अपडेट -5
प्रेमा को जितनी चोट दिन में महसूस हुई थी अंदर से कहीं अधिक चोट लगी थी। सुबह उसकी बच्चेदानी तक दुख रही थी । चूत में तो बहुत ज्यादा दर्द था विशेषकर किनारों पर जहां चूत की दरारें फट गईं थी। ..... प्रेमा ने इतना सब झेलने के कारण मन ही मन सोच लिया था की जल्दी ही सविता से बदला लूंगी। और इस हरामजादी अंजली को भी सबक सिखाऊंगी । धीरे धीरे एक हफ्ते में प्रेमा पहले जैसी हो गई।
राजू के यहां एक गोशाला थी जिसमें दो गायें एक बछिया और एक बछड़ा था। बछड़ा कमजोर और कद में छोटा था लेकिन बछिया से उमर में बड़ा था और वह भी जवानी में नया कदम रख रहा था इसलिए कभी कभी बछिया पर चढ़ जाता था लेकिन उसका लंड नहीं निकलता था, लेकिन कुछ महीनों बाद वह बछिया गाय या कोई चारा डालने आता जैसे राजू या चंद्रभान पर भी चढ़ने की कोशिश करता शुरुआत में बछड़े ऐसे ही करते हैं और अब तो उसका नुकीला सवा फीट लंबा लंड भी निकलने लगा था। गोशाला में दोनो ओर चरही (चौकोर हौद) बनी थी और बीच में थोड़ी जगह खाली थी । बछड़ा उसी खाली जगह वाले किनारे पर बांधा जाता था और उस बीच में कोई चारा देकर वापस जा रहा होता तब एक बार चढ़कर उतर जाता। जब अचानक चढ़कर उतरता तब उसका लंड केवल चार इंच बिल्कुल नुकीला लाल लाल निकलता था। एक दिन गांव में किसी की बछिया गरम थी और चिल्ला रही थी उसे सुनकर बछड़ा बार बार अपने खूंटे पर घूम रहा था उसी समय प्रेमा चारा देने आई प्रेमा जैसे ही चारा देकर दूसरी ओर जाने के लिए बीच से निकल रही थी तभी बछड़े ने डेढ़ फीट लंबा लंड निकालते हुए प्रेमा पर चढ़ गया बछड़े के वजन से प्रेमा झुक गई बछड़े का लंड साड़ी सहित ढाई तीन इंच प्रेमा की गांड़ में घुस गया। प्रेमा घूमी और उसे छोटी सी डंडी से मारकर भाग आई। प्रेमा के लिए यह घटना अनोखी थी बाद में प्रेमा सोचने लगी की सविता ने बाबाजी के घोड़े जैसे लंड से मेरी चूत का भोसड़ा बनवाया था क्यों न इसकी गांड़ अपने बछड़े से मरवा दूं। उसने सोचा बदला लेने का ये तरीका सहर रहेगा । लेकिन उसे यह नहीं सूझ रहा था कि योजना कैसे बनाई जाए।
.... इधर बाबा जी के सामने आने से अंजली, किरन और कंचन भी पता चल गया था कि इसमें बाबाजी आते हैं अब अगर उन्हें पानी पीने के बाद पेशाब लगती तो बाबाजी की कुटिया की दीवार की ओट में बैठकर मूतती । लेकिन बाबाजी के दिमाग में अंजली की गोरी गांड़ का दोबारा दर्शन करने की प्रबल इच्छा हो रही थी। सो बाबाजी ने दीवार में एक छेद बना लिया। आज किरन ने सलवार और चढ्ढी उतारकर गांड़ खोली और दीवार की ओट में मूतने लगी बाबाजी ने उन सब को दौर से आते देख लिया था उन्होंने छेद से देखा तो उस दिन से भी जादा नरम गांड़ गोल गोल गोरी गोरी दिख रही थी जिसके बीचोबीच काला सुराख था और मूतने की मधुर ध्वनि सुनाई दे रही थी आज बाबाजी का लौड़ा लंगोट से बाहर आ गया और झटके मारने लगा किसी तरह दोनों हाथों से पकड़कर बाबाजी ने मुट्ठ मारी और लौड़े को शांत किया। बाबाजी ने इस प्रकार अलग अलग दिन तीनों की गांड़ के दर्शन कर लिए थे और मुट्ठें भी मारी थी। लेकिन अब बाबाजी को फिर से चूत का भूत चढ़ रहा था ।
इधर राजू और अंबर शौच करने गए तो अंबर आश्चर्यचकित रह गया राजू की झांटे तो बिलकुल साफ थी ।
अंबर: तेरे ये बाल कहां गए। तू नाई के यह गया था? मुझे भी साथ ले चलता।
राजू: ये बाल तेरी बहन कंचन ने साफ किए हैं।
अंबर: साले तूने मेरी बहन से झांट के बाल बनवा लिए।
राजू: कल तूने ही तो उन सबकी गांड़ मारने की बात की थी। चल तुझे वो जगह दिखाता हूं जहां कंचन ने झांट बनाई थी।
राजू और अंबर जैसे ही वहां पहुंचे। पूरी तरह नंगी लेटी हुई अंजली और उसकी चूत मसल रही किरन दंग रह गए उसकी चूंचियों का मसाज कर रही कंचन तो राजू के साथ आ ही चुकी थी एक बार।
अंजली: तुम सब यहां क्या कर रहे हो?
अंबर: हम तो शौच के लिए आए थे । लेकिन तुम ये नंगी क्यों लेटी हो और ये अपनी मूतने की जगह को क्यों रगड़वा रही हो।
अंजली: ऐसे ही मजा आता है । तुम सब जाओ यहां से मुझे शर्म आ रही है।
अंबर: मुझसे कैसी शर्म कुछ साल पहले हम सब एक साथ ही बैठकर तो शौच करते थे किसका मूत कितनी दूर जाएगा शर्त लगाते थे।
अंबर राजू की चढ्ढी नीचे खींच देता है जिससे उसका खड़ा लंड नीचे झूलने लगता है।
राजू भी अंबर की शरारत का जवाब देता है और अंबर की चढ्ढी नीचे खींच देता है।
अंबर: राजू कह रहा था तुम तीनों में से किसी ने इसकी झांट के बाल बनाए थे किसने बनाया था?
कंचन खुशी से: मैंने बनाया था परसों।
अंबर: कंचन ने राजू की झांट बनाई थी तो अंजली अब तुम मेरी झांट बनाओगी प्लीज।
तीनों का ये खेल इतने दिन से चल रहा था कि अंजली ने शेविंग मशीन भी अरहर में ही छुपा रखी थी।
वो थोड़ी दूर गई और शेविंग मशीन लाकर अंबर की झांट बना दी।
अंबर को खूब गुदगुदी हुई और उसके लंड ने अंजली के मुंह पर पिचकारी मार दी । अंजली की चूत भी खुजला रही थी वह फिर नंगी लेट गई और कंचन से चूत रगड़वाने लगी । राजू बेचारा अकेले खड़ा था ।
तो उसने किरन से कहा तुम भी लेट जाओ।
किरन भी सलवार और कच्छी उतारकर लेट गई । थोड़ी देर कंचन के रगड़ने के बाद अंजली की आंखे बंद हो गईं तो कंचन को हटाकर अंबर ने उसकी चूत रगड़ने शुरू कर दी। इससे अंजली ने जल्दी ही पानी छोड़ दिया। राजू ने तो कंचन की चूत मुंह से भी चूस रखी थी तो उसने किरन की चूत पर मुंह रखा और दूध की तरह पीने लगा किरन को जवानी के बाद पहली बार किसी मर्द ने टच किया था उससे बर्दास्त नही हुआ और बह भी झड़ गई। धीरे धीरे सब को समझ में आ गया की चूत में लंड जाता है और लंड चूत में जाता है। इसके लिए सबने योजना बनाई कि जिस दिन दोनो के घर पर कोई न हो उस दिन हम लोग चुदम चुदाई का खेल खेलेंगे।
लेकिन इस तरह का मौका नहीं मिल रहा था। इसलिए ये सब अरहर में ही मिलते रहे ।
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