"शेखर के बयान की भला क्या विश्वसनीयता.........
“मेँ जानती हूं इंस्पेक्टर !" किरन कहती चली गई… जानती हूं कि आप यह कहेंगे कि शेखर के मुंह से निकला एक भी लपज विश्वसनीय नहीं माना जा सकता---- आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि मात्र शेखर के बयान के आधार पर न मैं किसी निष्कर्ष पर पहुंची हूं और न ही सब कुछ कह रही हूं ---यह सव मैं तब कह रही दूं जब शेखर के बयान की पुष्टि कर चुकी हूं !!
“कैसी पुष्टि ?"
"शेखर को यह तो मालूम नहीं था कि रधिया का हत्यारा कद में इससे ज्यादा था या कम हैं"'
“यह बात भला इसे कैसे मालूम हो सकती है ?"
"अब मान लो, मैंने शेखर से संगीता के हत्यारे का कद पूछा तो इसने तिकड़म से, जो मुह में आया बता दिया…यह वात मैं सोचकर कह रही हूं कि शेखर सरासर झूठ बोल रहा है----इसने किसी को संगीता की हत्या करते नहीं देखा, मगर क्या इतना बड़ा इत्तेफाक हो सकता है कि जो कद उसने बताया है, रधिया का कातिल उसी कद का निकल जाए ?"
"आप कैसे कह सकती हैं कि रधिया का कातिल उसी कद का है ।"
कछ देर पहले जिस दीवारके सहारे मैंने शेखर को खड़ा किया था उस दीवार पर फर्श के करीब पांच फूट दो इंच ऊपर हाकी-सी चिकनाई लगी हुई है----------
जव आप उस चिकनाई को सूंघने के बाद रधिया की लाश का सिर सुंघेगे तो पायेंगे कि दीवार पर चिकनाई का निशान रधिया के सिर से वना है और इसका कद अगर 'एक्यूरेट' नहीं तो करीब-करीब पांच फूट दो, एक या तीन इंच होगा ।
उसके करीब आठ इंच ऊपर यानि पांच फुट दस इंच के आसपास चिकनाई का एक और निशान है, उसमें कोई गंध नहीं है…यह निशान हत्यारे के सिर के अलावा किसी का नहीं हो सकता क्योंकि दोनों निशान मिलकर यह कहानी कह रहे हैं कि रधिया और हत्यारे के बीच संधर्ष हुआ, एक बार रधिया ने हत्यारे को दीवार से सटा दिया और एक बार हत्यारे ने रधिया को--यानि दूसरा निशान यह बता रहा है । हत्यारे का कद पांच फूट नौ दस' या ग्यारह इंच के आसपास होना चाहिए-दीवार पर मैंने शेखर के कद की ऊंचाई पर शेयर पिन से निशान लगा रखा है । दीवार के नजदीक जाकर अाप खुद गोर फरमा सकते हैं कि निशान गन्धहीन चिकनाई से करीब दो इंच नीचे है या नहीं ?"'
अक्षय की अक्ल मानो चमगादड़ बनकर तहखाने का चंवकर लगा रही थी ।
शेखर मल्होत्रा की समझ में यह बात आने लगी थी कि किरन उसके हक में अगर सबूत नहीं तो कुछ हद तक तर्क जुटाने में अवश्य कामयाब हो चुकी थी-----शायद इसीलिए उसकी आंखें हीरों की मानिन्द चमकने लगी थी । खुशी की ज्यादती के कारण जिस्म में पैदा होती कंपकंपाहट को वह चाहकर भी नियन्वित नहीं कर पा रहा था ।
पोस्टमार्टम वाले लाश ले गए ।
यह रहस्य अपनी जगह कायम था कि गुलाब चन्द की लाश या रधिया का हत्यारा स्टडी का दरवाजा अन्दर से बन्द करके कहीं और कैसे गायब हो गया-काफी कोशिश के बावजूद तहखाने का कोई अन्य रास्ता न अक्षय को मिल सका और न ही किरन को !
अक्षय ने शेखर, निक्कू बुन्दू और अतर एण्ड फैमिली के एक-एक मेम्बर से घोट--घोट कर पूछा कि किसी ने आज से पहले गुलाब चन्द की लाश कोठी में नहीं देखी थी ?
जिस वक्त वह सबके बयान ले रहा था उस वक्त किरन उस कमरे की तलाशी लेने पहुंची जहां रधिया रहती थी और इस तलाशी में उसे एक ऐसी चीज बरामद हुई जिसे देखते----किरन की आंखें बिस्फारित अंदाज में फटी की फटी रह गई, मगर शिघ्र ही उसने खुद को सम्हाल लिया और यहाँ से मिली चीज का जिक्र किसी से नहीं किया । "
सबका जवाब इंकार में था ।
अतर जैन से बात करके किरन ने उस कहानी की पुष्टि कर ली जो शेखर ने सुनाई थी---अतर का कहना भी यही था कि सुब्रत जैन की शक्ल उसने उस दिन के बाद से नहीं देखी जिस दिन वह घर छोडकर गया था ।
अन्त में किरन ने कहा-मुझे अाप सबका एक-एक फोटो चाहिए ।"
"फ-फोटो है"' अतर जैन चौंक पड़ा----“हमारे फोटुओं का क्या करेंगी अाप ?"
"एलबम में सजाऊंगी ।" किरन ने मजेदार स्वर में कहर-"मुझें एक शौक है, बड़ा विचित्र शोक ।"
"कैसा शौक ?”
"मैँ जिससे मिलती हूं अपनी एलबम में लगाने के लिए उसका फोटो जरूर ले लेती हुं- मिलने वाला चाहे मोची हो या रिक्शा-पुलर--आज़ तक जितने लोगों से मिली हूं --मेरे पास सबके फोटो हैं ।"
"नहीं.........असम्भव ।" अतर जैन कह उठा----'' हो ही नहीं सकता, मान लीजिए कि आप घूमने के लिए किसी हिल स्टेशन पर जाती हैं---वंहा होटल में ठहरती हैं---मेनेजर से मिलती हैं---वेटर्स के सम्पर्क में अाती है तो क्या आपके पास उन सबके फोटो.....
“मेरे पास उस खच्चर का फोटो भी है जिस पर बैठकर नैनीताल से "टिफिन टॉप' और चाइनापीक गई थी ।" किरन ने कहा----क्या अप लोगों को फोटो देने में एतराज है !""
"ए---एतराज ?" अतर जैन सकपकाया, कमल की तरफ देखता हुआ बोला----"एतराज भला क्यों होगा ?"
एकाएक किरन ने कमल की आंखों में आंखें डालकर पूछा…"आपको एतराज है ?”
"न-नहीं तो ।"
"तो लाइए, अपना एक…एक फोटो दे दीजिए मुझे और इंस्पेक्टर साहब, अाप भी ।
"म-मैं भी है"' अक्षय उछल पड़ा ।
"क्यों, क्या अपासे नहीं मिली हू मैं ?"'
"मिली तो है, खैर, कल सुबह आपके घर पहुच जाएगा ।"
"थेंक्यू! अरे आप लोग भी अभी तक यहीं खड़े हैं, अपना-अपना फोटो लेने गए नहीं ?"
कमल ने कहा---“हमारे फोटो भी कल सुबह आपके पास पहुंच जायेंगे ।" .
"" ओ.के ।" किरन के कहा-“लेकिन अगर सुबह होते ही आपमें से किसी का फोटो नहीं पहुचा तो मैं यह समझुंगी कि उसके दिल में चोर है और इतना तो अाप जानते ही होंगे कि चोर किसके दिल में होता है ?"
सभी सहम गए ।
एक अजीब-भी चेतावनी दे डाली थी किरन ने ।
अभी उनमें से किसी के मुंह से बोल न फूटा था कि किरन ने शेखर से कहा-----"मुझे एक तुम्हारा फोटो चाहिए और एक संगीता का ।"
"स-संगीता का क्यों, उससे अाप मिली हैं ?"
"बाह ! जिसके मर्डर की तहकीकात कर रही हूं क्या उसका फोटो मेरे पास नहीं होना चाहिए ?"
"ठीक है, मैं अपने कमरे से फोटो लाकर दे देता हू।"
"मैं साथ चल रही हू ।"
एकाएक अक्षय ने क्हा----"अच्छा तो किरन जी, मैं चलू !"
"ओं के सी यू इंस्पेक्टर !" किरन ने उसकी तरफ़ विदाई का हाथ हिलाया, उधर अक्षय लोहे वाले रेट के बाहर खडी अपनी जीप की तरफ़ बढा ।
इधर किरन के नजर वुन्दू और निक्कू पर पड्री, बोली-“अा्प दोनो के फोटो भी कल सुबह तक मेरे पास पहुच जाने चाहिएं ।"
"म-मगर मेमशाब, हम फोटो पहुचायेगा कहाँ ?"
"ओहू सॉरी ।" कहने के साथ उसने पर्स में से एक विजिटिंग कार्ड निकलकर उन्हें पकडा दिया और शेखर के साथ उसके कमरे की तरफ बढ़ गई-मगर उसने महसूस किया आसपास कोई नहीं है तो बोली---------अब मैं शर्त लगाकर कह सकती है शेखर कि तुम्हें बेगुनाह सबित कर दूंगीं !!
"म-मैँ. . ..मैं समझ नहीं पा रहा है किरन जी कि किन शब्दों में मैं आपका शुक्रिया अदा करू ?" खुशी की पराकाष्ठा के कारण शेखर का लहजा कांप रहा था…
“अब तो मुझे यकीन होने लगा है कि आप यह चमत्कार कर दिखायेंगी ।"
"मेरे एक सवाल का जवाब और दो ।"
पूछिए क्या---" यह बात किस-किसको पता थी कि तुम संगीता का अप्रैलफूल बनाने जा रहे हो ?"
"किसी को नहीं ।" उसके कमरे में पहुंचकर सोफे पर बैठती हुई किरन ने कहा…“ऐसा नहीं हो सकता ।"
"कैसा ?"
"यह कि अप्रैल-फूल वाली बात किसी को पता नहीं थी ! असली हत्यारे ने योजना और जिस चालाकी के साथ तुम्हें हत्यारे के 'रूप में" प्लांट किया है, उतनी खूबसूरती के साथ तुम्हारी मुकम्मल योजना जाने विना कोई नहीं कर सकती----“याद कर ले, मुमकिन है, कि यार'-दोस्ताने में तुमने अपनी योजना किसी को बता दी हो ?"
"खूब सोच चुका हु, किरन जी, इस बोरे में मैंने किसी से जिक्र नहीं किया है ।"
एक पल सोचने के बाद किरन ने अगला सवाल किया…"अपने मैनेजर के बारे में क्या ख्याल है तुम्हारा ?"
"म-मैनेजर?” तुमने उससे एक ही रात के ट्रेन और प्लेन के टिकट मंगाये … सम्भव है कि वह इस अजीब बात की तह में गया हो और फिर किसी ढंग से तुम्हारी योजना की भनक लगी हो उसे ?"
"जो योजना सिर्फ और सिर्फ मेरे दिमाग में थी--जिसका एक भी लफ्ज़ मैंने फूटे मुह से किसी से नहीं कहा, उसकी भनक भला किसी को लग ही कैसे सकती है ?"
"भनक तो लगी है----भनक लगे विना कोई शख्स वह सब कर ही नहीं सकता जो हत्यारे ने किया है-पता यह लगाना है कि तुम्हारे प्लान की भनक उसे कहां से लगी ?" शेखर चुपचाप 'चांद' को देखता रहा ।
अच्छा, ये बताओ कि---" अपनी मैरिज एनीवर्सरी तुमने कहां मनाई थी ?"
"होटल ताज पैलेस में ।"
"फर्स्ट अप्रैल पर तुम्हारे और संगीता के बीच बहस वहीं हुई थी ?"
"वंहा, डिनर के दरम्यान ।"
"और उस वक्त तुमने यह सावधानी नहीं बरती होगी कि कोई तुम्हारी बहस न सुन पाये ?"
"सावधानी बरतने का सवाल ही नहीं था, हम कोई अपराध थोड़ी कर रहे थे ?"
किरन की आंखे जुगनुओं की मानिन्द चमक उठी… “उस वक्त तुमने ये ध्यान भी नहीं दिया होगा कि दायेँ-बायेँ और आगे-पीछे वाली सीटों पर कौन बैठा है ?"
"सवाल ही नहीं ।"
"यानि उस वक्त तुम्हारे बीच हुई बहस किसी ने सुनी हो सकती है ।"
"सुनी तो हो सकती है मगर सुनने से किसी को लाभ क्या हुआ होगा -सच्चाइं ये है कि उस क्षण स्वयं मुझे . मालूम नहीं था कि संगीता को अप्रैल-फूल किस तरह बनाऊंगा, योजना तो मेरे दिमाग में बाद में वनी---., जबकि मेरे और संगीता के बीच चैलेंजों का आदान-प्रदान हो चुका था ।"
“माना कि उस वात किसी ऐसे शख्स ने तुम्हारी बहस सुनी जो ऐसे मौके की फिराक में था कि संगीता का मर्डर करके तुम्हें फंसा सके-बस बहस के बद उसने तीस-इकतीस और पहली तारीख को साये की तरह तुम्हारा पीछा किया…तुम्हें काला कपडा खरीदते, उसे टेलर को देते और चाकू खरीदते देखा--फिर किसी ढंग से यह भी पता लगा लिया कि तुमने एक ही साथ के ट्रेन और पलेन के टिकट मंगाये है----- उसने तुम्हारी योजना का अनुमान लगा लिया होगा ।"
"भला इस तरह "अनुमान कैसे लग सकता है ?"
"जो लोग जिस फिराक में होते हैं वे अपने मतलब के अनुमान बखूबी लगा लेते हैं शेखर, लिफाफा देखकर " मजमून भांप जाने वाले लोगों के बारे में तुमने ज़रूर सुना होगा और फिर कौन जानता है कि वह शख्स कौन था---खेर, मैं तुम्हारी फेवट्री के मैनेजर से मिलना चाहती हूं ! इस वक्त कहां होगा वह ?"