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Adultery चाहत

TheEndgame

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आप सभी xforum परिवार के सदस्यों को मेरा नमस्कार । मैं अभी कुछ दिन पहले ही xforum से जुड़ा हुं। कुछ कहानियों को पढ़कर तो जैसे मैं आनंद से सरोबार हो गया।
इसीलिए मैंने सोचा कि क्यों न मैं भी कुछ लिखूं ताकि आप लोगों के साथ जुड़ जाए।
ये मेरी प्रथम प्रयास है एक कहानी लिखने की ओर । आप लोगों से निवेदन है की मेरी इस यात्रा में बने रहे और अपना उपयोगी सुझाव अवस्य दे ताकि मैं इसे और भी रोचक बना सकूं। :flamethrower:

Hello friends, I am a new comer in xforum. I have read so many stories after joining the forum. I just wanted to write my own story so that I can also share my thoughts in front of you. So just keep reading the story and don't forget to give your valuable feedback in comment box. :thankyou:






Disclaimer :-
━━━━━━━━━━━━

यह कहानी पूर्णतया काल्पनिक है और इसका वास्तविकता से कोई संबंध नही है। कृपया उसे मनोरंजन की तरह ही ले।
This story is just an imagination of mind and is not having any relation with reality.


भाग 1


अभी मुझे इस शहर में आए हुए कुछ दिन ही बीते थे। कल शाम को हुई उस संदिग्ध घटना ने मेरे अंदर कई विचारो को जन्म दे दिया । एक झुरझुरी सी पूरे बदन में दौड़ गई।वर्दी पहने मैं अपनी थाने के बगल वाली चाय की दुकान पर खड़े सिगरेट का कस लिए जा रहा था। चाय की हर एक सिप के साथ सिगरेट की कस लेने की आदत पुलिस अधीक्षक बनने के साथ ही शुरू हो गया था जब अपने सिनियरो के साथ उठना बैठना हो गया था।

हर बार की तरह इस बार भी वही खयाल दिमाग में आ रहा था जब ठीक आज से पांच महीने पहले मै पुलिस अधिकारी बना था और कुछ दिन बाद से ही मेरे बॉस ऐसे ही मुझे कुल्हड़ की दुकान पर ले जाते और चाय के साथ सिगरेट पीने को बोलते। मना तो मैं हर बार करता पर वो कहते है न की जिन व्यक्तियों के साथ रोज उठना बैठना हो उनकी कुछ आदतें लग ही जाती हैं।

मेरे साथ चाय पी रहे हवलदार बिरजू ने मुझे मेरी ख्यालों से बाहर लाया। ' साहब इतने मगन कहां हो गए चाय ठंडी हो रही है और मेरा सिगरेट तो कब का खत्म हो गया पर आपका बिना पिए ही खत्म हो जाएगा ,बिरजू व्यंग कसते हुए बोला । '

मैं तुरंत अपने ख्यालों से बाहर आया और सिगरेट की कस लेते हुए बोला ,अरे काका कुछ नही बस यूं ही कुछ सोचने लग गया था।
चाय और सिगरेट की बिल देने के बाद मैं पास में ही बने एक पार्क में चला गया और घूमते घूमते मेरे जेहन में दुबारा वही खयाल आया जो कल शाम को घटित हुई थी।


कल दोपहर के करीब 3 बजे मैं अपनी बाइक पर सवार होकर पास के एक इलाके में पहुंच गया था जो की मेरी शुरू से ही आदत रही है एक जगह पर जल्दी ठहरता नहीं था। न जाने क्यों मैं उस इलाके की एक संकरी गली में अपनी गाड़ी को दौड़ा दिया ये सोचते हुए की मुख्य इलाके में इतनी भीड़ और गाड़ियों की आवाजे आ रही थी मानो कान में दर्द महसूस होने लग गया था। थोड़ी दूर अभी शायद तीन किलोमीटर जाने के उपरांत ही मुझे ऐसा आभास हुआ जैसे इस गली में शायद ही कोई आता होगा।

घरों की संख्या काफी कम थी । इस शहरी इलाके में जहां साथ आठ मंजिला की घर थे वही जहां अभी मेरी नजर जा रही थी सिर्फ दो से तीन मंजिलें के ही घर थे। आस पास नजर दौडाने पर मुझे कोई मॉल, किराने की दुकान ,जिम ,ब्यूटी पार्लर जो शहरी क्षेत्रों में आम बात होती थी वो सब कुछ नजर नही आया। हां एक चाय वाले की दुकान जरूर नजर आई जो शायद मानो मेरे लिए ही थी । अब चाय देखते ही मेरे मुंह में पानी आ गया। मैंने अपनी गाड़ी एक गली के पीछे लगाया और चायवाले के पास आ गया। पूछने पर उसके पास सिगरेट भी मिल गई । फिर क्या, मैं लगा सिगरेट को सुलगाने ।
साहब इस इलाके में आपको पहली बार देखा हूं शायद ! ' चायवाले ने झूठी बरतनों को समेटते हुए कहा।'

मैंने अपनी वर्दी थाने में ही छोड़ थी और सिविल ड्रेस में आ गया था वरना शायद चायवाला पहले मुझसे ये सवाल ही नहीं पूछता।
काका मैं बस ऐसे ही घूमते घूमते इधर चला आया था। पास के ही शहर में रहता हूं।
अच्छा बेटा ऐसी बात है। चायवाले ने थोड़ा मुस्कुराते हुए कहा।

मेरे जेहन में जो सवाल गूंज रहा था वो आखिरकार मैने पूछ ही लिया ।
काका इधर इतनी कम आबादी क्यों है । थोड़ी सुनसान सी मालूम पड़ती है ये ।

काका थोड़ा तेज भाव लेते हुए बोले, बेटा ये इलाका सरकार के अंदर आती हैं। अब सरकार इधर कुछ करती नही तो कुछ लोग बाहर से आए और इधर जैसे तैसे कुछ मकान बनाकर रहने लगे।
ओह अच्छा। मैंने जवाब में कहा।

अपनी चाय खत्म करते ही मैं अपनी गाड़ी के पास जा ही रहा था की तभी मुझे मेरी बीवी कोमल की कॉल आ गई। मैंने गौर किया तो पाया कि पहले से ही दो दो मिस्ड कॉल पड़े थे। चेहरे पर गंभीर भाव लाते हुए मैंने कॉल उठाई। उठाते ही वो मुझ पर बरस पड़ी ,इतनी देर से कॉल कर रही हूं किधर हो आप। बिरजू काका बोले आप बिना वर्दी के ही निकल पड़े हो वो भी दो घंटे पहले।

मैं सोचा अब क्या बोलूं गलती मेरी ही थी । पहले ही बोल देना चाहिए था की मैं थोड़ा ऐसे ही घूमने निकल पड़ा हूं कुछ काम था नही तो।

"जानू बस ऐसे ही निकल गया था बाइक पर। अब तुम तो जानती ही हो की जब से इधर ट्रांसफर हुआ है कुछ काम रहता नही है थाने में। "

जैसे तैसे समझने के बाद कॉल रखते ही मैंने गहरी सांस ली। और पता चला बात करते करते मैं कुछ एक किलोमीटर तक उस सुनसान गली में घुस आया था। चारो तरफ नजर दौड़ने पर पता चला आस पास के ज्यादातर घर मानो वीरान पड़े थे। टूटे हुए छज्जे और खिड़कियां और दीवारों की गन्दी हालात इस बात के सबूत थे।

मैं मुड़कर जाने ही वाला था की तभी एक गोली की आवाज मेरे सामने वाले घर की खिड़की से बाहर आई। आवाज सुनके मेरे पैर कांप गए ।

मेरे पैर तो मानो जम गए वही । दिल जोरो से धड़कने लगा ये सोचते हुए की एक ऐसा इलाका जहां आस पास एक परिंदे की भी मौजूदगी का कोई अता पता नहीं वहां पर ये गोली की आवाज़ कैसी?

मैं सहसा ही खिड़की के नीचे आ गया और उनकी आवाजे सुनने लगा । खिड़की से सीधे देखने पर मैं हैरान हुआ ये देखकर की दो कार खड़ी थी दरवाजे के ठीक सामने। अब हमसे गद्दारी करोगे तो मरना ही पड़ेगा। हाथ मिला लेते तो ये नौबत नहीं आती । जिंदगी इतनी रंगीन है इसे खुल के जियो यार अय्याशी करो। बेकार में ईमानदारी दिखाओगे तो यही होगा।

मिस्टर देसाई माल अगले हफ्ते ही आप तक पहुंच जाएगी। आप चिंता न करे। हमारी ये मीटिंग अब यहां पर नही होंगी ।शहर के किसी दूसरे इलाके में अब देखना पड़ेगा। मैं अपने खबरी को बोलता हूं इंतजाम करने आप चिंता न करे।

हमे पता है तुम अपना काम अच्छी तरह कर लेते हो मिस्टर नामदेव। दूसरे व्यक्ति ने कहा। वो लड़की की काफी तलब है मुझे , पतिव्रता बनी फिरती है। काफी शातिर है ऐसे वो। जब से शादी हुई है थोड़ी बदल गई है। शादी तो उसने हमारी धंधे को आगे बढ़ाने के लिए ही किया था। पतिव्रता बनने के चक्कर में कहीं धंधे की वाट न लगा दे। "शायद ये मिस्टर देसाई बोल रहा था"!

ऐसा कदापि नही होगा मिस्टर देसाई वो अपनी बात की पक्की है। और वैसे भी कुछ उल्टा सीधा करने की कोशिश करेगी तो हमारे पास उसकी कमजोरी है ही। खैर अब हमे चलना चाहिए मिस्टर देसाई और दरवाजे पर उनकी आहट सुनते ही मैं तुरंत बगल वाली कचरे के ढेर के पिछे छिप गया।

कुछ ही देर बाद काले कोट पहने सात आदमी निकले और उनमें से दो लोगो ने दोनो कार के दरवाजे को खोला और जो दो आदमी अपनी आंखों पर काला चश्मा लगाए हुए थे अपनी अपनी गाड़ियों में बैठ गए।
शायद उनमें से दो ड्राइवर होंगे बाकी के लोग उनके बॉडीगार्ड। उनकी वेशभूषा के आधार पर मैंने ये अंदाज लगाया। उन सबमें एक बात ध्यान देने की थी चेहरे पर काले मास्क लगे हुए थे । कोई पहचान में नही आ पाया ढंग से मेरे।

उनके जाने के कुछ दस मिनट बाद मैं वहां से उठा ये सोचकर की कहीं उन्हें मेरा यहां होने का आभास हो गया हो तो वो दुबारा आ सकते थे।

मैं किसी तरह साहस करके ऊपर गया तो पाया कि एक आदमी पड़ा था। ये देखते ही मैं चौंका। तुरंत ही मैं उसके पास गया और उसकी नब्ज की जांच करने लगा। वो जिंदा था । अरे आप जिंदा है अपनी आंखे खोलिए। में आपको हॉस्पिटल ले चलता हूं।

तुरंत ही उसने आंखे खोली और मुझसे बोला की मेरे पास वक्त बहुत कम है ।
"तुम्हे उन्हे रोकना होगा।इतना बोलते ही उसने दम तोड़ दिया। "
मेरी चेतना लौटी जब अचानक ही एक बच्चे ने मेरी हाथ को पकड़ा और कहने लगा अंकल अंकल मेरी गेंद उस पेड़ पर अटक गई है।

मैंने उसकी गेंद उस पेड़ से निकल के उसकी हाथों में थमा दी। उसने एक प्यारी सी मुस्कान के साथ मुझे थैंक यू बोला। मैंने प्यार से उसके माथे पर हाथ फेरा और पार्क से निकलकर सीधा अपने घर की और लौटा।

मुझे देखते ही कोमल सीधे आकर सोफे के नीचे बैठते हुए मेरी जूते निकालने लगी। ब्लाउज के अंदर से झांकती उसकी उन्नत उरोजों को देखते ही मेरे बदन में एक सिहरन दौड़ गई । मेरी नजर को भांपते ही उसने एक तीखी मुस्कान के साथ मेरे सीने पर एक थपकी दी। आप भी ना आए नहीं की शुरू हो गए। मैं झेंप गया उसकी बातें सुनके

मैं चाय बनाके लती हूं। तब तक आप अपनी ड्रेस बदल लीजिए और जल्दी से नहा लीजिए।

अरे नहाना तक ठीक है तुम बार बार मेरी ये वर्दी पे क्यों लगी रहती हो। पुलिस वाला हूं तुम्हे तो फक्र होना चाहिए।

आपकी ये पुलिस की वर्दी से ही तो मैं इतना डरती हूं। पुलिस की नौकरी ही ऐसी है कि किसी भी पत्नी को ऐसा लगेगा।

खैर अब ज्यादा बातें न बनाइए और जल्दी से नहाने जाइए , बड़े प्यार से मेरी घड़ी को उतारते हुए बोली वो। मेरी नजर अब भी उसकी उरोजो पर ही केंद्रित थी।
मेरी आंखों को देखते ही उसने एक चपत लगाई मेरी गालों पर। उसकी इसी अदा पर तो कायल था मैं।
रात को आपकी ख्वाहिश पूरी करती हु इंस्पेक्टर साहब ,कुटिल मुस्कान मुस्कान लेते हुए बोली वो।

छत में सिगरेट सुलगाते हुए मैं अब भी उस व्यक्ति के आखरी शब्दों को याद कर रहा था। आखिर कौन थे वो रहस्यमयी लोग। उनकी वेशभूषा से कहीं से ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा था की वो मामूली इंसानों में से थे। और कौन सी डील की बात कर रहे थे वे वो भी ऐसे सुनसान गली में जो की अपने आप में ही एक वीरान जगह थी। खैर मैंने सोचा क्यों मैं इस फालतू की बातों को याद करने लगा हूं । ये महज एक संयोग ही था की मैं उस वक्त वहां पहुंच गया था। ऐसे सोचते ही मैंने सिगरेट को जमीन के नीचे कुचला और छत से बाहर फेंक दिया।
इतने में मेरी बीवी के चिल्लाने की आवाजें आने लगी, अरे कहां आप छत पर इतनी देर से क्या कर रहे हो?

' कुछ नही जान बस आया मैं '! शायद उसने रात खाने की बरतने धो ली थी।
कमरे में आते ही मैंने उसे जकड़ लिया।
मुझे लग ही रहा था की आपके मन में ज़रूर कोई शरारत पनप रही हैं, कोमल मेरी बाहों में इठलाते हुए बोली।
तुरंत ही हम बिस्तर में थे। उसके कोमल गुलाबी होंठो को मैं चूसने लगा । गुलाबी शहद की तरह उसकी होंठो की स्वाद जिसे पाने की चाहत हर कोई करता।

होंठो का स्वाद लेते हुए मेरे हाथ उसके वक्ष तक कब पहुंच गए पता ही नही चला। वो भी पूरे शिद्दत से मेरा साथ दे रही थी। ब्लाउज के बटन खोलते हुए ऐसा प्रतीत होने लगा जैसे ये कोई रोडा हो हमारे प्यार के बीच । खैर सारे बटन एक एक करके खोल दिए मैंने । बड़ी तेजी से उसकी उरोंजो को दबा रहा था मैं। वो मानो जैसे ठान ली हो की मेरे होंठ नही छोड़ेगी ।

खैर जब मैं उसके सफेद ब्रा की हूक को पीछे से खोलने का व्यर्थ प्रयास कर रहा था तो उसने मानो मेरी मनसूबों को पकड़ ली और हंसने लगी । उसने खुद ही अपने हाथ पीछे किए और ब्रा की हूक को खोल दिया। मेरी चेहरे पर थोड़ी शर्म आ गई।
इतने दिनो से हम संभोग कर रहे थे पर न जाने क्यों हर बार मैं उसके ब्रा के हुक खोलने में असमर्थ रहता। हमारे वस्त्र अब खुल चुके थे । एक दूसरे के जिस्मों को पाने की तीव्रता इतनी ज्यादा थी की हमे समय का आभास भी नहीं रहा। पिछले आधे घंटे से शायद हम एक दूसरे को चूमने में व्यस्त थे।

हमारी तंदभद्रा तब टूटी जब मेरा खड़ा लिंग उसकी योनि में ठोकर मारने लगा। उसने देर न करते हुए तुरंत मेरे लिंग को अपने हाथो में कस लिया और ऊपर नीचे करने लगी। क्या सुखद अहसास था वो ,उसकी कोमल और मुलायम हाथों में मेरी लिंग मानो उछल कूद करने लग गया।
मेरी आंखों में देखते हुए उसने मेरे चहरे पर आए नशे को पहचानते हुए बोल उठी , ' काफी जोश में खड़ा है ये छोटा इंस्पेक्टर आज'!
मैं कुछ बोलने की स्थिति में था ही नहीं। जल्दी से उसने मेरे लिंग को अपने मुंह में ले लिया। मैं प्यार से उसके बालों को सहलाते हुए उसके चेहरे को अपने लिंग के ऊपर नीचे करने लग गया।

काफी देर बाद जब जब वो थक गई तो मैंने उसकी स्थिति का आभास हुआ। मैंने उसे बिस्तर में लेटाते हुए उसकी योनि पर कूद पड़ा। हल्के बालों वाली उसकी सुंदर गुलाबी योनि मानो जितना देखो उतना ही कम। हाथ का स्पर्श पाते ही मैंने अनुभव किया की योनि काफी गीली है।
देर न करते हुए मैने अपने मुख को उसकी योनि पर सटा दिया और निकल रहे शहद को चाटने लगा। योनि की दानों पर जैसे ही मेरी जीभ जाति मेरी बीवी तुरंत बिस्तर को पकड़के खींचने लगती ।

जब उस से बर्दास्त नहीं हुआ तो उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और अपनी योनि को मेरे लिंग पर घिसने लग गई। उसकी तीव्रता को देख कर मैंने तुरंत ही लिंग को योनि पर सटाया और हल्के से अंदर धकेल दिया। लिंग लगभग आधा अंदर चला गया और मेरी बीवी के मुंह से एक आह की आवाज निकल गई। एक जोर का धक्का देते हुए मैं लगा उसे चोदने। कभी मैं उसके उरोंजो को पकड़ के धक्के लगाता तो कभी जांघो को पकड़ के कस के धक्के मारने लगता।

संभोग क्रिया अब अपने चरम पर पहुंच गई थी। पूरे कमरे में जबर्दस्त धक्कों की आवाजे गूंजने लगी। ऐसे ही जल्दी हम दोनों ही खाली हो गए । और एक तूफान सा मानो थम गया।



 
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Ajju Landwalia

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यह कहानी पूर्णतया काल्पनिक है और इसका वास्तविकता से कोई संबंध नही है। कृपया उसे मनोरंजन की तरह ही ले।
This story is just an imagination of mind and is not having any relation with reality.

भाग 1

अभी मुझे इस शहर में आए हुए कुछ दिन ही बीते थे। कल शाम को हुई उस संदिग्ध घटना ने मेरे अंदर कई विचारो को जन्म दे दिया । एक झुरझुरी सी पूरे बदन में दौड़ गई।वर्दी पहने मैं अपनी थाने के बगल वाली चाय की दुकान पर खड़े सिगरेट का कस लिए जा रहा था। चाय की हर एक सिप के साथ सिगरेट की कस लेने की आदत पुलिस अधीक्षक बनने के साथ ही शुरू हो गया था जब अपने सिनियरो के साथ उठना बैठना हो गया था। हर बार की तरह इस बार भी वही खयाल दिमाग में आ रहा था जब ठीक आज से पांच महीने पहले मै पुलिस अधिकारी बना था और कुछ दिन बाद से ही मेरे बॉस ऐसे ही मुझे कुल्हड़ की दुकान पर ले जाते और चाय के साथ सिगरेट पीने को बोलते। मना तो मैं हर बार करता पर वो कहते है न की जिन व्यक्तियों के साथ रोज उठना बैठना हो उनकी कुछ आदतें लग ही जाती हैं।
मेरे साथ चाय पी रहे हवलदार बिरजू ने मुझे मेरी ख्यालों से बाहर लाया। ' साहब इतने मगन कहां हो गए चाय ठंडी हो रही है और मेरा सिगरेट तो कब का खत्म हो गया पर आपका बिना पिए ही खत्म हो जाएगा ,बिरजू व्यंग कसते हुए बोला । '
मैं तुरंत अपने ख्यालों से बाहर आया और सिगरेट की कस लेते हुए बोला ,अरे काका कुछ नही बस यूं ही कुछ सोचने लग गया था।
चाय और सिगरेट की बिल देने के बाद मैं पास में ही बने एक पार्क में चला गया और घूमते घूमते मेरे जेहन में दुबारा वही खयाल आया जो कल शाम को घटित हुई थी।
कल दोपहर के करीब 3 बजे मैं अपनी बाइक पर सवार होकर पास के एक इलाके में पहुंच गया था जो की मेरी शुरू से ही आदत रही है एक जगह पर जल्दी ठहरता नहीं था। न जाने क्यों मैं उस इलाके की एक संकरी गली में अपनी गाड़ी को दौड़ा दिया ये सोचते हुए की मुख्य इलाके में इतनी भीड़ और गाड़ियों की आवाजे आ रही थी मानो कान में दर्द महसूस होने लग गया था। थोड़ी दूर अभी शायद तीन किलोमीटर जाने के उपरांत ही मुझे ऐसा आभास हुआ जैसे इस गली में शायद ही कोई आता होगा।
घरों की संख्या काफी कम थी । इस शहरी इलाके में जहां साथ आठ मंजिला की घर थे वही जहां अभी मेरी नजर जा रही थी सिर्फ दो से तीन मंजिलें के ही घर थे। आस पास नजर दौडाने पर मुझे कोई मॉल, किराने की दुकान ,जिम ,ब्यूटी पार्लर जो शहरी क्षेत्रों में आम बात होती थी वो सब कुछ नजर नही आया। हां एक चाय वाले की दुकान जरूर नजर आई जो शायद मानो मेरे लिए ही थी । अब चाय देखते ही मेरे मुंह में पानी आ गया। मैंने अपनी गाड़ी एक गली के पीछे लगाया और चायवाले के पास आ गया। पूछने पर उसके पास सिगरेट भी मिल गई । फिर क्या, मैं लगा सिगरेट को सुलगाने ।
साहब इस इलाके में आपको पहली बार देखा हूं शायद ! ' चायवाले ने झूठी बरतनों को समेटते हुए कहा।'
मैंने अपनी वर्दी थाने में ही छोड़ थी और सिविल ड्रेस में आ गया था वरना शायद चायवाला पहले मुझसे ये सवाल ही नहीं पूछता।
काका मैं बस ऐसे ही घूमते घूमते इधर चला आया था। पास के ही शहर में रहता हूं।
अच्छा बेटा ऐसी बात है। चायवाले ने थोड़ा मुस्कुराते हुए कहा।
मेरे जेहन में जो सवाल गूंज रहा था वो आखिरकार मैने पूछ ही लिया ।
काका इधर इतनी कम आबादी क्यों है । थोड़ी सुनसान सी मालूम पड़ती है ये ।
काका थोड़ा तेज भाव लेते हुए बोले, बेटा ये इलाका सरकार के अंदर आती हैं। अब सरकार इधर कुछ करती नही तो कुछ लोग बाहर से आए और इधर जैसे तैसे कुछ मकान बनाकर रहने लगे।
ओह अच्छा। मैंने जवाब में कहा।
अपनी चाय खत्म करते ही मैं अपनी गाड़ी के पास जा ही रहा था की तभी मुझे मेरी बीवी कोमल की कॉल आ गई। मैंने गौर किया तो पाया कि पहले से ही दो दो मिस्ड कॉल पड़े थे। चेहरे पर गंभीर भाव लाते हुए मैंने कॉल उठाई। उठाते ही वो मुझ पर बरस पड़ी ,इतनी देर से कॉल कर रही हूं किधर हो आप। बिरजू काका बोले आप बिना वर्दी के ही निकल पड़े हो वो भी दो घंटे पहले।
मैं सोचा अब क्या बोलूं गलती मेरी ही थी । पहले ही बोल देना चाहिए था की मैं थोड़ा ऐसे ही घूमने निकल पड़ा हूं कुछ काम था नही तो।
"जानू बस ऐसे ही निकल गया था बाइक पर। अब तुम तो जानती ही हो की जब से इधर ट्रांसफर हुआ है कुछ काम रहता नही है थाने में। "
जैसे तैसे समझने के बाद कॉल रखते ही मैंने गहरी सांस ली। और पता चला बात करते करते मैं कुछ एक किलोमीटर तक उस सुनसान गली में घुस आया था। चारो तरफ नजर दौड़ने पर पता चला आस पास के ज्यादातर घर मानो वीरान पड़े थे। टूटे हुए छज्जे और खिड़कियां और दीवारों की गन्दी हालात इस बात के सबूत थे।
मैं मुड़कर जाने ही वाला था की तभी एक गोली की आवाज मेरे सामने वाले घर की खिड़की से बाहर आई। आवाज सुनके मेरे पैर कांप गए ।
मेरे पैर तो मानो जम गए वही । दिल जोरो से धड़कने लगा ये सोचते हुए की एक ऐसा इलाका जहां आस पास एक परिंदे की भी मौजूदगी का कोई अता पता नहीं वहां पर ये गोली की आवाज़ कैसी?
मैं सहसा ही खिड़की के नीचे आ गया और उनकी आवाजे सुनने लगा । खिड़की से सीधे देखने पर मैं हैरान हुआ ये देखकर की दो कार खड़ी थी दरवाजे के ठीक सामने। अब हमसे गद्दारी करोगे तो मरना ही पड़ेगा। हाथ मिला लेते तो ये नौबत नहीं आती । जिंदगी इतनी रंगीन है इसे खुल के जियो यार अय्याशी करो। बेकार में ईमानदारी दिखाओगे तो यही होगा।

मिस्टर देसाई माल अगले हफ्ते ही आप तक पहुंच जाएगी। आप चिंता न करे। हमारी ये मीटिंग अब यहां पर नही होंगी ।शहर के किसी दूसरे इलाके में अब देखना पड़ेगा। मैं अपने खबरी को बोलता हूं इंतजाम करने आप चिंता न करे।
हमे पता है तुम अपना काम अच्छी तरह कर लेते हो मिस्टर नामदेव। दूसरे व्यक्ति ने कहा। वो लड़की की काफी तलब है मुझे , पतिव्रता बनी फिरती है। काफी शातिर है ऐसे वो। जब से शादी हुई है थोड़ी बदल गई है। शादी तो उसने हमारी धंधे को आगे बढ़ाने के लिए ही किया था। पतिव्रता बनने के चक्कर में कहीं धंधे की वाट न लगा दे। "शायद ये मिस्टर देसाई बोल रहा था"!
ऐसा कदापि नही होगा मिस्टर देसाई वो अपनी बात की पक्की है। और वैसे भी कुछ उल्टा सीधा करने की कोशिश करेगी तो हमारे पास उसकी कमजोरी है ही। खैर अब हमे चलना चाहिए मिस्टर देसाई और दरवाजे पर उनकी आहट सुनते ही मैं तुरंत बगल वाली कचरे के ढेर के पिछे छिप गया।

कुछ ही देर बाद काले कोट पहने सात आदमी निकले और उनमें से दो लोगो ने दोनो कार के दरवाजे को खोला और जो दो आदमी अपनी आंखों पर काला चश्मा लगाए हुए थे अपनी अपनी गाड़ियों में बैठ गए। शायद उनमें से दो ड्राइवर होंगे बाकी के लोग उनके बॉडीगार्ड। उनकी वेशभूषा के आधार पर मैंने ये अंदाज लगाया। उन सबमें एक बात ध्यान देने की थी चेहरे पर काले मास्क लगे हुए थे । कोई पहचान में नही आ पाया ढंग से मेरे।

उनके जाने के कुछ दस मिनट बाद मैं वहां से उठा ये सोचकर की कहीं उन्हें मेरा यहां होने का आभास हो गया हो तो वो दुबारा आ सकते थे।
मैं किसी तरह साहस करके ऊपर गया तो पाया कि एक आदमी पड़ा था। ये देखते ही मैं चौंका। तुरंत ही मैं उसके पास गया और उसकी नब्ज की जांच करने लगा। वो जिंदा था । अरे आप जिंदा है अपनी आंखे खोलिए। में आपको हॉस्पिटल ले चलता हूं।
तुरंत ही उसने आंखे खोली और मुझसे बोला की मेरे पास वक्त बहुत कम है । तुम्हे उन्हे रोकना होगा।इतना बोलते ही उसने दम तोड़ दिया।
मेरी चेतना लौटी जब अचानक ही एक बच्चे ने मेरी हाथ को पकड़ा और कहने लगा अंकल अंकल मेरी गेंद उस पेड़ पर अटक गई है।
मैंने उसकी गेंद उस पेड़ से निकल के उसकी हाथों में थमा दी। उसने एक प्यारी सी मुस्कान के साथ मुझे थैंक यू बोला। मैंने प्यार से उसके माथे पर हाथ फेरा और पार्क से निकलकर सीधा अपने घर की और लौटा।

मुझे देखते ही कोमल सीधे आकर सोफे के नीचे बैठते हुए मेरी जूते निकालने लगी। ब्लाउज के अंदर से झांकती उसकी उन्नत उरोजों को देखते ही मेरे बदन में एक सिहरन दौड़ गई । मेरी नजर को भांपते ही उसने एक तीखी मुस्कान के साथ मेरे सीने पर एक थपकी दी। आप भी ना आए नहीं की शुरू हो गए। मैं झेंप गया उसकी बातें सुनके
मैं चाय बनाके लती हूं। तब तक आप अपनी ड्रेस बदल लीजिए और जल्दी से नहा लीजिए।
अरे नहाना तक ठीक है तुम बार बार मेरी ये वर्दी पे क्यों लगी रहती हो। पुलिस वाला हूं तुम्हे तो फक्र होना चाहिए।
आपकी ये पुलिस की वर्दी से ही तो मैं इतना डरती हूं। पुलिस की नौकरी ही ऐसी है कि किसी भी पत्नी को ऐसा लगेगा।
खैर अब ज्यादा बातें न बनाइए और जल्दी से नहाने जाइए , बड़े प्यार से मेरी घड़ी को उतारते हुए बोली वो। मेरी नजर अब भी उसकी उरोजो पर ही केंद्रित थी।
मेरी आंखों को देखते ही उसने एक चपत लगाई मेरी गालों पर। उसकी इसी अदा पर तो कायल था मैं।
रात को आपकी ख्वाहिश पूरी करती हु इंस्पेक्टर साहब ,कुटिल मुस्कान मुस्कान लेते हुए बोली वो।

छत में सिगरेट सुलगाते हुए मैं अब भी उस व्यक्ति के आखरी शब्दों को याद कर रहा था। आखिर कौन थे वो रहस्यमयी लोग। उनकी वेशभूषा से कहीं से ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा था की वो मामूली इंसानों में से थे। और कौन सी डील की बात कर रहे थे वे वो भी ऐसे सुनसान गली में जो की अपने आप में ही एक वीरान जगह थी। खैर मैंने सोचा क्यों मैं इस फालतू की बातों को याद करने लगा हूं । ये महज एक संयोग ही था की मैं उस वक्त वहां पहुंच गया था। ऐसे सोचते ही मैंने सिगरेट को जमीन के नीचे कुचला और छत से बाहर फेंक दिया।
इतने में मेरी बीवी के चिल्लाने की आवाजें आने लगी, अरे कहां आप छत पर इतनी देर से क्या कर रहे हो?

' कुछ नही जान बस आया मैं '! शायद उसने रात खाने की बरतने धो ली थी।
कमरे में आते ही मैंने उसे जकड़ लिया।
मुझे लग ही रहा था की आपके मन में ज़रूर कोई शरारत पनप रही हैं, कोमल मेरी बाहों में इठलाते हुए बोली।
तुरंत ही हम बिस्तर में थे। उसके कोमल गुलाबी होंठो को मैं चूसने लगा । गुलाबी शहद की तरह उसकी होंठो की स्वाद जिसे पाने की चाहत हर कोई करता।

होंठो का स्वाद लेते हुए मेरे हाथ उसके वक्ष तक कब पहुंच गए पता ही नही चला। वो भी पूरे शिद्दत से मेरा साथ दे रही थी। ब्लाउज के बटन खोलते हुए ऐसा प्रतीत होने लगा जैसे ये कोई रोडा हो हमारे प्यार के बीच । खैर सारे बटन एक एक करके खोल दिए मैंने । बड़ी तेजी से उसकी उरोंजो को दबा रहा था मैं। वो मानो जैसे ठान ली हो की मेरे होंठ नही छोड़ेगी ।
खैर जब मैं उसके सफेद ब्रा की हूक को पीछे से खोलने का व्यर्थ प्रयास कर रहा था तो उसने मानो मेरी मनसूबों को पकड़ ली और हंसने लगी । उसने खुद ही अपने हाथ पीछे किए और ब्रा की हूक को खोल दिया। मेरी चेहरे पर थोड़ी शर्म आ गई। इतने दिनो से हम संभोग कर रहे थे पर न जाने क्यों हर बार मैं उसके ब्रा के हुक खोलने में असमर्थ रहता। हमारे वस्त्र अब खुल चुके थे । एक दूसरे के जिस्मों को पाने की तीव्रता इतनी ज्यादा थी की हमे समय का आभास भी नहीं रहा। पिछले आधे घंटे से शायद हम एक दूसरे को चूमने में व्यस्त थे।
हमारी तंदभद्रा तब टूटी जब मेरा खड़ा लिंग उसकी योनि में ठोकर मारने लगा। उसने देर न करते हुए तुरंत मेरे लिंग को अपने हाथो में कस लिया और ऊपर नीचे करने लगी। क्या सुखद अहसास था वो ,उसकी कोमल और मुलायम हाथों में मेरी लिंग मानो उछल कूद करने लग गया।
मेरी आंखों में देखते हुए उसने मेरे चहरे पर आए नशे को पहचानते हुए बोल उठी , ' काफी जोश में खड़ा है ये छोटा इंस्पेक्टर आज'!
मैं कुछ बोलने की स्थिति में था ही नहीं। जल्दी से उसने मेरे लिंग को अपने मुंह में ले लिया। मैं प्यार से उसके बालों को सहलाते हुए उसके चेहरे को अपने लिंग के ऊपर नीचे करने लग गया।
काफी देर बाद जब जब वो थक गई तो मैंने उसकी स्थिति का आभास हुआ। मैंने उसे बिस्तर में लेटाते हुए उसकी योनि पर कूद पड़ा। हल्के बालों वाली उसकी सुंदर गुलाबी योनि मानो जितना देखो उतना ही कम। हाथ का स्पर्श पाते ही मैंने अनुभव किया की योनि काफी गीली है। देर न करते हुए मैने अपने मुख को उसकी योनि पर सटा दिया और निकल रहे शहद को चाटने लगा। योनि की दानों पर जैसे ही मेरी जीभ जाति मेरी बीवी तुरंत बिस्तर को पकड़के खींचने लगती । जब उस से बर्दास्त नहीं हुआ तो उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और अपनी योनि को मेरे लिंग पर घिसने लग गई। उसकी तीव्रता को देख कर मैंने तुरंत ही लिंग को योनि पर सटाया और हल्के से अंदर धकेल दिया। लिंग लगभग आधा अंदर चला गया और मेरी बीवी के मुंह से एक आह की आवाज निकल गई। एक जोर का धक्का देते हुए मैं लगा उसे चोदने। कभी मैं उसके उरोंजो को पकड़ के धक्के लगाता तो कभी जांघो को पकड़ के कस के धक्के मारने लगता।
संभोग क्रिया अब अपने चरम पर पहुंच गई थी। पूरे कमरे में जबर्दस्त धक्कों की आवाजे गूंजने लगी। ऐसे ही जल्दी हम दोनों ही खाली हो गए । और एक तूफान सा मानो थम गया।



Bahut hi shandar update he TheEndgame Bhai

Shuruwat me hi kahani badi hi zordar lag rahi he..........

Agli update ki pratiksha rahegi Bhai
 

TheEndgame

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Bahut hi shandar update he TheEndgame Bhai

Shuruwat me hi kahani badi hi zordar lag rahi he..........

Agli update ki pratiksha rahegi Bhai
धन्यवाद भाई। Actually I am a new comer in xforum! First time story likh Raha hu ! So don't have much info regarding how to write a story and how to use the features of xforum while writing story
 
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Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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बढ़िया लग रही है कहानी

वो लड़की की काफी तलब है मुझे , पतिव्रता बनी फिरती है। काफी शातिर है ऐसे वो। जब से शादी हुई है थोड़ी बदल गई है। शादी तो उसने हमारी धंधे को आगे बढ़ाने के लिए ही किया था। पतिव्रता बनने के चक्कर में कहीं धंधे की वाट न लगा दे। "शायद ये मिस्टर देसाई बोल रहा था"!
और ऐसा क्यों लग रहा है कि यहां शायद कोमल का ही जिक्र हो रहा है 🤔
 

TheEndgame

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बढ़िया लग रही है कहानी


और ऐसा क्यों लग रहा है कि यहां शायद कोमल का ही जिक्र हो रहा है 🤔
Thanks for your valuable feedback brother! मुझे भी idea नही है की वो लड़की कोमल ही है या कोई और। अब ये तो वक्त ही बताएगा। Let's see .....
 
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