• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
43,106
112,125
304
Waiting for next update :waiting1:
 

Nikunjbaba

Lover of women 😻
263
313
63
Story ek dum wildfire hai :dogwizz: :dogwizz:
 
  • Like
Reactions: moms_bachha

Nikunjbaba

Lover of women 😻
263
313
63
Waiting for next update
 
  • Like
Reactions: moms_bachha

ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
3,831
15,486
144
Update 11

सुन रे पवन संग ले चल अपने
ज़ी के सपने ना जीने दे है

लोक-लाज और शरम से हारे
साकी ना पिने ना जीने दे है

मन मतवाला पहन दुशाला
सबको नचाये ना जीने दे है

मेरी बतिया पढ़ पढ़ रोये
प्रीत ना मारे ना जीने दे है

सुन रे पवन संग ले चल अपने
ज़ी के सपने ना जीने दे है..


कौन? कौन ये गीत गाता हुआ इधर चला आ रहा है इतनी रात में?

लगता है कोई राहगीर है. बैलगाडी की आवाज भी आ रही है..

मगर इतनी रात में? और इतने घने जंगल के रास्ते से? कोई साधारण आदमी तो नहीं जान पड़ता.

बात तो तुम सही कह रहे हो कर्मसिंह. जिस जंगल से जागीर का हर आदमी दिन के उजाले में गुजरने से डरता है वही ये आदमी रात के इस पहर इतने अँधेरे में अकेला चला आ रहा है..

मुझे तो जरूर कोई बहरूपिया लगता है वीरसिंह. देखो केसा भेस बनाया है. बड़ी बड़ी दाढ़ी कंधे तक उलझें हुए बाल और फटा पुराना शाल बदन पर लपेट रखा है..

देखने से लड़का सा लगता है. मगर इस तरह इतनी रात में यहां इसका क्या काम? रोककर पूछना तो अनिवार्य है..

हाँ मेरा भी यही मत है. इसे रोककर इसके आने का कारण तो पूछना जरुरी है.


सुन रे पवन संग ले चल अपने
ज़ी के सपने ना जीने दे है

गाँव की नादिया सावन रतिया
सखियाँ छेड़े ना जीने दे है

रंग लगाकर अंग से खेले
प्रियतम रिझाये ना जीने दे है

लम्बा रास्ता तन्हा राही
घर की यादे ना जीने दे

सुन रे पवन संग ले चल अपने
ज़ी के सपने ना जीने दे है


अरे.. रोको रोको.. कहा चले आ रहे हो आधी रात को इतनी सुरुतान में गीत गाते हुए? और ये क्या भेष बनाया हुआ है? कहाँ के हो? कौन हो? नाम क्या है? यहां आने का कारण? कहीं किसी उद्देश्य से तो नहीं आये.. इस जागीर में? पता है ना यहां का जागीरदार कौन है? वीरेंद्र सिंह.. उनके नाम से आस पास की जागीरो के सरदार और ठिकानेदार खौफ खाते है..

आदमी बैठगाड़ी रोककर जागीर की सीमा पर तैनात सिपाहियो को देखकर मुस्कुरा पड़ता है और उनकी बात सुनता हुआ अपने पास रखे घड़े में बर्तन डालकर उससे पानी पिने लगता है.. जब सिपाहियों के सवाल ख़त्म हो जाते है तब आदमी हलकी सी मुस्कान अपने होंठों पर सजा कर कहता है..

आदमी - मैं तो राही हूँ.. अफगान जा रहा था. अगर इज़ाज़त दो तो चला जाऊ? सुबह तक आपके वीरेंद्र सिंह की जागीर की सीमा से भी बाहर निकल जाऊंगा..

सैनिक - वो तो ठीक है पर उम्र से तो बहुत कम लगते हो फिर इस तरह जोगियो का भेष क्यों बनाया हुआ है? और नाम क्या है तुम्हारा?

आदमी - नाम का क्या है पहरेदार ज़ी, जो जिसके ज़ी में आता है वही कहकर पुकार लेता है. आपके जो ज़ी में आये वो आप कहकर पुकार लो.

सैनिक - हालत से तो भिखारी लगते हो.. भिखारी कहा कर बुलाऊ? तुम्हरे पास ये बैलगाड़ी कहा से आई? किसकी चुरा के लाये हो?

आदमी मुस्कुराते हुए - भिखारी ही कह लो.. वैसे भी सब भिखारी तो है इस जमीन पर.. कोई इंसान से मांगता है तो भगवान् से. बैलगाड़ी तो मेरी ही है चाहो तो इन दोनों बैलो से पूछ लो..

सैनिक - देखो ये पहेलियाँ ना बुझाओ.. साफ साफ बताओ कौन हो और कहा से आये हो..

आदमी - मैंने बता तो दिया, राहगीरी हूँ हिंदुस्तान के अलग अलग हिस्से में घूमता हूँ थोड़ा बहुत वैद्य का हुनर भी जानता हूँ अफगान जा रहा हूँ..

सैनिक - हमें यक़ीन नहीं है लौट जाओ वापस..

आदमी - मैं तो आगे के लिए आया हूँ.. पीछे मुड़कर जाना संभव नहीं..

सैनिक - अगर कहा हुआ नहीं मानोगे तो पकड़ के बंधी बना लिए जाओगे.. और जागीरदार से सजा मिलेगी..

आदमी - तो फिर क़ैद कर लो मुझे. मैं तो वापस जाने से रहा..

सैनिक - जैसा तुम चाहो.. चलो यहां से..

दोनों सैनिक उस आदमी को कैद में डाल देते हैं और उसकी बैलगाड़ी को जपत करके जागीर की सीमा में बाहर बने एक छोटे से सामान ग्रह के बाहर खड़ा कर देते हैं.. आदमी कैद कर लिया जाने पर भी उसी मुस्कान के साथ हंसता रहता है और इस शालीनता और सद्भाव के साथ दोनों सैनिकों और बाकी लोगों के साथ बात करता हुआ बंदी खाने में बैठ जाता है और वापस से वही गीत गाता है जो वह खाता हुआ जंगल के रास्ते से चला आ रहा था और जिसे सुनकर दोनों पहरेदारों ने उसे संदिग्ध मानकर बंदी गृह में डाल दिया था.

आदमी अपनी मस्ती में मस्त बंदीगृह में अकेला बैठा हुआ गीत गाता जा रहा था और अपने पास मौजूद एक पुस्तक को पढ़ता हुआ अपने गले में लटक रहे 1 ताबीज़ को छूता हुआ उसे देखे जा रहा था.. आदमी को देखने से ऐसा लगता था जैसे वह किसी की याद में खोया हुआ मुस्कुराते हुए गीत गा रहा है और अपने प्रीतम को याद कर रहा है और उसकी विरह में सुलगता हुआ अपने मन को उसकी वेदना के सागर में डूबता चला जा रहा है और उससे पार पाने का उसे कोई मन नहीं है.. जिस तरह कोई बूढ़ा अपनी जवानी के दिन याद करके रोमांचित हो उठता है और अपने बच्चों को या अपने पोते पोती हो या नाते नातीयों को अपनी जवानी के किस्से सुनाते हैं उस तरह वह आदमी कुछ याद करता हुआ मुस्कुरा रहा था और बंदी गृह में भी ऐसा लग रहा था जैसे भी आजाद है और उसे कोई कैद नहीं कर सकता..


सुन रे पवन संग ले चल अपने
ज़ी के सपने ना जीने दे है

बैरी सुख में सोये रे पंछी
सईया जागे ना जीने दे है

उठ उठ रोये रतिया जागे
विरह की राते ना जीने दे है

जग झूठा है यार ही है रब
रब मुंह खोले ना जीने दे है

सुन रे पवन संग ले चल अपने
ज़ी के सपने ना जीने दे है


अपनी मस्ती में मस्त आदमी गीत गाता हुआ गुनगुनाता हुआ और मुस्कुराता हुआ रात भर यूं ही बिता कर सुबह नींद के हवाले हो गया और उसकी नींद किसी पहरेदार के जागने पर ही खुली..


अरे उठो उठो.. कब तलक़ यूँही सोते रहोगे? रात दिन सुबह शाम की कुछ खैर खबर भी रखते हो या नहीं? दिन के इस पहर भी आँखों में रातों सा नींद का जमघट लिए पड़े हो.. जरा बदन को जोर दो उठो.. जागीरदार की बैठक में लेजाना है.. अब वही तय करेंगे तुम जागीर से आगे जाओगे या वापस..

पहरेदार की बात पर आदमी कोई जवाब नहीं देता और चुपचाप खड़ा होकर उसके साथ चलने को सज्य हो जाता है और मुस्कुराता हूआ वापस गीत गाते हुए पहले पहरेदार के साथ चल पड़ता है.. पहरेदार उसे छोटी मोटी गलियों से गुजार कर लाता हुआ महल के मुख्य भाग से दाई ओर एक कमरे की तरफ ले आता है जहां बड़े से हाल में वीरेंद्र सिंह अपनी में बैठक में बैठा हुआ होता है और जागीर में रहने वाले लोगों के साथ किसानों की समस्याओं को सुनकर उसका हल करता है..

आदमी पहरेदार के बताए अनुसार बैठक के मुहाने पर खड़ा हो जाता है और अपनी बारी का इंतजार करने लगता है आदमी वीरेंद्र सिंह को देख रहा था और मुस्कुराते हुए उसके न्याय करने के तरीके और उसके स्वभाव का जाँच रहा था मानो उसकी क़ाबिलियत का परीक्षण कर रहा हो..

समय के साथ भीड़ कम होती गई औऱ कुछ देर बाद वीरेंद्र सिंह के सामने उस आदमी को पेश कर दिया गया जिसे पहरदार ने जागीर की सीमा से कल रात पकड़ा था..


वीरेंद्र - कहो क्या बात है?

पहरेदार - सरकार इस आदमी को कल रात जागीर की सीमा पर तैनात सिपाही कर्मसिंह औऱ वीरसिंह ने पकड़ा है.. कह रहे थे ये आदमी आधी रात को जंगल के रास्ते से अकेला कोई गीत गुनगुनाता हुआ चला आ रहा था.. पूछने पर उलटे सीधे जवाब देता था.. अपना नाम भी उन पहरेदारो को नहीं बताया..

वीरेंद्र आदमी से - क्या नाम है तुम्हारा? कहा से आये हो?

आदमी - मेरा असल नाम तो अब मुझे भी याद नहीं आता हुकुम.. पर सब बैरागी कहकर पुकारते है.. छोटा सा वैद्य हूँ छोटे छोटे मर्ज़ का इलाज़ करता हूँ.. राही भी हूँ इस हुनर को यहां वहा घूमकर सीखता सीखता हूँ.. पहरेदारों से रात में मैंने कहा था मैं अफगान जा रहा हूँ.. अगर वो इज़ाज़त दे देते तो सुबह पहली किरण से पहले आपकी जागीर से बाहर भी चला गया होगा..

बीरेंद्र - वैद्य हो?
बैरागी - हुकुम..

वीरेंद्र - अफगान जाने का प्रयोजन?
बैरागी - सुना है वहा एक ख़ास किस्म का पौधा है जो स्त्री रोग में देह को आराम देता है.. बस उसी की तलाश में जा रहा था..

वीरेंद्र - स्त्री रोग में पौधे से देह को आराम? बड़े अचरज की बात है.. वैद्य ज़ी आपने कभी ऐसे पौधे के बारे में सुना है?

वैद्य - नहीं सरकार.. मुझे तो ये लड़का कोई बहरूपिया लगता है. इसकी बातें सुनकर हँसने को ज़ी चाहता है..

वीरेंद्र - जो भी हो वैद्य ज़ी.. एक बार प्रत्यक्ष में इसके हुनर कोई नमूना तो देखना चाहिए..

वैद्य - ज़ी सरकार आप सही औऱ तर्कसंगत बात करते है..

वीरेंद्र - बैरागी.. क्या तुम किसी बीमार को स्वस्थ कर सकते हो?

बैरागी - बीमार तो यहां बहुत से लोग है हुकुम.. आप बताइये किसे स्वस्थ करना है.

वैद्य - देखा सरकार.. इसे तो यहां सभी बीमार नज़र आते है.. मुझे तो लगता है इसे जागीर से बाहर कर देना चाहिए..

वीरेंद्र - युम्हे यहां कौन बीमार लगता है? औऱ बिमारी क्या है यहां लोगों को?

बैरागी - सबसे पहले तो वैद्य ज़ी की ही बात कर ली जाए हुकुम.. इनके पेट में दाई तरफ थोड़ा नीचे कई बरसो से दर्द है जिसकी वजह से ये बार बार अपना हाथ अपने पेट पर रखकर दबा रहे है औऱ एक पैर को हल्का रखकर चलते है लेकिन सालों से मौज़ूद इस दर्द ने वैद्य ज़ी को नहीं छोड़ा..

उसके बाद जो पहरेदार मुझे यहां लाया है उसे आँख से धुंधला दीखता है.. आपके दाई औऱ नीचे बैठे हुए आदमी के बदन में कम्पन की बिमारी है जो ज्यादा अमल से पैदा हुई है.. औऱ हुकुम आप.. एक बिमारी आपको भी है.. बिमारी से बड़ा भय है..

बैरागी की बात पर सब हैरान थे औऱ वैद्य की हालात पतली थी..

वीरेंद्र - मुझे क्या भय है?
बैरागी - मृत्यु का भय हुकुम..

बैरागी की बात सुनकर वीरेंद्र उसे हैरात के भाव से देखने लगा औऱ सोचने लगा की कैसे बैरागी को इतना सब मालूम हो गया वो भी एक नज़र देखने पर..

वीरेंद्र - अगर तुम्हे जो पौधा चाहिए मैं यही तुम्हे दे दू तो क्या तुमको मेरे इस भय का समाधान कर पाओगे?

बैरागी - मृत्यु तो अंतिम सत्य है हुकुम औऱ सत्य से केसा भय? आपका भय तो केवल आपके मन की उपज मात्र है इसे तो आप स्वम भी दूर कर सकते है. औऱ जो पौधा मुझे चाहिए आप यही मुझे दे दे तो मैं वापस अपनी राह लौट जाऊँगा..

वीरेंद्र - मेरे बस की बात होती तो ये भय मैंने कब का अपने मन से निकाल दिया होता बैरागी.. मैं तुझे अपनी जागीर मैं एक ऊंचा दर्जा देता हूँ.. रहने को इसी महल में अलग स्थान जहा भोग विलास की जो चीज तुझे पसंद हो वो.. अपने इन साथियो के बराबर का कद होगा तेरा. बस मेरा ये रोग ठीक कर दे.

बैरागी - इन सब का मैं क्या करूंगा हुकुम? अकेला आदमी हूँ एक घरवाली थी जिसे 3 महीने पहले बनाने वाले ने अपने पास बुला लिया. कोई संतान नहीं ना ही कोई परिजन.. मैं तो अब बंजारा हूँ हुकुम ठहरना मेरे बस कहाँ?

वीरेंद्र - तो फिर मेरे रोग के उपचार तक यहां अपना बसेरा कर लो बैरागी.. उसके बाद तुम जहा जाना चाहो जा सकते हो.. अब मना मत करना बैरागी क्युकी तुम्हारी ना तुम्हारी जीवन की रेखा मिटा सकती है..

बैरागी - मगर मैं कह चूका हूँ हुकुम आपका रोग आपके मन की उपज है जिसका उपचार करना आपके ही हाथ में है. मैं इसमें भला आपकी क्या सहायता कर सकता हूँ..

वीरेंद्र - जो आदमी को देखकर उसका रोग बता दे वो रोग का उपचार भी अच्छे से जानता होगा.. औऱ ये बात मैं अच्छे से जानता हूँ बैरागी.. अभी मैं तुमसे ज्यादा बात नहीं करूंगा.. तुम जाओ.. इस जागीर के बंदीग्रह का अनुभव औऱ पीड़ा ले चुके हो अब यहां के मेहमान बनकर आराम उठाओ..

वीरेंद्र पहरेदारो से - आज से बैरागी इस जागीर के मेहमान है इनकी सेवा में कोई कमी ना रहे.. सभा बर्खास्त...


इसीके साथ बड़े बाबाजी जो अपनी कुटिया में सो रहे थे उनकी नींद खुल जाती है औऱ वो सपने में, जो आज से सैकड़ो सालों पहले सच में हुआ था उसे देखकर घबराहट के साथ उठ बैठते है. बड़ेबाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह को अपने सामने एक आदमी बैठा हुआ दिखाई देता है औऱ बड़े बाबाजी एक लम्बी सांस लेकर उस आदमी से कहते है..

बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र - कभी तो चैन से सोने दे बैरागी.. सैकड़ो सालों से तू मेरी नींद औऱ सुख छीन के बैठा है.. ना मरने देता है ना जीने.

बैरागी - आपने तो मेरी जिंदगी मुझसे छीन ली हुकुम.. कम से कम आपकी नींद औऱ सुखचैन पर तो मेरा अधिकार बनता है..

बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र - तूने भी तो वो किया था जिसे करने की इज़ाज़त मेरे अतिरिक्त किसी को नहीं थी. औऱ तू अच्छे से जानता है उस गलती की सजा केवल मौत थी फिर क्यों मुझे इतनी सजा मिल रही है?

बैरागी - ये सजा मैंने नहीं किसी औऱ ने तय की है आपके लिए हुकुम. मैं तो केवल जरिया मात्र हूँ.. मैंने कहा था मुझे वो ताबीज मेरे गले से उतार लेने दो मगर आपने मेरी एक बात ना सुनी औऱ अपनी तलवार से मेरा सर अलग कर दिया.. उस दिन से आज तक जो जो दुख दर्द औऱ पीड़ाये आपने झेली है ये उसी का परिणाम है..

बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र - मैं क्रोध की अग्नि में सुलग रहा था बैरागी.. मुझे कहा सही गलत औऱ अच्छे बुरे का ख्याल था? मगर तूने आज तक नहीं बताया उस ताबीज में ऐसा था क्या? जो तू उस दिन से आज तक इस तरह बेताल बनकर मेरे कंधे पर बैठा है.. तूने तो कहा था तू केवल वैद्य औऱ उपचार जानता है..

बैरागी - उस ताबीज मे ऐसा क्या था वो तो मुझे भी नहीं पता हुकुम. मैं तो बस इतना जानता हूँ कि आपने जो अमर होने कि लालच में प्रकृति के नियम को बदला है उसकी सजा आपको इस तरह मिल रही है.

बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र - सैकड़ो साल.. बड़े से बड़े तपस्वी औऱ साधुओ के पास रहकर आ चूका हूँ बैरागी.. बहुत कुछ सिखने को मिला इस प्रकृति के कुछ रहस्य भी समझ आये मगर वो नहीं पता चला जो पता करना था.. मगर अब लगता है बैरागी तेरा औऱ मेरा सफर जरूर ख़त्म हो जाएगा. अगर वो लड़का मेरे कार्य में सफल रहा तो मेरे साथ साथ तुझे भी मुक्ति मिल जायेगी..

बैरागी - समय के गर्भ में क्या छीपा है ये तो वही जानता है हुकुम..

बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र - थोड़ी देर तो सोने दे बैरागी इतना सताना ठीक नहीं. देख मेरी आँखे किस तरह पथरा गई है जब इनमे नींद उतरती है तू आकर इनसे नींद छीन लेटा है.. उस दिन से आज तक कोई भी सुख तूने मुझे महसूस नहीं करने दिया.. इतना सब ज्ञान औऱ कलाये जानने के भी मैं तेरे औऱ मेरे लिए कुछ नहीं कर सकता..

बैरागी - मैं भी कब से आपको सुखी देखना चाहता हूँ हुकुम.. मगर मै मजबूर हूँ. कोई है जो मुझसे ये सब करवा रहा है.. जिसके बारे में मुझे भी नहीं पता..

कुटिया के दरवाजे पर खट खट की आवाज आती है तो बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह सामने बैठे बैरागी के साये से बात करना बंद करके थोड़ा तेज़ कहते है..

बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र - कौन?
किशोर - बड़े बाबाजी मैं किशोर..

बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र - अंदर आजा..

किशोर कुटिया के अंदर आता है जहा वो बड़े बाबाजी को दण्डवत प्रणाम करके कुटिया में अकेले बैठे बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह से कहता है..
किशोर - बड़े बाबाजी भोर की पहली किरण निकल चुकी है आपके स्नान की सारी व्यवस्थाये हो चुकी है..

बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र - ठीक है चलो..


बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह किशोर के अनुरोध पर कुटिया से बाहर आ जाता है औऱ नहाने चला जाता है कुछ देर बाद सूरज जब चढ़ता है तब पहाड़ी पर लोगों के आने का ताँता लगने लगता है.. ये भीड़ बाबाजी से अपने दुखो का समाधान पूछने आये लोगों का था जो एक के बाद एक कतार में बैठ रहे थे..
Jabardast update 🔥 👍🏻
 

ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
3,831
15,486
144
Update 12


images-8 images-6
सुबह की पहली निकलते ही शबाना अपने बिस्तर से उठकर घर के कामों में लग गई और रोजमर्रा के काम निपटाते हुए घर में यहां से वहां घूमने लगी. शबनम की बेटी रेशमा अपने ससुराल जा चुकी थी और उसका बेटा आदिल जो अब भी घोड़े बेचकर चैन की नींद सो रहा था शोहर फारूक अपने सुबह के नियत समय पर अपने दुकान जा चुका था. थोड़ी देर बाद आदिल भी उठकर घर से बाहर निकल गया और हर दिन की तरह आवारा गर्दी करने और मोहल्ले में यहां से वहां घूमने लगा. शबाना घर पर अकेली पड़ चुकी थी जैसे वह हरदम रहती थी उसके आसपास ना तो कोई बोलने वाला था ना ही उससे बात करने वाला.

images-1 images
remove duplicates from large text file
अपने सुबह के घर के काम निपटाकर शबाना जब बिस्तर पर चैन की सांस लेते हुए दो घड़ी बैठी तब उसका फोन बजने लगा. शबाना ने फोन की तरफ देखा तो मुस्कुराते हुए उसे अपने हाथ में लेकर कुछ सोचने लगी. पिछले कई दिनों से जब से गौतम ने उस दिन शबाना से बात की थी और पूरी बेशर्मी के साथ उसे छेड़ा था तब के बाद अक्सर गौतम शबाना को फोन करके उसे मीठी-मीठी बात करता था और बातों ही बातों में अपने मन की बात कह कर शबाना को शर्मिंदा कर देता था शबाना को भी अब गौतम के फोन का इंतजार रहता और वह उससे बात करने के लिए लालायित रहती. इस बार भी कुछ वैसा ही था शबाना अपने हाथ में फोन लिया गौतम का फोन आता देखकर मुस्कुराते हुए फोन उठाना चाहती थी मगर एक दायरा और एक पर्दा जो उसके और गौतम के बीच अभी था वह शबाना को हर बार एक मुकाम पर लाकर उसे आगे बढ़ने से रोक देता..

images-2 images-3
शबाना फ़ोन उठाकर - हेलो..
गौतम - हेलो शबाना बेगम.. कैसी हो?
शबाना - बेशर्म तेरे दोस्त की अम्मी हूँ, थोड़ा तो लिहाज़ कर अपनी और मेरी उम्र का. वरना बहुत मार खायेगा मुझसे.
गौतम - मैं तो तुम्हारे हाथों से मरने को भी तैयार हूँ शबाना.. और लिहाज़ किस बात का? प्यार की कोई उम्र थोड़ी होती है..
शबाना - बेटा तू सामने आ गया ना एक बार तो ऐसा सबक सिखाउंगी की प्यार का सारा भूत उतर जाएगा..
गौतम - अच्छा ज़ी.. ऐसा क्या करोगी बताओ जरा..
शबाना - तू सामने तो आ कमीने.. उस दिन के बाद कैसे बिग्गी बिल्ली की तरह गायब रहता है. बस फ़ोन पर ही तेरी आवाज निकलती है..
गौतम - मिलना तो मैं भी तुमसे चाहता हूँ मेरी शब्बो.. पर क्या करू बहुत काम है और कॉलेज का आखिरी साल है इम्तिहान आने वाले है तो पढ़ना भी जरुरी है.. वैसे अगर तुमको चाहिए तो मुझसे मिलने आ सकती हो.. मगर जरा फुसरत निकाल कर आना.. अब तुमसे लम्बी मुलाक़ाते करने का मन है..
शबाना - बेटा अपनी जवानी को काबू में रख वरना आदिल और आदिल के अब्बू को पता चल गया ना तू मुझसे कैसी कैसी बात करता है और क्या चाहता है तो तेरा क्या हाल होगा तू बखूबी जानता है..
गौतम - अब प्यार किया तो डरना क्या मेरी शब्बो.. तुम्हारे लिए तो ख़ुशी ख़ुशी कुर्बान हो सकता हूँ.. और मैं इतना तो जानता हूँ अगर तुम्हे किसीको बताना होता तो तुम अभी तक उनको सब बता चुकी होती..
शबाना मुस्कुराने लगती है और कहती है - बेटा बच्चा समझके छोड़ देती हूँ वरना तुझे तो कबका एक थप्पड़ में सीधा कर दू मैं..
गौतम - एक बार इस बच्चे से प्यार करके देखो शब्बो बेगम.. पहली चुदाई याद आ जायेगी..
शबाना - जलील इंसान.. कितना बेशर्म है तू? बहुत आग लगी है तुझमे? पता दे मैं अभी आकर तेरी लुल्ली का इलाज़ करती हूँ..
गौतम - शब्बो लुल्ली नहीं लोडा है मेरा.. देखते ही तेरी चुत से पानी बह जाएगा.. वीडियो कॉल कर तुझे दिखाता हूँ..

35954
शबाना अपने बूब्स सहलाते हुए - क्यों मेरे पीछे पड़ा हुआ है बेटा.. तेरी अम्मी जैसी हूँ मैं और तेरे दोस्त की अम्मी..
गौतम - क्या करू मेरी जान.. तेरे हुस्न के आगे ये सब बातें मायने नहीं रखती.. दिल कहता है अभी तुझे अपनी बाहों में भरके प्यार करू.. तेरे होंठों से शराब पी लू.. तेरे चुचो से दूध पीलू.. तेरे बदन से खेलु.. तेरी चुत को चाट कर साफ करु फिर अपने लंड से तेरी चुत फाड़कर तेरी जवानी का स्वाद चखु..
शबाना अपनी चुत पर उंगलिया रगढ़ती हुई किसीके आने की आहट सुनती है..

38276
शबाना - लगता है कोई आ रहा है. मैं बाद में बात करती हूँ.
गौतम - शबाना.. शबाना... सुन तुझे व्हाट्सप्प पर मैंने कुछ भेजा है चेक करना..
शबाना फ़ोन काट देती है और बाहर जाकर दरवाजा खोलती है सामने आदिल था.. जो बहुत बुरी हालात में था उसे देखकर ही लगता था की वो मार पिट करके आया है शबाना कि कामुकता ने गुस्से का रूप ले लिया था...

images-6 images-9
शबाना - किससे लड़ के आ रहा है..
आदिल - कुछ नहीं छोटी सी बात हो गई थी..
शबाना - क्या छोटी सी बात? और ये चोट?
आदिल - अरे वो कुछ लड़के पप्पू हलवाई के आगे फालतू गाली बक रहे थे सालों का ऐसा इलाज़ किया है आगे कभी बोलेंगे नहीं..
शबाना - दिनभर लड़ाई झगडे औऱ कुत्ते कि तरह घूमने के सिवा कुछ और भी काम है तुझे? अपने अब्बू के साथ दूकान पर ही बैठ जाया कर..
आदिल -अम्मी पकाओ मत.. पहले ही दिमाग ख़राब हो रहा है.. औऱ मत करो..
शबाना - अरे सुन तो दवाई लगा ले चोट पर.. आदिल..

शबाना ने इतना ही कहा था की घर के दरवाजे पर आदिल का एक दोस्त नौशाद आ गया और जो देखने से लग रहा था की बहुत तेज़ी से भागता हुआ आया है उसकी साँसे ऊपर नीचे चढ़ी हुई थी वो हाफ्ते हुए बोला..
नौशाद - आदिल..
शबाना - क्या हुआ?
आदिल - क्या हो गया ऐसे क्यों हांफ रहा है?
नौशाद - अबे वो पुलिस... पुलिस आ रही है.. माज़ीद को भी उठा लिया.. अभी जिसको मारा है वो किसी बिज़निसमेन का बेटा है.. उसके बाप ने पुलिस में शिकायत की है पुलिस सबको उठा रही है..
शबाना - कितनी बार मना किया पर मानने का नाम नहीं अब पता नहीं क्या होगा.. तेरे अब्बू को फ़ोन कर..

इतनी बात हो ही रही थी की पुलिस आदिल के घर आ धमकी और आदिल और नौशाद को पकड़ के अपनी जीब में बैठा लिया.. शबाना ने बहुत कोशिश की मगर कुछ ना कर सकी.. शबाना ने अपने शोहर फारूक को फ़ोन किया और सारी बात बताई फारूक दूकान पर रामु को छोड़कर घर आ गया और शबाना को लेकर पुलिस थाने चला गया..

फारूक - साब बच्चा है गलती हो गयी माफ़ कर दो..
थानेदार - फारूक मिया एक गलती माफ़ करेंगे तो अगली गलती करेगा.. सजा तो देनी पड़ेगी.. और किसी आम आदमी के बच्चे को थोड़ी मारा है इन लोगों ने.. सेठ धनीराम के लड़के को धोया है वो भी cctv के सामने.. ऊपर से प्रेशर है.. रेपोर्ट भी लिख चुके है.. अब तो आई.पी.सी. की कई धाराओं के अंदर आपके लड़के का नाम आ चूका है.. सबूत भी पुरे पुरे है.. 2-3 साल के लिए पक्का अंदर आएगा आपका लड़का..
फारूक - थानेदार साब.. एकलौता लड़का है.. समाज में इज़्ज़त है सब आपके ऊपर है.. कुछ मदद करिये.. आप जो बोले करने को त्यार हूँ..
थानेदार - अरे फारूक मिया.. मैं अगर मदद कर सकता तो मना थोड़ी करता है.. आखिरी मैं भी तो इंसान हूँ.. मगर बात बड़ी है.. आप समझो.. मेरे बस के बाहर है..

फारुख थानेदार से बात करके आदिल को छुड़ाने में नाकाम रहता है और आखिरकार थक हार कर शबाना को लेकर वापस घर आ जाता है.. शबाना और फारूक दोनों ही घर में उदास बैठकर यह सोच रहे थे कि अब क्या किया जाए और कैसे आदिल को जेल की सलाखों से बाहर निकल जाए. शबाना यह सब सो रही थी कि उसके फोन पर फोन आता है और फोन उठा कर चेक करती है तो उसे पर गौतम का फोन होता है. शबाना फोन काट देती है मगर गौतम वापस फोन करता है जिस पर शबाना छत पर आ जाती है औऱ तंग आकर गौतम से रुखे शब्दों में रहती है.

शबाना - क्या है? क्यों बार बार फ़ोन कर रहा है तू?
गौतम - उफ्फ्फ.. इतना गुस्सा? क्या हुआ मेरी शब्बो का मूंड खराब है?
शबाना - गौतम फ़ोन काट और वापस फ़ोन मत करना.. समझा? वरना अब तक तेरी हरकते मैं बच्चा समझके बर्दाश्त कर रही थी अब नहीं करुँगी..
गौतम - अच्छा बाबा ठीक है नहीं करूँगा पर तुम बताओ तो हुआ क्या है?
शबाना थोड़ा ठंडा पड़के सारी बात गौतम से कहा देती है और गौतम हसता हुआ कहता है..
गौतम - बस इतनी सी बात? इतनी सी बात के लिए मेरी शब्बो परेशान है? तुम कहो तो अभी आदिल को जेल से निकलवा कर घर बुलवा देता हूँ..
शबाना - मज़ाक़ मत कर गौतम..
गौतम - अरे बाबा मैं क्यों मज़ाक़ करूंगा? मेरी शब्बो की तकलीफ अगर मैं नहीं दूर करूंगा तो कौन करेगा?
शबाना - तू सच में आदिल को जेल से निकलवा सकता है?
गौतम - हाँ मगर मुझे भी बदले में तुमसे कुछ चाहिए..
शबाना - मैं वैसा कुछ भी नहीं करने वाली जो तू सोच रहा है.. मैं तुझे भी आदिल के जैसे अपना बच्चा मानती हूँ थोड़ी बहुत मज़ाक़ मस्ती को मेरी हाँ मत समझना..
गौतम - पर मैं तो तुम्हे अम्मी नहीं मानता.. सोच लो.. आदिल की ज़िन्दगी का सवाल है.. मुझे कुछ तो देना पड़ेगा..
शबाना - अच्छा क्या चाहिए?
गौतम - हम्म्म... अब चुत नहीं तो मुंह सही.. Blowjob दे देना..
शबाना - क्या कहा? मतलब?
गौतम हसता हुआ - blowjob का मतलब नहीं पता? कितनी भोली हो तुम.. अरे मतलब नुनु को मुंह में लेके ठंडा कर देना बस.. इतना सा..
शबाना - कमीने तेरा मुंह तोड़ दूंगी मैं.. बेशर्म कहीं का.. अपने दोस्त की अम्मी के साथ ये सब करेगा..
गौतम - फिर तुम्हारी मर्ज़ी.. अब फ़ोन नहीं करूँगा, बहुत तंग करता हूँ ना तुम्हे? बहुत नाराज़गी है तुम्हे मुझसे? अब कभी नहीं परेशान करूंगा..
शबाना - अच्छा ठीक है कुत्ते.. कर दूंगी तुझे ठंडा पर पहले आदिल को घर आने दे..
गौतम - बाद में मुकर तो नहीं जाओगी तुम?
शबाना - नहीं मुकुरूंगी.. बस..
गौतम - अच्छा वो पिक भेजी थी व्हाट्सप्प पर देखी तुमने?
शाबाना - नहीं अभी देखती हूँ..
गौतम - तुम देखके बताओ कैसी है और मैं अभी आदिल को बाहर निकलने का इंतज़ाम करता हूँ.. रखता हूँ..

शबाना व्हाट्सप्प खोलती है तो उसमे गौतम ने शबाना को अपने लंड की फोटोज सेंड की हुई थी जिसे देखकर शबाना की चुत में अजीब सी सुगबुगाहत होने लगती है वही गौतम रजनी को फ़ोन करता है..

गौतम - कैसी हो दीदी..
रजनी - मेरा छोड़ तू अपना बता छोटू.. इतने दिनों से ना massage ना कॉल.. तू इतना बिजी रहता है की अपनी दीदी से बात करने का समय नहीं मिला? याद नहीं आती मेरी?
गौतम - याद उसे किया जाता है दीदी जिसे भूल गए हो.. आप तो मेरे दिल में बस्ती हो..
रजनी - फिर भी अपने दीदी से मिलने की फुसरत नहीं मिलती?
गौतम - फुर्सत तो बहुत है दीदी, पर आपने जो आपके और मेरे बीच एक दायरा बनाके रखा उसे तोड़ने से डर लगता है.. आप तो जाती हो मैं आपको कितना पसंद करता हूँ.. जब भी आपको देखता हूँ बहकने लगता हूँ..
रजनी - ये सब ड्रामा बंद कर मैं अच्छे से जानती हूँ तुझे.. नौटकीबाज़.. बता कब मिलने आ रहा है मुझसे?
गौतम - मैं नहीं आऊंगा दी..
रजनी - अच्छा ज़ी? किस्सी मिलेगी अगर आओगे तो?
गौतम - पक्का?
रजनी - हाँ पक्का.. मेरे छोटे से आशिक..
गौतम - दीदी छः फ़ीट का हूँ आपसे लम्बा.. छोटा किसे बोल रही हो?
रजनी हसते हुए - अच्छा? छोटा बोलने पर मेरा छोटू गुस्सा होता है?
गौतम - दीदी एक बात थी..
रजनी - हाँ बोलो ना.. कुछ चाहिए था?
गौतम - हाँ..
रजनी - क्या चाहिए मेरे छोटे से आशिक़ को?
गौतम - दीदी एक दोस्त है मेरा, आदिल नाम है.. सुबह छोटा सा झगड़ा हो गया था तो पुलिस ने उठाकर जेल में डाल दिया.. **** थाने में बंद है आप कुछ मदद कर सकती हो?
रजनी - बस? अभी फ़ोन करती हूँ..
गौतम - थैंक्स दी..
रजनी - तू कब से थैंक्स बोलने लगा? और व्हाट्सप्प पर डेट और टाइम सेंड किया है टाइम से आ जाना मिलने.. वरना घर उठवा लुंगी तुझे..
गौतम - वक़्त से पहले आ जाऊंगा..

गौतम रजनी से बात करके फोन काट देता है और फिर शबाना को फोन करता है..

शबाना - हेलो..
गौतम - हेलो मेरी शब्बो बेगम.. निकलवा दिया आदिल को जेल से बाहर.. 10 मिनट में घर आ जाएगा आदिल, अब तुमको बताओ कब और कहा दोगी मुझे मेरा इनाम..
शबाना मुस्कुराते हुए - कुछ नहीं मिलेगा तुझे..
गौतम - सोच लो बात से पलट रही हो तुम..
शबाना - सोच लिया..
गौतम - यार मान जाओ ना, अपना वादा निभाने आ जाओ वरना फिर टांग उठा के चुत भी देनी पड़ेगी मुझे..
शबाना हस्ती हुई - कल सुबह 9 बजे घर आ जाना.. दे दूंगी जो कहा है..
गौतम - कंडोम का पैकेट कितने पिस का लाउ शबाना बेगम 3 या 8?
शबाना - कमीने सिर्फ blowjob ही मिलेगा.. जो तय हुआ था.. उससे ज्यादा कुछ नहीं..
गौतम - देखते है.. आज नहीं तो कल मिलेगा तो सब..
शबाना - सिर्फ ख्वाबों में..
गौतम - अच्छा लोडा केसा लगा मेरा?
शबाना हसते हुए - चुप बेशर्म...

शबाना फोन काट देती है और कुछ ही मिनट में उसके सामने उसका बेटा आदिल दरवाजे से अंदर आता होगा दिख जाता है..

अगले दिन सुबह शबाना ने घर के दरवाजे पर किसी के आने की दस्तक सुनी तो वो कामोतेजना से भरकर रोमांचित हो उठी उसे पता था की आज उसके शोहर फारूक आदिल के साथ बाहर गए है जिनको आते आते रात हो जायेगी. घर में शबाना अकेली थी और वो खुद भी गौतम का इंतजार कर रही थी उसके मन में अपनी सुनी पड़ी जिंदगी को फिर से हरा भरा करने का ख़्वाब चल रहा था.. शबाना ने दरवाजा खोलकर जब गौतम को दिखा वो शर्म से आँखे नीचे करती हो दरवाजे से पीछे हट गई और गौतम को अंदर आने की जगह दे दि. गौतम ने अंदर आते हुए दरवाजा लगा दिया. और सामने नजर झुकाए घड़ी शबाना को देखता रहा. कुछ देर दोनों इसी तरह एक दूसरे को प्यार कि नजर से देखते रहे मगर किसी में भी हिम्मत नहीं थी कि दोनों में से कोई भी आगे बढ़कर पहल करता. गौतम ने हीं सिलसिले को तोड़ा और आगे बढ़कर शबाना का हाथ पकड़ते हुए उसके झुके हुए सर को उंगलियों से ऊपर उठा दिया और उसके गुलाबी होंठ अपने होंठ में भरके चुंबन करने लगा.

tumblr-254400ad13bb0d5efc890c80952b1791-e0112f70-540 couple-kiss-couple-kissing
शबाना ने गौतम की हरकत का कोई विरोध नहीं किया और ना ही किसी तरह का कोई आपत्ति जाताई, वह भी अपने होठों से गौतम को शराब पिलाने लगी. घर के आंगन में खड़े गौतम और शबाना दोनों एक दूसरे को अपनी बाहों में भरकर चूमने लगे थे दोनों में से किसी ने भी अब तक एक दूसरे से कोई बात नहीं की थी. शबाना गौतम की हर हरकत पर चुपचाप खड़ी हुई सहमति दे रही थी और उसे बार-बार कर चूम रही थी गौतम शबाना के बदन को अपने हाथों से नाप रहा था और हर जगह अपने हाथ ले जाकर शबाना के बदन को छू रहा था और छेड़ रहा था. गौतम के इस तरह के व्यवहार से और अपनी सुनी पड़ी जिंदगी में आई इस बहार से शबाना अभीभूत हो चुकी थी और अब उसके मन में काम इच्छा पूरी तरह से जाग चुकी थी वह अपने दोनों हाथों से गौतम का चेहरा पड़े उसे चूम रही थी और उसे अपने होठों के जाम पिला रही थी मानो वो सालों बाद मिले इस मौके को भूनाना चाहती हो और भरपूर मजा लेना चाहती हो अपनी इच्छा पूरी कर लेना चाहती हो.

couple-kiss-couple-kissing
hamilton health center
दोनों काफी देर से चुम्बन चल रहा था दोनों ही इस चुम्बन को नहीं तोड़ना चाहते थे बहुत लंबे समय से दोनों एक दूसरे को चूम रहे थे और ऐसा लग रहा था जैसे दोनों एक दूसरे को चूमते चूमते खा जाना चाहते हो तभी गौतम के फोन की रिंग बजी और दोनों के बीच काफी लंबे समय से चल रहा चुंबन टूट गया..

शबाना - किसका फ़ोन है?
गौतम फ़ोन दिखाते हुए - ये साला हमेशा गलत टाइम पर फ़ोन करता है.
शबाना - तू बात कर मैं तेरे लिए चाय बना देती हूँ..
ये कहकर शबाना रसोई की तरफ चली गई और गौतम भी उसके पीछे पीछे रसोई में आ गया और फ़ोन उठाकर स्पीकर पर रख दिया और फिर से शबाना को अपनी बाहों में भरते हुए चूमने लगा..

आदिल - क्या कर रहा है रंडी?
गौतम चुम्बन तोड़कर - तेरी अम्मी शबाना का चुम्मा ले रहा था गांडु.. इतने गुलाबी होंठ है मन करता है खा जाऊ..
शबाना मुस्कुराते हुए गौतम के होंठों को अपने दांतो से पकड़कर खींचती हुई काट लेटी है और गौतम की आह्ह निकल जाती है फिर शबाना गौतम के होंठों को सहलाती है..
आदिल - अबे किस रंडी को चूस रहा है लोडे.. सच बता..
गौतम - सच बोल रहा हूँ गांडु.. तेरी अम्मी है. अभी तो सिर्फ चुम्मा लिया है शबाना का, चोदना तो बाकी है..
आदिल - भोस्डिके बकवास मतकर सुबह सुबह..
गौतम शबाना की कुर्ती उतारता हुआ - अच्छा बता ना गांडु क्या काम था.. तूने तो दोस्ती ख़त्म कर ली थी ना रात को फिर कैसे फ़ोन कर लिया?
आदिल - अरे यार कल काण्ड हो गया था..
गौतम - हाँ बताया था तेरी अम्मी ने कैसे पुलिस ने तेरी गांड तोड़ी थी कल..
आदिल - उसीके लिए फ़ोन किया है भोस्डिके. आज अब्बू मुझे खालू के यहां कासपुर ले जा रहे है.. कल कोई मन्नत मांगी थी उन्होंने जिसे पूरा करने..
गौतम शबाना की कुर्ती उतारकार उसकी ब्रा देखते हुए - साले तूने बताया नहीं तेरी अम्मी की ब्रा का साइज 38 है.. देखने से 32-34 ही लगते थे.. (बूब्स दबाकर) बहनचोद कितने टाइट है यार तेरी अम्मी के चुचे..

Gifs-for-Tumblr-1633 big-boobs-erotic-porn-gif-pressing-boobs-big-tits-boobs-porn-gifs-scaled
आदिल - बहन के लंड पागल हो गया सुबह सुबह.. कितनी पी है तूने आज.. मैं जो बोल रहा हूँ वो बता..
गौतम - चल पूछ ना गांडु..
गौतम इतना कहकर शबाना की ब्रा निकाल दी और उसके बूब्स को चाटने और चूसने लगा निप्पल्स को छेड़ने लगा शबाना भी मुस्कुराते हुए गौतम का पूरा साथ दे रही थी

Lana-Rhoades-sucking-and-fucking-1 138805-he-passionately-deep-faceholes-her-tender-breasts
आदिल - अरे कोई जुगाड़ है क्या यहां कासपुर के पास? किसीको जानता है तू?
गौतम - जानता तो हूँ..
आदिल - बोल ना भोस्डिके.. मुंह में कुछ ले रखा है क्या?
गौतम - हाँ भाई तेरी अम्मी के गुलाबी निप्पल्स है मेरे मुंह में.. बड़े प्यार से अपने चुचे चुसवा रही है हमारी बातें सुन रही है..

38946 38740
आदिल - क्यों अपनी माँ चुदवा रहा है रंडी.. बताना है तो बता दे वरना फ़ोन रख..
गौतम - रख दे साले.. मैं क्या है?

शबाना गैस पर से चाय उतारकर कप में चाय छन्नी कर लेटी है और अपना चुचा चूस रहे गौतम के मुंह से अपना बोबा निकालकर उसे चाय का कप दे देती है..
आदिल - भोस्डिके क्यों भाव खा रहा है? बता दे ना..
गौतम चाय लेटे हुए - चल ठीक है मगर कुछ करना पड़ेगा उसके लिए पहले..
ये कहते हुए गौतम ने शबाना के सर पर हाथ रख दिया और उसे नीचे बैठने का इशारा किये जिसे शबाना अच्छे से समझा गई और अपने घुटनो पर बैठकर गौतम की जीन्स पर लगा बेल्ट खोलने लगी फिर जीन्स खोलकर नीचे सरका दी..
आदिल - क्या करना है जल्दी बोल रंडी..
गौतम - बहुत रंडी रंडी बोलता है ना मुझे गांडु.. चल अब अब्बू बोल फिर नंबर दूंगा..
शबाना गौतम की बात सुनकर दबी हुई हंसी हँसने लगी और शरारत भरे अंदाज़ से गौतम की टीशर्ट ऊपर करके उसके नाभि पर प्यार से चूमकर अपने दांतो से काट लिया..
आदिल - मादरचोद औकात मत दिखा अपनी.. देना है तो दे वरना माँ चुदा..
गौतम - तेरी मर्ज़ी..वैसे आज तो तेरी अम्मी चुदने वाली है..
आदिल फ़ोन काट देता है..

शबाना - बिलकुल बेशर्म है तू. थोड़ी भी शर्म नहीं है तेरे अंदर..
गौतम - शर्म होती तो तुम इस तरह मेरे सामने बैठकर मेरी चड्डी नहीं उतार रही होती शब्बो बेगम..
शबाना हस्ते हुए - इस तरह से तो मत बुला कमीने.. मुझे शर्म आने लगती है..
गौतम चाय पीते हुए - शर्म ही तो औरत का गहना होता है शब्बो..
शबाना गौतम से नज़र चुरा लेती है और उसकी चड्डी भी नीचे सरका देती है.. जैसे ही गौतम की चड्डी नीचे सरकती है शबाना का मुंह खुला का खुला रह जाता है..

ceddf7173fa8c2fa08c4b4db2c647ff6
शबाना सोच रही थी की कल जो फोटोज गौतम ने व्हाट्सअप की थी वो फेक है मगर अब उसके सामने गौतम का झूलता लंड था और शबाना उसे देखकर हैरात से आँखे बड़ी कर चुकी थी.. शबाना को समझा नहीं आ रहा था की कैसे गौतम के पास इतना बड़ा और मोटा लम्बा लंड है ये असाधारण बात थी..
शबाना बिना कुछ बोले बस लंड को देखे जा रही थी और गौतम चाय पीते हुए सारा नज़ारा देखकर मुस्कुरा रहा था..

शबाना ने एक नज़र ऊपर करके गौतम को देखा तो गौतम ने मुस्कुराते हुए कहा..
गौतम - पसंद आया मेरी शब्बो को मेरा लंड?
गौतम के सवाल पर शबाना शर्म से पानी पानी हो गई और फिर आँखे नीचे करके फर्श को देखने लगी मगर गौतम ने शबाना के चेहरे को ऊपर उठाते हुए उसके मुंह में अपना अंगूठा डाल दिया जिसे शबाना शरमाते हुए चूसने लगी.. थोड़ी देर अंगूठा और उंगलियां चूसाने के बाद गौतम ने शबाना को से कहा..
गौतम - इतना शर्माओगी तो कैसे काम चलेगा शब्बो?
गौतम के इतना कहते ही शबाना औऱ शर्म से लाल पड़ गई..

गौतम - यार शब्बो तेरा बेटा पता नहीं क्या चाहता है.. बार बार फ़ोन कर रहा है.. एक मिनट इससे बात कर लू..
गौतम फ़ोन उठाकर - हाँ गांडु बोल?
आदिल - भाई क्यों नखरे कर रहा है देदेना नम्बर..
गौतम - दे तो रहा हूँ.. तू बोल ही नहीं रहा..
आदिल - अच्छा.. अब्बू.. बस बोल दिया अब दे जल्दी.
गौतम - ऐसे नहीं गांडू.. बोल अब्बुजान मेरी अम्मी के मुंह में लोडा डाल दो.
आदिल धीरे से- अब्बूजान मेरी अम्मी के मुंह में लोडा डाल दो.. बस अब दे जल्दी..

0cae213e2bb9632a08a55bb5beb27124 838c86185c2faae5bdc62033c0a71a45
गौतम शबाना के मुंह में लोडा डाल डेता है.
शबाना शरमाते हुए औऱ मुस्कुराते हुए लंड मुंह में ले लेती है औऱ चूसने लगती है..
गौतम - उफ्फ्फ आदिल क्या चुस्ती है तेरी अम्मी यार..
आदिल - मज़ाक़ मत कर रंडी अब दे दे जल्दी नम्बर..
गौतम - व्हाट्सप्प कर रहा हूँ रुक.. फ़ोन कट जाता है..
शबाना रुक शब्द सुनकर लोडा चूसना बंद कर देती है औऱ गौतम को देखती मगर गौतम नम्बर सेंड करके शबाना से कहता.. तुझसे नहीं बोला मेरी जान, तू चुस्ती रह. केसा है मेरा लंड?
शबाना - लज़ीज़ है..
गौतम शबाना के बाल पकड़ कर उसे अपना लोडा अंदर तक चूसाता हुआ - तो पूरा लोना मेरी जान..

शबाना कामुक होती हुई गौतम के लंड को चूस रही थी औऱ उसे देखकर मुस्कुरा रही थी मानो कहा रही हो तुम कितने बेशर्म हो गौतम.. गौतम शबाना के सर पर हाथ रखकर उसे अपना लोडा ऐसे चुसवा रहा था मानो कहा रहा हो आज तो तेरे मुंह के साथ चुत भी सुज्जा दूंगा शबाना..
कुछ देर बाद शबाना के मुंह की गर्माहट औऱ लार से गौतम चरम पर पहुंच जाता है औऱ वो शबाना के मुंह में अपना सारा माल छोड़ कर फारीक हो जाता है.. शबाना मज़े से लंड का माल पीते हुए मुस्कुराती है औऱ फिर चाट चाट के गौतम के लंड को साफ करके खड़ी हो जाती है..

गौतम - क्या चुस्ती हो यार शब्बो, मज़ा आ गया..
शबाना मुस्कुराते हुए सारी शर्म छोड़ देती है औऱ अपनी सलवार का नाड़ा खोलते हुए गौतम से कहती है - अब तुम्हारी बारी.. चलो..
शबाना ने इतना कहकर गौतम के कंधे पर हाथ रखकर नीचे बैठने को इशारा किया मगर गौतम शबाना का मन समझा चूका था औऱ नाटक करते हुए बोला - शब्बो वादा सिर्फ blowjob का था अब आगे मेरा कुछ करने का मूड नहीं है..
शबाना ने गौतम का एक हाथ पकड़ कर अपने बूब्स पर रख दिया औऱ बोली - मूंड बनाने के लिए मैं हूँ ना बेटा..
गोतम शबाना के बूब्स के निप्पल्स जोर से मसलते हुए - पर मैं आगे कुछ नहीं करने वाला.. बहुत नखरे चोद रही थी ना तुम.. अब मेरी बारी है..
शबाना - पूरा सुलगा कर जलता छोड़ रहा है.. बिना तेरी इज़्ज़त लुटे यहां से जाने नहीं दूंगी तुझे? चुपचाप लाइन पर आजा..
गौतम - नहीं तो क्या करेगी?
शबाना - चिल्ला दूंगी.. इस हालात में जब सब देख लेंगे तो पता है क्या हाल करेंगे?
गौतम - सिर्फ मेरा हाल थोड़ी बुरा होगा?
शबाना - मुझे अपनी परवाह नहीं है.. तू अपनी सोच..
गौतम शबाना का मुंह पकड़ कर - बहुत बोलना आ रहा है ना तुझे?
शबाना - क्या कर लेगा तू?
गौतम - तेरा मुंह बंद कर दूंगा..
शबाना - हिम्मत है तुझमे मेरा मुंह बंद करने की?
गौतम शबाना की बात सुनकर उसके मुंह से अपना मुंह लगा लेता औऱ शबाना को चूमने लगता है जिससे शबाना भी मस्ती से भरकर गौतम के गले में अपने हाथ डाल देती औऱ उसके नाजुक लबों को अपने मोटे औऱ गुलाबी लबों से चूमने लगती है...

french-kiss-tongue
शबाना चूमते हुए गौतम को लेकर अपने बेड रूम में आ जाता है औऱ बिना चुम्बन तोड़े दोनों बिस्तर पर गिर जाते है..

शबाना डोमिनट करती हुई गौतम को पीठ के बल लिटा देती है औऱ उसके ऊपर आकर उसके चेहरे को बार बार चूमने लगती है औऱ गौतम के चेहरे गर्दन औऱ सीने पर अपने होंठों के साथ जीभ से भी चुम्बन अंकित कर देती है.. शबाना पूरी मस्ती में गौतम के सीने पर उसके निप्पल्स को अपने मुंह में भरके चूसने लगती है जैसे उसका दूध निकालकर छोड़ेगी गौतम को भी इसमें बहुत काम सुख मिल रहा था शबाना ने दांतो से उसके निप्पल्स काटने शुरू कर दिया जिसमे गौतम को थोड़ा दर्द होने लगा.. शबाना ने गौतम के बदन पर लव बाईट की झड़ी लगा दी..
शबाना वापस नीचे आगई औऱ गौतम के लंड को मुंह में लेकर वापस उसे चूसना शुरू करदिया..

rawdeepthroats-deepthroat-fuck-performed-the-006 rawdeepthroats-deepthroat-fuck-performed-the-003
शबाना को सालों बाद कोई बिस्तर पर मिला था जो उसे काम सुख देने वाला था शबाना गौतम को अपनी चुदाई कला से रिझाना चाहती थी जिसके लिए वो गौतम को पूरी तरह खुश करने में लगी थी..
गौतम ने किसी रंडी की तरह शबाना के बाल पकड़ लिए औऱ उसके मुंह में झटके मारने लगा.. शबाना किसी रंडी की तरह अपना मुंह चुदवा रही थी.. उसके मुंह में गौतम का लंड आधे से ज्यादा घुस रहा था..
गौतम ने कुछ देर ऐसे ही शबाना का मुंह चोदकर उसके बाल खींचता हुआ उसे ऊपर ले आया औऱ अपने हाथ से शबाना की चड्डी उतारकर उसकी चुत को अपनी मुट्ठी में पकड़ लिया औऱ उसकी चुत का जायजा लेने लगा.

गौतम - ऊपर से कितने नखरे कर रही थी औऱ नीचे सारे बाल साफ करके बैठी.. मेरे लिए काटी है ना झांटे?
शबाना पूरी बेशर्मी से - हाँ तेरे लिए काटी है.. पहले कह देता तुझे बालों वाली चुत पसंद है तो नही काटती..
गौतम - उफ्फ्फ अम्मीजान मार डोलोगी तुम तो..
शबाना - तुम्हारे मुंह से अम्मीजान कितना प्यारा लगता है..
गौतम - अच्छा.. तो बस आज के बाद आपको अम्मीजान कहकर ही बुलाऊंगा..
शबाना हस्ते हुए - चुप बेशर्म..
गौतम - अम्मीजान अब अपनी चुत का रस पीलाओ..
गौतम उठकर शबाना की टांग चौड़ी कर लेता है औऱ उसके जांघो के जोड़ पर अपने मुंह लगा के उसकी चुत सूंघता है जिसकी खुशबु से गौतम काम की हवा में बहने लगता है..
गौतम जैसे ही अपने होंठ शबाना की चुत पर रखता है शबाना काम में डूबी हुई एक आह भारती है औऱ गौतम के सर पर अपने दोनों हाथ रखकर उसका सर अपनी चुत पर जोर से दबा लेती है..

Close-up-pussy-licking-1
तभी गौतम का फ़ोन बजता है जिसे शबाना देखती है औऱ उसपर आदिल का नाम देखकर गुस्से में कहती है - ये अपनी अम्मी नहीं चुदने देगा आज.. गँड़मरा बार बार फ़ोन करके परेशान कर रहा है..
गौतम हसते हुए - इसकी अम्मी चुदने से तो आज इसका बाप भी नहीं रोक सकता..
शबाना हसते हुए फ़ोन गौतम को दे देती है.. गोतम फ़ोन उठाकर शबाना की चुत चाटने लगता है..

4128894-7242-1
आदिल - क्या कर रहा है?
गौतम - तेरी अम्मी की चुत चाट रहा हूँ..
आदिल - क्यों मज़ाक़ कर रहा है रंडी..
गौतम - रुक फोटो भेजता हूँ.. गौतम सिर्फ चुत की फोटो खींचकर आदिल को व्हाट्सप्प कर देता है.. देख ले खुद चाट रहा हूँ..
आदिल - अबे सच बता किस रंडी की ले रहा है? मुझे नहीं दिलवायेगा?
गौतम हस्ते हुए - अबे तेरी सगी अम्मी है..
आदिल - बहन के लोडे फालतू मज़ाक़ नहीं.. बहुत हो गया तेरा.. औऱ वो जो तूने नंबर दिए थे पैसे ज्यादा मांग रहा है..
गौतम - कितने कम पड़ रहे है?
आदिल - अबे 4 हज़ार मांग रहा है वो भी दो घंटे के.. मैं दो हज़ार देने को त्यार हूँ..
गौतम शबाना को देखकर - बाकी दो हज़ार में सेंड कर रहा हूँ मज़े कर.. औऱ वापस कॉल मत करना शाम तक..
आदिल - बहन के लंड.. होश में है? मेरे टुकड़ो पर पलता है तू.. पैसे कहाँ से आये तेरे पास?
गौतम - बाद में बताऊंगा अभी तेरी अम्मी को चोदना है.. चल रखता हूँ.. पैसे ऑनलाइन कर दिए..
फ़ोन कट हो जाता है..

शबाना - आदिल रडीयों के पास जाता है?
गौतम - कभी कभी जाना पड़ता है अम्मी.. गौतम फिर से शबाना की चुत चाटना शुरू कर देता है.. शबाना भी आगे कुछ नहीं बोलती औऱ अपनी चुत चूसाईं का आनंद भोगने लगती है..

4008332-9-13378-1-big
teton science school
गौतम पूरी ईमानदारी औऱ स्वाद लेकर शबाना की चुत चाट रहा था औऱ उसकी चुत से निकलता रस पिए जा रहा था.. औऱ शबाना भी सालों बाद मिल रहे सुख का मज़ाक़ उठने लगती है और थोड़ी सी देर बाद ही गौतम में मुंह में झड़ जाती है.. झड़ने के बाद शबाना शर्म से गौतम के सीने में अपने सर छीपा लेती है..
कुछ देर बाद गौतम - शुरू करें?
शबाना शरमाते हुए - हाँ.. मगर संभालके.. 7 साल से कुछ नहीं किया.. औऱ तुम्हारा बहुत बड़ा है..
गौतम मिशनरी पोज़ में आते हुए - तो फिर खुद ही अंदर कर लो..
शबाना कामुक हावभाव के साथ - लंड पकड़कर अपनी चुत के मुहाने पर सेट करती है औऱ हल्का सा गौतम की कमर पर हाथ रखकर अपनी औऱ खींचती है जिससे लंड का टोपा शबाना की गीली चुत में चला जाता है..
शबाना गौतम के देखती हुई उसके होंठो को अपनी क़ैद में कर लेटी है औऱ चूमते हुए लंड को धीरे धीरे चुत में घुसाने की कोशिश करती है मगर गौतम को एक शरारत सूझती है औऱ वो एक जोरदार झटका मार देता है.. झटका इतना तेज़ था की आधे से ज्यादा लंड एक बार में चुत को चिरता हुआ उसमे घुस जाता औऱ शबाना की चिंख निकल जाती मगर घर के बाहर पड़ोस में बज रहे dj की आवाज में उसकी आवाज दब जाती है औऱ शबाना खुद अपने मुंह पर हाथ रख लेती है मगर उसकी आँखों से आंसू औऱ चुत से हल्का खून बह जाता है..

Fortunate-Imaginative-Cornsnake
शबाना गौतम को देखती हुई सिसकी भरने लगती है औऱ गोतम के नीचे से निकलने की नाकाम कोशिश करने लगती है मगर गौतम शबाना को नीचे से निकलने नहीं देता औऱ शबाना को प्यार से चुप कराकर वापस चूमने लगता है..

शबाना सिसकती हुई - पहली बार में ही मेरी चुत का भोसड़ा बना देगा क्या हरामजादे.. कहा था ना प्यार से करना..
गौतम - माफ़ कर दो अम्मी.. बहक गया था.. बाहर निकलूं?
शबाना - नहीं बेटा अब रहने दे ऐसे ही..
कुछ देर बाद जब शबाना शांत होती है गौतम फिर से शबाना को उसी मूंड में आने की कोशिश करने लगता है औऱ शबाना जल्दी ही गौतम की छेड़ खानी से कामुक हो उठती है..
गौतम शबाना के कामुक होने पर धीरे धीरे अपने लंड को उसकी चुत में आगे पीछे करने लगता है औऱ शबाना सिस्कारिया लेटी हुई अपनी चुदाई का सुख भोगने लगती है शबाना इसतरह गौतम को पड़के हुए थी जैसे उसे अपने आप में समाज लेना चाहती हो दोनों के होंठ अब भी आपस में मिलकर एक दूसरे को गिला कर रहे थे..

m-ldpwiqacxt-E-Ai-mh-vz-Wd-Cvh-SZC4r-NJt-O-9801102b m-ldpwiqacxt-E-Ai-mh-M3t2x-S4-T8-B5yus-Hl-38526721b
मिशनरी के बाद बाल पकड़के डॉगी स्टाइल, काऊ गर्ल औऱ फिर गोद में उठाकर गौतम ने शबाना को रंडी बनाके चोदा.

0493f2723acd8e893e28a9238edf512f

1c493ccca4bc0394d69c2fbe3f2fadca
शबाना को ऐसा लग रहा जैसे उसे जन्नत मिल गई हो.. गौतम भी अपने दोस्त की अम्मी चोदते हुए पूरा जोश में था औऱ शबाना को नंगा करके बेशर्मी से अपने लंड पर उछाल रहा था.

eac309120f5cce57c5a8af3c5452423c 38909-standing
शबाना चुदवाते हुए मीठे दर्द औऱ असीम ख़ुशी से कराह रही थी औऱ गौतम को चूमे जा रही थी.. शबाना की चुत से वापस झरना बह चूका था..
शबाना को ऐसा लग रहा जैसे आज वो अलग ही दुनिया में हो उसको आजतक जो नहीं मिल पाया था गौतम ने आज उसे दिला दिया था शबाना के अंग अंग में तरंग की लहर उमड़ पड़ी थी वो गौतम के लिये या उसके कहने पर आज कुछ भी कर सकती थी..

गौतम ने शबाना को वापस बिस्तर पर पटक दिया औऱ मिशनरी में चोदने लगा.. इस बार लम्बे समय से चोदते आ रहे गौतम का झरना भी बह जाना चाहता था औऱ पिछले एक घंटे से शबाना पूरी तरह संतुष्ट होकर गौतम के नीचे पड़ी हुई चुद रही थी.. गौतम ने अपना वीर्य शबाना की चुत में ही भर दिया जो बच्चे दानी में पूरी तरह चला गया..

शबाना - उफ्फ्फ.. ये क्या तूने? अंदर क्यों छोड़ा.
गौतम - मेरी मर्ज़ी अम्मी.. मैं जहा चाहूंगा वही अपना मार निकालूँगा..
शबाना - मैं प्रेग्नेंट हो गयी तो?
गौतम - वही तो मैं चाहता हूँ मेरी जान.. कम से कम एक बच्चा तो तूम मेरा भी अपनी चुत से निकाल सकती हो.
शबाना - अगर तेरा बच्चा मैंने पैदा किया तो मुझे क्या मिलेगा?
गौतम - तुझे क्या चाहिए?
शबाना - तू मुझे छोड़कर नहीं जाएगा कभी.. जब भी बुलाऊंगी आना पड़ेगा मुझसे मिलने..
गौतम - वादा करता हूँ..
गौतम बेडशीट पर खून देखकर- ये कहा से आया?
शबाना हसते हुए - तूने ही तो निकाला है मेरी चुत से.. एक झटके में लोडा अंदर डालेगा तो क्या जूस निकलेगा? सफ़ेद से लाल हो गई बेडशीट..
गौतम - चोदने के बाद बहनचोद भूख बहुत लगती है.. यार कुछ खिला दो अम्मी..
शबाना लड़खड़ाते हुए उठती है औऱ गौतम से मुस्कुराते हुए कहती है - क्या खाओगे क्या बनाऊ?
गौतम भी खड़ा हो जाता है औऱ कहता है - परांठे बना दो..
शबाना - अभी बनाके लाती हूँ..
ये कहते हुए शबाना अपने कपड़े पहनने लगती है मगर गौतम उसे कपडे नहीं पहनने देता औऱ कहता है - रहने दे ना अम्मी.. खाने के बाद वापस उतारना पड़ेगा.. बिना कपड़ो के वैसे भी कमाल लगती है..
शबाना - ब्रा पेंटी तो पहनने दे बेटा..
गौतम - शाम तक कोई कपड़ा नहीं मिलेगा.. चल रसोई में..
गौतम शबाना को उठाके रसोई में ले आता है औऱ शबाना वहा परांठे बनने के लिए आटा लगाने लगती है..

standing-sex-gif-rear-entry-001 1D42F45
गौतम शबाना को पीछे से पकड़ लेटा है औऱ उसके दोनों बूब्स को अपने दोनों हाथो में भरके उसी तरह मसलने लगता है जैसे शबाना आटा मसल रही थी..
शबाना - खाना तो बना लेने दे..
गौतम - तो बना ना अम्मी.. तेरे बोबे पकडे है हाथ थोड़े पकडे है..
गौतम ये कहते हुए अपना लंड भी उसकी चुत में डाल देता है..
शबाना - आह.. आहिस्ता...
गौतम - अम्मी बहुत मस्त चुत है तुम्हारी..
शबाना - एक बात पुछु?
गौतम - हाँ.. पूछ ना..
शबाना - मैं कैसी लगी तुझे?
गौतम - सच बताऊ?
शबाना - हाँ
गौतम - रंडी जैसी..
शबाना - क्या.. रंडी जैसी क्यों?
गौतम - बोल रही थी अगला जन्म लेना पड़ेगा.. 4 दिनो में टांग खोल के नीचे लेट गई.. साली रांड..
शबाना मुंह बनाके - चुद गई तो रंडी हो गई? वरना पिछले 4 दिन से हूर रानी परी शहजादी बोल रहा था.. सच में कमीना है.. ले खा ले..

गौतम शबाना को पलटके अपनी औऱ घुमा लेटा है औऱ उसकी चुत में फिर से लंड डालके बोलता है..
गौतम - तूम अपने हाथ से खिलाओ ना अम्मी..
शबाना - रंडी के हाथ से खायेगा?
गौतम - तूम मेरी पर्सनल रंडी हो तुम्हारे हाथ से तो ज़हर भी खा लू..

शबाना मुस्कुराते हुए गौतम को खाना खिलाती है खाना खाने के बाद गौतम - बाथरूम कहा है?
शबाना - क्यों?
गौतम - क्यों क्या? बाथरूम लगा है..
शबाना नीचे बैठकर गौतम का लोडा पकड़ते हुए आँख मारके - तेरी रंडी है ना.. मेंरे मुंह में कर दे.. औऱ गौतम का लोडा अपने मुंह में डाल लेती है..
गौतम शबाना के सर पर हाथ फेरता हुआ उसके मुंह में मूतना शुरू कर देता जिसे शबाना बड़े आराम से पी लेती है..
शबाना को अपना मूत पिलाने के बाद गौतम रसोई से बाहर आ जाता है.. उसके पीछे पीछे शबाना भी बाहर आ जाई है...

गौतम ने शबाना को अपनी बाहों में भर लिया और उसे उठाकर बिस्तर पर ले गया जहां पहले उसे चुम्मा और उसके बाद उसकी चुत को चाटते हुए गांड के छेद आ गया.. शबाना को अपनी गांड के छेद चटवाने में बहुत मजा मजा आ रहा था और गौतम बड़े चाव से शबाना की गांड के छेद को चाट रहा था.. थोड़ी देर शबाना की गांड की छेद को चाटने के बाद गौतम ने छेद में उंगलि डाल दी औऱ उंगलि से शबाना की गांड चोदने लगा.. थोड़ी देर इसी तरह करने के बाद गौतम ने गांड के छेद पर थूक दिया औऱ अपना लोडा लगा दिया..

शबाना को जब इस बात का एहसास हुआ वह मुड़कर पीछे देखने लगी और गौतम से ऐसा नहीं करने के लिए इशारे में मना करने लगे मगर गौतम ने शबाना की एक न सुनी और अपने लंड का दबाव बनाकर गांड की छेद को चोडा करते हुए अपने लोडे का टोपा गांड के अंदर घुसा दिया.. शबाना आहे भरने लगी औऱ सिसकियाँ लेने लगी और वह बार-बार गौतम से गांड के छेद को छोड़ देने की अपील करने लगी मगर गौतम उसकी अपील नकारते हुए शबाना की गांड में अपना लंड घुसाने को बेताबी से अपना जोर लगा रहा था...
7e03fb3dfa9284f0d6cae358ce2672f9
royal oaks country club dallas
कुछ पलो में ही उसको सफलता भी मिल गई.. शबाना ने पहले भी अपनी गांड मरवाई थी मगर गोतम के बड़े लंड से मारवाने के कारण उसे दर्द भी हो रहा था लेकिन गौतम की ख़ुशी के कारण शबाना ने अपनी गांड की कुर्बानी देने का फैसला कर लिया था..


368d85448a5eff902dfa4d3ecf980ba7
गौतम अपने दोस्त की अम्मी चोद चूका था औऱ अब बारी गांड की थी जिसे वो चोद रहा था.. आधे घंटे बाद शबाना बिस्तर पर पेट के बल लेटी हुई थी औऱ उसके ऊपर गौतम शबाना की गांड में लोडा घुसाये लेटा हुआ उसे चोद रहा था..

celebrate-the-evening-at-beach-with-pune-companion 319a0369627267a0fa8da599b032c2ef
शबाना ख़ुशी खुशी अपनी गांड भी गौतम के नाम कर देती है औऱ फिर से गौतम गांड चोदकर लंड का माल शबाना की चुत में भर देता है शबाना की चाल ढाल औऱ हाल सब बदल चूका था.

Maddy-OReilly-Anal-Jules-Jordan-2014 7854f89750b93e97a50a2c5b25cc3bbd vixen-eva-lovia-002
दिन के चार बज चुके थे औऱ गौतम शबाना को बाहों में लिये बिस्तर पर लेटा हुआ था तभी वापस आदिल का फ़ोन आता है..
गौतम - कैसी औलाद पैदा की है यार तूने? साला दिन में दस बार फ़ोन करता है..
शबाना - अब तो तूने इसकी अम्मी चोद ली अब क्यों नाराज़ है इससे?
गौतम फ़ोन उठा कर - गांडु बोला था ना शाम तक फ़ोन मत करना फिर क्यों कर रहा है?
आदिल - भाई जरुरी बात है..
गौतम - बोल क्या जरुरी मात है?
आदिल - ऐसे नहीं पार्टी देनी पड़ेगी?
गौतम शबाना को देखकर - अपनी अम्मी के चुदने की पार्टी मांग रहा है क्या?
आदिल - बार बार अम्मी पे मत आ साले..
गौतम शबाना के बूब्स मसलकर - वरना क्या कर लेगा तू? साले इतने मोटे औऱ टाइट बूब्स है तेरी अम्मी के देखते ही मसलने का मन करता है.. पूरी मिया खलीफा दीखती है रांड.
आदिल - औकात में रह भोसड़ीवाले.. वरना मुझसे भी कुछ सुन लेगा..
गौतम - अच्छा क्या जरुरी बात है बता?
आदिल - फ़ोन पर नहीं.. एक घंटे बाद मेरे घर पर मिलना..
गौतम हैरानी से - पर तू तो कासपुर गया था ना?
आदिल - भाई मेरा काम पूरा हो गया तो अब्बू को वही छोड़कर मैं सीधा वापस आ गया.. एक घंटे में घर पहुंच जाऊंगा.. तू भी आ जा..
गौतम - ठीक है..
शबाना - अच्छा हुआ तूने फ़ोन उठा लिया वरना ये भड़वा आज तुझे औऱ मुझे रंगे हाथ पकड़ लेता.. सूअर है पूरा..
गौतम - एक घंटा है.. चल..

गौतम शबाना को अपने आगे झुका लेता है औऱ लंगड़कर चलती हुई शबाना के बाल पकड़ कर शबाना को चोदते चोदते कमरे से बाहर ले आता है औऱ शबाना के साथ बाथरूम में घुस जाता है आधे घंटे बाद जब दोनों बाथरूम से बाहर निकलती है तो शबाना गौतम की गोद में होती है औऱ गौतम शबाना को बैडरूम में ले आता है उसके बाद दोनों अपनेआप को तैयार करते है औऱ आज हुई घमासान चुदाई के सारे सबूत मिटा देते है. शबाना चुदाई के कारण ऐसे चल रही थी जैसे उसके पैरो में मोच आ गई हो.

गौतम - अम्मी अगली बार कब मिलेगी तुम्हारी चुत?
शबाना - मैं फ़ोन करके बताउंगी अब जल्दी हट आदिल आने वाला होगा..
गौतम हसते हुए - अब क्या डर? उसकी अम्मी तो चुद गई..
शबाना - केसा कमीना है तू..
गौतम - देखना एक दिन आदिल के सामने चोदुँगा तुझे..
शबाना - चुप अब.. चाय पीनी है?
गौतम - हम्म्म पीला दो..
शबाना रसोई में चाय बनाके गौतम को पिलाती है औऱ गौतम चाय पिता हुआ आदिल का इंतजार कर रहा होता है.. कुछ देर बाद आदिल भी घर आ जाता है औऱ गौतम को लेकर कहीं चला जाता है..



Bahut hi jabardast update
Sabana ko chod bhi diya aur aadil ko pata bhi nahi chal paya
 
  • Like
Reactions: moms_bachha

ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
3,831
15,486
144
Update 13

आदिल गौतम को लेके एक बार में आ जाता है औऱ दोनों कोने में एक टेबल पर बैठ जाते है..
गौतम - अब बता भोस्डिके क्या बता रहा था तू?
आदिल - भाई ऐसे नहीं आज दारू पीला पहले..
गौतम - ठीक है साले.. मंगवा ले..
आदिल वेटर से - भाई दो बियर...
गौतम - बता ना अब..
आदिल - भाई सलमा आपा का अड्रेस मिल गया..
गौतम - कहा से मिला?
आदिल - अरे मिल गया कहीं से बस..
गौतम - तो बता ना भोस्डिके.. रांडो की जैसे नखरे क्या कर रहा है..
आदिल - भाई जयपुर रहती है सलमा औऱ किसी मॉल में जॉब करती है.. व्हाट्सप्प पर पूरा एड्रेस भेजा है तुझे देख..
गौतम फ़ोन देखकर - सच बोल रहा है ना गांडु?
आदिल - अम्मी कसम भाई..
गौतम - अम्मी से याद आया.. भाई तेरी अम्मी है मस्त माल बहनचोद.. पूरी मिया खलीफा है साली.. पूरा ठंडा कर दिया मुझे आज..
आदिल - बहन के लोडे हद में रह.. क्या बोल रहा है..
गौतम - सच में भाई.. बुरा मत मान यार, तेरी अम्मी पसंद आ गई मुझे..
आदिल - भोस्डिके पागल हो गया क्या? अम्मी है मेरी.. क्यों फ़ालतू बकवास कर रहा है.. बिना पिए ही चढ़ गई क्या तुझे?
गौतम - अरे नहीं यार, सच बोल रहा हूँ थोड़ी सी हेल्प कर दे भाई.. तेरी अम्मी की चुत तुझे भी दिलवा दूंगा..
आदिल - चुदाईखाने अम्मी पर मत जा वरना बुरा हो जाएगा.. सबको रांड समझ लिया क्या तूने?
गौतम - क्या बुरा हो जाएगा गांडु? एक चुत के लिए साले औकात दिखा रहा है.. बचपन से कितनी मदद की है तेरी औऱ तू इतनी सी मदद नहीं कर सकता? बदले में तुझे भी तो दिलवा दूंगा..
आदिल - भाई अम्मी का ख्याल दिमाग से निकाल दे..
गौतम - कैसे निकाल दू भाई.. आगे औऱ पीछे का सामान देखा है तूने शबाना का.. देखते ही रगड़ने का मन करता है बहन की लोड़ी को, शकल देखते ही लंड खड़ा हो जाता है मादरचोद..
आदिल - अम्मी को गाली मत दे भोस्डिके, अब औऱ कुछ बोला तो सच में दोस्ती ख़त्म समझ..
वेटर बियर लाकर टेबल ओर रख डेता है औऱ चला जाता है..
गौतम - अच्छा गाली नहीं दूंगा पर सच बोल रहा हूँ.. बहुत पहले से मैं तुझे ये बात बताना चाहता था, यार मैं पागल हो रहा हूँ शबाना के लिए.. लंड खड़ा है देख..
आदिल बियर पीते हुए - तो बहन के लंड हिला ले ना जाके.. अम्मी नहीं यार.. अम्मी को छोड़ दे..
गौतम - देख भाई मैं जानता हूँ तुझे अगर शबाना की चुत मिले तो तू उसे भी नहीं छोड़ेगा.. भाई मेरा वादा है मेरा मन भरने के बाद तुझे भी तेरी अम्मी की चुत दिला दूंगा.. साले ऐसे रांड चोद के कहा तक काम चलायेंगे औऱ कहा से इतने पैसे लाएंगे? भाई सोच अगर हमें चुदाई करनी हो औऱ तेरी माँ फ्री हमसे चुदती रहे तो हमारा कितना फ़ायदा होगा..
आदिल थोड़ी देर चुप रहकर - अब्बू जान से मार देगा भोस्डिके..
गौतम - अबे पता कैसे चलेगा तेरे अब्बू को? तू बताएगा?
आदिल - छोड़ भाई.. जाने दे यार.. अम्मी को रहने दे..
गौतम - भड़वे ऐसे माल को चोदने की जगह छोड़ने की बात कर रहा है.. तू हाँ कर बस.. बाकी सब मुझपर छोड़ दे.. शबाना को बीच में लेके चोदेगे अपन दोनों.. सैंडविच की तरह.. आगे में लूंगा पीछे से तू लेना.. सोच ले.
आदिल - पर पटायेगा कैसे अम्मी को?
गौतम बियर ख़त्म करके - भाई उसकी फ़िक्र मत कर.. पटाया हुआ है.. बस सही टाइम का वेट कर.. कोई फोटो है शबाना की तेरे पास?
आदिल - फोटो तो बहुत है क्यों?
गौतम - चल बताता हूँ..
आदिल - कहा चलू?
गौतम - लंड के मेल.. ज्यादा सवाल मत कर.. चुपचाप चल..

आदिल गौतम के पीछे पीछे चल देता है औऱ दोनों जेंट्स टॉयलेट में आ जाते है जहा गौतम एक केबिननुमा बाथरूम में घुस जाता है औऱ आदिल को भी अंदर आने को कहता है आदिल के अंदर आते है गौतम उसका दरवाजा बंद कर लेटा है औऱ दिल से कहता है..
गौतम - फोटो दिखा शबाना रंडी की..
आदिल फ़ोन निकालकर - भाई क्या कर रहा है?
गौतम - तेरी अम्मी शबाना रंडी पर लंड हिलाएंगे आज दोनों भाई मिलके.. कोई सेक्सी फोटो दिखा तेरी अम्मी की.. बहन की लोड़ी सस्ती मिया खलीफा..
आदिल फोटो निकालकर - देख ये ठीक है?

images-53 images-52
गौतम - अबे कोई ऐसी फोटो दिखा ना जिसमे इसके चुचे दिखे अच्छे से बिना बुरखे के..
आदिल - ले बहन के लोडे ये देख.. है ना मस्त..

images-51
free image hosting
गौतम - मादरचोद कहा छुपा रखी थी ऐसी तस्वीर? क्या माल लग रही है रंडी.. चुचे देख साली के. फोटो ज़ूम कर..
आदिल - हाँ यार.. अम्मी को चोदने का मन तो मेरा भी बहुत है पहले से.. बस डर लग रहा था..
गौतम - क्या अम्मी अम्मी बोल रहा है मदरचोद.. रंडी है अपनी..
आदिल लोडा बाहर निकालकर - भाई इस रंडी की दिलवा दे यार. अब तो तूने मेरे लंड में भी आग लगा दी शबाना के नाम की.. इसे चोदे बिना चैन नहीं मिलेगा.
गौतम अपना लंड निकालकर - चोद दे पटक के तेरे तो घर में ही रहती है साली..
आदिल गौतम का लंड देखकर - अबे इतना बड़ा कैसे हो गया तेरा?
गौतम - जामुन खाकर हो गया भोस्डिके..
आदिल - मुझे खिला दे वो जामुन भाई..
गौतम - पहले तेरी अम्मी को चोद दू तेरे सामने फिर खिला दूंगा..
आदिल - चोद लेना रंडी को भाई मैं कोनसा मना करने वाला हूँ तुझे.. पर मेरा लंड भी अपने जैसा करवा दे..
गौतम - टाइम आने पर सब हो जाएगा तू चिंता मत कर.. अभी तो इस रंडी पर माल निकाल..
आदिल - हिला बहन की लोड़ी पर.. साली रंडी..

images-50
गौतम औऱ आदिल दोनों आदिल के फ़ोन पर शबाना की तस्वीर को देखते हुए मुठ मारने लगते है औऱ आदिल अपना माल उस तस्वीर पर गिरा देता है मगर गौतम अपना माल नहीं गिराता..
आदिल - क्या हुआ निकल नहीं रहा क्या?
गौतम - फोटो पर नहीं भाई, रियल में निकलेगा मेरा..

आदिल फ़ोन उठा लेता है औऱ उसके बाद आदिल अपने फ़ोन की स्क्रीन को गीले रुमाल से साफ करके गौतम के साथ बाहर आ जाता है औऱ दोनों वापस टेबल पर बैठकर एक एक बियर औऱ आर्डर कर देते है..
गौतम - रेशमा का क्या सीन है?
आदिल - कुछ नहीं यार.. निकाह को चार साल हो गये अभी तक बच्चा नहीं हुआ.. जीजा तलाक़ के देने की बोल रहा है..
गौतम - बच्चा नहीं हुआ मतलब कोई कमी है रेशमा में?
आदिल - पता नहीं मुझे जीजा ढीला लगता है..
गौतम - नंबर दे रेशमा के मैं बात कर लूंगा..
आदिल - तू नम्बर का क्या करेगा भाई?
गौतम - भाई तेरी अम्मी के साथ तेरी आपा को भी लंड के नीचे से निकाल दू तो तूझे कोई परेशानी थोड़ी है.. ले नंबर दे..
आदिल नंबर देकर - भोस्डिके चोदने के बाद मुझसे भी चुदवाएगा.. ऐसा ना हो की तू पलट जाए..
गौतम - भाई मेरे बाद तेरा ही नम्बर है.. मेरा मन भर जाए फिर तेरे ही लंड के नीचे रहेंगी दोनों..
आदिल - भाई लंड केसा बड़ा किया बता ना..
गौतम - बताया तो था साले.. जामुन खाकर..
आदिल - मुझे भी खिला दे यार..
गौतम - भाई वो जामुन ख़ास है बहुत दूर एक ख़ास जगह मिलते है ले चलूँगा तुझे कभी..
आदिल - ठीक है भाई.. जल्दी ले चलना..
गौतम - चल अब घर चलते है.. मैं तुझे घर छोड़ देता हूँ..
आदिल - हाँ.. चल..

गौतम आदिल को लेकर उसके घर आ जाता है औऱ घर के बाहर आदिल से कहता है..
गौतम - फारूक कब तक आएगा?
आदिल - अब्बू को आने में 10 बज जायेंगे..
गौतम - अभी 8 बज रहे है.. सुन तेरी अम्मी दरवाजा खोले तो सीधा अंदर जाकर सो जाना. मैं तेरी अम्मी को पटाने के लिए थोड़ी देर तेरी अम्मी से बात करूंगा.. समझा..
आदिल - ठीक है समझ गया..

आदिल दरवाजा बजाता है औऱ कुछ पलो में शबाना लंगड़ाती हुई आकर दरवाजा खोल देती है..
आदिल शबाना के दरवाजा खोलते ही अंदर जाकर अपने कमरे में चला जाता है औऱ गौतम दरवाजे से थोड़ा अंदर आकर दरवाजा लगा देता है..
शबाना - क्या कर रहा है.. आदिल अंदर है
गौतम - तो?
शबाना - देख लेगा.. जा यहां से
गौतम - वो नहीं आएगा.. बस एक चुम्मा लेना है..
शबाना - कुत्ते मेरी चाल बिगाड़ दी औऱ अब चूमा लेने आया है.. जा यहां से मैं फ़ोन करके बुलाऊंगी.
गौतम - बिना चुम्मे नहीं जाऊंगा..
शबाना - चुम्मे के बहाने तू कुछ भी करने लग जाएगा..
गौतम - सिर्फ चुम्मा लूंगा..

rskiss-rshot
शबाना पीछे आदिल के कमरे की तरफ देखती है औऱ गौतम का हाथ पकड़ कर उसे रसोई के पीछे खाली जगह पर ले जाती है..
शबाना - ले जल्दी कर..
गौतम शबाना के चुचे पकड़के अपनी औऱ खींचता है औऱ उसे अपने गले से लगा लेता है फिर चूमने लगता है.. करीब 2-3 मिनट के चुम्बन के बाद शबाना चुम्बन तोड़ देती औऱ कहती है..
शबाना - अब जा ना बेटा.. कोई देख लेगा तो आफत हो जायेगी..

गौतम अपना लोडा बाहर निकाल लेता है औऱ शबाना के कंधे पर हाथ रखकर उसे नीचे बैठने का इशारा करता है औऱ कहता है..
गौतम - इसे शांत कर दो अम्मी फिर चला जाऊंगा.
शबाना गुस्से से - कितना बेसब्री है तू.. आदिल अंदर है.. तू जा यहां से.. कहा ना बाद में सब कर दूंगी.. मेरा भी मन है मगर.. तू समझता नहीं है..
गौतम शबाना का बोबा पकड़ लेटा है औऱ मसलकर कहता है - इसे तो चूसना पड़ेगा अम्मी... वरना मैं यहां से नहीं जाने वाला..
शबाना - बेटा मान जा ना..
गौतम शबाना के बाल पकड़कर उसे नीचे घुटनो पर बैठा देता है औऱ अपना लंड शबाना के मुंह में डाल कर उसे लंड चूसाने लगता है..
d6a35f7fe4d97035692bd393f5e47e46
गौतम - आदिल की चिंता मत कर, तू बस अच्छे से चूस अम्मी.. आदिल नहीं आने वाला..
शबाना बार बार इधर उधर देखकर जोर जोर से गौतम का लंड चूसने लगती है औऱ थोड़ी देर बाद गौतम शबाना के मुंह में झड़ जाता है..

She-didnt-like-it-but-I-got-rough-blowjob-from-that-slut-1
शबाना गौतम का माल पीकर - अब जा यहां से औऱ फ़ोन करू तभी ही आना..
गौतम शबाना को अपने फ़ोन में कुछ फोटोज जिनमे आदिल ने कुछ देर पहले शबाना की फोटो ओर मुठी मारी थी दिखाकर कहता है - देख तेरे आदिल ने आज तेरी तस्वीर के साथ क्या किया है.
शबाना हैरानी से - तू करवाया होगा उससे ये सब..
गौतम - मैं क्यों करवाने लगा? वो खुद तुझे चोदने की फिराक में है..
शबाना - सच सच बता तेरे आदिल के बीच में क्या खिचड़ी पक रही है..
गौतम - खिचड़ी क्या पैकेगी अम्मी.. बताया तो मैंने आदिल भी तेरी लेना चाहता है..
शबाना - तूने बताया तो नहीं ना उसे हमारे बारे में?
गौतम - मैंने तुम्हारे सामने ही सब बता दिया.. अब पता नहीं उसने विश्वास किया या नहीं..
शबाना - ठीक है अब जा यहां से.. औऱ सुन..
गौतम - हाँ..
शबाना गौतम को चूमकर - अपना ख्याल रखना..

गौतम जैसे ही घर से बाहर निकलता है उसके फ़ोन पर आदिल का फ़ोन आ जाता है..
आदिल - भाई 15-20 मिनट रसोई के पीछे अम्मी के साथ क्या क्या किया बता तो दे..
गौतम - यार चुम्माचाटी की है बस..
आदिल - चुम्मा हो गया? बहनचोद इतनी जल्दी अम्मी मान गई? साली रांड ही है..
गौतम - बूब्स देख गांडू तेरी अम्मी के जाके बहुत सारी लव बाईट देके आया हूँ..
आदिल - बूब्स पर? वाह भाई मज़े ले रहा है मेरी अम्मी के..
गौतम - चल फ़ोन रख बाद में बात करता हूँ.. फ़ोन कट जाता है..

********

गौतम जब रात को घर आया तो उसने देखा की सुमन औऱ जगमोहन के बीच किसी बात को लेकर झगड़ा हो रहा था जिसका कारण वो नहीं जानता था. गौतम के आने पर सुमन अपनेआप को काबू में करती हुई चुप हो गई औऱ जगमोहन भी बिना कुछ बोले हाथ में एक बेग लिए घर से बाहर की तरफ आ गया. गौतम ने अपने पापा जगमोहन से बात करने की कोशिश की मगर जगमोहन किसी की भी सुनने के मूंड में नहीं था वो तुरंत घर से बाहर निकल गया औऱ सुमन अपने कमरे में बेड पर बूत बनी बैठी जगमोहन को जाते हुए देखने लगी वही गौतम के पास दो रास्ते थे एक तो ये कि वो जगमोहन को रोककर उससे पूछता कि वो कहा जा रहा है औऱ उसकी माँ सुमन के साथ झगड़ा क्यों कर रहा था तो दूसरा ये कि वो बेड पर बैठी आंसू बहा रही है औऱ सुमन को अपने गले से लगा कर चुप करवाता औऱ उससे इस झगडे कि वजह जानता..

गौतम ने दूर रास्ते को चुना औऱ जोगमोहन को जाने दिया वही सुमन के पास आकर उसके आंसू पोंछते हुए उसे अपने गले से लगा लिया औऱ उसके आँसुओ का कारण पूछने लगा जिसपर सुमन ने कोई जवाब नहीं दिया. गौतम बार बार सुमन से पूछे जा रहा था औऱ सुमन चुपचाप गौतम को देखकर उसके चेहरे को चूमती औऱ कुछ नहीं बोलती..

गौतम - हुआ क्या है माँ? आखिर कुछ तो कहो.. ऐसे क्यों चुप बैठी हो.
सुमन - कुछ नहीं ग़ुगु.. तू जा अपने कमरे में, मैं तेरे लिए कुछ खाने को बना देती हूँ..
गौतम - खाना वाना छोडो यार माँ, मैं यहां फ़िक्र से आधा हुआ जा रहा हूँ पहले मुझे पूरी बात बताओ तभी मैं यहां से जाऊंगा वरना यही जमकर बैठा रहूँगा..
सुमन - ग़ुगु तू अभी छोटा है इन सब बातों में मत उलझ, जाने दे.
गौतम - अगर नहीं बताओगी तो मैं आपसे कभी बात नहीं करूँगा औऱ ना ही आपका कहा मानूंगा. आपको मेरी कसम सच सच पूरी बात बताओ मुझे..

गौतम के अपनी कसम देने पर सुमन कुछ नरम सी पड़ गई औऱ गौतम को अपने गले से लगा कर जोर जोर से रोने लगी. उसके सब्र का बाँध टूट चूका था औऱ वो अपने आंसू बहा देना चाहती थी. गौतम ने बड़े ही प्यार से अपनी माँ के आंसू को पोंछा औऱ उसे ढांधस बंधाते हुए सुमन से फिर से पूछने लगा तो सुमन ने सब बताने का फैसला कर लिया औऱ बोली..

सुमन - ग़ुगु.. तेरे पापा अब हमारे साथ नहीं रहेंगे..
गौतम - पर क्यों?
सुमन गौतम को देखते हुए - ग़ुगु.. तेरे पापा ने दूसरी शादी भी की है.. औऱ अब वो वही उसी चुड़ैल के साथ रहेंगे कह रहे थे बस महीने एक बार आएंगे वो भी खर्चा देने.. ये कहते हुए सुमन फिर से रोने लगी..
गौतम - माँ.. पापा नहीं है तो क्या हुआ मैं हूँ ना आपका ख्याल रखने के लिए, चलो चुप हो जाओ औऱ अब ये रोना धोना बंद करो.. वैसे भी वो कोनसा यहां रहते ही थे. मैं तो पहले से जानता था कि वो बाहर किसी औऱ के चक्कर में है आपको नहीं बताया क्युकी मुझे डर था आपको बुरा लगेगा..
सुमन - तू जानता था? पर कैसे?
गौतम - वो छोडो.. आप मिली हो उस चुड़ैल से?
सुमन - नहीं.. कभी नहीं देखा उसे.. पता नहीं क्या जादू किया है उस चुड़ैल ने तेरे पापा पर..
गौतम - कोई जादू नहीं किया माँ, औऱ वैसे भी पापा के वहा रहने से या यहां रहने से कोई फर्क नहीं पड़ता.
सुमन - ऐसा क्यों बोल रहा है..
गौतम - क्युकी मैं जानता हूँ उनकी बन्दूक को जंग लग चुकी है औऱ अब वो अपनी बन्दुक से गोली नहीं चला सकते..

सुमन गौतम कि बात सुनकर हैरानी औऱ हास्य से मुस्कुरा पडती है औऱ कहती है - शर्म नहीं आती तुझे पापा के बारे में ऐसी बात करते हुए?
गौतम सुमन के होंठों के बिलकुल करीब गाल पर चुम्मा करते हुए दांतो से गाल काट लेटा है औऱ सुमन गौतम कि इस हरकत पर हलकी सी आह निकालकर उसके होंठों को अपनी उंगलियों से पकड़ लेती है औऱ कहती है..
सुमन - देख रही हूँ तू भी दिन ब दिन बहुत बिगड़ता जा रहा है.. कितना जोर से काटा है.. कहा था पुरे दिन आज?
गौतम - कहीं नहीं यार माँ, वो एग्जाम आने वाले है तो उसकी तैयारी के लिए दोस्त के साथ पढ़ाई कर रहा था लाइब्रेरी में बैठकर..
सुमन - चल खाना बना देती हूँ..
गौतम - रहने दो.. आज कहीं बाहर खाने का मन है.. आप अपना मूंड ठीक कर लो फिर चलते है..
सुमन मुस्कुराते हुए - ठीक है.. जैसा मेरा ग़ुगु कहे..
गौतम सुमन की जाँघ पर हाथ रखकर सहलाते हुए - माँ मैं चेंज करके आता हूँ आप कपडे बदल लो..

गौतम अपने रूम में आ जाता है और कपड़े बदलने लगता है तभी उसके फोन पर माधुरी का फोन आता है और माधुरी गौतम से बात करते हुए गौतम को अपनी दशा का बयान करते हुए कहती है कि उसे आज गौतम की सख्त जरूरत है. गौतम माधुरी को मना कर देता है और माधुरी गौतम से मिलने की ज़िद करने लगती है गौतम के बार-बार समझाने पर भी माधुरी उससे मिलने पर अड़ी रहती है और गौतम उसे समझा नहीं पता, आखिर में थक हारकर गौतम माधुरी को एक एड्रेस भेजता है जिसमें किसी होटल का पता होता है माधुरी उसे होटल में मिलने को कहती है गौतम और माधुरी के बीच यह बातचीत होकर फोन कट हो जाता है और गौतम कपड़े बदलकर बाहर आ जाता है कुछ देर में सुमन भी अपने कमरे से बाहर हो जाती है और गौतम के साथ घर से निकल पड़ती है.

गौतम सुमन के साथ किसी होटल के रेस्टोरेंट में जाता है जहां उसने माधुरी को बुलाया था और एक टेबल पर सुमन के साथ बैठ जाता है जहां दोनों आमने-सामने बैठकर खाने का ऑर्डर दे देते हैं आज सुमन ने आगे से नॉनवेज आर्डर किया था और खुद भी बड़े चाव से खा रही थी गौतम को देखकर लग रहा था कि वह आश्चर्य में है और सुमन के व्यवहार पर उसे हैरानी हो रही है मगर वह कुछ नहीं पूछता और सुमन के साथ खाना खाने लगता है. गौतम ने कुछ बाईट ही खाइ थी फिर उसे माधुरी याद आ गई और वह बहाना बनाते हुए सुमन से कहने लगा कि उसे प्रेशर आया है और उसे फ्रेश होने की जरूरत है, यह कहकर गौतम टेबल से उठ गया और रेस्टोरेंट से निकलकर होटल के एक कमरे में पहुंचा जहां माधुरी थी.. माधुरी ने जैसे दरवाजा खोला गौतम माधुरी के लबों से चिपक गया और दरवाजा बंद करते हुए माधुरी को अपने आगोश में लेकर बिस्तर पर ले गया और वहां दोनों का संभोग शुरू हो गया गौतम और माधुरी एक दूसरे को पाने की नीयत से चूम रहे थे और दोनों एक दूसरे को कम सुख देने की भरपूर प्रयास कर रहे थे माधुरी तो जैसे काम के शिखर पर थी उसे तो बस गौतम की कमी खल रही थी जो अब पूरी हो चुकी थी और वो गौतम को अपने से अलग नहीं करने देना चाहती थी.

सुमन ने जब गौतम को बाथरूम की जगह सीडीओ की तरफ जाते देखा तो वह अचरज में पड़ गई और वह सोच लगी कि गौतम फ्रेश होने की बोलकर सीडीओ की तरफ क्यों जा रहा है जबकि बाथरूम तो वही नीचे की तरफ बना हुआ है सुमन को कुछ ठीक नहीं लगा और उसे शक हुआ तो वह गौतम के पीछे-पीछे जाने लगी और पता करने की नीयत से सीडीओ पर आ गई. औऱ सोचने लगी कि गौतम कहां जा रहा है.. सीढ़िया चढने के बाद गौतम उसकी आंखों से ओझल हो गया और सुमन गौतम को यहां वहां देखने लगे मगर गौतम कहीं नहीं मिला.

सुमन ने नीचे वापस जाने का निर्णय लिया तभी उसे ऊपर की तरफ एक आदमी अपना काम करते हुए दिखा जो की होटल का स्टाफ मालूम पड़ रहा था सुमन ने उससे पूछा कि उसने एक लड़के को यहां से आते हुए देखा है क्या? बदले में उस आदमी ने सुमन को जवाब दिया कि एक लड़का अभी-अभी 402 रूम नंबर में गुस्सा है सुमन ये सुनकर थोड़ी सी परेशान हो गई और सोचने लगी कि गौतम 402 रूम नंबर में क्या करने गया होगा. वह रूम के सामने आ गई और रूम के अंदर झांकने की कोशिश करने लगी लेकिन रुम के अंदर देखने का कोई जरिया नहीं था सुमन अंदर झांकने की कोशिश कर ही रही थी कि उस आदमी ने जिसे अभी-अभी सुमन सुमन एड्रेस पूछा था उसने सुमन को अंदर झाँकते हुए देख लिया और उसके पास आकर बोला - ऐसे अंदर कुछ नहीं दिखेगा और एक पीन देते हुए सुमन से कहा कि इसे चाबी की सुराख़ में लगाकर अंदर का नजारा देखा जा सकता है..

सुमन ने पीन लेकर चाबी की सुराग में लगा दिया और घुटने पर बैठ गई अंदर देखने लगी जैसे सुमन ने अंदर का नजारा ददेखा तो उसके पैरों की जमीन हिल गई अंदर गौतम और माथुर के बीच संभोग चल रहा था जिसमें गौतम माधुरी को बिस्तर पर घोड़ी बनाएं चोद रहा था

Diamond-Kitty-Rough-Doggystyle-Sex
सुमन यह नजारा देखकर सोचने लगी कि गौतम उससे बहाना बनाकर यह सब क्यों कर रहा है और जो औरत उसके आगे घोड़ी बनी हुई थी उसकी शक्ल देखते ही सुमन समझ गई कि उसकी उम्र 35 से ऊपर है मगर गौतम को इतनी बड़ी-बड़ी औरतें क्यों पसंद है सुमन ने पहले गौतम को पिंकी के साथ देखा था और अब वह गौतम को माधुरी के साथ देख रही थी जिस तरह से गौतम अपने लंड से माधुरी की प्यास बुझा रहा था उसे देखकर सुमन के दिल में भी हल्का-हल्का दर्द होने लगा और उसकी चुत से हल्की-हल्की पानी के बुँदे बाहर आने लगी उसके दिल में भी अब काम के प्यास आजाद होने लगी थी और सुमन अब यह सोचने की जगह की उसका बेटा क्या कर रहा है और किसके साथ कर रहा है वह खुद का कामोतेजना से ओतप्रोत होकर भरने लगी थी.
गौतम माधुरी के बाल पड़कर उसे बिस्तर पर आडा पटक के चोद रहा था

tumblr-ncc18rtn031t8zkreo1-500
ये नज़ारा देखकर सुमन बाहर घुटनों पर बैठी हुई अपने मन को काबू में करती हुई सब देख रही थी उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि गौतम अपने से इतनी बड़ी औरत और इतनी खेली खाई लगने वाली औरत को इतनी आसानी से बिस्तर पर चोद-चोद कर रुला रहा था. गौतम ने माधुरी के बाल पड़कर अपना लंड उसके मुंह में डाल दिया और उसे अपना लंड चूसाने लगा. यह देखकर सुमन की चुत से पानी बहने लगा और वह दरवाजे के बाहर खड़ी हुई गौतम के लंड को निहारने लगी और उसे आंखों में बसने लगी उसने पिंकी के साथ गौतम की चुदाई के दौरान भी गौतम का लंड देखा था मगर आज उसे और भी ज्यादा साफ नजारे के साथ गौतम के लंड के दर्शन हो रहे थे.. गौतम का लंड बहुत ही सुंदर बलिस्ट और परिपूर्ण लग रहा था जिसे देखकर सुमन की चुत में खुजली चलने लग गई थी मगर वह कुछ नहीं कर सकती थी. सुमन चाहती तो दरवाजा खुलवा कर अंदर जा सकती थी और गौतम और माधुरी को पड़कर हंगामा खड़ा कर सकती थी मगर उसने ऐसा कुछ नहीं किया और वह चुपचाप घुटनों पर बैठकर अंदर रूम में झांकती हुई दोनों की चुदाई देखने लगी.

गौतम ने माधुरी को जिस तरह अपने बस में करके चोदा था उससे माधुरी गौतम की गुलाम हो चुकी थी और आज भी गौतम के कहे अनुसार हर पोज में गौतम को काम संतुष्टि देकर अपने भी मन की इच्छा पूरी करवा रही थी
थोड़ी देर माधुरी को चोदने के बाद गौतम ने माधुरी को घुटने पर बैठा दिया और उसके मुंह पर अपना लंड हिलाते हुए सारा माल उसके मुंह पर निकाल दिया..

Huge-facial Facial-cumshot-closeup
free image hosting
यह देखकर सुमन काम की इच्छा से भर गई और वहां से उठकर वापस नीचे आ गई रेस्टोरेंट में बने लेडीज टॉयलेट में जाकर सुमन ने अपनी उंगली से अपनी प्यास बुझाने का निर्णय किया और कुछ ही देर में उंगली करके बाहर आ गई फिर से वह अपनी टेबल पर बैठ गई और गौतम का इंतजार करते हुए सोचने लगी कि गौतम किस तरह से इतनी अच्छी चुदाई कर लेता है और यह औरत कौन थी जो गौतम से चुद रही थी? देखने से तो वह भी गौतम की मां की बराबर ही लगती थी लेकिन गौतम किस तरह रंडी बनाकर उस औरत को चोद रहा था. आखिर थी कौन? औऱ कैसे गौतम के संपर्क में आइ? और गौतम से अपनी इच्छा या कहो काम इच्छा पूरी करवा रही थी.

गौतम और माधुरी दोनों ही काम के सागर में डुबकी लगाकर बाहर आ चुके थे और अब दोनों ही अपने-अपने कपड़े पहन कर खड़े हो चुके थे और साथ में नीचे आ गए..

गौतम टेबल पर बैठकर सुमन से माधुरी का परिचय करवाते हुए - माँ ये मेरी टीचर है..
सुमन झूठी मुस्कान के साथ - हेलो..
माधुरी भी उसी टेबल पर बैठके - हेलो.. कैसी हो आप..
सुमन - अच्छी..
माधुरी - गौतम बहुत तारीफ़ करता है आपकी.. मेरी माँ ऐसी है मेरी माँ वैसी है.. आज आपसे मिलने का मौका भी मिल गया..
सुमन - ग़ुगु ने कभी आपके बारे में नहीं बताया..
गौतम खाने में तनलीन था..
माधुरी मुस्कुराते हुए - कैसे बताएगा आपने कभी पूछा ही नहीं होगा.
सुमन - आपके गले पर ये निशान? लगता है किसी ने जोर से काटा है आपको..
माधुरी गौतम को देखते हुए - हाँ बहुत जोर से काटा है.. पर इसमें भी मज़ा है आप तो जानती होगी.. आपसे क्या छुपाना..
सुमन - आप यहां अकेली आई है?
माधुरी - हाँ कुछ काम था, पूरा हो गया तो अब चलती हूँ.. आप दोनों अपना खाना एन्जॉय कीजिये..
सुमन - ज़ी..

माधुरी गौतम और सुमन से विदा लेकर बाहर आ जाती है और माधुरी रेस्टोरेंट से निकल जाती है जबकि सुमन माधुरी को जाते हुए तब तक देखने लगती है जब तक कि वह उसकी आंखों से दूर नहीं हो जाती.. सुमन की आंखों में क्रोध और जलन साफ-साफ दिखाई दे रही थी गौतम से माधुरी का मिलन सुमन को जरा भी नहीं भाया था लेकिन सुमन गौतम और माधुरी को पड़कर या उनसे बात करके कि वह दोनों यह सब क्यों कर रहे हैं? नहीं पूछना चाहती थी..

सुमन जानती थी कि गौतम को उसकी बातों का बुरा लगेगा और अगर वह भी उससे रूठ गया तो सुमन कैसे गौतम के बिना जी पाएगी. मगर न जाने क्यों सुमन को अब पहले से ज्यादा गौतम पर लाड और प्यार आने लगा था वह चाहती थी कि गौतम खुश रहे और उसे दुनिया की हर खुशी मिले.. उसके मन में यह भाव अब और ज्यादा उमड़ रहे थे. यह भाव ममता से कहीं ज्यादा आगे के थे सुमन गौतम की ख़ुशी के लिए अब और भी ज्यादा जतन करने का इरादा करती थी.

गौतम - माँ खाना केसा है?
सुमन - बहुत अच्छा..
गौतम - लो ना.. ये मटन खाओ.. बहुत स्वाद बना है..
सुमन खाते हुए - हम्म.. अच्छा है..

गौतम और सुमन दोनों खाना खाने के बाद टेबल से खड़े हो जाते हैं और गौतम बिल पे करके सुमन के साथ रेस्टोरेंट से बाहर आ जाता है जहां गौतम पार्किंग में लगी अपनी बाइक निकाल कर सुनसान पड़ी सड़क पर बाहर आ जाता है और सुमन उसके पीछे बैठने लगती हैं. गौतम थोड़ी देर बाइक चला कर रास्ते में एक सुनसान पड़ी सड़क जहां किसी भी इंसान का कोई नामो निशान नहीं था उसके किनारे अपनी बाइक रोक लेता है और गौतम के बाइक रोकने पर सुमन से पूछता है कि क्या हुआ तब गौतम कहता है कि उसे बाथरूम आया है गौतम बाइक से उतरकर सड़क के किनारे बाथरूम करने लगता है और सुमन बाइक से उतरकर गौतम को बाथरूम करते हुए देखने लगती है गौतम का लंड उसकी आंखों के सामने था मगर सुमन के सामने गौतम के पीठ होने के कारण उसे देख नहीं पा रही थी.. सुमन के मन में उसे देखने की इच्छा थी मगर वह क्या कर सकती थी वह खुलकर गौतम से उसका लंड दिखाने के लिए का भी नहीं सकती थी और गौतम यह जान भी नहीं पा रहा था कि उसकी मां सुमन उसके लंड को देखने के लिए बेताब है और उसे मन ही मन में चाहने लगी है कुछ देर बाद गौतम बाथरूम करके वापस बाइक के पास आ गया जहां उसकी मां समान खड़ी थी सुमन गौतम को देखे जा रही थी और उसमें ही कोई हुई थी..

गौतम - माँ सिगरेट लाई हो?
सुमन अपने पर्स से सिगरेट का पैकेट औऱ लाइटर गौतम को देते हुए - लो..
गौतम एक सिगरेट निकालकर अपने होंठों पर लगा लेता औऱ सुमन गौतम के हाथ से लाइटर लेकर अपने हाथ से मुस्कुराते हुए गौतम के होंठों पर लगी सिगरेट सुलगा देती है गौतम अपनी माँ के इस व्यवहार से चकित था मगर उसने कुछ नहीं कहा..

गौतम दो कश लेकर सिगरेट सुमन को दे देता है और सुमन भी दो तीन कश लेकर वापस से सिगरेट गौतम को दे देती है दोनों के बीच इस दौरान कोई बात नहीं होती मगर आंखों ही आंखों में बहुत सी बातें एक दूसरे को समझ आ जाती है जो बातें मुंह से कहने में दोनों को ही शर्म आ रही थी..

सिगरेट के खत्म होने पर गौतम वापस अपनी बाइक स्टार्ट करके उसे पर बैठ गया और सुमन भी उसके पीछे बाइक पर बैठ गई और दोनों वापस घर आ गए..
सुमन और गौतम अपने-अपने कमरे में जाकर सोने की तैयारी कर रहे थे और दोनों ने हीं अपने-अपने कपड़े बदल दिए थे रात के 11:00 बज रहे थे गौतम को जब अपने कमरे में नींद नहीं आई तो वो सुमन के कमरे में आ गया और उसने देखा कि सुमन भी आंखें खोलकर बिस्तर पर करवटें बदलती हुई इधर-उधर देख रही है अब तक दोनों में कोई बात नहीं हुई थी मगर सुमन ने गौतम को कमरे के दरवाजे पर खड़ा देखा तो वह हैरानी से बोली..

सुमन - क्या हुआ ग़ुगु?
गौतम - माँ मैं आपके साथ सो जाऊ?
सुमन मुस्कुराते हुए - इसमें पूछने की क्या बात है बेटा आजा.. सुमन ने अपनी दोनों बाहे फैला कर ऐसा कहा था औऱ गौतम आगे बढ़कर सुमन के गले से लग गया औऱ बिस्तर पर सुमन औऱ गौतम दोनों एक दूसरे को अपनी बाहों में भरे लेट गए..
गौतम सुमन के चुचे पर हाथ रखकर - माँ..
सुमन जानती थी गौतम उससे क्या पूछने वाला है इसलिए सुमन खुद ही गोतम से बोली - दूदू पीना है..
गौतम की आँखों में चमक आ गई औऱ वो बोला - हम्म..
सुमन ने अपना ब्लाउज औऱ ब्रा उतार कर बिस्तर के कोने पर रख दी औऱ गौतम को चुचे चुसवाने की नियत से इशारा कर दिया गौतम ने भी अपनी टीशर्ट उतारकार साइड में रख दी औऱ दोनों माँ बेटे कमर से ऊपर पूरी तरह नंगे होकर बिस्तर पर अपनी मर्यादा भूल रहे थे..

गौतम सुमन के चुचे पकड़कर मसलते हुए उनका दूध पी रहा था औऱ बार बार निप्पल्स को मरोड़ कर सुमन की काम पिपासा बढ़ा रहा था. आज गौतम जिस तरह से सुमन के बूब्स पर लव बाईट दी थी उससे सुमन को साफ पता चल गया था की अगर गौतम को उसकी चुत मिल जाए तो वो उसे भी चोद देगा.. मगर सुमन गौतम की मनमानिया सहते हुए अपने बूब्स को चुसवाने औऱ उनपर होने वाली लव बाईट का मज़ा ले रही थी..

करीब आधे घंटे गौतम ने सुमन के चुचो का स्वाद चखा औऱ उनपर अपने प्यार की छाप छोड़ी फिर सुमन ने गौतम से कहा..
सुमन - ग़ुगु.. अब तक मन नहीं भरा तेरा?
गौतम - क्यों.. आपको नींद आ रही है माँ?
सुमन - नहीं बस ऐसे ही पूछा बेटा.. तुम जितना चाहो मम्मा का दूदू पी सकते हो..
गौतम - माँ एक गेम खेलोगी मेरे साथ? ट्रुथ एंड डेर वाला..
सुमन - ठीक पर कोई फालतू सवाल या काम नहीं बताना मुझे समझा?
गौतम सुमन के ऊपर आता हुआ - पक्का माँ.. अच्छा पहले eye कोंटेक्ट करते है जिसने पहले पलके झुका ली वो हार जाएगा..
सुमन - ठीक है.. चलो..

बिस्तर पर सुमन पीठ के बाद लेटी हुई थी और सुमन के ऊपर गौतम लेटा हुआ था गौतम के सीने में सुमन के निपल्स कड़क होकर इस तरह चुब रहे थे जैसे कोई तीर चुभ रहा हो जिसमें गौतम का बहुत आनंद आ रहा था सुमन भी इस बात से पूरी तरह वाकिफ थी और जानती थी कि गौतम को उसके ऊपर इस तरह लेटने में मजा आ रहा है.. सुमन औऱ गौतम दोनों कमर से ऊपर नंगे थे.. सुमन ने अपने दोनों हाथ गौतम के गले में डाल दिया और उसकी आंखों में देखने लगी.. सुमन ज्यादा देर तक अपनी आंखें खोल पाने में सफल नहीं रही और उसने अपनी पलके झुका कर झपका दी.. जिससे वो हार गई..
गौतम मुस्कुराते हुए - बताओ माँ ट्रुथ या डेर?
सुमन - ट्रुथ..
गौतम - शादी पहले कितने बॉयफ्रेंड थे आपके?
सुमन - ये क्या सवाल है.
गौतम - इतना आसान सवाल तो है.. बताओ ना..
सुमन - 2 थे.. एक स्कूल में एक बाहर..
गौतम - सेक्स किया था आपने उनके साथ?
सुमन - ग़ुगु एक ही सवाल करना था वो हो गया..
गौतम - माँ बताओ ना.. वही सवाल है अभी..
सुमन शरमाते हुए - हम्म किया था.. अब चलो वापस आँख मिलाओ.. वापस खेलते है..
सुमन और गौतम वापस से आई कॉन्टेक्ट खेलने लगे जिसमें वापस से सुमन की हार हो गई..
गौतम - बोलो.. ट्रुथ या डेर?
सुमन - तुम पता नहीं क्या पूछोगे.. इस बार डेर..
गौतम - अच्छा तो आपका डेर ये है की आप मुझे 2 मिनट लीप kiss करोगी..
सुमन हँसते हुए - सीधा बोल ना तुझे मेरे बोबो के बाद होंठ चाहिए चूसने के लिए.. बहुत बिगड़ गया है तू.. जवानी चढने लगी है तुझे..

tongue-kissing deep-kiss-romantic-couple-wlxxjqvsjjqey2m5
सुमन बातें कर रही थी कि गौतम ने सुमन के होठों को अपने होठों में ले लिया और उसे चूमने लगा सुमन ने उसका कोई विरोध नहीं किया और प्यार से हंसते हुए मुस्कुराकर गौतम को अपने होंठ चूसाने लगी.. गौतम और सुमन के बीच चुंबन बहुत गहरा हो चुका था दोनों ही एक दूसरे को भर भर के अपने लबो के जाम पिला रहे थे और एक दूसरे के होंठों से मदिरा का प्याला पी रहे थे, 2 मिनट लंबा होने वाला चुंबन कब 10 मिनट से ऊपर हो गया दोनों को पता ही नहीं चला और दोनों आप एक दूसरे के मुंह का स्वाद लेने में और देने में लगे थे दोनों की जीभ वापस में ऐसे लड़ रही थी जैसे कुश्ती के अखाड़े में पहलवान लड़ते हैं. सुमन काम के सागर में इतनी डूब गई थी कि उसने गौतम के लबो को चूमते हुए और चूसते हुए उसपर एक जोर की लव बाईट कर ली जिससे गौतम की आवाज निकल गई और दोनों का चुंबन टूट गया..
सुमन - तू ठीक है ना ग़ुगु? गलती से काट लिया बेटा.. माफ़ कर दे मम्मा को.. देखा मुझे..
गौतम - कुछ नहीं हुआ माँ.. सब ठीक है..
सुमन - सॉरी बेटू.. इतना जोर से काट लिया तेरे होंठों को..
गौतम सुमन के निप्पल्स मसलते हुए - कोई बात नहीं माँ.. वैसे किसिंग बहुत अच्छा करती हो आप.. कहा से सीखा बताओ ना?
सुमन आह भरते हुए - कहीं नहीं बेटा.. तू भी बहुत अच्छा चूमता है.. दो मिनट से कब दस मिनट हो गए पता ही नहीं चला.
गौतम - आओ माँ वापस खेलते है..
सुमन - नहीं अब नहीं.. ना जाने तू क्या क्या पूछेगा औऱ क्या क्या करवा लेगा मुझसे..
गौतम सुमन की गांड पर हाथ रख देता है औऱ गांड मसलते हुए कहता है - प्लीज ना माँ..
सुमन भी काम की अग्नि में जल रही थी उसने गौतम का हाथ अपनी गांड से नहीं हटाया औऱ गोतम से बोली - ग़ुगु तू ना बहुत शैतान हो गया है.. आजकल बिलकुल भी मेरा कहा नहीं मानता.. चल ठीक ही मिला ले आँखे.. इस बार मैं तुझे हरा के रहूंगी..

गौतम और सुमन फिर से ऑइ कांटेक्ट करते हैं और इस बार वापस गौतम सुमन को हरा देता है
गौतम - बड़ी आई थी आप मुझे हराने वाली.. चलो बताओ क्या लोगी..
सुमन मुस्कुराते हुए - ट्रुथ..
गौतम - अच्छा तो बताओ पापा औऱ आपके बीच कब से सेक्स नहीं हुआ..
सुमन प्यार से गौतम के होंठ पकड़कर - कैसे कैसे सवाल पूछ रहा है, लगता है मार खाने का इरादा है मेरे ग़ुगु आज..
गौतम उदास मुंह बनाकर - नहीं बताना तो ठीक है जाने दो, सो जाते है..

सुमन ने गौतम का चेहरा अपने हाथ में ले लिया औऱ उसके होंठों पर एक के बाद एक 8 चुम्मे कर डाले औऱ फिर प्यार से बोली - आठ साल हो गए.. बस.. अब चल अच्छे बच्चे की तरह सो जा.. औऱ कोई ऐसी वैसी शरारत मत करना वरना बहुत मारूंगी तुझे...
गौतम - ठीक है जैसा आप कहो.. एक बात बोलू..
सुमन - हम्म..
गौतम बूब्स पकड़कर निप्पल्स से खेलते हुए - आपके बूब्स पर टैटू बहुत अच्छा लगेगा..
सुमन - तू कहेगा तो बनवा लुंगी.. पर बनता कहा है टेटू?
गौतम- उसकी फ़िक्र आप मत करो मैं आपको ले चलूँगा मैं जानता हूँ जो ये बनाता है..
सुमन - अच्छा ठीक है पर कोई सस्ता वाला देखना..
गौतम - उसकी चिंता आप मत करो.. वैसे आपके इंस्टा अकॉउंट का क्या हुआ?
सुमन - वो मैंने डिलीट कर दिया..
गौतम - पर क्यों? इतने सारे फॉलोअर थे आपके..
सुमन - बस ऐसे ही ग़ुगु.. लोग बहुत गंदे massage करते थे..
गौतम - कब डिलीट किया
सुमन - एक हफ्ता हो गया..
गौतम - कोई बात नहीं.. आपका मन हो तो वापस बना लेना.
सुमन - हम्म.. चलो अब मम्मा को गुड नाईट किस दो औऱ सो जाओ..
गौतम सुमन के होंठ चूमने लगता है औऱ सुमन गौतम के चेहरे को पकड़ के चूमती हुई अपनी जीभ वापस गौतम के मुंह में डाल देती है औऱ उसे चूमने लगती है.. दोनों एकदूसरे को चूमने के बाद एक दूसरे से लिपटकर सो जाते है..


नींद आते ही गौतम को सपने में एक गाँव दीखता है जहाँ दो औरत तेज़ी से कहीं जा रही थी.. गौतम को ऐसा लग रहा था जैसे उसे ये गाँव औऱ जगह देखी हुई है औऱ वो उन औरतों को जानता है.. गौतम सपने में आगे जो देखता उससे वो नींद में बड़बड़ाने लगता है..
Awesome update
Suman bhi ab puri tarah se taiyaar hai Gautam ki sawari karne ke liye
 

ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
3,831
15,486
144
Update 14

बिस्तर पर चादर के नीचे सुमन और गौतम कमर के ऊपर नंगे एक दूसरे से लिपटे हुए एकदूसरे को बाहों में भरकर सोने लगे थे. सुमन प्यार से गौतम का चेहरा अपने सीने से लगाकर उसके सर के ऊपर हाथ फेर कर उसके बाल सहलाती हुई उसे सुला रही थी जिससे गौतम को कुछ ही देर में नींद आ गई और वह सपनों के सागर में खो गया.. वह सपना देखने लगा औऱ सपने में उसने देखा की एक औरत जो करीब 60 साल की है जल्दी में दूसरी औरत से बात करती हुई कहीं जा रही थी..

अरे कहा था ना ताई वही रुक जाओ.. अब देखो कैसी हालात हो गई है लता की..
तू ज्यादा बात मत कर शान्ति.. जल्दी से गर्म पानी करवा के ले आ.. लगता है कुछ ही देर में बच्चा होने वाला है..
शान्ति - ठीक है ताई.. अभी करवा के लाती हूँ..

शांति ताई को अंदर लता के पास छोड़कर खुद बाहर आ जाती है और बाहर परेशानी में इधर-उधर घूम रहे लता के पति धूपसिंह से कहती है कि उसे गर्म पानी चाहिए धूपसिंह शांति को चूल्हे की तरफ इशारा करते हुए कहता है गर्म पानी किया हुआ पड़ा है.. लता चूल्हे से गर्म पानी का भगोना उठा कर कमरे के अंदर आ जाती है और लल्ली ताई को पानी का भगोना दे देती है..

कुछ देर बाद लता एक जुड़वा भाई बहन को जन्म देती है जिसे हाथ में लेकर ताई शांति को देखती और शांति भी ताई को देखने लगती है..

लता बच्चों को जन्म देकर बेहोश हो चुकी थी और उसे हो रहे दर्द से थोड़ा आराम मिल गया था..
शान्ति - ताई.. मैं धुप भाईसाब को बता के आती हूँ..
लल्ली ताई - अरे रुक कम्भख्त..
शांति - क्या हुआ ताई इतनी ख़ुशी की खबर है धुप भाईसाब कुछ ना कुछ इनाम जरूर दे देंगे खुश होकर..
लल्ली ताई - अरे इनाम से कब तक काम चलेगा?
शान्ति - तो ताई?

लल्ली ताई - एक काम कर.. इस बच्ची को तू पीछे के दरवाजे से बाहर ले जा औऱ घर में रख, 11 कोस पर जो नोगी गाँव है वहा के साहूकार के यहां बच्चा नहीं है उसने कहा भी था बच्चा लेने के लिए.. वो बड़ी औऱ मोटी रकम देगा. जिससे हम आराम से बैठके खा पी सकते है..

शान्ति - सही कह रही हो ताई.. वैसे भी कोनसा धुप भाईसाब औऱ लता को पता लगने वाला है इस बात का.. लाओ दो मुझे बच्ची मैं अभी पीछे के रास्ते से उसे ले जाती हूँ..

लल्ली ताई - संभालके.. बहुत ध्यान से कोई देख ना ले.. बड़ी जिम्मेदारी का काम है.. मैं बच्चे को धुप सिंह के पास बाहर ले जाती हूँ.. थोड़ी देर में लता को भी होश में आ जायेगी..
शांति - हां ताई.. चलो..

लल्ली ताई हाथ में बच्चा लिए कमरे से बाहर आ जाती है और दूर पेड़ के नीचे दांतों में उंगलियां दबाए इधर से उधर घूम रहे धूप सिंह को बुलाते हुए कहती है..
लल्ली ताई - अरे ओ धुपया.. आ जाओ.. लल्ला हुआ है लल्ला.. देख केसा चाँद खिला है तेरे आँगन में..

धुपसिंह लल्ली ताई के पास आ कर मुस्कुराते हुए बच्चे को अपनी गोद में ले लेता है औऱ अपने हाथ से सोने की अंगूठी निकालकर लल्ली को दे देता है..
लल्ली ताई - अरे इस अंगूठी से क्या होगा धुपया.. पहली बार में लल्ला हुआ है कुछ औऱ भी दिओ..
धुपसिंह बच्चे को देखता हुआ - क्या चाहिए ताई..
लल्ली ताई - अब तुझे क्या कहु धुपया.. तू जानता है मेरी हालात ना खाने को है ना पहनने को.. इस अंगूठी से कुछ दिन काम चल जाएगा मगर फिर वही हालात होगी.. तू तो जागीरदार के दिए खेत भी जोतता है.. 3-4 महीने का अनाज दे दे तो बरसात के दिन आराम से कटे..

धुपसिंह - 3-4 महीने क्यों ताई तू साल भर का अनाज लेजा..
लल्ली ताई - तेरा भाला हो धुपया.. आज तेरे माँ बापू जिन्दा होते तो बहुत खुश होते.. अब जा अपनी लुगाई के पास.. थोड़ी देर में वो होश में आ जायेगी.. अब तुझे ही ख्याल रखना है माँ बेटे दोनों का..

इतना कहकर ताई वहां से चली जाती है और धूपसिंह कमरे के अंदर जाकर लता के करीब बैठ जाता है और बच्चे को खिलाता हुआ लता के होश में आने का इंतजार करता है कुछ ही पलों में लता भी होश में आ जाती है और दर्द से राहत पाकर मुस्कुराती हुई धूपसिंह और उसके गोद में बच्चे को देखती हैं.

धुपसिंह - बेटा हुआ है लता.. शकल तेरे ऊपर गई है..
लेता - मैंने कहा था मैं माइके से किसीको बुला लेती हूँ आपको कितना कस्ट हो रहा है मेरे कारण..
धुपसिंह - तू आराम कर.. ये बातें फिर कभी करना..

दूसरी ओर जैसे ही शांति बच्चों को लेकर घर के पिछले दरवाजे से निकली वह इधर-उधर से छुपती छुपाती हुई जंगल के मुहाने पर पहुंच गई. शान्ति को सामने से जागीरदार के सैनिक करते हुए दिखाई दिए तो वह थोड़ा सा जंगल के अंदर आ गई और वहीं से किनारे किनारे अपने गंतव्य तक पहुंचाने के लिए चलने लगी.. मगर शांति को पता ही नहीं चला कि वह जंगल के अंदर किनारे किनारे नहीं बल्कि थोड़ा सा और अंदर आ चुकी है जहां जंगल के जानवर उसके आसपास मंडरा रहे थे और परिंदे रात के इस पहर जंगल को अपनी आवाजों से और भयानक कर रहे.

शांति ने रात के अंधेरे में भी अपने से थोड़ा सा दूर एक बाघ को देख लिया जिसकी आंखें चमक रही थी मगर उस बाघ का ध्यान कहीं और था. शांति की हालत खराब हो गई उसके बदन में कंपन होने लगा और उसे डर था की कहीं बच्ची अब रो ना दे.. क्योंकि अगर उसने रोना शुरू कर दिया तो बाघ निश्चित ही उसके यहां होने का अनुमान लगा लगा और अपने नुकीले पंजों और दातों से उसकी हत्या करके उसे खा जाएगा..

शांति धीरे-धीरे पीछे हटने लगी और पीछे हटते हुए उसका पर एक पत्थर से टकरा गया जिससे वह जमीन पर गिर गई और बच्ची भी नीचे गिर गई और रोने लगी.. बच्ची की आवाज करने पर शांति डर से तिलमिला गई और अपनी जान बचाने के लिए बच्ची को वहीं छोड़कर पीछे की ओर भागने लगी.

शांति तब तक भागती रही जब तक उसके पैरों ने उसका साथ नहीं छोड़ दिया.. शांति भगते भगते जंगल से बाहर आ चुकी थी और सड़क से एक किनारे आकर एक जगह बैठ गई औऱ लम्बी लम्बी सांस लेने लगी.. शांति की साँसे बहुत तेज ऊपर नीचे हो रही थी और उसका मन घबराहट के मारे उथल-पुथल हो रहा था. शांति अपनी जान बचाकर भाग आई थी मगर उसे यह ध्यान नहीं था कि वह उस बच्ची को वहीं छोड़कर आ चुकी है और बाघ उसकी आवाज सुनकर उसके निश्चित ही करीब आ जाएगा और उसे मार डालेगा.

शांति ये सोच सोच कर रोने लगी थी कि उसने एक बच्ची को मौत के मुंह में डाल दिया है और वह खुद डरपोक की भांति अपनी जान बचाकर भाग आई है.

लल्ली ताई जब धूपसिंह के घर से निकली और अपने घर आ रही थी तभी उस रास्ते में शांति डगर के किनारे बैठी हुई रोती हुई दिखाई पड़ी.. ताई ने आगे बढ़कर शांति से उसके रोने की वजह पूछी और उसे चुप करते हुए क्या हुआ बताने को कहा तो ताई के पूछने पर शांति ने साफ-साफ शब्दों में अपने साथ जो कुछ हुआ उस कहानी को बयां कर दिया जिससे ताई भी शांति के साथ में वही बैठ गई और जो कुछ हुआ उसपर अफसोस करने लगी. दोनों ने काफी देर तक वहीं बैठकर एक दूसरे को संभाला और फिर दोनों ने एक मत होकर वापस जंगल में जाकर उसे बच्ची को तलाशने की सोची.. दोनों डरते-डरते धीरे-धीरे जंगल में कदम बढ़ाती हुई जा रही थी..


शांति के बच्ची को छोड़कर भाग जाने के बाद बाघ के कानों में जब बच्ची के रोने की आवाज पड़ी तब बाघ उस बच्ची के करीब आने लगा और जब बाघ ने उस बच्ची को जमीन पर पड़ा रोता हुआ देखा तो उस बाग ने बच्ची जिस कपड़े में थी उस कपड़े को अपने मुंह से पकड़ लिया और कपडे के साथ बच्ची को उठाकर थोड़ा सा दूर जंगल की जमीन पर बेसुध होकर सो रहे एक आदमी के पास ले आ गया..

आदमी मटमेली जमीन पर इस तरह लेटा हुआ सो रहा था जैसे कोई राजा मखमली बिस्तर पर सोता है. बच्ची के रोने की आवाज से उस आदमी की नींद नहीं खुली मगर बाघ के पंजों की छुअन से उस आदमी की नींद टूटी गई.. आदमी ने जब बच्ची के रोने की आवाज सुनी तो वह उठ कर बैठ गया और अपने पास रखें एक पानी के भरे सुराही जैसे चमड़े के अंदर से पानी निकाल कर अपने मुंह पर मरता हुआ अपने सामने खड़े बाग और बगल में जमीन पर पड़ी रोती हुई बच्ची को देखने लगा..

आदमी ने बाघ को देखते हुए उससे पूछा - यह किसे अपने साथ ले आया बालम.. और फिर उस बाघ के सर पर हाथ रखकर अपनी आंखें बंद करते हुए जो कुछ घटा था सारा दृश्य देख लिया औऱ माजरा समझ लिया..

आदमी के बदन पर फटे पुराने मट मेले कपड़े थे सर औऱ दाढ़ी पर बाल बड़े-बड़े और देखने से लगता था कि आदमी कई दिनों से नहीं नहाया है हालत से दिन हीन लगने वाला ये आदमी इतने भयानक जंगल में अकेला एक कुटिया बनाकर रहता था और उसने जिस बाघ को पाला हुआ था उसका नाम बालम रखा था.. जिस तरह से उस आदमी ने बाघ के सर पर हाथ रखकर बाग के दिमाग की याददास्त देख ली थी उससे यह आदमी कोई साधारण व्यक्ति नहीं मालूम पड़ता था.. कद काठी और चेहरे से साधारण औऱ सामान्य से भी कम दिखने वाला यह आदमी जिस तरह से इतनी बेपरवाही और निडरता से इतने बयानक जंगल में विहार कर रहा था उससे लगता था कि यह कोई चमत्कारी आदमी है..

आदमी ने बच्ची को उठा कर लिया और अपनी गोद में लेकर अपनी कुटिया की तरफ आ गया जहां पीछे-पीछे बाघ भी उसके साथ आ चूका था.. उस कुटिया और उसके आसपास की जगह को देखने से ऐसा लगता था जैसे वह आदमी कई बरसो से कोई कठोर साधना कर रहा है और उसी में तनलीन रहता है.. आदमी को कुछ भी कहा जा सकता था लेकिन कोई भी संज्ञा उसके लिए परिपूर्ण नहीं थी वह तांत्रिक अघोरि या औघड़ कुछ भी हो सकता था.

लल्ली ताई औऱ शान्ति उस जगह तक आ गए जहां बच्ची गिरी थी लल्ली ताई और शांति को बच्ची कहीं नहीं मिली.. काफी देर तक ढूंढने के बाद दोनों ने यह समझा कि वह बाघ उस बच्ची को उठाकर ले गया है और उसको मार के खा चुका है वापस जंगल से बाहर आ गई और इस बारे में किसी से भी बात न करने और कुछ भी नहीं बोलने का निश्चय किया और एक दूसरे से वादा करते हुए इस बात को यहीं पर भूल जाने का निर्णय किया.

वही आदमी ने बच्ची को अपने साथ रख लिया और उसे अपने बच्चे की तरह पढ़ने लगा. बच्ची जैसे-जैसे बड़ी हुई वो उस आदमी को बाबा कहकर पुकारने लगी और अपना असली बाप समझती थी. बच्ची ने उस आदमी से उसकी विद्या सीख ली.. दोनों जंगल में किसी कुटिया में रहने लगे थे और हंसी खुशी से अपना जीवन जी रहे थे आदमी ने बच्ची को एक नाम भी दिया था.. आदमी बच्ची को उसके शीतल स्वाभाव के कारण मृदुला कह बुलाता था.. मृदुला ने कुटिया को महल की तरह सजाया था औऱ अब उस आदमी जिसे बाप वो मानती थी उसको रोज़ नहाने धोने औऱ साफ रहने को मजबूर करती थी.. आदमी भी अपने जीवन में मृदुला के आने से बहुत खुश था उसकी साधना पहले से अच्छी होने लगी थी औऱ उसने मृदुला को अपनी बेटी मानकर जीना शुरू कर दिया था उसने मृदुला को बहुत कुछ ऐसा सीखा दिया था जिससे मृदुला अकेली ही पूरी फौज का काम तमाम कर सकती थी औऱ बड़े बड़े भूत प्रेत को अपनी मुट्ठी में कर सकती थी..

दिन गुजरते गए, मौसम बदलते गए, साल दर साल बीतते गए औऱ मृदुला का जोबन खिलने लगा.. उसके अंग इस तरह खिलकर फूटने लगे जैसे गुलाब की कली खिलकर फुटती है.. मृदुला के उतार चढाव कामदेवी का वरदान थे जो अब मृदुला के मन को काम की औऱ बढ़ाने लगे थे.. वो अब अपनी उम्र के अठरवे साल पर आ चुकी थी..

आदमी को इसकी बिल्कुल भी भनक नहीं थी वह इसी तरह अपनी साधना में तनलीन रहता और सुबह शाम मृदुल के हाथ का पकाया भोजन खाकर आराम करता.. मृदुला ने अक्सर उस आदमी से जंगल के बाहर की दुनिया देखने के लिए आग्रह किया.. मगर आदमी अपनी साधना अधूरी छोड़कर जाने को बिल्कुल भी तैयार नहीं था और हर बार मृदुला को कुछ ना कुछ कह कर या बहाना बनाकर उसकी बात को टाल देता.

एक दिन जब मृदुल पानी का घड़ा लिए नदी की तरफ जा रही थी तभी उसने अपने जीवन में पहली बार अपने पिता के अतिरिक्त किसी आदमी को देखा जो नदी के मुहाने पर बैठा हुआ पानी पी रहा था. रंगरूप और कदकाटी में हसीन तरीन दिखने वाला यह लड़का मृदुला के मन को पहली नज़र में ही भा गया था..

लड़का देखने से करीब 22 साल का लगता था चेहरे पर दाढ़ी मूछ नहीं थी चेहरा साफ औऱ खिला हुआ था और कंधे तक लंबे बाल थे एक नई सी शाल उसने ओढ़ रखी थी.. अपनी हथेलियों में नदी का पानी भरके पिता हुआ वह लड़का मृदुला के मन को लुभा रहा था. मृदुला 18 साल की हो चुकी थी और अब उसे कामइच्छा औऱ प्रेम का भाव परेशान करने लगा था.

मृदुला ने जब उसे लड़के को पानी पीकर नदी से दूर जाने के खड़ा होता देखा तब वह उस लड़के के पास आ गई और उसके पीछे कुछ दूर खड़ी होकर कर बोली..

मृदुला - कौन हो तुम?
लड़का हैरानी से - तुम कौन हो औऱ इतने घने के बीच यहां क्या कर रही हो? तुम्हे पता नहीं यहां कितने खूंखार जानवर रहते है.. (लड़का मृदुला के जोबन को देखकर उसपर मोहित हो चूका था मगर उसके अंदर हैरत भी थी)
मृदुला - यहां पहली बार आये हो?
लड़का - हाँ पर तुम अकेली यहां क्या कर रही हो?
मृदुला - मैं यही रहती हूँ अपने बाबा के साथ.
लड़का हैरानी से - इस जंगल में?
मृदुला - हाँ.. तुम कहा रहते हो?
लड़का - मैंरा तो कोई ठिकाना नहीं.. यहां वहा घूमता हूँ.. गलती से जंगल में आ गया औऱ रास्ता भूल गया. प्यास लगी थी तो पानी पिने लगा..
मृदुला करीब आते हुए - नाम क्या है तुम्हारा?
लड़का - रागी..
मृदुला हसते हुए - नाम रागी है औऱ बैरागी सा भेस बनाया है..
लड़का मुस्कुराते हुए - तो फिर बैरागी ही कहकर पुकार लो.. तुम्हारा नाम क्या है?
मृदुला - मेरा नाम मृदुला है बैरागी..
बैरागी - ठीक है मृदुला चलता हूँ.. अगर वापस कभी मिलना हुआ जरूर मिलूंगा.
मृदुला - पर तुमने तो कहा कि तुम्हारा कोई ठिकाना नहीं है.. फिर कहा जा रहे हो..
बैरागी - बंजारा हूँ एक जगह ज्यादा देर तक रुकू तो ज़ी उचटने लगता है.. जाना तो पड़ेगा..
मृदुला के चेहरे पर ख़ुशी का जो भाव था वो अब गंभीर हो गया था.. उसने बैरागी के औऱ करीब आते हुए कहा - अगर मैं ना जाने दू तो?
बैरागी मुस्कुराते हुए - मुझे यहां रोक कर क्या करोगी.. मैं तुम्हारे किस काम आ सकता हूँ?
मृदुला - बाबा ने बताया था इस जंगल के बाहर लोग शादी ब्याह करके साथ रहते है.. तुम मुझसे ब्याह कर लो.. फिर हम भी साथ रहेंगे..
बैरागी हसते हुए - तुम्हे शर्म नहीं आती लड़की होकर ऐसी बात करते हुए?
मृदुला - शर्म क्यों आएगी.. मैंने कुछ गलत तो नहीं किया..
बैरागी - ठीक है.. मेरे तो आगे पीछे कोई नहीं है.. तुम्हारे तो बाबा है उनसे तो पूछ लो..
मृदुला - चलो साथ में चलकर पूछते है..
बैरागी - अगर मैंने झूठ बोलकर तुम्हारे बाबा को मना लिया तो?
मृदुला - तुम मेरे बाबा के सामने झूठ बोल ही नहीं सकते..
बैरागी - ऐसा क्यों?
मृदुला - मेरे बाबा आँख पढ़कर अतीत जान लेते है.
बैरागी - ऐसी बात है तो चलो.

मृदुला जब बैरागी को अपने साथ लेकर अपनी कुटिया के बाहर आई तब उसे उसके पिता कहीं जाने की तैयारी करते हुए दिखे.
मृदुला ने अपने पिता से पूछा कि वो कहां जाने की तैयारी में है उसके पिता ने सामने खड़े बैरागी और मृदुल को साथ में देखकर सारा माजरा समझ लिया और उनसे कहा की उनकी साधना का ये चरण पूरी हो चुकी है और उन्हें अपनी साधना की आखिरी चरण पूरी करने के लिए यहां से बहुत दूर जाना पड़ेगा.
इसीके साथ उन्होंने यह भी कहा कि वह बैरागी और मृदुला दोनों के मन से सहमत है और वो आज शाम जाने से पहले पुरानी रीती से दोनों ब्याह करवा देगा..

उस बूढ़ा हो चुके आदमी ने मृदुला और बैरागी का ब्याह एक पुरानी रीति से करवा दिया और खुद कुटिया से जरूरी सामान लेकर एक रास्ते चल दिया.. बूढ़े आदमी ने मृदुला से वापस मिलने का वादा किया और उसे भरोसा दिया कि वह जहां भी रहेगा मृदुला से मिलने जरूर आएगा.. मृदुला ने भी रोते हुए अपने पिता को विदाई दी और अपना नया जीवन शुरू करने के लिए बैरागी के साथ उस कुटिया में रहने लगी..

एक दोपहर के उजाले में जब कुटिया के अंदर बैरागी और मृदुला प्रेम प्रसंग कर रहे थे तब उन्हें कुछ लोगों के आने की आहट सुन दी और दोनों प्रेम करना छोड़कर बाहर आ गए.. दोनों ने देखा की कुटिया के आसपास बहुत सारे डाकू इकट्ठा थे जिनमें से कई डाकू के बदन पर घाव के निशान थे औऱ उनके पास लूट का सामान भी था डाकू की संख्या करीब 20-25 होगी..

डाकूओ ने भी दोनों को देख लिया और मृदुला बैरागी औऱ डाकू आमने सामने खड़े हो गए. डाकुओं के मुखिया ने जैसे ही मृदुला को देखा वह उसे पर लट्टू हो गया और कामुकता से भरकर बैरागी से कहा कि है उस लड़की को उनके हवाले कर दे और वहां से चला जाए. बैरागी ने जवाब में पास में पड़े गंडासे को उठाकर उस डाकू के ऊपर फेंक दिया.. गंडासा डाकू की छाती में धंस गया औऱ डाकू एक पल में ही प्राण त्याग कर जमीन पर गिर गया. अपने मुखिया की मौत देखकर बाकी सारे डाकू गुस्से से दिलमिला गए और चिल्लाते हुए बैरागी को मारने के लिए जपटे मगर जैसे ही सारे डाकू एक साथ बैरागी को करने के लिए झपटे मृदुला ने जमीन की मिट्टी उठाकर उन डाकुओ पर फेंक दी.. जैसे मृदुला ने जमीन की मिट्टी उठाकर डाकूओ पर फ़ेंकी मृदुला की फ़ेंकी मिट्टी का एक-एक कण एक एक प्रेत में बदल गया औऱ उन प्रेतो ने एक पल में ही सारे डाकुओ के सर उनके कंधे से उतार दिए औऱ वापस मिट्टी बनकर जमीन पर गिर पड़े.. बैरागी ने जब इस तरह से मृदुला को क्रोध में देखा औऱ उसके द्वारा की गई इस भयावह घटना को देखा वो आश्चर्य डर औऱ जिज्ञासा के भाव से भरते हुए मृदुला को देखने लगा..

मृदुला ने जब बैरागी को तरह से खड़ा हुआ देखा तो उसने अपने गले से एक ताबीज निकाल कर बैरागी को पहना दिया और कहा ये ताबिज़ उसे चोट पहुंचाने वाले इंसान को कभी चैन से जीने नहीं देगा..


20 साल बीत जाने के बाद धुपसिंह औऱ लता को इस बात की भनक तक नहीं लगी थी कि लता ने उस रात जुड़वा भाई बहनों को जन्म दिया था जिसमें से बच्ची को लल्ली औऱ शांति ने चुरा लिया था जो अभी बैरागी के साथ जंगल में उस कुटिया में रहती थी.. धुपसिंह औऱ लता ने अपने बेटे का नाम समर रखा था औऱ समर अब अपने पिता कि तरह ही जागीरदार की हिफाज़त में लगी राजा की सेना की टुकड़ी में था..

बैरागी और मृदुला को उस कुटिया में रहते 2 साल हो चुके थे औऱ अब मृदुला 8 माह की गर्भवती थी उसका बच्चा होने वाला था बैरागी ने मृदुला से बार बार जंगल बाहर चलने औऱ किसी गाँव में रहने की गुहार की मगर मृदुला ने मना कर दिया औऱ बैरागी के साथ जंगल से बाहर जाने को इंकार कर दिया बैरागी ने बार बार मृदुला को समझया था कि उसे इस्त्री रोग औऱ बच्चे के जन्म का उपचार नहीं आता मगर मृदुला ने उसकी एक ना सुनी औऱ जंगल ना छोड़ने की अपनी ज़िद पर अड़ी रही..

आखिरकार वही हुआ जिसका बैरागी को डर था बच्चा पैदा करने के दौरान मृदुला औऱ उसके बच्चे दोनों की मौत हो गई और बैरागी फिर से अकेला हो गया. उसके मन में एक बार फिर से दुख दर्द तकलीफ का बसेरा हो गया.. बैरागी मृदुला औऱ बच्चे का अंतिम संस्कार करके जंगल छोड़ दिया और पागलों की तरह भटकने लगा. बैरागी किसी फकीर की तरह दिन बताने लगा और भूख लगने पर भिखारी की तरह मांग कर खाने लगा.. 2 महीना इसी तरह बिताने के बाद जब उसने गांव में इसी तरह एक और महिला को मारते देखा तो उसने इस रोग का इलाज करने के लिए दवा बनाने का निश्चय किया. उसे शरीर की समझ थी उसके मुताबिक जदिबूती से लोगों का इलाज़ करने लगा औऱ घूम घूम के जदिबूती औऱ इलाज़ की खोज करने लगा..

बैरागी ने मृदुला के साथ रहकर बहुत सी चीज सीखी थी जो उसके इस कार्य में उसकी बहुत मदद कर रही थी बैरागी ना गांव-गांव घूम कर बहुत से लोगों का इलाज किया और बहुत सी आज के समय छोटीमोटी कही जाने वाली बीमारी को ठीक किया. बदले में कुछ लोगों ने उसे भरपेट खाना खिलाया तो कुछ लोगों ने वहीं रहने के लिए जमीन देनी चाहिए लेकिन बैरागी ने एक जगह रहने से इनकार कर दिया और अपना मकसद पूरा करने के लिए एक बैलगाड़ी ले ली और उस पर बैठकर गांव गांव घूमते हुए स्त्री रोग का इलाज ढूंढने निकल पड़ा

बैरागी को अब किसी बात की फ़िक्र नहीं थी वह अपने आप में मस्त अपनी पत्नी मृदुला को याद करते हुए प्रेम से भरे गीत गाते हुए और अपनी पत्नी के साथ बिताये प्रेम से परिपूर्ण उन पलों को याद करते हुए मुसाफिरों की तरह घूमने लगा और बीमारियों का इलाज ढूंढने लगा किसी एक पुराने वैद्य के कहने पर उसने एक खास किस्म की जड़ीबूटी तलाश करने का निर्णय किया जिसके लिए वह बहुत दूर सफर पर निकल पड़ा लेकिन रास्ते में ही वीरेंद्र सिंह के पहरेदारो ने उसे पकड़ कर क़ैद कर लिया..

सुबह के 4:00 बजे गौतम इस सपने से बाहर निकल आया और अपने सपने की हकीकत को झूठ मानते हुए यह बस उसका एक वहम समझ कर इसे भूल जाने का निर्णय कर वापस सो गया..

Jabardast update bhai 👍🏻 👍🏻
Ye bairaagi ka kya chakkar hai bhai
 
  • Like
Reactions: moms_bachha

moms_bachha

Active Member
1,257
7,690
144
Update 22

शाम के पांच बज चुके थे होटल की छत पर गौतम सुमन का बेसब्री से इंतजार कर रहा था. सुमन भी छत पर आने के लिए निकल चुकी थी गौतम यह सोच रहा था कि वह आज अपनी मां से अपने प्यार का इजहार कर देगा और उसे अपनी दुल्हन बनाने का प्रस्ताव रखेगा. गौतम यह जानता था कि जो वह करने जा रहा है इसमें उसे सफलता नहीं मिलने वाली है लेकिन वह फिर भी एक बार सुमन को अपने प्यार का इजहार करके मानना चाहता था और चाहता था कि सुमन उसे अपने प्रेमी के रूप में अपना ले.. अब तक जो सुमन और गौतम के बीच में हो रहा था वह केवल सुमन के मातृत्व प्रेम के कारण हो रहा था जिसमें वह गौतम को अपना बेटा मानकर सब कुछ कर रही थी भले इसमें उसे आनंद और काम संतुस्टी की प्रति हो रही थी लेकिन वह अब तक गौतम को अपने प्रेमी के रूप में स्वीकृत नहीं कर पाई थी ना ही उसे यह अधिकार दिया था कि गौतम उसके पूरे शरीर पर अधिकार जताये..


सुमन का नारीत्व और काम इच्छा उफान पर थी जिसे वो गौतम के साथ शांत कर लेती थी मगर इस अधूरी शांति से गौतम और सुमन दोनों ही काम के शिखर पर पहुंच कर उस अद्भुत और अतुल्य सुख से वंचित ही रहे जिसे पाना दोनों के मन में लंबित था. सुमन अपने मन की आखिरी दीवार को नहीं गिराना चाहती थी. सुमन चाहती थी कि गौतम की हर इच्छा और हर मनोकामना पूरी हो लेकिन वह खुद इसके लिए अपनी चुत की कुर्बानी देने को तैयार नहीं थी. सुमन अब यही चाहती थी कि जैसे गौतम और सुमन के बीच एक रिश्ता कायम हो चुका है वह इस तरह कायम रहे और अब सुमन ना तो इससे आगे बढ़ना चाहती थी और ना ही इससे पीछे हटाना चाहती थी.


गौतम ने भी अपने मन में ये तय कर लिया था कि वह सुमन को किसी भी शर्त पर अपना बना कर रहेगा और उसके लिए वह आज पहली-पहल कर देगा. भले इसमें उसे सफलता मिले या वह असफल रहे. गौतम अब मन ही मन सुमन को पाने की चाहत में जलने लगा था और उसे आप सुमन को भोगने की इच्छा पूरी उफान ले चुकी थी. मगर वह इस बात से भली-भांति परिचित था की सुमन को भोगना और उसे पाना इतना आसान नहीं होगा और जो दीवार सुमन ने अपने मन में उसके और खुद के बीच में बना रखी है उसे गिराना भी आसान नहीं होगा. दोनों के बदनों के मिलन के बीच सुमन ने अपने मन में उसके औऱ गौतम के रिस्ते को रोड़ा बना लिया था जिसे दूर करना आसान नहीं था. मगर गौतम ने ये तय कर लिया था जो किसी भी तरह से उसके मन से इस दीवार को गिरा कर रहेगा और उसे अपना बना कर रहेगा इसके लिए भले ही उसे कुछ भी करना पड़े. गौतम और सुमन के बीच सब कुछ हो रहा था मगर बाकी था वही सबसे जरूरी था और वहीं गौतम करना चाहता था मन ही मन सुमन भी ऐसा ही चाहती थी मगर उसने अपने मन में रिश्ते की दीवार को बीच में खड़ा कर दिया था जिसे वह नहीं गिराना चाहती थी.


सुमन अकेली चुपके चुपके सीडीओ से होती हुई छत के दरवाजे तक आ पहुंची.. सुमन के मन में अजीब अजीब ख्याल आ रहे थे और अजीब सवाल वह अपने आप से पूछ रही थी जिसके जवाब खुद ही अपने आप को देती हुई वह छत के दरवाजे पर खड़ी हुई थी गौतम भी सुमन के इंतजार में छत के कोने में खाली पड़ी की जगह पर खड़ा हुआ सुमन का इंतजार कर रहा था उसके मन में भी कई बातें चल रही थी जिसे वह सोचकर सही और गलत तय करने में लगा हुआ था. गौतम ने सुमन को छत के दरवाजे पर खड़ा हुआ देख लिया और सुमन की नजर भी गौतम से मिल गई. गौतम ने सुमन को इशारे से अपने पास आने के लिए कहा औऱ सुमन गौतम के पास धीरे धीरे कदमो से चली आई..


गौतम ने उसी नज़र से अपनी माँ के बदन को ऊपर से नीचे तक देखा जिस तरह वो बाकी लड़कियों औऱ औरतों को ताड़ता था. सुमन इस नज़र को अच्छे से समझ गई थी मगर काम के भाव से भारी हुई सुमन को इस नज़र का बुरा कतई नहीं लगा.. गौतम ने सुमन की कमर में हाथ डालकर उसे अपने सीने से लगाकर बाहों में भर लिया औऱ फिर अपने होंठों से सुमन के होंठ मिलाकर जंग शुरू कर दी.. इस जंग में दोनों ही एक दूसरे को हराने के लिए भर्षक प्रयास कर रहे थे और एक दूसरे के लबों को चूमते हुए खींच कर काटते हुए ऐसे चुम रहे थे जैसे उनके बीच ये प्यार का पहला चुम्बन हो..

tongue-kissing

गौतम ने चुम्बन के दौरान एक जोरदार थप्पड़ सुमन की गांड पर मारा औऱ फिर उसकी गांड को जोर से मसलते हुए इतना तेज़ दबाया की सुमन चुम्बन तोड़कर सिसक उठी औऱ गौतम को शिकायत की नज़र से देखते हुए बोली..

सुमन - आराम से ग़ुगु.. माँ को दर्द होता है ना.

गौतम - ग़ुगु नहीं सुमन.. गौतम.. मुझे गौतम कहकर पुकारो.. मैं अब आपके इन गुलाबी होंठों से अपना नाम सुनना चाहता हूँ..

सुमन हैरानी से - तू क्या कह रहा है ग़ुगु औऱ मुझे नाम से क्यों बुला रहा है.. मैं तेरी माँ हूँ.. तू भूल गया है क्या?

गौतम - मुझे सब याद है सुमन.. (अपना हाथ सुमन की चुत पर रखते हुए) आपने 20 साल पहले मुझे अपनी इसी चुत से निकाला था.. आपने इन 20 सालों में जितना मुझे प्यार किया है उतना शायद कोई औऱ कभी ना कर पाए.. मेरी ख़ुशी के लिए आप मेरे सामने नंगी तक हो गई.. मेरी हर ज़िद पूरी की मगर अब सुमन.. मैं आपको खुश रखना चाहता हूँ.. प्यार करना चाहता हूँ.. मैं चाहता हूँ आप मुझे नाम से बुलाओ.. हर शाम घर पर मेरा इंतज़ार करो औऱ जब मैं काम से वापस आउ तो आप मुझसे लिपटकर अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दो.. मुझे गौतम ज़ी कहकर बुलाओ.. बिलकुल जैसे आप पापा को बुलाती थी..

सुमन - तू पागल हो गया है क्या गौतम? ये सब क्या बकवास कर रहा है.. तू अच्छी तरह जानता है मैं तेरे साथ ये सब नहीं कर सकती.. माँ हूँ मैं तेरी औऱ तू मेरा ग़ुगु.. समझा?

गौतम - आप सब करोगी सुमन.. मुझे यक़ीन है मेरी मोहब्बत आपको ये सब करने पर मजबूर कर देगी.. आप मुझे अपने दिल में वही जगह दोगी जो जगह तुमने पापा की दी थी..

सुमन गौतम के सामने घुटनो पर बैठकर उसकी पेंट खोलते हुए - तू ये मुझे चिढ़ाने के लिए बोल रहा है ना? पर मैं नहीं चिढ़ने वाली समझा? मैं अभी तुझे चूसकर ठंडा कर देती हूँ फिर तेरा सारा भुत उतर जाएगा औऱ तू फिर से मुझे सुमन नहीं माँ कहकर बुलायेगा..

गौतम कंडोम देते हुए - लो सुमन.. बिना कंडोम तुम्हे उल्टी हो जायेगी..

सुमन कंडोम लेकर फेंक देती है औऱ गौतम का लंड हाथ में पकड़कर उससे कहती है - उल्टी होती है तो हो जाए.. तुझे बिना कंडोम के अच्छा लगता है मैं उसी तरह तुझे खुश कर देती हूँ..

ये कहकर सुमन गौतम के लंड को मुंह में भरकर चूसने लगी औऱ गौतम सुमन को प्यार से देखता हुआ उसके सर पर हाथ फेरने लगा..

d6a35f7fe4d97035692bd393f5e47e46-1
गौतम - जानती हो सुमन जब आप सुबह नाच रही तब मेरा दिल आपको देखकर क्या कह रहा था मुझसे? मेरा दिल कह रहा था कि मैं आपको अपनी दुल्हन बना लू.. औऱ जो सुख पापा आपको सालों से नहीं दे पाये वो सुख मैं आपको हर रात दू.. सुबह तो मैंने अपनी खुली आँखों से हमारे बच्चों तक के नाम सोच लिए थे.. लड़का हुआ तो निखिल लड़की हुई तो निकिता..

सुमन लंड को पूरी मेहनत औऱ काम कला के साथ चूस रही थी मगर गौतम कि बात सुनकर वो बोली..

सुमन मुंह से लोडा निकालकर - गौतम तूने अब एक औऱ शब्द अपने मुंह से निकाला तो अच्छा नहीं होगा.. मैं तेरी माँ हूँ और माँ ही रहूंगी.. मुझे अपनी दुल्हन बनाने का ख्याल अपने दिल औऱ दिमाग से निकाल दे..

गौतम - मैं आप से प्यार करता हूँ सुमन..

सुमन - जितना तू मुझसे करता है उससे कहीं ज्यादा प्यार मैं तुझसे करती हूँ बेटू..

गौतम - सुमन मैं आपको अपनी माँ नहीं अपनी दुल्हन की तरह प्यार करता हूँ..

सुमन - ये ज़िद छोड़ दे ग़ुगु.. ये मुमकिन नहीं है.. मैं तुझे कभी भी वो सब नहीं दे सकती..

ये कहकर सुमन गौतम के लंड को वापस मुंह में भर लेती है औऱ चूसने लगती है

7759c8f85a53edcf7acaa4df647df476
मगर अब गौतम सुमन के मुंह से अपना लंड निकाल लेता है औऱ अपनी पेंट पहनने लगता है लेकिन सुमन गौतम के हाथ पकड़ कर उसे पेंट पहनने से रोक देती है औऱ कहती है.

सुमन - गौतम ये ज़िद छोड़ दे.. मैंने तेरी हर बात मानी है मगर ये बात मैं नहीं मान सकती.. तू चाहता है मैं अपनी ही नज़रो में गिर जाऊ? कभी खुदसे आँख भी ना मिला पाउ? कैसी जिद पर तू अड़ गया है गौतम.. तू चाहता है तो मैं आज से तुझे तेरे नाम से बुलाऊंगी.. तेरे मुंह से माँ की जगह सुमन भी सुन लुंगी.. मगर ये ज़िद छोड़ दे मेरे शहजादे..

गौतम सुमन से अपने हाथ छुड़वाकर अपनी पेंट पहन लेता है औऱ छत की रेलिंग के पास जाकर सुमन से कहता है..

गौतम - आप नीचे जाओ माँ.. मुझे अब आपसे कुछ नहीं चाहिए.. शादी एन्जॉय करो..

सुमन अपने घुटनो पर से पैरो पर खड़ी हो जाती है औऱ गौतम के पास आकर अपने ब्लाउज में सिगरेट का पैकेट निकालकर एक सिगरेट गौतम के होंठों पर लगा देती है औऱ लाइटर से जलाते हुए कहती है..

सुमन - मुझे माफ़ कर दे गौतम मैं तेरी ये इच्छा पूरी नहीं कर सकती.. तू चाहे तो मुझे अभी नंगा कर दे मैं उफ़ तक नहीं करुगी मगर मेरे शहजादे अपनी माँ को इस तरह जलील मत कर..

गौतम सिगरेट का एक लम्बा कश लेकर अपनी माँ के मुंह पर धुआँ छोड़ते हुए - माफ़ तो आप मुझे कर दो माँ.. मैं हमारे रिस्ते को भूल गया था.. पर अब आप भरोसा रखो मैं आपसे इस बारे में कुछ नहीं कहने वाला...

सुमन मुस्कुराते हुए गौतम के लंड पर पेंट के ऊपर से हाथ रखते हुए - चल गौतम.. मैं अपने छोटे ग़ुगु को थोड़ा प्यार कर लेती हूँ.. नीचे ना सही ऊपर से तो मैं तेरी हर ख्वाहिश पूरी कर सकती हूँ..

गौतम सिगरेट का कश लेकर सुमन का हाथ लंड पर से हटाते हुए - रहने दो माँ.. छोटा ग़ुगु सो चूका है.. आप जाओ नीचे..

सुमन गौतम के हाथ से सिगरेट लेकर कश लेती है औऱ गौतम के लंड को इस बार जोर से हाथों में पकड़कर मसलते हुए गौतम से कहती है..

सुमन - छोटे ग़ुगु को नींद से जगाना औऱ खड़ा करना मुझे अच्छे से आता है.. तू फ़िक्र मतकर मैं छोटे ग़ुगु को खुश करने में ज्यादा वक़्त नहीं लगाउंगी..

सुमन कहते हुए अपने घुटनों पर बैठ जाती है गौतम की पेंट उतारने लगती है लेकिन गौतम सुमन के हाथों से अपनी पेंट छुड़वाते हुए उसे कहते हैं..

गौतम - मन नहीं माँ.. रहने दो..

सुमन गुस्से से - मैं अच्छी तरह जानती हूँ तेरा मन क्यों नहीं है? तू मुझसे नाराज़ है ना.. मैंने तेरी ज़िद पूरी नहीं की इसलिए? तूने अगर अपनी ज़िद नहीं छोडी तो मैं यही से नीचे कूद कर अपनी जान दे दूंगी..


ये कहते हुए सुमन छत की रेलिंग की तरफ बढ़ती है और उससे पार करने की कोशिश करने लगती है मगर पीछे से गौतम उसका हाथ पकड़ कर सुमन को अपनी तरफ खींच लेता है और एक जोरदार थप्पड़ सुमन के गाल पर मरता हुआ उसे अपनी बाहों में भर लेता है औऱ सुमन से कहता है..

nandini-drashtidhami
गौतम - अगली बार मरने की बात भी की, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा समझी आप?

सुमन थप्पड़ खाकर भी मुस्कुरा पडती है औऱ गौतम के होंठों को चुमकर कहती है - अपनी माँ के गाल पर इतना जोर से थप्पड़ मारना जरुरी था?

गौतम अपनी माँ सुमन को बाहों में भरके छत पर बने फालतू सामान से भरे कमरे की तरफ उठाकर ले जाते हुए - अभी तो सिर्फ एक ही पड़ा है अगली बार ऐसा कुछ किया ना आपने तो बहुत पिटोगी आप..

इतना कहते हुए गौतम सुमन को कमरे में एक चारपाई पर बैठा देता है औऱ सुमन का पल्लू हटाकर उसकी ब्लाउज के सारे बटन खोलकर ब्रा ऊपर सरकातें हुए सुमन के कबूतर आजाद कर देता है औऱ फिर अपनी पेंट खोलकर लंड को लहराते हुए सुमन के मुंह में घुसा देता है औऱ सुमन भी मुस्कुराते हुए गौतम के लंड को बिना कंडोम लगाए चूसने लगती है औऱ लंड चूसते हुए गौतम को देखने लगती है..

838c86185c2faae5bdc62033c0a71a45
गौतम अपनी माँ के इस रूप से उत्तेजित औऱ कामुकता के शिखर पर जा चूका था उसे झड़ने में ज्यादा समय नहीं लगा औऱ उसने सारा वीर्य सुमन के मुंह में भरके उसे अपना वीर्यपान करवा दिया औऱ सुमन न चाहते हुए भी गौतम को खुश करने के लिए उसका वीर्य पी गई...

गौतम झड़ने के बाद सुमन के बगल में बैठ जाता औऱ औऱ गले में हाथ डाल कर सुमन की एक चूची पकड़कर मसलते हुए कहता है..

गौतम - काश आप मेरी माँ नहीं बीवी होती सुमन.. मैं आपको बिस्तर से उठने ही नहीं देता..

सुमन हसते हुए गौतम का लंड साफ करती हुई - ये नहीं होने वाला बच्चू.. तेरे नसीब मेरे ऊपर का छेद है नीचे का नहीं.. चल अब जाती हूँ..

वरना तू फिर से शुरू हो जाएगा..

सुमन जैसे ही उठने लगती है गौतम सुमन को अपनी गोद में बैठा लेता है औऱ कहता है - थोड़ी देर बैठो ना माँ मेरे साथ.. नीचे जाकर क्या करोगी.. कितनी भीड़ औऱ शोर है नीचे..

सुमन - शादी में भीड़ औऱ शोरगुल तो होता ही है.. जब तेरी शादी होगी तब भी इतना ही ऐसे ही भीड़ औऱ शोर होगा..

गौतम - नहीं होगा माँ.. मेरी शादी में सिर्फ दो लोग ही रहेंगे.. एक मैं औऱ दूसरी आप.. हमारी शादी ख़ास होगी..

सुमन - गौतम देख तू वापस वही बात मत शुरू कर देना.. मैं तुझे अपना फैसला बता चुकी हूँ..

गौतम - मैं तो मज़ाक़ कर रहा था मेरी प्यारी सी सेक्सी सुमन..

सुमन सिगरेट सुलगाते हुए - रूपा का फोन आया था कह रही थी तेरा फ़ोन बंद है..

गौतम - हाँ अब इतने चाहने वाले है मेरे.. किस किस से बात करता तो सोच कुछ बंद ही कर देता हूँ..

सुमन सिगरेट का कश लेकर सिगरेट गौतम को देती हुई - एक बार बात कर ले बेचारी बहुत परवाह करती है तेरी..

गौतम कश लेकर - पता है माँ.. वापस जाकर रूपा मम्मी के साथ ही रहेंगे हम दोनों..

सुमन - मम्मी? माँ सिर्फ मैं हूँ तेरी औऱ कोई नहीं.. समझा?

गौतम - आप माँ हो रूपा मम्मी औऱ माधुरी छोटी माँ.. मैंन छोटी माँ को सब बता दिया..

सुमन - फिर क्या कहा उसने?

गौतम - पहले तो कुछ नहीं बोली मगर फिर थोड़ा डांटने लगी औऱ बोली आपसे बात करनी है उसे..

सुमन - बात करवा ना फिर..

गौतम - वापस चलकर बात कर लेना माँ सीधा घर चले जाएंगे उनके..

सुमन - उनका घर कैसे हुआ? तेरे पापा ने लिया है घर.. हमारा भी हक़ है उसपर.. मैं तो जाकर उससे यही बात करुँगी औऱ तेरे पापा से भी यही बात कहूँगी..

गौतम - पर हम खुश है ना वहा भी..

सुमन - खुश? उस शुरू होते ही ख़त्म होने वाली जगह में रहकर खुश है तू? मैं खुश नहीं हूँ.. मेरा हक़ कोई औऱ चुड़ैल नहीं खा सकती..

गौतम सिगरेट सुमन को देते हुए - गुस्से में कितनी प्यारी लगती हो माँ..

सुमन कश लेकर - तेरा भी हक़ है उस घर पर.. हम वापस जाकर रूपा नहीं माधुरी के साथ रहेंगे.. देखती हूँ वो कैसे रोकती है हमें..

गौतम - वो क्यों रोकने लगी माँ.. वो तो शायद यही चाहती है औऱ इसीलिए आपसे बात भी करना चाहती है.. वैसे मेरे लिए भी अच्छा है.. आप तो अपनी चुत को छुपा के रखो.. छोटी माँ तो मुझे अच्छे से प्यार करेंगी उस घर में..

सुमन गुस्से में - चुत के चककर में अपनी माँ की सौतन से प्यार करेगा तू..

गौतम मुस्कुराते हुए - सौतन होगी आपकी मेरी तो छोटी माँ है.. कैसे भी चोदू बुरा नहीं मानती उल्टा बराबर का साथ देती है..

सुमन उदासी से - देख रही हूँ उस डायन ने मेरा पति तो छीन ही लिया है मेरा बेटा भी मुझसे छीन रही है..

गौतम सुमन की उंगलियों में सुलगती सिगरेट को अपनी उंगलियों में लेकर सुमन के होंठों पर सिगरेट लगाते हुए - ऐसा नहीं है मेरी सेक्सी सुमन.. आपसे मुझे कोई नहीं छीन सकता..

सुमन सिगरेट का कश लेकर गौतम को देखते हुए - भाभी का बहुत बुरा हाल किया है तूने.. बेटी की शादी में चलने ठीक से लायक नहीं छोड़ा..

गौतम - कुछ सीखो अपनी भाभी से माँ.. आप आगे के लिए मना कर रही हो मामी तो आगे पीछे दोनों तरफ ले गई थी मेरा..

सुमन चौंकते हुए - तूने भाभी की गांड..

गौतम हस्ते हुए - हाँ.. मारी है मैंने आपकी प्यारी भाभी की गांड..

सुमन - भाभी ने मना नहीं किया? बहुत दर्द हुआ होगा उनको तो..

गौतम - मना तो किया पर.. बदले में गांड मारना तो जायज था.. सुबह यहां आने के बाद भी एक बार औऱ मरवाई थी मामी ने..

सुमन - तभी ये हाल है भाभी का.. तुझे शर्म नहीं आई.. इतना सब करते हुए...

गौतम मुस्कुराते हुए - भाभी तो फिर भी चल पा रही है माँ..एक बार आप हाँ कर दो फिर देखना आपको तो चलने लायक भी नहीं छोडूंगा.. वैसे माँ मुझे तो इस शादी में कई चुत मिल जायेगी.. आप कहो तो आपकी इस चुत के लिए लोड़ो का बंदोबस्त करू?

सुमन हसते हुए - अपनी माँ का दल्ला बनेगा तू.. बेशर्म..

गौतम - जब आप मेरी ख़ुशी के लिए ये सब कर सकती हो तो में क्यों नहीं कर सकता.. मुझसे नहीं चुदना तो किसी औऱ से चुदलो.. मैं बुरा नहीं मानुगा..

सुमन जोर से हँस्ती हुई - अब नीचे जाने दे वरना तू मुझे सच में किसीसे चुदवा देगा..

गौतम सुमन के दोनों चुचे अपने हाथों में पकड़कर मसलते हुए - आपके जैसी खूबसूरत औरत बिना चुदे अपने दिन बिताये ये तो बहुत गलत बात है माँ..

08-Fondling-Breasts-GIF-oldtimereligion
discrete math symbols
सुमन - कितना जोर से दबाता है तू गौतम मेरे बोबो को.. अब तो सारे ब्लाउज औऱ ब्रा भी टाइट हो गई है.. लगता है तूने दबा दबा के मेरे बोबो का साइज बढ़ा दिया है.. अब नए ब्रा औऱ ब्लाउज बनवाने पड़ेगे.. बाबाजी से तेरी शिकायत करनी पड़ेगी.. छोड़ अब..

ये कहकर सुमन नीचे चली जाती है औऱ गौतम छत पर ही ठहलने लगता है फिर कुछ देर बाद वो भी नीचे आ जाता है..

************

फ़ोन क्यों नहीं उठा रहे थे?
सो रहा था..
इतनी देर तक सो रहे थे? ऐसा क्या कर रहे थे रातभर?
अरे यार.. बताया था ना कल फंक्शन था यहां.. इतना शोर गुल था नींद ही नहीं आई.. सुबह 4 बजे सोया था..
तो बताना चाहिए था ना मुझे.. मैं अपनी बाहों में भरके सुला लेती तुम्हे..
ओह हो.. फिर अगर मैंने तेरे बदन को इधर उधर से पकड़कर छू लिया होता औऱ तेरे साथ जोर जबरदस्ती करने की कोशिश की होती, तब तू क्या करती?
तब मैं तुम्हे चुम लेती औऱ कहती कि अगर तुमने मेरे साथ जबरदस्ती नहीं की तो मैं तुम्हारे साथ जबरदस्ती कर लुंगी.. औऱ फिर तुम्हारी इज़्ज़त लुटकर अपनी हवस मिटा लेती..
अच्छा ज़ी.. 4 दिनों में ही इतनी मोहब्बत हो गई मुझसे?
एक बार मिलने तो आओ मुझसे तुम.. फिर बताउंगी ये कबाड़ी वाले की बेटी कितनी मोहब्बत करती है तुमसे..
2-3 दिन की औऱ बात है रेशमा.. फिर देखना तेरा ये आशिक कैसे तेरी चुत की खुजली मिटाता है..
मुझसे तो रहा ही नहीं जा रहा तेरे बिना मेरे कुत्ते.. मन कर रहा है इस फ़ोन में घुसके तेरे पास आ जाऊ औऱ तुझे अपने गले से लगा लू..
अच्छा ये चैटिंग छोड़ वीडियो कॉल कर ना रेशमा.. देखना है तुझे..
एक मिनट.. हाँ.. कॉल कर रही हूँ..
गौतम वीडियो कॉल उठाके - आज तो बहुत प्यारी लग रही हो..
रेशमा हस्ते हुए - कुछ पहन तो लो.. कैसे नंगे होके बैठे हो..
गौतम केमेरा में अपना रेशमा को लंड दिखाकर - देखो ना ये बेचारा तुमसे मिलने की आस में कैसे खड़ा है.. बोलता है जब तक तुझसे नहीं मिलेगा तब तक नहीं बैठेगा..
रेशमा अपनी कुर्ती उतारकर अपने चूचियाँ मसलते हुए - गौतम इससे कहो कि ये खड़ा हुआ ही अच्छा लगता है.. जब हमारी मुलाक़ात होगी तब अगर ये बैठ गया तो बहुत मार खायेगा मुझसे..
गौतम - रेशमा तुम तो कह रही थी असलम बात तक नहीं करता तुमसे फिर तुम्हारे चुचे इतने कैसे बड़े होते जा रहे है? कोई औऱ तो इनपर मेहनत नहीं कर रहा ना?
रेशमा - कमीने फ़ोन पर बड़े लग रहे होंगे तुझे.. तीन साल से ब्रा का साइज वही है..
गौतम - फ़िक्र मत कर मेरी फुलझड़ी.. बहुत जल्दी तेरी चूची औऱ चुत्तड़ का साइज बढ़ने वाला है..
रेशमा अपनी चुत में ऊँगली करती हुई - गौतम देखो ना.. कैसे ये कमीनी तुम्हे देखकर गीली हो गई है.. लगता है तुमसे दुरी इसे भी बर्दाश्त नहीं है..
गौतम - तो तुम ही क्यों नहीं आ जाती मुझसे मिलने यहां? परसो की शादी है.. औऱ कोनसा तू दूर रहती है.. दो घंटे का ही तो सफर है..
रेशमा - पर आउ किसके साथ? क्या कहूँगी असलम से?
गौतम - बोल देना तेरी सहेली की शादी है.. कार्ड मैं तुझे व्हाट्सप्प कर देता हूँ..
रेशमा - ठीक है मैं बात करके देखती हूँ असलम से.. वैसे उम्मीद तो बहुत कम वो मेरी बात मानेगा..
गौतम - वैसे रेशमा.. एक बात बताऊ.. मैंने आदिल के फ़ोन से तेरे नंबर नहीं लिए थे.. आदिल ने खुद मुझे तेरे नम्बर दिए थे..
रेशमा चुत में ऊँगली करती हुई - क्यों दिए थे उसने तुझे मेरे नंबर?
गौतम - ताकि मैं तेरी चुत की खुजली को मिटा सकूँ..
रेशमा झड़ने लगती है फिर संभलकर कहती है - तूने अब तक हमारे बीच जो हुआ वो आदिल को तो नहीं बताया ना..
गौतम - अभी तक हुआ ही क्या है हमारे बीच.. जो मैं किसी को बताऊंगा.. पहले कुछ हो तो जाए..
रेशमा मुस्कुराते हुए - होने के बाद भी अगर तुमने किसी से कुछ कहा तो बहुत मार खाओगे देखना..
गौतम - अच्छा अब रखता हूँ.. नहाना है मुझे..
रेशमा - आई लव यू मेरे कुत्ते..
गौतम - आई लव यू मेरी कुत्तिया.. फ़ोन कट हो जाता है..

गौतम नहाने लगता है और नहा कर जब बाहर आता है तो उसे अपने सामने खड़ी हुई आरती कप मैं चाय लिए दिखती है जो गौतम को सिर्फ टावल में देखकर अपनी आँखे सेकती हुई बार-बार गौतम को ऊपर से नीचे तक देख कर अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए उसे आंखों से अश्लील इशारे कर रही थी जिसे गौतम अच्छे से समझ रहा था और आरती के मन की दशा भी उसे अब अच्छे से समझ आ रही थी...

गौतम में नाराज होने का नाटक करते हुए आरती से चाय का कप नहीं लिया और अपने गीले बाल सुखाने लगा.. आरती ने चाय का कप टेबल पर रखते हुए गौतम के हाथ से तोलिया ले लिया और उसे बेड पर बिठाते हुए अपने हाथ से उसके बाल सुखाने लगी.. गौतम को आरती से इस तरह की कोई उम्मीद नहीं थी मगर जिस तरह से आरती उसके सर के बाल जो गीले थे उन को तौलिये से सुखा रही थी.. गौतम जान रहा था कि आरती पूरी तरह से गौतम के ऊपर लट्टू है और गौतम से आकर्षित है.. आरती बहाने बहाने से गौतम के बदन को छू रही थी और गौतम आरती से बचते हुए ऐसा दिखा रहा था जैसे वह आरती से दूर जाना चाहता हो मगर आरती उसे अपने से दूर नहीं करना चाहती थी..

आरती - क्या बात है देवर ज़ी? गले औऱ सीने पर इतने निशान.. लगता है कई बिल्लीओ ने आपका ये हाल किया है..
गौतम आरती से तौलिया लेकर - रहने दो भाभी मैं सूखा लूंगा अपने बाल..
आरती - अरे अरे.. नहीं बताना तो मत बताओ.. देवर ज़ी.. पर ऐसे क्या करते हो.. अपनी भाभी को कम से कम इतना तो करने दो..
यह कहते हुए आरती गौतम के बेहद करीब आ जाती है और उसके होठों से अपने होंठ लगभग लगाते हुए उसके बाल साफ करने लगती है मगर गौतम अपना चेहरा मोड़ते हुए आरती से मुंह फेर लेता है औऱ आरती से कहता है.
गौतम - भईया याद कर रहे होंगे आपको भाभी.. अब रहने दो.. मैं कर लूंगा..
आरती उदासी से - तुम्हारे भईया ही तो याद नहीं करते मुझे.. देवर ज़ी.. वो तो बस दूकान ही सँभालते है मुझे सँभालने के लिए उनके पास ना तो वक़्त है ना उनमे इतनी ताकत..
गौतम बाल बनाते हुए - तभी मेरे पीछे पड़ी हो आप.. पर ये ख्याल छोड़ दो भाभी.. मैं नहीं पटने वाला..
आरती अपना पल्लू गिराकर गौतम के करीब आते हुए - अरे देवर ज़ी.. पटाना अभी शुरू ही कहा किया है मैंने आपको.. शादी का माहौल है.. सबकी इच्छा पूरी हो रही है.. मेरी मुराद भी पूरी हो जाए तो आपका क्या बिगड़ जाएगा.. इतनी बुरी भी नहीं है आपकी भाभी.. आपके गले औऱ सीने पर कुछ निशान छोड़ने का हक़ तो आपकी इस भाभी का भी है..

ये कहते हुए आरती ने गौतम की कमर पर बंधे हुए तोलिया को अपनी उंगली के दबाव से एकदम से झटके से खोल दिया और गौतम को इसका अंदाजा भी नहीं था. गौतम ने अभी तौलिये के नीचे अंडरवियर नहीं पहना था जिससे तोलिया हटाने पर वह पूरी तरह अपनी प्राकृतिक अवस्था में आ गया और आरती के सामने उसका विशालकाय हथियार लहराते हुए झूलने लगा.. गौतम का हथियार देखकर आरती के जैसे रोंगटे खड़े हो गए और वह कामुकता से भर्ती हुई सन रह गई उसने आज से पहले इस तरह की कोई चीज नहीं देखी थी आरती अश्लील फिल्में देखने की शौकीन थी और अक्सर वह फिल्मों में इस तरह के लंड देखती थी मगर आज उसने हकीकत में ऐसा कुछ देख लिया था और उसे देखकर उसकी आंखें खुली की खुली रह गई थी और वह हैरत से गौतम को देख रही थी.

गौतम का आरती से ऐसा कुछ करने की उम्मीद नहीं थी मगर आरती ने जब ऐसा कुछ कर दिया तो उसे समझ नहीं आया कि वह क्या करें वह पहले तो एक दो पल के लिए भूत बना हुआ खड़ा रहा मगर फिर अपने तोड़ने को फर्ष से उठाकर वापस अपनी कमर पर बांध लिया और आरती पर गुस्सा होते हुए चिल्लाते हुए कहा..
गौतम - भाभी पागल हो क्या? ये क्या हरकत है?
आरती तो जैसे अभी तक गौतम के हथियार में ही खोई हुई थी उसे तौलिये के ऊपर से भी गौतम के हथियार की हल्की झलक मिल रही थी जो अभी तक सोया हुआ था.. आरती के कानों में गौतम की आवाज पड़ी ही नहीं और वह बस गौतम के लंड पर अपनी नजर डालें खड़ी हुई सिर्फ गौतम के लंड की ओर देख रही थी, गौतम ने आरती को ऐसा करते हुए देखा तो फिर से चिल्लाकर उसका कंधा पकड़कर झकझोरते हुए कहा..
गौतम - भाभी... भाभी...
आरती - देवर ज़ी.. आपका इतना बड़ा..
गौतम शरमाते हुए - भाभी आप जाओ यहां से..
आरती वापस अपने हाथ से गोतम का तौलिया खींचने लगती है मगर इस बार गौतम आरती का हाथ पकड़ लेता है..
गोतम - भाभी पागल हो गई हो क्या आप.. क्या कर रही हो..
आरती उत्सुकता से - देवर ज़ी बस एक बार वापस देख लेने दीजिये.. मैं चली जाउंगी..
गौतम - दरवाजा खुला हुआ है भाभी, कोई देख लेगा आप जाओ यहाँ से..
आरती - कोई नहीं देखेगा ग़ुगु.. मैं दरवाजा बंद करके आती हूँ..

आरती दरवाजा बंद करने के लिए मुड़ जाती है और दरवाजा बंद करने लगती है आरती के दरवाजा बंद करते ही बाहर हाल में डीजे की आवाज बजनी शुरू हो जाती है जिसमें आज शादी का महिला संगीत था.. डीजे पर पहला गाना बजते ही होटल में चारों तरफ शोर गुल मच जाता है जिसमें हर किसी को एक दूसरे की आवाज सुनाई नहीं दे रही थी हर कोई एक दूसरे से जोर से कहकर बात कर रहा था और एक दूसरे को इशारों से अपनी बात समझ रहा था इसका फायदा उठाकर आरती ने दरवाजा बंद कर वापस गौतम के पास आ गई और उसका तोलिया खींचने की नीयत से अपना हाथ बढ़ा दिया..
गौतम हाथ पकड़ते हुए - भाभी क्या मज़ाक है.. जाओ आप यहां से..
आरती अपना हाथ छुड़ाकर अपनी साडी उतारते हुए - देवर ज़ी आज तो चाहे कयामत आ जाए.. मैं यहां से नहीं जाने वाली..
आरती जब अपनी साड़ी उतार रही होती है गौतम की नजर आरती के ब्लाउज में चली जाती है जहां दो मस्त-मस्त मौसम कड़क होकर सामने की तरफ तनी हुई थी और उनको देखने से लगता था कि उन पर अब तक किसी के हाथ नहीं पड़े हैं और ना ही आरती ने इन पर किसी और को हुकूमत करने का आदेश ही दिया था..
गौतम का सोया हुआ लैंड धीरे-धीरे उठने लगता है और वह आरती को अपने कपड़े उतारते हुए देखने लगता है आरती साड़ी के बाद अपना ब्लाउज और फिर पेटिकोट उतार कर ब्रा औऱ पेंटी में आ जाती है और फिर गौतम की ओर बढ़ने लगती है.. इस बार गौतम ने आरती से बिना किसी शर्म और लिहाज़ के मिलने का निश्चय कर लिया था और वह अपनी और आती हुई आरती को कामुक नजरों से देखने लगा था..

गौतम ने अपनी और आती हुई आरती को देखते हुए अपना तोलिया अपने हाथों से ही हटाकर साइड में रखे सोफे पर फेंक दिया और आरती की कमर में हाथ डालकर उसे अपने करीब खींचते हुए उठाकर एक साथ बिस्तर पर पटक दिया... वहां से गौतम आरती के ऊपर चढ़ा और उसे छूने लगा.. आरती भी गौतम के इस व्यवहार से हक्की बक्की रह गई और चौंकते हुए वह गौतम को चूमने लगी और उसकी आंखों में देखी हुई अपनी आंखों के इशारों से उसे पूछने लगी कि एकदम से उसे यह क्या हुआ है मगर गौतम ने उसकी आंखों के इशारे का कोई प्रति उत्तर नहीं दिया और चुपचाप आरती के होठों का स्वाद लेने लगा दोनों के होंठ आपस में इस तरह मिल रहे थे जैसे दो बिछड़े हुए दोस्त लिपटकर एक साथ मिल जाते हैं दोनों के बीच होठों की जंग जुबानी हो चुकी थी गौतम और आरती ने एक दूसरे की जीभ को अपने-अपने मुंह से निकाल कर एक दूसरे की जीभ से लड़ाना और मिलना चालू कर दिया था..

ee2dc9826e81b626e5f0f0aef65b6d34
आरती को जो सुख अपने पति चेतन से नहीं मिल पाया था वह गौतम से पा लेना चाहती थी और किसी नियत से गौतम को चूम रही थी..

चुंबन के दौरान गौतम ने आरती की ब्रा निकाल कर फेंक दी जिससे उसके नुकीले सूचक गौतम के सीने पर चुभने लगे और इसमें गौतम को एक अजीब और मीठा अहसास होने लगा, उसकी कामुकता और ऊपर उठने लगी और हवाओं में तैरने लगी..

गौतम चुम्बन तोड़कर आरती से कहा - भाभी एक बार फिर सोच लो.. कल दीदी की शादी है औऱ एक बार मेरे साथ ये सब करने के बाद आप कुछ दिन ठीक से चल भी नहीं पाओगी.
आरती - मुझे फर्क नहीं पड़ता देवर ज़ी.. आप बस मुझे ऐसा रगड़ के रख दो कि मैं तृप्त हो जाऊ..
गौतम - जैसा आप चाहो भाभी..
गौतम इतना कह कर आरती कि छाती की तरफ आ जाता है और उसकी छतिया पर खड़े हुए चूचक अपने मुंह में लेकर चूसने लगता है और अपने हाथों से उन्हें मसलने और दबाने लगता है जिससे आरती के मनोभावों में कामुकता कि हवा में घूमती महक की तरह उठकर फैलने लगती है और तैरने लगती है जिससे आसपास का वातावरण काममई हो जाता है..

q-16 suckingjapaneseboobs001
आरती गौतम का चेहरा पकडे हुए उसे अपनी छाती के उभार का मज़ा देने लगती है.. आरती के कड़क उठे हुए और तीर की तरह चुभने वाले चुचक गौतम अपने मुंह में लेकर इस तरह चूस रहा था जैसे वह बच्चे बचपन में अपनी माँ की चूची पकड़ के उनमे से दूध चूसते हैं...

आरती सीस्कारियां लेते हुए गौतम के चेहरे को पकड़े हुए उसके बालों में हाथ फिराती हुई उसे अपनी छाती का पूरा मजा दे रही थी और वह चाहती थी कि गौतम उसकी छाती से भरपूर मजे लेकर उसपर लट्टू हो जाए, उससे खेले जिससे उसकी ब्रा का साइज औऱ उसकी मादकता दोनों बढ़ जाए..

गौतम आरती के चुचे से खेलते हुए एक हाथ से उसकी पेंटिंग नीचे सरकार कर उतार देता है और फिर उसकी टांगों के बीच में आ जाता है और उसकी टांगें खोलकर उसकी जांघों की जोड़ पर अपना हाथ रखकर आरती की चुत को मसलने लगता है जिससे आरती अब खुलकर सिसकने औऱ आहे भरने लगती है..

16977104
आरती की चुत से गौतम के हाथ लगाते ही पानी निकलने लगा था औऱ वो झड़ गई थी मगर फिर गौतम ने अपने लंड पर थूककर अपने लंड को आरती की चुत में घुसने के लिए सेट कर दिया औऱ धक्का देने लगा..

37152411-1
आरती को चेतन ने सुहागरात से लेकर अब तक एक बार भी तृप्त नहीं किया था ना ही उसके साथ अच्छे से संभोग किया था जिससे आरती काम की अग्नि में जल रही थी और उसने शादी के इतने सालों तक अपनी चुत को घर में रखें गाजर मूली बैंगन यहां तक की बेलन से भी ठंडा किया था इसलिए उसकी चुत खुल तो चुकी थी मगर चुदी नहीं थी..

गौतम का लोहे की तरह मजबूत औऱ ठोस लंड अपनी पूरी औकात में खड़ा होकर आरती की चुत में घुसने लगा था औऱ आरती की सिस्कारिया अब उसकी चिंखो में बदलने लगी थी मगर यहां उसकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं था.. ऊपर से उसकी आवाज नीचे बज रहे dj के शोर में इस तरह खो गई थी जैसे भुंसे के ढेर में सुई खो जाती है.

गौतम ने आरती पर रहम करते हुए अपना हथियार धीरे-धीरे उसकी गुफा में गुस्सा आया था मगर अब आधा हथियार अंदर जाने के बाद गौतम को आरती की शक्ल देखने में मजा आने लगा..
आरती की सूरत इस तरह की थी जैसे कोई बिन पानी मछली की होती है आरती की शक्ल देखते हुए गौतम को उसकी कही हुई हर बात याद आने लगी कि किस तरह से आरती कुछ दिनों से गौतम का दिल दुखाने की पूरी पूरी कोशिश कर रही थी हालांकि आरती उन बातों को मीन नहीं करती थी ना ही उसने वह बात जानबूझकर कही थी..

उसका मकसद सिर्फ गौतम का दिल दुखाना था जिसमें वह कामयाब भी नहीं हो पाई थी मगर गौतम को आप सब याद आ रहा था और वह आरती के चेहरे पर उभरते इस भाव को देखकर सुकून महसूस कर रहा था कि अब आरती का सारा घमंड और सारी अकड़ चकनाचूर हो चुकी है..
गौतम - क्या हुआ भाभी अभी तो आधा ही अंदर गया है औऱ आप तड़पने लगी..
आरती सिसकते हुए - देवर ज़ी मैं कोई रांड थोड़ी हूँ जो इतना बड़ा लोडा एक बार में ले जाउंगी..
गौतम - चिंता क्यों करती हो भाभी.. मैं हूँ ना आपका देवर.. आपको अपने लंड से चोदकर पक्का रांड बना दूंगा..
आरती - ग़ुगु धीरे धीरे करना.. अब दर्द भी होने लगा है..
गौतम - ऐसा लगता है तीन साल में चेतन भईया ने आपको हाथ तक नहीं लगाया.. बिलकुल नाजुक हो आप तो.. देखो सील टूट गई आपकी...
आरती - उसे तो सिर्फ खाना औऱ सोना है.. साला सो किलो का ढ़ोल है.. दूकान पर बैठने के अलावा कुछ नहीं आता..
गौतम - ये बात तो है भाभी.. चेतन आप जैसी हसीन नाजुक औऱ प्यारी लड़की के लायक़ नहीं है..
आरती धीरे धीरे अपनी गांड उठाकर चुदवाते हुए - तो देवर ज़ी.. आप क्यों नहीं बना लेटे मुझे अपना.. ले चलो अपनी भाभी को भगा के.. मैं मना थोड़ी करुँगी..
गौतम धीरे धीरे आधे लंड से चोदते हुए - रहने दो भाभी.. ये ऐश औऱ आराम छोड़कर जाना आपके बस की बात नहीं है..
आरती - ऐसा नहीं है देवर ज़ी.. मैं तो आपके साथ फुटपाथ पर भी रह लुंगी. बस आप अपने इस लंड से मेरी चुत की सर्विस टाइम से करते रहना..
गौतम एक जोरदार धक्का मारके आरती की चुत में अब पूरा लंड घुसा देता है औऱ आरती चिल्लाते हुए गौतम से लिपटकर सिसकियाँ लेने लगती है..

m-ldpwiqacxt-E-Ai-mh-M3t2x-S4-T8-B5yus-Hl-38526721b
गौतम - भाभी दर्द तो नहीं हुआ ना..
आरती - देवर ज़ी आपने तो आज असली में सील तोड़ दी..
गौतम मिशनरी पोज़ में आरती की चुदाई करता है और फिर आरती को अपने आगे घोड़ी बनाकर उसकी सवारी करने लगता है..

0660f3b9482fbad23748e4dbbd1ab36d
आरती खुलकर गौतम के साथ अपनी हवस बुझा रही थी उसे अब किसी की फिक्र नहीं थी आरती खुल के गौतम को अपना चुकी थी और उसके साथ मजाक मस्तियां करते हुए कामसुख भोग रही थी..

गौतम ने घोड़ी के बाद आरती को अपनी गोद में उठा लिया औऱ उठा उठा के चोदने लगा..

39198004-58f047063edb1185954636 janice-griffith

आरती ने गौतम का बराबर साथ दिया औऱ चुदाई लीला में गौतम को भी पूरा मज़ा मिलरहा था.. आरती बार बार गौतम के होंठों को चूमकर उससे अपने प्यार का इज़हार कर रही थी औऱ चुदाई के चरम पर पहुंचकर झड़ चुकी थी.. इस चुदाई में कई बार चुत से झड़ने के बाद आरती ने गौतम को अपनी चुत में घुसा कर लंड पर दबाब बनाते हुए गौतम को भी अपने अंदर अपना पानी निकालने पर मजबूर कर दिया औऱ दोनोंअपनी इस चुदाई के महासंगम के महामिलन से तृप्त होकर एक दूसरे की बाहों में लेट गए थे..
आरती - देवर ज़ी.. आप तो बहुत बुरे हो..
गौतम - क्यों भाभी.. मज़ा नहीं आया आपको?
आरती - प्यार से प्यार करने को कहा था मैंने औऱ आपने.. एक झटके में अपना ये अजगर मेरी बिल में घुसा दिया.. देखो कितनी फ़ैल गई है मेरी चुत..
गौतम - भाभी ऐसी फैली हुई चुत तो हमारे प्यार की निशानी है..
आरती मुस्कुराते हुए - बड़े आये प्यार की निशानी देने वाले.. मैं जानती हूँ तुमने मेरी बातों का बदला लिया है मुझसे..
गौतम - भाभी आपसे बदला? आप किस बात का बदला लूंगा मैं? मैं जानता था कि आप बस मेरा दिल दुखाने के लिए ही बोल रही थी जो आपने बोला.. मैं तो आपसे कभी नाराज़ था ही नहीं..
आरती मुस्कुराते हुए - अच्छा देवर ज़ी.. अब जाने दीजिये.. मौका मिलते ही वापस प्यार झरने आउंगी आपसे.
गौतम - जैसा आप चाहो भाभी.. आपका देवर हमेशा आपकी सेवा के लिए तरयार रहेगा...
आरती बेड से खड़े होते ही लड़खड़ा जाती है हसते हुए गौतम को देखती है..
गौतम सिगरेट सुलगाते हुए - मैंने तो पहले ही कहा था भाभी.. चुदने के बाद ठीक से चल भी नहीं पाओगी..
आरती लड़खड़ाकर दो कदम चलती है उसके मन में वापस चुदने की तलब थी मगर जुबान से इस बात को कहना आरती के बस में अब नहीं था वो कमरे के दरवाजे पर रूकते हुए मुस्कुराते हुए गौतम से कहती है - देवर ज़ी मुझे मेरे रूम तक छोड़ दोगे?
गौतम सिगरेट का एक कश लेकर आरती से कहता है - ये भी तो आपका रूम है भाभी यही आराम कर लो.. शाम तक तो वैसे भी कोई नहीं है पूछने वाला..
आरती लड़खड़ाती हुई वापस बेड के करीब आ जाती है जहाँ गौतम आरती का हाथ पकड़कर उसे अपने ऊपर खींच लेता है औऱ आरती गौतम के ऊँगली में सुलगती सिगरेट लेकर एक लम्बा सा कश भरती है औऱ फिर सिगरेट बुझाकार गौतम को फिर से चूमने लगता है..

giphy-2
 
Top