ये सब सोनू के लिए भी बिल्कुल नया था, जिसने आज तक किसी लड़की या औरत को छूना तो दूर, आज तक आँख उठा कर बुरी नज़र से देखा तक नहीं था।
आज अपने सामने चल रहे कामुक खेल को देख कर वो भी बहक गया था..!
इस बात से अंजान कि वो सेठ की बेटी की कमर को सहला रहा है। अगर दीपा इस बात की शिकायत अपने पिता चन्डीमल से कर देती तो, शायद सोनू के खैर नहीं होती।
पर दीपा का हाल भी कुछ सोनू जैसा ही था, आज जिंदगी में पहली बार वो किसी मर्द और औरत के कामुक खेल को अपनी आँखों से साफ़-साफ़ अपने सामने देख रही थी और दूसरी तरफ सोनू का तना हुआ लण्ड उसके पजामे में फुंफकार रहा था।
दीपा अपनी कनखियों से नीचे सोनू के लण्ड की तरफ देख रही थी। वो भी अपना आपा खोने लगी थी।
सोनू के हाथ का स्पर्श उसे अन्दर तक हिला चुका था।
न ज़ाने क्यों.. पर उसका हाथ खुद ब खुद सोनू की जांघ पर रेंगने लगा।
उसने अपने आप को रोकने की बहुत कोशिश कि पर कामुकता से अधीर हो चुकी दीपा का भी अपने पर बस नहीं चल रहा था।
उसकी सलवार के अन्दर उसकी चूत में सरसराहट बढ़ गई थी।
जैसे ही उसके काँपते हुए हाथों के ऊँगलियाँ सोनू के लण्ड से टकराईं… सोनू के मुँह से मस्ती भरी ‘आह’ निकल गई।
जिसे चन्डीमल और सीमा तो नहीं सुन पाए, पर उसकी ये मस्ती भरी आवाज़ सुन कर रजनी जो कि ऊंघ रही थी.. उसकी आँखें खुल गईं और जब उसकी नज़र सोनू और दीपा पर पड़ी, तो उसकी आँखें खुली की खुली रह गईं।
दीपा का हाथ सोनू की जांघ पर था और उसकी हाथों की काँप रही ऊँगलियाँ धीरे-धीरे सोनू के लण्ड पर रगड़ खा रही थीं।
वो एकदम हैरान रह गई.. उसे यकीन नहीं हो रहा था कि ये दीपा इतनी शरमाती है, वो खुले आम ट्रेन में ही, एक नौकर के लण्ड को अपने हाथ से छूने की कोशिश कर रही है।
आख़िर इतनी जल्दी उस नौकर ने दीपा पर क्या जादू कर दिया था, जो दीपा उससे इतना चिपक कर बैठी थी।
जब रजनी ने दोनों की नज़रों का पीछा किया तो, उससे भी एक और झटका लगा। चन्डीमल सीमा के सामने खड़ा हुआ अपने लण्ड को उससे रगड़वा रहा था।
‘कमीना साला..!’
रजनी ने दिल ही दिल में चन्डीमल को गाली दी- इसे ज़रा भी शरम नहीं है… ये भी नहीं देखता कि पास में जवान बेटी बैठी हुई है..!
पर अगले ही पल रजनी के होंठों पर भी मुस्कान फ़ैल गई।
उसका कारण ये था कि रजनी दीपा के सौतेली माँ ही थी और जब से चन्डीमल ने तीसरी शादी करने का फैसला किया था, तब से वो चन्डीमल के खिलाफ थी, पर उससे चुप करवा दिया गया था।
चन्डीमल के रुतबे के आगे किसी की बोलने की हिम्मत नहीं हुई थी।
चन्डीमल को वारिस देने में नाकामयाब हो चुकी रजनी के लिए ये सबसे बड़ी हार थी।
रजनी जानती थी कि चन्डीमल अपनी बेटी दीपा को जी-जान से प्यार करता है। उसकी हर जरूरत को पूरा करता है और रजनी यह देख कर बहुत खुश थी कि उसकी बेटी एक नौकर के साथ अपना मुँह काला करवा रही थी।
रजनी को ना तो सोनू की कोई परवाह थी और ना ही दीपा की उससे तो अपने साथ हुई ज्यादती का बदला लेना था।
चाहे वो कैसे भी हो…!
उधर दीपा का चेहरा सुर्ख लाल होकर दहक रहा था। इतनी सर्दी होने के बावजूद भी उसके चेहरे पर पसीना आ रहा था।
एक साइड बैठी रजनी दीपा की हालत को बखूबी समझ रही थी। सोनू का हाथ दीपा के कमर से थिरकता हुआ, उसके चूतड़ों पर आ गया।
दीपा के पूरे बदन में मस्ती के लहर दौड़ गई। उसकी आँखों की पलकें भारी होकर बंद होने लगीं।
जिसे देख कर रजनी के होंठों की मुस्कान बढ़ती जा रही थी।
दीपा का बदन थरथर काँप रहा था।
सोनू ने अपने हाथ फैला कर उसके चूतड़ को अपनी हथेली में भर कर ज़ोर से दबा दिया।
“उंह..”
दीपा के मुँह से मस्ती भरी ‘आह’ निकल गई।
भले ही दीपा ये सब कुछ करना नहीं चाहती थी, पर उससे समय हालत ही कुछ ऐसे हो गए थे कि वो कुछ कर नहीं पा रही थी।
वो यह भी जानती थी कि अगर यह बात उसके पिता चन्डीमल को पता चली, तो उसके पिता सोनू को रास्ते में ट्रेन से नीचे फेंक देंगे। जिसके चलते दीपा थोड़ा सहम गई थी और दूसरा कुछ माहौल भी गर्म हो चुका था।
सोनू ने अपने हाथ से धीरे-धीरे दीपा के चूतड़ों को मसलते हुए, अपने हाथ की उँगलियों को चूतड़ों के नीचे ले जाना शुरू कर दिया।
जैसे-जैसे सोनू के हाथों की ऊँगलियाँ दीपा के चूतड़ों और संदूक के बीच घुस रही थीं, दीपा के बदन में नाचते हुए भी मस्ती के लहरें उमड़ने लगतीं, पर दीपा का पूरा वजन संदूक पर था।
जिसके कारण सोनू अपने हाथ की उँगलियों को उसके चूतड़ों के नीचे नहीं लेजा पा रहा था। दूसरी तरफ बैठी सीमा ये मंज़र देख कर मुस्करा रही थी।
सीमा ने अपना पहला दाँव खेला, उसने दीपा को आवाज़ लगाई- दीपा वो पानी की सुराही देना..!
रजनी की आवाज़ सुन कर दीपा एकदम से हड़बड़ा गई। उसके चेहरे का रंग एकदम से उड़ गया।
‘जी…जी.. अभी देती हूँ..!
यह कह कर दीपा पानी की सुराही को उठाने के लिए जैसे ही झुकी, उसके चूतड़ों और संदूक के बीच में जगह बन गई, जिसका फायदा काम-अधीर हो चुके सोनू ने बखूबी उठाया और अपनी उँगलियों को दीपा के चूतड़ों के नीचे सरका दिया।
जैसे ही पानी की सुराही को उठा कर दीपा सीधी हुई, उसकी साँसें मानो अटक गईं।
उसके चूतड़ों के ठीक नीचे सोनू का हाथ था।
रजनी ने आगे बढ़ कर दीपा के हाथ से सुराही ली और जानबूझ कर दूसरी तरफ देखने लगी ताकि दीपा और सोनू को शक ना हो कि वो उन दोनों की रंगरेलियाँ देख रही है।
दूसरी तरफ चन्डीमल और सीमा अपने काम में मशरूफ थे। उन्हें तो जैसे दीन-दुनिया की कोई खबर ही नहीं थी, पर इधर दीपा का बुरा हाल था।
सोनू ने अपने हाथों की उँगलियों को दीपा के चूतड़ों की दरार में चलाना शुरू कर दिया।
दीपा एकदम मस्त हो चुकी थी। उसकी चूत की फाँकें कुलबुलाने लगीं। सोनू की ऊँगलियाँ दीपा के गाण्ड के छेद और चूत की फांकों से रगड़ खा रही थीं।
दीपा के आँखें मस्ती में बंद हो गईं और वो अपनी आवाज़ को दबाने के लिए कोशिश कर रही थी।
रजनी के होंठों पर जीत की ख़ुशी साफ़ झलक रही थी। उधर दीपा की चूत की फांकों में आग लगी हुई थी।