tom riddle
Noob Writer & Fantasizer
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Aisa har baar na badho likes ka rateUpdate 33
गौतम सुबह उठा तो उसने सबसे पहले किशोर कुमार के पुराने गाने लगा कर कान में इयर बड्स लगा लिए औऱ ब्रश करता हुआ बाथरूम में आ गया.. टट्टी करने इंग्लिश पोट पर बैठकर गौतम फ़ोन चलाते हुए फ़ोन देख ही रहा था उसे कल आदिल की बात याद आई औऱ उसने व्हाट्सप्प खोल लिया फिर आदिल के भेजे फोटो देखने लगा..
जैसे ही गौतम ने आदिल की व्हाट्सएप मैसेज पर भेज़ी हुई तस्वीर देखी और उनमें किसी जोड़े की शादी को देखा तो वह हैरत में पड़ गया और अपना सर को खुजाते हुए उसने आदिल को फोन कर दिया...
गौतम ने आदिल से तस्वीर के बारे में पूछताछ की और आदिल ने जवाब दिया कि कल जब वो अपने दोस्त मोनू (फोटोग्राफर) की दुकान पर गया था तब उसने दुकान पर यह तस्वीर देखी.. औऱ वही से इन तस्वीरों की पिक लेकर उसे massage किया..
गौतम ने आगे औऱ कुछ पूछा तो आदिल ने जवाब दिया की ये तस्वीर मोनू ने परसो खींची थी जब उसे एक आदमी ने बुलाया था.. किसी पुराने धार्मिक जगह पर ये शादी हुई थी औऱ गिनती के 3-4 लोग ही उसमे शामिल थे..
गौतम ने फ़ोन रख दिया औऱ फ्रेश होकर बाहर आ गया उसने सबसे पहले रूपा को फ़ोन किया औऱ कहा...
(रूपा 41)
गौतम चिड़चिड़े पन से - ये क्या मज़ाक़ है?
रूपा - अच्छा तो तुम्हे खबर मिल गई? ये मज़ाक़ नहीं है नन्हे शैतान..
गौतम - माँ को पता चलेगा तो क्या होगा पता है ना?
रूपा - जो भी हो.. अब मैं कुछ नहीं कर सकती..
गौतम - तुम भी ना उड़ते तीर लेती हो.. अब संभालना माँ को आपको ही..
रूपा - मैं देख लुंगी.. तुम मत बताना..
गौतम - बताने के लिए ये कोई ख़ुशी खबर थोड़ी है.. आपने भी ना काण्ड कर दिया फालतू में.. पापा ही मिले थे आपको शादी करने के लिए..
रूपा - अच्छा ये सब छोड़.. ये बता तू केसा है..
गौतम - अब तक ठीक था पर आपने जो बम फोडा है उसके बाद सर दर्द होने लगा है..
रूपा हसते हुए - तू जल्दी से मेरे पास आजा मेरे नन्हे शैतान फिर मैं प्यार से तेरा सर दबाकर तेरा सर दर्द दूर कर दूंगी..
गौतम - हम्म्म..
रूपा - अपना ख्याल रखना नन्हे शैतान..
गौतम - ख्याल तो आप अपना रखना मम्मी.. जब से बाबाजी के पास होके आई हो एक बार भी मुझे अपनी गुफा में घुसने नहीं दिया.. इस बार कोई बहाना नहीं चलेगा..
रूपा - इस बार तुझे जो करना हो कर लेना मेरे नन्हे शैतान.. पर जल्दी से आजा बहुत दिन हो गए तुझे देखे हुए...
गौतम - रखता हूँ मम्मी.. कोई बुला रहा है..
रूपा - बाय गौतम..
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(माधुरी 36)
माधुरी - रूपा तुमने ये अच्छा नहीं किया.. किसी की मज़बूरी का फ़ायदा उठाना सही नहीं है..
रूपा - मैंने कहा किसी की मज़बूरी का फ़ायदा उठाया है माधुरी? मैंने तो बस एक सौदा किया था जगमोहन के साथ.. तुम भी तो राजी थी उसके लिए..
माधुरी - मैं राजी हुई क्युकी मेरे पास औऱ कोई रास्ता नहीं बचा था.. अगर तुम्हारी शर्त नहीं मानती तो जगमोहन को जेल हो जाती औऱ ये घर भी नीलाम हो जाता.. मैं सडक पर आ जाती..
रूपा - जगमोहन जुए में लाखों रुपए हार गया औऱ फिर रिश्वत लेते भी पकड़ा गया तो इसमें मेरी क्या गलती माधुरी? मैंने तो मदद करने की पेशकश की.. तुमने औऱ जगमोहन दोनों ने इसे माना था..
माधुरी - पर मैं ये नहीं समझ पा रही कि तुमने जगमोहन से शादी क्यों की? उसके पास ऐसा क्या है जो तुम्हे चाहिए.. मैंने बताया था तुम्हे कि वो अब किसी काम का नहीं.. ना उसके पासवर्ड कुछ ऐसा है जो तुम्हे वो दे सकता है..
रूपा - मुझे जगमोहन से सिर्फ उसकी पत्नी होने का दर्जा चाहिए था माधुरी.. वो मुझे मिल चूका है.. अब मुझे औऱ किसी की जरुरत नहीं..
माधुरी - बहुत अजीब बात है रूपा.. तुमने ऐसे आदमी से शादी की जो अब नामर्द बन चूका है औऱ तुम खुश भी हो.. तुमने जगमोहन की नोकरी बचाई उसे जेल जाने से बचाया औऱ अब इस घर पर बाकी लोन भी चुकाने को तैयार हो.. मैं तुम्हे समझ नहीं पास रही..
रूपा - माधुरी मैं तुम्हारे साथ इस घर में तुम्हारी बड़ी बहन बनकर रह सकती हूँ.. हमें आपस में लड़ने झगड़ने की जरुरत नहीं है.. मैं तुम्हे एक सच्चाई बताना चाहती हूँ..
माधुरी - कैसी सच्चाई रूपा?
रूपा - माधुरी मैंने जगमोहन से शादी इसलिए नहीं की कि मुझे जगमोहन पसंद है या मैं तुम्हारे साथ इस घर में रहना चाहती हूँ.. मेरे जगमोहन से शादी करने का कारण गौतम है.. मैं गौतम सको एक माँ औऱ एक प्रेमिका दोनों का प्यार देना चाहती हूँ..
माधुरी - ये क्या कह रही हो रूपा.. तुम होश में तो हो? गौतम बस एक बच्चा है.. जब उसे इसका पता लगेगा तो वो क्या सोचेगा तुम्हारे बारे में.. औऱ सुमन? सुमन तो तुम्हारी जान ही ले लेगी.. गौतम पर सिर्फ सुमन का अधिकार है..
रूपा - देखो माधुरी.. मैं जानती हूँ कि तुम भी गौतम के साथ उसी तरह रहना चाहती हो जैसे कि मैं.. मैंने कल तुम्हारी औऱ गौतम कि बाते सुनी थी औऱ मैं जानती हूँ तुम भी गौतम से वैसा ही रिश्ता रखना चाहती हो जैसा मैं रखना चाहती हूँ.. मुझसे तुम्हे कुछ छिपाने की जरुरत नहीं है.. हम दोनों मिलकर गौतम का हर तरह से ख्याल रख सकते है.. औऱ रही बात सुमन की तो उसे किसी भी तरह हमें समझाना पड़ेगा कि वो गौतम के साथ यहां हमारे साथ आकर रहे..
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माधुरी - ये तुम क्या बोले जा रही हो रूपा.. सुमन कभी ऐसा नहीं करेगी..
रूपा - सब होगा माधुरी.. मैं तुम औऱ सुमन तीनो इस घर में एक साथ गौतम की माँ बनकर रहेंगी.. सुमन के पीठ पीछे हम गौतम को माँ के साथ साथ उसकी प्रेमिकाएं बनकर भी उसका ख्याल रखेंगी..
माधुरी कुछ देर सोचकर - क्या ये सच में हो सकता है रूपा? क्या ऐसा मुमकिन है? क्या गौतम हम दोनों के साथ वैसा रिश्ता रखेगा?
रूपा - हाँ माधुरी.. ऐसा जरुर होगा.. अब किसी तरह बस सुमन को यहां रहने के लिए राजी करना होगा.. मुझे पता है जब वो तुमपर गुस्सा है औऱ जब मेरी औऱ जगमोहन की शादी के बारे में जानेगी तब मुझपर भी गुस्सा होगी.. मगर हमें किसी भी तरह उसे मनाना होगा..
माधुरी कुछ देर ठहर कर - ठीक है रूपा.. मैं तैयार हूँ.. आज से हम दोनों बहने बनकर रहेंगी.. सुमन को मनाने में मैं तुम्हारी हर तरह से मदद करूंगी..
रूपा माधुरी के गले लगते हुए - मैं जानती थी माधुरी तुम जरुरत मेरी बात मान जाओगी..
माधुरी भी रूपा को गले लगाकर - बहन.. मैं तुम्हारे साथ हूँ.. तुम्हारी तरह मैं भी गौतम के बिना नहीं रह सकती..
रूपा - मैं समझ सकती हूँ माधुरी.. गौतम ने मेरी तरह तुम्हे भी अपना दीवाना बना दिया है..
माधुरी - उसकी क्या गलती रूपा.. उसके प्यारा सा चेहरा मीठी बातें औऱ मर्दानगी किसी को भी अपना गुलाम बना सकती है..
रूपा - सच में माधुरी..
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गायत्री - कुछ दिन औऱ रुक जाती सुमन..
सुमन - माँ.. आप तो जानती है वहा कितना काम पड़ा है? ग़ुगु के आखिरी एग्जाम भी आने वाले है..
गौतम सीढ़ियों से नीचे उतरता हुआ - उनमे अभी समय है माँ.. हम 2-3 दिन औऱ नानी के साथ रह सकते है..
आरती मुस्कुराते हुए - अब तो आप खुश है बुआ.. मेरे देवर ज़ी ने भी रुकने के लिए हामी भर दी है..
गौतम आरती को देखकर - अब आपने ख्याल ही इतना रखा है मेरा.. आपका कहा कैसे टाल सकता हूँ..
गायत्री - सुमन अब तो हमारे ग़ुगु ने भी कह दिया है अब तो रुकना ही पड़ेगा तुझे कुछ औऱ दिन मेरे साथ..
सुमन - पर माँ..
संजय - पर वर कुछ नहीं सुमन.. रुकना है तो रुकना है.. समझी?
(कोमल 42)
कोमल - अरे शबनम.. कहा मर गई तू..
(शबनम 30)
शबनम - आई मालकिन..
कोमल - कल से देख रही हूँ तू आहूत कामचोरी करने लगी है..
शबनम - नहीं मालकिन वो पैर में हलकी सी मोच आ गई थी इसलिए थोड़ा धीरे चल रही हूँ..
संजय - अब तेरे भी मेरो में मोच आ गई? माँ पता नहीं क्या हो रहा है? पहले कोमल फिर आरती बहु औऱ आपके मोच आई अब इस शबनम के भी मोच आ गई..
सुमन गौतम को देखकर - पत्थर की जगह पहाड़ से जाकर टकरायेगी तो मोच तो आएगी ना भईया..
संजय - मतलब सुमन?
सुमन - कुछ नहीं भईया.. सबको कहो देखकर चले.. मोच नहीं आएगी..
शबनम सबको चाय देते हुए गौतम के पासवर्ड आकर - ग़ुगु भईया चाय..
गौतम चाय लेते हुए धीरे से शबनम को - thanks मालकिन..
शबनम मुस्कुराते हुए वापस रसोई में चली जाती है..
चेतन बाहर से हॉल में आते हुए - पापा जीजाजी का फ़ोन आया था.. वो ऋतू को लेकर आने ही वाले है..
गौतम - कल विदाई हुई थी आज वापस भी आ रहे है..
गायत्री हसते हुए - ग़ुगु.. विदाई के बाद दुल्हन को पगफेरे की रसम के लिए वापस अपने माइके आना होता है..
सुमन - रहने दो माँ.. अंग्रेजी स्कूल में जाकर इसे ये सब रस्म औऱ रीवाज ढकोसला लगने लगा है..
कोमल गौतम का गाल चूमते हुए - ऐसा क्यों कहती हो सुमन.. मेरा ग़ुगु तो कितना प्यारा है.. शादी वाले दिन मेरे ग़ुगु के सामने कोई औऱ नहीं नज़र ही नहीं आ रहा था.. चादन सा है मेरा ग़ुगु..
सुमन से कोमल जलते हुए - इतना लाड प्यार करने की जरुरत नहीं है भाभी.. ये पहले ही बहुत बिगड़ चूका है औऱ मत बिगाडो इसे..
कोमल - अरे बिगड़ना तो रईसो का शोक रहा है.. अब मेरा ग़ुगु जवानी में नहीं बिगड़ेगा तो कब बिगड़ेगा?
सुमन को कोमल से अब औऱ जलन होने लगी थी औऱ समझ रही थी कोमल क्या करने की कोशिश कर रही है उसने कहा - रहने दो भाभी.. मेरा ग़ुगु कोई रईस नहीं है..
कोमल गौतम के बाल सहलाते हुए - ऐसा क्यों कहती हो सुमन.. इतना सब तुम्हारे भईया ने जो कमाया है उसे खर्च करने वाला भी तो कोई चाहिए... ग़ुगु नहीं करेगा तो कौन करेगा? आखिरी ग़ुगु भी इसी घर का बेटा है..
सुमन से इस बारहा ना गया तो उसने कहा - मैं औऱ मेरा ग़ुगु जिस हाल मैं है खुश है भाभी.. आपको अगर आपके पैसे उड़ाने के लिए कोई वारिश चाहिए तो भईया के साथ एक बच्चा औऱ कर लीजिये...
कोमल सुमन की बात सुनकर मन ही मन सुमन पर झल्ला रही थी औऱ उसे दो चार खरी खोटी सुना देना चाहती थी मगर सबके वहा होने से वो ये बातें मन ही मन दबा गई.. संजय औऱ गायत्री जानते थे की कोमल बाँझ है औऱ सुमन ने अभी अभी उसे ताना मारा था..
गायत्री ने बात सँभालते हुए कहा - अरे अब कोमल को क्या जरुरत है बच्चा करने की.. हमारा ग़ुगु है तो.. चेतन तो संजय की तरह ही काम धंधे में घुस गया.. औऱ ऋतू पराई हो गई.. अब तो आरती से उम्मीद है वो हमें खुशखबरी दे दे..
आरती मुस्कुराते हुए गौतम को देखकर रसोई में चली गई..
गायत्री - देखो कैसे शर्मा के चली गई गई..
संजय - माँ मुझे एक जरुरी काम से बाहर जाके आना है.. एक घंटे में आ जाऊंगा दामाद ज़ी आये तो आप संभाल लेना..
चेतन - पापा मैं भी चलता हूँ..
कोमल - अरे यहां भी तो कोई होना चाहिए..
चेतन - आप लोग हो ना.. ग़ुगु भी तो है..
कोमल सुमन की बातों को दिल में बैठा चुकी थी उसे अपने बाँझ होने का दुख हो रहा था औऱ सुमन पर गुस्सा आ रहा था.. कोमल छत पर बने कमरे के पीछे कोने में सिसकती हुई खड़ी हो कर आंसू बहाने लगी थी..
गौतम जानता था की कोमल को सुमन की उस बात का कितना दुख पंहुचा है.. इसलिए गौतम कोमल के पीछे पीछे कुछ देर बाद ही छत पर आ गया था..
गौतम ने रो रही कोमल को पीछे से अपनी बाहों में भर लिया औऱ कोमल की गर्दन चूमते हुए कहा..
गौतम - मामी आपके मुंह से रोते हुए सिसकियाँ अच्छी नहीं लगती बल्कि चुदवाते हुए सिसकियाँ अच्छी लगती है..
कोमल गौतम को देखकर आंसू पोछते हुए - तू कब ऊपर आया बेटा? बता तो देता.. मैं रो नहीं रही थी.. मेरी आँखों में तो कचरा चला गया था..
गौतम कोमल को अपनी तरफ घुमाकर दिवार से स्टाते हुए - मुझसे झूठ बोलोगी तो ऐसी गांड मारूंगा मामी अगले दस दिन रेंगति हुई चलोगी.. समझी? माँ की बात का बुरा लगा ना आपको?
कोमल मुस्कुराते हुए - मुझे क्यों सुमन की बात का बुरा लगने लगा बेटा? मैं तो यूँ ही ऋतू को याद करके रो रही हूँ..
गौतम ब्लाउज के ऊपर से कोमल के चुचे पकड़तकर मसलते हुए - मामी आपको झूठ बोलना भी नहीं आता..
कोमल अपने बूब्स ओर से गौतम का हाथ हटाती हुई - ग़ुगु.. कोई आ जायेगा.. बंद कमरे वाली चीज़े खुले में मत करा कर.. ये बोलकर कोमल गौतम को पीछे कमरे में ले जाती है.. औऱ अपनी साडी का पल्लू गिराते हुए गौतम के सामने घुटनो ओर बैठकर उसकी जीन्स खोलते हुए लंड हाथ में लेकर कहती है - सुबह से मेरे आगे पीछे घूम रहा था.. मैं तभी समझ गई थी आज मेरी इज़्ज़त खतरे में है..
गौतम कोमल को लोडा चूसाते हुए - अब आप हो ही इतनी ब्यूटीफुल मामी.. आपको देखकर दिल कैसे ना करें चोदने का.. रात को तो आप सो गई थी वरना रात को ही मैं आपको प्यार करता..
कोमल मुंह से लंड खड़ा करके खड़ी होती हुई - इतनी जरुरत थी तो जगा लेता ग़ुगु.. मैं कुछ कहती थोड़ी तुझे..
गौतम कोमल को उस कमरे के बेड पर लेटा कर साडी ऊपर करके चड्डी नीचे सरकता हुआ - आप सोते हुए प्यारी लग रही थी मामी.. मुझे जगाना सही नहीं लगा..
ये कहते हुए गौतम ने अपना लंड कोमल की चुत में डाल दिया औऱ धीरे धीरे प्यार से चोदने लगा..
कोमल गौतम को चूमकर आहे भरते हुए - आज क्या बात है ग़ुगु.. तू इतना प्यार से कर रहा है.. उस दिन तो जान निकाल दी थी तूने.. आज बहुत प्यार आ रहा है तुझे अपनी मामी पर?
गौतम चोदते हुए - मामी आप हो ही इतनी प्यारी.. प्यार तो आएगा ही औऱ आपकी चुत भी बहुत टाइट है.. खामखा जोराजोरी में बेचारी को दर्द सहना पड़ेगा..
कोमल - मेरी इतनी परवाह है तुझे ग़ुगु? काश तू मेरा अपना बच्चा होता.. फिर देखती वो सुमन की बच्ची कैसे मुझे इतना सब सुनाती..
गौतम कोमल को पलटकर पीछे से चुत चोदते हुए - मामी आप भी तो माँ को इतना सब सुना देती हो.. आप दोनों की कैट फाइट किसी फ़िल्मी मूवी से ज्यादा मसालेदार होती है..
कोमल मुस्कुराते हुए - मैं तेरी माँ से कितना भी लडू ग़ुगु.. तू कभी मुझसे नाराज़ मत होना.. मैं बहुत प्यार करती हूँ तुझे..
गौतम हलके तेज़ धक्के मारते हुए - जानता हूँ मामी.. आप तो मेरी गर्लफ्रेंड हो.. औऱ इतनी टाइट चुत वाली गर्लफ्रेंड से नाराज़ नहीं होता मैं..
कोमल सिसकियाँ लेते हुए - ग़ुगु बेटा.. फ़ोन आ रहा है..
गौतम चुदाई रोककर साइड में पड़े फ़ोन को उठाते हुए - आपका आ रहा है मामी..
कोमल फोन उठाकर - हेलो..
चेतन - माँ जीजाजी.. दस मिनट में पहिचने वाले है..
कोमल - औऱ तु अपने पापा के साथ कब आ रहा है?
चेतन - हम निकल चुके है आधा घंटा लग जाएगा..
कोमल फ़ोन काट कर - ठीक है..
कोमल - ग़ुगु बेटा जल्दी कर दस में ऋतु आने वाली है..
गौतम वापस चुदाई शुरू करता हुआ - ठीक है मामी बस पांच मिनट औऱ.. ये कहते हुए गौतम सुमन की चुत में ताबड़तोड़ झटके मारने लगा जिससे कोमल औऱ ज्यादा सिसकियाँ भरने लगी..
कोमल सिसकिया भरते हुए - बेटा थोड़ा धीरे.. ग़ुगु.. आह्ह... बेटा आराम से.. आह्ह.. ग़ुगु धीरे चोद बेटा अपनी मामी को..
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गौतम - मामी आप लग ही इतनी प्यारी रही हो.. कहा था ना चुदवाते हुए सिसकियाँ लेती हुई अच्छी लगती हो.. रोते हुए नहीं..
कोमल झड़ते हुए - ग़ुगु.. आहहह... बेटा...
गौतम कोमल के साथ झड़ते हुए - आहहह... मामी मैंरा भी हो गया..
कोमल औऱ गौतम एक साथ झड़े औऱ मुस्कुराते हुए कोमल गौतम को बेतहाशा चूमती हुई प्यार करने लगी.. फिर दोनों ने खड़े होकर अपने आपको ठीक किया..
कोमल मुस्कुराते हुए गौतम का गाल खींचकर - बस.. हो गयी इच्छा पूरी? अब तो खुश मेरा ग़ुगु?
गौतम मुस्कुराते हुए कोमल का हाथ चूमकर - बहुत खुश मामी.. जितना फेशन आप करती हो.. आपको देखकर कोई नहीं कह सकता आपकी इतनी टाइट होगी..
कोमल - तुझे मज़ा आया ना बेटा..
गौतम - बहुत मामी..
कोमल - ग़ुगु तू सुमन को समझा ना.. यही क्यों नहीं रह जाती वो तुझे लेकर.. क्यों ज़िद पर अड़ी हुई है.. मैं जानती हूँ उसके औऱ जगमोहन के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा.. वहा उस छोटे से पुलिस क्वाटर में कब तक दिन गुजारेगी?
गौतम - आप खुद ही क्यों नहीं समझा देती मामी.. मेरे समझाने से तो वो नहीं समझेगी.. उनकी औऱ आपकी लव स्टोरी भी तो बहुत उलझी हुई है..
कोमल गौतम के गाल सहला कर हसते हुए - चुप पागल.. चल नीचे.. ऋतू आ गई लगता है..
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राहुल ऋतू, ऋतू की सास औऱ ससुर सब हॉल में बैठे हुए थे.. उसके साथ गायत्री सुमन आरती औऱ अब कोमल भी आ बैठी थी.. नाश्ता सामने टेबल रखा था.. हंसी ख़ुशी का माहौल था.. शबनम चाय बना रही थी औऱ शबनम के पीछे गौतम उसे इधर उधर छू कर छेड रहा था जिस पर शबनम मुस्कुराते हुए बार बार गौतम को छूने से रोक रही थी..
गौतम ने थोड़ा सा मौका पाकर शबनम की कमर पर अपने हाथों से चीकूटी काट ली औऱ शबनम गौतम की तरफ बनावटी गुस्से वाली आँखों से देखती हुई धीरे से बोली बोली..
शबनम - अब कुछ किया तो थप्पड़ पड़ेगा..
गौतम मुस्कुराते हुए गाल आगे करके - मारो ना मालकिन..
शबनम रसोई के दरवाजे को देखकर जल्दी से एक प्यार भरा चुम्मा गौतम के गाल पर करके एक धीमा सा थप्पड़ मार देती है..
गौतम शबनम को पकड़कर बाहों में भरता हुआ - गाल पर भी कभी चुम्मा होता है मालकिन? चूमा तो होंठों से होंठ मिलते है तब होता है..
शबनम दरवाजे को देखती हुई - छोड़ ग़ुगु कोई आ गया तो मेरी नोकरी चली जायेगी..
गौतम होंठ आगे करके - पहले चुम्मा दो मालकिन तभी छोडूंगा..
शबनम जल्दी से गौतम के होंठ चूमकर - बस अब छोड़..
गौतम शबनम को छोड़कर - चाय बनाने के बाद छत पर आ जाना मालकिन.. साथ में एक सुट्टा मारेंगे..
शबनम - अभी नहीं ग़ुगु.. मालकिन बुला लेगी मुझे.. बाद में..
गौतम शबनम का बोबा दबाकर - ठीक है मालकिन..
शबनम मुस्कुराते हुए गौतम को धक्का देकर - अब जा यहां से.. वरना कोई देख लेगा..
गौतम रसोई से हॉल में आ जाता है..
आरती गौतम का हाथ पकड़कर अपने पास बैठाते हुए - देवर ज़ी आओ.. हमारे साथ भी बैठो.. देखो आपकी दीदी.. आते ही आपके बारे में पूछ रही है.. मैंने भी कह दिया हमने अभी तक देवर ज़ी को कहीं जाने नहीं दिया औऱ रोक कर रखा है..
गौतम ऋतू को देखकर - भाभी दीदी की बोलती बंद है.. लगता है वापस आकर अच्छा नहीं लगा दीदी को..
ऋतू सरक कर अपने बगल में जगह बनाती हुई - तू इधर आ मेरे पास.. अभी बताती हूँ तुझे..
गौतम उठकर ऋतु के पास बैठ जाता है.. औऱ ऋतू गौतम का कान पकड़कर - कब से आकर बैठी हूँ औऱ तू है की छिपा हुआ था?
राहुल हसते हुए - आराम से ऋतू.. भाई है तुम्हारा..
ऋतू की सास बबिता - हा ऋतू.. कितना जोर से कान खींचा है तूने.. दर्द होगा बेचारे को..
ऋतू - कुछ नहीं होगा इसे.. जब देखो मुझे सताने के बहाने ढूंढता रहता है..
सुमन - ऋतू आराम से बेटा..
ऋतू - आप बीच में मत बोलो बुआ.. जब से गई हूँ सबने फ़ोन किया है एक इसी बेशर्म को मेरी याद नहीं आई..
गौतम कान छुड़ाते हुए - अच्छा सॉरी ना.. छोडो..
संजय औऱ चेतन भी आकर सोफे पर बैठ जाते है..
सब हंसी ख़ुशी के माहौल में थे आपस में बातें कर रहे थे शबनम चाय की ट्रे लाकर चाय बाँट देती है औऱ नाश्ता करते हुए सब चाय पिने लगते है.. कुछ देर इसी तरह बातें करने के बाद में रितु अपने कमरे में चली जाती है और उसके कुछ देर बाद गौतम भी ऋतु के कमरे में चला जाता है..
गौतम ऋतू को गले लगता हुआ - बहुत खूबसूरत लग रही हो ऋतू.. याद आई मेरी रात में?
ऋतू - कमीने.. तेरी याद में तो नींद भी नहीं आई.. पता नहीं कैसे रहूंगी तेरे बिना अब..
गौतम - चिंता मत कर ऋतू.. मैं टाइम टाइम पर आता रहूँगा तुझसे मिलने.
ऋतू अपनी साडी उठाकर गौतम का लंड निकालकर अपनी चुत में घुसाती हुई - काश में तेरी दुल्हन बन पाती मेरे भाई.. तुझसे मिलने के लिए छुपना नहीं पड़ता..
गौतम चोदना शुरु करते हुए - फ़िक्र मत कर मेरी बहना जल्दी ही कोई ना कोई औऱ उपाय खोज लेंगे हम दोनों...
ऋतू चुदवाते हुए - मैं तो कल से तेरे इस लंड के बारे में ही सोच रही थी ग़ुगु.. बहुत मस्त औऱ मोटा है.. काश हर रात ये मेरे नसीब में होता.. पता नहीं कौन इसे हर रात अपनी चुत में लेगी.. भाई तू वादा कर मुझे हर दम ऐसे ही प्यार करेगा..
गौतम - ऋतू तू मेरी बहन है जो कहेगी मैं मरते दम तक वही करूँगा.. बस मुझे अपनी ये गांड दे दे
ऋतू - आज नहीं भाई.. वक़्त नहीं है.. कभी फुर्सत में लेना मेरी गांड.. अभी मेरी चुत से काम चला ले.. अगली बार मैं खुद तेरे सामने अपनी गांड परोस दूंगी..
गौतम - वादा कर रही है ऋतू.. भूलना मत.. अगली बार गांड नहीं दी तो जबरदस्ती ले लूंगा..
ऋतू - ले लेना भाई.. मेरे ऊपर तेरा पूरा हक़ है.. अभी जल्दी कर नहीं तो भाभी आ जायेगी..
गौतम चोदते हुए - बस बहाना झड़ने वाला हूँ तेरी चुत में..
ऋतू - मैं भी झड़ने वाली हूँ भाई.. साथ में झड़ते है.. आहहह...
गौतम रितु एक साथ झड़ जाते हैं और फिर कुछ देर बाद एक दूसरे को देखते हुए बातें करने लगते है..
ऋतू - विक्रम का फ़ोन आया था..
गौतम - क्या बोला उसने?
ऋतू - माफ़ी मांग रहा था.. मैंने कह दिया वापस नज़र आया तो वीडियो नेट पर वायरल कर दूंगी..
गौतम - अच्छा किया बहना.. अब सबसे बचा के रखना अपनी चुत का अनमोल गहना..
ऋतू गौतम को चूमते हुए - वापस जाना पड़ेगा भाई..
गौतम - फ़ोन करती रहना बहना.. अगली बार मिलने का इंतजार रहेगा..
ऋतू - मुझे भी..
ऋतु रस्म निभाकर शाम को वापस चली जाती है औऱ अगले दो दिन गौतम गायत्री कोमल आरती औऱ शबनम की जहा मौका मिलता है वही चुदाई करता है.. औऱ आज सुमन के साथ वापस अजमेर जाने को तैयार था.. दोनों दोपहर को अजमेर के लिए निकलने वाले थे औऱ अभी सुबह हो रही थी..
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देवर ज़ी कुछ दिन औऱ रुक जाओ ना.. आपके बिना सब कुछ सुना हो जाएगा फिर से..
रुकना तो मैं भी चाहता हूँ भाभी.. मगर क्या करू? आप तो जानती है माँ को अब अगर मैं कुछ बोलूंगा तो वो मुझे कितना सुनाएंगी..
आरती जीन्स के ऊपर से गौतम के लंड पर हाथ फिराती हुई - बहुत ख्याल रखा है अपने अपनी इस भाभी का देवर ज़ी.. औऱ बहुत सुख भी दिया है.. आप तो कुछ दिनों में दिल के अंदर इतना गहरा उतर गए कि सागर की गहराई भी उसके आगे कुछ नहीं है.. मैंने आपका कितना दिल दुखाया कितना कुछ बोला मगर आपने मुझे कितना प्यार किया.. मुझे माफ़ कर देना देवर ज़ी..
गौतम आरती के होंठ पकड़कर - कितनी ड्रामेबाज़ हो आप भाभी.. मैंने कहा ना हर महीने आपसे मिलने आऊंगा.. आप फ़िक्र मत करो.. आपकी चुत को वापस सिकुड़ने नहीं दूंगा..
आरती मुस्कुराते हुए - शुक्रिया देवर ज़ी..
गौतम - सुबह सुबह आपकी चुत से शुरुआत हुई है.. लगता है आज दिन अच्छा जाएगा मेरा..
आरती छत पर से नीचे जाते हुए - वापस चाहिए तो बता दो देवर ज़ी मैं कुछ नहीं बोलूंगी..
गौतम - अब थोड़ा वक़्त लगेगा भाभी..
आरती - ठीक है देवर ज़ी..
आरती छत से नीचे चली जाती हैऔऱ उसके कुछ देर बाद चेतन ऊपर आ जाता है..
यहां अकेला क्या कर रहा है ग़ुगु..
कुछ नहीं चिंटू भईया बस कुछ सोच रहा था..
क्या सोच रहा था ग़ुगु?
भाभी के बारे में भईया.. भाभी ने बहुत ख्याल रखा है मेरा..
चेतन मुस्कुराते हुए - ख्याल तूने भी अपनी भाभी का बहुत रखा है.. वो बता रही थी कैसे तू उसका सबसे प्यारा साथी बन गया..
गौतम - कहा चेतन भईया.. मैं बस थोड़ा हंसबोल लिया भाभी से.. भाभी इतने में ही खुश हो गई..
चेतन - ग़ुगु मैं भी तुमसे सिर्फ 6 साल बड़ा हूँ.. मुझे चिंटू ही कहकर बोल.. जैसे पहले बोला करता था.. ये फॉर्मेलिटी छोड़ दे..
गौतम - ठीक है चिंटू..
चेतन - अच्छा तूने एग्जाम के बाद का क्या सोचा है?
गौतम - कुछ नहीं.. बस कोई जॉब कर लूंगा औऱ क्या..
चेतन - पागल हो गया है हम जॉब देते है करते नहीं है.. तू एग्जाम के बाद बुआ को लेके यही आ जाना.. यहां अपना कितना काम है उसे कौन संभालेगा..
गौतम - नहीं चिंटू.. माँ कभी इस बात के लिए राज़ी नहीं होगी..
चेतन - ग़ुगु.. मैं जानता हूँ बुआ नहीं मानेगी मगर वो तेरी बात मानने से इंकार नहीं करेगी.. औऱ कल रात आरती भी तेरे जाने का सोच कर रो रही थी..
गौतम - भाभी रो रही थी.. मगर अभी तो उन्होंने कुछ नहीं बताया उसके बारे में..
चेतन - औरत को बात छुपीना औऱ बताना अच्छे से आता है ग़ुगु.. मैं जान चूका हूँ कि वो तुझसे प्यार करने लगी है तेरे बिना नहीं रह पाएगी... उसकी ख़ुशी के लिए एक बार कोशिश करना..
गौतम - चिंटू.. भाभी तुम्हारी पत्नी है..
चेतन - काहेकि पत्नी ग़ुगु.. उसे कभी पत्नी वाला सुख तो मैं दे ही नहीं पाया.. मैं सुबह से रात तक इसलिए दूकान पर रहता हूँ कि मुझे आरती की बातें उसके ताने ना सुनने पड़े.. मगर जब से तू आया है उसने एक बार भी मुझसे गुस्से में या अपने अड़ियलपन से बात नहीं की.. ग़ुगु मैं जानता हूँ तू अपनी भाभी के साथ सो चूका है.. तूने उसे वो सुख दिया है जो एक मर्द से एक औरत चाहती है..
गौतम नज़र झुका - मैं बहका गया था चिंटू.. मैं भाभी के साथ वो सब नहीं करना चाहता था मगर अपने आप सब होता चला गया.. मुझे माफ़ कर दे..
चेतन - ग़ुगु.. इसमें माफ़ी वाली कोई बात नहीं है.. मैं तो खुश हूँ कि तू आरती का ख्याल रख रहा था.. मैं अब भी वही चाहता हूँ.. तू ऐसे ही आरती का ख्याल रखे.. मुझे तेरे औऱ आरती के रिश्ते से कोई ऐतराज़ नहीं है..
ग़ुगु - मैं जानता हूँ चिंटू तू ऐसा क्यों बोल रहा है.. तू चिंता मत कर भाभी को मैं अच्छे से खुश रखूँगा.. वो तुझे परेशान नहीं करेंगी.. औऱ अब तू अपनी जिंदगी भी खुलकर ज़ी सकता है.. यूँ घुट घुट कर जीने की तुझे क्या जरुरत? दुनिया की परवाह छोड़ दे चिंटू.. दुनिया ने किस किस को क्या कुछ नहीं बोला..
चिंटू - मैं समझ नहीं पाया ग़ुगु.. तू कहना क्या चाहता है..
ग़ुगु चिंटू का हाथ पकड़ कर - चल दोनों भाई कहीं घूम के आते है..
चिंटू - कहा ग़ुगु..
ग़ुगु - अभी पता चल जाएगा..
गौतम चिंटू के साथ कहीं चला जाता है औऱ किसी को कुछ massage करता है...
गौतम चिंटू को लेकर एक फाइव स्टार होटल की तरफ आ गया था जहा किसी फ़िल्म की स्टार कस्ट ठहरी हुई थी.. गौतम चिंटू को लेकर एक रूम में आ गया था..
चिंटू - ग़ुगु मुझे यहां क्यों लेकर आया है? मुझे दूकान जाना है..
ग़ुगु - थोड़ी देर वेट करो चिंटू.. सब पता चल जाएगा..
चिंटू - तू क्या कर रहा है मेरी समझ ही नहीं आता..
गुगु - चिंटू मैं जानता हूँ तुझे लड़कियों में कोई दिलचस्पी नहीं है.. तू गे है.. औऱ तू ये बात अब तक सबसे छीपाता आया है.. मगर अब तुझे इस तरह घुट घुट कर जीने की कोई जरुरत नहीं..
चिंटू हैरानी से - ग़ुगु कैसे?
गौतम - चिंता मत करो चिंटू.. मैं किसी से कुछ नहीं कहूंगा औऱ ना ही तुझे ऐसे घुट घुट के जीने दूंगा..
चिंटू शरमाते हुए - तुझे कैसे पता ग़ुगु.. मेरे बारे में..
गौतम - शादी वाली रात की अगली सुबह.. जब मैं टहल रहा था तब मैंने देखा था.. तू जिस आदमी के साथ था उसे रात को मैने ही बुलाया था..
दरवाजा की बेल बजते ही गौतम दरवाजा खोलकर - आओ वसीम.. किसी ने रोका तो नहीं..
वसीम - ऐसी जगह हमारे जैसे गरीब लोगों तो रोका ही जाता है भईया.. पर आपने रिसेप्शन पर बोला हुआ था इसलिए ज्यादा तकलीफ नहीं हुई आने में..
गौतम - वसीम.. अब से तुम्हे ये काम करने की जरुरत नहीं.. मेरा भाई तुम्हे काम पर रखना चाहता है.. जितना तुम महीने में कमाते हो उससे दुगुनी तनख्वाह मिलेगी.. काम सिर्फ इतना की मेरे भाई को हर दम खुश रखना होगा...
वसीम - जैसा आप बोले..
गौतम चेतन की तरफ इशारा करते हुए - जाओ वसीम भईया इंतजार कर रहे है..
वसीम चेतन के पास जाकर प्यार से उसके होंठ चूमने लगता है औऱ चेतन शर्माते हुए ग़ुगु को देखकर वसीम को रोकते हुए - ग़ुगु सुन.. ग़ुगु..
गौतम रूम से बाहर जाते हुए - एन्जॉय करो भईया..
ये कहकर गौतम रूम से बाहर आ जाता है औऱ दरवाजे पर डु नॉट डिस्टर्ब का sign लटका कर जैसे ही पीछे मुड़ता है उसका पैर फिसल जाता है औऱ वो इस रूम के जस्ट सामने वाले रूम में आगे की तरफ जाते हुए जमीन पर गिर जाता है..
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Update 33
गौतम सुबह उठा तो उसने सबसे पहले किशोर कुमार के पुराने गाने लगा कर कान में इयर बड्स लगा लिए औऱ ब्रश करता हुआ बाथरूम में आ गया.. टट्टी करने इंग्लिश पोट पर बैठकर गौतम फ़ोन चलाते हुए फ़ोन देख ही रहा था उसे कल आदिल की बात याद आई औऱ उसने व्हाट्सप्प खोल लिया फिर आदिल के भेजे फोटो देखने लगा..
जैसे ही गौतम ने आदिल की व्हाट्सएप मैसेज पर भेज़ी हुई तस्वीर देखी और उनमें किसी जोड़े की शादी को देखा तो वह हैरत में पड़ गया और अपना सर को खुजाते हुए उसने आदिल को फोन कर दिया...
गौतम ने आदिल से तस्वीर के बारे में पूछताछ की और आदिल ने जवाब दिया कि कल जब वो अपने दोस्त मोनू (फोटोग्राफर) की दुकान पर गया था तब उसने दुकान पर यह तस्वीर देखी.. औऱ वही से इन तस्वीरों की पिक लेकर उसे massage किया..
गौतम ने आगे औऱ कुछ पूछा तो आदिल ने जवाब दिया की ये तस्वीर मोनू ने परसो खींची थी जब उसे एक आदमी ने बुलाया था.. किसी पुराने धार्मिक जगह पर ये शादी हुई थी औऱ गिनती के 3-4 लोग ही उसमे शामिल थे..
गौतम ने फ़ोन रख दिया औऱ फ्रेश होकर बाहर आ गया उसने सबसे पहले रूपा को फ़ोन किया औऱ कहा...
(रूपा 41)
गौतम चिड़चिड़े पन से - ये क्या मज़ाक़ है?
रूपा - अच्छा तो तुम्हे खबर मिल गई? ये मज़ाक़ नहीं है नन्हे शैतान..
गौतम - माँ को पता चलेगा तो क्या होगा पता है ना?
रूपा - जो भी हो.. अब मैं कुछ नहीं कर सकती..
गौतम - तुम भी ना उड़ते तीर लेती हो.. अब संभालना माँ को आपको ही..
रूपा - मैं देख लुंगी.. तुम मत बताना..
गौतम - बताने के लिए ये कोई ख़ुशी खबर थोड़ी है.. आपने भी ना काण्ड कर दिया फालतू में.. पापा ही मिले थे आपको शादी करने के लिए..
रूपा - अच्छा ये सब छोड़.. ये बता तू केसा है..
गौतम - अब तक ठीक था पर आपने जो बम फोडा है उसके बाद सर दर्द होने लगा है..
रूपा हसते हुए - तू जल्दी से मेरे पास आजा मेरे नन्हे शैतान फिर मैं प्यार से तेरा सर दबाकर तेरा सर दर्द दूर कर दूंगी..
गौतम - हम्म्म..
रूपा - अपना ख्याल रखना नन्हे शैतान..
गौतम - ख्याल तो आप अपना रखना मम्मी.. जब से बाबाजी के पास होके आई हो एक बार भी मुझे अपनी गुफा में घुसने नहीं दिया.. इस बार कोई बहाना नहीं चलेगा..
रूपा - इस बार तुझे जो करना हो कर लेना मेरे नन्हे शैतान.. पर जल्दी से आजा बहुत दिन हो गए तुझे देखे हुए...
गौतम - रखता हूँ मम्मी.. कोई बुला रहा है..
रूपा - बाय गौतम..
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(माधुरी 36)
माधुरी - रूपा तुमने ये अच्छा नहीं किया.. किसी की मज़बूरी का फ़ायदा उठाना सही नहीं है..
रूपा - मैंने कहा किसी की मज़बूरी का फ़ायदा उठाया है माधुरी? मैंने तो बस एक सौदा किया था जगमोहन के साथ.. तुम भी तो राजी थी उसके लिए..
माधुरी - मैं राजी हुई क्युकी मेरे पास औऱ कोई रास्ता नहीं बचा था.. अगर तुम्हारी शर्त नहीं मानती तो जगमोहन को जेल हो जाती औऱ ये घर भी नीलाम हो जाता.. मैं सडक पर आ जाती..
रूपा - जगमोहन जुए में लाखों रुपए हार गया औऱ फिर रिश्वत लेते भी पकड़ा गया तो इसमें मेरी क्या गलती माधुरी? मैंने तो मदद करने की पेशकश की.. तुमने औऱ जगमोहन दोनों ने इसे माना था..
माधुरी - पर मैं ये नहीं समझ पा रही कि तुमने जगमोहन से शादी क्यों की? उसके पास ऐसा क्या है जो तुम्हे चाहिए.. मैंने बताया था तुम्हे कि वो अब किसी काम का नहीं.. ना उसके पासवर्ड कुछ ऐसा है जो तुम्हे वो दे सकता है..
रूपा - मुझे जगमोहन से सिर्फ उसकी पत्नी होने का दर्जा चाहिए था माधुरी.. वो मुझे मिल चूका है.. अब मुझे औऱ किसी की जरुरत नहीं..
माधुरी - बहुत अजीब बात है रूपा.. तुमने ऐसे आदमी से शादी की जो अब नामर्द बन चूका है औऱ तुम खुश भी हो.. तुमने जगमोहन की नोकरी बचाई उसे जेल जाने से बचाया औऱ अब इस घर पर बाकी लोन भी चुकाने को तैयार हो.. मैं तुम्हे समझ नहीं पास रही..
रूपा - माधुरी मैं तुम्हारे साथ इस घर में तुम्हारी बड़ी बहन बनकर रह सकती हूँ.. हमें आपस में लड़ने झगड़ने की जरुरत नहीं है.. मैं तुम्हे एक सच्चाई बताना चाहती हूँ..
माधुरी - कैसी सच्चाई रूपा?
रूपा - माधुरी मैंने जगमोहन से शादी इसलिए नहीं की कि मुझे जगमोहन पसंद है या मैं तुम्हारे साथ इस घर में रहना चाहती हूँ.. मेरे जगमोहन से शादी करने का कारण गौतम है.. मैं गौतम सको एक माँ औऱ एक प्रेमिका दोनों का प्यार देना चाहती हूँ..
माधुरी - ये क्या कह रही हो रूपा.. तुम होश में तो हो? गौतम बस एक बच्चा है.. जब उसे इसका पता लगेगा तो वो क्या सोचेगा तुम्हारे बारे में.. औऱ सुमन? सुमन तो तुम्हारी जान ही ले लेगी.. गौतम पर सिर्फ सुमन का अधिकार है..
रूपा - देखो माधुरी.. मैं जानती हूँ कि तुम भी गौतम के साथ उसी तरह रहना चाहती हो जैसे कि मैं.. मैंने कल तुम्हारी औऱ गौतम कि बाते सुनी थी औऱ मैं जानती हूँ तुम भी गौतम से वैसा ही रिश्ता रखना चाहती हो जैसा मैं रखना चाहती हूँ.. मुझसे तुम्हे कुछ छिपाने की जरुरत नहीं है.. हम दोनों मिलकर गौतम का हर तरह से ख्याल रख सकते है.. औऱ रही बात सुमन की तो उसे किसी भी तरह हमें समझाना पड़ेगा कि वो गौतम के साथ यहां हमारे साथ आकर रहे..
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माधुरी - ये तुम क्या बोले जा रही हो रूपा.. सुमन कभी ऐसा नहीं करेगी..
रूपा - सब होगा माधुरी.. मैं तुम औऱ सुमन तीनो इस घर में एक साथ गौतम की माँ बनकर रहेंगी.. सुमन के पीठ पीछे हम गौतम को माँ के साथ साथ उसकी प्रेमिकाएं बनकर भी उसका ख्याल रखेंगी..
माधुरी कुछ देर सोचकर - क्या ये सच में हो सकता है रूपा? क्या ऐसा मुमकिन है? क्या गौतम हम दोनों के साथ वैसा रिश्ता रखेगा?
रूपा - हाँ माधुरी.. ऐसा जरुर होगा.. अब किसी तरह बस सुमन को यहां रहने के लिए राजी करना होगा.. मुझे पता है जब वो तुमपर गुस्सा है औऱ जब मेरी औऱ जगमोहन की शादी के बारे में जानेगी तब मुझपर भी गुस्सा होगी.. मगर हमें किसी भी तरह उसे मनाना होगा..
माधुरी कुछ देर ठहर कर - ठीक है रूपा.. मैं तैयार हूँ.. आज से हम दोनों बहने बनकर रहेंगी.. सुमन को मनाने में मैं तुम्हारी हर तरह से मदद करूंगी..
रूपा माधुरी के गले लगते हुए - मैं जानती थी माधुरी तुम जरुरत मेरी बात मान जाओगी..
माधुरी भी रूपा को गले लगाकर - बहन.. मैं तुम्हारे साथ हूँ.. तुम्हारी तरह मैं भी गौतम के बिना नहीं रह सकती..
रूपा - मैं समझ सकती हूँ माधुरी.. गौतम ने मेरी तरह तुम्हे भी अपना दीवाना बना दिया है..
माधुरी - उसकी क्या गलती रूपा.. उसके प्यारा सा चेहरा मीठी बातें औऱ मर्दानगी किसी को भी अपना गुलाम बना सकती है..
रूपा - सच में माधुरी..
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गायत्री - कुछ दिन औऱ रुक जाती सुमन..
सुमन - माँ.. आप तो जानती है वहा कितना काम पड़ा है? ग़ुगु के आखिरी एग्जाम भी आने वाले है..
गौतम सीढ़ियों से नीचे उतरता हुआ - उनमे अभी समय है माँ.. हम 2-3 दिन औऱ नानी के साथ रह सकते है..
आरती मुस्कुराते हुए - अब तो आप खुश है बुआ.. मेरे देवर ज़ी ने भी रुकने के लिए हामी भर दी है..
गौतम आरती को देखकर - अब आपने ख्याल ही इतना रखा है मेरा.. आपका कहा कैसे टाल सकता हूँ..
गायत्री - सुमन अब तो हमारे ग़ुगु ने भी कह दिया है अब तो रुकना ही पड़ेगा तुझे कुछ औऱ दिन मेरे साथ..
सुमन - पर माँ..
संजय - पर वर कुछ नहीं सुमन.. रुकना है तो रुकना है.. समझी?
(कोमल 42)
कोमल - अरे शबनम.. कहा मर गई तू..
(शबनम 30)
शबनम - आई मालकिन..
कोमल - कल से देख रही हूँ तू आहूत कामचोरी करने लगी है..
शबनम - नहीं मालकिन वो पैर में हलकी सी मोच आ गई थी इसलिए थोड़ा धीरे चल रही हूँ..
संजय - अब तेरे भी मेरो में मोच आ गई? माँ पता नहीं क्या हो रहा है? पहले कोमल फिर आरती बहु औऱ आपके मोच आई अब इस शबनम के भी मोच आ गई..
सुमन गौतम को देखकर - पत्थर की जगह पहाड़ से जाकर टकरायेगी तो मोच तो आएगी ना भईया..
संजय - मतलब सुमन?
सुमन - कुछ नहीं भईया.. सबको कहो देखकर चले.. मोच नहीं आएगी..
शबनम सबको चाय देते हुए गौतम के पासवर्ड आकर - ग़ुगु भईया चाय..
गौतम चाय लेते हुए धीरे से शबनम को - thanks मालकिन..
शबनम मुस्कुराते हुए वापस रसोई में चली जाती है..
चेतन बाहर से हॉल में आते हुए - पापा जीजाजी का फ़ोन आया था.. वो ऋतू को लेकर आने ही वाले है..
गौतम - कल विदाई हुई थी आज वापस भी आ रहे है..
गायत्री हसते हुए - ग़ुगु.. विदाई के बाद दुल्हन को पगफेरे की रसम के लिए वापस अपने माइके आना होता है..
सुमन - रहने दो माँ.. अंग्रेजी स्कूल में जाकर इसे ये सब रस्म औऱ रीवाज ढकोसला लगने लगा है..
कोमल गौतम का गाल चूमते हुए - ऐसा क्यों कहती हो सुमन.. मेरा ग़ुगु तो कितना प्यारा है.. शादी वाले दिन मेरे ग़ुगु के सामने कोई औऱ नहीं नज़र ही नहीं आ रहा था.. चादन सा है मेरा ग़ुगु..
सुमन से कोमल जलते हुए - इतना लाड प्यार करने की जरुरत नहीं है भाभी.. ये पहले ही बहुत बिगड़ चूका है औऱ मत बिगाडो इसे..
कोमल - अरे बिगड़ना तो रईसो का शोक रहा है.. अब मेरा ग़ुगु जवानी में नहीं बिगड़ेगा तो कब बिगड़ेगा?
सुमन को कोमल से अब औऱ जलन होने लगी थी औऱ समझ रही थी कोमल क्या करने की कोशिश कर रही है उसने कहा - रहने दो भाभी.. मेरा ग़ुगु कोई रईस नहीं है..
कोमल गौतम के बाल सहलाते हुए - ऐसा क्यों कहती हो सुमन.. इतना सब तुम्हारे भईया ने जो कमाया है उसे खर्च करने वाला भी तो कोई चाहिए... ग़ुगु नहीं करेगा तो कौन करेगा? आखिरी ग़ुगु भी इसी घर का बेटा है..
सुमन से इस बारहा ना गया तो उसने कहा - मैं औऱ मेरा ग़ुगु जिस हाल मैं है खुश है भाभी.. आपको अगर आपके पैसे उड़ाने के लिए कोई वारिश चाहिए तो भईया के साथ एक बच्चा औऱ कर लीजिये...
कोमल सुमन की बात सुनकर मन ही मन सुमन पर झल्ला रही थी औऱ उसे दो चार खरी खोटी सुना देना चाहती थी मगर सबके वहा होने से वो ये बातें मन ही मन दबा गई.. संजय औऱ गायत्री जानते थे की कोमल बाँझ है औऱ सुमन ने अभी अभी उसे ताना मारा था..
गायत्री ने बात सँभालते हुए कहा - अरे अब कोमल को क्या जरुरत है बच्चा करने की.. हमारा ग़ुगु है तो.. चेतन तो संजय की तरह ही काम धंधे में घुस गया.. औऱ ऋतू पराई हो गई.. अब तो आरती से उम्मीद है वो हमें खुशखबरी दे दे..
आरती मुस्कुराते हुए गौतम को देखकर रसोई में चली गई..
गायत्री - देखो कैसे शर्मा के चली गई गई..
संजय - माँ मुझे एक जरुरी काम से बाहर जाके आना है.. एक घंटे में आ जाऊंगा दामाद ज़ी आये तो आप संभाल लेना..
चेतन - पापा मैं भी चलता हूँ..
कोमल - अरे यहां भी तो कोई होना चाहिए..
चेतन - आप लोग हो ना.. ग़ुगु भी तो है..
कोमल सुमन की बातों को दिल में बैठा चुकी थी उसे अपने बाँझ होने का दुख हो रहा था औऱ सुमन पर गुस्सा आ रहा था.. कोमल छत पर बने कमरे के पीछे कोने में सिसकती हुई खड़ी हो कर आंसू बहाने लगी थी..
गौतम जानता था की कोमल को सुमन की उस बात का कितना दुख पंहुचा है.. इसलिए गौतम कोमल के पीछे पीछे कुछ देर बाद ही छत पर आ गया था..
गौतम ने रो रही कोमल को पीछे से अपनी बाहों में भर लिया औऱ कोमल की गर्दन चूमते हुए कहा..
गौतम - मामी आपके मुंह से रोते हुए सिसकियाँ अच्छी नहीं लगती बल्कि चुदवाते हुए सिसकियाँ अच्छी लगती है..
कोमल गौतम को देखकर आंसू पोछते हुए - तू कब ऊपर आया बेटा? बता तो देता.. मैं रो नहीं रही थी.. मेरी आँखों में तो कचरा चला गया था..
गौतम कोमल को अपनी तरफ घुमाकर दिवार से स्टाते हुए - मुझसे झूठ बोलोगी तो ऐसी गांड मारूंगा मामी अगले दस दिन रेंगति हुई चलोगी.. समझी? माँ की बात का बुरा लगा ना आपको?
कोमल मुस्कुराते हुए - मुझे क्यों सुमन की बात का बुरा लगने लगा बेटा? मैं तो यूँ ही ऋतू को याद करके रो रही हूँ..
गौतम ब्लाउज के ऊपर से कोमल के चुचे पकड़तकर मसलते हुए - मामी आपको झूठ बोलना भी नहीं आता..
कोमल अपने बूब्स ओर से गौतम का हाथ हटाती हुई - ग़ुगु.. कोई आ जायेगा.. बंद कमरे वाली चीज़े खुले में मत करा कर.. ये बोलकर कोमल गौतम को पीछे कमरे में ले जाती है.. औऱ अपनी साडी का पल्लू गिराते हुए गौतम के सामने घुटनो ओर बैठकर उसकी जीन्स खोलते हुए लंड हाथ में लेकर कहती है - सुबह से मेरे आगे पीछे घूम रहा था.. मैं तभी समझ गई थी आज मेरी इज़्ज़त खतरे में है..
गौतम कोमल को लोडा चूसाते हुए - अब आप हो ही इतनी ब्यूटीफुल मामी.. आपको देखकर दिल कैसे ना करें चोदने का.. रात को तो आप सो गई थी वरना रात को ही मैं आपको प्यार करता..
कोमल मुंह से लंड खड़ा करके खड़ी होती हुई - इतनी जरुरत थी तो जगा लेता ग़ुगु.. मैं कुछ कहती थोड़ी तुझे..
गौतम कोमल को उस कमरे के बेड पर लेटा कर साडी ऊपर करके चड्डी नीचे सरकता हुआ - आप सोते हुए प्यारी लग रही थी मामी.. मुझे जगाना सही नहीं लगा..
ये कहते हुए गौतम ने अपना लंड कोमल की चुत में डाल दिया औऱ धीरे धीरे प्यार से चोदने लगा..
कोमल गौतम को चूमकर आहे भरते हुए - आज क्या बात है ग़ुगु.. तू इतना प्यार से कर रहा है.. उस दिन तो जान निकाल दी थी तूने.. आज बहुत प्यार आ रहा है तुझे अपनी मामी पर?
गौतम चोदते हुए - मामी आप हो ही इतनी प्यारी.. प्यार तो आएगा ही औऱ आपकी चुत भी बहुत टाइट है.. खामखा जोराजोरी में बेचारी को दर्द सहना पड़ेगा..
कोमल - मेरी इतनी परवाह है तुझे ग़ुगु? काश तू मेरा अपना बच्चा होता.. फिर देखती वो सुमन की बच्ची कैसे मुझे इतना सब सुनाती..
गौतम कोमल को पलटकर पीछे से चुत चोदते हुए - मामी आप भी तो माँ को इतना सब सुना देती हो.. आप दोनों की कैट फाइट किसी फ़िल्मी मूवी से ज्यादा मसालेदार होती है..
कोमल मुस्कुराते हुए - मैं तेरी माँ से कितना भी लडू ग़ुगु.. तू कभी मुझसे नाराज़ मत होना.. मैं बहुत प्यार करती हूँ तुझे..
गौतम हलके तेज़ धक्के मारते हुए - जानता हूँ मामी.. आप तो मेरी गर्लफ्रेंड हो.. औऱ इतनी टाइट चुत वाली गर्लफ्रेंड से नाराज़ नहीं होता मैं..
कोमल सिसकियाँ लेते हुए - ग़ुगु बेटा.. फ़ोन आ रहा है..
गौतम चुदाई रोककर साइड में पड़े फ़ोन को उठाते हुए - आपका आ रहा है मामी..
कोमल फोन उठाकर - हेलो..
चेतन - माँ जीजाजी.. दस मिनट में पहिचने वाले है..
कोमल - औऱ तु अपने पापा के साथ कब आ रहा है?
चेतन - हम निकल चुके है आधा घंटा लग जाएगा..
कोमल फ़ोन काट कर - ठीक है..
कोमल - ग़ुगु बेटा जल्दी कर दस में ऋतु आने वाली है..
गौतम वापस चुदाई शुरू करता हुआ - ठीक है मामी बस पांच मिनट औऱ.. ये कहते हुए गौतम सुमन की चुत में ताबड़तोड़ झटके मारने लगा जिससे कोमल औऱ ज्यादा सिसकियाँ भरने लगी..
कोमल सिसकिया भरते हुए - बेटा थोड़ा धीरे.. ग़ुगु.. आह्ह... बेटा आराम से.. आह्ह.. ग़ुगु धीरे चोद बेटा अपनी मामी को..
single dice
गौतम - मामी आप लग ही इतनी प्यारी रही हो.. कहा था ना चुदवाते हुए सिसकियाँ लेती हुई अच्छी लगती हो.. रोते हुए नहीं..
कोमल झड़ते हुए - ग़ुगु.. आहहह... बेटा...
गौतम कोमल के साथ झड़ते हुए - आहहह... मामी मैंरा भी हो गया..
कोमल औऱ गौतम एक साथ झड़े औऱ मुस्कुराते हुए कोमल गौतम को बेतहाशा चूमती हुई प्यार करने लगी.. फिर दोनों ने खड़े होकर अपने आपको ठीक किया..
कोमल मुस्कुराते हुए गौतम का गाल खींचकर - बस.. हो गयी इच्छा पूरी? अब तो खुश मेरा ग़ुगु?
गौतम मुस्कुराते हुए कोमल का हाथ चूमकर - बहुत खुश मामी.. जितना फेशन आप करती हो.. आपको देखकर कोई नहीं कह सकता आपकी इतनी टाइट होगी..
कोमल - तुझे मज़ा आया ना बेटा..
गौतम - बहुत मामी..
कोमल - ग़ुगु तू सुमन को समझा ना.. यही क्यों नहीं रह जाती वो तुझे लेकर.. क्यों ज़िद पर अड़ी हुई है.. मैं जानती हूँ उसके औऱ जगमोहन के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा.. वहा उस छोटे से पुलिस क्वाटर में कब तक दिन गुजारेगी?
गौतम - आप खुद ही क्यों नहीं समझा देती मामी.. मेरे समझाने से तो वो नहीं समझेगी.. उनकी औऱ आपकी लव स्टोरी भी तो बहुत उलझी हुई है..
कोमल गौतम के गाल सहला कर हसते हुए - चुप पागल.. चल नीचे.. ऋतू आ गई लगता है..
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राहुल ऋतू, ऋतू की सास औऱ ससुर सब हॉल में बैठे हुए थे.. उसके साथ गायत्री सुमन आरती औऱ अब कोमल भी आ बैठी थी.. नाश्ता सामने टेबल रखा था.. हंसी ख़ुशी का माहौल था.. शबनम चाय बना रही थी औऱ शबनम के पीछे गौतम उसे इधर उधर छू कर छेड रहा था जिस पर शबनम मुस्कुराते हुए बार बार गौतम को छूने से रोक रही थी..
गौतम ने थोड़ा सा मौका पाकर शबनम की कमर पर अपने हाथों से चीकूटी काट ली औऱ शबनम गौतम की तरफ बनावटी गुस्से वाली आँखों से देखती हुई धीरे से बोली बोली..
शबनम - अब कुछ किया तो थप्पड़ पड़ेगा..
गौतम मुस्कुराते हुए गाल आगे करके - मारो ना मालकिन..
शबनम रसोई के दरवाजे को देखकर जल्दी से एक प्यार भरा चुम्मा गौतम के गाल पर करके एक धीमा सा थप्पड़ मार देती है..
गौतम शबनम को पकड़कर बाहों में भरता हुआ - गाल पर भी कभी चुम्मा होता है मालकिन? चूमा तो होंठों से होंठ मिलते है तब होता है..
शबनम दरवाजे को देखती हुई - छोड़ ग़ुगु कोई आ गया तो मेरी नोकरी चली जायेगी..
गौतम होंठ आगे करके - पहले चुम्मा दो मालकिन तभी छोडूंगा..
शबनम जल्दी से गौतम के होंठ चूमकर - बस अब छोड़..
गौतम शबनम को छोड़कर - चाय बनाने के बाद छत पर आ जाना मालकिन.. साथ में एक सुट्टा मारेंगे..
शबनम - अभी नहीं ग़ुगु.. मालकिन बुला लेगी मुझे.. बाद में..
गौतम शबनम का बोबा दबाकर - ठीक है मालकिन..
शबनम मुस्कुराते हुए गौतम को धक्का देकर - अब जा यहां से.. वरना कोई देख लेगा..
गौतम रसोई से हॉल में आ जाता है..
आरती गौतम का हाथ पकड़कर अपने पास बैठाते हुए - देवर ज़ी आओ.. हमारे साथ भी बैठो.. देखो आपकी दीदी.. आते ही आपके बारे में पूछ रही है.. मैंने भी कह दिया हमने अभी तक देवर ज़ी को कहीं जाने नहीं दिया औऱ रोक कर रखा है..
गौतम ऋतू को देखकर - भाभी दीदी की बोलती बंद है.. लगता है वापस आकर अच्छा नहीं लगा दीदी को..
ऋतू सरक कर अपने बगल में जगह बनाती हुई - तू इधर आ मेरे पास.. अभी बताती हूँ तुझे..
गौतम उठकर ऋतु के पास बैठ जाता है.. औऱ ऋतू गौतम का कान पकड़कर - कब से आकर बैठी हूँ औऱ तू है की छिपा हुआ था?
राहुल हसते हुए - आराम से ऋतू.. भाई है तुम्हारा..
ऋतू की सास बबिता - हा ऋतू.. कितना जोर से कान खींचा है तूने.. दर्द होगा बेचारे को..
ऋतू - कुछ नहीं होगा इसे.. जब देखो मुझे सताने के बहाने ढूंढता रहता है..
सुमन - ऋतू आराम से बेटा..
ऋतू - आप बीच में मत बोलो बुआ.. जब से गई हूँ सबने फ़ोन किया है एक इसी बेशर्म को मेरी याद नहीं आई..
गौतम कान छुड़ाते हुए - अच्छा सॉरी ना.. छोडो..
संजय औऱ चेतन भी आकर सोफे पर बैठ जाते है..
सब हंसी ख़ुशी के माहौल में थे आपस में बातें कर रहे थे शबनम चाय की ट्रे लाकर चाय बाँट देती है औऱ नाश्ता करते हुए सब चाय पिने लगते है.. कुछ देर इसी तरह बातें करने के बाद में रितु अपने कमरे में चली जाती है और उसके कुछ देर बाद गौतम भी ऋतु के कमरे में चला जाता है..
गौतम ऋतू को गले लगता हुआ - बहुत खूबसूरत लग रही हो ऋतू.. याद आई मेरी रात में?
ऋतू - कमीने.. तेरी याद में तो नींद भी नहीं आई.. पता नहीं कैसे रहूंगी तेरे बिना अब..
गौतम - चिंता मत कर ऋतू.. मैं टाइम टाइम पर आता रहूँगा तुझसे मिलने.
ऋतू अपनी साडी उठाकर गौतम का लंड निकालकर अपनी चुत में घुसाती हुई - काश में तेरी दुल्हन बन पाती मेरे भाई.. तुझसे मिलने के लिए छुपना नहीं पड़ता..
गौतम चोदना शुरु करते हुए - फ़िक्र मत कर मेरी बहना जल्दी ही कोई ना कोई औऱ उपाय खोज लेंगे हम दोनों...
ऋतू चुदवाते हुए - मैं तो कल से तेरे इस लंड के बारे में ही सोच रही थी ग़ुगु.. बहुत मस्त औऱ मोटा है.. काश हर रात ये मेरे नसीब में होता.. पता नहीं कौन इसे हर रात अपनी चुत में लेगी.. भाई तू वादा कर मुझे हर दम ऐसे ही प्यार करेगा..
गौतम - ऋतू तू मेरी बहन है जो कहेगी मैं मरते दम तक वही करूँगा.. बस मुझे अपनी ये गांड दे दे
ऋतू - आज नहीं भाई.. वक़्त नहीं है.. कभी फुर्सत में लेना मेरी गांड.. अभी मेरी चुत से काम चला ले.. अगली बार मैं खुद तेरे सामने अपनी गांड परोस दूंगी..
गौतम - वादा कर रही है ऋतू.. भूलना मत.. अगली बार गांड नहीं दी तो जबरदस्ती ले लूंगा..
ऋतू - ले लेना भाई.. मेरे ऊपर तेरा पूरा हक़ है.. अभी जल्दी कर नहीं तो भाभी आ जायेगी..
गौतम चोदते हुए - बस बहाना झड़ने वाला हूँ तेरी चुत में..
ऋतू - मैं भी झड़ने वाली हूँ भाई.. साथ में झड़ते है.. आहहह...
गौतम रितु एक साथ झड़ जाते हैं और फिर कुछ देर बाद एक दूसरे को देखते हुए बातें करने लगते है..
ऋतू - विक्रम का फ़ोन आया था..
गौतम - क्या बोला उसने?
ऋतू - माफ़ी मांग रहा था.. मैंने कह दिया वापस नज़र आया तो वीडियो नेट पर वायरल कर दूंगी..
गौतम - अच्छा किया बहना.. अब सबसे बचा के रखना अपनी चुत का अनमोल गहना..
ऋतू गौतम को चूमते हुए - वापस जाना पड़ेगा भाई..
गौतम - फ़ोन करती रहना बहना.. अगली बार मिलने का इंतजार रहेगा..
ऋतू - मुझे भी..
ऋतु रस्म निभाकर शाम को वापस चली जाती है औऱ अगले दो दिन गौतम गायत्री कोमल आरती औऱ शबनम की जहा मौका मिलता है वही चुदाई करता है.. औऱ आज सुमन के साथ वापस अजमेर जाने को तैयार था.. दोनों दोपहर को अजमेर के लिए निकलने वाले थे औऱ अभी सुबह हो रही थी..
***********
देवर ज़ी कुछ दिन औऱ रुक जाओ ना.. आपके बिना सब कुछ सुना हो जाएगा फिर से..
रुकना तो मैं भी चाहता हूँ भाभी.. मगर क्या करू? आप तो जानती है माँ को अब अगर मैं कुछ बोलूंगा तो वो मुझे कितना सुनाएंगी..
आरती जीन्स के ऊपर से गौतम के लंड पर हाथ फिराती हुई - बहुत ख्याल रखा है अपने अपनी इस भाभी का देवर ज़ी.. औऱ बहुत सुख भी दिया है.. आप तो कुछ दिनों में दिल के अंदर इतना गहरा उतर गए कि सागर की गहराई भी उसके आगे कुछ नहीं है.. मैंने आपका कितना दिल दुखाया कितना कुछ बोला मगर आपने मुझे कितना प्यार किया.. मुझे माफ़ कर देना देवर ज़ी..
गौतम आरती के होंठ पकड़कर - कितनी ड्रामेबाज़ हो आप भाभी.. मैंने कहा ना हर महीने आपसे मिलने आऊंगा.. आप फ़िक्र मत करो.. आपकी चुत को वापस सिकुड़ने नहीं दूंगा..
आरती मुस्कुराते हुए - शुक्रिया देवर ज़ी..
गौतम - सुबह सुबह आपकी चुत से शुरुआत हुई है.. लगता है आज दिन अच्छा जाएगा मेरा..
आरती छत पर से नीचे जाते हुए - वापस चाहिए तो बता दो देवर ज़ी मैं कुछ नहीं बोलूंगी..
गौतम - अब थोड़ा वक़्त लगेगा भाभी..
आरती - ठीक है देवर ज़ी..
आरती छत से नीचे चली जाती हैऔऱ उसके कुछ देर बाद चेतन ऊपर आ जाता है..
यहां अकेला क्या कर रहा है ग़ुगु..
कुछ नहीं चिंटू भईया बस कुछ सोच रहा था..
क्या सोच रहा था ग़ुगु?
भाभी के बारे में भईया.. भाभी ने बहुत ख्याल रखा है मेरा..
चेतन मुस्कुराते हुए - ख्याल तूने भी अपनी भाभी का बहुत रखा है.. वो बता रही थी कैसे तू उसका सबसे प्यारा साथी बन गया..
गौतम - कहा चेतन भईया.. मैं बस थोड़ा हंसबोल लिया भाभी से.. भाभी इतने में ही खुश हो गई..
चेतन - ग़ुगु मैं भी तुमसे सिर्फ 6 साल बड़ा हूँ.. मुझे चिंटू ही कहकर बोल.. जैसे पहले बोला करता था.. ये फॉर्मेलिटी छोड़ दे..
गौतम - ठीक है चिंटू..
चेतन - अच्छा तूने एग्जाम के बाद का क्या सोचा है?
गौतम - कुछ नहीं.. बस कोई जॉब कर लूंगा औऱ क्या..
चेतन - पागल हो गया है हम जॉब देते है करते नहीं है.. तू एग्जाम के बाद बुआ को लेके यही आ जाना.. यहां अपना कितना काम है उसे कौन संभालेगा..
गौतम - नहीं चिंटू.. माँ कभी इस बात के लिए राज़ी नहीं होगी..
चेतन - ग़ुगु.. मैं जानता हूँ बुआ नहीं मानेगी मगर वो तेरी बात मानने से इंकार नहीं करेगी.. औऱ कल रात आरती भी तेरे जाने का सोच कर रो रही थी..
गौतम - भाभी रो रही थी.. मगर अभी तो उन्होंने कुछ नहीं बताया उसके बारे में..
चेतन - औरत को बात छुपीना औऱ बताना अच्छे से आता है ग़ुगु.. मैं जान चूका हूँ कि वो तुझसे प्यार करने लगी है तेरे बिना नहीं रह पाएगी... उसकी ख़ुशी के लिए एक बार कोशिश करना..
गौतम - चिंटू.. भाभी तुम्हारी पत्नी है..
चेतन - काहेकि पत्नी ग़ुगु.. उसे कभी पत्नी वाला सुख तो मैं दे ही नहीं पाया.. मैं सुबह से रात तक इसलिए दूकान पर रहता हूँ कि मुझे आरती की बातें उसके ताने ना सुनने पड़े.. मगर जब से तू आया है उसने एक बार भी मुझसे गुस्से में या अपने अड़ियलपन से बात नहीं की.. ग़ुगु मैं जानता हूँ तू अपनी भाभी के साथ सो चूका है.. तूने उसे वो सुख दिया है जो एक मर्द से एक औरत चाहती है..
गौतम नज़र झुका - मैं बहका गया था चिंटू.. मैं भाभी के साथ वो सब नहीं करना चाहता था मगर अपने आप सब होता चला गया.. मुझे माफ़ कर दे..
चेतन - ग़ुगु.. इसमें माफ़ी वाली कोई बात नहीं है.. मैं तो खुश हूँ कि तू आरती का ख्याल रख रहा था.. मैं अब भी वही चाहता हूँ.. तू ऐसे ही आरती का ख्याल रखे.. मुझे तेरे औऱ आरती के रिश्ते से कोई ऐतराज़ नहीं है..
ग़ुगु - मैं जानता हूँ चिंटू तू ऐसा क्यों बोल रहा है.. तू चिंता मत कर भाभी को मैं अच्छे से खुश रखूँगा.. वो तुझे परेशान नहीं करेंगी.. औऱ अब तू अपनी जिंदगी भी खुलकर ज़ी सकता है.. यूँ घुट घुट कर जीने की तुझे क्या जरुरत? दुनिया की परवाह छोड़ दे चिंटू.. दुनिया ने किस किस को क्या कुछ नहीं बोला..
चिंटू - मैं समझ नहीं पाया ग़ुगु.. तू कहना क्या चाहता है..
ग़ुगु चिंटू का हाथ पकड़ कर - चल दोनों भाई कहीं घूम के आते है..
चिंटू - कहा ग़ुगु..
ग़ुगु - अभी पता चल जाएगा..
गौतम चिंटू के साथ कहीं चला जाता है औऱ किसी को कुछ massage करता है...
गौतम चिंटू को लेकर एक फाइव स्टार होटल की तरफ आ गया था जहा किसी फ़िल्म की स्टार कस्ट ठहरी हुई थी.. गौतम चिंटू को लेकर एक रूम में आ गया था..
चिंटू - ग़ुगु मुझे यहां क्यों लेकर आया है? मुझे दूकान जाना है..
ग़ुगु - थोड़ी देर वेट करो चिंटू.. सब पता चल जाएगा..
चिंटू - तू क्या कर रहा है मेरी समझ ही नहीं आता..
गुगु - चिंटू मैं जानता हूँ तुझे लड़कियों में कोई दिलचस्पी नहीं है.. तू गे है.. औऱ तू ये बात अब तक सबसे छीपाता आया है.. मगर अब तुझे इस तरह घुट घुट कर जीने की कोई जरुरत नहीं..
चिंटू हैरानी से - ग़ुगु कैसे?
गौतम - चिंता मत करो चिंटू.. मैं किसी से कुछ नहीं कहूंगा औऱ ना ही तुझे ऐसे घुट घुट के जीने दूंगा..
चिंटू शरमाते हुए - तुझे कैसे पता ग़ुगु.. मेरे बारे में..
गौतम - शादी वाली रात की अगली सुबह.. जब मैं टहल रहा था तब मैंने देखा था.. तू जिस आदमी के साथ था उसे रात को मैने ही बुलाया था..
दरवाजा की बेल बजते ही गौतम दरवाजा खोलकर - आओ वसीम.. किसी ने रोका तो नहीं..
वसीम - ऐसी जगह हमारे जैसे गरीब लोगों तो रोका ही जाता है भईया.. पर आपने रिसेप्शन पर बोला हुआ था इसलिए ज्यादा तकलीफ नहीं हुई आने में..
गौतम - वसीम.. अब से तुम्हे ये काम करने की जरुरत नहीं.. मेरा भाई तुम्हे काम पर रखना चाहता है.. जितना तुम महीने में कमाते हो उससे दुगुनी तनख्वाह मिलेगी.. काम सिर्फ इतना की मेरे भाई को हर दम खुश रखना होगा...
वसीम - जैसा आप बोले..
गौतम चेतन की तरफ इशारा करते हुए - जाओ वसीम भईया इंतजार कर रहे है..
वसीम चेतन के पास जाकर प्यार से उसके होंठ चूमने लगता है औऱ चेतन शर्माते हुए ग़ुगु को देखकर वसीम को रोकते हुए - ग़ुगु सुन.. ग़ुगु..
गौतम रूम से बाहर जाते हुए - एन्जॉय करो भईया..
ये कहकर गौतम रूम से बाहर आ जाता है औऱ दरवाजे पर डु नॉट डिस्टर्ब का sign लटका कर जैसे ही पीछे मुड़ता है उसका पैर फिसल जाता है औऱ वो इस रूम के जस्ट सामने वाले रूम में आगे की तरफ जाते हुए जमीन पर गिर जाता है..
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सुबह 10:00 बजे नींद के आगोश में सोए गौतम की नींद दिन के 2:00 खुली.. गौतम ने जो सपना देखा था उसके बारे में काफी देर तक वो सोचता रहा कि कैसे उसे ऐसे अपने आ रहे है.. लेकिन फिर अपना ध्यान सपने से हक़ीक़त में लाता हुआ बेड से खड़ा हो गया... गौतम ने होटल में देखा तो लगभग सब घर जा चुके थे.. होटल में सिर्फ कुछ मेहमान लोग ही बचे थे. गौतम ने सुमन को फोन किया तो सुमन ने उसे घर आने के लिए कहा.. गौतम का सारा सामान सुमन अपने साथ घर ले जा चुकी थी बस एक शराब की बोतल यही पड़ी थी अभी तक.. और नींद में होने के कारण सुमन ने गौतम को जगाना जरूर नहीं समझा क्योंकि सुमन जानती थी कि गौतम रात भर का जगा हुआ है. सुमन से बात करके गौतम ने फोन रख दिया और फिर अपना मुंह धो कर होटल से घर के लिए निकल गया उसने देखा की यहां आज भी किसी ना किसी की शादी तैयारी चल रही थी..
गौतम जब घर पहुंचा तो उसने देखा कि ऋतु के विदाई की तैयारी चल रही है और घर पर कुछ खास मेहमानों के अलावा घर के लोग ही थे. गौतम अपने कमरे में जाकर नहाने लगा. जब गौतम बाथरूम से नहा कर निकाला तो उसके सामने चाय का कप हाथ में लिए गायत्री खड़ी थी गायत्री ने चाय का कप टेबल पर रखा और फिर गौतम के गाल को सलाहकार उसपर एक प्यारा सा चुंबन करती हुई बोली..
गायत्री - गूगु चाय पी ले और जल्दी से तैयार होकर नीचे आ जा.. तेरी दीदी की विदाई होने वाली है..
गौतम ने गायत्री की कमर में हाथ डालकर उसे अपने बिल्कुल करीब खींचते हुए गले से लगा लिया और दीवार से चिपक कर उसके होठों के बिल्कुल करीब अपने होंठ लाकर गायत्री से बेहद कामुक अंदाज में बोला..
गौतम - विदाई तो होती रहेगी नानी थोड़ी सी चुदाई करें?
गायत्री गौतम के होठों से अपने होंठ सटाती हुई बोली - अभी नहीं बेटा.. पिछली बार का दर्द अब तक बाकी है जब ठीक हो जाएगा तब कर लेना..
गौतम ने कुछ पल गायत्री के होठों का चुम्मा ही था कि उसे किसी के आने की आहट सुनाई दी और वह गायत्री से दूर हटकर टेबल पर रखे चाय के कप को उठाकर चुस्कियां लेते हुए चाय पीने लगा और दरवाजे के बाहर से अंदर आते हुए उसे संजय दिखा जिसने आते ही गायत्री से कहा..
संजय गायत्री से - माँ चलो ना ऋतू को विदा करना है..
गायत्री - चल संजय मैं तो ग़ुगु को चाय देने आ गई थी..
संजय - ग़ुगु तू जल्दी नीचे आजा बेटा..
गौतम - ज़ी मामा ज़ी.. नहाने लग गया था मैं बस तैयार होकर आता हूँ..
गायत्री संजय के साथ नीचे चली गई थी और गौतम अपने कपड़े पहनने लगा था.. गौतम तैयार होकर जैसे ही नीचे आया उसने देखा कि हॉल में बहुत सारे लोग एकत्रित हो रखे थे और बीच में ऋतु में बैठे हुए थी राहुल के साथ. दोनों से मेहमान हंसी स्टोरी कर रहे थे और अपनी अपनी बातें एक दूसरे को बता रहे थे जब विदाई की बारी आई तो ऋतु के आंसू निकलने लगे और वह रोती हुई संजय औऱ गायत्री से लिपट गई..
ऋतू तो फूट के रोने लगी और एक-एक करके सबसे मिलने लगी उसने सबसे पहले अपने पिता संजय फिर गायत्री फिर कोमल सुमन चेतन आरती और फिर ग़ुगु के गले लगते हुए रोना जारी रखा.
गौतम के गले लगकर रितु बहुत जोर से फूट-फूट कर रोने लगी जिस पर गौतम ने धीमी आवाज में ऋतु के कान में कहा.. दीदी इतना ड्रामा मत करो.. मैं जानता हूं आपको घंटा रोना नहीं आ रहा..
गौतम की बात सुनकर रितु रोना कम कर देती है मगर रोना बंद नहीं करती.. ऋतू आम लड़कियों की तरह ऐसा जता रही थी जैसे वह घर से विदा नहीं होना चाहती और हमेशा यही रहना चाहती है मगर गौतम को ऋतू की ये नाटक और ड्रामेबाजी अच्छे से समझ आ रही थी. सबके बार-बार समझाने पर भी रितु रोने का नाटक करने के राहुल के साथ विदा होने से इनकार कर कर रही थी और जाने से मना कर रही थी..
घर के दरवाजे पर गाड़ी तैयार थी मगर ऋतू उसमे बैठने को तैयार नहीं थी उसने अब तक घर के हाल से कदम आगे नहीं बढ़ाया था और सब उसे बारी बारी से समझा कर थक चुके थे की बेटी लड़की को ससुराल जाना पड़ता है लड़की पराया धन होती है. जब ऋतू किसी के समझाने से नहीं समझी और अपना रोने धोने का नाटक जारी रखते हुए हाल में ही बैठ गई तो गौतम में रितु को अपनी गोद में उठा लिया और हाल से उठकर बाहर लाते हुए गाड़ी में बैठा दिया..
गौतम इमोशनल ड्रामा करते हुए ऋतू के बगल में बैठे हुए राहुल से कहा - जीजा जी ख्याल रखना मेरी बहन का.. फूलों की तरह कोमल नाजुक प्यारी है.. बहुत संस्कारी सुशील औऱ पवित्र भी.. कभी दिल मत तोडना मेरी बहन का..
राहुल - आप फ़िक्र मत कीजिये.. मैं ऋतू को खुश रखूँगा..
गौतम इतना कहकर गाड़ी से दूर हो गया और फिर बारी-बारी से घर के लोग ऋतू से मिलने लगे और उसे समझने लगे की ससुराल में उसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं.. इतना सब हो ही रहा था कि गौतम घर के गेट पर खड़ा हो गया.. औऱ अपने फ़ोन में पिंकी का कॉल आते देखकर ऊपर छत पर चला गया और पिंकी का कॉल उठाकर बोला..
गौतम - हेलो बुआ?
पिंकी - केसा है मेरा ग़ुगु?
गौतम - आपके बिना केसा हो सकता हूँ बुआ? कल कितने फ़ोन किये आपको.. पर आप फ़ोन बंद करके बैठी थी.. उस दिन कहा था ना शादी में आना है.. आपके बिना बोरिंग थी सादी..
पिंकी - सॉरी ग़ुगु.. वो फ्लाइट इतनी डिल्य हो गई की आना हो ही नहीं पाया.. फ़ोन भी चार्ज नहीं किया था मैंने.. अभी अभी घर पहुंची हूँ..
गौतम - कहाँ गई थी आप?
पिंकी - तेरे फूफा ज़ी के साथ लन्दन गई थी ग़ुगु.. तेरे लिए बहुत से गिफ्ट लाई हूँ.. अभी यही है ना?
गौतम - हाँ.. दीदी की विदाई का नाटक चल रहा है..
पिंकी हसते हुए - अच्छा वो सब छोड़ जल्दी मेरे पास आजा..
गौतम - एड्रेस पहले वाला ही है ना?
पिंकी - नहीं बाबू अब वहा नहीं रहते.. मैं तुझे व्हाट्सप्प करती हूँ अड्रेस.. तू जल्दी से आजा अपनी बुआ के पास.. मुझे तेरे प्यारे से होंठ चूमने है..
गौतम - आता हूँ बुआ..
पिंकी - बाय बाबू..
गौतम - बाय बुआ..
ऋतू की विदाई हो चुकी थी औऱ गौतम अपने कमरे में जूते पहन रहा था तभी सुमन अंदर आते हुए बोली - खाना खा ले ग़ुगु..
गौतम - होटल में खा लिया था माँ.. अब रात को ही खाऊंगा..
सुमन - कहीं जा रहा है..
गौतम - हाँ.. उस दिन आपने बुला लिया तो शहर अच्छे से घूम नहीं पाया था.. कल तो वैसे भी वापस घर चले जाएंगे तो आज बाकी का शहर घूम लेता हूँ..
सुमन मुस्कुराते हुए गौतम के सर को चूमकर - वापस आने में ज्यादा देर मत करना..
गौतम - I'll be back soon माँ..
सुमन - हम्म्म.. क्या ग़ुगु?
गौतम सुमन के गाल पर चूमा देकर - मैंने कहा मैं जल्दी आ जाऊंगा..
सुमन मुस्कुराते हुए - हाँ तो ऐसे बोल ना.. अंग्रेजी में क्या गिटर पीटर करता मेरी तो कुछ समझ नहीं आता..
गौतम - आपने ही बड़े स्कूल में डलवाया था याद है?
सुमन - हा हा तो क्या अपनी अंग्रेजी अपनी अनपढ़ माँ पर झाड़ेगा?
गौतम सुमन का हाथ पकड़ते हुए - अनपढ़ कैसे हुई आप.. पढ़ना लिखना तो अच्छे से आता है आपको.. टीवी देखकर सारे इंग्लिश के वर्ड भी सिख गई हो.. औऱ घर का सब काम भी कितनी अच्छे से करती हो.. आप तो भारतीय संस्कारी नारी का परफेक्ट एक्साम्प्ल हो..
सुमन गौतम के होंठों को उंगलियों से पकड़कर - अब इतनी भी तारीफ़ मत कर अपनी माँ की..
गौतम सुमन ऊँगलीयों को चुमकर - काश मैं आपकी तारीफ़ कर सकता माँ.. आपकी तारीफ़ के लायक़ शब्द हो नहीं बने दुनिया में..
सुमन हसते हुए - हट बदमाश.. चल अब जा.. मुझे भी बहुत काम है अभी..
गौतम प्यार से बच्चों जैसा फेस बनाकर - किस्सी तो दे दो माँ..
सुमन मुस्कुराती हुई गौतम के सर को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर उसके होंठों से अपने होंठ मिलकर एक छोटा सा चुम्मा करती हुई गौतम से बोली - खुश? चल अब जाने दे..
सुमन चली जाती है औऱ गौतम भी घर से निकल जाता है..
**********
अरे अरे कहा घुसे चले आ रहे हो भाई? क्या काम है, किससे मिलना है?
गॉर्ड ने बँगले के गेट पर गौतम को रोककर कहा..
गौतम - ज़ी मुझे पिंकी बुआ से मिलना है..
बँगले के गेट पर खड़े दो गार्डो में से एक ने कहा - यहां कोई पिंकी नहीं रहती जाओ यहां से..
गौतम फ़ोन में एड्रेस देखकर - पर ये अड्रेस तो यही का है..
एक गार्ड ने एड्रेस देखकर कहा - एड्रेस तो यही का है भईया पर यहां कोई पिंकी नहीं रहती.. गलत अड्रेस भेजा है किसी ने आपको.. आप जाइये यहां से मालकिन बहुत गर्म मिज़ाज़ की है.. उन्होंने किसी अजनबी को देख लिया तो हमारी नौकरी खतरे में पड़ जायेगी..
गौतम पिंकी को फ़ोन लगाता हुआ - हेलो.. बुआ?
पिंकी बँगले के गेट के पास अंदर बने गार्डन में एक चेयर पर बैठी हुई कोई फेशन मैगज़ीन पढ़ रही थी की गौतम का फोन आने पर फोन उठती हुई बोली - हाँ बाबू..
गौतम - बुआ ये अड्रेस तो गलत है शायद.. गेट पर खड़े गार्ड बोल रहे है यहां कोई पिंकी नहीं रहती है..
पिंकी गुस्से में मैगज़ीन सामने रखी टेबल पर फेंककर - तू रुक वही.. मैं आती हूँ..
गौतम को तुरंत ही रूपा का फ़ोन आ जाता है औऱ वो रूपा से बात करते हुए गेट से दूर चला जाता है..
पिंकी गुस्से से तिलमिलती हुई गार्डन से गुजरते हुए बंगले के गेट पर पहुंची..
पिंकी को देखकर दोनों गॉड सर झुकाकर एक साथ बोले - नमस्ते मेम साब..
पिंकी गुस्से में - तुम दोनों की हिम्मत कैसे हुई मेरे भतीजे को गेट पर रोकने की? इतनी भी तमीज नहीं है कि किसे रोकना है औऱ किसे नहीं? ये सब भी सीखना पड़ेगा तुम लोगों को..
एक गार्ड सर झुका कर - माफ़ करना मेमसाब.. हम नहीं जानते थे भईया ज़ी कौन है.. गलती हो गई हमसे..
पीछे से पिंकी के पति फ़कीरचंद आता हुआ..
फ़कीरचंद - क्या हुआ प्रमिला.. क्यों चिल्ला रही हो इन दोनों बेचारो पर..
पिंकी गुस्से में - चिल्लाऊ नहीं तो क्या करू.. पहली बार मेरा ग़ुगु मेरे पास आया है औऱ उसे अंदर आने से रोक दिया दोनों ने.. इनको अभी नौकरी से निकालती हूँ मैं..
दूसरा गार्ड सर झुका कर - मालिक.. हमें माफ़ कर दो.. हमें गलतफेहमी हो गई थी.. हमें पता नहीं था प्रमिला मेमसाहेब के घर का नाम पिंकी है..
फ़कीरचंद मुस्कुराते हुए - अरे छोडो ना प्रमिला.. गलतफहमी हो जाती है.. इंसान है.. औऱ ग़ुगु आया है? कहा है वो?
प्रमिला गेट के बाहर आकर देखती है तो गौतम थोड़ी दूर पर रूपा से फ़ोन पर बात कर रहा होता है..
पिंकी आवाज लगा कर - ग़ुगु..
गौतम पिंकी को देखकर रूपा से बाद में बात करने की बात बोलकर फ़ोन रख देता है औऱ वापस आ जाता है..
फ़कीरचंद मुस्कुराते हुए - कितना बड़ा हो गया है ग़ुगु? बिलकुल हीरो लगने लगा है..
पिंकी गौतम को जोर से गले लगाती हुई - लगने क्या लगा है.. है ही हीरो मेरा ग़ुगु..
गौतम - बुआ आराम से..
फ़कीर चंद हसते हुए - अब छोड़ भी दो अपने भतीजे को प्रमिला..
प्रमिला - सॉरी तुझे वेट करना पड़ा गेट पर..
गौतम - कोई बात नहीं बुआ.. ये तो बहुत छोटी सी बात है..
पिंकी - पैर वेर छूना नहीं सिखाया भाभी ने तुझे..
गौतम मुस्कुराते पिंकी के पैर छूकर - अच्छा लो..
पिंकी - अरे मेरे नहीं अपने फूफाज़ी के.. पागल बच्चा.. चल अंदर.. तेरे लिए तेरी मनपसंद चीज बनाई है..
फ़कीरचंद - अच्छा तभी आज अपने हाथों खाना बनाया जा रहा था..
पिंकी - तो ना बनाउ? पहली बार मेरा ग़ुगु मेरे पास आया है..
फ़कीरचंद - अच्छा तुम बुआ भतीजे बात करो मैं जरा बाहर हो आता हूँ..
पिंकी - अब आप कहा जा रहे हो?
फ़कीरचंद - फैक्ट्री हो आता हूँ.. मुकेश को कुछ कागजो पर दस्तखत चाहिए थे..
पिंकी - तो उसे ही यहां बुलवा लिया होता.. आपको मैनेजर के पास जाने की क्या जरुरत?
फ़कीरचंद - वो तो आ रहा था मैंने ही मना कर दिया.. सोचा थोड़ा टहल भी आऊंगा.. बहुत समय हो गया फैक्ट्री गए हुए.. आते हुए कारखाने की तरफ भी हो आऊंगा..
पिंकी - दवाइया साथ लेकर जाना.. औऱ ड्राइवर से कहना गाडी धीरे चलाये..
फ़कीरचंद - ठीक है..
गौतम पानी पीते हुए - दवाइया कैसी?
पिंकी - मधुमय है तेरे फूफाजी को.. तू चल बैठ टेबल पर.. मैं अपने हाथ से खाना खिलाऊंगी मेरे बाबू को आज..
गौतम - खाना तो खा चूका हूँ बुआ..
पिंकी - ठीक पर खीर तो खानी पड़ेगी.. पसंद है ना तुझे? (पिंकी आवाज लगाकर) कम्मो.. ख़िर लेकर आना जरा.. एक औरत ख़िर की प्याली लेकर आती है जिसे पिंकी लेकर गौतम के बगल में डाइनिंग टेबल पर बैठकर उसे खिलाने लगती है..
गौतम ख़िर खा कर - बस बुआ.. औऱ नहीं..
पिंकी - अच्छा.. ये बता भईया भी आये है शादी में?
गौतम मुंह साफ करता हुआ - नहीं बुआ.. उनको कहा फुर्सत.. मैं भी नहीं आने वाला था मगर माँ ने कसम खिला दी औऱ ले आई..
पिंकी गौतम को ऊपर अपने कमरे में लेजाती हुई - अच्छा किया भाभी.. वरना तू मुझसे मिलने कैसे आता?
गौतम - वैसे बुआ उस दिन फूफाजी को देखकर लगा नहीं था इतने अमीर होंगे वो..
पिंकी कमरे का दरवाजा लगाकर मुस्कुराते हुए - सही हाथ मारा है ना तेरी बुआ ने?
गौतम - ऐसे क्यों बोल रही हो बुआ.. आप कितना ख़याल रखती हो फूफाजी का.. उनको आपका शुक्रगुजार रहना चाहिए..
पिंकी अपनी साडी उतारते हुए - शुक्रगुजार तो है ही.. इसलिए मेरे नाम पर ये बांग्ला ख़रीदा है उन्होंने औऱ कुछ दिनों में दोनों फैक्ट्री औऱ कारखने भी मेरे नाम करने वाले है..
गौतम मुस्कुराते हुए - वो तो करना ही था.. आगे पीछे है भी कौन फूफाजी के आपके अलावा.. सही खेल गई बुआ आप तो..
पिंकी हसती हुई अपनी साडी कमरे में रखे सोफे पर पटककर बेड पर गौतम के पास आती हुई - मान गया ना अपनी बुआ को? है ना मेरा शातिर दिमाग.. पहली मुलाक़ात में ऐसा फसाया की अब तक फसा रखा है..
गौतम - वो तो है.. अच्छा लन्दन केसा है? सिर्फ तस्वीरों में देखा है मैंने.. जैसा फिल्मो में दीखता है वैसा ही है?
पिंकी गौतम के ऊपर आती हुई - काश में तुझे वहा ले जा पाती.. भाभी को फ़ोन किया था पर तेरी माँ तो जैसे मेरे पिछले जन्म की बैरी है.. मेरे कहते ही बोलने लगी.. ग़ुगु वहा जा कर क्या करेगा? तू अकेले ही चली जा.. ग़ुगु के इम्तिहान भी आने वाले है.. फलाना ढिमकाना.. औऱ एक हफ्ते से तुझे यहां शादी में लाकर बैठी है.. अब भाभी को तेरे इम्तिहान की परवाह नहीं है.. चालक चुड़ैल कहीं की..
गौतम - बुआ माँ को चुड़ैल मत बोलो..
पिंकी - क्यों तुझे बहुत तकलीफ होती है.. वो जब मेरे बारे में इतना कुछ कहती है तब तुझे तकलीफ नहीं होती?
गौतम - जब माँ आपके बारे में कुछ गलत बोलती है तो मैं उनको भी मना करता हूँ चाहो तो पूछ लो.. मुझसे तो आप औऱ माँ दोनों एक जैसा प्यार करती हो.. मैं आप दोनों के लिए कुछ गलत नहीं सुन सकता..
पिंकी - अच्छा छोड़.. मुझे अब मेरी किस्सी चाहिए..
गौतम पिंकी को चूमते हुए - ठीक है बुआ..
पिंकी चूमते हुए - बहुत सॉफ्ट लिप्स है तेरे बाबू..
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गौतम - आपके भी तो कितने प्यारे लिप्स है बुआ मन करता है खा जाऊ..
पिंकी जीभ से चाटते हुए - खा जा ना बाबू.. बुआ मना थोड़ी करेंगी अपने ग़ुगु को..
गौतम चूमता हुआ - बहुत miss किया बुआ आपको..
पिंकी गौतम की टीशर्ट उतारकर - ये सब क्या है ग़ुगु.. तेरे गले पर सीने पर इतने निशान किसने किये?
गौतम मुस्कुराते हुए - ये शादी में मिले है बुआ.. एक लड़की ने बहुत तंग किया मुझे..
पिंकी मुस्कुराते हुए - क्या नाम था उसका?
गौतम - सिमरन..
नाम लेटे ही सिमरन का फ़ोन गौतम के फ़ोन पर आ गया जिसे देखकर गौतम हसता हुआ बोला - देखो ना बुआ.. शैतान का नाम लिया शैतान हाज़िर..
पिंकी मुस्कुराते हुए - उठा ना.. बात कर क्या कहती है..
गौतम फ़ोन उठाकर - हेलो..
सिमरन - क्या कर रहे हो?
गौतम - तुम्हे याद कर रहा था..
सिमरन - झूठ.. बड़े आये तुम मुझे याद करने वाले.. कल तो कितना भाव खा रहे थे..
गौतम - आखिर में प्यार भी तो किया था भूल गई?
सिमरन - कैसे भूल सकती हूँ रसगुल्ले.. अब तक पीछे की सुरंग में आतंक मचा हुआ है.. सुबह पोट्टी करते हुए तुझे याद करके बहुत गालिया दी मैंने..
गौतम हसते हुए - खतरों से खेलने का शोक तो तुम्हे ही था.. वापस कब मिलोगी?
सिमरन - मिलना चाहो तो आज रात को मिल सकती हूँ.. पर याद रखना सुरंग में नहीं घुसने दूंगी..
गौतम - तेरा बाप मान जाएगा? तूने तो कहा था बहुत स्ट्रिक्ट है वो..
सिमरन - वो सब मुझपर छोड़ दो.. सिटी मॉल में मिलना आठ बजे.. मूवी देखेंगे साथ.. लेट मत करना रसगुल्ले वरना घर से उठवा लुंगी..
गौतम हसते हुए - उठवाने की जरुरत नहीं पड़ेगी मैं पहुंच जाऊँगा.. फ़ोन कट हो जाता है..
पिंकी गौतम को छेड़ती हुई - रसगुल्ले.. हम्म्म..
गौतम मुस्कुराते हुए - बुआ आप भी ना..
पिंकी - अच्छा फोटो तो दिखा सिमरन की.. आवाज तो बहुत प्यारी है.
गौतम फोटो दिखाकर - लो.. कैसी है..
पिंकी - है तो मस्त.. चुचे औऱ चुत्तड़ भी अच्छे है फेस भी बड़ा प्यारा है.. पहली बार कैसे चोदा तूने इसको?
गौतम अपनी गांड मराई याद करते हुए - मैंने कहा चोदा बुआ.. यही मुझे चोद गई..
पिंकी हसते हुए - उसका क्या कसूर? तू है ही इतना चिकना..
गौतम - आप भी ना बुआ.. अब जल्दी से अपना ये घाघरा उठाओ बहुत मन कर रहा है आपकी गुफा में घुसने का..
पिंकी पेटीकोट कमर तक ऊपर करके - घाघरा नहीं पेटीकोट बोलते है इसे बाबू..
गौतम जीन्स खोलकर - पेंटी तो उतारो..
पिंकी गौतम के लंड को पकड़कर मसलते हुए - उतारने की क्या जरुरत है बाबू.. साइड हटा के घुसा दे.. (पिंकी पेंटी को एक हाथ से साइड करके दूसरे हाथ से गौतम का लंड अपनी चुत में घुसाती हुई)
गौतम पूरा लंड चुत में पेलकर - आह्ह.. बुआ अब मिली है असली जन्नत...
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पिंकी सिसकती हुए - आह्ह... बाबू.. बहुत याद किया इसे मैंने..
गौतम अपने दोनों हाथ से पिंकी के ब्लाउज को पकड़कर एक झटके में पूरा फाड़ देता है औऱ उसकी ब्रा ऊपर करके पिंकी के बूब्स चूसते हुए पिंकी को धीरे धीरे चोदने लगता है..
पिंकी - ग़ुगु चूसके खाली कर अपनी बुआ के बोबो को बेटा.. आहहह...चोद बुआ को अच्छे से.. रांड समझके चोद मुझे बाबू.. मार झटके मेरी चुत में..
गौतम चोदने की स्पीड बढ़ाते हुए - लो बुआ सम्भालो.. अपने ग़ुगु के लंड को..
पिंकी - आह्ह.. ग़ुगु.. आह्ह... चोद मुझे.. आह्ह.. बहुत मज़ा आ रहा है बाबू.. आह्ह..
गौतम मिशनरी में चोदने के बाद पिंकी को घोड़ी बनाता हुआ चोदने लगता है - कितनी मोटी गांड है बुआ आपकी.. फूफाजी ने तो नहीं की चोदकर इतनी बड़ी.. कौन है बुआ आपका आशिक आवारा?
पिंकी आह करती हुई - बाबू तूने ही पेला था पिछली बार.. तब से किसीके साथ नहीं किया..
गौतम बाल पकड़ कर पीछे से झटके मारता हुआ - चल मेरी बुआ टूक टुक टुक.. चल मेरी बुआ टुक टुक टुक..
पिंकी - अहह.. अहह... अहह..
गौतम बाल छोड़कर पिंकी के दोनों हाथ पकड़ कर पीछे से चोदने लगता है - बुआ गांड कब दोगी मुझे?
पिंकी - बड़ा है तेरा ग़ुगु.. चुत में दर्द कर देता है गांड का पता नहीं क्या हाल करेगा..
गौतम पिंकी को उठाकर अपनी गोद में लेलेता है औऱ चोदने लगता है - तो क्या मैं आपकी गांड से वंचित रह जाऊँगा बुआ?
पिंकी चुदवाते हुए आहे भरकर - इस बार चुत से काम चला ले मेरे बाबू.. अगली बार पक्का गांड दे दूंगी.. पिंकी झड़ चुकी थी औऱ अब झड़ने के साथ अब मूतने भी लगी थी जिसमे उसे शर्म आ रही थी मगर गौतम ने लंड निकालकर अपना मुंह पिंकी चुत पर लगा दिया औऱ उसकी चुत से निकलते मूत को पिने लगा.. पिंकी ये देखकर हैरान औऱ रोमांचित हो उठी थी औऱ बार बार गौतम को अपना मूत पिने से रोकने की कोशिश कर रही थी मगर गौतम ने पिंकी की आखिरी मूत की बून्द तक अपने मुंह में लेकर पी ली..
मूत पिने के बाद गौतम पिंकी की चुत चाटने लगा औऱ पिंकी गौतम के बाल पकड़ कर फिर से काम के दारिया में गोते खाने लगी. पिंकी ने अपनी चुत चटवाने का आनंद भोगते हुए गौतम का सर बहुत जोर से अपनी चुत पर दबा दिया जिससे गौतम की सांस घुटने लगी मगर गौतम ने जैसे तैसे अपने आप को पिंकी के हाथ से छुड़वा कर पिंकी दोनों टाँगे हाथों से उठा कर उसकी चुत चाटने लगा..
गौतम चुत चाटने के बाद पिंकी को उठाकर दिवार के सहारे खड़ा करते हुए उसी तरह छिपकली बनाकर चोदने लगा जैसे उसने सुबह शबनम को चोदा था..
पिंकी चुदवाते हुए कामुक सिसकियाँ लेकर - थोड़ा धीरे ग़ुगु.. तेरी बुआ को दर्द हो रहा है.. अहह...
गौतम थोड़ी देर छिपकली पोज़ में चोदने के बाद पिंकी को पलट कर अपनी तरफ घुमा लेता है औऱ दिवार से सटाकर पिंकी की दोनों टाँगे उठाकर उसे चोदने लगता है.
पिंकी गौतम के गले में दोनों हाथ डालकर उसे चूमते हुए सिस्कारिया भरके चुदवाती रहती है. वो वापस झड़ने वाली थी औऱ अब गौतम का भी निकलने वाला था..
गौतम - बुआ होने वाला है..
पिंकी - मेरा भी वापस होने वाला है बाबू.. मुझे बेड पर लेटा दे..
गौतम पिंकी को अपने ऊपर में लेटा कर पेलने लगता है औऱ कुछ देर बाद पिंकी के साथ ही झड़ते हुए पिंकी की चुत में अपना वीर्य भर देता है..
पिंकी औऱ गौतम एक दूसरे की शकल देखते हुए मुस्कुराने लगते है पिंकी अपने फटे हुए ब्लाउज से गौतम के चेहरे पर आ रहा पसीना पोछती है..
पिंकी थोड़ी देर उसी तरह लेटी रहकर गौतम से बात करके बोलती है - अब इस शैतान को तो मेरी गुफा से बाहर निकाल लो..
गौतम - रहने दो ना बुआ थोड़ी देर गुफा के अंदर.. बेचारा बहुत दिनों बाद अपनी बुआ से मिला है..
पिंकी पलटकर- अच्छा ठीक है..
गौतम पिंकी के ऊपर ही उसकी चुत में लंड घुसा के हल्का हल्का झटका मारते हुए लेटा रहता है औऱ पिंकी गौतम के होंठों को चूमते हुए उसके बालों में उंगलियां फिराती हुई गौतम के नीचे लेटी रहती है.. कुछ देर चूमने के बाद गौतम की आँख लग जाती है औऱ पिंकी भी अपने ऊपर लेटे हुए गौतम को सोने देती है करीब एक घंटे बाद जब गौतम की आँख खुलती है तो वो देखता है की पिंकी अभी भी उसके नीचे लेटी हुई है औऱ उसका लंड अभी भी पिंकी की चुत में घुसा हुआ है.
गौतम की नींद टूटने पर पिंकी - उठ गया मेरा बाबू?
गौतम - टाइम क्या हुआ है बुआ?
पिंकी - सात बजे है..
गौतम चुत से लंड निकाल कर खड़ा होता हुआ - जाना है बुआ..
पिंकी मुस्कुराते हुए खड़ी होकर - सिमरन के पास?
गौतम कपडे पहनते हुए - हाँ..
पिंकी पास में पड़े अपने पर्स से एक कार्ड निकाल कर गौतम की जीन्स में रखती हुई बोली - 2002..
गौतम एटीएम कार्ड देखकर वापस देता हुआ - बुआ मुझे नहीं चाहिए.. आप इसे अपने पास रखो..
पिंकी गौतम के होंठ चूमकर एटीएम वापस उसकी जेब में डालती हुई - मैंने पूछा नहीं है तुझसे लेना है या नहीं.. चुपचाप रख ले.. कुछ भी चाहिए हो खरीद लेना.. शर्माना मत.. मैंरे पास औऱ भी दो है..
गौतम पिंकी का बोबा पकड़कर उसके होंठ चूमते हुए - आई लव यू बुआ..
पिंकी - लव यू टू मेरा बच्चा...
गौतम - अच्छा बुआ अब चलता हूँ.. जल्दी मिलूंगा आपसे..
पिंकी ब्रा औऱ पेंटी के बाद nighty पहनते हुए - ग़ुगु रुक..
गौतम - हाँ बुआ..
पिंकी एक बेग निकालकर - इसे लेजा..
गौतम - इसमें क्या है..
पिंकी - कुछ कपडे है घड़ी परफ्यूम औऱ शूज भी तेरे लिए..
गौतम - बुआ इतना सब लाने की क्या जरुरत है हर बार..
पिंकी - क्यों जरुरत नहीं है.. तेरे सिवा मेरा है ही कौन जिसके लिए मैं कुछ खरीदू.. आगे जाके इन सब चीज़ो का वारिस तुझे ही तो बनना है.. ये तुझे ही तो संभालना है..
गौतम मुस्कुराते हुए पिंकी को बाहों में भरके - मुझे पैसो में कोई दिलचस्पी नहीं है बुआ, चुत में है... कम पैसो से भी मेरा काम चल जाता है.. पैरों में जूते जॉर्डन के हो या कैंपस के मुझे फर्क नहीं पड़ता..
पिंकी गौतम का चेहरा अपने हाथों में लेकर - पर मुझे फर्क पड़ता है ग़ुगु.. अपनी पसंद की चीज के लिए जैसे मैं तरसी हूँ वैसे मैं तुझे तरसते नहीं देखना चाहती.. मेरे पास जो कुछ है सब तेरा है.. तू मेरा सबकुछ है ग़ुगु.. तेरे लिए मैं कुछ भी कर सकती हूँ.. किसी की जान भी ले सकती हूँ..
गौतम - माँ सच कहती है बुआ.. आप ना सनकी हो..
पिंकी चूमते हुए - ऐसा सोचती है मेरे बारे में तेरी माँ..
गौतम - बुआ आप अब यूँही मुझे पकड़े रहोगी तो मैं जा नहीं पाऊंगा..
पिंकी गौतम अपनी बाहों से आजाद करती हुई - चल जा.. मज़े कर अपनी उस गर्लफ्रेंड के साथ.. मगर कंडोम लगा कर.. नहीं तो इतनी सी उम्र में बाप बन जाएगा..
गौतम पिंकी के सर औऱ गाल को चूमते हुए - बाय मेरी प्यारी बुआ..
पिंकी गौतम के होंठों को डांत से खींचकर चूमती हुई -
बाय बच्चा..
गौतम पिंकी के पास से सिटी मॉल की तरफ चल देता औऱ कार पार्किंग में लगा कर मॉल के बाहर बनी एक चाय की टपरी पर बैठते हुए सिमरन को फ़ोन करता है..
गौतम - कहा रह गई यार..
सिमरन - आ रही हूँ बाबा.. जरा भी सब्र नहीं है तुम्हे तो.. अभी तो सिर्फ पौने आठ बजे है.. मूवी शुरू होने में डेढ़ घंटा है..
गौतम - मतलब अभी घर पर ही हो तुम.. ठीक है आ जाओ अपनी मर्ज़ी से.. मैं इंतजार कर लूंगा..
सिमरन - अच्छा सुनो भईया भी साथ आ रहे है उनकी भी टिकट बुक कर देना..
गौतम - वो कबाब में हड्डी बनने क्यों आ रहा है?
सिमरन - बाबा.. मम्मी ने अकेले जाने से मना किया इसलिए भईया को लाना पड़ेगा.. तुम उनकी फ़िक्र मत करो.. भईया थोड़ा दूर बैठ जाएंगे..
गौतम - ठीक है सिम्मी..
सिम्मी - क्या पहन के आउ रसगुल्ले?
गौतम - कुछ भी पहन के आजा मेरी रसमलाई.. होना तो नंगा ही है तुझे.. चल बाय.. मैं वेट कर रहा हूँ..
Bahut hi shandar update chintu ka bhi jugaad karwa diya…, bahut shandar likh rahe ho mitr !Update 33
गौतम सुबह उठा तो उसने सबसे पहले किशोर कुमार के पुराने गाने लगा कर कान में इयर बड्स लगा लिए औऱ ब्रश करता हुआ बाथरूम में आ गया.. टट्टी करने इंग्लिश पोट पर बैठकर गौतम फ़ोन चलाते हुए फ़ोन देख ही रहा था उसे कल आदिल की बात याद आई औऱ उसने व्हाट्सप्प खोल लिया फिर आदिल के भेजे फोटो देखने लगा..
जैसे ही गौतम ने आदिल की व्हाट्सएप मैसेज पर भेज़ी हुई तस्वीर देखी और उनमें किसी जोड़े की शादी को देखा तो वह हैरत में पड़ गया और अपना सर को खुजाते हुए उसने आदिल को फोन कर दिया...
गौतम ने आदिल से तस्वीर के बारे में पूछताछ की और आदिल ने जवाब दिया कि कल जब वो अपने दोस्त मोनू (फोटोग्राफर) की दुकान पर गया था तब उसने दुकान पर यह तस्वीर देखी.. औऱ वही से इन तस्वीरों की पिक लेकर उसे massage किया..
गौतम ने आगे औऱ कुछ पूछा तो आदिल ने जवाब दिया की ये तस्वीर मोनू ने परसो खींची थी जब उसे एक आदमी ने बुलाया था.. किसी पुराने धार्मिक जगह पर ये शादी हुई थी औऱ गिनती के 3-4 लोग ही उसमे शामिल थे..
गौतम ने फ़ोन रख दिया औऱ फ्रेश होकर बाहर आ गया उसने सबसे पहले रूपा को फ़ोन किया औऱ कहा...
(रूपा 41)
गौतम चिड़चिड़े पन से - ये क्या मज़ाक़ है?
रूपा - अच्छा तो तुम्हे खबर मिल गई? ये मज़ाक़ नहीं है नन्हे शैतान..
गौतम - माँ को पता चलेगा तो क्या होगा पता है ना?
रूपा - जो भी हो.. अब मैं कुछ नहीं कर सकती..
गौतम - तुम भी ना उड़ते तीर लेती हो.. अब संभालना माँ को आपको ही..
रूपा - मैं देख लुंगी.. तुम मत बताना..
गौतम - बताने के लिए ये कोई ख़ुशी खबर थोड़ी है.. आपने भी ना काण्ड कर दिया फालतू में.. पापा ही मिले थे आपको शादी करने के लिए..
रूपा - अच्छा ये सब छोड़.. ये बता तू केसा है..
गौतम - अब तक ठीक था पर आपने जो बम फोडा है उसके बाद सर दर्द होने लगा है..
रूपा हसते हुए - तू जल्दी से मेरे पास आजा मेरे नन्हे शैतान फिर मैं प्यार से तेरा सर दबाकर तेरा सर दर्द दूर कर दूंगी..
गौतम - हम्म्म..
रूपा - अपना ख्याल रखना नन्हे शैतान..
गौतम - ख्याल तो आप अपना रखना मम्मी.. जब से बाबाजी के पास होके आई हो एक बार भी मुझे अपनी गुफा में घुसने नहीं दिया.. इस बार कोई बहाना नहीं चलेगा..
रूपा - इस बार तुझे जो करना हो कर लेना मेरे नन्हे शैतान.. पर जल्दी से आजा बहुत दिन हो गए तुझे देखे हुए...
गौतम - रखता हूँ मम्मी.. कोई बुला रहा है..
रूपा - बाय गौतम..
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(माधुरी 36)
माधुरी - रूपा तुमने ये अच्छा नहीं किया.. किसी की मज़बूरी का फ़ायदा उठाना सही नहीं है..
रूपा - मैंने कहा किसी की मज़बूरी का फ़ायदा उठाया है माधुरी? मैंने तो बस एक सौदा किया था जगमोहन के साथ.. तुम भी तो राजी थी उसके लिए..
माधुरी - मैं राजी हुई क्युकी मेरे पास औऱ कोई रास्ता नहीं बचा था.. अगर तुम्हारी शर्त नहीं मानती तो जगमोहन को जेल हो जाती औऱ ये घर भी नीलाम हो जाता.. मैं सडक पर आ जाती..
रूपा - जगमोहन जुए में लाखों रुपए हार गया औऱ फिर रिश्वत लेते भी पकड़ा गया तो इसमें मेरी क्या गलती माधुरी? मैंने तो मदद करने की पेशकश की.. तुमने औऱ जगमोहन दोनों ने इसे माना था..
माधुरी - पर मैं ये नहीं समझ पा रही कि तुमने जगमोहन से शादी क्यों की? उसके पास ऐसा क्या है जो तुम्हे चाहिए.. मैंने बताया था तुम्हे कि वो अब किसी काम का नहीं.. ना उसके पासवर्ड कुछ ऐसा है जो तुम्हे वो दे सकता है..
रूपा - मुझे जगमोहन से सिर्फ उसकी पत्नी होने का दर्जा चाहिए था माधुरी.. वो मुझे मिल चूका है.. अब मुझे औऱ किसी की जरुरत नहीं..
माधुरी - बहुत अजीब बात है रूपा.. तुमने ऐसे आदमी से शादी की जो अब नामर्द बन चूका है औऱ तुम खुश भी हो.. तुमने जगमोहन की नोकरी बचाई उसे जेल जाने से बचाया औऱ अब इस घर पर बाकी लोन भी चुकाने को तैयार हो.. मैं तुम्हे समझ नहीं पास रही..
रूपा - माधुरी मैं तुम्हारे साथ इस घर में तुम्हारी बड़ी बहन बनकर रह सकती हूँ.. हमें आपस में लड़ने झगड़ने की जरुरत नहीं है.. मैं तुम्हे एक सच्चाई बताना चाहती हूँ..
माधुरी - कैसी सच्चाई रूपा?
रूपा - माधुरी मैंने जगमोहन से शादी इसलिए नहीं की कि मुझे जगमोहन पसंद है या मैं तुम्हारे साथ इस घर में रहना चाहती हूँ.. मेरे जगमोहन से शादी करने का कारण गौतम है.. मैं गौतम सको एक माँ औऱ एक प्रेमिका दोनों का प्यार देना चाहती हूँ..
माधुरी - ये क्या कह रही हो रूपा.. तुम होश में तो हो? गौतम बस एक बच्चा है.. जब उसे इसका पता लगेगा तो वो क्या सोचेगा तुम्हारे बारे में.. औऱ सुमन? सुमन तो तुम्हारी जान ही ले लेगी.. गौतम पर सिर्फ सुमन का अधिकार है..
रूपा - देखो माधुरी.. मैं जानती हूँ कि तुम भी गौतम के साथ उसी तरह रहना चाहती हो जैसे कि मैं.. मैंने कल तुम्हारी औऱ गौतम कि बाते सुनी थी औऱ मैं जानती हूँ तुम भी गौतम से वैसा ही रिश्ता रखना चाहती हो जैसा मैं रखना चाहती हूँ.. मुझसे तुम्हे कुछ छिपाने की जरुरत नहीं है.. हम दोनों मिलकर गौतम का हर तरह से ख्याल रख सकते है.. औऱ रही बात सुमन की तो उसे किसी भी तरह हमें समझाना पड़ेगा कि वो गौतम के साथ यहां हमारे साथ आकर रहे..
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माधुरी - ये तुम क्या बोले जा रही हो रूपा.. सुमन कभी ऐसा नहीं करेगी..
रूपा - सब होगा माधुरी.. मैं तुम औऱ सुमन तीनो इस घर में एक साथ गौतम की माँ बनकर रहेंगी.. सुमन के पीठ पीछे हम गौतम को माँ के साथ साथ उसकी प्रेमिकाएं बनकर भी उसका ख्याल रखेंगी..
माधुरी कुछ देर सोचकर - क्या ये सच में हो सकता है रूपा? क्या ऐसा मुमकिन है? क्या गौतम हम दोनों के साथ वैसा रिश्ता रखेगा?
रूपा - हाँ माधुरी.. ऐसा जरुर होगा.. अब किसी तरह बस सुमन को यहां रहने के लिए राजी करना होगा.. मुझे पता है जब वो तुमपर गुस्सा है औऱ जब मेरी औऱ जगमोहन की शादी के बारे में जानेगी तब मुझपर भी गुस्सा होगी.. मगर हमें किसी भी तरह उसे मनाना होगा..
माधुरी कुछ देर ठहर कर - ठीक है रूपा.. मैं तैयार हूँ.. आज से हम दोनों बहने बनकर रहेंगी.. सुमन को मनाने में मैं तुम्हारी हर तरह से मदद करूंगी..
रूपा माधुरी के गले लगते हुए - मैं जानती थी माधुरी तुम जरुरत मेरी बात मान जाओगी..
माधुरी भी रूपा को गले लगाकर - बहन.. मैं तुम्हारे साथ हूँ.. तुम्हारी तरह मैं भी गौतम के बिना नहीं रह सकती..
रूपा - मैं समझ सकती हूँ माधुरी.. गौतम ने मेरी तरह तुम्हे भी अपना दीवाना बना दिया है..
माधुरी - उसकी क्या गलती रूपा.. उसके प्यारा सा चेहरा मीठी बातें औऱ मर्दानगी किसी को भी अपना गुलाम बना सकती है..
रूपा - सच में माधुरी..
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गायत्री - कुछ दिन औऱ रुक जाती सुमन..
सुमन - माँ.. आप तो जानती है वहा कितना काम पड़ा है? ग़ुगु के आखिरी एग्जाम भी आने वाले है..
गौतम सीढ़ियों से नीचे उतरता हुआ - उनमे अभी समय है माँ.. हम 2-3 दिन औऱ नानी के साथ रह सकते है..
आरती मुस्कुराते हुए - अब तो आप खुश है बुआ.. मेरे देवर ज़ी ने भी रुकने के लिए हामी भर दी है..
गौतम आरती को देखकर - अब आपने ख्याल ही इतना रखा है मेरा.. आपका कहा कैसे टाल सकता हूँ..
गायत्री - सुमन अब तो हमारे ग़ुगु ने भी कह दिया है अब तो रुकना ही पड़ेगा तुझे कुछ औऱ दिन मेरे साथ..
सुमन - पर माँ..
संजय - पर वर कुछ नहीं सुमन.. रुकना है तो रुकना है.. समझी?
(कोमल 42)
कोमल - अरे शबनम.. कहा मर गई तू..
(शबनम 30)
शबनम - आई मालकिन..
कोमल - कल से देख रही हूँ तू आहूत कामचोरी करने लगी है..
शबनम - नहीं मालकिन वो पैर में हलकी सी मोच आ गई थी इसलिए थोड़ा धीरे चल रही हूँ..
संजय - अब तेरे भी मेरो में मोच आ गई? माँ पता नहीं क्या हो रहा है? पहले कोमल फिर आरती बहु औऱ आपके मोच आई अब इस शबनम के भी मोच आ गई..
सुमन गौतम को देखकर - पत्थर की जगह पहाड़ से जाकर टकरायेगी तो मोच तो आएगी ना भईया..
संजय - मतलब सुमन?
सुमन - कुछ नहीं भईया.. सबको कहो देखकर चले.. मोच नहीं आएगी..
शबनम सबको चाय देते हुए गौतम के पासवर्ड आकर - ग़ुगु भईया चाय..
गौतम चाय लेते हुए धीरे से शबनम को - thanks मालकिन..
शबनम मुस्कुराते हुए वापस रसोई में चली जाती है..
चेतन बाहर से हॉल में आते हुए - पापा जीजाजी का फ़ोन आया था.. वो ऋतू को लेकर आने ही वाले है..
गौतम - कल विदाई हुई थी आज वापस भी आ रहे है..
गायत्री हसते हुए - ग़ुगु.. विदाई के बाद दुल्हन को पगफेरे की रसम के लिए वापस अपने माइके आना होता है..
सुमन - रहने दो माँ.. अंग्रेजी स्कूल में जाकर इसे ये सब रस्म औऱ रीवाज ढकोसला लगने लगा है..
कोमल गौतम का गाल चूमते हुए - ऐसा क्यों कहती हो सुमन.. मेरा ग़ुगु तो कितना प्यारा है.. शादी वाले दिन मेरे ग़ुगु के सामने कोई औऱ नहीं नज़र ही नहीं आ रहा था.. चादन सा है मेरा ग़ुगु..
सुमन से कोमल जलते हुए - इतना लाड प्यार करने की जरुरत नहीं है भाभी.. ये पहले ही बहुत बिगड़ चूका है औऱ मत बिगाडो इसे..
कोमल - अरे बिगड़ना तो रईसो का शोक रहा है.. अब मेरा ग़ुगु जवानी में नहीं बिगड़ेगा तो कब बिगड़ेगा?
सुमन को कोमल से अब औऱ जलन होने लगी थी औऱ समझ रही थी कोमल क्या करने की कोशिश कर रही है उसने कहा - रहने दो भाभी.. मेरा ग़ुगु कोई रईस नहीं है..
कोमल गौतम के बाल सहलाते हुए - ऐसा क्यों कहती हो सुमन.. इतना सब तुम्हारे भईया ने जो कमाया है उसे खर्च करने वाला भी तो कोई चाहिए... ग़ुगु नहीं करेगा तो कौन करेगा? आखिरी ग़ुगु भी इसी घर का बेटा है..
सुमन से इस बारहा ना गया तो उसने कहा - मैं औऱ मेरा ग़ुगु जिस हाल मैं है खुश है भाभी.. आपको अगर आपके पैसे उड़ाने के लिए कोई वारिश चाहिए तो भईया के साथ एक बच्चा औऱ कर लीजिये...
कोमल सुमन की बात सुनकर मन ही मन सुमन पर झल्ला रही थी औऱ उसे दो चार खरी खोटी सुना देना चाहती थी मगर सबके वहा होने से वो ये बातें मन ही मन दबा गई.. संजय औऱ गायत्री जानते थे की कोमल बाँझ है औऱ सुमन ने अभी अभी उसे ताना मारा था..
गायत्री ने बात सँभालते हुए कहा - अरे अब कोमल को क्या जरुरत है बच्चा करने की.. हमारा ग़ुगु है तो.. चेतन तो संजय की तरह ही काम धंधे में घुस गया.. औऱ ऋतू पराई हो गई.. अब तो आरती से उम्मीद है वो हमें खुशखबरी दे दे..
आरती मुस्कुराते हुए गौतम को देखकर रसोई में चली गई..
गायत्री - देखो कैसे शर्मा के चली गई गई..
संजय - माँ मुझे एक जरुरी काम से बाहर जाके आना है.. एक घंटे में आ जाऊंगा दामाद ज़ी आये तो आप संभाल लेना..
चेतन - पापा मैं भी चलता हूँ..
कोमल - अरे यहां भी तो कोई होना चाहिए..
चेतन - आप लोग हो ना.. ग़ुगु भी तो है..
कोमल सुमन की बातों को दिल में बैठा चुकी थी उसे अपने बाँझ होने का दुख हो रहा था औऱ सुमन पर गुस्सा आ रहा था.. कोमल छत पर बने कमरे के पीछे कोने में सिसकती हुई खड़ी हो कर आंसू बहाने लगी थी..
गौतम जानता था की कोमल को सुमन की उस बात का कितना दुख पंहुचा है.. इसलिए गौतम कोमल के पीछे पीछे कुछ देर बाद ही छत पर आ गया था..
गौतम ने रो रही कोमल को पीछे से अपनी बाहों में भर लिया औऱ कोमल की गर्दन चूमते हुए कहा..
गौतम - मामी आपके मुंह से रोते हुए सिसकियाँ अच्छी नहीं लगती बल्कि चुदवाते हुए सिसकियाँ अच्छी लगती है..
कोमल गौतम को देखकर आंसू पोछते हुए - तू कब ऊपर आया बेटा? बता तो देता.. मैं रो नहीं रही थी.. मेरी आँखों में तो कचरा चला गया था..
गौतम कोमल को अपनी तरफ घुमाकर दिवार से स्टाते हुए - मुझसे झूठ बोलोगी तो ऐसी गांड मारूंगा मामी अगले दस दिन रेंगति हुई चलोगी.. समझी? माँ की बात का बुरा लगा ना आपको?
कोमल मुस्कुराते हुए - मुझे क्यों सुमन की बात का बुरा लगने लगा बेटा? मैं तो यूँ ही ऋतू को याद करके रो रही हूँ..
गौतम ब्लाउज के ऊपर से कोमल के चुचे पकड़तकर मसलते हुए - मामी आपको झूठ बोलना भी नहीं आता..
कोमल अपने बूब्स ओर से गौतम का हाथ हटाती हुई - ग़ुगु.. कोई आ जायेगा.. बंद कमरे वाली चीज़े खुले में मत करा कर.. ये बोलकर कोमल गौतम को पीछे कमरे में ले जाती है.. औऱ अपनी साडी का पल्लू गिराते हुए गौतम के सामने घुटनो ओर बैठकर उसकी जीन्स खोलते हुए लंड हाथ में लेकर कहती है - सुबह से मेरे आगे पीछे घूम रहा था.. मैं तभी समझ गई थी आज मेरी इज़्ज़त खतरे में है..
गौतम कोमल को लोडा चूसाते हुए - अब आप हो ही इतनी ब्यूटीफुल मामी.. आपको देखकर दिल कैसे ना करें चोदने का.. रात को तो आप सो गई थी वरना रात को ही मैं आपको प्यार करता..
कोमल मुंह से लंड खड़ा करके खड़ी होती हुई - इतनी जरुरत थी तो जगा लेता ग़ुगु.. मैं कुछ कहती थोड़ी तुझे..
गौतम कोमल को उस कमरे के बेड पर लेटा कर साडी ऊपर करके चड्डी नीचे सरकता हुआ - आप सोते हुए प्यारी लग रही थी मामी.. मुझे जगाना सही नहीं लगा..
ये कहते हुए गौतम ने अपना लंड कोमल की चुत में डाल दिया औऱ धीरे धीरे प्यार से चोदने लगा..
कोमल गौतम को चूमकर आहे भरते हुए - आज क्या बात है ग़ुगु.. तू इतना प्यार से कर रहा है.. उस दिन तो जान निकाल दी थी तूने.. आज बहुत प्यार आ रहा है तुझे अपनी मामी पर?
गौतम चोदते हुए - मामी आप हो ही इतनी प्यारी.. प्यार तो आएगा ही औऱ आपकी चुत भी बहुत टाइट है.. खामखा जोराजोरी में बेचारी को दर्द सहना पड़ेगा..
कोमल - मेरी इतनी परवाह है तुझे ग़ुगु? काश तू मेरा अपना बच्चा होता.. फिर देखती वो सुमन की बच्ची कैसे मुझे इतना सब सुनाती..
गौतम कोमल को पलटकर पीछे से चुत चोदते हुए - मामी आप भी तो माँ को इतना सब सुना देती हो.. आप दोनों की कैट फाइट किसी फ़िल्मी मूवी से ज्यादा मसालेदार होती है..
कोमल मुस्कुराते हुए - मैं तेरी माँ से कितना भी लडू ग़ुगु.. तू कभी मुझसे नाराज़ मत होना.. मैं बहुत प्यार करती हूँ तुझे..
गौतम हलके तेज़ धक्के मारते हुए - जानता हूँ मामी.. आप तो मेरी गर्लफ्रेंड हो.. औऱ इतनी टाइट चुत वाली गर्लफ्रेंड से नाराज़ नहीं होता मैं..
कोमल सिसकियाँ लेते हुए - ग़ुगु बेटा.. फ़ोन आ रहा है..
गौतम चुदाई रोककर साइड में पड़े फ़ोन को उठाते हुए - आपका आ रहा है मामी..
कोमल फोन उठाकर - हेलो..
चेतन - माँ जीजाजी.. दस मिनट में पहिचने वाले है..
कोमल - औऱ तु अपने पापा के साथ कब आ रहा है?
चेतन - हम निकल चुके है आधा घंटा लग जाएगा..
कोमल फ़ोन काट कर - ठीक है..
कोमल - ग़ुगु बेटा जल्दी कर दस में ऋतु आने वाली है..
गौतम वापस चुदाई शुरू करता हुआ - ठीक है मामी बस पांच मिनट औऱ.. ये कहते हुए गौतम सुमन की चुत में ताबड़तोड़ झटके मारने लगा जिससे कोमल औऱ ज्यादा सिसकियाँ भरने लगी..
कोमल सिसकिया भरते हुए - बेटा थोड़ा धीरे.. ग़ुगु.. आह्ह... बेटा आराम से.. आह्ह.. ग़ुगु धीरे चोद बेटा अपनी मामी को..
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गौतम - मामी आप लग ही इतनी प्यारी रही हो.. कहा था ना चुदवाते हुए सिसकियाँ लेती हुई अच्छी लगती हो.. रोते हुए नहीं..
कोमल झड़ते हुए - ग़ुगु.. आहहह... बेटा...
गौतम कोमल के साथ झड़ते हुए - आहहह... मामी मैंरा भी हो गया..
कोमल औऱ गौतम एक साथ झड़े औऱ मुस्कुराते हुए कोमल गौतम को बेतहाशा चूमती हुई प्यार करने लगी.. फिर दोनों ने खड़े होकर अपने आपको ठीक किया..
कोमल मुस्कुराते हुए गौतम का गाल खींचकर - बस.. हो गयी इच्छा पूरी? अब तो खुश मेरा ग़ुगु?
गौतम मुस्कुराते हुए कोमल का हाथ चूमकर - बहुत खुश मामी.. जितना फेशन आप करती हो.. आपको देखकर कोई नहीं कह सकता आपकी इतनी टाइट होगी..
कोमल - तुझे मज़ा आया ना बेटा..
गौतम - बहुत मामी..
कोमल - ग़ुगु तू सुमन को समझा ना.. यही क्यों नहीं रह जाती वो तुझे लेकर.. क्यों ज़िद पर अड़ी हुई है.. मैं जानती हूँ उसके औऱ जगमोहन के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा.. वहा उस छोटे से पुलिस क्वाटर में कब तक दिन गुजारेगी?
गौतम - आप खुद ही क्यों नहीं समझा देती मामी.. मेरे समझाने से तो वो नहीं समझेगी.. उनकी औऱ आपकी लव स्टोरी भी तो बहुत उलझी हुई है..
कोमल गौतम के गाल सहला कर हसते हुए - चुप पागल.. चल नीचे.. ऋतू आ गई लगता है..
***********
राहुल ऋतू, ऋतू की सास औऱ ससुर सब हॉल में बैठे हुए थे.. उसके साथ गायत्री सुमन आरती औऱ अब कोमल भी आ बैठी थी.. नाश्ता सामने टेबल रखा था.. हंसी ख़ुशी का माहौल था.. शबनम चाय बना रही थी औऱ शबनम के पीछे गौतम उसे इधर उधर छू कर छेड रहा था जिस पर शबनम मुस्कुराते हुए बार बार गौतम को छूने से रोक रही थी..
गौतम ने थोड़ा सा मौका पाकर शबनम की कमर पर अपने हाथों से चीकूटी काट ली औऱ शबनम गौतम की तरफ बनावटी गुस्से वाली आँखों से देखती हुई धीरे से बोली बोली..
शबनम - अब कुछ किया तो थप्पड़ पड़ेगा..
गौतम मुस्कुराते हुए गाल आगे करके - मारो ना मालकिन..
शबनम रसोई के दरवाजे को देखकर जल्दी से एक प्यार भरा चुम्मा गौतम के गाल पर करके एक धीमा सा थप्पड़ मार देती है..
गौतम शबनम को पकड़कर बाहों में भरता हुआ - गाल पर भी कभी चुम्मा होता है मालकिन? चूमा तो होंठों से होंठ मिलते है तब होता है..
शबनम दरवाजे को देखती हुई - छोड़ ग़ुगु कोई आ गया तो मेरी नोकरी चली जायेगी..
गौतम होंठ आगे करके - पहले चुम्मा दो मालकिन तभी छोडूंगा..
शबनम जल्दी से गौतम के होंठ चूमकर - बस अब छोड़..
गौतम शबनम को छोड़कर - चाय बनाने के बाद छत पर आ जाना मालकिन.. साथ में एक सुट्टा मारेंगे..
शबनम - अभी नहीं ग़ुगु.. मालकिन बुला लेगी मुझे.. बाद में..
गौतम शबनम का बोबा दबाकर - ठीक है मालकिन..
शबनम मुस्कुराते हुए गौतम को धक्का देकर - अब जा यहां से.. वरना कोई देख लेगा..
गौतम रसोई से हॉल में आ जाता है..
आरती गौतम का हाथ पकड़कर अपने पास बैठाते हुए - देवर ज़ी आओ.. हमारे साथ भी बैठो.. देखो आपकी दीदी.. आते ही आपके बारे में पूछ रही है.. मैंने भी कह दिया हमने अभी तक देवर ज़ी को कहीं जाने नहीं दिया औऱ रोक कर रखा है..
गौतम ऋतू को देखकर - भाभी दीदी की बोलती बंद है.. लगता है वापस आकर अच्छा नहीं लगा दीदी को..
ऋतू सरक कर अपने बगल में जगह बनाती हुई - तू इधर आ मेरे पास.. अभी बताती हूँ तुझे..
गौतम उठकर ऋतु के पास बैठ जाता है.. औऱ ऋतू गौतम का कान पकड़कर - कब से आकर बैठी हूँ औऱ तू है की छिपा हुआ था?
राहुल हसते हुए - आराम से ऋतू.. भाई है तुम्हारा..
ऋतू की सास बबिता - हा ऋतू.. कितना जोर से कान खींचा है तूने.. दर्द होगा बेचारे को..
ऋतू - कुछ नहीं होगा इसे.. जब देखो मुझे सताने के बहाने ढूंढता रहता है..
सुमन - ऋतू आराम से बेटा..
ऋतू - आप बीच में मत बोलो बुआ.. जब से गई हूँ सबने फ़ोन किया है एक इसी बेशर्म को मेरी याद नहीं आई..
गौतम कान छुड़ाते हुए - अच्छा सॉरी ना.. छोडो..
संजय औऱ चेतन भी आकर सोफे पर बैठ जाते है..
सब हंसी ख़ुशी के माहौल में थे आपस में बातें कर रहे थे शबनम चाय की ट्रे लाकर चाय बाँट देती है औऱ नाश्ता करते हुए सब चाय पिने लगते है.. कुछ देर इसी तरह बातें करने के बाद में रितु अपने कमरे में चली जाती है और उसके कुछ देर बाद गौतम भी ऋतु के कमरे में चला जाता है..
गौतम ऋतू को गले लगता हुआ - बहुत खूबसूरत लग रही हो ऋतू.. याद आई मेरी रात में?
ऋतू - कमीने.. तेरी याद में तो नींद भी नहीं आई.. पता नहीं कैसे रहूंगी तेरे बिना अब..
गौतम - चिंता मत कर ऋतू.. मैं टाइम टाइम पर आता रहूँगा तुझसे मिलने.
ऋतू अपनी साडी उठाकर गौतम का लंड निकालकर अपनी चुत में घुसाती हुई - काश में तेरी दुल्हन बन पाती मेरे भाई.. तुझसे मिलने के लिए छुपना नहीं पड़ता..
गौतम चोदना शुरु करते हुए - फ़िक्र मत कर मेरी बहना जल्दी ही कोई ना कोई औऱ उपाय खोज लेंगे हम दोनों...
ऋतू चुदवाते हुए - मैं तो कल से तेरे इस लंड के बारे में ही सोच रही थी ग़ुगु.. बहुत मस्त औऱ मोटा है.. काश हर रात ये मेरे नसीब में होता.. पता नहीं कौन इसे हर रात अपनी चुत में लेगी.. भाई तू वादा कर मुझे हर दम ऐसे ही प्यार करेगा..
गौतम - ऋतू तू मेरी बहन है जो कहेगी मैं मरते दम तक वही करूँगा.. बस मुझे अपनी ये गांड दे दे
ऋतू - आज नहीं भाई.. वक़्त नहीं है.. कभी फुर्सत में लेना मेरी गांड.. अभी मेरी चुत से काम चला ले.. अगली बार मैं खुद तेरे सामने अपनी गांड परोस दूंगी..
गौतम - वादा कर रही है ऋतू.. भूलना मत.. अगली बार गांड नहीं दी तो जबरदस्ती ले लूंगा..
ऋतू - ले लेना भाई.. मेरे ऊपर तेरा पूरा हक़ है.. अभी जल्दी कर नहीं तो भाभी आ जायेगी..
गौतम चोदते हुए - बस बहाना झड़ने वाला हूँ तेरी चुत में..
ऋतू - मैं भी झड़ने वाली हूँ भाई.. साथ में झड़ते है.. आहहह...
गौतम रितु एक साथ झड़ जाते हैं और फिर कुछ देर बाद एक दूसरे को देखते हुए बातें करने लगते है..
ऋतू - विक्रम का फ़ोन आया था..
गौतम - क्या बोला उसने?
ऋतू - माफ़ी मांग रहा था.. मैंने कह दिया वापस नज़र आया तो वीडियो नेट पर वायरल कर दूंगी..
गौतम - अच्छा किया बहना.. अब सबसे बचा के रखना अपनी चुत का अनमोल गहना..
ऋतू गौतम को चूमते हुए - वापस जाना पड़ेगा भाई..
गौतम - फ़ोन करती रहना बहना.. अगली बार मिलने का इंतजार रहेगा..
ऋतू - मुझे भी..
ऋतु रस्म निभाकर शाम को वापस चली जाती है औऱ अगले दो दिन गौतम गायत्री कोमल आरती औऱ शबनम की जहा मौका मिलता है वही चुदाई करता है.. औऱ आज सुमन के साथ वापस अजमेर जाने को तैयार था.. दोनों दोपहर को अजमेर के लिए निकलने वाले थे औऱ अभी सुबह हो रही थी..
***********
देवर ज़ी कुछ दिन औऱ रुक जाओ ना.. आपके बिना सब कुछ सुना हो जाएगा फिर से..
रुकना तो मैं भी चाहता हूँ भाभी.. मगर क्या करू? आप तो जानती है माँ को अब अगर मैं कुछ बोलूंगा तो वो मुझे कितना सुनाएंगी..
आरती जीन्स के ऊपर से गौतम के लंड पर हाथ फिराती हुई - बहुत ख्याल रखा है अपने अपनी इस भाभी का देवर ज़ी.. औऱ बहुत सुख भी दिया है.. आप तो कुछ दिनों में दिल के अंदर इतना गहरा उतर गए कि सागर की गहराई भी उसके आगे कुछ नहीं है.. मैंने आपका कितना दिल दुखाया कितना कुछ बोला मगर आपने मुझे कितना प्यार किया.. मुझे माफ़ कर देना देवर ज़ी..
गौतम आरती के होंठ पकड़कर - कितनी ड्रामेबाज़ हो आप भाभी.. मैंने कहा ना हर महीने आपसे मिलने आऊंगा.. आप फ़िक्र मत करो.. आपकी चुत को वापस सिकुड़ने नहीं दूंगा..
आरती मुस्कुराते हुए - शुक्रिया देवर ज़ी..
गौतम - सुबह सुबह आपकी चुत से शुरुआत हुई है.. लगता है आज दिन अच्छा जाएगा मेरा..
आरती छत पर से नीचे जाते हुए - वापस चाहिए तो बता दो देवर ज़ी मैं कुछ नहीं बोलूंगी..
गौतम - अब थोड़ा वक़्त लगेगा भाभी..
आरती - ठीक है देवर ज़ी..
आरती छत से नीचे चली जाती हैऔऱ उसके कुछ देर बाद चेतन ऊपर आ जाता है..
यहां अकेला क्या कर रहा है ग़ुगु..
कुछ नहीं चिंटू भईया बस कुछ सोच रहा था..
क्या सोच रहा था ग़ुगु?
भाभी के बारे में भईया.. भाभी ने बहुत ख्याल रखा है मेरा..
चेतन मुस्कुराते हुए - ख्याल तूने भी अपनी भाभी का बहुत रखा है.. वो बता रही थी कैसे तू उसका सबसे प्यारा साथी बन गया..
गौतम - कहा चेतन भईया.. मैं बस थोड़ा हंसबोल लिया भाभी से.. भाभी इतने में ही खुश हो गई..
चेतन - ग़ुगु मैं भी तुमसे सिर्फ 6 साल बड़ा हूँ.. मुझे चिंटू ही कहकर बोल.. जैसे पहले बोला करता था.. ये फॉर्मेलिटी छोड़ दे..
गौतम - ठीक है चिंटू..
चेतन - अच्छा तूने एग्जाम के बाद का क्या सोचा है?
गौतम - कुछ नहीं.. बस कोई जॉब कर लूंगा औऱ क्या..
चेतन - पागल हो गया है हम जॉब देते है करते नहीं है.. तू एग्जाम के बाद बुआ को लेके यही आ जाना.. यहां अपना कितना काम है उसे कौन संभालेगा..
गौतम - नहीं चिंटू.. माँ कभी इस बात के लिए राज़ी नहीं होगी..
चेतन - ग़ुगु.. मैं जानता हूँ बुआ नहीं मानेगी मगर वो तेरी बात मानने से इंकार नहीं करेगी.. औऱ कल रात आरती भी तेरे जाने का सोच कर रो रही थी..
गौतम - भाभी रो रही थी.. मगर अभी तो उन्होंने कुछ नहीं बताया उसके बारे में..
चेतन - औरत को बात छुपीना औऱ बताना अच्छे से आता है ग़ुगु.. मैं जान चूका हूँ कि वो तुझसे प्यार करने लगी है तेरे बिना नहीं रह पाएगी... उसकी ख़ुशी के लिए एक बार कोशिश करना..
गौतम - चिंटू.. भाभी तुम्हारी पत्नी है..
चेतन - काहेकि पत्नी ग़ुगु.. उसे कभी पत्नी वाला सुख तो मैं दे ही नहीं पाया.. मैं सुबह से रात तक इसलिए दूकान पर रहता हूँ कि मुझे आरती की बातें उसके ताने ना सुनने पड़े.. मगर जब से तू आया है उसने एक बार भी मुझसे गुस्से में या अपने अड़ियलपन से बात नहीं की.. ग़ुगु मैं जानता हूँ तू अपनी भाभी के साथ सो चूका है.. तूने उसे वो सुख दिया है जो एक मर्द से एक औरत चाहती है..
गौतम नज़र झुका - मैं बहका गया था चिंटू.. मैं भाभी के साथ वो सब नहीं करना चाहता था मगर अपने आप सब होता चला गया.. मुझे माफ़ कर दे..
चेतन - ग़ुगु.. इसमें माफ़ी वाली कोई बात नहीं है.. मैं तो खुश हूँ कि तू आरती का ख्याल रख रहा था.. मैं अब भी वही चाहता हूँ.. तू ऐसे ही आरती का ख्याल रखे.. मुझे तेरे औऱ आरती के रिश्ते से कोई ऐतराज़ नहीं है..
ग़ुगु - मैं जानता हूँ चिंटू तू ऐसा क्यों बोल रहा है.. तू चिंता मत कर भाभी को मैं अच्छे से खुश रखूँगा.. वो तुझे परेशान नहीं करेंगी.. औऱ अब तू अपनी जिंदगी भी खुलकर ज़ी सकता है.. यूँ घुट घुट कर जीने की तुझे क्या जरुरत? दुनिया की परवाह छोड़ दे चिंटू.. दुनिया ने किस किस को क्या कुछ नहीं बोला..
चिंटू - मैं समझ नहीं पाया ग़ुगु.. तू कहना क्या चाहता है..
ग़ुगु चिंटू का हाथ पकड़ कर - चल दोनों भाई कहीं घूम के आते है..
चिंटू - कहा ग़ुगु..
ग़ुगु - अभी पता चल जाएगा..
गौतम चिंटू के साथ कहीं चला जाता है औऱ किसी को कुछ massage करता है...
गौतम चिंटू को लेकर एक फाइव स्टार होटल की तरफ आ गया था जहा किसी फ़िल्म की स्टार कस्ट ठहरी हुई थी.. गौतम चिंटू को लेकर एक रूम में आ गया था..
चिंटू - ग़ुगु मुझे यहां क्यों लेकर आया है? मुझे दूकान जाना है..
ग़ुगु - थोड़ी देर वेट करो चिंटू.. सब पता चल जाएगा..
चिंटू - तू क्या कर रहा है मेरी समझ ही नहीं आता..
गुगु - चिंटू मैं जानता हूँ तुझे लड़कियों में कोई दिलचस्पी नहीं है.. तू गे है.. औऱ तू ये बात अब तक सबसे छीपाता आया है.. मगर अब तुझे इस तरह घुट घुट कर जीने की कोई जरुरत नहीं..
चिंटू हैरानी से - ग़ुगु कैसे?
गौतम - चिंता मत करो चिंटू.. मैं किसी से कुछ नहीं कहूंगा औऱ ना ही तुझे ऐसे घुट घुट के जीने दूंगा..
चिंटू शरमाते हुए - तुझे कैसे पता ग़ुगु.. मेरे बारे में..
गौतम - शादी वाली रात की अगली सुबह.. जब मैं टहल रहा था तब मैंने देखा था.. तू जिस आदमी के साथ था उसे रात को मैने ही बुलाया था..
दरवाजा की बेल बजते ही गौतम दरवाजा खोलकर - आओ वसीम.. किसी ने रोका तो नहीं..
वसीम - ऐसी जगह हमारे जैसे गरीब लोगों तो रोका ही जाता है भईया.. पर आपने रिसेप्शन पर बोला हुआ था इसलिए ज्यादा तकलीफ नहीं हुई आने में..
गौतम - वसीम.. अब से तुम्हे ये काम करने की जरुरत नहीं.. मेरा भाई तुम्हे काम पर रखना चाहता है.. जितना तुम महीने में कमाते हो उससे दुगुनी तनख्वाह मिलेगी.. काम सिर्फ इतना की मेरे भाई को हर दम खुश रखना होगा...
वसीम - जैसा आप बोले..
गौतम चेतन की तरफ इशारा करते हुए - जाओ वसीम भईया इंतजार कर रहे है..
वसीम चेतन के पास जाकर प्यार से उसके होंठ चूमने लगता है औऱ चेतन शर्माते हुए ग़ुगु को देखकर वसीम को रोकते हुए - ग़ुगु सुन.. ग़ुगु..
गौतम रूम से बाहर जाते हुए - एन्जॉय करो भईया..
ये कहकर गौतम रूम से बाहर आ जाता है औऱ दरवाजे पर डु नॉट डिस्टर्ब का sign लटका कर जैसे ही पीछे मुड़ता है उसका पैर फिसल जाता है औऱ वो इस रूम के जस्ट सामने वाले रूम में आगे की तरफ जाते हुए जमीन पर गिर जाता है..
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गौतम सुबह उठा तो उसने सबसे पहले किशोर कुमार के पुराने गाने लगा कर कान में इयर बड्स लगा लिए औऱ ब्रश करता हुआ बाथरूम में आ गया.. टट्टी करने इंग्लिश पोट पर बैठकर गौतम फ़ोन चलाते हुए फ़ोन देख ही रहा था उसे कल आदिल की बात याद आई औऱ उसने व्हाट्सप्प खोल लिया फिर आदिल के भेजे फोटो देखने लगा..
जैसे ही गौतम ने आदिल की व्हाट्सएप मैसेज पर भेज़ी हुई तस्वीर देखी और उनमें किसी जोड़े की शादी को देखा तो वह हैरत में पड़ गया और अपना सर को खुजाते हुए उसने आदिल को फोन कर दिया...
गौतम ने आदिल से तस्वीर के बारे में पूछताछ की और आदिल ने जवाब दिया कि कल जब वो अपने दोस्त मोनू (फोटोग्राफर) की दुकान पर गया था तब उसने दुकान पर यह तस्वीर देखी.. औऱ वही से इन तस्वीरों की पिक लेकर उसे massage किया..
गौतम ने आगे औऱ कुछ पूछा तो आदिल ने जवाब दिया की ये तस्वीर मोनू ने परसो खींची थी जब उसे एक आदमी ने बुलाया था.. किसी पुराने धार्मिक जगह पर ये शादी हुई थी औऱ गिनती के 3-4 लोग ही उसमे शामिल थे..
गौतम ने फ़ोन रख दिया औऱ फ्रेश होकर बाहर आ गया उसने सबसे पहले रूपा को फ़ोन किया औऱ कहा...
(रूपा 41)
गौतम चिड़चिड़े पन से - ये क्या मज़ाक़ है?
रूपा - अच्छा तो तुम्हे खबर मिल गई? ये मज़ाक़ नहीं है नन्हे शैतान..
गौतम - माँ को पता चलेगा तो क्या होगा पता है ना?
रूपा - जो भी हो.. अब मैं कुछ नहीं कर सकती..
गौतम - तुम भी ना उड़ते तीर लेती हो.. अब संभालना माँ को आपको ही..
रूपा - मैं देख लुंगी.. तुम मत बताना..
गौतम - बताने के लिए ये कोई ख़ुशी खबर थोड़ी है.. आपने भी ना काण्ड कर दिया फालतू में.. पापा ही मिले थे आपको शादी करने के लिए..
रूपा - अच्छा ये सब छोड़.. ये बता तू केसा है..
गौतम - अब तक ठीक था पर आपने जो बम फोडा है उसके बाद सर दर्द होने लगा है..
रूपा हसते हुए - तू जल्दी से मेरे पास आजा मेरे नन्हे शैतान फिर मैं प्यार से तेरा सर दबाकर तेरा सर दर्द दूर कर दूंगी..
गौतम - हम्म्म..
रूपा - अपना ख्याल रखना नन्हे शैतान..
गौतम - ख्याल तो आप अपना रखना मम्मी.. जब से बाबाजी के पास होके आई हो एक बार भी मुझे अपनी गुफा में घुसने नहीं दिया.. इस बार कोई बहाना नहीं चलेगा..
रूपा - इस बार तुझे जो करना हो कर लेना मेरे नन्हे शैतान.. पर जल्दी से आजा बहुत दिन हो गए तुझे देखे हुए...
गौतम - रखता हूँ मम्मी.. कोई बुला रहा है..
रूपा - बाय गौतम..
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(माधुरी 36)
माधुरी - रूपा तुमने ये अच्छा नहीं किया.. किसी की मज़बूरी का फ़ायदा उठाना सही नहीं है..
रूपा - मैंने कहा किसी की मज़बूरी का फ़ायदा उठाया है माधुरी? मैंने तो बस एक सौदा किया था जगमोहन के साथ.. तुम भी तो राजी थी उसके लिए..
माधुरी - मैं राजी हुई क्युकी मेरे पास औऱ कोई रास्ता नहीं बचा था.. अगर तुम्हारी शर्त नहीं मानती तो जगमोहन को जेल हो जाती औऱ ये घर भी नीलाम हो जाता.. मैं सडक पर आ जाती..
रूपा - जगमोहन जुए में लाखों रुपए हार गया औऱ फिर रिश्वत लेते भी पकड़ा गया तो इसमें मेरी क्या गलती माधुरी? मैंने तो मदद करने की पेशकश की.. तुमने औऱ जगमोहन दोनों ने इसे माना था..
माधुरी - पर मैं ये नहीं समझ पा रही कि तुमने जगमोहन से शादी क्यों की? उसके पास ऐसा क्या है जो तुम्हे चाहिए.. मैंने बताया था तुम्हे कि वो अब किसी काम का नहीं.. ना उसके पासवर्ड कुछ ऐसा है जो तुम्हे वो दे सकता है..
रूपा - मुझे जगमोहन से सिर्फ उसकी पत्नी होने का दर्जा चाहिए था माधुरी.. वो मुझे मिल चूका है.. अब मुझे औऱ किसी की जरुरत नहीं..
माधुरी - बहुत अजीब बात है रूपा.. तुमने ऐसे आदमी से शादी की जो अब नामर्द बन चूका है औऱ तुम खुश भी हो.. तुमने जगमोहन की नोकरी बचाई उसे जेल जाने से बचाया औऱ अब इस घर पर बाकी लोन भी चुकाने को तैयार हो.. मैं तुम्हे समझ नहीं पास रही..
रूपा - माधुरी मैं तुम्हारे साथ इस घर में तुम्हारी बड़ी बहन बनकर रह सकती हूँ.. हमें आपस में लड़ने झगड़ने की जरुरत नहीं है.. मैं तुम्हे एक सच्चाई बताना चाहती हूँ..
माधुरी - कैसी सच्चाई रूपा?
रूपा - माधुरी मैंने जगमोहन से शादी इसलिए नहीं की कि मुझे जगमोहन पसंद है या मैं तुम्हारे साथ इस घर में रहना चाहती हूँ.. मेरे जगमोहन से शादी करने का कारण गौतम है.. मैं गौतम सको एक माँ औऱ एक प्रेमिका दोनों का प्यार देना चाहती हूँ..
माधुरी - ये क्या कह रही हो रूपा.. तुम होश में तो हो? गौतम बस एक बच्चा है.. जब उसे इसका पता लगेगा तो वो क्या सोचेगा तुम्हारे बारे में.. औऱ सुमन? सुमन तो तुम्हारी जान ही ले लेगी.. गौतम पर सिर्फ सुमन का अधिकार है..
रूपा - देखो माधुरी.. मैं जानती हूँ कि तुम भी गौतम के साथ उसी तरह रहना चाहती हो जैसे कि मैं.. मैंने कल तुम्हारी औऱ गौतम कि बाते सुनी थी औऱ मैं जानती हूँ तुम भी गौतम से वैसा ही रिश्ता रखना चाहती हो जैसा मैं रखना चाहती हूँ.. मुझसे तुम्हे कुछ छिपाने की जरुरत नहीं है.. हम दोनों मिलकर गौतम का हर तरह से ख्याल रख सकते है.. औऱ रही बात सुमन की तो उसे किसी भी तरह हमें समझाना पड़ेगा कि वो गौतम के साथ यहां हमारे साथ आकर रहे..
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माधुरी - ये तुम क्या बोले जा रही हो रूपा.. सुमन कभी ऐसा नहीं करेगी..
रूपा - सब होगा माधुरी.. मैं तुम औऱ सुमन तीनो इस घर में एक साथ गौतम की माँ बनकर रहेंगी.. सुमन के पीठ पीछे हम गौतम को माँ के साथ साथ उसकी प्रेमिकाएं बनकर भी उसका ख्याल रखेंगी..
माधुरी कुछ देर सोचकर - क्या ये सच में हो सकता है रूपा? क्या ऐसा मुमकिन है? क्या गौतम हम दोनों के साथ वैसा रिश्ता रखेगा?
रूपा - हाँ माधुरी.. ऐसा जरुर होगा.. अब किसी तरह बस सुमन को यहां रहने के लिए राजी करना होगा.. मुझे पता है जब वो तुमपर गुस्सा है औऱ जब मेरी औऱ जगमोहन की शादी के बारे में जानेगी तब मुझपर भी गुस्सा होगी.. मगर हमें किसी भी तरह उसे मनाना होगा..
माधुरी कुछ देर ठहर कर - ठीक है रूपा.. मैं तैयार हूँ.. आज से हम दोनों बहने बनकर रहेंगी.. सुमन को मनाने में मैं तुम्हारी हर तरह से मदद करूंगी..
रूपा माधुरी के गले लगते हुए - मैं जानती थी माधुरी तुम जरुरत मेरी बात मान जाओगी..
माधुरी भी रूपा को गले लगाकर - बहन.. मैं तुम्हारे साथ हूँ.. तुम्हारी तरह मैं भी गौतम के बिना नहीं रह सकती..
रूपा - मैं समझ सकती हूँ माधुरी.. गौतम ने मेरी तरह तुम्हे भी अपना दीवाना बना दिया है..
माधुरी - उसकी क्या गलती रूपा.. उसके प्यारा सा चेहरा मीठी बातें औऱ मर्दानगी किसी को भी अपना गुलाम बना सकती है..
रूपा - सच में माधुरी..
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गायत्री - कुछ दिन औऱ रुक जाती सुमन..
सुमन - माँ.. आप तो जानती है वहा कितना काम पड़ा है? ग़ुगु के आखिरी एग्जाम भी आने वाले है..
गौतम सीढ़ियों से नीचे उतरता हुआ - उनमे अभी समय है माँ.. हम 2-3 दिन औऱ नानी के साथ रह सकते है..
आरती मुस्कुराते हुए - अब तो आप खुश है बुआ.. मेरे देवर ज़ी ने भी रुकने के लिए हामी भर दी है..
गौतम आरती को देखकर - अब आपने ख्याल ही इतना रखा है मेरा.. आपका कहा कैसे टाल सकता हूँ..
गायत्री - सुमन अब तो हमारे ग़ुगु ने भी कह दिया है अब तो रुकना ही पड़ेगा तुझे कुछ औऱ दिन मेरे साथ..
सुमन - पर माँ..
संजय - पर वर कुछ नहीं सुमन.. रुकना है तो रुकना है.. समझी?
(कोमल 42)
कोमल - अरे शबनम.. कहा मर गई तू..
(शबनम 30)
शबनम - आई मालकिन..
कोमल - कल से देख रही हूँ तू आहूत कामचोरी करने लगी है..
शबनम - नहीं मालकिन वो पैर में हलकी सी मोच आ गई थी इसलिए थोड़ा धीरे चल रही हूँ..
संजय - अब तेरे भी मेरो में मोच आ गई? माँ पता नहीं क्या हो रहा है? पहले कोमल फिर आरती बहु औऱ आपके मोच आई अब इस शबनम के भी मोच आ गई..
सुमन गौतम को देखकर - पत्थर की जगह पहाड़ से जाकर टकरायेगी तो मोच तो आएगी ना भईया..
संजय - मतलब सुमन?
सुमन - कुछ नहीं भईया.. सबको कहो देखकर चले.. मोच नहीं आएगी..
शबनम सबको चाय देते हुए गौतम के पासवर्ड आकर - ग़ुगु भईया चाय..
गौतम चाय लेते हुए धीरे से शबनम को - thanks मालकिन..
शबनम मुस्कुराते हुए वापस रसोई में चली जाती है..
चेतन बाहर से हॉल में आते हुए - पापा जीजाजी का फ़ोन आया था.. वो ऋतू को लेकर आने ही वाले है..
गौतम - कल विदाई हुई थी आज वापस भी आ रहे है..
गायत्री हसते हुए - ग़ुगु.. विदाई के बाद दुल्हन को पगफेरे की रसम के लिए वापस अपने माइके आना होता है..
सुमन - रहने दो माँ.. अंग्रेजी स्कूल में जाकर इसे ये सब रस्म औऱ रीवाज ढकोसला लगने लगा है..
कोमल गौतम का गाल चूमते हुए - ऐसा क्यों कहती हो सुमन.. मेरा ग़ुगु तो कितना प्यारा है.. शादी वाले दिन मेरे ग़ुगु के सामने कोई औऱ नहीं नज़र ही नहीं आ रहा था.. चादन सा है मेरा ग़ुगु..
सुमन से कोमल जलते हुए - इतना लाड प्यार करने की जरुरत नहीं है भाभी.. ये पहले ही बहुत बिगड़ चूका है औऱ मत बिगाडो इसे..
कोमल - अरे बिगड़ना तो रईसो का शोक रहा है.. अब मेरा ग़ुगु जवानी में नहीं बिगड़ेगा तो कब बिगड़ेगा?
सुमन को कोमल से अब औऱ जलन होने लगी थी औऱ समझ रही थी कोमल क्या करने की कोशिश कर रही है उसने कहा - रहने दो भाभी.. मेरा ग़ुगु कोई रईस नहीं है..
कोमल गौतम के बाल सहलाते हुए - ऐसा क्यों कहती हो सुमन.. इतना सब तुम्हारे भईया ने जो कमाया है उसे खर्च करने वाला भी तो कोई चाहिए... ग़ुगु नहीं करेगा तो कौन करेगा? आखिरी ग़ुगु भी इसी घर का बेटा है..
सुमन से इस बारहा ना गया तो उसने कहा - मैं औऱ मेरा ग़ुगु जिस हाल मैं है खुश है भाभी.. आपको अगर आपके पैसे उड़ाने के लिए कोई वारिश चाहिए तो भईया के साथ एक बच्चा औऱ कर लीजिये...
कोमल सुमन की बात सुनकर मन ही मन सुमन पर झल्ला रही थी औऱ उसे दो चार खरी खोटी सुना देना चाहती थी मगर सबके वहा होने से वो ये बातें मन ही मन दबा गई.. संजय औऱ गायत्री जानते थे की कोमल बाँझ है औऱ सुमन ने अभी अभी उसे ताना मारा था..
गायत्री ने बात सँभालते हुए कहा - अरे अब कोमल को क्या जरुरत है बच्चा करने की.. हमारा ग़ुगु है तो.. चेतन तो संजय की तरह ही काम धंधे में घुस गया.. औऱ ऋतू पराई हो गई.. अब तो आरती से उम्मीद है वो हमें खुशखबरी दे दे..
आरती मुस्कुराते हुए गौतम को देखकर रसोई में चली गई..
गायत्री - देखो कैसे शर्मा के चली गई गई..
संजय - माँ मुझे एक जरुरी काम से बाहर जाके आना है.. एक घंटे में आ जाऊंगा दामाद ज़ी आये तो आप संभाल लेना..
चेतन - पापा मैं भी चलता हूँ..
कोमल - अरे यहां भी तो कोई होना चाहिए..
चेतन - आप लोग हो ना.. ग़ुगु भी तो है..
कोमल सुमन की बातों को दिल में बैठा चुकी थी उसे अपने बाँझ होने का दुख हो रहा था औऱ सुमन पर गुस्सा आ रहा था.. कोमल छत पर बने कमरे के पीछे कोने में सिसकती हुई खड़ी हो कर आंसू बहाने लगी थी..
गौतम जानता था की कोमल को सुमन की उस बात का कितना दुख पंहुचा है.. इसलिए गौतम कोमल के पीछे पीछे कुछ देर बाद ही छत पर आ गया था..
गौतम ने रो रही कोमल को पीछे से अपनी बाहों में भर लिया औऱ कोमल की गर्दन चूमते हुए कहा..
गौतम - मामी आपके मुंह से रोते हुए सिसकियाँ अच्छी नहीं लगती बल्कि चुदवाते हुए सिसकियाँ अच्छी लगती है..
कोमल गौतम को देखकर आंसू पोछते हुए - तू कब ऊपर आया बेटा? बता तो देता.. मैं रो नहीं रही थी.. मेरी आँखों में तो कचरा चला गया था..
गौतम कोमल को अपनी तरफ घुमाकर दिवार से स्टाते हुए - मुझसे झूठ बोलोगी तो ऐसी गांड मारूंगा मामी अगले दस दिन रेंगति हुई चलोगी.. समझी? माँ की बात का बुरा लगा ना आपको?
कोमल मुस्कुराते हुए - मुझे क्यों सुमन की बात का बुरा लगने लगा बेटा? मैं तो यूँ ही ऋतू को याद करके रो रही हूँ..
गौतम ब्लाउज के ऊपर से कोमल के चुचे पकड़तकर मसलते हुए - मामी आपको झूठ बोलना भी नहीं आता..
कोमल अपने बूब्स ओर से गौतम का हाथ हटाती हुई - ग़ुगु.. कोई आ जायेगा.. बंद कमरे वाली चीज़े खुले में मत करा कर.. ये बोलकर कोमल गौतम को पीछे कमरे में ले जाती है.. औऱ अपनी साडी का पल्लू गिराते हुए गौतम के सामने घुटनो ओर बैठकर उसकी जीन्स खोलते हुए लंड हाथ में लेकर कहती है - सुबह से मेरे आगे पीछे घूम रहा था.. मैं तभी समझ गई थी आज मेरी इज़्ज़त खतरे में है..
गौतम कोमल को लोडा चूसाते हुए - अब आप हो ही इतनी ब्यूटीफुल मामी.. आपको देखकर दिल कैसे ना करें चोदने का.. रात को तो आप सो गई थी वरना रात को ही मैं आपको प्यार करता..
कोमल मुंह से लंड खड़ा करके खड़ी होती हुई - इतनी जरुरत थी तो जगा लेता ग़ुगु.. मैं कुछ कहती थोड़ी तुझे..
गौतम कोमल को उस कमरे के बेड पर लेटा कर साडी ऊपर करके चड्डी नीचे सरकता हुआ - आप सोते हुए प्यारी लग रही थी मामी.. मुझे जगाना सही नहीं लगा..
ये कहते हुए गौतम ने अपना लंड कोमल की चुत में डाल दिया औऱ धीरे धीरे प्यार से चोदने लगा..
कोमल गौतम को चूमकर आहे भरते हुए - आज क्या बात है ग़ुगु.. तू इतना प्यार से कर रहा है.. उस दिन तो जान निकाल दी थी तूने.. आज बहुत प्यार आ रहा है तुझे अपनी मामी पर?
गौतम चोदते हुए - मामी आप हो ही इतनी प्यारी.. प्यार तो आएगा ही औऱ आपकी चुत भी बहुत टाइट है.. खामखा जोराजोरी में बेचारी को दर्द सहना पड़ेगा..
कोमल - मेरी इतनी परवाह है तुझे ग़ुगु? काश तू मेरा अपना बच्चा होता.. फिर देखती वो सुमन की बच्ची कैसे मुझे इतना सब सुनाती..
गौतम कोमल को पलटकर पीछे से चुत चोदते हुए - मामी आप भी तो माँ को इतना सब सुना देती हो.. आप दोनों की कैट फाइट किसी फ़िल्मी मूवी से ज्यादा मसालेदार होती है..
कोमल मुस्कुराते हुए - मैं तेरी माँ से कितना भी लडू ग़ुगु.. तू कभी मुझसे नाराज़ मत होना.. मैं बहुत प्यार करती हूँ तुझे..
गौतम हलके तेज़ धक्के मारते हुए - जानता हूँ मामी.. आप तो मेरी गर्लफ्रेंड हो.. औऱ इतनी टाइट चुत वाली गर्लफ्रेंड से नाराज़ नहीं होता मैं..
कोमल सिसकियाँ लेते हुए - ग़ुगु बेटा.. फ़ोन आ रहा है..
गौतम चुदाई रोककर साइड में पड़े फ़ोन को उठाते हुए - आपका आ रहा है मामी..
कोमल फोन उठाकर - हेलो..
चेतन - माँ जीजाजी.. दस मिनट में पहिचने वाले है..
कोमल - औऱ तु अपने पापा के साथ कब आ रहा है?
चेतन - हम निकल चुके है आधा घंटा लग जाएगा..
कोमल फ़ोन काट कर - ठीक है..
कोमल - ग़ुगु बेटा जल्दी कर दस में ऋतु आने वाली है..
गौतम वापस चुदाई शुरू करता हुआ - ठीक है मामी बस पांच मिनट औऱ.. ये कहते हुए गौतम सुमन की चुत में ताबड़तोड़ झटके मारने लगा जिससे कोमल औऱ ज्यादा सिसकियाँ भरने लगी..
कोमल सिसकिया भरते हुए - बेटा थोड़ा धीरे.. ग़ुगु.. आह्ह... बेटा आराम से.. आह्ह.. ग़ुगु धीरे चोद बेटा अपनी मामी को..
single dice
गौतम - मामी आप लग ही इतनी प्यारी रही हो.. कहा था ना चुदवाते हुए सिसकियाँ लेती हुई अच्छी लगती हो.. रोते हुए नहीं..
कोमल झड़ते हुए - ग़ुगु.. आहहह... बेटा...
गौतम कोमल के साथ झड़ते हुए - आहहह... मामी मैंरा भी हो गया..
कोमल औऱ गौतम एक साथ झड़े औऱ मुस्कुराते हुए कोमल गौतम को बेतहाशा चूमती हुई प्यार करने लगी.. फिर दोनों ने खड़े होकर अपने आपको ठीक किया..
कोमल मुस्कुराते हुए गौतम का गाल खींचकर - बस.. हो गयी इच्छा पूरी? अब तो खुश मेरा ग़ुगु?
गौतम मुस्कुराते हुए कोमल का हाथ चूमकर - बहुत खुश मामी.. जितना फेशन आप करती हो.. आपको देखकर कोई नहीं कह सकता आपकी इतनी टाइट होगी..
कोमल - तुझे मज़ा आया ना बेटा..
गौतम - बहुत मामी..
कोमल - ग़ुगु तू सुमन को समझा ना.. यही क्यों नहीं रह जाती वो तुझे लेकर.. क्यों ज़िद पर अड़ी हुई है.. मैं जानती हूँ उसके औऱ जगमोहन के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा.. वहा उस छोटे से पुलिस क्वाटर में कब तक दिन गुजारेगी?
गौतम - आप खुद ही क्यों नहीं समझा देती मामी.. मेरे समझाने से तो वो नहीं समझेगी.. उनकी औऱ आपकी लव स्टोरी भी तो बहुत उलझी हुई है..
कोमल गौतम के गाल सहला कर हसते हुए - चुप पागल.. चल नीचे.. ऋतू आ गई लगता है..
***********
राहुल ऋतू, ऋतू की सास औऱ ससुर सब हॉल में बैठे हुए थे.. उसके साथ गायत्री सुमन आरती औऱ अब कोमल भी आ बैठी थी.. नाश्ता सामने टेबल रखा था.. हंसी ख़ुशी का माहौल था.. शबनम चाय बना रही थी औऱ शबनम के पीछे गौतम उसे इधर उधर छू कर छेड रहा था जिस पर शबनम मुस्कुराते हुए बार बार गौतम को छूने से रोक रही थी..
गौतम ने थोड़ा सा मौका पाकर शबनम की कमर पर अपने हाथों से चीकूटी काट ली औऱ शबनम गौतम की तरफ बनावटी गुस्से वाली आँखों से देखती हुई धीरे से बोली बोली..
शबनम - अब कुछ किया तो थप्पड़ पड़ेगा..
गौतम मुस्कुराते हुए गाल आगे करके - मारो ना मालकिन..
शबनम रसोई के दरवाजे को देखकर जल्दी से एक प्यार भरा चुम्मा गौतम के गाल पर करके एक धीमा सा थप्पड़ मार देती है..
गौतम शबनम को पकड़कर बाहों में भरता हुआ - गाल पर भी कभी चुम्मा होता है मालकिन? चूमा तो होंठों से होंठ मिलते है तब होता है..
शबनम दरवाजे को देखती हुई - छोड़ ग़ुगु कोई आ गया तो मेरी नोकरी चली जायेगी..
गौतम होंठ आगे करके - पहले चुम्मा दो मालकिन तभी छोडूंगा..
शबनम जल्दी से गौतम के होंठ चूमकर - बस अब छोड़..
गौतम शबनम को छोड़कर - चाय बनाने के बाद छत पर आ जाना मालकिन.. साथ में एक सुट्टा मारेंगे..
शबनम - अभी नहीं ग़ुगु.. मालकिन बुला लेगी मुझे.. बाद में..
गौतम शबनम का बोबा दबाकर - ठीक है मालकिन..
शबनम मुस्कुराते हुए गौतम को धक्का देकर - अब जा यहां से.. वरना कोई देख लेगा..
गौतम रसोई से हॉल में आ जाता है..
आरती गौतम का हाथ पकड़कर अपने पास बैठाते हुए - देवर ज़ी आओ.. हमारे साथ भी बैठो.. देखो आपकी दीदी.. आते ही आपके बारे में पूछ रही है.. मैंने भी कह दिया हमने अभी तक देवर ज़ी को कहीं जाने नहीं दिया औऱ रोक कर रखा है..
गौतम ऋतू को देखकर - भाभी दीदी की बोलती बंद है.. लगता है वापस आकर अच्छा नहीं लगा दीदी को..
ऋतू सरक कर अपने बगल में जगह बनाती हुई - तू इधर आ मेरे पास.. अभी बताती हूँ तुझे..
गौतम उठकर ऋतु के पास बैठ जाता है.. औऱ ऋतू गौतम का कान पकड़कर - कब से आकर बैठी हूँ औऱ तू है की छिपा हुआ था?
राहुल हसते हुए - आराम से ऋतू.. भाई है तुम्हारा..
ऋतू की सास बबिता - हा ऋतू.. कितना जोर से कान खींचा है तूने.. दर्द होगा बेचारे को..
ऋतू - कुछ नहीं होगा इसे.. जब देखो मुझे सताने के बहाने ढूंढता रहता है..
सुमन - ऋतू आराम से बेटा..
ऋतू - आप बीच में मत बोलो बुआ.. जब से गई हूँ सबने फ़ोन किया है एक इसी बेशर्म को मेरी याद नहीं आई..
गौतम कान छुड़ाते हुए - अच्छा सॉरी ना.. छोडो..
संजय औऱ चेतन भी आकर सोफे पर बैठ जाते है..
सब हंसी ख़ुशी के माहौल में थे आपस में बातें कर रहे थे शबनम चाय की ट्रे लाकर चाय बाँट देती है औऱ नाश्ता करते हुए सब चाय पिने लगते है.. कुछ देर इसी तरह बातें करने के बाद में रितु अपने कमरे में चली जाती है और उसके कुछ देर बाद गौतम भी ऋतु के कमरे में चला जाता है..
गौतम ऋतू को गले लगता हुआ - बहुत खूबसूरत लग रही हो ऋतू.. याद आई मेरी रात में?
ऋतू - कमीने.. तेरी याद में तो नींद भी नहीं आई.. पता नहीं कैसे रहूंगी तेरे बिना अब..
गौतम - चिंता मत कर ऋतू.. मैं टाइम टाइम पर आता रहूँगा तुझसे मिलने.
ऋतू अपनी साडी उठाकर गौतम का लंड निकालकर अपनी चुत में घुसाती हुई - काश में तेरी दुल्हन बन पाती मेरे भाई.. तुझसे मिलने के लिए छुपना नहीं पड़ता..
गौतम चोदना शुरु करते हुए - फ़िक्र मत कर मेरी बहना जल्दी ही कोई ना कोई औऱ उपाय खोज लेंगे हम दोनों...
ऋतू चुदवाते हुए - मैं तो कल से तेरे इस लंड के बारे में ही सोच रही थी ग़ुगु.. बहुत मस्त औऱ मोटा है.. काश हर रात ये मेरे नसीब में होता.. पता नहीं कौन इसे हर रात अपनी चुत में लेगी.. भाई तू वादा कर मुझे हर दम ऐसे ही प्यार करेगा..
गौतम - ऋतू तू मेरी बहन है जो कहेगी मैं मरते दम तक वही करूँगा.. बस मुझे अपनी ये गांड दे दे
ऋतू - आज नहीं भाई.. वक़्त नहीं है.. कभी फुर्सत में लेना मेरी गांड.. अभी मेरी चुत से काम चला ले.. अगली बार मैं खुद तेरे सामने अपनी गांड परोस दूंगी..
गौतम - वादा कर रही है ऋतू.. भूलना मत.. अगली बार गांड नहीं दी तो जबरदस्ती ले लूंगा..
ऋतू - ले लेना भाई.. मेरे ऊपर तेरा पूरा हक़ है.. अभी जल्दी कर नहीं तो भाभी आ जायेगी..
गौतम चोदते हुए - बस बहाना झड़ने वाला हूँ तेरी चुत में..
ऋतू - मैं भी झड़ने वाली हूँ भाई.. साथ में झड़ते है.. आहहह...
गौतम रितु एक साथ झड़ जाते हैं और फिर कुछ देर बाद एक दूसरे को देखते हुए बातें करने लगते है..
ऋतू - विक्रम का फ़ोन आया था..
गौतम - क्या बोला उसने?
ऋतू - माफ़ी मांग रहा था.. मैंने कह दिया वापस नज़र आया तो वीडियो नेट पर वायरल कर दूंगी..
गौतम - अच्छा किया बहना.. अब सबसे बचा के रखना अपनी चुत का अनमोल गहना..
ऋतू गौतम को चूमते हुए - वापस जाना पड़ेगा भाई..
गौतम - फ़ोन करती रहना बहना.. अगली बार मिलने का इंतजार रहेगा..
ऋतू - मुझे भी..
ऋतु रस्म निभाकर शाम को वापस चली जाती है औऱ अगले दो दिन गौतम गायत्री कोमल आरती औऱ शबनम की जहा मौका मिलता है वही चुदाई करता है.. औऱ आज सुमन के साथ वापस अजमेर जाने को तैयार था.. दोनों दोपहर को अजमेर के लिए निकलने वाले थे औऱ अभी सुबह हो रही थी..
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देवर ज़ी कुछ दिन औऱ रुक जाओ ना.. आपके बिना सब कुछ सुना हो जाएगा फिर से..
रुकना तो मैं भी चाहता हूँ भाभी.. मगर क्या करू? आप तो जानती है माँ को अब अगर मैं कुछ बोलूंगा तो वो मुझे कितना सुनाएंगी..
आरती जीन्स के ऊपर से गौतम के लंड पर हाथ फिराती हुई - बहुत ख्याल रखा है अपने अपनी इस भाभी का देवर ज़ी.. औऱ बहुत सुख भी दिया है.. आप तो कुछ दिनों में दिल के अंदर इतना गहरा उतर गए कि सागर की गहराई भी उसके आगे कुछ नहीं है.. मैंने आपका कितना दिल दुखाया कितना कुछ बोला मगर आपने मुझे कितना प्यार किया.. मुझे माफ़ कर देना देवर ज़ी..
गौतम आरती के होंठ पकड़कर - कितनी ड्रामेबाज़ हो आप भाभी.. मैंने कहा ना हर महीने आपसे मिलने आऊंगा.. आप फ़िक्र मत करो.. आपकी चुत को वापस सिकुड़ने नहीं दूंगा..
आरती मुस्कुराते हुए - शुक्रिया देवर ज़ी..
गौतम - सुबह सुबह आपकी चुत से शुरुआत हुई है.. लगता है आज दिन अच्छा जाएगा मेरा..
आरती छत पर से नीचे जाते हुए - वापस चाहिए तो बता दो देवर ज़ी मैं कुछ नहीं बोलूंगी..
गौतम - अब थोड़ा वक़्त लगेगा भाभी..
आरती - ठीक है देवर ज़ी..
आरती छत से नीचे चली जाती हैऔऱ उसके कुछ देर बाद चेतन ऊपर आ जाता है..
यहां अकेला क्या कर रहा है ग़ुगु..
कुछ नहीं चिंटू भईया बस कुछ सोच रहा था..
क्या सोच रहा था ग़ुगु?
भाभी के बारे में भईया.. भाभी ने बहुत ख्याल रखा है मेरा..
चेतन मुस्कुराते हुए - ख्याल तूने भी अपनी भाभी का बहुत रखा है.. वो बता रही थी कैसे तू उसका सबसे प्यारा साथी बन गया..
गौतम - कहा चेतन भईया.. मैं बस थोड़ा हंसबोल लिया भाभी से.. भाभी इतने में ही खुश हो गई..
चेतन - ग़ुगु मैं भी तुमसे सिर्फ 6 साल बड़ा हूँ.. मुझे चिंटू ही कहकर बोल.. जैसे पहले बोला करता था.. ये फॉर्मेलिटी छोड़ दे..
गौतम - ठीक है चिंटू..
चेतन - अच्छा तूने एग्जाम के बाद का क्या सोचा है?
गौतम - कुछ नहीं.. बस कोई जॉब कर लूंगा औऱ क्या..
चेतन - पागल हो गया है हम जॉब देते है करते नहीं है.. तू एग्जाम के बाद बुआ को लेके यही आ जाना.. यहां अपना कितना काम है उसे कौन संभालेगा..
गौतम - नहीं चिंटू.. माँ कभी इस बात के लिए राज़ी नहीं होगी..
चेतन - ग़ुगु.. मैं जानता हूँ बुआ नहीं मानेगी मगर वो तेरी बात मानने से इंकार नहीं करेगी.. औऱ कल रात आरती भी तेरे जाने का सोच कर रो रही थी..
गौतम - भाभी रो रही थी.. मगर अभी तो उन्होंने कुछ नहीं बताया उसके बारे में..
चेतन - औरत को बात छुपीना औऱ बताना अच्छे से आता है ग़ुगु.. मैं जान चूका हूँ कि वो तुझसे प्यार करने लगी है तेरे बिना नहीं रह पाएगी... उसकी ख़ुशी के लिए एक बार कोशिश करना..
गौतम - चिंटू.. भाभी तुम्हारी पत्नी है..
चेतन - काहेकि पत्नी ग़ुगु.. उसे कभी पत्नी वाला सुख तो मैं दे ही नहीं पाया.. मैं सुबह से रात तक इसलिए दूकान पर रहता हूँ कि मुझे आरती की बातें उसके ताने ना सुनने पड़े.. मगर जब से तू आया है उसने एक बार भी मुझसे गुस्से में या अपने अड़ियलपन से बात नहीं की.. ग़ुगु मैं जानता हूँ तू अपनी भाभी के साथ सो चूका है.. तूने उसे वो सुख दिया है जो एक मर्द से एक औरत चाहती है..
गौतम नज़र झुका - मैं बहका गया था चिंटू.. मैं भाभी के साथ वो सब नहीं करना चाहता था मगर अपने आप सब होता चला गया.. मुझे माफ़ कर दे..
चेतन - ग़ुगु.. इसमें माफ़ी वाली कोई बात नहीं है.. मैं तो खुश हूँ कि तू आरती का ख्याल रख रहा था.. मैं अब भी वही चाहता हूँ.. तू ऐसे ही आरती का ख्याल रखे.. मुझे तेरे औऱ आरती के रिश्ते से कोई ऐतराज़ नहीं है..
ग़ुगु - मैं जानता हूँ चिंटू तू ऐसा क्यों बोल रहा है.. तू चिंता मत कर भाभी को मैं अच्छे से खुश रखूँगा.. वो तुझे परेशान नहीं करेंगी.. औऱ अब तू अपनी जिंदगी भी खुलकर ज़ी सकता है.. यूँ घुट घुट कर जीने की तुझे क्या जरुरत? दुनिया की परवाह छोड़ दे चिंटू.. दुनिया ने किस किस को क्या कुछ नहीं बोला..
चिंटू - मैं समझ नहीं पाया ग़ुगु.. तू कहना क्या चाहता है..
ग़ुगु चिंटू का हाथ पकड़ कर - चल दोनों भाई कहीं घूम के आते है..
चिंटू - कहा ग़ुगु..
ग़ुगु - अभी पता चल जाएगा..
गौतम चिंटू के साथ कहीं चला जाता है औऱ किसी को कुछ massage करता है...
गौतम चिंटू को लेकर एक फाइव स्टार होटल की तरफ आ गया था जहा किसी फ़िल्म की स्टार कस्ट ठहरी हुई थी.. गौतम चिंटू को लेकर एक रूम में आ गया था..
चिंटू - ग़ुगु मुझे यहां क्यों लेकर आया है? मुझे दूकान जाना है..
ग़ुगु - थोड़ी देर वेट करो चिंटू.. सब पता चल जाएगा..
चिंटू - तू क्या कर रहा है मेरी समझ ही नहीं आता..
गुगु - चिंटू मैं जानता हूँ तुझे लड़कियों में कोई दिलचस्पी नहीं है.. तू गे है.. औऱ तू ये बात अब तक सबसे छीपाता आया है.. मगर अब तुझे इस तरह घुट घुट कर जीने की कोई जरुरत नहीं..
चिंटू हैरानी से - ग़ुगु कैसे?
गौतम - चिंता मत करो चिंटू.. मैं किसी से कुछ नहीं कहूंगा औऱ ना ही तुझे ऐसे घुट घुट के जीने दूंगा..
चिंटू शरमाते हुए - तुझे कैसे पता ग़ुगु.. मेरे बारे में..
गौतम - शादी वाली रात की अगली सुबह.. जब मैं टहल रहा था तब मैंने देखा था.. तू जिस आदमी के साथ था उसे रात को मैने ही बुलाया था..
दरवाजा की बेल बजते ही गौतम दरवाजा खोलकर - आओ वसीम.. किसी ने रोका तो नहीं..
वसीम - ऐसी जगह हमारे जैसे गरीब लोगों तो रोका ही जाता है भईया.. पर आपने रिसेप्शन पर बोला हुआ था इसलिए ज्यादा तकलीफ नहीं हुई आने में..
गौतम - वसीम.. अब से तुम्हे ये काम करने की जरुरत नहीं.. मेरा भाई तुम्हे काम पर रखना चाहता है.. जितना तुम महीने में कमाते हो उससे दुगुनी तनख्वाह मिलेगी.. काम सिर्फ इतना की मेरे भाई को हर दम खुश रखना होगा...
वसीम - जैसा आप बोले..
गौतम चेतन की तरफ इशारा करते हुए - जाओ वसीम भईया इंतजार कर रहे है..
वसीम चेतन के पास जाकर प्यार से उसके होंठ चूमने लगता है औऱ चेतन शर्माते हुए ग़ुगु को देखकर वसीम को रोकते हुए - ग़ुगु सुन.. ग़ुगु..
गौतम रूम से बाहर जाते हुए - एन्जॉय करो भईया..
ये कहकर गौतम रूम से बाहर आ जाता है औऱ दरवाजे पर डु नॉट डिस्टर्ब का sign लटका कर जैसे ही पीछे मुड़ता है उसका पैर फिसल जाता है औऱ वो इस रूम के जस्ट सामने वाले रूम में आगे की तरफ जाते हुए जमीन पर गिर जाता है..
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गौतम - आप खुद ही क्यों नहीं समझा देती मामी.. मेरे समझाने से तो वो नहीं समझेगी.. उनकी औऱ आपकी लव स्टोरी भी तो बहुत उलझी हुई है..
गौतम जानता था की कोमल को सुमन की उस बात का कितना दुख पंहुचा है.. इसलिए गौतम कोमल के पीछे पीछे कुछ देर बाद ही छत पर आ गया था..
माँ की बात का बुरा लगा ना आपको?
कोमल - मेरी इतनी परवाह है तुझे ग़ुगु? काश तू मेरा अपना बच्चा होता.. फिर देखती वो सुमन की बच्ची कैसे मुझे इतना सब सुनाती..
कोमल मुस्कुराते हुए - मैं तेरी माँ से कितना भी लडू ग़ुगु.. तू कभी मुझसे नाराज़ मत होना.. मैं बहुत प्यार करती हूँ तुझे..
गौतम हलके तेज़ धक्के मारते हुए - जानता हूँ मामी.. आप तो मेरी गर्लफ्रेंड हो.. औऱ इतनी टाइट चुत वाली गर्लफ्रेंड से नाराज़ नहीं होता मैं..
कोमल - ग़ुगु तू सुमन को समझा ना.. यही क्यों नहीं रह जाती वो तुझे लेकर.. क्यों ज़िद पर अड़ी हुई है.. मैं जानती हूँ उसके औऱ जगमोहन के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा.. वहा उस छोटे से पुलिस क्वाटर में कब तक दिन गुजारेगी?
गौतम - आप खुद ही क्यों नहीं समझा देती मामी.. मेरे समझाने से तो वो नहीं समझेगी.. उनकी औऱ आपकी लव स्टोरी भी तो बहुत उलझी हुई है..
चेतन - ग़ुगु.. मैं जानता हूँ बुआ नहीं मानेगी मगर वो तेरी बात मानने से इंकार नहीं करेगी..