Update 51
सुमन घर दरवाजा खोलकर - जी?
डिलीवेरी एजेंट - मैडम आपका प्रोडक्ट रिसीव कर लीजिये..
सुमन - मैंने कुछ नहीं मंगवाया.. ग़ुगु.. ग़ुगु.. कुछ मंगवाया था क्या तूने?
गौतम आते हुए - हाँ टीवी आया होगा माँ.. भईया इसे इनस्टॉल भी करना था ना..
डिलीवेरी एजेंट - जी ये लड़का आया है कहा इनस्टॉल करवाना है बता दो..
गौतम - अंदर ले आओ भईया.. इस तरफ..
गौतम लड़के को घर के मुख्य रूम जो सुमन और गौतम का बैडरूम था वहा ले आता है और बेड के ठीक सामने वाली दिवार पर टीवी इनस्टॉल करने को कहता है..
सुमन - इतना बड़ा टीवी क्यों मंगवाया है ग़ुगु?
गौतम - मूवी देखने के लिए..
लड़का - भईया थोड़ा मदद करना..
गौतम - हां..
गौतम - टीवी को बेड के ठीक सामने दिवार ओर लगवा लेता है और लड़का टीवी on करके चला जाता है..
सुमन बाहर दरवाजा बंद करके आती है और कहती है - कितना बड़ा है...
गौतम - 65 इंच का है 4के क्लियर..
सुमन - कितने का है?
गौतम - 80 हज़ार...
सुमन - क्या.. इतना महंगा? तूने बुआ का एटीएम इस्तेमाल किया ना?
गौतम - क्या फर्क पड़ता है माँ.. एटीएम में इतने पैसे पड़े है.. बुआ फिर कहती और चाहिए तो बताना.. और शिकायत करती है तू कुछ खर्च ही नहीं करता..
सुमन - पर ग़ुगु इतने बड़े टीवी का क्या करेंगे?
गौतम टीवी से फ़ोन और 2 इयरबड्स कनेक्ट करके एक सुमन के कानो में लगाता है और दूसरे इयरबड्स को अपने दोनों कानो में लगा लेता है और कहता है - मूवी देखेंगे सुमन.. लाइट ऑफ कर दे..
सुमन कमरे की लाइट्स ऑफ करके बेड पर आ जाती है जहा से टीवी अँधेरे में किसी सिनेमा हॉल के बड़े परदे की तरह दीखता है..
सुमन - ये किसी सिनेमा हॉल जैसा लगता है गौतम..
गौतम सुमन की साड़ी का पल्लू पकड़कर खींचते हुए सुमन की साडी उतारता हुआ - माँ यार घर में साड़ी मत पहना करो..
सुमन - साड़ी क्यों उतार रहा है तू.. मैं अभी नहीं देने वाली समझा.. अभी भी दर्द है मेरी चुत में.. परसो इतना कस कस के किया था तूने अब जब तक वापस पहले जैसी नहीं होती मैं नहीं देने वाली..
गौतम साड़ी उतार कर कमरे में रखे सोफे ओर फेंकते हुए - यार सुमन तू भी नखरे करने लगी..
सुमन - अब नखरे समझ या कुछ और.. मेरे दर्द होता है.. 1-2 दिन और सब्र कर...
गौतम टीवी पर mom son पोर्न मूवी प्ले कर देता है...
सुमन - ये क्या है?
गौतम - मूवी है..
सुमन - इंग्लिश मूवी है?
गौतम सुमन को बाहों में लेकर - हाँ..
सुमन गौतम के साथ मूवी देखने लगती है...
गौतम - आगे देखना बहुत कुछ होगा..
सुमन - ये कौन है?
गौतम - वो माँ है ये बेटा.. बेटा माँ के birthday पर घर आया है और पापा बाहर है..
सुमन - छी... ये तो वो वाली मूवी है...
गौतम - छी तो ऐसे कर रही हो जैसे बड़ी सती सावित्री हो..
सुमन - ये सब देखने के लिए टीवी लिया ना तूने.. बेशर्म..
गौतम लंड निकाल कर - अच्छा... संस्कारी दुनिया के सामने बनना माँ.. मेरे सामने नाटक मत करो.. चलो चुत में नहीं लेना तो मुंह में लेकर खुश करो अपने पतिदेव को..
सुमन गुस्से से लंड पर मुंह लगाती हुई - कमीने तुझे हाँ करनी ही नहीं चाहिए थी मुझे..
गौतम सुमन के बाल पकड़ कर मुंह में लंड घुसते हुए - उसको देखो कैसे चूस रही है तू भी चूस अच्छे से.. Blowjob में मज़ा आना चाहिए..
सुमन लंड चुस्ती हुई - कुसुम पसंद आई तुझे?
गौतम - हाँ.. शादी के लिए परफेक्ट है.. अच्छा है अपनी बहन मिल गई.. वरना कब से दुसरो की माँ बहन चोद रहा था..
सुमन - कमीने होने वाली बीवी है तेरी.. और चचेरी बहन..
गौतम - माँ अलग है तो क्या हुआ.. बाप तो एक ही है... और सास तो गज़ब ही है.. मानसी चाची भी मस्त माल है..
सुमन - दूर रहना.. समझा.. मेरे साथ रहना तो सबसे दूर रहना पड़ेगा.. बोला था याद है ना..
गौतम कल रात का सोचकर हसते हुए - हाँ याद है मेरी माँ.. चूस अब अच्छे से...
सुमन - गले तक तो ले रही हूँ और क्या करू.. तू भी ना..
गौतम पोर्न देखते हुए सुमन से blowjob ले रहा था की उसे बाबाजी की बात याद आ गई..
गौतम - माँ..
सुमन लंड चुस्ती हुई - हम्म...
गौतम - कल मेरे दोस्त टूर पर जा रहे है.. मैं भी चला जाऊ अगर बोलो तो?
सुमन - मुझे अकेला छोड़कर जाएगा ग़ुगु?
गौतम - अरे आप कुछ दिन मामा के यहां चले जाओ ना.. तीन महीने बाद कुसुम आ जायेगी और वो तो ऐसी है की गले में पट्टा डालके रखेगी मेरे.. ना कहीं जाने देगी ना किसी से मिलने बस गले लगा के रखेगी.. आप समझो ना.. मैं कभी गया भी कहीं.. कुछ दिनों की बात है.. इंडिया के कुछ शहर ही है.. 20-25 दिन में आ जाएंगे..
सुमन - और मेरा क्या होगा? मैं कैसे इतने दिन रह पाउंगी तेरे बिना?
गौतम - देखो पति भी हूँ तुम्हारा.. मान जाओ वरना आज चुत से जाओगी..
सुमन जुल्फे कान के पीछे करके मुंह में लंड लेती हुई - ठीक है शहजादे.. चले जाना कल...
गौतम सुमन के मुंह में झड़ते हुए - thanks माँ...
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गौतम बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह कहे मुताबिक पहाड़ी के पीछे उसकी कुटीया के करीब आ गया..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - आ गए बेटा..
गौतम - जी बाबाजी.. आपका जैसे ही फ़ोन आया मैं तुरंत दौड़ा चला आया..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - इतना बड़ा बेग?
गौतम - हाँ आपने कहा था ना कुछ दिनों के लिए कही जाना है जरुरी सामान लेकर आउ.. तो इसमें सब है.. मेरे कपडे जूते टूथपेस्ट ब्रश शैम्पू इत्र कुछ दवाइया लाइटर सिगरेट दो शराब की बोतल भी है..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह एक पिस्तौल देते हुए - उस सबसे ज्यादा तुझे इसकी जरुरत पड़ेगी.. 18 राउंड फायर करती है इसके दो और मैगज़ीन है.. लो..
गौतम - इसकी क्या जरुरत? जंग पर थोड़ी भेज रहे हो आप मुझे..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - नहीं.. जंग पर नहीं.. तुम्हारे पिछले जन्म में...
गौतम चौंकते हुए फिर हंसकर - क्या? पिछला जन्म? बाबाजी आपने बहुत मदद की है पर ऐसा मज़ाक़ तो ना करो..
बैरागी जो वीरेंद्र सिंह के पास खड़ा था मगर गौतम को नहीं दिख रहा था वो अपना रूप और अस्तित्व गौतम को दिखाते हुए गौतम के सामने प्रकट होकर कहता है - ये मज़ाक़ लग रहा है तुम्हे?
गौतम इस बार हैरानी अचरज से - बैरागी...
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - हाँ गौतम.. ये वही बैरागी है जिसे तूने सपने में देखा था..
गौतम गौर से बड़े बाबाजी को देखकर - वीरेंद्र सिंह?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - हाँ सही पहचाना..
गौतम - मतलब जो भी मैंने देखा वो सही और सत्य था.. ऐसा असल में हो चूका है...
बैरागी - सही कहा हाक़िम..
गौतम - हाक़िम?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - पिछले जन्म में यही नाम था तुम्हारा बेटा.. तुम एक बंजारा काबिले के सरदार लाखा की बेटी मुन्नी के बेटे थे.. डाकी ने तुम्हारे नाना लाखा की जान लेकर तुम्हारी माँ मुन्नी और मौसी शीला को अपनी रखैल बना लिया था.. और तुम्हे काबिले से बाहर निकाल फेंका था..
गौतम जिज्ञासा से - और मैंने कुछ नहीं किया?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - नहीं..
गौतम गुस्से से - इतना चुतिया था मैं पिछले जन्म में?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - तुम डरपोक और कमजोर थे गौतम..
बैरागी - हाक़िम..जब तुम पिछले जन्म में जाओगे तो मुझसे मिलने महल आ जाना.. और मुझे ये ताबीज़ दिखाकर मुझसे वो जदिबूटी लेकर वापस इस जन्म में आ जाना.. इसके अतिरिक्त और कुछ करोगे तो मुसीबत में पड़ जाओगे..
गौतम - ये क्या ताबीज़ है?
बैरागी - ये वही ताबिज़ है जो मृदुला ने मेरे गले में बाँधा था.. ये तुम्हारे गले में होगा तो तुम्हे चोट पहुंचाने वाला सुरक्षित नहीं रह पायेगा..
गौतम - अच्छा बाबाजी.. एक सवाल है.. पिछले जन्म में जाने के बाद मेरा वापस छोटा तो नहीं होगा ना..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह हसते हुए - पिछले जन्म में तेरा शरीर जैसा था जैसा ही रहेगा.. मगर तू फ़िक्र मत कर.. उसी पेड़ से कुछ जामुन तोड़ कर इस बैग में रखकर साथ लेजा..
गौतम जामुन तोड़कर ले आता है और बेग में रख लेता है..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - अब चल..
गौतम चलता हुआ - कहा.. पैदल चलाकर जाना है पिछले जन्म में?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह हसते हुए - नहीं
गौतम - तो कैसे जाऊंगा?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - आगे उस झील को देख रहा है..
गौतम - बहुत बार देख चूका हूँ.. ऊपर बैठकर यही तो देखता था..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - एक ऐसी झील वहा भी होगी.. और एक ऐसा बड़ का पेड़ भी.. तू इस बेग को इस पेड़ के नीचे गाड दे.. ये सामान अपने आप वहा पहुंच जाएगा...
गौतम - और मैं कैसे पहुँचूँगा? मुझे मत गाड देना बाबाजी..
बैरागी - तुमको गड़ना नहीं पड़ेगा हाक़िम.. डूबना पड़ेगा..
गौतम - कहा?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - उस झील में.. जैसे तुम वहा जा रहे हो वैसे ही तुम वापस भी आओगे..
गौतम - झील में डुबकी लगाने से पिछले जन्म में पहुंच जाएगा मेरा शरीर?
बैरागी - शरीर नहीं केवल आत्मा.. इस जन्म की आत्मा पिछले जन्म के शरीर में पहुंच जायेगी और पिछले जन्म के शरीर की आत्मा तुम्हारे इस शरीर में..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - हाँ गौतम..
गौतम - तो मेरे इस शरीर में पुराने जन्म की आत्मा आ जायेगी और पुराने जन्म के शरीर में इस जन्म की आत्मा चली जायेगी... अच्छा है.. अगर ऐसा हो तो आप पिछले जन्म की आत्मा आने पर मेरे गाल पर दो थप्पड़ मार दीजियेगा.. बोलना मैंने ही कहा था मारने को..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - तू चिंता मत मैं उसे कमजोर से ताकतवर और डरपोक से निडर बना दूंगा..
गौतम - थप्पड़ जरुरत मारना.. साला इसी लायक है..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - ठीक है अब तुम इस पेड़ के नीचे खड्डा खोद दो और ये सारा सामान उसमे रखकर दफ़न कर दो..
गौतम - ठीक है अभी रख देता हूँ.. पर मैं सबको पहचानुगा कैसे?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - तुमने सबको देखा है सिवाये अपने कबीले के.. वो लोग तुझे अपने आप पहचान लेंगे..
गौतम - और वो जदिबूटी कैसे लानी है?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - जिस तरह ये सामान जारहा है वैसे ही जड़ी बूटी भी यहां आ जायेगी.
गौतम - मतलब पेड़ के नीचे खड्डा खोद कर.
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - हाँ बेटा... तुम जो भी पेड़ के नीचे गाड दोगे वो यहां आ जाएगा.. मगर एक से ज्यादा कुछ नहीं गाड़ना वरना सब बर्बाद हो जाएगा.. और सिर्फ जाडीबूती आना कुछ और मत ले आना..
गौतम - एक आखिरी बात..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - जो कुछ है पूछ..
गौतम - क्या मैं समर और लीलावती को बचा सकता हूँ आपसे?
बैरागी - मैंने कहा ना हाक़िम.. तुम सिर्फ मुझसे वो जड़ी बूटी लेकर वापस आओगे और कुछ करने की आवश्यकता नहीं है.. वरना सब ख़त्म हो जाएगा.. जल्दी ही मेरे पास आना वरना सब ख़त्म हो जाएगा..
गौतम - ठीक है.. बेचारे के लिए बुरा लगा.. इसलिए पूछ लिया..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - याद रखना गौतम.. यहां तुम्हारा वापस आना कितना जरुरी है और तुम्हारा इंतजार कौन कर रहा है..
गौतम - मैं भी जल्दी से वापस आ जाऊंगा जदिबूटी लेकर.. वहा मुझे मिलेगा ही क्या?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - बेटा.. हर कदम सोचकर उठाना..
गौतम - मतलब?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - मतलब.. मोह बंधन है..
गौतम - तो? मुझे क्यों बता रहे हो बाबाजी.. मैं जानता हूँ ये बात..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - कहीं भूल मत जाना गौतम..
गौतम - मैं नहीं भूलूंगा बाबाजी..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - प्रेम और मोह से दूर रहना..
गौतम - मैं जिनसे प्रेम करता हूँ वो इस जन्म है.. वहा मैं किससे प्रेम करूँगा?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - मन चंचल होता है.. प्रेम अविरल..
गौतम - हिंदी में बताओगे? आप क्या बोल रहे हो?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - मैं ये कहना चाहता हूँ गौतम कि वहा तुम्हे किसी से प्रेम या मोह हो सकता है.. इसलिए तुम्हे अपने मन पर काबू रखना जरुरी है...
गौतम - जैसा आप कहो.. अगर मिलेगी तो घोड़ी बनाऊंगा.. दिल नहीं लगाउँगा..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - यही तुम्हारे और तुम से सम्बंधित लोगों के लिए सही होगा..
गौतम - वैसे तो मैंने खासी, जुखाम, बुखार, सरदर्द, बदन दर्द, और नींद की गोली रख ली है फर्स्ट ऐड किट भी है और तो कोई और दवा रखने की जरुरत तो नहीं है ना
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - अचेत करने की दवा भी रख लेते..
गौतम - अचेत मतलब बेहोश ना? अरे वो भी है.. मेडिकल से सारी दवा लेके आया था.. साला दे नहीं रहा था.. एक्स्ट्रा पैसे देने पड़े..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह हड़ते हुए - मेरी कही एक एक बात याद रखना गौतम.. तुम्हे जदिबूती लेकर शीघ्र से शीघ्र वापस आना होगा..
गौतम - शाम तक आ जाऊंगा बाबाजी.. आप टेंशन मत लो..
बैरागी - कौन से दिन की शाम हाक़िम?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - गौतम ये एक दिन में होने वाला कार्य नहीं है.. तुम्हे महल में घुसना पड़ेगा.. और आसानी से तुम महल में नहीं घुस सकते ना ही बैरागी से मिल सकते हो..
गौतम - अरे मैं कोई ना कोई उपाए ढूंढ़ लूंगा बाबाजी.. बेफिक्र रहो.
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - आज अमावस है और तुम अगली अमावस को ही लौट पाओगे.. सिर्फ उस दिन ही आया जा सकता है जब आसमान पर चाँद नहीं हो.. अब तुम झील में उतर जाओ गौतम..
गौतम - बहुत बार ऊपर से देखा है मैंने इस झील को.. और सोचा था की कभी इसे नजदीक से देखूंगा.
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - आज देख लो..
गौतम - हां बाबाजी.. देखने के बाद उतरना भी है..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - बिना कपड़े पहनें उतरना होगा गौतम..
गौतम हैरानी से - नंगा जाऊंगा? कोई देख लिया तो..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - यही नियम है गौतम.. ये झील आम नहीं है.. उल्काओ के विस्फोट से उसका निर्माण हुआ है और आयामों के बीच का मार्ग बनाती है.. वस्त्र पुरे शरीर को बांधता है..
गौतम - ठीक है.. नंगा जाता हूँ..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - अब जाओ..
गौतम - एक मिनट.. मेरा फ़ोन...
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - वहा तुम्हारे इस फ़ोन का क्या काम बेटा?
गौतम - समझा करो बाबाजी.. बहुत काम है... मैं इसे उस खड्डे में गाड के आता हूँ..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - जैसा तुम चाहो..
गौतम फ़ोन गाड़ के आ जाता है..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - अब जाओ..
गौतम - जा रहा हूँ..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - क्या सोच रहे हो..
गौतम - कुछ नहीं बाबाजी.. बस भूक लग रही है.. वहा खाने को क्या क्या मिलेगा?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - कुछ नहीं.. जो तुम यहां खाते हुए वो सब वहा नहीं मिलेगा..
गौतम - फिर?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - जो पहले खाया जाता था वही मिलेगा.. उसके अतिरिक्त फल खाने को मिलेंगे..
गौतम - फिर तो वापस जाना पड़ेगा बाबाजी.. बेग में खाने का सामान भी लाना पड़ेगा..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - सूर्यास्त होने से पहले तुमको पिछले जन्म में जाना पड़ेगा गौतम.. आज अमावस है इसके बाद एक माह तक और प्रतीक्षा करनी होगी..
गौतम - अभी सूर्यास्त होने में बहुत टाइम है बाबाजी.. मैं यूँ जाके यूँ आ जाऊंगा.. पेट का सवाल है समझा करो..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - ठीक है शीघ्र करो...
गौतम वापस चला जाता है और 2 घंटे बाद वापस आता है तो एक बड़ी बोरी में सामान भरके लाता है और कहता है - बाबाजी रेडी..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - इसे ले जाना है तो खड्डा खोदकर गाड़ना पड़ेगा..
गौतम - इतना बड़ा खड्डा खोदना पड़ेगा?
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - हाँ..
गौतम खड्डा खोदने लगता है - बाबाजी थोड़ी हेलप करदो..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - तुम्हे जाना है तुमको खोदना पड़ेगा..
गौतम खड्डा खोदते हुए - ठीक है..
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - जल्दी... सूर्यास्त होने वाला है..
गौतम - हो गया बस.. लो गाड दिया.
बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह - अब जाओ.. और जदिबूती लेकर ही आना.. यदि तुम विफल हुए तो तुम जानते हो क्या होगा...
गौतम झील में जाते हुए - हाँ.. आप और बैरागी की मुक्ति नहीं हो पाएगी और आप बाकी बचे 500 सालों तक यूँ ही रहोगे..
ये कहकर गौतम झील में उतर जाता है...