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चस्का चुदाई का
Update - 1
बहन ने कॉन्डोम लेने भेजा
हॅलो दोस्तो, मेरा नाम राजेश, मैं पुने का रहने वाला 33 साल का शादी शुदा बंदा हु। ये करीब 15 साल पुरानीं एक सुखद घटना है मैं एक कॉलेज मैें पढता था। रोज़ का दिन निकल रहे थे। मेरे एक दोस्त के पास DVD प्लेअर था, उस समय CD का जमाना था, हम किसींको अगर कोई CD मिलती तो, हम दोस्त लोग मिल कर उसके यंहा कभी-कभी ब्लू फ़िल्म देखा करते थे। बहोत मज़ा आता था। हम सभी को चुदाई वाली गन्दी-गन्दी पोर्न फ़िल्मे देखने का चस्का-सा लग गया था।
ब्लू फ़िल्म देखने के बाद अपना लौड़ा हिलाके पानी निकाल ते थे। चोदना कैसे होता है ये तो मालूम था मगर कभी चोदने का मोका नहीं मिल रहा था। हमारे यंहा बुधवार पेठ हे वहा पर वेश्या व्यवसाय चलता है, मगर, बहोत सुना था उधर अगर छोटे उमर के लंडको को लूटा जाता है, में और मेरा दोस्त वह गली से बहोत बार गुजरे मगर, उधर अंदर जाकर कुछ करने का साहस नहीं हो पाया। वेसे ही हाथ से काम चलाकर दिन निकाल रहे थे। अपने लंड को समझा रहे थे बेटा तेरा भी एक दिन आयेगा, तेरे को ये हाथ से छुडाके अपने चुत में समाने वाली कोई तो मिलेगी। बोलते है ना भगवान के घर देर है मगर अंधेर नही, आख़िर वह दिन भी आ गया।
एक दिन में कॉलेज से घर शाम करिब 5 बजे आया । जुते निकालकर सिधे बाथरूम में गया, हाथ पेर धोये और कुछ खाने के लिये किचन मैं गया। तभी मेने देखा मेरी बडी बुआ की लंडकी रेखा बर्तन धो रही थी । मैं आप को रेखा के बारेमे बताऊ तो आप का लंड खडा हो जाये, भरे हुवे स्तन ऐसें उभरे दीखते है कि उसपे झपटने का किसीं का भी मन करे, गोल गांड, भगवान ने भी उसको क्या तराश के बनाया था, एकदम अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा जैसे दीखती थी वो। शादी शुदा थी, मगर कुछ घरेलू झगडे के वज़ह तीन महिने पहले वह अपने पति का घर छोडकर मेरे बुआ के घर आई थी, वापस जाने को हम सब लोगों ने बहुत समझाया पर वह नहीं मानी। तबसे वह अपने मायके रह रही थी। उसको एक बेटी है। वह उसको भी साथ लेकरं आई थी।
आज अचानक रेखा को देखकर में चोक गया। में उसके पास जाकर पुछा; अरे रेखा दीदी कब आई तुम। मेरे से पाच साल बडी होने के वज़ह से मैं उसको दीदी बुलाता था। रेखा दीदी बोली अरे राज कब आये तुम पता ही नहीं चला, में दोपहर को आई, ज़रा पूना मैं काम था तो आ गई, अभी दो दिन यही हु ।मेने पुछा पिंकी दिखाई नहीं दे रही, पिंकी उसकी बेटी का नाम है, उसने बोला अरे दो दिन के लिये आई हु इस लिये उसको साथ नहीं लाई. मेरा और रेखा दीदी का बहुत अच्छी जमती थी ।मे उसको देख कर खुश हो गया । हम लोग इधर उधर की बात कर के कब समय बीत गया पता ही नहीं चला। बातो ही बातो में मैने उसके पति की बात छेडी, इस बात से उसका पुरा मुड बिगड़ गया।
तभी मेरी माँ आगयी, माँ बोली जा थोडी पढाई कर, तबतक में और रेखा मिलकर खाना बना लेते है, और में किचन से चला गया। रात के 9 बजे हम सब लोग खाना खाने के लिये बैठे, खाना खाकर मैं Tv देखने हॉल में लगे बेड पर लेट गया। करिब एक घंटे बाद रेखा दीदी आई मेरे बाजू में बेठकर tv देखने लगी। Tv देखते-देखते कब मेरे को नींद आई पताही नहीं चला । में वही बेड पर सो गया। हमारा घर छोटा था, किच और हॉल, इसलीये हम सभी लोग हॉल में ही सोते है। मेरे को एक बहुत ही मस्त सेक्स का सपना आया , सपने में मैं और मेरी कॉलेज की लंडकी दीपा गार्डन में बैठे है और एक दुसरे को किस कर रहे है, में उसके भरे हुवे स्तन अपने हाथ से दबा रहा हु और दीपा मेरे पॅन्ट में हाथ डालकर मेरा लंड सहला रही है।
महत मजा आ रहा था , मैं उसकी सलवार खोलने ही वाला था कि तभी बिल्ली ने आवाज़ की और में नींद से जाग गया। तभी मेरे को अहसास हुवा की बेड पर मेरे बाजू में रेखा दीदी सोई हुई है। मेरे को लगा शायद tv देखते-देखते मेरे जैसे यही सो गयि। मेरे को कभी भी उसके बारे में ऐसें ग़लत खयाल नहीं आया था, मेने कभी भी उसके बारे मे ऐसें सोचा ही नहीं था, मगर सपने की वज़ह से मेरी वासना का भूत मेरे पर चढ चुका था। मेरा 6 इंच लंड तनके पॅन्ट में गोतें खा रहा था और मेरे बाजू में एकदम मस्त माल सोया हुवा था क्या करू कुछ समझ मे नहीं आ रहा था, तभी मेने सोचा थोडा साहस करते हे ।
मेने मेरा एक हाथ रेखा दीदी के बदन पर डाल दिया करीब पाच मिनिटं तक देखा उसकी कोई रिअकॅशन नहि हुआ , तब मेने थोडा और साहस करके हाथ उसके उभरे हुवे बुब के उपर रखा तब भी कोई प्रतिक्रिया उसके तरफ़ से नहि हुई । में धिरे-धिरे उसके बुब दबाने लगा। थोडी देर दबाने के बाद मेरे को अहसास हुवा की रेखा दीदी गहरी निंद मैं है। मेने थोडा और साहस करते हुवे उसके कुर्ते के अंदर हाथ डालकर बुब दबाने लगा। उसने एक ढिला सलवार कुर्ता पहाना हुवा था। ये मेरा पहला अनुभव था इसलिए मुझे बहुत मज़ा आ रहा था में तो जैसे जन्नत में था यह सब करते हुवे मेरा लंड बहुत ही उत्तेजना से फडफडा रहा था।
रेखा दीदी से कोई प्रतिक्रिया नहीं आ रही थी, करिब 15 मिनिट मैने उसके चुचे आराम-आराम से दबाये। मेरे में और ज्यादा साहस आया तभी मैने सोचा सीधे मुद्दे पर आते है। मैने धिरे-धिरे रेखा दीदी का सलवार का नाडा ढुडनेके लिये अपना हाथ नीचे सरकाया, उसने नाडा सलवार के अंदर घुसाया हुवा था, धीरे से मैने उसे बाहर निकाला और नाडा खोलनेकीं लकीर खिची मगर मेरी बदकिस्मती से नाड़े को गाठ लग गयी, करिब पाच मिनिटं की कोशीश के बाद वह गाठ खुली। मेरे को समज नहीं आ रहा था कि रेखा दीदी सच में सोइ हुवी है या नाटक कर रही है। मेने सोचा जाने दो देखेगे जो होगा वह देखा जयेगा, क्यो की मेरे उपर सेक्स का भूत सवार हो गया था।
मेने सलवार धिरे-धिरे नीचे खोलनेकीं कोशीश की सलवार के साथ उसकी निकर भी उसके जांघो तक आ गयी। तब में उठा और बाजू में देखा सब लोग सो रहे थे, थोडी धीमी रोशनी के कारन मेरे को उसकी चुत दिखी, चुतपर बहोत बाल थे इसलीये गोरी जांघो में मेरे को काले बाल का जंगल दिखाई दे रहा था। अब मेने जादा देर न करते हुवे मेरा तना हुवा लंड पॅन्ट की चेन खोल कर बाहर निकाला और ज्यादा वज़न न डालते हुवे में रेखा दीदी के उपर आया। एक हाथ से लंड पकडकर चुत का रास्ता ढुडने लगा, तभी मेरे को उसकी चुत गिली हुई है यह अहसास हुवा, लंड चुत के उपर घुमाके उसका द्वार मिल गया वेसेही मेने एक झटका दिया पुरा लंड चुत में घुस गया, वाह दोस्तो क्या अहसास था मेरे पहले चुदाई का मानो सारी दुनिया की ख़ुशी मेरे लंड में समा गई है।
मेने देखा नीचे से कोई हलचल नहीं हो रही, तभी मेने और दो तीन बार लंड अंदर बाहर किया लेकिन इतने देर से चल रही क्रीडा के वज़ह से मैं उत्तेजना के परम चरन पर पोहच गया और मेने और एक झटके में मेरा सारा माल उसके चुत में छोडकर उसके उपर गिर गया। तभी रेखा दीदी जेसे नींद से उठी और एकदम धीमी आवाज़ से मेर कान में बोली अरे ये क्या किया तुने ।
मेरी डर के मारे फट गई. में जल्दी से बाजू सरक कर मेरे जगह पर जाकर सो गया। वह अपनी सोयी अवस्था में सलवार उपर खिच कर बाँधी और उठकर बाथरूम चली गयी। में बहोत डर गया, मेरे को लगा अब ये माँ को बता देगी। लेकिन हुआ कुछ नहीं और ही वह वापस आकर मेरे बाजुंमे सो गई.
मेरी हालत खराब थी सुबह के करिब 6 बज रहे होंगे। मअब क्या होगा कुछ समझ नहीं आ रहा था मेने वैसे ही सोने का नाटक किया । करिब साडे छह बजे मेरी माँ उठी और उसने रेखा दीदी को भी उठाया और दोनों किचन में चली गयी करिब सात बजे मैं उठा और सीधे बाथरूम जाकर फ्रेश होगया और बाहर घूम कर आता हु माँ को कहकर निकल गया।
हमारे घर के बाजू मैं एक बगीचा है मैं वहा जाकर बैठ गया, मेरे कुछ दोस्त वहा पर कसरत कर रहे थे, एक दोस्त ने मुझे भी साथ में कसरत करने को कहा, पर मेरा ध्यान कही और था। डर के मारे मेरी हालत खराब होकर पसीना छूट रहा था। मेरे एक दोस्त ने मेरे को देखकर बोला अरे राज कसरत हम कर रहे है और पसीना तेरे को छुटा क्या बात है।
मै चूप चाप बेठा रहा कुछ बोला नहीं मेरे दिमाग़ मैं बहोत सारे सवाल उठने लगे थे, की अगर रेखा दीदी ने माँ को बताया तो क्या होगा। हमारे घरके सब लोग करीब 9 बजे बाहर काम पर निकल जाते थे, इस लिये में साडे नो बजे घर गया । घर पे कोई नजर नहीं आ रहा था मेरी हिम्मत ही नहीं हो रही थी रेखा दीदी के सामने जानेकीं, तभी रेखा दीदी किचन से बाहर आई और मेरे हाथ में चाय दे दी।
मेने उसकी तरफ़ अपराधी की तरह देखा और फटाक से सॉरी बोल दिया। उसने कुछ कहने से पहले में उसके पेर पर गिरकर माँ को मत बताना बोलने लगा। तभी उसने मेरे को उठाकर कहा एक शर्त पर, तब मैं बोला ' तेरी सारी शर्ते मान्य, वह बोली अरे सून तो ले; तुने जो कुछ मेरे साथ किया वही अभी में जैसे बोलुगी वैसे करना पडेगा, में चोक गया, मानो सारी दुनिया की ख़ुशी खुद्द ब खुद्द मेरी झोली मैं आ गिरी हो।
मैने उसे कस के पकडा और उसके पूरे चेहरेको चुंमने लगा। तभी उसने मुझे धकेला और कहा, शर्त के मुताबीक में जैसे कहूगी वेसा होगा। मैं बोला जी दीदी आप जैसे बोलोगी वैसे ही करूंगा , तभी वह बोली तू जब रात को मेरे बुब पर हाथ रखा तभी मैने सोचा की देखते है ये आगे बढता है या नहीं।
मैने उसकी बात काटते हुवे कहा तब तुम जागी हुई थी, वह हस् कर बोली पागल किसी भी औरत का स्तन बहोत सेंसिटिव होता है, तुने उपर-उपर हाथ रखा तभी मैं जाग गयी थी, तेरे को बराबर सेक्स करने को नहीं आता, आज में तेरे को सिखाती हु कैसे करते है, अभी एक काम कर मेरे को नहाने जाणा है तो तू मेडिकल जा और एक इरेजर और कंडोम लेके आ। कंडोम तो समझ आता है, मगर इरेजर क्यो चाहीये मैंने मेरी बहन से पुछा, तभी वह मेरे गाल पर एक हलकी किस करके बोली; अरे मेरे राजा तू लेके तो आ बाद में सब समझ जायेगा।
मे मन मैं सोचा जाने दो अपने को क्या एक तो मस्त चुत का जुगाड़ हुवा है उसको खोना नहीं चाहता था। मेने तुरंत अपनी सायकल निकाली और चला रेखा दीदी ने बोली चीजे लेने, मगर उसी समय मेरे को याद आया साला अपने पास पैसे किधर है। मैं वापीस घर आया, मेरे को देखते ही रेखा दीदी बोली अरे इतने जलदी आ गया , चल अब अपने काम पर लगते है, तब मैं उसके सामने मुरझाया हुआ मुँह लेकरं बोला, दीदी में वो चिजें नहीं लाया।
तभी मेरी बहन बोली देख राज तू अगर सोचता है कि बिना कंडोम के चोदेगा तो वह नहीं चलेगा क्यो की तेरा वीर्य मेरी फुद्दी में जाते ही मैं पेट से हो सखती हु, तभी मैं दीदी से बोला अरे दीदी वेसी बात नहीं, उसने बोला फिर क्या बात है, दरअसल दीदी ये सब लेने को मेरे पास पैसे नहीं है, तभी दीदी मुस्कुराके बोली बस इतनी-सी बात, रुक मैं आई, उसने अपने बॅग से पर्स निकाली और मेरे को सौ की पत्ती निकाल कर दे दि और बोली ये ले पैसे और ले आ और जाते समय आवाज़ दे के बोली ये उधार रहा तुझं पर मेरा...
मैं बोला ठीक है दीदी अभी में कॉन्डोम लेने जा रहा हूँ बाद में दे दुगा... तभी मेरी बहन मुझे कातिल नजरो से देखकर बोली मेरे प्यारे भाई तुमसे ये पैसे कैसे वसुलने है मुझे अच्छी तरह से पता है... में वापीस सायकल ली और कॉन्डोम खरीदने चल दिया अपनी मंज़िल की और......।
तो आगे क्या हुवा ये जानने के लिये आगे की कहानी का वेट करे।
Note-अन्य साइट से ली गयी कहानी
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