धन्यवाद भाई! अपडेट पोस्ट कर दिया है! ....Kya gazab ki update post ki he TheEndgame Bhai,
Jaisa ki pehle se hi shaq tha..........komal, mantri jadhav aur uski biwi, sab ke sab aapas me mile huye he.............
Koi bahut hi badi planing chal rahi he inke beech...............
Shayad ab ajay koi sapna dekh raha he...............usike duaran use ye goli lagi he..........
Agli dhamakedar update ka intezar rahega Bhai
Excellent storyभाग 10
इससे पहले को वे कोमल को पर भी गोलियां चलाते ,अचानक से ही कुछ लोग चिल्लाते हुए हमारे सामने प्रकट हो गए और उन गुंडों को मारने लग गए।
इन लोगों के पास अलग अलग तरह के औजार थे इन गुंडों से लड़ने के लिए। कुछ के पास लकड़ियां थी तो कुछ के पास लोहे की बनी रॉड। इनकी संख्या ज्यादा थी उन गुंडों के मुकाबले जिससे की उनमें एक आत्मविश्वास जाग गया था । कुछ आठ या नौ होंगे ये।
सबने तेजी से फुर्ती दिखाते हुए उनके बंदूकों को उनके हाथ में वार करके गिरा दिया और इन आदमियों को जकड़ लिया।
मैं कोमल की बाहों में सड़क पर मृत शरीर की भांति पड़ा हुआ था। कोमल तो मानो मुझे इस हालत में देख सांस लेना ही भूल गई थी।
उसकी आंखों से आंसू ऐसे बहे जा रहे थे जैसे आज तक कभी रोई ही न हो ।
"उठिए अपनी आंखे बंद नहीं कीजियेगा ! मेरी ओर देखते रहिए,मुझसे बातें कीजिए! प्लीज आंखे खोले रखिए। कुछ नहीं होगा आपको! ..... मैं कुछ नहीं होने दूंगी आपको ! हम जल्द ही हॉस्पिटल जायेंगे। ........ मेरे चेहरे को अपनी हाथो में लिए कोमल मुझसे विनती किए जा रही थी"।
"क क....कोमल मैं ...इतना ही बोल पाया की एक तेज दर्द सीने में उभर आई मेरी।"
"आप कुछ मत बोलिए बस मेरी ओर आंखे खोलके देखते रहिए ! मैं कुछ नहीं होने दूंगी आपको। ... कोमल की आंखों से आंसू झरने की तरह बहे जा रहे थे जो मेरे चेहरे पर गिर रहे थे"!
"अरे सुनो ! कोई हमारी मदद करो ! मेरे पति को गोली लगी है ! इन्हे जल्द ही हॉस्पिटल ले जाना होगा। कोई तो मदद करो हमारी प्लीज।....कोमल चीखने लगी ।
तभी उनमें से एक आदमी ने अपने साथियों को रुकने को बोला।
"अरे रुक जाओ इतना ही मारो इन्हें । कहीं मर न जाए ये। इन्हे जिंदा रखना है हमें। "
"तुम लोग इसे पकड़ के मेरे बताए गए अड्डे में ले जाओ ! मैं बाकी के पैसे आकर देता हूं तुम लोगो को। पहले इस इंस्पेक्टर को हॉस्पिटल लेके जाना पड़ेगा। *
"मैडम आप छोड़िए इन्हे। मुझे उठाने दीजिए ! कुछ नहीं होगा इनको ! आप थोड़ा धीरज रखिए।....वो आदमी मेरे पास आकर बोला।"
उसे देखते ही मेरी पत्नी उस आदमी से विनती करने लग गई......"कृपया कर मेरे पति की जान बचा लीजिए। इन्हे हॉस्पिटल ले चलिए। मेरी मदद कीजिए ! मैं आपके पांव पड़ती हुं।"
"अरे मैडम आप चिंता मत कीजिए। मुझे इन्हे उठाने दीजिए। इन्हे जल्दी ही हॉस्पिटल ले चलना होगा।*
"आप चिंता मत कीजिए ! कुछ नहीं होगा आपको! मेरी ओर देखते रहिए और मुझसे बातें कीजिए। हम बस हॉस्पिटल पहुंचने ही वाले है ! भाई साहब आप प्लीज थोड़ा और तेज चलाइए गाड़ी ! ....कोमल लगातार रोए जा रही थी"!
मैं उसकी आंखों से निकल रहे आंसू देखे जा रहा था। कोमल के कहने पर किसी तरह बस आंखों को खुला रखा हुआ था मैने।
कुछ ही देर बाद मैं हॉस्पिटल में भर्ती था। हालत एकदम से अधमरे व्यक्ति के जैसे हो गई थी।
मेरी बीवी और वो आदमी बाहर ही मेरे ठीक होने का इंतजार किए जा रहे थे।
"डॉक्टर कैसे है मेरे पति ? उनकी हालत कैसी है अब? वो ठीक तो हो जाएंगे न? उनकी जान को कोई खतरा तो नहीं है न? ..... करीब एक घंटे के ऑपरेशन के बाद जब डॉक्टर बाहर निकला तो मेरी बीवी तुरंत उसके पास जाकर रोते हुए पूछने लगी*।
"घबराइए मत कोमल जी ! वो अभी खतरे से बाहर है ! अगले दो तीन घंटे में उनको होश आ जायेगा। तब आप उनसे मिल सकती है। ....डॉक्टर मेरी बीवी की परेशानी को देखते हुए उसे दिलासा देने लगा।"
"सच डॉक्टर वो ठीक है। क्या मैं उनसे मिल सकती हूं अभी? मुझे उन्हे देखना है एक बार!" .... डॉक्टर की बात सुन कोमल के सीने से मानो एक बड़ा बोझ उतर गया था!
"हां कोमल की वो बिलकुल ठीक है ! दरअसल बात ये है की गोली लगी तो सीधा उनके सीने में आकर ही पर शायद भगवान ने उन्हें बचा लिया।"
मैं कुछ समझा नहीं डॉक्टर? वो आदमी जो किसी फरिश्ते के समान था मेरे लिए ! जिसने शायद सही वक्त पर आज मुझे न बचाया होता तो मैं इस दुनिया को कब का छोड़ चुका होता। ...वो डॉक्टर से की बात सुन अचंभित होके पूछने लग गया।
"हा अब बात है इतनी अजीब की यकीन न हो ! और इसे कुदरत का करिश्मा का कहा जा सकता है की इंस्पेक्टर अजय आज जिंदा है।
दरअसल बात ये है की उनकी गले में एक हनुमान जी की चौड़ी लॉकेट थी ! गोली जब लगी तो वो लॉकेट उनके ठीक हृदय के पास थी। गोली सीधा लॉकेट के साथ उनके सीने में घुस गई।
पर उनकी हृदय तक नही पहुंच पाई! जिसके परिणामस्वरूम इंस्पेक्टर अजय जिंदा बच गए।"
डॉक्टर की बात सुन जहां वो मेरे जान बचाने वाले व्यक्ति को यकीन नहीं हुआ वही मेरी बीवी खुशी से सामने बने मंदिर में जाके भगवान के नीचे माथा टेकने लगी।
क्यों कोमल जी ! आपकी असलियत मैं बता दूं उन्हे या आप स्वयं ही बताएंगी उन्हे? ..... उस आदमी ने मेरी बीवी की ओर देखते हुए बोल।
मेरी बीवी उसकी बात सुन अचंभित होकर उसकी ओर देखने लगी ।
ये क्या बोल रहे है आप? कौन सी असलियत ? मैं कुछ समझी नहीं? ...."कोमल उस आदमी की ओर देखते हुए बोलने लगी"!
हा हा .... हसते हुए वो कोमल से बोलने लगा....." अरे वही असलियत कोमल जी की उनकी इस हालत की जिम्मेदार तो आप ही है। क्या और कुछ बताना बाकी रह गया है अभी? मुझे सब पता है आपकी साजिशो के बारे में? "
"देखिए प्लीज उन्हे अभी कुछ मत बताइएगा ! ठीक होने पर मैं उन्हें सब खुद ही बता दूंगी ! ....में हाथ जोड़ती हूं आपके सामने ! "
ठीक है कोमल जी ! चलिए एक बात मैं आपकी मान ही लेता हूं ! आपकी आंखों में इस वक्त सच्चाई दिख रही है ।....वो बोला"
"वैसे एक बात समझ नहीं आई मेरी? आप इतनी चिंतित क्यूं हो गई अचानक अजय सर को लेकर? आपको तो आखिर उनसे अपना काम ही निकलवाना था ना? ....वो आदमी मेरी बीवी की और देखते हुए हैरान भाव से बोला!*
उसकी बात सुन कोमल की आंखों से आंसू फिर से निकलने लगी !
"क्या वो इंस्पेक्टर अजय बच निकला? ऐसा कैसे हो गया ? आखिर किसने बचा लिया उन्हे? ....सामने खड़ा आदमी उस आदमी से बोलने लगा जो इस वक्त पसीने से तरबतर हुआ किसी तरह दौड़े दौड़े आया था? "
बॉस! वो वो .....इतना ही बोल पाया था की एक जोरदार चाटा उसके गालों पर जड़ दिया उसने? ....." उसकी आंखो पर इस वक्त गुस्सा साफ देखा जा सकता था। चेहरे पर काली मास्क और आंखों पर चश्मा लगाए हुए इस वक्त वो किसी खूंखार जानवर से कम नहीं लग रहा था।
भाग 10
इससे पहले को वे कोमल को पर भी गोलियां चलाते ,अचानक से ही कुछ लोग चिल्लाते हुए हमारे सामने प्रकट हो गए और उन गुंडों को मारने लग गए।
इन लोगों के पास अलग अलग तरह के औजार थे इन गुंडों से लड़ने के लिए। कुछ के पास लकड़ियां थी तो कुछ के पास लोहे की बनी रॉड। इनकी संख्या ज्यादा थी उन गुंडों के मुकाबले जिससे की उनमें एक आत्मविश्वास जाग गया था । कुछ आठ या नौ होंगे ये।
सबने तेजी से फुर्ती दिखाते हुए उनके बंदूकों को उनके हाथ में वार करके गिरा दिया और इन आदमियों को जकड़ लिया।
मैं कोमल की बाहों में सड़क पर मृत शरीर की भांति पड़ा हुआ था। कोमल तो मानो मुझे इस हालत में देख सांस लेना ही भूल गई थी।
उसकी आंखों से आंसू ऐसे बहे जा रहे थे जैसे आज तक कभी रोई ही न हो ।
"उठिए अपनी आंखे बंद नहीं कीजियेगा ! मेरी ओर देखते रहिए,मुझसे बातें कीजिए! प्लीज आंखे खोले रखिए। कुछ नहीं होगा आपको! ..... मैं कुछ नहीं होने दूंगी आपको ! हम जल्द ही हॉस्पिटल जायेंगे। ........ मेरे चेहरे को अपनी हाथो में लिए कोमल मुझसे विनती किए जा रही थी"।
"क क....कोमल मैं ...इतना ही बोल पाया की एक तेज दर्द सीने में उभर आई मेरी।"
"आप कुछ मत बोलिए बस मेरी ओर आंखे खोलके देखते रहिए ! मैं कुछ नहीं होने दूंगी आपको। ... कोमल की आंखों से आंसू झरने की तरह बहे जा रहे थे जो मेरे चेहरे पर गिर रहे थे"!
"अरे सुनो ! कोई हमारी मदद करो ! मेरे पति को गोली लगी है ! इन्हे जल्द ही हॉस्पिटल ले जाना होगा। कोई तो मदद करो हमारी प्लीज।....कोमल चीखने लगी ।
तभी उनमें से एक आदमी ने अपने साथियों को रुकने को बोला।
"अरे रुक जाओ इतना ही मारो इन्हें । कहीं मर न जाए ये। इन्हे जिंदा रखना है हमें। "
"तुम लोग इसे पकड़ के मेरे बताए गए अड्डे में ले जाओ ! मैं बाकी के पैसे आकर देता हूं तुम लोगो को। पहले इस इंस्पेक्टर को हॉस्पिटल लेके जाना पड़ेगा। *
"मैडम आप छोड़िए इन्हे। मुझे उठाने दीजिए ! कुछ नहीं होगा इनको ! आप थोड़ा धीरज रखिए।....वो आदमी मेरे पास आकर बोला।"
उसे देखते ही मेरी पत्नी उस आदमी से विनती करने लग गई......"कृपया कर मेरे पति की जान बचा लीजिए। इन्हे हॉस्पिटल ले चलिए। मेरी मदद कीजिए ! मैं आपके पांव पड़ती हुं।"
"अरे मैडम आप चिंता मत कीजिए। मुझे इन्हे उठाने दीजिए। इन्हे जल्दी ही हॉस्पिटल ले चलना होगा।*
"आप चिंता मत कीजिए ! कुछ नहीं होगा आपको! मेरी ओर देखते रहिए और मुझसे बातें कीजिए। हम बस हॉस्पिटल पहुंचने ही वाले है ! भाई साहब आप प्लीज थोड़ा और तेज चलाइए गाड़ी ! ....कोमल लगातार रोए जा रही थी"!
मैं उसकी आंखों से निकल रहे आंसू देखे जा रहा था। कोमल के कहने पर किसी तरह बस आंखों को खुला रखा हुआ था मैने।
कुछ ही देर बाद मैं हॉस्पिटल में भर्ती था। हालत एकदम से अधमरे व्यक्ति के जैसे हो गई थी।
मेरी बीवी और वो आदमी बाहर ही मेरे ठीक होने का इंतजार किए जा रहे थे।
"डॉक्टर कैसे है मेरे पति ? उनकी हालत कैसी है अब? वो ठीक तो हो जाएंगे न? उनकी जान को कोई खतरा तो नहीं है न? ..... करीब एक घंटे के ऑपरेशन के बाद जब डॉक्टर बाहर निकला तो मेरी बीवी तुरंत उसके पास जाकर रोते हुए पूछने लगी*।
"घबराइए मत कोमल जी ! वो अभी खतरे से बाहर है ! अगले दो तीन घंटे में उनको होश आ जायेगा। तब आप उनसे मिल सकती है। ....डॉक्टर मेरी बीवी की परेशानी को देखते हुए उसे दिलासा देने लगा।"
"सच डॉक्टर वो ठीक है। क्या मैं उनसे मिल सकती हूं अभी? मुझे उन्हे देखना है एक बार!" .... डॉक्टर की बात सुन कोमल के सीने से मानो एक बड़ा बोझ उतर गया था!
"हां कोमल की वो बिलकुल ठीक है ! दरअसल बात ये है की गोली लगी तो सीधा उनके सीने में आकर ही पर शायद भगवान ने उन्हें बचा लिया।"
मैं कुछ समझा नहीं डॉक्टर? वो आदमी जो किसी फरिश्ते के समान था मेरे लिए ! जिसने शायद सही वक्त पर आज मुझे न बचाया होता तो मैं इस दुनिया को कब का छोड़ चुका होता। ...वो डॉक्टर से की बात सुन अचंभित होके पूछने लग गया।
"हा अब बात है इतनी अजीब की यकीन न हो ! और इसे कुदरत का करिश्मा का कहा जा सकता है की इंस्पेक्टर अजय आज जिंदा है।
दरअसल बात ये है की उनकी गले में एक हनुमान जी की चौड़ी लॉकेट थी ! गोली जब लगी तो वो लॉकेट उनके ठीक हृदय के पास थी। गोली सीधा लॉकेट के साथ उनके सीने में घुस गई।
पर उनकी हृदय तक नही पहुंच पाई! जिसके परिणामस्वरूम इंस्पेक्टर अजय जिंदा बच गए।"
डॉक्टर की बात सुन जहां वो मेरे जान बचाने वाले व्यक्ति को यकीन नहीं हुआ वही मेरी बीवी खुशी से सामने बने मंदिर में जाके भगवान के नीचे माथा टेकने लगी।
क्यों कोमल जी ! आपकी असलियत मैं बता दूं उन्हे या आप स्वयं ही बताएंगी उन्हे? ..... उस आदमी ने मेरी बीवी की ओर देखते हुए बोल।
मेरी बीवी उसकी बात सुन अचंभित होकर उसकी ओर देखने लगी ।
ये क्या बोल रहे है आप? कौन सी असलियत ? मैं कुछ समझी नहीं? ...."कोमल उस आदमी की ओर देखते हुए बोलने लगी"!
हा हा .... हसते हुए वो कोमल से बोलने लगा....." अरे वही असलियत कोमल जी की उनकी इस हालत की जिम्मेदार तो आप ही है। क्या और कुछ बताना बाकी रह गया है अभी? मुझे सब पता है आपकी साजिशो के बारे में? "
"देखिए प्लीज उन्हे अभी कुछ मत बताइएगा ! ठीक होने पर मैं उन्हें सब खुद ही बता दूंगी ! ....में हाथ जोड़ती हूं आपके सामने ! "
ठीक है कोमल जी ! चलिए एक बात मैं आपकी मान ही लेता हूं ! आपकी आंखों में इस वक्त सच्चाई दिख रही है ।....वो बोला"
"वैसे एक बात समझ नहीं आई मेरी? आप इतनी चिंतित क्यूं हो गई अचानक अजय सर को लेकर? आपको तो आखिर उनसे अपना काम ही निकलवाना था ना? ....वो आदमी मेरी बीवी की और देखते हुए हैरान भाव से बोला!*
उसकी बात सुन कोमल की आंखों से आंसू फिर से निकलने लगी !
"क्या वो इंस्पेक्टर अजय बच निकला? ऐसा कैसे हो गया ? आखिर किसने बचा लिया उन्हे? ....सामने खड़ा आदमी उस आदमी से बोलने लगा जो इस वक्त पसीने से तरबतर हुआ किसी तरह दौड़े दौड़े आया था? "
बॉस! वो वो .....इतना ही बोल पाया था की एक जोरदार चाटा उसके गालों पर जड़ दिया उसने? ....." उसकी आंखो पर इस वक्त गुस्सा साफ देखा जा सकता था। चेहरे पर काली मास्क और आंखों पर चश्मा लगाए हुए इस वक्त वो किसी खूंखार जानवर से कम नहीं लग रहा था।