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Incest चाची - भतीजे के गुलछर्रे

Rajizexy

Punjabi Doc, Raji, ❤️ & let ❤️
Supreme
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थोडी ही देर में उसका लंड फ़िर खडा हो गया और उसने मुन्नी की दूसरी बार चुदाई शुरू कर दी. चिपचिपे वीर्य से मुन्नी की बुर अब एकदम चिकनी हो गयी थी इसलिये अब उसे ज्यादा तकलीफ़ नहीं हुई. ’पुचुक पुचुक पुचुक’ की आवाज के साथ यह चुदाई करीब आधा घंटा चली. मुन्नी बहुत देर तक चुपचाप यह चुदाई सहन करती रही पर आखिर चुद चुद कर बिल्कुल लस्त होकर वह दर्द से सिसकने लगी. आखिर विवेक ने जोर जोर से धक्के लगाने शुरू किये और पाँच मिनट में झड गया.

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झडने के बाद कुछ देर तो विवेक मजा लेता हुआ अपनी कमसिन बहन के निस्तेज शरीर पर पडा रहा. फिर उठ कर उसने अपना लंड बाहर निकला. वह ’पुक्क’ की आवाज से बाहर निकला. लंड पर वीर्य और बुर के रस का मिला जुला मिश्रण लगा था. थकान के मारे मुन्नी गहरी नींद में पडी थी. विवेक उसे पलंग पर छोड कर बाहर आया और दरवाजा लगा लिया. मेनका वापस आ गयी थी और बाहर बडी अधीरता से उसका इंतज़ार कर रही थी. पति की तृप्त आँखें देखकर वह समझ गयी कि चुदाई मस्त हुई है. "चोद आये मेरी गुड़िया जैसी प्यारी ननद को ?"

विवेक तॄप्त होकर उसे चूमता हुआ बोला. "हाँ मेरी जान, चोद चोद कर बेहोश कर दिया साली को, बहुत फुदक रही थी, दर्द का नाटक खूब किया पर मैंने नहीं सुना. क्या मजा आया उस नन्ही चूत को चोदकर." मेनका वासना के जोश में घुटने के बल विवेक के सामने बैठ गयी और उसका रस भरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी. लंड पर मुन्नी की बुर का पानी और विवेक के वीर्य का मिला-जुला मिश्रण लगा था. पूरा साफ़ करके ही वह उठी.

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विवेक कपडे पहन कर ऑफिस जाने को तैयार हुआ. उसने अपनी कामुक बीवी से पुछा कि अब वह क्या करेगी? मेनका बोली "इस बच्ची की रसीली बुर पहले चुसूँगी जिसमें तुम्हारा यह मस्त रस भरा हुआ है. फिर उससे अपनी चूत चुसवाऊँगी. हम लड़कियों के पास मजा करने के लिये बहुत से प्यारे प्यारे अंग हैं. आज ही सब सिखा दूँगी उसे"

विवेक ने पूछा. "आज रात का क्या प्रोग्राम है रानी?" मेनका उसे कसकर चूमते हुए बोली. " जल्दी आना, आज एक ही प्रोग्राम है. तुम्हारी बहन की रात भर गांड मारने का. खूब सता सता कर, रुला रुला कर गांड मारेंगे साली की, जितना वह रोयेगी उतना मजा आयेगा. मै कब से इस घडी की प्रतीक्षा कर रही हूँ"

विवेक मुस्कुराकर बोला "बडी दुष्ट हो. लडकी को तडपा तडपा कर भोगना चाहती हो." मेनका बोली. "तो क्या हुआ, शिकार करने का मजा अलग ही है. बाद में उतना ही प्यार करूंगी अपनी लाडली ननद को. ऐसा यौन सुख दूँगी कि वह मेरी दासी हो जायेगी. हफ़्ते भर में चुद चुद कर फ़ुकला हो जायेगी तुम्हारी बहन, फ़िर दर्द भी नहीं होगा और खुद ही चुदैल हमसे चोदने की मांग करेगी. पर आज तो उसकी कुंवारी गांड मारने का मजा ले लें." विवेक हंस कर चला गया और मेनका ने बडी बेताबी से कमरे में घुस कर दरवाजा लगा लिया.

मुन्नी नींद से जाग गई थी और पलंग पर लेट कर थोड़े दर्द से सिसक रही थी. चुदासी की प्यास खत्म होने पर अब उसकी चुदी और भोगी हुई बुर में दर्द हो रहा था. मेनका उसके पास बैठ कर उसके नंगे बदन को प्यार से सहलाने लगी. "क्या हुआ मेरी मुन्नी रानी को? नंगी क्यों पडी है और यह तेरी टांगों के बीच से चिपचिपा क्या बह रहा है?" बेचारी मुन्नी शर्म से बोली. "भाभी, भैया ने आज मुझे चोद डाला."

मेनका आश्चर्य का नाटक करते हुए बोली. "चोद डाला, अपनी ही नन्ही बहन को? कैसे?" मुन्नी सिसकती हुई बोली. "मैं गंदी किताब देखती हुई पकडी गई तो मुझे सजा देने के लिये भैया ने मेरे कपडे जबर्दस्ती निकाल दिये, मेरी चूत चूसी और फ़िर खूब चोदा. मेरी बुर फाड कर रख दी. गांड भी मारना चाहते थे पर मैंने जब खूब मिन्नत की तो छोड दिया" मेनका ने पलंग पर चढ़ कर उसे पहले प्यार से चूमा और बोली. "ऐसा? देखूँ जरा" मुन्नी ने अपनी नाजुक टांगें फैला दी. मेनका झुक कर चूत को पास से देखने लगी.

कच्ची कमसिन बुरी तरह चुदी हुई लाल लाल कुंवारी बुर देख कर उसके मुह में पानी भर आया और उसकी खुद की चूत मचल कर गीली होने लगी. वह बोली "मुन्नी, डर मत, चूत फ़टी नहीं है, बस थोडी खुल गई है. दर्द हो रहा होगा, अगन भी हो रही होगी. फूँक मार कर अभी ठंडी कर देती हूँ तेरी चूत." बिल्कुल पास में मुंह ले जा कर वह फूँकने लगी. मुन्नी को थोडी राहत मिली और वह शांत हो गई.

फूँकते फूँकते मेनका ने झुक कर उस प्यारी चूत को चूम लिया. फ़िर जीभ से उसे दो तीन बार चाटा, खासकर लाल लाल अनार जैसे दाने पर जीभ फ़ेरी. मुन्नी चहक उठी. "भाभी, क्या कर रही हो?" "रहा नहीं गया रानी, इतनी प्यारी जवान बुर देखकर, ऐसे माल को कौन नहीं चूमना और चूसना चाहेगा? क्यों, तुझे अच्छा नहीं लगा?" मेनका ने उस की चिकनी छरहरी रानों को सहलाते हुए कहा.

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"बहुत अच्छा लगा भाभी, और करो ना." मुन्नी ने मचल कर कहा. मेनका चूत चूसने के लिये झुकती हुई बोली. "असल में तुम्हारे भैया का कोई कुसूर नहीं है. तुम हो ही इतनी प्यारी कि औरत होकर मुझे भी तुम पर चढ जाने का मन होता है तो तेरे भैया तो आखिर मस्त जवान हैं." अब तक मुन्नी फिरसे गरम हो चुकी थी और अपने चूतड उचका उचका कर अपनी बुर मेनका के मुंह पर रगडने की कोशिश कर रही थी.

मुन्नी की अधीरता देखकर मेनका बिना किसी हिचकिचाहट से उस कोमल बुर पर टूट पडी और उसे बेतहाशा चाटने लगी. चाटते चाटते वह उस मादक स्वाद से इतनी उत्तेजित हो गयी कि अपने दोनो हाथों से मुन्नी की चुदी चूत के सूजे पपोटे फ़ैला कर उस गुलाबी छेद में जीभ अन्दर डालकर आगे पीछे करने लगी. अपनी भाभी की लंबी गीली मुलायम जीभ से चुदना मुन्नी को इतना भाया कि वह तुरंत एक किलकारी मारकर झड गयी.

बात यह थी कि मुन्नी को भी अपनी सुंदर भाभी बहुत अच्छी लगती थी. माया मौसी के साथ वह यह आनंद पहले ले ही चुकी थी. उसकी एक सहेली भी अपनी चाची के साथ काफ़ी करम करती थी. रात को जब वह छुपकर अपने भैया भाभी को चोदते हुए देखती थी तभी वह अपनी भाभी के नंगे सुंदर जिस्म को देखकर उनके प्रति आकर्षित हो गई थी और कब से यह चाहती थी कि भाभी उसे बाहों में लेकर प्यार करे.

अब जब कल्पनानुसार उसकी प्यारी भाभी अपने मोहक लाल होंठों से सीधे उसकी चूत चूस रही थी तो मुन्नी जैसे स्वर्ग में पहुँच गयी. उसकी चूत का रस मेनका की जीभ पर चूने लगा और मेनका मस्ती से उसे निगलने लगी. बुर के रस और विवेक के वीर्य का मिलाजुला स्वाद मेनका को अमृत जैसा लगा और वह उसे स्वाद ले लेकर पीने लगी.

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अब मेनका भी बहुत कामातुर हो चुकी थी और अपनी जांघें रगड रगड कर स्खलित होने की कोशिश कर रही थी. मुन्नी ने हाथों में मेनका भाभी के सिर को पकड कर अपनी बुर पर दबा लिया और उसके घने लंबे केशों में प्यार से अपनी उँगलियाँ चलाते हुए कहा. "भाभी, तुम भी नंगी हो जाओ ना, मुझे भी तुम्हारी चूचियाँ और चूत देखनी है." मेनका उठ कर खडी हो गयी और अपने कपडे उतारने लगी. उसकी किशोरी ननद अपनी ही बुर को रगडते हुए बडी बडी आँखों से अपनी भाभी की ओर देखने लगी. उसकी खूबसूरत भाभी उसके सामने नंगी होने जा रही थी.

मेनका ने साडी उतार फ़ेकी और नाडा खोल कर पेटीकोट भी उतार दिया. ब्लाउज के बटन खोल कर हाथ ऊपर कर के जब उसने ब्लाउज उतारा तो उसकी स्ट्रैप्लेस ब्रा में कसे हुए उभरे स्तन देखकर मुन्नी की चूत में एक बिजली सी दौड गयी. भाभी कई बार उसके सामने कपडे बदलती थी और रात में उनकी चुदाई के दौरान भी उनके खुले स्तन मुन्नी ने देखे थे पर इतने पास से उसके मचलते हुए मम्मों की गोलाई उसने पहली बार देखी थी. और यह मादक ब्रेसियर भी उसने पहले कभी नहीं देखी थी.

अब मेनका के गदराये बदन पर सिर्फ़ सफ़ेद जाँघियाँ और वह टाइट सफ़ेद ब्रा बची थी. "भाभी यह कंचुकी जैसी ब्रा तू कहाँ से लाई? तू तो साक्षात अप्सरा दिखती है इसमें." मेनका ने मुस्कुरा कर कहा "एक फ़ैशन मेगेज़ीन में देखकर बनवाई है, तेरे भैया यह देखकर इतने मस्त हो जाते हैं कि रात भर मुझे चोद लेते हैं."

"भाभी रुको, इन्हें मैं निकालूँगी." कहकर मुन्नी मेनका के पीछे आकर खडी हो गयी और उसकी मांसल पीठ प्यार से चूमने लगी. फिर उसने ब्रा के हुक खोल दिये और ब्रा उछल कर उन मोटे मोटे स्तनों से अलग होकर गिर पडी. उन मस्त पपीते जैसे उरोजों को देखकर मुन्नी अधीर होकर उन्हें चूमने लगी. "भाभी, कितनी मस्त चूचियाँ हैं तुम्हारी. तभी भैया तुम्हारी तरफ़ ऐसे भूखों की तरह देखते हैं." मेनका के चूचुक भी मस्त होकर मोटे मोटे काले कडक जामुन जैसे खडे हो गये थे. उसने मुन्नी के मुंह मे एक निप्पल दे दिया और उस उत्तेजित किशोरी को भींच कर सीने से लगा लिया. मुन्नी आँखें बन्द कर के बच्चे की तरह चूची चूसने लगी.

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मेनका के मुंह से वासना की सिसकारियाँ निकलने लगीं और वह अपनी ननद को बाहों में भर कर पलंग पर लेट गयी. "हाय मेरी प्यारी बच्ची, चूस ले मेरे निप्पल, पी जा मेरी चूची, तुझे तो मैं अब अपनी चूत का पानी भी पिलाऊँगी."

मुन्नी ने मन भर कर भाभी की चूचियाँ चूसीं और बीच में ही मुंह से निकाल कर बोली. "भाभी अब जल्दी से माँ बन जाओ, जब इनमें दूध आएगा तो मैं ही पिया करूंगी, अपने बच्चे के लिये और कोई इन्तजाम कर लेना." और फ़िर मन लगा कर उन मुलायम स्तनों का पान करने लगी. "जरूर पिलाऊँगी मेरी रानी, तेरे भैया भी यही कहते हैं. एक चूची से तू पीना और एक से तेरे भैया." मेनका मुन्नी के मुंह को अपने स्तन पर दबाते हुए बोली.

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Ajju Landwalia

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मुन्नी नींद से जाग गई थी और पलंग पर लेट कर थोड़े दर्द से सिसक रही थी. चुदासी की प्यास खत्म होने पर अब उसकी चुदी और भोगी हुई बुर में दर्द हो रहा था. मेनका उसके पास बैठ कर उसके नंगे बदन को प्यार से सहलाने लगी. "क्या हुआ मेरी मुन्नी रानी को? नंगी क्यों पडी है और यह तेरी टांगों के बीच से चिपचिपा क्या बह रहा है?" बेचारी मुन्नी शर्म से बोली. "भाभी, भैया ने आज मुझे चोद डाला."

मेनका आश्चर्य का नाटक करते हुए बोली. "चोद डाला, अपनी ही नन्ही बहन को? कैसे?" मुन्नी सिसकती हुई बोली. "मैं गंदी किताब देखती हुई पकडी गई तो मुझे सजा देने के लिये भैया ने मेरे कपडे जबर्दस्ती निकाल दिये, मेरी चूत चूसी और फ़िर खूब चोदा. मेरी बुर फाड कर रख दी. गांड भी मारना चाहते थे पर मैंने जब खूब मिन्नत की तो छोड दिया" मेनका ने पलंग पर चढ़ कर उसे पहले प्यार से चूमा और बोली. "ऐसा? देखूँ जरा" मुन्नी ने अपनी नाजुक टांगें फैला दी. मेनका झुक कर चूत को पास से देखने लगी.

कच्ची कमसिन बुरी तरह चुदी हुई लाल लाल कुंवारी बुर देख कर उसके मुह में पानी भर आया और उसकी खुद की चूत मचल कर गीली होने लगी. वह बोली "मुन्नी, डर मत, चूत फ़टी नहीं है, बस थोडी खुल गई है. दर्द हो रहा होगा, अगन भी हो रही होगी. फूँक मार कर अभी ठंडी कर देती हूँ तेरी चूत." बिल्कुल पास में मुंह ले जा कर वह फूँकने लगी. मुन्नी को थोडी राहत मिली और वह शांत हो गई.

फूँकते फूँकते मेनका ने झुक कर उस प्यारी चूत को चूम लिया. फ़िर जीभ से उसे दो तीन बार चाटा, खासकर लाल लाल अनार जैसे दाने पर जीभ फ़ेरी. मुन्नी चहक उठी. "भाभी, क्या कर रही हो?" "रहा नहीं गया रानी, इतनी प्यारी जवान बुर देखकर, ऐसे माल को कौन नहीं चूमना और चूसना चाहेगा? क्यों, तुझे अच्छा नहीं लगा?" मेनका ने उस की चिकनी छरहरी रानों को सहलाते हुए कहा.

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"बहुत अच्छा लगा भाभी, और करो ना." मुन्नी ने मचल कर कहा. मेनका चूत चूसने के लिये झुकती हुई बोली. "असल में तुम्हारे भैया का कोई कुसूर नहीं है. तुम हो ही इतनी प्यारी कि औरत होकर मुझे भी तुम पर चढ जाने का मन होता है तो तेरे भैया तो आखिर मस्त जवान हैं." अब तक मुन्नी फिरसे गरम हो चुकी थी और अपने चूतड उचका उचका कर अपनी बुर मेनका के मुंह पर रगडने की कोशिश कर रही थी.

मुन्नी की अधीरता देखकर मेनका बिना किसी हिचकिचाहट से उस कोमल बुर पर टूट पडी और उसे बेतहाशा चाटने लगी. चाटते चाटते वह उस मादक स्वाद से इतनी उत्तेजित हो गयी कि अपने दोनो हाथों से मुन्नी की चुदी चूत के सूजे पपोटे फ़ैला कर उस गुलाबी छेद में जीभ अन्दर डालकर आगे पीछे करने लगी. अपनी भाभी की लंबी गीली मुलायम जीभ से चुदना मुन्नी को इतना भाया कि वह तुरंत एक किलकारी मारकर झड गयी.

बात यह थी कि मुन्नी को भी अपनी सुंदर भाभी बहुत अच्छी लगती थी. माया मौसी के साथ वह यह आनंद पहले ले ही चुकी थी. उसकी एक सहेली भी अपनी चाची के साथ काफ़ी करम करती थी. रात को जब वह छुपकर अपने भैया भाभी को चोदते हुए देखती थी तभी वह अपनी भाभी के नंगे सुंदर जिस्म को देखकर उनके प्रति आकर्षित हो गई थी और कब से यह चाहती थी कि भाभी उसे बाहों में लेकर प्यार करे.

अब जब कल्पनानुसार उसकी प्यारी भाभी अपने मोहक लाल होंठों से सीधे उसकी चूत चूस रही थी तो मुन्नी जैसे स्वर्ग में पहुँच गयी. उसकी चूत का रस मेनका की जीभ पर चूने लगा और मेनका मस्ती से उसे निगलने लगी. बुर के रस और विवेक के वीर्य का मिलाजुला स्वाद मेनका को अमृत जैसा लगा और वह उसे स्वाद ले लेकर पीने लगी.

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अब मेनका भी बहुत कामातुर हो चुकी थी और अपनी जांघें रगड रगड कर स्खलित होने की कोशिश कर रही थी. मुन्नी ने हाथों में मेनका भाभी के सिर को पकड कर अपनी बुर पर दबा लिया और उसके घने लंबे केशों में प्यार से अपनी उँगलियाँ चलाते हुए कहा. "भाभी, तुम भी नंगी हो जाओ ना, मुझे भी तुम्हारी चूचियाँ और चूत देखनी है." मेनका उठ कर खडी हो गयी और अपने कपडे उतारने लगी. उसकी किशोरी ननद अपनी ही बुर को रगडते हुए बडी बडी आँखों से अपनी भाभी की ओर देखने लगी. उसकी खूबसूरत भाभी उसके सामने नंगी होने जा रही थी.

मेनका ने साडी उतार फ़ेकी और नाडा खोल कर पेटीकोट भी उतार दिया. ब्लाउज के बटन खोल कर हाथ ऊपर कर के जब उसने ब्लाउज उतारा तो उसकी स्ट्रैप्लेस ब्रा में कसे हुए उभरे स्तन देखकर मुन्नी की चूत में एक बिजली सी दौड गयी. भाभी कई बार उसके सामने कपडे बदलती थी और रात में उनकी चुदाई के दौरान भी उनके खुले स्तन मुन्नी ने देखे थे पर इतने पास से उसके मचलते हुए मम्मों की गोलाई उसने पहली बार देखी थी. और यह मादक ब्रेसियर भी उसने पहले कभी नहीं देखी थी.

अब मेनका के गदराये बदन पर सिर्फ़ सफ़ेद जाँघियाँ और वह टाइट सफ़ेद ब्रा बची थी. "भाभी यह कंचुकी जैसी ब्रा तू कहाँ से लाई? तू तो साक्षात अप्सरा दिखती है इसमें." मेनका ने मुस्कुरा कर कहा "एक फ़ैशन मेगेज़ीन में देखकर बनवाई है, तेरे भैया यह देखकर इतने मस्त हो जाते हैं कि रात भर मुझे चोद लेते हैं."

"भाभी रुको, इन्हें मैं निकालूँगी." कहकर मुन्नी मेनका के पीछे आकर खडी हो गयी और उसकी मांसल पीठ प्यार से चूमने लगी. फिर उसने ब्रा के हुक खोल दिये और ब्रा उछल कर उन मोटे मोटे स्तनों से अलग होकर गिर पडी. उन मस्त पपीते जैसे उरोजों को देखकर मुन्नी अधीर होकर उन्हें चूमने लगी. "भाभी, कितनी मस्त चूचियाँ हैं तुम्हारी. तभी भैया तुम्हारी तरफ़ ऐसे भूखों की तरह देखते हैं." मेनका के चूचुक भी मस्त होकर मोटे मोटे काले कडक जामुन जैसे खडे हो गये थे. उसने मुन्नी के मुंह मे एक निप्पल दे दिया और उस उत्तेजित किशोरी को भींच कर सीने से लगा लिया. मुन्नी आँखें बन्द कर के बच्चे की तरह चूची चूसने लगी.

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मेनका के मुंह से वासना की सिसकारियाँ निकलने लगीं और वह अपनी ननद को बाहों में भर कर पलंग पर लेट गयी. "हाय मेरी प्यारी बच्ची, चूस ले मेरे निप्पल, पी जा मेरी चूची, तुझे तो मैं अब अपनी चूत का पानी भी पिलाऊँगी."

मुन्नी ने मन भर कर भाभी की चूचियाँ चूसीं और बीच में ही मुंह से निकाल कर बोली. "भाभी अब जल्दी से माँ बन जाओ, जब इनमें दूध आएगा तो मैं ही पिया करूंगी, अपने बच्चे के लिये और कोई इन्तजाम कर लेना." और फ़िर मन लगा कर उन मुलायम स्तनों का पान करने लगी. "जरूर पिलाऊँगी मेरी रानी, तेरे भैया भी यही कहते हैं. एक चूची से तू पीना और एक से तेरे भैया." मेनका मुन्नी के मुंह को अपने स्तन पर दबाते हुए बोली.

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Bahut hi uttejak update he vakharia Bhai,


Menka aur Munni ka lesbian scene bada hi shandar likha he aapne...............

Keep posting Bro
 

vakharia

Supreme
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Bahut hi uttejak update he vakharia Bhai,


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मुन्नी ने मन भर कर भाभी की चूचियाँ चूसीं और बीच में ही मुंह से निकाल कर बोली. "भाभी अब जल्दी से माँ बन जाओ, जब इनमें दूध आएगा तो मैं ही पिया करूंगी, अपने बच्चे के लिये और कोई इन्तजाम कर लेना." और फ़िर मन लगा कर उन मुलायम स्तनों का पान करने लगी. "जरूर पिलाऊँगी मेरी रानी, तेरे भैया भी यही कहते हैं. एक चूची से तू पीना और एक से तेरे भैया." मेनका मुन्नी के मुंह को अपने स्तन पर दबाते हुए बोली.

अपने निप्पल में उठती मीठी चुभन से मेनका निहाल हो गई थी. अपनी पेन्टी उसने उतार फ़ेकी और फ़िर दोनों जांघों में मुन्नी के शरीर को जकडकर उसे हचकते हुए मेनका अपनी बुर उस की कोमल जांघों पर रगडने लगी. मेनका के कडे मदनमणि को अपनी जांघ पर रगडता महसूस करके मुन्नी अधीर हो उठी. "भाभी, मुझे अपनी चूत चूसने दो ना प्लीज़"

"तो चल आजा मेरी प्यारी बहन, जी भर के चूस अपनी भाभी की बुर, पी जा उसका नमकीन पानी" कहकर मेनका अपनी मांसल जांघें फैला कर पलंग पर लेट गयी. एक तकिया उसने अपने नितंबों के नीचे रख लिया जिससे उसकी बुर ऊपर उठ कर साफ़ दिखने लगी.


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वासना से तडपती वह कमसिन लडकी अपनी भाभी की टांगों के बीच लेट गयी. मेनका की रसीली बुर ठीक उसकी आँखों के सामने थी. घनी काली झांटों के बीच की गहरी लकीर में से लाल लाल बुर का छेद दिख रहा था. "हाय भाभी, कितनी घनी और रेशम जैसी झांटें हैं तुम्हारी, काटती नहीं कभी?" उसने बालों में उँगलियाँ डालते हुए पूछा.

"नहीं री, तेरे भैया मना करते हैं, उन्हें घनी झांटें बहुत अच्छी लगती हैं." मेनका मुस्कुराती हुई बोली. "हाँ भाभी, बहुत प्यारी हैं, मत काटा करो, मेरी भी बढ जाएं तो मैं भी नहीं काटूँगी." मुन्नी बोली. उससे अब और न रहा गया. अपने सामने लेटी जवान भरी पूरी औरत की गीली रिसती बुर में उसने मुंह छुपा लिया और चाटने लगी. मेनका वासना से कराह उठी और मुन्नी का मुंह अपनी झांटों पर दबा कर रगडने लगी. वह इतनी गरम हो गयी थी कि तुरंत झड गयी.

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"हाय मर गयी रे मुन्नी बिटिया, तेरे प्यारे मुंह को चोदूँ, साली क्या चूसती है तू, इतनी सी बच्ची है फ़िर भी पुरानी रंडी जैसी चूसती है. पैदाइशी चुदैल है तू, ऐसा लगा ही नहीं की तू पहली बार कर रही है... कहीं तूने पहले किसी ओर की... "

“नहीं भाभी... मुझे भला ऐसा मौका कहाँ मिलेगा!!” मुन्नी ने घबराते हुए कहा

दो मिनट तक वह सिर्फ़ हाँफते हुए झडने का मजा लेती रही. फ़िर मुस्कुराकर उसने मुन्नी को बुर चूसने का सही अंदाज सिखाना शुरू किया. उसे सिखाया कि पपोटे कैसे अलग किये जाते हैं, जीभ का प्रयोग कैसे एक चम्मच की तरह रस पीने को किया जाता है और बुर को मस्त करके उसमे से और अमृत निकलने के लिये कैसे क्लिटोरिस को जीभ से रगडा जाता है.

थोडी ही देर में मुन्नी को चूत का सही ढंग से पान करना आ गया और वह इतनी मस्त चूत चूसने लगी जैसे बरसों का ज्ञान हो. मेनका पडी रही और सिसक सिसक कर बुर चुसवाने का पूरा मजा लेती रही. "चूस मेरी प्यारी बहना, और चूस अपनी भाभी की बुर, जीभ से चोद मुझे, आ ऽ ह ऽ , ऐसे ही रानी बिटिया ऽ , शा ऽ बा ऽ श."

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काफ़ी झडने के बाद उसने मुन्नी को अपनी बाहों में समेट लिया और उसे चूम चूम कर प्यार करने लगी. मुन्नी ने भी भाभी के गले में बाहें डाल दीं और चुंबन देने लगी. एक दूसरे के होंठ दोनों चुदैलें अपने अपने मुंह में दबा कर चूसने लगीं. मेनका ने अपनी जीभ मुन्नी के मुंह में डाल दी और मुन्नी उसे बेतहाशा चूसने लगी. भाभी के मुख का रसपान उसे बहुत अच्छा लग रहा था.

मेनका अपनी जीभ से मुन्नी के मुंह के अंदर के हर हिस्से को चाट रही थी, उस बच्ची के गाल, मसूडे, तालू, गला कुछ भी नहीं छोडा मेनका ने. शैतानी से उसने मुन्नी के हलक में अपनी लंबी जीभ उतार दी और गले को अंदर से चाटने और गुदगुदाने लगी. उस बच्ची को यह गुदगुदी सहन नहीं हुई और वह खाँस पडी. मेनका ने उसके खाँसते हुए मुंह को अपने होंठों में कस कर दबाये रखा और मुन्नी की अपने मुंह में उडती रसीली लार का मजा लेती रही.

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आखिर जब मेनका ने उसे छोडा तो मुन्नी का चेहरा लाल हो गया थी. "क्या भाभी, तुम बडी हरामी हो, जान बूझ कर ऐसा करती हो." मेनका उसका मुंह चूमते हुए हंसकर बोली. "तो क्या हुआ रानी? तेरा मुखरस चूसने का यह सबसे आसान उपाय है. मैने एक ब्लू फ़िल्म में देखा था."

फ़िर उस जवान नारी ने उस किशोरी के पूरे कमसिन बदन को सहलाया और खास कर उसके कोमल छोटे छोटे उरोजों को प्यार से हौले हौले मसला. फिर उसने मुन्नी को सिखाया कि कैसे निप्पलों को मुंह में लेकर चूसा जाता है. बीच में ही वह हौले से उन कोमल निप्पलों को दाँत से काट लेती थी तो मुन्नी दर्द और सुख से हुमक उठती थी. "निप्पल काटो मत ना भाभी, दुखता है, नहीं , रुको मत, हा ऽ य, और काटो, अच्छा लगता है."

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अंत में उसने मुन्नी को हाथ से हस्तमैथुन करना सिखाया."देख मुन्नी बहन, हम औरतों को अपनी वासना पूरी करने के लिये लंड की कोई जरूरत नहीं है. लंड हो तो बडा मजा आता है पर अगर अकेले हों, तो कोई बात नहीं."

मुन्नी भाभी की ओर अपनी बडी बडी आँखों से देखती हुई बोली "भाभी मैंने काफी बार गाजर डालकर मूठ मारी हुई है ." मेनका हंस कर बोली "हाँ मेरी रानी बिटिया, ककडी, केले, गाजर, मूली, लंबे वाले बैंगन इन सब से मुट्ठ मारी जा सकती है. मोटी मोमबत्ती से भी बहुत मजा आता है. धीरे धीरे सब सिखा दूँगी पर आज नहीं. आज तुझे उंगली करना सिखाती हूँ. मेरी तरफ़ देख."

मेनका रंडीयों जैसी टांगें फ़ैलाकर बैठ गयी और अपनी अंगूठे से अपने क्लिटोरिस को सहलाना शुरू कर दिया. मुन्नी ने भी ऐसा ही किया और आनंद की एक लहर उसकी बुर में दौड गयी. मेनका ने फ़िर बीच की एक उंगली अपनी खुली लाल चूत में डाल ली और अन्दर बाहर करने लगी.

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भाभी की देखादेखी मुन्नी भी उंगली से हस्तमैथुन करने लगी. पर उसका अंगूठा अपने क्लिट पर से हट गया. मेनका ने उसे समझाया. "रानी, उंगली से मुट्ठ मारो तो अंगूठा चलता ही रहना चाहिये अपने मणि पर." धीरे धीरे मेनका ने दो उंगली घुसेड लीं और अन्त में वह तीन उंगली से मुट्ठ मारने लगी. फ़चाफ़च फ़चाफ़च ऐसी आवाज उसकी गीली चूत में से निकल रही थी.

मुन्नी को लगा कि वह तीन उंगली नहीं घुसेड पायेगी पर आराम से उसकी तीनों उँगलियाँ जब खुद की कोमल बुर में चली गईं तो उसके मुंह से आश्चर्य भरी एक किलकारी निकल पडी. मेनका हंसने लगी. "अभी अभी भैया के मोटे लंड से चुदी है इसलिये अब तेरी चारों उँगलियाँ चली जाएंगी अन्दर. वैसे मजा दो उंगली से सबसे ज्यादा आता है."

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दोनों अब एक दूसरे को देख कर अपनी अपनी मुट्ठ मारने लगीं. मेनका अपने दूसरे हाथ से अपने उरोज दबाने लगी और निप्पलों को अंगूठे और एक उंगली में लेकर मसलले लगी. मुन्नी ने भी ऐसा ही किया और मस्ती में झूम उठी. अपनी चूचियाँ खुद ही दबाते हुए दोनों अब लगातार सडका लगा रही थी.

मेनका बीच बीच में अपनी उंगली अपने मुंह में डालकर अपना ही चिपचिपा रस चाट कर देखती और फिर मुट्ठ मारने लगती. मुन्नी ने भी ऐसा ही किया तो उसे अपनी खुद की चूत का स्वाद बहुत प्यारा लगा. मेनका ने शैतानी से मुस्कुराते हुए उसे पास खिसकने और मुंह खोलने को कहा. जैसे ही मुन्नी ने अपना मुंह खोला, मेनका ने अपने चूत रस से भरी चिपचिपी उँगलियाँ उसके मुंह में दे दीं.

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मेनका ने भी मुन्नी का हाथ खींच कर उसकी उँगलियाँ मुंह में दबा लीं और चाटने लगी. "यही तो अमृत है जिसके लिये यह सारे मर्द दीवाने रहते हैं. बुर का रस चूसने के लिये साले हरामी मादरचोद मरे जाते हैं. बुर के रस का लालच दे कर तुम इनसे कुछ भी करवा सकती हो. तेरे भैया तो रात रात भर मेरी बुर चूसकर भी नहीं थकते."

कई बार मुट्ठ मारने के बाद मेनका बोली. "चल छोटी अब नहीं रहा जाता. अब तुझे सिक्सटी - नाईन का आसन सिखाती हूँ. दो औरतों को आपस में संभोग करने के लिये यह सबसे मस्त आसन है. इसमें चूत और मुंह दोनों को बडा सुख मिलता है." मेनका अपने बाऐं करवट पर लेट गयी और अपनी मांसल दाहिनी जांघ उठा कर बोली. "आ मेरी प्यारी बच्ची, भाभी की टांगों में आ जा." मुन्नी उल्टी तरफ़ से मेनका की निचली जांघ पर सिर रख कर लेट गयी. पास से मेनका की बुर से बहता सफ़ेद चिपचिपा स्त्राव उसे बिल्कुल साफ़ दिख रहा था और उसमें से बडी मादक खुशबू आ रही थी. वैसे मुन्नी यह आसन आजमा ही चुकी थी पर भाभी के सामने अनजान बनने का नाटक कर रही थी।

मेनका ने उसका सिर पकड कर उसे अपनी चूत में खींच लिया और अपनी बुर के पपोटे मुन्नी के मुंह पर रख दिये. "चुंबन ले मेरे निचले होंठों का जैसे कि मेरे मुंह का ले रही थी." जब मुन्नी ने मेनका की चूत चूमना शुरू कर दिया तो मेनका बोली. "अब जीभ अन्दर डाल रानी बिटिया" मुन्नी अपनी जीभ से भाभी को चोदने लगी और उसके रिसते रस का पान करने लगी. मेनका ने अब अपनी उठी जांघ को नीचे करके मुन्नी का सिर अपनी जांघों मे जकड लिया और टांगें साइकिल की तरह चला के उसके कोमल मुंह को सीट बनाकर उसपर मुट्ठ मारने लगी.

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भाभी की मांसल जांघों में सिमट कर मुन्नी को मानो स्वर्ग मिल गया. मुन्नी मन लगा कर भाभी की चूत चूसने लगी. मेनका ने बच्ची की गोरी कमसिन टांगें फैला कर अपना मुंह उस नन्ही चूत पर जमा दिया और जीभ घुसेड घुसेड कर रसपान करने लगी. मुन्नी ने भी अपनी टांगों के बीच भाभी का सिर जकड लिया और टांगें कैंची की तरह चलाती हुई भाभी के मुंह पर हस्तमैथुन करने लगी.

दस मिनट तक कमरे में सिर्फ़ चूसने, चूमने और कराहने की आवाजें उठ रही थी. मेनका ने बीच में मुन्नी की बुर में से मुंह निकालकर कहा. "रानी मेरा क्लिटोरिस दिखता है ना?" मुन्नी ने हामी भरी. "हाँ भाभी, बेर जितना बडा हो गया है, लाल लाल है." "तो उसे मुंह में ले और चॉकलेट जैसा चूस, उसपर जीभ रगड, मुझे बहुत अच्छा लगता है मेरी बहना, तेरे भैया तो माहिर हैं इसमें."

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मेनका ने जोर जोर से साइकिल चला कर आखिर अपनी चूत झडा ली और आनंद की सिसकारियाँ भरती हुई मुन्नी के रेशमी बालों में अपनी उँगलियाँ चलाने लगी. मुन्नी को भाभी की चूत मे से रिसते पानी को चाटने में दस मिनट लग गये. तब तक वह खुद भी मेनका की जीभ से चुदती रही. मेनका ने उसका जरा सा मटर के दाने जैसा क्लिटोरिस मुंह में लेके ऐसा चूसा कि वह किशोरी भी तडप कर झड गयी. मुन्नी का दिल अपनी भाभी के प्रति प्यार और कामना से भर उठा क्योंकी उसकी प्यारी भाभी अपनी जीभ से उसे दो बार झडा चुकी थी. एक दूसरे की बुर को चाट चाट कर साफ़ करने के बाद ही दोनों चुदैल भाभी ननद कुछ शांत हुई
 
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