Update - 4
गौतम आदिल को उसके घर छोड़कर जब अपने घर आया तो सुमन रसोई में पराठे बना रही थी..
गौतम - क्या बात है आज तो सूरज पच्छिम से निकला है शायद.. पोहे की जगह पराठे वो भी प्याज के? लगता है कोई खुशखबरी है. मेरा छोटा भाई या बहन तो नहीं आने वाला कहीं?
सुमन - धत.. बेशर्म.. कोई खुशखबरी नहीं है.. तू हाथ मुंह धो ले मैं नास्ता लगाती हूँ..
गौतम - दस मिनट दो मैं अभी नहाकर आता हूँ..
गौतम तौलिया उठाकर बाथरूम चला गया और ब्रश करके नहाने लगा, उसने फुर्ती से नहाकर अलमीरा में से एक लाइट ब्लू जीन्स और एक डार्क ब्लू चेक शर्ट पहन कर बाहर आ गया और फिर रसोई में आकर उसी पुरानी तरह उछलकर रसोई की पट्टी पर बैठ गया..
सुमन - नास्ता देते हुए.. कैसे रही पढ़ाई?
गौतम - बहुत मुश्किल, मगर मैंने सब मैनेज़ कर लिया..
सुमन - मेरा ग़ुगु है ही इतना स्मार्ट..
गौतम - पापा आज भी जल्दी चले गए?
सुमन - हम्म.. काम के चक्कर में उन्हें फुर्सत ही नहीं रहती..
गौतम - मुझे तो अजीब लगता है उनका बर्ताव कुछ अलग है..
सुमन - तू इतना मत सोच बेटू.. पराठा और चाहिए?
गौतम - हां एक और थोड़ा दही भी..
सुमन - लो.. आज कहीं बाहर जाने का इरादा है?
गौतम - नहीं तो. क्यू?
सुमन - नहीं बस ऐसे ही पूछा..
गौतम - चलो आपकी वीडियो बनाकर इंस्टा पर ड़ालते है गाने वाली..
गौतम ने फ़ोन निकलकर कैमरा ऑन किया और सुमन को कुछ गाने को कहा.. रसोई में काम करती सुमन उसी तरह अस्त व्यस्त हालात में एक पुराना हिंदी सोंग गुनगुनाने लगी जिसे गौतम ने वीडियो रिकॉर्ड कर लिया और फिर थोड़ी एडिटिंग कर उसे इंस्टा पर रील्स में अपलोड कर दिया, इसी तरह 2-3 और वीडियो बनाकर रील्स पर डालकर गौतम ने फ़ोन एक तरफ रख गया और रातभर जागने के कारण महसूस होती थकावट से नींद के आघोश में चला गया.. सुमन प्यार से उसे बिस्तर पर सोता देखकर अपने आप को उसके करीब जाने से नहीं रोक सकी और गौतम के करीब आकर सुमन ने अपना हाथ उसके सर पर फेरना शुरु कर दिया.. सुमन सोते हुए गौतम का सर चूमकर कुछ सोचने लगी और फिर सुमन की आँखे खुद ब खुद नम हो गई जिसे उसने अपने साडी के पल्लू से पोंछ लिया था.
गौतम की आँख शाम को ही खुली जब उसने समय देखा तो तुरंत बिस्तर से उठकर मुंह देकर जूते पहनते हुए कमरे से बाहर आ गया..
सुमन - ग़ुगु.. आज क्या बनाऊ खाने में?
गौतम जूते पहन कर रसोई में खड़ी अपनी माँ सुमन के करीब आ गया और एक चुम्बन उसके गाल पर करते हुए कहा.. कुछ भी बना लो माँ तुम सब बेस्ट ही बनाती हो..
सुमन - ग़ुगु.. बाहर जा रहा है?
गौतम - हां कुछ काम है रात से पहले आ जाऊंगा..
गौतम सुमन को ये कहकर बाहर आ जाता है अपनी बाइक स्टार्ट करके घर से चल देता है..
शहर की गुमनाम गलियों और चौराहो से होता हुआ गौतम शहर के दूसरी तरफ की साफ सुथरी सडको पर आ गया जहाँ एक अलग ही शहर बस्ता था बड़ी साफ सड़के बड़ी बड़ी गाड़िया और महंगे कपडे पहनें दिल के छोटे लोग.. सब गौतम की आँखों के सामने था.. गौतम वहा से थोड़ा आगे जाकर एक रेस्टोरेंट के आगे रुक गया.. घड़ी की सुई साढ़े पांच बजने का इशारा कर रही थी.. गौतम ने बाइक खड़ी की और रेस्टोरेंट के अंदर आ गया.. जहा बाई तरफ एक टेबल पर रजनी अपने फ़ोन में नज़र गड़ाये कुछ देख रही थी.. दो चाय के खाली कप उसके सामने रखे हुए थे जो बता रहे थे की वो यहां लम्बे समय से बैठी थी..
गौतम नज़र बचाकर काउंटर पर गया और दो ग्लास एप्पल जूस लेकर रजनी की टेबल पर रख दिए, अचानक से हुई इस हरकत पर रजनी का ध्यान फ़ोन से निकलकर गौतम पर गया और वो अपना चश्मा उतारकार गौतम को देखने लगी. गौतम ने हलकी सी मुस्कान अपने होंठों पर बिखेर दी और रजनी से बोला..
गौतम - यहां का एप्पल जूस बहुत अच्छा है आपको ट्राय करना चाहिए..
गौतम की बात सुनकर रजनी फ़ोन में समय दिखाते हुए गौतम से बोली..
रजनी - पुरे 40 मिनट लेट आये हो तुम..
गौतम - दीदी.. वो सच कहु तो बाइक खराब हो गई थी पंचर बनवाने में टाइम लग गया.. इसलिए देरी हो गई..
रजनी गौतम को मुस्कुराकर देखती हुई एप्पल जूस का एक सिप लेकर बोली - मैडम से सीधा दीदी? दूसरी मुलाक़ात में ही ज्यादा फ्रेंक हो रहे हो तुम तो?
गौतम उसी तरह - नहीं वो बस आपको दीदी बोलने का दिल किया तो बोल दिया.. आप कहोगी तो नहीं कहूंगा वापस..
रजनी - कोई जरुरत नहीं है.. बोल सकते हो दीदी.. मैं भी तुम्हे छोटा भाई कहकर ही बुलाऊंगी.. वैसे तूने मुझे यहाँ ये एप्पल जूस पिलाने बुलाया था हम्म?
गौतम - नहीं नहीं दीदी.. उस लिए नहीं बुलाया.. लेकिन अगर मैं बुलाऊ आपको एप्पल जूस पिने बुलाऊ तो क्या आप आओगी?
रजनी - हम्म्म... ये तो अगली बार जब तू मुझे बुलायेगा तब पता चल ही जाएगा..
गौतम - ये भी ठीक है.. वैसे मैं एक बात बोलू दीदी.. आपके ऊपर ये नीला सूट बहुत जचता है..
रजनी हँसते हुए - बेटा ज़ी.. 34 की हूँ मैं.. पता है ना? ये फ़्लट करके कुछ नहीं मिलने वाला. समझा.. अपने उम्र की लड़कियों पर ये लाइन मारना. मुझपर रहने दो..
गौतम - फल्ट नहीं कर रहा दीदी मैं तो बस सच कह रहा हूँ..
रजनी - मुझे छोडो.. खुदको कभी आईने में देखा है? चाँद भी ज्यादा प्यारी सूरत है तेरी ग़ुगु.. मम्मा को बोला कर एक काला टिका लगाके घर से बाहर भेजे.. वरना नज़र लग जायेगी.. अच्छा अब पहले ये बता क्या कहने वाला तू मुझसे?
गौतम - वो आप बात कर रही थी ना कल फ़ोन पर.. की आपको किसी क़ातिल की तलाश है जिसने एक पुलिसवाले की भी जान ली है.. बिल्लू सांडा नाम है जिसका..
रजनी - हां यार ग़ुगु बहुत परेशान करके रखा है उस हरामजादे ने और ऊपर से एस पी साब का प्रेशर है जल्द से जल्द पकड़ने का.. नींद हराम हो गयी है उसके चक्कर में.. ससपेंड ना हो जाऊ बस..
गौतम - दीदी अगर में उसे आपके लिए पकड़वा दूँ तो?
रजनी हँसते हुए गौतम के गाल खींचकर प्यार से - ग़ुगु.. वो एक बच्चा नहीं है बहुत बड़ा क्रिमिनल है.. तू उससे दूर ही रहना.. समझा?
गौतम - दीदी मज़ाक़ नहीं कर रहा.. मैं जानता हूँ वो कहा मिलेगा. और अभी वो तो अकेला ही होगा..
रजनी गंभीर होते हुए - तू जनता है वो कहा मिलेगा?
गौतम - हां..
रजनी - कहा?
गौतम - वो जगताल के एक कोठे में पड़ा हुआ है जिसे रेखा काकी चलाती है.. आप रात में अचानक जाकर उसे आसानी से पकड़ सकती हो. तब उसके आदमी भी उसके साथ नहीं रहते..
रजनी -और तु ये सब कैसे जानता है?
गौतम - मुझे मेरे एक दोस्त ने बताया है उसका बड़ा भाई बल्लु के साथ ही काम करता है..
रजनी कुछ सोचकर - ग़ुगु अगर ये इनफार्मेशन गलत निकली तो एस पी साब मुझे ससपेंड भी कर सकती है..
गौतम मुस्कुराते हुए - और अगर आपने उसे पकड़ लिया तो प्रमोशन भी मिल साल सकता है.. इनफार्मेशन की गारंटी मेरी.. बिलकुल पक्की है..
रजनी - अच्छा ज़ी? चल तुझे घर छोड़ देती दूँ..
गौतम - दीदी मैं बाइक लाया हूँ..
रजनी - ठीक है..
गौतम मुस्कुराते हुए - दीदी अब अगली मुलाक़ात का डेट & टाइम व्हाट्सप्प करू?
रजनी बिल पेमेंट करके गौतम के साथ बाहर रेस्टोरेंट के बाहर आ जाती है और गौतम की बात का जवाब देते हुए कहती है..
रजनी गौतम का हाथ पकड़कर - ग़ुगु.. मैं जानती हूँ तू मुझे पसंद करता है.. तेरी आँखों मुझे सब नज़र आता है. इस उम्र में ये सब फीलिंगस आम बात है पर बेटा ज़ी, आप अपने उम्र की लड़कियों को फ्रेंड बनाओगे तो अच्छा रहेगा.. मुझसे कुछ नहीं मिलने वाला तुझे?
गौतम - दीदी मैंने कब कहा मुझे आपसे कुछ चाहिए? आपसे मिलना और बात करना अच्छा लगता है बस इसलिए वो सब कहा..
रजनी - अच्छा ठीक है बाबा.. कर दे व्हाट्सप्प.. मगर अगली बार लेट हुआ तो सजा मिलेगी.. मैं माफ़ नहीं करूंगी. समझा? कहते हुए रजनी ने गौतम को गले में हाथ डालके अपनी तरफ खींचा और उसके सर पर एक प्यार भरा चुम्मा देकर अपनी गाडी में बैठ गई, गौतम भी वही खड़ा हुआ रजनी को जाते हुए देखने लगा और तब देखा जब तक वो वहा से चली नहीं गई.. उसके बाद गौतम बाइक स्टार्ट करके वापस घर की तरफ चल दिया.. रजनी ने थाने जाकर रात में बिल्लू को पकड़ने की तयारी शुरु कर दी और रात होने का इंतजार करने लगी..
गौतम शाम के सात बजे घर पंहुचा तो उसने देखा की खाना बन चूका था और सुमन अकेली उदास अपने कमरे में एक तरफ लगे बेड पर बैठी कुछ सोच रही थी.. गौतम सुमन की उदासी समझ गया था वो सीधा सुमन के पास गया और उसे अपनी बाहों में भरकर एक किस उसके गाल पर करते हुए बोला..
गौतम - क्या हुआ माँ? आपका इतना प्यारा मुखड़ा बुझा हुआ लग रहा है, जैसे पूर्णिमा का खिला हुआ चाँद अमावस में बदल गया हो.. इतना कहकर गौतम ने अपनी माँ सुमन को गुदगुदी करना शुरु किया जिससे सुमन के उदास चेहरे पर मुस्कुराहट खिल गई और उसने गौतम को अपनी बाहों में लेकर उसका चेहरा जगह जगह चूमती हुई बोली..
सुमन - आ गया तू अपना काम करके?
गौतम - हम्म.. पर आप क्यू उदास हो? किसी ने कुछ कहा है?
सुमन - कोई कहने सुनने वाला है ही कहा घर में? बस एक तू ही है मेरा फूल सा बच्चा, मेरा कितना ख्याल रखता है.. कहते हुए सुमन ने गौतम के चेहरे को अपनी छाती से लगा लिया और उसके सर को चूमती हुई बालों में हाथ फेरने लगी..
गौतम सुमन के लाड प्यार का आदि था उसे जितना प्यार सुमन करती थी उतना कोई और नहीं कर सकता था.. गौतम का चेहरा सुमन ने जब अपनी छातियों में छुपा लिया तो गौतम सुमन के बदन की खुशबु से सराबोर हो गया.. उसके नाक में सुमन के बदन से उठती अलाहिदा खुशबु भरने लगी थी.. गौतम ने उसी तरह रहते हुए सुमन से पूछा?
गौतम - पापा आज भी लेट आएंगे?
सुमन - उनका फ़ोन आया था.. कह रहे थे तबादला हो गया है एक दूर के थाने में आज घर नहीं आ पाएंगे..
गौतम - अच्छा तो इसलिए मुंह उतरा हुआ है मेरी परी जैसी माँ का? पर मैं हूँ ना आपके पास आपका ख्याल रखने के लिए. आप फ़िक्र मत करो..
सुमन मुस्कुराते हुए गौतम के ललाट पर वापस चुम लेती है और उससे कहती है..
सुमन - देख रही हूँ बहुत मीठी मीठी बातें कर रहा अपनी माँ के साथ.. कुछ चाहिए तुझे?
गौतम - हां चाहिए ना.. आपके इन गुलाबी होंठों पर हंसी.. और इन कारी कारी काली कजरारी आँखों में चमक बस.. और कुछ नहीं..
सुमन - अच्छा ज़ी.. लगता है मेरा ग़ुगु सयाना हो चूका है.
गौतम - हां हो गया हूँ कोई शक है आपको..
सुमन - नहीं.. चल अब खाना खा ले.. भूख लगी होगी ना मेरे ग़ुगु को?
गौतम - हां बहुत तेज़ से लगी है.. मैं कपडे बदलकर आता हूँ..
गौतम सुमन की गोद से अपना सर उठाकर अपने कमरे में चला गया और कपडे बदल कर बाहर आ गया..
गौतम - क्या बात है माँ? आज कुछ ख़ास है? इतना सब बनाया है आपने?
सुमन - क्यू जब कुछ ख़ास होगा तभी मैं अपने ग़ुगु के लिए कुछ बनाउंगी? कहते हुए सुमन ने खाने की थाली गौतम को परोस दी और गौतम वही रसोई की पट्टी पर बैठके खाना खाने लगा..
सुमन - तू कल नॉनवेज खाने गया था? सुमन ने मुस्कुराते हुए पूछा..
गौतम हड़बड़ते हुए - नहीं तो आपको किसने कह दिया.. और पैसे कहा है मेरे पास जो मैं वो सब खाने जाऊँगा..
सुमन मुस्कुराते हुए - अच्छा ज़ी तो बिल तेरी जीन्स में कोई भूत डालके गया है..
गौतम ने पिछली रात जो अपने दोस्त आदिल के साथ नवाब के यहां बिरयानी खाई थी उसका बिल देते हुए सुमन ने फिर से गौतम से कहा..
सुमन - और नॉनवेज से साथ साथ अब ये बियर भी पीने लगे हो.. हम्म?
गौतम नज़र चुराते हुए - माँ वो मेरा दोस्त जबरदस्ती ले गया था बिरयानी खिलाने मैं तो जाना भी नहीं चाहता था. आप तो जानती हो मुझे. और सिर्फ एक बियर ही पी थी उससे ज्यादा नहीं..
सुमन - ग़ुगु.. तू जानता है ना तेरे पापा को. वो इन चीज़ो से कितना दूर रहते है. नॉनवेज और शराब के नाम से नफरत है उन्हे.. फिर भी तू चुपके ये सब करता है? अगर उन्हें पता चला तो वो बहुत दुखी होंगे..
गौतम - सॉरी माँ.. मैं जानता हूँ आप और पापा इन चीज़ो बहुत दूर रहते हो.. मैं भी खुदको दूर रखने की बहुत कोशिश करता हूँ पर मुझसे कंट्रोल नहीं हो पाता.. खाने की इच्छा कर जाती है..
सुमन - अच्छा.. ऐसा क्या ख़ास है उसमे जो इतनी इच्छा होती है तुम्हारी नॉनवेज खाने की?
गौतम - बोलकर कैसे बताऊ? कहीं आप खुद खाके देख लेना..
सुमन - छी.. बेशर्म कैसी बात कर रहा है.. इस घर में कभी नॉनवेज नहीं बनेगा. समझा..
गौतम - मैं बनाने के लिए थोड़ी कह रहा हूँ मैं खाने के लिए कह रहा हूँ.. एक बार नवाबवाले की बिरयानी खाके देखो बार बार खाने का मन करेगा..
सुमन - मैं यहां तुझे समझा रही थी और तू मुझे ही समझाने लगा.. मुझे नहीं खाना कुछ भी.. और आगे से तू भी इन चीज़ो से दूर रहना.. मैं नहीं चाहती मेरा ग़ुगु बिगड़ जाए..
गौतम खाने की प्लेट रखकर - अच्छा ठीक है मेरी समाज सुधारक माँ.. अब नहीं पिऊंगा बियर.. बस.. खुश अब तो?
सुमन - और नॉनवेज भी नहीं खायेगा कभी..
गौतम - हम्म्म्म.. कभी कभी तो खा सकता हूँ? प्लीज..
सुमन - अच्छा ठीक है पर तेरे पापा को पता नहीं चलना चाहिए..
गौतम - जैसा आप बोलो माँ.. ये कहते हुए गौतम ने सुमन के माथे पर एक हल्का सा प्यारा चुम्बन कर दिया और अपने रूम में चला गया, जहाँ वो अपना फ़ोन लेकर सुबह इंस्टा अकाउंट पर डाली हुई सुमन के गाने की रील्स का रिस्पांस देखने लगा..
उसने जो सुबह सुमन के गाने की तीन रील्स डाली थी उसे एक के बाद एक देखने लगा.. पहली और दूसरी रील्स पर कोई ख़ास रिस्पॉन्स नहीं आया रहा और व्यूज भी कम थे मगर तीसरी इंस्टा रील्स जो उसने डाल थी जिसमे सुमन की साड़ी का पल्लू थोड़ा नीचे सरका हुआ था और उसका हल्का सा क्लीवेज दिख रहा था उसपर अच्छा खासा रिस्पॉन्स था..
सुमन गा रही थी..
पहली-पहली बार मोहब्बत की है
कुछ ना समझ में आए, मैं क्या करूँ
इश्क़ ने मेरी ऐसी हालत की है
कुछ ना समझ में आए, मैं क्या करूँ
पहली-पहली बार मोहब्बत की है
कुछ ना समझ में आए, मैं क्या करूँ
इस रील पर 32 हज़ार व्यूज और 284 कमैंट्स आ चुके थे और अभी सिर्फ 10 घंटे हुए थे रील्स को डाले हुए.. उस रील के कारण अकाउंट को ढाई हज़ार लोगों ने फॉलो कर लिया था सुबह से अब तक..
गौतम ने रिस्पांस देखकर सोचा की अभी सुमन को ये बात बता दे मगर फिर जब उसने घर का काम ख़त्म करके बेड पर चैन से सोइ हुई अपनी माँ को देखा तो गौतम ने ये ख्याल सुबह के लिए टाल दिया और वापस अपने कमरे में आकर बिस्तर पर लेटते हुए रील्स पर आये कमैंट्स पढ़ने लगा..
1st कमेंट - भाभी ज़ी थोड़ा और नीचे पल्लू सरका दो तो मज़ा आ जाए..
2nd - uffff यार क्या आवाज है तुम्हारी लगता है रोज़ मुंह में लेती हो..
3rd - रंडी सिर्फ गाने मत सूना थोड़ा नाचके भी दिखा..
गौतम को अपनी माँ के लिए ऐसे ऐसे गंदे कमेंट पढ़कर बुरा लगा लेकिन ना जाने क्यू उसका लंड अपनेआप कमैंट्स पढ़ते हुए खड़ा हो गया और उसे कमैंट्स पढ़ने में अजीब सा अहसास होने लगा जो उसे हल्का मज़ा दे रहा था जिसे समझ नहीं पाया लेकिन उसे कमैंट्स पढ़ने का मन कर रहा था.. गौतम ने उठकर कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया और वापस बिस्तर में आकर कमैंट्स पढ़ने लगा..
4th - massage चेक करो..
गौतम ने मसेज बॉक्स चेक किया तो वहा कई लोगों के massage आये हुए थे जिसमे उसने कमैंट करने वाले का इनबॉक्स खोला.. उसमे लिखा रहा.. भाभी ज़ी फुल नाईट सर्विस चाहिए कितना चार्ज करती हो आप? हम 4 लोग है मैं 25 हज़ार दे सकता हूँ अगर आप चाहो तो.. अगर मिलना चाहो तो रिप्लाई देना.. होटल नाईटमून मैं..
गौतम massage पढ़ते हुए कब अपने लंड को बाहर निकलकर मसलने लगा उसे भी पता नहीं चला.. उसे अपनी माँ के लिए आये ये गंदे और भद्दे कमैंट्स पढ़ने में मज़ा आने लगा था.. एक के बाद एक उसने लगभग सारे कमेंट पढ़ डाले और massage को भी पढ़ लिया.. रात के दो बजे उसने सब करके अपने लंड पर नज़र डाली तो उसका लोडा छात की तरफ मुंह करके लोहे जैसा सख्त बनकर खड़ा था.. गौतम ने कुछ सोचा और फिर बेड के नीचे से एक कोने में उसने जो सिगरेट का पैकेट और लाइटर छीपा रखा था वो निकालकर अपना फ़ोन लिए बाथरूम में आ गया..
गौतम ने बाथरूम की दिवार पर बने छेद में फ़ोन को रखा और उसमे सुमन की वही रील चलाकर सिगरेट जला ली और पीते हुए अपनी माँ सुमन की रिल देखकर मुठ मारने लगा.. गौतम के अंदर की छिपी हुई हवस जाग चुकी थी और उसने सुमन को अपना निशाना बनाया था वो अपनी माँ की उसी रील को बार बार देखते हुए उसे चोदने की सोचने लगा और सिगरेट के कश लेटे हुए जोर जोर से अपना लंड मुठियाने लगा.. थोड़ी देर बाद उसका सारा माल बाथरूम की दिवार पर जा गिरा और उसके अजीब सा गिल्ट होने लगा.. गौतम ने फ़ोन बंद करके मुठ ओर पानी डाल दिया, सिगरेट को बाथरूम पोट में फ़्लश कर दिया और वापस बिस्तर में आके कुछ सोचने लगा...
गौतम को सुमन के ऊपर मुठ मारने का गिल्ट हो रहा था मगर उसे जो मज़ा आया था वो भी अद्भुत था जिसके आगे गिल्ट कमजोर पड़ रहा था.. अपनेआप से कुछ बात करते हुए वो कुछ गहरा सोचने लगा फिर नींद के हवाले हो गया..
सुबह जब गौतम की नींद खुली तो उसे रात की अपनी हरकत पर शर्म आ रही थी लेकिन साथ ही उसका मन सुमन की नई रील्स बनाकर इंस्टा अकाउंट पर डालने का भी कर रहा था. आज सुमन ने एक लाल रंग की महीन साडी पहनी थी और वो किसी अप्सरा की जैसी खूबसूरत और दिलकश लग रही थी.. गौतम ने सुबह सुबह रसोई में चाय बनाती अपनी माँ सुमन के पीछे से जाकर सुमन को अपनी बाहों में कस लिया और गाल पर एक kiss करते हुए बोला.. गुडमॉर्निंग माँ.. आज क्या बात है नई साडी.. कहीं बाहर जाने का इरादा है आपका?
सुमन ने गौतम को एक नज़र देखा और बिना उसकी बाहों से खुदको आजाद करवाये गौतम के kiss के जवाब में पलटकर उसके गाल पर kiss करती हुई बोली..
सुमन - मुझे अब बाहर ले जाने वाला है ही कौन? तु भी जब देखो मुझे घर में छोड़कर अकेला ही घूमता रहता है.. तुझे शर्म आती है अपनी माँ के साथ कहीं बाहर जाने में? बूढ़ी हो गई हूँ ना मैं.. अब तो तेरे पापा भी ज्यादा बात नहीं करते..
गौतम - मुझे क्यू शर्म आएगी वो आपके साथ. और हां आप अभी बूढ़ी नहीं हुई है.. आपको बूढ़े होने में अभी 50-60 साल और लगेंगे.. समझी? आपको कहाँ जाना है बोलो आज ही चलते है..
सुमन हस्ते हुए - चल झूठा कहीं का.. जब देखो मेरी झूठी तारीफ़ करता रहता है.. और मुझे कहीं बाहर नहीं जाना.. कहते हुए सुमन मुड़कर गैस ऑफ कर देती है और चाय छन्नी करने लगती है..
गौतम - माँ चलो गाना गाओ.. गौतम फ़ोन निकालकर वीडियो बनाते हुए बोलता है.. सुमन एक पुराना गाना गाने लगती है..
गौतम - ये नहीं कोई नया वाला.. और इधर देखो..
सुमन - अच्छा ठीक है..
सुमन नया गाना सुनाने लगती है.. गौतम जानबूझ कर चाय लेटे हुए सुमन की आँख बचाकर उसका पल्लू नीचे कर देता है जिससे सुमन का आधा ब्लाउज दिखाने लगता है और फिर गौतम उसी तरफ से सुमन के गाने के 3-4 वीडियो बना लेटा है और फिर चाय पीकर एडिटिंग करने लगता है.. सुमन के बूब्स देखकर गौतम का फिर से लंड अकड़ने लगता है और वो उन वीडियोस को इंस्टा पर रील्स बनाके डाल देता है..
तभी गौतम का फ़ोन बजने लगता है..
गौतम फ़ोन उठाकर- हेलो..
रूपा - कहा हो मेरे नन्हे मेहमान?
गौतम - मैं तो आपके दिल में हूँ..
रूपा - अच्छा ज़ी? सच कह रहे हो?
गौतम - हम्म्म... एक दम सच..
रूपा - मिलने का वादा था आज याद है?
गौतम - मैं कैसे भूल सकता हूँ?
रूपा - तो फिर आधे घंटे में झील के किनारे आ जाना नन्हे मेहमान अपना वादा निभाने..
गौतम - उससे पहले ही आ जाऊंगा मेरी रूपा मम्मी.. कहकर गौतम फ़ोन काट देता है और नहाने चला जाता है..
नहाने के बाद जब वो वापस आता है तो अपनी माँ सुमन को सामने खड़ा देकर हैरानी से कहता है..
गौतम - क्या माँ? कुछ चाहिए आपको?
सुमन - नहीं कुछ नहीं.. लाओ में तुम्हारे कपडे निकाल देती हूँ अलमारी से..
गौतम - रहने दो आप मुझे वही पीला गुलाबी पहना दोगी..
सुमन - ग़ुगु तू प्यारा लगता है पर उन रंगों में.
गौतम - माँ मुझे मर्द लगना है.. bachha नहीं..
सुमन जोर से हस्ती हुई कपडे निकालकर कहती है - बड़ा आया मर्द बनने वाला.. कुछ साल पहले तक तो मुझसे से चिपक के सोता था.. कहता था माँ मुझे अकेले सोने में डर लगता है और अब मर्द बनने का भूत चढ़ा है सर पर मेरे छोटे से ग़ुगु को..
गौतम - माँ 20 साल का हो गया हूँ मै.. ये ग़ुगु कहकर मत बुलाया करो.. और वापस ये लड़कियों वाला कलर निकाला है आपने..
सुमन - 20 साल का हो गया तो क्या माँ की बराबरी करेगा.. रहेगा तो मेरा ग़ुगु ही.. वैसे तुझ पर बहुत प्यारा लगेगा ये कलर पहन के देख..
गौतम - सिर्फ आपकी ख़ुशी के लिए पहन रहा हूँ.. वरना ऐसी शर्ट मुझे बिलकुल पसंद नहीं.. गौतम एक ब्लैक जीन्स और येल्लो चेक शर्ट पहन कर त्यार हो जाता है वही उसकी माँ वही बेड बैठकर कुछ सोचने लगती है..
आज पूर्णिमा थी और जैसा बाबाजी ने बताया था सुमन ने लाल कपडे पहने और अब वो अपने बेटे गौतम को अपना स्तनपान करवाना चाहती थी मगर गौतम से ये बात करते हुए उम्र के फेर ने उसे भी शर्माने पर मजबूर कर दिया था.. सुमन सोच रही थी की कैसे वो गौतम से ये बात करें तभी गौतम ने उदास गहरी सोच में डूबी होनी माँ को देखकर उसके पास आ गया और उससे पूछने लगा..
गौतम - क्या हुआ? मेरी बात का बुरा लग गया?
सुमन अपनी गहरी सोच के समंदर से उभरकर बाहर आ गयी और गौतम के प्यारे चेहरे को अपने दोनों हाथों से पकड़के अपने करीब ले आई और उसके दोनों गालो पर चुम्बन करके उसे देखने लगी और बोली..
सुमन - ग़ुगु.. एक बात करनी है पर तुम वादा करो नाराज़ नहीं होंगे अपनी माँ से और ना ही अपने पापा को इसके बारे में बताओगे..
गौतम - मैं कभी नाराज़ हुआ हूँ आपसे? और में किसी को कुछ नहीं बताने वाला.. अब बोलो क्या बात है? जिसको लेकर मेरी माँ के इतने प्यार चेहरे पर उदासी की ये चादर बिछी हुई है? हम्म?
सुमन मुस्कुराते हुए - ग़ुगु.. मैंने हमारे नये घर के लिए बाबाजी से कहा था और बाबाजी ने पर्चा दिया था.. उसमें बाबाजी ने लिखा था मुझे अपने प्यारे ग़ुगु को दूध पिलाना होगा..
गौतम - इतनी सी बात? लाओ दो दूध का गिलास मैं अभी पी लेटा हूँ..
सुमन - ग़ुगु.. ऐसे नहीं.. जैसे बचपन में पिलाती थी वैसे..
गौतम सुमन की बात सुनकर थोड़ा शर्मा जाता है..
गौतम - माँ आप होश में हो ना? मैंने कहा था उस पाखंडी के चक्कर में मत आओ.. उसके चक्कर में घर तो छोडो वो घर का दरवाजा भी नहीं मिलेगा.. हर बार अजीब अजीब तरकिब बताता है.. कभी क्या कभी क्या..
सुमन गौतम की बातें सुनते हुए उसका सर प्यार से अपनी गोद में रखकर उसे बेड पर लेटा देती है और गौतम के होंठों पर ऊँगली रखकर कहती है - ग़ुगु.. चुप.. अब कुछ नहीं बोलना.. इतना कहकर वो अपनी साड़ी का पल्लू हटाकर अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगती है.. अपनी माँ को ऐसा करते देखकर गौतम के गले का पानी सुख जाता है और एक टक सुमन के छाती पर उभरदार चुचो को देखने लगता है जिसे सुमन उसके सामने बेपर्दा कर रही थी.. सुमन का जोबन अभी ढीला नहीं पड़ा था ये बात गौतम को सुमन के तने हुए चुचे देखकर समझा आ गई थी उसने भी शर्म और झिझक छोड़ने का मन बना लिया था.. सुमन ने ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए और फिर ब्रा को ऊपर करके अपने एक बोबे को गौतम के मुंह में देकर बोली - ग़ुगु.. लो.. पिलो..
गौतम ने बिना देर किया बोबा मुंह में ले लिए और उसके गुलाबी निप्पल्स चूसने लगा.. वही गौतम का मुंह लगते ही सुमन के सारे बदन में करंट दौड़ गया और वो गौतम का सर जोर से पकड़के अपना बोबा चुसवाने लगी.. गौतम किसी प्यासे की तरह अपनी माँ सुमन के निप्पल्स चाट चाट के चूस रहा था और मौका मिलने पर दांतो से भी काट रहा था जिसपर सुमन गौतम को कुछ नहीं कह रही थी और अपने बोबे चुसवाते हुए गौतम को देखकर जो सुख उसे मिल रहा था उसका आनंद ले रही थी..
सुमन ने एक के बाद दूसरा बोबा भी उसी तरफ गौतम को चूसने के लिए दे दिया जिसे भी गौतम छाव से चूसने लगा.. दोनों को जो मज़ा आ रहा था उसमे उन्हें पता ही नहीं चला की ये सब करते हुए आधा घंटा बीत चूका है..
सुमन की नज़र जब टेबल के किनारे पड़े सिगरेट के पैकेट और लाइटर पर गई तब उसने अपना बोबा गौतम के मुंह से बाहर निकाल लिया और गुस्सा दिखाते हुए बोली - ग़ुगु.. तू सिगरेट पिने लगा है?
गौतम स्वर्गलोग से कब गिरा था उसे मालूम नहीं पड़ा.. वो अचानक से सुमन के मुंह से ये बात सुनकर हक्का बक्का रह गया और सुमन को देखते हुए बोला - माँ.. वो मेरी नहीं है.. किसी और की है गलती है मेरे पास रह गई..
दरवाजे पर किसी के आने की दस्तक हुई तो सुमन ने अपनी ब्रा नीचे करके ब्लाउज के बटन बंद कर लिए और पल्लू ठीक करके खड़ी हो गई.. गौतम भी सुमन के साथ ही बेड से खड़ा हुआ, दरवाजे से जगमोहन की आवाज सुनाई दी.. सुमन ने सिगरेट का पैकेट और लाइटर अपने ब्लाउज में डालके छुपा लिया और कमरे से बाहर जाने लगी..
गौतम - माँ पापा से मत कहना प्लीज..
सुमन - ठीक है कुछ नहीं कहूँगी पर तू ये आदते छोड़ दे ग़ुगु..
गौतम सुमन का हाथ पकड़कर - thanks माँ.. वैसे बाबाजी को भी thanks कहना.. सुमन गौतम की बात का मतलब समझ गई और झूठा गुस्सा दिखाते हुए बोली..
सुमन - चल हट बदमाश कहीं का.. मार खायेगा मुझसे..
गौतम सुमन के गाल चूमता हुआ - आप सिर्फ बोलती हो.. आज तक कभी थप्पड़ भी मारा है मुझे? बाहर से जितनी सख्त बनती हो अंदर उतनी ही नाजुक सी हो..
सुमन - तुझे दर्द देने के लिए थोड़ी पैदा किया है मैंने.. चल अब हट तेरे पापा देख लेंगे तो चिल्लायेंगे..
सुमन जब जाने लगती है गौतम उसका हाथ पकड़ लेटा है और प्यार से करीब आकर कहता है - माँ आई लव यू.. आप बहुत प्यारी हो..
सुमन - लव यू तो बच्चा.. चल अब छोड़ मुझे..
सुमन कमरे से चली जाती है जगमोहन से कहती है..
सुमन - चाय बना दू..
जगमोहन कपडे बदलते हुए - हां..
सुमन चाय बनाने रसोई में आ जाती है गौतम जूते पहनकर घर से भर चला जाता है और बाइक स्टार्ट करके झील की तरफ चल देता है..