NiceUpdate 3
सूरज अपने रूम में आ जाता है अपने गद्दे पर उल्टा लेटकर अपना व्हाट्सप्प चेक करता है और सोचता है कि अब वो गरिमा से बात करे या नहीं.. इसी असमंजस में वो इसका इंतजार करता है कि गरिमा आगे कुछ लिखें तो जवाब दे और बातो का सिलसिला चले.. वही दूर कहीं गरिमा भी अपने बेड पर उल्टी लेटी हुई यही सोच रही कि पहले सूरज का मैसेज आये तो वो कुछ लिखें और वापस बातें शुरू हो..
सूरज और गरिमा के बीच अब तक घर गली शहर और देश के कई मुद्दों ओर लम्बी लम्बी और गहरी बातें हो चुकी थी दोनों को एक दूसरे से बात करना अच्छा लगने लगा था.. एक दूसरे को देवर जी और भाभी कहकर ही बात करना शुरू हो गया था.. आज कि रात दोनों ने एकदूसरे के पहले massage का इंतजार किया मगर दोनों ने ही कोई पहल नहीं की और परिणाम ये हुआ कि आज रात दोनों ही देर तक इंतजार करते हुए सो गए...
सूरज जब सुमित्रा के पास, रसोई से ऊपर अपने कमरे में चला गया तो सुमित्रा ने गहरी साँसे लेकर अपने आपको को संभाला जैसे वो बहुत देर से अपने आप पर काबू कर रही थी.. मगर वो किस चीज को काबू कर रही थी ये तो वही जानती थी..
सुमित्रा ने जल्दी से सूरज की प्लेट साफ करके रख दी और फ्रीज से एक खीरा निकालके छुपाकर अपने साथ कमरे में ले आई.. जयप्रकाश घोड़े बेचकर सो रहा था.. सुमित्रा ने एक नज़र उसे देखा और उसे देखकर मुंह मोड़ती हुई लाइट बंद करके बेड के दूसरी तरफ आ बैठी.. खीरा तकिये के पीछे छिपा दिया और अपना फ़ोन उठाकर इंटरनेट पर चुदाई की हिंदी कहानिया पढ़ने लगी..
अपने मन पर किसका जोर चलता है अगर मन को कुछ करने में सुख मिलता है और उस सुख से किसी को तकलीफ ना हो तो फिर उस सुख को भोगने में केसा पाप? सुमित्रा और जयप्रकाश के बीच सालों से प्रेम सम्बन्ध केवल बातों तक सिमित रह गया था.. जयप्रकाश ने अपने आपको को बुढ़ा मान ही लिया था और उसी तरह जीता था और सुमित्रा भी ऐसा ही दिखावा करती मगर उसके अंदर अब भी कोमार्य की अग्नि प्रजवल्लित हो रही थी..
उम्र के 45वे साल में थी सुमित्रा.. देखने में सीधी साधी घरेलु संस्कारी भारतीय नारी.. शरीर उम्र के हिसाब से काफी सही था सुमित्रा लम्बी ना थी.. पांच फ़ीट तीन इंच की उचाई.. उजला सफ़ेद रंग.. काली कजरी कारी कारी आंखे.. तीखे नयन नक्श.. अब भी सुमित्रा जवानी से भरी हुई औरत थी जिसका खिला हुआ जोबन सवान की बोझार को लजा सकता था.. मगर जयप्रकाश के करण उसे भी बूढ़े हो जाने और उसी तरह जीने का दिखावा करना पड़ता..
सुमित्रा ने कभी जयप्रकाश से कोई शिकायत तो नहीं की थी मगर मन ही मन वो जयप्रकाश से चिढ़ती थी.. बड़े लम्बे समय से सुमित्रा इंटरनेट पर अश्लील कहानियाँ पढ़कर तो अश्लील वीडियो देखकर अपने आपको को शांत रखा था और अब भी वैसा ही करती थी.. उम्र के इस पड़ाव पर उसे अपनी हवस मिटाने के लिए कोई नहीं मिला था और वो किसी से सम्बन्ध बनाकर सके इतनी ताकत और हिम्मत उसमे थी भी नहीं.. सुमित्रा ने अपनी ऊँगली का सहारा लेकर ही खुदको संभाला हुआ था और आज भी वैसा ही करने को लेट गई थी..
सुमित्रा ने साड़ी जांघ तक उठा ली और अपने एक हाथ से अपनी योनि को सहलाती हुई दूसरे हाथ से फ़ोन को पकडे कोई कहानी पढ़ रही थी.. सुमित्रा ने हरतरह की कहानी पढ़ी थी जिसमे माँ बेटा भी शामिल थी और सुमित्रा की रूचि भी ऐसी ही कहानीयों में ज्यादा थी.. उसे पहले पहल ये सब गलत लगा पर बाद में उसने अपने आपको को समझा लिया और उसे ख़याली दायरा देकर इसका सुख लेने लगी..
सुमित्रा आज भी वैसी ही एक कहानी पढ़ रही थी.. विनोद का व्यवहार तो सीधा था अपने काम से काम और सीधी बात.. छोटी उम्र से ही वो मैचोर हो गया था और सुमित्रा को कभी विनोद के साथ वैसा अहसास हुआ ही नहीं जैसा वो कहानिया पढ़ कर महसूस करती थी.. लेकिन सूरज के साथ ऐसा नहीं था.. सूरज बचपन से बेफिक्र लापरवाह और शरारती लड़का रहा था और सुमित्रा ने उसे बड़े लाड प्यार से पाला और संभाला था.. जब कॉलेज के आखिरी साल के इम्तिहानो के बाद सूरज को गुनगुन छोड़कर चली गई थी और सूरज उदास और दुखी रहने लगा था, उसने नशा करना शुरू कर दिया था तब सुमित्रा ने ही सूरज को संभाला था.. शायद वही से सुमित्रा को सूरज के प्रति आकर्षण पैदा हुआ था.. उसने नशे में डूबे सूरज को तब बीना कपड़ो के कई बार देखा था और अपने हाथ से उसके कपड़े भी बदले थे.. बाद में सूरज ने जब अपने आपको को संभाला और वो ठीक हुआ तब तब से ही सुमित्रा अजीब कश्मकश में रहने लगी थी और अपने मन के उड़ते पतंगे पकड़ने लगी थी..
सुमित्रा जब फ़ोन में कोई माँ बेटे वाली कहानी पढ़ती तो अपने आपको और सूरज को सोचती.. उसे इस पर कई बार पछतावा और अफ़सोस हुआ पर कामुकता के आगे हार गई.. उसने पहले भी सूरज को सोचकर वो किया था जो कोई लड़की किसी पंसदीदा मर्द को सोचकर रातों में करती है..
आज भी वैसा ही कुछ हो रहा था सुमित्रा एक अश्लील कहानी जो की माँ बेटे के इर्द गिर्द बुनी गई थी पढ़ रही थी और अपने आपको सूरज के साथ महसूस करते हुए अपनी योनि को अपने हाथ से सहला रही थी.. थोड़ी देर बाद कहानी ख़त्म हो गई और सुमित्रा लम्बी लम्बी गहरी साँसों के साथ बेड से उठ गई और फ़ोन बेड पर ही पटक कर एक नज़र वापस जयप्रकाश को देखते हुए तकिये के नीचे से खीरा लेकर कमरे से लगते हुए बाथरूम में जा घुसी और दरवाजा अंदर से बंद करके अपनी शाड़ी कमर तक उठाकर चड्डी जांघ तक सरकाते हुए खीरा योनि के मुख्य द्वार पर रगढ़ते हुए अंदर घुसा लिया और आँख बंद करके सूरज को याद करके वो खीरा अपनी योनि में अंदर बाहर करने लगी..
सुमित्रा का मन मचल रहा था दिल को नई सी ताज़गी और दिमाग को ऊर्जा मिल रही थी सुमित्रा पसीने पसीने हो चुकी थी और 5-6 इंच लम्बा खीरा लगभग पूरा योनि में लेकर वो अकड़ते हुए झड़ गई और ढीली पड़ गई..
सुमित्रा ने खीरा योनि से निकालकर एक तरफ रख दिया और अपने आपको को ठीक करके वापस बेड पर आकर लेट गई.. खीरे को सुमित्रा ने बिना पानी डाले किसी कपड़े से मामूली साफ कर दिया था और खीरे को बाथरूम से बाहर लाकर बेड के पास एक पट्टी पर रख दिया था.. उसने सोचा कल वो इस खीरे को कचरे में फेंक देगी..
सुमित्रा का मन हल्का हो चूका था और वो सोने के लिए लेटगई थी.. उसने मन में किसी तरह का कोई गिल्ट या अफ़सोस नहीं था.. उसने अपने गिल्ट और अफ़सोस को पहले ही मार दिया था और पहले भी वो ऐसा कर चुकी थी..
सुमित्रा ने सूरज के प्रति अपने उस आकर्षण को सपनो का दायरा या ख्याली दायरा दे दिया था.. सुमित्रा अकेले में सूरज को सोचकर सब करती जो वो करना चाहती मगर सामने से हमेशा एक अच्छी माँ बनकर ही उसे बात करती और व्यवहार करती.. शायद ये सुमित्रा का काला सच भी था जो अँधेरे में छिपा हुआ था..
सुबह सुमित्रा अपने घरेलु कामो में लग गई थी और उस खीरे को उठाना भूल गई..
सुबह सुमित्रा रसोई में थी की सूरज सुमित्रा और जयप्रकाश के कमरे में आ गया और जयप्रकाश से सगाई की जगह और बाकी बातें करके उस खीरे को बातों ही बातों में उठा लिया और खाते हुए कमरे से बाहर रसोई में आ गया..
सूरज - चाय कब तक मिलेगी?
सुमित्रा बीना सूरज को देखे - क्या बात है आज सुबह सुबह नींद खुल गई तेरी..
सूरज - हाँ कल टाइम पर सो गया था नींद अच्छी आई..
सुमित्रा गैस ऑन करते हुए - पांच मिनट रुक में बनाती हूँ चाय.. ये कहते हुए सुमित्रा ने सूरज की तरफ देखा और सूरज को खीरा खाते हुए देखकर उसे कल रात वाले खीरे की याद आ गई और सुमित्रा ने झट से पूछा.. ये खीरा कहा से लिया?
सूरज लगभग सारा खीरा खा चूका था और आखिरी बाईट खा कर खीरे का आखिरी छोर का बचा हुआ हिस्सा डस्टबिन में फेंकते हुए कहा - आपके बेड के पास पट्टी पर से.. आप फ्रीज से दूसरा लेकर खा लेना.. इतना कहकर सूरज रसोई से हॉल की तरफ चला गया मगर सुमित्रा सूरज को ही देखती रही और फिर अपने बदन में होती कपकपी महसूस करने लगी..
गैस पर उसने चाय चढ़ा दी थी मगर अब चाय के साथ सुमित्रा खुद भी उबलने लगी थी.. उसे अहसास भी नहीं हुआ की अचानक से उसकी योनि से कामरस बहने लगा था..
सुमित्रा ने अपने आपको को सँभालते हुए समझाया और चाय छन्नी करके सूरज को देकर सीधा होने रूम में आ गई और बाथरूम में जाकर अपनेआप को कोसने लगी की क्यों उसमे वो खीरा सुबह नहीं उठाया और वो भूल गई.. मगर उसके साथ जैसे सुमित्रा ने सूरज को वो खीरा खाते हुए देखा था उससे उसे वापस हवस चढ़ने लगी थी और सुमित्रा ने एक बार फिर अपनी ऊँगली का सहारा लेते हुए अपने आपको को संभाला और शांत करके बाथरूम से बाहर आ गई फिर से सामान्य बर्ताव करने लगी..
आज इतवार था दिन का समय हो गया था.. जयप्रकाश की छूटी थी और अपने बाप की स्कूटी लेकर सूरज अंकुश के घर के बाहर आ गया था
सूरज अंकुश को फ़ोन किया और अंकुश का फ़ोन उसके बेड में एक तरफ बजने लगा.. जिसपर अंकुश ने कोई ध्यान नहीं दिया..
बेड पर दो लोग थे नीचे एक 27 साल की औरत टांग फैलाये लेटी हुई थी और उसके ऊपर अंकुश उस औरत की चुत में लंड घुसाये उसके ऊपर लेटा हुआ था.. दोनों के बीच चुम्बन चल रहा था जिसे युवती ने तोड़ते हुए कहा - फ़ोन उठा ना अक्कू.. देख किसका है..
नीतू (27)
अंकुश ने फ़ोन देखकर कहा - अरे हनी का है नीतू.. आज कहीं जाना है हमें..
नीतू - बात तो कर अक्कू..
अंकुश फ़ोन उठाते हुए - हेलो हनी..
सूरज - कब से फ़ोन कर रहा हूँ क्या कर रहा था यार..
अंकुश नीतू को देखकर - कुछ नहीं भाई..फ़ोन रूम में था और मैं नीतू के साथ लूडो खेल रहा था.. रुक आता हूँ नीचे..
सूरज - ठीक है.. (फ़ोन काटते हुए)
अंकुश नीतू से - मैं जा रहा हूँ.. तू दरवाजा बंद कर लेना अंदर से..
नीतू अंकुश के लंड से कंडोम निकालकर गाँठ लगाते हुए - कंडोम ख़त्म हो गए है वापस आते हुए लेते आना वरना फिर शिकायत करेगा..
अंकुश नीतू की गर्दन पकड़ कर एक हल्का चुम्बन करते हुए - वो सब छोड़.. कल कोर्ट की तारीख है वकील से बात हुई है बोल रही थी ल बयान होगा.. तू थोड़ा प्रैक्टिस कर लेना.. थोड़ा बहुत रोना धोना भी पड़ सकता है.. शाम से पहले मम्मी भी आ जायेगी..
नीतू - मैं सब कर लुंगी तू पहले होंठो को साफ कर ले.. लिपस्टिक लगी हुई है.. किसी को पता चल गया की हम दोनों भाई बहन इस छत के नीचे ये सब करते है तो कोहराम मच जाएगा..
अंकुश जाते हुए - 2 साल से पता चला किसीको? तू फालतू टेंशन मत ले.. दरवाजा बंद कर ले अंदर से..
नीतू मुस्कुराते हुए - कंडोम लाना मत भूलना वरना रात को सलवार का नाड़ा नहीं खोलने दूंगी..
अंकुश - ठीक है..
अंकुश सूरज के पीछे स्कूटी पर बैठते हुए - चल भाई.. ले चल तेरे साले की दूकान पर..
सूरज स्कूटी चलाते हुए - भोस्डिके सो रहा था क्या.. कितना टाइम लगाता है..
अंकुश - छोड़ ना चल.. पहले गार्डन चल सफाई हो भी रही है या नहीं.. देख लेते है..
सूरज - ठीक है..
सूरज और अंकुश गार्डन में आते है देखते है की वहा रमन खड़ा है और कुछ लोग गार्डन की साफ सफाई और बाकी काम मे लगे हुए है..
क्या बात है.. तू तो दिल पे ले गया मेरी बात.. खुद आया है..
हाँ भाई मुझे भी देखना है एक बार क्या क्या और हो सकता है.. केसा है अंकुश?
बढ़िया भाई.. तुम्हारे क्या हाल है?
एकदम मस्त.. रमन ने अंकुश से कहा..
अंकुश - जगह तो बहुत बड़ी है सगाई क्या शादी भी हो सकती है यहां.. ये रूम्स में लाइट वाइट है या नहीं?
रमन - अभी नहीं.. इलेक्ट्रीशियन देख रहा है कल तक वो भी हो जाएगा..
अंकुश - सही है..
सूरज - ठीक है रमन.. मैं हलवाई से मिलने जा रहा हूँ..
अंकुश - हलवाई कहा साला है हनी का..
रमन हसते हुए - वो मुन्ना? बड़ा बेशर्म है साले.. उसकी बहन को छत पर पेलते हुए पकड़ा गया और अब भी मुंह उठा के उसके भाई के सामने जा रहा है..
सूरज - मैं कहा पेलता था.. वही पेलती थी मुझे.. जबरदस्ती कर रही थी उस दिन भी.. अगर मुझे जाने दिया होता तो कोई बात नहीं थी..
रमन - वैसे जान छिड़कती है तेरे ऊपर.. लोगों को चुना लगा लगा के तेरी ऐश करवाई थी उसने..
अंकुश - सही कह रहा है भाई..
सूरज - छोडो यार.. क्या फालतू की बात करने लगे.. चल अक्कू मिलते है मुन्ना मिठाई वाले से.. ठीक है रमन.. कल मिलता हूँ..
रमन हसते हुए - भाई.. कहीं पिट विट ना जाना..
अंकुश भी हसते हुए - साला कभी जीजा को पिट सकता है क्या भाई?
सूरज स्कूटी चलाते हुए अंकुश से - चूतिये गांड टिका के बैठ जा..
सूरज अंकुश के साथ मुन्ना की दूकान पर आ जाता है..
अंकुश - भाई दूकान कैसे बंद कर रखी है तेरे साले ने?
सूरज - पता नहीं.. लगता है कल आना पड़ेगा..
अंकुश - कल क्यों? चल घर चल मुन्ना के..
सूरज - नहीं अक्कू.. चिंकी आई हुई है घर.. देख लेगी तो फेविकोल की तरह चिपक जायेगी..
अंकुश - क्यों टेंशन ले रहा है भाई.. शादी हो गई उसकी.. अब शायद बदल गई हो.. चल ना.. कल वापस कोई आएगा?
सूरज - ठीक है.. चल..
अंकुश और सूरज एक घर के दरवाजे पर बेल बजाते हुए खड़े हो गए और अंदर से एक औरत आकर दरवाजा खोलकर दोनों को देखकर बोली..
नेहा - ओ हो.. क्या बात है? आज घर तक चले आये..
अंकुश - क्यों भाभी.. हम आपसे मिलने नहीं आ सकते..
नेहा - क्यों नहीं आ सकते.. और अच्छे मोके पर आये हो.. अंदर आओ..
नेहा दोनों को दरवाजे से अंदर आने को कहती है और आँगन में पड़ी कुर्सीयों पर बैठा देती है..
सूरज - अच्छा मौका है मतलब?
नेहा सामने कुर्सी पर बैठती हुई - अरे वो मुन्ना मम्मी जी को लेकर मामा जी के यहां गए है तो तुम्हे कोई ताने मारने वाला है नहीं यहां.. दूकान भी इसलिए बंद है.. बताओ क्या बना कर लाउ? चाय या कॉफ़ी?
अंकुश - इतनी गर्मी कहा चाय कॉफ़ी भाभी.. रहने दो ये सब.. एक काम है मुन्ना भईया से.. वो कब तक आएंगे?
नेहा - वो तो कल आएंगे.. मुझे बताओ क्या काम था मुन्ना से तुम्हे?
सूरज - भाभी वो विनोद भईया की सगाई है 5 दिन बाद.. खाने का आर्डर देना था.. अब मुन्ना भईया के होते हुए किसी और कैसे दे सकते है..
नेहा - सही कहा देवर जी.. हमारे अलावा तुम किसी और के पास जाते तो मैं कभी ना बात करती आपसे.. एक मिनट बैठो में अंदर से कॉपी पेन ले आती हूँ..
अंकुश - भाई भाभी चाहती तो है हम दोनों को.. सही लाइन देती है..
सूरज - लाइन नहीं देती भोस्डिके.. इतने आर्डर दिलवाते है तो थोड़ा मीठा बनकर बात करती है और कुछ नहीं है..
अंकुश - अच्छा? मैं फालतू ही खुश हो रहा था..
नेहा दो गिलास निम्बू पानी लाकर सामने रखते हुए - लो देवर पीओ.. और अब बताओ क्या क्या बनवाना है..
सूरज निम्बू पानी पीते हुए - भाभी सगाई का प्रोग्राम है 250-300 लोग के हिसाब से आप ही देख लो.. क्या सही रहेगा..
नेहा - ठीक है.. आज कल ये सब चलता है सगाई के प्रोग्राम में.. यही रख देती हूँ.. और तुम बताओ..
अंकुश - दिखाओ भाभी मैं देखता हूँ..
भाभी... भाभी.. कौन आना है.. ऊपर से किसी की आवाज आती है तो नेहा सूरज को देखकर मुस्कुराते हुए कहती है - नीचे आ कर देख ले..
सूरज कुर्सी से खड़ा होता हुआ - क्या भाभी आप भी.. आपको तो सब जानती हो फिर भी.. कहीं छीपाने की जगह है.. सूरज इधर उधर देखते हुए एक तरफ छुपके खड़ा हो जाता है..
चिंकी नीचे आते हुए - अंकुश.. तू यहां क्या कर रहा है?
नेहा - सगाई के लिए आर्डर देने आया था..
चिंकी - सगाई कर रहा है तू?
अंकुश - मेरी नहीं.. हनी के भाई विनोद भईया की सगाई का आर्डर है.. मुझे तो हनी लेकर आया था..
चिंकी चेहरे पर चमक लाते हुए - कहा है वो कुत्ता?
अंकुश इशारे से बताकर - पता नहीं तेरे आने से पहले तो इधर ही था..
चिंकी सूरज से - बाहर आजा चुपचाप.. वरना मार खायेगा..
नेहा हसते हुए - आराम से चिंकी.. बेचारा पहले ही तेरे नाम से घबरा जाता है..
चिंकी सूरज का हाथ पकड़ कर अपने साथ ले जाते हुए - भाभी अंकुश से कर लो जो बात करनी है.. मुझे हनी से अकेले में कुछ बात करनी है..
नेहा मुस्कुराते हुए - जल्दी करना.. अच्छा अंकुश.. और कुछ कम ज्यादा करना है तो बता इसमें..
अंकुश - अरे भाभी सब परफेक्ट किया है आपने.. सब ठीक है.. मैं निकलता हूँ
नेहा - रुक मैं सामान की लिस्ट बनाके दे देती हूँ.. तू लेते जाना..
नीचे अंकुश नेहा से सामान की लिस्ट लेकर चला गया था उसे पता था चिंकी सूरज के साथ क्या करेगी और उसने कितना समय लगेगा.. अंकुश बिलाल की दूकान पर आ गया था आज दूकान पर कस्टमर बैठे थे और ये देखकर अंकुश खुश होता हुआ बिलाल से दो बात करके एक तरफ बैठकर अपनी बहन नीतू से फ़ोन पर लग गया था वही मुन्ना हलवाई के घर नीचे नेहा अपने दोनों बच्चों के साथ एक रूम में टीवी देख रही थी तो ऊपर चात वाले कमरे में चिंकी ने सूरज की हालत ख़राब कर रखी थी..
time ki kami se update chhota hai... Please like and comments
agla update next sunday tak aayega