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SKYESH

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Update - 1

सुमन (43)
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अजमेर के पश्चिमी इलाके में बने पुलिस क्वाटर के छोटे से कमरे में गौतम रात को इतिहास की किताब पढ़ते हुए कब सो गया था उसे भी पता नहीं चला. सुबह जब उसकी माँ सुमन चाय का कप हाथ में लेकर आई और गौतम को अपना हाथ लगाकर नहीं जगा दिया तब तक गौतम की नींद नहीं खुली थी.

सुबह के साढ़े आठ बजे का समय हो चूका था और गौतम के पिता जगमोहन जो पुलिस में हेड कांस्टेबल थे अपनी वर्दी पहन के थाने के लिए निकल चुके थे, सुमन भी घर का सारा काम आज जल्दी निपटाकर बैठ गई थी और अब गौतम जिसे सुमन प्यार से ग़ुगु कहकर पुकारती थी जगाने आ गई गई और चाय का कप बेड के किनारे रख कर प्यार से गौतम को जगा रही थी..

गौतम - सोने दो ना माँ..

सुमन - बहुत सो चुके नवाबसाब.. अब उठो और जल्दी से त्यार हो जाओ. कल बताया था ना आज बाबाज़ी के थान पर जाना है माथा टेकने.

सुमन ने गौतम के गालो सहलाते हुए कहा और उसके बगल में जो किताब पड़ी थी उसे उठाकर साइड में स्टडी टेबल पर रख दिया.

गौतम - कब तक इन पाखंडी बाबाओ के चक्कर में रहोगी माँ. कुछ फ़ायदा नहीं है वहा जाने से, उन्हें तो बस चढावे के पैसो से मतलब है, अन्धविश्वास फैलाते है और लोगों को लुटते है.

गौतम ने तकिये को अपने सीने से लगाकर आँख बंद किये हुए ही ये बात सुमन से कही जिसके जवाब में सुमन ने गौतम के हाथों से वो तकिया खींच लिया और हाथ पकड़कर उठाते हुए बोली..

सुमन - मेरा अन्धविश्वास है तो अंधविश्वास ही सही. तुम अंदर मत जाना मैं जाकर बाबाजी को माथा टेक आउंगी. बाबाजी के कारण ही ये गृहस्थी खुशहाल चल रही है वरना ना जाने क्या होता? मेरी सुनी कोख भी तो उनके आशीर्वाद से हरी हुई थी डाक्टर तक ने जवाब दे दिया था कि मैं बाँझ ही रहूंगी पर बाबाजी के आशीर्वाद से मुझे मेरा ग़ुगु मिला और तेरे पापा जब ससपेंड हुए थे तब भी बाबाजी के करम से ही वापस उनकी बहाली हुई.

सुमन कि बातों से गौतम चिढ़ते हुए अंगड़ाई लेकर उठ गया और सुमन का हाथ पकड़ते हुए बोला..

गौतम - अच्छा ठीक है माँ आपको मानना है तो मानो पर कह देता हूँ मैं कभी ऐसे बाबा-वाबा के चक्कर में नहीं आऊंगा. आप तो वैसे भी इतनी भोली हो कि कोई भी आपको बेवकूफ बनाकर अपने उल्लू सीधा कर सकता है. गौतम ने चाय का कप लिया और एक सिप लेकर वापस कहा माँ.. सुबह सुबह आपके हाथो कि अदरक वाली चाय ना मिले तो सुबह सुबह जैसी नहीं लगती.

सुमन गौतम की बात सुनकर मुस्कुराते हुए उसके पास आई और एक प्यार से भरा हुआ ममतामई चुम्बन गौतम के गाल पर करके बोली - अब ये मस्का लगाना बंद कर और जल्दी से नाहधो कर त्यार होजा मैं नास्ता लगाती हूँ.

सुमन इतना कहकर कमरे से भर आ गई और गौतम चाय की चुस्की लेटे हुए खड़ा होकर खिड़की से बाहर सडक के दूसरी तरफ अपने काम से आते जाते लोगों को देखने लगा.. इतने मे गौतम की नज़र टेबल पर पड़े अपने फ़ोन पर चली गई जो साइलेंट पर था और कब से उसमे किसीका फ़ोन आ रहा था.

गौतम ने फ़ोन उठाया तो दूसरी तरफ उसका दोस्त आदिल था जो हड़बड़ी में था.

आदिल - भोस्डिके रंडी.. कब से फ़ोन कर रहा हूँ गांड में डालके बैठा था क्या? उठाया क्यू नहीं? क्या कर रहा था?

गौतम - तेरी अम्मी चोद रहा था घोड़ी बनाके गांडु. वैसे सुबह सुबह क्यू फ़ोन कर रहा है? गांड देने का इरादा है क्या?

आदिल - मज़ाक़ मत कर, सुन एक बिहारन भाभी है मस्त सिर्फ 4 हज़ार में फुल नाईट सर्विस देने को त्यार है. आज रात दोनों भाई मचका देते है बता क्या बोलता है? बुक करू?

गौतम - पैसे कौन तेरा कबाड़ी बाप देगा मेरी रांडबाजी के लिए?

आदिल - अबे तुझे दो हज़ार का ही तो जुगाड़ करना है सोच ले. ऐसा माल बार बार नहीं मिलता. सिर्फ दो हज़ार की बात है.

गौतम - साले 5G के जमाने मैं कीपैड वाला 2G फ़ोन इस्तेमाल कर रहा हूँ और तू बोल रहा है 2 हज़ार की बात है.

आदिल - अबे इससे ज्यादा तो तेरा बाप एक दिन में ऊपर की कमाई कर लेता होगा. तू बहनचोद फिर भी ऐसे रो रहा है.

गौतम - भाई मेरा बाप जितना भी कमाता है अपनी गांड में छुपा के रखता है मुझे दो टाइम की रोटी के अलावा कुछ नहीं देता. सो रुपए भी मांगूगा तो दस सवाल पूछेगा. मेरे पास तो पैसे नहीं है फ्री दिलाये तो बता देना.

आदिल - फ्री में मेरा लंड लेले साले भिखारी. बहनचोद हर बार का तेरा यही रंडी रोना होता है.

गौतम - लंड है तेरे पास गांडु? साले हर बार बस पांच मिनट में जड़ जाता है और फिर चोदने की जगह बस हिलाके आ जाता है. मेरे पास तो नहीं है कुछ, भी तू करावाये तो बता देना.

आदिल - हां साले बचपन से अब तक मैने ही पाला है तुझे. चल देखता हूँ पैसे का जुगाड़ हो गया तो कॉल कर लूंगा.

गौतम - थोड़ा एक्स्ट्रा जुगाड़ करना भाई बहुत दिन हो गए नवाबवाले की बिरयानी भी खाके आएंगे.

आदिल - भोस्डिके अब ऊँगली पकड़ा दी तो कंधे पर चढ़कर कान में मत मूत. पैसे का जुगाड़ हो गया तो कॉल कर दूंगा वरना हिला के सोजाना अपनी फेवरेट tisca chopda पर साले आंटी लवर.

गौतम चाय पीकर कप टेबल पर रखते हुए आदिल से कहता है

गौतम - साले सुबह सुबह उसका नाम लेना जरुरी था क्या? मेरा नाग वैसे ही खड़ा होकर फुफकार रहा है अब तो हिलना ही पड़ेगा.

आदिल हँसते हुए - साले वहशी 50 साल की बुढ़िया है वो, तेरे जैसे बच्चे को निम्बू की तरह निचोड़ देगी.

गौतम - भाई 50 की उम्र में भी पूरी माल लगती है साली. ऐसी बुढ़िया के लिए तो ख़ुशी खुशी निम्बू की तरह नीचुड़ जाऊ, अपनी मर्ज़ी से अपनी इज़्ज़त लुटवा दूँ. चल अब रखता हूँ.

आदिल - भाई पूरा हवसी है तू. ठीक है मिलते है शाम को.

आदिल का फ़ोन कटने पर गौतम टॉवल के साथ बाथरूम चला गया और पहले अपनी पसंदीदा एक्ट्रेस tisca chopda को cum ट्रिब्यूट दिया और फिर नहाने लगा. सुमन नास्ता त्यार कर वापस गौतम के कमरे में आई और जब उसने देखा की गौतम अब तक नहीं नहाया है तो उसने बाथरूम का दरवाजा बजाते हुए गौतम से कहा.

सुमन - ग़ुगु.. ग़ुगु..

नहाते हुए ही गौतम ने अपनी माँ सुमन का जवाब दिया

गौतम - हां माँ..

सुमन - ग़ुगु और कितनी देर लगाएगा बाबू? जरा जल्दी कर ना. शाम से पहले वापस भी आना है.

गौतम - आ गया बस पांच मिनट और.

सुमन - अच्छा ठीक है मैं तेरे कपडे निकाल कर बेड पर रख देती हूँ तू जरा जल्दी कर.

सुमन ने बेड के सामने दिवार से सटी हुई एक पुरानी सी लड़की की अलमीरा का दरवाजा खोला और उसमे गौतम के कपडो को टटोलने लगी ज्यादातर लवर टीशर्ट ही उसे दिखी और नीचे कुछ जीन्स शर्ट भी नज़र आई सबकुछ इतना अव्यवस्थित था की सुमन को समझ नहीं आया वो कोनसे कपडे निकाले और कोनसे नहीं, इतने में उसकी नज़र नीचे इस्त्री किये हुए एक जोड़े पर पड़ी जो उसीने गौतम को दिलाई थी मगर गौतम ने एक भी बार उन कपड़ो को नहीं पहना था. सुमन ने वो डस्टी ऑफ ग्रे जीन्स और उसके साथ ही डार्क पिंक डेनिम शर्ट निकालकर बेड पर रख दी इतने में गौतम नहाकर तौलिया लपेटे बाहर आ गया और कपडे देखकर सुमन से कहने लगा..

गौतम - माँ ये पिंक शर्ट रहने दो लड़कियों वाला कलर लगता है.

सुमन - अच्छा? रंग में कब से लड़की और लड़का होने लगा? तेरे ऊपर गुलाबी रंग खिलता है इसलिए निकाला है चुपचाप पहन ले समझा?

सुमन इतना कहकर बाहर आ गयी और गौतम ने उन कपड़ो को पहनकर नीचे स्पोर्ट शूज डाल लिये और बाल बनाकर कमरे से बाहर निकलकर रसोई में आ गया.


कॉलेज के आखिरी साल में पढ़ रहे गौतम की उम्र करीब 20 साल थी, रंग सुमन के जैसा ही गोरा और नयननक्ष भी सुमन की तरह मनमोहक और आकर्षक थे कद करीब 6 फुट और बाल हलके से घूँघराले थे जो उसके चेहरे को और भी ज्यादा खूबसूरत बनाने का काम कर रहे थे.. सुमन ने जब गौतम को उन कपड़ो में देखा तो देखती रह गई गौतम किसी फ़िल्मी हीरो से ज्यादा ही अच्छा लग रहा था.

सुमन ने नास्ते की प्लेट गौतम के आगे करते हुए कहा..

सुमन - लीजिये राजासाहब आपकी सल्तनत में आज ये बना है खाने को..

गौतम सुमन से नास्ते की प्लेट लेकर रसोई में बनी मार्बल की पट्टी पर उछलकर बैठ गया और सुमन की बात का जवाब देते हुए कहा..

गौतम - काहे का राजा माँ.. एक फ़ोन के लिए बोला था वो तो नहीं दिलाया अभी तक आपने? और आज भी नास्ते में पोहे बना दिए? कम से कम पराठे बना देती.

सुमन बर्तन साफ करती हुई - पराठे शाम को खा लेना और वैसे फ़ोन कितने तक का आएगा तुम्हारा?

गौतम खुश होकर - ज्यादा महँगा नहीं चाहिए बस 30-35 हज़ार तक दिला दो..

सुमन 30-35 हज़ार सुनकर चौंकते हुए बोली - इतना महंगा? बेटा इसके तो तेरे पापा से बात कर, मुझे तो चोरी करनी पड़ेगी या डाका डालना पड़ेगा तुझे उतना महँगा फ़ोन दिलाने के लिए. कोई 10-15 हज़ार वाला लेना हो तो दिला सकती हूँ..

गौतम - पापा से क्या बात करू? वो मुझे फ़ोन क्या चार्जर तक नहीं दिलाने वाले और 10-15 हज़ार वाले फ़ोन ज्यादा दिनो तक चलते नहीं है.

सुमन - फिर तो बेटू ज़ी इसी से काम चलाओ.

गौतम - माँ..

सुमन - हम्म?

गौतम - एक काम हो सकता है.

सुमन - क्या?

गौतम - आप इंस्टालमेंट पर फ़ोन दिला दो. हर मैंने 2-3 हज़ार तो आप पापा से जुगाड़ ही लोगी उसके लिए.

सुमन - बदले में मुझे क्या मिलेगा.

गौतम - बदले में मैं आपका एक अकाउंट बना दूंगा इंस्टा पर वहां आप रील्स में गाना गा कर लोगों को अपनी मीठी आवाज सुना सकती है जैसे किसी फंक्शन में आप गाती हो. लोग अगर ज्यादा फॉलो करेंगे तो उससे पैसे भी मिलते है और आप फेमस भी हो जाओगी.

सुमन - वो क्या होता है?

गौतम - एक ऐप होती है व्हाट्सप्प की तरह. बस ज्यादातर कुछ नहीं करना होता.

सुमन - चल ठीक है.. दिला दूंगी अब खुश?

गौतम - पक्का ना?

सुमन - हां पक्का, बाबाजी के से आते हुए ले लेंगे फ़ोन बस.

गौतम ख़ुशी से सुमन को गले लगाकर उसके गालो पर चुम्बन करते हुए कहता है..

गौतम - थैंक यू माँ.. यू आर बेस्ट.. ई लव यू..

सुमन शरमाते हुए - चल हट, बदमाश कहीं का. माँ को आई लव यू बोलता है.

गौतम - तो क्या हुआ सब बोलते है. इसमें क्या बुरा है.

सुमन गौतम की शर्ट का एक्स्ट्रा खुला हुआ बटन बंद करते हुए कहती है..

सुमन - हां हां अग्रेज की औलाद.. समझ गई मैं. मैंने ही तेरे पापा से ज़िद करके तुझे बड़ी वाली इंग्लिश मेडियम स्कूल में भिजवाया था. अब अंग्रेजो वाले लक्षण तो आयेंगे ही.

गौतम नास्ते की प्लेट रखते हुए मज़ाकिया ढंग से - अच्छा तो मैं अंग्रेजो की औलाद हूँ?

सुमन शरमाते हुए गुस्से में - चुप बेशर्म.. कुछ भी बोलता है. अब चल वरना आते आते पक्का शाम हो जायेगी, पाता नहीं कितनी भीड़ बैठी होगी बाबाजी के सामने.

गौतम - चलो तो..

सुमन - कमरे की खिड़की बंद है ना?

गौतम - हां

सुमन - ठीक है जाके बाइक स्टार्ट कर मैं ताला लगा के आती हूँ.

गौतम सुमन की बात मानकर घर के बाहर आ जाता है और घर के मुख्य दरवाजे के बाहर दाई तरफ खड़ी एक पुरानी स्प्लेंडर को स्टार्ट के सुमन का इंतजार करने लगता है वही सुमन घर के मुख्य दरवाजे पर डबल लॉक लगा कर गौतम के पीछे बैठ जाती है और दोनों शहर से बाहर एक पहाड़ी के ऊपर बने छोटे मगर बहुत पुराने मन्दिरनुमा ढांचे पर जाने के लिए निकल जाते है.. थोड़ी दूर जाकर ही गौतम पीछे बैठी सुमन से कहता है..

गौतम - माँ..

सुमन - हां.

गौतम - पेट्रोल ख़त्म होने वाला है.

सुमन - ठीक है आगे भरवा लेना.

गौतम सुमन की बात सुनकर चुपचाप गाडी चलाता है और आगे एक पेट्रोल पंप के सामने गाडी रोक लेता है

गौतम - माँ आप यही रुको मैं तेल डलवा के आता हूँ..

सुमन एक 500 का नोट देते हुए - ठीक है ले डलवा ला.

गौतम पैसे लेकर पम्प के सामने आ जाता है.

गौतम भईया - 100 का डाल दो..

गौतम 100 का तेल डलवा कर बाकी अपनी जेब में रख लेटा है और वापस सुमन के पास आ जाता है..

गौतम - माँ बैठो..

सुमन - हां रुक.

गौतम - माँ वापस भूक लगी है आगे कोटा कचोरी वाले के रोक लूँ? कचोरी खाके चलते है.

सुमन - अच्छा ठीक है मेरे भुक्कड़ बेटू.. सुमन ने गौतम के दोनों गालो को अपने एक हाथ से पिचकाते हुए प्यार से कहा और वापस बाइक पर बैठ गई.

गौतम थोड़ा आगे चलकर बाइक को किनारे लगा देता है और सुमन से 100 रुपए लेकर दो कचोरी ले आता है.

गौतम - कैसी है माँ कचोरी?

सुमन - अच्छी है पर थोड़ा जल्दी कर ग़ुगु बाबाजी के पहुंचना भी है.

गौतम - अब वो पाखंडी बाबा इतनी दूर अपनी दूकान खोलके बैठा है तो मैं क्या करू? समय तो लगता ही है जाने मैं.

सुमन - ग़ुगु तमीज से, क्या अनाप शनाप फालतू बात कर रहा है. पागल लड़का.

गौतम - पागल मैं नहीं हूँ. पागल आपके बाबाजी सबको बनाते है. चलो अब, पता नहीं आज कोनसा टोना टोटका बताएगा वो बाबा. क़ब्र में पैर है फिर भी ये सब कर रहा है.

सुमन गौतम के पीछे बैठ गयी और अपने हाथ को आगे लेजाकर गौतम को पकड़ते हुए उसकी गर्दन पर चुम लिया प्यार से वापस बोली.

सुमन - बड़े लोग सही कहकर गए है ज्यादा पढ़ाई लिखाई मति भ्र्स्ट कर देती है. तुझे किसी छोटे स्कूल ही भेजना चाहिए था.

गौतम ने इस बार कोई जवाब नहीं दिया और बाइक को चलाने लगा. इस बार उसने पहाड़ी के नीचे एक बरगद के बड़े से पेड़ के पास बाइक रोक दी जहाँ और भी बहुत सी गाड़िया खड़ी थी. थोड़ा आगे से टूटी फूटी सीढ़िया ऊपर की तरफ जा रही थी और ऊपर एक तरह का बड़ा सा हॉल बना हुआ था जिसके चारो तरफ पत्थर की दिवार और छत पर लोहे की पट्टीया लगी हुई थी देखने से मंदिरनुमा लगने वाला ये ढांचा अंदर से खाली था बस एक तरफ एक बूढा आदमी हाथ में लकड़ी की डंडी लिए आसान पर बैठा था और बहुत से लोग कतार लगाए सामने बैठे थे और बारी बारी से अपना दुखड़ा लेकर उस बूढ़े आदमी के सामने जाते थे.


गौतम - चलो अब सीढिया चढ़ो, बहुत शोक है ना बाबाजी के पास जाने का.

सुमन ने गौतम का हाथ पकड़ा और उसकी बात का जवाब देते हुए बोली - चलना तो तुझे भी पड़ेगा मेरे साथ बिगड़ैल शहजादे..

सुमन ये कहकर गौतम के साथ सीढिया चढ़ने लगी और एक के बाद एक 250 सीढ़िया चढ़कर उस ढाचे के सामने पहुंच गई..

गौतम - लो माँ पानी..

सुमन पानी की बोतल लेकर पानी के दो घूंट लगाती है और दो चार मिनट सांस लेकर बोतल वापस गौतम को दे देती है..

गौतम - जाओ जब फ्री हो जाओ बता देना मैं यही हूँ..

सुमन मज़ाकिया अंदाज़ में - जैसी आपकी आज्ञा. और उस ढाचे के अंदर जाकर उस कतार में बैठ गई. करीब 50 लोग सुमन से आगे कतार में थे और सब अपनी अपनी बात बूढ़े आदमी को बताते थे और बूढा आदमी उनकी समस्या का निवारण करने के लिए कोई ना कोई तरतीब पर्चे पर लिखकर सुझा देता था.


गौतम बाहर टहलता हुआ वहां से बाई तरफ आ गया और पहाड़ी पर से उतरने के बने हुए दूसरे कच्चे रास्ते पर थोड़ा नीचे जाकर एक पेड़ के नीचे बैठ गया जहा से पीछे का जंगल साफ दिखाई देता था, वहां से गौतम हर बार की तरह जंगल के अंदर बने एक तलब को देखने लगा जहा नीलगाय और बाकी जानवर पानी पी रहे थे. उसका मन वहा जाकर उस तलब को पास से देखने का होता मगर जंगल में कौन जाए? कहीं कोई जानवर सामने आ गया तो क्या होगा? और अगर उसे कुछ हो गया तो उसकी माँ सुमन का क्या हाल होगा? कितना लाड करती है वो गौतम से. गौतम यही सब सोचते हुए उस पेड़ के नीचे बैठकर जंगल की खूबसूरती देखने रहा था मगर कुछ देर बाद उसे नीचे से किसी के ऊपर पहाड़ी पर आने की आवाज सुनाई दी उसने देखा एक बूढा सा दिखने वाला आदमी जिसके तन पर एक मैली धोती लिपटी थी वो ऊपर चले आ रहा था.

बूढ़े ने गौतम को देखा तो वो वही ठहर गया और गौतम से पिने के लिए पानी मांगा. गौतम ने बिना कुछ सोचे समझें उस बूढ़े को अपने पास रखी पानी की बोतल पकड़ा दी और वापस जंगल की और देखने लगा. बूढ़े ने थोड़ा सा पानी अपनी हथेली पर लेकर अपने सर पर छिड़का और फिर थोड़ा पानी पीकर बोतल रख दी.

बूढा - यहां बैठके किसे देख रहा है? कुछ चाहिए तो जा बाबाजी से बोल वो तुझे कोई ना कोई रास्ता बता देंगे.

गौतम - तुमसे मतलब? जिसे देखो वही बाबाजी कर रहा है यहा.

बूढा हसते हुए - अच्छा ठीक है, गुस्सा क्यू करता है सच कहु मुझे भी ये बाबा ढोंगी नज़र आता है.

गौतम - तुम्हे जो लगता है उससे मुझे क्या मतलब?जाके अपना काम करो.

बूढा - वही तो करने ऊपर आया हूँ. मैंने बहुत बार तुझे इस तरह यही पर इसी पेड़ के नीचे बैठकर जंगल को देखते हुए देखा है, आज सोचा आकर तुझसे कुछ बात करू की तू क्या देखता है और क्या तेरे मन में है?

गौतम ने एक नज़र बूढ़े को ऊपर से नीचे की तरफ देखा.. मैली कुचेली धोती को बदन पर लपेटे 70 साल का देखने वाला वो बूढा सर और दादी के सारे बाल सफ़ेद करवा चूका था जिनमे से आधे से ज्यादा झड़ भी चुके थे पैरों में पुरानी सी चप्पल जो मानो एक दूसरे से बिलकुल जुदा थी शायद अलग अलग साइज की भी होंगी. बूढ़े की ऐसी हालात और उसपर उसकी जटिल बातें गौतम के सर के ऊपर से ही जा रही थी गौतम को वो बूढा कोई सठयाया हुआ पागल मालूम पड़ता था.

गौतम - देख बुड्ढे ऐसी बात है 250 सीढ़ी चढ़कर आया हूँ पहले ही दिमाग खराब है तू और मत कर. जा यहां से.

बूढा- जाता हूँ लेकिन तूने मुझे पानी पिलाया है बदले में अगर तुझे कुछ चाहिए तो बता? मैं अभी दे देता हूँ.

गौतम बूढ़े की बात सुनके ओर ज्यादा झुंझला गया, एक तो बूढा फटीचर और फटेहाल ऊपर से बाते ऐसी की किसी सल्तनत का सुल्तान हो. गौतम ने गुस्से में आकर चिल्लाते हुए बूढ़े से कहा..

गौतम - ऐसा लोडा चाहिए जो हर औरत को दीवाना बना दे. देगा? चल भाग यहां से पागल बूढा, कब से सर खाये जा रहा है.

बूढ़े ने हँसते हुए गौतम से कहा - अच्छा अच्छा गुस्सा मत कर बच्चे, मैं चलता हूँ पर वहा उस पेड़ से थोड़े जामुन तोड़कर देदे इस उम्र में मुझसे नहीं तोड़े जाते..

गौतम का मन किया की उस बूढ़े को वापस कोई उल्टा जवाब दे दे मगर उसकी हालात और देखने से साफ दिखती बदन की हड्डिया देखकर गौतम को उसपर तरस आ गया और वो जाकर जामुन तोड़ लाया और उस बूढ़े को जो धोती के छोर को झोली बनाये खड़ा था दे देता है.

बुड्ढा - एक जामुन तू भी खा ले बेटा. इस पेड़ के जामुन बहुत स्वादिस्ट है.

इस बार गौतम बुड्ढे से बहस करने के मूंड में नहीं था उसने एक जामुन उसकी झोली से उठाया और पानी से धोकर अपने मुंह में डाल लिया. बुड्ढा ये देखकर मुस्कुराते हुए वापस नीचे चला गया और गौतम उस जामुन की गुठली को थूकते हुए वापस पहाड़ी के ऊपर आ गया जहा वही के एक पुराने आदमी ने गौतम से पूछा..

आदमी - वो बड़े बाबाजी क्या बात कर रहे थे तुमसे?

गौतम - पता नहीं क्या बकवास रहा था बुड्ढा. मुझे तो पागल-वागल लग रहा था.

आदमी - लड़के जबान संभाल के. जानता है वो कौन है? वो हमारे बाबाजी के बड़े भाई है, सालों से नीचे जंगल में रहते है उनकी वही कुटिया है. बाबाजी भी उनके चरण छूते है.

गौतम - जो भी हो मुझे उनसे क्या मतलब? हालात से भिखारी लग रहे थे.

आदमी - लड़के तू किस्मत वाला है जो बड़े बाबाजी ने तुझसे बात की है वरना लोग तरसते है उनसे मिलने के लिए. बाबा जी खुद भी कई-कई दिनो तक कई बार तो महीनों तक उनसे मिलने के लिए इंतजार करते है..

गौतम आदमी की बाते सुनकर वहा से जाता हुआ - लगता है यहां सारे लोग पागल है और फिर अपनेआप से बात करता हुआ गौतम वापस वही आ जाता है जहा उसने सुमन को छोड़ा था..


सुबह ग्यारह बजे कतार में बैठी सुमन की बारी आते आते दोपहर के डेढ़ बज गए..

सुमन हाथ जोड़कर - प्रणाम बाबाजी.

बुढ़ा - बोल बिटिया अब क्या चाहिए है?

सुमन - बाबाजी आपकी कृपा से एक प्यारासा बेटा मिला है पति की नोकरी वापस मिली है और गृहस्थी भी अच्छी चल रही है बस अब एक छोटे से घर की कमी है. सालों से सरकारी क्वाटर में गुजर हो रही है जहाँ ना सामान रखने की जगह है ना रहने की. आशीर्वाद दीजिये बाबाजी घर का कोई इंतज़ाम हो जाए.

बुढ़ा - घर का संजोग इस बरस के आखिर में बनता दिख रहा है बिटिया. तुझे दो काम करने होंगे, कर पाएगी?

सुमन - मैं करूंगी बाबाजी, जो आप कहोगे वैसा ही करुँगी. बस अपना खुदका एक छोटा सा घर बन जाए बाबाजी.

बुढ़ा - तो ठीक है मैं पर्चे पर दोनों काम लिख देता हूँ तू पढ़ने के बाद पर्चा बाहर आग में जाला देना.

सुमन - जैसा आप बोलो.

बुढ़ा पर्चा लिखते हुए - अगले छः माह तक ये दोनो काम तुझे बिना रुके करने होंगे..

बुढ़ा से पर्चा लेकर सुमन उठ जाती है बाहर आकर पर्चा पढ़ने लगती है.. पर्चे में पहला काम लिखा था की सुमन को हर पूर्णिमा लाल रंग के कपडे पहनने होंगे और दूसरा उसे पूर्णिमा वाले दिन ही अपने बेटे को अपना स्तनपान कराना होगा.

सुमन ने पर्चा पढ़कर यही एक जलती गोबर के उपलों की आग में डालकर स्वाह कर दिया और गौतम को देखने लगती है जो सामने ही एक पत्थर पर बैठा नीचे की तरफ देख रहा था.

सुमन - चले?

गौतम - शुक्र है पिछली बार की तरह शाम नहीं हुई.

सुमन - हां आज भीड़ थोड़ी कम थी.

दोनों एक साथ सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए बात करने लगते है..

गौतम - तो कितना चढ़ावा दिया आज बाबाज़ी को?

सुमन - बाबाजी कहा कुछ मांगते है लोग तो अपनी इच्छा से देते है जो देना है.

गौतम - तो आज क्या इच्छा थी आपकी?

सुमन - तू भी ना बहुत उल्टी सीधी बातें करने लगा है आजकल. कोई और बात नहीं सूझती तुझे? जब देखो हर चीज में दोष निकालता रहता है. कभी किसी चीज में कुछ अच्छा नहीं दीखता?

गौतम - मुझे तो अच्छा बुरा सब दीखता है. पर आपको बस सबमे अच्छा ही दीखता है. कभी किसी बुरी चीज नहीं दिखती.

सुमन - चल अब जल्दी घर चल, तेरे पापा का फ़ोन आया था उनको सुबह कुछ साथ में ले जाना था जो घर छूट गया तू थाने जाकर दे आना..

गौतम बाइक के किक मारते हुए - छूटा नहीं होगा जानबूझ कर छोड़ गए होंगे. उन्हें तो मज़ा आता मुझे घुमाने में.

सुमन - अच्छा? तू सबको अपना दुश्मन मानता है..

गौतम - लो अब इस कबाड को स्टार्ट कर लो.. एक न्यू बाइक लेने के लिए कहा था ये सेकंड हेंड खटारा लाकर दे दी.. बिना दस लात खाये स्टार्ट होने का नाम ही नहीं लेती.

सुमन - ग़ुगु प्यार से करो हो जायेगी, देखो हो गई ना.

गौतम - माँ अब चलो बैठो इससे पहले की ये वापस अपना दम तोड़ दे..

सुमन बाइक पर बैठकर - चल. गुस्से में तेरी ऐसे लाल होती है जैसे टमाटर. और भी प्यारा लगता है मेरा बच्चा.

गौतम और सुमन शहर की गलियों में दाखिल हो जाते है और गौतम एक दूकान के आगे गाडी रोक लेता है.

सुमन - क्या हुआ?

गौतम - क्या मतलब? याद नहीं आपने क्या कहा था फ़ोन दिलाओगी?

सुमन - अरे मैं तो वो भूल ही गई थी.

गौतम - पर मुझे सब याद है.

सुमन - अच्छा चल ले ले जो चाहिए.

गौतम - आप भी चलो..

दूकान में कई फ़ोन देखने और परखने के बाद गौतम ने एक फ़ोन पसंद किया और उसे कुछ डाउनपेमेंट देकर इनस्टॉलमेंट पर खरीद लिया..

सुमन - ज्यादा महंगा नहीं ले लिया? तेरे पापा को पता चलेगा तो तेरे साथ मुझे भी कच्चा चबा जाएंगे.

गौतम - उन्हें कीमत बताएगा कौन? आप कह देना 15 हज़ार का है. उनको कोनसा पता चलेगा?

सुमन - तू मुझसे पता नहीं क्या क्या करवाएगा? अगर उन्होंने झूठ पकड़ लिया तो शामत पक्की है. कहीं देखकर ना पहचान ले की फ़ोन 15 नहीं 35 का है.

गौतम - आप अगर इस तरह हड़बड़ाकर बताओगी तो उन्हें बिना देखे पता चल जाएगा. बिलकुल वैसे कहना जैसे बुआ कहती है.

सुमन - हम्म अब वही डायन बची है नक़ल करने के लिए?

गौतम - चलो अब खोलो इस ताज़महल का दरवाजा या मैं खुल जा सिम सिम बोलू?

सुमन चाबी निकालकर - तू ना पिटेगा मुझसे पक्का.

गौतम - अंदर चलकर पिट लेना वैसे भी गब्बर सिंह का दो बार फ़ोन आ चूका है आज ना जाने कोनसी फ़ाइल भूल गए जल्दी से दे आता हूँ..

सुमन दरवाजा खोलकर - जा अलमारी में नीचे की तरफ पड़ी होगी ले आ मैं तब तक तेरे लिए एक ग्लास निम्बू पानी बना देती हूँ.

गौतम अपने माँ पापा के कमरे में चला जाता है और अलमीरा खोलके फ़ाइल देखने लगता है. कपड़ो और बाकी चीज़ो से लबालब भरी अलमीरा में जब गौतम सामने की तरफ इधर उधर देखता है तो उसे फ़ाइल नहीं मिलती और उसे याद आता है की सुमन ने उसे नीचे की तरफ फ़ाइल होने की बात कही थी मगर जैसे ही वो झुकने लगता है तब तेह किये हुए तौलिये के बीच गौतम को कुछ काला सा दिखाई देता है जिसे वो जब हाथ बढ़ाकर निकालकर देखता है तो उसकी आँखे फटी रह जाती और वो झट से उस कंडोम के पैकेट को वापस उसी जगह रख देता है और नीचे से फ़ाइल लेकर वापस बाहर आ जाता है..

सुमन - मिल गई फ़ाइल? ले निम्बू पानी पिले गर्मी में थक गया होगा.

गौतम निम्बू पानी का ग्लास लेकर एक सांस में पी जाता है और बिना कुछ बोले फ़ाइल लेकर बाहर आ जाता है. बाइक स्टार्ट कर गौतम सीधे थाने की तरफ चल देता है जहा पहुंचकर वो अपने पिता जगमोहन के साथी रामपाल से मिलता है जो उसे फ़ाइल इंचार्ज मैडम को देने के लिए कहते हुए बाहर चला जाता है..

फ़ाइल लेकर गौतम इंचार्ज मैडम रजनी के चेम्बर के बाहर आकर खड़ा हो जाता है और डोर नॉक करता है..


nice start ..............................
 
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गौतम आदिल को उसके घर छोड़कर जब अपने घर आया तो सुमन रसोई में पराठे बना रही थी..
गौतम - क्या बात है आज तो सूरज पच्छिम से निकला है शायद.. पोहे की जगह पराठे वो भी प्याज के? लगता है कोई खुशखबरी है. मेरा छोटा भाई या बहन तो नहीं आने वाला कहीं?
सुमन - धत.. बेशर्म.. कोई खुशखबरी नहीं है.. तू हाथ मुंह धो ले मैं नास्ता लगाती हूँ..
गौतम - दस मिनट दो मैं अभी नहाकर आता हूँ..
गौतम तौलिया उठाकर बाथरूम चला गया और ब्रश करके नहाने लगा, उसने फुर्ती से नहाकर अलमीरा में से एक लाइट ब्लू जीन्स और एक डार्क ब्लू चेक शर्ट पहन कर बाहर आ गया और फिर रसोई में आकर उसी पुरानी तरह उछलकर रसोई की पट्टी पर बैठ गया..
सुमन - नास्ता देते हुए.. कैसे रही पढ़ाई?
गौतम - बहुत मुश्किल, मगर मैंने सब मैनेज़ कर लिया..
सुमन - मेरा ग़ुगु है ही इतना स्मार्ट..
गौतम - पापा आज भी जल्दी चले गए?
सुमन - हम्म.. काम के चक्कर में उन्हें फुर्सत ही नहीं रहती..
गौतम - मुझे तो अजीब लगता है उनका बर्ताव कुछ अलग है..
सुमन - तू इतना मत सोच बेटू.. पराठा और चाहिए?
गौतम - हां एक और थोड़ा दही भी..
सुमन - लो.. आज कहीं बाहर जाने का इरादा है?
गौतम - नहीं तो. क्यू?
सुमन - नहीं बस ऐसे ही पूछा..
गौतम - चलो आपकी वीडियो बनाकर इंस्टा पर ड़ालते है गाने वाली..
गौतम ने फ़ोन निकलकर कैमरा ऑन किया और सुमन को कुछ गाने को कहा.. रसोई में काम करती सुमन उसी तरह अस्त व्यस्त हालात में एक पुराना हिंदी सोंग गुनगुनाने लगी जिसे गौतम ने वीडियो रिकॉर्ड कर लिया और फिर थोड़ी एडिटिंग कर उसे इंस्टा पर रील्स में अपलोड कर दिया, इसी तरह 2-3 और वीडियो बनाकर रील्स पर डालकर गौतम ने फ़ोन एक तरफ रख गया और रातभर जागने के कारण महसूस होती थकावट से नींद के आघोश में चला गया.. सुमन प्यार से उसे बिस्तर पर सोता देखकर अपने आप को उसके करीब जाने से नहीं रोक सकी और गौतम के करीब आकर सुमन ने अपना हाथ उसके सर पर फेरना शुरु कर दिया.. सुमन सोते हुए गौतम का सर चूमकर कुछ सोचने लगी और फिर सुमन की आँखे खुद ब खुद नम हो गई जिसे उसने अपने साडी के पल्लू से पोंछ लिया था.
गौतम की आँख शाम को ही खुली जब उसने समय देखा तो तुरंत बिस्तर से उठकर मुंह देकर जूते पहनते हुए कमरे से बाहर आ गया..
सुमन - ग़ुगु.. आज क्या बनाऊ खाने में?
गौतम जूते पहन कर रसोई में खड़ी अपनी माँ सुमन के करीब आ गया और एक चुम्बन उसके गाल पर करते हुए कहा.. कुछ भी बना लो माँ तुम सब बेस्ट ही बनाती हो..
सुमन - ग़ुगु.. बाहर जा रहा है?
गौतम - हां कुछ काम है रात से पहले आ जाऊंगा..
गौतम सुमन को ये कहकर बाहर आ जाता है अपनी बाइक स्टार्ट करके घर से चल देता है..
शहर की गुमनाम गलियों और चौराहो से होता हुआ गौतम शहर के दूसरी तरफ की साफ सुथरी सडको पर आ गया जहाँ एक अलग ही शहर बस्ता था बड़ी साफ सड़के बड़ी बड़ी गाड़िया और महंगे कपडे पहनें दिल के छोटे लोग.. सब गौतम की आँखों के सामने था.. गौतम वहा से थोड़ा आगे जाकर एक रेस्टोरेंट के आगे रुक गया.. घड़ी की सुई साढ़े पांच बजने का इशारा कर रही थी.. गौतम ने बाइक खड़ी की और रेस्टोरेंट के अंदर आ गया.. जहा बाई तरफ एक टेबल पर रजनी अपने फ़ोन में नज़र गड़ाये कुछ देख रही थी.. दो चाय के खाली कप उसके सामने रखे हुए थे जो बता रहे थे की वो यहां लम्बे समय से बैठी थी..
गौतम नज़र बचाकर काउंटर पर गया और दो ग्लास एप्पल जूस लेकर रजनी की टेबल पर रख दिए, अचानक से हुई इस हरकत पर रजनी का ध्यान फ़ोन से निकलकर गौतम पर गया और वो अपना चश्मा उतारकार गौतम को देखने लगी. गौतम ने हलकी सी मुस्कान अपने होंठों पर बिखेर दी और रजनी से बोला..
गौतम - यहां का एप्पल जूस बहुत अच्छा है आपको ट्राय करना चाहिए..
गौतम की बात सुनकर रजनी फ़ोन में समय दिखाते हुए गौतम से बोली..
रजनी - पुरे 40 मिनट लेट आये हो तुम..
गौतम - दीदी.. वो सच कहु तो बाइक खराब हो गई थी पंचर बनवाने में टाइम लग गया.. इसलिए देरी हो गई..
रजनी गौतम को मुस्कुराकर देखती हुई एप्पल जूस का एक सिप लेकर बोली - मैडम से सीधा दीदी? दूसरी मुलाक़ात में ही ज्यादा फ्रेंक हो रहे हो तुम तो?
गौतम उसी तरह - नहीं वो बस आपको दीदी बोलने का दिल किया तो बोल दिया.. आप कहोगी तो नहीं कहूंगा वापस..
रजनी - कोई जरुरत नहीं है.. बोल सकते हो दीदी.. मैं भी तुम्हे छोटा भाई कहकर ही बुलाऊंगी.. वैसे तूने मुझे यहाँ ये एप्पल जूस पिलाने बुलाया था हम्म?
गौतम - नहीं नहीं दीदी.. उस लिए नहीं बुलाया.. लेकिन अगर मैं बुलाऊ आपको एप्पल जूस पिने बुलाऊ तो क्या आप आओगी?
रजनी - हम्म्म... ये तो अगली बार जब तू मुझे बुलायेगा तब पता चल ही जाएगा..
गौतम - ये भी ठीक है.. वैसे मैं एक बात बोलू दीदी.. आपके ऊपर ये नीला सूट बहुत जचता है..
रजनी हँसते हुए - बेटा ज़ी.. 34 की हूँ मैं.. पता है ना? ये फ़्लट करके कुछ नहीं मिलने वाला. समझा.. अपने उम्र की लड़कियों पर ये लाइन मारना. मुझपर रहने दो..
गौतम - फल्ट नहीं कर रहा दीदी मैं तो बस सच कह रहा हूँ..
रजनी - मुझे छोडो.. खुदको कभी आईने में देखा है? चाँद भी ज्यादा प्यारी सूरत है तेरी ग़ुगु.. मम्मा को बोला कर एक काला टिका लगाके घर से बाहर भेजे.. वरना नज़र लग जायेगी.. अच्छा अब पहले ये बता क्या कहने वाला तू मुझसे?
गौतम - वो आप बात कर रही थी ना कल फ़ोन पर.. की आपको किसी क़ातिल की तलाश है जिसने एक पुलिसवाले की भी जान ली है.. बिल्लू सांडा नाम है जिसका..
रजनी - हां यार ग़ुगु बहुत परेशान करके रखा है उस हरामजादे ने और ऊपर से एस पी साब का प्रेशर है जल्द से जल्द पकड़ने का.. नींद हराम हो गयी है उसके चक्कर में.. ससपेंड ना हो जाऊ बस..
गौतम - दीदी अगर में उसे आपके लिए पकड़वा दूँ तो?
रजनी हँसते हुए गौतम के गाल खींचकर प्यार से - ग़ुगु.. वो एक बच्चा नहीं है बहुत बड़ा क्रिमिनल है.. तू उससे दूर ही रहना.. समझा?
गौतम - दीदी मज़ाक़ नहीं कर रहा.. मैं जानता हूँ वो कहा मिलेगा. और अभी वो तो अकेला ही होगा..
रजनी गंभीर होते हुए - तू जनता है वो कहा मिलेगा?
गौतम - हां..
रजनी - कहा?
गौतम - वो जगताल के एक कोठे में पड़ा हुआ है जिसे रेखा काकी चलाती है.. आप रात में अचानक जाकर उसे आसानी से पकड़ सकती हो. तब उसके आदमी भी उसके साथ नहीं रहते..
रजनी -और तु ये सब कैसे जानता है?
गौतम - मुझे मेरे एक दोस्त ने बताया है उसका बड़ा भाई बल्लु के साथ ही काम करता है..
रजनी कुछ सोचकर - ग़ुगु अगर ये इनफार्मेशन गलत निकली तो एस पी साब मुझे ससपेंड भी कर सकती है..
गौतम मुस्कुराते हुए - और अगर आपने उसे पकड़ लिया तो प्रमोशन भी मिल साल सकता है.. इनफार्मेशन की गारंटी मेरी.. बिलकुल पक्की है..
रजनी - अच्छा ज़ी? चल तुझे घर छोड़ देती दूँ..
गौतम - दीदी मैं बाइक लाया हूँ..
रजनी - ठीक है..
गौतम मुस्कुराते हुए - दीदी अब अगली मुलाक़ात का डेट & टाइम व्हाट्सप्प करू?
रजनी बिल पेमेंट करके गौतम के साथ बाहर रेस्टोरेंट के बाहर आ जाती है और गौतम की बात का जवाब देते हुए कहती है..
रजनी गौतम का हाथ पकड़कर - ग़ुगु.. मैं जानती हूँ तू मुझे पसंद करता है.. तेरी आँखों मुझे सब नज़र आता है. इस उम्र में ये सब फीलिंगस आम बात है पर बेटा ज़ी, आप अपने उम्र की लड़कियों को फ्रेंड बनाओगे तो अच्छा रहेगा.. मुझसे कुछ नहीं मिलने वाला तुझे?
गौतम - दीदी मैंने कब कहा मुझे आपसे कुछ चाहिए? आपसे मिलना और बात करना अच्छा लगता है बस इसलिए वो सब कहा..
रजनी - अच्छा ठीक है बाबा.. कर दे व्हाट्सप्प.. मगर अगली बार लेट हुआ तो सजा मिलेगी.. मैं माफ़ नहीं करूंगी. समझा? कहते हुए रजनी ने गौतम को गले में हाथ डालके अपनी तरफ खींचा और उसके सर पर एक प्यार भरा चुम्मा देकर अपनी गाडी में बैठ गई, गौतम भी वही खड़ा हुआ रजनी को जाते हुए देखने लगा और तब देखा जब तक वो वहा से चली नहीं गई.. उसके बाद गौतम बाइक स्टार्ट करके वापस घर की तरफ चल दिया.. रजनी ने थाने जाकर रात में बिल्लू को पकड़ने की तयारी शुरु कर दी और रात होने का इंतजार करने लगी..

गौतम शाम के सात बजे घर पंहुचा तो उसने देखा की खाना बन चूका था और सुमन अकेली उदास अपने कमरे में एक तरफ लगे बेड पर बैठी कुछ सोच रही थी.. गौतम सुमन की उदासी समझ गया था वो सीधा सुमन के पास गया और उसे अपनी बाहों में भरकर एक किस उसके गाल पर करते हुए बोला..
गौतम - क्या हुआ माँ? आपका इतना प्यारा मुखड़ा बुझा हुआ लग रहा है, जैसे पूर्णिमा का खिला हुआ चाँद अमावस में बदल गया हो.. इतना कहकर गौतम ने अपनी माँ सुमन को गुदगुदी करना शुरु किया जिससे सुमन के उदास चेहरे पर मुस्कुराहट खिल गई और उसने गौतम को अपनी बाहों में लेकर उसका चेहरा जगह जगह चूमती हुई बोली..
सुमन - आ गया तू अपना काम करके?
गौतम - हम्म.. पर आप क्यू उदास हो? किसी ने कुछ कहा है?
सुमन - कोई कहने सुनने वाला है ही कहा घर में? बस एक तू ही है मेरा फूल सा बच्चा, मेरा कितना ख्याल रखता है.. कहते हुए सुमन ने गौतम के चेहरे को अपनी छाती से लगा लिया और उसके सर को चूमती हुई बालों में हाथ फेरने लगी..
गौतम सुमन के लाड प्यार का आदि था उसे जितना प्यार सुमन करती थी उतना कोई और नहीं कर सकता था.. गौतम का चेहरा सुमन ने जब अपनी छातियों में छुपा लिया तो गौतम सुमन के बदन की खुशबु से सराबोर हो गया.. उसके नाक में सुमन के बदन से उठती अलाहिदा खुशबु भरने लगी थी.. गौतम ने उसी तरह रहते हुए सुमन से पूछा?
गौतम - पापा आज भी लेट आएंगे?
सुमन - उनका फ़ोन आया था.. कह रहे थे तबादला हो गया है एक दूर के थाने में आज घर नहीं आ पाएंगे..
गौतम - अच्छा तो इसलिए मुंह उतरा हुआ है मेरी परी जैसी माँ का? पर मैं हूँ ना आपके पास आपका ख्याल रखने के लिए. आप फ़िक्र मत करो..
सुमन मुस्कुराते हुए गौतम के ललाट पर वापस चुम लेती है और उससे कहती है..
सुमन - देख रही हूँ बहुत मीठी मीठी बातें कर रहा अपनी माँ के साथ.. कुछ चाहिए तुझे?
गौतम - हां चाहिए ना.. आपके इन गुलाबी होंठों पर हंसी.. और इन कारी कारी काली कजरारी आँखों में चमक बस.. और कुछ नहीं..
सुमन - अच्छा ज़ी.. लगता है मेरा ग़ुगु सयाना हो चूका है.
गौतम - हां हो गया हूँ कोई शक है आपको..
सुमन - नहीं.. चल अब खाना खा ले.. भूख लगी होगी ना मेरे ग़ुगु को?
गौतम - हां बहुत तेज़ से लगी है.. मैं कपडे बदलकर आता हूँ..
गौतम सुमन की गोद से अपना सर उठाकर अपने कमरे में चला गया और कपडे बदल कर बाहर आ गया..
गौतम - क्या बात है माँ? आज कुछ ख़ास है? इतना सब बनाया है आपने?
सुमन - क्यू जब कुछ ख़ास होगा तभी मैं अपने ग़ुगु के लिए कुछ बनाउंगी? कहते हुए सुमन ने खाने की थाली गौतम को परोस दी और गौतम वही रसोई की पट्टी पर बैठके खाना खाने लगा..
सुमन - तू कल नॉनवेज खाने गया था? सुमन ने मुस्कुराते हुए पूछा..
गौतम हड़बड़ते हुए - नहीं तो आपको किसने कह दिया.. और पैसे कहा है मेरे पास जो मैं वो सब खाने जाऊँगा..
सुमन मुस्कुराते हुए - अच्छा ज़ी तो बिल तेरी जीन्स में कोई भूत डालके गया है..
गौतम ने पिछली रात जो अपने दोस्त आदिल के साथ नवाब के यहां बिरयानी खाई थी उसका बिल देते हुए सुमन ने फिर से गौतम से कहा..
सुमन - और नॉनवेज से साथ साथ अब ये बियर भी पीने लगे हो.. हम्म?
गौतम नज़र चुराते हुए - माँ वो मेरा दोस्त जबरदस्ती ले गया था बिरयानी खिलाने मैं तो जाना भी नहीं चाहता था. आप तो जानती हो मुझे. और सिर्फ एक बियर ही पी थी उससे ज्यादा नहीं..
सुमन - ग़ुगु.. तू जानता है ना तेरे पापा को. वो इन चीज़ो से कितना दूर रहते है. नॉनवेज और शराब के नाम से नफरत है उन्हे.. फिर भी तू चुपके ये सब करता है? अगर उन्हें पता चला तो वो बहुत दुखी होंगे..
गौतम - सॉरी माँ.. मैं जानता हूँ आप और पापा इन चीज़ो बहुत दूर रहते हो.. मैं भी खुदको दूर रखने की बहुत कोशिश करता हूँ पर मुझसे कंट्रोल नहीं हो पाता.. खाने की इच्छा कर जाती है..
सुमन - अच्छा.. ऐसा क्या ख़ास है उसमे जो इतनी इच्छा होती है तुम्हारी नॉनवेज खाने की?
गौतम - बोलकर कैसे बताऊ? कहीं आप खुद खाके देख लेना..
सुमन - छी.. बेशर्म कैसी बात कर रहा है.. इस घर में कभी नॉनवेज नहीं बनेगा. समझा..
गौतम - मैं बनाने के लिए थोड़ी कह रहा हूँ मैं खाने के लिए कह रहा हूँ.. एक बार नवाबवाले की बिरयानी खाके देखो बार बार खाने का मन करेगा..
सुमन - मैं यहां तुझे समझा रही थी और तू मुझे ही समझाने लगा.. मुझे नहीं खाना कुछ भी.. और आगे से तू भी इन चीज़ो से दूर रहना.. मैं नहीं चाहती मेरा ग़ुगु बिगड़ जाए..
गौतम खाने की प्लेट रखकर - अच्छा ठीक है मेरी समाज सुधारक माँ.. अब नहीं पिऊंगा बियर.. बस.. खुश अब तो?
सुमन - और नॉनवेज भी नहीं खायेगा कभी..
गौतम - हम्म्म्म.. कभी कभी तो खा सकता हूँ? प्लीज..
सुमन - अच्छा ठीक है पर तेरे पापा को पता नहीं चलना चाहिए..
गौतम - जैसा आप बोलो माँ.. ये कहते हुए गौतम ने सुमन के माथे पर एक हल्का सा प्यारा चुम्बन कर दिया और अपने रूम में चला गया, जहाँ वो अपना फ़ोन लेकर सुबह इंस्टा अकाउंट पर डाली हुई सुमन के गाने की रील्स का रिस्पांस देखने लगा..
उसने जो सुबह सुमन के गाने की तीन रील्स डाली थी उसे एक के बाद एक देखने लगा.. पहली और दूसरी रील्स पर कोई ख़ास रिस्पॉन्स नहीं आया रहा और व्यूज भी कम थे मगर तीसरी इंस्टा रील्स जो उसने डाल थी जिसमे सुमन की साड़ी का पल्लू थोड़ा नीचे सरका हुआ था और उसका हल्का सा क्लीवेज दिख रहा था उसपर अच्छा खासा रिस्पॉन्स था..
सुमन गा रही थी..
पहली-पहली बार मोहब्बत की है
कुछ ना समझ में आए, मैं क्या करूँ
इश्क़ ने मेरी ऐसी हालत की है
कुछ ना समझ में आए, मैं क्या करूँ
पहली-पहली बार मोहब्बत की है
कुछ ना समझ में आए, मैं क्या करूँ
इस रील पर 32 हज़ार व्यूज और 284 कमैंट्स आ चुके थे और अभी सिर्फ 10 घंटे हुए थे रील्स को डाले हुए.. उस रील के कारण अकाउंट को ढाई हज़ार लोगों ने फॉलो कर लिया था सुबह से अब तक..
गौतम ने रिस्पांस देखकर सोचा की अभी सुमन को ये बात बता दे मगर फिर जब उसने घर का काम ख़त्म करके बेड पर चैन से सोइ हुई अपनी माँ को देखा तो गौतम ने ये ख्याल सुबह के लिए टाल दिया और वापस अपने कमरे में आकर बिस्तर पर लेटते हुए रील्स पर आये कमैंट्स पढ़ने लगा..
1st कमेंट - भाभी ज़ी थोड़ा और नीचे पल्लू सरका दो तो मज़ा आ जाए..
2nd - uffff यार क्या आवाज है तुम्हारी लगता है रोज़ मुंह में लेती हो..
3rd - रंडी सिर्फ गाने मत सूना थोड़ा नाचके भी दिखा..
गौतम को अपनी माँ के लिए ऐसे ऐसे गंदे कमेंट पढ़कर बुरा लगा लेकिन ना जाने क्यू उसका लंड अपनेआप कमैंट्स पढ़ते हुए खड़ा हो गया और उसे कमैंट्स पढ़ने में अजीब सा अहसास होने लगा जो उसे हल्का मज़ा दे रहा था जिसे समझ नहीं पाया लेकिन उसे कमैंट्स पढ़ने का मन कर रहा था.. गौतम ने उठकर कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया और वापस बिस्तर में आकर कमैंट्स पढ़ने लगा..
4th - massage चेक करो..
गौतम ने मसेज बॉक्स चेक किया तो वहा कई लोगों के massage आये हुए थे जिसमे उसने कमैंट करने वाले का इनबॉक्स खोला.. उसमे लिखा रहा.. भाभी ज़ी फुल नाईट सर्विस चाहिए कितना चार्ज करती हो आप? हम 4 लोग है मैं 25 हज़ार दे सकता हूँ अगर आप चाहो तो.. अगर मिलना चाहो तो रिप्लाई देना.. होटल नाईटमून मैं..
गौतम massage पढ़ते हुए कब अपने लंड को बाहर निकलकर मसलने लगा उसे भी पता नहीं चला.. उसे अपनी माँ के लिए आये ये गंदे और भद्दे कमैंट्स पढ़ने में मज़ा आने लगा था.. एक के बाद एक उसने लगभग सारे कमेंट पढ़ डाले और massage को भी पढ़ लिया.. रात के दो बजे उसने सब करके अपने लंड पर नज़र डाली तो उसका लोडा छात की तरफ मुंह करके लोहे जैसा सख्त बनकर खड़ा था.. गौतम ने कुछ सोचा और फिर बेड के नीचे से एक कोने में उसने जो सिगरेट का पैकेट और लाइटर छीपा रखा था वो निकालकर अपना फ़ोन लिए बाथरूम में आ गया..
गौतम ने बाथरूम की दिवार पर बने छेद में फ़ोन को रखा और उसमे सुमन की वही रील चलाकर सिगरेट जला ली और पीते हुए अपनी माँ सुमन की रिल देखकर मुठ मारने लगा.. गौतम के अंदर की छिपी हुई हवस जाग चुकी थी और उसने सुमन को अपना निशाना बनाया था वो अपनी माँ की उसी रील को बार बार देखते हुए उसे चोदने की सोचने लगा और सिगरेट के कश लेटे हुए जोर जोर से अपना लंड मुठियाने लगा.. थोड़ी देर बाद उसका सारा माल बाथरूम की दिवार पर जा गिरा और उसके अजीब सा गिल्ट होने लगा.. गौतम ने फ़ोन बंद करके मुठ ओर पानी डाल दिया, सिगरेट को बाथरूम पोट में फ़्लश कर दिया और वापस बिस्तर में आके कुछ सोचने लगा...
गौतम को सुमन के ऊपर मुठ मारने का गिल्ट हो रहा था मगर उसे जो मज़ा आया था वो भी अद्भुत था जिसके आगे गिल्ट कमजोर पड़ रहा था.. अपनेआप से कुछ बात करते हुए वो कुछ गहरा सोचने लगा फिर नींद के हवाले हो गया..

सुबह जब गौतम की नींद खुली तो उसे रात की अपनी हरकत पर शर्म आ रही थी लेकिन साथ ही उसका मन सुमन की नई रील्स बनाकर इंस्टा अकाउंट पर डालने का भी कर रहा था. आज सुमन ने एक लाल रंग की महीन साडी पहनी थी और वो किसी अप्सरा की जैसी खूबसूरत और दिलकश लग रही थी.. गौतम ने सुबह सुबह रसोई में चाय बनाती अपनी माँ सुमन के पीछे से जाकर सुमन को अपनी बाहों में कस लिया और गाल पर एक kiss करते हुए बोला.. गुडमॉर्निंग माँ.. आज क्या बात है नई साडी.. कहीं बाहर जाने का इरादा है आपका?
सुमन ने गौतम को एक नज़र देखा और बिना उसकी बाहों से खुदको आजाद करवाये गौतम के kiss के जवाब में पलटकर उसके गाल पर kiss करती हुई बोली..
सुमन - मुझे अब बाहर ले जाने वाला है ही कौन? तु भी जब देखो मुझे घर में छोड़कर अकेला ही घूमता रहता है.. तुझे शर्म आती है अपनी माँ के साथ कहीं बाहर जाने में? बूढ़ी हो गई हूँ ना मैं.. अब तो तेरे पापा भी ज्यादा बात नहीं करते..
गौतम - मुझे क्यू शर्म आएगी वो आपके साथ. और हां आप अभी बूढ़ी नहीं हुई है.. आपको बूढ़े होने में अभी 50-60 साल और लगेंगे.. समझी? आपको कहाँ जाना है बोलो आज ही चलते है..
सुमन हस्ते हुए - चल झूठा कहीं का.. जब देखो मेरी झूठी तारीफ़ करता रहता है.. और मुझे कहीं बाहर नहीं जाना.. कहते हुए सुमन मुड़कर गैस ऑफ कर देती है और चाय छन्नी करने लगती है..
गौतम - माँ चलो गाना गाओ.. गौतम फ़ोन निकालकर वीडियो बनाते हुए बोलता है.. सुमन एक पुराना गाना गाने लगती है..
गौतम - ये नहीं कोई नया वाला.. और इधर देखो..
सुमन - अच्छा ठीक है..
सुमन नया गाना सुनाने लगती है.. गौतम जानबूझ कर चाय लेटे हुए सुमन की आँख बचाकर उसका पल्लू नीचे कर देता है जिससे सुमन का आधा ब्लाउज दिखाने लगता है और फिर गौतम उसी तरफ से सुमन के गाने के 3-4 वीडियो बना लेटा है और फिर चाय पीकर एडिटिंग करने लगता है.. सुमन के बूब्स देखकर गौतम का फिर से लंड अकड़ने लगता है और वो उन वीडियोस को इंस्टा पर रील्स बनाके डाल देता है..
तभी गौतम का फ़ोन बजने लगता है..
गौतम फ़ोन उठाकर- हेलो..
रूपा - कहा हो मेरे नन्हे मेहमान?
गौतम - मैं तो आपके दिल में हूँ..
रूपा - अच्छा ज़ी? सच कह रहे हो?
गौतम - हम्म्म... एक दम सच..
रूपा - मिलने का वादा था आज याद है?
गौतम - मैं कैसे भूल सकता हूँ?
रूपा - तो फिर आधे घंटे में झील के किनारे आ जाना नन्हे मेहमान अपना वादा निभाने..
गौतम - उससे पहले ही आ जाऊंगा मेरी रूपा मम्मी.. कहकर गौतम फ़ोन काट देता है और नहाने चला जाता है..
नहाने के बाद जब वो वापस आता है तो अपनी माँ सुमन को सामने खड़ा देकर हैरानी से कहता है..
गौतम - क्या माँ? कुछ चाहिए आपको?
सुमन - नहीं कुछ नहीं.. लाओ में तुम्हारे कपडे निकाल देती हूँ अलमारी से..
गौतम - रहने दो आप मुझे वही पीला गुलाबी पहना दोगी..
सुमन - ग़ुगु तू प्यारा लगता है पर उन रंगों में.
गौतम - माँ मुझे मर्द लगना है.. bachha नहीं..
सुमन जोर से हस्ती हुई कपडे निकालकर कहती है - बड़ा आया मर्द बनने वाला.. कुछ साल पहले तक तो मुझसे से चिपक के सोता था.. कहता था माँ मुझे अकेले सोने में डर लगता है और अब मर्द बनने का भूत चढ़ा है सर पर मेरे छोटे से ग़ुगु को..
गौतम - माँ 20 साल का हो गया हूँ मै.. ये ग़ुगु कहकर मत बुलाया करो.. और वापस ये लड़कियों वाला कलर निकाला है आपने..
सुमन - 20 साल का हो गया तो क्या माँ की बराबरी करेगा.. रहेगा तो मेरा ग़ुगु ही.. वैसे तुझ पर बहुत प्यारा लगेगा ये कलर पहन के देख..

गौतम - सिर्फ आपकी ख़ुशी के लिए पहन रहा हूँ.. वरना ऐसी शर्ट मुझे बिलकुल पसंद नहीं.. गौतम एक ब्लैक जीन्स और येल्लो चेक शर्ट पहन कर त्यार हो जाता है वही उसकी माँ वही बेड बैठकर कुछ सोचने लगती है..
आज पूर्णिमा थी और जैसा बाबाजी ने बताया था सुमन ने लाल कपडे पहने और अब वो अपने बेटे गौतम को अपना स्तनपान करवाना चाहती थी मगर गौतम से ये बात करते हुए उम्र के फेर ने उसे भी शर्माने पर मजबूर कर दिया था.. सुमन सोच रही थी की कैसे वो गौतम से ये बात करें तभी गौतम ने उदास गहरी सोच में डूबी होनी माँ को देखकर उसके पास आ गया और उससे पूछने लगा..
गौतम - क्या हुआ? मेरी बात का बुरा लग गया?
सुमन अपनी गहरी सोच के समंदर से उभरकर बाहर आ गयी और गौतम के प्यारे चेहरे को अपने दोनों हाथों से पकड़के अपने करीब ले आई और उसके दोनों गालो पर चुम्बन करके उसे देखने लगी और बोली..
सुमन - ग़ुगु.. एक बात करनी है पर तुम वादा करो नाराज़ नहीं होंगे अपनी माँ से और ना ही अपने पापा को इसके बारे में बताओगे..
गौतम - मैं कभी नाराज़ हुआ हूँ आपसे? और में किसी को कुछ नहीं बताने वाला.. अब बोलो क्या बात है? जिसको लेकर मेरी माँ के इतने प्यार चेहरे पर उदासी की ये चादर बिछी हुई है? हम्म?
सुमन मुस्कुराते हुए - ग़ुगु.. मैंने हमारे नये घर के लिए बाबाजी से कहा था और बाबाजी ने पर्चा दिया था.. उसमें बाबाजी ने लिखा था मुझे अपने प्यारे ग़ुगु को दूध पिलाना होगा..
गौतम - इतनी सी बात? लाओ दो दूध का गिलास मैं अभी पी लेटा हूँ..
सुमन - ग़ुगु.. ऐसे नहीं.. जैसे बचपन में पिलाती थी वैसे..
गौतम सुमन की बात सुनकर थोड़ा शर्मा जाता है..
गौतम - माँ आप होश में हो ना? मैंने कहा था उस पाखंडी के चक्कर में मत आओ.. उसके चक्कर में घर तो छोडो वो घर का दरवाजा भी नहीं मिलेगा.. हर बार अजीब अजीब तरकिब बताता है.. कभी क्या कभी क्या..
सुमन गौतम की बातें सुनते हुए उसका सर प्यार से अपनी गोद में रखकर उसे बेड पर लेटा देती है और गौतम के होंठों पर ऊँगली रखकर कहती है - ग़ुगु.. चुप.. अब कुछ नहीं बोलना.. इतना कहकर वो अपनी साड़ी का पल्लू हटाकर अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगती है.. अपनी माँ को ऐसा करते देखकर गौतम के गले का पानी सुख जाता है और एक टक सुमन के छाती पर उभरदार चुचो को देखने लगता है जिसे सुमन उसके सामने बेपर्दा कर रही थी.. सुमन का जोबन अभी ढीला नहीं पड़ा था ये बात गौतम को सुमन के तने हुए चुचे देखकर समझा आ गई थी उसने भी शर्म और झिझक छोड़ने का मन बना लिया था.. सुमन ने ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए और फिर ब्रा को ऊपर करके अपने एक बोबे को गौतम के मुंह में देकर बोली - ग़ुगु.. लो.. पिलो..
गौतम ने बिना देर किया बोबा मुंह में ले लिए और उसके गुलाबी निप्पल्स चूसने लगा.. वही गौतम का मुंह लगते ही सुमन के सारे बदन में करंट दौड़ गया और वो गौतम का सर जोर से पकड़के अपना बोबा चुसवाने लगी.. गौतम किसी प्यासे की तरह अपनी माँ सुमन के निप्पल्स चाट चाट के चूस रहा था और मौका मिलने पर दांतो से भी काट रहा था जिसपर सुमन गौतम को कुछ नहीं कह रही थी और अपने बोबे चुसवाते हुए गौतम को देखकर जो सुख उसे मिल रहा था उसका आनंद ले रही थी..
सुमन ने एक के बाद दूसरा बोबा भी उसी तरफ गौतम को चूसने के लिए दे दिया जिसे भी गौतम छाव से चूसने लगा.. दोनों को जो मज़ा आ रहा था उसमे उन्हें पता ही नहीं चला की ये सब करते हुए आधा घंटा बीत चूका है..
सुमन की नज़र जब टेबल के किनारे पड़े सिगरेट के पैकेट और लाइटर पर गई तब उसने अपना बोबा गौतम के मुंह से बाहर निकाल लिया और गुस्सा दिखाते हुए बोली - ग़ुगु.. तू सिगरेट पिने लगा है?
गौतम स्वर्गलोग से कब गिरा था उसे मालूम नहीं पड़ा.. वो अचानक से सुमन के मुंह से ये बात सुनकर हक्का बक्का रह गया और सुमन को देखते हुए बोला - माँ.. वो मेरी नहीं है.. किसी और की है गलती है मेरे पास रह गई..
दरवाजे पर किसी के आने की दस्तक हुई तो सुमन ने अपनी ब्रा नीचे करके ब्लाउज के बटन बंद कर लिए और पल्लू ठीक करके खड़ी हो गई.. गौतम भी सुमन के साथ ही बेड से खड़ा हुआ, दरवाजे से जगमोहन की आवाज सुनाई दी.. सुमन ने सिगरेट का पैकेट और लाइटर अपने ब्लाउज में डालके छुपा लिया और कमरे से बाहर जाने लगी..
गौतम - माँ पापा से मत कहना प्लीज..
सुमन - ठीक है कुछ नहीं कहूँगी पर तू ये आदते छोड़ दे ग़ुगु..
गौतम सुमन का हाथ पकड़कर - thanks माँ.. वैसे बाबाजी को भी thanks कहना.. सुमन गौतम की बात का मतलब समझ गई और झूठा गुस्सा दिखाते हुए बोली..
सुमन - चल हट बदमाश कहीं का.. मार खायेगा मुझसे..
गौतम सुमन के गाल चूमता हुआ - आप सिर्फ बोलती हो.. आज तक कभी थप्पड़ भी मारा है मुझे? बाहर से जितनी सख्त बनती हो अंदर उतनी ही नाजुक सी हो..
सुमन - तुझे दर्द देने के लिए थोड़ी पैदा किया है मैंने.. चल अब हट तेरे पापा देख लेंगे तो चिल्लायेंगे..
सुमन जब जाने लगती है गौतम उसका हाथ पकड़ लेटा है और प्यार से करीब आकर कहता है - माँ आई लव यू.. आप बहुत प्यारी हो..
सुमन - लव यू तो बच्चा.. चल अब छोड़ मुझे..
सुमन कमरे से चली जाती है जगमोहन से कहती है..
सुमन - चाय बना दू..
जगमोहन कपडे बदलते हुए - हां..

सुमन चाय बनाने रसोई में आ जाती है गौतम जूते पहनकर घर से भर चला जाता है और बाइक स्टार्ट करके झील की तरफ चल देता है..
 
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