Bas ab suhagrat se pehle, ritu ki chut me gautam ka lund chala jaye to chain se mar sakunga. Yahi ichha adhoori reh gyi hUpdate 26
गौतम जब नीचे आया दूल्हे औऱ दुल्हन का खाना लग चूका था.. आरती ने गौतम का हाथ पकड़ कर उसे भी अपने साथ खाने की मेज पर बैठा लिया औऱ बोली..
आरती - क्यों देवर ज़ी.. आज तो अपनी भाभी से मिलने की फुर्सत ही नहीं मिली आपको.. कितना ढूंढा पर आप कभी यहां तो कभी वहा.. आज तो हवा की तरह बह रहे थे.. अब पकड़ में आये हो..
कोमल - अरे आरती क्यों तंग रही है ग़ुगु को..
सुमन भी खाने की टेबल पर बैठी थी उसने कोमल से कहा - अरे भाभी.. आप देवर भाभी के बीच क्यों बोलती हो.. अब आरती अपने देवर से हंसी मज़ाक़ नहीं करेंगी तो किस्से करेंगी.. आपसे?
आरती - सही कहा बुआ.. औऱ देवर जब इतना प्यारा हो तो मज़ाक़ के साथ साथ औऱ भी बहुत कुछ करना पड़ता है..
आरती की बात पर सब हँसने लगते है..
गौतम - भाभी छोडो मुझे.. मुझे दीदी के साथ बैठके खाना है आज.. बहुत सताया है मैंने दीदी को..
(गौतम उठकर ऋतू के साथ वाली कुर्सी पर बैठकर) दीदी जीजा ज़ी के हाथ से बाद में खाना पहले मेरे हाथ से खाओ..
ऋतू मुस्कुराते हुए गौतम का गाल चूमकर - ग़ुगु.. सच में बहुत सताया तूने मुझे..
गौतम - मैंने जितना सताया उसका बदला आप ससुराल जाकर जीजाजी को सताकर पूरा कर लेना..
ऋतू हसते हुए गौतम को गले लगा कर - मेरा प्यारा भाई..
कोमल - अब खाना भी खालो.. दोनों भाई बहन क्या बात ही करते रहोगे..
गौतम - हाँ मामी.. मुझे तो बहुत भूख लगी है..
आरती - ऋतू जरा राहुल ज़ी को भी तो खिला अपने हाथो से..
सुमन - अब तो इसे सारी उम्र यही करना है आरती..
आरती - ये सच कहा बुआ आपने.. अब तो देवर ज़ी बचे है.. उनके लिए भी लड़की देखनी पड़ेगी..
गौतम - आप हो ना भाभी.. कोई औऱ लड़की देखने की क्या जरुरत है..
आरती - देख रही हो बुआ.. पहले तो बोलने से भी बात नहीं करता था.. अब केसे कैंची की तरह जुबान चलाने लगा है आपका ग़ुगु..
सुमन खाना खाते हुए - तुम अपनी देवर भाभी की बातों में मुझे मत खींचो..
गौतम - दीदी ये स्वाद है.. इसे लो ना..
आरती - देवर ज़ी हमें भी दे दो क्या स्वाद बना है.. आप तो अपनी दीदी से ही चिपके हुए हो..
गौतम अपनी जगह से उठकर आरती के पास जाता है औऱ एक निवाला उसे खिलाकर कहता है- लो कहा लो.. बस?
कोमल - अब तो खुश हो आरती? देवर ने अपने हाथों से भी खिला दिया..
आरती - मैं कल ही खुश हो गई थी देवर ज़ी से मम्मी ज़ी..
गौतम आरती को देखता हुआ - मतलब?
आरती - कल देवर ज़ी आपने गन्ने का जूस पिलाया था ना.. उसके बारे में बात कर रही हूँ..
गायत्री - जूस तो ग़ुगु ने आज मुझे भी पिलाया था..
कोमल - आप दोनों से पहले ग़ुगु मेरे पास आया था.. जूस लेकर.. मुझे तो दो दो बार पिलाया था.. जूस पीते पीते ही तो मेरे पैर में मोच आई थी..
संजय - ग़ुगु.. ये क्या बात हुई सिर्फ अपनी नानी मामी औऱ भाभी को ही तुमने जूस पिलाया.. हमसे क्या दुश्मनी है तुम्हारी?
गौतम - मामाजी.. वो एक ही गन्ना था.. बेचारे से कितना जूस निकालता.. मैंने तो अभी तक माँ औऱ ऋतू दीदी को भी नहीं पिलाया..
सुमन - छोडो ना भईया.. क्या गन्ने के पीछे पड़ गए सब लोग.. आज हमारी ऋतू कितनी प्यारी लग रही है..
गौतम - माँ सही कह रही हो.. दीदी तो बिलकुल चाँद जैसी लग रही है..
ऋतू - चाँद तो तू है.. मेरा प्यारा सा ग़ुगु..
सुमन - अब ये प्यार अपने पति को करना ऋतू.. भाई को नहीं.
ऋतू - बुआ.. बड़ी मुश्किल से ग़ुगु मुझसे बात करने लगा है औऱ आप कह रही हो प्यार ना करू.. ग़ुगु को तो मैं बहुत प्यार करुँगी.. शादी होने से बदल थोड़ी जाउंगी..
गौतम खड़ा होता हुआ - मेरा तो खाना हो गया..
कोमल - इतनी जल्दी?
गौतम - औऱ भूख नहीं है मामी.. ये कहते हुए गौतम हॉल से बाहर निकल कर बाथरूम की तरफ चला जाता है..
गौतम बाथरूम करके बाथरूम के बाहर खड़ा हो जाता है औऱ सिगरेट सुलगा कर पहला कश लेता ही है की पीछे से आरती आकर उसे अपनी बाहों में भर लेती है..
आरती - आज तो बहुत तड़पाया आपने देवर ज़ी..
गौतम मुड़कर आरती की बाहों से अपने आप को छुड़वाता है औऱ आरती का हाथ पकड़कर कहता है..
गौतम - भाभी यहां कोई देख लेगा.. इस तरफ आओ..
गौतम आरती को बाथरूम के दाई तरफ हलवाई के लिए बने कमरे के पीछे खाली जगह ले आता है.. जहा हलकी सी रौशनी के अलावा कुछ नहीं था..
आरती गौतम से सिगरेट लेकर कश मारती हुई - बताओ देवर ज़ी.. अपना लंहगा मैं उठाउ या इतनी मेहनत आप खुद कर लोगे?
गौतम लुहंगा उठाते हुए - देवर के होते हुए भाभी मेहनत करें.. ये तो गलत बात है..
गौतम अपनी पेंट चड्डी सहित नीचे करके अपने लंड को आरती की चुत में डाल देता है औऱ दिवार से लगा कर धीरे धीरे आरती को चोदने लगता है..
आरती सिगरेट के कश लगाती हुई चुदते चुदते कहती है - देवर ज़ी आप तो जोनी सिंन्स के भी बाप हो.. आप चले जाओगे तो कैसे ज़ी पाउंगी मैं आपके बिना..
गौतम चोदते हुए - अब तो आना जाना लगा ही रहेगा भाभी.. क्यों चिंता करती हो..
आरती सिगरेट का कश लेकर अँधेरे में किसीको खड़ा देखकर - कौन? कौन है तू?
एक 25-30 साल का दुबला पतला सीधा साधा आदमी - ज़ी.. मैं बिरजू..
आरती गुस्से में - क्या कर रहा है चुतिया यहां खड़ा खड़ा.. निकल यहां से..
गौतम - अरे रुक रुक.. इधर आ..
बिरजू - ज़ी..
गौतम आरती का बोबा पकड़कर चूसते हुए - लड़की मस्त है ना..
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बिरजू आरती को देखकर हाँ में सर हिलता है ..
गौतम - ये पीछे कमरे में कौन है?
बिरजू धीरे से - कोई नहीं है.. मैं अकेला रहता हूँ.. लोन की देखरेख करता हूँ..
गौतम - देख बिरजू ये मेरी भाभी है.. औऱ मैं इसे तसल्ली से चोदना चाहता हूँ.. कोई जगह है तो बता.. तेरी तनख्वाह बढ़वा दूंगा..
आरती बिरजू का लंड उसके पज़ामे के बाहर से पकड़ कर सिगरेट का कश लेती हुई - देखो बिरजू भईया.. मुझे अपनी बहन समझो.. औऱ इनको अपने जीजाजी.. आपकी बहन आपके जीजाजी से चुदना चाहती है.. अंदर कमरे में कोई गद्दा वद्दा पड़ा है जिसपर आपकी ये बहन आराम से चुदवा सके तो बता दो..
बिरजू - गद्दा तो नहीं है.. एक खाट पड़ी है बस..
गौतम आरती से सिगरेट लेकर एक कश मारता है औऱ सिगरेट फेंककर बिरजू से कहता है - चल दिखा..
बिरजू गौतम औऱ आरती को पीछे कमरे में ले आता है जहा धीमी रौशनी वाला बल्ब जल रहा था औऱ एक पुरानी खाट पर चटाई बिछी हुई थी..
गौतम ने आरती को खाट पर बिठा दिया औऱ अपनी शर्ट निकालता हुआ बिरजू को एक 500 का नोट देकर बोला - बाहर जाकर खड़ा रह.. मैं तेरी ये बहन चोद ना दू तब तक कोई अन्दर नहीं आना नहीं चाहिए.. समझा..
बिरजू बाहर चला जाता है औऱ खिड़की से अंदर झांकने लगता है वही गौतम आरती को खाट पर लेटा कर लहंगा उठाते हुए अपना लोडा आरती की चुत में फिट करके आरती को चोदने लगता है...
गौतम के झटको पर आरती जोर जोर से खुलकर आहे भरने लगती है औऱ बाहर बिरजू आरती की कामुक सिस्कारिया सुनकर अपना लंड हिला कर मुठ मारने लगता है...
आरती - आह्ह..देवर ज़ी यही रह जाओ ना.. मेरे पास.. बहुत प्यार दूंगी आपको.. अपनी इस चुत में घुसा के रखूंगी..
गौतम - आपके पास रह जाऊँगा भाभी तो आपकी उन बहनो का क्या होगा जो अपनी टाँगे चौड़ी करके मेरे इंतजार में लेटी है..
आरती - अब तक कितनी लड़कियों को दीवाना बना चुके हो देवर ज़ी?
गौतम चोदते हुए - लड़किया नहीं भाभी ऑन्टीया.. औऱ उनकी तो गिनती करनी पड़ेगी..
आरती चुदवाते हुए - देवर ज़ी सिगरेट..
गौतम चोदते हुए - पेंट में है भाभी..
आरती आवाज लगाते हुए - बिरजू भईया.. ओ बिरजू भईया..
बिरजू एक बार झड़ चूका था औऱ अब दूसरी बार लंड हिला रहा था.. आरती की आवाज सुनकर वो लंड पजामे में डालाकर अंदर आ गया.
बिरजू चुदवाती हुई आरती को देखकर - ज़ी दीदी..
आरती चुदवाते हुए प्यार से- बिरजू भईया.. आपके जीजाजी की पेंट वहा पड़ी है उसमे से सिगरेट का पैकेट औऱ लाइटर दो अपनी इस बहन को..
बिरजू गौतम की पेंट से दोनों चीज निकालकर आरती को दे देता है औऱ जाने लगता है तभी गौतम चोदते हुए कहता है..
गौतम - बिरजू यही बैठा जा.. किसी औऱ चीज की भी जरुरत पड़ सकती है..
आरती एक सिगरेट सुलगाकर बिरजू से - बिरजू भईया आप पिओगे सिगरेट?
बिरजू नीचे सर करके - मैं नहीं पिता दीदी..
आरती सिगरेट का कश लेकर गौतम से चुदवाते हुए - देखो ना बिरजू भईया आपके जीजाजी अपकी बहन को कैसे चोद रहे है.. आप बच्चाओगे नहीं अपनी बहन को चुदने से..
गौतम धीरे धीरे चोदते हुए - बिरजू तो तिरछी नज़रो से आपके बूब्स देख रहा है.. लगता आपके दोनों कबूतर देखने की इच्छा है बिरजू की..
आरती सिगरेट पीते हुआ - सच में बिरजू भईया? अब देखो मैं चोली तो उतार नहीं सकती आप चोली के ऊपर से ही मेरे बूब्स दबाना चाहो तो दबा लो..
गौतम - ले भाई बिरजू.. दे दीं परमिशन तुझे.. दबा ले अपनी बहन के बोबे..
बिरजू खाट के पास ही बैठा था उसने डरते हुए अपना रखा हाथ आरती के चुचे पर रख दिया औऱ धीरे से दबा दिया..
आरती सिगरेट के कश लेकर मुस्कुराती हुई - डर क्यों रहे हो बिरजू भईया.. खुलके दबाओ अपनी बहन के बोबे..
गौतम - दबा ना बिरजू.. क्यों शर्मा रहा है..
बिरजू पूरी ताक़त से आरती का बोबा अपने पंजे में लेकर मसल देता है जिससे आरती की आह निकल जाती है..
गौतम बिरजू से - मज़ा आया?
बिरजू - ज़ी..
आरती सिगरेट पीती हुई - इतना भी जोर से मत दबाओ बिरज्जू भईया थोड़ा धीरे..
गौतम - बोल बिरजू है ना मस्त मोटा बोबा तेरी बहन का..
बिरजू मुस्कुराते हुए - ज़ी भईया..
गौतम चोदते हुए - बिरजू ये बड़े घर की बेटी है इनके बोबे औऱ भोसड़े दोनों बड़े होते है..
आरती झड़ चुकी थी औऱ अब गौतम भी कुछ ही झटको में आरती की चुत में झड़ गया..
आरती गौतम के सर को पकड़कर चूमने लगती है..
दोनों का चुम्बम ख़त्म होने पर गौतम खाट से खड़ा हो जाता है मगर आरती गौतम के रुमाल से अपनी चुत साफ करने लगती है..
गौतम चुपचाप बैठे हुए बिरजू को धीरे धीरे पज़ामे के ऊपर से अपना लंड मसलता देखकर - चोदेगा क्या बिरजू अपनी बहन को?
बिरजू शर्माते हुए कोई जवाब नहीं देता औऱ आरती उसे देखकर हँसने लगती है औऱ खाट से खड़ी होती हुई कहती है - बेचारा.. चलो देवरजी.. लगता है फेरे शुरू होने वाले है..
गौतम - हाँ भाभी.. आप जाओ.. मैं थोड़ी देर में आता हूँ..
आरती जाते हुए - ठीक है.. बाय बिरजू भईया..
आरती वहा से चली जाती है...
बिरजू - भईया ज़ी भाभी बहुत खूबसूरत है..
गौतम - तू अकेला ही रहता है यहां..
बिरजू - ज़ी भईया ज़ी..
गौतम - सुन.. रात में हो सकता है मैं औऱ भी किसी लड़की को यहां लेके आउ.. तू जागता रहना आज रात..
बिरजू - भईया ज़ी आप चिता मत करिये मैं पूरी रात जागता रहूँगा.. आप चाहे जितनी लड़की यहां ले आइये..
गौतम - साले लड़की के सामने जुबान नहीं खुली तेरी अब कैसे पक पक बोल रहे है.
बिरजू - वो भईया ज़ी.. मैं लड़की के सामने थोड़ा शरमाता हूँ.
गौतम - अबे शर्माना लड़कियों का काम है.. अच्छा याद रखना रात को आ सकता हूँ..
बिरजू - चिंता मत करिये भईया ज़ी.. आप कभी भी आइये.. हम जागते रहेंगे..
SexyBhai kya likhate ho bhai ....Aap ke lekhani ka me diwana baan Gaya hu saach kehta hu main....aam taaor me muze lesbian fun pasand nahee aate hai but yaha pe jo aap ne likha hain vo outstanding hai
Aur thank you Ashu kee Padma ke liye
Abhee Page number 90 pe hu
Jaha paana tusi great ho toufa kabul Karo .
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाUpdate 26
गौतम जब नीचे आया दूल्हे औऱ दुल्हन का खाना लग चूका था.. आरती ने गौतम का हाथ पकड़ कर उसे भी अपने साथ खाने की मेज पर बैठा लिया औऱ बोली..
आरती - क्यों देवर ज़ी.. आज तो अपनी भाभी से मिलने की फुर्सत ही नहीं मिली आपको.. कितना ढूंढा पर आप कभी यहां तो कभी वहा.. आज तो हवा की तरह बह रहे थे.. अब पकड़ में आये हो..
कोमल - अरे आरती क्यों तंग रही है ग़ुगु को..
सुमन भी खाने की टेबल पर बैठी थी उसने कोमल से कहा - अरे भाभी.. आप देवर भाभी के बीच क्यों बोलती हो.. अब आरती अपने देवर से हंसी मज़ाक़ नहीं करेंगी तो किस्से करेंगी.. आपसे?
आरती - सही कहा बुआ.. औऱ देवर जब इतना प्यारा हो तो मज़ाक़ के साथ साथ औऱ भी बहुत कुछ करना पड़ता है..
आरती की बात पर सब हँसने लगते है..
गौतम - भाभी छोडो मुझे.. मुझे दीदी के साथ बैठके खाना है आज.. बहुत सताया है मैंने दीदी को..
(गौतम उठकर ऋतू के साथ वाली कुर्सी पर बैठकर) दीदी जीजा ज़ी के हाथ से बाद में खाना पहले मेरे हाथ से खाओ..
ऋतू मुस्कुराते हुए गौतम का गाल चूमकर - ग़ुगु.. सच में बहुत सताया तूने मुझे..
गौतम - मैंने जितना सताया उसका बदला आप ससुराल जाकर जीजाजी को सताकर पूरा कर लेना..
ऋतू हसते हुए गौतम को गले लगा कर - मेरा प्यारा भाई..
कोमल - अब खाना भी खालो.. दोनों भाई बहन क्या बात ही करते रहोगे..
गौतम - हाँ मामी.. मुझे तो बहुत भूख लगी है..
आरती - ऋतू जरा राहुल ज़ी को भी तो खिला अपने हाथो से..
सुमन - अब तो इसे सारी उम्र यही करना है आरती..
आरती - ये सच कहा बुआ आपने.. अब तो देवर ज़ी बचे है.. उनके लिए भी लड़की देखनी पड़ेगी..
गौतम - आप हो ना भाभी.. कोई औऱ लड़की देखने की क्या जरुरत है..
आरती - देख रही हो बुआ.. पहले तो बोलने से भी बात नहीं करता था.. अब केसे कैंची की तरह जुबान चलाने लगा है आपका ग़ुगु..
सुमन खाना खाते हुए - तुम अपनी देवर भाभी की बातों में मुझे मत खींचो..
गौतम - दीदी ये स्वाद है.. इसे लो ना..
आरती - देवर ज़ी हमें भी दे दो क्या स्वाद बना है.. आप तो अपनी दीदी से ही चिपके हुए हो..
गौतम अपनी जगह से उठकर आरती के पास जाता है औऱ एक निवाला उसे खिलाकर कहता है- लो कहा लो.. बस?
कोमल - अब तो खुश हो आरती? देवर ने अपने हाथों से भी खिला दिया..
आरती - मैं कल ही खुश हो गई थी देवर ज़ी से मम्मी ज़ी..
गौतम आरती को देखता हुआ - मतलब?
आरती - कल देवर ज़ी आपने गन्ने का जूस पिलाया था ना.. उसके बारे में बात कर रही हूँ..
गायत्री - जूस तो ग़ुगु ने आज मुझे भी पिलाया था..
कोमल - आप दोनों से पहले ग़ुगु मेरे पास आया था.. जूस लेकर.. मुझे तो दो दो बार पिलाया था.. जूस पीते पीते ही तो मेरे पैर में मोच आई थी..
संजय - ग़ुगु.. ये क्या बात हुई सिर्फ अपनी नानी मामी औऱ भाभी को ही तुमने जूस पिलाया.. हमसे क्या दुश्मनी है तुम्हारी?
गौतम - मामाजी.. वो एक ही गन्ना था.. बेचारे से कितना जूस निकालता.. मैंने तो अभी तक माँ औऱ ऋतू दीदी को भी नहीं पिलाया..
सुमन - छोडो ना भईया.. क्या गन्ने के पीछे पड़ गए सब लोग.. आज हमारी ऋतू कितनी प्यारी लग रही है..
गौतम - माँ सही कह रही हो.. दीदी तो बिलकुल चाँद जैसी लग रही है..
ऋतू - चाँद तो तू है.. मेरा प्यारा सा ग़ुगु..
सुमन - अब ये प्यार अपने पति को करना ऋतू.. भाई को नहीं.
ऋतू - बुआ.. बड़ी मुश्किल से ग़ुगु मुझसे बात करने लगा है औऱ आप कह रही हो प्यार ना करू.. ग़ुगु को तो मैं बहुत प्यार करुँगी.. शादी होने से बदल थोड़ी जाउंगी..
गौतम खड़ा होता हुआ - मेरा तो खाना हो गया..
कोमल - इतनी जल्दी?
गौतम - औऱ भूख नहीं है मामी.. ये कहते हुए गौतम हॉल से बाहर निकल कर बाथरूम की तरफ चला जाता है..
गौतम बाथरूम करके बाथरूम के बाहर खड़ा हो जाता है औऱ सिगरेट सुलगा कर पहला कश लेता ही है की पीछे से आरती आकर उसे अपनी बाहों में भर लेती है..
आरती - आज तो बहुत तड़पाया आपने देवर ज़ी..
गौतम मुड़कर आरती की बाहों से अपने आप को छुड़वाता है औऱ आरती का हाथ पकड़कर कहता है..
गौतम - भाभी यहां कोई देख लेगा.. इस तरफ आओ..
गौतम आरती को बाथरूम के दाई तरफ हलवाई के लिए बने कमरे के पीछे खाली जगह ले आता है.. जहा हलकी सी रौशनी के अलावा कुछ नहीं था..
आरती गौतम से सिगरेट लेकर कश मारती हुई - बताओ देवर ज़ी.. अपना लंहगा मैं उठाउ या इतनी मेहनत आप खुद कर लोगे?
गौतम लुहंगा उठाते हुए - देवर के होते हुए भाभी मेहनत करें.. ये तो गलत बात है..
गौतम अपनी पेंट चड्डी सहित नीचे करके अपने लंड को आरती की चुत में डाल देता है औऱ दिवार से लगा कर धीरे धीरे आरती को चोदने लगता है..
आरती सिगरेट के कश लगाती हुई चुदते चुदते कहती है - देवर ज़ी आप तो जोनी सिंन्स के भी बाप हो.. आप चले जाओगे तो कैसे ज़ी पाउंगी मैं आपके बिना..
गौतम चोदते हुए - अब तो आना जाना लगा ही रहेगा भाभी.. क्यों चिंता करती हो..
आरती सिगरेट का कश लेकर अँधेरे में किसीको खड़ा देखकर - कौन? कौन है तू?
एक 25-30 साल का दुबला पतला सीधा साधा आदमी - ज़ी.. मैं बिरजू..
आरती गुस्से में - क्या कर रहा है चुतिया यहां खड़ा खड़ा.. निकल यहां से..
गौतम - अरे रुक रुक.. इधर आ..
बिरजू - ज़ी..
गौतम आरती का बोबा पकड़कर चूसते हुए - लड़की मस्त है ना..
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बिरजू आरती को देखकर हाँ में सर हिलता है ..
गौतम - ये पीछे कमरे में कौन है?
बिरजू धीरे से - कोई नहीं है.. मैं अकेला रहता हूँ.. लोन की देखरेख करता हूँ..
गौतम - देख बिरजू ये मेरी भाभी है.. औऱ मैं इसे तसल्ली से चोदना चाहता हूँ.. कोई जगह है तो बता.. तेरी तनख्वाह बढ़वा दूंगा..
आरती बिरजू का लंड उसके पज़ामे के बाहर से पकड़ कर सिगरेट का कश लेती हुई - देखो बिरजू भईया.. मुझे अपनी बहन समझो.. औऱ इनको अपने जीजाजी.. आपकी बहन आपके जीजाजी से चुदना चाहती है.. अंदर कमरे में कोई गद्दा वद्दा पड़ा है जिसपर आपकी ये बहन आराम से चुदवा सके तो बता दो..
बिरजू - गद्दा तो नहीं है.. एक खाट पड़ी है बस..
गौतम आरती से सिगरेट लेकर एक कश मारता है औऱ सिगरेट फेंककर बिरजू से कहता है - चल दिखा..
बिरजू गौतम औऱ आरती को पीछे कमरे में ले आता है जहा धीमी रौशनी वाला बल्ब जल रहा था औऱ एक पुरानी खाट पर चटाई बिछी हुई थी..
गौतम ने आरती को खाट पर बिठा दिया औऱ अपनी शर्ट निकालता हुआ बिरजू को एक 500 का नोट देकर बोला - बाहर जाकर खड़ा रह.. मैं तेरी ये बहन चोद ना दू तब तक कोई अन्दर नहीं आना नहीं चाहिए.. समझा..
बिरजू बाहर चला जाता है औऱ खिड़की से अंदर झांकने लगता है वही गौतम आरती को खाट पर लेटा कर लहंगा उठाते हुए अपना लोडा आरती की चुत में फिट करके आरती को चोदने लगता है...
गौतम के झटको पर आरती जोर जोर से खुलकर आहे भरने लगती है औऱ बाहर बिरजू आरती की कामुक सिस्कारिया सुनकर अपना लंड हिला कर मुठ मारने लगता है...
आरती - आह्ह..देवर ज़ी यही रह जाओ ना.. मेरे पास.. बहुत प्यार दूंगी आपको.. अपनी इस चुत में घुसा के रखूंगी..
गौतम - आपके पास रह जाऊँगा भाभी तो आपकी उन बहनो का क्या होगा जो अपनी टाँगे चौड़ी करके मेरे इंतजार में लेटी है..
आरती - अब तक कितनी लड़कियों को दीवाना बना चुके हो देवर ज़ी?
गौतम चोदते हुए - लड़किया नहीं भाभी ऑन्टीया.. औऱ उनकी तो गिनती करनी पड़ेगी..
आरती चुदवाते हुए - देवर ज़ी सिगरेट..
गौतम चोदते हुए - पेंट में है भाभी..
आरती आवाज लगाते हुए - बिरजू भईया.. ओ बिरजू भईया..
बिरजू एक बार झड़ चूका था औऱ अब दूसरी बार लंड हिला रहा था.. आरती की आवाज सुनकर वो लंड पजामे में डालाकर अंदर आ गया.
बिरजू चुदवाती हुई आरती को देखकर - ज़ी दीदी..
आरती चुदवाते हुए प्यार से- बिरजू भईया.. आपके जीजाजी की पेंट वहा पड़ी है उसमे से सिगरेट का पैकेट औऱ लाइटर दो अपनी इस बहन को..
बिरजू गौतम की पेंट से दोनों चीज निकालकर आरती को दे देता है औऱ जाने लगता है तभी गौतम चोदते हुए कहता है..
गौतम - बिरजू यही बैठा जा.. किसी औऱ चीज की भी जरुरत पड़ सकती है..
आरती एक सिगरेट सुलगाकर बिरजू से - बिरजू भईया आप पिओगे सिगरेट?
बिरजू नीचे सर करके - मैं नहीं पिता दीदी..
आरती सिगरेट का कश लेकर गौतम से चुदवाते हुए - देखो ना बिरजू भईया आपके जीजाजी अपकी बहन को कैसे चोद रहे है.. आप बच्चाओगे नहीं अपनी बहन को चुदने से..
गौतम धीरे धीरे चोदते हुए - बिरजू तो तिरछी नज़रो से आपके बूब्स देख रहा है.. लगता आपके दोनों कबूतर देखने की इच्छा है बिरजू की..
आरती सिगरेट पीते हुआ - सच में बिरजू भईया? अब देखो मैं चोली तो उतार नहीं सकती आप चोली के ऊपर से ही मेरे बूब्स दबाना चाहो तो दबा लो..
गौतम - ले भाई बिरजू.. दे दीं परमिशन तुझे.. दबा ले अपनी बहन के बोबे..
बिरजू खाट के पास ही बैठा था उसने डरते हुए अपना रखा हाथ आरती के चुचे पर रख दिया औऱ धीरे से दबा दिया..
आरती सिगरेट के कश लेकर मुस्कुराती हुई - डर क्यों रहे हो बिरजू भईया.. खुलके दबाओ अपनी बहन के बोबे..
गौतम - दबा ना बिरजू.. क्यों शर्मा रहा है..
बिरजू पूरी ताक़त से आरती का बोबा अपने पंजे में लेकर मसल देता है जिससे आरती की आह निकल जाती है..
गौतम बिरजू से - मज़ा आया?
बिरजू - ज़ी..
आरती सिगरेट पीती हुई - इतना भी जोर से मत दबाओ बिरज्जू भईया थोड़ा धीरे..
गौतम - बोल बिरजू है ना मस्त मोटा बोबा तेरी बहन का..
बिरजू मुस्कुराते हुए - ज़ी भईया..
गौतम चोदते हुए - बिरजू ये बड़े घर की बेटी है इनके बोबे औऱ भोसड़े दोनों बड़े होते है..
आरती झड़ चुकी थी औऱ अब गौतम भी कुछ ही झटको में आरती की चुत में झड़ गया..
आरती गौतम के सर को पकड़कर चूमने लगती है..
दोनों का चुम्बम ख़त्म होने पर गौतम खाट से खड़ा हो जाता है मगर आरती गौतम के रुमाल से अपनी चुत साफ करने लगती है..
गौतम चुपचाप बैठे हुए बिरजू को धीरे धीरे पज़ामे के ऊपर से अपना लंड मसलता देखकर - चोदेगा क्या बिरजू अपनी बहन को?
बिरजू शर्माते हुए कोई जवाब नहीं देता औऱ आरती उसे देखकर हँसने लगती है औऱ खाट से खड़ी होती हुई कहती है - बेचारा.. चलो देवरजी.. लगता है फेरे शुरू होने वाले है..
गौतम - हाँ भाभी.. आप जाओ.. मैं थोड़ी देर में आता हूँ..
आरती जाते हुए - ठीक है.. बाय बिरजू भईया..
आरती वहा से चली जाती है...
बिरजू - भईया ज़ी भाभी बहुत खूबसूरत है..
गौतम - तू अकेला ही रहता है यहां..
बिरजू - ज़ी भईया ज़ी..
गौतम - सुन.. रात में हो सकता है मैं औऱ भी किसी लड़की को यहां लेके आउ.. तू जागता रहना आज रात..
बिरजू - भईया ज़ी आप चिता मत करिये मैं पूरी रात जागता रहूँगा.. आप चाहे जितनी लड़की यहां ले आइये..
गौतम - साले लड़की के सामने जुबान नहीं खुली तेरी अब कैसे पक पक बोल रहे है.
बिरजू - वो भईया ज़ी.. मैं लड़की के सामने थोड़ा शरमाता हूँ.
गौतम - अबे शर्माना लड़कियों का काम है.. अच्छा याद रखना रात को आ सकता हूँ..
बिरजू - चिंता मत करिये भईया ज़ी.. आप कभी भी आइये.. हम जागते रहेंगे..