Rohan Bhai jaldi Ladi story ko aage badhao ye story bhot intersuting hai
Partiksha hai agel updates ki
Partiksha hai agel updates ki
पूनम खाना खा चुकी थी रात के करीब 11:00 बज रहे थे वह सारे काम काज कर के एक दम खाली हो चुकी थी सब अपने अपने कमरे में चले गए थे सब के जाने के बाद पूनम भी धड़कते दिल के साथ अपने कमरे में प्रवेश की,,, उसके मन में मनोज के लिए लेटर के बारे में सोच-सोच कर पूरे बदन में सुरसुराहट की लहर दौड़ रही थी। पूनम को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि उसके लिए लेटर में क्या लिखा होगा वह बस उत्सुकतावश उसे जल्द से जल्द पढ़ना चाहती थी। my monitor size वह अपने कमरे में प्रवेश करते ही जल्दी से दरवाजा बंद करके कुंडी चढ़ा दी,,,, कड़कड़ाती की ठंडी में भी उसके पसीने छूट रहे थे। एक अजीब सी हलचल उसके मन में मच रही थी जिसकी वजह से उसका गला सूख रहा था। वह टेबल पर रखा अपना बैग लेकर बिस्तर पर आराम से बैठ गई और बैग को खोलकर अपनी इंग्लिश की नोट्स को बाहर निकाल ली,,, पूनम को उत्सुकता के साथ-साथ थोड़ा डर भी लग रहा था कि पता नहीं उसने उस लेटर में क्या लिखा होगा। वह इंग्लिश की नोट्स को बैग पर रखकर उसके पन्नों को पलटने लगी,,, वह जल्दी-जल्दी पन्नों को पलट रही थी लेकिन उसका लिखा एकभी लेकर उस नोट्स में दिखाई नहीं दे रहा था,,,, वह पन्नों को पलट भी रही थी और साथ में यह भी सोच रही थी कि कहीं मनोज ने उसके साथ मजाक तो नहीं किया,,,,,, एक पल के लिए तो उसे मनोज पर गुस्सा आने लगा और मैंने सोचने लगी कि अगर यह सच में उसने मजाक किया है तो आज के बाद उसके लाख बोलने के बावजूद भी उससे बात तक नहीं करेगी,,,, यह सब वह मन में सोच ही रही थी कि तभी इंग्लिश के नोट्स में से उसका लिखा लेटर नजर आया,,,, उसका गला सूखने लगा, वह लेटर को अपने हाथ में लेकर पढ़ना शुरू की,,, पुनम की खुबसूरत गांड जोकी अभी तक अनछुई थी,, मेरी प्रिय पूनम,,, तुम मुझे बहुत खूबसूरत लगती हो लगती हो क्या तुम सच में बहुत खूबसूरत हो इस धरती पर तुमसे ज्यादा खूबसूरत है मैंने आज तक किसी और लड़की को नहीं देखा,,, जबसे मैंने तुमको देखा हूं ना जाने मुझे क्या हो गया है कि हर जगह बस तुम ही तुम दिखाई देती हो,, सोते जागते उठते बैठते बस मुझे तुम्हारा ही ख्याल रहता है,,, तुम्हे देखे बिना मेरे दिल को जरा भी करार नहीं आता,, यहां तक की सपनों में भी मुझे तुम ही तुम नजर आती हो,, पूनम सच कहूं तो मुझे तुमसे प्यार हो गया है मैं तुम्हारे बगैर जी नहीं पाऊंगा तुम्हारे मन में क्या है यह मैं बिल्कुल भी नहीं जानता इसलिए तो मैं इस लेटर के जरिए तुम्हें अपने मन की बात बता रहा हूं। तुम्हें देखकर मेरे दिल में कुछ-कुछ होता है अगर तुम्हें भी मुझे देख कर कुछ कुछ होता हो,, तो मेरे इस लेटर का जवाब जरुर देना अगर लिख ना पाओ तो नीचे लिखा मोबाइल नंबर मेरा ही है मुझे बस एक मिस कॉल मार देना मैं समझ जाऊंगा कि तुम्हारे दिल में भी मेरे लिए कुछ कुछ होता है। आई लव यू,,,,, पूनम उत्सुकता वश मनोज का लव लेटर पढ़ रही थी पूरा लेटर पढ़ने के बाद पूनम के बदन से ऐसी कड़ाके की ठंड में भी पसीना टपक रहा था,,,, कुछ पल के लिए तो उसे समझ में ही नहीं आया कि वह क्या पढ़ रही है। क्योंकि मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि कोई उसे भी लेटर लिख सकता है। उसने आज तक किसी भी लड़के की तरह मुस्कुरा कर नहीं देखी थी ना ही किसी से बात की थी और ना ही कभी भी, किसी लड़के को अपनी बातों की वजह से गलतफहमी पैदा होने दी थी,,, इसलिए उसे आज तक किसी ने भी इस तरह से अपने प्यार का इजहार करने की हिम्मत भी नहीं की थी लेकिन मनोज के साथ बस थोड़ा बहुत बात जरूर करी थी जिसका परिणाम यह आ रहा था कि वह उसे प्रेम पत्र लिखकर देभी चुका था,,,, पूनम का बदन कांप रहा था। वह यह सोचकर पूरी तरह से घबरा गई कि वहां तीन-चार दिनों से उसके दिए लेटर को अपने बैग में रखे हुए थी,,, जिसकी खबर उसे बिल्कुल भी नहीं थी अगर कहीं यह लेटर उसके घर वालों को मिल जाता तब उसका क्या हाल होता यह सोचकर पूनम का पूरा वजूद का कांप गया,,,, पूनम मनोज के लिए लेटर को देखकर और उसे पढ़कर परेशान सी हो गई,,, वह बिस्तर पर लेट कर सोना चाहती थी लेकिन नींद उस से कोसों दूर थी। अब वह क्या करें कैसे करें क्या कहें मनोज से इन सब के बारे में सोच कर हैरान हुए जा रही थी क्योंकि मनोज ने उससे उसके पत्र का जवाब मांगा था लेकिन उसके दिए पत्र का जवाब देने की हिम्मत पुनंम में बिल्कुल भी नहीं थी। उसे मनोज के बारे में सोच कर उसकी हरकत के बारे में सोच कर उसे गुस्सा आने लगा वह सोचने लगी कि अगर कहीं जाने पर उसके घरवालों के हाथ लग जाता तब उसका क्या होता क्या सोचते,, उसके घर वाले उसके बारे में,,, क्योंकि वह जानती थी कि उसके घर वाले उस पर बहुत भरोसा करते थे वह जानते थे कि पूनम कभी भी इस तरह की हरकत नहीं करेगी जिसकी वजह से परिवार की बदनामी हो,,, इसलिए वह मन में ठान ले कि आप मनोज से वह बात ही नहीं करेगी ना ही उसकी तरफ देखेगी इसी ने उसकी और उसके परिवार की भलाई है यह सोचकर वह कब नींद की आगोश में चली गई उसे पता नहीं चला,,,, Sandhya ki badi badi gaand जैसा वह मन में सोची थी ठीक उसी तरह से बर्ताव करने लगी अब आते जाते वह मनोज की तरफ देखती भी नहीं थी वह कुछ बोलना चाहता था,,,, तो उसके बोलने से पहले ही वहां से चल देती थी,,,, पूनम के इस तरह के व्यवहार के कारण मनोज काफी परेशान हो गया था उसे लगने लगा था कि उसका प्यार शुरू होने से पहले ही समाप्त हो गया था उसे इस बात का बेहद पछतावा भी होता था कि उसने पूनम को पत्र लिखकर दिया है क्यों क्योंकि जब तक उसने उसे पत्र लिखकर नहीं दिया था तब तक तो पूनम उससे बातें तो करती थी लेकिन अब तो वह उसकी तरफ देखती भी नहीं थी। पूनम भी कब तक इस तरह से मनोज को धिक्कारने का दिखावा करती रहती,,, उसे यह सब बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था क्योंकि मनोज को पूनम के लिए कुछ कुछ होता था तो पूनम को भी मनोज के लिए कुछ कुछ जरूर होता था बस उसे डर था तो समाज और उसके परिवार का इसलिए वह अपने मन की बात उसे बता नहीं पा रही थी लेकिन जितना बेचैन मनोज था उससे ज्यादा पूनम तड़प रही थी। दूसरी तरफ उसकी बुआ सुजाता की बुर में पूरी तरह से खलबली मची हुई थी,,,, उसकी जवानी का जोश उबाल मार रहा था,,, बुर की खुजली उसके बर्दाश्त के बाहर थी,,, वह अपनीे बुर में सोहन के मोटे लंड को लेकर चुदना चाहती थी।। लेकिन ना तो उसे मौका मिल रहा था और ना ही वह इस तरह के कदम उठाने की हिम्मत दिखा पा रही थी,,,,, क्योंकि उसे भी अपने परिवार वालों का डर था,,, लेकिन जवानी का जोश उबाल मार कर सारी मर्यादा को तोड़ ही देती है,, ऐसे ही 1 दिन शाम को वह अपने खेतों में टहल रही थी सब्जी तोड़कर घर ले जाने के बहाने,,,, वह जानबूझकर देर कर रही थी,,, क्योंकि ऊसे सौहन का इंतजार था। वह अच्छी तरह से जानती थी कि उससे मिलने के बहाने वह खेतों के चक्कर जरूर मारता था,,,, शाम ढल रही थी अंधेरा छाने लगा था और यही सही मौका भी था उससे मिलने का,,, खेतों में चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था वह सब्जियां तोड़ भी रही थी और इधर-उधर चकर पकर नजरें दौड़ाकर सोहन को देखभी ले रही थी कि कहीं वह आ तो नहीं रहा है,,, वह सब्जियां झुक कर तोड़ ही रही थी कि तभी सोहन ने उसे पीछे से आकर उसकी पतली कमर में अपने दोनों हाथ डालकर पकड़ लिया,,,,, Sujata ki badi badi gaand jiska Sohan Deewana tha wxga screen resolution ओहहहहहहह,,,,,, मां,,,, ( इस तरह से एकाएक पीछे से पकड़े जाने की वजह से सुजाता एकदम से डर गई,, और उसके मुंह से चीख निकल गई लेकिन तुरंत सोहन उसके मुंह पर अपना हाथ रखकर दबाते हुए बोला,,।) डरो मत मैं हूं जानेमन,,, सोहन तू,, तू तो मुझे डरा ही दिया था,,, तू सच में डर गई,,,,, तो क्या ईस तरह से पकड़ेगा तो डर तो लगेगा ही,,,, अरे मेरी जान मैं तो समझा कि तू बहुत बहादुर है,,,,, ( सोहन अभी भी उसे पीछे से पकड़े हुए था कि गोल-गोल गांड का स्पर्श पाकर उसको पूरी तरह से खड़ा हो गया सुजाता की गांड के बीचो-बीच सलवार सहीत धंसे जा रहा था। जिसका एहसास सुजाता को भी अच्छी तरह से हो रहा था और वह इस स्पर्श की वजह से उत्तेजित हुए जा रही थी। सोहन आव देखा ना ताव कमर में डाले हुए हाथ को ऊपर की तरफ ले जाकर कुर्ती के ऊपर से ही उसकी गोल-गोल चूचियों को दबोच लिया,,,, और उसे ऊपर से ही दबाते हुए बोला। मेरी रानी एक चुम्मा तो दे दो कब से मैं तड़प रहा हूं तुम्हारे गुलाबी होंठ को चूमने के लिए,,, ( सोहन की यह बात सुनकर उसके बदन में सुरसुराहट होने लगी,,, उसका भी बहुत मन कर रहा है कि सोहन उससे जो चाहता है वह सब कुछ करें लेकिन फिर भी वह यह नहीं जताना चाहती थी कि उसे भी यही सब करना है इसलिए सोहन से बोली,,,।) धत्त,,,, तू पागल हो गया है क्या,,,,, हां मैं पागल हो गया हूं रानी तुम्हारी खूबसूरती तुम्हारी खूबसूरत बदन को देखकर,,, अब तो तुम्हें चुमे बिना मेरा मन नहीं मानेगा,,,,( इतना कहते हुए सोहन उसकी गर्दन पर अपने होंठ रख कर चूमने लगा सोहन की इस हरकत की वजह से सुजाता का पूरा बदन कामोत्तेजना से भर गया वैसे भी अगर औरतों को उनकी गर्दन के ऊपर के हिस्से पर चुंबन किया जाए तो उनकी उत्तेजना कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगती है और यही सुजाता के साथ भी हो रहा था। सुजाता उत्तेजना के मारे अपने नितंबों को और पीछे की तरफ ठेलने लगी क्योंकि सोहन का खड़ाा लंड उसकी गांड के बीचो-बीच ठोकर लगा रहा था। सुजाता सब कुछ जानते हुए भी अनजान बनते हुए बोली,,,। सोहन मुझे कुछ चुभ रहा है मुझे छोड़ो,,,, मैं जानता हूं मेरी जान कि तुम्हें क्या चुभ रहा है। और तुम भी जानती हो कि क्या चुभ रहा है।,,, मुझे नहीं मालूम सोहन कि क्या चुभ रहा है तुम ही बता दो क्या चुभ रहा है,,,,( सुजाता शरारती अंदाज में बोली।) अच्छा मेरी रानी ज्यादा नादान बनने की कोशिश मत करो,, ( सोहन अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए सुजाता को जैसे कि चोद रहा हो इस तरह से करते हुए) पूरा का पूरा लंड बिना आवाज कीए बुर में निगल जाओगी और मुझ से पूछ रही हो कि क्या चुभ रहा है,,,, सुजाता अब तो तुम्हारी बात सुनकर मुझे तुम्हें चोदने का मन करने लगा है। चलो ना अपनी सलवार उतारो,,, मेरा लंड तुम्हारी बुर में जाने के लिए तड़प रहा है। सोहन की तो ऐसी खुली बातें सुनकर सुजाता की बुर से पानी टपकने लगा उसका भी मन हो गया कि सोहन के लंड को अपनी बुर में डलवा कर चुदवा ले,,,, लेकिन उसे डर भी लग रहा था कि कहीं किसी ने देख लिया तो गजब हो जाएगा सोहन बेहद उत्तेजित नजर आ रहा था वह जोर जोर से कुर्ती के ऊपर से ही सुजाता की चूचियों को दबाना शुरू कर दिया था रह रह कर सुजाता के मुंह से सिसकारी की आवाज़ आ रही थी वह डर के मारे इधर-उधर नजरें घुमा कर देख भी ले रही थी कि कहीं को आ तो नहीं रहा,,, सुजाता पूरी तरह से चुदवाने का मन बना ली थी लेकिन यह अपने मुंह से कहने में शर्म आ रही थी,,,, सोहन लगातार उसे अपनी सलवार उतारने के लिए बोल रहा था क्योंकि वह पूरा उत्तेजित होकर के भरा पड़ा था। वह उसे समझाते हुए बोला,,,। सुजाता यही सही मौका है आज तुम्हें चोदने का पूरा मौका हम दोनों के पास है देख लो चारों तरफ कोई नजर नहीं आ रहा है और वैसे भी पर बड़ी-बड़ी झाड़ियो और खेतों के बीच हमें कोई भी नहीं देख पाएगा,,,,( सोहन की बात सुनकर सुजाता भी इधर उधर देख कर पूरा इत्मीनान कर ली थी लेकिन फिर भी उसे डर लग रहा था कि कहीं कोई देख ना ले एक तो उसके मन में समाज का डर भी था और जवानी की उमंगे भी थी,, जवानी के जोश से भरी हुई सुजाता पर बदन की जरूरत,, तन का साथ भारी पड़ने लगा,,,, समाज के डर और परिवार के डर को वह कुछ देर के लिए एक तरफ रख दी,,, सोहन बार-बार उस पर दबाव डाल रहा था सलवार की डोरी खोल कर उसके लिए रास्ता बनाने के लिए,, सुजाता भी पूरी तरह से मन बना ली थी अब खुलकर तो वह उसी से नहीं बोल सकती थी कि हां मैं तुमसे चुदवाना चाहती हूं इसलिए वहां बात को दूसरे शब्दों में बोली,, सोहन मुझे डर लग रहा है कहीं कोई देख लिया तो,,, ( कहीं कोई देख लिया तो,,, औरतों के मुंह से कही गई यह बात हमेशा औरतों की संमति की मोहर लगाती है। खेला खाया सोहन सुजाता के मन की बात समझ गया,,,। और वह बोला,,, how to adjust website for screen resolution अरे कोई नहीं देखेगा तो ज्यादा अंधेरा पूरी तरह से छा चुका है। जल्दी से सलवार उतार दो,,,, ( सुजाता को फिर भी मन में डर बना हुआ था,,, दो कदम की दूरी पर ही सूखे घासों का ढेर लगा हुआ था,,, सुजाता उस तरफ देखते हुए बोली,,,।) सोहन यहां नहीं उस घास के पीछे वहां कोई नहीं देख पाएगा,,,, तुम्हारी जैसी मर्जी चलो जल्दी चलो,,,, मैं पहले वहां जाती हूं तुम तब तक खड़े होकर नजर रखना मैं तुम्हें जल्दी ही बुलाऊंगी,,,,( ऐसा कह कर सुजाता उस घास के ढेर के करीब जाने लगी,,, सोहन को तो गुस्सा आ रहा था लेकिन क्या करता आज उसे सुजाता कि बुर चोदने को मिल रही थी इसलिए वह शांति से सुजाता के नखरे सहता रहा,, सुजाता घास के ढेर के पीछे पहुंचते ही एक बार फिर से चारों तरफ नजर दौड़ा ली,,, पूरी तरह से इत्मीनान कर लेने के बाद वह अपनी सलवार की डोरी को खोलकर पेंटी सहित जांघो तक नीचे सरका दी,,,, सुजाता पूरी तरह से चुदवासी हो चुकी थी उसकी बुर से मदन रस की बूंदें टपक रही थी वह पीछे नजरें घुमा कर सोहन की तरफ देखते हुए बोली,,, जल्दी आओ मेरे पास समय नहीं है,,,, ( सोहन तो उसकी आवाज सुनते ही जल्दी से घास के पीछे पहुंच गया जहां पर सुजाता पहले से ही अपनी सलवार को घुटने तक सरकाकर खड़ी थी,,,, यह नजारा देखते ही सोहन जोश से भर गया,,, वह जल्दी से सुजाता को झुक़ने के लिए बोला,,,, लेकिन सुजाता को कुछ समझ में नहीं आया क्योंकि यह उसके लिए पहली ही बाहर था और तो हम तो पहले से ही खिला खाया था उसे सब मालूम था कि क्या करना है इसलिए वह खुद ही सुजाता की पीठ पर अपना हाथ रखकर उसे आगे की तरफ झुकाते हुए उसे उसकी गांड को थोड़ा सा उठाने के लिए बोला मुझे आता नहीं सोहन के कहे अनुसार ही अपनी गांड को थोड़ा सा बाहर की तरफ निकालकर हवा में उठा दी,,,, सुजाता की कुंवारी बुर बार-बार पानी छोड़ रही थी सुजाता की यह अदा देख कर किसी का भी लंड पानी छोड़ दे,,, सोहन तो कई औरतों के मदन रस से अपनी प्यास बुझा चुका था इसलिए वह संभल गया जल्दी से वह भी अपने पजामे को नीचे सरका कर अपने मोटे लंड को बाहर निकाल लिया,,, और अंधेरे में भी अपने लंड को पकड़कर उसके सुपाड़े को लंड की सुपाड़े से ही टटोलकर सुजाता की बुर से सटा दिया,, सुपाड़ा का स्पर्श बुर पर होते ही सुजाता का पूरा बदन गनगना गया उसकी तो सांसे ही अटक गई,,, सोहन अपने लंड के सुपाड़े को बुर के अंदर धीरे-धीरे सरकाते हुए बोला,,, ओह मेरी रानी तुम तो बहुत पानी छोड़ रही हो,,, जल्दी करो सोहन मुझे देर हो रही है घर जाने के लिए,,,,, तुम चिंता मत करो मेरी जान( इतना कहने के साथ ही उसने आधा लंड सुजाता की बुर में घुसा दिया,,, दर्द के मारे सुजाता के मुंह से कहरने की आवाज़ आ रही थी,,, यह तो भला हो उस मोटे ताजे बैगन और ककड़ी का जिसे तू चाहता अपनी बुर में डाल डाल कर मोटे लंड को अंदर जाने के लिए जगह बना चुकी थी वरना इस समय वह चिल्ला चिल्ला कर पूरे गांव को इकट्ठा कर ली होती,, सोहन सुजाता की गोल-गोल गांड को सहलाते हुए अगले ही पल जोर का धक्का लगाया कि पूरा लंड उसकी बुर में समा गया,,, सोहन को मालूम था कि उसकी इस हरकत पर सुजाता जोर से चिल्ला देगी इसलिए वह धक्के के साथ ही अपना एक हाथ आगे ले जाकर उसके मुंह को बंद कर दिया और उसकी चीख़ गले में ही अटक गई,,,,, सुजाता को बहुत दर्द हो रहा था वह उसे निकालने के लिए बोलना चाहती थी,,, लेकिन सोहन जानता था कि एक बार बड़ी तेजी से लंड बुर में चला जाए तो लड़कियों को ज्यादा दर्द होता है और वह उसे निकालने के लिए जरूर बोलती है इसलिए वह उसके मुंह को वैसे ही दबाए रहा और धीरे-धीरे अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए उसे चोदना शुरू कर दिया,,, थोड़ी ही देर बाद सुजाता को भी मज़ा आने लगा और उसके मुंह से सिसकारी की आवाज आने लगी तो सोहन अपना हाथ उसके मुंह से हटा लिया और उसे चोदने का मजा लूटने लगा,,, थोड़ी देर बाद दोनों एक साथ अपना पानी छोड़ दिए सुजाता जल्दी से अपने कपड़े पहन कर खेतों से भाग गई,,,, घर पर पहुंचने पर जब उसे पूछने लगे कि देर किस लिए हुई तो वह सहेली से बातें कर रही थी ऐसा बहाना बनाकर असली बात को छुपा ले गई,, सुजाता बहुत खूब थी क्योंकि आज पहली बार उसकी बुर में किसी लंड का प्रवेश हुआ था। ऊसकी बुर का इस तरह से उद्घाटन होगा उसने कभी सोची भी नहीं थी,, लेकिन अपनी बुर की धमाकेदार उद्घाटन से वह बेहद खुश थी। रात को खाना खाने के बाद पूनम अपने कमरे में काफी बेचैन नजर आ रही थी। मनोज को लेकर उसके दिल में अलग अलग से ख्याल आ रहे थे और इंसानों की वजह से उसकी आंखों में नींद नहीं थी। अपनी चाची से वह मोबाइल मांग कर लाई थी, क्योंकि मोबाइल की उनको अभी जरूरत नहीं थी उसके चाचा जो वापस लौट आए थे।,,, मनोज के लिए पूनम की बेचैनी और कड़क बढ़ती जा रही थी वह मोबाइल पर गाने सुन रही थी। गाना गा रही हीरोइन की तरह ही उसका भी हाल हो गया था,,,, वह कान में हैंड्स फ्री लगाकर आंखों में नींदे ना दिल में करार मोहब्बत भी क्या चीज होती है यार,,, इस गाने को बार-बार लगाकर सुन रही थी लेकिन इस गाने में पूनम की बेचैनी को और भी ज्यादा बढ़ा दिया था। उससे रहा नहीं जा रहा था और वहां टेबल पर रखा अपना स्कूल बैग लेकर आई और उसमें से अपनी इंग्लिश की नोट निकाल ली जिसने की आखिरी पन्ने पर नंबर लिखा हुआ था और यह नंबर मनोज का ही था। पूनम किसी के हाथ ना पड़ जाए इसलिए उसके दिए लेटर को तो वह फाड़ कर फेंक दी थी लेकिन उसमें लिखा नंबर अपनी नोटबुक में लिख ली थी उसके मन में उथल पुथल मची हुई थी वह मन ही मन में सोच रही थी कि वह नोटबुक में लिखे नंबर को वह डायल करें कि ना करें,,, दिल कह रहा था कि वह नंबर डायल करें और दिमाग से रोक रहा था आखिरकार दिमाग हार गया और दिल जीत गया वह दिल की सुनी और कांपते उंगलियों से मोबाइल की कीपैड पर नोटबुक में लिखे नंबर को डायल करने लगी। जैसे ही नंबर डायल करके वह मोबाइल को कान पर लगाई तो सामने मोबाइल की घंटी बज रही थी,,,, वह फोन कट करने के बारे में सोच ही रही थी कि सामने से फोन उठ गया,,, और जैसे ही सामने से आवाज आई,,,, हेलो कौन,,,, इतना सुनते ही, पूनम का बदन कांपने लगा और वह झट से फोन काट दी,,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था ना जाने उसके बदनन में अजीब प्रकार की हलचल महसूस हो रही थी।,,, कुछ देर तक वह ऐसे ही बैठी रही,,, उसका मन थोड़ा शांत हुआ कि तभी मोबाइल की घंटी बजने लगी वह स्क्रीन पर नंबर देखी तो उस नंबर को देख कर एक बार फिर से उसके बदन में कपकपी से मच गई,,,, और वह झट से मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया। सोहन और सुजाता |
धन्यवाद दोस्त थर्ड पर्सन व्यू के बारे में आप प्रथम रीडर है जिसमें कहा है इस बात के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद,,,, थर्ड पर्सन के नजरिए से लिखने का मजा ही कुछ और है इस तरह से आप किसी के भी मन में क्या चल रहा है उसे अच्छी तरह से व्यक्त कर सकते हैंबहुत ही सुंदर कामुकता से bhara हुआ अपडेट | आपकी लिखनी बहुत ही सुंदर और रमणीय है ronny ब्रदर | ऐसे ही लिखते रहो | मुझे आपका third person view से लिखने का स्टाइल बहुत पसंद है |
2 दिन तक पूनम ने मोबाइल से उस नंबर को डायल करने की हिम्मत नहीं दिखा पाई,,,, हालांकि वह रोज रात को अपनी चाची से मोबाइल मांग कर अपने कमरे में आराम से गाना सुना करती थी,,, अब वो बड़े ही रोमांटिक गाना सुनना शुरू कर दी थी,,, पूनम के दिल की बेचैनी बढ़ती जा रही थी हमारी ही मन सोच रही थी कि काश उसके पास उसका नंबर होता तो वह ऊसे फोन जरुर लगाता,,, लेकिन वह चाहती थी क्या कर उसके पास उसका नंबर होता तो घर में कोई भी मोबाइल उठा सकता था और एेसे मैं वह बेवजह परेशान हो सकती थी। लेकिन करती थी क्या दिन-ब-दिन पूनम की हालत खराब हुए जा रहे थे दिन रात उसके जेहन में बस मनोज को ही ख्याल घूमता रहता था। दूसरी तरफ मनोज की दया परेशान हो चुका था पूनम की तरफ से उसे अब तक कोई भी सहारा नहीं मिला था जिससे उसके मन में धारणा बंध चुकी थी कि, पूनम को उसका प्रेम वाला प्रस्ताव पसंद नहीं आया इसलिए उसकी भी बेचैनी बढ़ चुकी थी एक तरह से वहां पूनम के ऐसे व्यवहार को अपना हार समझता था उसे बिल्कुल भी यकीन नहीं हो पा रहा था क्योंकि उसने जिसको भी जिस लड़की से प्यार करना चाहता उन्हें पाना चाहा था उसे हासिल करके ही रहा था लेकिन पूनम के मामले में उसे शिकस्त मिलती मालूम हो रही थी,,,, इस बात से मनोज के मन में यह बात और ज्यादा बैठ गई थी पूनम बेहद खूबसूरत और संस्कारी लड़की है इसलिए वह उसके प्यार को स्वीकार नहीं कर पाई,,,, लेकिन फिर भी उसके मन में कहीं ना कहीं विश्वास कीजिए अभी भी पर बोली थी कि उसे पूनम जरूर सरकार करेगी और वह पूनम का प्यार और उसके खूबसूरत तन बदन की गर्मी अपने बदन में जरूर महसूस कर पाएगा,,, पूनम की खूबसूरत सुडोल गोलाकार गांड,,,,, उसे इस तरह से पेशाब करते हुए देखना भी किस्मत की बात थी इसी कशमकश में दो-चार दिन और बीत गए दूसरी तरफ पूनम की बुआ सुजाता की बुर में चीटियां लगने लगी थी उसे अब अपनी बुर की अंदर कुछ ज्यादा ही खुजली महसूस होने लगी थी,,, जब तक वह बैगन और ककड़ी से अपनी बुर की प्यास बुझा रही थी तब तक वह ककड़ी या बेगन डालकर शांत हो जाती थी लेकिन जब से उसकी बुर ने सोहन का मोटा लंड खाया था तब से फिर से उसके लंड के लिए तड़प रही थी। और वह मौके की तलाश में हमेशा लगी रहती थी लेकिन सोहन कुछ दिनों से उसे नजर नहीं आया था वह रोज शाम को अंधेरा सोते समय खेतों में जाकर उसका इंतजार करती लेकिन उस का कहीं अता-पता नहीं लगता था इसलिए उसकी बुर की खुजली और ज्यादा बढ़ने लगती थी,,। और यही वास्तविकता भी थी क्योंकि भूख लगने पर भोजन करके कुछ घंटो तक भूख काबू में रहती है प्यास लगने पर पानी पीने के बाद भी यही हाल होता,,,, लेकिन चुदाई की भूख ऐसी होती है कि जितना भी बुझाओ उतनी ज्यादा भड़कती है,,,, ठीक ऐसा ही सुजाता के साथ हो रहा था दिन रात वह लंड के लिए तड़प रही थी लेकिन उस दिन की तरह कोई भी जुगाड़ हाथ नहीं लग रहा था,,,,। पूनम सुबह उठकर बाथरूम में नहाने चली गई,,, बाथरूम में खुलते ही वह अपने सारे कपड़े उतार कर बाथरूम में टांग दी,,, उसके गोरे बदन पर मात्र उसकी ब्रा और पैंटी ही रह गई थी बाकी के सारे कपड़े उसने उतार दी थी,,,,, उसके मन में अभी भी मनोज का ही ख्याल घूम रहा था इस वजह से वह दरवाजे की कुंडी लगाना भूल गई और जैसे ही वह मग में पानी लेकर अपने ऊपर डाली ही थी की तभी बाथरूम का दरवाजा धडा़क की आवाज के साथ खुल गया,,,, वह एक दम से चौंक कर दरवाजे की तरफ देखने लगी,,,, एकाएक बाथरूम में उसकी संध्या चाची घुस गई थी और अंदर आते ही पूनम से बोली,,,,, देख पुनम मैं जानती हूं कि तू अकेले ही नहाना पसंद करती है लेकिन आज मुझे बहुत जल्दी है इसलिए तुम मुझे कुछ मत कहना (इतना कहते हुए वह दरवाजे की कुंडी लगा दी) चाची लेकिन इस तरह के बाथरूम में एक साथ दो औरतें कैसे नहा सकती हैं,,,, मुझे तो बहुत शर्म आती है इतना कहते हुए वह अपने दोनों हाथों से ब्रा में कैद अपनी चूचियों छुपाने लगी,,,, तू पूनम बिल्कुल बुध्धु है,,,, अरे कहां अपने गैर के सामने नहा रहे हैं,,,,( इतना कहते हुए वहां अपनी साड़ी को लेने लगी और अपनी चाची को इस तरह से उसके सामने साड़ी खोलते हुए देखकर पूनम बोली,,,,।) ओह चाची तुम क्या कर रही हो इस तरह से मेरे सामने ही अपने कपड़े उतार रही हो,,,,, तुम बिल्कुल भी शर्मा नहीं रही हो,,,, संध्या की मदमस्त बड़ी-बड़ी चुचियां porsche cayman 1 4 mile अरे मेरी गुड़िया रानी इसमें शर्म की क्या बात है एक औरत के सामने कपड़े उतारने में शर्म किस बात की,,,हां अगर तेरी जगह कोई मर्द होता तो शायद उसके सामने शर्म आती ।( इतना कहते हो गए संध्या पूनम के सामने अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी,,,, पूनम वहीं बैठे बैठे ब्रा के ऊपर भी अपनी गोलाइयों को अपनी हथेली से ढके हुए थी,,,, अपनी चाची की इस हरकत पर वह झुंझलाते हुए बोली,,,,।) चाची तुम्हें ऐसा कौन सा काम पड़ गया था कि तुम्हें इस तरह की बाथरुमं में आकर नहाना पड़ रहा है। संध्या चाची की बड़ी-बड़ी गांड अरे क्या बताऊं पूनम आज तेरे चाचा के साथ एक रिश्तेदार के वहां जाना है और वहां जाने के लिए वह बड़ी मुश्किल से तैयार हुए हैं और अगर में देर कर दी तो वहां जाना कैंसिल कर देंगे इसलिए मुझे बाथरूम में आकर तेरे साथ नहाना पड़ रहा है,,,,। ( पूनम अपनी चाची की बात समझ रही थी लेकिन उसे इस तरह से नहाना बिल्कुल पसंद नहीं था इसलिए वह बैठी रही तब तक संध्या ने अपने वतन से ब्लाउज उतारकर वही टांग दि थी,,,, पूनम अपनी चाची को ही देखे जा रही थी वह बड़े गौर से अपनी संध्या चाची की बड़ी-बड़ी चूचियों को देख रही थी जो कि उनकी साइज से ब्रा की साइज कम ही थी इस वजह से ऐसा लग रहा था कि संध्या की चूचियां ब्रा फाड़ कर बाहर आ जाएंगी,,,,,, पूनम अपनी चाची की तरह में के चुचियों के बारे में कुछ सोच ही रही थी कि तभी संध्या अपने दोनों हाथ को पीछे ले जाते हुए हुक खोलने लगी और हुक खोलते हुए बोली,,,।) संध्या चाची के एकाएक बाथरूम में घुस आने की वजह से पूनम से घबरा गई थी 2015 bmw 640i 0 60 क्या बताऊं पूनम मैं तो तेरे चाचा से तंग आ गया ह,,,ूं इतना परेशान करते हैं ना कि मुझे बहुत गुस्सा आता है। अब पता नहीं चाचा परेशान करते हैं या तुम परेशान करती हो,,,, भगवान ही जाने,,,,( पूनम व्यंग्यात्मक स्वर में बोली।) मैं जानती हूं तू मुझ पर विश्वास नहीं करेगी तु अपने चाचा पर ही विश्वास करेगी,,,( इतना कहते हुए संध्या अपनी ब्रा भी उतार दी और यह देखकर पूनम लगभग चिल्लाते हुए बोली,,।) पूनम अपनी संध्या चाची की बड़ी बड़ी गांड को देखकर एकदम मंत्र मुग्ध हो गई अरे अरे यह क्या कर रही हो चाची तुम अपनी ब्रा क्यों उतार दी,,, नहाने के लिए और क्या करने के लिए,,, तो ब्रा उतार कर,,,, मुझे कपड़े पहन कर नहाना पसंद बिल्कुल भी नहीं है मैं तो बाथरूम में जब भी नहाती हुं पूरी नंगी होकर के नहाती हूं,,, ( इतना कहने के साथ ही वह पेटिकोट की डोरी भी खोलने लगी,,, जो देखकर पूनम उसे रोक पाती इससे पहले ही वहां पेटिकोट की दूरी खोलकर अपनी पेटीकोट को नीचे कदमों में गिरा दी,,,, अगले ही पल पूनम की आंखों के सामने उसकी चाची की नंगी मोटी मोटी दूधिया जांघें नजर आने लगी,,, धीरे-धीरे पूनम को यह सब अच्छा लगने लगा अपनी चाची की गोरी खूबसूरत नंगे बदन को देखकर उसकी आंखें चौधीयानेे लगी थी,,, तभी वह अपने दोनों हाथों की उंगलियों से अपनी पैंटी को पकड़कर नीचे की तरफ सरकाने लगी यह देखकर पूनम बोली,,, पूनम भी मदहोश होकर अपनी पजामी में हाथ डाल देती थी अरे चाची यह तो रहने दो थोड़ा तो शर्म करो,,,, मैं बोली ना मेरी पूनम जानू तेरे सामने कैसी शर्म,,,,( इतना कहने के साथ ही अगले ही पल संध्या अपनी पैंटी उतार कर पूरी तरह से नंगी हो गई पूनम की नजर सीधे संध्या की जांघों के बीच अपने आप ही चली गई,,,, जहां पर हल्के हल्के बाल उगे हुए थे जिसे देखकर साफ पता चल रहा था कि,,, उसने अभी हाल ही में अपने बालों की सफाई की है जिसे देख कर पूनम मंद मंद मुस्कुराने लगी,,, संध्या की अनुभवी आंखों ने पूनम के मन की बात को भांप ली और जानबूझकर अपनी हथेली से बुर को मसलते हुए बोली,,,, तू हंस क्यों रही है,,,,, संध्या निश्चिंत होकर पूनम के सामने ही अपनी बुर र गड रही थी जिसे देखकर पूनम की हालत खराब हो रही थी कुछ नहीं चाची बस ऐसे ही हंसी आ गई,,,, ऐसे ही हंसी नहीं आ गई मैं तेरी हंसी का कारण जानती हूं,,, नहीं चाहती सच में कुछ नहीं है मैं तो बस ऐसे ही,,,, मुझसे मत छुपा मैं जानती हूं कि क्यों इन हल्के हल्के बालों को देखकर मुस्कुरा रही है।( वह लगातार अपनी बुर को मसलते हुए बोल रही थी यह देख कर पूनम के बदन में ना जाने कैसी हलचल मचने लगी,,, अपनी चाची की बात और उनकी हरकत को देखकर पूनम बोली,,,।) चाचा जी ने हल्के हल्के बालों को देखकर ही मुस्कुरा रही हुं । लेकिन ऐसा क्यों,,,? अरे ऐसा क्यों का क्या मतलब,,,,, मैं समझी कि तुम शायद नहीं बनाती होगी लेकिन अभी देखी तो पता चला कि तुम सफाई का काफी ख्याल रखती हो,,,,, अरे मेरा बस चले तो मैं कभी भी ना बनाऊं,, लेकिन तेरे चाचा बहुत गुस्सा करते हैं उन्हें यह सब बाल वाल पसंद नहीं है,,, बाल वाल पसंद नहीं है मैं कुछ समझी नहीं,,,,( पूनम आश्चर्य के साथ बोली,,,) अभी रहने दे जब समय आएगा तब तू भी समझ जाएगी,,, ( इतना कहते हुए संध्या अपनी बुर पर से हथेलियां हटा ली और हथेली के हटाते ही पूनम की नजर बुर की गुलाबी पत्तियों पर पड़ी जो की बाहर की तरफ निकली हुई थी,,, उन्हें देखते ही पूनम का पूरा बदन अजीब से हलचल को महसूस कर के गनगना गया,,, संध्या अब नहाना शुरू कर दी जाड़े का मौसम होने की वजह से ठंडे पानी को बदन पर डालते ही उसका पूरा बदन गनगना गया,,, संध्या भी बैठ कर नहा रही थी जिसकी वजह से उसकी बड़ी बड़ी चूचियां आपस में रगड़ खाते हुए झूल रही थी,,, और झूल इस वजह से रही थी कि उसकी चूचियों का साईज काफी बड़ा था। लेकिन उसका कठोर पर बरकरार था इसलिए तो निप्पल तनी हुई थी। अपनी चाची की चुचियों का साइज देख कर पूनम की नजर अपनी चुचियों पर पड़ी तो उसे शर्म सी महसूस होने लगी क्योंकि वह भी जानती थी कि लड़की उसके बदन का सुगठित होना है,,,, खास करके उसकी चूचियों का साइज लेकिन फिर भी इस बात से उस को तसल्ली थी लड़कियों कि सूचियों का जितना साइज होता है उसका भी उतना ही साईज था और संध्या चाची तो एक पूरी औरत थी इसलिए उनकी चूची का साइज काफी बड़ा था,,,, देखते ही देखते संध्या नहाकर बाथरुम में ही कपड़े पहन कर तैयार होकर चली गई,,,, पूनम को भी काफी देर हो चुकी थी इसलिए वह भी जल्दी से नहा कर तैयार हो गई,,, स्कूल पहुंच कर उसकी नजरें मनोज को ही ढूंढ रही थी कुछ दिन से वहां उस मोड़ पर नहीं खड़ा होता था क्योंकि उसका दिल टूट चुका था,,,, और उस मोड़ पर मनोज को खड़ा ना पाकर पूनम भी अंदर ही अंदर छटपटाने लगती स्कूल छोड़ने के बाद जब वह वापस घर लौट रही थी तब रास्ते में उसे मनोज दिखाई दिया उसके चेहरे पर पहले की तरह प्रसन्नता बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि उसके मन में एक डर सा बैठ गया था कि वह पुनम. जैसी खूबसूरत लड़की को खो चुका है। पूनम उसके चेहरे की उदासी देख कर दुखी होने लगी,,,, वह चाहती थी कि मनोज उससे कुछ बोले लेकिन वह उसे कुछ भी नहीं बोला वह बस खड़ा होकर पूनम की तरफ हसरत भरी निगाहों से देखता ही रहा पूनम भी उस पर एक नजर डाल कर अपने कदम आगे बढ़ा दी लेकिन जाते-जाते मनोज की आंखों में आए आंसू को वह पहचान गई,,,, उसकी आंखों में भरे आंसू उसके दिल में ठेस पहुंचाने लगे पूनम को इस बात को लेकर बहुत दुख हुआ लेकिन वह कर भी क्या सकती थी वह एक लड़की थी और वह भी इज्जत दार घराने की,, सामने से वह जाकर मनोज को अपने प्यार का इजहार नहीं कर सकती थी,,,, हालांकि वह भी मनोज से अपने मुंह से प्यार का इज़हार करना चाहती थी लेकिन डर गई थी समाज से अपने परिवार से अपने इज्जत से इसलिए बोल नहीं पा रही थी,,,,, मनोज उसे वहीं खड़ा होकर तब तक देखता रहा जब तक की वह आंखों से ओझल नहीं हो गई और पूनम भी बार-बार पीछे मुड़कर मनोज को देख ले रही थी दोनों तरफ बेबसी दीवार बनकर खड़ी थी,,,,,,,, रात को पूनम अपने कमरे में मोबाइल पर गाना सुनते हुए बहुत बेचैन नजर आ रही थी बार-बार उसकी आंखों के सामने मनोज का रुंआसा चेहरा आ जा रहा था,,, और वह उस चेहरे को याद करके अंदर तक तड़प उठ रही थी,,,, मोबाइल में बज रहा गाना उसे और ज्यादा बेचैन कर रहा था। मुझे जीने नहीं देती है याद तेरी,,, सुनके आजा तू आजा आवाज मेरी,,,, यह गाना सुनकर पूनम से रहा नहीं गया और वहं एक बार फिर से मनोज का नंबर डायल करने लगी,,,, नंबर डायल करते ही जब कॉल का बटन दबाईं तो कुछ ही सेकंड में सामने रिंग बजने लगी,,, सामने बज रही रींग की आवाज सुनकर पूनम के दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,, ऊसकी सांसे तीव्र गति से चलने लगी,,,, एक बार तो उसके मन में हुअा कि फोन काट दे लेकिन तभी सामने से मनोज ने फोन उठा लिया,,, और वह फोन उठाकर हेलो हेलो बोलने लगा,,,, लेकिन पूनम डर के मारे और उसकी आवाज सुनकर एकदम खामोश हो गई यहां तक की मनोज को सिर्फ उसकी सांसो की आवाज़ सुनाई दे रही थी जो कि मनोज को भी बेचैन कर रही थी कुछ देर तक वहां यूं ही हेलो हेलो बोलता रहा लेकिन पूनम ने कोई जवाब नहीं दी तो सामने से वह बोला,,, यार कौन है जो मुझे ऐसे ही परेशान करता है अरे जब फोन किए हो तो बात करने में क्या हर्ज है,,,, देखो मैं पहले से ही परेशान हूं और यह फोन की वजह से और ज्यादा परेशान हो जाता हूं इसलिए जल्दी से मुझे बता दो कि कौन है वरना मैं फोन कट कर दूंगा,,,,, लेकिन कुछ देर तक यूं ही खामोशी छाई रही,,,, मनोज फोन रखने ही वाला था कि पूनम कांपते श्वर में बोली,,,, पपपपपप, ,,, पुनम |
Jordaar comments dost ,,,कामुकता से bhara हुआ अपडेट | sandhya चाची की chut मैं बहुत खुजली हो रही है | पूनम मनोज के प्यार में पूरी तरह pad चुकी है | लगता है कि मनोज और सोहन पूनम की घर का सभी औरत की chut मैं अपना Lund डालेंगे |