बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गयाYe suraj hai kya Bala sab ka bhala karta ja raha hai or khud gadhe me girta ja raha hai titli or Raman ka Pachuca karwa raha hai
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गयाYe suraj hai kya Bala sab ka bhala karta ja raha hai or khud gadhe me girta ja raha hai titli or Raman ka Pachuca karwa raha hai
Bhai dikat hogi to tum apni gf se setting krwa doge kya?
Kahani agar badhiya chalegi to likes and comments khud be khud milenge. Har update pe pratikriya milne ke apeksha na kare. Waise kahani abhi tak to badhiya jaa rahi hai. Ummeed hai Ashu ke Padma jaise beech mein KLPD na ho jaaye aur kahani poore anjaam tak pahuche kyunki is kahani mein baaki kirdaar bhi hero (Suraj) ki tarah interesting lag rahe hai.Agli baar 80 dene honge![]()
Behtareen updateUpdate 10
सूरज घर पहुँचता है तो देखता है उसकी माँ सुमित्रा अपनी बोझल आँखों से उसी का इंतजार कर रही थी और सूरज सुमित्रा कि आँखों को देखकर समझ जाता है कि सुमित्रा रात भर नहीं सोइ..
कहाँ था ना माँ सो जाओ.. मगर आप तो पता नहीं क्या चाहती हो? देखो आँखे कैसे लाल हो गई है आपकी..
अभी सोकर ही उठी थी बेटू, और तू आ गया.. चल चाय बना देती हूँ.. कुछ खायेगा तो बता.. बना दूंगी..
सूरज सुमित्रा को बाहों में भरके - मुझसे ना झूठ मत बोला करो माँ... आपके सोने और जागने का पता आपकी शकल से चल जाता है.. और मूझे कुछ नहीं खाना.. मूझे तो बस सोना है.. बहुत नींद आ रही है..
सुमित्रा - अच्छा.. रात में सब ठीक था ना हनी.. तू खुश हुआ ना..
सूरज सुमित्रा के गाल चूमकर - इतनी पर्सनल बातें मत पूछा करो माँ.. मैं बच्चा नहीं हूँ अब.. अच्छा बुरा समझता हूँ.. आप भी थोड़ा आराम कर लो.. रातभर बिना वजह ही जाग रही थी..
सुमित्रा भोलेपन का नाटक करती हुई - इसमें क्या पर्सनल है? अपनी माँ को इतना भी नहीं बता सकता तो क्या फ़ायदा.. मैं अब कुछ पूछूंगी ही नहीं तुझसे.. जा सोजा..
सूरज हसते हुए - अच्छा ठीक है.. मुंह मत लटकाओ.. मैं खुश हूँ.. अब जाऊ सोने?
सुमित्रा - रुक मैं हल्दी वाला दूध दे देती हूँ.. पीकर सोना.. रातभर इतनी मेहनत की है, थक गया होगा मेरा बच्चा..
सूरज मुस्कुराते हुए - मैंने शायद पिछले जन्मो में बहुत पुण्य किये होंगे.. तभी आपके जैसी माँ मिली है मूझे..
सुमित्रा दूध देकर - मस्का लगाने की जरुरत नहीं है हनी.. ले.. पिले.. और हाँ.. कल विनोद कह रहा था उसके ऑफिस में एक अच्छी जॉब है.. उसने बात की है तेरे लिए.. और तुझे बुलाया भी है बात करने के लिए.. जाकर मिल लेना..
सूरज दूध का सीप लेते हुए - ठीक है मिल लूंगा.. अरे दूध तो फीका है..
सुमित्रा - शायद मीठा डालना भूल गई.. ला अभी शकर डाल देती हूं..
सूरज दूध सुमित्रा के होंठो से लगाते हुए - शकर रहने दो.. आप तो बस अपने होंठो से छू लो दूध को.. दूध अपने आप मीठा हो जाएगा..
सुमित्रा हसकर - बेशर्म मा से भी मस्ती करता है..
सूरज दूध पिता हुआ - मस्ती क्या? सच तो कह रहा हूं.. देखो अब ये शहद से मीठा हो गया आपके होंठो से लगते है..
सुमित्रा मुस्कुराते हुए - अच्छा जी.. बच्चू.. तेरी मा हूं मैं.. भूलना मत कभी.. समझा?
सूरज दूध का गिलास सुमित्रा को वापस देते हुए - मुझे सब याद है.. आप चिंता मत करो.. भैया और पापा कहाँ है?
सुमित्रा - वो कभी इतनी सुबह उठते है भला? सो रहे है अभी तक..
सूरज मुस्कुराते हुए फिर से सुमित्रा को बाहो मे भरके - और आप सारी रात मेरे लिए जाग रही थी.. आप अगर मेरी मा नहीं होती ना तो..
सुमित्रा सूरज के इस तरह बाहो मे कसने से बहकने लगी थी उसने सूरज की आँखों फिर होंठो को देखा और फिर वापस आँखों मे देखते हुए कहा - तो क्या?
सूरज सुमित्रा के चेहरे से उसके दिल के ख्याल पढ़ सकता था उसने सुमित्रा को बाहो से आजाद करते हुए कहा - मा नहीं होती तो आपका खज़ाना लूट लेता..
इतना कहकर सूरज हस्ते हुए सीढ़ियों की तरफ भाग गया और ऊपर अपने कमरे मे चला गया..
सुमित्रा सूरज की बात सुनकर जैसे काम की आंधी मे पत्ते की तरह उडने लगी थी.. रात मे उसने कई बार चुत मे ऊँगली कर अपनी हवस शांत करने की कोशिश की थी और अब वापस वो उसी हवस से भर गई थी.. सुमित्रा ने बाथरूम का रुख किया और वापस वही करने लगी जो वो रात भर कर रही थी.. उसकी चुत कई बार ऊँगली करने से लाल हो गई थी और उसपर हलकी सूजन भी आ गई थी..
सूरज कमरे मे जाकर सो जाता है..
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अंकुश अपनी बहन नीतू के साथ बिस्तर में बेपर्दा होकर एकसाथ लिपटा हुआ सो रहा था और नीतू के जगाने से अब उसकी आँख खुली थी...
अक्कू सुबह हो गई है.. हटो ना.. उठने दो मूझे..
थोड़ी देर और लेटी रहो ना नीतू..
अक्कू.. बहुत काम है.. रात के बर्तन तक धोने बाकी है.. पानी भरना है.. मम्मी को सुबह आठ बजे चाय चाहिए होती है.. अगर नहीं मिली तो वो मूझे बहुत सुनाएगी..
बस पांच मिनट ना नीतू...
तेरी पांच मिनट कब पचास मिनट हो जाती है पता नहीं चलता.. हट मेरे ऊपर से.. वरना होंठों पर ऐसा काटूंगी की याद रखेगा..
अक्कू नीतू को चूमकर - ऐसे करेगी ना तो उस वकील साहिबा से चक्कर चला लूंगा.. समझी?
नीतू - बड़ा आया तू चक्कर चलाने वाला.. तू किसी और लड़की से प्यार की बात तो करके देख.. तेरा वो हाल करुँगी ना कि सोचेगा मेरा कहा मान लेता तो अच्छा होगा.. समझा?
अक्कू मुस्कुराते हुए - समझ गया मेरी मिया खलीफा..
अंकुश ने इतना कहा ही था की कमरे के दरवाजे को किसी ने बाहर से खटखटा दिया.. अंकुश और नीतू एक दम से चौंकते हुए पहले दरवाजे की तरफ और फिर एक दूसरे की तरफ देखने लगे.. इतने में दरवाजे के बाहर खड़ी गोमती ने आवाज लगाते हुए कहा..
नीतू.. नीतू.. दरवाजा खोल नीतू..
अंकुश - मम्मी आ गई.. आज तो पकडे गए नीतू..
नीतू मुस्कुराते हुए - कुछ नहीं होगा.. तू रुक मैं देखती हूँ..
नीतू ने अपने नंगे बदन को एक पतले से तौलिये से ढक लिया और अक्कू नंगा ही उठकर अलमीरा के पीछे छिपकर खड़ा हो गया..
नीतू दरवाजा खोला तो सामने गोमती हाथ में ट्रे लिए खड़ी थी जिसमे दो चाय के कप थे..
माँ.. आप??
गोमती - चाय पिले.. और अक्कू को भी दे दे.. मैं जानती हूँ वो रात से तेरे साथ अंदर ही है..
नीतू शर्म से नीचे देखकर बोली - माँ आपने क्यों तकलीफ की मैं बस आ ही रही थी..
गोमती - कोई बात नहीं.. अपने भाई से बोल तैयार हो जाए और तू भी तैयार हो जा.. हमें अभी गाँव जाना पड़ेगा..
नीतू - क्यों? अचानक गाँव क्यों?
गोमती - थोड़ी देर पहले तेरे मामा का फ़ोन आया था... कल रात में तेरे नाना जी का देहांत हो गया.. जल्दी आना.. मैं इंतजार कर रही हूँ..
गोमती चली जाती है और नीतू दरवाजा बंद करके तौलिया एक तरफ फेंकती हुई अपने कपड़े उठाकर पहनते हुए अंकुश से कहती है - अक्कू मम्मी कह रही थी कि..
अंकुश कपड़े पहनते हुए नीतू कि बात काटकर - सुना मैंने मम्मी ने क्या कहा.. पर मूझे समझ नहीं आ रहा.. मम्मी हमारे बारे में जानती है? और उन्होंने हमें कुछ बोला भी नहीं?
नीतू अंकुश को चाय का कप देती हुई - कल जब मैं और मम्मी कोर्ट गए थे उससे पहले मम्मी ने मुझसे तेरे बारे में बात की थी अक्कू..
अंकुश - क्या बात की थी?
नीतू चाय पीते हुए - हमारे बीच जो है उसके बारे में मम्मी को बहुत पहले से पता है.. और वो बदनामी के डर से अबतक कुछ नहीं बोली.. मगर कल मम्मी ने इस बारे में मुझसे बात की और मैंने मम्मी से साफ साफ कह दिया था..
अंकुश - क्या कहा तूने मम्मी से?
नीतू चाय का कप रखकर अक्कू को बाहों में भरती हुई बोली - यही कि मैं अपने अक्कू से बहुत प्यार करती हूँ.. और तलाक़ के बाद अपने अक्कू से शादी भी करुँगी.. फिर हम कहीं और शिफ्ट हो जाएंगे और मैं तेरे बच्चे की माँ बनुँगी.. मम्मी ने पहले तो मेरी बातों का मज़ाक़ बनाया और मूझे समझाया मगर बाद में मेरे आगे हार मान ली.. अब घर में हमें छुप छुपकर प्यार करनी की जरुरत नहीं है अक्कू..
अंकुश हैरानी से - इतना सब हो गया?
नीतू अंकुश का हाथ पकड़कर कमरे के साथ ही लगते हुए बाथरूम में ले जाती हुई - जल्दी तैयार होना.. चल साथ में नहाते है..
नीतू अपने और अंकुश के कपड़े फिर से उतार देती है और शवार के नीचे आकर अंकुश को बाहों में भरके चूमते हुए नहाने लगती है..
अंकुश नीतू से दूर हटते हुए - यार नीतू.. नाना जी एक्सपायर हो गए और तू ये सब कर रही है.. थोड़ा ख्याल कर..
नीतू घुटनो पर बैठकर अंकुश के लंड को मुंह मे लेकर चुस्ती हुई - 90 साल की उम्र में मारे है नानाजी.. भरी जवानी में नहीं.. और वैसे भी कोनसा नाना नानी हमसे इतना करीब थे कि आंसू आये.. उनको तो हमेशा मामा मामी से लगाव था.. मम्मी की आखो में तो आंसू भी नहीं है.. जब उनको कोई अफ़सोस नहीं है तो मैं क्यों करू?
अंकुश - अह्ह्ह्ह.. आराम से नीतू.. बोल्स वाली जगह सेन्सटिव होती है..
नीतू जोर जोर से अंकुश का लंड चुस्ती हुई - पता है.. मूझे तो बस तेरी अह्ह्ह सुनने में मज़ा आता है..
अंकुश - नीतू अगर तू मेरी बहन नहीं होती ना.. इस हरकत पर मैं एक जोर का थप्पड़ जरुरत मारता तेरे गाल पर..
नीतू लंड पूरा खड़ा करके चूसना बंद कर देती है और फिर खड़ी होकर लंड को अपनी चुत में घुसाती हुई कहती है - एक क्या मेरे भाई दो थप्पड़ मार ले अपनी बहन को.. तेरे लिए तो जान दे सकती हूँ...
अंकुश नीतू कमर पकड़कर उसे दिवार से चिपका देता है और चुत में झटके मारते हुए कहता है - कैसे मार दूँ बहना.. भूल गई रक्षाबंधन के दिन तूने क्या वचन लिया था.. कि मैं तेरे ऊपर सिर्फ अपना लंड उठाऊंगा हाथ नहीं..
अक्कू कुछ देर ऐसे ही नीतू को पेलता रहता है..
नीतू - अह्ह्ह.. अह्ह्ह.. अह्ह्ह.. अक्कू.. मेरा होने वाला है.. अह्ह्ह..
अंकुश - मेरा भी होने वाला है नीतू.. अंदर निकाल दूँ..
नीतू - भाई तेरा जहाँ मन करें निकाल दे.. अह्ह्ह..
अंकुश नीतू के अंदर झड़ जाता है और दोनों कुछ देर गहरी गहरी साँसे लेते हुए एक दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगते है फिर नीतू कहती है...
नीतू - अब क्या अपनी बहन की चुत में घुसा रहेगा अक्कू? निकाल ना इसे.. चल नहाते है वरना मम्मी आ जायेगी..
अंकुश मुस्कुराते हुए - घुसाया तूने था निकालना भी तुझे ही पड़ेगा..
नीतू लंड निकालकर शावर ऑन कर देती है और अंकुश को नहलाते हुए खुद भी नहा कर बाहर आ जाती है दोनों अपने अपने कमरे में जाकर तैयार होकर नीचे इंतजार कर रही गोमती के पास आ जाते है..
गोमती दोनों को देखकर - इतना समय क्यों लगा दिया?
नीतू - सवा आठ ही तो बजे है माँ..
अंकुश घर से बाहर जाते हुए - मैं रिक्शा ले आता हूँ..
अंकुश के जाने के बाद गोमती नीतू से - कहीं जवानी के जोश में पेट मत फुला के बैठ जाना..
नीतू गोमती से नज़र चुराकर - अक्कू गर्भनिरोधक गोलीया लाकर दे देता है.. अभी बच्चे का खतरा नहीं है.. जब तलाक़ के बाद घर शिफ्ट करेंगे तब सोचूंगी बच्चा पैदा करने के बारे में..
गोमती - अक्कू इस सबके लिए मान जाएगा?
नीतू - उसे तो मेरी हर बात माननी पड़ेगी.. आपको बच्चे के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा.. आपका पोता अपकी बेटी ही पैदा करेगी..
अंकुश आता हुआ - माँ.. नीतू.. चलो..
गोमती ताला लगाती हुई धीरे से नीतू से - गलती मेरी ही है.. तुम दोनों पर मैंने ध्यान नहीं दिया.. वरना ये सब नहीं देखना पड़ता..
अंकुश सामन रिक्शा में रखकर गोमती और नीतू के साथ बैठ जाता है और बस स्टेण्ड पहुच जाता है..
अंकुश टिकिट लेकर - माँ.. चलो.. वो वाली बस है..
एक स्लीपर बस में तीनो बैठ जाते ही जहाँ गोमती और नीतू अगल बगल और अंकुश दोनों के बीच में होता है..
अंकुश इयरफोन लगाकर गाने सुनने लगता है और गोमती और नीतू बार बार चुपके से एक दूसरे की ओर देखकर बार बार अपना मुंह फेर लेते है जैसे दोनों एकदूसरे के बारे में ही सोच रहे हो..
नीतू अंकुश के हाथ में अपना हाथ डालकर एक इयरफोन अपने कान में लगाकर अंकुश के कंधे पर सर रख लेती है ओर आँख बंद करके गाने सुनते हुए रास्ते को काटने की कोशिश करती है.. वही गोमती नीतू को ऐसा करता देखकर कुछ सोचती है फिर वो खिड़की से बाहर आते हुए नज़ारों को देखकर नीतू और अंकुश के बारे में सोचकर मन ही मन एक फैसला करती है जिसे सिर्फ वही जानती थी...
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रमन सीढ़ियों से उतरकर अपनी कॉफी लेने आया तो तितली ने उसे कहा..
आज मूवी दिखाने वाले थे ना तुम मूझे?
रमन शान्ति के हाथों से अपनी कॉफी लेकर - तुम तो बिजी थी ना आज?
हाँ.. थी तो.. मगर अब फ्री हूँ.. बताओ क्या करना है?
हम्म.. मैं पहले अपनी कॉफ़ी ख़त्म कर लू.. फिर रेडी होके आता हूँ.. एक घंटा वेट करना पड़ेगा? चलेगा ना तुमको?
मूझे तो आदत है इंतज़ार करने की.. कर लुंगी..
रमन कॉफी लेकर वापस अपने रूम में चला जाता है और घर की नौकरानी शान्ति तितली से कहती है..
क्या चल रहा है दीदी? रमन भईया तो कल से आपके साथ ऐसे पेश आ रहे है जैसे आप उनकी बीवी हो.. माजरा क्या है? कहीं आप दोनों के बीच इल्लू.. इल्लू.. तो नहीं होने लगा?
तितली मुस्कुराते हुए शान्ति की बात का जवाब देते हुए कहती है - इतना दिमाग मत चला शान्ति.. तेरे रमन भईया तो बस अच्छे होने का नाटक कर रहे है ताकि उनको मूझे प्रॉपर्टी ना देनी पड़े.. वरना कभी दानव को देखा है देवता बनते?
शान्ति - नहीं दीदी.. रमन भईया तो बहुत अच्छे इंसान है.. बस पता नहीं आपसे इतना क्यों नाराज़ रहते थे.. मगर अब लगता है सब ठीक हो गया है.. वैसे एक बात बोलू दीदी बुरा ना मानो तो..
तितली - इतना सब बोल दिया है तो वो बात भी बोल दो शान्ति.. मैंने कभी तुम्हारी बात का बुरा माना है जो अब मानुँगी..
शान्ति अपना फ़ोन दिखाते हुए - वो दीदी जब कल आप रमन भईया के साथ खड़ी थी ना.. तब मैंने आप दोनों की एक तस्वीर ली थी छिपके से.. आप दोनों एक साथ बहुत अच्छे लग रहे थे.. देखो..
तितली शान्ति पर बनावटी गुस्सा करते हुए - शान्ति तू भी ना..
तितली की नज़र तस्वीर पर पड़ती है तो वो अपनी और रमन की साथ में तस्वीर को देखकर एक पल के लिए कल रमन का बोली बात याद करने लगती है जिसमे रमन ने उससे शादी करने की बात कही थी.. तितली मुस्कुराते हुए शान्ति से कहती है - शान्ति.. ये तस्वीर तू..
शान्ति बात काटते हुए - भेज दी.. दीदी.. आपके व्हाट्सप्प पर भेज दी..
तितली शरमाते हुए - शान्ति किसी से ये सब मत कहना..
शान्ति - क्या मत कहना दीदी? कोनसी बात? मूझे तो कुछ याद भी नहीं.. हाँ मेरी तनख्वाह आप बढ़ाने वाली थी.. बस वो याद है मूझे..
तितली मुस्कुराते हुए - कह दूंगी धरमु को.. इस महीने से तेरी पगार बढ़ाने के लिए.. बस..
शान्ति - दीदी..
तितली - हम्म्म..
शान्ति - एक बात बोलनी है.. इस सूट की जगह आज आप साड़ी पहनो.. और गाडी में साड़ी थोड़ी सरका देना.. रमन भईया आपकी चिकनी कमर और दूध देखकर पागल ना हुए तो मेरा नाम बदल देना..
तितली बनावटी गुस्सा करते हुए - चल हट बेशर्म..
शान्ति - अरे दीदी अम्मा कसम.. सच कह रहे है..
तितली थोड़ी देर वही खड़ी होकर कुछ सोचती है और फिर एक नज़र शान्ति को देखकर अपने कमरे में चली जाती है जिसे शान्ति समझ जाती है..
कुछ देर बाद रमन नीचे आता है और शान्ति के बनाये सैंडविच खाते हुए हवा में कहता है - कहती है वेट करने की आदत है... लगता है टीवी के किसी सीरियल में घुस गई होगी..
शान्ति रमन की बात सुनकर - नहीं भईया.. दीदी तो आपके लिए साड़ी पहनने अंदर गई है..
रमन - तेरे लिए? तुझे कैसे पता?
शान्ति - मैंने ही तो साड़ी पहनने को बोला है.. दीदी मुझसे आपको इम्प्रेस करने के तरीके पूछ रही थी.. मैंने बोल दिया.. भईया को साड़ी वाली लड़किया अच्छी लगती है.. तो दीदी फट से अंदर चली गई साड़ी पहनने...
रमन - अच्छा? और क्या कहा तूने तेरी दीदी से?
शान्ति शरमाते हुए - मैंने कहा.. जब गाडी में बैठे तो साड़ी थोड़ी सरका दे.. ताकि आपकी नज़र उन पर पड़ सके.. आपको पसंद करती है दीदी.. मुझसे कल आपके साथ तस्वीर लेने को कहा था.. बोला था कि जब वो आपके साथ खड़ी हो तो तस्वीर खींच ले.. देखो मैंने खींची भी थी और दीदी को व्हाट्सप्प भी की है कुछ देर पहले.. उन्होंने देखा भी है..
रमन हैरानी और आश्चर्य में पड़ जाता है उसे कुछ समझ नहीं आता तभी शान्ति कहती है - देखो भईया दीदी की कितनी प्यारी लग रही है साड़ी में..
रमन तितली को देखता ही रह जाता है तभी शान्ति कहती है - भईया.. कल मेरी बच्ची का bday है..
रमन जेब से 2-3 हज़ार रुपए निकालकर शान्ति को देता हुआ - हैप्पी बर्थडे बोलना..
शान्ति ख़ुशी से - रमन भईया..
रमन - हां..
शान्ति - दीदी कल कह रही थी उनको रास्ते की चाट बहुत अच्छी लगती है.. सोचा आपको बता दूँ..
तितली पास आते हुए - चले?
रमन - हम्म.. चलो..
रमन और तितली गाडी में बैठ जाते है इस खूबसूरत शहर के खूबसूरत रास्तो से होते हुए.. गर्म हवा जो झीलों के पानी से टकरा कर ठंडी हो रही थी उसके थपड़े अपने चेहरे पर महसूस करते हुए सिनेमा हॉल जाने के लिए निकल जाते है..
तितली ने शान्ति की बात याद करके अपने पल्लू को थोड़ा सरका दिया और कमर से भी साड़ी को सरका दिया जिससे रमन तितली की कमर और छाती पर सुडोल उठे हुए चुचो के बीच की हलकी घाटी रमन को दिखाई देने लगी और उसे शान्ति की बात पर यकीन हो गया..
रमन तितली की तरफ आकर्षित होने लगा था और तितली मुस्कुराते हुए सामने और साइड के शिशो से रमन को अपनी और देखते हुए देख रही थी और उसके होंठों पर हलकी सी मुस्कान भी आ गई थी.. और वो सोचने लगती है की क्या रमन सच में उसे पसंद करने लगा है या सिर्फ वो उसके साथ कोई खेल खेल रहा है? तितली रमन पर पूरा भरोसा नहीं कर सकती थी और करती भी क्यों जो आदमी दो दिन पहले तक उससे नफरत करता था और अपने बाप की रखैल कहकर बुलाता था वो अचानक उसके साथ उतना सीधा और मीठा बनकर बात करने लगे तो उसे कैसे यक़ीन हो?
कुछ खाओगी?
क्या?
किसी ने बताया था यहाँ काफी अच्छी समोसा चाट मिलती है..
खिला दो.. देखते है तुम्हारी पसंद कितनी टेस्टी है..
तुम बैठो में लेकर आता हूँ..
रमन गाडी किनारे लगाकर एक दूकान से एक समोसा चाट ले आता है..
लो.. ट्राय करो..
तितली चाट टेस्ट करके - अच्छी है.. पर वो बात नहीं है..
कोनसी बात?
वही बात जिसमे मुंह से सीधा वाह.. निकलता है..
अच्छा? तो कहा मिलेगी वाह्ह.. वाली बात?
चलो.. मैं बताती हूँ..
कहा?
वही... जहाँ कोई आता जाता नहीं..
मतलब?
मतलब.. शहर की पुरानी गलियों में.. तुम्हारी ये बड़ी कार वहा नहीं जा पाएगी.. बाइक से चल सकते थे.
ठीक है.. मूवी का प्लान केन्सिल करते है.. आज तुम्हारे साथ पुराना उदयपुर घूमता हूँ.. देखता हूँ तुम्हारी वाह्ह.. वाली बात में कुछ बात है भी या नहीं..
रमन अपनी गाडी आगे किसी मॉल की पार्किंग में लगा देता है और किराए पर बाइक लेकर तितली के साथ तितली की बताई जगह के लिए निकाल पड़ता है..
तितली एक पुरानी सी से दूकान पर रमन को ले आती है और वहा से सबसे पहले दो कप चाय से दिन की शुरुआत करती है रमन चाय पीकर महसूस करता है कि वाकई तितली कि पसंद में वाह्ह वाली बात थी..
तितली एक के बाद एक.. शहर कि कई दूकानो पर रमन के साथ चाट खाती हुई और उसके बारे में बात करती हुई रमन को बताती हुई रिक्शा से घूमती है.. रमन को तितली के स्वाभाव का ये साइड कभी दिखा ही नहीं था और शायद उसने कभी देखा भी नहीं था.. आज के दिन रमन चुप था और तितली अपने नाम कि तरह शहर में रमन का हाथ पकडे यहां से वहा घूम रही थी.. खिलखिलाती हुई हंसकर अपने असली रूप में आ गई थी जिसे उसने कुछ सालों से मार रखा था.. रमन को तितली से लगाव हो चूका था और तितली उसे पसंद आने लगी थी..
शाम ख़त्म होते होते दोनों घर लौट आये.. आज दोनों के दिलो मे जो फीलिंग थी उसे शब्दों मे नहीं बताया जा सकता था रमन खुश था मगर तितली बेचैन.. तितली को घर आने के बाद महसूस हो रहा था जैसे वो भी रमन के प्यार मे पड़ने लगी है मगर जैसे ही उसने रमन के पिता की तस्वीर जो उसके कमरे की दिवार पर लगी थी देखा तो किसी ख्याल से मायुस हो गई.. उसे गिल्ट हो रहा था जैसे वो कुछ गलत कर रही है..
दरसल तितली की माँ मीना जो उस वक़्त नौकरानी थी और रमन के पिता सेठ पूरन माली के बीच अफेयर था और उसी सम्बन्ध का नतीजा था की मीना पेट से हो गई और तितली का जन्म हुआ.. समाज के डर से पूरन ने कभी तितली को अपना नाम तो नहीं दिया मगर एक बेटी की तरह उसे पाला और संभाला.. पूरन ने मीना के साथ अपना नजायाज़ रिश्ता कायम रखा और तितली को पिता का प्यार देता रहा.. तितली पढ़ने मे अच्छी थी और डॉक्टर बनना चाहती थी उसके ख्याब को पूरन ने पूरा करने मे हर तरह से मदद की.. तितली नौकरानी की बेटी होकर भी पुरे ऐशो आराम से पली बड़ी थी.. वो सायनी और समझदार दोनों थी.. उसे हमेशा इस बात पर हैरानी होती की सेठ पूरन माली उसके ऊपर इतनी मेहरबानी क्यों करते है? वो हमेशा सोचती थी की ये सब सिर्फ इसलिए होता है क्युकी उसकी मा मीना और पूरन के बीच चक्कर है मगर उसकी मा मीना ने मरने से पहले सारी सचाई तितली को बता दी और फिर मीना के मरने के बाद सेठ पीरान माली की भी तबियत खराब रहने लगी.. तितली को जब पता लगा की उसके पिता और कोई नहीं बल्कि सेठ पूरन माली है और उसी कारण तितली की हर ख्वाहिश वो कहने से पहले पूरा कर देते है तो तितली की आँखों मे आंसू आ गए.. तितली डॉक्टर बन चुकी थी और अब वो पूरन के आखिरी दिनों मे उसकी सेवा करने लगी थी.. तितली ने पूरन उसके रिश्ते के बार मे बात की तो पूरन अफ़सोफ करते हुए तितली से माफ़ी मांगने लगा की वो समाज के डर से उसे कभी बेटी नहीं कह पाया.. मगर पूरन को तितली के स्वाभाव का पता था और वो जानता था तितली ही उसकी जायज हक़दार है.. उसने बिना तितली को बताये अपनी पूरी प्रॉपर्टी तितली के नाम कर दी और तितली से रमन का ख्याल रखने का कहकर दुनिया अलविदा हो गया.. जब पूरन के मरने के बाद इस बाद का पता रमन को चला तो वो तितली से नाराज़ हो गया और उसे बुरा भला कहने लगा.. मगर तितली ने रमन के गुस्सा और ताने दोनों को चुप चाप सह लिया और अपने पिता सेठ पूरन माली के जाने के दुख को भी सह गई..
तितली को पता था की रमन और उसका बाप सेठ पूरन माली ही है.. और अब वो अपने ही सोतेले भाई को दिल दे बैठी है.. यही ख्याल उसे तंग किये जा रहा था.. तितली को प्रॉपर्टी का जरा भी लालच ना था वो बस अब रमन के करीब रहकर उसे खुश देखना चाहती थी..
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मैडम वो फ़ाइल नहीं मिल रही..
कोनसी फ़ाइल?
टेंडर वाली.. जिसकी परसो मीटिंग है.. मैंने जयप्रकाश जी को रखने के लिए दी थी मगर वो तो कल उस फ़ाइल को टेबल पर रखकर ही घर चले गए तब उसके बाद से फ़ाइल का कोई पता नहीं है..
बुलाइये जयप्रकाश जी को..
जयप्रकाश आते हुए - गुड मॉर्निंग मैडम..
जयप्रकाश जी टेंडर वाली फ़ाइल मैंने आपको सेफली रखने के लिए दी थी ना.. आपने उसे यूँही टेबल पर छोड़ दिया?
मैडम कल थोड़ा जल्दी मैं था इसलिए चूक हो गई.. मगर कभी टेबल पर रखी फ़ाइल गायव नहीं हुई आज पहली बार ऐसा हुआ है कि टेबल पर रखी फ़ाइल नहीं मिल रही..
मैं कुछ नहीं जानती जयप्रकाश जी.. आप ढूंढिए उस फ़ाइल को.. उसका मिलना बहुत जरुरी है.. परसो उस फ़ाइल के बिना मीटिंग में कैसे जाउंगी मैं? जाइये.. फ़ाइल ढूंढिए और लाकर दीजिये.. शाम से पहले फ़ाइल नहीं मिली तो आपकी जिम्मेदारी होगी..
जी मैडम... मैं देखता हूँ..
जयप्रकाश चला जाता है और गुनगुन फ़ाइल के बारे में सोच मे लगती है..
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सुबह 7 बजे सोये सूरज की आँख दिन के 1 बजे खुली तो उसे सबसे पहले बरखा को स्टेशन छोड़ने जाने की बात याद आई और वो उठकर तौलिया लेता हुआ बाथरूम में चला गया और ब्रश करके नहाने लगा उसे नहाकर सूरज तैयार हुआ और सीढ़ियों से नीचे आ गया.. विनोद और जयप्रकाश ऑफिस जा चुके थे और सुमित्रा बैडरूम का दरवाजा बंद करके अंदर माँ बेटे की कामुक कहानि पढ़ते हुए अपनी चुत सहला रही थी..
सूरज नीचे आकर रसोई में फ्रीज़ से पानी निकालकर पिने लगा.. सुमित्रा को रसोई से कुछ आवाजे आई तो वो बैडरूम से बाहर आ गई और सूरज को देखकर बोली - भूक लगी है मेरे लाडले को? बता क्या खायेगा? बना देती हूँ..
आज खाना नहीं बनाया आपने?
बनाया था पर ख़त्म हो गया.. रुक मैं अभी तेरे लिए गर्मगर्म फुल्के बना देती हूँ..
सुमित्रा आटा लेकर फुल्के बनाने लगी.. उसने हाथ तक नहीं धोये.. जो उंगलियां कुछ देर पहले उसकी चुत में घुसी हुई थी उसी से वो फुल्के बनाकर सूरज को परोस देती है और सूरज बड़े चाव से उसे खा लेता है..
वैसे तू तैयार होके जा कहा रहा है?
कहीं नहीं माँ.. एक दोस्त से मिलने जा रहा हूँ शाम तक आ जाऊंगा.. आप ही कहती हो घर में अकेला मन ना लगे तो दोस्तों से मिल लिया कर..
हाँ कहती हूँ पर दोस्तों से मिलने के लिए.. दोस्त की ex गर्लफ्रेंड को होटल में बुलाकर उसके साथ सोने के लिए नहीं.
माँ... आपको बताना ही नहीं चाहिए था.. आप ना हर बात में वही बात लेकर आओगी अब..
अच्छा ठीक है नहीं बोलती.. वैसे कोनसी दोस्त से मिलने जा रहा है? ये भी किसी की ex गर्लफ्रेंड है?
हा.. कल वाली लड़की ही है.. पार्क में मिलने बुलाया है.. साथ में मूवी देखने का भी प्लान है.. सब बता दिया अब खुश?
तू उसे कोनसी मूवी दिखायेगा मूझे सब पता है.. कंडोम पहन के मूवी दिखाना.. समझा? तेरी ऐयाशी से घर में कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए.. दिन ब दिन लड़कियों में ही घुसता जा रहा है.. तेरी भी जल्दी ही शादी करवानी पड़ेगी..
सूरज सुमित्रा को पीछे से अपनी बाहों में भरके पकड़ता हुआ बोला.. अच्छा माँ.. आप करवा दो ना फिर मेरी शादी.. जल्दी से.. कोई लड़की है आपकी नज़र में?
सुमित्रा पीछे सूरज की तरफ अपने मुंह करके मुस्कुराते हुए - कैसी लड़की चाहिए बता.. मैं ढूंढती हूँ..
सूरज - बताया था ना.. बिलकुल आपके जैसी.. जो आपके जैसा खाना बना सके.. घर सभाल सके और बहुत खूबसूरत भी हो..
सुमित्रा हसते हुए - मेरी जैसी मिलना तो मुश्किल है..
सूरज मज़ाक़ में - कोई बात नहीं.. फिर में आपसे ही शादी कर लेता हूँ.. वैसे भी पापा तो बूढ़े हो गए है.. आप तो अभी भी जवान हो.. 2 बच्चे और पैदा हो जायेगे..
सुमित्रा सूरज के गाल चूमते हुए - अपनी माँ के साथ ये सब करने वाले को पता है ना लोग क्या कहते है? कोनसी गाली देते है..
सूरज सुमित्रा के कान में धीरे से - पता है मादरचोद कहते है.. पर आपके लिए सब सुन सकता हूँ..
सुमित्रा सूरज के होंठों को पकड़कर - चुप... कमीना कहीं का.. चल अब छोड़ मूझे.. तेरी वो सहेली इंतजार कर रही होगी.. पता नहीं कितनी आग भरी उसके अंदर.. रातभर मिले थे और अब वापस मिलना है.. जा मिल ले जाकर...
सुमित्रा ने जब सूरज के होंठ पकडे तो सूरज को सुमित्रा की उंगलियों से जो महक आरही थी उससे वो अच्छी तरह वाक़िफ़ था मगर उस अनदेखा कर सुमित्रा के गाल चूमकर रसोई से बाहर आता हुआ - बाय माँ..
सुमित्रा मुस्कुराते हुए - बाय बेटू..
सूरज के जाने के बाद सुमित्रा फिर से अपने कमरे में चली गई और उस बार कहानी पढ़ने की जगह सूरज की अभी मज़ाक़ में बोली हुई बातों को याद करके चुत सहलाने लगी..
सुमित्रा के मन में सूरज के लिए हवस दिन ब दिन बढ़ती जा रही थी और उसका काबू पर खुद पर नहीं था, सुमित्रा अकेलेपन में सूरज को याद करके गन्दी से गन्दी हरकत करने लगी थी..
एक तरफ सूरज के लिए सुमित्रा पागल हुए जा रही थी तो दूसरी तरफ गरिमा भी अब बेचैन थी.. कई दिनों से वो सूरज के लगातार मैसेज और कॉल आने पर ये समझ रही थी की सूरज भी उससे बात करने के लिए तड़प रहा है मगर फ़ोन पर बात करने के बाद से सूरज ने गरिमा को मैसेज या कॉल किया ही नहीं.. जिसके करण गरिमा की हालात बेचैन थी उसका मन कहीं नहीं लग रहा था उसे बस सूरज के मैसेज और कॉल का ही इंतजार था और गरिमा उसीके इंतजार में बैठी हुई अपने मन के गुस्से और अना से लड़ झगड़ रही थी और सोच रही थी कि अब उसे ही सूरज को मैसेज या कॉल कर देना चाहिए.. मगर वो ऐसा करने से झिझक रही थी और उसका गुस्सा और अना बार बार उसे ऐसा करने से रोक रहे थे..
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किसी दोस्त से बाइक उदार लेकर सूरज पौने 2 बजे बरखा को लेने घर पंहुचा तो बंसी और हेमलता ने सूरज को देखकर मुस्कुराते हुए अंदर आने को कहा..
काका आज दूकान नहीं खोली?
हेमलता बोली.. अभी तो यात्रा से घर वापस आये है हनी.. दूकान कल खोलेंगे तेरे काका.. मैं चाय बना रही हूँ रुक..
काकी दीदी कहा है?
मैं यही हूँ हनी.. बस आ रही हूँ.. बरखा ने अपने कमरे से चिल्लाते हुए कहा..
बंसी अपने बैडरूम में चला गया और हेमलता रसोई में.. बरखा अपने रूम में थी..
सूरज सीधे रसोई में हेमलता के बार चला गया..
काकी लाओ मैं चाय बना देता हूँ.. आप रातभर से जगी हुई हो.. अभी घर लोटी हो.. थोड़ी देर बैठकर आराम कर लो..
हेमलता मुस्कुराते हुए हनी के गाल सहलाकार बोली - नहीं बेटा.. मैं ही बना देती हूँ.. वरना तू ही कहेगा काकी तो मुझसे काम करवाती है..
हनी मुस्कुराते हुए हेमलता के पीछे आकर उसके कंधो पर दोनों हाथ रखकर कहता है - अपने घर में काम करने से कैसी शर्म काकी..
हेमलता मुड़कर मुस्कुराते हुए सूरज को देखती हुई बोली - इतनी प्यारी बातें करेगा ना तो सुमित्रा से बोलकर तुझे मैं अपने पास ही रख लुंगी.. फिर ढ़ेर सारा काम करवाउंगी तुझसे..
सूरज हसते हुए अपने दोनों हाथ हेमलता के कंधे से हटाकर उसकी कमर पर ले जाता है और पीछे से हेमलता को बाहों में भरते हुए कहता है - करवा लेना काकी.. मैंने कब मना किया? मैं जानता हूँ आप अजय और विजय भईया के जाने के बाद बहुत अकेली हो.. पर आप चिंता मत करो मैं हूँ ना... (हेमलता के गाल चूमकर) आपका ध्यान रखने के लिए..
हेमलता के दोनों बेटे अजय और विजय सालों पहले दूर बड़े शहर में जाकर वही बस चुके थे और सालों से घर नहीं आये थे अब तो उनकी बात हेमलता और बंसी से होना भी बंद हो चुकी थी सूरज के मुंह से ये बात सुनकर हेमलता भावुक हो गई मगर फिर खुदको सँभालते हुए सूरज को देखकर बोली - तू कब से इतनी समझदारी वाली बातें करने लगा हनी? लगता है बड़ा हो गया है..
सूरज वापस हेमलता के गाल चूमकर - तो क्या आपने सोचा हमेशा बच्चा ही रहूँगा मैं?
हेमलता - मेरे लिए तो बच्चा ही रहेगा..
चाय उबल चुकी थी और बरखा भी अब अपने रूम से बाहर आकार रसोई में आ गई उसने देखा कि सूरज उसकी माँ को पीछे से अपनी बाहों में भरके हेमलता के गाल चुम रहा था और हेमलता मुस्कुराते हुए गैस बंद करके चाय को कप में डाल रही थी..
माँ.. इस शैतान से बचके रहो.. ये बहुत तेज़ हो गया है अब.. इसे बड़े उम्र कि औरते पसंद है.. कहीं आपके साथ कुछ ऐसा वैसा कर दिया तो बाद में मत पछताना..
हेमलता हसते हुए सूरज को चाय देकर उसके गाल को चूमती हुई बोली - इसे तो मैं बचपन से जानती हूँ बरखा.. जब तेरे पास टूशन आता था तब मैं ही इसकी छोटी सी नुन्नी पकड़कर इसे बाथरूम करवाती थी.. बहुत रोता था.. ये क्या कर सकता है और क्या नहीं मैं अच्छे से जानती हूँ.. तू ले चाय पिले मैं तेरे पापा को भी दे देती हूँ..
हेमलता वहा से चली जाती है बरखा चाय पीते हुए सूरज के करीब आकर सूरज को देखते हुए कहती है - हनी लगता है.. सपना आंटी के साथ हेमलता काकी की भी लेनी है तुझे?
सूरज चाय पीते हुए - छी.. दीदी क्या बोल रही हो आप? काकी तो मेरी माँ जैसी है..
बरखा हसते हुए - अच्छा? और मैं?
सूरज - आपको बड़ी बहन बोलता हूँ..
बरखा - सिर्फ बोलता है या मानता भी है?
सूरज - ज्यादा सवाल नहीं पूछ रही आप आज? चलो वरना ट्रेन miss हो जायेगी और फिर मुझसे कहोगी.. तेरे करण ट्रैन छूट गई..
बरखा सूरज को बेग देते हुए - ले उठा सामान मेरे कुली भाई..
सूरज बेग उठकर बाहर आ जाता है और बाइक पर आगे सामान रखकर बाइक स्टार्ट करता है और पीछे बरखा बैठ जाती है बाइक चली शुरु होती है.. रस्ता आधे घंटे का था..
बरखा ने दोनों हाथों से सूरज को कसके पकड़ लिया और अपनी छाती उसकी पीठ से चिपका दी और सूरज के कान के पास अपने होंठो को लाकर बोली - तू सच में मूझे बहन मानता है?
सूरज ने बरखा के बारे में कभी उस तरह से नहीं सोचा था और ना ही उसके छूने पर सूरज को कोई फील आता था इसलिए बरखा की छाती टच होने पर सूरज ने ज्यादा कुछ रियेक्ट नहीं किया और बरखा के सवाल पर कहा - हाँ.. क्यों? कोई शक है आपको?
बरखा - अपनी बहन की एक बात मानेगा?
क्या?
पहले कसम खा मूझे जज नहीं करेगा..
नहीं करूंगा बोलो ना..
हनी.. मेरा तेरे जीजू से रिश्ता ठीक नहीं चल रहा तू जानता है.. मूझे ना सेक्स किये हुए एक साल हो गया..
सूरज सडक किनारे गाडी रोक कर - दीदी मूझे क्यों बता रही हो आप ये सब? इसमें मैं क्या कर सकता हूँ?
हनी.. मेरे लिए..
छी दीदी.. आप ऐसा सोच भी कैसे सकती हो..
नहीं.. मैं तुझे मेरे साथ सेक्स करने के लिए नहीं कह रही.. बस मूझे एक बार तुझे देखना है..
इतने सालों से देख रही हो दी.. और कैसे देखना है..
हनी.. तू कितना नासमझ है.. मेरा तेरा प्राइवेट पार्ट देखना है..
दीदी.. मज़ाक़ मत करो..
मज़ाक़ नहीं है हनी.. सच में.. देख मेरा भाई है ना.. इतना सा नहीं कर सकता तू मेरे लिए..
नहीं दी.. ये सब मैं नहीं कर सकता.. सॉरी..
देख हनी.. मैं हाथ भी नहीं लगाउंगी बस देखूंगी.. तेरी कसम.. प्लीज.. अपनी बहन की इतनी सी बात नहीं मानेगा तू?
दीदी मुझसे शर्म आएगी.. और आप क्यों इतना फोर्स कर रही हो.. मैं नहीं कर सकता.. ट्रैन miss हो जायेगी..
अरे बाबा.. तू आँख बंद कर लेना.. अभी बहुत समय है ट्रैन आने में.. मैं बस देखूंगी हनी... अगर तू मना करेगा तो मैं तुझसे नाराज़ भी हो जाउंगी.. देखना फिर कभी बात भी नहीं करूंगी तुझसे..
क्या मुसीबत है यार.. अच्छा ठीक है.. आगे एक कॉफ़ी कैफ़े है वहा चलते है..
बरखा ख़ुशी से सूरज को लगे लगाती हुई - थैंक्यू मेरे छोटू भाई..
सूरज बरखा को कॉफी कैफ़े में ले आता है जहाँ पर्सनल केबिन बने हुए थे और पूरी प्राइवेसी थी.. सूरज ने दो कॉफी बोल दी और वेटर कॉफ़ी दे गया फिर सूरज ने केबिन का गेट लगा दिया..
बरखा सूरज के करीब आकर बैठ गई और सूरज ने शरमाते हुए अपनी लोवर नीचे करके चड्डी भी नीचे कर दी और बरखा के सामने सूरज का लंड आ गया जो श्यनमुद्रा में था और बरखा उसे खड़ा देखना चाहती थी..
बरखा ने अपना फ़ोन खोलकर उसकी गैलरी ओपन करके एक ब्लू फ्लिम चला दी और सूरज को फ़ोन दे दिया फिर बोली - हनी.. खड़ा देखना है..
सूरज झिझकते हुए ने फ़ोन ले लिया और एक नज़र बरखा को देखकर ब्लू फ़िल्म देखने लगा.. बरखा ने सिगरेट जलाकर कश लेते हुए कॉफ़ी का पहला सिप लिया और सूरज के लंड को देखने लगी जो नींद में भी अच्छा खासा था..
बरखा ने अपनी सलवार का नाड़ा खोल दिया और सिगरेट पीते हुए अपनी चुत को सहलाने लगी जिसे देखकर हनी बरखा को कामुक नज़र से देखने लगा मगर बरखा को छूने की उसकी हिम्मत नहीं हुई.. ब्लू फ़िल्म से ज्यादा बरखा के चुत सहलाने से सूरज का लंड अकड़ने लगा और बरखा लंड को खड़ा होते देखकर और कामुकता से अपनी चुत में ऊँगली करने लगी..
सूरज का लंड जब पूरा अकड़ गया तब बरखा लंड देखकर चौंक गई.. सूरज का लंड काफी लम्बा और मोटा था बरखा ने वैसा लंड हक़ीक़त में कभी नहीं देखा था ना उसके बॉयफ्रेंड का लंड उतना बड़ा था ना पति का.. पति से बहुत लम्बा और मोटा लंड था सूरज के पास..
बरखा ने पूरी गर्म होकर झड़ गई तो सूरज ने रुमाल देकर बरखा को चुत साफ करने का इशारा किया.. बरखा ने अपनी टांग चौड़ी करके खड़ी हो गई और सूरज के मुंह के सामने अपनी चुत खोलकर कहा - तू कर दे ना हनी..
सूरज ने रुमाल से बारखा की झांटो से भरी हुई चुत को साफ कर दिया और बरखा की चुत देखकर और नाक के करीब होने से सुघकर बरखा के प्रति आकर्षित हो गया मगर बचपन से बरखा को बहन मानने के कारण सूरज की हिम्मत बरखा से कुछ कहने की नहीं थी.. बरखा आराम से बैठ गई और सूरज ने भी अपने खड़े लंड को लोवर के अंदर कर लिया फिर कॉफ़ी को छू कर देखा तो कॉफ़ी ठंडी हो चुकी थी.. बरखा ने सूरज को ठंडी कॉफी पिने के लिए मना कर दिया और दो गर्म कॉफी मंगा कर पिते हुए बोली - बहुत किस्मत वाला है हनी तू..
सूरज कॉफी पीते हुए - क्यों दी..
बरखा - जितनी अच्छी तेरी शकल है उतना अच्छा तेरा ये लंड..
सूरज - दी यार.. कुछ तो शर्म करो.. अब ऐसे वर्ड तो मत बोलो..
बरखा हसते हुए - लड़का होके शर्माता है..
सूरज - बड़ी बहन से तो शर्माऊंगा ना.. दोस्तों की बात अलग है..
बरखा सिगरेट जलाकर कश लेती हुई बोली - और सपना आंटी से? उनसे भी शर्मायेगा तो बिस्तर मे कैसे उनके साथ सो पायेगा?
सूरज नज़र चुराते हुए - उनसे क्यों शर्माउ? वो मेरी बड़ी बहन थोड़ी है..
बरखा हँसते हुए सिगरेट के कश लेती हुई - अच्छा जी.. पर तेरी सपना ने मना कर दिया.. कल पूछा था मैंने तेरे लिए..
सूरज कॉफी पीते हुए - मना कर दिया मतलब?
बरखा - मतलब ये की मैंने पूछा था तेरे साथ सेक्स के लिए उसने तेरी पिक देखकर मना कर दिया..
सूरज गुस्से से - पिक क्यों भेजी? रिजेक्शन के बाद उनके सामने जाने में कितनी शर्म आएगी पता है? आप भी ना.. बोलते ही बात भी कर ली..
बरखा सिगरेट का एक लम्बा कश खींचकर सिगरेट बुझाते हुए - शर्म की क्या बात है इसमें?
सूरज - चलो अब टाइम हो रहा है..
बरखा सूरज को अपनी तरफ खीचकर - एक गुड बाय kiss तो दे दे..
सूरज - दी.. आराम से..
बरखा सूरज के होंठों पर अपने होंठो को चिपका कर चूमते हुए - सॉरी.. Baby..
बरखा ने सूरज के होंठों को कुछ देर चूमा फिर उसकी लोवर में हाथ डालकर उसका तना हुआ लंड पकड़कर मसलने लगी.. लंड पकड़ते ही सुरज ने चुम्मा तोड़ दिया और बरखा का हाथ अपने लोवर से बाहर निकलता हुआ बोला - दी.. छोडो..
बरखा मुस्कुराते हुए - ठीक है शरीफ इंसान.. नहीं छूती तुझे..
सूरज बेग उठाकर - चलो.. ट्रैन निकल जायेगी..
सूरज बरखा को लेकर स्टेशन पर आ जाता है और ट्रैन भी आ चुकी होती है..
सूरज बरखा का बेग ट्रैन में रखता हुआ - पानी वगेरा है ना आपके पास? कुछ लाना है आपके लिए?
बरखा मुस्कुराकर - सुन..
सूरज - हाँ..
बरखा सूरज के कान में - तेरी सपना आंटी ने बुलाया है तुझे..
सूरज बरखा को देखते हुए - क्यों? उसने तो मना कर दिया था..
बरखा - तेरी पिक देखने के बाद कौन मना कर सकता है क्या? मज़ाक़ कर रही थी मै तो..
सूरज - पक्का ना? पिटवा तो नहीं दोगी आप मूझे?
बरखा - तेरी मर्ज़ी.. नहीं जाना तो मत जा.. वैसे उसने कल कहा था.. तुझे पूरा खुश कर देगी..
सूरज मुस्कुराते हुए - थैंक्स दी..
बरखा सूरज के गाल सहला कर - ट्रैन चलने लगी है अब तू जा.. बाय..
सूरज - बाय दी..
सूरज बरखा को छोड़कर वापस आ जाता है...
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badhiya u[Update 10
सूरज घर पहुँचता है तो देखता है उसकी माँ सुमित्रा अपनी बोझल आँखों से उसी का इंतजार कर रही थी और सूरज सुमित्रा कि आँखों को देखकर समझ जाता है कि सुमित्रा रात भर नहीं सोइ..
कहाँ था ना माँ सो जाओ.. मगर आप तो पता नहीं क्या चाहती हो? देखो आँखे कैसे लाल हो गई है आपकी..
अभी सोकर ही उठी थी बेटू, और तू आ गया.. चल चाय बना देती हूँ.. कुछ खायेगा तो बता.. बना दूंगी..
सूरज सुमित्रा को बाहों में भरके - मुझसे ना झूठ मत बोला करो माँ... आपके सोने और जागने का पता आपकी शकल से चल जाता है.. और मूझे कुछ नहीं खाना.. मूझे तो बस सोना है.. बहुत नींद आ रही है..
सुमित्रा - अच्छा.. रात में सब ठीक था ना हनी.. तू खुश हुआ ना..
सूरज सुमित्रा के गाल चूमकर - इतनी पर्सनल बातें मत पूछा करो माँ.. मैं बच्चा नहीं हूँ अब.. अच्छा बुरा समझता हूँ.. आप भी थोड़ा आराम कर लो.. रातभर बिना वजह ही जाग रही थी..
सुमित्रा भोलेपन का नाटक करती हुई - इसमें क्या पर्सनल है? अपनी माँ को इतना भी नहीं बता सकता तो क्या फ़ायदा.. मैं अब कुछ पूछूंगी ही नहीं तुझसे.. जा सोजा..
सूरज हसते हुए - अच्छा ठीक है.. मुंह मत लटकाओ.. मैं खुश हूँ.. अब जाऊ सोने?
सुमित्रा - रुक मैं हल्दी वाला दूध दे देती हूँ.. पीकर सोना.. रातभर इतनी मेहनत की है, थक गया होगा मेरा बच्चा..
सूरज मुस्कुराते हुए - मैंने शायद पिछले जन्मो में बहुत पुण्य किये होंगे.. तभी आपके जैसी माँ मिली है मूझे..
सुमित्रा दूध देकर - मस्का लगाने की जरुरत नहीं है हनी.. ले.. पिले.. और हाँ.. कल विनोद कह रहा था उसके ऑफिस में एक अच्छी जॉब है.. उसने बात की है तेरे लिए.. और तुझे बुलाया भी है बात करने के लिए.. जाकर मिल लेना..
सूरज दूध का सीप लेते हुए - ठीक है मिल लूंगा.. अरे दूध तो फीका है..
सुमित्रा - शायद मीठा डालना भूल गई.. ला अभी शकर डाल देती हूं..
सूरज दूध सुमित्रा के होंठो से लगाते हुए - शकर रहने दो.. आप तो बस अपने होंठो से छू लो दूध को.. दूध अपने आप मीठा हो जाएगा..
सुमित्रा हसकर - बेशर्म मा से भी मस्ती करता है..
सूरज दूध पिता हुआ - मस्ती क्या? सच तो कह रहा हूं.. देखो अब ये शहद से मीठा हो गया आपके होंठो से लगते है..
सुमित्रा मुस्कुराते हुए - अच्छा जी.. बच्चू.. तेरी मा हूं मैं.. भूलना मत कभी.. समझा?
सूरज दूध का गिलास सुमित्रा को वापस देते हुए - मुझे सब याद है.. आप चिंता मत करो.. भैया और पापा कहाँ है?
सुमित्रा - वो कभी इतनी सुबह उठते है भला? सो रहे है अभी तक..
सूरज मुस्कुराते हुए फिर से सुमित्रा को बाहो मे भरके - और आप सारी रात मेरे लिए जाग रही थी.. आप अगर मेरी मा नहीं होती ना तो..
सुमित्रा सूरज के इस तरह बाहो मे कसने से बहकने लगी थी उसने सूरज की आँखों फिर होंठो को देखा और फिर वापस आँखों मे देखते हुए कहा - तो क्या?
सूरज सुमित्रा के चेहरे से उसके दिल के ख्याल पढ़ सकता था उसने सुमित्रा को बाहो से आजाद करते हुए कहा - मा नहीं होती तो आपका खज़ाना लूट लेता..
इतना कहकर सूरज हस्ते हुए सीढ़ियों की तरफ भाग गया और ऊपर अपने कमरे मे चला गया..
सुमित्रा सूरज की बात सुनकर जैसे काम की आंधी मे पत्ते की तरह उडने लगी थी.. रात मे उसने कई बार चुत मे ऊँगली कर अपनी हवस शांत करने की कोशिश की थी और अब वापस वो उसी हवस से भर गई थी.. सुमित्रा ने बाथरूम का रुख किया और वापस वही करने लगी जो वो रात भर कर रही थी.. उसकी चुत कई बार ऊँगली करने से लाल हो गई थी और उसपर हलकी सूजन भी आ गई थी..
सूरज कमरे मे जाकर सो जाता है..
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अंकुश अपनी बहन नीतू के साथ बिस्तर में बेपर्दा होकर एकसाथ लिपटा हुआ सो रहा था और नीतू के जगाने से अब उसकी आँख खुली थी...
अक्कू सुबह हो गई है.. हटो ना.. उठने दो मूझे..
थोड़ी देर और लेटी रहो ना नीतू..
अक्कू.. बहुत काम है.. रात के बर्तन तक धोने बाकी है.. पानी भरना है.. मम्मी को सुबह आठ बजे चाय चाहिए होती है.. अगर नहीं मिली तो वो मूझे बहुत सुनाएगी..
बस पांच मिनट ना नीतू...
तेरी पांच मिनट कब पचास मिनट हो जाती है पता नहीं चलता.. हट मेरे ऊपर से.. वरना होंठों पर ऐसा काटूंगी की याद रखेगा..
अक्कू नीतू को चूमकर - ऐसे करेगी ना तो उस वकील साहिबा से चक्कर चला लूंगा.. समझी?
नीतू - बड़ा आया तू चक्कर चलाने वाला.. तू किसी और लड़की से प्यार की बात तो करके देख.. तेरा वो हाल करुँगी ना कि सोचेगा मेरा कहा मान लेता तो अच्छा होगा.. समझा?
अक्कू मुस्कुराते हुए - समझ गया मेरी मिया खलीफा..
अंकुश ने इतना कहा ही था की कमरे के दरवाजे को किसी ने बाहर से खटखटा दिया.. अंकुश और नीतू एक दम से चौंकते हुए पहले दरवाजे की तरफ और फिर एक दूसरे की तरफ देखने लगे.. इतने में दरवाजे के बाहर खड़ी गोमती ने आवाज लगाते हुए कहा..
नीतू.. नीतू.. दरवाजा खोल नीतू..
अंकुश - मम्मी आ गई.. आज तो पकडे गए नीतू..
नीतू मुस्कुराते हुए - कुछ नहीं होगा.. तू रुक मैं देखती हूँ..
नीतू ने अपने नंगे बदन को एक पतले से तौलिये से ढक लिया और अक्कू नंगा ही उठकर अलमीरा के पीछे छिपकर खड़ा हो गया..
नीतू दरवाजा खोला तो सामने गोमती हाथ में ट्रे लिए खड़ी थी जिसमे दो चाय के कप थे..
माँ.. आप??
गोमती - चाय पिले.. और अक्कू को भी दे दे.. मैं जानती हूँ वो रात से तेरे साथ अंदर ही है..
नीतू शर्म से नीचे देखकर बोली - माँ आपने क्यों तकलीफ की मैं बस आ ही रही थी..
गोमती - कोई बात नहीं.. अपने भाई से बोल तैयार हो जाए और तू भी तैयार हो जा.. हमें अभी गाँव जाना पड़ेगा..
नीतू - क्यों? अचानक गाँव क्यों?
गोमती - थोड़ी देर पहले तेरे मामा का फ़ोन आया था... कल रात में तेरे नाना जी का देहांत हो गया.. जल्दी आना.. मैं इंतजार कर रही हूँ..
गोमती चली जाती है और नीतू दरवाजा बंद करके तौलिया एक तरफ फेंकती हुई अपने कपड़े उठाकर पहनते हुए अंकुश से कहती है - अक्कू मम्मी कह रही थी कि..
अंकुश कपड़े पहनते हुए नीतू कि बात काटकर - सुना मैंने मम्मी ने क्या कहा.. पर मूझे समझ नहीं आ रहा.. मम्मी हमारे बारे में जानती है? और उन्होंने हमें कुछ बोला भी नहीं?
नीतू अंकुश को चाय का कप देती हुई - कल जब मैं और मम्मी कोर्ट गए थे उससे पहले मम्मी ने मुझसे तेरे बारे में बात की थी अक्कू..
अंकुश - क्या बात की थी?
नीतू चाय पीते हुए - हमारे बीच जो है उसके बारे में मम्मी को बहुत पहले से पता है.. और वो बदनामी के डर से अबतक कुछ नहीं बोली.. मगर कल मम्मी ने इस बारे में मुझसे बात की और मैंने मम्मी से साफ साफ कह दिया था..
अंकुश - क्या कहा तूने मम्मी से?
नीतू चाय का कप रखकर अक्कू को बाहों में भरती हुई बोली - यही कि मैं अपने अक्कू से बहुत प्यार करती हूँ.. और तलाक़ के बाद अपने अक्कू से शादी भी करुँगी.. फिर हम कहीं और शिफ्ट हो जाएंगे और मैं तेरे बच्चे की माँ बनुँगी.. मम्मी ने पहले तो मेरी बातों का मज़ाक़ बनाया और मूझे समझाया मगर बाद में मेरे आगे हार मान ली.. अब घर में हमें छुप छुपकर प्यार करनी की जरुरत नहीं है अक्कू..
अंकुश हैरानी से - इतना सब हो गया?
नीतू अंकुश का हाथ पकड़कर कमरे के साथ ही लगते हुए बाथरूम में ले जाती हुई - जल्दी तैयार होना.. चल साथ में नहाते है..
नीतू अपने और अंकुश के कपड़े फिर से उतार देती है और शवार के नीचे आकर अंकुश को बाहों में भरके चूमते हुए नहाने लगती है..
अंकुश नीतू से दूर हटते हुए - यार नीतू.. नाना जी एक्सपायर हो गए और तू ये सब कर रही है.. थोड़ा ख्याल कर..
नीतू घुटनो पर बैठकर अंकुश के लंड को मुंह मे लेकर चुस्ती हुई - 90 साल की उम्र में मारे है नानाजी.. भरी जवानी में नहीं.. और वैसे भी कोनसा नाना नानी हमसे इतना करीब थे कि आंसू आये.. उनको तो हमेशा मामा मामी से लगाव था.. मम्मी की आखो में तो आंसू भी नहीं है.. जब उनको कोई अफ़सोस नहीं है तो मैं क्यों करू?
अंकुश - अह्ह्ह्ह.. आराम से नीतू.. बोल्स वाली जगह सेन्सटिव होती है..
नीतू जोर जोर से अंकुश का लंड चुस्ती हुई - पता है.. मूझे तो बस तेरी अह्ह्ह सुनने में मज़ा आता है..
अंकुश - नीतू अगर तू मेरी बहन नहीं होती ना.. इस हरकत पर मैं एक जोर का थप्पड़ जरुरत मारता तेरे गाल पर..
नीतू लंड पूरा खड़ा करके चूसना बंद कर देती है और फिर खड़ी होकर लंड को अपनी चुत में घुसाती हुई कहती है - एक क्या मेरे भाई दो थप्पड़ मार ले अपनी बहन को.. तेरे लिए तो जान दे सकती हूँ...
अंकुश नीतू कमर पकड़कर उसे दिवार से चिपका देता है और चुत में झटके मारते हुए कहता है - कैसे मार दूँ बहना.. भूल गई रक्षाबंधन के दिन तूने क्या वचन लिया था.. कि मैं तेरे ऊपर सिर्फ अपना लंड उठाऊंगा हाथ नहीं..
अक्कू कुछ देर ऐसे ही नीतू को पेलता रहता है..
नीतू - अह्ह्ह.. अह्ह्ह.. अह्ह्ह.. अक्कू.. मेरा होने वाला है.. अह्ह्ह..
अंकुश - मेरा भी होने वाला है नीतू.. अंदर निकाल दूँ..
नीतू - भाई तेरा जहाँ मन करें निकाल दे.. अह्ह्ह..
अंकुश नीतू के अंदर झड़ जाता है और दोनों कुछ देर गहरी गहरी साँसे लेते हुए एक दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगते है फिर नीतू कहती है...
नीतू - अब क्या अपनी बहन की चुत में घुसा रहेगा अक्कू? निकाल ना इसे.. चल नहाते है वरना मम्मी आ जायेगी..
अंकुश मुस्कुराते हुए - घुसाया तूने था निकालना भी तुझे ही पड़ेगा..
नीतू लंड निकालकर शावर ऑन कर देती है और अंकुश को नहलाते हुए खुद भी नहा कर बाहर आ जाती है दोनों अपने अपने कमरे में जाकर तैयार होकर नीचे इंतजार कर रही गोमती के पास आ जाते है..
गोमती दोनों को देखकर - इतना समय क्यों लगा दिया?
नीतू - सवा आठ ही तो बजे है माँ..
अंकुश घर से बाहर जाते हुए - मैं रिक्शा ले आता हूँ..
अंकुश के जाने के बाद गोमती नीतू से - कहीं जवानी के जोश में पेट मत फुला के बैठ जाना..
नीतू गोमती से नज़र चुराकर - अक्कू गर्भनिरोधक गोलीया लाकर दे देता है.. अभी बच्चे का खतरा नहीं है.. जब तलाक़ के बाद घर शिफ्ट करेंगे तब सोचूंगी बच्चा पैदा करने के बारे में..
गोमती - अक्कू इस सबके लिए मान जाएगा?
नीतू - उसे तो मेरी हर बात माननी पड़ेगी.. आपको बच्चे के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा.. आपका पोता अपकी बेटी ही पैदा करेगी..
अंकुश आता हुआ - माँ.. नीतू.. चलो..
गोमती ताला लगाती हुई धीरे से नीतू से - गलती मेरी ही है.. तुम दोनों पर मैंने ध्यान नहीं दिया.. वरना ये सब नहीं देखना पड़ता..
अंकुश सामन रिक्शा में रखकर गोमती और नीतू के साथ बैठ जाता है और बस स्टेण्ड पहुच जाता है..
अंकुश टिकिट लेकर - माँ.. चलो.. वो वाली बस है..
एक स्लीपर बस में तीनो बैठ जाते ही जहाँ गोमती और नीतू अगल बगल और अंकुश दोनों के बीच में होता है..
अंकुश इयरफोन लगाकर गाने सुनने लगता है और गोमती और नीतू बार बार चुपके से एक दूसरे की ओर देखकर बार बार अपना मुंह फेर लेते है जैसे दोनों एकदूसरे के बारे में ही सोच रहे हो..
नीतू अंकुश के हाथ में अपना हाथ डालकर एक इयरफोन अपने कान में लगाकर अंकुश के कंधे पर सर रख लेती है ओर आँख बंद करके गाने सुनते हुए रास्ते को काटने की कोशिश करती है.. वही गोमती नीतू को ऐसा करता देखकर कुछ सोचती है फिर वो खिड़की से बाहर आते हुए नज़ारों को देखकर नीतू और अंकुश के बारे में सोचकर मन ही मन एक फैसला करती है जिसे सिर्फ वही जानती थी...
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रमन सीढ़ियों से उतरकर अपनी कॉफी लेने आया तो तितली ने उसे कहा..
आज मूवी दिखाने वाले थे ना तुम मूझे?
रमन शान्ति के हाथों से अपनी कॉफी लेकर - तुम तो बिजी थी ना आज?
हाँ.. थी तो.. मगर अब फ्री हूँ.. बताओ क्या करना है?
हम्म.. मैं पहले अपनी कॉफ़ी ख़त्म कर लू.. फिर रेडी होके आता हूँ.. एक घंटा वेट करना पड़ेगा? चलेगा ना तुमको?
मूझे तो आदत है इंतज़ार करने की.. कर लुंगी..
रमन कॉफी लेकर वापस अपने रूम में चला जाता है और घर की नौकरानी शान्ति तितली से कहती है..
क्या चल रहा है दीदी? रमन भईया तो कल से आपके साथ ऐसे पेश आ रहे है जैसे आप उनकी बीवी हो.. माजरा क्या है? कहीं आप दोनों के बीच इल्लू.. इल्लू.. तो नहीं होने लगा?
तितली मुस्कुराते हुए शान्ति की बात का जवाब देते हुए कहती है - इतना दिमाग मत चला शान्ति.. तेरे रमन भईया तो बस अच्छे होने का नाटक कर रहे है ताकि उनको मूझे प्रॉपर्टी ना देनी पड़े.. वरना कभी दानव को देखा है देवता बनते?
शान्ति - नहीं दीदी.. रमन भईया तो बहुत अच्छे इंसान है.. बस पता नहीं आपसे इतना क्यों नाराज़ रहते थे.. मगर अब लगता है सब ठीक हो गया है.. वैसे एक बात बोलू दीदी बुरा ना मानो तो..
तितली - इतना सब बोल दिया है तो वो बात भी बोल दो शान्ति.. मैंने कभी तुम्हारी बात का बुरा माना है जो अब मानुँगी..
शान्ति अपना फ़ोन दिखाते हुए - वो दीदी जब कल आप रमन भईया के साथ खड़ी थी ना.. तब मैंने आप दोनों की एक तस्वीर ली थी छिपके से.. आप दोनों एक साथ बहुत अच्छे लग रहे थे.. देखो..
तितली शान्ति पर बनावटी गुस्सा करते हुए - शान्ति तू भी ना..
तितली की नज़र तस्वीर पर पड़ती है तो वो अपनी और रमन की साथ में तस्वीर को देखकर एक पल के लिए कल रमन का बोली बात याद करने लगती है जिसमे रमन ने उससे शादी करने की बात कही थी.. तितली मुस्कुराते हुए शान्ति से कहती है - शान्ति.. ये तस्वीर तू..
शान्ति बात काटते हुए - भेज दी.. दीदी.. आपके व्हाट्सप्प पर भेज दी..
तितली शरमाते हुए - शान्ति किसी से ये सब मत कहना..
शान्ति - क्या मत कहना दीदी? कोनसी बात? मूझे तो कुछ याद भी नहीं.. हाँ मेरी तनख्वाह आप बढ़ाने वाली थी.. बस वो याद है मूझे..
तितली मुस्कुराते हुए - कह दूंगी धरमु को.. इस महीने से तेरी पगार बढ़ाने के लिए.. बस..
शान्ति - दीदी..
तितली - हम्म्म..
शान्ति - एक बात बोलनी है.. इस सूट की जगह आज आप साड़ी पहनो.. और गाडी में साड़ी थोड़ी सरका देना.. रमन भईया आपकी चिकनी कमर और दूध देखकर पागल ना हुए तो मेरा नाम बदल देना..
तितली बनावटी गुस्सा करते हुए - चल हट बेशर्म..
शान्ति - अरे दीदी अम्मा कसम.. सच कह रहे है..
तितली थोड़ी देर वही खड़ी होकर कुछ सोचती है और फिर एक नज़र शान्ति को देखकर अपने कमरे में चली जाती है जिसे शान्ति समझ जाती है..
कुछ देर बाद रमन नीचे आता है और शान्ति के बनाये सैंडविच खाते हुए हवा में कहता है - कहती है वेट करने की आदत है... लगता है टीवी के किसी सीरियल में घुस गई होगी..
शान्ति रमन की बात सुनकर - नहीं भईया.. दीदी तो आपके लिए साड़ी पहनने अंदर गई है..
रमन - तेरे लिए? तुझे कैसे पता?
शान्ति - मैंने ही तो साड़ी पहनने को बोला है.. दीदी मुझसे आपको इम्प्रेस करने के तरीके पूछ रही थी.. मैंने बोल दिया.. भईया को साड़ी वाली लड़किया अच्छी लगती है.. तो दीदी फट से अंदर चली गई साड़ी पहनने...
रमन - अच्छा? और क्या कहा तूने तेरी दीदी से?
शान्ति शरमाते हुए - मैंने कहा.. जब गाडी में बैठे तो साड़ी थोड़ी सरका दे.. ताकि आपकी नज़र उन पर पड़ सके.. आपको पसंद करती है दीदी.. मुझसे कल आपके साथ तस्वीर लेने को कहा था.. बोला था कि जब वो आपके साथ खड़ी हो तो तस्वीर खींच ले.. देखो मैंने खींची भी थी और दीदी को व्हाट्सप्प भी की है कुछ देर पहले.. उन्होंने देखा भी है..
रमन हैरानी और आश्चर्य में पड़ जाता है उसे कुछ समझ नहीं आता तभी शान्ति कहती है - देखो भईया दीदी की कितनी प्यारी लग रही है साड़ी में..
रमन तितली को देखता ही रह जाता है तभी शान्ति कहती है - भईया.. कल मेरी बच्ची का bday है..
रमन जेब से 2-3 हज़ार रुपए निकालकर शान्ति को देता हुआ - हैप्पी बर्थडे बोलना..
शान्ति ख़ुशी से - रमन भईया..
रमन - हां..
शान्ति - दीदी कल कह रही थी उनको रास्ते की चाट बहुत अच्छी लगती है.. सोचा आपको बता दूँ..
तितली पास आते हुए - चले?
रमन - हम्म.. चलो..
रमन और तितली गाडी में बैठ जाते है इस खूबसूरत शहर के खूबसूरत रास्तो से होते हुए.. गर्म हवा जो झीलों के पानी से टकरा कर ठंडी हो रही थी उसके थपड़े अपने चेहरे पर महसूस करते हुए सिनेमा हॉल जाने के लिए निकल जाते है..
तितली ने शान्ति की बात याद करके अपने पल्लू को थोड़ा सरका दिया और कमर से भी साड़ी को सरका दिया जिससे रमन तितली की कमर और छाती पर सुडोल उठे हुए चुचो के बीच की हलकी घाटी रमन को दिखाई देने लगी और उसे शान्ति की बात पर यकीन हो गया..
रमन तितली की तरफ आकर्षित होने लगा था और तितली मुस्कुराते हुए सामने और साइड के शिशो से रमन को अपनी और देखते हुए देख रही थी और उसके होंठों पर हलकी सी मुस्कान भी आ गई थी.. और वो सोचने लगती है की क्या रमन सच में उसे पसंद करने लगा है या सिर्फ वो उसके साथ कोई खेल खेल रहा है? तितली रमन पर पूरा भरोसा नहीं कर सकती थी और करती भी क्यों जो आदमी दो दिन पहले तक उससे नफरत करता था और अपने बाप की रखैल कहकर बुलाता था वो अचानक उसके साथ उतना सीधा और मीठा बनकर बात करने लगे तो उसे कैसे यक़ीन हो?
कुछ खाओगी?
क्या?
किसी ने बताया था यहाँ काफी अच्छी समोसा चाट मिलती है..
खिला दो.. देखते है तुम्हारी पसंद कितनी टेस्टी है..
तुम बैठो में लेकर आता हूँ..
रमन गाडी किनारे लगाकर एक दूकान से एक समोसा चाट ले आता है..
लो.. ट्राय करो..
तितली चाट टेस्ट करके - अच्छी है.. पर वो बात नहीं है..
कोनसी बात?
वही बात जिसमे मुंह से सीधा वाह.. निकलता है..
अच्छा? तो कहा मिलेगी वाह्ह.. वाली बात?
चलो.. मैं बताती हूँ..
कहा?
वही... जहाँ कोई आता जाता नहीं..
मतलब?
मतलब.. शहर की पुरानी गलियों में.. तुम्हारी ये बड़ी कार वहा नहीं जा पाएगी.. बाइक से चल सकते थे.
ठीक है.. मूवी का प्लान केन्सिल करते है.. आज तुम्हारे साथ पुराना उदयपुर घूमता हूँ.. देखता हूँ तुम्हारी वाह्ह.. वाली बात में कुछ बात है भी या नहीं..
रमन अपनी गाडी आगे किसी मॉल की पार्किंग में लगा देता है और किराए पर बाइक लेकर तितली के साथ तितली की बताई जगह के लिए निकाल पड़ता है..
तितली एक पुरानी सी से दूकान पर रमन को ले आती है और वहा से सबसे पहले दो कप चाय से दिन की शुरुआत करती है रमन चाय पीकर महसूस करता है कि वाकई तितली कि पसंद में वाह्ह वाली बात थी..
तितली एक के बाद एक.. शहर कि कई दूकानो पर रमन के साथ चाट खाती हुई और उसके बारे में बात करती हुई रमन को बताती हुई रिक्शा से घूमती है.. रमन को तितली के स्वाभाव का ये साइड कभी दिखा ही नहीं था और शायद उसने कभी देखा भी नहीं था.. आज के दिन रमन चुप था और तितली अपने नाम कि तरह शहर में रमन का हाथ पकडे यहां से वहा घूम रही थी.. खिलखिलाती हुई हंसकर अपने असली रूप में आ गई थी जिसे उसने कुछ सालों से मार रखा था.. रमन को तितली से लगाव हो चूका था और तितली उसे पसंद आने लगी थी..
शाम ख़त्म होते होते दोनों घर लौट आये.. आज दोनों के दिलो मे जो फीलिंग थी उसे शब्दों मे नहीं बताया जा सकता था रमन खुश था मगर तितली बेचैन.. तितली को घर आने के बाद महसूस हो रहा था जैसे वो भी रमन के प्यार मे पड़ने लगी है मगर जैसे ही उसने रमन के पिता की तस्वीर जो उसके कमरे की दिवार पर लगी थी देखा तो किसी ख्याल से मायुस हो गई.. उसे गिल्ट हो रहा था जैसे वो कुछ गलत कर रही है..
दरसल तितली की माँ मीना जो उस वक़्त नौकरानी थी और रमन के पिता सेठ पूरन माली के बीच अफेयर था और उसी सम्बन्ध का नतीजा था की मीना पेट से हो गई और तितली का जन्म हुआ.. समाज के डर से पूरन ने कभी तितली को अपना नाम तो नहीं दिया मगर एक बेटी की तरह उसे पाला और संभाला.. पूरन ने मीना के साथ अपना नजायाज़ रिश्ता कायम रखा और तितली को पिता का प्यार देता रहा.. तितली पढ़ने मे अच्छी थी और डॉक्टर बनना चाहती थी उसके ख्याब को पूरन ने पूरा करने मे हर तरह से मदद की.. तितली नौकरानी की बेटी होकर भी पुरे ऐशो आराम से पली बड़ी थी.. वो सायनी और समझदार दोनों थी.. उसे हमेशा इस बात पर हैरानी होती की सेठ पूरन माली उसके ऊपर इतनी मेहरबानी क्यों करते है? वो हमेशा सोचती थी की ये सब सिर्फ इसलिए होता है क्युकी उसकी मा मीना और पूरन के बीच चक्कर है मगर उसकी मा मीना ने मरने से पहले सारी सचाई तितली को बता दी और फिर मीना के मरने के बाद सेठ पीरान माली की भी तबियत खराब रहने लगी.. तितली को जब पता लगा की उसके पिता और कोई नहीं बल्कि सेठ पूरन माली है और उसी कारण तितली की हर ख्वाहिश वो कहने से पहले पूरा कर देते है तो तितली की आँखों मे आंसू आ गए.. तितली डॉक्टर बन चुकी थी और अब वो पूरन के आखिरी दिनों मे उसकी सेवा करने लगी थी.. तितली ने पूरन उसके रिश्ते के बार मे बात की तो पूरन अफ़सोफ करते हुए तितली से माफ़ी मांगने लगा की वो समाज के डर से उसे कभी बेटी नहीं कह पाया.. मगर पूरन को तितली के स्वाभाव का पता था और वो जानता था तितली ही उसकी जायज हक़दार है.. उसने बिना तितली को बताये अपनी पूरी प्रॉपर्टी तितली के नाम कर दी और तितली से रमन का ख्याल रखने का कहकर दुनिया अलविदा हो गया.. जब पूरन के मरने के बाद इस बाद का पता रमन को चला तो वो तितली से नाराज़ हो गया और उसे बुरा भला कहने लगा.. मगर तितली ने रमन के गुस्सा और ताने दोनों को चुप चाप सह लिया और अपने पिता सेठ पूरन माली के जाने के दुख को भी सह गई..
तितली को पता था की रमन और उसका बाप सेठ पूरन माली ही है.. और अब वो अपने ही सोतेले भाई को दिल दे बैठी है.. यही ख्याल उसे तंग किये जा रहा था.. तितली को प्रॉपर्टी का जरा भी लालच ना था वो बस अब रमन के करीब रहकर उसे खुश देखना चाहती थी..
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मैडम वो फ़ाइल नहीं मिल रही..
कोनसी फ़ाइल?
टेंडर वाली.. जिसकी परसो मीटिंग है.. मैंने जयप्रकाश जी को रखने के लिए दी थी मगर वो तो कल उस फ़ाइल को टेबल पर रखकर ही घर चले गए तब उसके बाद से फ़ाइल का कोई पता नहीं है..
बुलाइये जयप्रकाश जी को..
जयप्रकाश आते हुए - गुड मॉर्निंग मैडम..
जयप्रकाश जी टेंडर वाली फ़ाइल मैंने आपको सेफली रखने के लिए दी थी ना.. आपने उसे यूँही टेबल पर छोड़ दिया?
मैडम कल थोड़ा जल्दी मैं था इसलिए चूक हो गई.. मगर कभी टेबल पर रखी फ़ाइल गायव नहीं हुई आज पहली बार ऐसा हुआ है कि टेबल पर रखी फ़ाइल नहीं मिल रही..
मैं कुछ नहीं जानती जयप्रकाश जी.. आप ढूंढिए उस फ़ाइल को.. उसका मिलना बहुत जरुरी है.. परसो उस फ़ाइल के बिना मीटिंग में कैसे जाउंगी मैं? जाइये.. फ़ाइल ढूंढिए और लाकर दीजिये.. शाम से पहले फ़ाइल नहीं मिली तो आपकी जिम्मेदारी होगी..
जी मैडम... मैं देखता हूँ..
जयप्रकाश चला जाता है और गुनगुन फ़ाइल के बारे में सोच मे लगती है..
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सुबह 7 बजे सोये सूरज की आँख दिन के 1 बजे खुली तो उसे सबसे पहले बरखा को स्टेशन छोड़ने जाने की बात याद आई और वो उठकर तौलिया लेता हुआ बाथरूम में चला गया और ब्रश करके नहाने लगा उसे नहाकर सूरज तैयार हुआ और सीढ़ियों से नीचे आ गया.. विनोद और जयप्रकाश ऑफिस जा चुके थे और सुमित्रा बैडरूम का दरवाजा बंद करके अंदर माँ बेटे की कामुक कहानि पढ़ते हुए अपनी चुत सहला रही थी..
सूरज नीचे आकर रसोई में फ्रीज़ से पानी निकालकर पिने लगा.. सुमित्रा को रसोई से कुछ आवाजे आई तो वो बैडरूम से बाहर आ गई और सूरज को देखकर बोली - भूक लगी है मेरे लाडले को? बता क्या खायेगा? बना देती हूँ..
आज खाना नहीं बनाया आपने?
बनाया था पर ख़त्म हो गया.. रुक मैं अभी तेरे लिए गर्मगर्म फुल्के बना देती हूँ..
सुमित्रा आटा लेकर फुल्के बनाने लगी.. उसने हाथ तक नहीं धोये.. जो उंगलियां कुछ देर पहले उसकी चुत में घुसी हुई थी उसी से वो फुल्के बनाकर सूरज को परोस देती है और सूरज बड़े चाव से उसे खा लेता है..
वैसे तू तैयार होके जा कहा रहा है?
कहीं नहीं माँ.. एक दोस्त से मिलने जा रहा हूँ शाम तक आ जाऊंगा.. आप ही कहती हो घर में अकेला मन ना लगे तो दोस्तों से मिल लिया कर..
हाँ कहती हूँ पर दोस्तों से मिलने के लिए.. दोस्त की ex गर्लफ्रेंड को होटल में बुलाकर उसके साथ सोने के लिए नहीं.
माँ... आपको बताना ही नहीं चाहिए था.. आप ना हर बात में वही बात लेकर आओगी अब..
अच्छा ठीक है नहीं बोलती.. वैसे कोनसी दोस्त से मिलने जा रहा है? ये भी किसी की ex गर्लफ्रेंड है?
हा.. कल वाली लड़की ही है.. पार्क में मिलने बुलाया है.. साथ में मूवी देखने का भी प्लान है.. सब बता दिया अब खुश?
तू उसे कोनसी मूवी दिखायेगा मूझे सब पता है.. कंडोम पहन के मूवी दिखाना.. समझा? तेरी ऐयाशी से घर में कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए.. दिन ब दिन लड़कियों में ही घुसता जा रहा है.. तेरी भी जल्दी ही शादी करवानी पड़ेगी..
सूरज सुमित्रा को पीछे से अपनी बाहों में भरके पकड़ता हुआ बोला.. अच्छा माँ.. आप करवा दो ना फिर मेरी शादी.. जल्दी से.. कोई लड़की है आपकी नज़र में?
सुमित्रा पीछे सूरज की तरफ अपने मुंह करके मुस्कुराते हुए - कैसी लड़की चाहिए बता.. मैं ढूंढती हूँ..
सूरज - बताया था ना.. बिलकुल आपके जैसी.. जो आपके जैसा खाना बना सके.. घर सभाल सके और बहुत खूबसूरत भी हो..
सुमित्रा हसते हुए - मेरी जैसी मिलना तो मुश्किल है..
सूरज मज़ाक़ में - कोई बात नहीं.. फिर में आपसे ही शादी कर लेता हूँ.. वैसे भी पापा तो बूढ़े हो गए है.. आप तो अभी भी जवान हो.. 2 बच्चे और पैदा हो जायेगे..
सुमित्रा सूरज के गाल चूमते हुए - अपनी माँ के साथ ये सब करने वाले को पता है ना लोग क्या कहते है? कोनसी गाली देते है..
सूरज सुमित्रा के कान में धीरे से - पता है मादरचोद कहते है.. पर आपके लिए सब सुन सकता हूँ..
सुमित्रा सूरज के होंठों को पकड़कर - चुप... कमीना कहीं का.. चल अब छोड़ मूझे.. तेरी वो सहेली इंतजार कर रही होगी.. पता नहीं कितनी आग भरी उसके अंदर.. रातभर मिले थे और अब वापस मिलना है.. जा मिल ले जाकर...
सुमित्रा ने जब सूरज के होंठ पकडे तो सूरज को सुमित्रा की उंगलियों से जो महक आरही थी उससे वो अच्छी तरह वाक़िफ़ था मगर उस अनदेखा कर सुमित्रा के गाल चूमकर रसोई से बाहर आता हुआ - बाय माँ..
सुमित्रा मुस्कुराते हुए - बाय बेटू..
सूरज के जाने के बाद सुमित्रा फिर से अपने कमरे में चली गई और उस बार कहानी पढ़ने की जगह सूरज की अभी मज़ाक़ में बोली हुई बातों को याद करके चुत सहलाने लगी..
सुमित्रा के मन में सूरज के लिए हवस दिन ब दिन बढ़ती जा रही थी और उसका काबू पर खुद पर नहीं था, सुमित्रा अकेलेपन में सूरज को याद करके गन्दी से गन्दी हरकत करने लगी थी..
एक तरफ सूरज के लिए सुमित्रा पागल हुए जा रही थी तो दूसरी तरफ गरिमा भी अब बेचैन थी.. कई दिनों से वो सूरज के लगातार मैसेज और कॉल आने पर ये समझ रही थी की सूरज भी उससे बात करने के लिए तड़प रहा है मगर फ़ोन पर बात करने के बाद से सूरज ने गरिमा को मैसेज या कॉल किया ही नहीं.. जिसके करण गरिमा की हालात बेचैन थी उसका मन कहीं नहीं लग रहा था उसे बस सूरज के मैसेज और कॉल का ही इंतजार था और गरिमा उसीके इंतजार में बैठी हुई अपने मन के गुस्से और अना से लड़ झगड़ रही थी और सोच रही थी कि अब उसे ही सूरज को मैसेज या कॉल कर देना चाहिए.. मगर वो ऐसा करने से झिझक रही थी और उसका गुस्सा और अना बार बार उसे ऐसा करने से रोक रहे थे..
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किसी दोस्त से बाइक उदार लेकर सूरज पौने 2 बजे बरखा को लेने घर पंहुचा तो बंसी और हेमलता ने सूरज को देखकर मुस्कुराते हुए अंदर आने को कहा..
काका आज दूकान नहीं खोली?
हेमलता बोली.. अभी तो यात्रा से घर वापस आये है हनी.. दूकान कल खोलेंगे तेरे काका.. मैं चाय बना रही हूँ रुक..
काकी दीदी कहा है?
मैं यही हूँ हनी.. बस आ रही हूँ.. बरखा ने अपने कमरे से चिल्लाते हुए कहा..
बंसी अपने बैडरूम में चला गया और हेमलता रसोई में.. बरखा अपने रूम में थी..
सूरज सीधे रसोई में हेमलता के बार चला गया..
काकी लाओ मैं चाय बना देता हूँ.. आप रातभर से जगी हुई हो.. अभी घर लोटी हो.. थोड़ी देर बैठकर आराम कर लो..
हेमलता मुस्कुराते हुए हनी के गाल सहलाकार बोली - नहीं बेटा.. मैं ही बना देती हूँ.. वरना तू ही कहेगा काकी तो मुझसे काम करवाती है..
हनी मुस्कुराते हुए हेमलता के पीछे आकर उसके कंधो पर दोनों हाथ रखकर कहता है - अपने घर में काम करने से कैसी शर्म काकी..
हेमलता मुड़कर मुस्कुराते हुए सूरज को देखती हुई बोली - इतनी प्यारी बातें करेगा ना तो सुमित्रा से बोलकर तुझे मैं अपने पास ही रख लुंगी.. फिर ढ़ेर सारा काम करवाउंगी तुझसे..
सूरज हसते हुए अपने दोनों हाथ हेमलता के कंधे से हटाकर उसकी कमर पर ले जाता है और पीछे से हेमलता को बाहों में भरते हुए कहता है - करवा लेना काकी.. मैंने कब मना किया? मैं जानता हूँ आप अजय और विजय भईया के जाने के बाद बहुत अकेली हो.. पर आप चिंता मत करो मैं हूँ ना... (हेमलता के गाल चूमकर) आपका ध्यान रखने के लिए..
हेमलता के दोनों बेटे अजय और विजय सालों पहले दूर बड़े शहर में जाकर वही बस चुके थे और सालों से घर नहीं आये थे अब तो उनकी बात हेमलता और बंसी से होना भी बंद हो चुकी थी सूरज के मुंह से ये बात सुनकर हेमलता भावुक हो गई मगर फिर खुदको सँभालते हुए सूरज को देखकर बोली - तू कब से इतनी समझदारी वाली बातें करने लगा हनी? लगता है बड़ा हो गया है..
सूरज वापस हेमलता के गाल चूमकर - तो क्या आपने सोचा हमेशा बच्चा ही रहूँगा मैं?
हेमलता - मेरे लिए तो बच्चा ही रहेगा..
चाय उबल चुकी थी और बरखा भी अब अपने रूम से बाहर आकार रसोई में आ गई उसने देखा कि सूरज उसकी माँ को पीछे से अपनी बाहों में भरके हेमलता के गाल चुम रहा था और हेमलता मुस्कुराते हुए गैस बंद करके चाय को कप में डाल रही थी..
माँ.. इस शैतान से बचके रहो.. ये बहुत तेज़ हो गया है अब.. इसे बड़े उम्र कि औरते पसंद है.. कहीं आपके साथ कुछ ऐसा वैसा कर दिया तो बाद में मत पछताना..
हेमलता हसते हुए सूरज को चाय देकर उसके गाल को चूमती हुई बोली - इसे तो मैं बचपन से जानती हूँ बरखा.. जब तेरे पास टूशन आता था तब मैं ही इसकी छोटी सी नुन्नी पकड़कर इसे बाथरूम करवाती थी.. बहुत रोता था.. ये क्या कर सकता है और क्या नहीं मैं अच्छे से जानती हूँ.. तू ले चाय पिले मैं तेरे पापा को भी दे देती हूँ..
हेमलता वहा से चली जाती है बरखा चाय पीते हुए सूरज के करीब आकर सूरज को देखते हुए कहती है - हनी लगता है.. सपना आंटी के साथ हेमलता काकी की भी लेनी है तुझे?
सूरज चाय पीते हुए - छी.. दीदी क्या बोल रही हो आप? काकी तो मेरी माँ जैसी है..
बरखा हसते हुए - अच्छा? और मैं?
सूरज - आपको बड़ी बहन बोलता हूँ..
बरखा - सिर्फ बोलता है या मानता भी है?
सूरज - ज्यादा सवाल नहीं पूछ रही आप आज? चलो वरना ट्रेन miss हो जायेगी और फिर मुझसे कहोगी.. तेरे करण ट्रैन छूट गई..
बरखा सूरज को बेग देते हुए - ले उठा सामान मेरे कुली भाई..
सूरज बेग उठकर बाहर आ जाता है और बाइक पर आगे सामान रखकर बाइक स्टार्ट करता है और पीछे बरखा बैठ जाती है बाइक चली शुरु होती है.. रस्ता आधे घंटे का था..
बरखा ने दोनों हाथों से सूरज को कसके पकड़ लिया और अपनी छाती उसकी पीठ से चिपका दी और सूरज के कान के पास अपने होंठो को लाकर बोली - तू सच में मूझे बहन मानता है?
सूरज ने बरखा के बारे में कभी उस तरह से नहीं सोचा था और ना ही उसके छूने पर सूरज को कोई फील आता था इसलिए बरखा की छाती टच होने पर सूरज ने ज्यादा कुछ रियेक्ट नहीं किया और बरखा के सवाल पर कहा - हाँ.. क्यों? कोई शक है आपको?
बरखा - अपनी बहन की एक बात मानेगा?
क्या?
पहले कसम खा मूझे जज नहीं करेगा..
नहीं करूंगा बोलो ना..
हनी.. मेरा तेरे जीजू से रिश्ता ठीक नहीं चल रहा तू जानता है.. मूझे ना सेक्स किये हुए एक साल हो गया..
सूरज सडक किनारे गाडी रोक कर - दीदी मूझे क्यों बता रही हो आप ये सब? इसमें मैं क्या कर सकता हूँ?
हनी.. मेरे लिए..
छी दीदी.. आप ऐसा सोच भी कैसे सकती हो..
नहीं.. मैं तुझे मेरे साथ सेक्स करने के लिए नहीं कह रही.. बस मूझे एक बार तुझे देखना है..
इतने सालों से देख रही हो दी.. और कैसे देखना है..
हनी.. तू कितना नासमझ है.. मेरा तेरा प्राइवेट पार्ट देखना है..
दीदी.. मज़ाक़ मत करो..
मज़ाक़ नहीं है हनी.. सच में.. देख मेरा भाई है ना.. इतना सा नहीं कर सकता तू मेरे लिए..
नहीं दी.. ये सब मैं नहीं कर सकता.. सॉरी..
देख हनी.. मैं हाथ भी नहीं लगाउंगी बस देखूंगी.. तेरी कसम.. प्लीज.. अपनी बहन की इतनी सी बात नहीं मानेगा तू?
दीदी मुझसे शर्म आएगी.. और आप क्यों इतना फोर्स कर रही हो.. मैं नहीं कर सकता.. ट्रैन miss हो जायेगी..
अरे बाबा.. तू आँख बंद कर लेना.. अभी बहुत समय है ट्रैन आने में.. मैं बस देखूंगी हनी... अगर तू मना करेगा तो मैं तुझसे नाराज़ भी हो जाउंगी.. देखना फिर कभी बात भी नहीं करूंगी तुझसे..
क्या मुसीबत है यार.. अच्छा ठीक है.. आगे एक कॉफ़ी कैफ़े है वहा चलते है..
बरखा ख़ुशी से सूरज को लगे लगाती हुई - थैंक्यू मेरे छोटू भाई..
सूरज बरखा को कॉफी कैफ़े में ले आता है जहाँ पर्सनल केबिन बने हुए थे और पूरी प्राइवेसी थी.. सूरज ने दो कॉफी बोल दी और वेटर कॉफ़ी दे गया फिर सूरज ने केबिन का गेट लगा दिया..
बरखा सूरज के करीब आकर बैठ गई और सूरज ने शरमाते हुए अपनी लोवर नीचे करके चड्डी भी नीचे कर दी और बरखा के सामने सूरज का लंड आ गया जो श्यनमुद्रा में था और बरखा उसे खड़ा देखना चाहती थी..
बरखा ने अपना फ़ोन खोलकर उसकी गैलरी ओपन करके एक ब्लू फ्लिम चला दी और सूरज को फ़ोन दे दिया फिर बोली - हनी.. खड़ा देखना है..
सूरज झिझकते हुए ने फ़ोन ले लिया और एक नज़र बरखा को देखकर ब्लू फ़िल्म देखने लगा.. बरखा ने सिगरेट जलाकर कश लेते हुए कॉफ़ी का पहला सिप लिया और सूरज के लंड को देखने लगी जो नींद में भी अच्छा खासा था..
बरखा ने अपनी सलवार का नाड़ा खोल दिया और सिगरेट पीते हुए अपनी चुत को सहलाने लगी जिसे देखकर हनी बरखा को कामुक नज़र से देखने लगा मगर बरखा को छूने की उसकी हिम्मत नहीं हुई.. ब्लू फ़िल्म से ज्यादा बरखा के चुत सहलाने से सूरज का लंड अकड़ने लगा और बरखा लंड को खड़ा होते देखकर और कामुकता से अपनी चुत में ऊँगली करने लगी..
सूरज का लंड जब पूरा अकड़ गया तब बरखा लंड देखकर चौंक गई.. सूरज का लंड काफी लम्बा और मोटा था बरखा ने वैसा लंड हक़ीक़त में कभी नहीं देखा था ना उसके बॉयफ्रेंड का लंड उतना बड़ा था ना पति का.. पति से बहुत लम्बा और मोटा लंड था सूरज के पास..
बरखा ने पूरी गर्म होकर झड़ गई तो सूरज ने रुमाल देकर बरखा को चुत साफ करने का इशारा किया.. बरखा ने अपनी टांग चौड़ी करके खड़ी हो गई और सूरज के मुंह के सामने अपनी चुत खोलकर कहा - तू कर दे ना हनी..
सूरज ने रुमाल से बारखा की झांटो से भरी हुई चुत को साफ कर दिया और बरखा की चुत देखकर और नाक के करीब होने से सुघकर बरखा के प्रति आकर्षित हो गया मगर बचपन से बरखा को बहन मानने के कारण सूरज की हिम्मत बरखा से कुछ कहने की नहीं थी.. बरखा आराम से बैठ गई और सूरज ने भी अपने खड़े लंड को लोवर के अंदर कर लिया फिर कॉफ़ी को छू कर देखा तो कॉफ़ी ठंडी हो चुकी थी.. बरखा ने सूरज को ठंडी कॉफी पिने के लिए मना कर दिया और दो गर्म कॉफी मंगा कर पिते हुए बोली - बहुत किस्मत वाला है हनी तू..
सूरज कॉफी पीते हुए - क्यों दी..
बरखा - जितनी अच्छी तेरी शकल है उतना अच्छा तेरा ये लंड..
सूरज - दी यार.. कुछ तो शर्म करो.. अब ऐसे वर्ड तो मत बोलो..
बरखा हसते हुए - लड़का होके शर्माता है..
सूरज - बड़ी बहन से तो शर्माऊंगा ना.. दोस्तों की बात अलग है..
बरखा सिगरेट जलाकर कश लेती हुई बोली - और सपना आंटी से? उनसे भी शर्मायेगा तो बिस्तर मे कैसे उनके साथ सो पायेगा?
सूरज नज़र चुराते हुए - उनसे क्यों शर्माउ? वो मेरी बड़ी बहन थोड़ी है..
बरखा हँसते हुए सिगरेट के कश लेती हुई - अच्छा जी.. पर तेरी सपना ने मना कर दिया.. कल पूछा था मैंने तेरे लिए..
सूरज कॉफी पीते हुए - मना कर दिया मतलब?
बरखा - मतलब ये की मैंने पूछा था तेरे साथ सेक्स के लिए उसने तेरी पिक देखकर मना कर दिया..
सूरज गुस्से से - पिक क्यों भेजी? रिजेक्शन के बाद उनके सामने जाने में कितनी शर्म आएगी पता है? आप भी ना.. बोलते ही बात भी कर ली..
बरखा सिगरेट का एक लम्बा कश खींचकर सिगरेट बुझाते हुए - शर्म की क्या बात है इसमें?
सूरज - चलो अब टाइम हो रहा है..
बरखा सूरज को अपनी तरफ खीचकर - एक गुड बाय kiss तो दे दे..
सूरज - दी.. आराम से..
बरखा सूरज के होंठों पर अपने होंठो को चिपका कर चूमते हुए - सॉरी.. Baby..
बरखा ने सूरज के होंठों को कुछ देर चूमा फिर उसकी लोवर में हाथ डालकर उसका तना हुआ लंड पकड़कर मसलने लगी.. लंड पकड़ते ही सुरज ने चुम्मा तोड़ दिया और बरखा का हाथ अपने लोवर से बाहर निकलता हुआ बोला - दी.. छोडो..
बरखा मुस्कुराते हुए - ठीक है शरीफ इंसान.. नहीं छूती तुझे..
सूरज बेग उठाकर - चलो.. ट्रैन निकल जायेगी..
सूरज बरखा को लेकर स्टेशन पर आ जाता है और ट्रैन भी आ चुकी होती है..
सूरज बरखा का बेग ट्रैन में रखता हुआ - पानी वगेरा है ना आपके पास? कुछ लाना है आपके लिए?
बरखा मुस्कुराकर - सुन..
सूरज - हाँ..
बरखा सूरज के कान में - तेरी सपना आंटी ने बुलाया है तुझे..
सूरज बरखा को देखते हुए - क्यों? उसने तो मना कर दिया था..
बरखा - तेरी पिक देखने के बाद कौन मना कर सकता है क्या? मज़ाक़ कर रही थी मै तो..
सूरज - पक्का ना? पिटवा तो नहीं दोगी आप मूझे?
बरखा - तेरी मर्ज़ी.. नहीं जाना तो मत जा.. वैसे उसने कल कहा था.. तुझे पूरा खुश कर देगी..
सूरज मुस्कुराते हुए - थैंक्स दी..
बरखा सूरज के गाल सहला कर - ट्रैन चलने लगी है अब तू जा.. बाय..
सूरज - बाय दी..
सूरज बरखा को छोड़कर वापस आ जाता है...
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Nice update. Keep it going.Update 10
सूरज घर पहुँचता है तो देखता है उसकी माँ सुमित्रा अपनी बोझल आँखों से उसी का इंतजार कर रही थी और सूरज सुमित्रा कि आँखों को देखकर समझ जाता है कि सुमित्रा रात भर नहीं सोइ..
कहाँ था ना माँ सो जाओ.. मगर आप तो पता नहीं क्या चाहती हो? देखो आँखे कैसे लाल हो गई है आपकी..
अभी सोकर ही उठी थी बेटू, और तू आ गया.. चल चाय बना देती हूँ.. कुछ खायेगा तो बता.. बना दूंगी..
सूरज सुमित्रा को बाहों में भरके - मुझसे ना झूठ मत बोला करो माँ... आपके सोने और जागने का पता आपकी शकल से चल जाता है.. और मूझे कुछ नहीं खाना.. मूझे तो बस सोना है.. बहुत नींद आ रही है..
सुमित्रा - अच्छा.. रात में सब ठीक था ना हनी.. तू खुश हुआ ना..
सूरज सुमित्रा के गाल चूमकर - इतनी पर्सनल बातें मत पूछा करो माँ.. मैं बच्चा नहीं हूँ अब.. अच्छा बुरा समझता हूँ.. आप भी थोड़ा आराम कर लो.. रातभर बिना वजह ही जाग रही थी..
सुमित्रा भोलेपन का नाटक करती हुई - इसमें क्या पर्सनल है? अपनी माँ को इतना भी नहीं बता सकता तो क्या फ़ायदा.. मैं अब कुछ पूछूंगी ही नहीं तुझसे.. जा सोजा..
सूरज हसते हुए - अच्छा ठीक है.. मुंह मत लटकाओ.. मैं खुश हूँ.. अब जाऊ सोने?
सुमित्रा - रुक मैं हल्दी वाला दूध दे देती हूँ.. पीकर सोना.. रातभर इतनी मेहनत की है, थक गया होगा मेरा बच्चा..
सूरज मुस्कुराते हुए - मैंने शायद पिछले जन्मो में बहुत पुण्य किये होंगे.. तभी आपके जैसी माँ मिली है मूझे..
सुमित्रा दूध देकर - मस्का लगाने की जरुरत नहीं है हनी.. ले.. पिले.. और हाँ.. कल विनोद कह रहा था उसके ऑफिस में एक अच्छी जॉब है.. उसने बात की है तेरे लिए.. और तुझे बुलाया भी है बात करने के लिए.. जाकर मिल लेना..
सूरज दूध का सीप लेते हुए - ठीक है मिल लूंगा.. अरे दूध तो फीका है..
सुमित्रा - शायद मीठा डालना भूल गई.. ला अभी शकर डाल देती हूं..
सूरज दूध सुमित्रा के होंठो से लगाते हुए - शकर रहने दो.. आप तो बस अपने होंठो से छू लो दूध को.. दूध अपने आप मीठा हो जाएगा..
सुमित्रा हसकर - बेशर्म मा से भी मस्ती करता है..
सूरज दूध पिता हुआ - मस्ती क्या? सच तो कह रहा हूं.. देखो अब ये शहद से मीठा हो गया आपके होंठो से लगते है..
सुमित्रा मुस्कुराते हुए - अच्छा जी.. बच्चू.. तेरी मा हूं मैं.. भूलना मत कभी.. समझा?
सूरज दूध का गिलास सुमित्रा को वापस देते हुए - मुझे सब याद है.. आप चिंता मत करो.. भैया और पापा कहाँ है?
सुमित्रा - वो कभी इतनी सुबह उठते है भला? सो रहे है अभी तक..
सूरज मुस्कुराते हुए फिर से सुमित्रा को बाहो मे भरके - और आप सारी रात मेरे लिए जाग रही थी.. आप अगर मेरी मा नहीं होती ना तो..
सुमित्रा सूरज के इस तरह बाहो मे कसने से बहकने लगी थी उसने सूरज की आँखों फिर होंठो को देखा और फिर वापस आँखों मे देखते हुए कहा - तो क्या?
सूरज सुमित्रा के चेहरे से उसके दिल के ख्याल पढ़ सकता था उसने सुमित्रा को बाहो से आजाद करते हुए कहा - मा नहीं होती तो आपका खज़ाना लूट लेता..
इतना कहकर सूरज हस्ते हुए सीढ़ियों की तरफ भाग गया और ऊपर अपने कमरे मे चला गया..
सुमित्रा सूरज की बात सुनकर जैसे काम की आंधी मे पत्ते की तरह उडने लगी थी.. रात मे उसने कई बार चुत मे ऊँगली कर अपनी हवस शांत करने की कोशिश की थी और अब वापस वो उसी हवस से भर गई थी.. सुमित्रा ने बाथरूम का रुख किया और वापस वही करने लगी जो वो रात भर कर रही थी.. उसकी चुत कई बार ऊँगली करने से लाल हो गई थी और उसपर हलकी सूजन भी आ गई थी..
सूरज कमरे मे जाकर सो जाता है..
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अंकुश अपनी बहन नीतू के साथ बिस्तर में बेपर्दा होकर एकसाथ लिपटा हुआ सो रहा था और नीतू के जगाने से अब उसकी आँख खुली थी...
अक्कू सुबह हो गई है.. हटो ना.. उठने दो मूझे..
थोड़ी देर और लेटी रहो ना नीतू..
अक्कू.. बहुत काम है.. रात के बर्तन तक धोने बाकी है.. पानी भरना है.. मम्मी को सुबह आठ बजे चाय चाहिए होती है.. अगर नहीं मिली तो वो मूझे बहुत सुनाएगी..
बस पांच मिनट ना नीतू...
तेरी पांच मिनट कब पचास मिनट हो जाती है पता नहीं चलता.. हट मेरे ऊपर से.. वरना होंठों पर ऐसा काटूंगी की याद रखेगा..
अक्कू नीतू को चूमकर - ऐसे करेगी ना तो उस वकील साहिबा से चक्कर चला लूंगा.. समझी?
नीतू - बड़ा आया तू चक्कर चलाने वाला.. तू किसी और लड़की से प्यार की बात तो करके देख.. तेरा वो हाल करुँगी ना कि सोचेगा मेरा कहा मान लेता तो अच्छा होगा.. समझा?
अक्कू मुस्कुराते हुए - समझ गया मेरी मिया खलीफा..
अंकुश ने इतना कहा ही था की कमरे के दरवाजे को किसी ने बाहर से खटखटा दिया.. अंकुश और नीतू एक दम से चौंकते हुए पहले दरवाजे की तरफ और फिर एक दूसरे की तरफ देखने लगे.. इतने में दरवाजे के बाहर खड़ी गोमती ने आवाज लगाते हुए कहा..
नीतू.. नीतू.. दरवाजा खोल नीतू..
अंकुश - मम्मी आ गई.. आज तो पकडे गए नीतू..
नीतू मुस्कुराते हुए - कुछ नहीं होगा.. तू रुक मैं देखती हूँ..
नीतू ने अपने नंगे बदन को एक पतले से तौलिये से ढक लिया और अक्कू नंगा ही उठकर अलमीरा के पीछे छिपकर खड़ा हो गया..
नीतू दरवाजा खोला तो सामने गोमती हाथ में ट्रे लिए खड़ी थी जिसमे दो चाय के कप थे..
माँ.. आप??
गोमती - चाय पिले.. और अक्कू को भी दे दे.. मैं जानती हूँ वो रात से तेरे साथ अंदर ही है..
नीतू शर्म से नीचे देखकर बोली - माँ आपने क्यों तकलीफ की मैं बस आ ही रही थी..
गोमती - कोई बात नहीं.. अपने भाई से बोल तैयार हो जाए और तू भी तैयार हो जा.. हमें अभी गाँव जाना पड़ेगा..
नीतू - क्यों? अचानक गाँव क्यों?
गोमती - थोड़ी देर पहले तेरे मामा का फ़ोन आया था... कल रात में तेरे नाना जी का देहांत हो गया.. जल्दी आना.. मैं इंतजार कर रही हूँ..
गोमती चली जाती है और नीतू दरवाजा बंद करके तौलिया एक तरफ फेंकती हुई अपने कपड़े उठाकर पहनते हुए अंकुश से कहती है - अक्कू मम्मी कह रही थी कि..
अंकुश कपड़े पहनते हुए नीतू कि बात काटकर - सुना मैंने मम्मी ने क्या कहा.. पर मूझे समझ नहीं आ रहा.. मम्मी हमारे बारे में जानती है? और उन्होंने हमें कुछ बोला भी नहीं?
नीतू अंकुश को चाय का कप देती हुई - कल जब मैं और मम्मी कोर्ट गए थे उससे पहले मम्मी ने मुझसे तेरे बारे में बात की थी अक्कू..
अंकुश - क्या बात की थी?
नीतू चाय पीते हुए - हमारे बीच जो है उसके बारे में मम्मी को बहुत पहले से पता है.. और वो बदनामी के डर से अबतक कुछ नहीं बोली.. मगर कल मम्मी ने इस बारे में मुझसे बात की और मैंने मम्मी से साफ साफ कह दिया था..
अंकुश - क्या कहा तूने मम्मी से?
नीतू चाय का कप रखकर अक्कू को बाहों में भरती हुई बोली - यही कि मैं अपने अक्कू से बहुत प्यार करती हूँ.. और तलाक़ के बाद अपने अक्कू से शादी भी करुँगी.. फिर हम कहीं और शिफ्ट हो जाएंगे और मैं तेरे बच्चे की माँ बनुँगी.. मम्मी ने पहले तो मेरी बातों का मज़ाक़ बनाया और मूझे समझाया मगर बाद में मेरे आगे हार मान ली.. अब घर में हमें छुप छुपकर प्यार करनी की जरुरत नहीं है अक्कू..
अंकुश हैरानी से - इतना सब हो गया?
नीतू अंकुश का हाथ पकड़कर कमरे के साथ ही लगते हुए बाथरूम में ले जाती हुई - जल्दी तैयार होना.. चल साथ में नहाते है..
नीतू अपने और अंकुश के कपड़े फिर से उतार देती है और शवार के नीचे आकर अंकुश को बाहों में भरके चूमते हुए नहाने लगती है..
अंकुश नीतू से दूर हटते हुए - यार नीतू.. नाना जी एक्सपायर हो गए और तू ये सब कर रही है.. थोड़ा ख्याल कर..
नीतू घुटनो पर बैठकर अंकुश के लंड को मुंह मे लेकर चुस्ती हुई - 90 साल की उम्र में मारे है नानाजी.. भरी जवानी में नहीं.. और वैसे भी कोनसा नाना नानी हमसे इतना करीब थे कि आंसू आये.. उनको तो हमेशा मामा मामी से लगाव था.. मम्मी की आखो में तो आंसू भी नहीं है.. जब उनको कोई अफ़सोस नहीं है तो मैं क्यों करू?
अंकुश - अह्ह्ह्ह.. आराम से नीतू.. बोल्स वाली जगह सेन्सटिव होती है..
नीतू जोर जोर से अंकुश का लंड चुस्ती हुई - पता है.. मूझे तो बस तेरी अह्ह्ह सुनने में मज़ा आता है..
अंकुश - नीतू अगर तू मेरी बहन नहीं होती ना.. इस हरकत पर मैं एक जोर का थप्पड़ जरुरत मारता तेरे गाल पर..
नीतू लंड पूरा खड़ा करके चूसना बंद कर देती है और फिर खड़ी होकर लंड को अपनी चुत में घुसाती हुई कहती है - एक क्या मेरे भाई दो थप्पड़ मार ले अपनी बहन को.. तेरे लिए तो जान दे सकती हूँ...
अंकुश नीतू कमर पकड़कर उसे दिवार से चिपका देता है और चुत में झटके मारते हुए कहता है - कैसे मार दूँ बहना.. भूल गई रक्षाबंधन के दिन तूने क्या वचन लिया था.. कि मैं तेरे ऊपर सिर्फ अपना लंड उठाऊंगा हाथ नहीं..
अक्कू कुछ देर ऐसे ही नीतू को पेलता रहता है..
नीतू - अह्ह्ह.. अह्ह्ह.. अह्ह्ह.. अक्कू.. मेरा होने वाला है.. अह्ह्ह..
अंकुश - मेरा भी होने वाला है नीतू.. अंदर निकाल दूँ..
नीतू - भाई तेरा जहाँ मन करें निकाल दे.. अह्ह्ह..
अंकुश नीतू के अंदर झड़ जाता है और दोनों कुछ देर गहरी गहरी साँसे लेते हुए एक दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगते है फिर नीतू कहती है...
नीतू - अब क्या अपनी बहन की चुत में घुसा रहेगा अक्कू? निकाल ना इसे.. चल नहाते है वरना मम्मी आ जायेगी..
अंकुश मुस्कुराते हुए - घुसाया तूने था निकालना भी तुझे ही पड़ेगा..
नीतू लंड निकालकर शावर ऑन कर देती है और अंकुश को नहलाते हुए खुद भी नहा कर बाहर आ जाती है दोनों अपने अपने कमरे में जाकर तैयार होकर नीचे इंतजार कर रही गोमती के पास आ जाते है..
गोमती दोनों को देखकर - इतना समय क्यों लगा दिया?
नीतू - सवा आठ ही तो बजे है माँ..
अंकुश घर से बाहर जाते हुए - मैं रिक्शा ले आता हूँ..
अंकुश के जाने के बाद गोमती नीतू से - कहीं जवानी के जोश में पेट मत फुला के बैठ जाना..
नीतू गोमती से नज़र चुराकर - अक्कू गर्भनिरोधक गोलीया लाकर दे देता है.. अभी बच्चे का खतरा नहीं है.. जब तलाक़ के बाद घर शिफ्ट करेंगे तब सोचूंगी बच्चा पैदा करने के बारे में..
गोमती - अक्कू इस सबके लिए मान जाएगा?
नीतू - उसे तो मेरी हर बात माननी पड़ेगी.. आपको बच्चे के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा.. आपका पोता अपकी बेटी ही पैदा करेगी..
अंकुश आता हुआ - माँ.. नीतू.. चलो..
गोमती ताला लगाती हुई धीरे से नीतू से - गलती मेरी ही है.. तुम दोनों पर मैंने ध्यान नहीं दिया.. वरना ये सब नहीं देखना पड़ता..
अंकुश सामन रिक्शा में रखकर गोमती और नीतू के साथ बैठ जाता है और बस स्टेण्ड पहुच जाता है..
अंकुश टिकिट लेकर - माँ.. चलो.. वो वाली बस है..
एक स्लीपर बस में तीनो बैठ जाते ही जहाँ गोमती और नीतू अगल बगल और अंकुश दोनों के बीच में होता है..
अंकुश इयरफोन लगाकर गाने सुनने लगता है और गोमती और नीतू बार बार चुपके से एक दूसरे की ओर देखकर बार बार अपना मुंह फेर लेते है जैसे दोनों एकदूसरे के बारे में ही सोच रहे हो..
नीतू अंकुश के हाथ में अपना हाथ डालकर एक इयरफोन अपने कान में लगाकर अंकुश के कंधे पर सर रख लेती है ओर आँख बंद करके गाने सुनते हुए रास्ते को काटने की कोशिश करती है.. वही गोमती नीतू को ऐसा करता देखकर कुछ सोचती है फिर वो खिड़की से बाहर आते हुए नज़ारों को देखकर नीतू और अंकुश के बारे में सोचकर मन ही मन एक फैसला करती है जिसे सिर्फ वही जानती थी...
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रमन सीढ़ियों से उतरकर अपनी कॉफी लेने आया तो तितली ने उसे कहा..
आज मूवी दिखाने वाले थे ना तुम मूझे?
रमन शान्ति के हाथों से अपनी कॉफी लेकर - तुम तो बिजी थी ना आज?
हाँ.. थी तो.. मगर अब फ्री हूँ.. बताओ क्या करना है?
हम्म.. मैं पहले अपनी कॉफ़ी ख़त्म कर लू.. फिर रेडी होके आता हूँ.. एक घंटा वेट करना पड़ेगा? चलेगा ना तुमको?
मूझे तो आदत है इंतज़ार करने की.. कर लुंगी..
रमन कॉफी लेकर वापस अपने रूम में चला जाता है और घर की नौकरानी शान्ति तितली से कहती है..
क्या चल रहा है दीदी? रमन भईया तो कल से आपके साथ ऐसे पेश आ रहे है जैसे आप उनकी बीवी हो.. माजरा क्या है? कहीं आप दोनों के बीच इल्लू.. इल्लू.. तो नहीं होने लगा?
तितली मुस्कुराते हुए शान्ति की बात का जवाब देते हुए कहती है - इतना दिमाग मत चला शान्ति.. तेरे रमन भईया तो बस अच्छे होने का नाटक कर रहे है ताकि उनको मूझे प्रॉपर्टी ना देनी पड़े.. वरना कभी दानव को देखा है देवता बनते?
शान्ति - नहीं दीदी.. रमन भईया तो बहुत अच्छे इंसान है.. बस पता नहीं आपसे इतना क्यों नाराज़ रहते थे.. मगर अब लगता है सब ठीक हो गया है.. वैसे एक बात बोलू दीदी बुरा ना मानो तो..
तितली - इतना सब बोल दिया है तो वो बात भी बोल दो शान्ति.. मैंने कभी तुम्हारी बात का बुरा माना है जो अब मानुँगी..
शान्ति अपना फ़ोन दिखाते हुए - वो दीदी जब कल आप रमन भईया के साथ खड़ी थी ना.. तब मैंने आप दोनों की एक तस्वीर ली थी छिपके से.. आप दोनों एक साथ बहुत अच्छे लग रहे थे.. देखो..
तितली शान्ति पर बनावटी गुस्सा करते हुए - शान्ति तू भी ना..
तितली की नज़र तस्वीर पर पड़ती है तो वो अपनी और रमन की साथ में तस्वीर को देखकर एक पल के लिए कल रमन का बोली बात याद करने लगती है जिसमे रमन ने उससे शादी करने की बात कही थी.. तितली मुस्कुराते हुए शान्ति से कहती है - शान्ति.. ये तस्वीर तू..
शान्ति बात काटते हुए - भेज दी.. दीदी.. आपके व्हाट्सप्प पर भेज दी..
तितली शरमाते हुए - शान्ति किसी से ये सब मत कहना..
शान्ति - क्या मत कहना दीदी? कोनसी बात? मूझे तो कुछ याद भी नहीं.. हाँ मेरी तनख्वाह आप बढ़ाने वाली थी.. बस वो याद है मूझे..
तितली मुस्कुराते हुए - कह दूंगी धरमु को.. इस महीने से तेरी पगार बढ़ाने के लिए.. बस..
शान्ति - दीदी..
तितली - हम्म्म..
शान्ति - एक बात बोलनी है.. इस सूट की जगह आज आप साड़ी पहनो.. और गाडी में साड़ी थोड़ी सरका देना.. रमन भईया आपकी चिकनी कमर और दूध देखकर पागल ना हुए तो मेरा नाम बदल देना..
तितली बनावटी गुस्सा करते हुए - चल हट बेशर्म..
शान्ति - अरे दीदी अम्मा कसम.. सच कह रहे है..
तितली थोड़ी देर वही खड़ी होकर कुछ सोचती है और फिर एक नज़र शान्ति को देखकर अपने कमरे में चली जाती है जिसे शान्ति समझ जाती है..
कुछ देर बाद रमन नीचे आता है और शान्ति के बनाये सैंडविच खाते हुए हवा में कहता है - कहती है वेट करने की आदत है... लगता है टीवी के किसी सीरियल में घुस गई होगी..
शान्ति रमन की बात सुनकर - नहीं भईया.. दीदी तो आपके लिए साड़ी पहनने अंदर गई है..
रमन - तेरे लिए? तुझे कैसे पता?
शान्ति - मैंने ही तो साड़ी पहनने को बोला है.. दीदी मुझसे आपको इम्प्रेस करने के तरीके पूछ रही थी.. मैंने बोल दिया.. भईया को साड़ी वाली लड़किया अच्छी लगती है.. तो दीदी फट से अंदर चली गई साड़ी पहनने...
रमन - अच्छा? और क्या कहा तूने तेरी दीदी से?
शान्ति शरमाते हुए - मैंने कहा.. जब गाडी में बैठे तो साड़ी थोड़ी सरका दे.. ताकि आपकी नज़र उन पर पड़ सके.. आपको पसंद करती है दीदी.. मुझसे कल आपके साथ तस्वीर लेने को कहा था.. बोला था कि जब वो आपके साथ खड़ी हो तो तस्वीर खींच ले.. देखो मैंने खींची भी थी और दीदी को व्हाट्सप्प भी की है कुछ देर पहले.. उन्होंने देखा भी है..
रमन हैरानी और आश्चर्य में पड़ जाता है उसे कुछ समझ नहीं आता तभी शान्ति कहती है - देखो भईया दीदी की कितनी प्यारी लग रही है साड़ी में..
रमन तितली को देखता ही रह जाता है तभी शान्ति कहती है - भईया.. कल मेरी बच्ची का bday है..
रमन जेब से 2-3 हज़ार रुपए निकालकर शान्ति को देता हुआ - हैप्पी बर्थडे बोलना..
शान्ति ख़ुशी से - रमन भईया..
रमन - हां..
शान्ति - दीदी कल कह रही थी उनको रास्ते की चाट बहुत अच्छी लगती है.. सोचा आपको बता दूँ..
तितली पास आते हुए - चले?
रमन - हम्म.. चलो..
रमन और तितली गाडी में बैठ जाते है इस खूबसूरत शहर के खूबसूरत रास्तो से होते हुए.. गर्म हवा जो झीलों के पानी से टकरा कर ठंडी हो रही थी उसके थपड़े अपने चेहरे पर महसूस करते हुए सिनेमा हॉल जाने के लिए निकल जाते है..
तितली ने शान्ति की बात याद करके अपने पल्लू को थोड़ा सरका दिया और कमर से भी साड़ी को सरका दिया जिससे रमन तितली की कमर और छाती पर सुडोल उठे हुए चुचो के बीच की हलकी घाटी रमन को दिखाई देने लगी और उसे शान्ति की बात पर यकीन हो गया..
रमन तितली की तरफ आकर्षित होने लगा था और तितली मुस्कुराते हुए सामने और साइड के शिशो से रमन को अपनी और देखते हुए देख रही थी और उसके होंठों पर हलकी सी मुस्कान भी आ गई थी.. और वो सोचने लगती है की क्या रमन सच में उसे पसंद करने लगा है या सिर्फ वो उसके साथ कोई खेल खेल रहा है? तितली रमन पर पूरा भरोसा नहीं कर सकती थी और करती भी क्यों जो आदमी दो दिन पहले तक उससे नफरत करता था और अपने बाप की रखैल कहकर बुलाता था वो अचानक उसके साथ उतना सीधा और मीठा बनकर बात करने लगे तो उसे कैसे यक़ीन हो?
कुछ खाओगी?
क्या?
किसी ने बताया था यहाँ काफी अच्छी समोसा चाट मिलती है..
खिला दो.. देखते है तुम्हारी पसंद कितनी टेस्टी है..
तुम बैठो में लेकर आता हूँ..
रमन गाडी किनारे लगाकर एक दूकान से एक समोसा चाट ले आता है..
लो.. ट्राय करो..
तितली चाट टेस्ट करके - अच्छी है.. पर वो बात नहीं है..
कोनसी बात?
वही बात जिसमे मुंह से सीधा वाह.. निकलता है..
अच्छा? तो कहा मिलेगी वाह्ह.. वाली बात?
चलो.. मैं बताती हूँ..
कहा?
वही... जहाँ कोई आता जाता नहीं..
मतलब?
मतलब.. शहर की पुरानी गलियों में.. तुम्हारी ये बड़ी कार वहा नहीं जा पाएगी.. बाइक से चल सकते थे.
ठीक है.. मूवी का प्लान केन्सिल करते है.. आज तुम्हारे साथ पुराना उदयपुर घूमता हूँ.. देखता हूँ तुम्हारी वाह्ह.. वाली बात में कुछ बात है भी या नहीं..
रमन अपनी गाडी आगे किसी मॉल की पार्किंग में लगा देता है और किराए पर बाइक लेकर तितली के साथ तितली की बताई जगह के लिए निकाल पड़ता है..
तितली एक पुरानी सी से दूकान पर रमन को ले आती है और वहा से सबसे पहले दो कप चाय से दिन की शुरुआत करती है रमन चाय पीकर महसूस करता है कि वाकई तितली कि पसंद में वाह्ह वाली बात थी..
तितली एक के बाद एक.. शहर कि कई दूकानो पर रमन के साथ चाट खाती हुई और उसके बारे में बात करती हुई रमन को बताती हुई रिक्शा से घूमती है.. रमन को तितली के स्वाभाव का ये साइड कभी दिखा ही नहीं था और शायद उसने कभी देखा भी नहीं था.. आज के दिन रमन चुप था और तितली अपने नाम कि तरह शहर में रमन का हाथ पकडे यहां से वहा घूम रही थी.. खिलखिलाती हुई हंसकर अपने असली रूप में आ गई थी जिसे उसने कुछ सालों से मार रखा था.. रमन को तितली से लगाव हो चूका था और तितली उसे पसंद आने लगी थी..
शाम ख़त्म होते होते दोनों घर लौट आये.. आज दोनों के दिलो मे जो फीलिंग थी उसे शब्दों मे नहीं बताया जा सकता था रमन खुश था मगर तितली बेचैन.. तितली को घर आने के बाद महसूस हो रहा था जैसे वो भी रमन के प्यार मे पड़ने लगी है मगर जैसे ही उसने रमन के पिता की तस्वीर जो उसके कमरे की दिवार पर लगी थी देखा तो किसी ख्याल से मायुस हो गई.. उसे गिल्ट हो रहा था जैसे वो कुछ गलत कर रही है..
दरसल तितली की माँ मीना जो उस वक़्त नौकरानी थी और रमन के पिता सेठ पूरन माली के बीच अफेयर था और उसी सम्बन्ध का नतीजा था की मीना पेट से हो गई और तितली का जन्म हुआ.. समाज के डर से पूरन ने कभी तितली को अपना नाम तो नहीं दिया मगर एक बेटी की तरह उसे पाला और संभाला.. पूरन ने मीना के साथ अपना नजायाज़ रिश्ता कायम रखा और तितली को पिता का प्यार देता रहा.. तितली पढ़ने मे अच्छी थी और डॉक्टर बनना चाहती थी उसके ख्याब को पूरन ने पूरा करने मे हर तरह से मदद की.. तितली नौकरानी की बेटी होकर भी पुरे ऐशो आराम से पली बड़ी थी.. वो सायनी और समझदार दोनों थी.. उसे हमेशा इस बात पर हैरानी होती की सेठ पूरन माली उसके ऊपर इतनी मेहरबानी क्यों करते है? वो हमेशा सोचती थी की ये सब सिर्फ इसलिए होता है क्युकी उसकी मा मीना और पूरन के बीच चक्कर है मगर उसकी मा मीना ने मरने से पहले सारी सचाई तितली को बता दी और फिर मीना के मरने के बाद सेठ पीरान माली की भी तबियत खराब रहने लगी.. तितली को जब पता लगा की उसके पिता और कोई नहीं बल्कि सेठ पूरन माली है और उसी कारण तितली की हर ख्वाहिश वो कहने से पहले पूरा कर देते है तो तितली की आँखों मे आंसू आ गए.. तितली डॉक्टर बन चुकी थी और अब वो पूरन के आखिरी दिनों मे उसकी सेवा करने लगी थी.. तितली ने पूरन उसके रिश्ते के बार मे बात की तो पूरन अफ़सोफ करते हुए तितली से माफ़ी मांगने लगा की वो समाज के डर से उसे कभी बेटी नहीं कह पाया.. मगर पूरन को तितली के स्वाभाव का पता था और वो जानता था तितली ही उसकी जायज हक़दार है.. उसने बिना तितली को बताये अपनी पूरी प्रॉपर्टी तितली के नाम कर दी और तितली से रमन का ख्याल रखने का कहकर दुनिया अलविदा हो गया.. जब पूरन के मरने के बाद इस बाद का पता रमन को चला तो वो तितली से नाराज़ हो गया और उसे बुरा भला कहने लगा.. मगर तितली ने रमन के गुस्सा और ताने दोनों को चुप चाप सह लिया और अपने पिता सेठ पूरन माली के जाने के दुख को भी सह गई..
तितली को पता था की रमन और उसका बाप सेठ पूरन माली ही है.. और अब वो अपने ही सोतेले भाई को दिल दे बैठी है.. यही ख्याल उसे तंग किये जा रहा था.. तितली को प्रॉपर्टी का जरा भी लालच ना था वो बस अब रमन के करीब रहकर उसे खुश देखना चाहती थी..
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मैडम वो फ़ाइल नहीं मिल रही..
कोनसी फ़ाइल?
टेंडर वाली.. जिसकी परसो मीटिंग है.. मैंने जयप्रकाश जी को रखने के लिए दी थी मगर वो तो कल उस फ़ाइल को टेबल पर रखकर ही घर चले गए तब उसके बाद से फ़ाइल का कोई पता नहीं है..
बुलाइये जयप्रकाश जी को..
जयप्रकाश आते हुए - गुड मॉर्निंग मैडम..
जयप्रकाश जी टेंडर वाली फ़ाइल मैंने आपको सेफली रखने के लिए दी थी ना.. आपने उसे यूँही टेबल पर छोड़ दिया?
मैडम कल थोड़ा जल्दी मैं था इसलिए चूक हो गई.. मगर कभी टेबल पर रखी फ़ाइल गायव नहीं हुई आज पहली बार ऐसा हुआ है कि टेबल पर रखी फ़ाइल नहीं मिल रही..
मैं कुछ नहीं जानती जयप्रकाश जी.. आप ढूंढिए उस फ़ाइल को.. उसका मिलना बहुत जरुरी है.. परसो उस फ़ाइल के बिना मीटिंग में कैसे जाउंगी मैं? जाइये.. फ़ाइल ढूंढिए और लाकर दीजिये.. शाम से पहले फ़ाइल नहीं मिली तो आपकी जिम्मेदारी होगी..
जी मैडम... मैं देखता हूँ..
जयप्रकाश चला जाता है और गुनगुन फ़ाइल के बारे में सोच मे लगती है..
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सुबह 7 बजे सोये सूरज की आँख दिन के 1 बजे खुली तो उसे सबसे पहले बरखा को स्टेशन छोड़ने जाने की बात याद आई और वो उठकर तौलिया लेता हुआ बाथरूम में चला गया और ब्रश करके नहाने लगा उसे नहाकर सूरज तैयार हुआ और सीढ़ियों से नीचे आ गया.. विनोद और जयप्रकाश ऑफिस जा चुके थे और सुमित्रा बैडरूम का दरवाजा बंद करके अंदर माँ बेटे की कामुक कहानि पढ़ते हुए अपनी चुत सहला रही थी..
सूरज नीचे आकर रसोई में फ्रीज़ से पानी निकालकर पिने लगा.. सुमित्रा को रसोई से कुछ आवाजे आई तो वो बैडरूम से बाहर आ गई और सूरज को देखकर बोली - भूक लगी है मेरे लाडले को? बता क्या खायेगा? बना देती हूँ..
आज खाना नहीं बनाया आपने?
बनाया था पर ख़त्म हो गया.. रुक मैं अभी तेरे लिए गर्मगर्म फुल्के बना देती हूँ..
सुमित्रा आटा लेकर फुल्के बनाने लगी.. उसने हाथ तक नहीं धोये.. जो उंगलियां कुछ देर पहले उसकी चुत में घुसी हुई थी उसी से वो फुल्के बनाकर सूरज को परोस देती है और सूरज बड़े चाव से उसे खा लेता है..
वैसे तू तैयार होके जा कहा रहा है?
कहीं नहीं माँ.. एक दोस्त से मिलने जा रहा हूँ शाम तक आ जाऊंगा.. आप ही कहती हो घर में अकेला मन ना लगे तो दोस्तों से मिल लिया कर..
हाँ कहती हूँ पर दोस्तों से मिलने के लिए.. दोस्त की ex गर्लफ्रेंड को होटल में बुलाकर उसके साथ सोने के लिए नहीं.
माँ... आपको बताना ही नहीं चाहिए था.. आप ना हर बात में वही बात लेकर आओगी अब..
अच्छा ठीक है नहीं बोलती.. वैसे कोनसी दोस्त से मिलने जा रहा है? ये भी किसी की ex गर्लफ्रेंड है?
हा.. कल वाली लड़की ही है.. पार्क में मिलने बुलाया है.. साथ में मूवी देखने का भी प्लान है.. सब बता दिया अब खुश?
तू उसे कोनसी मूवी दिखायेगा मूझे सब पता है.. कंडोम पहन के मूवी दिखाना.. समझा? तेरी ऐयाशी से घर में कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए.. दिन ब दिन लड़कियों में ही घुसता जा रहा है.. तेरी भी जल्दी ही शादी करवानी पड़ेगी..
सूरज सुमित्रा को पीछे से अपनी बाहों में भरके पकड़ता हुआ बोला.. अच्छा माँ.. आप करवा दो ना फिर मेरी शादी.. जल्दी से.. कोई लड़की है आपकी नज़र में?
सुमित्रा पीछे सूरज की तरफ अपने मुंह करके मुस्कुराते हुए - कैसी लड़की चाहिए बता.. मैं ढूंढती हूँ..
सूरज - बताया था ना.. बिलकुल आपके जैसी.. जो आपके जैसा खाना बना सके.. घर सभाल सके और बहुत खूबसूरत भी हो..
सुमित्रा हसते हुए - मेरी जैसी मिलना तो मुश्किल है..
सूरज मज़ाक़ में - कोई बात नहीं.. फिर में आपसे ही शादी कर लेता हूँ.. वैसे भी पापा तो बूढ़े हो गए है.. आप तो अभी भी जवान हो.. 2 बच्चे और पैदा हो जायेगे..
सुमित्रा सूरज के गाल चूमते हुए - अपनी माँ के साथ ये सब करने वाले को पता है ना लोग क्या कहते है? कोनसी गाली देते है..
सूरज सुमित्रा के कान में धीरे से - पता है मादरचोद कहते है.. पर आपके लिए सब सुन सकता हूँ..
सुमित्रा सूरज के होंठों को पकड़कर - चुप... कमीना कहीं का.. चल अब छोड़ मूझे.. तेरी वो सहेली इंतजार कर रही होगी.. पता नहीं कितनी आग भरी उसके अंदर.. रातभर मिले थे और अब वापस मिलना है.. जा मिल ले जाकर...
सुमित्रा ने जब सूरज के होंठ पकडे तो सूरज को सुमित्रा की उंगलियों से जो महक आरही थी उससे वो अच्छी तरह वाक़िफ़ था मगर उस अनदेखा कर सुमित्रा के गाल चूमकर रसोई से बाहर आता हुआ - बाय माँ..
सुमित्रा मुस्कुराते हुए - बाय बेटू..
सूरज के जाने के बाद सुमित्रा फिर से अपने कमरे में चली गई और उस बार कहानी पढ़ने की जगह सूरज की अभी मज़ाक़ में बोली हुई बातों को याद करके चुत सहलाने लगी..
सुमित्रा के मन में सूरज के लिए हवस दिन ब दिन बढ़ती जा रही थी और उसका काबू पर खुद पर नहीं था, सुमित्रा अकेलेपन में सूरज को याद करके गन्दी से गन्दी हरकत करने लगी थी..
एक तरफ सूरज के लिए सुमित्रा पागल हुए जा रही थी तो दूसरी तरफ गरिमा भी अब बेचैन थी.. कई दिनों से वो सूरज के लगातार मैसेज और कॉल आने पर ये समझ रही थी की सूरज भी उससे बात करने के लिए तड़प रहा है मगर फ़ोन पर बात करने के बाद से सूरज ने गरिमा को मैसेज या कॉल किया ही नहीं.. जिसके करण गरिमा की हालात बेचैन थी उसका मन कहीं नहीं लग रहा था उसे बस सूरज के मैसेज और कॉल का ही इंतजार था और गरिमा उसीके इंतजार में बैठी हुई अपने मन के गुस्से और अना से लड़ झगड़ रही थी और सोच रही थी कि अब उसे ही सूरज को मैसेज या कॉल कर देना चाहिए.. मगर वो ऐसा करने से झिझक रही थी और उसका गुस्सा और अना बार बार उसे ऐसा करने से रोक रहे थे..
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किसी दोस्त से बाइक उदार लेकर सूरज पौने 2 बजे बरखा को लेने घर पंहुचा तो बंसी और हेमलता ने सूरज को देखकर मुस्कुराते हुए अंदर आने को कहा..
काका आज दूकान नहीं खोली?
हेमलता बोली.. अभी तो यात्रा से घर वापस आये है हनी.. दूकान कल खोलेंगे तेरे काका.. मैं चाय बना रही हूँ रुक..
काकी दीदी कहा है?
मैं यही हूँ हनी.. बस आ रही हूँ.. बरखा ने अपने कमरे से चिल्लाते हुए कहा..
बंसी अपने बैडरूम में चला गया और हेमलता रसोई में.. बरखा अपने रूम में थी..
सूरज सीधे रसोई में हेमलता के बार चला गया..
काकी लाओ मैं चाय बना देता हूँ.. आप रातभर से जगी हुई हो.. अभी घर लोटी हो.. थोड़ी देर बैठकर आराम कर लो..
हेमलता मुस्कुराते हुए हनी के गाल सहलाकार बोली - नहीं बेटा.. मैं ही बना देती हूँ.. वरना तू ही कहेगा काकी तो मुझसे काम करवाती है..
हनी मुस्कुराते हुए हेमलता के पीछे आकर उसके कंधो पर दोनों हाथ रखकर कहता है - अपने घर में काम करने से कैसी शर्म काकी..
हेमलता मुड़कर मुस्कुराते हुए सूरज को देखती हुई बोली - इतनी प्यारी बातें करेगा ना तो सुमित्रा से बोलकर तुझे मैं अपने पास ही रख लुंगी.. फिर ढ़ेर सारा काम करवाउंगी तुझसे..
सूरज हसते हुए अपने दोनों हाथ हेमलता के कंधे से हटाकर उसकी कमर पर ले जाता है और पीछे से हेमलता को बाहों में भरते हुए कहता है - करवा लेना काकी.. मैंने कब मना किया? मैं जानता हूँ आप अजय और विजय भईया के जाने के बाद बहुत अकेली हो.. पर आप चिंता मत करो मैं हूँ ना... (हेमलता के गाल चूमकर) आपका ध्यान रखने के लिए..
हेमलता के दोनों बेटे अजय और विजय सालों पहले दूर बड़े शहर में जाकर वही बस चुके थे और सालों से घर नहीं आये थे अब तो उनकी बात हेमलता और बंसी से होना भी बंद हो चुकी थी सूरज के मुंह से ये बात सुनकर हेमलता भावुक हो गई मगर फिर खुदको सँभालते हुए सूरज को देखकर बोली - तू कब से इतनी समझदारी वाली बातें करने लगा हनी? लगता है बड़ा हो गया है..
सूरज वापस हेमलता के गाल चूमकर - तो क्या आपने सोचा हमेशा बच्चा ही रहूँगा मैं?
हेमलता - मेरे लिए तो बच्चा ही रहेगा..
चाय उबल चुकी थी और बरखा भी अब अपने रूम से बाहर आकार रसोई में आ गई उसने देखा कि सूरज उसकी माँ को पीछे से अपनी बाहों में भरके हेमलता के गाल चुम रहा था और हेमलता मुस्कुराते हुए गैस बंद करके चाय को कप में डाल रही थी..
माँ.. इस शैतान से बचके रहो.. ये बहुत तेज़ हो गया है अब.. इसे बड़े उम्र कि औरते पसंद है.. कहीं आपके साथ कुछ ऐसा वैसा कर दिया तो बाद में मत पछताना..
हेमलता हसते हुए सूरज को चाय देकर उसके गाल को चूमती हुई बोली - इसे तो मैं बचपन से जानती हूँ बरखा.. जब तेरे पास टूशन आता था तब मैं ही इसकी छोटी सी नुन्नी पकड़कर इसे बाथरूम करवाती थी.. बहुत रोता था.. ये क्या कर सकता है और क्या नहीं मैं अच्छे से जानती हूँ.. तू ले चाय पिले मैं तेरे पापा को भी दे देती हूँ..
हेमलता वहा से चली जाती है बरखा चाय पीते हुए सूरज के करीब आकर सूरज को देखते हुए कहती है - हनी लगता है.. सपना आंटी के साथ हेमलता काकी की भी लेनी है तुझे?
सूरज चाय पीते हुए - छी.. दीदी क्या बोल रही हो आप? काकी तो मेरी माँ जैसी है..
बरखा हसते हुए - अच्छा? और मैं?
सूरज - आपको बड़ी बहन बोलता हूँ..
बरखा - सिर्फ बोलता है या मानता भी है?
सूरज - ज्यादा सवाल नहीं पूछ रही आप आज? चलो वरना ट्रेन miss हो जायेगी और फिर मुझसे कहोगी.. तेरे करण ट्रैन छूट गई..
बरखा सूरज को बेग देते हुए - ले उठा सामान मेरे कुली भाई..
सूरज बेग उठकर बाहर आ जाता है और बाइक पर आगे सामान रखकर बाइक स्टार्ट करता है और पीछे बरखा बैठ जाती है बाइक चली शुरु होती है.. रस्ता आधे घंटे का था..
बरखा ने दोनों हाथों से सूरज को कसके पकड़ लिया और अपनी छाती उसकी पीठ से चिपका दी और सूरज के कान के पास अपने होंठो को लाकर बोली - तू सच में मूझे बहन मानता है?
सूरज ने बरखा के बारे में कभी उस तरह से नहीं सोचा था और ना ही उसके छूने पर सूरज को कोई फील आता था इसलिए बरखा की छाती टच होने पर सूरज ने ज्यादा कुछ रियेक्ट नहीं किया और बरखा के सवाल पर कहा - हाँ.. क्यों? कोई शक है आपको?
बरखा - अपनी बहन की एक बात मानेगा?
क्या?
पहले कसम खा मूझे जज नहीं करेगा..
नहीं करूंगा बोलो ना..
हनी.. मेरा तेरे जीजू से रिश्ता ठीक नहीं चल रहा तू जानता है.. मूझे ना सेक्स किये हुए एक साल हो गया..
सूरज सडक किनारे गाडी रोक कर - दीदी मूझे क्यों बता रही हो आप ये सब? इसमें मैं क्या कर सकता हूँ?
हनी.. मेरे लिए..
छी दीदी.. आप ऐसा सोच भी कैसे सकती हो..
नहीं.. मैं तुझे मेरे साथ सेक्स करने के लिए नहीं कह रही.. बस मूझे एक बार तुझे देखना है..
इतने सालों से देख रही हो दी.. और कैसे देखना है..
हनी.. तू कितना नासमझ है.. मेरा तेरा प्राइवेट पार्ट देखना है..
दीदी.. मज़ाक़ मत करो..
मज़ाक़ नहीं है हनी.. सच में.. देख मेरा भाई है ना.. इतना सा नहीं कर सकता तू मेरे लिए..
नहीं दी.. ये सब मैं नहीं कर सकता.. सॉरी..
देख हनी.. मैं हाथ भी नहीं लगाउंगी बस देखूंगी.. तेरी कसम.. प्लीज.. अपनी बहन की इतनी सी बात नहीं मानेगा तू?
दीदी मुझसे शर्म आएगी.. और आप क्यों इतना फोर्स कर रही हो.. मैं नहीं कर सकता.. ट्रैन miss हो जायेगी..
अरे बाबा.. तू आँख बंद कर लेना.. अभी बहुत समय है ट्रैन आने में.. मैं बस देखूंगी हनी... अगर तू मना करेगा तो मैं तुझसे नाराज़ भी हो जाउंगी.. देखना फिर कभी बात भी नहीं करूंगी तुझसे..
क्या मुसीबत है यार.. अच्छा ठीक है.. आगे एक कॉफ़ी कैफ़े है वहा चलते है..
बरखा ख़ुशी से सूरज को लगे लगाती हुई - थैंक्यू मेरे छोटू भाई..
सूरज बरखा को कॉफी कैफ़े में ले आता है जहाँ पर्सनल केबिन बने हुए थे और पूरी प्राइवेसी थी.. सूरज ने दो कॉफी बोल दी और वेटर कॉफ़ी दे गया फिर सूरज ने केबिन का गेट लगा दिया..
बरखा सूरज के करीब आकर बैठ गई और सूरज ने शरमाते हुए अपनी लोवर नीचे करके चड्डी भी नीचे कर दी और बरखा के सामने सूरज का लंड आ गया जो श्यनमुद्रा में था और बरखा उसे खड़ा देखना चाहती थी..
बरखा ने अपना फ़ोन खोलकर उसकी गैलरी ओपन करके एक ब्लू फ्लिम चला दी और सूरज को फ़ोन दे दिया फिर बोली - हनी.. खड़ा देखना है..
सूरज झिझकते हुए ने फ़ोन ले लिया और एक नज़र बरखा को देखकर ब्लू फ़िल्म देखने लगा.. बरखा ने सिगरेट जलाकर कश लेते हुए कॉफ़ी का पहला सिप लिया और सूरज के लंड को देखने लगी जो नींद में भी अच्छा खासा था..
बरखा ने अपनी सलवार का नाड़ा खोल दिया और सिगरेट पीते हुए अपनी चुत को सहलाने लगी जिसे देखकर हनी बरखा को कामुक नज़र से देखने लगा मगर बरखा को छूने की उसकी हिम्मत नहीं हुई.. ब्लू फ़िल्म से ज्यादा बरखा के चुत सहलाने से सूरज का लंड अकड़ने लगा और बरखा लंड को खड़ा होते देखकर और कामुकता से अपनी चुत में ऊँगली करने लगी..
सूरज का लंड जब पूरा अकड़ गया तब बरखा लंड देखकर चौंक गई.. सूरज का लंड काफी लम्बा और मोटा था बरखा ने वैसा लंड हक़ीक़त में कभी नहीं देखा था ना उसके बॉयफ्रेंड का लंड उतना बड़ा था ना पति का.. पति से बहुत लम्बा और मोटा लंड था सूरज के पास..
बरखा ने पूरी गर्म होकर झड़ गई तो सूरज ने रुमाल देकर बरखा को चुत साफ करने का इशारा किया.. बरखा ने अपनी टांग चौड़ी करके खड़ी हो गई और सूरज के मुंह के सामने अपनी चुत खोलकर कहा - तू कर दे ना हनी..
सूरज ने रुमाल से बारखा की झांटो से भरी हुई चुत को साफ कर दिया और बरखा की चुत देखकर और नाक के करीब होने से सुघकर बरखा के प्रति आकर्षित हो गया मगर बचपन से बरखा को बहन मानने के कारण सूरज की हिम्मत बरखा से कुछ कहने की नहीं थी.. बरखा आराम से बैठ गई और सूरज ने भी अपने खड़े लंड को लोवर के अंदर कर लिया फिर कॉफ़ी को छू कर देखा तो कॉफ़ी ठंडी हो चुकी थी.. बरखा ने सूरज को ठंडी कॉफी पिने के लिए मना कर दिया और दो गर्म कॉफी मंगा कर पिते हुए बोली - बहुत किस्मत वाला है हनी तू..
सूरज कॉफी पीते हुए - क्यों दी..
बरखा - जितनी अच्छी तेरी शकल है उतना अच्छा तेरा ये लंड..
सूरज - दी यार.. कुछ तो शर्म करो.. अब ऐसे वर्ड तो मत बोलो..
बरखा हसते हुए - लड़का होके शर्माता है..
सूरज - बड़ी बहन से तो शर्माऊंगा ना.. दोस्तों की बात अलग है..
बरखा सिगरेट जलाकर कश लेती हुई बोली - और सपना आंटी से? उनसे भी शर्मायेगा तो बिस्तर मे कैसे उनके साथ सो पायेगा?
सूरज नज़र चुराते हुए - उनसे क्यों शर्माउ? वो मेरी बड़ी बहन थोड़ी है..
बरखा हँसते हुए सिगरेट के कश लेती हुई - अच्छा जी.. पर तेरी सपना ने मना कर दिया.. कल पूछा था मैंने तेरे लिए..
सूरज कॉफी पीते हुए - मना कर दिया मतलब?
बरखा - मतलब ये की मैंने पूछा था तेरे साथ सेक्स के लिए उसने तेरी पिक देखकर मना कर दिया..
सूरज गुस्से से - पिक क्यों भेजी? रिजेक्शन के बाद उनके सामने जाने में कितनी शर्म आएगी पता है? आप भी ना.. बोलते ही बात भी कर ली..
बरखा सिगरेट का एक लम्बा कश खींचकर सिगरेट बुझाते हुए - शर्म की क्या बात है इसमें?
सूरज - चलो अब टाइम हो रहा है..
बरखा सूरज को अपनी तरफ खीचकर - एक गुड बाय kiss तो दे दे..
सूरज - दी.. आराम से..
बरखा सूरज के होंठों पर अपने होंठो को चिपका कर चूमते हुए - सॉरी.. Baby..
बरखा ने सूरज के होंठों को कुछ देर चूमा फिर उसकी लोवर में हाथ डालकर उसका तना हुआ लंड पकड़कर मसलने लगी.. लंड पकड़ते ही सुरज ने चुम्मा तोड़ दिया और बरखा का हाथ अपने लोवर से बाहर निकलता हुआ बोला - दी.. छोडो..
बरखा मुस्कुराते हुए - ठीक है शरीफ इंसान.. नहीं छूती तुझे..
सूरज बेग उठाकर - चलो.. ट्रैन निकल जायेगी..
सूरज बरखा को लेकर स्टेशन पर आ जाता है और ट्रैन भी आ चुकी होती है..
सूरज बरखा का बेग ट्रैन में रखता हुआ - पानी वगेरा है ना आपके पास? कुछ लाना है आपके लिए?
बरखा मुस्कुराकर - सुन..
सूरज - हाँ..
बरखा सूरज के कान में - तेरी सपना आंटी ने बुलाया है तुझे..
सूरज बरखा को देखते हुए - क्यों? उसने तो मना कर दिया था..
बरखा - तेरी पिक देखने के बाद कौन मना कर सकता है क्या? मज़ाक़ कर रही थी मै तो..
सूरज - पक्का ना? पिटवा तो नहीं दोगी आप मूझे?
बरखा - तेरी मर्ज़ी.. नहीं जाना तो मत जा.. वैसे उसने कल कहा था.. तुझे पूरा खुश कर देगी..
सूरज मुस्कुराते हुए - थैंक्स दी..
बरखा सूरज के गाल सहला कर - ट्रैन चलने लगी है अब तू जा.. बाय..
सूरज - बाय दी..
सूरज बरखा को छोड़कर वापस आ जाता है...
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Bhut hi badhiya updateUpdate 10
सूरज घर पहुँचता है तो देखता है उसकी माँ सुमित्रा अपनी बोझल आँखों से उसी का इंतजार कर रही थी और सूरज सुमित्रा कि आँखों को देखकर समझ जाता है कि सुमित्रा रात भर नहीं सोइ..
कहाँ था ना माँ सो जाओ.. मगर आप तो पता नहीं क्या चाहती हो? देखो आँखे कैसे लाल हो गई है आपकी..
अभी सोकर ही उठी थी बेटू, और तू आ गया.. चल चाय बना देती हूँ.. कुछ खायेगा तो बता.. बना दूंगी..
सूरज सुमित्रा को बाहों में भरके - मुझसे ना झूठ मत बोला करो माँ... आपके सोने और जागने का पता आपकी शकल से चल जाता है.. और मूझे कुछ नहीं खाना.. मूझे तो बस सोना है.. बहुत नींद आ रही है..
सुमित्रा - अच्छा.. रात में सब ठीक था ना हनी.. तू खुश हुआ ना..
सूरज सुमित्रा के गाल चूमकर - इतनी पर्सनल बातें मत पूछा करो माँ.. मैं बच्चा नहीं हूँ अब.. अच्छा बुरा समझता हूँ.. आप भी थोड़ा आराम कर लो.. रातभर बिना वजह ही जाग रही थी..
सुमित्रा भोलेपन का नाटक करती हुई - इसमें क्या पर्सनल है? अपनी माँ को इतना भी नहीं बता सकता तो क्या फ़ायदा.. मैं अब कुछ पूछूंगी ही नहीं तुझसे.. जा सोजा..
सूरज हसते हुए - अच्छा ठीक है.. मुंह मत लटकाओ.. मैं खुश हूँ.. अब जाऊ सोने?
सुमित्रा - रुक मैं हल्दी वाला दूध दे देती हूँ.. पीकर सोना.. रातभर इतनी मेहनत की है, थक गया होगा मेरा बच्चा..
सूरज मुस्कुराते हुए - मैंने शायद पिछले जन्मो में बहुत पुण्य किये होंगे.. तभी आपके जैसी माँ मिली है मूझे..
सुमित्रा दूध देकर - मस्का लगाने की जरुरत नहीं है हनी.. ले.. पिले.. और हाँ.. कल विनोद कह रहा था उसके ऑफिस में एक अच्छी जॉब है.. उसने बात की है तेरे लिए.. और तुझे बुलाया भी है बात करने के लिए.. जाकर मिल लेना..
सूरज दूध का सीप लेते हुए - ठीक है मिल लूंगा.. अरे दूध तो फीका है..
सुमित्रा - शायद मीठा डालना भूल गई.. ला अभी शकर डाल देती हूं..
सूरज दूध सुमित्रा के होंठो से लगाते हुए - शकर रहने दो.. आप तो बस अपने होंठो से छू लो दूध को.. दूध अपने आप मीठा हो जाएगा..
सुमित्रा हसकर - बेशर्म मा से भी मस्ती करता है..
सूरज दूध पिता हुआ - मस्ती क्या? सच तो कह रहा हूं.. देखो अब ये शहद से मीठा हो गया आपके होंठो से लगते है..
सुमित्रा मुस्कुराते हुए - अच्छा जी.. बच्चू.. तेरी मा हूं मैं.. भूलना मत कभी.. समझा?
सूरज दूध का गिलास सुमित्रा को वापस देते हुए - मुझे सब याद है.. आप चिंता मत करो.. भैया और पापा कहाँ है?
सुमित्रा - वो कभी इतनी सुबह उठते है भला? सो रहे है अभी तक..
सूरज मुस्कुराते हुए फिर से सुमित्रा को बाहो मे भरके - और आप सारी रात मेरे लिए जाग रही थी.. आप अगर मेरी मा नहीं होती ना तो..
सुमित्रा सूरज के इस तरह बाहो मे कसने से बहकने लगी थी उसने सूरज की आँखों फिर होंठो को देखा और फिर वापस आँखों मे देखते हुए कहा - तो क्या?
सूरज सुमित्रा के चेहरे से उसके दिल के ख्याल पढ़ सकता था उसने सुमित्रा को बाहो से आजाद करते हुए कहा - मा नहीं होती तो आपका खज़ाना लूट लेता..
इतना कहकर सूरज हस्ते हुए सीढ़ियों की तरफ भाग गया और ऊपर अपने कमरे मे चला गया..
सुमित्रा सूरज की बात सुनकर जैसे काम की आंधी मे पत्ते की तरह उडने लगी थी.. रात मे उसने कई बार चुत मे ऊँगली कर अपनी हवस शांत करने की कोशिश की थी और अब वापस वो उसी हवस से भर गई थी.. सुमित्रा ने बाथरूम का रुख किया और वापस वही करने लगी जो वो रात भर कर रही थी.. उसकी चुत कई बार ऊँगली करने से लाल हो गई थी और उसपर हलकी सूजन भी आ गई थी..
सूरज कमरे मे जाकर सो जाता है..
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अंकुश अपनी बहन नीतू के साथ बिस्तर में बेपर्दा होकर एकसाथ लिपटा हुआ सो रहा था और नीतू के जगाने से अब उसकी आँख खुली थी...
अक्कू सुबह हो गई है.. हटो ना.. उठने दो मूझे..
थोड़ी देर और लेटी रहो ना नीतू..
अक्कू.. बहुत काम है.. रात के बर्तन तक धोने बाकी है.. पानी भरना है.. मम्मी को सुबह आठ बजे चाय चाहिए होती है.. अगर नहीं मिली तो वो मूझे बहुत सुनाएगी..
बस पांच मिनट ना नीतू...
तेरी पांच मिनट कब पचास मिनट हो जाती है पता नहीं चलता.. हट मेरे ऊपर से.. वरना होंठों पर ऐसा काटूंगी की याद रखेगा..
अक्कू नीतू को चूमकर - ऐसे करेगी ना तो उस वकील साहिबा से चक्कर चला लूंगा.. समझी?
नीतू - बड़ा आया तू चक्कर चलाने वाला.. तू किसी और लड़की से प्यार की बात तो करके देख.. तेरा वो हाल करुँगी ना कि सोचेगा मेरा कहा मान लेता तो अच्छा होगा.. समझा?
अक्कू मुस्कुराते हुए - समझ गया मेरी मिया खलीफा..
अंकुश ने इतना कहा ही था की कमरे के दरवाजे को किसी ने बाहर से खटखटा दिया.. अंकुश और नीतू एक दम से चौंकते हुए पहले दरवाजे की तरफ और फिर एक दूसरे की तरफ देखने लगे.. इतने में दरवाजे के बाहर खड़ी गोमती ने आवाज लगाते हुए कहा..
नीतू.. नीतू.. दरवाजा खोल नीतू..
अंकुश - मम्मी आ गई.. आज तो पकडे गए नीतू..
नीतू मुस्कुराते हुए - कुछ नहीं होगा.. तू रुक मैं देखती हूँ..
नीतू ने अपने नंगे बदन को एक पतले से तौलिये से ढक लिया और अक्कू नंगा ही उठकर अलमीरा के पीछे छिपकर खड़ा हो गया..
नीतू दरवाजा खोला तो सामने गोमती हाथ में ट्रे लिए खड़ी थी जिसमे दो चाय के कप थे..
माँ.. आप??
गोमती - चाय पिले.. और अक्कू को भी दे दे.. मैं जानती हूँ वो रात से तेरे साथ अंदर ही है..
नीतू शर्म से नीचे देखकर बोली - माँ आपने क्यों तकलीफ की मैं बस आ ही रही थी..
गोमती - कोई बात नहीं.. अपने भाई से बोल तैयार हो जाए और तू भी तैयार हो जा.. हमें अभी गाँव जाना पड़ेगा..
नीतू - क्यों? अचानक गाँव क्यों?
गोमती - थोड़ी देर पहले तेरे मामा का फ़ोन आया था... कल रात में तेरे नाना जी का देहांत हो गया.. जल्दी आना.. मैं इंतजार कर रही हूँ..
गोमती चली जाती है और नीतू दरवाजा बंद करके तौलिया एक तरफ फेंकती हुई अपने कपड़े उठाकर पहनते हुए अंकुश से कहती है - अक्कू मम्मी कह रही थी कि..
अंकुश कपड़े पहनते हुए नीतू कि बात काटकर - सुना मैंने मम्मी ने क्या कहा.. पर मूझे समझ नहीं आ रहा.. मम्मी हमारे बारे में जानती है? और उन्होंने हमें कुछ बोला भी नहीं?
नीतू अंकुश को चाय का कप देती हुई - कल जब मैं और मम्मी कोर्ट गए थे उससे पहले मम्मी ने मुझसे तेरे बारे में बात की थी अक्कू..
अंकुश - क्या बात की थी?
नीतू चाय पीते हुए - हमारे बीच जो है उसके बारे में मम्मी को बहुत पहले से पता है.. और वो बदनामी के डर से अबतक कुछ नहीं बोली.. मगर कल मम्मी ने इस बारे में मुझसे बात की और मैंने मम्मी से साफ साफ कह दिया था..
अंकुश - क्या कहा तूने मम्मी से?
नीतू चाय का कप रखकर अक्कू को बाहों में भरती हुई बोली - यही कि मैं अपने अक्कू से बहुत प्यार करती हूँ.. और तलाक़ के बाद अपने अक्कू से शादी भी करुँगी.. फिर हम कहीं और शिफ्ट हो जाएंगे और मैं तेरे बच्चे की माँ बनुँगी.. मम्मी ने पहले तो मेरी बातों का मज़ाक़ बनाया और मूझे समझाया मगर बाद में मेरे आगे हार मान ली.. अब घर में हमें छुप छुपकर प्यार करनी की जरुरत नहीं है अक्कू..
अंकुश हैरानी से - इतना सब हो गया?
नीतू अंकुश का हाथ पकड़कर कमरे के साथ ही लगते हुए बाथरूम में ले जाती हुई - जल्दी तैयार होना.. चल साथ में नहाते है..
नीतू अपने और अंकुश के कपड़े फिर से उतार देती है और शवार के नीचे आकर अंकुश को बाहों में भरके चूमते हुए नहाने लगती है..
अंकुश नीतू से दूर हटते हुए - यार नीतू.. नाना जी एक्सपायर हो गए और तू ये सब कर रही है.. थोड़ा ख्याल कर..
नीतू घुटनो पर बैठकर अंकुश के लंड को मुंह मे लेकर चुस्ती हुई - 90 साल की उम्र में मारे है नानाजी.. भरी जवानी में नहीं.. और वैसे भी कोनसा नाना नानी हमसे इतना करीब थे कि आंसू आये.. उनको तो हमेशा मामा मामी से लगाव था.. मम्मी की आखो में तो आंसू भी नहीं है.. जब उनको कोई अफ़सोस नहीं है तो मैं क्यों करू?
अंकुश - अह्ह्ह्ह.. आराम से नीतू.. बोल्स वाली जगह सेन्सटिव होती है..
नीतू जोर जोर से अंकुश का लंड चुस्ती हुई - पता है.. मूझे तो बस तेरी अह्ह्ह सुनने में मज़ा आता है..
अंकुश - नीतू अगर तू मेरी बहन नहीं होती ना.. इस हरकत पर मैं एक जोर का थप्पड़ जरुरत मारता तेरे गाल पर..
नीतू लंड पूरा खड़ा करके चूसना बंद कर देती है और फिर खड़ी होकर लंड को अपनी चुत में घुसाती हुई कहती है - एक क्या मेरे भाई दो थप्पड़ मार ले अपनी बहन को.. तेरे लिए तो जान दे सकती हूँ...
अंकुश नीतू कमर पकड़कर उसे दिवार से चिपका देता है और चुत में झटके मारते हुए कहता है - कैसे मार दूँ बहना.. भूल गई रक्षाबंधन के दिन तूने क्या वचन लिया था.. कि मैं तेरे ऊपर सिर्फ अपना लंड उठाऊंगा हाथ नहीं..
अक्कू कुछ देर ऐसे ही नीतू को पेलता रहता है..
नीतू - अह्ह्ह.. अह्ह्ह.. अह्ह्ह.. अक्कू.. मेरा होने वाला है.. अह्ह्ह..
अंकुश - मेरा भी होने वाला है नीतू.. अंदर निकाल दूँ..
नीतू - भाई तेरा जहाँ मन करें निकाल दे.. अह्ह्ह..
अंकुश नीतू के अंदर झड़ जाता है और दोनों कुछ देर गहरी गहरी साँसे लेते हुए एक दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगते है फिर नीतू कहती है...
नीतू - अब क्या अपनी बहन की चुत में घुसा रहेगा अक्कू? निकाल ना इसे.. चल नहाते है वरना मम्मी आ जायेगी..
अंकुश मुस्कुराते हुए - घुसाया तूने था निकालना भी तुझे ही पड़ेगा..
नीतू लंड निकालकर शावर ऑन कर देती है और अंकुश को नहलाते हुए खुद भी नहा कर बाहर आ जाती है दोनों अपने अपने कमरे में जाकर तैयार होकर नीचे इंतजार कर रही गोमती के पास आ जाते है..
गोमती दोनों को देखकर - इतना समय क्यों लगा दिया?
नीतू - सवा आठ ही तो बजे है माँ..
अंकुश घर से बाहर जाते हुए - मैं रिक्शा ले आता हूँ..
अंकुश के जाने के बाद गोमती नीतू से - कहीं जवानी के जोश में पेट मत फुला के बैठ जाना..
नीतू गोमती से नज़र चुराकर - अक्कू गर्भनिरोधक गोलीया लाकर दे देता है.. अभी बच्चे का खतरा नहीं है.. जब तलाक़ के बाद घर शिफ्ट करेंगे तब सोचूंगी बच्चा पैदा करने के बारे में..
गोमती - अक्कू इस सबके लिए मान जाएगा?
नीतू - उसे तो मेरी हर बात माननी पड़ेगी.. आपको बच्चे के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा.. आपका पोता अपकी बेटी ही पैदा करेगी..
अंकुश आता हुआ - माँ.. नीतू.. चलो..
गोमती ताला लगाती हुई धीरे से नीतू से - गलती मेरी ही है.. तुम दोनों पर मैंने ध्यान नहीं दिया.. वरना ये सब नहीं देखना पड़ता..
अंकुश सामन रिक्शा में रखकर गोमती और नीतू के साथ बैठ जाता है और बस स्टेण्ड पहुच जाता है..
अंकुश टिकिट लेकर - माँ.. चलो.. वो वाली बस है..
एक स्लीपर बस में तीनो बैठ जाते ही जहाँ गोमती और नीतू अगल बगल और अंकुश दोनों के बीच में होता है..
अंकुश इयरफोन लगाकर गाने सुनने लगता है और गोमती और नीतू बार बार चुपके से एक दूसरे की ओर देखकर बार बार अपना मुंह फेर लेते है जैसे दोनों एकदूसरे के बारे में ही सोच रहे हो..
नीतू अंकुश के हाथ में अपना हाथ डालकर एक इयरफोन अपने कान में लगाकर अंकुश के कंधे पर सर रख लेती है ओर आँख बंद करके गाने सुनते हुए रास्ते को काटने की कोशिश करती है.. वही गोमती नीतू को ऐसा करता देखकर कुछ सोचती है फिर वो खिड़की से बाहर आते हुए नज़ारों को देखकर नीतू और अंकुश के बारे में सोचकर मन ही मन एक फैसला करती है जिसे सिर्फ वही जानती थी...
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रमन सीढ़ियों से उतरकर अपनी कॉफी लेने आया तो तितली ने उसे कहा..
आज मूवी दिखाने वाले थे ना तुम मूझे?
रमन शान्ति के हाथों से अपनी कॉफी लेकर - तुम तो बिजी थी ना आज?
हाँ.. थी तो.. मगर अब फ्री हूँ.. बताओ क्या करना है?
हम्म.. मैं पहले अपनी कॉफ़ी ख़त्म कर लू.. फिर रेडी होके आता हूँ.. एक घंटा वेट करना पड़ेगा? चलेगा ना तुमको?
मूझे तो आदत है इंतज़ार करने की.. कर लुंगी..
रमन कॉफी लेकर वापस अपने रूम में चला जाता है और घर की नौकरानी शान्ति तितली से कहती है..
क्या चल रहा है दीदी? रमन भईया तो कल से आपके साथ ऐसे पेश आ रहे है जैसे आप उनकी बीवी हो.. माजरा क्या है? कहीं आप दोनों के बीच इल्लू.. इल्लू.. तो नहीं होने लगा?
तितली मुस्कुराते हुए शान्ति की बात का जवाब देते हुए कहती है - इतना दिमाग मत चला शान्ति.. तेरे रमन भईया तो बस अच्छे होने का नाटक कर रहे है ताकि उनको मूझे प्रॉपर्टी ना देनी पड़े.. वरना कभी दानव को देखा है देवता बनते?
शान्ति - नहीं दीदी.. रमन भईया तो बहुत अच्छे इंसान है.. बस पता नहीं आपसे इतना क्यों नाराज़ रहते थे.. मगर अब लगता है सब ठीक हो गया है.. वैसे एक बात बोलू दीदी बुरा ना मानो तो..
तितली - इतना सब बोल दिया है तो वो बात भी बोल दो शान्ति.. मैंने कभी तुम्हारी बात का बुरा माना है जो अब मानुँगी..
शान्ति अपना फ़ोन दिखाते हुए - वो दीदी जब कल आप रमन भईया के साथ खड़ी थी ना.. तब मैंने आप दोनों की एक तस्वीर ली थी छिपके से.. आप दोनों एक साथ बहुत अच्छे लग रहे थे.. देखो..
तितली शान्ति पर बनावटी गुस्सा करते हुए - शान्ति तू भी ना..
तितली की नज़र तस्वीर पर पड़ती है तो वो अपनी और रमन की साथ में तस्वीर को देखकर एक पल के लिए कल रमन का बोली बात याद करने लगती है जिसमे रमन ने उससे शादी करने की बात कही थी.. तितली मुस्कुराते हुए शान्ति से कहती है - शान्ति.. ये तस्वीर तू..
शान्ति बात काटते हुए - भेज दी.. दीदी.. आपके व्हाट्सप्प पर भेज दी..
तितली शरमाते हुए - शान्ति किसी से ये सब मत कहना..
शान्ति - क्या मत कहना दीदी? कोनसी बात? मूझे तो कुछ याद भी नहीं.. हाँ मेरी तनख्वाह आप बढ़ाने वाली थी.. बस वो याद है मूझे..
तितली मुस्कुराते हुए - कह दूंगी धरमु को.. इस महीने से तेरी पगार बढ़ाने के लिए.. बस..
शान्ति - दीदी..
तितली - हम्म्म..
शान्ति - एक बात बोलनी है.. इस सूट की जगह आज आप साड़ी पहनो.. और गाडी में साड़ी थोड़ी सरका देना.. रमन भईया आपकी चिकनी कमर और दूध देखकर पागल ना हुए तो मेरा नाम बदल देना..
तितली बनावटी गुस्सा करते हुए - चल हट बेशर्म..
शान्ति - अरे दीदी अम्मा कसम.. सच कह रहे है..
तितली थोड़ी देर वही खड़ी होकर कुछ सोचती है और फिर एक नज़र शान्ति को देखकर अपने कमरे में चली जाती है जिसे शान्ति समझ जाती है..
कुछ देर बाद रमन नीचे आता है और शान्ति के बनाये सैंडविच खाते हुए हवा में कहता है - कहती है वेट करने की आदत है... लगता है टीवी के किसी सीरियल में घुस गई होगी..
शान्ति रमन की बात सुनकर - नहीं भईया.. दीदी तो आपके लिए साड़ी पहनने अंदर गई है..
रमन - तेरे लिए? तुझे कैसे पता?
शान्ति - मैंने ही तो साड़ी पहनने को बोला है.. दीदी मुझसे आपको इम्प्रेस करने के तरीके पूछ रही थी.. मैंने बोल दिया.. भईया को साड़ी वाली लड़किया अच्छी लगती है.. तो दीदी फट से अंदर चली गई साड़ी पहनने...
रमन - अच्छा? और क्या कहा तूने तेरी दीदी से?
शान्ति शरमाते हुए - मैंने कहा.. जब गाडी में बैठे तो साड़ी थोड़ी सरका दे.. ताकि आपकी नज़र उन पर पड़ सके.. आपको पसंद करती है दीदी.. मुझसे कल आपके साथ तस्वीर लेने को कहा था.. बोला था कि जब वो आपके साथ खड़ी हो तो तस्वीर खींच ले.. देखो मैंने खींची भी थी और दीदी को व्हाट्सप्प भी की है कुछ देर पहले.. उन्होंने देखा भी है..
रमन हैरानी और आश्चर्य में पड़ जाता है उसे कुछ समझ नहीं आता तभी शान्ति कहती है - देखो भईया दीदी की कितनी प्यारी लग रही है साड़ी में..
रमन तितली को देखता ही रह जाता है तभी शान्ति कहती है - भईया.. कल मेरी बच्ची का bday है..
रमन जेब से 2-3 हज़ार रुपए निकालकर शान्ति को देता हुआ - हैप्पी बर्थडे बोलना..
शान्ति ख़ुशी से - रमन भईया..
रमन - हां..
शान्ति - दीदी कल कह रही थी उनको रास्ते की चाट बहुत अच्छी लगती है.. सोचा आपको बता दूँ..
तितली पास आते हुए - चले?
रमन - हम्म.. चलो..
रमन और तितली गाडी में बैठ जाते है इस खूबसूरत शहर के खूबसूरत रास्तो से होते हुए.. गर्म हवा जो झीलों के पानी से टकरा कर ठंडी हो रही थी उसके थपड़े अपने चेहरे पर महसूस करते हुए सिनेमा हॉल जाने के लिए निकल जाते है..
तितली ने शान्ति की बात याद करके अपने पल्लू को थोड़ा सरका दिया और कमर से भी साड़ी को सरका दिया जिससे रमन तितली की कमर और छाती पर सुडोल उठे हुए चुचो के बीच की हलकी घाटी रमन को दिखाई देने लगी और उसे शान्ति की बात पर यकीन हो गया..
रमन तितली की तरफ आकर्षित होने लगा था और तितली मुस्कुराते हुए सामने और साइड के शिशो से रमन को अपनी और देखते हुए देख रही थी और उसके होंठों पर हलकी सी मुस्कान भी आ गई थी.. और वो सोचने लगती है की क्या रमन सच में उसे पसंद करने लगा है या सिर्फ वो उसके साथ कोई खेल खेल रहा है? तितली रमन पर पूरा भरोसा नहीं कर सकती थी और करती भी क्यों जो आदमी दो दिन पहले तक उससे नफरत करता था और अपने बाप की रखैल कहकर बुलाता था वो अचानक उसके साथ उतना सीधा और मीठा बनकर बात करने लगे तो उसे कैसे यक़ीन हो?
कुछ खाओगी?
क्या?
किसी ने बताया था यहाँ काफी अच्छी समोसा चाट मिलती है..
खिला दो.. देखते है तुम्हारी पसंद कितनी टेस्टी है..
तुम बैठो में लेकर आता हूँ..
रमन गाडी किनारे लगाकर एक दूकान से एक समोसा चाट ले आता है..
लो.. ट्राय करो..
तितली चाट टेस्ट करके - अच्छी है.. पर वो बात नहीं है..
कोनसी बात?
वही बात जिसमे मुंह से सीधा वाह.. निकलता है..
अच्छा? तो कहा मिलेगी वाह्ह.. वाली बात?
चलो.. मैं बताती हूँ..
कहा?
वही... जहाँ कोई आता जाता नहीं..
मतलब?
मतलब.. शहर की पुरानी गलियों में.. तुम्हारी ये बड़ी कार वहा नहीं जा पाएगी.. बाइक से चल सकते थे.
ठीक है.. मूवी का प्लान केन्सिल करते है.. आज तुम्हारे साथ पुराना उदयपुर घूमता हूँ.. देखता हूँ तुम्हारी वाह्ह.. वाली बात में कुछ बात है भी या नहीं..
रमन अपनी गाडी आगे किसी मॉल की पार्किंग में लगा देता है और किराए पर बाइक लेकर तितली के साथ तितली की बताई जगह के लिए निकाल पड़ता है..
तितली एक पुरानी सी से दूकान पर रमन को ले आती है और वहा से सबसे पहले दो कप चाय से दिन की शुरुआत करती है रमन चाय पीकर महसूस करता है कि वाकई तितली कि पसंद में वाह्ह वाली बात थी..
तितली एक के बाद एक.. शहर कि कई दूकानो पर रमन के साथ चाट खाती हुई और उसके बारे में बात करती हुई रमन को बताती हुई रिक्शा से घूमती है.. रमन को तितली के स्वाभाव का ये साइड कभी दिखा ही नहीं था और शायद उसने कभी देखा भी नहीं था.. आज के दिन रमन चुप था और तितली अपने नाम कि तरह शहर में रमन का हाथ पकडे यहां से वहा घूम रही थी.. खिलखिलाती हुई हंसकर अपने असली रूप में आ गई थी जिसे उसने कुछ सालों से मार रखा था.. रमन को तितली से लगाव हो चूका था और तितली उसे पसंद आने लगी थी..
शाम ख़त्म होते होते दोनों घर लौट आये.. आज दोनों के दिलो मे जो फीलिंग थी उसे शब्दों मे नहीं बताया जा सकता था रमन खुश था मगर तितली बेचैन.. तितली को घर आने के बाद महसूस हो रहा था जैसे वो भी रमन के प्यार मे पड़ने लगी है मगर जैसे ही उसने रमन के पिता की तस्वीर जो उसके कमरे की दिवार पर लगी थी देखा तो किसी ख्याल से मायुस हो गई.. उसे गिल्ट हो रहा था जैसे वो कुछ गलत कर रही है..
दरसल तितली की माँ मीना जो उस वक़्त नौकरानी थी और रमन के पिता सेठ पूरन माली के बीच अफेयर था और उसी सम्बन्ध का नतीजा था की मीना पेट से हो गई और तितली का जन्म हुआ.. समाज के डर से पूरन ने कभी तितली को अपना नाम तो नहीं दिया मगर एक बेटी की तरह उसे पाला और संभाला.. पूरन ने मीना के साथ अपना नजायाज़ रिश्ता कायम रखा और तितली को पिता का प्यार देता रहा.. तितली पढ़ने मे अच्छी थी और डॉक्टर बनना चाहती थी उसके ख्याब को पूरन ने पूरा करने मे हर तरह से मदद की.. तितली नौकरानी की बेटी होकर भी पुरे ऐशो आराम से पली बड़ी थी.. वो सायनी और समझदार दोनों थी.. उसे हमेशा इस बात पर हैरानी होती की सेठ पूरन माली उसके ऊपर इतनी मेहरबानी क्यों करते है? वो हमेशा सोचती थी की ये सब सिर्फ इसलिए होता है क्युकी उसकी मा मीना और पूरन के बीच चक्कर है मगर उसकी मा मीना ने मरने से पहले सारी सचाई तितली को बता दी और फिर मीना के मरने के बाद सेठ पीरान माली की भी तबियत खराब रहने लगी.. तितली को जब पता लगा की उसके पिता और कोई नहीं बल्कि सेठ पूरन माली है और उसी कारण तितली की हर ख्वाहिश वो कहने से पहले पूरा कर देते है तो तितली की आँखों मे आंसू आ गए.. तितली डॉक्टर बन चुकी थी और अब वो पूरन के आखिरी दिनों मे उसकी सेवा करने लगी थी.. तितली ने पूरन उसके रिश्ते के बार मे बात की तो पूरन अफ़सोफ करते हुए तितली से माफ़ी मांगने लगा की वो समाज के डर से उसे कभी बेटी नहीं कह पाया.. मगर पूरन को तितली के स्वाभाव का पता था और वो जानता था तितली ही उसकी जायज हक़दार है.. उसने बिना तितली को बताये अपनी पूरी प्रॉपर्टी तितली के नाम कर दी और तितली से रमन का ख्याल रखने का कहकर दुनिया अलविदा हो गया.. जब पूरन के मरने के बाद इस बाद का पता रमन को चला तो वो तितली से नाराज़ हो गया और उसे बुरा भला कहने लगा.. मगर तितली ने रमन के गुस्सा और ताने दोनों को चुप चाप सह लिया और अपने पिता सेठ पूरन माली के जाने के दुख को भी सह गई..
तितली को पता था की रमन और उसका बाप सेठ पूरन माली ही है.. और अब वो अपने ही सोतेले भाई को दिल दे बैठी है.. यही ख्याल उसे तंग किये जा रहा था.. तितली को प्रॉपर्टी का जरा भी लालच ना था वो बस अब रमन के करीब रहकर उसे खुश देखना चाहती थी..
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मैडम वो फ़ाइल नहीं मिल रही..
कोनसी फ़ाइल?
टेंडर वाली.. जिसकी परसो मीटिंग है.. मैंने जयप्रकाश जी को रखने के लिए दी थी मगर वो तो कल उस फ़ाइल को टेबल पर रखकर ही घर चले गए तब उसके बाद से फ़ाइल का कोई पता नहीं है..
बुलाइये जयप्रकाश जी को..
जयप्रकाश आते हुए - गुड मॉर्निंग मैडम..
जयप्रकाश जी टेंडर वाली फ़ाइल मैंने आपको सेफली रखने के लिए दी थी ना.. आपने उसे यूँही टेबल पर छोड़ दिया?
मैडम कल थोड़ा जल्दी मैं था इसलिए चूक हो गई.. मगर कभी टेबल पर रखी फ़ाइल गायव नहीं हुई आज पहली बार ऐसा हुआ है कि टेबल पर रखी फ़ाइल नहीं मिल रही..
मैं कुछ नहीं जानती जयप्रकाश जी.. आप ढूंढिए उस फ़ाइल को.. उसका मिलना बहुत जरुरी है.. परसो उस फ़ाइल के बिना मीटिंग में कैसे जाउंगी मैं? जाइये.. फ़ाइल ढूंढिए और लाकर दीजिये.. शाम से पहले फ़ाइल नहीं मिली तो आपकी जिम्मेदारी होगी..
जी मैडम... मैं देखता हूँ..
जयप्रकाश चला जाता है और गुनगुन फ़ाइल के बारे में सोच मे लगती है..
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सुबह 7 बजे सोये सूरज की आँख दिन के 1 बजे खुली तो उसे सबसे पहले बरखा को स्टेशन छोड़ने जाने की बात याद आई और वो उठकर तौलिया लेता हुआ बाथरूम में चला गया और ब्रश करके नहाने लगा उसे नहाकर सूरज तैयार हुआ और सीढ़ियों से नीचे आ गया.. विनोद और जयप्रकाश ऑफिस जा चुके थे और सुमित्रा बैडरूम का दरवाजा बंद करके अंदर माँ बेटे की कामुक कहानि पढ़ते हुए अपनी चुत सहला रही थी..
सूरज नीचे आकर रसोई में फ्रीज़ से पानी निकालकर पिने लगा.. सुमित्रा को रसोई से कुछ आवाजे आई तो वो बैडरूम से बाहर आ गई और सूरज को देखकर बोली - भूक लगी है मेरे लाडले को? बता क्या खायेगा? बना देती हूँ..
आज खाना नहीं बनाया आपने?
बनाया था पर ख़त्म हो गया.. रुक मैं अभी तेरे लिए गर्मगर्म फुल्के बना देती हूँ..
सुमित्रा आटा लेकर फुल्के बनाने लगी.. उसने हाथ तक नहीं धोये.. जो उंगलियां कुछ देर पहले उसकी चुत में घुसी हुई थी उसी से वो फुल्के बनाकर सूरज को परोस देती है और सूरज बड़े चाव से उसे खा लेता है..
वैसे तू तैयार होके जा कहा रहा है?
कहीं नहीं माँ.. एक दोस्त से मिलने जा रहा हूँ शाम तक आ जाऊंगा.. आप ही कहती हो घर में अकेला मन ना लगे तो दोस्तों से मिल लिया कर..
हाँ कहती हूँ पर दोस्तों से मिलने के लिए.. दोस्त की ex गर्लफ्रेंड को होटल में बुलाकर उसके साथ सोने के लिए नहीं.
माँ... आपको बताना ही नहीं चाहिए था.. आप ना हर बात में वही बात लेकर आओगी अब..
अच्छा ठीक है नहीं बोलती.. वैसे कोनसी दोस्त से मिलने जा रहा है? ये भी किसी की ex गर्लफ्रेंड है?
हा.. कल वाली लड़की ही है.. पार्क में मिलने बुलाया है.. साथ में मूवी देखने का भी प्लान है.. सब बता दिया अब खुश?
तू उसे कोनसी मूवी दिखायेगा मूझे सब पता है.. कंडोम पहन के मूवी दिखाना.. समझा? तेरी ऐयाशी से घर में कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए.. दिन ब दिन लड़कियों में ही घुसता जा रहा है.. तेरी भी जल्दी ही शादी करवानी पड़ेगी..
सूरज सुमित्रा को पीछे से अपनी बाहों में भरके पकड़ता हुआ बोला.. अच्छा माँ.. आप करवा दो ना फिर मेरी शादी.. जल्दी से.. कोई लड़की है आपकी नज़र में?
सुमित्रा पीछे सूरज की तरफ अपने मुंह करके मुस्कुराते हुए - कैसी लड़की चाहिए बता.. मैं ढूंढती हूँ..
सूरज - बताया था ना.. बिलकुल आपके जैसी.. जो आपके जैसा खाना बना सके.. घर सभाल सके और बहुत खूबसूरत भी हो..
सुमित्रा हसते हुए - मेरी जैसी मिलना तो मुश्किल है..
सूरज मज़ाक़ में - कोई बात नहीं.. फिर में आपसे ही शादी कर लेता हूँ.. वैसे भी पापा तो बूढ़े हो गए है.. आप तो अभी भी जवान हो.. 2 बच्चे और पैदा हो जायेगे..
सुमित्रा सूरज के गाल चूमते हुए - अपनी माँ के साथ ये सब करने वाले को पता है ना लोग क्या कहते है? कोनसी गाली देते है..
सूरज सुमित्रा के कान में धीरे से - पता है मादरचोद कहते है.. पर आपके लिए सब सुन सकता हूँ..
सुमित्रा सूरज के होंठों को पकड़कर - चुप... कमीना कहीं का.. चल अब छोड़ मूझे.. तेरी वो सहेली इंतजार कर रही होगी.. पता नहीं कितनी आग भरी उसके अंदर.. रातभर मिले थे और अब वापस मिलना है.. जा मिल ले जाकर...
सुमित्रा ने जब सूरज के होंठ पकडे तो सूरज को सुमित्रा की उंगलियों से जो महक आरही थी उससे वो अच्छी तरह वाक़िफ़ था मगर उस अनदेखा कर सुमित्रा के गाल चूमकर रसोई से बाहर आता हुआ - बाय माँ..
सुमित्रा मुस्कुराते हुए - बाय बेटू..
सूरज के जाने के बाद सुमित्रा फिर से अपने कमरे में चली गई और उस बार कहानी पढ़ने की जगह सूरज की अभी मज़ाक़ में बोली हुई बातों को याद करके चुत सहलाने लगी..
सुमित्रा के मन में सूरज के लिए हवस दिन ब दिन बढ़ती जा रही थी और उसका काबू पर खुद पर नहीं था, सुमित्रा अकेलेपन में सूरज को याद करके गन्दी से गन्दी हरकत करने लगी थी..
एक तरफ सूरज के लिए सुमित्रा पागल हुए जा रही थी तो दूसरी तरफ गरिमा भी अब बेचैन थी.. कई दिनों से वो सूरज के लगातार मैसेज और कॉल आने पर ये समझ रही थी की सूरज भी उससे बात करने के लिए तड़प रहा है मगर फ़ोन पर बात करने के बाद से सूरज ने गरिमा को मैसेज या कॉल किया ही नहीं.. जिसके करण गरिमा की हालात बेचैन थी उसका मन कहीं नहीं लग रहा था उसे बस सूरज के मैसेज और कॉल का ही इंतजार था और गरिमा उसीके इंतजार में बैठी हुई अपने मन के गुस्से और अना से लड़ झगड़ रही थी और सोच रही थी कि अब उसे ही सूरज को मैसेज या कॉल कर देना चाहिए.. मगर वो ऐसा करने से झिझक रही थी और उसका गुस्सा और अना बार बार उसे ऐसा करने से रोक रहे थे..
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किसी दोस्त से बाइक उदार लेकर सूरज पौने 2 बजे बरखा को लेने घर पंहुचा तो बंसी और हेमलता ने सूरज को देखकर मुस्कुराते हुए अंदर आने को कहा..
काका आज दूकान नहीं खोली?
हेमलता बोली.. अभी तो यात्रा से घर वापस आये है हनी.. दूकान कल खोलेंगे तेरे काका.. मैं चाय बना रही हूँ रुक..
काकी दीदी कहा है?
मैं यही हूँ हनी.. बस आ रही हूँ.. बरखा ने अपने कमरे से चिल्लाते हुए कहा..
बंसी अपने बैडरूम में चला गया और हेमलता रसोई में.. बरखा अपने रूम में थी..
सूरज सीधे रसोई में हेमलता के बार चला गया..
काकी लाओ मैं चाय बना देता हूँ.. आप रातभर से जगी हुई हो.. अभी घर लोटी हो.. थोड़ी देर बैठकर आराम कर लो..
हेमलता मुस्कुराते हुए हनी के गाल सहलाकार बोली - नहीं बेटा.. मैं ही बना देती हूँ.. वरना तू ही कहेगा काकी तो मुझसे काम करवाती है..
हनी मुस्कुराते हुए हेमलता के पीछे आकर उसके कंधो पर दोनों हाथ रखकर कहता है - अपने घर में काम करने से कैसी शर्म काकी..
हेमलता मुड़कर मुस्कुराते हुए सूरज को देखती हुई बोली - इतनी प्यारी बातें करेगा ना तो सुमित्रा से बोलकर तुझे मैं अपने पास ही रख लुंगी.. फिर ढ़ेर सारा काम करवाउंगी तुझसे..
सूरज हसते हुए अपने दोनों हाथ हेमलता के कंधे से हटाकर उसकी कमर पर ले जाता है और पीछे से हेमलता को बाहों में भरते हुए कहता है - करवा लेना काकी.. मैंने कब मना किया? मैं जानता हूँ आप अजय और विजय भईया के जाने के बाद बहुत अकेली हो.. पर आप चिंता मत करो मैं हूँ ना... (हेमलता के गाल चूमकर) आपका ध्यान रखने के लिए..
हेमलता के दोनों बेटे अजय और विजय सालों पहले दूर बड़े शहर में जाकर वही बस चुके थे और सालों से घर नहीं आये थे अब तो उनकी बात हेमलता और बंसी से होना भी बंद हो चुकी थी सूरज के मुंह से ये बात सुनकर हेमलता भावुक हो गई मगर फिर खुदको सँभालते हुए सूरज को देखकर बोली - तू कब से इतनी समझदारी वाली बातें करने लगा हनी? लगता है बड़ा हो गया है..
सूरज वापस हेमलता के गाल चूमकर - तो क्या आपने सोचा हमेशा बच्चा ही रहूँगा मैं?
हेमलता - मेरे लिए तो बच्चा ही रहेगा..
चाय उबल चुकी थी और बरखा भी अब अपने रूम से बाहर आकार रसोई में आ गई उसने देखा कि सूरज उसकी माँ को पीछे से अपनी बाहों में भरके हेमलता के गाल चुम रहा था और हेमलता मुस्कुराते हुए गैस बंद करके चाय को कप में डाल रही थी..
माँ.. इस शैतान से बचके रहो.. ये बहुत तेज़ हो गया है अब.. इसे बड़े उम्र कि औरते पसंद है.. कहीं आपके साथ कुछ ऐसा वैसा कर दिया तो बाद में मत पछताना..
हेमलता हसते हुए सूरज को चाय देकर उसके गाल को चूमती हुई बोली - इसे तो मैं बचपन से जानती हूँ बरखा.. जब तेरे पास टूशन आता था तब मैं ही इसकी छोटी सी नुन्नी पकड़कर इसे बाथरूम करवाती थी.. बहुत रोता था.. ये क्या कर सकता है और क्या नहीं मैं अच्छे से जानती हूँ.. तू ले चाय पिले मैं तेरे पापा को भी दे देती हूँ..
हेमलता वहा से चली जाती है बरखा चाय पीते हुए सूरज के करीब आकर सूरज को देखते हुए कहती है - हनी लगता है.. सपना आंटी के साथ हेमलता काकी की भी लेनी है तुझे?
सूरज चाय पीते हुए - छी.. दीदी क्या बोल रही हो आप? काकी तो मेरी माँ जैसी है..
बरखा हसते हुए - अच्छा? और मैं?
सूरज - आपको बड़ी बहन बोलता हूँ..
बरखा - सिर्फ बोलता है या मानता भी है?
सूरज - ज्यादा सवाल नहीं पूछ रही आप आज? चलो वरना ट्रेन miss हो जायेगी और फिर मुझसे कहोगी.. तेरे करण ट्रैन छूट गई..
बरखा सूरज को बेग देते हुए - ले उठा सामान मेरे कुली भाई..
सूरज बेग उठकर बाहर आ जाता है और बाइक पर आगे सामान रखकर बाइक स्टार्ट करता है और पीछे बरखा बैठ जाती है बाइक चली शुरु होती है.. रस्ता आधे घंटे का था..
बरखा ने दोनों हाथों से सूरज को कसके पकड़ लिया और अपनी छाती उसकी पीठ से चिपका दी और सूरज के कान के पास अपने होंठो को लाकर बोली - तू सच में मूझे बहन मानता है?
सूरज ने बरखा के बारे में कभी उस तरह से नहीं सोचा था और ना ही उसके छूने पर सूरज को कोई फील आता था इसलिए बरखा की छाती टच होने पर सूरज ने ज्यादा कुछ रियेक्ट नहीं किया और बरखा के सवाल पर कहा - हाँ.. क्यों? कोई शक है आपको?
बरखा - अपनी बहन की एक बात मानेगा?
क्या?
पहले कसम खा मूझे जज नहीं करेगा..
नहीं करूंगा बोलो ना..
हनी.. मेरा तेरे जीजू से रिश्ता ठीक नहीं चल रहा तू जानता है.. मूझे ना सेक्स किये हुए एक साल हो गया..
सूरज सडक किनारे गाडी रोक कर - दीदी मूझे क्यों बता रही हो आप ये सब? इसमें मैं क्या कर सकता हूँ?
हनी.. मेरे लिए..
छी दीदी.. आप ऐसा सोच भी कैसे सकती हो..
नहीं.. मैं तुझे मेरे साथ सेक्स करने के लिए नहीं कह रही.. बस मूझे एक बार तुझे देखना है..
इतने सालों से देख रही हो दी.. और कैसे देखना है..
हनी.. तू कितना नासमझ है.. मेरा तेरा प्राइवेट पार्ट देखना है..
दीदी.. मज़ाक़ मत करो..
मज़ाक़ नहीं है हनी.. सच में.. देख मेरा भाई है ना.. इतना सा नहीं कर सकता तू मेरे लिए..
नहीं दी.. ये सब मैं नहीं कर सकता.. सॉरी..
देख हनी.. मैं हाथ भी नहीं लगाउंगी बस देखूंगी.. तेरी कसम.. प्लीज.. अपनी बहन की इतनी सी बात नहीं मानेगा तू?
दीदी मुझसे शर्म आएगी.. और आप क्यों इतना फोर्स कर रही हो.. मैं नहीं कर सकता.. ट्रैन miss हो जायेगी..
अरे बाबा.. तू आँख बंद कर लेना.. अभी बहुत समय है ट्रैन आने में.. मैं बस देखूंगी हनी... अगर तू मना करेगा तो मैं तुझसे नाराज़ भी हो जाउंगी.. देखना फिर कभी बात भी नहीं करूंगी तुझसे..
क्या मुसीबत है यार.. अच्छा ठीक है.. आगे एक कॉफ़ी कैफ़े है वहा चलते है..
बरखा ख़ुशी से सूरज को लगे लगाती हुई - थैंक्यू मेरे छोटू भाई..
सूरज बरखा को कॉफी कैफ़े में ले आता है जहाँ पर्सनल केबिन बने हुए थे और पूरी प्राइवेसी थी.. सूरज ने दो कॉफी बोल दी और वेटर कॉफ़ी दे गया फिर सूरज ने केबिन का गेट लगा दिया..
बरखा सूरज के करीब आकर बैठ गई और सूरज ने शरमाते हुए अपनी लोवर नीचे करके चड्डी भी नीचे कर दी और बरखा के सामने सूरज का लंड आ गया जो श्यनमुद्रा में था और बरखा उसे खड़ा देखना चाहती थी..
बरखा ने अपना फ़ोन खोलकर उसकी गैलरी ओपन करके एक ब्लू फ्लिम चला दी और सूरज को फ़ोन दे दिया फिर बोली - हनी.. खड़ा देखना है..
सूरज झिझकते हुए ने फ़ोन ले लिया और एक नज़र बरखा को देखकर ब्लू फ़िल्म देखने लगा.. बरखा ने सिगरेट जलाकर कश लेते हुए कॉफ़ी का पहला सिप लिया और सूरज के लंड को देखने लगी जो नींद में भी अच्छा खासा था..
बरखा ने अपनी सलवार का नाड़ा खोल दिया और सिगरेट पीते हुए अपनी चुत को सहलाने लगी जिसे देखकर हनी बरखा को कामुक नज़र से देखने लगा मगर बरखा को छूने की उसकी हिम्मत नहीं हुई.. ब्लू फ़िल्म से ज्यादा बरखा के चुत सहलाने से सूरज का लंड अकड़ने लगा और बरखा लंड को खड़ा होते देखकर और कामुकता से अपनी चुत में ऊँगली करने लगी..
सूरज का लंड जब पूरा अकड़ गया तब बरखा लंड देखकर चौंक गई.. सूरज का लंड काफी लम्बा और मोटा था बरखा ने वैसा लंड हक़ीक़त में कभी नहीं देखा था ना उसके बॉयफ्रेंड का लंड उतना बड़ा था ना पति का.. पति से बहुत लम्बा और मोटा लंड था सूरज के पास..
बरखा ने पूरी गर्म होकर झड़ गई तो सूरज ने रुमाल देकर बरखा को चुत साफ करने का इशारा किया.. बरखा ने अपनी टांग चौड़ी करके खड़ी हो गई और सूरज के मुंह के सामने अपनी चुत खोलकर कहा - तू कर दे ना हनी..
सूरज ने रुमाल से बारखा की झांटो से भरी हुई चुत को साफ कर दिया और बरखा की चुत देखकर और नाक के करीब होने से सुघकर बरखा के प्रति आकर्षित हो गया मगर बचपन से बरखा को बहन मानने के कारण सूरज की हिम्मत बरखा से कुछ कहने की नहीं थी.. बरखा आराम से बैठ गई और सूरज ने भी अपने खड़े लंड को लोवर के अंदर कर लिया फिर कॉफ़ी को छू कर देखा तो कॉफ़ी ठंडी हो चुकी थी.. बरखा ने सूरज को ठंडी कॉफी पिने के लिए मना कर दिया और दो गर्म कॉफी मंगा कर पिते हुए बोली - बहुत किस्मत वाला है हनी तू..
सूरज कॉफी पीते हुए - क्यों दी..
बरखा - जितनी अच्छी तेरी शकल है उतना अच्छा तेरा ये लंड..
सूरज - दी यार.. कुछ तो शर्म करो.. अब ऐसे वर्ड तो मत बोलो..
बरखा हसते हुए - लड़का होके शर्माता है..
सूरज - बड़ी बहन से तो शर्माऊंगा ना.. दोस्तों की बात अलग है..
बरखा सिगरेट जलाकर कश लेती हुई बोली - और सपना आंटी से? उनसे भी शर्मायेगा तो बिस्तर मे कैसे उनके साथ सो पायेगा?
सूरज नज़र चुराते हुए - उनसे क्यों शर्माउ? वो मेरी बड़ी बहन थोड़ी है..
बरखा हँसते हुए सिगरेट के कश लेती हुई - अच्छा जी.. पर तेरी सपना ने मना कर दिया.. कल पूछा था मैंने तेरे लिए..
सूरज कॉफी पीते हुए - मना कर दिया मतलब?
बरखा - मतलब ये की मैंने पूछा था तेरे साथ सेक्स के लिए उसने तेरी पिक देखकर मना कर दिया..
सूरज गुस्से से - पिक क्यों भेजी? रिजेक्शन के बाद उनके सामने जाने में कितनी शर्म आएगी पता है? आप भी ना.. बोलते ही बात भी कर ली..
बरखा सिगरेट का एक लम्बा कश खींचकर सिगरेट बुझाते हुए - शर्म की क्या बात है इसमें?
सूरज - चलो अब टाइम हो रहा है..
बरखा सूरज को अपनी तरफ खीचकर - एक गुड बाय kiss तो दे दे..
सूरज - दी.. आराम से..
बरखा सूरज के होंठों पर अपने होंठो को चिपका कर चूमते हुए - सॉरी.. Baby..
बरखा ने सूरज के होंठों को कुछ देर चूमा फिर उसकी लोवर में हाथ डालकर उसका तना हुआ लंड पकड़कर मसलने लगी.. लंड पकड़ते ही सुरज ने चुम्मा तोड़ दिया और बरखा का हाथ अपने लोवर से बाहर निकलता हुआ बोला - दी.. छोडो..
बरखा मुस्कुराते हुए - ठीक है शरीफ इंसान.. नहीं छूती तुझे..
सूरज बेग उठाकर - चलो.. ट्रैन निकल जायेगी..
सूरज बरखा को लेकर स्टेशन पर आ जाता है और ट्रैन भी आ चुकी होती है..
सूरज बरखा का बेग ट्रैन में रखता हुआ - पानी वगेरा है ना आपके पास? कुछ लाना है आपके लिए?
बरखा मुस्कुराकर - सुन..
सूरज - हाँ..
बरखा सूरज के कान में - तेरी सपना आंटी ने बुलाया है तुझे..
सूरज बरखा को देखते हुए - क्यों? उसने तो मना कर दिया था..
बरखा - तेरी पिक देखने के बाद कौन मना कर सकता है क्या? मज़ाक़ कर रही थी मै तो..
सूरज - पक्का ना? पिटवा तो नहीं दोगी आप मूझे?
बरखा - तेरी मर्ज़ी.. नहीं जाना तो मत जा.. वैसे उसने कल कहा था.. तुझे पूरा खुश कर देगी..
सूरज मुस्कुराते हुए - थैंक्स दी..
बरखा सूरज के गाल सहला कर - ट्रैन चलने लगी है अब तू जा.. बाय..
सूरज - बाय दी..
सूरज बरखा को छोड़कर वापस आ जाता है...
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Erotic update bhai....ek aur girr gai suraj k pyaar main..dekhta h barkha madam number kab lagta hUpdate 9
रात के 10 बजे सूरज सीढ़ियों से नीचे हॉल में आया तो उसके पापा ने कहा..
जयप्रकाश - इतना तैयार होके कहा जा रहा है?
सूरज - पापा वो एक दोस्त का bday है.. बस वही जा रहा था.. आज रात वही रहूँगा.. आपके स्कूटी कि चाबी चाहिए...
जयप्रकाश - वही कमरे में रखी होगी.. ले ले..
सूरज - ठीक है.. सूरज कमरे में जाता है तो पीछे पीछे सुमित्रा भी कमरे में चली जाती है..
सुमित्रा - तू सच में दोस्त के bday पर जा रहा है या कहीं और? सच बताना..
सूरज - दोस्त के bday में ही जा रहा हूँ माँ.. आप भी क्या मेरे पीछे ही पड़ी रहती हो हमेशा.. आजकल बहुत नज़र रखती हो मुझपर जैसे मैं कोई क्रिमिनल हूं.
सुमित्रा - खा मेरी कसम.. तू दोस्त के bday में जा रहा है..
सूरज - मैं कसम वसम नहीं मानता समझी आप..
सुमित्रा - तो खा ना मेरी कसम..
सूरज - मैं नहीं खाऊंगा..
सुमित्रा - सच बता कहा जा रहा है? वरना घर से कदम बाहर रखने नहीं दूंगी तुझे.. किसी लड़की से मिलने जा रहा है ना.. जैसे सगाई वाली रात मिलके आया था.. जो पैसे लेकर वो सब करती है.. बोल..
सूरज - माँ... क्या बोल रही हो..
सुमित्रा - सच बता सूरज..
सूरज - ठीक है.. पापा को नहीं बताओगी..
सुमित्रा - किसी को नहीं कहूँगी.. बता..
सूरज कोई झूठ बात सोचकर - दोस्त की ex गर्लफ्रेंड है किसी होटल में मिलने बुलाया है..
सुमित्रा - और तेरे उस दोस्त का क्या? उसे पता ये सब?
सूरज - माँ ex गर्लफ्रेंड है.. उसे अब क्या मतलब..
सुमित्रा अपने ब्लाउज में से बटुआ निकालकर 1 हज़ार रुपए सूरज की जेब में रख देती है और कहती है - कंडोम पहन के करना जो करना है.. आजकल की लड़किया बहुत तेज़ हो गई है.. किसी भी शरीफ लड़के अपने जाल फँसाना उन्हें अच्छे से आता है.. समझा?
सुमित्रा का पल्लू हटा हुआ था और ब्लाउज में उसकी क्लीवेज साफ साफ सूरज को दिख रही थी.. जिसे सुमित्रा ने जानबूझ कर खुला छोड़ दिया था ताकि सूरज उसकी और आकर्षित हो सके मगर सूरज ने वो सब देखकर सुमित्रा से कहा..
सूरज - समझ गया माँ.. और आप अपना ये खज़ाना छुपा लो.. पापा की नज़र पड़ गई तो अगले साल मेरा छोटा भाई या बहन पैदा हो जाएगा..
सुमित्रा सूरज की बात सुनकर हसते हुए बिना अपना पल्लू अपने ब्लाउज के ऊपर किये बोली - नहीं होगा.. तेरे पापा सालों पहले ही अपनी हिम्मत हार चुके है..
सूरज हसते हुए - तभी अक्सर आप वो गाना गाती हो.. मैं क्या करू राम मुझे बुड्ढा मिल गया..
सुमित्रा हसते हुए - चुप शैतान.. मा से कोई ऐसे बात करता है भला? अब जा.. और सुबह जल्दी आ जाना.. रात को कोई भी परेशानी हो मुझे फ़ोन या मैसेज करना..
सूरज सुमित्रा को बाहो मे लेके गाल पर चुम्मा देकर - माँ आप बहुत प्यारी हो.. काश कोई आपके जैसी मुझे भी मिल जाए..
सुमित्रा - अच्छा? क्या करेगा अगर कोई मेरी जैसी मिल गई तो?
सूरज - सब सोचा हुआ माँ.. पहले शादी फिर सुहागरात उसके बाद 8-10 बच्चे..
सुमित्रा चौंकते हुए - 8-10?
सूरज - क्यों कम है? ज्यादा भी हो सकते है..
सुमित्रा हस्ते हुए - अच्छा अब मुझे छोड़.. तेरे पापा हम दोनों को ऐसे देखेंगे तो गलत समझेंगे..
सूरज - तो समझने दो.. गले लगने मे भी कोई अगर गलत समझें तो हम क्या कर सकते है? मैं तो अपनी मा को अपनी मर्ज़ी से छोडूंगा..
सुमित्रा - अच्छा? मुझे ऐसे बाहो मे भरके खड़ा रहेगा तो तेरी उस दोस्त की गर्लफ्रेंड का क्या होगा जो तेरा इंतजार कर रही है?
सूरज - उसे इंतजार करने दो.. मेरे लिए मेरी मा से बढ़कर कोई है..
सुमित्रा और सूरज गले लगे हुए थे और बात कर रहे थे बात करते करते उनके चेहरे एकदूसरे के कितने करीब आ गए थे उन्हें भी पता नहीं चला.. सुमित्रा तो जैसे अपना संयम खोने है वाली थी अगर बाहर से जयप्रकाश के खांसाने की आवाज ना आती तो शायद आज सुमित्रा ने सूरज के होंठो पर अपनी मोहब्बत या कहो हवस की मुहर लगा है देती..
जयप्रकाश की खांसी सुनकर सूरज ने सुमित्रा से कहाँ - पापा को खांसी की दवा दे दो.. दो दिनों से बहुत खांसी हो रही है उन्हें.. और अब अपना ये खज़ाना भी छीपा लो.. सूरज ने सुमित्रा को बाहो से आजाद करते हुए उसका पल्लू ब्लाउज के ऊपर करते हुए कहा..
सुमित्रा उदासी से - ऐसे खज़ाने का क्या फ़ायदा जिसे कोई लूटने वाला है ना हो..
सूरज - क्या कहा आपने?
सुमित्रा - कुछ नहीं.. अब जा..
सूरज सुमित्रा के गाल पर चुम्मा देकर - बाय माँ..
सुमित्रा की बात को सूरज ने सुन लिया था और अनजान बनकर उसे अनसुना भी कर दिया था मगर सूरज को अब इस बात का अहसास हो चूका था की सुमित्रा कितनी अकेली है और उससे बात करने वाला और उसके साथ वक़्त बिताने वाला कोई है नहीं.. जयप्रकाश भी सुमित्रा के साथ उतना वक़्त नहीं बताते थे वो अकसर अपने दोस्तों या दफ़्तर की फाइल्स मे गुस्से रहते थे..
सूरज घर से निकलता है कि उसके फ़ोन पर बरखा का फ़ोन आ जाता है..
हेलो
क्या कर रहा है हनी..
कुछ नहीं दी..
घर आ सकता है?
इस वक़्त? आ जाऊंगा पर.. सब ठीक है ना?
हाँ सब ठीक है.. तू आजा..
बात क्या है दी? बताओ ना..
अरे कुछ नहीं.. कोई जरुरी काम कर रहा है तो रहने दे.. कोई बात नहीं..
नहीं दी.. आपसे ज्यादा क्या जरुरी काम? बस खाना खाने जा रहा था.. आता हूँ..
आजा.. अपने हाथ से खाना बनाके खिला दूंगी तुझे..
बरखा ने फ़ोन काट दिया और मुस्कुराते हुए हनी के बारे में सोचने लगी.. पीछे कुछ दिनों से उसके मन में सूरज ही घूम रहा था.. सिर्फ उसके ही नहीं हेमलता के भी.. मगर हेमलता ने अपनी भावनाओं पर काबू पा लिया था.. बरखा को ना जाने क्यों आज सूरज से मिलने कि तलब हुई और उसने रात के इस वक़्त उसे फ़ोन कर दिया.. सूरज कुछ ही देर में बरखा के घर आ गया और बरखा ने दरवाजा खोलकर सूरज को घर के अंदर रसोई में ले गई..
क्या हुआ दी? और काका काकी कहा है?
वो तो यात्रा में गए है कल सुबह आ जायेंगे.. तेरे लिए पराठे बनाये है.. खिला दूँ अपने हाथ से?
क्या बात है दी.. बड़ा प्यार आ रहा है मुझ पर आपको आज?
क्यों? नहीं आ सकता?
नहीं.. आ सकता है.. पर आज कुछ ज्यादा ही आ रहा है ना इसलिए पूछ लिया..
बरखा अपने हाथ सूरज को खाना खिलाती हुई - कल मैं वापस जा रही हूँ.. सोचा एक बार अपने हनी से मिल लूँ.. इसलिए बुला लिया.. गलत किया?
सूरज खाना खाते हुए - नहीं.. अच्छा किया दी.. आप कुछ और दिन रह जाती ना दी..
वापस आउंगी तब रहूंगी.. लेकिन एक बात बता.. तू इतना सज धज के क्यों आया है?
मुझे इम्प्रेस करने के लिए?
आपको इम्प्रेस करने के लिए मुझे सजने की जरुरत है? और वैसे आपको इम्प्रेस करके मुझे क्या मिलेगा? आपको तो अपनी बड़ी बहन मानता हूँ मैं..
बरखा खाना खिलाते हुए - मैं अच्छे से जानती हूँ आजकल के लड़को को.. वो क्या कहते है.. हां.. गांधी जी की योजना.. बहन बनाकर चो...
बरखा आगे बोल पाती इससे पहले ही सूरज बोला..
सूरज - दीदी... आप ना बहुत बेशर्म हो गई हो.. कुछ भी सोचती और बोलती हो.. और हाथ दो जरा आपका.. सूरज बरखा की उंगलियां सुघकर.. सिगरेट पी रही थी मेरे आने से पहले?
बरखा हस्ते हुए अपना हाथ छुड़ाकर सूरज को खाना खिलाते हुए - उसके लिए भी तुझसे पूछना पड़ेगा मुझे?
सूरज - कल कब की ट्रैन है?
बरखा - दिन की है.. 3 बजे की..
सूरज - मैं स्टेशन छोड़ दूंगा आपको..
बरखा - अच्छा? स्टेशन का रास्ता कितना सुनसान है.. तूने रास्ते में मेरे साथ कुछ ऐसा वैसा कर दिया तो? मैं क्या करूंगी? बोल..
सूरज - दी.. आपने मज़े लेने के लिए बुलाया है ना मुझे?
बरखा मुस्कुराते हुए - तेरे मज़े लेने के लिए बुलाने की क्या जरुरत है? वो तो फ़ोन पर ही ले लेती मैं.. मुझे तेरी ये प्यारी और मासूम सी शकल देखनी थी..
सूरज - देख ली? अब मैं जाऊ?
बरखा - बड़ी बहन मानता है ना मुझे.. मेरे लिए थोड़ी देर और नहीं रुक सकता?
सूरज - ठीक है...
बरखा - शराब पियेगा मेरे साथ?
सूरज - नहीं..
बरखा - पापा के साथ तो पिता है..
सूरज - कभी कभी..
बरखा - हाँ तो वो कभी आज मेरे साथ है..
सूरज - काकी को पता चल गया ना.. जान ले लेगी मेरी..
बरखा - बताएगा कौन? तू?
बरखा अपने पीता बंसी की छुपाई हुई शराब की बोतल निकालती है और दो पेग बनाती है और एक सूरज को दे देती है..
सूरज - दी.. आप कमाल हो..
बरखा शराब पीते हुए - एक पर्सनल बात पुछु?
सूरज पेग ख़त्म करके - हम्म..
बरखा भी अपना पेग ख़त्म करके - तेरी कोई गर्लफ्रेंड तो है नहीं.. फिर काम कैसे चलता है तेरा?
सूरज - कोनसा काम?
बरखा दूसरा पेग बनाकर सूरज को देती है फिर अपने हाथ से लंड हिलाने का इशारा करते हुए कहती है - ये काम.. अब समझा?
सूरज हसते हुए - मुझे ना अब शर्म आने लगी है आपके साथ..
बरखा मुस्कुराते हुए अपना दूसरा पेग पीकर - शर्माता हुआ कितना क्यूट लगता है तू.. वैसा बता ना.. सिर्फ हाथ से जयकारे लगाता है या कोई छेद भी ढूंढ़ रखा है छोटे नवाब के लिए?
सूरज दूसरा पेग पीकर - आपको क्यों बताऊ? वैसे भी बहन भाई के बीच ऐसी बातें अच्छी नहीं लगती.. और अब ज्यादा मत पियो.. नशा होने लगा है आपको..
बरखा तीसरा पेग बनाकर - एक आखिरी हो जाए बस..
सूरज पेग उठाकर - अगर काकी को पता चला ना तो फिर देख लेना आप..
बरखा पेग पीते हुए - उसकी चिंता छोड़ दे.. तू बता गर्लफ्रेंड है या नहीं.. अगर नहीं है तो मैं बनवा दूंगी.. मेरा छोटा भाई अपने हाथ से काम चलाये.. अच्छा थोड़ी लगता है..
सूरज - किसे बनाओगी मेरी गर्लफ्रेंड?
बरखा - लड़कियों की कोई कमी थोड़ी है उदयपुर में.. जिससे बोलेगा उसीके साथ करवा दूंगी..
सूरज कुछ सोचकर - सपना आंटी पसंद मुझे..
बरखा - वो पड़ोस वाली? 40 साल की बुड्ढी?
सूरज अपना पेग ख़त्म करके - अभी से कहा बुड्ढी हो गई वो?
बरखा अपना पेग ख़त्म करते हुए - तुझे बड़ी औरते पसंद है?
सूरज - कोई बुराई है इसमें?
बरखा हसते हुए - नहीं.. वो बात नहीं है.. तू फ़िक्र मत कर तेरा काम हो जाएगा..
सूरज अपने फ़ोन पर बिलाल का फ़ोन आता देखकर - घर से फ़ोन आ रहा है.. अब जाऊ?
बरखा - ठीक है किस्सी दे जा एक..
सूरज बरखा के गाल पर kiss करता है..
बरखा नशे में - गाल पर नहीं हनी.. होंठो पर..
सूरज हसते हुए - अब कुछ ज्यादा हो रहा है आपका दी..
बरखा - कोनसी तेरी इज़्ज़त लूट रही हूँ.. एक kiss के लिए ही तो बोला है.. छोटा था तब भी तो करता था..
सूरज हसते हुए - करता नहीं था आप जबरदस्ती चूमती थी मुझे.. वो तो कोई देखने वाला नहीं था वरना बच्चे को मोलेस्ट करने के चार्ज में जेल जाती आप..
बरखा सूरज की शर्ट का कॉलर पकड़कर - हाय रे बच्चा... जब भाग भाग कर खुद मेरे पास आता था और कहता था दीदी चुम्मी दो और खुद मेरे होंठों पर टूट पड़ता था.. उसका क्या? मज़ा तुझे भी पूरा आता था..
सूरज मुस्कुराते हुए - आदत तो आपने ही लगाईं थी.. मैं तो बच्चा था..
बरखा - सपना आंटी चाहिए तो बरखा दीदी को चुम्मी करनी पड़ेगी जैसे बचपन में करता था..
सूरज बरखा के होंठों पर अपने होंठ रखकर चूमते हुए - बस?? अब जाता हूँ.. टाइम पास ज्यादा हो गया.. आप ख्याल रखना अपना..
बरखा - कल टाइम से आ जाना.. वरना मैं चली जाउंगी..
सूरज जाते हुए - ठीक है..
बरखा सूरज के जाने के बाद एक और शराब का पेग बनाकर पीती है और सिगरेट जलाकर कश केती हुई सपना को फ़ोन कर देती है...
हेलो..
सो रही थी क्या भाभी?
नहीं बरखा.. टीवी देख रही थी.. अब बस सोने ही जा रही थी.. बोलो इतनी रात को कैसे याद आ गई मेरी?
सपना (40)
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मुझे नहीं किसी और को तुम्हारी याद आती है रातों में..
सपना हसते हुए - अच्छा? तुम्हारे पापा से कहो सत्संग करने की उम्र में सम्भोग करने के सपने ना देखे.. दूकान पर सामान लेने आती हूँ तो ब्लाउज में ऐसे झांकते है जैसे आँखों से घूर के ब्रा का साइज़ बढ़ा देंगे.. कुछ करो अपने पापा का तुम..
बरखा - अरे भाभी.. पापा के बारे में बात नहीं कर रही.. पापा तो है ही एक नम्बर के ठरकी.. एक प्यारा सा लड़का है 22-23 साल का.. भाई की तरह है मेरे.. पसंद करता है तुम्हे.. एक बार बेचारे को जन्नत दिखा दो.. खुश हो जाएगा..
सपना हसते हुए - तस्वीर भेज दे.. पसंद आया तो बताउंगी..
बरखा - भेजती हूँ...
बरखा सूरज की तस्वीर भेजती है.. सपना तस्वीर देखकर फौरन बरखा को मैसेज करती है.. भेज देना अपने भाई को.. पेट भरके खुश कर दूंगी उसे..
बरखा मैसेज पढ़कर मुस्कुराते हुए ok लिख देती है और सिगरेट के कश लेती हुई नशे में धुत होकर सोचती है कि अगर सूरज सपना के साथ ये सब कर सकता है वो उसके साथ भी कर सकता है.. बस सूरज को किसी तरह अपने साथ सोने के लिए मानना पड़ेगा..
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सूरज बरखा के घर से बिलाल के घर जाने को निकला तो रास्ते में झील किनारे उसे कई दुकाने रात के इस वक़्त भी खुली दिखाई दी.. जहाँ टूरिस्ट खड़े हुए थे.. कई खाने की तो कई फेंसी आइटम की शॉप्स थी कुछ कपड़ो की..
सूरज ने स्कूटी एक दूकान के आगे रोक दी और अंदर जाकर कुछ खरीदकर वापस आ गया और स्कूटी स्टार्ट करके सूरज अब सीधा बिलाल के घर आ गया फिर स्कूटी अंदर खड़ी करके दुकान में बैठ जाता है..
रात के साढ़े 11 बज चुके थे सूरज नशे के सुरूर में था.. हालांकि उसे ज्यादा नशा नहीं हुआ था मगर फिर भी उसे शराब का सुरूर होने लगा रहा.. दूकान का शटर नीचे था.. बिलाल अंदर से आते हुए कहता है..
बिलाल - हनी..
सूरज कुर्सी से उठकर - बिल्ले..
बिलाल - मैं ऊपर सोने जा रहा हूँ.. तेरी भाभी पीछे कमरे में है..
सूरज - बिल्ले एक बार फिर सोच ले..
बिलाल - हनी मैंने सो बार यही सोचा है.. तू बस जब तक नज़मा प्रेग्नेंट ना हो जाए तब तक संभाल ले..
सूरज - ठीक है बिल्ले.. किसीको पता ना चले बस..
बिलाल - तुझसे ज्यादा मुझे उस बात की चिंता है.. मैंने नज़मा को समझा दिया है वो तुझे नहीं रोकेगी..
सूरज - ठीक है..
बिलाल - सुबह 6 बजे मैं नीचे आऊंगा.. तब तक तू और नज़मा अकेले नीचे रहोगे.. किसी चीज़ की जरूरत हो तो नज़मा से कह देना.. मैं जाता हूँ..
बिलाल ऊपर सोने चला गया और सूरज धीमे धीमे कदमो से पीछे वाले कमरे में दाखिल हो गया.. कमरे में अंधेरा था और बाहर आँगन मे जल रहे लट्टू की हलकी सी रौशनी कमरे में आ रही थी जिससे मध्यम रोशनी मे अंदर का नज़ारा देखा जा सकता था.. नज़मा बेड पर बैठी हुई थी.. उसके गोरे बदन पर गुलाबी सलवार थी और सफ़ेद दुपट्टा उसके जोबन को ढके हुए था..
सूरज ने कमरे के अंदर आकर बिना दरवाजा बंद किये लाइट जलाने लगा तभी नज़मा बोली..
नज़मा - लाइट मत जलाइये भाईजान..
सूरज ने लाइट नहीं जलाई और नज़मा के पास बिस्तर पर आकर बैठ गया..
सूरज ने जो रास्ते में ख़रीदा था वो नज़मा को देते हुए - भाभी ये आपके लिए..
नज़मा ने सूरज से थैला लेकर उसके अंदर से एक आसमानी कलर का सूट निकाला और उसे हाथों में लेकर बाहर से आती रोशनी में देखते हुए महसूस किया.. नज़मा समझ गई कि ये किसी ख़ास दूकान से लिया हुआ है..
नज़मा - ये क्यों ख़रीदा भाईजान..
सूरज नज़मा के और करीब आते हुए - भाभी पहले तो ये भाईजान बोलना बंद करो.. वरना मुझसे कुछ नहीं होगा..
नज़मा सूरज की बात पर मुस्कुरा पड़ती है..
नज़मा अपनी नज़र उठकर एक नज़र सूरज को देखकर - शराब पी है आपने?
सूरज - जब शराब की बू आ रही है तो पूछती क्यों हो भाभी..
नज़मा - ताकि आप इंकार कर सको.. और मुझे लगे कि आप थोड़ा सा मेरा लिहाज करते हो.. और आपके अंदर कोई बुराई नहीं है..
सूरज - अच्छाई और बुराई तो सब में होती है भाभी..
नज़मा नज़र झुका कर उसी तरह नीचे देखते हुए - सही है.. कम से कम आप मुझसे सच तो बोल रहे हो..
सूरज - भाभी आप अक्सर चाय पिलाने के बाद पूछती थी ना कि चाय कैसी बनी है? पता है मेरा क्या कहने का मन करता था?
नज़मा सूरज को एक नज़र देखकर - क्या?
सूरज - यही कि चाय ऐसी बनी है.. मन करता है आपको अपनी बाहों में उठाके घर ले जाऊं.. और आपकी बनाई चाय आपके हाथों से पिऊ..
नज़मा फिर से मुस्करा पड़ती है..
सूरज अपना एक हाथ घुमाके नज़मा के कंधे पर रख देता है और नज़मा के कान के पास अपने होंठ लाकर कहता है - भाभी गर्मी लग रही है..
नज़मा धीरे से शरमाते हुए - पंखा तो चालु है..
सूरज - फिर भी गर्मी लग रही है.. क्या करू?
नज़मा कुछ सोचकर - मेरे पास छोटी पँखी है.. मैं लाकर हवा कर देती हूँ..
सूरज - उससे कुछ नहीं होगा भाभी.. आप मेरी शर्ट उतार दो शायद कुछ राहत मिले..
नज़मा सूरज कि बात का मतलब समझ गई और मुस्कुराते हुए फिर से सूरज को एक नज़र देखकर अपने दोनों हाथ से सूरज के शर्ट के बटन खोलने लगी और उसका शर्ट उतार कर बेड के एक तरफ रख दिया..
सूरज प्यार से - भाभी आपको गर्मी नहीं लग रही?
सूरज की बात सुनकर नज़मा शर्म से अपना चेहरा अपनी दोनों हथेलियों से छुपा लेती है..
सूरज नज़मा की कमर में हाथ डालकर उसकी कमर पकड़ लेता और अपनी गोद में नज़मा को उठाकर बैठा लेता है..
नज़मा शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी और उसका दिल जोर से धड़कते जा रहा था..
सूरज को नज़मा के कूल्हे का मुलायम और गद्देदार अहसास कामुकता से भर रहा था..
सूरज ने नज़मा का दुप्पटा हटा दिया और उसकी कुर्ती को अपने दोनों हाथो से पकड़कर उठाने लगा लेकिन नज़मा ने अब तक अपना चेहरा अपनी हथेलियों से ढक रखा था.. इसलिए कुर्ती नज़मा की छाती तक उठाने के बाद सूरज पीछे से नज़मा के कान में बोलता है..
सूरज - हाथ ऊंचे करो ना भाभी..
नज़मा शर्म के मारे कुछ नहीं करती तो सूरज उसके दोनों हाथ पकड़कर ऊपर कर देता है और उसकी कुर्ती को झट से उतार कर अपने शर्ट के पास रख देता है.. नज़मा सिर्फ ब्रा में सूरज की गोद में बैठी हुई थी और उसकी नंगी पीठ अब सूरज के नंगे सीने से टकरा रही थी जिससे नज़मा काम और शर्म के मारे फिर से अपने चेहरे को अपनी हथेलियों से छुपा लेती है और सूरज नज़मा की नंगी गोरी पीठ का अहसास पाकर और कामुक हो उठता है जिससे उसके लंड में अब और अकड़न आ जाती है जिसका अहसास नज़मा को अपने कुल्हो पर हो रहा था.. सूरज ने नज़मा के दोनों हाथों को अपने दोनों हाथों में पकड़ लिया और नीचे करते हुए उसके चेहरे से हथेलिया हटा दी..
सूरज नज़मा के कान में - एक बात बोलू भाभी?
नज़मा शर्माते हुए - क्या?
सूरज नज़मा की गर्दन चूमते हुए - मूझे लगा नहीं था भाभी आपके बूब्स इतने मोटे होंगे.. क्या साइज है इनका?
नज़मा शर्म से इस बार भी कुछ नहीं बोलती..
सूरज - मत बताओ भाभी.. मैं खुद ही देख लेता हूँ..
सूरज ने अपने दोनों हाथ नज़मा की कमर से धीरे धीरे ऊपर लेजाकर उसकी ब्रा के अंदर डाल दिए और नज़मा के दोनों चुचे अपने हाथों में पकड़ लिए.. नज़मा के मुंह से सिस्कारी निकल गयी.. और वो काम की भावना से भरने लगी..
सूरज ने बूब्स को दबाते हुए मसलना शुरु कर दिया और नज़मा के कान में बोला - भाभी 36 के है ना?
इतना कहकर सूरज ने बूब्स पर से हाथ हटाकर नज़मा की ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा उतारकार बाकी कपड़ो के साथ रख दी.. नज़मा ने ब्रा खुलते ही अपने दोनों बूब्स को अपने दोनों हाथों से छीपा लिया..
सूरज पीछे से नज़मा की पीठ और गर्दन चूमता हुआ बोला - कब तक छुपा के रखोगी भाभी?
फिर सूरज थोड़ा आगे होकर पीछे लेट गया और नज़मा को भी अपने ऊपर पीठ के बल लेटा लिया और करवट लेकर अपने ऊपर से दाई तरफ गिरा कर नज़मा की कमर में हाथ डालकर उसे अपने से चिपकाते हुए नज़मा के होंठों के करीब अपने होंठ लेजाकर बोला - भाभी.. मेरी तरफ देखो ना..
नज़मा की आँखे बंद थी और वो धीरे से सूरज की आँखों की तरफ देखने लगी..
सूरज - शादी के 4 साल बाद भी इतनी शर्म भाभी?
नज़मा धीरे से - बिस्तर में एक बेशर्म खाफी होता है भाईजान..
सूरज - फिर से भाईजान? आपके होंठों को तो सजा देनी पड़ेगी भाभी...
ये कहकर सूरज नज़मा के होंठों पर अपने होंठ रख देता है और नज़मा आँख बंद करके सूरज को अपने होंठों की शराब पिने की इज़ाज़त दे देती है...
सूरज धीरे धीरे नज़मा के ऊपर और नीचे के होंठ चूमता और और फिर नज़मा के होंठो से लड़ता हुआ नज़मा के मुंह में अपनी जीभ डालकर नज़मा की जीभ को छेड़ने लगता है नज़मा को इस चुम्बन में मज़ा आ रह था.. सूरज उसे पसंद था और सूरज के सॉफ्ट होंठ को वो महसूस कर रही थी.. अब धीरे धीरे नज़मा ने भी सूरज को अपने होंठो से चूमना शुरु कर दिया..
सूरज को जब अहसास हुआ की नज़मा भी अब उसे चूमने में बराबर का सहयोग कर रही है तो वो मादकता की बारिश में भीगने लगा और नज़मा की कमर को कसके पकड़ता हुआ होनी तरफ खींचकर बिना चुम्मा तोड़े नज़मा को पेट के बल अपने ऊपर लिटा लिया..
नज़मा ने अपने बूब्स पर से अपने हाथ हटाकर सूरज का चेहरा थाम लिया और उसके बालों में हाथ फेरते हुए उसे इस तरह चूमने लगी जैसे कुत्ते मुंह चाटते है..
सूरज के सीने में नज़मा के चुचो पर खड़े चुचक खंजर की तरह चुभ रहे थे.. जिसका अहसास उसे जन्नत का मज़ा दे रहा था..
सूरज ने अपने दोनों हाथ कमर से नीचे लेजाकर नज़मा की गांड पर रख दिए और नज़मा के चुत्तड़ पकड़कर जोर से मसलने लगा.. मगर नज़मा ने चुम्मा नहीं तोड़ा और सूरज को अपनी गांड दबाने और मसलने की खुली छूट दे दी..
नज़मा सूरज को ऐसे चुम रही थी जैसे वो बरसो से सूरज को चूमना चाहती हो.. दोनों के होंठो और जीभ के बीच युद्ध छिड़ा हुआ था जिसमे कोई भी हार मनाने को तैयार नहीं था..
नज़मा ने कभी बिलाल के साथ ऐसा कुछ नहीं किया था.. बिलाल सामान्य सा दिखने वाला आदमी थी मगर सूरज को देखकर किसी भी लड़की का मन मचल सकता था..
सूरज ने नज़मा को करवट लेकर अपने नीचे लेलिया और चुम्बन तोड़ दिया..
सूरज ने नज़मा के दोनों हाथ पकड़ कर ऊपर उठा दिए और नज़मा से बोला - बता तो दो भाभी.. 36 के है ना..
नज़मा बिना कुछ बोले मुस्कुराते हुए हाँ में सर हिला देती है और सूरज नज़मा के बूब्स को मुंह में भरकर चूसने और चाटने लगता है..
नज़मा की अह्ह्ह... निकल जाती है और वो अपने दोनों हाथ छुड़ा कर सूरज का सर पकड़कर अपने दोनों बूब्स बारी बारी से सूरज को चुसवाने लगती है..
सूरज नज़मा के बूब्स पर खड़े दाने को दांतो से खींचता हुआ पूरी मेहनत और प्यार के साथ चूसता है और नज़मा के बूब्स पर लव बाईट देने लगता है नज़मा सूरज को लव बाईट देने से नहीं रोकती और सूरज नज़मा की छाती पर अनेक लव बाईट के निशान छोड़ता हुआ उसके बूब्स को चूसता हुआ अपना एक हाथ पानी बहाती नज़मा की चुत पर लेजाकर रख देता है और सहलाने लगता है मगर नजमा सूरज के उस हाथ को पकड़ कर चुत सहलाते से रोकने की नाकाम कोशिश करती है.. पर सूरज बूब्स चूसते हुए चुत सहलाते सहलाते नज़मा को झड़ने पर मजबूर कर देता है और नज़मा चड्डी सलवार पहनें पहनें ही झड़ जाती है और झरना बहा देती है..
सूरज नज़मा के झड़ने के बाद उसकी सलवार का नाड़ा खींचकर खोल देता है और सलवार के साथ नज़मा की चड्डी भी एक ही बार में उतार देता है.. नज़मा अपने पैरों को मोड़ लेटी है और शर्म के उतारे हुए कपड़ो को उठाकर अपना मुंह छिपा लेती है..
सूरज खड़ा हो जाता है और कमरे से बाहर आकर बाथरूम में चला जाता है और मूतने लगता है.. उसी वक़्त सुमित्रा का फ़ोन आ जाता है.. रात के एक बज रहे थे..
सूरज - हेलो
सुमित्रा इस वक़्त घर की छत पर थी उसने कहा - हेलो सूरज?
हां.. माँ.. बोलो..
बेटू.. क्या कर रहा है?
माँ.. यार क्या बेतुके सवाल पूछ रही हो? बताया था ना आपको..
सुमित्रा - बेटू.. नाराज़ मत हो.. मैं तो बस यही पूछ रही थी कि कंडोम तो लगा रखा है ना तूने?
सूरज - हाँ लगा रखा है.. अब क्या फोटो भेजू आपको? सो जाओ ना आप.. सुबह आ जाऊंगा..
सुमित्रा - हनी..
सूरज - अब क्या है माँ?
सुमित्रा - मूझे चिंता हो रही है तेरी..
सूरज - माँ.. एक लड़की के साथ हूँ.. किसी चोर लुटेरे डाकू के साथ नहीं..
सुमित्रा - अपना ख्याल रखना.. और देखना कंडोम फट ना जाए.. बाय बेटू..
सूरज - बाय माँ..
सुमित्रा छत पर थी उसके बदन में भी कामुकता और मादकता भरी हुई थी वो ये सोचके काम कि भावना से भरी हुई थी कि उसका बेटा सूरज किसी के साथ इस वक़्त बिस्तर में चोदमपट्टी कर रहा होगा.. सुमित्रा घर कि छत पर ही सूरज के नाम कि ऊँगली करने लगी थी..
सूरज बाथरूम से वापस कमरे में आया तो बाहर से आती रौशनी में उसने देखा कि नज़मा वैसे ही अपने मुंह कपड़े से छिपा कर नंगी पड़ी हुई है.. सूरज इस बार कमरे का दरवाजा बंद कर दिया जिससे बाहर से आती रौशनी भी अंदर आनी बंद हो गई और कमरे में पूरा अंधकार छा गया.. नज़मा ने कपड़े से मुंह छिपाया हुआ था उसे इसका कोई पता नहीं चला कि सूरज ने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया है और अब उसने लाइट ऑन कर दी है.. लाइट की रौशनी में बिस्तर पर नंगी पड़ी नज़मा का बदन ऐसे चमक रहा था जैसे कोयले की खान में हिरा चमकता है..
सूरज ने अपनी जीन्स उतार दी और अब सिर्फ चड्डी मैं आ गया.. फिर नज़मा के पैरों की तरफ आकर उसकी दोनों टांगो को अपने हाथों दे खोलकर चौड़ा कर दिया और नज़मा की चुत जिसपर नज़मा की चुत से बहे झरने का पानी चिपका हुआ था बेडशीट के कपड़े से साफ करके अपने दोनों हाथ नज़मा की जांघो के जोड़ पर रखकर नज़मा की चुत खोलते हुए सूरज ने नज़मा की चुत से मुंह लगा लिया और नज़मा की चुत चाटना शुरु कर दिया..
नज़मा की चुत पर जब सूरज ने अपने होंठो को लगाया नज़मा के तन बदन में काम वासना की आधी उड़ने लगी जो सूरज को होने आंधी में उड़ा कर लेजाना चाहती थी.. नज़मा के हाथ कब अपने आप सूरज के सर पर पहुचे और कब नज़मा के मुंह से कामुक सिस्कारिया निकली उसे पता भी नहीं चला.. नज़मा को लाइट ऑन होने पर शर्म आ रही थी मगर काम सुख शर्म से कहीं ज्यादा था इसलिए नज़मा ने लाइट के ऑन होने की परवाह छोड़कर सम्भोग का आनद लेना जरुरी समझा...
सूरज नज़मा की चुत को ऐसे चूस चूस के चाट रहा था जैसे बॉलीवुड की हीरोइन प्रोडूसर का लंड चूसने के बाद आंड चाटती है.. सूरज अपने हाथों के दोनों अंगूठे से नज़मा की चुत चौड़ी करके अंदर तक चाट रहा था और दाने को चुम्मा रहा था जिससे नज़मा अपने आप पर काबू नहीं रख पाई और वापस झड़ गई मगर समय रहते सूरज ने अपना मुंह हटा लिया और वो नज़मा के पानी की धार में भीगने से बच गया..
नज़मा की साँसे तेज़ थी और उसका पूरा बदन पसीने से लथपथ.. चुचे साँसों के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे..
सूरज नज़मा के ऊपर आ गया और उसकी आखो में देखते हुए बोला - तैयार हो भाभी?
नज़मा काम भावना से पूरी तरह भर चुकी थी वो बोली - और मत तड़पाओ भाईजान.. डाल दो ना अब..
सूरज - भाभी आप ही सीखा दो कैसे ड़ालते है? मूझे कहा आता है डालना..
नज़मा सूरज की चड्डी नीची करके सूरज के खड़े लंड को अपनी चुत में अटका देती है और कहती है - घुसाओ ना भाईजान..
सूरज का दबाव डालके घुसाता है तो लंड गीली चुत में फिसलता हुआ चला जाता है और नज़मा सिसकते हुए अह्ह्ह करने लगती है.. सूरज का लंड बिलाल से बहुत बड़ा था जिसका अहसास अभी अभी नज़मा को होने लगा था और वो अपने दोनों हाथों से सूरज को अपनी बाहों में भरके उसके होंठो को चूमते हुए अपनी गांड उठा उठा कर सूरज से चुदवा रही थी..
नज़मा - अह्ह्ह्ह... अह्ह्ह.. भाईजान.. अह्ह्ह..
सूरज - भाभी आपके नीचे का मामला तो बहुत टाइट है.. बिल्ला ठीक से नहीं करता शयद..
नज़मा - अह्ह्ह भाईजान.. अह्ह्ह..
सूरज चोदते चोदते - भाभी.. चुत में लंड चला गया.. अब तो भाईजान मत बोलो.. सूरज कहो ना..
नज़मा अह्ह्ह्ह.. भाईजान.. कहते हुए फिर से सूरज को पकड़ लेती है और चूमने लगती है..
सूरज चोदना रोककर नज़मा की कमर पकड़कर उसे घोड़ी बना लेता है और फिर उसकी चुत मारने लगता है..
सूरज को जितना मज़ा नज़मा को घोड़ी बनाके चोदने में आ रहा था उसका ब्यान करपाना कठिन है.. सूरज को उन पल के लिए मोक्ष की प्राप्ति हो रही थी.. सूरज जितनी मोहब्बत के साथ नज़मा को घोड़ी बनाकर उसकी चुत में झटके मार रहा था उतनी तेज़ी से दोनों की चुदाई की आवाज कमरे में गूंज रही थी..
नज़मा के मुंह से सिस्कारिया निकल रही थी जिसे सुनकर सूरज कामसुख के घोड़े पर सवार था.. नज़मा की चुत वापस तीसरी बार झड़ने को बेताब थी..
सूरज ने घोड़ी के बाद नज़मा को चोदना छोड़कर बेड पर लेट गया और नज़मा से बोला - आओ भाभी सारी मेहनत मुझिसे करोगी? थोड़ी खुद भी तो करो.. आओ..
नज़मा लाइट के उजाले में शर्मा रही थी मगर काम वासना से भी भरी हुई थी.. नज़मा सूरज के लंड पर बैठ गई और धीरे धीरे अपनी गांड हिलाते हुए सूरज की आँखों में देखने लगी जैसे कह रही हो कि सूरज अब मूझे तुझसे कोई शर्म नहीं है..
दोनो काम वासना भरी आँखों से एक दूसरे को देख रहे थे और अब दोनों ही झड़ने कि कगार पर थे.. सूरज ने नज़मा कि कमर में हाथ डालकर उसे नीचे ले लिया और वापस मिशनरी में चोदते हुए नज़मा के साथ ही झड़ गया... और दोनों कुछ देर तक गहरी गहरी साँसों के साथ वैसे ही लेटे रहे...
सूरज नज़मा के बाल सवारते हुए - मुबारक हो भाभी...
नामज़ - आपको भी भाईजान...
सूरज - अब भी भाईजान बोलोगी?
नज़मा मुस्कुराते हुए - आपको भाईजान मानती हूँ तो भाईजान ही बोलूंगी ना.. तुम्हारी तरह मुंह पर कुछ और दिल में कुछ और तो नहीं है मेरे..
सूरज - भाईजान पसंद आये.. आपको भाभी?
नज़मा मुस्कुराते हुए - बहुत पसंद..
सूरज - बिलाल से भी ज्यादा पसंद?
नज़मा - कई गुना ज्यादा.. उसका और आपका तो कोई मेल ही नहीं..
सूरज - अपने पति कि बुराई कर रही हो भाभी?
नज़मा - बाहर तो निकाल लो भाईजान.. ऐसे ही सोने की इरादा है क्या?
सूरज - अभी दो बजे है भाई.. रहने दो अंदर बेचारे को अच्छा लग रहा है..
नज़मा - अह्ह्ह... आप ये क्या कर रहे हो भाईजान?
सूरज - भाभी वापस खड़ा हो गया क्या करू?
नज़मा हसते हुए - एक ही रात में प्रेग्नेंट कर दोगे तो वापस कैसे मिल पाओगे भाईजान..
सूरज नज़मा कि टांग फैला कर चोदते हुए - वो सब बाद में सोचेंगे भाभी... अह्ह्ह
नज़मा - अह्ह्ह.. अह्ह्ह.. भाईजान.. अह्ह्ह..
दोनों का सम्भोग वापस शुरु हो जाता है..
सुबह के साढ़े चार बजते बजते दोनों के बीच दो बार सम्भोग पूरा हो चूका होता है.. नज़मा दो बाद चुद चुकी थी.. और नज़मा सूरज के सीने पर लेटी हुई थी दोनों जागे हुए थे.. दोनों के बीच शर्म का पर्दा हट चूका था..
सूरज - सोचा नहीं था भाभी कभी हमारे बीच कुछ ऐसा भी होगा..
नज़मा - सही कहा भाईजान.. पहले तो मैं आपको सिर्फ पसंद करती थी मगर अब तो आपने मेरी रूह को भी छू लिया है.. मैं बता नहीं सकती अब आपकी ख़ुशी मेरे लिए कितने मायने रखती है.. मैं आपकी ख़ुशी के लिए कुछ भी कर सकती हूँ..
सूरज - कुछ भी?
नज़मा - हाँ कुछ भी..
सूरज - एक रात में इतना अपनापन?
नज़मा सूरज के ऊपर से उठते हुए - आप मूझे बच्चे का सुख देने वाले हो भाईजान.. आपकी ख़ुशी मेरे लिए मायने बहुत रखती है.. अपनापन तो पहले भी था आपसे.. बस कभी कह ना सकी.. आपने कहा था ना मेरे हाथों से चाय पीनी है आपको.. मैं अभी बनाके लाती हूँ.. और अपने हाथों से पीला भी दूंगी..
सूरज - भाभी इतना सब करने की क्या जरुरत?
नज़मा - आपकी इतनी सी ख्वाहिश भी पूरी ना कर पाई तो लानत है भाईजान मूझ पर..
नज़मा रसोई में चाय जाती है और 10 मिनट में चाय बनाकर ले आती है फिर सूरज की गोद में उसकी तरफ मुंह करके बैठ जाती है और अपने हाथ सूरज को चाय पिलाने लगती है..
नज़मा चाय पीलाते हुए - अगली बार शराब मत पीके आना भाईजान.. मैं अपने हाथों से पीला दूंगी..
सूरज - भाभी आपका और मेरा कुछ रातों का साथ है.. क्यों इश्क़ के बीज बो रही हो.. मैं ये ताल्लुक नहीं निभा पाऊंगा..
नज़मा - दिल पर किसी का जोर थोड़ी चलता है भाईजान? बिलाल जो चार साल में ना कर पाया आपने 4 घंटो में कर दिया.. आपकी बाहों से ऐसा महसूस होता है जैसे जिस्म को मखमली बिस्तर का बिछोना मिल गया हो.. इतनी प्यार भरी बातें तो कभी बिलाल ने भी नहीं की होंगी.. उसने बिस्तर में मेरा जिस्म हासिल किया है मगर आपने रूह भी हासिल की है.. आपकी बातें दिल को धड़काती है मूझे मेरे औरत होने का और मेरे वज़ूद का अहसास दिलाती है.. आपके साथ आज रात बिताकर लगता है मैं भी इंसान हूँ और मेरी भी अपनी ख़ुशी है.. वरना कब से मैं बस घुट घुट के परदे में जी रही थी..
सूरज - भाभी जबतक आपके बच्चा नहीं लग जाता.. मैं कोशिश करूंगा आपको बाकी हर ख़ुशी दे सकूँ.. अगली बार क्या तोहफा चाहिए बता दो? ला दूंगा..
नज़मा सूरज को चूमते हुए - मेरा तोहफा तो आप हो भाईजान.. आपके अलावा मूझे कुछ नहीं चाहिए..
सूरज - 5 बजने वाले है भाभी.. अब मूझे चलना चाहिए..
नज़मा - कुछ देर और रुक जाओ ना
भाईजान.. अभी तो अंधेरा है..
सूरज नज़मा के ऊपर आकर उसकी जुल्फ संवारते हुए - बिलाल नीचे आये उससे पहले मेरा चले जाना मुनासिफ होगा भाभी..
नज़मा - मेरे बदन पर आपने इतने निशान छोड़े है की बिलाल देखकर पागल ना हो जाए..
सूरज - तो उसे करीब क्यों आने देती हो भाभी.. कुछ दिन अपने से दूर ही रखो..
नज़मा हसते हुए - घर में मर्द की सुन्नी पड़ती है भाईजान.. औरतों तो बस हुक्म बजाने के लिए होती है..
सूरज - जमाना बदल गया है भाभी..
नज़मा - मेरी एक बात मानोगे?
सूरज - हर बात मानुगा.. बस कुछ ऐसा मत कह देना कि मैं मजबूर हो जाऊ..
नज़मा - मूझे मेरे नाम से बुलाओ ना भाईजान..
सूरज मुस्कुराते हुए - ये तो तभी मुमकिन है भाभी जब आप भी मूझे मेरे नाम से पुकारो..
नज़मा धीरे से - सूरज..
सूरज - नज़मा..
दोनों कुछ देर एक दूसरे को देखते है और आँखों ही आँखों में दोनों के होंठो को वापस मिलना पड़ता है और फिर सूरज दिवार घड़ी को देखकर कहता है - अब जाने दो नज़मा..
नज़मा - काश मैं हर दिन ऐसे ही बच्चों कि तरह आपको अपनी छाती से लगाकर रख पाती सूरज..
सूरज खड़ा होकर अपने कपड़े पहनते हुए - ऐसे ख़्वाब मत देखो नज़मा.. जब पुरे नहीं होते तो बहुत तकलीफ देते है.. जीना मुहाल कर देते है.. एक वक़्त निकल जाता है इन सब से निकलते हुए..
नज़मा बिना किसी शर्म के अब नंगी ही बेड से खड़ी हो जाती है और सूरज के सामने खड़ी होकर अपने घुटनो बैठते हुए सूरज का लंड पकड़कर कहती है - जो ख्वाब पुरे ना हो.. उन ख़्वाबो को देखना गलत नहीं है सूरज.. मैं जानती हूँ आप मेरे कभी नहीं बन सकते.. इसका मतलब ये नहीं कि आपके साथ मैं ख्वाबों में भी एकसाथ नहीं जी सकती..
इतना कहकर नज़मा सूरज का लंड मुंह में भर लेती है और चूसने लगती है नज़मा blowjob देने लगती है..
सूरज के लंड में अकड़न आने लगती है मगर सूरज नज़मा के मुंह से लंड निकालकर पेंट पहन लेता है और नज़मा से कहता है - छः बजने वाले है.. कपड़े पहन लो बिलाल कभी भी नीचे आ सकता है..
नज़मा - जाने से पहले एक चुम्मा भी नहीं दोगे सूरज?
सूरज नज़मा को बाहों में भरके चूमते हुए - अपना ख्याल रखना..
नज़मा मुस्कुराते हुए - आप भी..
सूरज अपनी स्कूटी उठाकर नज़मा के घर से निकल जाता है और नज़मा कपड़े पहन कर सबसे पहले कमरे को ठीक करती है बेडशीट बदलती है और नहाती है.. सात बजे बिलाल नीचे आता है और नज़मा से बात किये बिना ही नहा कर अपना दैनिक काम कर दूकान का शटर ऊपर करके दूकान संभालता है..
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Beechari barkha ka kaam aadha hi hua...Update 10
सूरज घर पहुँचता है तो देखता है उसकी माँ सुमित्रा अपनी बोझल आँखों से उसी का इंतजार कर रही थी और सूरज सुमित्रा कि आँखों को देखकर समझ जाता है कि सुमित्रा रात भर नहीं सोइ..
कहाँ था ना माँ सो जाओ.. मगर आप तो पता नहीं क्या चाहती हो? देखो आँखे कैसे लाल हो गई है आपकी..
अभी सोकर ही उठी थी बेटू, और तू आ गया.. चल चाय बना देती हूँ.. कुछ खायेगा तो बता.. बना दूंगी..
सूरज सुमित्रा को बाहों में भरके - मुझसे ना झूठ मत बोला करो माँ... आपके सोने और जागने का पता आपकी शकल से चल जाता है.. और मूझे कुछ नहीं खाना.. मूझे तो बस सोना है.. बहुत नींद आ रही है..
सुमित्रा - अच्छा.. रात में सब ठीक था ना हनी.. तू खुश हुआ ना..
सूरज सुमित्रा के गाल चूमकर - इतनी पर्सनल बातें मत पूछा करो माँ.. मैं बच्चा नहीं हूँ अब.. अच्छा बुरा समझता हूँ.. आप भी थोड़ा आराम कर लो.. रातभर बिना वजह ही जाग रही थी..
सुमित्रा भोलेपन का नाटक करती हुई - इसमें क्या पर्सनल है? अपनी माँ को इतना भी नहीं बता सकता तो क्या फ़ायदा.. मैं अब कुछ पूछूंगी ही नहीं तुझसे.. जा सोजा..
सूरज हसते हुए - अच्छा ठीक है.. मुंह मत लटकाओ.. मैं खुश हूँ.. अब जाऊ सोने?
सुमित्रा - रुक मैं हल्दी वाला दूध दे देती हूँ.. पीकर सोना.. रातभर इतनी मेहनत की है, थक गया होगा मेरा बच्चा..
सूरज मुस्कुराते हुए - मैंने शायद पिछले जन्मो में बहुत पुण्य किये होंगे.. तभी आपके जैसी माँ मिली है मूझे..
सुमित्रा दूध देकर - मस्का लगाने की जरुरत नहीं है हनी.. ले.. पिले.. और हाँ.. कल विनोद कह रहा था उसके ऑफिस में एक अच्छी जॉब है.. उसने बात की है तेरे लिए.. और तुझे बुलाया भी है बात करने के लिए.. जाकर मिल लेना..
सूरज दूध का सीप लेते हुए - ठीक है मिल लूंगा.. अरे दूध तो फीका है..
सुमित्रा - शायद मीठा डालना भूल गई.. ला अभी शकर डाल देती हूं..
सूरज दूध सुमित्रा के होंठो से लगाते हुए - शकर रहने दो.. आप तो बस अपने होंठो से छू लो दूध को.. दूध अपने आप मीठा हो जाएगा..
सुमित्रा हसकर - बेशर्म मा से भी मस्ती करता है..
सूरज दूध पिता हुआ - मस्ती क्या? सच तो कह रहा हूं.. देखो अब ये शहद से मीठा हो गया आपके होंठो से लगते है..
सुमित्रा मुस्कुराते हुए - अच्छा जी.. बच्चू.. तेरी मा हूं मैं.. भूलना मत कभी.. समझा?
सूरज दूध का गिलास सुमित्रा को वापस देते हुए - मुझे सब याद है.. आप चिंता मत करो.. भैया और पापा कहाँ है?
सुमित्रा - वो कभी इतनी सुबह उठते है भला? सो रहे है अभी तक..
सूरज मुस्कुराते हुए फिर से सुमित्रा को बाहो मे भरके - और आप सारी रात मेरे लिए जाग रही थी.. आप अगर मेरी मा नहीं होती ना तो..
सुमित्रा सूरज के इस तरह बाहो मे कसने से बहकने लगी थी उसने सूरज की आँखों फिर होंठो को देखा और फिर वापस आँखों मे देखते हुए कहा - तो क्या?
सूरज सुमित्रा के चेहरे से उसके दिल के ख्याल पढ़ सकता था उसने सुमित्रा को बाहो से आजाद करते हुए कहा - मा नहीं होती तो आपका खज़ाना लूट लेता..
इतना कहकर सूरज हस्ते हुए सीढ़ियों की तरफ भाग गया और ऊपर अपने कमरे मे चला गया..
सुमित्रा सूरज की बात सुनकर जैसे काम की आंधी मे पत्ते की तरह उडने लगी थी.. रात मे उसने कई बार चुत मे ऊँगली कर अपनी हवस शांत करने की कोशिश की थी और अब वापस वो उसी हवस से भर गई थी.. सुमित्रा ने बाथरूम का रुख किया और वापस वही करने लगी जो वो रात भर कर रही थी.. उसकी चुत कई बार ऊँगली करने से लाल हो गई थी और उसपर हलकी सूजन भी आ गई थी..
सूरज कमरे मे जाकर सो जाता है..
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अंकुश अपनी बहन नीतू के साथ बिस्तर में बेपर्दा होकर एकसाथ लिपटा हुआ सो रहा था और नीतू के जगाने से अब उसकी आँख खुली थी...
अक्कू सुबह हो गई है.. हटो ना.. उठने दो मूझे..
थोड़ी देर और लेटी रहो ना नीतू..
अक्कू.. बहुत काम है.. रात के बर्तन तक धोने बाकी है.. पानी भरना है.. मम्मी को सुबह आठ बजे चाय चाहिए होती है.. अगर नहीं मिली तो वो मूझे बहुत सुनाएगी..
बस पांच मिनट ना नीतू...
तेरी पांच मिनट कब पचास मिनट हो जाती है पता नहीं चलता.. हट मेरे ऊपर से.. वरना होंठों पर ऐसा काटूंगी की याद रखेगा..
अक्कू नीतू को चूमकर - ऐसे करेगी ना तो उस वकील साहिबा से चक्कर चला लूंगा.. समझी?
नीतू - बड़ा आया तू चक्कर चलाने वाला.. तू किसी और लड़की से प्यार की बात तो करके देख.. तेरा वो हाल करुँगी ना कि सोचेगा मेरा कहा मान लेता तो अच्छा होगा.. समझा?
अक्कू मुस्कुराते हुए - समझ गया मेरी मिया खलीफा..
अंकुश ने इतना कहा ही था की कमरे के दरवाजे को किसी ने बाहर से खटखटा दिया.. अंकुश और नीतू एक दम से चौंकते हुए पहले दरवाजे की तरफ और फिर एक दूसरे की तरफ देखने लगे.. इतने में दरवाजे के बाहर खड़ी गोमती ने आवाज लगाते हुए कहा..
नीतू.. नीतू.. दरवाजा खोल नीतू..
अंकुश - मम्मी आ गई.. आज तो पकडे गए नीतू..
नीतू मुस्कुराते हुए - कुछ नहीं होगा.. तू रुक मैं देखती हूँ..
नीतू ने अपने नंगे बदन को एक पतले से तौलिये से ढक लिया और अक्कू नंगा ही उठकर अलमीरा के पीछे छिपकर खड़ा हो गया..
नीतू दरवाजा खोला तो सामने गोमती हाथ में ट्रे लिए खड़ी थी जिसमे दो चाय के कप थे..
माँ.. आप??
गोमती - चाय पिले.. और अक्कू को भी दे दे.. मैं जानती हूँ वो रात से तेरे साथ अंदर ही है..
नीतू शर्म से नीचे देखकर बोली - माँ आपने क्यों तकलीफ की मैं बस आ ही रही थी..
गोमती - कोई बात नहीं.. अपने भाई से बोल तैयार हो जाए और तू भी तैयार हो जा.. हमें अभी गाँव जाना पड़ेगा..
नीतू - क्यों? अचानक गाँव क्यों?
गोमती - थोड़ी देर पहले तेरे मामा का फ़ोन आया था... कल रात में तेरे नाना जी का देहांत हो गया.. जल्दी आना.. मैं इंतजार कर रही हूँ..
गोमती चली जाती है और नीतू दरवाजा बंद करके तौलिया एक तरफ फेंकती हुई अपने कपड़े उठाकर पहनते हुए अंकुश से कहती है - अक्कू मम्मी कह रही थी कि..
अंकुश कपड़े पहनते हुए नीतू कि बात काटकर - सुना मैंने मम्मी ने क्या कहा.. पर मूझे समझ नहीं आ रहा.. मम्मी हमारे बारे में जानती है? और उन्होंने हमें कुछ बोला भी नहीं?
नीतू अंकुश को चाय का कप देती हुई - कल जब मैं और मम्मी कोर्ट गए थे उससे पहले मम्मी ने मुझसे तेरे बारे में बात की थी अक्कू..
अंकुश - क्या बात की थी?
नीतू चाय पीते हुए - हमारे बीच जो है उसके बारे में मम्मी को बहुत पहले से पता है.. और वो बदनामी के डर से अबतक कुछ नहीं बोली.. मगर कल मम्मी ने इस बारे में मुझसे बात की और मैंने मम्मी से साफ साफ कह दिया था..
अंकुश - क्या कहा तूने मम्मी से?
नीतू चाय का कप रखकर अक्कू को बाहों में भरती हुई बोली - यही कि मैं अपने अक्कू से बहुत प्यार करती हूँ.. और तलाक़ के बाद अपने अक्कू से शादी भी करुँगी.. फिर हम कहीं और शिफ्ट हो जाएंगे और मैं तेरे बच्चे की माँ बनुँगी.. मम्मी ने पहले तो मेरी बातों का मज़ाक़ बनाया और मूझे समझाया मगर बाद में मेरे आगे हार मान ली.. अब घर में हमें छुप छुपकर प्यार करनी की जरुरत नहीं है अक्कू..
अंकुश हैरानी से - इतना सब हो गया?
नीतू अंकुश का हाथ पकड़कर कमरे के साथ ही लगते हुए बाथरूम में ले जाती हुई - जल्दी तैयार होना.. चल साथ में नहाते है..
नीतू अपने और अंकुश के कपड़े फिर से उतार देती है और शवार के नीचे आकर अंकुश को बाहों में भरके चूमते हुए नहाने लगती है..
अंकुश नीतू से दूर हटते हुए - यार नीतू.. नाना जी एक्सपायर हो गए और तू ये सब कर रही है.. थोड़ा ख्याल कर..
नीतू घुटनो पर बैठकर अंकुश के लंड को मुंह मे लेकर चुस्ती हुई - 90 साल की उम्र में मारे है नानाजी.. भरी जवानी में नहीं.. और वैसे भी कोनसा नाना नानी हमसे इतना करीब थे कि आंसू आये.. उनको तो हमेशा मामा मामी से लगाव था.. मम्मी की आखो में तो आंसू भी नहीं है.. जब उनको कोई अफ़सोस नहीं है तो मैं क्यों करू?
अंकुश - अह्ह्ह्ह.. आराम से नीतू.. बोल्स वाली जगह सेन्सटिव होती है..
नीतू जोर जोर से अंकुश का लंड चुस्ती हुई - पता है.. मूझे तो बस तेरी अह्ह्ह सुनने में मज़ा आता है..
अंकुश - नीतू अगर तू मेरी बहन नहीं होती ना.. इस हरकत पर मैं एक जोर का थप्पड़ जरुरत मारता तेरे गाल पर..
नीतू लंड पूरा खड़ा करके चूसना बंद कर देती है और फिर खड़ी होकर लंड को अपनी चुत में घुसाती हुई कहती है - एक क्या मेरे भाई दो थप्पड़ मार ले अपनी बहन को.. तेरे लिए तो जान दे सकती हूँ...
अंकुश नीतू कमर पकड़कर उसे दिवार से चिपका देता है और चुत में झटके मारते हुए कहता है - कैसे मार दूँ बहना.. भूल गई रक्षाबंधन के दिन तूने क्या वचन लिया था.. कि मैं तेरे ऊपर सिर्फ अपना लंड उठाऊंगा हाथ नहीं..
अक्कू कुछ देर ऐसे ही नीतू को पेलता रहता है..
नीतू - अह्ह्ह.. अह्ह्ह.. अह्ह्ह.. अक्कू.. मेरा होने वाला है.. अह्ह्ह..
अंकुश - मेरा भी होने वाला है नीतू.. अंदर निकाल दूँ..
नीतू - भाई तेरा जहाँ मन करें निकाल दे.. अह्ह्ह..
अंकुश नीतू के अंदर झड़ जाता है और दोनों कुछ देर गहरी गहरी साँसे लेते हुए एक दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगते है फिर नीतू कहती है...
नीतू - अब क्या अपनी बहन की चुत में घुसा रहेगा अक्कू? निकाल ना इसे.. चल नहाते है वरना मम्मी आ जायेगी..
अंकुश मुस्कुराते हुए - घुसाया तूने था निकालना भी तुझे ही पड़ेगा..
नीतू लंड निकालकर शावर ऑन कर देती है और अंकुश को नहलाते हुए खुद भी नहा कर बाहर आ जाती है दोनों अपने अपने कमरे में जाकर तैयार होकर नीचे इंतजार कर रही गोमती के पास आ जाते है..
गोमती दोनों को देखकर - इतना समय क्यों लगा दिया?
नीतू - सवा आठ ही तो बजे है माँ..
अंकुश घर से बाहर जाते हुए - मैं रिक्शा ले आता हूँ..
अंकुश के जाने के बाद गोमती नीतू से - कहीं जवानी के जोश में पेट मत फुला के बैठ जाना..
नीतू गोमती से नज़र चुराकर - अक्कू गर्भनिरोधक गोलीया लाकर दे देता है.. अभी बच्चे का खतरा नहीं है.. जब तलाक़ के बाद घर शिफ्ट करेंगे तब सोचूंगी बच्चा पैदा करने के बारे में..
गोमती - अक्कू इस सबके लिए मान जाएगा?
नीतू - उसे तो मेरी हर बात माननी पड़ेगी.. आपको बच्चे के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा.. आपका पोता अपकी बेटी ही पैदा करेगी..
अंकुश आता हुआ - माँ.. नीतू.. चलो..
गोमती ताला लगाती हुई धीरे से नीतू से - गलती मेरी ही है.. तुम दोनों पर मैंने ध्यान नहीं दिया.. वरना ये सब नहीं देखना पड़ता..
अंकुश सामन रिक्शा में रखकर गोमती और नीतू के साथ बैठ जाता है और बस स्टेण्ड पहुच जाता है..
अंकुश टिकिट लेकर - माँ.. चलो.. वो वाली बस है..
एक स्लीपर बस में तीनो बैठ जाते ही जहाँ गोमती और नीतू अगल बगल और अंकुश दोनों के बीच में होता है..
अंकुश इयरफोन लगाकर गाने सुनने लगता है और गोमती और नीतू बार बार चुपके से एक दूसरे की ओर देखकर बार बार अपना मुंह फेर लेते है जैसे दोनों एकदूसरे के बारे में ही सोच रहे हो..
नीतू अंकुश के हाथ में अपना हाथ डालकर एक इयरफोन अपने कान में लगाकर अंकुश के कंधे पर सर रख लेती है ओर आँख बंद करके गाने सुनते हुए रास्ते को काटने की कोशिश करती है.. वही गोमती नीतू को ऐसा करता देखकर कुछ सोचती है फिर वो खिड़की से बाहर आते हुए नज़ारों को देखकर नीतू और अंकुश के बारे में सोचकर मन ही मन एक फैसला करती है जिसे सिर्फ वही जानती थी...
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रमन सीढ़ियों से उतरकर अपनी कॉफी लेने आया तो तितली ने उसे कहा..
आज मूवी दिखाने वाले थे ना तुम मूझे?
रमन शान्ति के हाथों से अपनी कॉफी लेकर - तुम तो बिजी थी ना आज?
हाँ.. थी तो.. मगर अब फ्री हूँ.. बताओ क्या करना है?
हम्म.. मैं पहले अपनी कॉफ़ी ख़त्म कर लू.. फिर रेडी होके आता हूँ.. एक घंटा वेट करना पड़ेगा? चलेगा ना तुमको?
मूझे तो आदत है इंतज़ार करने की.. कर लुंगी..
रमन कॉफी लेकर वापस अपने रूम में चला जाता है और घर की नौकरानी शान्ति तितली से कहती है..
क्या चल रहा है दीदी? रमन भईया तो कल से आपके साथ ऐसे पेश आ रहे है जैसे आप उनकी बीवी हो.. माजरा क्या है? कहीं आप दोनों के बीच इल्लू.. इल्लू.. तो नहीं होने लगा?
तितली मुस्कुराते हुए शान्ति की बात का जवाब देते हुए कहती है - इतना दिमाग मत चला शान्ति.. तेरे रमन भईया तो बस अच्छे होने का नाटक कर रहे है ताकि उनको मूझे प्रॉपर्टी ना देनी पड़े.. वरना कभी दानव को देखा है देवता बनते?
शान्ति - नहीं दीदी.. रमन भईया तो बहुत अच्छे इंसान है.. बस पता नहीं आपसे इतना क्यों नाराज़ रहते थे.. मगर अब लगता है सब ठीक हो गया है.. वैसे एक बात बोलू दीदी बुरा ना मानो तो..
तितली - इतना सब बोल दिया है तो वो बात भी बोल दो शान्ति.. मैंने कभी तुम्हारी बात का बुरा माना है जो अब मानुँगी..
शान्ति अपना फ़ोन दिखाते हुए - वो दीदी जब कल आप रमन भईया के साथ खड़ी थी ना.. तब मैंने आप दोनों की एक तस्वीर ली थी छिपके से.. आप दोनों एक साथ बहुत अच्छे लग रहे थे.. देखो..
तितली शान्ति पर बनावटी गुस्सा करते हुए - शान्ति तू भी ना..
तितली की नज़र तस्वीर पर पड़ती है तो वो अपनी और रमन की साथ में तस्वीर को देखकर एक पल के लिए कल रमन का बोली बात याद करने लगती है जिसमे रमन ने उससे शादी करने की बात कही थी.. तितली मुस्कुराते हुए शान्ति से कहती है - शान्ति.. ये तस्वीर तू..
शान्ति बात काटते हुए - भेज दी.. दीदी.. आपके व्हाट्सप्प पर भेज दी..
तितली शरमाते हुए - शान्ति किसी से ये सब मत कहना..
शान्ति - क्या मत कहना दीदी? कोनसी बात? मूझे तो कुछ याद भी नहीं.. हाँ मेरी तनख्वाह आप बढ़ाने वाली थी.. बस वो याद है मूझे..
तितली मुस्कुराते हुए - कह दूंगी धरमु को.. इस महीने से तेरी पगार बढ़ाने के लिए.. बस..
शान्ति - दीदी..
तितली - हम्म्म..
शान्ति - एक बात बोलनी है.. इस सूट की जगह आज आप साड़ी पहनो.. और गाडी में साड़ी थोड़ी सरका देना.. रमन भईया आपकी चिकनी कमर और दूध देखकर पागल ना हुए तो मेरा नाम बदल देना..
तितली बनावटी गुस्सा करते हुए - चल हट बेशर्म..
शान्ति - अरे दीदी अम्मा कसम.. सच कह रहे है..
तितली थोड़ी देर वही खड़ी होकर कुछ सोचती है और फिर एक नज़र शान्ति को देखकर अपने कमरे में चली जाती है जिसे शान्ति समझ जाती है..
कुछ देर बाद रमन नीचे आता है और शान्ति के बनाये सैंडविच खाते हुए हवा में कहता है - कहती है वेट करने की आदत है... लगता है टीवी के किसी सीरियल में घुस गई होगी..
शान्ति रमन की बात सुनकर - नहीं भईया.. दीदी तो आपके लिए साड़ी पहनने अंदर गई है..
रमन - तेरे लिए? तुझे कैसे पता?
शान्ति - मैंने ही तो साड़ी पहनने को बोला है.. दीदी मुझसे आपको इम्प्रेस करने के तरीके पूछ रही थी.. मैंने बोल दिया.. भईया को साड़ी वाली लड़किया अच्छी लगती है.. तो दीदी फट से अंदर चली गई साड़ी पहनने...
रमन - अच्छा? और क्या कहा तूने तेरी दीदी से?
शान्ति शरमाते हुए - मैंने कहा.. जब गाडी में बैठे तो साड़ी थोड़ी सरका दे.. ताकि आपकी नज़र उन पर पड़ सके.. आपको पसंद करती है दीदी.. मुझसे कल आपके साथ तस्वीर लेने को कहा था.. बोला था कि जब वो आपके साथ खड़ी हो तो तस्वीर खींच ले.. देखो मैंने खींची भी थी और दीदी को व्हाट्सप्प भी की है कुछ देर पहले.. उन्होंने देखा भी है..
रमन हैरानी और आश्चर्य में पड़ जाता है उसे कुछ समझ नहीं आता तभी शान्ति कहती है - देखो भईया दीदी की कितनी प्यारी लग रही है साड़ी में..
रमन तितली को देखता ही रह जाता है तभी शान्ति कहती है - भईया.. कल मेरी बच्ची का bday है..
रमन जेब से 2-3 हज़ार रुपए निकालकर शान्ति को देता हुआ - हैप्पी बर्थडे बोलना..
शान्ति ख़ुशी से - रमन भईया..
रमन - हां..
शान्ति - दीदी कल कह रही थी उनको रास्ते की चाट बहुत अच्छी लगती है.. सोचा आपको बता दूँ..
तितली पास आते हुए - चले?
रमन - हम्म.. चलो..
रमन और तितली गाडी में बैठ जाते है इस खूबसूरत शहर के खूबसूरत रास्तो से होते हुए.. गर्म हवा जो झीलों के पानी से टकरा कर ठंडी हो रही थी उसके थपड़े अपने चेहरे पर महसूस करते हुए सिनेमा हॉल जाने के लिए निकल जाते है..
तितली ने शान्ति की बात याद करके अपने पल्लू को थोड़ा सरका दिया और कमर से भी साड़ी को सरका दिया जिससे रमन तितली की कमर और छाती पर सुडोल उठे हुए चुचो के बीच की हलकी घाटी रमन को दिखाई देने लगी और उसे शान्ति की बात पर यकीन हो गया..
रमन तितली की तरफ आकर्षित होने लगा था और तितली मुस्कुराते हुए सामने और साइड के शिशो से रमन को अपनी और देखते हुए देख रही थी और उसके होंठों पर हलकी सी मुस्कान भी आ गई थी.. और वो सोचने लगती है की क्या रमन सच में उसे पसंद करने लगा है या सिर्फ वो उसके साथ कोई खेल खेल रहा है? तितली रमन पर पूरा भरोसा नहीं कर सकती थी और करती भी क्यों जो आदमी दो दिन पहले तक उससे नफरत करता था और अपने बाप की रखैल कहकर बुलाता था वो अचानक उसके साथ उतना सीधा और मीठा बनकर बात करने लगे तो उसे कैसे यक़ीन हो?
कुछ खाओगी?
क्या?
किसी ने बताया था यहाँ काफी अच्छी समोसा चाट मिलती है..
खिला दो.. देखते है तुम्हारी पसंद कितनी टेस्टी है..
तुम बैठो में लेकर आता हूँ..
रमन गाडी किनारे लगाकर एक दूकान से एक समोसा चाट ले आता है..
लो.. ट्राय करो..
तितली चाट टेस्ट करके - अच्छी है.. पर वो बात नहीं है..
कोनसी बात?
वही बात जिसमे मुंह से सीधा वाह.. निकलता है..
अच्छा? तो कहा मिलेगी वाह्ह.. वाली बात?
चलो.. मैं बताती हूँ..
कहा?
वही... जहाँ कोई आता जाता नहीं..
मतलब?
मतलब.. शहर की पुरानी गलियों में.. तुम्हारी ये बड़ी कार वहा नहीं जा पाएगी.. बाइक से चल सकते थे.
ठीक है.. मूवी का प्लान केन्सिल करते है.. आज तुम्हारे साथ पुराना उदयपुर घूमता हूँ.. देखता हूँ तुम्हारी वाह्ह.. वाली बात में कुछ बात है भी या नहीं..
रमन अपनी गाडी आगे किसी मॉल की पार्किंग में लगा देता है और किराए पर बाइक लेकर तितली के साथ तितली की बताई जगह के लिए निकाल पड़ता है..
तितली एक पुरानी सी से दूकान पर रमन को ले आती है और वहा से सबसे पहले दो कप चाय से दिन की शुरुआत करती है रमन चाय पीकर महसूस करता है कि वाकई तितली कि पसंद में वाह्ह वाली बात थी..
तितली एक के बाद एक.. शहर कि कई दूकानो पर रमन के साथ चाट खाती हुई और उसके बारे में बात करती हुई रमन को बताती हुई रिक्शा से घूमती है.. रमन को तितली के स्वाभाव का ये साइड कभी दिखा ही नहीं था और शायद उसने कभी देखा भी नहीं था.. आज के दिन रमन चुप था और तितली अपने नाम कि तरह शहर में रमन का हाथ पकडे यहां से वहा घूम रही थी.. खिलखिलाती हुई हंसकर अपने असली रूप में आ गई थी जिसे उसने कुछ सालों से मार रखा था.. रमन को तितली से लगाव हो चूका था और तितली उसे पसंद आने लगी थी..
शाम ख़त्म होते होते दोनों घर लौट आये.. आज दोनों के दिलो मे जो फीलिंग थी उसे शब्दों मे नहीं बताया जा सकता था रमन खुश था मगर तितली बेचैन.. तितली को घर आने के बाद महसूस हो रहा था जैसे वो भी रमन के प्यार मे पड़ने लगी है मगर जैसे ही उसने रमन के पिता की तस्वीर जो उसके कमरे की दिवार पर लगी थी देखा तो किसी ख्याल से मायुस हो गई.. उसे गिल्ट हो रहा था जैसे वो कुछ गलत कर रही है..
दरसल तितली की माँ मीना जो उस वक़्त नौकरानी थी और रमन के पिता सेठ पूरन माली के बीच अफेयर था और उसी सम्बन्ध का नतीजा था की मीना पेट से हो गई और तितली का जन्म हुआ.. समाज के डर से पूरन ने कभी तितली को अपना नाम तो नहीं दिया मगर एक बेटी की तरह उसे पाला और संभाला.. पूरन ने मीना के साथ अपना नजायाज़ रिश्ता कायम रखा और तितली को पिता का प्यार देता रहा.. तितली पढ़ने मे अच्छी थी और डॉक्टर बनना चाहती थी उसके ख्याब को पूरन ने पूरा करने मे हर तरह से मदद की.. तितली नौकरानी की बेटी होकर भी पुरे ऐशो आराम से पली बड़ी थी.. वो सायनी और समझदार दोनों थी.. उसे हमेशा इस बात पर हैरानी होती की सेठ पूरन माली उसके ऊपर इतनी मेहरबानी क्यों करते है? वो हमेशा सोचती थी की ये सब सिर्फ इसलिए होता है क्युकी उसकी मा मीना और पूरन के बीच चक्कर है मगर उसकी मा मीना ने मरने से पहले सारी सचाई तितली को बता दी और फिर मीना के मरने के बाद सेठ पीरान माली की भी तबियत खराब रहने लगी.. तितली को जब पता लगा की उसके पिता और कोई नहीं बल्कि सेठ पूरन माली है और उसी कारण तितली की हर ख्वाहिश वो कहने से पहले पूरा कर देते है तो तितली की आँखों मे आंसू आ गए.. तितली डॉक्टर बन चुकी थी और अब वो पूरन के आखिरी दिनों मे उसकी सेवा करने लगी थी.. तितली ने पूरन उसके रिश्ते के बार मे बात की तो पूरन अफ़सोफ करते हुए तितली से माफ़ी मांगने लगा की वो समाज के डर से उसे कभी बेटी नहीं कह पाया.. मगर पूरन को तितली के स्वाभाव का पता था और वो जानता था तितली ही उसकी जायज हक़दार है.. उसने बिना तितली को बताये अपनी पूरी प्रॉपर्टी तितली के नाम कर दी और तितली से रमन का ख्याल रखने का कहकर दुनिया अलविदा हो गया.. जब पूरन के मरने के बाद इस बाद का पता रमन को चला तो वो तितली से नाराज़ हो गया और उसे बुरा भला कहने लगा.. मगर तितली ने रमन के गुस्सा और ताने दोनों को चुप चाप सह लिया और अपने पिता सेठ पूरन माली के जाने के दुख को भी सह गई..
तितली को पता था की रमन और उसका बाप सेठ पूरन माली ही है.. और अब वो अपने ही सोतेले भाई को दिल दे बैठी है.. यही ख्याल उसे तंग किये जा रहा था.. तितली को प्रॉपर्टी का जरा भी लालच ना था वो बस अब रमन के करीब रहकर उसे खुश देखना चाहती थी..
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मैडम वो फ़ाइल नहीं मिल रही..
कोनसी फ़ाइल?
टेंडर वाली.. जिसकी परसो मीटिंग है.. मैंने जयप्रकाश जी को रखने के लिए दी थी मगर वो तो कल उस फ़ाइल को टेबल पर रखकर ही घर चले गए तब उसके बाद से फ़ाइल का कोई पता नहीं है..
बुलाइये जयप्रकाश जी को..
जयप्रकाश आते हुए - गुड मॉर्निंग मैडम..
जयप्रकाश जी टेंडर वाली फ़ाइल मैंने आपको सेफली रखने के लिए दी थी ना.. आपने उसे यूँही टेबल पर छोड़ दिया?
मैडम कल थोड़ा जल्दी मैं था इसलिए चूक हो गई.. मगर कभी टेबल पर रखी फ़ाइल गायव नहीं हुई आज पहली बार ऐसा हुआ है कि टेबल पर रखी फ़ाइल नहीं मिल रही..
मैं कुछ नहीं जानती जयप्रकाश जी.. आप ढूंढिए उस फ़ाइल को.. उसका मिलना बहुत जरुरी है.. परसो उस फ़ाइल के बिना मीटिंग में कैसे जाउंगी मैं? जाइये.. फ़ाइल ढूंढिए और लाकर दीजिये.. शाम से पहले फ़ाइल नहीं मिली तो आपकी जिम्मेदारी होगी..
जी मैडम... मैं देखता हूँ..
जयप्रकाश चला जाता है और गुनगुन फ़ाइल के बारे में सोच मे लगती है..
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सुबह 7 बजे सोये सूरज की आँख दिन के 1 बजे खुली तो उसे सबसे पहले बरखा को स्टेशन छोड़ने जाने की बात याद आई और वो उठकर तौलिया लेता हुआ बाथरूम में चला गया और ब्रश करके नहाने लगा उसे नहाकर सूरज तैयार हुआ और सीढ़ियों से नीचे आ गया.. विनोद और जयप्रकाश ऑफिस जा चुके थे और सुमित्रा बैडरूम का दरवाजा बंद करके अंदर माँ बेटे की कामुक कहानि पढ़ते हुए अपनी चुत सहला रही थी..
सूरज नीचे आकर रसोई में फ्रीज़ से पानी निकालकर पिने लगा.. सुमित्रा को रसोई से कुछ आवाजे आई तो वो बैडरूम से बाहर आ गई और सूरज को देखकर बोली - भूक लगी है मेरे लाडले को? बता क्या खायेगा? बना देती हूँ..
आज खाना नहीं बनाया आपने?
बनाया था पर ख़त्म हो गया.. रुक मैं अभी तेरे लिए गर्मगर्म फुल्के बना देती हूँ..
सुमित्रा आटा लेकर फुल्के बनाने लगी.. उसने हाथ तक नहीं धोये.. जो उंगलियां कुछ देर पहले उसकी चुत में घुसी हुई थी उसी से वो फुल्के बनाकर सूरज को परोस देती है और सूरज बड़े चाव से उसे खा लेता है..
वैसे तू तैयार होके जा कहा रहा है?
कहीं नहीं माँ.. एक दोस्त से मिलने जा रहा हूँ शाम तक आ जाऊंगा.. आप ही कहती हो घर में अकेला मन ना लगे तो दोस्तों से मिल लिया कर..
हाँ कहती हूँ पर दोस्तों से मिलने के लिए.. दोस्त की ex गर्लफ्रेंड को होटल में बुलाकर उसके साथ सोने के लिए नहीं.
माँ... आपको बताना ही नहीं चाहिए था.. आप ना हर बात में वही बात लेकर आओगी अब..
अच्छा ठीक है नहीं बोलती.. वैसे कोनसी दोस्त से मिलने जा रहा है? ये भी किसी की ex गर्लफ्रेंड है?
हा.. कल वाली लड़की ही है.. पार्क में मिलने बुलाया है.. साथ में मूवी देखने का भी प्लान है.. सब बता दिया अब खुश?
तू उसे कोनसी मूवी दिखायेगा मूझे सब पता है.. कंडोम पहन के मूवी दिखाना.. समझा? तेरी ऐयाशी से घर में कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए.. दिन ब दिन लड़कियों में ही घुसता जा रहा है.. तेरी भी जल्दी ही शादी करवानी पड़ेगी..
सूरज सुमित्रा को पीछे से अपनी बाहों में भरके पकड़ता हुआ बोला.. अच्छा माँ.. आप करवा दो ना फिर मेरी शादी.. जल्दी से.. कोई लड़की है आपकी नज़र में?
सुमित्रा पीछे सूरज की तरफ अपने मुंह करके मुस्कुराते हुए - कैसी लड़की चाहिए बता.. मैं ढूंढती हूँ..
सूरज - बताया था ना.. बिलकुल आपके जैसी.. जो आपके जैसा खाना बना सके.. घर सभाल सके और बहुत खूबसूरत भी हो..
सुमित्रा हसते हुए - मेरी जैसी मिलना तो मुश्किल है..
सूरज मज़ाक़ में - कोई बात नहीं.. फिर में आपसे ही शादी कर लेता हूँ.. वैसे भी पापा तो बूढ़े हो गए है.. आप तो अभी भी जवान हो.. 2 बच्चे और पैदा हो जायेगे..
सुमित्रा सूरज के गाल चूमते हुए - अपनी माँ के साथ ये सब करने वाले को पता है ना लोग क्या कहते है? कोनसी गाली देते है..
सूरज सुमित्रा के कान में धीरे से - पता है मादरचोद कहते है.. पर आपके लिए सब सुन सकता हूँ..
सुमित्रा सूरज के होंठों को पकड़कर - चुप... कमीना कहीं का.. चल अब छोड़ मूझे.. तेरी वो सहेली इंतजार कर रही होगी.. पता नहीं कितनी आग भरी उसके अंदर.. रातभर मिले थे और अब वापस मिलना है.. जा मिल ले जाकर...
सुमित्रा ने जब सूरज के होंठ पकडे तो सूरज को सुमित्रा की उंगलियों से जो महक आरही थी उससे वो अच्छी तरह वाक़िफ़ था मगर उस अनदेखा कर सुमित्रा के गाल चूमकर रसोई से बाहर आता हुआ - बाय माँ..
सुमित्रा मुस्कुराते हुए - बाय बेटू..
सूरज के जाने के बाद सुमित्रा फिर से अपने कमरे में चली गई और उस बार कहानी पढ़ने की जगह सूरज की अभी मज़ाक़ में बोली हुई बातों को याद करके चुत सहलाने लगी..
सुमित्रा के मन में सूरज के लिए हवस दिन ब दिन बढ़ती जा रही थी और उसका काबू पर खुद पर नहीं था, सुमित्रा अकेलेपन में सूरज को याद करके गन्दी से गन्दी हरकत करने लगी थी..
एक तरफ सूरज के लिए सुमित्रा पागल हुए जा रही थी तो दूसरी तरफ गरिमा भी अब बेचैन थी.. कई दिनों से वो सूरज के लगातार मैसेज और कॉल आने पर ये समझ रही थी की सूरज भी उससे बात करने के लिए तड़प रहा है मगर फ़ोन पर बात करने के बाद से सूरज ने गरिमा को मैसेज या कॉल किया ही नहीं.. जिसके करण गरिमा की हालात बेचैन थी उसका मन कहीं नहीं लग रहा था उसे बस सूरज के मैसेज और कॉल का ही इंतजार था और गरिमा उसीके इंतजार में बैठी हुई अपने मन के गुस्से और अना से लड़ झगड़ रही थी और सोच रही थी कि अब उसे ही सूरज को मैसेज या कॉल कर देना चाहिए.. मगर वो ऐसा करने से झिझक रही थी और उसका गुस्सा और अना बार बार उसे ऐसा करने से रोक रहे थे..
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किसी दोस्त से बाइक उदार लेकर सूरज पौने 2 बजे बरखा को लेने घर पंहुचा तो बंसी और हेमलता ने सूरज को देखकर मुस्कुराते हुए अंदर आने को कहा..
काका आज दूकान नहीं खोली?
हेमलता बोली.. अभी तो यात्रा से घर वापस आये है हनी.. दूकान कल खोलेंगे तेरे काका.. मैं चाय बना रही हूँ रुक..
काकी दीदी कहा है?
मैं यही हूँ हनी.. बस आ रही हूँ.. बरखा ने अपने कमरे से चिल्लाते हुए कहा..
बंसी अपने बैडरूम में चला गया और हेमलता रसोई में.. बरखा अपने रूम में थी..
सूरज सीधे रसोई में हेमलता के बार चला गया..
काकी लाओ मैं चाय बना देता हूँ.. आप रातभर से जगी हुई हो.. अभी घर लोटी हो.. थोड़ी देर बैठकर आराम कर लो..
हेमलता मुस्कुराते हुए हनी के गाल सहलाकार बोली - नहीं बेटा.. मैं ही बना देती हूँ.. वरना तू ही कहेगा काकी तो मुझसे काम करवाती है..
हनी मुस्कुराते हुए हेमलता के पीछे आकर उसके कंधो पर दोनों हाथ रखकर कहता है - अपने घर में काम करने से कैसी शर्म काकी..
हेमलता मुड़कर मुस्कुराते हुए सूरज को देखती हुई बोली - इतनी प्यारी बातें करेगा ना तो सुमित्रा से बोलकर तुझे मैं अपने पास ही रख लुंगी.. फिर ढ़ेर सारा काम करवाउंगी तुझसे..
सूरज हसते हुए अपने दोनों हाथ हेमलता के कंधे से हटाकर उसकी कमर पर ले जाता है और पीछे से हेमलता को बाहों में भरते हुए कहता है - करवा लेना काकी.. मैंने कब मना किया? मैं जानता हूँ आप अजय और विजय भईया के जाने के बाद बहुत अकेली हो.. पर आप चिंता मत करो मैं हूँ ना... (हेमलता के गाल चूमकर) आपका ध्यान रखने के लिए..
हेमलता के दोनों बेटे अजय और विजय सालों पहले दूर बड़े शहर में जाकर वही बस चुके थे और सालों से घर नहीं आये थे अब तो उनकी बात हेमलता और बंसी से होना भी बंद हो चुकी थी सूरज के मुंह से ये बात सुनकर हेमलता भावुक हो गई मगर फिर खुदको सँभालते हुए सूरज को देखकर बोली - तू कब से इतनी समझदारी वाली बातें करने लगा हनी? लगता है बड़ा हो गया है..
सूरज वापस हेमलता के गाल चूमकर - तो क्या आपने सोचा हमेशा बच्चा ही रहूँगा मैं?
हेमलता - मेरे लिए तो बच्चा ही रहेगा..
चाय उबल चुकी थी और बरखा भी अब अपने रूम से बाहर आकार रसोई में आ गई उसने देखा कि सूरज उसकी माँ को पीछे से अपनी बाहों में भरके हेमलता के गाल चुम रहा था और हेमलता मुस्कुराते हुए गैस बंद करके चाय को कप में डाल रही थी..
माँ.. इस शैतान से बचके रहो.. ये बहुत तेज़ हो गया है अब.. इसे बड़े उम्र कि औरते पसंद है.. कहीं आपके साथ कुछ ऐसा वैसा कर दिया तो बाद में मत पछताना..
हेमलता हसते हुए सूरज को चाय देकर उसके गाल को चूमती हुई बोली - इसे तो मैं बचपन से जानती हूँ बरखा.. जब तेरे पास टूशन आता था तब मैं ही इसकी छोटी सी नुन्नी पकड़कर इसे बाथरूम करवाती थी.. बहुत रोता था.. ये क्या कर सकता है और क्या नहीं मैं अच्छे से जानती हूँ.. तू ले चाय पिले मैं तेरे पापा को भी दे देती हूँ..
हेमलता वहा से चली जाती है बरखा चाय पीते हुए सूरज के करीब आकर सूरज को देखते हुए कहती है - हनी लगता है.. सपना आंटी के साथ हेमलता काकी की भी लेनी है तुझे?
सूरज चाय पीते हुए - छी.. दीदी क्या बोल रही हो आप? काकी तो मेरी माँ जैसी है..
बरखा हसते हुए - अच्छा? और मैं?
सूरज - आपको बड़ी बहन बोलता हूँ..
बरखा - सिर्फ बोलता है या मानता भी है?
सूरज - ज्यादा सवाल नहीं पूछ रही आप आज? चलो वरना ट्रेन miss हो जायेगी और फिर मुझसे कहोगी.. तेरे करण ट्रैन छूट गई..
बरखा सूरज को बेग देते हुए - ले उठा सामान मेरे कुली भाई..
सूरज बेग उठकर बाहर आ जाता है और बाइक पर आगे सामान रखकर बाइक स्टार्ट करता है और पीछे बरखा बैठ जाती है बाइक चली शुरु होती है.. रस्ता आधे घंटे का था..
बरखा ने दोनों हाथों से सूरज को कसके पकड़ लिया और अपनी छाती उसकी पीठ से चिपका दी और सूरज के कान के पास अपने होंठो को लाकर बोली - तू सच में मूझे बहन मानता है?
सूरज ने बरखा के बारे में कभी उस तरह से नहीं सोचा था और ना ही उसके छूने पर सूरज को कोई फील आता था इसलिए बरखा की छाती टच होने पर सूरज ने ज्यादा कुछ रियेक्ट नहीं किया और बरखा के सवाल पर कहा - हाँ.. क्यों? कोई शक है आपको?
बरखा - अपनी बहन की एक बात मानेगा?
क्या?
पहले कसम खा मूझे जज नहीं करेगा..
नहीं करूंगा बोलो ना..
हनी.. मेरा तेरे जीजू से रिश्ता ठीक नहीं चल रहा तू जानता है.. मूझे ना सेक्स किये हुए एक साल हो गया..
सूरज सडक किनारे गाडी रोक कर - दीदी मूझे क्यों बता रही हो आप ये सब? इसमें मैं क्या कर सकता हूँ?
हनी.. मेरे लिए..
छी दीदी.. आप ऐसा सोच भी कैसे सकती हो..
नहीं.. मैं तुझे मेरे साथ सेक्स करने के लिए नहीं कह रही.. बस मूझे एक बार तुझे देखना है..
इतने सालों से देख रही हो दी.. और कैसे देखना है..
हनी.. तू कितना नासमझ है.. मेरा तेरा प्राइवेट पार्ट देखना है..
दीदी.. मज़ाक़ मत करो..
मज़ाक़ नहीं है हनी.. सच में.. देख मेरा भाई है ना.. इतना सा नहीं कर सकता तू मेरे लिए..
नहीं दी.. ये सब मैं नहीं कर सकता.. सॉरी..
देख हनी.. मैं हाथ भी नहीं लगाउंगी बस देखूंगी.. तेरी कसम.. प्लीज.. अपनी बहन की इतनी सी बात नहीं मानेगा तू?
दीदी मुझसे शर्म आएगी.. और आप क्यों इतना फोर्स कर रही हो.. मैं नहीं कर सकता.. ट्रैन miss हो जायेगी..
अरे बाबा.. तू आँख बंद कर लेना.. अभी बहुत समय है ट्रैन आने में.. मैं बस देखूंगी हनी... अगर तू मना करेगा तो मैं तुझसे नाराज़ भी हो जाउंगी.. देखना फिर कभी बात भी नहीं करूंगी तुझसे..
क्या मुसीबत है यार.. अच्छा ठीक है.. आगे एक कॉफ़ी कैफ़े है वहा चलते है..
बरखा ख़ुशी से सूरज को लगे लगाती हुई - थैंक्यू मेरे छोटू भाई..
सूरज बरखा को कॉफी कैफ़े में ले आता है जहाँ पर्सनल केबिन बने हुए थे और पूरी प्राइवेसी थी.. सूरज ने दो कॉफी बोल दी और वेटर कॉफ़ी दे गया फिर सूरज ने केबिन का गेट लगा दिया..
बरखा सूरज के करीब आकर बैठ गई और सूरज ने शरमाते हुए अपनी लोवर नीचे करके चड्डी भी नीचे कर दी और बरखा के सामने सूरज का लंड आ गया जो श्यनमुद्रा में था और बरखा उसे खड़ा देखना चाहती थी..
बरखा ने अपना फ़ोन खोलकर उसकी गैलरी ओपन करके एक ब्लू फ्लिम चला दी और सूरज को फ़ोन दे दिया फिर बोली - हनी.. खड़ा देखना है..
सूरज झिझकते हुए ने फ़ोन ले लिया और एक नज़र बरखा को देखकर ब्लू फ़िल्म देखने लगा.. बरखा ने सिगरेट जलाकर कश लेते हुए कॉफ़ी का पहला सिप लिया और सूरज के लंड को देखने लगी जो नींद में भी अच्छा खासा था..
बरखा ने अपनी सलवार का नाड़ा खोल दिया और सिगरेट पीते हुए अपनी चुत को सहलाने लगी जिसे देखकर हनी बरखा को कामुक नज़र से देखने लगा मगर बरखा को छूने की उसकी हिम्मत नहीं हुई.. ब्लू फ़िल्म से ज्यादा बरखा के चुत सहलाने से सूरज का लंड अकड़ने लगा और बरखा लंड को खड़ा होते देखकर और कामुकता से अपनी चुत में ऊँगली करने लगी..
सूरज का लंड जब पूरा अकड़ गया तब बरखा लंड देखकर चौंक गई.. सूरज का लंड काफी लम्बा और मोटा था बरखा ने वैसा लंड हक़ीक़त में कभी नहीं देखा था ना उसके बॉयफ्रेंड का लंड उतना बड़ा था ना पति का.. पति से बहुत लम्बा और मोटा लंड था सूरज के पास..
बरखा ने पूरी गर्म होकर झड़ गई तो सूरज ने रुमाल देकर बरखा को चुत साफ करने का इशारा किया.. बरखा ने अपनी टांग चौड़ी करके खड़ी हो गई और सूरज के मुंह के सामने अपनी चुत खोलकर कहा - तू कर दे ना हनी..
सूरज ने रुमाल से बारखा की झांटो से भरी हुई चुत को साफ कर दिया और बरखा की चुत देखकर और नाक के करीब होने से सुघकर बरखा के प्रति आकर्षित हो गया मगर बचपन से बरखा को बहन मानने के कारण सूरज की हिम्मत बरखा से कुछ कहने की नहीं थी.. बरखा आराम से बैठ गई और सूरज ने भी अपने खड़े लंड को लोवर के अंदर कर लिया फिर कॉफ़ी को छू कर देखा तो कॉफ़ी ठंडी हो चुकी थी.. बरखा ने सूरज को ठंडी कॉफी पिने के लिए मना कर दिया और दो गर्म कॉफी मंगा कर पिते हुए बोली - बहुत किस्मत वाला है हनी तू..
सूरज कॉफी पीते हुए - क्यों दी..
बरखा - जितनी अच्छी तेरी शकल है उतना अच्छा तेरा ये लंड..
सूरज - दी यार.. कुछ तो शर्म करो.. अब ऐसे वर्ड तो मत बोलो..
बरखा हसते हुए - लड़का होके शर्माता है..
सूरज - बड़ी बहन से तो शर्माऊंगा ना.. दोस्तों की बात अलग है..
बरखा सिगरेट जलाकर कश लेती हुई बोली - और सपना आंटी से? उनसे भी शर्मायेगा तो बिस्तर मे कैसे उनके साथ सो पायेगा?
सूरज नज़र चुराते हुए - उनसे क्यों शर्माउ? वो मेरी बड़ी बहन थोड़ी है..
बरखा हँसते हुए सिगरेट के कश लेती हुई - अच्छा जी.. पर तेरी सपना ने मना कर दिया.. कल पूछा था मैंने तेरे लिए..
सूरज कॉफी पीते हुए - मना कर दिया मतलब?
बरखा - मतलब ये की मैंने पूछा था तेरे साथ सेक्स के लिए उसने तेरी पिक देखकर मना कर दिया..
सूरज गुस्से से - पिक क्यों भेजी? रिजेक्शन के बाद उनके सामने जाने में कितनी शर्म आएगी पता है? आप भी ना.. बोलते ही बात भी कर ली..
बरखा सिगरेट का एक लम्बा कश खींचकर सिगरेट बुझाते हुए - शर्म की क्या बात है इसमें?
सूरज - चलो अब टाइम हो रहा है..
बरखा सूरज को अपनी तरफ खीचकर - एक गुड बाय kiss तो दे दे..
सूरज - दी.. आराम से..
बरखा सूरज के होंठों पर अपने होंठो को चिपका कर चूमते हुए - सॉरी.. Baby..
बरखा ने सूरज के होंठों को कुछ देर चूमा फिर उसकी लोवर में हाथ डालकर उसका तना हुआ लंड पकड़कर मसलने लगी.. लंड पकड़ते ही सुरज ने चुम्मा तोड़ दिया और बरखा का हाथ अपने लोवर से बाहर निकलता हुआ बोला - दी.. छोडो..
बरखा मुस्कुराते हुए - ठीक है शरीफ इंसान.. नहीं छूती तुझे..
सूरज बेग उठाकर - चलो.. ट्रैन निकल जायेगी..
सूरज बरखा को लेकर स्टेशन पर आ जाता है और ट्रैन भी आ चुकी होती है..
सूरज बरखा का बेग ट्रैन में रखता हुआ - पानी वगेरा है ना आपके पास? कुछ लाना है आपके लिए?
बरखा मुस्कुराकर - सुन..
सूरज - हाँ..
बरखा सूरज के कान में - तेरी सपना आंटी ने बुलाया है तुझे..
सूरज बरखा को देखते हुए - क्यों? उसने तो मना कर दिया था..
बरखा - तेरी पिक देखने के बाद कौन मना कर सकता है क्या? मज़ाक़ कर रही थी मै तो..
सूरज - पक्का ना? पिटवा तो नहीं दोगी आप मूझे?
बरखा - तेरी मर्ज़ी.. नहीं जाना तो मत जा.. वैसे उसने कल कहा था.. तुझे पूरा खुश कर देगी..
सूरज मुस्कुराते हुए - थैंक्स दी..
बरखा सूरज के गाल सहला कर - ट्रैन चलने लगी है अब तू जा.. बाय..
सूरज - बाय दी..
सूरज बरखा को छोड़कर वापस आ जाता है...
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