मुन्नी ने मन भर कर भाभी की चूचियाँ चूसीं और बीच में ही मुंह से निकाल कर बोली. "भाभी अब जल्दी से माँ बन जाओ, जब इनमें दूध आएगा तो मैं ही पिया करूंगी, अपने बच्चे के लिये और कोई इन्तजाम कर लेना." और फ़िर मन लगा कर उन मुलायम स्तनों का पान करने लगी. "जरूर पिलाऊँगी मेरी रानी, तेरे भैया भी यही कहते हैं. एक चूची से तू पीना और एक से तेरे भैया." मेनका मुन्नी के मुंह को अपने स्तन पर दबाते हुए बोली.
अपने निप्पल में उठती मीठी चुभन से मेनका निहाल हो गई थी. अपनी पेन्टी उसने उतार फ़ेकी और फ़िर दोनों जांघों में मुन्नी के शरीर को जकडकर उसे हचकते हुए मेनका अपनी बुर उस की कोमल जांघों पर रगडने लगी. मेनका के कडे मदनमणि को अपनी जांघ पर रगडता महसूस करके मुन्नी अधीर हो उठी. "भाभी, मुझे अपनी चूत चूसने दो ना प्लीज़"
"तो चल आजा मेरी प्यारी बहन, जी भर के चूस अपनी भाभी की बुर, पी जा उसका नमकीन पानी" कहकर मेनका अपनी मांसल जांघें फैला कर पलंग पर लेट गयी. एक तकिया उसने अपने नितंबों के नीचे रख लिया जिससे उसकी बुर ऊपर उठ कर साफ़ दिखने लगी.
वासना से तडपती वह कमसिन लडकी अपनी भाभी की टांगों के बीच लेट गयी. मेनका की रसीली बुर ठीक उसकी आँखों के सामने थी. घनी काली झांटों के बीच की गहरी लकीर में से लाल लाल बुर का छेद दिख रहा था. "हाय भाभी, कितनी घनी और रेशम जैसी झांटें हैं तुम्हारी, काटती नहीं कभी?" उसने बालों में उँगलियाँ डालते हुए पूछा.
"नहीं री, तेरे भैया मना करते हैं, उन्हें घनी झांटें बहुत अच्छी लगती हैं." मेनका मुस्कुराती हुई बोली. "हाँ भाभी, बहुत प्यारी हैं, मत काटा करो, मेरी भी बढ जाएं तो मैं भी नहीं काटूँगी." मुन्नी बोली. उससे अब और न रहा गया. अपने सामने लेटी जवान भरी पूरी औरत की गीली रिसती बुर में उसने मुंह छुपा लिया और चाटने लगी. मेनका वासना से कराह उठी और मुन्नी का मुंह अपनी झांटों पर दबा कर रगडने लगी. वह इतनी गरम हो गयी थी कि तुरंत झड गयी.
"हाय मर गयी रे मुन्नी बिटिया, तेरे प्यारे मुंह को चोदूँ, साली क्या चूसती है तू, इतनी सी बच्ची है फ़िर भी पुरानी रंडी जैसी चूसती है. पैदाइशी चुदैल है तू, ऐसा लगा ही नहीं की तू पहली बार कर रही है... कहीं तूने पहले किसी ओर की... "
“नहीं भाभी... मुझे भला ऐसा मौका कहाँ मिलेगा!!” मुन्नी ने घबराते हुए कहा
दो मिनट तक वह सिर्फ़ हाँफते हुए झडने का मजा लेती रही. फ़िर मुस्कुराकर उसने मुन्नी को बुर चूसने का सही अंदाज सिखाना शुरू किया. उसे सिखाया कि पपोटे कैसे अलग किये जाते हैं, जीभ का प्रयोग कैसे एक चम्मच की तरह रस पीने को किया जाता है और बुर को मस्त करके उसमे से और अमृत निकलने के लिये कैसे क्लिटोरिस को जीभ से रगडा जाता है.
थोडी ही देर में मुन्नी को चूत का सही ढंग से पान करना आ गया और वह इतनी मस्त चूत चूसने लगी जैसे बरसों का ज्ञान हो. मेनका पडी रही और सिसक सिसक कर बुर चुसवाने का पूरा मजा लेती रही. "चूस मेरी प्यारी बहना, और चूस अपनी भाभी की बुर, जीभ से चोद मुझे, आ ऽ ह ऽ , ऐसे ही रानी बिटिया ऽ , शा ऽ बा ऽ श."
काफ़ी झडने के बाद उसने मुन्नी को अपनी बाहों में समेट लिया और उसे चूम चूम कर प्यार करने लगी. मुन्नी ने भी भाभी के गले में बाहें डाल दीं और चुंबन देने लगी. एक दूसरे के होंठ दोनों चुदैलें अपने अपने मुंह में दबा कर चूसने लगीं. मेनका ने अपनी जीभ मुन्नी के मुंह में डाल दी और मुन्नी उसे बेतहाशा चूसने लगी. भाभी के मुख का रसपान उसे बहुत अच्छा लग रहा था.
मेनका अपनी जीभ से मुन्नी के मुंह के अंदर के हर हिस्से को चाट रही थी, उस बच्ची के गाल, मसूडे, तालू, गला कुछ भी नहीं छोडा मेनका ने. शैतानी से उसने मुन्नी के हलक में अपनी लंबी जीभ उतार दी और गले को अंदर से चाटने और गुदगुदाने लगी. उस बच्ची को यह गुदगुदी सहन नहीं हुई और वह खाँस पडी. मेनका ने उसके खाँसते हुए मुंह को अपने होंठों में कस कर दबाये रखा और मुन्नी की अपने मुंह में उडती रसीली लार का मजा लेती रही.
आखिर जब मेनका ने उसे छोडा तो मुन्नी का चेहरा लाल हो गया थी. "क्या भाभी, तुम बडी हरामी हो, जान बूझ कर ऐसा करती हो." मेनका उसका मुंह चूमते हुए हंसकर बोली. "तो क्या हुआ रानी? तेरा मुखरस चूसने का यह सबसे आसान उपाय है. मैने एक ब्लू फ़िल्म में देखा था."
फ़िर उस जवान नारी ने उस किशोरी के पूरे कमसिन बदन को सहलाया और खास कर उसके कोमल छोटे छोटे उरोजों को प्यार से हौले हौले मसला. फिर उसने मुन्नी को सिखाया कि कैसे निप्पलों को मुंह में लेकर चूसा जाता है. बीच में ही वह हौले से उन कोमल निप्पलों को दाँत से काट लेती थी तो मुन्नी दर्द और सुख से हुमक उठती थी. "निप्पल काटो मत ना भाभी, दुखता है, नहीं , रुको मत, हा ऽ य, और काटो, अच्छा लगता है."
अंत में उसने मुन्नी को हाथ से हस्तमैथुन करना सिखाया."देख मुन्नी बहन, हम औरतों को अपनी वासना पूरी करने के लिये लंड की कोई जरूरत नहीं है. लंड हो तो बडा मजा आता है पर अगर अकेले हों, तो कोई बात नहीं."
मुन्नी भाभी की ओर अपनी बडी बडी आँखों से देखती हुई बोली "भाभी मैंने काफी बार गाजर डालकर मूठ मारी हुई है ." मेनका हंस कर बोली "हाँ मेरी रानी बिटिया, ककडी, केले, गाजर, मूली, लंबे वाले बैंगन इन सब से मुट्ठ मारी जा सकती है. मोटी मोमबत्ती से भी बहुत मजा आता है. धीरे धीरे सब सिखा दूँगी पर आज नहीं. आज तुझे उंगली करना सिखाती हूँ. मेरी तरफ़ देख."
मेनका रंडीयों जैसी टांगें फ़ैलाकर बैठ गयी और अपनी अंगूठे से अपने क्लिटोरिस को सहलाना शुरू कर दिया. मुन्नी ने भी ऐसा ही किया और आनंद की एक लहर उसकी बुर में दौड गयी. मेनका ने फ़िर बीच की एक उंगली अपनी खुली लाल चूत में डाल ली और अन्दर बाहर करने लगी.
भाभी की देखादेखी मुन्नी भी उंगली से हस्तमैथुन करने लगी. पर उसका अंगूठा अपने क्लिट पर से हट गया. मेनका ने उसे समझाया. "रानी, उंगली से मुट्ठ मारो तो अंगूठा चलता ही रहना चाहिये अपने मणि पर." धीरे धीरे मेनका ने दो उंगली घुसेड लीं और अन्त में वह तीन उंगली से मुट्ठ मारने लगी. फ़चाफ़च फ़चाफ़च ऐसी आवाज उसकी गीली चूत में से निकल रही थी.
मुन्नी को लगा कि वह तीन उंगली नहीं घुसेड पायेगी पर आराम से उसकी तीनों उँगलियाँ जब खुद की कोमल बुर में चली गईं तो उसके मुंह से आश्चर्य भरी एक किलकारी निकल पडी. मेनका हंसने लगी. "अभी अभी भैया के मोटे लंड से चुदी है इसलिये अब तेरी चारों उँगलियाँ चली जाएंगी अन्दर. वैसे मजा दो उंगली से सबसे ज्यादा आता है."
दोनों अब एक दूसरे को देख कर अपनी अपनी मुट्ठ मारने लगीं. मेनका अपने दूसरे हाथ से अपने उरोज दबाने लगी और निप्पलों को अंगूठे और एक उंगली में लेकर मसलले लगी. मुन्नी ने भी ऐसा ही किया और मस्ती में झूम उठी. अपनी चूचियाँ खुद ही दबाते हुए दोनों अब लगातार सडका लगा रही थी.
मेनका बीच बीच में अपनी उंगली अपने मुंह में डालकर अपना ही चिपचिपा रस चाट कर देखती और फिर मुट्ठ मारने लगती. मुन्नी ने भी ऐसा ही किया तो उसे अपनी खुद की चूत का स्वाद बहुत प्यारा लगा. मेनका ने शैतानी से मुस्कुराते हुए उसे पास खिसकने और मुंह खोलने को कहा. जैसे ही मुन्नी ने अपना मुंह खोला, मेनका ने अपने चूत रस से भरी चिपचिपी उँगलियाँ उसके मुंह में दे दीं.
मेनका ने भी मुन्नी का हाथ खींच कर उसकी उँगलियाँ मुंह में दबा लीं और चाटने लगी. "यही तो अमृत है जिसके लिये यह सारे मर्द दीवाने रहते हैं. बुर का रस चूसने के लिये साले हरामी मादरचोद मरे जाते हैं. बुर के रस का लालच दे कर तुम इनसे कुछ भी करवा सकती हो. तेरे भैया तो रात रात भर मेरी बुर चूसकर भी नहीं थकते."
कई बार मुट्ठ मारने के बाद मेनका बोली. "चल छोटी अब नहीं रहा जाता. अब तुझे सिक्सटी - नाईन का आसन सिखाती हूँ. दो औरतों को आपस में संभोग करने के लिये यह सबसे मस्त आसन है. इसमें चूत और मुंह दोनों को बडा सुख मिलता है." मेनका अपने बाऐं करवट पर लेट गयी और अपनी मांसल दाहिनी जांघ उठा कर बोली. "आ मेरी प्यारी बच्ची, भाभी की टांगों में आ जा." मुन्नी उल्टी तरफ़ से मेनका की निचली जांघ पर सिर रख कर लेट गयी. पास से मेनका की बुर से बहता सफ़ेद चिपचिपा स्त्राव उसे बिल्कुल साफ़ दिख रहा था और उसमें से बडी मादक खुशबू आ रही थी. वैसे मुन्नी यह आसन आजमा ही चुकी थी पर भाभी के सामने अनजान बनने का नाटक कर रही थी।
मेनका ने उसका सिर पकड कर उसे अपनी चूत में खींच लिया और अपनी बुर के पपोटे मुन्नी के मुंह पर रख दिये. "चुंबन ले मेरे निचले होंठों का जैसे कि मेरे मुंह का ले रही थी." जब मुन्नी ने मेनका की चूत चूमना शुरू कर दिया तो मेनका बोली. "अब जीभ अन्दर डाल रानी बिटिया" मुन्नी अपनी जीभ से भाभी को चोदने लगी और उसके रिसते रस का पान करने लगी. मेनका ने अब अपनी उठी जांघ को नीचे करके मुन्नी का सिर अपनी जांघों मे जकड लिया और टांगें साइकिल की तरह चला के उसके कोमल मुंह को सीट बनाकर उसपर मुट्ठ मारने लगी.
भाभी की मांसल जांघों में सिमट कर मुन्नी को मानो स्वर्ग मिल गया. मुन्नी मन लगा कर भाभी की चूत चूसने लगी. मेनका ने बच्ची की गोरी कमसिन टांगें फैला कर अपना मुंह उस नन्ही चूत पर जमा दिया और जीभ घुसेड घुसेड कर रसपान करने लगी. मुन्नी ने भी अपनी टांगों के बीच भाभी का सिर जकड लिया और टांगें कैंची की तरह चलाती हुई भाभी के मुंह पर हस्तमैथुन करने लगी.
दस मिनट तक कमरे में सिर्फ़ चूसने, चूमने और कराहने की आवाजें उठ रही थी. मेनका ने बीच में मुन्नी की बुर में से मुंह निकालकर कहा. "रानी मेरा क्लिटोरिस दिखता है ना?" मुन्नी ने हामी भरी. "हाँ भाभी, बेर जितना बडा हो गया है, लाल लाल है." "तो उसे मुंह में ले और चॉकलेट जैसा चूस, उसपर जीभ रगड, मुझे बहुत अच्छा लगता है मेरी बहना, तेरे भैया तो माहिर हैं इसमें."
मेनका ने जोर जोर से साइकिल चला कर आखिर अपनी चूत झडा ली और आनंद की सिसकारियाँ भरती हुई मुन्नी के रेशमी बालों में अपनी उँगलियाँ चलाने लगी. मुन्नी को भाभी की चूत मे से रिसते पानी को चाटने में दस मिनट लग गये. तब तक वह खुद भी मेनका की जीभ से चुदती रही. मेनका ने उसका जरा सा मटर के दाने जैसा क्लिटोरिस मुंह में लेके ऐसा चूसा कि वह किशोरी भी तडप कर झड गयी. मुन्नी का दिल अपनी भाभी के प्रति प्यार और कामना से भर उठा क्योंकी उसकी प्यारी भाभी अपनी जीभ से उसे दो बार झडा चुकी थी. एक दूसरे की बुर को चाट चाट कर साफ़ करने के बाद ही दोनों चुदैल भाभी ननद कुछ शांत हुई