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Adultery चढ़ती जवानी की अंगड़ाई

rohnny4545

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मनोज उसी मोड़ पर खड़ा होकर पूनम का इंतजार कर रहा था आज वह अपने दिल की बात कहने के इरादे से उधर खड़ा था। लेकिन जुबान से नहीं बल्कि प्रेम पत्र से उसे अपने ऊपर पूरा भरोसा था कि उसका प्रेम पत्र पढ़कर पूनम जरूर उसके प्यार को स्वीकार करेगी,,,, दूर से आ रही पूनम भी काफी बेचैन और बेसब्र लग रही थी,,, उसकी नजर मोड़ पर खड़े मनोज कर जैसे ही पड़ी उसके मन का मयूर नाचने लगा उसके चेहरे पर तुरंत प्रसन्नता झलकने लगी। उसकी दोनों सहेलियां भी मनोज को वहीं खड़ा देखकर पूनम के चेहरे की तरफ देख कर मुस्कुराने लगी और उन दोनों को मुस्कुराता हुआ देखकर पूनम बोली,,,,

तुम दोनों ऐसे क्यों मुस्कुरा रहे हो,,,

देख रहे हैं कि आज भी तेरा आशिक इतनी ठंडी में भी वहीं खड़ा होकर तेरा इंतजार कर रहा है,,,,( बेला इतराते हुए बोली


आशिक होगा तुम्हारा मेरा व कुछ भी नहीं है पर ज्यादा दांत निकाल कर हंसने की जरूरत नहीं है,,,, वह कोई हीरो नहीं है कि उसे देखते ही मैं खुश हो जाऊंगी बल्कि उसे देखती हूं तो मुझे गुस्सा आने लगता है,,,,( पूनम बात बनाते हुए बोली)

गुस्सा,,,,, लेकिन क्यों,,,,,( बेला आश्चर्य के साथ बोली)

ववव,,, वो,,,,, वह है इतना कमीना,,,, अब देखना इतनी सिफारिश किया तो मैंने उसे अपनी इंग्लिश के नोट्स दे दी और उसे नोट्स दिए हुए आज सप्ताह से भी ऊपर हो गए लेकिन वह मेरे नोट्स अभी तक लौटाया नहीं है आज तो मैं उससे अपनी नोट्स मांग कर ही रहूंगी भले उसका काम पूरा हुआ हो कि ना हुआ हो,,,,,,( पूनम बनावटी गुस्सा दिखाते हुए बोली)

अच्छा यह बात है हम भी देखते है कि एक आशिक से भला तुम सच में अपनी दी हुई अमानत मांग लेती हो या बस यूं ही बना वटी गुस्सा कर रही हो,,,,


यह बात है मैं भी दिखाती हूं कि मैं सच कह रही हूं या झूठ,,,
( इतना कहते हुए तीनों तेजी से मनोज की तरफ जाने लगे लेकिन पूनम मन में यही सोच रही थी कि वहां कैसे मनोज से गुस्से में बात करेगी,,, पहले की बात कुछ और थी वाह मनोज को बिल्कुल भी पसंद नहीं करती थी लेकिन अब बात कुछ और है मनोज को पसंद करने लगी थी मन में यही सब सोचते होंगे वह कब उसके करीब पहुंच गई उसे पता ही नहीं चला उसकी दोनों से बजाओ उसको ही देख रही थी कि वह कैसी मनोज से अपनी नोट्स मांगती है,,,, । मनोज के करीब पहुंच कर बात उसी से वोट मांगने की बजाए उसको भी देखे जा रही थी मनोज भी पूनम के चेहरे को नजर भर कर देख रहा था और उसकी दोनों सहेलियां पूनम को देखती तो कभी मनोज को,,,,, तभी बेला पूनम के हाथ में चुटकी काटते हुए बोली,,,।)

अरे यूं खामोश होकर बस देखे ही जाएगी कुछ बोलेगी भी,,,

( उसे चुटकी काटने से जैसे वह होश में आई हो इस तरह से हड़ बड़ाते हुए बोली,,,)

हहहहहहह,,, हां,,, बोल रही हूं ना,,,

क्या बोलना चाहती हो बोलो,,,पुनम,,,,, ( मनोज अपने चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट लाते हुए बोला और उसकी यह मुस्कुराहट देखकर पूनम उसकी दीवानी हो गई वह ऊसकी आंखों में ही झांके जा रही थी।,,,)

वो,,, वो,,,, वो,,,,,

क्या वह वह लगा रखी है जो कहना चाहती है वह बोल दे,,,,
( बेला उसकी बात को बीच में ही काटते हुए बोली,,,,)

क्या हुआ पुनम जो बोलना चाहती हो बोल दो अच्छा रुको (इतना कहकर वह अपने बैग खोलने लगा,,,, और उसमें से इंग्लिश की नोट निकालकर पूनम को थमाते हुए) यह लो तुम्हारी इंग्लिश की नोट मैं अपना काम पूरा करता हूं और हां इतने दिन तक अपनी नोट मुझे देने के लिए शुक्रिया,,,,,।
( मनोज की बातें सुन कर तो पूनम कुछ बोल ही नहीं पाई मनोज ने अपना काम कर दिया था वह उसकी मौत ने अपने लिखे हुए प्रेम पत्र को रखकर अपना मोबाइल नंबर भी लिख दिया था वह खोल कर देख ना ले इसलिए वह इतना कहकर जल्दी से वहां से चला गया,,,, क्योंकि मुझे इस बात का डर भी था कि कहीं उसकी सहेलियों के सामने उसे उस का दिया हुआ प्रेम पत्र अच्छा ना लगे और वह गुस्से में कुछ बोल दे अगर वह अकेले में उसके प्रेम पत्र को देखेगी तो उसके बारे में जरूर सोचेगी,,, पूनम भी अपनी इंग्लिश की नोट लेकर उसे जाते हुए देखती रही,,,, मनोज जब चला गया तो उसकी दोनों सहेलियां उसके चेहरे की तरफ गुस्से से देखते हुए बॉली,,,

क्या हुआ मेरी पूनम रानी कहां गया तुम्हारा गुस्सा बातें तो बहुत बड़ी-बड़ी करती थी यह कह दूंगी वह कह दूंगी और ऊसके सामने आते ही एकदम भीगी बिल्ली बन गई,,,,, तुम जानती हो इसका मतलब क्या होता है।,,,,

अरे इसका मतलब क्या होता है जो मैं उससे मांगना चाहती थी वह खुद ही सामने से दे दिया तो मैं उससे क्या कहती।,,,,


तुम भला उसे क्यों कहने लगी इसी को तो प्यार कहते हैं मैं कहती थीैं ना एक ना एक दिन,,, तुम्हें भी उससे प्यार हो जाएगा और आखिरकार हो ही गया,,,,

फिर बेवकूफ वाली बात करना शुरू कर दी अब चलो स्कूल देर हो रही है,,,
( पूनम बात को उधर ही दबाते हुए स्कूल चलीे गई,,,,
मनोज मन ही मन में खयाली पुलाव बनाने लगा था। वह बस इंतजार कर रहा था कि कब पूनम इंग्लिश के नोट्स खोलें और उसके लिए प्रेम पत्र को पढ़कर उसका जवाब दे,,,,
लेकिन दो-चार दिन बीत जाने के बाद भी पूनम की तरफ से कोई जवाब नहीं आया वह जानबूझकर पूनम के सामने नहीं जा रहा था उसे यह लग रहा था कि अगर पूनम उसके प्रेम पत्र को पड़ेगी तो नीचे लिखे नंबर पर जरूर कॉल करेगी,,,, लेकिन ना तो पत्रकार जवाब आया और ना ही कोई कॉल आई,,,,
पूनम इस बात से बिल्कुल भी खबर थी कि मनोज ने उसे लव लेटर लिखा हुआ है और वह लेटर उसकी इंग्लिश की नोट्स में ही रखी हुई है। लेकिन मन ही मन में वह भी मनोज को लेकर के,, ढेर सारे सपने बुनने लगी थी। यह उम्र बड़ी ही फिसलन भरी होती है चाहे जितनी भी,,,, बंदिशों की बेड़ियों में जकड़ आने की कोशिश करो यह उतनी ही ज्यादा फीसलती है। और यही पूनम के साथ भी हो रहा था अपने आप उस का झुकाव मनोज की तरफ बढ़ता ही जा रहा था।
लेकिन इस बात का डर भी उसे बराबर लगा रहता था कि इस बारे में कहीं उसके घरवालों को कुछ भी पता ना चल जाए इसलिए वह बड़ा ही ख्याल रखती थी। इस बात से वह बिलकुल बेखबर थी कि मनोज ने उसे प्रेम पत्र भेजा है।
ऐसे ही रात को खाना खाने के बाद वह अपनी संध्या चाची के पास जाने लगी क्योंकि उसके चाचा 2 दिन के लिए बाहर गए हुए थे,,, वजह से ही अपनी चाची के कमरे के करीब पहुंची की अंदर से हंसने की आवाज आने लगी पूनम को समझ में नहीं आया की चाची अकेली है तो वह अकेले हंस क्यों रही हैं वह उत्सुकतावश खिड़की के पास खड़ी हो गई खिड़की हल्की सी खुली हुई थी वह अंदर अपनी नजर दौड़ा कर देखी तो उसकी संध्या चाची,,, बिस्तर पर लेटी हुई थी और वह हंस-हंसकर मोबाइल पर बातें कर रही थी। पूनम उत्सुकतावश कहां लगा कर उनकी बातों को सुनने की कोशिश करने लगी क्योंकि हल्की-हल्की उसके कानों में पड़ रही थी।

तुम कैसी रात गुजारोगे यह तो मुझे नहीं मालूम लेकिन तुम्हारे बिना मेरी रात बिल्कुल भी नहीं कटेगी,,,,, ( संध्या फोन पर अपने पति से बात करते हुए बोली पूनम भी समझ गई कि उसके चाचा से ही वह बातें कर रही है।,,, वह बार-बार मुस्कुरा दे रही थी और उसके हाथ उसके खुद के बदन पर चारों तरफ घूम रहे थे,,,,, पूनम को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार वह बात करते हुए अपने बदन पर हाथ क्यों घुमा रही हैं,,, अगर सामान्य तरीके से संध्या का हाथ बदन पर घूमता तो उसे आश्चर्य नहीं होता लेकिन कुछ अजीब प्रकार से ही संध्या का हाथ उसके बदन पर घूम रहा था इसलिए पूनम को यह बात थोड़ी अजीब लग रही थी कि तभी संध्या का हाथ,,, उसकी चूची पर आ कर रुक गई और वह उसे जोर जोर से दबाते हुए बोली,,,,,

सससससहहहह,,,, मेरे राजा खुद के हाथ से इतना मजा नहीं आता चूची दबाने में जितना कि तुम्हारे दबाने से आता है।,,
( अपनी संध्या चाची की यह बात सुनते ही उसे सारा माजरा समझ में आ गया पर फोन पर अपने चाचा के साथ गंदी बातें कर रही थी और यह बात सुनकर उसके बदन में भी सुरसुरी सी दौड़ने लगी,,,, उसका एक मन कहा कि वह वहां से चली जाए और वह वहां से जाने ही वाली थी कि तभी वह मन में सोचा की देखो तो सही चाची फोन पर बातें करते हुए क्या-क्या करती हैं इसलिए वह खिड़की पर खड़ी रही,,,, तभी उसके अंदर से आवाज आई जो कि उसकी चाची फोन पर अपने पति से बोल रही थी,,,,।

हां हां उतारतीे हूं तुम तो इतने उतावले हुए हो कि जैसे मुझसे दूर नही मेरे पास में ही बैठे हो,,,,,
( यह बात सुनकर पूनम को समझ में नहीं आया कि उसकी चाची क्या उतारने की बात कर रही है कि तभी वह खिड़की में से साफ-साफ देख पा रहीे थीे कि उसकी चाची एक हाथ से अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी और वह समझ गए कि फोन पर उसके चाचा उसे ब्लाऊज ऊतारने के लिए बोल रहे थे। यह नजारा देखकर तो एकदम से सन्न रह गई,,, अगले ही पल उसकी चाची ने ब्लाउज के सारे बटन खोलकर अपनी बड़ी बड़ी चूचियां को नंगी कर दी और खुद ही एक हाथ से बारी-बारी से दोनों चूचियों को दबाने लगी,,,, अपनी चाची की बड़ी बड़ी चूची को देखते ही पूनम की जांघों के बीच खलबली सी मचनें लगी,,, ऐसा नहीं था कि वह अपनी चाची की बड़ी बड़ी चूची और को संपूर्ण नंगी पहली बार देख रही हो वह पहले भी अपनी चाची की नंगी चूचियों के दर्शन कर चुकी थी लेकिन आज माहौल कुछ और था इसलिए उन चुचियों को देखकर उसके बदन में गंनगनी सी छाने लगी,,,,,
उसकी चाची सिसकारी लेते हुए अपनी चुचियों को दबा दबा कर अपने पति से बातें कर रही थी,,,,,

अगर तुम इस समय मेरे पास होते तो मजा आता है क्योंकि तुम मेरी चूचियों को अपने मुंह में भरकर जोर-जोर से चुसते हुए इसे पीते,,,,
( संध्या अपने पति से एकदम गंदी बातें कर रही थी जिसे सुनकर पूनम की हालत खराब होने लगी थी वह जिंदगी में पहली बार इस तरह की बातें सुन रही थी और वह भी अपनी चाची के मुंह से,,, वह बार-बार यही सोच रही थी कि यहां से चली जाए लेकिन कमरे का अंदर का नजारा एकदम गर्माहट भरा था जो कि जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी पूनम के लिए,,,, यह नजारा का दर्शन करना,,

इस नजारे का दर्शन करना एकदम अद्भुत और आनंद से भरपूर था। उत्तेजना के मारे पूनम का गला सूखने लगा था अपनी चाची का यह रूप पहली बार देख रही थी शायद एक औरत अपने पति से दूर रहकर रात को उसकी हालत क्या होती है आज पहली बार पूनम को इस बात का पता भी चल रहा था।,,,,, पूनम धड़कते दिल के साथ अपनी नजरें खिड़की से सटाकर अंदर का नजारा देख रही थी तभी उसके कानों में अगले शब्द जो पड़े उसे सुनते ही,,,, उसका दिमाग काम करना बंद कर दिया उसे समझ में नहीं आया कि उसकी चाची क्या बोल रही है वह अपने पति से थोड़ा सा रूठने वाले अंदाज में बोली,,,,

नहीं बिल्कुल भी नहीं बेगन से मुझे बिल्कुल भी मजा नहीं आता बल्कि उससे मेरी प्यास और ज्यादा बढ़ जाती है,,,, जब तक तुम्हारा मोटा लंबा लंड मेरी बुर में नहीं जाता तब तक मुझे चैन नहीं मिलता,,,,,
( लंड बुर जैसे अश्लील शब्दों को अपनी चाची के मुंह से सुनकर पूनम एकदम से सन्न रह गई,,,, उसे अपनी आंखों पर और अपने कानों पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा था कि वह जो देख रही है वह सच है और जो सुन रही है वह बिल्कुल सही है उसे बार-बार यही लगता था कि जैसे वह कोई सपना देख रही है क्योंकि वह कभी सोच भी नहीं सकती थी कि उसकी संध्या चाची लंड बुर जैसे शब्दों का उपयोग खुले तौर पर बिना झिझक के कर सकती है। लेकिन यह बिल्कुल सत्य था जो वह देख रही थी वह सपना नहीं हकीकत है और जो बात सुन रही थी वह बिल्कुल सही सुन रही थी। पूनम की उत्तेजना बढ़ने लगी थी उसकी सांसो की गति बढ़ती जा रही थी सांसो के साथ-साथ उसके दोनों नौरंगिया उपर नीचे हो रहे थे। उसके मन में तो आया कि वह वहां से चली जाए लेकिन ना जाने कैसा कसक था कि उसे जाने नहीं दे रहा था एक गुरुत्वाकर्षण का बल उस कमरे में पैदा हो रहा था जहां से उसकी नजरें हटाने पर भी नहीं हट रही थी। उसके मन में उत्सुकता थी कि आखिर चाची बैगन की चर्चा क्यों कर रहे हैं वह बेदम जैसे सब्जी का उपयोग बातों के दौरान क्यों कर रहे हैं और यही देखने के लिए वह वहीं रुकी रही,,,,

नहीं आज नहीं बिल्कुल भी नहीं तुम जानते हो कि तुमसे चुदवाए बिना मुझे चैन नहीं मिलता भले ही मैं अपनी बुर में फिर बेगन डाल लु या फीर ककड़ी इससे कोई भी फर्क नहीं पड़ता,,,,( संध्या चाची के कहे गए यह शब्द पूनम के लिए किसी प्रहार से कम नहीं था पूनम इस तरह के शब्दों को आज ही सुन रही थी और यह शब्द उसके बदन में उत्तेजना का रस घोल रहा था जो कि यह रस उसकी जांघों के बीच से टपकता हुआ उसे साफ तौर पर महसूस हो रहा था,,,, वह झट से अपने हाथ को अपनी जांघो के बीच ले जाकर बुर पर स्पर्श कराई तो उसे वह स्थान गिला गिला सा महसूस होने लगा,,,, उसे बिल्कुल भी समझ में नहीं आया कि यह क्या है।
वह वहां से चली जाना चाहती थी लेकिन ना जाने उसके दिमाग में क्या चल रहा था की वह वहां से एक कदम भी हिला नहीं पा रही थी,,,, कि तभी उसके कानों में उसकी चाची की आवाज आई,,,,,

अरे यार तुम इतना उतावला क्यों हो जा रहे हो,,,, वैसे भी मैंने आज पेंटी नहीं पहनी हुं ( इतना कहते हुए वह अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी,,,, पुनम यह नजारा देखकर और भी ज्यादा उत्तेजित होने लगी,, उसका चेहरा लाल सुर्ख होने लगा
सांसों की गति और ज्यादा बढ़ गई,,,,, बार-बार उसकी इच्छा हो रही थी कि वह अपना हाथ जांघो के बीच ले जा कर के जोर जोर से दबाए लेकिन उसे ऐसा करने में कुछ अजीब सा लग रहा था इसलिए वह अपने आप को इस तरह की स्थिति में भी संभाले हुए थी,,,, पूनम की नजर उसकी चाची की जांघों के बीच ही टिकी हुई थी संध्या की गोरी चिकनी जांघे केले के तने की तरह मोटी मोटी औरत चमक रही थी,,, बुर पर हल्के हल्के बाल पूनम को साफ नजर आ रहे थे।,,, तभी वह हम जोर-जोर से अपनी नंगी बुर को अपनी हथेली से रगड़ते हुए गर्म सिसकारी छोड़ने लगी,,,,

सससससहहहहहह,,,,, मेरे राजा मेरे बलम चले आओ और मेरी बुर में अपना लंड डालकर मुझे चोदो,,,,,
( संध्या चाची की यह बात पूनम के तन-बदन में आग लगा रहे थे जो शब्द वह कभी कभार रास्ते में आते जाते आवारा छोकरो को एक दूसरे को गाली देते सुनी थी वही शब्द उसकी चाची बड़े मजे ले कर बोल रही थी,,,, जिस तरह से वह अपनी बुर को अपनी हथेली से रगड़ रही थी ऐसा कभी पूनम में सपने में भी नहीं सोची थी,,,, या तो पूनम की सोच थी ऐसे बहुत से नजारे थे जो अभी तक पूनम नै ना सोची थी और ना ही देखी थी।,,,, कभी उसकी चाची ने बिस्तर के नीचे से एक मोटा तगड़ा बेगन निकाल कर हाथ में ले ली,,, यह देखकर पूनम के आश्चर्य का ठिकाना ना रहा उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार उसकी चाची बैगन ले कर क्या करेंगी,,,

अरे डाल रही हूं ना तुमसे बिल्कुल भी सब्र नहीं होता,,,
( तभी फॉन पर संध्या बोली और यह बात सुनकर पूनम को समझते देर नहीं लगी की उसके चाचा जी उसे कुछ डालने के लिए निर्देश कर रहे हैं। पूनम उत्तेजना के मारे सर से पांव तक पसीने से लथपथ हो गई सांसो की गति किसी रेलवे इंजन की तरह धक धक धक धक करके चलने लगी थी,,,, उसकी आंखों में ऐसा नजारा कभी नहीं देखी थी,,, कमरे के अंदर चल रही संध्या के क्रियाकलापों का उसके कोमल मन पर गहरा प्रभाव पड़ रहा था।,,, आगे उसकी जाति कौन सी हरकत करती है इस उत्सुकता से वह,,,खिड़की से अंदर झांक रही थी कि तभी उसकी आंखों के सामने ही उसकी चाची एक मोटी बैगन को अपनी बुर के मुहाने पर रख कर धीरे-धीरे करके उसे अंदर की तरफ सरकाने लगी,,,, यह देख कर तो पूनम की आंखें आश्चर्य से फटी की फटी रह गई,,,, जय हो वहां क्या देख रही है इस बात को तो कुछ पल के लिए वह भी समझ नहीं पाई,,,,, उसके देखते ही देखते उसकी चाची ने पूरा बेगन अपनी बूर के अंदर उतार ली,,,, और फोन पर गरमा गरम सिसकारी की आवाज ऊसके चाचा को सुनाने लगी पूनम की हालत पूरी तरह से खराब हो चुकी थी। उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन वह जो देख रही थी वह सनातन सत्य था। पूनम की आंखें खुली की खुली थी और उसकी चाची मोटे ताजे बेगन को जल्दी-जल्दी अपनी बुर के अंदर बाहर कर रही थी। पूनम से यह नजारा देखकर बिल्कुल भी रहा नहीं गया और उसके हाथ खुद ब खुद जांगो के बीच पहुंच गया,,, और वहां सलवार के ऊपर से ही अनजाने में अपनी बुर को हथेली से दबाने लगी,,, कमरे के अंदर का कामोत्तेजना से भरपूर नजारा और उसके बदन की गर्मी की जवानी की तपन से एकदम से पिघल गई,, और अगले ही पल उसकी बुर से मदन रस का फुहारा छूट पड़ा,,,
उसके बदन में इस तरह की स्थिति पहली बार उत्पन्न हुई थी इसलिए वह,,, अपनी बुर क्यों हो रही मदन रस के बहाव को समझ नहीं पाई और वह एकदम से घबरा गई,,, वह जल्दी से भागते हुए अपने कमरे में आई और दरवाजे को बंद करके तुरंत अपनी सलवार उतार कर पैंटी के अंदर देखने लगी,,,, बुर की ऊपरी सतह पर ढेर सारा चिपचिपा पानी लगा हुआ था जिसकी वजह से उसकी पेंटी भी गीली हो चुकी थी,,,,
उसने कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि यह चिपचिपा सा निकला पदार्थ है क्या,,, उसे बड़ा अजीब सा लग रहा था वह जल्दी से अपने कपड़े बदल कर बिस्तर पर लेट गई,,,, पर सोने की कोशिश करने लगी लेकीन नींद ऊसकी आंखो से कोसो दुर थी। रात भर वह बिस्तर पर करवट बदलते हुए अपनी चाची के कमरे के नजारैं को याद करती रही,, और खुद के अंग से हुए स्खलन की वजह से ऊसके मन मे ढेर सारी शंकाए जन्म लेती रही,,, यही सब सोचते हुए कब उसे नींद आई उसे भी पता नहीं चला।

पूनम की संध्या चाची और उसके चाचा

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Crazy7

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Ye kahani sayad maine kahin aur padhi hui hai
Usmei till phone sex tak tha
Uske baad incomplete
 

rohnny4545

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दूसरे दिन जब पूनम की आंख खुली तो काफी उजाला हो चुका था वह जल्दी से बिस्तर से उठकर सीधे बाथरूम में घुस गई और नहा धोकर,,,, अपना बैग लेकर स्कूल जाने के लिए तैयार हो गई रात वाली बात वह बिल्कुल भूल चुकी थी,, जैसे ही कमरे के बाहर वो जाने लगी फिर से पीछे से उसकी संध्या जाती उसे आवाज़ देते हुए दूध का गिलास लेकर उसके पास आ गई,,,

इतनी बड़ी हो गई है लेकिन क्या मैं तुझे हमेशा बच्चों की तरह अपने हाथ से ही दूध पिलाऊ,,,( संध्या गिलास का दूध पूनम को थमाते हुए बोली,,, संध्या को देखते ही पूनम को रात वाली सारी बातें याद आने लगी और उसकी आंखों के सामने वो नजारा किसी पिक्चर की तरह घूमने लगा जब संध्या खुद अपने ही हाथों से अपनी चूची को दबा रही थी और बेगन को अपने बुर में अंदर बाहर कर रही थी,,, पूनम अपनी चाची के हाथों से दूध का गिलास मुस्कुराते हुए लेली,,

थैंक यू चाची तुम मेरा कितना ख्याल रखती हो,,,,( इतना कहकर पूनम दूध पीने लगी संध्या वापस अपने काम में लग गई अपनी चाची को देखकर पूनम समझ में नहीं पा रही थी कि चाची का यह कैसा रूप है दिन के उजाले में वह किस तरह के चरित्र में पेश आती हैं और रात को उनका चरित्र किस हद तक सारी हदें पार कर देता है,,,। दूध पीते हुए पूनम यही सब सोच रही थी लेकिन उसके सोचने का ढंग कुछ अलग था क्योंकि यदि वह दुनिया के समाज के अंदर के चेहरे से बिल्कुल भी अनजान थी,,, औरत का चरित्र हर पल सामाजिक रीति रिवाजों और संबंधों के हिसाब से बदलता ही रहता है। औरतों में बहन भी होती है मां भी होती है एक पत्नी भी होती है एक प्रेमिका भी होती है जो कि समय-समय पर अपने चरित्र को बदलती रहती हैं,। दिन में औरत अपने संबंधों के हिसाब से अपने चरित्र को जीती है। दिन भर सुबह अपने भाई के साथ बहन का अपने पिता के साथ बेटी का और अपने बच्चे के साथ मां का फर्ज निभाती है और रात को अपने पति के साथ एक पत्नी धर्म निभाते हुए अपनी सारी शर्म मर्यादा को छोड़कर,, अपने पति की सेवा में अपना तन मन सब कुछ समर्पण कर देती है और यही कार्य पिछली रात को संध्या भी अपनी पति की खुशी की खातिर फोन कर अश्लील बातें करते हो अपने बदन के साथ कामुक हरकत कर रही थी,, जिससे उसे भी उतना ही सुख प्राप्त हो रहा था जितना कि फोन पर सिर्फ उसकी अश्लील हरकतों के बारे में सुनकर उसके पति को हो रहा था,,, पूनम इन सब बातों से बिल्कुल अनजान थी इसलिए उसे यह सब बिल्कुल अजीब लग रहा था लेकिन रात के नजारे की बात याद आते ही उसके बदन में सुरसुराहट दौड़ने लगी,,,, वह अपना दूध का गिलास खत्म कर पाती इससे पहले ही घर के बाहर उसकी सहेलियों ने उसे आवाज़ लगा दी और वह जल्दी से दूध का गिलास खत्म करके गिलास वहीं ही रख कर बाहर की तरफ भाग गई,,,,।


क्या यार तुम तू हमसे पहले कभी भी पूरी तरह से तैयार नहीं हो पाती जब देखो तब हमारे आने के बाद ही तू आती है,,,
( बेला पूनम को डांटने के अंदाज में बोली।)

नहीं ऐसी कोई बात नहीं है मैं तो कब से तैयार होकर बैठी थी बस तुम दोनों के आने का ही इंतजार कर रही थी,,,( पूनम बातें बनाते हुए बोली,,,।)

हां हां बस रहने की बातें बनाने को हम जानते हैं कि तु तैयार होकर ही बैठी रहती हैं,,,,


बस बस बहुत हो गया थोड़ा सा इंतजार क्या कर लेती है ऐसा लगता है कि मुझे अपने सर पर बिठा कर ले जाती है।
( पूनम उन दोनों को गुस्सा करते हुए बोली,,,। इसके बाद उन दोनों में से किसी ने कुछ भी नहीं कहा वह तीनों स्कूल की तरफ जाने लगे ठंडी बड़े जोरों से पड़ रही थी,,, इसलिए पूनम अपनी हथेलियों को आपस में रगड़ते हुए बदन में गर्माहट पैदा करते हुए जा रही थी,,,, यह देखकर बेला चुटकी लेते हुए बोली,,,।)

पूनम तेरे शरीर में ठंडक कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है तुझे गर्मी की जरूरत है,।

हारे देखना ठंड कितनी ज्यादा है,,,,


तू एक काम कर दो ना एक ही तरीके से तेरी ठंडी पूरी तरह से गायब हो जाएगी,।

कैसे जरा जल्दी बता मुझे ज्यादा ही ठंड लग रही है,,,,,


किसी मस्त छोकरे के साथ जाकर चिपक जा,,, वह तुझे अपनी हरकतों से इतना गर्म कर देगा कि तू इतनी कड़कड़ाती ठंडी में भी अपने सारे कपड़े उतार कर उस से चिपक जाएगी।

( बेला की बात सुनते ही पूनम गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए बोली,।)

इस कड़कड़ाती ठंडी की वजह से मैं मजबूर हूं वरना ईसी हाथ से तेरे गाल पर एक तमाचा मारती थी तो तु पूरी तरह से पसीने से तरबतर हो जाती,,,

अरे यार तुझसे तो मजाक भी नहीं कर सकते जब देखो तब गुस्सा हो जाती है।( उसका इतना कहना था कि उसकी नजर उस मोड़ पर ही इंतजार कर रहे मनोज पर पड़ी) ले देख ले तेरा आशिक भी तेरा इंतजार कर,,, रहा है जाकर चिपक जा वह तुझे पूरी तरह से गर्म कर देगा,,, ।
( बेला की बात सुनते ही पूनम की नजर उस मोड़ पर खड़े मनोज पर पड़ी तो उसे देखते ही उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव उमड़ पड़े लेकिन वह जल्द ही अपने चेहरे पर गुस्से का भाव लाते हुए बोली,,,।)

इसे भी कोई काम नहीं है जब देखो तब यही खड़ा होकर के इंतजार करता रहता है,,,, दोखना आज तो यह मुझसे कितनी भी बात करने की कोशिश करे लकीन मैं इससे बिल्कुल भी बात नहीं करूंगी,,,

क्यों कोई नाराजगी है क्या (बेला तपाक से बोली)

तू अपनी बकवास बंद रख,,,
( दूसरी तरफ मनोज उसका बेसब्री से इंतजार कर रहा था वह आज अपने मन की बात बोल देना चाहता था और उससे पूछना भी चाहता था कि वह उसके प्रेम पत्र का जवाब क्यों नहीं दे रही है,,,, लेकिन उसके दिमाग में आया कि ऐसा भी तो हो सकता है कि पूनम ने उसके दिए लेटर को पढ़ा ही ना हो,,
यही सब सोचकर उसका दिमाग काम नहीं कर रहा था पूनम एकदम करीब आते जा रही थी वह समझ नहीं पा रहा था कि वह उससे बोले या ना बोले,,,, तभी उसंने सोचा कि सबके सामने बोलना ठीक नहीं है क्योंकि पूनम दूसरी लड़कियों की तरह नही हैं। उसके यह सोचते ही सोचते पूनम बिल्कुल उसके करीब आ गई पूनम भी यही सोच रही थी कि मनोज से कुछ बोलें लेकिन इसी कशमकश में मनोज कुछ बोल नहीं पाया हालांकि पूनम उसे करीब पहुंचते ही उसके कदम धीरे-धीरे पड़ने लगे थे,, लेकिन बोले कि ना बोले की कशमकश में मनोज रह गया और पूनम आगे निकल गई,,,, पूनम के लिए कान तरस रहे थे मनोज की आवाज सुनने के लिए उससे बात करने के लिए लेकिन बेला और सुलेखा की होते हुए यह होना मुमकिन नहीं था,,,,, हाथ में आया हुआ मौका मनोज के हाथ से निकल गया था मनोज को यह लगने लगा कि वास्तव में पूनम ने उसका दिया लेटर पढ़ा ही नहीं है,,, वरना वह उसे देखकर कुछ ना कुछ प्रतिक्रिया जरूर करती,,,
क्लास में बैठा-बैठा मनोज तय कर लिया कि कुछ भी हो वह पूनम से पूछ ही लेगा उसके लिए प्रेम पत्र के बारे में लेकिन ना जाने क्यों मनोज हिम्मत नहीं कर पा रहा था आज पहली बार उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि उसे भी लड़कियों से डर लगता है यह सभी लड़कियों के बारे में नहीं था या फिर पूनम के ही बारे में था क्योंकि इससे पहले उसने जिसको चाहा उस लड़की से अपने मन की बात बोल दिया लेकिन पूनम से बोलने में उसे ना जाने किस बात का डर लगता था। फिर भी वह स्कूल छूटने का इंतजार करने लगा,

स्कुल छुट़ चुकी थी छूटने की घंटी बजते ही वह जल्दी से अपने क्लास से बाहर निकल कर गेट पर खड़ा होकर पूनम का इंतजार करने लगा,,,, पूनम उसे अकेले ही आती नजर आई उसे अकेला देखकर वह खुश हो गया। पूनम की भी नजर मनोज पर पड़ गई मनोज पर नजर पड़ते ही उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव साफ नजर आने लगे वह जल्दी से अपने अगल बगल देखी बेला और सुलेखा कहीं भी नजर नहीं आ रही थी। वह भी जल्दी से मनोज के करीब पहुंची लेकिन वह इस तरह से गई थी मनोज को यहां पर बिल्कुल भी ना हो कि वह खुद उसके पास चल कर आई है,,, पूनम को देखते ही मौका पाकर मनोज बोला,,,,।

पुनम मुझे तुमसे कुछ बात करनी है,,,

मुझसे लेकिन मुझसे क्या बात करनी है,,,,

ऊसी लेटर के बारे में,,,

लेटर कौन सा लेटर,,, कीस लेटर के बारे मे बात कर रहे हो तुम,,,( पूनम आश्चर्य के साथ बोली,,,।)

वही लेटर जो मैंने लिख कर तुम्हारी इंग्लिश की नोट में तुम्हें दिया था।

पर मुझे तो ऐसा कोई लेटर नहीं मिला,,,,,


तुम अपनी इंग्लिश की नोट खोलकर देखना उसमे जरूर मेरा लिखा हुआ लेटर भी है और मेरा मोबाइल नंबर भी है,,,,।

पर ऐसा क्या लिखा है उस लेटर में जिसके लिए तुम इतने बेताब नजर आ रहे हो,,, ( पूनम मनोज के चेहरे के बदलते हावभाव को देखते हुए बोली)

पूनम वह तो मैं इस समय तुम्हें नहीं बता सकता हूं वह तुम अपने आप ं पढ़ोगी तो तुम्हें खुद ही पता चल जाएगा कि मैं तुम्हें क्या कहना चाहता हूं,,,,( तभी उसकी नजर बेला और सुलेखा पर पड़ी जो कि ईसी तरफ चली आ रही थी लेकिन उन लोगों का ध्यान इधर बिल्कुल भी नहीं था,,,) देखो तुम्हारी दोनों सहेलियां भी आ रही है मैं उन लोगों के सामने कुछ नहीं कहना चाहता बस तुम मेरा दिया हुआ लेटर एक बार पढ़ लेना,,, मैंने तो अपने मन की बात उस लेटर में लिख दिया हूं तुम्हारे मन में क्या है यह तो मैं नहीं जानता लेकिन जो भी हो मुझे बता जरुर देना,,,, बस मैं चलता हूं बाय,,,,,,
( इतना कहकर मनोज चला गया तभी उसकी सहेलियां उसके करीब आ गई और तीनों अपने घर की तरफ जाने लगी रास्ते भर पूनम सोचती रही कि आखिर वह इंग्लिश के नोट्स में उसे लेटर क्यों दिया,,, वह मुझसे क्या कहना चाहता है और अपनी मन की बात क्या है उसके मन की बात यह सब सोच कर उसका दिमाग चकरा जा रहा था उसका एक बुनियादी कह रहा था कि कहीं वह उसे प्रेम पत्र तों नहीं लिख कर दिया है।,,, अजीब से असमंजस में पड़ गई थी वह लेटर की बात से उसके बदन में सुरसुराहट सीहोने लगी थी।,, वह लेटर उसके स्कूल बैग में ही था,,, जिसे पढ़ने के लिए अब वह बेताब नजर आ रही थी।,,, वह घर पर पहुंचते ही उस लेटर को पढ़ना चाहती थी लेकिन जैसे ही वह घर पर पहुंची उसकी मम्मी ने उसे काम पर लगा दी घर पर वैसे भी सारा काम पड़ा हुआ था मन मार कर वह काम में जुट गई,,,,

इधर-उधर करने में ही कब शाम हो गई उसे पता ही नहीं चला,,, अब उसके पास अपना बैग खोलकर उस लेटर को पढ़ने का टाइम बिल्कुल भी नहीं था इसलिए वह सोची की रात को सोते समय अपने कमरे में ही ईत्मिनान से उस लेटर को पढ़ेगी तब तक वह घर के कामकाज को करती रही,,,
 

Crazy7

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