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Incest घर-पड़ोस की चूत और गांड़, घर के घोड़े देंगे फाड़

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जबरदस्त अपडेट है । आखिरकार प्रेमा की चुदाई अंबर ने कर ही दी । अब तो चुदाई का सिलसिला शुरू हो ही गया है जो पता नही कहाँ कहाँ तक जाकर रुकेगा
 

Sanju@

Well-Known Member
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अपडेट -17
प्रेमा: अंबर बेटा खेत पर चलेगा ।
अंबर: क्या हुआ काकी। (वैसे तो काकी चाची को ही कहते हैं किंतु बड़ी मम्मी या ताई का प्रयोग नहीं कर रहा हूं क्योंकि इस पृष्ठभूमि में ये बनावटी लगेंगे)।
प्रेमा: कुछ नही बेटा गेहूं में पानी देना था ।
अंबर: कौन बेराएगा (खेत में बनी क्यारियों में पानी काटना आदि)
प्रेमा: मै ही कर लूंगी तीसरा पानी है सिर्फ चलाकर बैठना है सात आठ सिक्के (क्यारियां) हैं ज्यादा से ज्यादा दस बार देखना पड़ेगा बस।
अंबर: चलो चला देता हूं.....डीजल है कि नही इंजन में।
प्रेमा: तीन चार लीटर पहले का बचा होगा और पांच लीटर मै लेकर चल रही हूं।
अंबर: जल्दी चलो काकी ताकि शाम होने से पहले पूरा खेत सींच उठे नही तो तीसरे पानी में गेहूं बड़े हो चुके होते हैं दिखता नही सांझ में...... बीच बीच में कुछ ऐसी जगह छूट जाती हैं जहां पानी ही नही पहुंचा होता।
प्रेमा: सही कह रहा है चल जल्दी।
अंबर: लाओ काकी ।
अंबर ने पांच लीटर डीजल डाल दिया .......उसके बाद हैंडल घुमाया कंप्रेशर काटा तो इंजन स्टार्ट नही हुआ......
प्रेमा: बेटा लगता है इंजन ठंडा हो गया है
अंबर ने तीन मिनट तक हैंडल घुमाई और कंप्रेशर काटा .....इंजन धुआं देकर चल पड़ा।
प्रेमा: आ गया पानी बेटा ।
प्रेमा एक हल्का फरूहा (फावड़ा) लेकर बरहे (खेत सींचने के लिए नाली) में जा रहे पानी के साथ ही चल पड़ी ताकि कहीं पानी बह रहा हो तो ठीक किया जा सके ।
अंबर भी पीछे पीछे चल पड़ा।
अंबर: कहीं नहीं बहेगा पानी अभी महीने भर पहले ही तो लगाया था पानी की नाली बिलकुल सही है....हां थोड़ा बहुत घास जरूर उग आई है।
प्रेमा: फिर भी बेटा एक बार तो देखना पड़ेगा।
माघ महीने की धूप, सरसों के लगभग झड़ने को हो रहे फूलों से आ रही मनमोहक सुगंध, शांत एकांत माहौल में तो पशु पक्षी भी कामुक हो जाते फिर अंबर तो जवानी की आग में जल ही रहा था। उसका ध्यान प्रेमा की लयपूर्वक इधर उधर हो रही गांड़ पर गया । क्या मस्त लय थी ।
प्रेमा खेत में पहुंच गई पूरा पानी खेत में ही पहुंच रहा था.... हां खेत में पहुंचने के बाद जो एक पतली क्यारी बनी हुई थी जिसमे से आठों क्यारियों में पानी काटना था वह कहीं कहीं कटी थी पिछली सिंचाई के कारण........उसे बांधने में अंबर ने भी मदद की और सबसे दूर वाली क्यारी में पानी लग गया ।
प्रेमा: अंबर! अंबर: हां काकी
प्रेमा: घर जाने का मन हो तो चले जाना वरना कोई काम न हो तो रुको...... जब दो सिक्के (क्यारियां) हो जाएं तो पराठा रखा है झोले में.......खा लेना फिर सांझ तक दोनो साथ ही घर लौटेंगे।
अंबर: घर पर क्या करूंगा काकी ..... माघ महीने में तो दिन में खेतों में ही जी लगता है।
प्रेमा: ठीक है जैसे तेरी मर्जी।
अंबर: ठीक है मै जा रहा हूं ट्यूबवेल के पास ही बैठूंगा ।
प्रेमा: वहां क्या करेगा?
अंबर: नींद सी आ रही है।
प्रेमा: इंजन की आवाज से परेशान हो जायेगा।
अंबर: ठीक है काकी यहीं बैठता हूं मेढ़ पर ही।
प्रेमा भी पास आकर बैठ गई।
प्रेमा: अगर विश्राम करने का मन है तो जा ट्यूबवेल में एक चादर पड़ी होगी लेते आ । ... देखके लाना कहीं सांप चीतर न बैठी हो।
अंबर: माघ महीने में कौन सा सांप चादर में घुसता है ?
अंबर: जाकर चादर ले आया।
अंबर: मेढ़ पर कैसे बिछाऊँ चाची। एक काम करता हूं इस बगल वाले खेत में गेहूं में ही बिछा लेता हूं।
प्रेमा: नही नही दूसरे के खेत में नुकसान मत कर। ....अपने खेत में ही दूसरे सिक्के में एक जगह गेहूं बहुत विरंड़ (विरल या दूर दूर) है वहीं बिछा ले ज्यादा नुकसान भी नही होगा और पानी आज दे देंगे तो कल तक उठ भी जाएगा .....और हां इस सिक्के (क्यारी) में तो पानी भी बहुत देर से आएगा अभी तो 8वें में चल रहा है।
अंबर: चलो काकी दिखा दो। प्रेमा क्यारियां के बीच बनी हल्की मेढ़ के जरिए क्यारी के बीच में पहुंच गई ........उसने एक जगह दिखाई जहां पर गेहूं बहुत ही विरल था।
अंबर: काकी ए कैसे हुआ?
प्रेमा: लगता है बीज बराबर नही पड़ा यहां ।
अंबर: मुझे तो लगता है यहां मिट्टी थोड़ी ऊंची बैठ रही है जो गेहूं के पौध है भी वह भी तो कितना कमजोर है......अगली बार जुताई के समय 8-10 पलड़ा माटी निकलवा देना बस।…......यही सब बातें करते हुए चादर उसने बिछा दी ।
दोनो बैठ गए......कोई काम तो था नहीं......अंबर के मस्तिष्क में प्रेमा को लेकर कई खयाल आ रहे थे लेकिन उसे अंजाम देना उसके बस से बाहर लग रहा था । इसीलिए सुबह के भोजन और आसमान से आ रही न्यून तीव्रता की धूप ने अपना कमाल दिखाया और अंबर चादर पर ही लुढ़क गया ।
सिरहाने एक गमछा भी नहीं था इसलिए प्रेमा ने करीब आकर अंबर का सर अपनी जांघ पर रख लिया । ......उसके सिर में तो जुएं नही थी फिर भी प्रेमा उसके बालों में पता नहीं क्या ढूंढ रही थी ......शायद समय व्यतीत कर रही थी और अपने भतीजे को गहरी नींद में ले जाना चाहती थी।
थोड़ी देर बाद प्रेमा उठकर चली गई तो आठवीं क्यारी फुल होकर उफना रही थी तुरंत ही उसने सातवीं क्यारी में पानी काटकर वापस आ गई।
दोबारा अंबर का सिर अपनी जांघ पर रखना चाहा तो उसकी नींद खुल गई........काकी आप को भी सोना हो तो सो जाओ मै पानी देख लूंगा....
प्रेमा: हां बेटा मुझे भी झपकी आ रही है.......यहीं किनारे अलथी पलथी मारकर बैठ जा मै अपना सिर तेरे पैर पर रख लूंगी...
अंबर: ठीक है काकी।
यहां तक सब कुछ नियंत्रण में था लेकिन जब प्रेमा नींद में गई तो अंबर का दिमाग बेचैन हो उठा ..….दो दूध की थैलियों के आधे पैकेट का स्पष्ट दर्शन किया जा सकता था......नाभि भी स्पष्ट दिख रही थी....…… अंबर का मन कर रहा था ब्लाउज उतार के इन मुलायम थनों को हाथों में भर ले और परख सके कि ये थन उसकी गायों से किस प्रकार भिन्न हैं।
वह ऐसा तो कर न सका लेकिन उसका हथियार सुरंग के अंदर से ही पैंट की दीवार पर हमला कर रहा था दीवार तो टूटी नहीं लेकिन प्रेमा के गले पर थोड़ी मात्रा में थूक जरूर लगा दिया......बार बार वार से प्रेमा की आंख खुल गई ।
प्रेमा: क्या हुआ जगा क्यों रहा था पानी देखा तूने ..
राजू: मै कहां उठा रहा था आपको........और हां अभी थोड़ी देर पहले ही छठें सिक्के में काटकर आया हूं।
प्रेमा: फिर मेरे गले में क्या और क्यों खोंच (चुभा) रहा था ।
अंबर: कुछ तो नहीं।
प्रेमा को लगा उसका भतीजा शरारत कर रहा है।
वह फिर से लेट गई ......लंड ने लक्ष्य को करीब पाकर फिर से कैद से छूटने का प्रयास करने लगा इस बार सचेत प्रेमा ने हमलावर को हाथ से पकड़ लिया और उठ गई ।
प्रेमा शर्म के मारे लाल हो गई। इतना ढीठ लंड था पकड़े जाने के बाद भी खड़ा रहा।
प्रेमा ने मौका पाकर उसे देखना चाहा ।
प्रेमा: दिखा क्या छुपा रखा है।
अंबर: कुछ नही है काकी।
प्रेमा (मुझे बेवकूफ बना रहा है कहते हुए) पैंट का चैन खोल दिया फिर भी वह हथियार बाहर नहीं आया। फिर प्रेमा ने पैंट का हुक भी खोल दिया।
तब जाकर उसमे से 10 इंच लंबा और तीन इंच से अधिक मोटा हमलावर बाहर आया ।
अंबर: देखा मै कह रहा था न कुछ नही है ।
प्रेमा ( लंड को दिखाते हुए) : तो ए क्या है ?
अंबर: यह तो पेशाब करने की नली है।
प्रेमा: फिर इसे मेरे गले पर क्यों रगड़ रहा था।
अंबर: मै नही रगड़ रहा था यह खुद ही अपना सिर पटक रहा था जैसे अभी आपके हाथ से भागने की फिराक में झटके दे रहा है।
प्रेमा (टोपे के बिलकुल नीचे दिखाते हुए): तो इस पेशाब की नली को साफ नही करता क्या? ये क्या सफेद सफेद कचरे की तरह लगा हुआ है।
उसके बाद प्रेमा ने चादर के एक कोने को पकड़कर बेहद आसानी से साफ कर दिया .....इस बीच अंबर तड़फड़ाता रहा जिससे उसकी पैंट घुटने तक खिसक गई।
गंदगी साफ करने के बाद प्रेमा को झांट देखने की जिज्ञासा हुई उसने चढ्ढी खिसकाई तो झांटे बिलकुल साफ देखकर दंग रह गई।
प्रेमा: इसे तो तूने साफ कर रखा है कहां साफ करवाई।
अंबर: मैने तो खुद ही साफ की है आप नाई के यहां साफ करवाती हो क्या?
प्रेमा: हाय दइया! नाई के यहां मै क्यों जाउंगी ।
अंबर: फिर किससे बनवाती हो आप?
प्रेमा: राजू के पापा बना देते हैं कभी कभी।
अंबर: देखूं काकी साफ है कि झूठ बोल रही हो।
प्रेमा: झूठ नही बोल रही हूं एक हफ्ते पहले बनवाई थी ।
अंबर: दिखाओ फिर।
प्रेमा: मुझे शर्म आ रही है बेटा।
अंबर: ये गलत बात है काकी आपने मेरे मूतने की नली देख ली मै भी देखना चाहता हूं आप किसमे से मूतती हो।
प्रेमा ने पेटीकोट और साड़ी उठाई तो छोटी छोटी झांटे अंकुरित हुई थीं...प्रेमा सही ही कह रही थी एक हफ्ते पहले ही इन झांटों को कतरा गया था....जिसके मध्य में जैसे किसी बीज से पौधा निकलता है तो बीज के दोनो फलक अलग हो जाते हैं उसी तरह इन झांटों के बीच दो अलग अलग फलकें थीं जिनके बीच भगशिश्निका (क्लाइटोरिस) उगी हुई थी।
अंबर ने कम उम्र की लड़की की बुर तो देख रखी थी लेकिन दो बच्चों की मां की चूत पहली बार देख रहा था उसे भगशिश्निका के बारे में नही समझ आया।
अंबर: ये क्या है काकी ये तो लंड जैसा लग रहा है इसी से मूतती हो क्या?
प्रेमा: नही रे ...इसके नीचे एक छेद है उसमे से पेशाब करती हूं।
अंबर: फिर इसका क्या काम है?
प्रेमा: बेटा जैसे हमारी बछिया पहली बार गरम होती है और उसपर बड़ा सांड चढ़वाते हैं तो चिल्लाने छटपटाने लगती है लेकिन उसे पेड़ में बांधकर सांड को चढ़ा देते हैं तो बछिया की चूत बहुत छटपटाती है लेकिन वो जानवर है उसकी भाषा हम लोग नही समझ पाते.......इसी तरह अगर किसी कंवारी कन्या की बुर में मोटा लंड डालना हो तो उसे भी इसी तरह करना पड़ेगा या किसी को पकड़ना पड़ेगा......अब इस काम में कोई तीसरे व्यक्ति को तो लाएगा नही इसीलिए यह एक खूंटे की तरह काम करती है लंड धीरे धीरे अंदर घुसता है.....और इसको रगड़ते रहते हैं इससे यह लड़की को वहां से हटने नही देती चाहे कितना ही दर्द क्यों न हो इस तरह एक बार रोड चालू हो जाता है तो फिर क्या बोलेरो क्या ट्रक सारे वाहन फर्राटा भरते हैं।
इतने में प्रेमा को पेशाब लग गई......वह उठकर दूर जाने लगी....तभी अंबर ने टोक कर कहा - काकी यहीं मूत लो मुझे देखना है इसमें कितने छेद हैं।
प्रेमा एक किनारे बैठकर मूतने लगी ....अंबर ने देखा पेशाब क्लाइटोरिस के बिल्कुल नीचे से आ रहा है।
अंबर: काकी ये तो आप ऊपर से मूत रही हो फिर इस नीचे वाले बड़े हिस्से का क्या काम है?
प्रेमा: बेटा इसमें दो छेद होते हैं एक जिससे मैं अभी मूत रही थी दूसरा नीचे वाला बड़ा छेद इसमें से बच्चा बाहर आता है।
अंबर: एक बात और पूछनी थी काकी। ........जैसे अपनी गाएं दूध देना बंद कर देती हैं तो उनका थन बिलकुल ही छोटा हो जाता है लगभग सूख जाता है लेकिन आपका तो लग रहा है जैसे इसमें दूध होगा। बेटा दूध तो हमारा भी आना बंद हो जाता है किंतु थन वैसे का वैसे ही रहता है इसका कारण तो मुझे भी नही पता।
अंबर: दुह कर देखूं ...क्या पता निकल आए।
प्रेमा ने ब्लाउज खोल दिया....अंबर ने दोनो हाथ से गाय के थन की तरह पकड़कर दुहना शुरू किया
प्रेमा: बावले ये चूचक पकड़कर दुह मै कोई गाय थोड़ी हूं
अंबर: हां गाय क्या भैंस भी फेल है आपके आगे।
अंबर के चूचक पकड़ते ही दोनो चूचियां तन गईं.... चूंचक सख्त हो गए....कई प्रयास के बावजूद अंबर दूध नहीं दुह सका क्योंकि चूचक हाथ से फिसल जाता था।
अंबर: हाथ से तो निकल नही रहा .....मुंह से देखूं..
प्रेमा: आह कुछ भी कर आज तू
अंबर ने मुंह लगाकर खींचना शुरू किया......शुरुआत में नमकीन और कसैला पानी आया उसे अंबर ने उगल दिया
प्रेमा: छोड़ क्यों दिया बेटे दूध निकाल ले आज
अंबर ने फिर से मुंह लगाकर पीना शुरू किया इस बार भी दूध नहीं आया लेकिन पानी ज्यादा खारा नही था
प्रेमा: छोड़ मत बेटे पी ले ये तेरे लिए फायदा करेगा
अंबर: दूध तो आ ही नहीं रहा
प्रेमा: दूसरे वाले में कोशिश कर आह आह आ आईईईई आह ऐसे ही पी ले हल्का करदे इन्हे.. आह
प्रेमा: ये तेरा लंड बैठ क्यों नही रहा ?
अंबर: अब यह नही बैठेगा......क्या करूं ।
प्रेमा: हाथ से रगड़ बैठ जाएगा।
अंबर ने मुट्ठी मारनी शुरू कर दी मारता मारता रहा लेकिन लंड झड़ने का नाम ही ले रहा था।
प्रेमा: रुक मै बताती हूं।
लंड को दोनो हाथ हाथ से पकड़कर टोपे पर थूक दिया और आगे पीछे करने लगी।
अंबर: आह आऽऽऽऽ ह हां ऐसे ही काकी बहुत मजा आ रहा है ऐसे ही और तेज आऽऽऽआऽऽआह
इतनी देर से मुट्ठ मारने के कारण लंड तो उत्तेजित था ही स्त्री के हाथों का स्पर्श पाकर और ज्यादा उत्तेजित हो गया प्रेमा फिर से थूकने के लिए मुंह खोली तभी लंड ने ही उसके मुंह पर थूक दिया होंठ नाक आंख सब गीले हो गए।
अंबर: आह काकी तुम कितनी प्यारी हो मजा आ गया।
इतना गाढ़ा और अधिक वीर्य देखकर प्रेमा समझ गई छोरा काम का है कम से कम मेरे लिए जिसकी बुर उस जालिम बाबा ने फाड़ दी थी ।
प्रेमा (मन में): इसका लंड तो मेरे लिए बिलकुल उत्तम है वैसे भी जब तक इसकी शादी नही होगी तब तक यह ऐसे ही अनमोल वीर्य को मुट्ठ के जरिए बर्बाद करता रहेगा इससे अच्छा मेरे काम ही आ जायेगा.....प्रेमा तेरी इस बड़ी भोंसड़ी की तृप्ति को बुझाने का साधन आज मिल गया है।
अंबर: काकी ये आपकी बुर में से पानी क्यों निकल रहा कहीं आपकी बुर रो तो नहीं रही है....अभी तो आपने मूता था।
प्रेमा: वैसे ही जैसे तेरे इस पाइप से निकल रहा है।
अंबर: आपने मेरी मुट्ठ मारी है लाओ मै आपकी मुट्ठ मार देता हूं ।
प्रेमा ने अंबर का हाथ पकड़कर अपनी चूत पर रख कर रगड़ने लगी....अंबर को तेज आंच महसूस हुई वह भी काफी देर तक रगड़ता रहा लेकिन प्रेमा ढंग से झड़ न सकी ......उसकी चूत को आज लंड चाहिए था ।
अंबर का लंड फिर से खड़ा होकर तकने लगा प्रेमा ने अंबर को और अधिक उत्तेजित करने के लिए उसका लंड मुंह में भर लिया लेकिन 10 इंच का लंड मुंह में समा नही रहा था फिर भी प्रेमा आधा लंड चूसती रही
अंबर: आह काकी ऐसे ही चूसो आह आह
अंबर ने दोनो हाथ प्रेमा काकी के सिर पर रखकर धीरे दबाने लगा ......और उत्तेजना बढ़ने पर प्रेमा का सिर पकड़कर तेज गति से मुंह चोदने लगा.....प्रेमा की सांस रुकने लगी
प्रेमा: अं....ब.....र.... बे...टा नि...का... ल ..गूं गूं
अंबर पर जोश सवार था वह लगातार मुंह चोदता रहा और प्रेमा के मुंह में ही झड़ गया.... प्रेमा की रूकी हुई सांस के साथ ही अंबर का अधिकतम वीर्य भी प्रेमा ने निगल लिया। बाद में धीरे धीरे निकल रहे वीर्य का रसपान करती रही......
अंबर आज चरण दर चरण प्रशिक्षण प्राप्त कर रहा था उसे तो प्रत्येक चरण में आनंद आ रहा था लेकिन प्रेमा कि बुर से बर्दाश्त नहीं हो रहा था......क्योंकि जब से बाबाजी ने प्रेमा की चूत में रास्ता बनाया था तब से ही इस पर एक ही वाहन दौड़ लगाता था......लेकिन आज ऐसा वाहन चलने वाला था जिसके लिए यह सड़क बनी हुई थी इसीलिए प्रेमा की चूत लगातार रिस रही थी..........प्रेमा ने सारे कपड़े उतार फेंके सिर्फ ऊपर से साड़ी रख ली और दोनो पैर फैलाकर बैठ गई इसी तरह अंबर को भी बैठाया और एक दूसरे को कसने लगी......धीरे धीरे प्रेमा की गांड़ और अंबर के आंड एक दूसरे से मिल गए .......अंबर का लंड प्रेमा की योनि में प्रवेश करने के लिए रास्ता ढूंढने के लिए परेशान हुए जा रहा था लेकिन अधिक सटे होने के कारण नाभि में अमृत के छींटे मार रहा था।
प्रेमा: अंबर बेटा फहरा दे झंडा .....अब बर्दाश्त नहीं होता....डाल दे अपना मूसल.... इसकी खुजली मिटा दे.....ये आग मुझसे नही संभल रही .. आआह।
अंबर: काकी थोड़ा पीछे हटो।
प्रेमा थोड़ा पीछे हटी ......अंबर भी थोड़ा पीछे हटा ......हाथ में लंड पकड़कर चूत पे जैसे ही रखा प्रेमा ने आगे बढ़कर चूत में निगल लिया......दस इंच का लंबा लंड इतनी ज्यादा भीगी हुई चूत में भी सिर्फ छः इंच अंदर जा सका....
प्रेमा: आह बेटा इसी का तो .....आह आईईईई आह इंतजार था...
प्रेमा ने उत्तेजना में आकर अंबर को कस कर पकड़ लिया......अंबर तो असीम आनंद से गदगद हो गया....प्रेमा ने अपनी गांड़ हिलाकर लंड पर चूत चलाना शुरू किया तो अंबर ने भी आगे पीछे करना शुरू किया ।
आज प्रेमा की चूत की दीवारों को भी लग रहा था कि आज किसी नए अतिथि की मेहमाननवाजी करने का अवसर मिला है इसलिए वह भी लगातार स्वेत तरल छोड़ रही थी..
प्रेमा: आह भतीजे बुझा दे प्यास आह... आआईईईईई.... आई....आह....... सी सी
अंबर: आह आह आह
अंबर आह आह करते हुए अपने मां की उम्र की औरत को गचा गच गचा गच चोदे जा रहा था।
प्रेमा: और तेज आह आहआह आआआआः ऊऊऊऊ... ईईईईईईईईई.....अहह उसस … उई ई ई ई … उम्मम! करके उसका शरीर गरम हो होकर अकड़ गया .......योनि से स्वेत रंग के रस की धारा फूट गई लेकिन चूत की दरवाजा बंद होने के लिए सिकुड़ने लगा....लेकिन अंबर का लंड दो बार पहले ही झड़ चुका था इस बार वह लगातार चोदे जा रहा था जब चूत सिकुड़ी तो प्रेमा ने खुद को अलग करने की कोशिश की लेकिन वह गचा गच्च चोदता रहा .....प्रेमा की चूत अब छलनी होने लगी. उसके आंखों से आंसू निकलने लगे
प्रेमा: छोड़ बेटा अंबर आईईईई आई माई रे
अंबर: थोड़ी देर और आह आह
प्रेमा: आह आह अहह … उई ई ई ई … अम्मा!
अंबर थोड़ी देर थोड़ी देर करते करते करीब तीस मिनट तक चोदता रहा इतने में प्रेमा की चूत की हालत खराब हो गई उसकी चूत तीन बार पानी छोड़ चुकी थी......तभी अंबर ने बेहद तेज गति से चोदते हुए झड़ गया ......
अंबर: आह काकी मजा आ गया ।
अंबर ने प्रेमा को अलग किया तो वहीं पर लुढ़क गई मूर्च्छा जैसी आ गई।
जब लंड शांत हुआ तो दिमाग ने कार्य करना आरंभ किया तो पता चला कि इन दोनों ने पानी भी लगाया था। जब अंदर खेत में जाकर देखा तो सारी क्यारियों की मेड़ें टूट गई थी पानी अब पूरे खेत में एक साथ जा रहा था आठ से लेकर तीसरी क्यारी जलमग्न हो गई थी । अब पूरे खेत के पानी का दबाव था और तेजी से दूसरी और पहली क्यारी की ओर पानी बढ़ रहा था।
अंबर वापिस आया प्रेमा को ब्लाउज पहनाया, पेटीकोट बांधा साड़ी बांधने का असफल प्रयास किया फिर चादर समेट कर .....प्रेमा काकी को गोदी में उठाकर जल्दी जल्दी लाकर ट्यूबवेल के पास बिठाया। फिर डल्लू (स्टील का डिब्बा सामान्यतः 03 लीटर का) में साफ पानी भर कर बंद किया।
थोड़ी देर में दोबारा देखकर आया तो दूसरी क्यारी भी जलमग्न हो गई थी । अब केवल एक ही क्यारी थी जिसे सिर्फ आधा सींचना था बाकी का आधा पानी के दबाव से स्वयं सींच उठता ।
अंबर ने प्रेमा के चेहरे पर पानी छिड़का तो वह उठ गई.......उठते ही वह पानी देखने की कहने लगी।
अंबर: बस पूरा खेत होने ही वाला है मै अभी देख कर आया हूं । लो काकी पानी पियो ।
कई घंटे से चल रही ट्यूबवेल का शीतल जल पीने से उसके जी में जी आया।
फिर अंबर ने भी पानी पिया .हाथ मुंह धोया......प्रेमा ने अपनी साड़ी ठीक की चेहरे पर लगे वीर्य को धोया.....चूत को धुला.......फिर दोनों बैठकर पराठा खाने लगे.....इस दौरान दोनो के मध्य कोई संवाद नही हुआ किंतु एक दूसरे का व्यवहार ऐसा था जैसे दोनो एक प्रेमी युगल हों।
पराठा खाने के तुरंत बाद बिना देखे ही अंबर ने इंजन बंद कर दिया ।
प्रेमा: बंद क्यों कर दिया।
अंबर: अभी दस मिनट में अपने आप हो जायेगा....अभी दस मिनट और चला दिया तो पानी ज्यादा हो जायेगा फिर इधर उधर बहेगा.....सुबह कक्कू देखेंगे तो डांटेंगे।
प्रेमा: ठीक है फिर पंद्रह मिनट रुक ही जाते हैं
अंबर: मुझे भी विश्राम की इच्छा हो रही है।
प्रेमा: अंबर बेटा तूने आज खेत के साथ साथ मुझे भी सींच तो दिया ...लेकिन इसका भरता क्यों बना दिया..अब यह सुबह तक सूज जाएगी।
अंबर: फिर मै इसमे तेल लगाकर मालिश कर दूंगा।
प्रेमा: रहने दे पहले दर्द देता है फिर मालिश करेगा।
प्रेमा: तू कितना प्यारा भतीजा है मेरा आजा तेरी चुम्मी ले लूं।
दोनो दस मिनट तक एक दूसरे के होंठों का रस पीते रहे।
फिर प्रेमा ने खेत देखा तो पूरा सींच उठा था।
अंबर और प्रेमा किसी प्रेमी युगल की तरह आए जहां तक किसी के देखे जाने का जोखिम नहीं था।
उसके बाद दोनो पुनः कृषक की भांति चलने लगे।
अंबर ने कांधे पर फावड़ा रख लिया तो वहीं प्रेमा ने एक हाथ में डल्लू (स्टील का डिब्बा) और दूसरे हाथ में डीजल खाली डिब्बा व पराठे वाले पात्र का झोला लेकर वापस आ गए।

Excellent update
Very hot update
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Napster

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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Lutgaya

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Update De Do Bhai late kyon kar rahe ho
 
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