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Incest घर की मोहब्बत

Ajju Landwalia

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Update 9



रात के 10 बजे सूरज सीढ़ियों से नीचे हॉल में आया तो उसके पापा ने कहा..

जयप्रकाश - इतना तैयार होके कहा जा रहा है?

सूरज - पापा वो एक दोस्त का bday है.. बस वही जा रहा था.. आज रात वही रहूँगा.. आपके स्कूटी कि चाबी चाहिए...

जयप्रकाश - वही कमरे में रखी होगी.. ले ले..

सूरज - ठीक है.. सूरज कमरे में जाता है तो पीछे पीछे सुमित्रा भी कमरे में चली जाती है..

सुमित्रा - तू सच में दोस्त के bday पर जा रहा है या कहीं और? सच बताना..

सूरज - दोस्त के bday में ही जा रहा हूँ माँ.. आप भी क्या मेरे पीछे ही पड़ी रहती हो हमेशा.. आजकल बहुत नज़र रखती हो मुझपर जैसे मैं कोई क्रिमिनल हूं.

सुमित्रा - खा मेरी कसम.. तू दोस्त के bday में जा रहा है..

सूरज - मैं कसम वसम नहीं मानता समझी आप..

सुमित्रा - तो खा ना मेरी कसम..

सूरज - मैं नहीं खाऊंगा..

सुमित्रा - सच बता कहा जा रहा है? वरना घर से कदम बाहर रखने नहीं दूंगी तुझे.. किसी लड़की से मिलने जा रहा है ना.. जैसे सगाई वाली रात मिलके आया था.. जो पैसे लेकर वो सब करती है.. बोल..

सूरज - माँ... क्या बोल रही हो..

सुमित्रा - सच बता सूरज..

सूरज - ठीक है.. पापा को नहीं बताओगी..

सुमित्रा - किसी को नहीं कहूँगी.. बता..

सूरज कोई झूठ बात सोचकर - दोस्त की ex गर्लफ्रेंड है किसी होटल में मिलने बुलाया है..

सुमित्रा - और तेरे उस दोस्त का क्या? उसे पता ये सब?

सूरज - माँ ex गर्लफ्रेंड है.. उसे अब क्या मतलब..

सुमित्रा अपने ब्लाउज में से बटुआ निकालकर 1 हज़ार रुपए सूरज की जेब में रख देती है और कहती है - कंडोम पहन के करना जो करना है.. आजकल की लड़किया बहुत तेज़ हो गई है.. किसी भी शरीफ लड़के अपने जाल फँसाना उन्हें अच्छे से आता है.. समझा?

सुमित्रा का पल्लू हटा हुआ था और ब्लाउज में उसकी क्लीवेज साफ साफ सूरज को दिख रही थी.. जिसे सुमित्रा ने जानबूझ कर खुला छोड़ दिया था ताकि सूरज उसकी और आकर्षित हो सके मगर सूरज ने वो सब देखकर सुमित्रा से कहा..
सूरज - समझ गया माँ.. और आप अपना ये खज़ाना छुपा लो.. पापा की नज़र पड़ गई तो अगले साल मेरा छोटा भाई या बहन पैदा हो जाएगा..

सुमित्रा सूरज की बात सुनकर हसते हुए बिना अपना पल्लू अपने ब्लाउज के ऊपर किये बोली - नहीं होगा.. तेरे पापा सालों पहले ही अपनी हिम्मत हार चुके है..

सूरज हसते हुए - तभी अक्सर आप वो गाना गाती हो.. मैं क्या करू राम मुझे बुड्ढा मिल गया..

सुमित्रा हसते हुए - चुप शैतान.. मा से कोई ऐसे बात करता है भला? अब जा.. और सुबह जल्दी आ जाना.. रात को कोई भी परेशानी हो मुझे फ़ोन या मैसेज करना..

सूरज सुमित्रा को बाहो मे लेके गाल पर चुम्मा देकर - माँ आप बहुत प्यारी हो.. काश कोई आपके जैसी मुझे भी मिल जाए..

सुमित्रा - अच्छा? क्या करेगा अगर कोई मेरी जैसी मिल गई तो?

सूरज - सब सोचा हुआ माँ.. पहले शादी फिर सुहागरात उसके बाद 8-10 बच्चे..

सुमित्रा चौंकते हुए - 8-10?

सूरज - क्यों कम है? ज्यादा भी हो सकते है..

सुमित्रा हस्ते हुए - अच्छा अब मुझे छोड़.. तेरे पापा हम दोनों को ऐसे देखेंगे तो गलत समझेंगे..

सूरज - तो समझने दो.. गले लगने मे भी कोई अगर गलत समझें तो हम क्या कर सकते है? मैं तो अपनी मा को अपनी मर्ज़ी से छोडूंगा..

सुमित्रा - अच्छा? मुझे ऐसे बाहो मे भरके खड़ा रहेगा तो तेरी उस दोस्त की गर्लफ्रेंड का क्या होगा जो तेरा इंतजार कर रही है?

सूरज - उसे इंतजार करने दो.. मेरे लिए मेरी मा से बढ़कर कोई है..

सुमित्रा और सूरज गले लगे हुए थे और बात कर रहे थे बात करते करते उनके चेहरे एकदूसरे के कितने करीब आ गए थे उन्हें भी पता नहीं चला.. सुमित्रा तो जैसे अपना संयम खोने है वाली थी अगर बाहर से जयप्रकाश के खांसाने की आवाज ना आती तो शायद आज सुमित्रा ने सूरज के होंठो पर अपनी मोहब्बत या कहो हवस की मुहर लगा है देती..

जयप्रकाश की खांसी सुनकर सूरज ने सुमित्रा से कहाँ - पापा को खांसी की दवा दे दो.. दो दिनों से बहुत खांसी हो रही है उन्हें.. और अब अपना ये खज़ाना भी छीपा लो.. सूरज ने सुमित्रा को बाहो से आजाद करते हुए उसका पल्लू ब्लाउज के ऊपर करते हुए कहा..

सुमित्रा उदासी से - ऐसे खज़ाने का क्या फ़ायदा जिसे कोई लूटने वाला है ना हो..

सूरज - क्या कहा आपने?

सुमित्रा - कुछ नहीं.. अब जा..

सूरज सुमित्रा के गाल पर चुम्मा देकर - बाय माँ..

सुमित्रा की बात को सूरज ने सुन लिया था और अनजान बनकर उसे अनसुना भी कर दिया था मगर सूरज को अब इस बात का अहसास हो चूका था की सुमित्रा कितनी अकेली है और उससे बात करने वाला और उसके साथ वक़्त बिताने वाला कोई है नहीं.. जयप्रकाश भी सुमित्रा के साथ उतना वक़्त नहीं बताते थे वो अकसर अपने दोस्तों या दफ़्तर की फाइल्स मे गुस्से रहते थे..

सूरज घर से निकलता है कि उसके फ़ोन पर बरखा का फ़ोन आ जाता है..

हेलो

क्या कर रहा है हनी..

कुछ नहीं दी..

घर आ सकता है?

इस वक़्त? आ जाऊंगा पर.. सब ठीक है ना?

हाँ सब ठीक है.. तू आजा..

बात क्या है दी? बताओ ना..

अरे कुछ नहीं.. कोई जरुरी काम कर रहा है तो रहने दे.. कोई बात नहीं..

नहीं दी.. आपसे ज्यादा क्या जरुरी काम? बस खाना खाने जा रहा था.. आता हूँ..

आजा.. अपने हाथ से खाना बनाके खिला दूंगी तुझे..

बरखा ने फ़ोन काट दिया और मुस्कुराते हुए हनी के बारे में सोचने लगी.. पीछे कुछ दिनों से उसके मन में सूरज ही घूम रहा था.. सिर्फ उसके ही नहीं हेमलता के भी.. मगर हेमलता ने अपनी भावनाओं पर काबू पा लिया था.. बरखा को ना जाने क्यों आज सूरज से मिलने कि तलब हुई और उसने रात के इस वक़्त उसे फ़ोन कर दिया.. सूरज कुछ ही देर में बरखा के घर आ गया और बरखा ने दरवाजा खोलकर सूरज को घर के अंदर रसोई में ले गई..

क्या हुआ दी? और काका काकी कहा है?

वो तो यात्रा में गए है कल सुबह आ जायेंगे.. तेरे लिए पराठे बनाये है.. खिला दूँ अपने हाथ से?

क्या बात है दी.. बड़ा प्यार आ रहा है मुझ पर आपको आज?

क्यों? नहीं आ सकता?

नहीं.. आ सकता है.. पर आज कुछ ज्यादा ही आ रहा है ना इसलिए पूछ लिया..

बरखा अपने हाथ सूरज को खाना खिलाती हुई - कल मैं वापस जा रही हूँ.. सोचा एक बार अपने हनी से मिल लूँ.. इसलिए बुला लिया.. गलत किया?

सूरज खाना खाते हुए - नहीं.. अच्छा किया दी.. आप कुछ और दिन रह जाती ना दी..

वापस आउंगी तब रहूंगी.. लेकिन एक बात बता.. तू इतना सज धज के क्यों आया है?
मुझे इम्प्रेस करने के लिए?

आपको इम्प्रेस करने के लिए मुझे सजने की जरुरत है? और वैसे आपको इम्प्रेस करके मुझे क्या मिलेगा? आपको तो अपनी बड़ी बहन मानता हूँ मैं..

बरखा खाना खिलाते हुए - मैं अच्छे से जानती हूँ आजकल के लड़को को.. वो क्या कहते है.. हां.. गांधी जी की योजना.. बहन बनाकर चो...

बरखा आगे बोल पाती इससे पहले ही सूरज बोला..
सूरज - दीदी... आप ना बहुत बेशर्म हो गई हो.. कुछ भी सोचती और बोलती हो.. और हाथ दो जरा आपका.. सूरज बरखा की उंगलियां सुघकर.. सिगरेट पी रही थी मेरे आने से पहले?

बरखा हस्ते हुए अपना हाथ छुड़ाकर सूरज को खाना खिलाते हुए - उसके लिए भी तुझसे पूछना पड़ेगा मुझे?

सूरज - कल कब की ट्रैन है?

बरखा - दिन की है.. 3 बजे की..

सूरज - मैं स्टेशन छोड़ दूंगा आपको..

बरखा - अच्छा? स्टेशन का रास्ता कितना सुनसान है.. तूने रास्ते में मेरे साथ कुछ ऐसा वैसा कर दिया तो? मैं क्या करूंगी? बोल..

सूरज - दी.. आपने मज़े लेने के लिए बुलाया है ना मुझे?

बरखा मुस्कुराते हुए - तेरे मज़े लेने के लिए बुलाने की क्या जरुरत है? वो तो फ़ोन पर ही ले लेती मैं.. मुझे तेरी ये प्यारी और मासूम सी शकल देखनी थी..

सूरज - देख ली? अब मैं जाऊ?

बरखा - बड़ी बहन मानता है ना मुझे.. मेरे लिए थोड़ी देर और नहीं रुक सकता?

सूरज - ठीक है...

बरखा - शराब पियेगा मेरे साथ?

सूरज - नहीं..

बरखा - पापा के साथ तो पिता है..

सूरज - कभी कभी..

बरखा - हाँ तो वो कभी आज मेरे साथ है..

सूरज - काकी को पता चल गया ना.. जान ले लेगी मेरी..

बरखा - बताएगा कौन? तू?

बरखा अपने पीता बंसी की छुपाई हुई शराब की बोतल निकालती है और दो पेग बनाती है और एक सूरज को दे देती है..

सूरज - दी.. आप कमाल हो..

बरखा शराब पीते हुए - एक पर्सनल बात पुछु?

सूरज पेग ख़त्म करके - हम्म..

बरखा भी अपना पेग ख़त्म करके - तेरी कोई गर्लफ्रेंड तो है नहीं.. फिर काम कैसे चलता है तेरा?

सूरज - कोनसा काम?

बरखा दूसरा पेग बनाकर सूरज को देती है फिर अपने हाथ से लंड हिलाने का इशारा करते हुए कहती है - ये काम.. अब समझा?

सूरज हसते हुए - मुझे ना अब शर्म आने लगी है आपके साथ..

बरखा मुस्कुराते हुए अपना दूसरा पेग पीकर - शर्माता हुआ कितना क्यूट लगता है तू.. वैसा बता ना.. सिर्फ हाथ से जयकारे लगाता है या कोई छेद भी ढूंढ़ रखा है छोटे नवाब के लिए?

सूरज दूसरा पेग पीकर - आपको क्यों बताऊ? वैसे भी बहन भाई के बीच ऐसी बातें अच्छी नहीं लगती.. और अब ज्यादा मत पियो.. नशा होने लगा है आपको..

बरखा तीसरा पेग बनाकर - एक आखिरी हो जाए बस..

सूरज पेग उठाकर - अगर काकी को पता चला ना तो फिर देख लेना आप..

बरखा पेग पीते हुए - उसकी चिंता छोड़ दे.. तू बता गर्लफ्रेंड है या नहीं.. अगर नहीं है तो मैं बनवा दूंगी.. मेरा छोटा भाई अपने हाथ से काम चलाये.. अच्छा थोड़ी लगता है..

सूरज - किसे बनाओगी मेरी गर्लफ्रेंड?

बरखा - लड़कियों की कोई कमी थोड़ी है उदयपुर में.. जिससे बोलेगा उसीके साथ करवा दूंगी..

सूरज कुछ सोचकर - सपना आंटी पसंद मुझे..

बरखा - वो पड़ोस वाली? 40 साल की बुड्ढी?

सूरज अपना पेग ख़त्म करके - अभी से कहा बुड्ढी हो गई वो?

बरखा अपना पेग ख़त्म करते हुए - तुझे बड़ी औरते पसंद है?

सूरज - कोई बुराई है इसमें?

बरखा हसते हुए - नहीं.. वो बात नहीं है.. तू फ़िक्र मत कर तेरा काम हो जाएगा..

सूरज अपने फ़ोन पर बिलाल का फ़ोन आता देखकर - घर से फ़ोन आ रहा है.. अब जाऊ?

बरखा - ठीक है किस्सी दे जा एक..

सूरज बरखा के गाल पर kiss करता है..

बरखा नशे में - गाल पर नहीं हनी.. होंठो पर..

सूरज हसते हुए - अब कुछ ज्यादा हो रहा है आपका दी..

बरखा - कोनसी तेरी इज़्ज़त लूट रही हूँ.. एक kiss के लिए ही तो बोला है.. छोटा था तब भी तो करता था..

सूरज हसते हुए - करता नहीं था आप जबरदस्ती चूमती थी मुझे.. वो तो कोई देखने वाला नहीं था वरना बच्चे को मोलेस्ट करने के चार्ज में जेल जाती आप..

बरखा सूरज की शर्ट का कॉलर पकड़कर - हाय रे बच्चा... जब भाग भाग कर खुद मेरे पास आता था और कहता था दीदी चुम्मी दो और खुद मेरे होंठों पर टूट पड़ता था.. उसका क्या? मज़ा तुझे भी पूरा आता था..

सूरज मुस्कुराते हुए - आदत तो आपने ही लगाईं थी.. मैं तो बच्चा था..

बरखा - सपना आंटी चाहिए तो बरखा दीदी को चुम्मी करनी पड़ेगी जैसे बचपन में करता था..

सूरज बरखा के होंठों पर अपने होंठ रखकर चूमते हुए - बस?? अब जाता हूँ.. टाइम पास ज्यादा हो गया.. आप ख्याल रखना अपना..

बरखा - कल टाइम से आ जाना.. वरना मैं चली जाउंगी..

सूरज जाते हुए - ठीक है..

बरखा सूरज के जाने के बाद एक और शराब का पेग बनाकर पीती है और सिगरेट जलाकर कश केती हुई सपना को फ़ोन कर देती है...

हेलो..

सो रही थी क्या भाभी?

नहीं बरखा.. टीवी देख रही थी.. अब बस सोने ही जा रही थी.. बोलो इतनी रात को कैसे याद आ गई मेरी?

सपना (40)
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मुझे नहीं किसी और को तुम्हारी याद आती है रातों में..

सपना हसते हुए - अच्छा? तुम्हारे पापा से कहो सत्संग करने की उम्र में सम्भोग करने के सपने ना देखे.. दूकान पर सामान लेने आती हूँ तो ब्लाउज में ऐसे झांकते है जैसे आँखों से घूर के ब्रा का साइज़ बढ़ा देंगे.. कुछ करो अपने पापा का तुम..

बरखा - अरे भाभी.. पापा के बारे में बात नहीं कर रही.. पापा तो है ही एक नम्बर के ठरकी.. एक प्यारा सा लड़का है 22-23 साल का.. भाई की तरह है मेरे.. पसंद करता है तुम्हे.. एक बार बेचारे को जन्नत दिखा दो.. खुश हो जाएगा..

सपना हसते हुए - तस्वीर भेज दे.. पसंद आया तो बताउंगी..

बरखा - भेजती हूँ...

बरखा सूरज की तस्वीर भेजती है.. सपना तस्वीर देखकर फौरन बरखा को मैसेज करती है.. भेज देना अपने भाई को.. पेट भरके खुश कर दूंगी उसे..

बरखा मैसेज पढ़कर मुस्कुराते हुए ok लिख देती है और सिगरेट के कश लेती हुई नशे में धुत होकर सोचती है कि अगर सूरज सपना के साथ ये सब कर सकता है वो उसके साथ भी कर सकता है.. बस सूरज को किसी तरह अपने साथ सोने के लिए मानना पड़ेगा..


**********


सूरज बरखा के घर से बिलाल के घर जाने को निकला तो रास्ते में झील किनारे उसे कई दुकाने रात के इस वक़्त भी खुली दिखाई दी.. जहाँ टूरिस्ट खड़े हुए थे.. कई खाने की तो कई फेंसी आइटम की शॉप्स थी कुछ कपड़ो की..
सूरज ने स्कूटी एक दूकान के आगे रोक दी और अंदर जाकर कुछ खरीदकर वापस आ गया और स्कूटी स्टार्ट करके सूरज अब सीधा बिलाल के घर आ गया फिर स्कूटी अंदर खड़ी करके दुकान में बैठ जाता है..

रात के साढ़े 11 बज चुके थे सूरज नशे के सुरूर में था.. हालांकि उसे ज्यादा नशा नहीं हुआ था मगर फिर भी उसे शराब का सुरूर होने लगा रहा.. दूकान का शटर नीचे था.. बिलाल अंदर से आते हुए कहता है..
बिलाल - हनी..

सूरज कुर्सी से उठकर - बिल्ले..

बिलाल - मैं ऊपर सोने जा रहा हूँ.. तेरी भाभी पीछे कमरे में है..

सूरज - बिल्ले एक बार फिर सोच ले..

बिलाल - हनी मैंने सो बार यही सोचा है.. तू बस जब तक नज़मा प्रेग्नेंट ना हो जाए तब तक संभाल ले..

सूरज - ठीक है बिल्ले.. किसीको पता ना चले बस..

बिलाल - तुझसे ज्यादा मुझे उस बात की चिंता है.. मैंने नज़मा को समझा दिया है वो तुझे नहीं रोकेगी..

सूरज - ठीक है..

बिलाल - सुबह 6 बजे मैं नीचे आऊंगा.. तब तक तू और नज़मा अकेले नीचे रहोगे.. किसी चीज़ की जरूरत हो तो नज़मा से कह देना.. मैं जाता हूँ..

बिलाल ऊपर सोने चला गया और सूरज धीमे धीमे कदमो से पीछे वाले कमरे में दाखिल हो गया.. कमरे में अंधेरा था और बाहर आँगन मे जल रहे लट्टू की हलकी सी रौशनी कमरे में आ रही थी जिससे मध्यम रोशनी मे अंदर का नज़ारा देखा जा सकता था.. नज़मा बेड पर बैठी हुई थी.. उसके गोरे बदन पर गुलाबी सलवार थी और सफ़ेद दुपट्टा उसके जोबन को ढके हुए था..
सूरज ने कमरे के अंदर आकर बिना दरवाजा बंद किये लाइट जलाने लगा तभी नज़मा बोली..

नज़मा - लाइट मत जलाइये भाईजान..

सूरज ने लाइट नहीं जलाई और नज़मा के पास बिस्तर पर आकर बैठ गया..

सूरज ने जो रास्ते में ख़रीदा था वो नज़मा को देते हुए - भाभी ये आपके लिए..

नज़मा ने सूरज से थैला लेकर उसके अंदर से एक आसमानी कलर का सूट निकाला और उसे हाथों में लेकर बाहर से आती रोशनी में देखते हुए महसूस किया.. नज़मा समझ गई कि ये किसी ख़ास दूकान से लिया हुआ है..
नज़मा - ये क्यों ख़रीदा भाईजान..

सूरज नज़मा के और करीब आते हुए - भाभी पहले तो ये भाईजान बोलना बंद करो.. वरना मुझसे कुछ नहीं होगा..

नज़मा सूरज की बात पर मुस्कुरा पड़ती है..
नज़मा अपनी नज़र उठकर एक नज़र सूरज को देखकर - शराब पी है आपने?

सूरज - जब शराब की बू आ रही है तो पूछती क्यों हो भाभी..

नज़मा - ताकि आप इंकार कर सको.. और मुझे लगे कि आप थोड़ा सा मेरा लिहाज करते हो.. और आपके अंदर कोई बुराई नहीं है..

सूरज - अच्छाई और बुराई तो सब में होती है भाभी..

नज़मा नज़र झुका कर उसी तरह नीचे देखते हुए - सही है.. कम से कम आप मुझसे सच तो बोल रहे हो..

सूरज - भाभी आप अक्सर चाय पिलाने के बाद पूछती थी ना कि चाय कैसी बनी है? पता है मेरा क्या कहने का मन करता था?

नज़मा सूरज को एक नज़र देखकर - क्या?

सूरज - यही कि चाय ऐसी बनी है.. मन करता है आपको अपनी बाहों में उठाके घर ले जाऊं.. और आपकी बनाई चाय आपके हाथों से पिऊ..

नज़मा फिर से मुस्करा पड़ती है..

सूरज अपना एक हाथ घुमाके नज़मा के कंधे पर रख देता है और नज़मा के कान के पास अपने होंठ लाकर कहता है - भाभी गर्मी लग रही है..

नज़मा धीरे से शरमाते हुए - पंखा तो चालु है..

सूरज - फिर भी गर्मी लग रही है.. क्या करू?

नज़मा कुछ सोचकर - मेरे पास छोटी पँखी है.. मैं लाकर हवा कर देती हूँ..

सूरज - उससे कुछ नहीं होगा भाभी.. आप मेरी शर्ट उतार दो शायद कुछ राहत मिले..

नज़मा सूरज कि बात का मतलब समझ गई और मुस्कुराते हुए फिर से सूरज को एक नज़र देखकर अपने दोनों हाथ से सूरज के शर्ट के बटन खोलने लगी और उसका शर्ट उतार कर बेड के एक तरफ रख दिया..

सूरज प्यार से - भाभी आपको गर्मी नहीं लग रही?

सूरज की बात सुनकर नज़मा शर्म से अपना चेहरा अपनी दोनों हथेलियों से छुपा लेती है..

सूरज नज़मा की कमर में हाथ डालकर उसकी कमर पकड़ लेता और अपनी गोद में नज़मा को उठाकर बैठा लेता है..

नज़मा शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी और उसका दिल जोर से धड़कते जा रहा था..
सूरज को नज़मा के कूल्हे का मुलायम और गद्देदार अहसास कामुकता से भर रहा था..

सूरज ने नज़मा का दुप्पटा हटा दिया और उसकी कुर्ती को अपने दोनों हाथो से पकड़कर उठाने लगा लेकिन नज़मा ने अब तक अपना चेहरा अपनी हथेलियों से ढक रखा था.. इसलिए कुर्ती नज़मा की छाती तक उठाने के बाद सूरज पीछे से नज़मा के कान में बोलता है..
सूरज - हाथ ऊंचे करो ना भाभी..

नज़मा शर्म के मारे कुछ नहीं करती तो सूरज उसके दोनों हाथ पकड़कर ऊपर कर देता है और उसकी कुर्ती को झट से उतार कर अपने शर्ट के पास रख देता है.. नज़मा सिर्फ ब्रा में सूरज की गोद में बैठी हुई थी और उसकी नंगी पीठ अब सूरज के नंगे सीने से टकरा रही थी जिससे नज़मा काम और शर्म के मारे फिर से अपने चेहरे को अपनी हथेलियों से छुपा लेती है और सूरज नज़मा की नंगी गोरी पीठ का अहसास पाकर और कामुक हो उठता है जिससे उसके लंड में अब और अकड़न आ जाती है जिसका अहसास नज़मा को अपने कुल्हो पर हो रहा था.. सूरज ने नज़मा के दोनों हाथों को अपने दोनों हाथों में पकड़ लिया और नीचे करते हुए उसके चेहरे से हथेलिया हटा दी..

सूरज नज़मा के कान में - एक बात बोलू भाभी?

नज़मा शर्माते हुए - क्या?

सूरज नज़मा की गर्दन चूमते हुए - मूझे लगा नहीं था भाभी आपके बूब्स इतने मोटे होंगे.. क्या साइज है इनका?


नज़मा शर्म से इस बार भी कुछ नहीं बोलती..

सूरज - मत बताओ भाभी.. मैं खुद ही देख लेता हूँ..
सूरज ने अपने दोनों हाथ नज़मा की कमर से धीरे धीरे ऊपर लेजाकर उसकी ब्रा के अंदर डाल दिए और नज़मा के दोनों चुचे अपने हाथों में पकड़ लिए.. नज़मा के मुंह से सिस्कारी निकल गयी.. और वो काम की भावना से भरने लगी..

सूरज ने बूब्स को दबाते हुए मसलना शुरु कर दिया और नज़मा के कान में बोला - भाभी 36 के है ना?

इतना कहकर सूरज ने बूब्स पर से हाथ हटाकर नज़मा की ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा उतारकार बाकी कपड़ो के साथ रख दी.. नज़मा ने ब्रा खुलते ही अपने दोनों बूब्स को अपने दोनों हाथों से छीपा लिया..

सूरज पीछे से नज़मा की पीठ और गर्दन चूमता हुआ बोला - कब तक छुपा के रखोगी भाभी?
फिर सूरज थोड़ा आगे होकर पीछे लेट गया और नज़मा को भी अपने ऊपर पीठ के बल लेटा लिया और करवट लेकर अपने ऊपर से दाई तरफ गिरा कर नज़मा की कमर में हाथ डालकर उसे अपने से चिपकाते हुए नज़मा के होंठों के करीब अपने होंठ लेजाकर बोला - भाभी.. मेरी तरफ देखो ना..

नज़मा की आँखे बंद थी और वो धीरे से सूरज की आँखों की तरफ देखने लगी..
सूरज - शादी के 4 साल बाद भी इतनी शर्म भाभी?

नज़मा धीरे से - बिस्तर में एक बेशर्म खाफी होता है भाईजान..

सूरज - फिर से भाईजान? आपके होंठों को तो सजा देनी पड़ेगी भाभी...

ये कहकर सूरज नज़मा के होंठों पर अपने होंठ रख देता है और नज़मा आँख बंद करके सूरज को अपने होंठों की शराब पिने की इज़ाज़त दे देती है...

सूरज धीरे धीरे नज़मा के ऊपर और नीचे के होंठ चूमता और और फिर नज़मा के होंठो से लड़ता हुआ नज़मा के मुंह में अपनी जीभ डालकर नज़मा की जीभ को छेड़ने लगता है नज़मा को इस चुम्बन में मज़ा आ रह था.. सूरज उसे पसंद था और सूरज के सॉफ्ट होंठ को वो महसूस कर रही थी.. अब धीरे धीरे नज़मा ने भी सूरज को अपने होंठो से चूमना शुरु कर दिया..

सूरज को जब अहसास हुआ की नज़मा भी अब उसे चूमने में बराबर का सहयोग कर रही है तो वो मादकता की बारिश में भीगने लगा और नज़मा की कमर को कसके पकड़ता हुआ होनी तरफ खींचकर बिना चुम्मा तोड़े नज़मा को पेट के बल अपने ऊपर लिटा लिया..

नज़मा ने अपने बूब्स पर से अपने हाथ हटाकर सूरज का चेहरा थाम लिया और उसके बालों में हाथ फेरते हुए उसे इस तरह चूमने लगी जैसे कुत्ते मुंह चाटते है..

सूरज के सीने में नज़मा के चुचो पर खड़े चुचक खंजर की तरह चुभ रहे थे.. जिसका अहसास उसे जन्नत का मज़ा दे रहा था..
सूरज ने अपने दोनों हाथ कमर से नीचे लेजाकर नज़मा की गांड पर रख दिए और नज़मा के चुत्तड़ पकड़कर जोर से मसलने लगा.. मगर नज़मा ने चुम्मा नहीं तोड़ा और सूरज को अपनी गांड दबाने और मसलने की खुली छूट दे दी..

नज़मा सूरज को ऐसे चुम रही थी जैसे वो बरसो से सूरज को चूमना चाहती हो.. दोनों के होंठो और जीभ के बीच युद्ध छिड़ा हुआ था जिसमे कोई भी हार मनाने को तैयार नहीं था..
नज़मा ने कभी बिलाल के साथ ऐसा कुछ नहीं किया था.. बिलाल सामान्य सा दिखने वाला आदमी थी मगर सूरज को देखकर किसी भी लड़की का मन मचल सकता था..
सूरज ने नज़मा को करवट लेकर अपने नीचे लेलिया और चुम्बन तोड़ दिया..

सूरज ने नज़मा के दोनों हाथ पकड़ कर ऊपर उठा दिए और नज़मा से बोला - बता तो दो भाभी.. 36 के है ना..
नज़मा बिना कुछ बोले मुस्कुराते हुए हाँ में सर हिला देती है और सूरज नज़मा के बूब्स को मुंह में भरकर चूसने और चाटने लगता है..

नज़मा की अह्ह्ह... निकल जाती है और वो अपने दोनों हाथ छुड़ा कर सूरज का सर पकड़कर अपने दोनों बूब्स बारी बारी से सूरज को चुसवाने लगती है..

सूरज नज़मा के बूब्स पर खड़े दाने को दांतो से खींचता हुआ पूरी मेहनत और प्यार के साथ चूसता है और नज़मा के बूब्स पर लव बाईट देने लगता है नज़मा सूरज को लव बाईट देने से नहीं रोकती और सूरज नज़मा की छाती पर अनेक लव बाईट के निशान छोड़ता हुआ उसके बूब्स को चूसता हुआ अपना एक हाथ पानी बहाती नज़मा की चुत पर लेजाकर रख देता है और सहलाने लगता है मगर नजमा सूरज के उस हाथ को पकड़ कर चुत सहलाते से रोकने की नाकाम कोशिश करती है.. पर सूरज बूब्स चूसते हुए चुत सहलाते सहलाते नज़मा को झड़ने पर मजबूर कर देता है और नज़मा चड्डी सलवार पहनें पहनें ही झड़ जाती है और झरना बहा देती है..

सूरज नज़मा के झड़ने के बाद उसकी सलवार का नाड़ा खींचकर खोल देता है और सलवार के साथ नज़मा की चड्डी भी एक ही बार में उतार देता है.. नज़मा अपने पैरों को मोड़ लेटी है और शर्म के उतारे हुए कपड़ो को उठाकर अपना मुंह छिपा लेती है..

सूरज खड़ा हो जाता है और कमरे से बाहर आकर बाथरूम में चला जाता है और मूतने लगता है.. उसी वक़्त सुमित्रा का फ़ोन आ जाता है.. रात के एक बज रहे थे..
सूरज - हेलो

सुमित्रा इस वक़्त घर की छत पर थी उसने कहा - हेलो सूरज?

हां.. माँ.. बोलो..

बेटू.. क्या कर रहा है?

माँ.. यार क्या बेतुके सवाल पूछ रही हो? बताया था ना आपको..

सुमित्रा - बेटू.. नाराज़ मत हो.. मैं तो बस यही पूछ रही थी कि कंडोम तो लगा रखा है ना तूने?

सूरज - हाँ लगा रखा है.. अब क्या फोटो भेजू आपको? सो जाओ ना आप.. सुबह आ जाऊंगा..

सुमित्रा - हनी..

सूरज - अब क्या है माँ?

सुमित्रा - मूझे चिंता हो रही है तेरी..

सूरज - माँ.. एक लड़की के साथ हूँ.. किसी चोर लुटेरे डाकू के साथ नहीं..

सुमित्रा - अपना ख्याल रखना.. और देखना कंडोम फट ना जाए.. बाय बेटू..

सूरज - बाय माँ..

सुमित्रा छत पर थी उसके बदन में भी कामुकता और मादकता भरी हुई थी वो ये सोचके काम कि भावना से भरी हुई थी कि उसका बेटा सूरज किसी के साथ इस वक़्त बिस्तर में चोदमपट्टी कर रहा होगा.. सुमित्रा घर कि छत पर ही सूरज के नाम कि ऊँगली करने लगी थी..

सूरज बाथरूम से वापस कमरे में आया तो बाहर से आती रौशनी में उसने देखा कि नज़मा वैसे ही अपने मुंह कपड़े से छिपा कर नंगी पड़ी हुई है.. सूरज इस बार कमरे का दरवाजा बंद कर दिया जिससे बाहर से आती रौशनी भी अंदर आनी बंद हो गई और कमरे में पूरा अंधकार छा गया.. नज़मा ने कपड़े से मुंह छिपाया हुआ था उसे इसका कोई पता नहीं चला कि सूरज ने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया है और अब उसने लाइट ऑन कर दी है.. लाइट की रौशनी में बिस्तर पर नंगी पड़ी नज़मा का बदन ऐसे चमक रहा था जैसे कोयले की खान में हिरा चमकता है..

सूरज ने अपनी जीन्स उतार दी और अब सिर्फ चड्डी मैं आ गया.. फिर नज़मा के पैरों की तरफ आकर उसकी दोनों टांगो को अपने हाथों दे खोलकर चौड़ा कर दिया और नज़मा की चुत जिसपर नज़मा की चुत से बहे झरने का पानी चिपका हुआ था बेडशीट के कपड़े से साफ करके अपने दोनों हाथ नज़मा की जांघो के जोड़ पर रखकर नज़मा की चुत खोलते हुए सूरज ने नज़मा की चुत से मुंह लगा लिया और नज़मा की चुत चाटना शुरु कर दिया..

नज़मा की चुत पर जब सूरज ने अपने होंठो को लगाया नज़मा के तन बदन में काम वासना की आधी उड़ने लगी जो सूरज को होने आंधी में उड़ा कर लेजाना चाहती थी.. नज़मा के हाथ कब अपने आप सूरज के सर पर पहुचे और कब नज़मा के मुंह से कामुक सिस्कारिया निकली उसे पता भी नहीं चला.. नज़मा को लाइट ऑन होने पर शर्म आ रही थी मगर काम सुख शर्म से कहीं ज्यादा था इसलिए नज़मा ने लाइट के ऑन होने की परवाह छोड़कर सम्भोग का आनद लेना जरुरी समझा...

सूरज नज़मा की चुत को ऐसे चूस चूस के चाट रहा था जैसे बॉलीवुड की हीरोइन प्रोडूसर का लंड चूसने के बाद आंड चाटती है.. सूरज अपने हाथों के दोनों अंगूठे से नज़मा की चुत चौड़ी करके अंदर तक चाट रहा था और दाने को चुम्मा रहा था जिससे नज़मा अपने आप पर काबू नहीं रख पाई और वापस झड़ गई मगर समय रहते सूरज ने अपना मुंह हटा लिया और वो नज़मा के पानी की धार में भीगने से बच गया..

नज़मा की साँसे तेज़ थी और उसका पूरा बदन पसीने से लथपथ.. चुचे साँसों के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे..
सूरज नज़मा के ऊपर आ गया और उसकी आखो में देखते हुए बोला - तैयार हो भाभी?

नज़मा काम भावना से पूरी तरह भर चुकी थी वो बोली - और मत तड़पाओ भाईजान.. डाल दो ना अब..

सूरज - भाभी आप ही सीखा दो कैसे ड़ालते है? मूझे कहा आता है डालना..

नज़मा सूरज की चड्डी नीची करके सूरज के खड़े लंड को अपनी चुत में अटका देती है और कहती है - घुसाओ ना भाईजान..

सूरज का दबाव डालके घुसाता है तो लंड गीली चुत में फिसलता हुआ चला जाता है और नज़मा सिसकते हुए अह्ह्ह करने लगती है.. सूरज का लंड बिलाल से बहुत बड़ा था जिसका अहसास अभी अभी नज़मा को होने लगा था और वो अपने दोनों हाथों से सूरज को अपनी बाहों में भरके उसके होंठो को चूमते हुए अपनी गांड उठा उठा कर सूरज से चुदवा रही थी..

नज़मा - अह्ह्ह्ह... अह्ह्ह.. भाईजान.. अह्ह्ह..

सूरज - भाभी आपके नीचे का मामला तो बहुत टाइट है.. बिल्ला ठीक से नहीं करता शयद..

नज़मा - अह्ह्ह भाईजान.. अह्ह्ह..

सूरज चोदते चोदते - भाभी.. चुत में लंड चला गया.. अब तो भाईजान मत बोलो.. सूरज कहो ना..

नज़मा अह्ह्ह्ह.. भाईजान.. कहते हुए फिर से सूरज को पकड़ लेती है और चूमने लगती है..
सूरज चोदना रोककर नज़मा की कमर पकड़कर उसे घोड़ी बना लेता है और फिर उसकी चुत मारने लगता है..

सूरज को जितना मज़ा नज़मा को घोड़ी बनाके चोदने में आ रहा था उसका ब्यान करपाना कठिन है.. सूरज को उन पल के लिए मोक्ष की प्राप्ति हो रही थी.. सूरज जितनी मोहब्बत के साथ नज़मा को घोड़ी बनाकर उसकी चुत में झटके मार रहा था उतनी तेज़ी से दोनों की चुदाई की आवाज कमरे में गूंज रही थी..

नज़मा के मुंह से सिस्कारिया निकल रही थी जिसे सुनकर सूरज कामसुख के घोड़े पर सवार था.. नज़मा की चुत वापस तीसरी बार झड़ने को बेताब थी..

सूरज ने घोड़ी के बाद नज़मा को चोदना छोड़कर बेड पर लेट गया और नज़मा से बोला - आओ भाभी सारी मेहनत मुझिसे करोगी? थोड़ी खुद भी तो करो.. आओ..

नज़मा लाइट के उजाले में शर्मा रही थी मगर काम वासना से भी भरी हुई थी.. नज़मा सूरज के लंड पर बैठ गई और धीरे धीरे अपनी गांड हिलाते हुए सूरज की आँखों में देखने लगी जैसे कह रही हो कि सूरज अब मूझे तुझसे कोई शर्म नहीं है..

दोनो काम वासना भरी आँखों से एक दूसरे को देख रहे थे और अब दोनों ही झड़ने कि कगार पर थे.. सूरज ने नज़मा कि कमर में हाथ डालकर उसे नीचे ले लिया और वापस मिशनरी में चोदते हुए नज़मा के साथ ही झड़ गया... और दोनों कुछ देर तक गहरी गहरी साँसों के साथ वैसे ही लेटे रहे...

सूरज नज़मा के बाल सवारते हुए - मुबारक हो भाभी...

नामज़ - आपको भी भाईजान...

सूरज - अब भी भाईजान बोलोगी?

नज़मा मुस्कुराते हुए - आपको भाईजान मानती हूँ तो भाईजान ही बोलूंगी ना.. तुम्हारी तरह मुंह पर कुछ और दिल में कुछ और तो नहीं है मेरे..

सूरज - भाईजान पसंद आये.. आपको भाभी?

नज़मा मुस्कुराते हुए - बहुत पसंद..

सूरज - बिलाल से भी ज्यादा पसंद?

नज़मा - कई गुना ज्यादा.. उसका और आपका तो कोई मेल ही नहीं..

सूरज - अपने पति कि बुराई कर रही हो भाभी?

नज़मा - बाहर तो निकाल लो भाईजान.. ऐसे ही सोने की इरादा है क्या?

सूरज - अभी दो बजे है भाई.. रहने दो अंदर बेचारे को अच्छा लग रहा है..

नज़मा - अह्ह्ह... आप ये क्या कर रहे हो भाईजान?

सूरज - भाभी वापस खड़ा हो गया क्या करू?

नज़मा हसते हुए - एक ही रात में प्रेग्नेंट कर दोगे तो वापस कैसे मिल पाओगे भाईजान..

सूरज नज़मा कि टांग फैला कर चोदते हुए - वो सब बाद में सोचेंगे भाभी... अह्ह्ह
नज़मा - अह्ह्ह.. अह्ह्ह.. भाईजान.. अह्ह्ह..
दोनों का सम्भोग वापस शुरु हो जाता है..

सुबह के साढ़े चार बजते बजते दोनों के बीच दो बार सम्भोग पूरा हो चूका होता है.. नज़मा दो बाद चुद चुकी थी.. और नज़मा सूरज के सीने पर लेटी हुई थी दोनों जागे हुए थे.. दोनों के बीच शर्म का पर्दा हट चूका था..

सूरज - सोचा नहीं था भाभी कभी हमारे बीच कुछ ऐसा भी होगा..

नज़मा - सही कहा भाईजान.. पहले तो मैं आपको सिर्फ पसंद करती थी मगर अब तो आपने मेरी रूह को भी छू लिया है.. मैं बता नहीं सकती अब आपकी ख़ुशी मेरे लिए कितने मायने रखती है.. मैं आपकी ख़ुशी के लिए कुछ भी कर सकती हूँ..

सूरज - कुछ भी?

नज़मा - हाँ कुछ भी..

सूरज - एक रात में इतना अपनापन?

नज़मा सूरज के ऊपर से उठते हुए - आप मूझे बच्चे का सुख देने वाले हो भाईजान.. आपकी ख़ुशी मेरे लिए मायने बहुत रखती है.. अपनापन तो पहले भी था आपसे.. बस कभी कह ना सकी.. आपने कहा था ना मेरे हाथों से चाय पीनी है आपको.. मैं अभी बनाके लाती हूँ.. और अपने हाथों से पीला भी दूंगी..

सूरज - भाभी इतना सब करने की क्या जरुरत?
नज़मा - आपकी इतनी सी ख्वाहिश भी पूरी ना कर पाई तो लानत है भाईजान मूझ पर..

नज़मा रसोई में चाय जाती है और 10 मिनट में चाय बनाकर ले आती है फिर सूरज की गोद में उसकी तरफ मुंह करके बैठ जाती है और अपने हाथ सूरज को चाय पिलाने लगती है..

नज़मा चाय पीलाते हुए - अगली बार शराब मत पीके आना भाईजान.. मैं अपने हाथों से पीला दूंगी..

सूरज - भाभी आपका और मेरा कुछ रातों का साथ है.. क्यों इश्क़ के बीज बो रही हो.. मैं ये ताल्लुक नहीं निभा पाऊंगा..

नज़मा - दिल पर किसी का जोर थोड़ी चलता है भाईजान? बिलाल जो चार साल में ना कर पाया आपने 4 घंटो में कर दिया.. आपकी बाहों से ऐसा महसूस होता है जैसे जिस्म को मखमली बिस्तर का बिछोना मिल गया हो.. इतनी प्यार भरी बातें तो कभी बिलाल ने भी नहीं की होंगी.. उसने बिस्तर में मेरा जिस्म हासिल किया है मगर आपने रूह भी हासिल की है.. आपकी बातें दिल को धड़काती है मूझे मेरे औरत होने का और मेरे वज़ूद का अहसास दिलाती है.. आपके साथ आज रात बिताकर लगता है मैं भी इंसान हूँ और मेरी भी अपनी ख़ुशी है.. वरना कब से मैं बस घुट घुट के परदे में जी रही थी..

सूरज - भाभी जबतक आपके बच्चा नहीं लग जाता.. मैं कोशिश करूंगा आपको बाकी हर ख़ुशी दे सकूँ.. अगली बार क्या तोहफा चाहिए बता दो? ला दूंगा..

नज़मा सूरज को चूमते हुए - मेरा तोहफा तो आप हो भाईजान.. आपके अलावा मूझे कुछ नहीं चाहिए..

सूरज - 5 बजने वाले है भाभी.. अब मूझे चलना चाहिए..

नज़मा - कुछ देर और रुक जाओ ना

भाईजान.. अभी तो अंधेरा है..

सूरज नज़मा के ऊपर आकर उसकी जुल्फ संवारते हुए - बिलाल नीचे आये उससे पहले मेरा चले जाना मुनासिफ होगा भाभी..
नज़मा - मेरे बदन पर आपने इतने निशान छोड़े है की बिलाल देखकर पागल ना हो जाए..

सूरज - तो उसे करीब क्यों आने देती हो भाभी.. कुछ दिन अपने से दूर ही रखो..

नज़मा हसते हुए - घर में मर्द की सुन्नी पड़ती है भाईजान.. औरतों तो बस हुक्म बजाने के लिए होती है..

सूरज - जमाना बदल गया है भाभी..

नज़मा - मेरी एक बात मानोगे?

सूरज - हर बात मानुगा.. बस कुछ ऐसा मत कह देना कि मैं मजबूर हो जाऊ..

नज़मा - मूझे मेरे नाम से बुलाओ ना भाईजान..

सूरज मुस्कुराते हुए - ये तो तभी मुमकिन है भाभी जब आप भी मूझे मेरे नाम से पुकारो..
नज़मा धीरे से - सूरज..

सूरज - नज़मा..

दोनों कुछ देर एक दूसरे को देखते है और आँखों ही आँखों में दोनों के होंठो को वापस मिलना पड़ता है और फिर सूरज दिवार घड़ी को देखकर कहता है - अब जाने दो नज़मा..

नज़मा - काश मैं हर दिन ऐसे ही बच्चों कि तरह आपको अपनी छाती से लगाकर रख पाती सूरज..

सूरज खड़ा होकर अपने कपड़े पहनते हुए - ऐसे ख़्वाब मत देखो नज़मा.. जब पुरे नहीं होते तो बहुत तकलीफ देते है.. जीना मुहाल कर देते है.. एक वक़्त निकल जाता है इन सब से निकलते हुए..

नज़मा बिना किसी शर्म के अब नंगी ही बेड से खड़ी हो जाती है और सूरज के सामने खड़ी होकर अपने घुटनो बैठते हुए सूरज का लंड पकड़कर कहती है - जो ख्वाब पुरे ना हो.. उन ख़्वाबो को देखना गलत नहीं है सूरज.. मैं जानती हूँ आप मेरे कभी नहीं बन सकते.. इसका मतलब ये नहीं कि आपके साथ मैं ख्वाबों में भी एकसाथ नहीं जी सकती..

इतना कहकर नज़मा सूरज का लंड मुंह में भर लेती है और चूसने लगती है नज़मा blowjob देने लगती है..

सूरज के लंड में अकड़न आने लगती है मगर सूरज नज़मा के मुंह से लंड निकालकर पेंट पहन लेता है और नज़मा से कहता है - छः बजने वाले है.. कपड़े पहन लो बिलाल कभी भी नीचे आ सकता है..

नज़मा - जाने से पहले एक चुम्मा भी नहीं दोगे सूरज?

सूरज नज़मा को बाहों में भरके चूमते हुए - अपना ख्याल रखना..

नज़मा मुस्कुराते हुए - आप भी..


सूरज अपनी स्कूटी उठाकर नज़मा के घर से निकल जाता है और नज़मा कपड़े पहन कर सबसे पहले कमरे को ठीक करती है बेडशीट बदलती है और नहाती है.. सात बजे बिलाल नीचे आता है और नज़मा से बात किये बिना ही नहा कर अपना दैनिक काम कर दूकान का शटर ऊपर करके दूकान संभालता है..

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Gazab ki update he moms_bachha Bro,

Ek aur nayi nayika aa gayi he sapna aunty ke rup me honey ki jindagi me........

Nazma ko to ek hi raat me apna bana liya honey ne............

Shandar Bro, Keep rocking
 

sunoanuj

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Update 9



रात के 10 बजे सूरज सीढ़ियों से नीचे हॉल में आया तो उसके पापा ने कहा..

जयप्रकाश - इतना तैयार होके कहा जा रहा है?

सूरज - पापा वो एक दोस्त का bday है.. बस वही जा रहा था.. आज रात वही रहूँगा.. आपके स्कूटी कि चाबी चाहिए...

जयप्रकाश - वही कमरे में रखी होगी.. ले ले..

सूरज - ठीक है.. सूरज कमरे में जाता है तो पीछे पीछे सुमित्रा भी कमरे में चली जाती है..

सुमित्रा - तू सच में दोस्त के bday पर जा रहा है या कहीं और? सच बताना..

सूरज - दोस्त के bday में ही जा रहा हूँ माँ.. आप भी क्या मेरे पीछे ही पड़ी रहती हो हमेशा.. आजकल बहुत नज़र रखती हो मुझपर जैसे मैं कोई क्रिमिनल हूं.

सुमित्रा - खा मेरी कसम.. तू दोस्त के bday में जा रहा है..

सूरज - मैं कसम वसम नहीं मानता समझी आप..

सुमित्रा - तो खा ना मेरी कसम..

सूरज - मैं नहीं खाऊंगा..

सुमित्रा - सच बता कहा जा रहा है? वरना घर से कदम बाहर रखने नहीं दूंगी तुझे.. किसी लड़की से मिलने जा रहा है ना.. जैसे सगाई वाली रात मिलके आया था.. जो पैसे लेकर वो सब करती है.. बोल..

सूरज - माँ... क्या बोल रही हो..

सुमित्रा - सच बता सूरज..

सूरज - ठीक है.. पापा को नहीं बताओगी..

सुमित्रा - किसी को नहीं कहूँगी.. बता..

सूरज कोई झूठ बात सोचकर - दोस्त की ex गर्लफ्रेंड है किसी होटल में मिलने बुलाया है..

सुमित्रा - और तेरे उस दोस्त का क्या? उसे पता ये सब?

सूरज - माँ ex गर्लफ्रेंड है.. उसे अब क्या मतलब..

सुमित्रा अपने ब्लाउज में से बटुआ निकालकर 1 हज़ार रुपए सूरज की जेब में रख देती है और कहती है - कंडोम पहन के करना जो करना है.. आजकल की लड़किया बहुत तेज़ हो गई है.. किसी भी शरीफ लड़के अपने जाल फँसाना उन्हें अच्छे से आता है.. समझा?

सुमित्रा का पल्लू हटा हुआ था और ब्लाउज में उसकी क्लीवेज साफ साफ सूरज को दिख रही थी.. जिसे सुमित्रा ने जानबूझ कर खुला छोड़ दिया था ताकि सूरज उसकी और आकर्षित हो सके मगर सूरज ने वो सब देखकर सुमित्रा से कहा..
सूरज - समझ गया माँ.. और आप अपना ये खज़ाना छुपा लो.. पापा की नज़र पड़ गई तो अगले साल मेरा छोटा भाई या बहन पैदा हो जाएगा..

सुमित्रा सूरज की बात सुनकर हसते हुए बिना अपना पल्लू अपने ब्लाउज के ऊपर किये बोली - नहीं होगा.. तेरे पापा सालों पहले ही अपनी हिम्मत हार चुके है..

सूरज हसते हुए - तभी अक्सर आप वो गाना गाती हो.. मैं क्या करू राम मुझे बुड्ढा मिल गया..

सुमित्रा हसते हुए - चुप शैतान.. मा से कोई ऐसे बात करता है भला? अब जा.. और सुबह जल्दी आ जाना.. रात को कोई भी परेशानी हो मुझे फ़ोन या मैसेज करना..

सूरज सुमित्रा को बाहो मे लेके गाल पर चुम्मा देकर - माँ आप बहुत प्यारी हो.. काश कोई आपके जैसी मुझे भी मिल जाए..

सुमित्रा - अच्छा? क्या करेगा अगर कोई मेरी जैसी मिल गई तो?

सूरज - सब सोचा हुआ माँ.. पहले शादी फिर सुहागरात उसके बाद 8-10 बच्चे..

सुमित्रा चौंकते हुए - 8-10?

सूरज - क्यों कम है? ज्यादा भी हो सकते है..

सुमित्रा हस्ते हुए - अच्छा अब मुझे छोड़.. तेरे पापा हम दोनों को ऐसे देखेंगे तो गलत समझेंगे..

सूरज - तो समझने दो.. गले लगने मे भी कोई अगर गलत समझें तो हम क्या कर सकते है? मैं तो अपनी मा को अपनी मर्ज़ी से छोडूंगा..

सुमित्रा - अच्छा? मुझे ऐसे बाहो मे भरके खड़ा रहेगा तो तेरी उस दोस्त की गर्लफ्रेंड का क्या होगा जो तेरा इंतजार कर रही है?

सूरज - उसे इंतजार करने दो.. मेरे लिए मेरी मा से बढ़कर कोई है..

सुमित्रा और सूरज गले लगे हुए थे और बात कर रहे थे बात करते करते उनके चेहरे एकदूसरे के कितने करीब आ गए थे उन्हें भी पता नहीं चला.. सुमित्रा तो जैसे अपना संयम खोने है वाली थी अगर बाहर से जयप्रकाश के खांसाने की आवाज ना आती तो शायद आज सुमित्रा ने सूरज के होंठो पर अपनी मोहब्बत या कहो हवस की मुहर लगा है देती..

जयप्रकाश की खांसी सुनकर सूरज ने सुमित्रा से कहाँ - पापा को खांसी की दवा दे दो.. दो दिनों से बहुत खांसी हो रही है उन्हें.. और अब अपना ये खज़ाना भी छीपा लो.. सूरज ने सुमित्रा को बाहो से आजाद करते हुए उसका पल्लू ब्लाउज के ऊपर करते हुए कहा..

सुमित्रा उदासी से - ऐसे खज़ाने का क्या फ़ायदा जिसे कोई लूटने वाला है ना हो..

सूरज - क्या कहा आपने?

सुमित्रा - कुछ नहीं.. अब जा..

सूरज सुमित्रा के गाल पर चुम्मा देकर - बाय माँ..

सुमित्रा की बात को सूरज ने सुन लिया था और अनजान बनकर उसे अनसुना भी कर दिया था मगर सूरज को अब इस बात का अहसास हो चूका था की सुमित्रा कितनी अकेली है और उससे बात करने वाला और उसके साथ वक़्त बिताने वाला कोई है नहीं.. जयप्रकाश भी सुमित्रा के साथ उतना वक़्त नहीं बताते थे वो अकसर अपने दोस्तों या दफ़्तर की फाइल्स मे गुस्से रहते थे..

सूरज घर से निकलता है कि उसके फ़ोन पर बरखा का फ़ोन आ जाता है..

हेलो

क्या कर रहा है हनी..

कुछ नहीं दी..

घर आ सकता है?

इस वक़्त? आ जाऊंगा पर.. सब ठीक है ना?

हाँ सब ठीक है.. तू आजा..

बात क्या है दी? बताओ ना..

अरे कुछ नहीं.. कोई जरुरी काम कर रहा है तो रहने दे.. कोई बात नहीं..

नहीं दी.. आपसे ज्यादा क्या जरुरी काम? बस खाना खाने जा रहा था.. आता हूँ..

आजा.. अपने हाथ से खाना बनाके खिला दूंगी तुझे..

बरखा ने फ़ोन काट दिया और मुस्कुराते हुए हनी के बारे में सोचने लगी.. पीछे कुछ दिनों से उसके मन में सूरज ही घूम रहा था.. सिर्फ उसके ही नहीं हेमलता के भी.. मगर हेमलता ने अपनी भावनाओं पर काबू पा लिया था.. बरखा को ना जाने क्यों आज सूरज से मिलने कि तलब हुई और उसने रात के इस वक़्त उसे फ़ोन कर दिया.. सूरज कुछ ही देर में बरखा के घर आ गया और बरखा ने दरवाजा खोलकर सूरज को घर के अंदर रसोई में ले गई..

क्या हुआ दी? और काका काकी कहा है?

वो तो यात्रा में गए है कल सुबह आ जायेंगे.. तेरे लिए पराठे बनाये है.. खिला दूँ अपने हाथ से?

क्या बात है दी.. बड़ा प्यार आ रहा है मुझ पर आपको आज?

क्यों? नहीं आ सकता?

नहीं.. आ सकता है.. पर आज कुछ ज्यादा ही आ रहा है ना इसलिए पूछ लिया..

बरखा अपने हाथ सूरज को खाना खिलाती हुई - कल मैं वापस जा रही हूँ.. सोचा एक बार अपने हनी से मिल लूँ.. इसलिए बुला लिया.. गलत किया?

सूरज खाना खाते हुए - नहीं.. अच्छा किया दी.. आप कुछ और दिन रह जाती ना दी..

वापस आउंगी तब रहूंगी.. लेकिन एक बात बता.. तू इतना सज धज के क्यों आया है?
मुझे इम्प्रेस करने के लिए?

आपको इम्प्रेस करने के लिए मुझे सजने की जरुरत है? और वैसे आपको इम्प्रेस करके मुझे क्या मिलेगा? आपको तो अपनी बड़ी बहन मानता हूँ मैं..

बरखा खाना खिलाते हुए - मैं अच्छे से जानती हूँ आजकल के लड़को को.. वो क्या कहते है.. हां.. गांधी जी की योजना.. बहन बनाकर चो...

बरखा आगे बोल पाती इससे पहले ही सूरज बोला..
सूरज - दीदी... आप ना बहुत बेशर्म हो गई हो.. कुछ भी सोचती और बोलती हो.. और हाथ दो जरा आपका.. सूरज बरखा की उंगलियां सुघकर.. सिगरेट पी रही थी मेरे आने से पहले?

बरखा हस्ते हुए अपना हाथ छुड़ाकर सूरज को खाना खिलाते हुए - उसके लिए भी तुझसे पूछना पड़ेगा मुझे?

सूरज - कल कब की ट्रैन है?

बरखा - दिन की है.. 3 बजे की..

सूरज - मैं स्टेशन छोड़ दूंगा आपको..

बरखा - अच्छा? स्टेशन का रास्ता कितना सुनसान है.. तूने रास्ते में मेरे साथ कुछ ऐसा वैसा कर दिया तो? मैं क्या करूंगी? बोल..

सूरज - दी.. आपने मज़े लेने के लिए बुलाया है ना मुझे?

बरखा मुस्कुराते हुए - तेरे मज़े लेने के लिए बुलाने की क्या जरुरत है? वो तो फ़ोन पर ही ले लेती मैं.. मुझे तेरी ये प्यारी और मासूम सी शकल देखनी थी..

सूरज - देख ली? अब मैं जाऊ?

बरखा - बड़ी बहन मानता है ना मुझे.. मेरे लिए थोड़ी देर और नहीं रुक सकता?

सूरज - ठीक है...

बरखा - शराब पियेगा मेरे साथ?

सूरज - नहीं..

बरखा - पापा के साथ तो पिता है..

सूरज - कभी कभी..

बरखा - हाँ तो वो कभी आज मेरे साथ है..

सूरज - काकी को पता चल गया ना.. जान ले लेगी मेरी..

बरखा - बताएगा कौन? तू?

बरखा अपने पीता बंसी की छुपाई हुई शराब की बोतल निकालती है और दो पेग बनाती है और एक सूरज को दे देती है..

सूरज - दी.. आप कमाल हो..

बरखा शराब पीते हुए - एक पर्सनल बात पुछु?

सूरज पेग ख़त्म करके - हम्म..

बरखा भी अपना पेग ख़त्म करके - तेरी कोई गर्लफ्रेंड तो है नहीं.. फिर काम कैसे चलता है तेरा?

सूरज - कोनसा काम?

बरखा दूसरा पेग बनाकर सूरज को देती है फिर अपने हाथ से लंड हिलाने का इशारा करते हुए कहती है - ये काम.. अब समझा?

सूरज हसते हुए - मुझे ना अब शर्म आने लगी है आपके साथ..

बरखा मुस्कुराते हुए अपना दूसरा पेग पीकर - शर्माता हुआ कितना क्यूट लगता है तू.. वैसा बता ना.. सिर्फ हाथ से जयकारे लगाता है या कोई छेद भी ढूंढ़ रखा है छोटे नवाब के लिए?

सूरज दूसरा पेग पीकर - आपको क्यों बताऊ? वैसे भी बहन भाई के बीच ऐसी बातें अच्छी नहीं लगती.. और अब ज्यादा मत पियो.. नशा होने लगा है आपको..

बरखा तीसरा पेग बनाकर - एक आखिरी हो जाए बस..

सूरज पेग उठाकर - अगर काकी को पता चला ना तो फिर देख लेना आप..

बरखा पेग पीते हुए - उसकी चिंता छोड़ दे.. तू बता गर्लफ्रेंड है या नहीं.. अगर नहीं है तो मैं बनवा दूंगी.. मेरा छोटा भाई अपने हाथ से काम चलाये.. अच्छा थोड़ी लगता है..

सूरज - किसे बनाओगी मेरी गर्लफ्रेंड?

बरखा - लड़कियों की कोई कमी थोड़ी है उदयपुर में.. जिससे बोलेगा उसीके साथ करवा दूंगी..

सूरज कुछ सोचकर - सपना आंटी पसंद मुझे..

बरखा - वो पड़ोस वाली? 40 साल की बुड्ढी?

सूरज अपना पेग ख़त्म करके - अभी से कहा बुड्ढी हो गई वो?

बरखा अपना पेग ख़त्म करते हुए - तुझे बड़ी औरते पसंद है?

सूरज - कोई बुराई है इसमें?

बरखा हसते हुए - नहीं.. वो बात नहीं है.. तू फ़िक्र मत कर तेरा काम हो जाएगा..

सूरज अपने फ़ोन पर बिलाल का फ़ोन आता देखकर - घर से फ़ोन आ रहा है.. अब जाऊ?

बरखा - ठीक है किस्सी दे जा एक..

सूरज बरखा के गाल पर kiss करता है..

बरखा नशे में - गाल पर नहीं हनी.. होंठो पर..

सूरज हसते हुए - अब कुछ ज्यादा हो रहा है आपका दी..

बरखा - कोनसी तेरी इज़्ज़त लूट रही हूँ.. एक kiss के लिए ही तो बोला है.. छोटा था तब भी तो करता था..

सूरज हसते हुए - करता नहीं था आप जबरदस्ती चूमती थी मुझे.. वो तो कोई देखने वाला नहीं था वरना बच्चे को मोलेस्ट करने के चार्ज में जेल जाती आप..

बरखा सूरज की शर्ट का कॉलर पकड़कर - हाय रे बच्चा... जब भाग भाग कर खुद मेरे पास आता था और कहता था दीदी चुम्मी दो और खुद मेरे होंठों पर टूट पड़ता था.. उसका क्या? मज़ा तुझे भी पूरा आता था..

सूरज मुस्कुराते हुए - आदत तो आपने ही लगाईं थी.. मैं तो बच्चा था..

बरखा - सपना आंटी चाहिए तो बरखा दीदी को चुम्मी करनी पड़ेगी जैसे बचपन में करता था..

सूरज बरखा के होंठों पर अपने होंठ रखकर चूमते हुए - बस?? अब जाता हूँ.. टाइम पास ज्यादा हो गया.. आप ख्याल रखना अपना..

बरखा - कल टाइम से आ जाना.. वरना मैं चली जाउंगी..

सूरज जाते हुए - ठीक है..

बरखा सूरज के जाने के बाद एक और शराब का पेग बनाकर पीती है और सिगरेट जलाकर कश केती हुई सपना को फ़ोन कर देती है...

हेलो..

सो रही थी क्या भाभी?

नहीं बरखा.. टीवी देख रही थी.. अब बस सोने ही जा रही थी.. बोलो इतनी रात को कैसे याद आ गई मेरी?

सपना (40)
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मुझे नहीं किसी और को तुम्हारी याद आती है रातों में..

सपना हसते हुए - अच्छा? तुम्हारे पापा से कहो सत्संग करने की उम्र में सम्भोग करने के सपने ना देखे.. दूकान पर सामान लेने आती हूँ तो ब्लाउज में ऐसे झांकते है जैसे आँखों से घूर के ब्रा का साइज़ बढ़ा देंगे.. कुछ करो अपने पापा का तुम..

बरखा - अरे भाभी.. पापा के बारे में बात नहीं कर रही.. पापा तो है ही एक नम्बर के ठरकी.. एक प्यारा सा लड़का है 22-23 साल का.. भाई की तरह है मेरे.. पसंद करता है तुम्हे.. एक बार बेचारे को जन्नत दिखा दो.. खुश हो जाएगा..

सपना हसते हुए - तस्वीर भेज दे.. पसंद आया तो बताउंगी..

बरखा - भेजती हूँ...

बरखा सूरज की तस्वीर भेजती है.. सपना तस्वीर देखकर फौरन बरखा को मैसेज करती है.. भेज देना अपने भाई को.. पेट भरके खुश कर दूंगी उसे..

बरखा मैसेज पढ़कर मुस्कुराते हुए ok लिख देती है और सिगरेट के कश लेती हुई नशे में धुत होकर सोचती है कि अगर सूरज सपना के साथ ये सब कर सकता है वो उसके साथ भी कर सकता है.. बस सूरज को किसी तरह अपने साथ सोने के लिए मानना पड़ेगा..


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सूरज बरखा के घर से बिलाल के घर जाने को निकला तो रास्ते में झील किनारे उसे कई दुकाने रात के इस वक़्त भी खुली दिखाई दी.. जहाँ टूरिस्ट खड़े हुए थे.. कई खाने की तो कई फेंसी आइटम की शॉप्स थी कुछ कपड़ो की..
सूरज ने स्कूटी एक दूकान के आगे रोक दी और अंदर जाकर कुछ खरीदकर वापस आ गया और स्कूटी स्टार्ट करके सूरज अब सीधा बिलाल के घर आ गया फिर स्कूटी अंदर खड़ी करके दुकान में बैठ जाता है..

रात के साढ़े 11 बज चुके थे सूरज नशे के सुरूर में था.. हालांकि उसे ज्यादा नशा नहीं हुआ था मगर फिर भी उसे शराब का सुरूर होने लगा रहा.. दूकान का शटर नीचे था.. बिलाल अंदर से आते हुए कहता है..
बिलाल - हनी..

सूरज कुर्सी से उठकर - बिल्ले..

बिलाल - मैं ऊपर सोने जा रहा हूँ.. तेरी भाभी पीछे कमरे में है..

सूरज - बिल्ले एक बार फिर सोच ले..

बिलाल - हनी मैंने सो बार यही सोचा है.. तू बस जब तक नज़मा प्रेग्नेंट ना हो जाए तब तक संभाल ले..

सूरज - ठीक है बिल्ले.. किसीको पता ना चले बस..

बिलाल - तुझसे ज्यादा मुझे उस बात की चिंता है.. मैंने नज़मा को समझा दिया है वो तुझे नहीं रोकेगी..

सूरज - ठीक है..

बिलाल - सुबह 6 बजे मैं नीचे आऊंगा.. तब तक तू और नज़मा अकेले नीचे रहोगे.. किसी चीज़ की जरूरत हो तो नज़मा से कह देना.. मैं जाता हूँ..

बिलाल ऊपर सोने चला गया और सूरज धीमे धीमे कदमो से पीछे वाले कमरे में दाखिल हो गया.. कमरे में अंधेरा था और बाहर आँगन मे जल रहे लट्टू की हलकी सी रौशनी कमरे में आ रही थी जिससे मध्यम रोशनी मे अंदर का नज़ारा देखा जा सकता था.. नज़मा बेड पर बैठी हुई थी.. उसके गोरे बदन पर गुलाबी सलवार थी और सफ़ेद दुपट्टा उसके जोबन को ढके हुए था..
सूरज ने कमरे के अंदर आकर बिना दरवाजा बंद किये लाइट जलाने लगा तभी नज़मा बोली..

नज़मा - लाइट मत जलाइये भाईजान..

सूरज ने लाइट नहीं जलाई और नज़मा के पास बिस्तर पर आकर बैठ गया..

सूरज ने जो रास्ते में ख़रीदा था वो नज़मा को देते हुए - भाभी ये आपके लिए..

नज़मा ने सूरज से थैला लेकर उसके अंदर से एक आसमानी कलर का सूट निकाला और उसे हाथों में लेकर बाहर से आती रोशनी में देखते हुए महसूस किया.. नज़मा समझ गई कि ये किसी ख़ास दूकान से लिया हुआ है..
नज़मा - ये क्यों ख़रीदा भाईजान..

सूरज नज़मा के और करीब आते हुए - भाभी पहले तो ये भाईजान बोलना बंद करो.. वरना मुझसे कुछ नहीं होगा..

नज़मा सूरज की बात पर मुस्कुरा पड़ती है..
नज़मा अपनी नज़र उठकर एक नज़र सूरज को देखकर - शराब पी है आपने?

सूरज - जब शराब की बू आ रही है तो पूछती क्यों हो भाभी..

नज़मा - ताकि आप इंकार कर सको.. और मुझे लगे कि आप थोड़ा सा मेरा लिहाज करते हो.. और आपके अंदर कोई बुराई नहीं है..

सूरज - अच्छाई और बुराई तो सब में होती है भाभी..

नज़मा नज़र झुका कर उसी तरह नीचे देखते हुए - सही है.. कम से कम आप मुझसे सच तो बोल रहे हो..

सूरज - भाभी आप अक्सर चाय पिलाने के बाद पूछती थी ना कि चाय कैसी बनी है? पता है मेरा क्या कहने का मन करता था?

नज़मा सूरज को एक नज़र देखकर - क्या?

सूरज - यही कि चाय ऐसी बनी है.. मन करता है आपको अपनी बाहों में उठाके घर ले जाऊं.. और आपकी बनाई चाय आपके हाथों से पिऊ..

नज़मा फिर से मुस्करा पड़ती है..

सूरज अपना एक हाथ घुमाके नज़मा के कंधे पर रख देता है और नज़मा के कान के पास अपने होंठ लाकर कहता है - भाभी गर्मी लग रही है..

नज़मा धीरे से शरमाते हुए - पंखा तो चालु है..

सूरज - फिर भी गर्मी लग रही है.. क्या करू?

नज़मा कुछ सोचकर - मेरे पास छोटी पँखी है.. मैं लाकर हवा कर देती हूँ..

सूरज - उससे कुछ नहीं होगा भाभी.. आप मेरी शर्ट उतार दो शायद कुछ राहत मिले..

नज़मा सूरज कि बात का मतलब समझ गई और मुस्कुराते हुए फिर से सूरज को एक नज़र देखकर अपने दोनों हाथ से सूरज के शर्ट के बटन खोलने लगी और उसका शर्ट उतार कर बेड के एक तरफ रख दिया..

सूरज प्यार से - भाभी आपको गर्मी नहीं लग रही?

सूरज की बात सुनकर नज़मा शर्म से अपना चेहरा अपनी दोनों हथेलियों से छुपा लेती है..

सूरज नज़मा की कमर में हाथ डालकर उसकी कमर पकड़ लेता और अपनी गोद में नज़मा को उठाकर बैठा लेता है..

नज़मा शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी और उसका दिल जोर से धड़कते जा रहा था..
सूरज को नज़मा के कूल्हे का मुलायम और गद्देदार अहसास कामुकता से भर रहा था..

सूरज ने नज़मा का दुप्पटा हटा दिया और उसकी कुर्ती को अपने दोनों हाथो से पकड़कर उठाने लगा लेकिन नज़मा ने अब तक अपना चेहरा अपनी हथेलियों से ढक रखा था.. इसलिए कुर्ती नज़मा की छाती तक उठाने के बाद सूरज पीछे से नज़मा के कान में बोलता है..
सूरज - हाथ ऊंचे करो ना भाभी..

नज़मा शर्म के मारे कुछ नहीं करती तो सूरज उसके दोनों हाथ पकड़कर ऊपर कर देता है और उसकी कुर्ती को झट से उतार कर अपने शर्ट के पास रख देता है.. नज़मा सिर्फ ब्रा में सूरज की गोद में बैठी हुई थी और उसकी नंगी पीठ अब सूरज के नंगे सीने से टकरा रही थी जिससे नज़मा काम और शर्म के मारे फिर से अपने चेहरे को अपनी हथेलियों से छुपा लेती है और सूरज नज़मा की नंगी गोरी पीठ का अहसास पाकर और कामुक हो उठता है जिससे उसके लंड में अब और अकड़न आ जाती है जिसका अहसास नज़मा को अपने कुल्हो पर हो रहा था.. सूरज ने नज़मा के दोनों हाथों को अपने दोनों हाथों में पकड़ लिया और नीचे करते हुए उसके चेहरे से हथेलिया हटा दी..

सूरज नज़मा के कान में - एक बात बोलू भाभी?

नज़मा शर्माते हुए - क्या?

सूरज नज़मा की गर्दन चूमते हुए - मूझे लगा नहीं था भाभी आपके बूब्स इतने मोटे होंगे.. क्या साइज है इनका?


नज़मा शर्म से इस बार भी कुछ नहीं बोलती..

सूरज - मत बताओ भाभी.. मैं खुद ही देख लेता हूँ..
सूरज ने अपने दोनों हाथ नज़मा की कमर से धीरे धीरे ऊपर लेजाकर उसकी ब्रा के अंदर डाल दिए और नज़मा के दोनों चुचे अपने हाथों में पकड़ लिए.. नज़मा के मुंह से सिस्कारी निकल गयी.. और वो काम की भावना से भरने लगी..

सूरज ने बूब्स को दबाते हुए मसलना शुरु कर दिया और नज़मा के कान में बोला - भाभी 36 के है ना?

इतना कहकर सूरज ने बूब्स पर से हाथ हटाकर नज़मा की ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा उतारकार बाकी कपड़ो के साथ रख दी.. नज़मा ने ब्रा खुलते ही अपने दोनों बूब्स को अपने दोनों हाथों से छीपा लिया..

सूरज पीछे से नज़मा की पीठ और गर्दन चूमता हुआ बोला - कब तक छुपा के रखोगी भाभी?
फिर सूरज थोड़ा आगे होकर पीछे लेट गया और नज़मा को भी अपने ऊपर पीठ के बल लेटा लिया और करवट लेकर अपने ऊपर से दाई तरफ गिरा कर नज़मा की कमर में हाथ डालकर उसे अपने से चिपकाते हुए नज़मा के होंठों के करीब अपने होंठ लेजाकर बोला - भाभी.. मेरी तरफ देखो ना..

नज़मा की आँखे बंद थी और वो धीरे से सूरज की आँखों की तरफ देखने लगी..
सूरज - शादी के 4 साल बाद भी इतनी शर्म भाभी?

नज़मा धीरे से - बिस्तर में एक बेशर्म खाफी होता है भाईजान..

सूरज - फिर से भाईजान? आपके होंठों को तो सजा देनी पड़ेगी भाभी...

ये कहकर सूरज नज़मा के होंठों पर अपने होंठ रख देता है और नज़मा आँख बंद करके सूरज को अपने होंठों की शराब पिने की इज़ाज़त दे देती है...

सूरज धीरे धीरे नज़मा के ऊपर और नीचे के होंठ चूमता और और फिर नज़मा के होंठो से लड़ता हुआ नज़मा के मुंह में अपनी जीभ डालकर नज़मा की जीभ को छेड़ने लगता है नज़मा को इस चुम्बन में मज़ा आ रह था.. सूरज उसे पसंद था और सूरज के सॉफ्ट होंठ को वो महसूस कर रही थी.. अब धीरे धीरे नज़मा ने भी सूरज को अपने होंठो से चूमना शुरु कर दिया..

सूरज को जब अहसास हुआ की नज़मा भी अब उसे चूमने में बराबर का सहयोग कर रही है तो वो मादकता की बारिश में भीगने लगा और नज़मा की कमर को कसके पकड़ता हुआ होनी तरफ खींचकर बिना चुम्मा तोड़े नज़मा को पेट के बल अपने ऊपर लिटा लिया..

नज़मा ने अपने बूब्स पर से अपने हाथ हटाकर सूरज का चेहरा थाम लिया और उसके बालों में हाथ फेरते हुए उसे इस तरह चूमने लगी जैसे कुत्ते मुंह चाटते है..

सूरज के सीने में नज़मा के चुचो पर खड़े चुचक खंजर की तरह चुभ रहे थे.. जिसका अहसास उसे जन्नत का मज़ा दे रहा था..
सूरज ने अपने दोनों हाथ कमर से नीचे लेजाकर नज़मा की गांड पर रख दिए और नज़मा के चुत्तड़ पकड़कर जोर से मसलने लगा.. मगर नज़मा ने चुम्मा नहीं तोड़ा और सूरज को अपनी गांड दबाने और मसलने की खुली छूट दे दी..

नज़मा सूरज को ऐसे चुम रही थी जैसे वो बरसो से सूरज को चूमना चाहती हो.. दोनों के होंठो और जीभ के बीच युद्ध छिड़ा हुआ था जिसमे कोई भी हार मनाने को तैयार नहीं था..
नज़मा ने कभी बिलाल के साथ ऐसा कुछ नहीं किया था.. बिलाल सामान्य सा दिखने वाला आदमी थी मगर सूरज को देखकर किसी भी लड़की का मन मचल सकता था..
सूरज ने नज़मा को करवट लेकर अपने नीचे लेलिया और चुम्बन तोड़ दिया..

सूरज ने नज़मा के दोनों हाथ पकड़ कर ऊपर उठा दिए और नज़मा से बोला - बता तो दो भाभी.. 36 के है ना..
नज़मा बिना कुछ बोले मुस्कुराते हुए हाँ में सर हिला देती है और सूरज नज़मा के बूब्स को मुंह में भरकर चूसने और चाटने लगता है..

नज़मा की अह्ह्ह... निकल जाती है और वो अपने दोनों हाथ छुड़ा कर सूरज का सर पकड़कर अपने दोनों बूब्स बारी बारी से सूरज को चुसवाने लगती है..

सूरज नज़मा के बूब्स पर खड़े दाने को दांतो से खींचता हुआ पूरी मेहनत और प्यार के साथ चूसता है और नज़मा के बूब्स पर लव बाईट देने लगता है नज़मा सूरज को लव बाईट देने से नहीं रोकती और सूरज नज़मा की छाती पर अनेक लव बाईट के निशान छोड़ता हुआ उसके बूब्स को चूसता हुआ अपना एक हाथ पानी बहाती नज़मा की चुत पर लेजाकर रख देता है और सहलाने लगता है मगर नजमा सूरज के उस हाथ को पकड़ कर चुत सहलाते से रोकने की नाकाम कोशिश करती है.. पर सूरज बूब्स चूसते हुए चुत सहलाते सहलाते नज़मा को झड़ने पर मजबूर कर देता है और नज़मा चड्डी सलवार पहनें पहनें ही झड़ जाती है और झरना बहा देती है..

सूरज नज़मा के झड़ने के बाद उसकी सलवार का नाड़ा खींचकर खोल देता है और सलवार के साथ नज़मा की चड्डी भी एक ही बार में उतार देता है.. नज़मा अपने पैरों को मोड़ लेटी है और शर्म के उतारे हुए कपड़ो को उठाकर अपना मुंह छिपा लेती है..

सूरज खड़ा हो जाता है और कमरे से बाहर आकर बाथरूम में चला जाता है और मूतने लगता है.. उसी वक़्त सुमित्रा का फ़ोन आ जाता है.. रात के एक बज रहे थे..
सूरज - हेलो

सुमित्रा इस वक़्त घर की छत पर थी उसने कहा - हेलो सूरज?

हां.. माँ.. बोलो..

बेटू.. क्या कर रहा है?

माँ.. यार क्या बेतुके सवाल पूछ रही हो? बताया था ना आपको..

सुमित्रा - बेटू.. नाराज़ मत हो.. मैं तो बस यही पूछ रही थी कि कंडोम तो लगा रखा है ना तूने?

सूरज - हाँ लगा रखा है.. अब क्या फोटो भेजू आपको? सो जाओ ना आप.. सुबह आ जाऊंगा..

सुमित्रा - हनी..

सूरज - अब क्या है माँ?

सुमित्रा - मूझे चिंता हो रही है तेरी..

सूरज - माँ.. एक लड़की के साथ हूँ.. किसी चोर लुटेरे डाकू के साथ नहीं..

सुमित्रा - अपना ख्याल रखना.. और देखना कंडोम फट ना जाए.. बाय बेटू..

सूरज - बाय माँ..

सुमित्रा छत पर थी उसके बदन में भी कामुकता और मादकता भरी हुई थी वो ये सोचके काम कि भावना से भरी हुई थी कि उसका बेटा सूरज किसी के साथ इस वक़्त बिस्तर में चोदमपट्टी कर रहा होगा.. सुमित्रा घर कि छत पर ही सूरज के नाम कि ऊँगली करने लगी थी..

सूरज बाथरूम से वापस कमरे में आया तो बाहर से आती रौशनी में उसने देखा कि नज़मा वैसे ही अपने मुंह कपड़े से छिपा कर नंगी पड़ी हुई है.. सूरज इस बार कमरे का दरवाजा बंद कर दिया जिससे बाहर से आती रौशनी भी अंदर आनी बंद हो गई और कमरे में पूरा अंधकार छा गया.. नज़मा ने कपड़े से मुंह छिपाया हुआ था उसे इसका कोई पता नहीं चला कि सूरज ने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया है और अब उसने लाइट ऑन कर दी है.. लाइट की रौशनी में बिस्तर पर नंगी पड़ी नज़मा का बदन ऐसे चमक रहा था जैसे कोयले की खान में हिरा चमकता है..

सूरज ने अपनी जीन्स उतार दी और अब सिर्फ चड्डी मैं आ गया.. फिर नज़मा के पैरों की तरफ आकर उसकी दोनों टांगो को अपने हाथों दे खोलकर चौड़ा कर दिया और नज़मा की चुत जिसपर नज़मा की चुत से बहे झरने का पानी चिपका हुआ था बेडशीट के कपड़े से साफ करके अपने दोनों हाथ नज़मा की जांघो के जोड़ पर रखकर नज़मा की चुत खोलते हुए सूरज ने नज़मा की चुत से मुंह लगा लिया और नज़मा की चुत चाटना शुरु कर दिया..

नज़मा की चुत पर जब सूरज ने अपने होंठो को लगाया नज़मा के तन बदन में काम वासना की आधी उड़ने लगी जो सूरज को होने आंधी में उड़ा कर लेजाना चाहती थी.. नज़मा के हाथ कब अपने आप सूरज के सर पर पहुचे और कब नज़मा के मुंह से कामुक सिस्कारिया निकली उसे पता भी नहीं चला.. नज़मा को लाइट ऑन होने पर शर्म आ रही थी मगर काम सुख शर्म से कहीं ज्यादा था इसलिए नज़मा ने लाइट के ऑन होने की परवाह छोड़कर सम्भोग का आनद लेना जरुरी समझा...

सूरज नज़मा की चुत को ऐसे चूस चूस के चाट रहा था जैसे बॉलीवुड की हीरोइन प्रोडूसर का लंड चूसने के बाद आंड चाटती है.. सूरज अपने हाथों के दोनों अंगूठे से नज़मा की चुत चौड़ी करके अंदर तक चाट रहा था और दाने को चुम्मा रहा था जिससे नज़मा अपने आप पर काबू नहीं रख पाई और वापस झड़ गई मगर समय रहते सूरज ने अपना मुंह हटा लिया और वो नज़मा के पानी की धार में भीगने से बच गया..

नज़मा की साँसे तेज़ थी और उसका पूरा बदन पसीने से लथपथ.. चुचे साँसों के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे..
सूरज नज़मा के ऊपर आ गया और उसकी आखो में देखते हुए बोला - तैयार हो भाभी?

नज़मा काम भावना से पूरी तरह भर चुकी थी वो बोली - और मत तड़पाओ भाईजान.. डाल दो ना अब..

सूरज - भाभी आप ही सीखा दो कैसे ड़ालते है? मूझे कहा आता है डालना..

नज़मा सूरज की चड्डी नीची करके सूरज के खड़े लंड को अपनी चुत में अटका देती है और कहती है - घुसाओ ना भाईजान..

सूरज का दबाव डालके घुसाता है तो लंड गीली चुत में फिसलता हुआ चला जाता है और नज़मा सिसकते हुए अह्ह्ह करने लगती है.. सूरज का लंड बिलाल से बहुत बड़ा था जिसका अहसास अभी अभी नज़मा को होने लगा था और वो अपने दोनों हाथों से सूरज को अपनी बाहों में भरके उसके होंठो को चूमते हुए अपनी गांड उठा उठा कर सूरज से चुदवा रही थी..

नज़मा - अह्ह्ह्ह... अह्ह्ह.. भाईजान.. अह्ह्ह..

सूरज - भाभी आपके नीचे का मामला तो बहुत टाइट है.. बिल्ला ठीक से नहीं करता शयद..

नज़मा - अह्ह्ह भाईजान.. अह्ह्ह..

सूरज चोदते चोदते - भाभी.. चुत में लंड चला गया.. अब तो भाईजान मत बोलो.. सूरज कहो ना..

नज़मा अह्ह्ह्ह.. भाईजान.. कहते हुए फिर से सूरज को पकड़ लेती है और चूमने लगती है..
सूरज चोदना रोककर नज़मा की कमर पकड़कर उसे घोड़ी बना लेता है और फिर उसकी चुत मारने लगता है..

सूरज को जितना मज़ा नज़मा को घोड़ी बनाके चोदने में आ रहा था उसका ब्यान करपाना कठिन है.. सूरज को उन पल के लिए मोक्ष की प्राप्ति हो रही थी.. सूरज जितनी मोहब्बत के साथ नज़मा को घोड़ी बनाकर उसकी चुत में झटके मार रहा था उतनी तेज़ी से दोनों की चुदाई की आवाज कमरे में गूंज रही थी..

नज़मा के मुंह से सिस्कारिया निकल रही थी जिसे सुनकर सूरज कामसुख के घोड़े पर सवार था.. नज़मा की चुत वापस तीसरी बार झड़ने को बेताब थी..

सूरज ने घोड़ी के बाद नज़मा को चोदना छोड़कर बेड पर लेट गया और नज़मा से बोला - आओ भाभी सारी मेहनत मुझिसे करोगी? थोड़ी खुद भी तो करो.. आओ..

नज़मा लाइट के उजाले में शर्मा रही थी मगर काम वासना से भी भरी हुई थी.. नज़मा सूरज के लंड पर बैठ गई और धीरे धीरे अपनी गांड हिलाते हुए सूरज की आँखों में देखने लगी जैसे कह रही हो कि सूरज अब मूझे तुझसे कोई शर्म नहीं है..

दोनो काम वासना भरी आँखों से एक दूसरे को देख रहे थे और अब दोनों ही झड़ने कि कगार पर थे.. सूरज ने नज़मा कि कमर में हाथ डालकर उसे नीचे ले लिया और वापस मिशनरी में चोदते हुए नज़मा के साथ ही झड़ गया... और दोनों कुछ देर तक गहरी गहरी साँसों के साथ वैसे ही लेटे रहे...

सूरज नज़मा के बाल सवारते हुए - मुबारक हो भाभी...

नामज़ - आपको भी भाईजान...

सूरज - अब भी भाईजान बोलोगी?

नज़मा मुस्कुराते हुए - आपको भाईजान मानती हूँ तो भाईजान ही बोलूंगी ना.. तुम्हारी तरह मुंह पर कुछ और दिल में कुछ और तो नहीं है मेरे..

सूरज - भाईजान पसंद आये.. आपको भाभी?

नज़मा मुस्कुराते हुए - बहुत पसंद..

सूरज - बिलाल से भी ज्यादा पसंद?

नज़मा - कई गुना ज्यादा.. उसका और आपका तो कोई मेल ही नहीं..

सूरज - अपने पति कि बुराई कर रही हो भाभी?

नज़मा - बाहर तो निकाल लो भाईजान.. ऐसे ही सोने की इरादा है क्या?

सूरज - अभी दो बजे है भाई.. रहने दो अंदर बेचारे को अच्छा लग रहा है..

नज़मा - अह्ह्ह... आप ये क्या कर रहे हो भाईजान?

सूरज - भाभी वापस खड़ा हो गया क्या करू?

नज़मा हसते हुए - एक ही रात में प्रेग्नेंट कर दोगे तो वापस कैसे मिल पाओगे भाईजान..

सूरज नज़मा कि टांग फैला कर चोदते हुए - वो सब बाद में सोचेंगे भाभी... अह्ह्ह
नज़मा - अह्ह्ह.. अह्ह्ह.. भाईजान.. अह्ह्ह..
दोनों का सम्भोग वापस शुरु हो जाता है..

सुबह के साढ़े चार बजते बजते दोनों के बीच दो बार सम्भोग पूरा हो चूका होता है.. नज़मा दो बाद चुद चुकी थी.. और नज़मा सूरज के सीने पर लेटी हुई थी दोनों जागे हुए थे.. दोनों के बीच शर्म का पर्दा हट चूका था..

सूरज - सोचा नहीं था भाभी कभी हमारे बीच कुछ ऐसा भी होगा..

नज़मा - सही कहा भाईजान.. पहले तो मैं आपको सिर्फ पसंद करती थी मगर अब तो आपने मेरी रूह को भी छू लिया है.. मैं बता नहीं सकती अब आपकी ख़ुशी मेरे लिए कितने मायने रखती है.. मैं आपकी ख़ुशी के लिए कुछ भी कर सकती हूँ..

सूरज - कुछ भी?

नज़मा - हाँ कुछ भी..

सूरज - एक रात में इतना अपनापन?

नज़मा सूरज के ऊपर से उठते हुए - आप मूझे बच्चे का सुख देने वाले हो भाईजान.. आपकी ख़ुशी मेरे लिए मायने बहुत रखती है.. अपनापन तो पहले भी था आपसे.. बस कभी कह ना सकी.. आपने कहा था ना मेरे हाथों से चाय पीनी है आपको.. मैं अभी बनाके लाती हूँ.. और अपने हाथों से पीला भी दूंगी..

सूरज - भाभी इतना सब करने की क्या जरुरत?
नज़मा - आपकी इतनी सी ख्वाहिश भी पूरी ना कर पाई तो लानत है भाईजान मूझ पर..

नज़मा रसोई में चाय जाती है और 10 मिनट में चाय बनाकर ले आती है फिर सूरज की गोद में उसकी तरफ मुंह करके बैठ जाती है और अपने हाथ सूरज को चाय पिलाने लगती है..

नज़मा चाय पीलाते हुए - अगली बार शराब मत पीके आना भाईजान.. मैं अपने हाथों से पीला दूंगी..

सूरज - भाभी आपका और मेरा कुछ रातों का साथ है.. क्यों इश्क़ के बीज बो रही हो.. मैं ये ताल्लुक नहीं निभा पाऊंगा..

नज़मा - दिल पर किसी का जोर थोड़ी चलता है भाईजान? बिलाल जो चार साल में ना कर पाया आपने 4 घंटो में कर दिया.. आपकी बाहों से ऐसा महसूस होता है जैसे जिस्म को मखमली बिस्तर का बिछोना मिल गया हो.. इतनी प्यार भरी बातें तो कभी बिलाल ने भी नहीं की होंगी.. उसने बिस्तर में मेरा जिस्म हासिल किया है मगर आपने रूह भी हासिल की है.. आपकी बातें दिल को धड़काती है मूझे मेरे औरत होने का और मेरे वज़ूद का अहसास दिलाती है.. आपके साथ आज रात बिताकर लगता है मैं भी इंसान हूँ और मेरी भी अपनी ख़ुशी है.. वरना कब से मैं बस घुट घुट के परदे में जी रही थी..

सूरज - भाभी जबतक आपके बच्चा नहीं लग जाता.. मैं कोशिश करूंगा आपको बाकी हर ख़ुशी दे सकूँ.. अगली बार क्या तोहफा चाहिए बता दो? ला दूंगा..

नज़मा सूरज को चूमते हुए - मेरा तोहफा तो आप हो भाईजान.. आपके अलावा मूझे कुछ नहीं चाहिए..

सूरज - 5 बजने वाले है भाभी.. अब मूझे चलना चाहिए..

नज़मा - कुछ देर और रुक जाओ ना

भाईजान.. अभी तो अंधेरा है..

सूरज नज़मा के ऊपर आकर उसकी जुल्फ संवारते हुए - बिलाल नीचे आये उससे पहले मेरा चले जाना मुनासिफ होगा भाभी..
नज़मा - मेरे बदन पर आपने इतने निशान छोड़े है की बिलाल देखकर पागल ना हो जाए..

सूरज - तो उसे करीब क्यों आने देती हो भाभी.. कुछ दिन अपने से दूर ही रखो..

नज़मा हसते हुए - घर में मर्द की सुन्नी पड़ती है भाईजान.. औरतों तो बस हुक्म बजाने के लिए होती है..

सूरज - जमाना बदल गया है भाभी..

नज़मा - मेरी एक बात मानोगे?

सूरज - हर बात मानुगा.. बस कुछ ऐसा मत कह देना कि मैं मजबूर हो जाऊ..

नज़मा - मूझे मेरे नाम से बुलाओ ना भाईजान..

सूरज मुस्कुराते हुए - ये तो तभी मुमकिन है भाभी जब आप भी मूझे मेरे नाम से पुकारो..
नज़मा धीरे से - सूरज..

सूरज - नज़मा..

दोनों कुछ देर एक दूसरे को देखते है और आँखों ही आँखों में दोनों के होंठो को वापस मिलना पड़ता है और फिर सूरज दिवार घड़ी को देखकर कहता है - अब जाने दो नज़मा..

नज़मा - काश मैं हर दिन ऐसे ही बच्चों कि तरह आपको अपनी छाती से लगाकर रख पाती सूरज..

सूरज खड़ा होकर अपने कपड़े पहनते हुए - ऐसे ख़्वाब मत देखो नज़मा.. जब पुरे नहीं होते तो बहुत तकलीफ देते है.. जीना मुहाल कर देते है.. एक वक़्त निकल जाता है इन सब से निकलते हुए..

नज़मा बिना किसी शर्म के अब नंगी ही बेड से खड़ी हो जाती है और सूरज के सामने खड़ी होकर अपने घुटनो बैठते हुए सूरज का लंड पकड़कर कहती है - जो ख्वाब पुरे ना हो.. उन ख़्वाबो को देखना गलत नहीं है सूरज.. मैं जानती हूँ आप मेरे कभी नहीं बन सकते.. इसका मतलब ये नहीं कि आपके साथ मैं ख्वाबों में भी एकसाथ नहीं जी सकती..

इतना कहकर नज़मा सूरज का लंड मुंह में भर लेती है और चूसने लगती है नज़मा blowjob देने लगती है..

सूरज के लंड में अकड़न आने लगती है मगर सूरज नज़मा के मुंह से लंड निकालकर पेंट पहन लेता है और नज़मा से कहता है - छः बजने वाले है.. कपड़े पहन लो बिलाल कभी भी नीचे आ सकता है..

नज़मा - जाने से पहले एक चुम्मा भी नहीं दोगे सूरज?

सूरज नज़मा को बाहों में भरके चूमते हुए - अपना ख्याल रखना..

नज़मा मुस्कुराते हुए - आप भी..


सूरज अपनी स्कूटी उठाकर नज़मा के घर से निकल जाता है और नज़मा कपड़े पहन कर सबसे पहले कमरे को ठीक करती है बेडशीट बदलती है और नहाती है.. सात बजे बिलाल नीचे आता है और नज़मा से बात किये बिना ही नहा कर अपना दैनिक काम कर दूकान का शटर ऊपर करके दूकान संभालता है..

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Bahut hee shandar kamuk update diya hai aapne …
Aap 60 like bolte hai or Reader 70 dete hai

👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
 

sunoanuj

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Ab updates rukne nahin chahiye….
 

ayush01111

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Update 9



रात के 10 बजे सूरज सीढ़ियों से नीचे हॉल में आया तो उसके पापा ने कहा..

जयप्रकाश - इतना तैयार होके कहा जा रहा है?

सूरज - पापा वो एक दोस्त का bday है.. बस वही जा रहा था.. आज रात वही रहूँगा.. आपके स्कूटी कि चाबी चाहिए...

जयप्रकाश - वही कमरे में रखी होगी.. ले ले..

सूरज - ठीक है.. सूरज कमरे में जाता है तो पीछे पीछे सुमित्रा भी कमरे में चली जाती है..

सुमित्रा - तू सच में दोस्त के bday पर जा रहा है या कहीं और? सच बताना..

सूरज - दोस्त के bday में ही जा रहा हूँ माँ.. आप भी क्या मेरे पीछे ही पड़ी रहती हो हमेशा.. आजकल बहुत नज़र रखती हो मुझपर जैसे मैं कोई क्रिमिनल हूं.

सुमित्रा - खा मेरी कसम.. तू दोस्त के bday में जा रहा है..

सूरज - मैं कसम वसम नहीं मानता समझी आप..

सुमित्रा - तो खा ना मेरी कसम..

सूरज - मैं नहीं खाऊंगा..

सुमित्रा - सच बता कहा जा रहा है? वरना घर से कदम बाहर रखने नहीं दूंगी तुझे.. किसी लड़की से मिलने जा रहा है ना.. जैसे सगाई वाली रात मिलके आया था.. जो पैसे लेकर वो सब करती है.. बोल..

सूरज - माँ... क्या बोल रही हो..

सुमित्रा - सच बता सूरज..

सूरज - ठीक है.. पापा को नहीं बताओगी..

सुमित्रा - किसी को नहीं कहूँगी.. बता..

सूरज कोई झूठ बात सोचकर - दोस्त की ex गर्लफ्रेंड है किसी होटल में मिलने बुलाया है..

सुमित्रा - और तेरे उस दोस्त का क्या? उसे पता ये सब?

सूरज - माँ ex गर्लफ्रेंड है.. उसे अब क्या मतलब..

सुमित्रा अपने ब्लाउज में से बटुआ निकालकर 1 हज़ार रुपए सूरज की जेब में रख देती है और कहती है - कंडोम पहन के करना जो करना है.. आजकल की लड़किया बहुत तेज़ हो गई है.. किसी भी शरीफ लड़के अपने जाल फँसाना उन्हें अच्छे से आता है.. समझा?

सुमित्रा का पल्लू हटा हुआ था और ब्लाउज में उसकी क्लीवेज साफ साफ सूरज को दिख रही थी.. जिसे सुमित्रा ने जानबूझ कर खुला छोड़ दिया था ताकि सूरज उसकी और आकर्षित हो सके मगर सूरज ने वो सब देखकर सुमित्रा से कहा..
सूरज - समझ गया माँ.. और आप अपना ये खज़ाना छुपा लो.. पापा की नज़र पड़ गई तो अगले साल मेरा छोटा भाई या बहन पैदा हो जाएगा..

सुमित्रा सूरज की बात सुनकर हसते हुए बिना अपना पल्लू अपने ब्लाउज के ऊपर किये बोली - नहीं होगा.. तेरे पापा सालों पहले ही अपनी हिम्मत हार चुके है..

सूरज हसते हुए - तभी अक्सर आप वो गाना गाती हो.. मैं क्या करू राम मुझे बुड्ढा मिल गया..

सुमित्रा हसते हुए - चुप शैतान.. मा से कोई ऐसे बात करता है भला? अब जा.. और सुबह जल्दी आ जाना.. रात को कोई भी परेशानी हो मुझे फ़ोन या मैसेज करना..

सूरज सुमित्रा को बाहो मे लेके गाल पर चुम्मा देकर - माँ आप बहुत प्यारी हो.. काश कोई आपके जैसी मुझे भी मिल जाए..

सुमित्रा - अच्छा? क्या करेगा अगर कोई मेरी जैसी मिल गई तो?

सूरज - सब सोचा हुआ माँ.. पहले शादी फिर सुहागरात उसके बाद 8-10 बच्चे..

सुमित्रा चौंकते हुए - 8-10?

सूरज - क्यों कम है? ज्यादा भी हो सकते है..

सुमित्रा हस्ते हुए - अच्छा अब मुझे छोड़.. तेरे पापा हम दोनों को ऐसे देखेंगे तो गलत समझेंगे..

सूरज - तो समझने दो.. गले लगने मे भी कोई अगर गलत समझें तो हम क्या कर सकते है? मैं तो अपनी मा को अपनी मर्ज़ी से छोडूंगा..

सुमित्रा - अच्छा? मुझे ऐसे बाहो मे भरके खड़ा रहेगा तो तेरी उस दोस्त की गर्लफ्रेंड का क्या होगा जो तेरा इंतजार कर रही है?

सूरज - उसे इंतजार करने दो.. मेरे लिए मेरी मा से बढ़कर कोई है..

सुमित्रा और सूरज गले लगे हुए थे और बात कर रहे थे बात करते करते उनके चेहरे एकदूसरे के कितने करीब आ गए थे उन्हें भी पता नहीं चला.. सुमित्रा तो जैसे अपना संयम खोने है वाली थी अगर बाहर से जयप्रकाश के खांसाने की आवाज ना आती तो शायद आज सुमित्रा ने सूरज के होंठो पर अपनी मोहब्बत या कहो हवस की मुहर लगा है देती..

जयप्रकाश की खांसी सुनकर सूरज ने सुमित्रा से कहाँ - पापा को खांसी की दवा दे दो.. दो दिनों से बहुत खांसी हो रही है उन्हें.. और अब अपना ये खज़ाना भी छीपा लो.. सूरज ने सुमित्रा को बाहो से आजाद करते हुए उसका पल्लू ब्लाउज के ऊपर करते हुए कहा..

सुमित्रा उदासी से - ऐसे खज़ाने का क्या फ़ायदा जिसे कोई लूटने वाला है ना हो..

सूरज - क्या कहा आपने?

सुमित्रा - कुछ नहीं.. अब जा..

सूरज सुमित्रा के गाल पर चुम्मा देकर - बाय माँ..

सुमित्रा की बात को सूरज ने सुन लिया था और अनजान बनकर उसे अनसुना भी कर दिया था मगर सूरज को अब इस बात का अहसास हो चूका था की सुमित्रा कितनी अकेली है और उससे बात करने वाला और उसके साथ वक़्त बिताने वाला कोई है नहीं.. जयप्रकाश भी सुमित्रा के साथ उतना वक़्त नहीं बताते थे वो अकसर अपने दोस्तों या दफ़्तर की फाइल्स मे गुस्से रहते थे..

सूरज घर से निकलता है कि उसके फ़ोन पर बरखा का फ़ोन आ जाता है..

हेलो

क्या कर रहा है हनी..

कुछ नहीं दी..

घर आ सकता है?

इस वक़्त? आ जाऊंगा पर.. सब ठीक है ना?

हाँ सब ठीक है.. तू आजा..

बात क्या है दी? बताओ ना..

अरे कुछ नहीं.. कोई जरुरी काम कर रहा है तो रहने दे.. कोई बात नहीं..

नहीं दी.. आपसे ज्यादा क्या जरुरी काम? बस खाना खाने जा रहा था.. आता हूँ..

आजा.. अपने हाथ से खाना बनाके खिला दूंगी तुझे..

बरखा ने फ़ोन काट दिया और मुस्कुराते हुए हनी के बारे में सोचने लगी.. पीछे कुछ दिनों से उसके मन में सूरज ही घूम रहा था.. सिर्फ उसके ही नहीं हेमलता के भी.. मगर हेमलता ने अपनी भावनाओं पर काबू पा लिया था.. बरखा को ना जाने क्यों आज सूरज से मिलने कि तलब हुई और उसने रात के इस वक़्त उसे फ़ोन कर दिया.. सूरज कुछ ही देर में बरखा के घर आ गया और बरखा ने दरवाजा खोलकर सूरज को घर के अंदर रसोई में ले गई..

क्या हुआ दी? और काका काकी कहा है?

वो तो यात्रा में गए है कल सुबह आ जायेंगे.. तेरे लिए पराठे बनाये है.. खिला दूँ अपने हाथ से?

क्या बात है दी.. बड़ा प्यार आ रहा है मुझ पर आपको आज?

क्यों? नहीं आ सकता?

नहीं.. आ सकता है.. पर आज कुछ ज्यादा ही आ रहा है ना इसलिए पूछ लिया..

बरखा अपने हाथ सूरज को खाना खिलाती हुई - कल मैं वापस जा रही हूँ.. सोचा एक बार अपने हनी से मिल लूँ.. इसलिए बुला लिया.. गलत किया?

सूरज खाना खाते हुए - नहीं.. अच्छा किया दी.. आप कुछ और दिन रह जाती ना दी..

वापस आउंगी तब रहूंगी.. लेकिन एक बात बता.. तू इतना सज धज के क्यों आया है?
मुझे इम्प्रेस करने के लिए?

आपको इम्प्रेस करने के लिए मुझे सजने की जरुरत है? और वैसे आपको इम्प्रेस करके मुझे क्या मिलेगा? आपको तो अपनी बड़ी बहन मानता हूँ मैं..

बरखा खाना खिलाते हुए - मैं अच्छे से जानती हूँ आजकल के लड़को को.. वो क्या कहते है.. हां.. गांधी जी की योजना.. बहन बनाकर चो...

बरखा आगे बोल पाती इससे पहले ही सूरज बोला..
सूरज - दीदी... आप ना बहुत बेशर्म हो गई हो.. कुछ भी सोचती और बोलती हो.. और हाथ दो जरा आपका.. सूरज बरखा की उंगलियां सुघकर.. सिगरेट पी रही थी मेरे आने से पहले?

बरखा हस्ते हुए अपना हाथ छुड़ाकर सूरज को खाना खिलाते हुए - उसके लिए भी तुझसे पूछना पड़ेगा मुझे?

सूरज - कल कब की ट्रैन है?

बरखा - दिन की है.. 3 बजे की..

सूरज - मैं स्टेशन छोड़ दूंगा आपको..

बरखा - अच्छा? स्टेशन का रास्ता कितना सुनसान है.. तूने रास्ते में मेरे साथ कुछ ऐसा वैसा कर दिया तो? मैं क्या करूंगी? बोल..

सूरज - दी.. आपने मज़े लेने के लिए बुलाया है ना मुझे?

बरखा मुस्कुराते हुए - तेरे मज़े लेने के लिए बुलाने की क्या जरुरत है? वो तो फ़ोन पर ही ले लेती मैं.. मुझे तेरी ये प्यारी और मासूम सी शकल देखनी थी..

सूरज - देख ली? अब मैं जाऊ?

बरखा - बड़ी बहन मानता है ना मुझे.. मेरे लिए थोड़ी देर और नहीं रुक सकता?

सूरज - ठीक है...

बरखा - शराब पियेगा मेरे साथ?

सूरज - नहीं..

बरखा - पापा के साथ तो पिता है..

सूरज - कभी कभी..

बरखा - हाँ तो वो कभी आज मेरे साथ है..

सूरज - काकी को पता चल गया ना.. जान ले लेगी मेरी..

बरखा - बताएगा कौन? तू?

बरखा अपने पीता बंसी की छुपाई हुई शराब की बोतल निकालती है और दो पेग बनाती है और एक सूरज को दे देती है..

सूरज - दी.. आप कमाल हो..

बरखा शराब पीते हुए - एक पर्सनल बात पुछु?

सूरज पेग ख़त्म करके - हम्म..

बरखा भी अपना पेग ख़त्म करके - तेरी कोई गर्लफ्रेंड तो है नहीं.. फिर काम कैसे चलता है तेरा?

सूरज - कोनसा काम?

बरखा दूसरा पेग बनाकर सूरज को देती है फिर अपने हाथ से लंड हिलाने का इशारा करते हुए कहती है - ये काम.. अब समझा?

सूरज हसते हुए - मुझे ना अब शर्म आने लगी है आपके साथ..

बरखा मुस्कुराते हुए अपना दूसरा पेग पीकर - शर्माता हुआ कितना क्यूट लगता है तू.. वैसा बता ना.. सिर्फ हाथ से जयकारे लगाता है या कोई छेद भी ढूंढ़ रखा है छोटे नवाब के लिए?

सूरज दूसरा पेग पीकर - आपको क्यों बताऊ? वैसे भी बहन भाई के बीच ऐसी बातें अच्छी नहीं लगती.. और अब ज्यादा मत पियो.. नशा होने लगा है आपको..

बरखा तीसरा पेग बनाकर - एक आखिरी हो जाए बस..

सूरज पेग उठाकर - अगर काकी को पता चला ना तो फिर देख लेना आप..

बरखा पेग पीते हुए - उसकी चिंता छोड़ दे.. तू बता गर्लफ्रेंड है या नहीं.. अगर नहीं है तो मैं बनवा दूंगी.. मेरा छोटा भाई अपने हाथ से काम चलाये.. अच्छा थोड़ी लगता है..

सूरज - किसे बनाओगी मेरी गर्लफ्रेंड?

बरखा - लड़कियों की कोई कमी थोड़ी है उदयपुर में.. जिससे बोलेगा उसीके साथ करवा दूंगी..

सूरज कुछ सोचकर - सपना आंटी पसंद मुझे..

बरखा - वो पड़ोस वाली? 40 साल की बुड्ढी?

सूरज अपना पेग ख़त्म करके - अभी से कहा बुड्ढी हो गई वो?

बरखा अपना पेग ख़त्म करते हुए - तुझे बड़ी औरते पसंद है?

सूरज - कोई बुराई है इसमें?

बरखा हसते हुए - नहीं.. वो बात नहीं है.. तू फ़िक्र मत कर तेरा काम हो जाएगा..

सूरज अपने फ़ोन पर बिलाल का फ़ोन आता देखकर - घर से फ़ोन आ रहा है.. अब जाऊ?

बरखा - ठीक है किस्सी दे जा एक..

सूरज बरखा के गाल पर kiss करता है..

बरखा नशे में - गाल पर नहीं हनी.. होंठो पर..

सूरज हसते हुए - अब कुछ ज्यादा हो रहा है आपका दी..

बरखा - कोनसी तेरी इज़्ज़त लूट रही हूँ.. एक kiss के लिए ही तो बोला है.. छोटा था तब भी तो करता था..

सूरज हसते हुए - करता नहीं था आप जबरदस्ती चूमती थी मुझे.. वो तो कोई देखने वाला नहीं था वरना बच्चे को मोलेस्ट करने के चार्ज में जेल जाती आप..

बरखा सूरज की शर्ट का कॉलर पकड़कर - हाय रे बच्चा... जब भाग भाग कर खुद मेरे पास आता था और कहता था दीदी चुम्मी दो और खुद मेरे होंठों पर टूट पड़ता था.. उसका क्या? मज़ा तुझे भी पूरा आता था..

सूरज मुस्कुराते हुए - आदत तो आपने ही लगाईं थी.. मैं तो बच्चा था..

बरखा - सपना आंटी चाहिए तो बरखा दीदी को चुम्मी करनी पड़ेगी जैसे बचपन में करता था..

सूरज बरखा के होंठों पर अपने होंठ रखकर चूमते हुए - बस?? अब जाता हूँ.. टाइम पास ज्यादा हो गया.. आप ख्याल रखना अपना..

बरखा - कल टाइम से आ जाना.. वरना मैं चली जाउंगी..

सूरज जाते हुए - ठीक है..

बरखा सूरज के जाने के बाद एक और शराब का पेग बनाकर पीती है और सिगरेट जलाकर कश केती हुई सपना को फ़ोन कर देती है...

हेलो..

सो रही थी क्या भाभी?

नहीं बरखा.. टीवी देख रही थी.. अब बस सोने ही जा रही थी.. बोलो इतनी रात को कैसे याद आ गई मेरी?

सपना (40)
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मुझे नहीं किसी और को तुम्हारी याद आती है रातों में..

सपना हसते हुए - अच्छा? तुम्हारे पापा से कहो सत्संग करने की उम्र में सम्भोग करने के सपने ना देखे.. दूकान पर सामान लेने आती हूँ तो ब्लाउज में ऐसे झांकते है जैसे आँखों से घूर के ब्रा का साइज़ बढ़ा देंगे.. कुछ करो अपने पापा का तुम..

बरखा - अरे भाभी.. पापा के बारे में बात नहीं कर रही.. पापा तो है ही एक नम्बर के ठरकी.. एक प्यारा सा लड़का है 22-23 साल का.. भाई की तरह है मेरे.. पसंद करता है तुम्हे.. एक बार बेचारे को जन्नत दिखा दो.. खुश हो जाएगा..

सपना हसते हुए - तस्वीर भेज दे.. पसंद आया तो बताउंगी..

बरखा - भेजती हूँ...

बरखा सूरज की तस्वीर भेजती है.. सपना तस्वीर देखकर फौरन बरखा को मैसेज करती है.. भेज देना अपने भाई को.. पेट भरके खुश कर दूंगी उसे..

बरखा मैसेज पढ़कर मुस्कुराते हुए ok लिख देती है और सिगरेट के कश लेती हुई नशे में धुत होकर सोचती है कि अगर सूरज सपना के साथ ये सब कर सकता है वो उसके साथ भी कर सकता है.. बस सूरज को किसी तरह अपने साथ सोने के लिए मानना पड़ेगा..


**********


सूरज बरखा के घर से बिलाल के घर जाने को निकला तो रास्ते में झील किनारे उसे कई दुकाने रात के इस वक़्त भी खुली दिखाई दी.. जहाँ टूरिस्ट खड़े हुए थे.. कई खाने की तो कई फेंसी आइटम की शॉप्स थी कुछ कपड़ो की..
सूरज ने स्कूटी एक दूकान के आगे रोक दी और अंदर जाकर कुछ खरीदकर वापस आ गया और स्कूटी स्टार्ट करके सूरज अब सीधा बिलाल के घर आ गया फिर स्कूटी अंदर खड़ी करके दुकान में बैठ जाता है..

रात के साढ़े 11 बज चुके थे सूरज नशे के सुरूर में था.. हालांकि उसे ज्यादा नशा नहीं हुआ था मगर फिर भी उसे शराब का सुरूर होने लगा रहा.. दूकान का शटर नीचे था.. बिलाल अंदर से आते हुए कहता है..
बिलाल - हनी..

सूरज कुर्सी से उठकर - बिल्ले..

बिलाल - मैं ऊपर सोने जा रहा हूँ.. तेरी भाभी पीछे कमरे में है..

सूरज - बिल्ले एक बार फिर सोच ले..

बिलाल - हनी मैंने सो बार यही सोचा है.. तू बस जब तक नज़मा प्रेग्नेंट ना हो जाए तब तक संभाल ले..

सूरज - ठीक है बिल्ले.. किसीको पता ना चले बस..

बिलाल - तुझसे ज्यादा मुझे उस बात की चिंता है.. मैंने नज़मा को समझा दिया है वो तुझे नहीं रोकेगी..

सूरज - ठीक है..

बिलाल - सुबह 6 बजे मैं नीचे आऊंगा.. तब तक तू और नज़मा अकेले नीचे रहोगे.. किसी चीज़ की जरूरत हो तो नज़मा से कह देना.. मैं जाता हूँ..

बिलाल ऊपर सोने चला गया और सूरज धीमे धीमे कदमो से पीछे वाले कमरे में दाखिल हो गया.. कमरे में अंधेरा था और बाहर आँगन मे जल रहे लट्टू की हलकी सी रौशनी कमरे में आ रही थी जिससे मध्यम रोशनी मे अंदर का नज़ारा देखा जा सकता था.. नज़मा बेड पर बैठी हुई थी.. उसके गोरे बदन पर गुलाबी सलवार थी और सफ़ेद दुपट्टा उसके जोबन को ढके हुए था..
सूरज ने कमरे के अंदर आकर बिना दरवाजा बंद किये लाइट जलाने लगा तभी नज़मा बोली..

नज़मा - लाइट मत जलाइये भाईजान..

सूरज ने लाइट नहीं जलाई और नज़मा के पास बिस्तर पर आकर बैठ गया..

सूरज ने जो रास्ते में ख़रीदा था वो नज़मा को देते हुए - भाभी ये आपके लिए..

नज़मा ने सूरज से थैला लेकर उसके अंदर से एक आसमानी कलर का सूट निकाला और उसे हाथों में लेकर बाहर से आती रोशनी में देखते हुए महसूस किया.. नज़मा समझ गई कि ये किसी ख़ास दूकान से लिया हुआ है..
नज़मा - ये क्यों ख़रीदा भाईजान..

सूरज नज़मा के और करीब आते हुए - भाभी पहले तो ये भाईजान बोलना बंद करो.. वरना मुझसे कुछ नहीं होगा..

नज़मा सूरज की बात पर मुस्कुरा पड़ती है..
नज़मा अपनी नज़र उठकर एक नज़र सूरज को देखकर - शराब पी है आपने?

सूरज - जब शराब की बू आ रही है तो पूछती क्यों हो भाभी..

नज़मा - ताकि आप इंकार कर सको.. और मुझे लगे कि आप थोड़ा सा मेरा लिहाज करते हो.. और आपके अंदर कोई बुराई नहीं है..

सूरज - अच्छाई और बुराई तो सब में होती है भाभी..

नज़मा नज़र झुका कर उसी तरह नीचे देखते हुए - सही है.. कम से कम आप मुझसे सच तो बोल रहे हो..

सूरज - भाभी आप अक्सर चाय पिलाने के बाद पूछती थी ना कि चाय कैसी बनी है? पता है मेरा क्या कहने का मन करता था?

नज़मा सूरज को एक नज़र देखकर - क्या?

सूरज - यही कि चाय ऐसी बनी है.. मन करता है आपको अपनी बाहों में उठाके घर ले जाऊं.. और आपकी बनाई चाय आपके हाथों से पिऊ..

नज़मा फिर से मुस्करा पड़ती है..

सूरज अपना एक हाथ घुमाके नज़मा के कंधे पर रख देता है और नज़मा के कान के पास अपने होंठ लाकर कहता है - भाभी गर्मी लग रही है..

नज़मा धीरे से शरमाते हुए - पंखा तो चालु है..

सूरज - फिर भी गर्मी लग रही है.. क्या करू?

नज़मा कुछ सोचकर - मेरे पास छोटी पँखी है.. मैं लाकर हवा कर देती हूँ..

सूरज - उससे कुछ नहीं होगा भाभी.. आप मेरी शर्ट उतार दो शायद कुछ राहत मिले..

नज़मा सूरज कि बात का मतलब समझ गई और मुस्कुराते हुए फिर से सूरज को एक नज़र देखकर अपने दोनों हाथ से सूरज के शर्ट के बटन खोलने लगी और उसका शर्ट उतार कर बेड के एक तरफ रख दिया..

सूरज प्यार से - भाभी आपको गर्मी नहीं लग रही?

सूरज की बात सुनकर नज़मा शर्म से अपना चेहरा अपनी दोनों हथेलियों से छुपा लेती है..

सूरज नज़मा की कमर में हाथ डालकर उसकी कमर पकड़ लेता और अपनी गोद में नज़मा को उठाकर बैठा लेता है..

नज़मा शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी और उसका दिल जोर से धड़कते जा रहा था..
सूरज को नज़मा के कूल्हे का मुलायम और गद्देदार अहसास कामुकता से भर रहा था..

सूरज ने नज़मा का दुप्पटा हटा दिया और उसकी कुर्ती को अपने दोनों हाथो से पकड़कर उठाने लगा लेकिन नज़मा ने अब तक अपना चेहरा अपनी हथेलियों से ढक रखा था.. इसलिए कुर्ती नज़मा की छाती तक उठाने के बाद सूरज पीछे से नज़मा के कान में बोलता है..
सूरज - हाथ ऊंचे करो ना भाभी..

नज़मा शर्म के मारे कुछ नहीं करती तो सूरज उसके दोनों हाथ पकड़कर ऊपर कर देता है और उसकी कुर्ती को झट से उतार कर अपने शर्ट के पास रख देता है.. नज़मा सिर्फ ब्रा में सूरज की गोद में बैठी हुई थी और उसकी नंगी पीठ अब सूरज के नंगे सीने से टकरा रही थी जिससे नज़मा काम और शर्म के मारे फिर से अपने चेहरे को अपनी हथेलियों से छुपा लेती है और सूरज नज़मा की नंगी गोरी पीठ का अहसास पाकर और कामुक हो उठता है जिससे उसके लंड में अब और अकड़न आ जाती है जिसका अहसास नज़मा को अपने कुल्हो पर हो रहा था.. सूरज ने नज़मा के दोनों हाथों को अपने दोनों हाथों में पकड़ लिया और नीचे करते हुए उसके चेहरे से हथेलिया हटा दी..

सूरज नज़मा के कान में - एक बात बोलू भाभी?

नज़मा शर्माते हुए - क्या?

सूरज नज़मा की गर्दन चूमते हुए - मूझे लगा नहीं था भाभी आपके बूब्स इतने मोटे होंगे.. क्या साइज है इनका?


नज़मा शर्म से इस बार भी कुछ नहीं बोलती..

सूरज - मत बताओ भाभी.. मैं खुद ही देख लेता हूँ..
सूरज ने अपने दोनों हाथ नज़मा की कमर से धीरे धीरे ऊपर लेजाकर उसकी ब्रा के अंदर डाल दिए और नज़मा के दोनों चुचे अपने हाथों में पकड़ लिए.. नज़मा के मुंह से सिस्कारी निकल गयी.. और वो काम की भावना से भरने लगी..

सूरज ने बूब्स को दबाते हुए मसलना शुरु कर दिया और नज़मा के कान में बोला - भाभी 36 के है ना?

इतना कहकर सूरज ने बूब्स पर से हाथ हटाकर नज़मा की ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा उतारकार बाकी कपड़ो के साथ रख दी.. नज़मा ने ब्रा खुलते ही अपने दोनों बूब्स को अपने दोनों हाथों से छीपा लिया..

सूरज पीछे से नज़मा की पीठ और गर्दन चूमता हुआ बोला - कब तक छुपा के रखोगी भाभी?
फिर सूरज थोड़ा आगे होकर पीछे लेट गया और नज़मा को भी अपने ऊपर पीठ के बल लेटा लिया और करवट लेकर अपने ऊपर से दाई तरफ गिरा कर नज़मा की कमर में हाथ डालकर उसे अपने से चिपकाते हुए नज़मा के होंठों के करीब अपने होंठ लेजाकर बोला - भाभी.. मेरी तरफ देखो ना..

नज़मा की आँखे बंद थी और वो धीरे से सूरज की आँखों की तरफ देखने लगी..
सूरज - शादी के 4 साल बाद भी इतनी शर्म भाभी?

नज़मा धीरे से - बिस्तर में एक बेशर्म खाफी होता है भाईजान..

सूरज - फिर से भाईजान? आपके होंठों को तो सजा देनी पड़ेगी भाभी...

ये कहकर सूरज नज़मा के होंठों पर अपने होंठ रख देता है और नज़मा आँख बंद करके सूरज को अपने होंठों की शराब पिने की इज़ाज़त दे देती है...

सूरज धीरे धीरे नज़मा के ऊपर और नीचे के होंठ चूमता और और फिर नज़मा के होंठो से लड़ता हुआ नज़मा के मुंह में अपनी जीभ डालकर नज़मा की जीभ को छेड़ने लगता है नज़मा को इस चुम्बन में मज़ा आ रह था.. सूरज उसे पसंद था और सूरज के सॉफ्ट होंठ को वो महसूस कर रही थी.. अब धीरे धीरे नज़मा ने भी सूरज को अपने होंठो से चूमना शुरु कर दिया..

सूरज को जब अहसास हुआ की नज़मा भी अब उसे चूमने में बराबर का सहयोग कर रही है तो वो मादकता की बारिश में भीगने लगा और नज़मा की कमर को कसके पकड़ता हुआ होनी तरफ खींचकर बिना चुम्मा तोड़े नज़मा को पेट के बल अपने ऊपर लिटा लिया..

नज़मा ने अपने बूब्स पर से अपने हाथ हटाकर सूरज का चेहरा थाम लिया और उसके बालों में हाथ फेरते हुए उसे इस तरह चूमने लगी जैसे कुत्ते मुंह चाटते है..

सूरज के सीने में नज़मा के चुचो पर खड़े चुचक खंजर की तरह चुभ रहे थे.. जिसका अहसास उसे जन्नत का मज़ा दे रहा था..
सूरज ने अपने दोनों हाथ कमर से नीचे लेजाकर नज़मा की गांड पर रख दिए और नज़मा के चुत्तड़ पकड़कर जोर से मसलने लगा.. मगर नज़मा ने चुम्मा नहीं तोड़ा और सूरज को अपनी गांड दबाने और मसलने की खुली छूट दे दी..

नज़मा सूरज को ऐसे चुम रही थी जैसे वो बरसो से सूरज को चूमना चाहती हो.. दोनों के होंठो और जीभ के बीच युद्ध छिड़ा हुआ था जिसमे कोई भी हार मनाने को तैयार नहीं था..
नज़मा ने कभी बिलाल के साथ ऐसा कुछ नहीं किया था.. बिलाल सामान्य सा दिखने वाला आदमी थी मगर सूरज को देखकर किसी भी लड़की का मन मचल सकता था..
सूरज ने नज़मा को करवट लेकर अपने नीचे लेलिया और चुम्बन तोड़ दिया..

सूरज ने नज़मा के दोनों हाथ पकड़ कर ऊपर उठा दिए और नज़मा से बोला - बता तो दो भाभी.. 36 के है ना..
नज़मा बिना कुछ बोले मुस्कुराते हुए हाँ में सर हिला देती है और सूरज नज़मा के बूब्स को मुंह में भरकर चूसने और चाटने लगता है..

नज़मा की अह्ह्ह... निकल जाती है और वो अपने दोनों हाथ छुड़ा कर सूरज का सर पकड़कर अपने दोनों बूब्स बारी बारी से सूरज को चुसवाने लगती है..

सूरज नज़मा के बूब्स पर खड़े दाने को दांतो से खींचता हुआ पूरी मेहनत और प्यार के साथ चूसता है और नज़मा के बूब्स पर लव बाईट देने लगता है नज़मा सूरज को लव बाईट देने से नहीं रोकती और सूरज नज़मा की छाती पर अनेक लव बाईट के निशान छोड़ता हुआ उसके बूब्स को चूसता हुआ अपना एक हाथ पानी बहाती नज़मा की चुत पर लेजाकर रख देता है और सहलाने लगता है मगर नजमा सूरज के उस हाथ को पकड़ कर चुत सहलाते से रोकने की नाकाम कोशिश करती है.. पर सूरज बूब्स चूसते हुए चुत सहलाते सहलाते नज़मा को झड़ने पर मजबूर कर देता है और नज़मा चड्डी सलवार पहनें पहनें ही झड़ जाती है और झरना बहा देती है..

सूरज नज़मा के झड़ने के बाद उसकी सलवार का नाड़ा खींचकर खोल देता है और सलवार के साथ नज़मा की चड्डी भी एक ही बार में उतार देता है.. नज़मा अपने पैरों को मोड़ लेटी है और शर्म के उतारे हुए कपड़ो को उठाकर अपना मुंह छिपा लेती है..

सूरज खड़ा हो जाता है और कमरे से बाहर आकर बाथरूम में चला जाता है और मूतने लगता है.. उसी वक़्त सुमित्रा का फ़ोन आ जाता है.. रात के एक बज रहे थे..
सूरज - हेलो

सुमित्रा इस वक़्त घर की छत पर थी उसने कहा - हेलो सूरज?

हां.. माँ.. बोलो..

बेटू.. क्या कर रहा है?

माँ.. यार क्या बेतुके सवाल पूछ रही हो? बताया था ना आपको..

सुमित्रा - बेटू.. नाराज़ मत हो.. मैं तो बस यही पूछ रही थी कि कंडोम तो लगा रखा है ना तूने?

सूरज - हाँ लगा रखा है.. अब क्या फोटो भेजू आपको? सो जाओ ना आप.. सुबह आ जाऊंगा..

सुमित्रा - हनी..

सूरज - अब क्या है माँ?

सुमित्रा - मूझे चिंता हो रही है तेरी..

सूरज - माँ.. एक लड़की के साथ हूँ.. किसी चोर लुटेरे डाकू के साथ नहीं..

सुमित्रा - अपना ख्याल रखना.. और देखना कंडोम फट ना जाए.. बाय बेटू..

सूरज - बाय माँ..

सुमित्रा छत पर थी उसके बदन में भी कामुकता और मादकता भरी हुई थी वो ये सोचके काम कि भावना से भरी हुई थी कि उसका बेटा सूरज किसी के साथ इस वक़्त बिस्तर में चोदमपट्टी कर रहा होगा.. सुमित्रा घर कि छत पर ही सूरज के नाम कि ऊँगली करने लगी थी..

सूरज बाथरूम से वापस कमरे में आया तो बाहर से आती रौशनी में उसने देखा कि नज़मा वैसे ही अपने मुंह कपड़े से छिपा कर नंगी पड़ी हुई है.. सूरज इस बार कमरे का दरवाजा बंद कर दिया जिससे बाहर से आती रौशनी भी अंदर आनी बंद हो गई और कमरे में पूरा अंधकार छा गया.. नज़मा ने कपड़े से मुंह छिपाया हुआ था उसे इसका कोई पता नहीं चला कि सूरज ने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया है और अब उसने लाइट ऑन कर दी है.. लाइट की रौशनी में बिस्तर पर नंगी पड़ी नज़मा का बदन ऐसे चमक रहा था जैसे कोयले की खान में हिरा चमकता है..

सूरज ने अपनी जीन्स उतार दी और अब सिर्फ चड्डी मैं आ गया.. फिर नज़मा के पैरों की तरफ आकर उसकी दोनों टांगो को अपने हाथों दे खोलकर चौड़ा कर दिया और नज़मा की चुत जिसपर नज़मा की चुत से बहे झरने का पानी चिपका हुआ था बेडशीट के कपड़े से साफ करके अपने दोनों हाथ नज़मा की जांघो के जोड़ पर रखकर नज़मा की चुत खोलते हुए सूरज ने नज़मा की चुत से मुंह लगा लिया और नज़मा की चुत चाटना शुरु कर दिया..

नज़मा की चुत पर जब सूरज ने अपने होंठो को लगाया नज़मा के तन बदन में काम वासना की आधी उड़ने लगी जो सूरज को होने आंधी में उड़ा कर लेजाना चाहती थी.. नज़मा के हाथ कब अपने आप सूरज के सर पर पहुचे और कब नज़मा के मुंह से कामुक सिस्कारिया निकली उसे पता भी नहीं चला.. नज़मा को लाइट ऑन होने पर शर्म आ रही थी मगर काम सुख शर्म से कहीं ज्यादा था इसलिए नज़मा ने लाइट के ऑन होने की परवाह छोड़कर सम्भोग का आनद लेना जरुरी समझा...

सूरज नज़मा की चुत को ऐसे चूस चूस के चाट रहा था जैसे बॉलीवुड की हीरोइन प्रोडूसर का लंड चूसने के बाद आंड चाटती है.. सूरज अपने हाथों के दोनों अंगूठे से नज़मा की चुत चौड़ी करके अंदर तक चाट रहा था और दाने को चुम्मा रहा था जिससे नज़मा अपने आप पर काबू नहीं रख पाई और वापस झड़ गई मगर समय रहते सूरज ने अपना मुंह हटा लिया और वो नज़मा के पानी की धार में भीगने से बच गया..

नज़मा की साँसे तेज़ थी और उसका पूरा बदन पसीने से लथपथ.. चुचे साँसों के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे..
सूरज नज़मा के ऊपर आ गया और उसकी आखो में देखते हुए बोला - तैयार हो भाभी?

नज़मा काम भावना से पूरी तरह भर चुकी थी वो बोली - और मत तड़पाओ भाईजान.. डाल दो ना अब..

सूरज - भाभी आप ही सीखा दो कैसे ड़ालते है? मूझे कहा आता है डालना..

नज़मा सूरज की चड्डी नीची करके सूरज के खड़े लंड को अपनी चुत में अटका देती है और कहती है - घुसाओ ना भाईजान..

सूरज का दबाव डालके घुसाता है तो लंड गीली चुत में फिसलता हुआ चला जाता है और नज़मा सिसकते हुए अह्ह्ह करने लगती है.. सूरज का लंड बिलाल से बहुत बड़ा था जिसका अहसास अभी अभी नज़मा को होने लगा था और वो अपने दोनों हाथों से सूरज को अपनी बाहों में भरके उसके होंठो को चूमते हुए अपनी गांड उठा उठा कर सूरज से चुदवा रही थी..

नज़मा - अह्ह्ह्ह... अह्ह्ह.. भाईजान.. अह्ह्ह..

सूरज - भाभी आपके नीचे का मामला तो बहुत टाइट है.. बिल्ला ठीक से नहीं करता शयद..

नज़मा - अह्ह्ह भाईजान.. अह्ह्ह..

सूरज चोदते चोदते - भाभी.. चुत में लंड चला गया.. अब तो भाईजान मत बोलो.. सूरज कहो ना..

नज़मा अह्ह्ह्ह.. भाईजान.. कहते हुए फिर से सूरज को पकड़ लेती है और चूमने लगती है..
सूरज चोदना रोककर नज़मा की कमर पकड़कर उसे घोड़ी बना लेता है और फिर उसकी चुत मारने लगता है..

सूरज को जितना मज़ा नज़मा को घोड़ी बनाके चोदने में आ रहा था उसका ब्यान करपाना कठिन है.. सूरज को उन पल के लिए मोक्ष की प्राप्ति हो रही थी.. सूरज जितनी मोहब्बत के साथ नज़मा को घोड़ी बनाकर उसकी चुत में झटके मार रहा था उतनी तेज़ी से दोनों की चुदाई की आवाज कमरे में गूंज रही थी..

नज़मा के मुंह से सिस्कारिया निकल रही थी जिसे सुनकर सूरज कामसुख के घोड़े पर सवार था.. नज़मा की चुत वापस तीसरी बार झड़ने को बेताब थी..

सूरज ने घोड़ी के बाद नज़मा को चोदना छोड़कर बेड पर लेट गया और नज़मा से बोला - आओ भाभी सारी मेहनत मुझिसे करोगी? थोड़ी खुद भी तो करो.. आओ..

नज़मा लाइट के उजाले में शर्मा रही थी मगर काम वासना से भी भरी हुई थी.. नज़मा सूरज के लंड पर बैठ गई और धीरे धीरे अपनी गांड हिलाते हुए सूरज की आँखों में देखने लगी जैसे कह रही हो कि सूरज अब मूझे तुझसे कोई शर्म नहीं है..

दोनो काम वासना भरी आँखों से एक दूसरे को देख रहे थे और अब दोनों ही झड़ने कि कगार पर थे.. सूरज ने नज़मा कि कमर में हाथ डालकर उसे नीचे ले लिया और वापस मिशनरी में चोदते हुए नज़मा के साथ ही झड़ गया... और दोनों कुछ देर तक गहरी गहरी साँसों के साथ वैसे ही लेटे रहे...

सूरज नज़मा के बाल सवारते हुए - मुबारक हो भाभी...

नामज़ - आपको भी भाईजान...

सूरज - अब भी भाईजान बोलोगी?

नज़मा मुस्कुराते हुए - आपको भाईजान मानती हूँ तो भाईजान ही बोलूंगी ना.. तुम्हारी तरह मुंह पर कुछ और दिल में कुछ और तो नहीं है मेरे..

सूरज - भाईजान पसंद आये.. आपको भाभी?

नज़मा मुस्कुराते हुए - बहुत पसंद..

सूरज - बिलाल से भी ज्यादा पसंद?

नज़मा - कई गुना ज्यादा.. उसका और आपका तो कोई मेल ही नहीं..

सूरज - अपने पति कि बुराई कर रही हो भाभी?

नज़मा - बाहर तो निकाल लो भाईजान.. ऐसे ही सोने की इरादा है क्या?

सूरज - अभी दो बजे है भाई.. रहने दो अंदर बेचारे को अच्छा लग रहा है..

नज़मा - अह्ह्ह... आप ये क्या कर रहे हो भाईजान?

सूरज - भाभी वापस खड़ा हो गया क्या करू?

नज़मा हसते हुए - एक ही रात में प्रेग्नेंट कर दोगे तो वापस कैसे मिल पाओगे भाईजान..

सूरज नज़मा कि टांग फैला कर चोदते हुए - वो सब बाद में सोचेंगे भाभी... अह्ह्ह
नज़मा - अह्ह्ह.. अह्ह्ह.. भाईजान.. अह्ह्ह..
दोनों का सम्भोग वापस शुरु हो जाता है..

सुबह के साढ़े चार बजते बजते दोनों के बीच दो बार सम्भोग पूरा हो चूका होता है.. नज़मा दो बाद चुद चुकी थी.. और नज़मा सूरज के सीने पर लेटी हुई थी दोनों जागे हुए थे.. दोनों के बीच शर्म का पर्दा हट चूका था..

सूरज - सोचा नहीं था भाभी कभी हमारे बीच कुछ ऐसा भी होगा..

नज़मा - सही कहा भाईजान.. पहले तो मैं आपको सिर्फ पसंद करती थी मगर अब तो आपने मेरी रूह को भी छू लिया है.. मैं बता नहीं सकती अब आपकी ख़ुशी मेरे लिए कितने मायने रखती है.. मैं आपकी ख़ुशी के लिए कुछ भी कर सकती हूँ..

सूरज - कुछ भी?

नज़मा - हाँ कुछ भी..

सूरज - एक रात में इतना अपनापन?

नज़मा सूरज के ऊपर से उठते हुए - आप मूझे बच्चे का सुख देने वाले हो भाईजान.. आपकी ख़ुशी मेरे लिए मायने बहुत रखती है.. अपनापन तो पहले भी था आपसे.. बस कभी कह ना सकी.. आपने कहा था ना मेरे हाथों से चाय पीनी है आपको.. मैं अभी बनाके लाती हूँ.. और अपने हाथों से पीला भी दूंगी..

सूरज - भाभी इतना सब करने की क्या जरुरत?
नज़मा - आपकी इतनी सी ख्वाहिश भी पूरी ना कर पाई तो लानत है भाईजान मूझ पर..

नज़मा रसोई में चाय जाती है और 10 मिनट में चाय बनाकर ले आती है फिर सूरज की गोद में उसकी तरफ मुंह करके बैठ जाती है और अपने हाथ सूरज को चाय पिलाने लगती है..

नज़मा चाय पीलाते हुए - अगली बार शराब मत पीके आना भाईजान.. मैं अपने हाथों से पीला दूंगी..

सूरज - भाभी आपका और मेरा कुछ रातों का साथ है.. क्यों इश्क़ के बीज बो रही हो.. मैं ये ताल्लुक नहीं निभा पाऊंगा..

नज़मा - दिल पर किसी का जोर थोड़ी चलता है भाईजान? बिलाल जो चार साल में ना कर पाया आपने 4 घंटो में कर दिया.. आपकी बाहों से ऐसा महसूस होता है जैसे जिस्म को मखमली बिस्तर का बिछोना मिल गया हो.. इतनी प्यार भरी बातें तो कभी बिलाल ने भी नहीं की होंगी.. उसने बिस्तर में मेरा जिस्म हासिल किया है मगर आपने रूह भी हासिल की है.. आपकी बातें दिल को धड़काती है मूझे मेरे औरत होने का और मेरे वज़ूद का अहसास दिलाती है.. आपके साथ आज रात बिताकर लगता है मैं भी इंसान हूँ और मेरी भी अपनी ख़ुशी है.. वरना कब से मैं बस घुट घुट के परदे में जी रही थी..

सूरज - भाभी जबतक आपके बच्चा नहीं लग जाता.. मैं कोशिश करूंगा आपको बाकी हर ख़ुशी दे सकूँ.. अगली बार क्या तोहफा चाहिए बता दो? ला दूंगा..

नज़मा सूरज को चूमते हुए - मेरा तोहफा तो आप हो भाईजान.. आपके अलावा मूझे कुछ नहीं चाहिए..

सूरज - 5 बजने वाले है भाभी.. अब मूझे चलना चाहिए..

नज़मा - कुछ देर और रुक जाओ ना

भाईजान.. अभी तो अंधेरा है..

सूरज नज़मा के ऊपर आकर उसकी जुल्फ संवारते हुए - बिलाल नीचे आये उससे पहले मेरा चले जाना मुनासिफ होगा भाभी..
नज़मा - मेरे बदन पर आपने इतने निशान छोड़े है की बिलाल देखकर पागल ना हो जाए..

सूरज - तो उसे करीब क्यों आने देती हो भाभी.. कुछ दिन अपने से दूर ही रखो..

नज़मा हसते हुए - घर में मर्द की सुन्नी पड़ती है भाईजान.. औरतों तो बस हुक्म बजाने के लिए होती है..

सूरज - जमाना बदल गया है भाभी..

नज़मा - मेरी एक बात मानोगे?

सूरज - हर बात मानुगा.. बस कुछ ऐसा मत कह देना कि मैं मजबूर हो जाऊ..

नज़मा - मूझे मेरे नाम से बुलाओ ना भाईजान..

सूरज मुस्कुराते हुए - ये तो तभी मुमकिन है भाभी जब आप भी मूझे मेरे नाम से पुकारो..
नज़मा धीरे से - सूरज..

सूरज - नज़मा..

दोनों कुछ देर एक दूसरे को देखते है और आँखों ही आँखों में दोनों के होंठो को वापस मिलना पड़ता है और फिर सूरज दिवार घड़ी को देखकर कहता है - अब जाने दो नज़मा..

नज़मा - काश मैं हर दिन ऐसे ही बच्चों कि तरह आपको अपनी छाती से लगाकर रख पाती सूरज..

सूरज खड़ा होकर अपने कपड़े पहनते हुए - ऐसे ख़्वाब मत देखो नज़मा.. जब पुरे नहीं होते तो बहुत तकलीफ देते है.. जीना मुहाल कर देते है.. एक वक़्त निकल जाता है इन सब से निकलते हुए..

नज़मा बिना किसी शर्म के अब नंगी ही बेड से खड़ी हो जाती है और सूरज के सामने खड़ी होकर अपने घुटनो बैठते हुए सूरज का लंड पकड़कर कहती है - जो ख्वाब पुरे ना हो.. उन ख़्वाबो को देखना गलत नहीं है सूरज.. मैं जानती हूँ आप मेरे कभी नहीं बन सकते.. इसका मतलब ये नहीं कि आपके साथ मैं ख्वाबों में भी एकसाथ नहीं जी सकती..

इतना कहकर नज़मा सूरज का लंड मुंह में भर लेती है और चूसने लगती है नज़मा blowjob देने लगती है..

सूरज के लंड में अकड़न आने लगती है मगर सूरज नज़मा के मुंह से लंड निकालकर पेंट पहन लेता है और नज़मा से कहता है - छः बजने वाले है.. कपड़े पहन लो बिलाल कभी भी नीचे आ सकता है..

नज़मा - जाने से पहले एक चुम्मा भी नहीं दोगे सूरज?

सूरज नज़मा को बाहों में भरके चूमते हुए - अपना ख्याल रखना..

नज़मा मुस्कुराते हुए - आप भी..


सूरज अपनी स्कूटी उठाकर नज़मा के घर से निकल जाता है और नज़मा कपड़े पहन कर सबसे पहले कमरे को ठीक करती है बेडशीट बदलती है और नहाती है.. सात बजे बिलाल नीचे आता है और नज़मा से बात किये बिना ही नहा कर अपना दैनिक काम कर दूकान का शटर ऊपर करके दूकान संभालता है..

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रात के 10 बजे सूरज सीढ़ियों से नीचे हॉल में आया तो उसके पापा ने कहा..

जयप्रकाश - इतना तैयार होके कहा जा रहा है?

सूरज - पापा वो एक दोस्त का bday है.. बस वही जा रहा था.. आज रात वही रहूँगा.. आपके स्कूटी कि चाबी चाहिए...

जयप्रकाश - वही कमरे में रखी होगी.. ले ले..

सूरज - ठीक है.. सूरज कमरे में जाता है तो पीछे पीछे सुमित्रा भी कमरे में चली जाती है..

सुमित्रा - तू सच में दोस्त के bday पर जा रहा है या कहीं और? सच बताना..

सूरज - दोस्त के bday में ही जा रहा हूँ माँ.. आप भी क्या मेरे पीछे ही पड़ी रहती हो हमेशा.. आजकल बहुत नज़र रखती हो मुझपर जैसे मैं कोई क्रिमिनल हूं.

सुमित्रा - खा मेरी कसम.. तू दोस्त के bday में जा रहा है..

सूरज - मैं कसम वसम नहीं मानता समझी आप..

सुमित्रा - तो खा ना मेरी कसम..

सूरज - मैं नहीं खाऊंगा..

सुमित्रा - सच बता कहा जा रहा है? वरना घर से कदम बाहर रखने नहीं दूंगी तुझे.. किसी लड़की से मिलने जा रहा है ना.. जैसे सगाई वाली रात मिलके आया था.. जो पैसे लेकर वो सब करती है.. बोल..

सूरज - माँ... क्या बोल रही हो..

सुमित्रा - सच बता सूरज..

सूरज - ठीक है.. पापा को नहीं बताओगी..

सुमित्रा - किसी को नहीं कहूँगी.. बता..

सूरज कोई झूठ बात सोचकर - दोस्त की ex गर्लफ्रेंड है किसी होटल में मिलने बुलाया है..

सुमित्रा - और तेरे उस दोस्त का क्या? उसे पता ये सब?

सूरज - माँ ex गर्लफ्रेंड है.. उसे अब क्या मतलब..

सुमित्रा अपने ब्लाउज में से बटुआ निकालकर 1 हज़ार रुपए सूरज की जेब में रख देती है और कहती है - कंडोम पहन के करना जो करना है.. आजकल की लड़किया बहुत तेज़ हो गई है.. किसी भी शरीफ लड़के अपने जाल फँसाना उन्हें अच्छे से आता है.. समझा?

सुमित्रा का पल्लू हटा हुआ था और ब्लाउज में उसकी क्लीवेज साफ साफ सूरज को दिख रही थी.. जिसे सुमित्रा ने जानबूझ कर खुला छोड़ दिया था ताकि सूरज उसकी और आकर्षित हो सके मगर सूरज ने वो सब देखकर सुमित्रा से कहा..
सूरज - समझ गया माँ.. और आप अपना ये खज़ाना छुपा लो.. पापा की नज़र पड़ गई तो अगले साल मेरा छोटा भाई या बहन पैदा हो जाएगा..

सुमित्रा सूरज की बात सुनकर हसते हुए बिना अपना पल्लू अपने ब्लाउज के ऊपर किये बोली - नहीं होगा.. तेरे पापा सालों पहले ही अपनी हिम्मत हार चुके है..

सूरज हसते हुए - तभी अक्सर आप वो गाना गाती हो.. मैं क्या करू राम मुझे बुड्ढा मिल गया..

सुमित्रा हसते हुए - चुप शैतान.. मा से कोई ऐसे बात करता है भला? अब जा.. और सुबह जल्दी आ जाना.. रात को कोई भी परेशानी हो मुझे फ़ोन या मैसेज करना..

सूरज सुमित्रा को बाहो मे लेके गाल पर चुम्मा देकर - माँ आप बहुत प्यारी हो.. काश कोई आपके जैसी मुझे भी मिल जाए..

सुमित्रा - अच्छा? क्या करेगा अगर कोई मेरी जैसी मिल गई तो?

सूरज - सब सोचा हुआ माँ.. पहले शादी फिर सुहागरात उसके बाद 8-10 बच्चे..

सुमित्रा चौंकते हुए - 8-10?

सूरज - क्यों कम है? ज्यादा भी हो सकते है..

सुमित्रा हस्ते हुए - अच्छा अब मुझे छोड़.. तेरे पापा हम दोनों को ऐसे देखेंगे तो गलत समझेंगे..

सूरज - तो समझने दो.. गले लगने मे भी कोई अगर गलत समझें तो हम क्या कर सकते है? मैं तो अपनी मा को अपनी मर्ज़ी से छोडूंगा..

सुमित्रा - अच्छा? मुझे ऐसे बाहो मे भरके खड़ा रहेगा तो तेरी उस दोस्त की गर्लफ्रेंड का क्या होगा जो तेरा इंतजार कर रही है?

सूरज - उसे इंतजार करने दो.. मेरे लिए मेरी मा से बढ़कर कोई है..

सुमित्रा और सूरज गले लगे हुए थे और बात कर रहे थे बात करते करते उनके चेहरे एकदूसरे के कितने करीब आ गए थे उन्हें भी पता नहीं चला.. सुमित्रा तो जैसे अपना संयम खोने है वाली थी अगर बाहर से जयप्रकाश के खांसाने की आवाज ना आती तो शायद आज सुमित्रा ने सूरज के होंठो पर अपनी मोहब्बत या कहो हवस की मुहर लगा है देती..

जयप्रकाश की खांसी सुनकर सूरज ने सुमित्रा से कहाँ - पापा को खांसी की दवा दे दो.. दो दिनों से बहुत खांसी हो रही है उन्हें.. और अब अपना ये खज़ाना भी छीपा लो.. सूरज ने सुमित्रा को बाहो से आजाद करते हुए उसका पल्लू ब्लाउज के ऊपर करते हुए कहा..

सुमित्रा उदासी से - ऐसे खज़ाने का क्या फ़ायदा जिसे कोई लूटने वाला है ना हो..

सूरज - क्या कहा आपने?

सुमित्रा - कुछ नहीं.. अब जा..

सूरज सुमित्रा के गाल पर चुम्मा देकर - बाय माँ..

सुमित्रा की बात को सूरज ने सुन लिया था और अनजान बनकर उसे अनसुना भी कर दिया था मगर सूरज को अब इस बात का अहसास हो चूका था की सुमित्रा कितनी अकेली है और उससे बात करने वाला और उसके साथ वक़्त बिताने वाला कोई है नहीं.. जयप्रकाश भी सुमित्रा के साथ उतना वक़्त नहीं बताते थे वो अकसर अपने दोस्तों या दफ़्तर की फाइल्स मे गुस्से रहते थे..

सूरज घर से निकलता है कि उसके फ़ोन पर बरखा का फ़ोन आ जाता है..

हेलो

क्या कर रहा है हनी..

कुछ नहीं दी..

घर आ सकता है?

इस वक़्त? आ जाऊंगा पर.. सब ठीक है ना?

हाँ सब ठीक है.. तू आजा..

बात क्या है दी? बताओ ना..

अरे कुछ नहीं.. कोई जरुरी काम कर रहा है तो रहने दे.. कोई बात नहीं..

नहीं दी.. आपसे ज्यादा क्या जरुरी काम? बस खाना खाने जा रहा था.. आता हूँ..

आजा.. अपने हाथ से खाना बनाके खिला दूंगी तुझे..

बरखा ने फ़ोन काट दिया और मुस्कुराते हुए हनी के बारे में सोचने लगी.. पीछे कुछ दिनों से उसके मन में सूरज ही घूम रहा था.. सिर्फ उसके ही नहीं हेमलता के भी.. मगर हेमलता ने अपनी भावनाओं पर काबू पा लिया था.. बरखा को ना जाने क्यों आज सूरज से मिलने कि तलब हुई और उसने रात के इस वक़्त उसे फ़ोन कर दिया.. सूरज कुछ ही देर में बरखा के घर आ गया और बरखा ने दरवाजा खोलकर सूरज को घर के अंदर रसोई में ले गई..

क्या हुआ दी? और काका काकी कहा है?

वो तो यात्रा में गए है कल सुबह आ जायेंगे.. तेरे लिए पराठे बनाये है.. खिला दूँ अपने हाथ से?

क्या बात है दी.. बड़ा प्यार आ रहा है मुझ पर आपको आज?

क्यों? नहीं आ सकता?

नहीं.. आ सकता है.. पर आज कुछ ज्यादा ही आ रहा है ना इसलिए पूछ लिया..

बरखा अपने हाथ सूरज को खाना खिलाती हुई - कल मैं वापस जा रही हूँ.. सोचा एक बार अपने हनी से मिल लूँ.. इसलिए बुला लिया.. गलत किया?

सूरज खाना खाते हुए - नहीं.. अच्छा किया दी.. आप कुछ और दिन रह जाती ना दी..

वापस आउंगी तब रहूंगी.. लेकिन एक बात बता.. तू इतना सज धज के क्यों आया है?
मुझे इम्प्रेस करने के लिए?

आपको इम्प्रेस करने के लिए मुझे सजने की जरुरत है? और वैसे आपको इम्प्रेस करके मुझे क्या मिलेगा? आपको तो अपनी बड़ी बहन मानता हूँ मैं..

बरखा खाना खिलाते हुए - मैं अच्छे से जानती हूँ आजकल के लड़को को.. वो क्या कहते है.. हां.. गांधी जी की योजना.. बहन बनाकर चो...

बरखा आगे बोल पाती इससे पहले ही सूरज बोला..
सूरज - दीदी... आप ना बहुत बेशर्म हो गई हो.. कुछ भी सोचती और बोलती हो.. और हाथ दो जरा आपका.. सूरज बरखा की उंगलियां सुघकर.. सिगरेट पी रही थी मेरे आने से पहले?

बरखा हस्ते हुए अपना हाथ छुड़ाकर सूरज को खाना खिलाते हुए - उसके लिए भी तुझसे पूछना पड़ेगा मुझे?

सूरज - कल कब की ट्रैन है?

बरखा - दिन की है.. 3 बजे की..

सूरज - मैं स्टेशन छोड़ दूंगा आपको..

बरखा - अच्छा? स्टेशन का रास्ता कितना सुनसान है.. तूने रास्ते में मेरे साथ कुछ ऐसा वैसा कर दिया तो? मैं क्या करूंगी? बोल..

सूरज - दी.. आपने मज़े लेने के लिए बुलाया है ना मुझे?

बरखा मुस्कुराते हुए - तेरे मज़े लेने के लिए बुलाने की क्या जरुरत है? वो तो फ़ोन पर ही ले लेती मैं.. मुझे तेरी ये प्यारी और मासूम सी शकल देखनी थी..

सूरज - देख ली? अब मैं जाऊ?

बरखा - बड़ी बहन मानता है ना मुझे.. मेरे लिए थोड़ी देर और नहीं रुक सकता?

सूरज - ठीक है...

बरखा - शराब पियेगा मेरे साथ?

सूरज - नहीं..

बरखा - पापा के साथ तो पिता है..

सूरज - कभी कभी..

बरखा - हाँ तो वो कभी आज मेरे साथ है..

सूरज - काकी को पता चल गया ना.. जान ले लेगी मेरी..

बरखा - बताएगा कौन? तू?

बरखा अपने पीता बंसी की छुपाई हुई शराब की बोतल निकालती है और दो पेग बनाती है और एक सूरज को दे देती है..

सूरज - दी.. आप कमाल हो..

बरखा शराब पीते हुए - एक पर्सनल बात पुछु?

सूरज पेग ख़त्म करके - हम्म..

बरखा भी अपना पेग ख़त्म करके - तेरी कोई गर्लफ्रेंड तो है नहीं.. फिर काम कैसे चलता है तेरा?

सूरज - कोनसा काम?

बरखा दूसरा पेग बनाकर सूरज को देती है फिर अपने हाथ से लंड हिलाने का इशारा करते हुए कहती है - ये काम.. अब समझा?

सूरज हसते हुए - मुझे ना अब शर्म आने लगी है आपके साथ..

बरखा मुस्कुराते हुए अपना दूसरा पेग पीकर - शर्माता हुआ कितना क्यूट लगता है तू.. वैसा बता ना.. सिर्फ हाथ से जयकारे लगाता है या कोई छेद भी ढूंढ़ रखा है छोटे नवाब के लिए?

सूरज दूसरा पेग पीकर - आपको क्यों बताऊ? वैसे भी बहन भाई के बीच ऐसी बातें अच्छी नहीं लगती.. और अब ज्यादा मत पियो.. नशा होने लगा है आपको..

बरखा तीसरा पेग बनाकर - एक आखिरी हो जाए बस..

सूरज पेग उठाकर - अगर काकी को पता चला ना तो फिर देख लेना आप..

बरखा पेग पीते हुए - उसकी चिंता छोड़ दे.. तू बता गर्लफ्रेंड है या नहीं.. अगर नहीं है तो मैं बनवा दूंगी.. मेरा छोटा भाई अपने हाथ से काम चलाये.. अच्छा थोड़ी लगता है..

सूरज - किसे बनाओगी मेरी गर्लफ्रेंड?

बरखा - लड़कियों की कोई कमी थोड़ी है उदयपुर में.. जिससे बोलेगा उसीके साथ करवा दूंगी..

सूरज कुछ सोचकर - सपना आंटी पसंद मुझे..

बरखा - वो पड़ोस वाली? 40 साल की बुड्ढी?

सूरज अपना पेग ख़त्म करके - अभी से कहा बुड्ढी हो गई वो?

बरखा अपना पेग ख़त्म करते हुए - तुझे बड़ी औरते पसंद है?

सूरज - कोई बुराई है इसमें?

बरखा हसते हुए - नहीं.. वो बात नहीं है.. तू फ़िक्र मत कर तेरा काम हो जाएगा..

सूरज अपने फ़ोन पर बिलाल का फ़ोन आता देखकर - घर से फ़ोन आ रहा है.. अब जाऊ?

बरखा - ठीक है किस्सी दे जा एक..

सूरज बरखा के गाल पर kiss करता है..

बरखा नशे में - गाल पर नहीं हनी.. होंठो पर..

सूरज हसते हुए - अब कुछ ज्यादा हो रहा है आपका दी..

बरखा - कोनसी तेरी इज़्ज़त लूट रही हूँ.. एक kiss के लिए ही तो बोला है.. छोटा था तब भी तो करता था..

सूरज हसते हुए - करता नहीं था आप जबरदस्ती चूमती थी मुझे.. वो तो कोई देखने वाला नहीं था वरना बच्चे को मोलेस्ट करने के चार्ज में जेल जाती आप..

बरखा सूरज की शर्ट का कॉलर पकड़कर - हाय रे बच्चा... जब भाग भाग कर खुद मेरे पास आता था और कहता था दीदी चुम्मी दो और खुद मेरे होंठों पर टूट पड़ता था.. उसका क्या? मज़ा तुझे भी पूरा आता था..

सूरज मुस्कुराते हुए - आदत तो आपने ही लगाईं थी.. मैं तो बच्चा था..

बरखा - सपना आंटी चाहिए तो बरखा दीदी को चुम्मी करनी पड़ेगी जैसे बचपन में करता था..

सूरज बरखा के होंठों पर अपने होंठ रखकर चूमते हुए - बस?? अब जाता हूँ.. टाइम पास ज्यादा हो गया.. आप ख्याल रखना अपना..

बरखा - कल टाइम से आ जाना.. वरना मैं चली जाउंगी..

सूरज जाते हुए - ठीक है..

बरखा सूरज के जाने के बाद एक और शराब का पेग बनाकर पीती है और सिगरेट जलाकर कश केती हुई सपना को फ़ोन कर देती है...

हेलो..

सो रही थी क्या भाभी?

नहीं बरखा.. टीवी देख रही थी.. अब बस सोने ही जा रही थी.. बोलो इतनी रात को कैसे याद आ गई मेरी?

सपना (40)
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मुझे नहीं किसी और को तुम्हारी याद आती है रातों में..

सपना हसते हुए - अच्छा? तुम्हारे पापा से कहो सत्संग करने की उम्र में सम्भोग करने के सपने ना देखे.. दूकान पर सामान लेने आती हूँ तो ब्लाउज में ऐसे झांकते है जैसे आँखों से घूर के ब्रा का साइज़ बढ़ा देंगे.. कुछ करो अपने पापा का तुम..

बरखा - अरे भाभी.. पापा के बारे में बात नहीं कर रही.. पापा तो है ही एक नम्बर के ठरकी.. एक प्यारा सा लड़का है 22-23 साल का.. भाई की तरह है मेरे.. पसंद करता है तुम्हे.. एक बार बेचारे को जन्नत दिखा दो.. खुश हो जाएगा..

सपना हसते हुए - तस्वीर भेज दे.. पसंद आया तो बताउंगी..

बरखा - भेजती हूँ...

बरखा सूरज की तस्वीर भेजती है.. सपना तस्वीर देखकर फौरन बरखा को मैसेज करती है.. भेज देना अपने भाई को.. पेट भरके खुश कर दूंगी उसे..

बरखा मैसेज पढ़कर मुस्कुराते हुए ok लिख देती है और सिगरेट के कश लेती हुई नशे में धुत होकर सोचती है कि अगर सूरज सपना के साथ ये सब कर सकता है वो उसके साथ भी कर सकता है.. बस सूरज को किसी तरह अपने साथ सोने के लिए मानना पड़ेगा..


**********


सूरज बरखा के घर से बिलाल के घर जाने को निकला तो रास्ते में झील किनारे उसे कई दुकाने रात के इस वक़्त भी खुली दिखाई दी.. जहाँ टूरिस्ट खड़े हुए थे.. कई खाने की तो कई फेंसी आइटम की शॉप्स थी कुछ कपड़ो की..
सूरज ने स्कूटी एक दूकान के आगे रोक दी और अंदर जाकर कुछ खरीदकर वापस आ गया और स्कूटी स्टार्ट करके सूरज अब सीधा बिलाल के घर आ गया फिर स्कूटी अंदर खड़ी करके दुकान में बैठ जाता है..

रात के साढ़े 11 बज चुके थे सूरज नशे के सुरूर में था.. हालांकि उसे ज्यादा नशा नहीं हुआ था मगर फिर भी उसे शराब का सुरूर होने लगा रहा.. दूकान का शटर नीचे था.. बिलाल अंदर से आते हुए कहता है..
बिलाल - हनी..

सूरज कुर्सी से उठकर - बिल्ले..

बिलाल - मैं ऊपर सोने जा रहा हूँ.. तेरी भाभी पीछे कमरे में है..

सूरज - बिल्ले एक बार फिर सोच ले..

बिलाल - हनी मैंने सो बार यही सोचा है.. तू बस जब तक नज़मा प्रेग्नेंट ना हो जाए तब तक संभाल ले..

सूरज - ठीक है बिल्ले.. किसीको पता ना चले बस..

बिलाल - तुझसे ज्यादा मुझे उस बात की चिंता है.. मैंने नज़मा को समझा दिया है वो तुझे नहीं रोकेगी..

सूरज - ठीक है..

बिलाल - सुबह 6 बजे मैं नीचे आऊंगा.. तब तक तू और नज़मा अकेले नीचे रहोगे.. किसी चीज़ की जरूरत हो तो नज़मा से कह देना.. मैं जाता हूँ..

बिलाल ऊपर सोने चला गया और सूरज धीमे धीमे कदमो से पीछे वाले कमरे में दाखिल हो गया.. कमरे में अंधेरा था और बाहर आँगन मे जल रहे लट्टू की हलकी सी रौशनी कमरे में आ रही थी जिससे मध्यम रोशनी मे अंदर का नज़ारा देखा जा सकता था.. नज़मा बेड पर बैठी हुई थी.. उसके गोरे बदन पर गुलाबी सलवार थी और सफ़ेद दुपट्टा उसके जोबन को ढके हुए था..
सूरज ने कमरे के अंदर आकर बिना दरवाजा बंद किये लाइट जलाने लगा तभी नज़मा बोली..

नज़मा - लाइट मत जलाइये भाईजान..

सूरज ने लाइट नहीं जलाई और नज़मा के पास बिस्तर पर आकर बैठ गया..

सूरज ने जो रास्ते में ख़रीदा था वो नज़मा को देते हुए - भाभी ये आपके लिए..

नज़मा ने सूरज से थैला लेकर उसके अंदर से एक आसमानी कलर का सूट निकाला और उसे हाथों में लेकर बाहर से आती रोशनी में देखते हुए महसूस किया.. नज़मा समझ गई कि ये किसी ख़ास दूकान से लिया हुआ है..
नज़मा - ये क्यों ख़रीदा भाईजान..

सूरज नज़मा के और करीब आते हुए - भाभी पहले तो ये भाईजान बोलना बंद करो.. वरना मुझसे कुछ नहीं होगा..

नज़मा सूरज की बात पर मुस्कुरा पड़ती है..
नज़मा अपनी नज़र उठकर एक नज़र सूरज को देखकर - शराब पी है आपने?

सूरज - जब शराब की बू आ रही है तो पूछती क्यों हो भाभी..

नज़मा - ताकि आप इंकार कर सको.. और मुझे लगे कि आप थोड़ा सा मेरा लिहाज करते हो.. और आपके अंदर कोई बुराई नहीं है..

सूरज - अच्छाई और बुराई तो सब में होती है भाभी..

नज़मा नज़र झुका कर उसी तरह नीचे देखते हुए - सही है.. कम से कम आप मुझसे सच तो बोल रहे हो..

सूरज - भाभी आप अक्सर चाय पिलाने के बाद पूछती थी ना कि चाय कैसी बनी है? पता है मेरा क्या कहने का मन करता था?

नज़मा सूरज को एक नज़र देखकर - क्या?

सूरज - यही कि चाय ऐसी बनी है.. मन करता है आपको अपनी बाहों में उठाके घर ले जाऊं.. और आपकी बनाई चाय आपके हाथों से पिऊ..

नज़मा फिर से मुस्करा पड़ती है..

सूरज अपना एक हाथ घुमाके नज़मा के कंधे पर रख देता है और नज़मा के कान के पास अपने होंठ लाकर कहता है - भाभी गर्मी लग रही है..

नज़मा धीरे से शरमाते हुए - पंखा तो चालु है..

सूरज - फिर भी गर्मी लग रही है.. क्या करू?

नज़मा कुछ सोचकर - मेरे पास छोटी पँखी है.. मैं लाकर हवा कर देती हूँ..

सूरज - उससे कुछ नहीं होगा भाभी.. आप मेरी शर्ट उतार दो शायद कुछ राहत मिले..

नज़मा सूरज कि बात का मतलब समझ गई और मुस्कुराते हुए फिर से सूरज को एक नज़र देखकर अपने दोनों हाथ से सूरज के शर्ट के बटन खोलने लगी और उसका शर्ट उतार कर बेड के एक तरफ रख दिया..

सूरज प्यार से - भाभी आपको गर्मी नहीं लग रही?

सूरज की बात सुनकर नज़मा शर्म से अपना चेहरा अपनी दोनों हथेलियों से छुपा लेती है..

सूरज नज़मा की कमर में हाथ डालकर उसकी कमर पकड़ लेता और अपनी गोद में नज़मा को उठाकर बैठा लेता है..

नज़मा शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी और उसका दिल जोर से धड़कते जा रहा था..
सूरज को नज़मा के कूल्हे का मुलायम और गद्देदार अहसास कामुकता से भर रहा था..

सूरज ने नज़मा का दुप्पटा हटा दिया और उसकी कुर्ती को अपने दोनों हाथो से पकड़कर उठाने लगा लेकिन नज़मा ने अब तक अपना चेहरा अपनी हथेलियों से ढक रखा था.. इसलिए कुर्ती नज़मा की छाती तक उठाने के बाद सूरज पीछे से नज़मा के कान में बोलता है..
सूरज - हाथ ऊंचे करो ना भाभी..

नज़मा शर्म के मारे कुछ नहीं करती तो सूरज उसके दोनों हाथ पकड़कर ऊपर कर देता है और उसकी कुर्ती को झट से उतार कर अपने शर्ट के पास रख देता है.. नज़मा सिर्फ ब्रा में सूरज की गोद में बैठी हुई थी और उसकी नंगी पीठ अब सूरज के नंगे सीने से टकरा रही थी जिससे नज़मा काम और शर्म के मारे फिर से अपने चेहरे को अपनी हथेलियों से छुपा लेती है और सूरज नज़मा की नंगी गोरी पीठ का अहसास पाकर और कामुक हो उठता है जिससे उसके लंड में अब और अकड़न आ जाती है जिसका अहसास नज़मा को अपने कुल्हो पर हो रहा था.. सूरज ने नज़मा के दोनों हाथों को अपने दोनों हाथों में पकड़ लिया और नीचे करते हुए उसके चेहरे से हथेलिया हटा दी..

सूरज नज़मा के कान में - एक बात बोलू भाभी?

नज़मा शर्माते हुए - क्या?

सूरज नज़मा की गर्दन चूमते हुए - मूझे लगा नहीं था भाभी आपके बूब्स इतने मोटे होंगे.. क्या साइज है इनका?


नज़मा शर्म से इस बार भी कुछ नहीं बोलती..

सूरज - मत बताओ भाभी.. मैं खुद ही देख लेता हूँ..
सूरज ने अपने दोनों हाथ नज़मा की कमर से धीरे धीरे ऊपर लेजाकर उसकी ब्रा के अंदर डाल दिए और नज़मा के दोनों चुचे अपने हाथों में पकड़ लिए.. नज़मा के मुंह से सिस्कारी निकल गयी.. और वो काम की भावना से भरने लगी..

सूरज ने बूब्स को दबाते हुए मसलना शुरु कर दिया और नज़मा के कान में बोला - भाभी 36 के है ना?

इतना कहकर सूरज ने बूब्स पर से हाथ हटाकर नज़मा की ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा उतारकार बाकी कपड़ो के साथ रख दी.. नज़मा ने ब्रा खुलते ही अपने दोनों बूब्स को अपने दोनों हाथों से छीपा लिया..

सूरज पीछे से नज़मा की पीठ और गर्दन चूमता हुआ बोला - कब तक छुपा के रखोगी भाभी?
फिर सूरज थोड़ा आगे होकर पीछे लेट गया और नज़मा को भी अपने ऊपर पीठ के बल लेटा लिया और करवट लेकर अपने ऊपर से दाई तरफ गिरा कर नज़मा की कमर में हाथ डालकर उसे अपने से चिपकाते हुए नज़मा के होंठों के करीब अपने होंठ लेजाकर बोला - भाभी.. मेरी तरफ देखो ना..

नज़मा की आँखे बंद थी और वो धीरे से सूरज की आँखों की तरफ देखने लगी..
सूरज - शादी के 4 साल बाद भी इतनी शर्म भाभी?

नज़मा धीरे से - बिस्तर में एक बेशर्म खाफी होता है भाईजान..

सूरज - फिर से भाईजान? आपके होंठों को तो सजा देनी पड़ेगी भाभी...

ये कहकर सूरज नज़मा के होंठों पर अपने होंठ रख देता है और नज़मा आँख बंद करके सूरज को अपने होंठों की शराब पिने की इज़ाज़त दे देती है...

सूरज धीरे धीरे नज़मा के ऊपर और नीचे के होंठ चूमता और और फिर नज़मा के होंठो से लड़ता हुआ नज़मा के मुंह में अपनी जीभ डालकर नज़मा की जीभ को छेड़ने लगता है नज़मा को इस चुम्बन में मज़ा आ रह था.. सूरज उसे पसंद था और सूरज के सॉफ्ट होंठ को वो महसूस कर रही थी.. अब धीरे धीरे नज़मा ने भी सूरज को अपने होंठो से चूमना शुरु कर दिया..

सूरज को जब अहसास हुआ की नज़मा भी अब उसे चूमने में बराबर का सहयोग कर रही है तो वो मादकता की बारिश में भीगने लगा और नज़मा की कमर को कसके पकड़ता हुआ होनी तरफ खींचकर बिना चुम्मा तोड़े नज़मा को पेट के बल अपने ऊपर लिटा लिया..

नज़मा ने अपने बूब्स पर से अपने हाथ हटाकर सूरज का चेहरा थाम लिया और उसके बालों में हाथ फेरते हुए उसे इस तरह चूमने लगी जैसे कुत्ते मुंह चाटते है..

सूरज के सीने में नज़मा के चुचो पर खड़े चुचक खंजर की तरह चुभ रहे थे.. जिसका अहसास उसे जन्नत का मज़ा दे रहा था..
सूरज ने अपने दोनों हाथ कमर से नीचे लेजाकर नज़मा की गांड पर रख दिए और नज़मा के चुत्तड़ पकड़कर जोर से मसलने लगा.. मगर नज़मा ने चुम्मा नहीं तोड़ा और सूरज को अपनी गांड दबाने और मसलने की खुली छूट दे दी..

नज़मा सूरज को ऐसे चुम रही थी जैसे वो बरसो से सूरज को चूमना चाहती हो.. दोनों के होंठो और जीभ के बीच युद्ध छिड़ा हुआ था जिसमे कोई भी हार मनाने को तैयार नहीं था..
नज़मा ने कभी बिलाल के साथ ऐसा कुछ नहीं किया था.. बिलाल सामान्य सा दिखने वाला आदमी थी मगर सूरज को देखकर किसी भी लड़की का मन मचल सकता था..
सूरज ने नज़मा को करवट लेकर अपने नीचे लेलिया और चुम्बन तोड़ दिया..

सूरज ने नज़मा के दोनों हाथ पकड़ कर ऊपर उठा दिए और नज़मा से बोला - बता तो दो भाभी.. 36 के है ना..
नज़मा बिना कुछ बोले मुस्कुराते हुए हाँ में सर हिला देती है और सूरज नज़मा के बूब्स को मुंह में भरकर चूसने और चाटने लगता है..

नज़मा की अह्ह्ह... निकल जाती है और वो अपने दोनों हाथ छुड़ा कर सूरज का सर पकड़कर अपने दोनों बूब्स बारी बारी से सूरज को चुसवाने लगती है..

सूरज नज़मा के बूब्स पर खड़े दाने को दांतो से खींचता हुआ पूरी मेहनत और प्यार के साथ चूसता है और नज़मा के बूब्स पर लव बाईट देने लगता है नज़मा सूरज को लव बाईट देने से नहीं रोकती और सूरज नज़मा की छाती पर अनेक लव बाईट के निशान छोड़ता हुआ उसके बूब्स को चूसता हुआ अपना एक हाथ पानी बहाती नज़मा की चुत पर लेजाकर रख देता है और सहलाने लगता है मगर नजमा सूरज के उस हाथ को पकड़ कर चुत सहलाते से रोकने की नाकाम कोशिश करती है.. पर सूरज बूब्स चूसते हुए चुत सहलाते सहलाते नज़मा को झड़ने पर मजबूर कर देता है और नज़मा चड्डी सलवार पहनें पहनें ही झड़ जाती है और झरना बहा देती है..

सूरज नज़मा के झड़ने के बाद उसकी सलवार का नाड़ा खींचकर खोल देता है और सलवार के साथ नज़मा की चड्डी भी एक ही बार में उतार देता है.. नज़मा अपने पैरों को मोड़ लेटी है और शर्म के उतारे हुए कपड़ो को उठाकर अपना मुंह छिपा लेती है..

सूरज खड़ा हो जाता है और कमरे से बाहर आकर बाथरूम में चला जाता है और मूतने लगता है.. उसी वक़्त सुमित्रा का फ़ोन आ जाता है.. रात के एक बज रहे थे..
सूरज - हेलो

सुमित्रा इस वक़्त घर की छत पर थी उसने कहा - हेलो सूरज?

हां.. माँ.. बोलो..

बेटू.. क्या कर रहा है?

माँ.. यार क्या बेतुके सवाल पूछ रही हो? बताया था ना आपको..

सुमित्रा - बेटू.. नाराज़ मत हो.. मैं तो बस यही पूछ रही थी कि कंडोम तो लगा रखा है ना तूने?

सूरज - हाँ लगा रखा है.. अब क्या फोटो भेजू आपको? सो जाओ ना आप.. सुबह आ जाऊंगा..

सुमित्रा - हनी..

सूरज - अब क्या है माँ?

सुमित्रा - मूझे चिंता हो रही है तेरी..

सूरज - माँ.. एक लड़की के साथ हूँ.. किसी चोर लुटेरे डाकू के साथ नहीं..

सुमित्रा - अपना ख्याल रखना.. और देखना कंडोम फट ना जाए.. बाय बेटू..

सूरज - बाय माँ..

सुमित्रा छत पर थी उसके बदन में भी कामुकता और मादकता भरी हुई थी वो ये सोचके काम कि भावना से भरी हुई थी कि उसका बेटा सूरज किसी के साथ इस वक़्त बिस्तर में चोदमपट्टी कर रहा होगा.. सुमित्रा घर कि छत पर ही सूरज के नाम कि ऊँगली करने लगी थी..

सूरज बाथरूम से वापस कमरे में आया तो बाहर से आती रौशनी में उसने देखा कि नज़मा वैसे ही अपने मुंह कपड़े से छिपा कर नंगी पड़ी हुई है.. सूरज इस बार कमरे का दरवाजा बंद कर दिया जिससे बाहर से आती रौशनी भी अंदर आनी बंद हो गई और कमरे में पूरा अंधकार छा गया.. नज़मा ने कपड़े से मुंह छिपाया हुआ था उसे इसका कोई पता नहीं चला कि सूरज ने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया है और अब उसने लाइट ऑन कर दी है.. लाइट की रौशनी में बिस्तर पर नंगी पड़ी नज़मा का बदन ऐसे चमक रहा था जैसे कोयले की खान में हिरा चमकता है..

सूरज ने अपनी जीन्स उतार दी और अब सिर्फ चड्डी मैं आ गया.. फिर नज़मा के पैरों की तरफ आकर उसकी दोनों टांगो को अपने हाथों दे खोलकर चौड़ा कर दिया और नज़मा की चुत जिसपर नज़मा की चुत से बहे झरने का पानी चिपका हुआ था बेडशीट के कपड़े से साफ करके अपने दोनों हाथ नज़मा की जांघो के जोड़ पर रखकर नज़मा की चुत खोलते हुए सूरज ने नज़मा की चुत से मुंह लगा लिया और नज़मा की चुत चाटना शुरु कर दिया..

नज़मा की चुत पर जब सूरज ने अपने होंठो को लगाया नज़मा के तन बदन में काम वासना की आधी उड़ने लगी जो सूरज को होने आंधी में उड़ा कर लेजाना चाहती थी.. नज़मा के हाथ कब अपने आप सूरज के सर पर पहुचे और कब नज़मा के मुंह से कामुक सिस्कारिया निकली उसे पता भी नहीं चला.. नज़मा को लाइट ऑन होने पर शर्म आ रही थी मगर काम सुख शर्म से कहीं ज्यादा था इसलिए नज़मा ने लाइट के ऑन होने की परवाह छोड़कर सम्भोग का आनद लेना जरुरी समझा...

सूरज नज़मा की चुत को ऐसे चूस चूस के चाट रहा था जैसे बॉलीवुड की हीरोइन प्रोडूसर का लंड चूसने के बाद आंड चाटती है.. सूरज अपने हाथों के दोनों अंगूठे से नज़मा की चुत चौड़ी करके अंदर तक चाट रहा था और दाने को चुम्मा रहा था जिससे नज़मा अपने आप पर काबू नहीं रख पाई और वापस झड़ गई मगर समय रहते सूरज ने अपना मुंह हटा लिया और वो नज़मा के पानी की धार में भीगने से बच गया..

नज़मा की साँसे तेज़ थी और उसका पूरा बदन पसीने से लथपथ.. चुचे साँसों के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे..
सूरज नज़मा के ऊपर आ गया और उसकी आखो में देखते हुए बोला - तैयार हो भाभी?

नज़मा काम भावना से पूरी तरह भर चुकी थी वो बोली - और मत तड़पाओ भाईजान.. डाल दो ना अब..

सूरज - भाभी आप ही सीखा दो कैसे ड़ालते है? मूझे कहा आता है डालना..

नज़मा सूरज की चड्डी नीची करके सूरज के खड़े लंड को अपनी चुत में अटका देती है और कहती है - घुसाओ ना भाईजान..

सूरज का दबाव डालके घुसाता है तो लंड गीली चुत में फिसलता हुआ चला जाता है और नज़मा सिसकते हुए अह्ह्ह करने लगती है.. सूरज का लंड बिलाल से बहुत बड़ा था जिसका अहसास अभी अभी नज़मा को होने लगा था और वो अपने दोनों हाथों से सूरज को अपनी बाहों में भरके उसके होंठो को चूमते हुए अपनी गांड उठा उठा कर सूरज से चुदवा रही थी..

नज़मा - अह्ह्ह्ह... अह्ह्ह.. भाईजान.. अह्ह्ह..

सूरज - भाभी आपके नीचे का मामला तो बहुत टाइट है.. बिल्ला ठीक से नहीं करता शयद..

नज़मा - अह्ह्ह भाईजान.. अह्ह्ह..

सूरज चोदते चोदते - भाभी.. चुत में लंड चला गया.. अब तो भाईजान मत बोलो.. सूरज कहो ना..

नज़मा अह्ह्ह्ह.. भाईजान.. कहते हुए फिर से सूरज को पकड़ लेती है और चूमने लगती है..
सूरज चोदना रोककर नज़मा की कमर पकड़कर उसे घोड़ी बना लेता है और फिर उसकी चुत मारने लगता है..

सूरज को जितना मज़ा नज़मा को घोड़ी बनाके चोदने में आ रहा था उसका ब्यान करपाना कठिन है.. सूरज को उन पल के लिए मोक्ष की प्राप्ति हो रही थी.. सूरज जितनी मोहब्बत के साथ नज़मा को घोड़ी बनाकर उसकी चुत में झटके मार रहा था उतनी तेज़ी से दोनों की चुदाई की आवाज कमरे में गूंज रही थी..

नज़मा के मुंह से सिस्कारिया निकल रही थी जिसे सुनकर सूरज कामसुख के घोड़े पर सवार था.. नज़मा की चुत वापस तीसरी बार झड़ने को बेताब थी..

सूरज ने घोड़ी के बाद नज़मा को चोदना छोड़कर बेड पर लेट गया और नज़मा से बोला - आओ भाभी सारी मेहनत मुझिसे करोगी? थोड़ी खुद भी तो करो.. आओ..

नज़मा लाइट के उजाले में शर्मा रही थी मगर काम वासना से भी भरी हुई थी.. नज़मा सूरज के लंड पर बैठ गई और धीरे धीरे अपनी गांड हिलाते हुए सूरज की आँखों में देखने लगी जैसे कह रही हो कि सूरज अब मूझे तुझसे कोई शर्म नहीं है..

दोनो काम वासना भरी आँखों से एक दूसरे को देख रहे थे और अब दोनों ही झड़ने कि कगार पर थे.. सूरज ने नज़मा कि कमर में हाथ डालकर उसे नीचे ले लिया और वापस मिशनरी में चोदते हुए नज़मा के साथ ही झड़ गया... और दोनों कुछ देर तक गहरी गहरी साँसों के साथ वैसे ही लेटे रहे...

सूरज नज़मा के बाल सवारते हुए - मुबारक हो भाभी...

नामज़ - आपको भी भाईजान...

सूरज - अब भी भाईजान बोलोगी?

नज़मा मुस्कुराते हुए - आपको भाईजान मानती हूँ तो भाईजान ही बोलूंगी ना.. तुम्हारी तरह मुंह पर कुछ और दिल में कुछ और तो नहीं है मेरे..

सूरज - भाईजान पसंद आये.. आपको भाभी?

नज़मा मुस्कुराते हुए - बहुत पसंद..

सूरज - बिलाल से भी ज्यादा पसंद?

नज़मा - कई गुना ज्यादा.. उसका और आपका तो कोई मेल ही नहीं..

सूरज - अपने पति कि बुराई कर रही हो भाभी?

नज़मा - बाहर तो निकाल लो भाईजान.. ऐसे ही सोने की इरादा है क्या?

सूरज - अभी दो बजे है भाई.. रहने दो अंदर बेचारे को अच्छा लग रहा है..

नज़मा - अह्ह्ह... आप ये क्या कर रहे हो भाईजान?

सूरज - भाभी वापस खड़ा हो गया क्या करू?

नज़मा हसते हुए - एक ही रात में प्रेग्नेंट कर दोगे तो वापस कैसे मिल पाओगे भाईजान..

सूरज नज़मा कि टांग फैला कर चोदते हुए - वो सब बाद में सोचेंगे भाभी... अह्ह्ह
नज़मा - अह्ह्ह.. अह्ह्ह.. भाईजान.. अह्ह्ह..
दोनों का सम्भोग वापस शुरु हो जाता है..

सुबह के साढ़े चार बजते बजते दोनों के बीच दो बार सम्भोग पूरा हो चूका होता है.. नज़मा दो बाद चुद चुकी थी.. और नज़मा सूरज के सीने पर लेटी हुई थी दोनों जागे हुए थे.. दोनों के बीच शर्म का पर्दा हट चूका था..

सूरज - सोचा नहीं था भाभी कभी हमारे बीच कुछ ऐसा भी होगा..

नज़मा - सही कहा भाईजान.. पहले तो मैं आपको सिर्फ पसंद करती थी मगर अब तो आपने मेरी रूह को भी छू लिया है.. मैं बता नहीं सकती अब आपकी ख़ुशी मेरे लिए कितने मायने रखती है.. मैं आपकी ख़ुशी के लिए कुछ भी कर सकती हूँ..

सूरज - कुछ भी?

नज़मा - हाँ कुछ भी..

सूरज - एक रात में इतना अपनापन?

नज़मा सूरज के ऊपर से उठते हुए - आप मूझे बच्चे का सुख देने वाले हो भाईजान.. आपकी ख़ुशी मेरे लिए मायने बहुत रखती है.. अपनापन तो पहले भी था आपसे.. बस कभी कह ना सकी.. आपने कहा था ना मेरे हाथों से चाय पीनी है आपको.. मैं अभी बनाके लाती हूँ.. और अपने हाथों से पीला भी दूंगी..

सूरज - भाभी इतना सब करने की क्या जरुरत?
नज़मा - आपकी इतनी सी ख्वाहिश भी पूरी ना कर पाई तो लानत है भाईजान मूझ पर..

नज़मा रसोई में चाय जाती है और 10 मिनट में चाय बनाकर ले आती है फिर सूरज की गोद में उसकी तरफ मुंह करके बैठ जाती है और अपने हाथ सूरज को चाय पिलाने लगती है..

नज़मा चाय पीलाते हुए - अगली बार शराब मत पीके आना भाईजान.. मैं अपने हाथों से पीला दूंगी..

सूरज - भाभी आपका और मेरा कुछ रातों का साथ है.. क्यों इश्क़ के बीज बो रही हो.. मैं ये ताल्लुक नहीं निभा पाऊंगा..

नज़मा - दिल पर किसी का जोर थोड़ी चलता है भाईजान? बिलाल जो चार साल में ना कर पाया आपने 4 घंटो में कर दिया.. आपकी बाहों से ऐसा महसूस होता है जैसे जिस्म को मखमली बिस्तर का बिछोना मिल गया हो.. इतनी प्यार भरी बातें तो कभी बिलाल ने भी नहीं की होंगी.. उसने बिस्तर में मेरा जिस्म हासिल किया है मगर आपने रूह भी हासिल की है.. आपकी बातें दिल को धड़काती है मूझे मेरे औरत होने का और मेरे वज़ूद का अहसास दिलाती है.. आपके साथ आज रात बिताकर लगता है मैं भी इंसान हूँ और मेरी भी अपनी ख़ुशी है.. वरना कब से मैं बस घुट घुट के परदे में जी रही थी..

सूरज - भाभी जबतक आपके बच्चा नहीं लग जाता.. मैं कोशिश करूंगा आपको बाकी हर ख़ुशी दे सकूँ.. अगली बार क्या तोहफा चाहिए बता दो? ला दूंगा..

नज़मा सूरज को चूमते हुए - मेरा तोहफा तो आप हो भाईजान.. आपके अलावा मूझे कुछ नहीं चाहिए..

सूरज - 5 बजने वाले है भाभी.. अब मूझे चलना चाहिए..

नज़मा - कुछ देर और रुक जाओ ना

भाईजान.. अभी तो अंधेरा है..

सूरज नज़मा के ऊपर आकर उसकी जुल्फ संवारते हुए - बिलाल नीचे आये उससे पहले मेरा चले जाना मुनासिफ होगा भाभी..
नज़मा - मेरे बदन पर आपने इतने निशान छोड़े है की बिलाल देखकर पागल ना हो जाए..

सूरज - तो उसे करीब क्यों आने देती हो भाभी.. कुछ दिन अपने से दूर ही रखो..

नज़मा हसते हुए - घर में मर्द की सुन्नी पड़ती है भाईजान.. औरतों तो बस हुक्म बजाने के लिए होती है..

सूरज - जमाना बदल गया है भाभी..

नज़मा - मेरी एक बात मानोगे?

सूरज - हर बात मानुगा.. बस कुछ ऐसा मत कह देना कि मैं मजबूर हो जाऊ..

नज़मा - मूझे मेरे नाम से बुलाओ ना भाईजान..

सूरज मुस्कुराते हुए - ये तो तभी मुमकिन है भाभी जब आप भी मूझे मेरे नाम से पुकारो..
नज़मा धीरे से - सूरज..

सूरज - नज़मा..

दोनों कुछ देर एक दूसरे को देखते है और आँखों ही आँखों में दोनों के होंठो को वापस मिलना पड़ता है और फिर सूरज दिवार घड़ी को देखकर कहता है - अब जाने दो नज़मा..

नज़मा - काश मैं हर दिन ऐसे ही बच्चों कि तरह आपको अपनी छाती से लगाकर रख पाती सूरज..

सूरज खड़ा होकर अपने कपड़े पहनते हुए - ऐसे ख़्वाब मत देखो नज़मा.. जब पुरे नहीं होते तो बहुत तकलीफ देते है.. जीना मुहाल कर देते है.. एक वक़्त निकल जाता है इन सब से निकलते हुए..

नज़मा बिना किसी शर्म के अब नंगी ही बेड से खड़ी हो जाती है और सूरज के सामने खड़ी होकर अपने घुटनो बैठते हुए सूरज का लंड पकड़कर कहती है - जो ख्वाब पुरे ना हो.. उन ख़्वाबो को देखना गलत नहीं है सूरज.. मैं जानती हूँ आप मेरे कभी नहीं बन सकते.. इसका मतलब ये नहीं कि आपके साथ मैं ख्वाबों में भी एकसाथ नहीं जी सकती..

इतना कहकर नज़मा सूरज का लंड मुंह में भर लेती है और चूसने लगती है नज़मा blowjob देने लगती है..

सूरज के लंड में अकड़न आने लगती है मगर सूरज नज़मा के मुंह से लंड निकालकर पेंट पहन लेता है और नज़मा से कहता है - छः बजने वाले है.. कपड़े पहन लो बिलाल कभी भी नीचे आ सकता है..

नज़मा - जाने से पहले एक चुम्मा भी नहीं दोगे सूरज?

सूरज नज़मा को बाहों में भरके चूमते हुए - अपना ख्याल रखना..

नज़मा मुस्कुराते हुए - आप भी..


सूरज अपनी स्कूटी उठाकर नज़मा के घर से निकल जाता है और नज़मा कपड़े पहन कर सबसे पहले कमरे को ठीक करती है बेडशीट बदलती है और नहाती है.. सात बजे बिलाल नीचे आता है और नज़मा से बात किये बिना ही नहा कर अपना दैनिक काम कर दूकान का शटर ऊपर करके दूकान संभालता है..

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Bhut hi jabardast update
Sumitra Suraj ke parti aakarshit hoti ja rahi hai

Vahi bharka ka bhi Suraj par dil aa gaya hai kyonki uska pati use pyar nahi de pa raha hai

Vahi ek nayi aurat ki entry huyi hai sapna ki dekhte hai iske sath aage kese kya hota hai

Vahi najma to Suraj par puri tarah pida hi gayi ek raat me

Pratiksha agle update ki
 

moms_bachha

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(नज़मा - दिल पर किसी का जोर थोड़ी चलता है भाईजान? बिलाल जो चार साल में ना कर पाया आपने 4 घंटो में कर दिया.. आपकी बाहों से ऐसा महसूस होता है जैसे जिस्म को मखमली बिस्तर का बिछोना मिल गया हो.. इतनी प्यार भरी बातें तो कभी बिलाल ने भी नहीं की होंगी.. उसने बिस्तर में मेरा जिस्म हासिल किया है मगर आपने रूह भी हासिल की है.. आपकी बातें दिल को धड़काती है मूझे मेरे औरत होने का और मेरे वज़ूद का अहसास दिलाती है.. आपके साथ आज रात बिताकर लगता है मैं भी इंसान हूँ और मेरी भी अपनी ख़ुशी है.. वरना कब से मैं बस घुट घुट के परदे में जी रही थी..)
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सूरज खड़ा होकर अपने कपड़े पहनते हुए - ऐसे ख़्वाब मत देखो नज़मा.. जब पुरे नहीं होते तो बहुत तकलीफ देते है.. जीना मुहाल कर देते है.. एक वक़्त निकल जाता है इन सब से निकलते हुए..)


bhai sach batao pichle dino dil tuta hai kya ye to tute dil se nikli awaj hai itna to sure hu mai ,sach batao bhai koi dikat to nahi
Bhai dikat hogi to tum apni gf se setting krwa doge kya?
 
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