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Adultery चाहत

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भाग :- 3
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फोन रखते ही मैंने तुरंत ही अपनी बाइक को सड़क पर दौड़ा दिया । अपनी सामान्य चाल से कुछ ज्यादा ही तेजी से मैं अपनी गाड़ी को दौड़ाए जा रहा था। आस पास के लोग भी पुलिस की वर्दी देख अपनी गाडियां साइड कर ले रहे थे।
एक पुलिस की वर्दी की धाक ही कुछ और होती हैं। जहां जाओ वहां इज्जत अपने ही आप ही मिल जाती है।

मेरे थाने का ही एक कॉन्स्टेबल वरुण जो की मेरी तरह ही नया नया पुलिस में भर्ती हुआ था ,उसके बताए गए पते पर मैंने गाड़ी रोकी।

सामने पड़ी लाश को देख मैं चौंका । एक बूढ़ा आदमी जो की तकरीबन 60-65 सालों का होगा ,मेरे सामने मृत पड़ा था। सफेद बनियान और धोती पहने हुए ऐसे जान पड़ता था जैसे संभवता इस शहर में कहीं पर नौकर ही होगा।

"Good morning sir, इस आदमी ने मुझे खबर दी इस लाश के बारे में! - वरुण थोड़ा हकलाते हुए बोला। "
मानो उसके चेहरे पर आई थोड़ी डर और पसीने ने उसकी हकीकत बयां कर दी की उसने अपनी पुलिस की नौकरी में पहली बार किसी लाश को देखा हो।

मैंने उस व्यक्ति की तरफ अपनी नजर घुमाई जिसकी ओर वरुण इशारा कर रहा था। हल्के दाढ़ी वाला उस व्यक्ति ने नीचे सिर्फ एक shorts ( half paint) पहनी थी और ऊपर एक सफेद गंजी में था। पैरो पर एक काली रंग की sports shoes।
ऊपर से नीचे तक एक बार अच्छे से निहारा मैने उसे। जरूर वो इधर मॉर्निंग वॉक पर आया होगा ,ऐसा अंदाजा तुरंत ही लगाया मैने।

"नमस्ते सर ! दरअसल ये जमीन मेरी ही है, काफ़ी सालों से प्रयास कर रहा हूं की एक कॉम्प्लेक्स बनाऊं ताकि लोग अपनी दुकानें यहां बसा सके! यूं तो मैं हमेशा इधर नही आता था,यही कोई महीने में चार पांच बार आ जाता हुं सुबह सुबह दौड़ लगाते हुए आना हो जाता है। अपने माथे पर आए पसीने को रूमाल से पूछते हुए बोला!*"

क्या नाम है आपका? मैने पूछा!
' जी आलोक प्रताप नाम है सर ! '
हम्म्म! क्या इसे जानते हो ? मैने लाश की ओर इशारा करते हुए पूछा ।
' नहीं सर ! मैं इसे नहीं जानता ! पहली बार ही देख रहा हूं इसे।'
क्या काम करते है आप वैसे?
जी सीमेंट की बिजनेस करता हूं सर! मेरा मतलब है की थोक में खरीद कर उसे दूसरे छोटे दुकानों और साथ ही साथ गांवों तक भी सप्लाई करता हुं।
"ठीक हैं मिस्टर आलोक ,आप जा सकते है पर अपना पता हवलदार को देते जाइए। भविष्य में कभी भी बुलाया जा सकता है आपको। इसीलिए तयार रहिएगा।*
' जी जी सर,' उसने थोड़ा हकलाते हुए उत्तर दिया।

sir, गोली सीधा सीने में जाके लगी है,ऐसा प्रतीत होता है जैसे इसे तड़पने का भी वक्त न मिला हो! "कॉन्स्टेबल वरुण ने मेरी ओर देखते हुए बोला।*

"आखिर इस बूढ़े से किसी की क्या दुश्मनी रही होगी भला। मैं थोड़ा सोचते हुए बोला।
ठीक है इसकी लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दो और आस पास के घरों में इसकी फोटो दिखाकर इसकी पहचान का पता लगाओ। मुझे लगता है की ये किसी के घर में नौकर ही होगा।"

ठीक है सर, वरुण ने कहा।
हर बार की तरह मैं इस बार भी थाने की बगल वाली चाय के दुकान पर चाय और सिगरेट की कस लेने लगा।
पर इस बार मेरे साथ वरुण भी था बिरजू के अलावे। फर्क सिर्फ इतना था की आज मैं अपने स्वभाव के विपरीत कुछ जल्दी ही चाय पीने आ गया था। वरना हर बार शाम के करीब ही जाता था
"तो मिस्टर वरुण कहां थे पंद्रह दिन तुम ? बिरजू ने बताया की तुम छुट्टी पर चले गए थे वो भी नौकरी लगने के दो महीने के अंदर ही ? मैने चाय की एक सिप लेते हुए उससे पूछा।"

सर मैं वो थोड़ा पिताजी को कुछ जरूरी काम आ गया था तो मुझे जाना पड़ा , ' शर्माते हुए वरुण ने जवाब दिया।"

पिताजी को जरूरी काम याद आ गया था या तुम्हे घर की याद आ रही थी ? उसकी चेहरे पर आई झूठ को पहचानते हुए मैं बोला!
जी sir ! वो शर्माया।
देखो वरुण कोई बात नहीं! ऐसा होता है पर पहले जॉब को देखा जाता है! आखिरकार तुम्हे एक पूरे इलाके की जनता की सुरक्षा की कमान सौंपी गई है। - मैं बोला।
*जी सर आगे से ध्यान रखूंगा। "

"अरे अरे ! डरो मत वरुण मैं तो बस मजाक कर रहा था! तुम तो सीरियस हो गए। मैं नहीं चाहता की मेरा जूनियर जो की नई नई नौकरी में आया हो और ऐसे मुझसे डरे। "
I am really sorry sir , actually मैं थोड़ा नर्वस हो गया था! इस बार थोड़ा मुस्कुराते हुए बोला वो।
बिरजू काका आज की लाश की सारी डिटेल्स लिखकर रखो आप,हम थोड़ी देर में आते हैं।
मैं और वरुण उसी पार्क में टहल रहे थे , दरअसल मुझे उससे थोड़ी बातें करनी थी ।
*यार वरुण ,क्या लगता है तुम्हे किसी ने उस बूढ़े को क्यों मारा होगा ? "
"सर मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है की आखिर उस बूढ़े से किसी को क्या शिकायत? '

फिर मैंने वरुण को कल के हुए संदिग्ध घटना को बताया जिसे मैंने खुद अपनी आंखों से देखा था।
वरुण को तो एक पल के लिए यकीन ही नहीं हुआ की मैं क्या बोल रहा हूं ये सब ।
' it's very strange yaar वरुण, मेरे लिए तो जैसे एक खौपनाक सपने के जैसा था*!
मेरे पास उस वक्त गन नहीं थी वरना मैं उन पर हमला कर ही देता।
इतने में मुझे याद आया की इंस्पेक्टर जाधव सर मुझसे मिलने आने वाले थे ! उस केस के सिलसिले में।

इतने में मैंने वरुण को बोला की तुम थाने जाओ मुझे थोड़ा किसी से बातें करनी है।

Hello ,Good morning,I mean afternoon jadhav sir! आप आने वाले थे?
"Ohhh,yes Good afternoon inspector Ajay! वो दरअसल मुझे थोड़ा काम था ! मैं तुम्हे शाम में मिलता हुं! If you don't mind, जाधव सर बोले।*

yeah! No problem sir, आप आ जाओ!


अब उन्हें क्या बोलता की मेरी बीवी शाम के वक्त एक मिनट भी अगर देरी हो जाए घर पहुंचने में तो चिल्लाने लग जाती हैं।

कॉल रखते ही मुझे कोमल का कॉल आया , ! मेरे चेहरे में एक
खुशी दौड़ गई। दिन में दो से तीन बार वो कॉल जरूर करती ये देखने के लिए की मैं सही सलामत हू भी या नहीं। अब पुलिस की नौकरी ही ऐसी होती है की कोई भी परेशान हो जाए, ऐसे में मेरी बीवी का मुझे लेकर परेशान होना स्वाभाविक था।

हां जानू तो क्या कर रही है मेरी प्यारी कोमल ?
कुछ नहीं जी बस इंस्पेक्टर साहब को याद कर रहे थे! वो भी मुस्कुराते हुए बोली!
अच्छा किस इंस्पेक्टर को याद कर रही थी ! बड़े वाले को या छोटे इंस्पेक्टर को? मैंने थोड़ा व्यंग कसते हुए बोला!
मेरे बातों का मतलब जानने में उसे तनिक भी देरी न हुई ! और बोल पड़ी!
अच्छा मतलब जब देखो आपको वही सब सूझता रहता है? और कुछ काम वाम है की नहीं?
काम शब्द सुनते ही मैं थोड़ा परेशान हो गया क्योंकि कल की हुई संदिग्ध घटना के बारे में मैने उससे जिक्र नहीं किया था। मैं उसे खामखा परेशान नहीं करना चाहता था। मैं जानता था की घटना के बारे में सुनते ही वो मुझ पर बरस पड़ती।

मेरी चुप्पी तोड़ते हुए बोली वो क्या हुआ जी ? कुछ बोल क्यों नहीं रहे? आवाज नहीं आ रही आपकी?
कुछ नहीं जानू मैं तुमसे थोड़ी देर बाद बात करता हूं! वो नया कॉन्स्टेबल जो leave पे गया था वो कल ही आया है।
अच्छा ओके जी! Take care! Love you! Bye!

शाम के करीबन चार बजे होंगे की एक हट्टा कट्टा आदमी पुलिस की वेशभूषा में थाने में दस्तक दिया! उम्र में करीब पैंतीस छत्तीस के आसपास का होगा वो।
Good evening Mr Ajay!
Good evening sir! Please take a seat!
"कौन है ये नौजवान? वरुण की ओर इशारा करते हुए जाधव बोला! "
Yes sir, I am Varun Kumar! Recently posting हुई है।
ओह अच्छा ! Best of luck to a new journey!
thanks sir!

समय न गवाते हुए मुद्दे पर आते हैं, जाधव बोला!
तो इंस्पेक्टर अजय ! क्या आपने कुछ भी ऐसा कुछ देखा या पाया हो जो हमें कातिलो तक पहुंचा सके?

नहीं सर ऐसा तो कुछ भी मेरे हाथ नहीं लग पाया! पर शायद एक बात पर मेरा ध्यान अवश्य गया था!


किस बात पर इंस्पेक्टर? जाधव बहुत ही रुचि लेते हुए और थोड़ा चौंकते हुए बोला!
 
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दोस्तों कहानी का तीसरा भाग प्रस्तुत किया है। कृपया पढ़कर अपनी उपयोगी प्रतिक्रिया कॉमेंट करके जरूर बताएं! मैं कोई professional writer नहीं हूं,ये मेरी प्रथम प्रयास है। इसीलिए आप लोगो की भागीदारी बनती हैं।
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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दोस्तों कहानी का तीसरा भाग प्रस्तुत किया है। कृपया पढ़कर अपनी उपयोगी प्रतिक्रिया कॉमेंट करके जरूर बताएं! मैं कोई professional writer नहीं हूं,ये मेरी प्रथम प्रयास है। इसीलिए आप लोगो की भागीदारी बनती हैं।
प्रथम प्रयास में भी झंडे गाड़ रहे हो भाईसाब।

बढ़िया ढंग से कहानी आगे बढ़ रही है। तीन भाग में ही २ खून हो गए। उसमें भी दोनो मृत्य व्यक्तियों का अता पता ही नही किसी को।
 

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प्रथम प्रयास में भी झंडे गाड़ रहे हो भाईसाब।

बढ़िया ढंग से कहानी आगे बढ़ रही है। तीन भाग में ही २ खून हो गए। उसमें भी दोनो मृत्य व्यक्तियों का अता पता ही नही किसी को।
धन्यवाद भाई। ऐसे तो मैं फोरम पर नया हूं और जुड़ने के साथ ही कुछ कहानियां पढ़ी तो सोचा कुछ मैं भी लिख दू। Bas thoda xforum ke features achhe se nhi pata! :thankyou:
 

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भाग 4
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दोनो ही गाड़ियों के नंबर प्लेट पर एक ही नंबर अंकित था और दोनो ही गाडियों के रंग , आकार और यहां तक की दोनो गाडियां ही मानो एक दूसरे का हमशक्ल हो ! - ' मैं जाधव की ओर देखते हुए बोला।*
क्या तुम्हे नंबर याद है? -जाधव बोला!

कोई फायदा नहीं नंबर जानकर सर, मैंने पहले ही नंबर की जांच करवाई तो कुछ पता नहीं चल पाया! यानी की ये नंबर सरकारी दस्तवेजो में है ही नहीं! -जाधव की उत्सुकता को खत्म करते हुए बोला मैं।
ओह! काफ़ी शातिर निकले फिर वो। -जाधव मायूस होते हुए बोला।
' बिलकुल सर ! और इसका सीधा मतलब ये निकलता है की एक ही गाड़ी दो अलग अलग जगहों पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकती हैं! भले ही गाड़ी दो क्यों न हो।"

खैर आज सुबह भी एक उसके जैसा ही संदिग्ध घटना हुई है सर! एक बूढ़े व्यक्ति की लाश मिली है गोली लगने की वजह से ही! - मैंने सोचा जाधव को बता देता हूं।*

"क्या ? लाश मिली ? और तुम मुझे ये बात अभी बता रहे हो? -जाधव अपने चेहरे पर थोड़ी सी हैरानी भाव लाते हुए बोला।"

सर मैं बताने ही वाला थी की आपने सीधा मुद्दे पर आने की बात ला दी?
क्या कोई संबंध हो सकता है इन दो खूनों का आपस में? -जाधव उत्सुकतावस बोला।
"अभी तो कुछ कहा नहीं जा सकता सर,शायद हो भी सकता है !
उस व्यक्ति ने मरते मरते भी सिर्फ इतना ही बोला की तुम्हे उन्हे रोकना होगा? अब किसे और किसलिए रोके,ये तो अपने आप में ही एक रहस्य रह गया जो वो अपने मरने के साथ ही ले गया।
मुझसे एक गलती ये हो गई की मैने उनका पीछा नहीं किया! मैंने सोचा वो व्यक्ति शायद जिंदा होगा तो उसे अस्पताल ले जाता! पर खूनी भी कितने शातिर थे की गोली सीधा उसके दिल पर मारी थी ,और शायद उन्हें ये भी पता थी अब शहर के मुख्य इलाके से इतनी दूर कोई अस्पताल है भी नहीं तो उसका बचना नामुमकिन ही था।*"

खैर छोड़ो इन सब बातों को ये बताओ की किधर रहते हो? क्या यहीं के रहने वाले हो?- जाधव ने पूछा।
"नहीं सर मैं यहां का नहीं हूं ? मेरा अपना घर तो यहां सीतारामपुर गांव में है! इस शहर से करीबन साठ किलोमीटर दूर। और मैं यहीं सेक्टर 10A में रहता हूं। सरकारी फ्लैट में।*

सेक्टर 10A में ,यार सेक्टर 10B में तो मैं रहता हुं? पर तुम्हे कभी देखा नहीं ? -जाधव उत्सुक होते हुए तुरन्त पूछा।

शायद आप हाइवे से चले जाते होंगे ,आपको लंबी दूरी तय करनी होती है ना।
हां शायद ! -जाधव बोला।
पर sir आप उधर कैसे रहने लगे । आपको तो अपने थाने के आस पास ही रहना चाहिए था। मैं पूछना तो नहीं चाहता था पर जब वो मेरे बारे पूछने लगे तो सोचा मैं भी पूछ ही लेता हू।

अरे बात ऐसी है की मेरी बीवी को सजने संवरने का काफी शौक है तो इसीलिए ब्यूटी पार्लर चलती है! अब शहर की औरतों का इन सबमें लगाव कुछ ज्यादा ही होती हैं तो दुकान भी अच्छी खासी चलती हैं। - जाधव थोड़ा फीकी मुस्कान लेते हुए बोला।

तो फिर मिलते हैं इंस्पेक्टर अजय इस रविवार को आपके यहां या हमारे यहां? क्या बोलते हो ?
बिलकुल सर जैसा विचार होगा ! अब मैं तो नया हूं इधर तो आप ही आ जाइए मैडम को साथ लेकर। - मैं बोला।
ठीक है तो फिर ! मैं निकलता हूं ! केस के बारे में कुछ पता चलता है तो बताऊंगा।

साला कितना पका दिया। एक तो सुबह सुबह ही खून और ऊपर से ये इंस्पेक्टर जाधव। - पानी पीते हुए मेरे मुंह से अनायास ही निकल गया।

फ्लैशबैक:-
"अबे तुम लोगों के अकल ठिकाने है की नहीं? इतनी बड़ी मिस्टेक कैसे कर सकते हो? अभी हमने अपने धंधे को शुरू भी नहीं किया और तुम लोगो ने दो दो फिर से एक खून कर दी? तुम लोगों को क्या लगता हैं की पुलिस चुतिया है !"

सामने कुर्सी पर बैठा वो आदमी जिसके चेहरे पर इस समय गुस्सा साफ देखा जा सकता था। पर चेहरा उसका काले मास्क के पीछे छिपा हुआ था। काले रंग की सूट पहने वो किसी दरिंदे से कम नहीं लग था इस वक्त । ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे सामने खड़े व्यक्तियों को जो उसके जैसा ही वेशभूषा में थे उन्हें अभी के अभी जिंदा जला देगा।

एक अजीब सी जगह जो किसी खौफनाक किले से कम नहीं लग रहा था ।

I am sorry boss , वो बूढ़ा आदमी अचानक ही हमारे सामने आ गया । उसने हमारी बातें सुन ली थी ।

सालों काम तो बना नहीं और ऊपर से नुकसान करके आए हो।
क्या किया जाए तुम लोगों के साथ ?
सर, ऐसी गलती दुबारा नहीं होंगी ! Please forgive us।
चलों एक मौका देता हूं तुम्हे ! पर जल्द ही मुझे अच्छी खबर चाहिए।


वर्तमान में:-
यार वरुण चल कहीं चलके खाना खाते है? कोई अच्छी सी होटेल हो तो बताओ जहां थोड़ी पीने की व्यवस्था हो जाए ? आज बीवी को बता देता हूं की तू पार्टी दे रहा है अपने आने की खुशी में। - मैं वरुण की ओर देखते हुऐ और थोड़ा हंसते हुए बोला।

Sure sir! यहीं कोई चार पांच किलोमीटर के आस पास ही अच्छा होटल है! हम चल सकते हैं वहां ।
तो चले फिर?
yes sir।
यार वरुण तु शराब पीता भी है की नहीं? -अपनी गिलास में पैग बनाते हुए मैने वरुण से पूछा।
sir ज्यादा नहीं बस थोड़ी बहुत कभी कभार ले लेता हूं।

अबे शर्मा क्यूं रहा है? यहां कोई सीनियर जूनियर नहीं? खुल के पी। उसके चेहरे पर आई शर्म को भांपते हुए मैं बोला।
अब देख भाई पैग भी तु मुझसे बनवा रहा है। - मैंने सोचा थोड़ा मजे ले ही लेता हूं इसकी।

अरे sorry sir! दीजिए मैं बनाता हूं! थोड़ी डर उसके चेहरे पर स्वता ही आ गई।
"अरे यार तू फिर सेंटी हो गया। मजाक कर रहा था भाई मैं!
चल आज तुझे मैं पिलाता हुं। "

यार बीवी आज तो काफी चिल्लाएगी? -थोड़ी सी नशा चढ़ गई थी मुझे।
sir संभलके जाइएगा। - वरुण मुझे good night बोलते हुए बोला।
अबे तू अपनी देख ! मैं चला जाऊंगा । चल good night bro।

मैं अपनी बाइक को सड़क पर धीरे धीरे दौड़ाते हुए ले जा रहा था की अचानक ही मुझे सड़क पर कुछ विचित्र सा नजर आया।
सड़क काफी सुनसान सी मालूम पड़ रही थी इस वक्त , शायद सड़क पर इस वक्त ज्यादा लोग आते ही नहीं।
मैने अपनी बाइक रोकी और चल पड़ा उनके पास।


 
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