक वोटका का क्वाटर निकालकर अनुराधा के देती है और अनुराधा रचना के साथ मिलकर उस क्वार्टर को ख़त्म करते है दोनों सास बहु साथ मे इस तरह से पहले भी कई बार हलकी फुलकी शराब खोरी करते रहते थे और आज भी कर रहे थे.. दोनों पर सुरूर आ चूका था.. रचना तो अपनी गांड मे हो रहे हलके मीठे दर्द के साथ नाचने के लिए डांस फ्लोर पर चली गई मगर अनुराधा ने जब रमन को अकेला एक जगह बैठकर खाना खाते देखा तो वो कुछ सोच कर उसीके के पास चली गई..

तुम सूरज के दोस्त हो?

रमन ने साइड मे अनुराधा को खड़ा देखा तो झट से कुर्सी से खड़ा हो गया और बोला.. जी आंटी.. सॉरी वो गलती से आपके रूम मे आ गया..

कोई बात नहीं बेटा.. मैंने ही कुछ ज्यादा बोल दिया था तुम्हे.. मुझे लगा तुम कोई मनचले हो.. बैठो ना.. खाना खाते हुए उठा नहीं करते..

रमन वापस कुर्सी पर बैठ जाता है और अनुराधा भी रमन के बगल वाली कुर्सी पर बैठ जाती है..

ये गार्डन तुम्हारा है?

जी आंटी.. शहर मे काफी खानदानी जमीन थी तो पापा ने कई मैरिज हॉल और लोन बनाकर ये बिज़नेस शुरू किया था.. उनके बाद अब मैं ही इसे संभाल रहा हूं.. रमन ने खाना खाते हुए कहा..

ये तो बहुत अच्छी बात है.. अच्छा बेटा.. मेरे पोते का जन्मदिन है अगले महीने दस तारीख को.. छोटा सा प्रोग्राम करना था.. कोई छोटी जगह है?

जगह ही जगह है आंटी.. आप डेट बोलो मैं यही गार्डन बुक कर देता हूं..

अरे नहीं नहीं बेटा.. इतनी बड़ी जगह का क्या करना है.. मुश्किल से 100- 150 लोग आएंगे.. कोई छोटी जगह बताओ.. ये गार्डन तो महँगा लगता है..

अरे आंटी आप सूरज की रिश्तेदार हो.. आपके लिए क्या सस्ता क्या महँगा? वैसे आप सूरज की क्या लगती है?

मैं सूरज की बुआ हूं बेटा..

तो फिर आप मेरी भी बुआ हुई.. और आपका पोता मेरा भतीजा.. मैं अपनी बुआ और भतीजे के लिए इतना तो कर ही सकता हूं.. मैं सूरज से कह दूंगा जन्मदिन यही बनेगा.. आपको पैसे देने की जरुरत नहीं है.. रमन ने हस्ते हुए आखिरी लाइन कही तो अनुराधा के दिल मे रमन के लिए इज़्ज़त अचानक से बढ़ गईऔर रमन के प्रति अजीब सा खींचाव पनप गया.. अनुराधा पर शराब का सुरूर भी था उसने मुस्कुराते हुए रमन से कहा..

बेटा.. मुझे माफ़ करना.. मैंने तुझे गलत समझा.. तुम्हारी मा ने बहुत अच्छे संस्कार दिए है तुम्हे.. वो बहुत अच्छी होंगी..

रमन उदासी से भरी हुई मुस्कुहाट के साथ - हां.. वो सच मे बहुत अच्छी थी..

थी मतलब? अनुराधा ने हैरत से पूछा तो रमन ने जवाब दिया - आंटी वो मम्मी बहुत साल पहले भगवान के पास चली गई थी..

अनुराधा मे मन मे रमन के लिए मानो ये सुनकर मातृत्व का भाव जाग गया और अनुराधा ने रमन को गले लगाते हुए कहा - बेटा कभी कभी ऊपर वाला बड़ी कड़ी परीक्षा लेता है हम सबकी.. पर तुझे जब भी अपनी मा की याद आये तू मेरे पास मुझसे मिलने आ जाया कर..

अनुराधा के वातसल्य से रमन भाव विभोर हो गया और मुस्कुराते हुए अनुराधा से बोला.. थैंक्स आंटी..

आंटी नहीं बेटा.. बुआ.. तू भी तो मेरे लिए हनी की तरह है.. अच्छा अपना फ़ोन दे मैं नंबर देती हूं.. इस इतवार घर आना.. अपने हाथ से खाना बनाकर खिलाऊंगी तुझे..

रमन मुस्कुराते हुए - आप बहुत अच्छी हो आंटी.. सोरी बुआ..

अनुराधा कुछ देर और ठहर कर वहा से चली जाती है और कुछ देर बाद रमन जब सूरज से मिलकर वापस जाने लगता है तो किसी का कॉल आता है और रमन अपना फ़ोन देखकर गुस्से मे फ़ोन उठाता हुआ कहता है..

क्या है?

सामने सीख मीठी से आवाज मे लड़की जीज्ञासा के भाव से पूछती है- घर कब तक आओगे तुम?

रमन गुस्से मे - क्यों? मेरी शकल देखे बिना नींद नहीं आएगी तुझे?

मुझे कुछ बात करनी है तुमसे.. इसलिए पूछ रही थी.. मुझे भी शोख नहीं है सुबह शाम तुम्हारी शकल देखने का..

सुन.. तू ना मेरे बाप की रखैल थी.. और मेरे बाप ने तेरी माँ के और तेरे इश्क़ मे अपनी सारी जायदाद मुझे देने की जगह तेरे नाम कर दी.. इसलिए तुझे झेल रहा हूं.. बार बार फ़ोन करके परेशान किया ना तो अच्छा नहीं होगा..

नहीं तो क्या कर लोगे तुम.. एक बार नहीं सो बार फ़ोन करूँगी.. जल्दी घर आओ.. समझें? वरना ये जो ऐशो आराम की जिंदगी जी रहे हो ना.. सब छीन लुंगी.. और दुबारा रखैल कहकर बुलाया ना तो भिखारी बना दूंगी..

रमन गुस्से मे फ़ोन काट देता है और घर चाला जाता है..


***************


अंकुश - मम्मी मैं खाना ले आता हूँ..
नीतू - नहीं अक्कू तू बैठ मैं ले आती हूँ..
अंकुश माँ गोमती - अरे अकेली कैसे लायेगी नीतू.. अक्कू तू भी जा..
अंकुश - ठीक है माँ आप बैठो यही.. चल नीतू..
अंकुश और नीतू प्लेट लेकर खाना लेने चल देते है..

नीतू - वकील साहिबा का फोन आया था अभी..
अंकुश - क्या बोली?
नीतू - पूछ रही थी तेरा भाई अच्छा लगता है.. बॉयफ्रेंड बनेगा क्या? तुझे पसंद करती है वकील साहिबा..
अंकुश मुस्कुराते हुए - फिर तूने उसे बताना नहीं मुझे सिर्फ मेरी बहन पसंद है..
नीतू हसते हुए - क्या बताती? कि मेरा भाई बहनचोद है.. उसे बिस्तर मे सिर्फ उसकी बहन ही अच्छी लगती है..
अंकुश - वैसे तुझे जलन तो हुई होगी वकील साहिबा से.. सच बताना..
नीतू - जलन? मेरा तो मन किया साली के बाल पकड़ कर दो थप्पड़ लगा दूँ.. मेरे अक्कू पर नज़र रखती है कमीनी..
अंकुश - उफ्फ्फ मेरी झासी कि रानी.. एक बार घर चल.. आज रात तुझे सोने नहीं दूंगा..
नीतू मुस्कुराते हुए - सिर्फ एक कंडोम बचा हुआ है पैकेट में.. रातभर जगाना है तो और लगेंगे..
अंकुश - वो सब मैं देख लूंगा.. इतनी प्यारी लग रही है ना काले सूट में.. मन कर रहा है यही शुरू हो जाऊ..
नीतू हसते हुए - पहले खाना खा ले.. चल.. और वकील साहिबा ने कुछ और भी कहा था..
अंकुश - क्या?
नीतू - जोगिंदर मेरी शर्त मान गया है.. समझौता करना चाहता है.. 13 तक देने को तैयार है..
अंकुश - ती तू क्या चाहती है?
नीतू - क्या चाहूंगी? पैसे ले लुंगी और क्या? तुझे अपना काम शुरू करने के लिए जरुरत भी तो थी पैसो की.. तूने कहा था ना तुझे नोकरी नहीं करनी..
अंकुश - मुझे पैसे देगी?
नीतू - क्यों बड़ी बहन हूँ तेरी.. और होने वाली बीवी भी.. इतनी मदद कर ही सकती हूँ..
अंकुश - लगता है आज रात पलंग टूटने वाला है.. कल फिर से ठीक करवाना पड़ेगा..
नीतू हसते हुए - गद्दा फर्श पर डाल लुंगी.. बार बार पलंग कैसे टूट जाता है मम्मी पूछती है तो जवाब देते नहीं बनता..
अंकुश - साफ साफ बोल दिया कर ना.. भाई बहन के प्यार मे पलंग को नुक्सान तो होगा ही..
नीतू मुस्कुराते हुए - कमीने.. अब चल..
अंकुश नीतू खाना लेकर वापस अपनी माँ गोमती के पास आ जाते है और खाना खाने लगते है..


*************


हनी.. हनी..
क्या हाल है अक्कू.. नमस्ते आंटी.. कैसी हो नीतू
दीदी?
गोमती - नमस्ते बेटा..
नीतू - क्या बात है हनी.. कहा गायब थे अब तक? दिखे नहीं..
सूरज - काम में बिजी था.. किसी से नहीं मिल पाया..
अंकुश - हीरो लग रहा है सूट में.. अच्छा है.. तुझे टीशर्ट लोवर में देख देख मुझे टीशर्ट लोवर से नफरत हो गई थी..
सूरज - देखो बोल कौन रहा है.. सज धज के तू भी ऐसे आया है जैसे तेरी सगाई हो..
अंकुश नीतू को देखकर - मेरी दुल्हन तो तैयार है.. चाहु तो विनोद भईया के साथ साथ मैं भी सगाई कर सकता हूँ.. वैसे बिल्ला पूछ रहा था तेरे बारे में..
सूरज - कहा है वो?
अंकुश - थोड़ी देर पहले यही था नज़मा भाभी के साथ.. वो रहा.. आइसक्रीम वाली स्टाल के पास..
सूरज - ठीक है अक्कू मैं मिलके आता हूँ..
अंकुश - ठीक है ब्रो. वैसे खाना अच्छा बनाया है तेरे साले ने..
सूरज हसते हुए - साथ में नेहा भाभी थी ना..


***********


क्या हाल है बिल्ले..
बस हनी..
सूरज - खाना हो गया?
बिलाल - हाँ.. तेरी भाभी को आइसक्रीम पसंद है तो आइसक्रीम खाने यहां आ गए..
सूरज - अच्छा है.. भईया भाभी से मिले ना..
बिलाल - हाँ.. आते ही मिले थे.. अब तो जा ही रहे थे.. तुझे फ़ोन भी क्या पर तूने उठाया नहीं..
सूरज - भाई कई लोगों ने फ़ोन किया था पर साइलेंट था इसलिए उठा नहीं पाया किसी का भी..
नज़मा - सूट में बहुत प्यारे लग रहे हो भाईजान..
सूरज नज़मा को देखकर - शुक्रिया भाभी..
बिलाल - अच्छा तुम दोनों बात करो मैं बाथरूम जाकर आता हूँ..
बिलाल चला जाता है नज़मा सूरज को आइसक्रीम खाने को कहती है तो सूरज नज़मा के होंठो पर लगी हलकी सी आइसक्रीम अपनी ऊँगली से इधर उधर देखकर खाते हुए कहता है - भाभी बिलाल से कहना मैं तैयार हूँ.. बस ये बात किसी को पता ना चले..
नज़मा शरमाते हुए - शुक्रिया भाईजान..
सूरज - भाभी भाईजान मत बोलो प्लीज..
नज़मा शरमाते हुए नज़र झुका लेती है और कहती है - तो क्या कहु आपको..
सूरज - सूरज कहो ना भाभी.. आपके गुलाबी होंठो से अच्छा लगेगा सुनने में..
नज़मा इस बार कुछ नहीं बोलती और चुपचाप खड़ी रहती है जब तक बिलाल नहीं आ जाता.. और बिलाल आने के बाद सूरज कहता है - बिल्ले.. मैं बाकी लोगों से मिल लेता हूँ..
बिलाल - ठीक है हनी.. अब हम चलते है.. बहुत सही फंक्शन हुआ है..
सूरज - मैं किसी से कह दू छोड़ने के लिए?
बिलाल - अरे पास में ही तो घर है.. चलके चले जाएंगे.. चल ठीक है भाई..
सूरज - ठीक है बिल्ले.. भाभी का ख्याल रखना..
नज़मा - आप अपना ख्याल रखना भाईजान..


*************


सूरज बिल्ले के पास से जब वापस आने लगता है तो कोई उसका हाथ पकड़ लेता है और कहता है - बड़ी जल्दी में हो.. कहाँ जा रहे हो?

सूरज मुड़कर किसीका चेहरा देखता है फिर कहता है - कैसी हो दी... काकी कैसी हो?
बरखा - तुम तो घर छोड़ने के बाद गायब ही हो गए.. मिलने भी नहीं अपनी दीदी से.. और माँ बता रही थी तुम्हरी करतूतों के बारे में.. बहुत बिगड़ गए हो मेरे जाने के बाद..
हेमलता - आज पहली बार अच्छे कपड़ो में देखा है.. तु तो कोई फ़िल्मी हीरो लगता है हनी..
बरखा - वो तो है माँ.. बस आदत थोड़ी खराब इसकी..
सूरज मुस्कुराते हुए - काकी आप बहुत अच्छी लग रही हो इस शाडी में.. काका को तो दौरा आ गया होगा..
हेमलता - देखा बरखा.. तेरा स्टूडेंट की कैसे केची की तरह जुबान चलने लगी है..
बरखा सूरज के होंठ पकड़कर - लगता है माँ... जबान कुतरनी पड़ेगी इसकी..
सूरज मुस्कुराते हुए - दी.. अब मुझे डंडे से डर नहीं लगता..
बरखा - थप्पड़ से तो लगता है ना.. इस चाँद से चेहरे पर ग्रहण लगा दूंगी बच्चू..
सूरज हसते हुए - काका कहा है?
हेमलता - ये तू बता.. कहा है वो..
सूरज - मुझे क्या पता? उस रात के बाद मैंने बात भी नहीं की काका से..
हेमलता - अगर पता चला वो तेरे साथ है तो सुमित्रा से तेरी शिकायत कर दूंगी.. याद रखना..
सूरज - आपकी कसम काकी उस रात के बाद नहीं मिला बंसी काका से.. दी.. सच में..
बरखा - ठीक है हम जा ही रहे थे..
सूरज - इतनी जल्दी?
बरखा - साढ़े नो बजने वाले है.. आठ बजे के आये हुए थे.. सब से मिल लिया.. एक तू बाकी था बस..
सूरज - मैं घर छोड़ देता हूँ..
बरखा - रहने दे मैं स्कूटी लाई हूँ.. तू अपना ख्याल रख... आज बहुत प्यारा लग रहा है.. किसी नज़र ना लग जाए..
हेमलता - सच कहा बरखा.. हनी एक काला टिका लगा ही ले..
सूरज हसते हुए - काकी काला सूट पहना है और क्या काले की कमी है..
हेमलता - काका मिले तो बोलना काकी घर पर बुला रही है..
सूरज - वो तो आपके डर से ही कहीं गायब होंगे.. आ जाएंगे..
बरखा - अच्छा तू घर आना.. बात करेंगे बैठ कर..
सूरज - ठीक है दी...
बरखा और हेमलता भी चले जाते है सूरज स्टेज की तरफ देखता जहाँ से एक नज़रे सीधा उसे खा जाने वाली नज़रो से देखने लगती है..


सूरज देखता है कि गरिमा उसे ही देखे जा रही थी और वो खा जाने वाली आँखों से ही देख रही थी.. गरिमा दो घंटे से स्टेज पर थी अंगूठी की रस्म हो चुकी थी.. और सूरज अब तक गरिमा से नहीं मिला था.. सूरज नज़र बचाकर वहा से कहीं चला जाता है.. गरिमा फिर से सामने की भीड़ में उसे तलाश करने लगती है.. गरिमा का मन अव्यवस्थित था वो मन ही मन सूरज पर गुस्सा कर रही थी और सोच रही थी कि सूरज अब तक उसे मिलने क्यों नहीं आया..

सूरज का लंड फिर से खड़ा होने लगा था और वो समझ नहीं पास रहा था कि उसका क्या करें? सूरज खड़े लंड के साथ किसी से नहीं मिल सकता था.. उसने एक बार अपने लंड को हिलाने की सोची मगर फिर उसकी नज़र किसी पड़ी तो उसे गुस्से से देखने लगा और उसकी ओर बढ़ गया..

क्या हुआ देवर जी.. कुछ परेशान हो आप..
भाभी मेरे साथ चलो..
कहा ले जाओगे देवर जी अपनी भाभी को?
चलो ना..
सूरज रचना को अपने साथ गार्डन के एक होने में बनी तीन मंज़िला बिल्डिंग में ले जाता है जहाँ हर मंज़िल पर 4 कमरे थे..
सूरज तीसरी मंज़िल के लास्ट वाले कमरे में रचना को ले आता है ओर दरवाजा बंद होते ही रचना कहती है..
देवर जी घोड़ी नहीं बनुँगी.. अब भी दर्द और जलन है..

आप पर गुस्सा आ रहा है भाभी.. देखो बार बार खड़ा हो रहा है.. अब शांत करो इसको..

कर देती हूं देवर जी.. ये कहते हुए रचना सूरज के लंड को बाहर निकालकर मुंह भर लेटी है ओर जोर जोर से चूसने लगती है.. सूरज रचना को देखकर अब उसके अपनी भाभी होने का ख्याल ओर जो वो कर रहा है ये सब गलत होने का ख्याल छोड़ देता है.. सूरज कामुकता से भर जाता है ओर रचना के बाल पकड़ कर उसके मुंह में झटके मार मार कर उसका मुंह चोदने लगता है..

कुछ देर रचना का मुंह चोदकर सूरज रचना को पीछे धकेल देता है ओर ब्लाउज को खोलने लगता है..

देवर जी बहुत दूध है मेरे बोबो में.. चूसके ख़त्म कर दो.. बच्चे के लिए भी मत छोड़ना देवर जी..

सूरज जैसे ही रचना का ब्लाउज ओर ब्रा उतारता है उसके सुडोल उठे हुए मोटे चुचे देखकर उनपर टूट पड़ता है ओर चूसने लगता है मगर उसे रचना के बूब्स पर एक टट्टू ओर तिल का निशान दीखता है तो उसे ऐसा लगता है की ऐसा निशान कहीं देखा है..

सूरज रचना का बोबा पकड़ कर ठीक से वो सब देखने लगता है फिर अपना फ़ोन निकाल कर कुछ देखता है..

क्या हुआ देवर जी क्या देख रहे हो.. आओ ना चुसो मेरे चुचे.. चुत में खुजली हो रही है मिटा दो देवर जी..

सूरज फ़ोन दिखा कर - ये आप ही हो ना भाभी..

रचना फ़ोन में कुछ देखकर - हनी ये..

सूरज रचना का चुचा पकड़ कर - झूठ मत बोलना भाभी.. आपका ये टट्टू ओर तिल दोनों मिल रहे है.. मास्क लगा के इंटरनेट ये सब कर रही हो आप..

रचना सूरज का लंड पकड़ के अपनी चुत में घुसाती हुई - मैं ही हूँ देवर जी.. ओर तुम शकल से तो बड़े सीधे लगते हो मगर ये सब भी देखते हो..

सूरज रचना की चुत में एक जोरदार झटका मारके अपना लंड घुसा देता है ओर रचना की अह्ह्ह निकल जाती है..

रचना सूरज को अपनी बाहों में खींचकर - आराम से देवर जी.. गुस्सा थूक दो..

हलके हलके चोदते हुए - कहा थूकू गुस्सा भाभी..

मेरे मुंह में थूक दो ना देवर जी.. लो.. आ..

सूरज रचना के मुंह में थूक देता है और पूछता है - नीलेश भईया जानते है इस बारे में कि आप इंटरनेट ओर ये सब करती हो?

हाँ.. वो सब जानते है देवर जी.. ये सब उनका ही किया धरा है.. अपनी कमाई पूरी नहीं पड़ती इसलिए मुझसे ये सब करवाते है..

बुआ?

अह्ह्ह.. उनसे मत कहना हनी.. वो नहीं जानती.. हनी.. थोड़ा तेज़ करो ना..

सूरज स्पीड बढ़ा देता है और झटके मारते हुए रचना के मुंह और गर्दन को अच्छे से चूमता चाटता है..

मुझे पता होता कि तुम बिस्तर में इतने अच्छे हो तो मैं कब कि तुमको अपना बना लेती देवर जी.. अह्ह्ह.. गुस्सा तो नहीं हो ना अपनी भाभी पर..

सूरज लंड निकालकर - गुस्सा तो बहुत हु भाभी आप पर.. मगर आपकी प्यारी प्यारी बातो से गुस्सा ठंडा हो जाता है.. भाभी घोड़ी बनो..

नहीं.. तुम गांड मारने लग जाओगे.. पहले ही दर्द हो रहा है..

अरे नहीं मारूंगा भाभी.. चलो बनो जल्दी..

पक्का ना देवर जी..

सूरज रचना कि कमर पकड़कर घोड़ी बनाता हुआ - पक्का भाभी..

रचना - आपका फ़ोन आ रहा है..

सूरज चुत में लंड पेलकर - किसका है उठा कर स्पीकर पर डाल दो भाभी..

रचना वैसा ही करती है..

सूरज हलके हलके झटके मारते हुए - हेलो..

कहाँ है बेटू? क्या कर रहा है?

कुछ नहीं माँ.. यही था..

तो कब से तुझे ढूंढ़ रही हूँ.. स्टेज पर आजा.. फॅमिली फोटोज खिचवानी है..

माँ थोड़ा वक़्त लगेगा.. जरुरी काम है एक..

ऐसा क्या जरुरी काम है तुझे हनी.. जल्दी आ..

माँ आ रहा हूँ थोड़ी देर में.. फ़ोन रख दो..

सूरज ये कहकर रचना के बाल पकड़ के तेज़ झटके मारने लगा तो रचना के मुंह अह्ह्ह.. आराम से.. मार डालोगे क्या? की आवाज निकल गई और फ़ोन कटने से पहले सुमित्रा ने रचना की ये बात सुन ली.. जिससे वो समझ गई सूरज क्या कर रहा है.. सुमित्रा एक दम से कामुक हो गई और सूरज और उस लड़की के बारे में सोचने लगी जिसकी आवाज उसने फ़ोन पर सुनी थी.. सुमित्रा नहीं जानती थी कि वो लड़की कौन है मगर उसे इतना पता चल गया था की सूरज किसी लड़की को चोद रहा है..



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अरे अरे कौन है तू? और अंदर कैसे चला आया?

वो आंटी मैं.. सो सॉरी.. मुझे पता नहीं था यहाँ कोई है..

गार्डन के एक कमरे मे रमन घुसा तो उसने देखा की एक 50 पार की महिला कमर से ऊपर पूरी तरह नंगी खड़ी हुई अपने कमरे बदल रही थी जो रमन के कमरे मे आने पर अपने हाथों की हथेलियों से अपने चूची को ढक कर रमन को देखने लगी और उसे गुस्से की निगाहो से देखते हुए बोली..

पता नहीं था या सबकुछ पता करके कमरे मे घुसा है? मैं अच्छे से जानती हु तुम जैसे आवारा लफंडर बदमाश लड़को को.. ना रिश्ता देखते हो ना उम्र.. तुम्हारी मा जैसी हूं.. चलो बाहर निकलो.. वरना चमाट खाओगे.. जाओ..

सॉरी आंटी.. माफ़ करना..

रमन बाहर चला जाता है और औरत अपने कपडे बदलने लगती है..

कुछ देर बाद रचना लचकते हुए उस कमरे मे आ जाती है और उस औरत से कहती है - क्या हुआ मम्मी जी?

कुछ नहीं रचना.. आज कल के लड़के भी ना.. ना उम्र देखते है ना समाज.. बस बेशर्म बनकर कुछ भी करने लगते है..

क्या हुआ मम्मी जी ऐसा क्यों बोल रही हो.. किसी ने प्रपोज़ कर दिया क्या आपको?

नहीं रे.. अभी कपडे बदलते वक़्त एक लड़का कमरे मे घुसा आया.. मैं तो शर्म से पानी पानी हो गई..

तो फिर कुछ हुआ क्या उस लड़के और आपके बीच मम्मी जी? बताओ ना?

तू भी बेशर्म हो गई है रचना.. भला मेरी उम्र है ये सब करने की? देख वो वहा जो लड़का है वही आया था.. मैं तो डांट कर भगा दिया..

रचना खिड़की से रमन को देखकर - ये.. मम्मी जी तो रमन है.. सूरज का दोस्त.. बहुत मालदार पार्टी है.. ये गार्डन इसी का तो है.. और भी बहुत सी प्रॉपर्टी है इसकी शहर मे.. बेचारा गलती से आया होगा.. आप भी ना मम्मी जी.. प्यार से जाने को कह देती डांटना जरुरी था? कितना हैंडसम है..

अनुराधा - रचना ये मत भूल तू शादीशुदा है.. और एक बच्चे की मा है.. ये मर्द देखकर तेरे मुँह मे जो पानी आता है ना सब जानती हूं मैं.. तेरी नियत तो हनी पर भी ठीक नहीं है.. अगर मुझे ऐसा वैसा कुछ पता चाला ना तो देख लेना..

रचना हस्ते हुए - मम्मी जी.. आप भी ना.. ना खुद बाहर की मिठाई खाती है ना मुझे खाने देती है.. अच्छा लो.. दो घूंट मार लो..

रचना अपने पर्स मे से एक वोटका का क्वाटर निकालकर अनुराधा के देती है और अनुराधा रचना के साथ मिलकर उस क्वार्टर को ख़त्म करते है दोनों सास बहु साथ मे इस तरह से पहले भी कई बार हलकी फुलकी शराब खोरी करते रहते थे और आज भी कर रहे थे.. दोनों पर सुरूर आ चूका था.. रचना तो अपनी गांड मे हो रहे हलके मीठे दर्द के साथ नाचने के लिए डांस फ्लोर पर चली गई मगर अनुराधा ने जब रमन को अकेला एक जगह बैठकर खाना खाते देखा तो वो कुछ सोच कर उसीके के पास चली गई..

तुम सूरज के दोस्त हो?

रमन ने साइड मे अनुराधा को खड़ा देखा तो झट से कुर्सी से खड़ा हो गया और बोला.. जी आंटी.. सॉरी वो गलती से आपके रूम मे आ गया..

कोई बात नहीं बेटा.. मैंने ही कुछ ज्यादा बोल दिया था तुम्हे.. मुझे लगा तुम कोई मनचले हो.. बैठो ना.. खाना खाते हुए उठा नहीं करते..

रमन वापस कुर्सी पर बैठ जाता है और अनुराधा भी रमन के बगल वाली कुर्सी पर बैठ जाती है..

ये गार्डन तुम्हारा है?

जी आंटी.. शहर मे काफी खानदानी जमीन थी तो पापा ने कई मैरिज हॉल और लोन बनाकर ये बिज़नेस शुरू किया था.. उनके बाद अब मैं ही इसे संभाल रहा हूं.. रमन ने खाना खाते हुए कहा..

ये तो बहुत अच्छी बात है.. अच्छा बेटा.. मेरे पोते का जन्मदिन है अगले महीने दस तारीख को.. छोटा सा प्रोग्राम करना था.. कोई छोटी जगह है?

जगह ही जगह है आंटी.. आप डेट बोलो मैं यही गार्डन बुक कर देता हूं..

अरे नहीं नहीं बेटा.. इतनी बड़ी जगह का क्या करना है.. मुश्किल से 100- 150 लोग आएंगे.. कोई छोटी जगह बताओ.. ये गार्डन तो महँगा लगता है..

अरे आंटी आप सूरज की रिश्तेदार हो.. आपके लिए क्या सस्ता क्या महँगा? वैसे आप सूरज की क्या लगती है?

मैं सूरज की बुआ हूं बेटा..

तो फिर आप मेरी भी बुआ हुई.. और आपका पोता मेरा भतीजा.. मैं अपनी बुआ और भतीजे के लिए इतना तो कर ही सकता हूं.. मैं सूरज से कह दूंगा जन्मदिन यही बनेगा.. आपको पैसे देने की जरुरत नहीं है.. रमन ने हस्ते हुए आखिरी लाइन कही तो अनुराधा के दिल मे रमन के लिए इज़्ज़त अचानक से बढ़ गईऔर रमन के प्रति अजीब सा खींचाव पनप गया.. अनुराधा पर शराब का सुरूर भी था उसने मुस्कुराते हुए रमन से कहा..

बेटा.. मुझे माफ़ करना.. मैंने तुझे गलत समझा.. तुम्हारी मा ने बहुत अच्छे संस्कार दिए है तुम्हे.. वो बहुत अच्छी होंगी..

रमन उदासी से भरी हुई मुस्कुहाट के साथ - हां.. वो सच मे बहुत अच्छी थी..

थी मतलब? अनुराधा ने हैरत से पूछा तो रमन ने जवाब दिया - आंटी वो मम्मी बहुत साल पहले भगवान के पास चली गई थी..

अनुराधा मे मन मे रमन के लिए मानो ये सुनकर मातृत्व का भाव जाग गया और अनुराधा ने रमन को गले लगाते हुए कहा - बेटा कभी कभी ऊपर वाला बड़ी कड़ी परीक्षा लेता है हम सबकी.. पर तुझे जब भी अपनी मा की याद आये तू मेरे पास मुझसे मिलने आ जाया कर..

अनुराधा के वातसल्य से रमन भाव विभोर हो गया और मुस्कुराते हुए अनुराधा से बोला.. थैंक्स आंटी..

आंटी नहीं बेटा.. बुआ.. तू भी तो मेरे लिए हनी की तरह है.. अच्छा अपना फ़ोन दे मैं नंबर देती हूं.. इस इतवार घर आना.. अपने हाथ से खाना बनाकर खिलाऊंगी तुझे..

रमन मुस्कुराते हुए - आप बहुत अच्छी हो आंटी.. सोरी बुआ..

अनुराधा कुछ देर और ठहर कर वहा से चली जाती है और कुछ देर बाद रमन जब सूरज से मिलकर वापस जाने लगता है तो किसी का कॉल आता है और रमन अपना फ़ोन देखकर गुस्से मे फ़ोन उठाता हुआ कहता है..

क्या है?

सामने सीख मीठी से आवाज मे लड़की जीज्ञासा के भाव से पूछती है- घर कब तक आओगे तुम?

रमन गुस्से मे - क्यों? मेरी शकल देखे बिना नींद नहीं आएगी तुझे?

मुझे कुछ बात करनी है तुमसे.. इसलिए पूछ रही थी.. मुझे भी शोख नहीं है सुबह शाम तुम्हारी शकल देखने का..

सुन.. तू ना मेरे बाप की रखैल थी.. और मेरे बाप ने तेरी माँ के और तेरे इश्क़ मे अपनी सारी जायदाद मुझे देने की जगह तेरे नाम कर दी.. इसलिए तुझे झेल रहा हूं.. बार बार फ़ोन करके परेशान किया ना तो अच्छा नहीं होगा..

नहीं तो क्या कर लोगे तुम.. एक बार नहीं सो बार फ़ोन करूँगी.. जल्दी घर आओ.. समझें? वरना ये जो ऐशो आराम की जिंदगी जी रहे हो ना.. सब छीन लुंगी.. और दुबारा रखैल कहकर बुलाया ना तो भिखारी बना दूंगी..

रमन गुस्से मे फ़ोन काट देता है और घर चाला जाता है..


***************


अंकुश - मम्मी मैं खाना ले आता हूँ..
नीतू - नहीं अक्कू तू बैठ मैं ले आती हूँ..
अंकुश माँ गोमती - अरे अकेली कैसे लायेगी नीतू.. अक्कू तू भी जा..
अंकुश - ठीक है माँ आप बैठो यही.. चल नीतू..
अंकुश और नीतू प्लेट लेकर खाना लेने चल देते है..

नीतू - वकील साहिबा का फोन आया था अभी..
अंकुश - क्या बोली?
नीतू - पूछ रही थी तेरा भाई अच्छा लगता है.. बॉयफ्रेंड बनेगा क्या? तुझे पसंद करती है वकील साहिबा..
अंकुश मुस्कुराते हुए - फिर तूने उसे बताना नहीं मुझे सिर्फ मेरी बहन पसंद है..
नीतू हसते हुए - क्या बताती? कि मेरा भाई बहनचोद है.. उसे बिस्तर मे सिर्फ उसकी बहन ही अच्छी लगती है..
अंकुश - वैसे तुझे जलन तो हुई होगी वकील साहिबा से.. सच बताना..
नीतू - जलन? मेरा तो मन किया साली के बाल पकड़ कर दो थप्पड़ लगा दूँ.. मेरे अक्कू पर नज़र रखती है कमीनी..
अंकुश - उफ्फ्फ मेरी झासी कि रानी.. एक बार घर चल.. आज रात तुझे सोने नहीं दूंगा..
नीतू मुस्कुराते हुए - सिर्फ एक कंडोम बचा हुआ है पैकेट में.. रातभर जगाना है तो और लगेंगे..
अंकुश - वो सब मैं देख लूंगा.. इतनी प्यारी लग रही है ना काले सूट में.. मन कर रहा है यही शुरू हो जाऊ..
नीतू हसते हुए - पहले खाना खा ले.. चल.. और वकील साहिबा ने कुछ और भी कहा था..
अंकुश - क्या?
नीतू - जोगिंदर मेरी शर्त मान गया है.. समझौता करना चाहता है.. 13 तक देने को तैयार है..
अंकुश - ती तू क्या चाहती है?
नीतू - क्या चाहूंगी? पैसे ले लुंगी और क्या? तुझे अपना काम शुरू करने के लिए जरुरत भी तो थी पैसो की.. तूने कहा था ना तुझे नोकरी नहीं करनी..
अंकुश - मुझे पैसे देगी?
नीतू - क्यों बड़ी बहन हूँ तेरी.. और होने वाली बीवी भी.. इतनी मदद कर ही सकती हूँ..
अंकुश - लगता है आज रात पलंग टूटने वाला है.. कल फिर से ठीक करवाना पड़ेगा..
नीतू हसते हुए - गद्दा फर्श पर डाल लुंगी.. बार बार पलंग कैसे टूट जाता है मम्मी पूछती है तो जवाब देते नहीं बनता..
अंकुश - साफ साफ बोल दिया कर ना.. भाई बहन के प्यार मे पलंग को नुक्सान तो होगा ही..
नीतू मुस्कुराते हुए - कमीने.. अब चल..
अंकुश नीतू खाना लेकर वापस अपनी माँ गोमती के पास आ जाते है और खाना खाने लगते है..


*************


हनी.. हनी..
क्या हाल है अक्कू.. नमस्ते आंटी.. कैसी हो नीतू
दीदी?
गोमती - नमस्ते बेटा..
नीतू - क्या बात है हनी.. कहा गायब थे अब तक? दिखे नहीं..
सूरज - काम में बिजी था.. किसी से नहीं मिल पाया..
अंकुश - हीरो लग रहा है सूट में.. अच्छा है.. तुझे टीशर्ट लोवर में देख देख मुझे टीशर्ट लोवर से नफरत हो गई थी..
सूरज - देखो बोल कौन रहा है.. सज धज के तू भी ऐसे आया है जैसे तेरी सगाई हो..
अंकुश नीतू को देखकर - मेरी दुल्हन तो तैयार है.. चाहु तो विनोद भईया के साथ साथ मैं भी सगाई कर सकता हूँ.. वैसे बिल्ला पूछ रहा था तेरे बारे में..
सूरज - कहा है वो?
अंकुश - थोड़ी देर पहले यही था नज़मा भाभी के साथ.. वो रहा.. आइसक्रीम वाली स्टाल के पास..
सूरज - ठीक है अक्कू मैं मिलके आता हूँ..
अंकुश - ठीक है ब्रो. वैसे खाना अच्छा बनाया है तेरे साले ने..
सूरज हसते हुए - साथ में नेहा भाभी थी ना..


***********


क्या हाल है बिल्ले..
बस हनी..
सूरज - खाना हो गया?
बिलाल - हाँ.. तेरी भाभी को आइसक्रीम पसंद है तो आइसक्रीम खाने यहां आ गए..
सूरज - अच्छा है.. भईया भाभी से मिले ना..
बिलाल - हाँ.. आते ही मिले थे.. अब तो जा ही रहे थे.. तुझे फ़ोन भी क्या पर तूने उठाया नहीं..
सूरज - भाई कई लोगों ने फ़ोन किया था पर साइलेंट था इसलिए उठा नहीं पाया किसी का भी..
नज़मा - सूट में बहुत प्यारे लग रहे हो भाईजान..
सूरज नज़मा को देखकर - शुक्रिया भाभी..
बिलाल - अच्छा तुम दोनों बात करो मैं बाथरूम जाकर आता हूँ..
बिलाल चला जाता है नज़मा सूरज को आइसक्रीम खाने को कहती है तो सूरज नज़मा के होंठो पर लगी हलकी सी आइसक्रीम अपनी ऊँगली से इधर उधर देखकर खाते हुए कहता है - भाभी बिलाल से कहना मैं तैयार हूँ.. बस ये बात किसी को पता ना चले..
नज़मा शरमाते हुए - शुक्रिया भाईजान..
सूरज - भाभी भाईजान मत बोलो प्लीज..
नज़मा शरमाते हुए नज़र झुका लेती है और कहती है - तो क्या कहु आपको..
सूरज - सूरज कहो ना भाभी.. आपके गुलाबी होंठो से अच्छा लगेगा सुनने में..
नज़मा इस बार कुछ नहीं बोलती और चुपचाप खड़ी रहती है जब तक बिलाल नहीं आ जाता.. और बिलाल आने के बाद सूरज कहता है - बिल्ले.. मैं बाकी लोगों से मिल लेता हूँ..
बिलाल - ठीक है हनी.. अब हम चलते है.. बहुत सही फंक्शन हुआ है..
सूरज - मैं किसी से कह दू छोड़ने के लिए?
बिलाल - अरे पास में ही तो घर है.. चलके चले जाएंगे.. चल ठीक है भाई..
सूरज - ठीक है बिल्ले.. भाभी का ख्याल रखना..
नज़मा - आप अपना ख्याल रखना भाईजान..


*************


सूरज बिल्ले के पास से जब वापस आने लगता है तो कोई उसका हाथ पकड़ लेता है और कहता है - बड़ी जल्दी में हो.. कहाँ जा रहे हो?

सूरज मुड़कर किसीका चेहरा देखता है फिर कहता है - कैसी हो दी... काकी कैसी हो?
बरखा - तुम तो घर छोड़ने के बाद गायब ही हो गए.. मिलने भी नहीं अपनी दीदी से.. और माँ बता रही थी तुम्हरी करतूतों के बारे में.. बहुत बिगड़ गए हो मेरे जाने के बाद..
हेमलता - आज पहली बार अच्छे कपड़ो में देखा है.. तु तो कोई फ़िल्मी हीरो लगता है हनी..
बरखा - वो तो है माँ.. बस आदत थोड़ी खराब इसकी..
सूरज मुस्कुराते हुए - काकी आप बहुत अच्छी लग रही हो इस शाडी में.. काका को तो दौरा आ गया होगा..
हेमलता - देखा बरखा.. तेरा स्टूडेंट की कैसे केची की तरह जुबान चलने लगी है..
बरखा सूरज के होंठ पकड़कर - लगता है माँ... जबान कुतरनी पड़ेगी इसकी..
सूरज मुस्कुराते हुए - दी.. अब मुझे डंडे से डर नहीं लगता..
बरखा - थप्पड़ से तो लगता है ना.. इस चाँद से चेहरे पर ग्रहण लगा दूंगी बच्चू..
सूरज हसते हुए - काका कहा है?
हेमलता - ये तू बता.. कहा है वो..
सूरज - मुझे क्या पता? उस रात के बाद मैंने बात भी नहीं की काका से..
हेमलता - अगर पता चला वो तेरे साथ है तो सुमित्रा से तेरी शिकायत कर दूंगी.. याद रखना..
सूरज - आपकी कसम काकी उस रात के बाद नहीं मिला बंसी काका से.. दी.. सच में..
बरखा - ठीक है हम जा ही रहे थे..
सूरज - इतनी जल्दी?
बरखा - साढ़े नो बजने वाले है.. आठ बजे के आये हुए थे.. सब से मिल लिया.. एक तू बाकी था बस..
सूरज - मैं घर छोड़ देता हूँ..
बरखा - रहने दे मैं स्कूटी लाई हूँ.. तू अपना ख्याल रख... आज बहुत प्यारा लग रहा है.. किसी नज़र ना लग जाए..
हेमलता - सच कहा बरखा.. हनी एक काला टिका लगा ही ले..
सूरज हसते हुए - काकी काला सूट पहना है और क्या काले की कमी है..
हेमलता - काका मिले तो बोलना काकी घर पर बुला रही है..
सूरज - वो तो आपके डर से ही कहीं गायब होंगे.. आ जाएंगे..
बरखा - अच्छा तू घर आना.. बात करेंगे बैठ कर..
सूरज - ठीक है दी...
बरखा और हेमलता भी चले जाते है सूरज स्टेज की तरफ देखता जहाँ से एक नज़रे सीधा उसे खा जाने वाली नज़रो से देखने लगती है..


सूरज देखता है कि गरिमा उसे ही देखे जा रही थी और वो खा जाने वाली आँखों से ही देख रही थी.. गरिमा दो घंटे से स्टेज पर थी अंगूठी की रस्म हो चुकी थी.. और सूरज अब तक गरिमा से नहीं मिला था.. सूरज नज़र बचाकर वहा से कहीं चला जाता है.. गरिमा फिर से सामने की भीड़ में उसे तलाश करने लगती है.. गरिमा का मन अव्यवस्थित था वो मन ही मन सूरज पर गुस्सा कर रही थी और सोच रही थी कि सूरज अब तक उसे मिलने क्यों नहीं आया..

सूरज का लंड फिर से खड़ा होने लगा था और वो समझ नहीं पास रहा था कि उसका क्या करें? सूरज खड़े लंड के साथ किसी से नहीं मिल सकता था.. उसने एक बार अपने लंड को हिलाने की सोची मगर फिर उसकी नज़र किसी पड़ी तो उसे गुस्से से देखने लगा और उसकी ओर बढ़ गया..

क्या हुआ देवर जी.. कुछ परेशान हो आप..
भाभी मेरे साथ चलो..
कहा ले जाओगे देवर जी अपनी भाभी को?
चलो ना..
सूरज रचना को अपने साथ गार्डन के एक होने में बनी तीन मंज़िला बिल्डिंग में ले जाता है जहाँ हर मंज़िल पर 4 कमरे थे..
सूरज तीसरी मंज़िल के लास्ट वाले कमरे में रचना को ले आता है ओर दरवाजा बंद होते ही रचना कहती है..
देवर जी घोड़ी नहीं बनुँगी.. अब भी दर्द और जलन है..

आप पर गुस्सा आ रहा है भाभी.. देखो बार बार खड़ा हो रहा है.. अब शांत करो इसको..

कर देती हूं देवर जी.. ये कहते हुए रचना सूरज के लंड को बाहर निकालकर मुंह भर लेटी है ओर जोर जोर से चूसने लगती है.. सूरज रचना को देखकर अब उसके अपनी भाभी होने का ख्याल ओर जो वो कर रहा है ये सब गलत होने का ख्याल छोड़ देता है.. सूरज कामुकता से भर जाता है ओर रचना के बाल पकड़ कर उसके मुंह में झटके मार मार कर उसका मुंह चोदने लगता है..

कुछ देर रचना का मुंह चोदकर सूरज रचना को पीछे धकेल देता है ओर ब्लाउज को खोलने लगता है..

देवर जी बहुत दूध है मेरे बोबो में.. चूसके ख़त्म कर दो.. बच्चे के लिए भी मत छोड़ना देवर जी..

सूरज जैसे ही रचना का ब्लाउज ओर ब्रा उतारता है उसके सुडोल उठे हुए मोटे चुचे देखकर उनपर टूट पड़ता है ओर चूसने लगता है मगर उसे रचना के बूब्स पर एक टट्टू ओर तिल का निशान दीखता है तो उसे ऐसा लगता है की ऐसा निशान कहीं देखा है..

सूरज रचना का बोबा पकड़ कर ठीक से वो सब देखने लगता है फिर अपना फ़ोन निकाल कर कुछ देखता है..

क्या हुआ देवर जी क्या देख रहे हो.. आओ ना चुसो मेरे चुचे.. चुत में खुजली हो रही है मिटा दो देवर जी..

सूरज फ़ोन दिखा कर - ये आप ही हो ना भाभी..

रचना फ़ोन में कुछ देखकर - हनी ये..

सूरज रचना का चुचा पकड़ कर - झूठ मत बोलना भाभी.. आपका ये टट्टू ओर तिल दोनों मिल रहे है.. मास्क लगा के इंटरनेट ये सब कर रही हो आप..

रचना सूरज का लंड पकड़ के अपनी चुत में घुसाती हुई - मैं ही हूँ देवर जी.. ओर तुम शकल से तो बड़े सीधे लगते हो मगर ये सब भी देखते हो..

सूरज रचना की चुत में एक जोरदार झटका मारके अपना लंड घुसा देता है ओर रचना की अह्ह्ह निकल जाती है..

रचना सूरज को अपनी बाहों में खींचकर - आराम से देवर जी.. गुस्सा थूक दो..

हलके हलके चोदते हुए - कहा थूकू गुस्सा भाभी..

मेरे मुंह में थूक दो ना देवर जी.. लो.. आ..

सूरज रचना के मुंह में थूक देता है और पूछता है - नीलेश भईया जानते है इस बारे में कि आप इंटरनेट ओर ये सब करती हो?

हाँ.. वो सब जानते है देवर जी.. ये सब उनका ही किया धरा है.. अपनी कमाई पूरी नहीं पड़ती इसलिए मुझसे ये सब करवाते है..

बुआ?

अह्ह्ह.. उनसे मत कहना हनी.. वो नहीं जानती.. हनी.. थोड़ा तेज़ करो ना..

सूरज स्पीड बढ़ा देता है और झटके मारते हुए रचना के मुंह और गर्दन को अच्छे से चूमता चाटता है..

मुझे पता होता कि तुम बिस्तर में इतने अच्छे हो तो मैं कब कि तुमको अपना बना लेती देवर जी.. अह्ह्ह.. गुस्सा तो नहीं हो ना अपनी भाभी पर..

सूरज लंड निकालकर - गुस्सा तो बहुत हु भाभी आप पर.. मगर आपकी प्यारी प्यारी बातो से गुस्सा ठंडा हो जाता है.. भाभी घोड़ी बनो..

नहीं.. तुम गांड मारने लग जाओगे.. पहले ही दर्द हो रहा है..

अरे नहीं मारूंगा भाभी.. चलो बनो जल्दी..

पक्का ना देवर जी..

सूरज रचना कि कमर पकड़कर घोड़ी बनाता हुआ - पक्का भाभी..

रचना - आपका फ़ोन आ रहा है..

सूरज चुत में लंड पेलकर - किसका है उठा कर स्पीकर पर डाल दो भाभी..

रचना वैसा ही करती है..

सूरज हलके हलके झटके मारते हुए - हेलो..

कहाँ है बेटू? क्या कर रहा है?

कुछ नहीं माँ.. यही था..

तो कब से तुझे ढूंढ़ रही हूँ.. स्टेज पर आजा.. फॅमिली फोटोज खिचवानी है..

माँ थोड़ा वक़्त लगेगा.. जरुरी काम है एक..

ऐसा क्या जरुरी काम है तुझे हनी.. जल्दी आ..

माँ आ रहा हूँ थोड़ी देर में.. फ़ोन रख दो..

सूरज ये कहकर रचना के बाल पकड़ के तेज़ झटके मारने लगा तो रचना के मुंह अह्ह्ह.. आराम से.. मार डालोगे क्या? की आवाज निकल गई और फ़ोन कटने से पहले सुमित्रा ने रचना की ये बात सुन ली.. जिससे वो समझ गई सूरज क्या कर रहा है.. सुमित्रा एक दम से कामुक हो गई और सूरज और उस लड़की के बारे में सोचने लगी जिसकी आवाज उसने फ़ोन पर सुनी थी.. सुमित्रा नहीं जानती थी कि वो लड़की कौन है मगर उसे इतना पता चल गया था की सूरज किसी लड़की को चोद रहा है..






Mast jabardast update
 

Yashu7979

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Bua toh raman sa pat gai lagta...lekin ghar ka maal pe pehla hak suraj ka hi hona chaiya phir chaye koi aur aa gai..bharkha bhi line main shayad dekhta agla number kiska hoga..dekhta garima ko suraj babu kaise manate hai
 
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