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Incest घर-पड़ोस की चूत और गांड़, घर के घोड़े देंगे फाड़

Rockstar_Rocky

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ajey11 मित्र,

आपकी कहानी न हो गई, बीरबल की खिचड़ी हो गई!
बीरबल की खिचड़ी भी कुछ समय में बन ही गई थी मगर आप तो ऐसे गायब हुए की क्या कहें? न अपना हाल पता देते हो न ही अगली update का समय बताते हो, आज जा कर शाम तक का समय बताया लेकिन रात होने आई update आई ही नहीं! :waiting1:

अरे और तो और, मैं आपका हाल पूछता हूँ तो आप उसका जवाब भी नहीं देते!



 
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Blackmamba

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Dost apni sehat ka dhyan rakho, koi jaldibaazi nahi hai, pehle swasth ho jao phir aaraam se update dena , kahin asal zindagi bhula kar aap bhi is virtual world ka hissa na ban jaye , aap swasth rahoge to aapki family khush rahegi , kahin update likhne ki chinta me aapki tabiyat na bigad jaye , humko kya hi fark padega , aaj nahi to kal hum aapko bhool jayenge , fark to aapki family ko padega .

You decide .
 
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ajey11

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Dost apni sehat ka dhyan rakho, koi jaldibaazi nahi hai, pehle swasth ho jao phir aaraam se update dena , kahin asal zindagi bhula kar aap bhi is virtual world ka hissa na ban jaye , aap swasth rahoge to aapki family khush rahegi , kahin update likhne ki chinta me aapki tabiyat na bigad jaye , humko kya hi fark padega , aaj nahi to kal hum aapko bhool jayenge , fark to aapki family ko padega .

You decide .
प्रिय पाठक, झूठ बोलकर मैं पाठकों को गुमराह नही कर सकता। जब मैंने स्वास्थ्य ठीक न होने का हवाला दिया था तब तो स्थिति ठीक नहीं थी किंतु उसके बाद जो अपडेट दिया था उसके तीन दिन बाद मै ठीक हो गया था। किंतु अपडेट अन्य व्यक्तिगत कारणों से नही दे सका इसलिए मेरे पास कोई जवाब भी नही था ।
 
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ajey11

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अपडेट-18
सविता ने ऐसा काम कर दिया था कि जिसे न तो बाबाजी से चुद चुकी प्रेमा स्वीकार करती न ही सजिया । उन दोनो की चुदाई में रिश्ते की कोई बाधा नहीं थी न ही पकड़े जाने का जोखिम था।
यही कारण था कि सविता अपनी चूत का दर्द सहन करके प्रेमा और सजिया जैसी सहेलियों के साथ बात बतकही में शामिल हुआ करती थी किंतु मजाक करने में तेज सविता अब कम ही बोलती थी उसे एक ही बात परेशान किए जा रही थी कि अपने भतीजे का क्या करे जिसने जवानी की आग में पागल होकर उसकी चूत को गहरी चोट पहुंचाई है। क्या वह जवान भतीजे का उपभोग करे या उसे फिर से जवानी की आग में जलने के लिए झोंक दे। मन तो यही कहता था कि एक बार जो गलती हो गई उसे नही दोहराना चाहिए लेकिन सविता की चूत जैसे जैसे ठीक होती जा रही थी वैसे वैसे उसमे चुनौती देने की भावना जाग रही थी कि एक बार मै भी अपने इस भवसागर में उसे डुबो दूं। आखिरकार सविता ने समझदारी भरा फैसला किया और राजू को भोगने तथा स्वयं राजू का भोग बनकर उसे तृप्त करने का फैसला किया क्योंकि उसे मालूम हो चला था कि प्यासे को कुंआ दिख गया है तो दोबारा प्यास बुझाने इसी कुएं के पास आएगा । प्यास नहीं बुझी तो सिर भी इसी कुएं के पास पटकेगा जिसे संभालना अत्यंत मुश्किल होगा दोनो में से कोई पकड़ा गया तो सब मेरी ही गलती मानेंगे क्योंकि राजू तो मेरे सामने बच्चे जैसा है।
राजू ने भी जोश में आकर अपनी चाची को चोद तो दिया था लेकिन अब वह अपनी सगी चाची से घर पर आंख मिला पाने की स्थिति में नहीं था उसे लग रहा था यह चुदाई प्रथम व अंतिम थी किंतु राजू के लंड ने उस सागर का पानी चख लिया था जिसमे वह डूब जाना चाहता था।
वह सोचने लगा था कि इस बार और अंदर डालकर खूब अच्छे से चोदूंगा और देर तक चोदूंगा इस बार अपनी चाची का चुम्मा भी लूंगा उनके दूध को हाथ से भी निचोडूंगा । चूंकि सविता अंबर की मां भी थी इसलिए अब राजू अंबर से ज्यादा बात नहीं कर पाता था उसे हीनता महसूस होती थी इसलिए राजू अंबर को सजिया का लालच दिखाने लगा ताकि अंबर के लिए भी चूत का जुगाड़ हो जाए क्योंकि राजू, अंबर और प्रेमा के मध्य हो चुकी सिंचाई से परिचित नहीं था।
इसलिए एक दिन सजिया जा रही थी तभी राजू की प्रेरणा से दोनो ने एक सुर में गाना शुरू कर दिया -
🎶🎶🎶🎶तनी हियाँ आवा हो..सुना हो... ज्यादा नखरा न देखावा नाहीं तौ
उठा ले जाऊंगा तुझे अरहरिया में देखती रह जाएंगी अम्मा तुम्हारी 🎶🎶🎶🎶🎶
उठा ले जाऊंगा तुझे अरहरिया में देखती रह जाएंगी अम्मा तुम्हारी 🎶🎶🎶🎶🎶🎶
हाय क्या चाल है माल है गाल..........
हाय क्या चाल है माल है गालऽऽऽ है
उठा ले जाऊंगा तुझे अरहरिया में देखती रह जाएंगी अम्मा तुम्हारी 🎶🎶🎶🎶🎶
डबल मुसम्मी दाबब पतरकी चपक के गन्ना मा
तिनक तिनक धिन करब पतरकी चपक के गन्ना मा
हाय क्या चाल है माल है गाऽऽऽल है
उठा ले जाऊंगा तुझे अरहरिया में देखती रह जाएंगी अम्मा तुम्हारी 🎶🎶🎶🎶🎶
केतना जादू भरा बा गोरिया तोरी चवन्नी मा
झुन झुन झुन होत बा गोरिया मोरी अठन्नी मा
हाय क्या चाल है माल है गाल है
उठा ले जाऊंगा तुझे अरहरिया में देखती रह जाएंगी अम्मा तुम्हारी 🎶🎶🎶🎶🎶🎶
सा रे गामा गउबय गोरिया पकड़ के हरमुनिया 🎶
दिवाकर से बजवा ला तू आपन मुनमुनिया
सा रे गामा गउबय गोरिया पकड़ के हरमुनिया 🎶
दिवाकर से बजवा ला तू आपन मुनमुनिया
हाय क्या चाल है माल है गाऽऽऽल है
उठा ले जाऊंगा तुझे अरहरिया में देखती रह जाएंगी अम्मा तुम्हारी
उठा ले जाऊंगा तुझे अरहरिया में देखती रह जाएंगी अम्माऽऽऽऽ तुम्हारी ।।
सजिया भी बिन बालम के जवानी की आग में झुलस रही थी उसे भी अंबर और राजू की हरकतें अच्छी नही लगती थीं तो अब बुरी भी नही लगतीं थीं जब उसे गाने का असली मतलब समझ आता तो मन ही मन मुस्कुरा देती ।
इधर राजू पशुशाला में चारा पानी करने के बहाने अपनी चाची से नजदीकियां बढ़ाने की जुगत में था उसे अपनी चाची पर भरोसा भी था कि जिसने अपने भतीजे की ख्वाहिश सामाजिक नियमों के खिलाफ जाकर पूरा किया है वह मेरा साथ दोबारा जरूर दूंगी। किंतु उसे यह नहीं मालूम था कि उसकी चाची भी इस उम्र में जवान छोरे के लंड का भोग करने की सोच रही हैं।
राजू: जानवरों को चारा दे दिया चाची!
सविता: हां दे दिया।
राजू: चाची! वो आपकी तबियत कैसी है?
सविता: ठीक है। मै कब बीमार थी?
राजू: उस दिन आपको चोट लग गई थी खून बह रहा था ।
सविता: हरामी! उस दिन तो इतना ख्याल नही आया मेरा....नही तो मेरी ये हालत नही होती।
राजू: चाची वो मै जोश जोश में होश खो बैठा था।
सविता: चल जो हो गया सो हो गया।
राजू: घाव भर गया।
सविता: हां, लेकिन तू ये सब इतना विस्तार से क्यों पूछ रहा है।
राजू: फिर कब दोगी चाची ।
सविता: एक बार जो गलती हो गई सो हो गई अब ये गलती दोबारा नहीं होगी।
राजू: दे दो चाची हमारे गुरुजी भी कहते हैं करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत जात तें, सिल पर परत निसान।। ...... इसलिए अभ्यास करते रहना चाहिए।
सविता: लगता है तेरा जवानी का बुखार जल्दी नही उतरेगा ।
सविता की बातों का लहजा देखकर राजू समझ गया था कि चाची कि तरफ से सिग्नल हरा तो नहीं है लेकिन लाल भी नही है यानी पीला है प्रतीक्षा करना होगा। राजू ने सविता को बाहों में भर लिया और चुम्मा लेने की फिराक में था, लेकिन सविता ने चेहरा घुमा लिया फिर भी राजू ने बाएं गाल पर चुम्मा ले ही लिया ।
सविता: छोड़ किसी ने देख लिया तो... छोड़ बेशरम।
सविता और राजू के बीच बात आगे बढ़ने लगी किंतु इस बार प्यास बुझाने की एकतरफा मंशा नहीं थी बल्कि दोनो के मध्य लगाव बढ़ रहा था। सविता एक दिन पशुशाला के पीछे पेशाब कर रही थी..…तभी राजू आकर देखने लगा ।
सविता को लगा कोई और है वह पेशाब रोककर खड़ी हो गई ।
राजू: मूत लो चाची..नही तो करंट लग जाएगा।
घूरते हुए सविता फिर से बैठ गई और तेज रफ्तार में पेशाब करके हल्की हुई।
राजू पैंट के ऊपर से ही लंड दबाने लगा। फिर पशुशाला के अंदर आया और चारा दे रही सविता चाची को पीछे से पकड़ लिया । सविता चाची ने राजू को गुस्से में डांट दिया। उस समय तो राजू कुछ नही बोला लेकिन जब सविता ने चारा दे दिया तो फिर से पीछे से पकड़ लिया और पीछे से पेटीकोट सहित साड़ी उठा दी उसके बाद टॉर्च लगाकर चूत देखने लगा.......आज भी वैसी ही झांटे थीं जो उस दिन अरहर के खेत में थीं.......और इन्हीं झांटों के बीच में गुलाबी रंग की दो पंखुड़ियां मुंह खोलकर बैठी थीं ।
सविता: बेटा! कोई आ गया तो दोनो के लिए मुसीबत खड़ी हो जाएगी।
राजू: और कोई नहीं आया तो मेरे नागराज तो खड़े हैं ही.......वो सब छोड़ो चाची ये बाल इतने बड़े बड़े क्यों रख रखे हैं इनको साफ क्यों नही करती हो ऐसे लग रहा है जैसे रानी जंगल में जीवन यापन कर रही हो।
सविता: बेटा! तेरे चाचा तो अब बनाते नही हैं....अकेले बनाने में चोट लग सकती है......और झरने के आस पास वृक्ष भी तो होने चाहिए।
राजू: चाची इसका महत्व झरने से कहीं अधिक है....बेचारी आस पास देख भी नहीं पाती होगी ये वृक्ष रास्ता रोक लेते हैं।
सविता: मै तो नही बना पाऊंगी।
राजू: तो मै बना देता हूं।
सविता: आज नही कल.....थोड़ा लेट आना और जल्दी जल्दी चारा देने के बाद बना देना....और हां टॉर्च लाना मत भूलना।
राजू: ठीक है।
सविता को राजू के पिता और प्रेमा की अपेक्षा अपने पति से अधिक भय था इसलिए उसने झांट बनवाने का जोखिम राजू की पशुशाला में लिया। दूसरे दिन सविता राजू की पशुशाला में आ गई......उसे अभी से ही गुदगुदी हो रही थी ।
राजू: आओ चाची। यहीं किनारे बैठ जाओ ।
सविता बैठने ही वाली थी कि राजू ने एक खाली बोरी रख दी नीचे ........फिर सविता ने पीछे से साड़ी और पेटीकोट को उठाकर गांड़ बोरी पर रखी लेकिन सामने की साड़ी हटाने में हिचकिचा रही थी तब राजू ने साड़ी हटाई......उसका लंड में तनाव आने लगा किंतु काम सावधानी का था इसलिए उसने पूरा ध्यान झांटों पर लगा दिया। राजू शेविंग मशीन जैसे ही पास ले जाता सविता हाथ पकड़ लेती........

मर्द के हाथ से झांट बनाने की गुदगुदी सविता को बर्दास्त नहीं हो रही थी। राजू ने लतही (दूध निकालते समय लात मारने वाली) गायों का पिछला पैर बांधने वाली रस्सी निकाली और सविता की सहमति से उसके दोनो हाथ पीछे करके बांध दिए। उसके बाद दोनो पैर फैलाकर आहिस्ते आहिस्ते झांट के एक एक बाल की गर्दन उतार दी । घने जंगल के हटने के बाद सविता के कमर के नीचे के हिस्से में अदभुत चमक और आकर्षण आया ।
किंतु समय की पाबंदी की वजह से दोनो को अपने अपने घर जाना पड़ा।
राजू और उसकी सविता चाची के मध्य ऐसे ही और अधिक रोमांच कारी संवाद होने लगे । सविता चाहती तो राजू के साथ संभोग कर लेती लेकिन राजू को कुछ दिनों तक तड़पाना सही समझा और सही मौके का इंतजार करने लगी।
गांव से 6-7 किलोमीटर दूर प्रत्येक बुधवार को बाजार लगती थी जिसमे विभिन्न हाथ के बने उत्पाद जैसे चारपाई का बाध (जूट), पशुओं के लिए रस्सी, घंटी, विभिन्न प्रकार की झाड़ू आदि आसपास के किसान या इनमे पारंगत लोग ले आते थे ।
सविता: प्रेमा!
प्रेमा: हां बोलो।
सविता: मै कह रही थी मेरी एक खटिया का बाध (जूट) कई जगह से टूट गया है आज बुधवार है तो अगर तुम्हे भी कुछ लेना हो बजार से तो दोनो जनी बजार हो आएंगी।
प्रेमा: मुझे तो कुछ खास नहीं चाहिए लेकिन इस बछड़े के मुंह पर मोहड़े वाली रस्सी चाहिए थी किसी को भी घसीट देता है एक दिन मुझसे छुड़ा के भाग लिया था। खुरपी में भी धार लगवाना था।
सविता: तो चल रही हो।
प्रेमा: अगले बुधवार को चलेंगे।
सविता: आज क्या हुआ।
प्रेमा: पहले बताई होती तो मै जरूर चलती अब दिन भी चढ़ आया है इस समय पैदल जाना भी ठीक है, एक काम कर अंबर के साथ साइकिल से चली जा।
सविता: कहीं दिख भी तो नहीं रहा.....कहीं घूम रहा होगा ।
प्रेमा: रुक मै राजू को देखती हूं।
प्रेमा: राजू बेटा! क्या कर रहा है।
राजू: क्या हुआ मां।
प्रेमा: बाजार चला जा तेरी चाची तैयार खड़ी हैं..अभी नही जाउंगी तो ख्वामखाह ही बुरा मान जायेगी मैंने अपने कपड़े भी धुल दिए हैं ।
राजू: ठीक है चला जाता हूं....कुछ लाना हो तो बता दो।
प्रेमा: बछड़े के लिए मोहड़ेदार रस्सी, खुरपी में धार लगवाना है, एक सूप लेते आना अपनी चाची से दिखवा के लेना, अगर भारी न लगे तो दो पसेरी नही तो एक पसेरी आलू लेते आना।
राजू: ठीक है पैसे दे दो।
राजू: चलो चाची!
सविता: बेटा क्यों परेशान हो रहा है, हम दोनो अगले हफ्ते चली जायेंगी।
राजू: अब चलो चाची आधे घंटे का तो रास्ता है।
सविता साइकिल की करियर पर बैठ गई। मंद गति से साइकिल आगे बढ़ी।
आधी रस्ता निकल गई लेकिन किसी ने संवाद प्रारंभ करने की कोशिश नही की वो बात अलग थी कि राजू का लंड पैंट में दबाव बनाए हुए था जिससे राजू साइकिल और तेज चला रहा था।
सविता: राजू बेटा ! ये साइकिल का कैरियर गड़ (चुभ) रहा है।
राजू: रुको मै कोई जुगाङ करता हूं।
राजू ने अपना गमछा दो बार मोड़ कर रख दिया
राजू: अब बैठ जाओ चाची।
साइकिल पुनः पानी अपने गंतव्य की ओर बढ़ने लगी ।
सविता: बेटा! तुम्हरी मां ने क्या क्या मंगाया है।
राजू: चाची कुछ खास नहीं मंगाया, सब तो मै खरीद लूंगा लेकिन सूप देख सुन के खरीद देना उसके बारे में मुझे कुछ नहीं पता।
सविता: ठीक है बढ़िया सूप खरीद दूंगी।
दोनो ने आवश्यकतानुसार सामान खरीदने के पश्चात अंत में राजू ने जलेबी खाई और चाची को भी खाने के कहा । सविता बहुत शरमा रही थी। राजू के बहुत कहने पर किसी तरह घूंघट करके एक कोने में जाकर खा लिया फिर पानी पिया तथा वापिस घर की ओर पैदल ही प्रस्थान किया।
दोनो बाजार से बाहर आ गए सामान अधिक इकट्ठा हो गया था किंतु इसे पीछे कैरियर पर आसानी से बांधा जा सकता था।
राजू: चाची आज आपको डंडे पर बैठना पड़ेगा।
सविता: नही नही लोग देखेंगे तो क्या कहेंगे।
राजू: फिर तो पैदल ही चलना पड़ेगा।
सविता: इससे अच्छा तो मै पैदल ही चलूंगी।
राजू: पैदल तो मै ऊब जाऊंगा....चींटी की चाल .... मै तो साइकिल से ही जाऊंगा ।
सविता: सही तो है तू साइकिल से निकल जा मै अपने पैदल आ जाऊंगी।
राजू: हां मां मुझे कहेंगी चाची को कहां छोड़ आया तो।
बहुत बहस के बाद आखिरकार सविता बड़ा घूंघट काढ़कर साइकिल के डंडे पर बैठ ही गई और यह तय हुआ कि गांव से आधा किलोमीटर पहले उतरकर सविता खेतों के रास्ते घर पहुंचेगी और राजू साइकिल से ही अपने घर आ जायेगा।
राजू ने भी सविता की जिद के चलते मुंह में गमछा बांध लिया।
जवान मर्द एक औरत साइकिल के डंडे पर बिठाए चला जा रहा था रास्ते में जो भी देखता हंसे बिना नहीं रह पा रहा था ।
सविता कोई बच्ची तो थी नहीं 21 इंची साइकिल के डंडे पर बैठी सविता चूतड़ लगभग साइकिल की गद्दी के पास तक पहुंच रहा था.......गद्दी के आगे ठीक आगे राजू का लंड भी घात लगाए बैठा था........जब राजू ने जोर लगाकर साइकिल में रफ्तार भरी तो गरमी के मारे लंड ने बाहर की हवा खाने के लिए कसमकस शुरू कर दी और सविता के चूतड़ों के पास गिरगिट की तरह सिर ऊपर नीचे करने लगा......सविता की भी गांड़ डंडे पर बैठे बैठे कल्लाने (दर्द करने) लगी थी जिससे इधर उधर होकर खुद को एडजस्ट (समायोजित) कर रही थी किंतु इसी चक्कर में राजू के लंड को आने जाने के लिए पर्याप्त जगह मिल गई। पैजामे के ऊपर से ही राजू के लंड ने सविता की गांड़ की दरार में आवाजाही शुरू कर दी.......पैरों के पैडल मारने की वजह से लंड का पर्याप्त दबाव उसके बाद पीछे आने की पुनरावृत्ति हो रही थी.......सविता भी आज डंडे पर बैठकर अपने बचपन के दिनों को याद करने का प्रयास करती है किंतु वो यादें धूमिल हो चुकी थी परंतु जवानी की कुछ पल याद आ रहे थे जिसमे वह अपनी सहेलियों को बिठाकर साइकिल चलाती थी ......संतुलन खोने के डर से पीछे बैठी सहेली डरी हुई होती थी फिर भी खिलखिलाती रहती थी.....किंतु जैसे ही उसे एहसास हुआ साइकिल के डंडे पर बैठने का तो शर्म के मारे घूंघट के अंदर ही लाल हो गई......जिस प्रकार पूरी जिम्मेदारी से राजू सविता को बाजार करवा के ले आ रहा था ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे राजू पति हो और उसकी सविता चाची पत्नी......सविता को भी राजू के इस जिम्मेदारी भरे रवैये से उस पर प्यार आ रहा था ऊपर से पीछे गांड़ पर चुम्मी ले रहे लंड के एहसास से सविता सोच रही थी ये सफर कभी न खत्म हो .......यही राजू भी सोच रहा था कि यह सफर यूं चलता रहे तो लंड गांड़ के पास साड़ी में छेद बना ही देगा।
राजू ने पेशाब करने के लिए साइकिल रोकी रोड के नीचे उतरकर पेशाब किया और पेशाब की अंतिम बूंदों को झिड़कते हुए घूम कर पैंट की जिप बंद करने लगा किंतु लंड के तनाव के कारण बड़ी मुश्किल से बंद हुआ......उसके बाद उसकी नजर ऊपर रोड की पटरी पर बैठी सविता पर गई वह भी मौका पाकर जल्दी जल्दी पेशाब कर रही थी उसे राजू के इतनी जल्दी हल्का होने की आशंका न थी.....राजू की नजरें सविता से मिली तो उसे एहसास हुआ कि उसकी सविता चाची का जिप की ओर ही ध्यान था .....लेकिन रोड के नीचे से चूत का।स्पष्ट दर्शन होने के कारण उसका सारा ध्यान सविता की चूत से निकल रहे मूत की ओर चला गया जो कि अचानक से ज्यादा अंतराल लेकर बाहर आ रहा था.....इस वजह से ही सविता को कुछ देर लग गई मूतने में ....दरअसल उसकी चूत उत्तेजित होकर मूत्र का रास्ता रोक रही थी.....राजू मन तो किया की इसी अवस्था में चाची को पकड़कर गद्दी पर बैठकर खुले लंड पर बिठाकर साइकिल चलाए लेकिन बजार लगने की वजह से कोई न कोई रास्ते से गुजर ही जाता था । एक किलोमीटर की दूरी रह गई थी इसलिए सविता चाची ने जिद करके पैदल ही चलने का निर्णय लिया...जो कि राजू के लिए और घातक था...... पैदल चल रही सविता के चौड़े चूतड़ ऐसे घूम रहे थे जैसे इनमे कुछ डाल दिया जाए तो वह अंदर बाहर होता रहे। यह सब देखकर राजू सोच रहा था क्यों न वह भी खेत के रास्ते होकर जाए और रास्ते में अपनी चाची की चूत का पुनः स्वाद चखे किंतु सामान और साग भाजी की वजह से साइकिल को खेत की मेड़ों पर ले जाना सही नही था......यही सब सोचते सोचते दोनो एक दूसरे से अलग हो गए राजू भी अपनी चाची के नंगे बदन का दर्शन करने, चुम्मा लेने, दूध पीने और लंड को चूत में डालकर असीम आनंद की अनुभूति करने जैसे विचार करते हुए पैदल ही आया घर तक उधर खेतों के रास्ते सविता भी प्रेमा के घर पर पहुंच गई।
प्रेमा ने सबसे पहले तो सूप देखा जो कि उसकी पसंद का था सही से बिना हुआ था उसके बाद दोनों ने अपने सामान अलग कर लिए सविता घर चली गई। राजू ने अपनी मां को जलेबी की थैली दी जिसे वह विशेष रूप से अंजली के लिए लाया था। वहीं सविता ने भी अपने बच्चों को जलेबी और भुने हुए चने दिए। इस सब के बावजूद भी न तो राजू को चैन मिल रहा था न ही सविता को.....दोनों को ही बस इंतजार था तो मिलन का.......किसी प्रकार डेढ़ दो घंटे निकालने के बाद राजू अपने जानवरों को चारा पानी देने के लिए पशुशाला में गया उसी समय सविता भी अपनी पशुशाला में आई हुई थी। राजू को कुछ नही सूझा उसने जा कर सविता को पकड़कर कसने लगा जिससे सविता की छातियों में दर्द होने लगा सविता को इस पकड़ से इतना तो मालूम हो गया कि राजू अब नही मानेगा मै मानूं या न मानूं।
सविता: राजू क्या कर रहा है? मेरी छाती दबी जा रही है ।
राजू ने सविता को छोड़ दिया।
राजू रूआंसा होते हुए: क्या करूं चाची मेरा ये नही मानता आपके सिवा और किसके पास जाऊं आप ही बता दो ।
सविता: दुखी मत हो बेटा! सही वक्त पर अपना सब कुछ तुझ पर न्योछावर कर दूंगी...अब इससे ज्यादा मै क्या कह सकती हूं ।
राजू: किस सही वक्त पर चाची !
सविता: ठीक है कल उसी दूर वाली अरहर के खेत में मिलना।
राजू: हां चाची! आप ही तो मेरी प्यारी चाची हो लेकिन ये मेरा पप्पू नही मानता क्या करूं...आज तो इसमें आग लगी हुई है ।
सविता: बेटा ऐसा कर आज रात को ओसारे (जैसे बरामदा होता है वैसे ही छप्पर यदि घर के बाहर छाया हो तो ओसारा कहते हैं) में सो जाना और रात के करीब एक बजे मेरे घर आ जाना ।
राजू का लंड अब ढीला पड़ा..... अब जाकर समझ में आया कि ये सब अंतरंग कार्य समाज से कितना छिपाकर करना पड़ता है।
राजू: लेकिन आप कैसे करोगी चाचा भी तो साथ होते होंगे ।
सविता: कोई बहाना बनाकर बच्चियों के साथ लेट जाउंगी फिर रात को राशन वाले कमरे में आ जाऊंगी । और हां अब जल्दी जा नही तो तेरी मां आ गई तो दोनो की ऐसी तैसी हो जाएगी ।
ठीक है चाची अगर नींद नहीं आई तो आ जाऊंगा।
आज रात के सहवास की आशा में लंड में लगी आग जिसे राजू ने बयान कर दिया था और चूत में लगी आग जो अदृश्य थी दोनों पर इतना पानी पड़ गया कि सिर्फ सुलगती रहें।
राजू के लिए बरामदे में सोना आसान था और रात में उठकर कहीं भी जा सकता था किंतु सविता ने राशन वाले कमरे को चुना था क्योंकि सविता कभी कभार रात में साढ़े तीन बजे उठकर पशुओं के लिए गेहूं, बाजरा या अन्य कोई मोटा अनाज पीसती थी इसलिए उसमे कम जोखिम था।
सविता को प्रत्येक दिन की भांति नींद लग गई ....लेकिन रात करीब 12 बजे उसकी नींद खुल गई....उसने चुपके से पैर जमीन पर टिकाये और उठकर सीधे राशन वाले कमरे में चली गई वहां पर दिया जलाकर सामान इधर उधर रखकर जगह बनाई वहीं पर तीन गुदड़ी (कथरी) बिछा दी उसके बाद जांत (अधिक मात्रा में अनाज पीसने की चकरी) में बाजरा, गेहूं और मटर मिश्रित करके भरकर रख दिया । उसके बाद घर का मुख्य द्वार खोलकर राजू का इंतजार करने लगी ताकि उसे सही सलामत अंदर प्रवेश करवा सके। इधर राजू को आज नींद नही आई थी अंधेरे लंड और खड़ा होकर बूंदे टपका रहा था......यही एक उत्प्रेरक था वरना आज उसकी गांड़ फट गई थी अंबर के घर में जाकर सविता चाची को चोदने में। रात करीब एक बजे बिस्तर से उठा और चांद की रोशनी में बिना टॉर्च के ही सविता चाची के बरामदे में पहुंच गया वहां पर सविता ने उसे फुसफुसाकर अपने पास बुला लिया ।
सविता (कान में बोलते हुए): चप्पल पहन कर क्यों आ गया। इसे हाथ में पकड़ ले।
सविता राजू को उंगली पकड़कर राशन वाले कमरे में लेकर बिठा आई और घर का मुख्य दरवाजा बंद कर लिया .....सविता खुद भी राशन वाले कमरे आ कर कुंडी लगा ली ।
सविता: तेरी वजह से देख क्या क्या करना पड़ रहा है। आज ये हाल है कि सावधानी हटी दुर्घटना घटी।
राजू: चाची इस तरह तो मुझे भी दर लग रहा है.....इससे अच्छा तो अरहर ही थी।
सविता: चल कोई नहीं! यह कमरा सबसे किनारे है शायद ही कोई दिक्कत हो ।
राजू: चाची अपनी अपना दूध पिला दो आज मुझसे तो आज रात ठीक से खाना भी नहीं खाया गया।
सविता: तुझे कुछ नहीं जानता बस बचपन में दूध पीने की आदत और नुन्नू को किसी छेद में घुसेड़ने के सिवा..... घोड़े जैसा औजार हो गया है बस।
गाय दुहता है कि नही ।
राजू: हां दुहता हूं।
सविता: तो उसके थनों को पंझवाता (दूध दुहने से पहले गाय के बछड़े को पिलाते हैं जिससे गाय उत्तेजित होकर दूध उतार देती है) भी तो होगा बछड़े से ।
राजू: हां।
सविता: उसी तरह औरत की भी चूंचियां पहले मसलनी चाहिए, मुंह लगाना चाहिए उसके बाद दूध उतर जाए तब उसे चाहे गिलास में दुह कर पियो या सीधे मुंह से।
राजू: ठीक है चाची।
सविता: और इसी तरह मर्दों के पास दूध तो होता नहीं इसलिए मर्द अपना लवड़ा चुसाकर भी आनंद लेते हैं और औरत उसका रस पीकर निखरती है। गुप्त बात बता रही हूं जब भी किसी जवान लौंडे का कोई औरत रस पिएगी या चूत के जरिए खींचेगी तो उसमे निखार आएगा लेकिन मर्द सूख जाएगा अगर सही खानपान न रखे तो । .....और यही बात इसके विपरीत लागू होती है जब भी कोई पुरुष अपने से कम उम्र की महिला की चूत का रस पियेगा या लंड को उस रस में डुबोकर रस का मिश्रण करेगा उसमे निखार आयेगा और वह महिला कमजोर हो जायेगी लेकिन उतना नहीं जितना पहली वाली स्थिति में पुरुष सूखेगा ।
राजू: अच्छा।
सविता: इसलिए शुद्ध घी का खूब सेवन किया कर....लेकिन तेरा लंड तो वीर्य का कुआं लगता है एक दम गाढ़ा गाढ़ा उस दिन चूत के आस पास जम गया था बड़ी मुश्किल से छुड़ाया।
राजू: क्या अदभुत ज्ञान है चाची आपके पास..... मै कितना खुशकिस्मत हूं जो आप जैसी चाची मुझे मिलीं ।
सविता: एक और जरूरी बात मैं बताना भूल गई...तेरा लंड सामान्य लवडों से बड़ा है और इसकी मोटाई और चौड़ाई दोनो मिलकर किसी की भी चूत को छलनी कर सकती हैं....इसलिए आज तुझे विशेष ध्यान रखना है जब मै इसे लूं तो यह तेरी जिम्मेवारी होगी कि मुझे चिल्लाने से रोक सके वरना.....घर पड़ोस में क्या गांव में गुहार लग जायेगी और हमारे पास कोई बहाना नहीं रहेगा।
राजू: राजू की गांड़ चोक लेने लगी । कभी लंड खड़ा हो जाता कभी सविता की बातों से अवाक होकर बैठ जाता ......लेकिन इन सब के बीच एक अंग ऐसा था जो लगातार कार्य कर रहा था वह था अंडकोष....ये ससुरा आज शाम से ही वीर्य को पंप कर रहा था कि आज वीर्य को बाहर कर ही देना है ।
राजू: एक बात बताओ चाची लोग कहते हैं स्त्री आठ गुना कामुक होती है पुरुषों के बदले फिर भी लौंडे चूत की तलाश शादी तक करते फिरते हैं लेकिन नही मिलती।
सविता: बेटा इन सब का एक ही कारण है हमारा समाज जो इन सब को इजाजत नहीं देता वरना प्रकृति के अनुसार कोई कुपोषित भी हो तब भी मादा में तेरह से साढ़े सोलह बरस के बीच सारे लैंगिक लक्षण आ जाते हैं यही हाल मानव नर का होता है उसके भी लक्षण सोलह या साढ़े पंद्रह से अठारह बरस के बीच आ जाते हैं। इस दौरान और इसके बाद लंड को चूत की जरूरत होती है और चूत को लंड की दोनों का मिलन होता है तब बच्चे पैदा होते हैं .....और इन बच्चों में किसी भी प्रकार के आनुवंशिक विकार या बीमारियां नही होती.....किंतु मानव ने अपने नियम व तौर तरीके बना लिए हैं।
यदि कोई स्त्री शादी से पहले किसी से सहवास करती पकड़ी गई तो उसे सब बेइज्जत करेंगे, उसकी शादी बड़ी मुश्किल से होगी, हमेशा उसे ताने मारे जाएंगे इन सब से वह घुटन और तनाव में आ जाएगी ......इसी से बचने लिए बहुत सारी लड़कियां अपनी जवानी को शादी तक काबू में रखती हैं......लेकिन किसी किसी में ज्वालामुखी होता है जो कहीं न कहीं छिप छिपाकर फूट जाता है।
राजू: क्या ये ज्वालामुखी शादी या बच्चे के उपरांत शांत हो जाते हैं।
सविता: कदापि नहीं ये सक्रिय ज्वालामुखी होते हैं ये शादी के उपरांत भी लावा उगलते रहते हैं.....तूने भी तो सुना होगा फलानी फलनवा के बइठी {अवधी भाषी क्षेत्र में लगातार जारी नाजायज संबंध के लिए कहते हैं फलानी फलाने (जैसे सविता अपने भतीजवा) के बैठी है} है।
राजू: एकाध बार सुना है।
सविता: तूने एकाध बार सुना होगा.....हम महिलाओं को सब खबर होती है.....शादी के बाद अक्सर कोई दूध की धुली नही रह जाती .....इसलिए कोई किसी की पोल नही खोलता..…तूने कहावत पढ़ी होगी किताबों में ...हमाम में सब नंगे हैं...…।
राजू: तो चाची किसी स्त्री को चोदना हो तो उसे कैसे राजी करें।
सविता: अगर औजार बढ़िया है तो किसी भी प्रकार से उस स्त्री को औजार का दर्शन कराना चाहिए फिर उसका मस्तिष्क दुविधा में फंस जाएगा और अंततः चूत की बात मानकर चित हो जायेगा और स्त्री थोड़ा बहुत न नुकुर करने के बाद आगे का रास्ता स्वयं तैयार करेगी। और अगर औजार बढ़िया न हो तो स्त्री को भरोसा दिलाना होगा कि यह संबंध पूरी तरह प्रेमाधारित है और गोपनीय रहेगा और आगे भी गोपनीय ही रखना है तो भी वह स्त्री अपना सब कुछ परोस देगी। और अगर इन सब के बीच कोई स्त्री को धोखा या उजागर करने की धमकी देता है तो इससे वह स्त्री तो परेशान होती ही है साथ ही अन्य स्त्रियों को भी आगाह करती है इससे भी पुरुषों के लिए स्त्रियों के दरवाजे बंद होते हैं। इसलिए कभी भी सहवास प्रेमपूर्ण और समर्पण भाव से ही करना चाहिए।
रात बीती जा रही थी इस बात का दोनो को एहसास हो गया था ......दोनो के नाजुक अंग सविता के व्याख्यान की वजह से सुसुप्त हो गए थे ।
वहीं यह सब बोलते बोलते सविता को काम का नशा होने लगा.....वह ठहर गई....उसके अंदर की स्त्री जाग गई।
उसने राजू की बनियान उतारी.......उसके बाद राजू से पजामा उतारने को कहा.....राजू ने ठीक ऐसा ही किया।
लंड का उत्तेजना की स्थिति से सुसुप्तावस्था में आने पर जो ऊर्जा मुक्त हुई थी F=-kX² यहां X लंड की लंबाई है तथा k लंड गुणांक है जिसे भौतिकी में स्प्रिंग गुणांक भी कहते हैं।
इसकी गणना करेंगे तो राजू के 10 इंची लंड में कई जूल ऊर्जा इकट्ठा थी......यही कारण था कि अपनी चाची के स्पर्श के कारण मात्र एक झटके में पजामे के अंदर से ही उसने सविता को सलामी दे दी.....।
राजू को भी धीरे धीरे सविता चाची की बातों से अनुभव हो रहा था।
इस बार राजू ने स्वयं सविता चाची के ब्लाउज के बटन खोले ......राजू के गरम हाथों का स्पर्श पाकर सविता की दुग्ध ग्रंथियों में जो भी दूध था वह पूरी चूंची में फैलकर गर्म होने लगा ।
पूर्व में सविता के बताए अनुसार राजू ने सविता की दोनो चूचियों को मसलना आरंभ किया बीच बीच में मुंह भी लगा देता था ......सविता सांझ से ही कामग्नि में जल रही थी ऊपर से चूचियों के मसले जाने से उसके रोम रोम उत्तेजित हो गए थे........सविता ने स्वयं ही राजू के होंठों पर अपने होंठ रखकर पीने लगी......राजू भी सविता चाची के थूक में अपना थूक मिलाकर होंठों को चूम रहा था....सविता चाची ने राजू के होंठों को काटना शुरू कर दिया.....ऐसा लगा जैसे राजू के हाथ से स्थिति बाहर हो रही थी .....।
राजू ने सविता की साड़ी उतार फेंकी ....पेटीकोट ऊपर उठाकर एक बार में ही निकाल दिया.........
राजू ने जब चूत की ओर देखा उसमे से कामरस की एक पतली धार बिना टूटे बह रही थी......चूत फूल गई थी ...... भगशिश्न (क्लाइटोरिस) बाहर आने को आतुर थी । किंतु इन सब को छोड़कर राजू ने सविता की चूंचियों को तेजी से दबा दबा कर मसलना शुरू कर दिया.....सम्पूर्ण नंगी सविता उत्तेजना से सराबोर हो चुकी दोनो पैर फैलाकर लेट गई ।
अब राजू को चूंचियां मसलने में और आसानी हो रही थी......सविता सी सी आह आह कर रही थी.....
सविता: हां राजू बेटे ऐसे ही इन चूचियों में से दूध को निकाल कर पी ले ....।
राजू ने एक एक कर के दोनों चूचियों का दूध पी गया इस दौरान सविता राजू का सिर पकड़कर अपनी चूंचियों पर दबाव बनाए रही और सिर सहलाती रही।
चूत में मची कुलबुलाहट को सविता बर्दाश्त न कर सकी और उठकर उसने राजू की चड्ढी उतार दी उसमे से दस इंच का फूला हुआ लंड बाहर आया तो सविता ने अपने मुंह में भरने की कोशिश की किंतु किसी तरह आधा ही गया........
राजू: चाची ऐसे ही चूसती रहो ......आपके हाथों में जादू है....आआह.... आह्ह्ह्ह्ह।
कुछ ही देर में सविता के चूसने की बजाय राजू ने सविता के मुंह को चोदना शुरू कर दिया......
दस इंच का लंड जब सविता की बोलने वाली घंटी को छूता तो उसे उल्टी आ जाती .........करीब दस मिनट तक सविता का मुंह चोदने के बाद राजू ने अपना दस इंच का लंड तेजी से अन्दर बाहर करके पूरा अंदर डाल दिया लंड जाकर आहारनाल में घुस गया ........सविता की सांस बंद हो गई....उल्टी भी नही कर पा रही थी.....छटपटाकर उसने लंड को बाहर निकाला तो उसमे से वीर्य की रसधारा बह रही थी जिसे सविता अपने मुंह में रखकर बड़े ही चाव से पी गई ।
झड़ने के बाद राजू ने सविता की चूत का अवलोकन करना शुरू किया उसमे बीच वाली उंगली डाल कर देखी तो पूरी उंगली अंदर चली गई।
फिर उसने दो उंगलियां डाली तीन उंगलियां डाली.... कामरस से लबालब चूत में सारी समा गईं..... भग शिश्न (क्लाइटोरिस) जो बाहर आने को उतावली थी उसे छुआ तो सविता में जैसे करंट लग गया वह उठकर बैठ गई ।
सविता: राजू बेटे अब इस लंड को इसके मादा समकक्ष से मिलवा दे .....अब इस चूत में हो रही खुजली मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रही....इसे अपने लंड से पीट पीटकर मार डाल…........।
इतने में राजू ने भग शिश्न पर मुंह रखकर उसे चूसना चालू कर दिया...सविता तो राजू का सिर पकड़कर कमर को एक एक फीट तक उछाल दे रही थी।
सविता: क्या हो गया आज तुझे राजू..... आआह्ह्हह्ह....आह।
राजू: मै तो प्रयोग करके देख रहा हूं.....।
सविता: प्रयोग अपनी जीवविज्ञान वाली गांड़चोदी मास्टरनी के साथ करना..... आहिह्ह्ह्ह ।
राजू ने चूत चूसनी जारी रखी और सविता अपनी कमर डेढ़ फुट उठाकर कर चूत के ज्वालामुखी को फोड़ना चाहा कि तभी राजू ने अपना मुंह हटा लिया....सविता झड़ते झड़ते रह गई ।
सविता ने राजू के लंड को पकड़कर आगे पीछे किया और चूत में डालने की गुजारिश की।
राजू ने अपनी चाची को दोनो हाथों से उठाया और
10 इंच के फनफनाते लंड पर सविता को बिठाने लगा .......श्वेत रस से भीगी हुई चूत में करीब चार इंच तक लंड अंदर सरक गया उसके बाद भी सविता के वजन की वजह से लंड धीरे धीरे धंस रहा था लेकिन दर्द की वजह से सविता चिल्लाने को हुई तो राजू ने सविता को नीचे उतार दिया।
राजू ने चकरी की मुठिया पकड़ने के लिए रखे मुलायम कपड़े को उठाया और अपनी चाची को भैंस की अवस्था में आने खड़े होने को कहा.......
राजू: आगे की ओर थोड़ा और झुको चाची...
हां अब सही है।
अब लंड और चूत एक एक ही सीध में थे मगर राजू का जवान लंड होने के कारण पेट की ओर भाग रहा था .....राजू ने हाथ से पकड़कर लंड को चूत पर रखा चार इंच अंदर किया.......
सविता: आह इसी पल का इंतजार था .....डाल दे अंदर इस चूत को अपने लौड़े से पटककर मार डाल ...आह रुक क्यों गया......डाल दे पूरा आह आह्ह्ह्ह.... आई।
राजू ने अपनी सविता चाची के मुंह में वही मुलायम कपड़ा भर के दोनो हाथ से पकड़ लिया ........लंड को चूत में धंसाना शुरू किया........सविता गूंगूं..गूंगूं करने लगी। लेकिन चार बार में राजू ने लंड पूरा अंदर डालकर छोड़ दिया.....सविता की योनि अपने चरम तक खिंच कर नाभि से भी ऊपर तक चली गई.........सविता जब चिल्ला न सकी तो रोने लगी ......... राजू एक हाथ से कपड़े को पकड़कर अब दूसरे हाथ से सविता की चूचियों को मसल रहा था ....
सविता: रुक क्यों गया........इस लंड को चला तभी तो रास्ता बनेगा ...... आह .......सविता ने भी दर्द कम करने के लिए एक हाथ से अपनी चूत को सहला रही थी ।
राजू ने सविता के मुंह से कपड़ा निकाल दिया दोनो हाथों में एक एक चूंची पकड़ ली जैसे एक ब्रेक हो और दूसरी एक्सीलेटर और सविता को आगाह कर दिया की इस बार दर्द होने पर चिल्लाए नही।
उसके बाद ब्रेक और एक्सीलेटर दोनो को एक साथ दबाकर लंड को रफ्तार पकड़ाई गच गच गच गच.......चूत में जो रस रिस रहा था वह फेंट उठा और लंड के रास्ते में चिकनाई का काम करने लगा...
सविता: आह आह आ ऊह आई आईईईई...आह..... हां ऐसे ही अब नही रुकना बेटे आज इस रास्ते पर डामर डाल दे......बना दे इसे द्रुतगामी (एक्सप्रेसवे) आह्ह्ह्ह्ह आह।
राजू: आह ये लो चाची आह...पूरा अंदर लो....आह।
सविता: आह्ह्ह्ह्हह तेरा लंड सच्च्च्च्च्च्च्च में कमाल है आह.... मार दे इस चूत को आह......
राजू: आपकी भी चूत गजब है आह पूरा लंड अंदर जा रहा है आह ........इसने मुझे बहुत तड़पाया है आज इसे जरूर रौंदूंगा आह्ह्ह।
सविता जल्दी ही झड़ गई लेकिन राजू ने चुदाई जारी रखी चूंकि मुखमैथुन से राजू एक बार झड़ चुका था इसलिए उसके अंडकोष वीर्य को पम्प करने में समय ले रहे थे।
जब झड़ने के बाद भी राजू का लंड चूत में अंदर बाहर होता रहा तो सविता की चूत में तेज दर्द हुआ और खड़े खड़े ही मूत मारी ।
करीब आधे घंटे फचा फच गचा गच चुदाई के बाद राजू भी झड़ गया इस दौरान सविता तीन बार झड़ी।
अब राजू ने अपने पहले प्रयास को सार्थक किया और सविता को दोनो हाथों से उठाकर अपने लंड पर धंसा दिया ......कुछ ही देर में सविता राजू की बाहों में एक लय बनाकर उछलने लगी । इस तरह करीब दस मिनट तक ही चुदाई चली क्योंकि सविता का वजन आड़े आ रहा था। फिर राजू ने लेट कर सविता को अपने लंड पर बिठाया .....इस विधा में सविता पारंगत थी.....चूत को सिकोड़कर...ढीला छोड़कर उसने राजू के लंड को खूब गुमराह किया लेकिन जब राजू ने अनियंत्रित गति से झटके देने शुरू किए तो सविता की एक न चली और चूत का असली भोंसड़ा बन ही गया।
राजू: आह चाची ऐसे ही उछलती रहो आह....
काफी देर तक उछलने के बाद सविता आ
ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह करके के अकड़ते हुए झड़ गई इसी दौरान राजू भी झड़ गया । इस तरह एक मानव मादा और एक मानव नर सुबह चार बजे तक एक दूसरे के साथ सहवास करते रहे और अंत में सविता और राजू एक दूसरे के पैर में पैर डालकर एक दूसरे को पकड़कर बैठ गए एक दूसरे को चूमते हुए चूत में लंड डाले बैठकर कामुक बातें कर रहे थे ....दोनो ने अंतिम चुदाई की उसके बाद दोनो एक दूसरे के बगल लेट गए।
सविता: आज तूने इस चूत को अपने वीर्य से तृप्त कर दिया .....मजा आ गया।
राजू: सही कहा चाची मुझे भी बहुत मजा आया।

सविता: राजू तेरा लंड सच में कमाल का है.....तू लंबी रेस का घोड़ा है। तू पूरा मर्द बन गया है... जिससे तेरी शादी होगी वह तो पहले दिन हग मूत दोनो मारेगी लेकिन जिंदगी भर इस मूसल से अपनी चूत कूटकर मजा लेगी।
राजू: कुछ भी हो आप मेरी प्यारी चाची हो इस तरह अपने भतीजे के लिए सब कुछ लुटा देने वाली चाची ढूंढने पर नहीं मिलेंगी।
सविता: ऐसे भतीजे पर तो मै सब कुछ वार दूं ।
राजू: चाची एक बार अपनी चूत देख लो कहीं फिर न चोटिल हो गई हो और मुझे दोबारा कई दिनों तक इंतजार करना पड़े।
जब दोनों ने देखा तो गांड़ के पास चूत थोड़ा सा फट गई थी ।
सविता: इस बार ज्यादा कुछ नहीं हुआ अब सही रास्ता बन गया है आगे से तो ये तुम्हारा लंड खुद ही लील (निगल) लेगी।
कुछ देर इसी तरह बातें करने के पश्चात दोनो कपड़े पहन लिए..…..राजू चुपके से अपने बिस्तर पर चला गया तो वहीं सविता अपनी शरीर में अकड़न के बावजूद पशुओं के लिए दाना पीसने लगी।
 

Bholaram

Divine
Banned
330
764
93
🎶🎶🎶🎶तनी हियाँ आवा हो..सुना हो... ज्यादा नखरा न देखावा नाहीं तौ
उठा ले जाऊंगा तुझे अरहरिया में देखती रह जाएंगी अम्मा तुम्हारी 🎶🎶🎶🎶🎶
उठा ले जाऊंगा तुझे अरहरिया में देखती रह जाएंगी अम्मा तुम्हारी 🎶🎶🎶🎶🎶🎶
हाय क्या चाल है माल है गाल..........
हाय क्या चाल है माल है गालऽऽऽ है
उठा ले जाऊंगा तुझे अरहरिया में देखती रह जाएंगी अम्मा तुम्हारी 🎶🎶🎶🎶🎶
डबल मुसम्मी दाबब पतरकी चपक के गन्ना मा
तिनक तिनक धिन करब पतरकी चपक के गन्ना मा
हाय क्या चाल है माल है गाऽऽऽल है
उठा ले जाऊंगा तुझे अरहरिया में देखती रह जाएंगी अम्मा तुम्हारी 🎶🎶🎶🎶🎶
केतना जादू भरा बा गोरिया तोरी चवन्नी मा
झुन झुन झुन होत बा गोरिया मोरी अठन्नी मा
हाय क्या चाल है माल है गाल है
उठा ले जाऊंगा तुझे अरहरिया में देखती रह जाएंगी अम्मा तुम्हारी 🎶🎶🎶🎶🎶🎶
सा रे गामा गउबय गोरिया पकड़ के हरमुनिया 🎶
दिवाकर से बजवा ला तू आपन मुनमुनिया
सा रे गामा गउबय गोरिया पकड़ के हरमुनिया 🎶
दिवाकर से बजवा ला तू आपन मुनमुनिया
हाय क्या चाल है माल है गाऽऽऽल है
उठा ले जाऊंगा तुझे अरहरिया में देखती रह जाएंगी अम्मा तुम्हारी
उठा ले जाऊंगा तुझे अरहरिया में देखती रह जाएंगी अम्माऽऽऽऽ तुम्हारी ।।

waah kya gaana hai bhai bahut majedar tha
update padh ke maja bahut aaya
 
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