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दोपहर हो चुकी थी…….रजनी किचन मे गयी…..वहाँ बेला खाना तैयार कर चुकी थी….और एक तरफ नीचे बैठे हुए खोई हुई थी…..उसके दिमाग़ मैं अभी भी सोनू का विशाल मुन्सल सा लंड घूम रहा था….वो मंद-2 मुसकरा रही थी……..
“इसको क्या हो गया…अकेले बैठी मुस्करा रही है. लगता ज़रूर कोई बात है” रजनी ने बेला के तरफ देखते हुए मन ही मन कहा” और फिर जाकर बेला को कंधे से पकड़ कर हिलाया………
रजनी: कहाँ खोई हुई है ?
बेला: (जैसे नींद से जागी हो) जी जी दीदी वो वो कुछ नही……….
बेला खड़ी हुई, और रजनी की तरफ पीठ करके, बने हुए खाने को देखने लगी…..जैसे कोई चोर चोरी करके अपना मूह छुपाता है…….
.”बेला क्या बात है” रजनी ने कड़क आवाज़ मे कहा……
बेला: कुछ भी तो नही दीदी……………
रजनी: तुम जानती हो ना…तुम मुझसे कुछ भी छुपा नही सकती….सच सच बता क्या बात है….मैने तुम्हारा कभी बुरा चाहा है क्या…….उल्टा हर बार मेने तुम्हारी मदद ही की है…..
बेला: वो दीदी………….(बेला बोलते -2 शरमा कर चुप हो गयी….)
रजनी: बताती है कि नही…..या लगाऊं कान के नीचे एक…..
बेला: दरअसल बात ये है दीदी कि, वो आज मैं उस लड़के सोनू के साथ नदी पर गयी थी…..वहाँ पर जब वो नहा रहा था. तब उसकी धोती गीली होकर उसकी जाँघो से चिपक गयी…..और उसका वो ओ….मुझे शरम आती है दीदी……….
रजनी बेला की बात समझ गयी कि, बेला किन ख्यालों में खोई हुई थी……बेला की बात सुन कर रजनी के होंटो पर अजीब सी मुस्कान फेल गयी ……”अच्छा तो छीनाल तेरी चूत का दाना फुदुक रहा होगा तब से. तभी तो यूँ कोने मे टाँगों को सिकोड कर बैठी है”
बेला: छि दीदी कैसे बातें करते हैं…….
रजनी: अच्छा बन तो ऐसी रही है……..जैसे मैं तुम्हें जानती नही हूँ……..अच्छा बता क्या देखा तूने…छोरे के औजार मे जान आई हैं कि नही अभी तक……..या फिर अभी बच्चा है…..
“इसको क्या हो गया…अकेले बैठी मुस्करा रही है. लगता ज़रूर कोई बात है” रजनी ने बेला के तरफ देखते हुए मन ही मन कहा” और फिर जाकर बेला को कंधे से पकड़ कर हिलाया………
रजनी: कहाँ खोई हुई है ?
बेला: (जैसे नींद से जागी हो) जी जी दीदी वो वो कुछ नही……….
बेला खड़ी हुई, और रजनी की तरफ पीठ करके, बने हुए खाने को देखने लगी…..जैसे कोई चोर चोरी करके अपना मूह छुपाता है…….
.”बेला क्या बात है” रजनी ने कड़क आवाज़ मे कहा……
बेला: कुछ भी तो नही दीदी……………
रजनी: तुम जानती हो ना…तुम मुझसे कुछ भी छुपा नही सकती….सच सच बता क्या बात है….मैने तुम्हारा कभी बुरा चाहा है क्या…….उल्टा हर बार मेने तुम्हारी मदद ही की है…..
बेला: वो दीदी………….(बेला बोलते -2 शरमा कर चुप हो गयी….)
रजनी: बताती है कि नही…..या लगाऊं कान के नीचे एक…..
बेला: दरअसल बात ये है दीदी कि, वो आज मैं उस लड़के सोनू के साथ नदी पर गयी थी…..वहाँ पर जब वो नहा रहा था. तब उसकी धोती गीली होकर उसकी जाँघो से चिपक गयी…..और उसका वो ओ….मुझे शरम आती है दीदी……….
रजनी बेला की बात समझ गयी कि, बेला किन ख्यालों में खोई हुई थी……बेला की बात सुन कर रजनी के होंटो पर अजीब सी मुस्कान फेल गयी ……”अच्छा तो छीनाल तेरी चूत का दाना फुदुक रहा होगा तब से. तभी तो यूँ कोने मे टाँगों को सिकोड कर बैठी है”
बेला: छि दीदी कैसे बातें करते हैं…….
रजनी: अच्छा बन तो ऐसी रही है……..जैसे मैं तुम्हें जानती नही हूँ……..अच्छा बता क्या देखा तूने…छोरे के औजार मे जान आई हैं कि नही अभी तक……..या फिर अभी बच्चा है…..