अपडेट- 7.......
चंद्रभान ने 11वीं तक पढ़ाई की थी युवावस्था में चाहता तो सरकारी नौकरी मिल जाती लेकिन उसने खेती चुनी और वर्ष भर किसानी और पशुपालन में ही लगा रहता था, इन्ही सब कारण से उसका शरीर बलिष्ठ था लंड भी मोटा और आठ इंच लम्बा था। खेत की सिंचाई के लिए लगे इंजन की रिपेयरिंग भी स्वयं ही करता था पशुपालन के कारण ही उसकी अच्छी खासी आय हो जाती थी जिससे उसका परिवार अभाव में नही था उसके दोनो बच्चे प्रारंभ में सरकारी स्कूल में पढ़ने के बाद गांव से सात किलोमीटर दूर कस्बे में पढ़ने जाते थे वह शिक्षा की कीमत जानता था । उसकी एक अजीब मानसिकता थी वह अपनी गायों (या जब भैंसे रखता था) को कृत्रिम विधि से गर्भाधान नही करवाता था वह इसके लिए तर्क भी देता था कि इससे सांडों का हक मारा जा रहा है और वह परंपरागत विधि से गाय को बांधकर सांड़ को गाय के ऊपर चढ़वाता था। किंतु चंद्रभान की पशुशाला में बनी हौद की ऊंचाई जादा नही थी इसलिए गाय या बछिया जब गरम होती और सांड़ उन पर छोड़ा जाता तो उनके दूसरी तरफ कूदने का डर रहता था उनका गला कस सकता था या गंभीर चोट आ सकती थी इसलिए गाय जब गरम होती तो उसे सविता भाभी की पशुशाला में गाय बांधनी पड़ती। उसे गुस्सा जल्दी नहीं आता था लेकिन जब आ जाता था तो वह क्या कर जाए कुछ नही पता।
सीधे शब्दों में चंद्रभान पढ़ा लिखा मेहनती और सीधा साधा आदमी था लेकिन जवानी में लंड को एक ही तरफ रखने के कारण उसका लंड थोड़ा टेढ़ा हो गया था इसलिए वह जब प्रेमा की चुदाई करता उसकी गांड़ फट जाती कारण ये था कि जब चंद्रभान प्रेमा को सामने से चोदता तो उसका लंड प्रेमा की चूत की बाईं साइड ले लेता और जब पीछे से चोदता तो चूत की दाईं साइड । इस कारण से एक तरफ लंड का दबाव कम हो जाता और एक तरफ दबाव ज्यादा बढ़ जाता। चूत का एक हिस्सा हलाल हो जाता जबकि दूसरा हिस्सा कम चुदने के कारण तरसता रहता। इसलिए चंद्रभान ज्यादातर प्रेमा की एक ही तरफ से चुदाई करता था जिससे प्रेमा झड़ भी जाती और उत्तेजना भी बनी रहती जिससे प्रेमा अगले दिन मना नहीं करती थी।
आज चंद्रभान को खेत पर कोई खास काम नहीं करना पड़ा था..... लेकिन आज जब वह खेत अपने और एक खेत के बीच की मेड़ पर बैठा फसल निहार रहा था उसी समय एक खेत जो पास के ही दूसरे गांव के एक व्यक्ति का था । उस खेत में लाल साड़ी पहने घूंघट काढ़े एक महिला निराई कर रही थी जब वह थक जाती बीच में उठकर अपनी कमर सीधी करने के लिए उठती उसके बदन में गजब का उत्साह था वह निश्छल भाव से निराई कर रही थी लेकिन उसका गदराया बदन, कसी चूंचियां गांड़ की सीमित किंतु स्पष्ट गोलाई किसी भी मर्द की नियत खराब कर सकता था। चंद्रभान तुरंत समझ गया कि उसे जरूर उसकी सास लाई होगी खेत दिखाने.... लेकिन बहू गजब मिली है कसम से (मन में) । दोनो के निराई करने के कारण घास ज्यादा इकट्ठा हो गई इस वजह से बहू ने सास का गट्ठर तो उठा दिया लेकिन बहू का गट्ठर कौन उठाए, चंद्रभान उनकी इस समस्या को भांप गया और मेड़ पर खड़ा होकर फसल का मुआयना करने के बहाने घूमने लगा। महिला ने चंद्र भान को बुलाया चंदर तनिक ये घास का गट्ठर उठा दो ......उसकी बहू ने शरम के मारे पूरा घूंघट काढ़ लिया नाभि के आसपास के हिस्से को भी छिपा लिया। चंद्रभान उसका चेहरा तो न देख सका लेकिन गट्ठर उठाते समय उसके हाथ को टच करके और उसकी गरम सांसों का कायल हो गया।
....चंद्रभान भोजन करके बिस्तर पर आ गया और लाइट बुझा दी मन में सोचने लगा आज प्रेमा को नहीं छोडूंगा। शाम को सविता से कामुक बातें और इन लड़कियों की गांड़ का दर्शन और दस दिन से चूत में लंड न जाने के कारण प्रेमा की चूत की कोशिकाएं लगातार दिमाग को सिग्नल भेज रही थीं कि कोई लंड आकर उन्हें मसले उनकी खुजली मिटाए। प्रेमा ने रात्रि को भोजन आदि किया और बिस्तर पर जाने के लिए आंगन से कमरे में गई वहां बिल्कुल अंधेरा। प्रेमा: राजू के पापा लाइट इतनी जल्दी क्यों बुझा दी।
चंद्रभान: ऐसे ही आ जाओ प्रेमा आवाज से दिशा पहचानकर प्रेमा बिस्तर पर आ गई लेकिन रोज की भांति आज उसका शरीर बिस्तर पर शांत नहीं था उसकी चूत में हो रही कुलबुलाहट के कारण आज वह असहज थी .....बार बार कभी इस करवट लेटती कभी उस करवट.... कभी दोनो पैरों को दबाकर चूत को सिकोड़ देती लेकिन दोबारा जब पैर खोलती तो चूत लार टपकाते हुए दोगुनी उत्तेजित हो जाती।
चंद्रभान: तेरी कमर सही हुई की नही।
प्रेमा: अब तो ठीक हो गई है जी।आई
अब चंद्रभान ने बिना हलचल किए सारे कपड़े उतारकर बेड के नीचे फेंक दिया पूरा नंगा हो गया ।
उसके बाद दूर से ही प्रेमा की साड़ी पेटीकोट सहित ऊपर कर दी।
प्रेमा:क्या कर रहे हो।
चंद्रभान: कुछ नही रात में कपड़े पहन कर क्या करोगी । और धीरे धीरे करके प्रेमा की चूत को आजाद कर दिया।
और धीरे से उठकर प्रेमा की गांड़ में हाथ लगाकर उसे उठाया और अचानक अपने लंड पर बैठा दिया प्रेमा चौंक गई उसकी चूत की बाईं साइड छिलती चली गई । कुछ देर ऐसे ही बैठाए रखा और ब्लाउज उतारकर फेंक दिया और उसके दूध मसलने लगा होंठ चूमने लगा आह ओह आह ऐसे ही आह करते हुए चंदर की पीठ चूमने लगी और धीरे धीरे लंड पर उठना बैठना शुरू कर दिया। अब चंद्रभान ने भी धक्का लगाना शुरू कर दिया और सट्ट सट्ट फच्च फच्च की आवाज आने लगी। प्रेमा बड़बड़ाने लगी और जोर से और जोर से आहि आहि सीईईईई आआह । चंद्रभान: ले बुरचोदी । इस तरह पंद्रह मिनट तक रस्साकसी का दौर चलता रहा आखिरकार दोनो दो बार झड़कर लेट गए।
लेकिन इस चुदाई में प्रेमा को किसी तरह की परेशान नहीं हुई मजा खूब आया । कारण दो थे एक तो बुर सांझ से ही पनिया रही थी और बाबाजी के घोड़े जैसे लंड ने तो प्रेमा को घोड़ी बना ही दिया था।
चंद्रभान ने पूछा भी: प्रेमा आज मेरा लंड तेरी चूत में बहुत सरक रहा था जबकि टेढ़ा भी है।
प्रेमा: दस दिन से उसे लंड नही मिला था न इसलिए।
चंद्रभान ने लाइट जलाई प्रेमा की साड़ी और पेटीकोट को दूर फेंक दिया ...…. चूत चाट कर साफ कर दिया । साफ करने के बाद चूत का अवलोकन किया तो उसने पाया की चूत में टाइट पन तो है लेकिन छेद ज्यादा बड़ा हो गया है। उसका माथा ठनक गया लेकिन वह समझ नही सका कि दस दिन में ही छेद इतना बड़ा कैसे हो गया थोड़ा सा उसे गुस्सा जैसा आ गया । उसने प्रेमा की गांड़ में दो उंगली डाली और ऊपर की ओर खींचने लगा । प्रेमा : अरे आह क्या कर रहे हो।
चंद्रभान: बुरचोदी घोड़ी बन।
प्रेमा घोड़ी बन गई उसकी दोनो टाइट चूंचियां हवा में लटकने लगीं।
चंद्रभान ने दोनो छुचीय को दुहा लेकिन ज्यादा दूध नही निकला क्योंकि पहली चुदाई में उसने खूब दूध खींचा था।का लंड फिर से खड़ा हो गया
प्रेमा इस सब से तो वाकिफ थी ।
लेकिन चंद्रभान पीछे आकर खड़ा हुआ और गांड़ की दोनो गोलाईयों को सहलाते हुए चार थप्पड़ चट्ट चट्ट लगाए।
अचानक हुए हमले से प्रेमा ने चिल्लाते हुए पीठ को नीचे झुका लिया। उसकी गांड़ और ऊपर हो गई और चूत चंद्रभान के लंड के सामने आ गई। चंद्रभान ने लंड को चूत पर लगाया और असीमित रफ्तार से चोदने लगा। और दोनो दूधों को पकड़कर पीछे खींचने लगा बीच बीच में गांड़ पर तेज थप्पड़ मारता।
प्रेमा: आह आराम से चोद लो क्या कर रहे हो आज।
चंद्रभान ने आठ दस बार लंड को बच्चेदानी पर टकराया।तभी
प्रेमा: आह...समय रहते निकाल लेना... आई आइ।
चंद्रभान: निकालकर अपनी बहन की गांड़ में डालेगी क्या।
प्रेमा: पेट से हो गई तो गजब हो जाएगा आ आह।
चंद्रभान: गजब क्या हो जाएगा गाभिन हो जायेगी तो दूध तो देगी गायों के साथ तेरा भी दूध बेचूंगा।
प्रेमा: आह.....लोग क्याआआ कहेंगेेेे े ेे और अकड़ते हुए झड़ गई ।
तभी चंद्रभान ने हांफते हुए अपना लंड निकाला और चूतड़ पर एक तेज थप्पड़ मारा प्रेमा ने पीछे की ओर मुंह किया और बोली छोड़ दो अब हाथ जोड़ती हूं। तभी चंद्रभान ने प्रेमा का मुंह पकड़कर लंड आहारनाल के मुहाने तक घुसेड़ दिया।
प्रेमा सारा वीर्य पी गई। चूत के तो दर्द नहीं था लेकिन थप्पड़ की वजह से प्रेमा की गांड़ लाल हो गई।