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Update 39

गौतम जब सुमन को लेकर वापस आने के लिए निकला तो आधे रास्ते में सुमन उससे कार चलाना सिखने की बात करने लगी औऱ गौतम गाडी हाईवे से नीचे उतार कर खड़ी रोड पर ले आया..

गौतम सुमन को गाडी चलाना सिखाने के लिए हाईवे के बगल वाली खाली सुनसान रोड पर ले आया था जहा सुमन गौतम की गोद में बैठकर गाडी चलाना सिख रही थी औऱ गौतम सुमन को धीरे धीरे गाडी चलाना सिखाते हुए उसे बदन का लुफ्त ले रहा था..

गौतम सुमन की कमर पकड़कर उसकी गांड को अच्छे से लंड पर टिकता हुआ - माँ ठीक से बैठो ना यार.. आप तो ऐसे डर रही हो जैसा मेरा लंड चला जाएगा आपकी चुत में..
सुमन स्टाइरिंग पकड़कर धीरे धीरे गाडी चलाते हुए - बेटा चुभ रहा है तेरा.. तूने लोअर क्यों नीचे सरका दिया है अपना..
गौतम - लोअर ही तो सरकाया है माँ.. कोनसी आपकी साडी उठा दी मैंने.. आप गाडी चलाने पर ध्यान दो.. देखो संभाल के ब्रैक औऱ क्लच दबाओ..
सुमन - बेटा मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा कब ब्रेक दबाना है औऱ कब क्लच दबाना है..
गौतम सुमन का ब्लाउज खोलकर उसकी ब्रा उतार देता है औऱ सुमन के दोनों चुचे अपने दोनों हाथों के पंजो में पकड़ लेता है औऱ सुमन से कहता है - देखो माँ मैं जब आपका राइट बोबा दबाउ तो आपको ब्रेक मारना है औऱ लेफ्ट बोबा दबाउ तो कल्च दबाना है..
औऱ जब दोनों बोबो एक साथ दबाउ तो हॉर्न दबाना है.. औऱ जब नीचे से गांड पर झटका मारु तो समझ जाना गाडी रोकनी है..
सुमन हसते हुए - गुगु मैं तेरी माँ हूँ बेटा.. औऱ तू मेरे ही मज़े ले रहा है.. बहुत शैतान है तू..
गौतम - अब आपको ही गाडी चलाना सीखना था मैं तो इसी तरह सिखाता हूँ.. नहीं सीखना तो बोलो..
सुमन - ठीक है बेटा.. तुझे जो दबाना है दबा.. पर आज मैं गाडी चलाना सिखकर रहूंगी.. तू मेरा गुरु मैं तेरी चेली..
गौतम - माँ थोड़ी देर के लिए भूल जाओ मैं आपका बेटा हूँ.. अब से मुझे गुरूजी कहना औऱ मैं आपको अपनी चेली समझ कर गाडी चलाना सिखाऊंगा..
सुमन - ठीक है गुरूजी.. आप जैसा बोलो..
गौतम जोर से सुमन का राइट बोबा दबा देता है औऱ सुमन ब्रेक मारने की जगह चिल्ला देती है..
गौतम - ब्रेक मारने की जगह चिल्ला क्यों रही है..
सुमन गौतम को देखती हुई - इतना जोर से क्यों दबाया तूने..
गौतम वापस बोबा दबाकर - गुरूजी से तू करके बात करती है.. कैसी चेली है?
सुमन वापस आह करते हुए - गुरूजी आप बहुत जोर से दबाते हो.. लाल हो गए मेरे चुचे..
गौतम लेफ्ट बोबा दबाते हुए - गुरूजी तो ऐसे ही दबाते है..
सुमन अहह करते हुए कल्च दबती है औऱ अब इसीलिए तरह गौतम हाईवे से सटे सुनसान रास्ते पर सुमन को गाडी चलाना सिखाने लगता है.. औऱ दोनों में बातें होती रहती है.. सुमन भी इस मीठी छेड़खानी का मज़ा लेटे हुए गौतम से गाडी चलाना सीखती है औऱ बार बार गौतम को देखकर उसे थोड़ा डांटते हुए कम छेड़खानी करने औऱ धीरे खेड़खानी करने को कहती रहती है.. मगर गौतम अपने ही हिसाब से सुमन के बदन से छेड़खानी कर मज़े लुटता रहता है..

करीब डेढ़ घंटे इसी तरह दोनों इधर उधर घूमते रहते है औऱ सुनसान जगह के काफी अंदर तक आ जाते है जहा देखने से जंगल सा नज़ारा दिखाई देता औऱ वहा उन दोनों को एक खंडर दिखाई देता है.. जिसके आस पास ना इंसान था ना जानवर.. दूर दूर तक लोगों का नमो निशान तक नहीं था.. गौतम ने जोर से सुमन की गांड पे लंड का झटका दिया तो गौतम का इशारा समझ कर सुमन ने गाडी रोक दी..
सुमन हैरानी से - इतनी सुनसान जगह पर ये खंडर..
गौतम - भूतिया खंडर है माँ.. एक दोस्त ने बताया था यहां के बारे में.. लोग यहां नहीं आते जाते औऱ दो किलोमीटर दूर से ही गुजर जाते है..
सुमन - बेटा मुझे भूतो से बहुत डर लगता है.. चल यहां से चलते है..
गौतम - रुको ना माँ.. कितनी खूबसूरत जगह है.. चलो ना देखते है इस खंडर को..
सुमन - बेटा पर भूत से डरना ही अच्छा है.. यहां से दूर चलते है..
गौतम - माँ आप भी ना.. फालतू ही डरती हो.. भूत जैसा कुछ नहीं होता है.. लोग तो अफवाह उड़ाते है उनसे ही डरते है. आप चलो देखते है इस खंडर को..
सुमन डरते हुए - पर बेटा..
गौतम उतरते हुए - आप भी ना माँ.. चलो उतरो.. मैं हूँ ना..
सुमन अपने कपडे पहन कर गाडी से उतर जाती है औऱ गौतम का हाथ कस कर पकड़ लेती है..
गौतम सुमन के साथ खंडर के अंदर आ जाता है औऱ सुमन डरते हुए कसके गौतम का हाथ पकड़कर उसके साथ चलती है..
सुमन - बेटा ये खंडर तो बहुत डरावना औऱ बड़ा है..
गौतम आगे चलते हुए - आज डरावना है माँ पहले के समय कितना सुन्दर रहा होगा..
सुमन डरते हुए - बस बेटा अब वापस चलते है.. औऱ नहीं देखना..
गौतम सुमन को बाहों में भरके - अभी तो कुछ देखा ही नहीं माँ.. देखो नीचे तहखना है ऊपर भी कमरे बने हुए है.. चलो सीढ़िओ से ऊपर चलते है..
सुमन - बेटा बहुत डर लग रहा है..
गौतम - क्यों बेवजह डरती हो माँ.. चलो ना अभी तो सिर्फ खंडर शुरू ही हुआ है..
गौतम सुमन को बाहों में भरके ऊपर सीढ़ियों की तरफ ले जाता है जहा ऊपर पहुंचने पर दोनों के कान में कुछ आवाजे सुनाई देती है.. जिससे सुमन डर जाती है औऱ गौतम से लिपट जाती है मगर गौतम धीरे धीरे आवाज की औऱ जाने लगता है सुमन भी मज़बूरी में गौतम के साथ जाने लगती है.. धीरे धीरे आवाज साफ होने लगती है औऱ उन दोनों को समझ आ जाता है की ये आवाजे कैसी है..
गौतम औऱ सुमन एक दूसरे को देखते है औऱ गौतम मुस्कुराते हुए आगे चलकर औऱ आवाजे सुनने लगता है अब सुमन को भी आवाजे सुनने की इच्छाहो रही थी.. ये आवाज खंडर के ऊपर पीछे बने आखिरी कमरे से आ रही थी.. जहा किसी की चुदाई का कार्यक्रम कर पुरे जोर के साथ चल रहा था.

गौतम औऱ सुमन उस कमरे के करीब आती है तो दोनों को दिखाई देता है कि एक 25 साल के करीब का लड़का एक 40-42 साल के करीब कि औऱत को चोद रहा था.. नीचे एक कपड़ा बिछाकार दोनों मस्ती से चुदाई कर रहे थे..
औरत चुदवाते हुए - जल्दी कर हरिया.. आज तेरा बाप शहर से वापस आने वाला है..
हरिया चोदते हुए - आ जाने दे मंजू.. कोनसा वो आके हम माँ बेटे के बारे में पता ही लगा लेगा..
मंजू - बेटा 5 साल से अपनी माँ को यहां लाकर चोद रहा है तू.. कभी कोई देख लेगा तो पता नहीं क्या होगा..
हरिया - 5 साल से कौन हमें देखने यहां आया है मंजू? तू क्यों इतना फालतू डरती है? तू अच्छे से जानती है मैं तेरी चुत के बिना औऱ तू मेरे लंड के बिना अब नहीं ज़ी सकते.. तो हर बार इतना क्यों डरती है..

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मंजू - घर में ही चोद लिया कर अपनी माँ को हरिया.. क्यों मुझे चोदने के लिए यहां लाता है बार बार?
हरिया - मंजू घर में जब भी तेरा घाघरा खोलता हूँ कोई ना कोई आ जाता है.. दादी भी घर में रहती है.. यहाँ जितना आराम औऱ सुकून से तुझे चोदने में मज़ा आता है उतना घर पर नहीं आता..
मंजू - शादी कि उम्र हो गई है तेरी.. अब अपनी माँ का पीछा छोड़ दे.. तेरी चाची बता रही थी उसके गाँव में एक अच्छी लड़की है.. मैंने तेरी बात चलाने के लिए कहा है.. अगर सब ठीक रहा तो लगे हाथ तेरा ब्याह इसी बरस हो जाएगा..
हरिया चुत मारता हुआ - मंजू तुझसे कितनी बार कहु मुझे सरला के अलवा किसी से ब्याह नहीं करना..
मंजू चुदते हुए - अरे अपनी उस विधवा भाभी से शादी करके तुझे क्या मिल जाएगा हरिया? तुझे अगर सरला पसंद है तो दो-चार बार चोदकर मज़े लेले.. मैं सब संभाल लुंगी.. पर शादी क्यों करता है.. तेरी चाची बता रही थी लड़की वाले दहेज़ में दुपहिया मोटर देने को त्यार है.. तू बस हाँ कर.. लड़की अठरा बरस की है हरिया.. अभी किसी ने हाथ नहीं लगाया उसे.. कच्ची कली है बिलकुल..
हरिया - क्यों चुदाई के समय सर ख़राब करती है मंजू? सरला को मैं पसंद नहीं करता बल्कि उससे प्यार करता हूँ.. जितना प्यार तुझसे करता हूँ उतना ही सरला से भी.. भईया की मौत के सदमे में भाभी जान देने वाली थी.. पर मैंने भाभी से शादी का वादा किया औऱ समझाया तब भाभी मानी.. मंजू मैं सिर्फ तुझे ही यहां लाकर नहीं चोदता.. सरला भी यहां मुझसे चुदवाती है..
मंजू - हरिया क्यों उस विधवा रांड के चक्कर में इतने अच्छे रिश्ते को लात मार रहा है.. एक बार फिर सोच ले.. मैं तेरी सगी माँ हूँ तेरा बुरा नहीं सोचूंगी..
हरिया एक जोरदार थप्पड़ मंजू के गाल पर जमाता हुआ - बहन की लोड़ी रांड वो नहीं तू है.. मुझसे पहले किस किस से चुद चुकी है तू.. भूल गई? मेरे दोस्तों को भी नहीं छोड़ा था तूने.. सरला तो सिर्फ भईया के बाद मेरे नीचे लेटी है पर तू तो साली कई लोगों के नीचे लेट चुकी है..
मंजू - एक औऱ थप्पड़ मार दे मगर मेरी बात समझ.. तू जवान मर्द है अपनी भाभी को रखैल बनाकर भी रखेगा तो कोई तुझपर सवाल नहीं उठायेगा..
हरिया मंजू के मुंह में लोडा देते हुए - समझ नहीं आता मंजू मेरे बाप ने तेरे जैसी लालची रांड से क्यों ब्याह किया? तेरी चुत अगर मेरी कमजोरी नहीं होती ना मंजू तो मैं कबका तुझे छोड़कर चला गया होता..

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मंजू लोडा चूसते हुए - लालची नहीं बेटा मैं तो बस तेरे भले के लिए बोल रही हूँ.. माँ जो हूँ तेरी..
हरिया मुंह में माल झाड़कर - मंजू ये माँ बेटे वाला रिश्ता गाँव में सबके सामने ठीक है.. अकेले में इस रिश्ते की दुहाई मत दिया कर मंजू.. चल अब कपडे पहन..
मंजू माल पीकर कपडे पहनकर - चल हरिया.. चलते है.
हरिया - चल मंजू..

हरिया औऱ मंजू को गौतम औऱ सुमन छुपकर देख सुन रहे थे.. जब वो दोनों जाने लगे तो गौतम ने चुपके से सुमन को खंडर के एक कोने में लेजाकर खड़ा कर दिया औऱ हरिया औऱ मंजू वहा से चले गए.. उनके जाने के बाद गौतम सुमन को उस कमरे में लाता हुआ बोला..
गौतम - देखा माँ? हर जगह कोई ना कोई बेटा अपनी माँ की चुदाई कर रहा है.. औऱ आप कहती है ऐसा कहीं कुछ नहीं होता.. यहां इतने सारे कंडोम औऱ चड्डीया पड़ी है जो सबूत है इस बात का की यहां हरिया औऱ मंजू ने सगा माँ बेटा होते हुए अपनी चुदाईयो को अंजाम दिया है.. अब आप अपनेआप को रोक रही हो? आप भी मेरे साथ सेक्स करना चाहती हो ये मैं अच्छे से जानता हूँ.. पर आप ना जाने क्यों अपनेआप को मेरे करीब आने से हर बार रोक लेती हो..

सुमन आंसू बहाते हुए - मुझे माफ़ कर दे बेटा पर मैं वो नहीं कर सकती.. मेरा मन उसके लिए गवाही नहीं देता.. तू चाहे तो यही मेरी आबरू लूट ले.. जो चाहता है कर ले मैं मना नहीं करुँगी.. ये कहते हुए सुमन ने साडी का पल्लू गिरा दिया..
गौतम - माँ मुझे अगर आपकी चुदाई इसी तरह करनी होती तो बहुत पहले कर चुका होता.. मुझे आपके बदन के साथ आपकी रूह भी चाहिए.. मुझे कुत्ते बिल्लियों वाली चुदाई नहीं करनी.. जब तक आप अपने हाथ से पकड़ कर मेरा लंड अपनी चुत में नहीं डलवाती.. तब तक मैं आपको नहीं चोदने वाला..
सुमन - मैं मजबूर हूँ बेटा..
गौतम - जब तक आपकी मज़बूरी ख़त्म नहीं हो जाती माँ मेरा लंड आपकी चुत का इंतजार कर लेगा..
ये कहकर गौतम वहा से जाने लगता है मगर सुमन गौतम का हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींच लेती है औऱ उसे गले लगाकर कहती है..
सुमन - ग़ुगु मुझे माफ़ कर दे बेटा.. मैं बहुत बुरी माँ हूँ.. तूने मुझसे पहली बार कुछ माँगा औऱ वो भी मैं तुझे नहीं सकती..
गौतम सुमन के आंसू पोछकर - किसने कहा की आप नहीं दे सकती? आप जरुर देंगी.. मुझे यक़ीन है.. अब चलो माँ.. घर चलते है..
गौतम सुमन को खंडर से वापस गाडी में ले आया.. औऱ गाडी चलाते हुए हाईवे पर आ गया औऱ थोड़ी देर बाद दोनों अजमेर पहुंच चुके थे..

सुमन - नाराज है ग़ुगु?
गौतम गाडी चलाते हुए - नहीं तो..
सुमन - तो फिर इतनी देर से चुप क्यों हो?
गौतम - बस यूँही..
सुमन - मैं जानती हूँ ग़ुगु.. तु क्यों चुप है पर तू समझ.. मैं वो सब नहीं कर सकती.. मैंने इस चुत से तुझे पैदा किया है अब इसी चुत में तुझे वापस लेने का ख्याल मुझे बहुत गलत लगता है..
गौतम - कोई बात नहीं माँ.. मैं आपसे कुछ नहीं कह रहा..
सुमन - ग़ुगु वहा गाडी रोक..
गौतम - माँ वो मिट शॉप है..
सुमन - पता है रोक ना..
गौतम मिट शॉप के आगे गाडी रोकते हुए - यहां क्या करना है आपको?
सुमन मुस्कुराते हुए - दो मिनट रुक मैं आती हूँ..
सुमन गाडी उतर कर मिट शॉप में जाती है औऱ कुछ देर बाद एक काली पन्नी में कुछ लेकर वापस आ जाती है..
गौतम काली पन्नी देखकर - इसमें क्या है?
सुमन - चीकन... तुझे चिकन करी पसंद है ना.. आज अपने हाथों से बनाकर खिलाऊंगी अपने ग़ुगु को..
गौतम गाडी चलाते हुए - अच्छा तो इस तरह से आप मेरा मन बहलाना चाहती हो.. पर आपको बनाना कहा आता है?
सुमन - नहीं आता तो रूपा से पूछ लुंगी..
गौतम ठेके के सामने गाडी रोककर - मिट के साथ दारू तो जरुरी है माँ.. कोनसा ब्राड पीना पसंद करोगी?
सुमन मुस्कुराते हुए - जो मेरे ग़ुगु को पसंद हो..
गौतम जाकर एक शराब की बोतल ले आता है.. औऱ गाडी घर के आगे लगा देता है.. सुमन औऱ गौतम घर के अंदर चले जाते है शाम होने लगी थी.. गौतम ने गाडी रूपा से कहकर वापस भिजवा दी थी..

गौतम शराब के दो पेग बनाकर - लो माँ.. शुरू करो..
सुमन चिकन धोती हुई - रुक ग़ुगु.. इसे धो लिया है बस हल्का सा काट दूँ..
गौतम - फ़ोन में देखकर क्यों बना रही हो माँ? मुझे आता है मैं सिखाता हूँ आज आपको..
सुमन पेग उठाकर गौतम से चर्स करके पेग पीते हुए - अच्छा.. तो सीखा मुझे..
गौतम पेग ख़त्म करके - ठीक है माँ.. आओ यहां..
सुमन पेग ख़त्म करके - चलो सिखाओ..
गौतम - सबसे पहले गैस ऑन करके उसपर पतीला रखो.. फिर सरसो का तेल डालकर गर्म करो..
सुमन मुस्कुराते हुए - इतना तो मुझे भी आता है मेरे शहजादे..
गौतम दूसरा पेग बनाकर एक सुमन को देते हुआ - तेल गर्म होने पर उसमे कुछ खड़े मसाले डालकर थोड़ी सी देर बाद कटे हुए प्यार औऱ हरी मिर्च डाल दो.. फिर उसमें थोड़ा सा नमक डालो..
सुमन पेग आधा ख़त्म करके - उसके बाद ग़ुगु ज़ी?
गौतम दूसरा पेग ख़त्म करके सुमन को बाहों में भरकर - उसके बाद में.. आपके जैसी किसी हसीन औऱ खूबसूरत औरत को तब तक चुम्मो जब तक प्याज थोड़े पक नहीं जाते.. ये कहते हुए गौतम सुमन को चूमने लगता है..

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सुमन गौतम को होंठों से होंठ लगाकर चूमते हुए एक हाथ से कड़ची चलाती रहती है..
थोड़ी देर बाद गौतम से चुम्मा तोड़कर सुमन - तुम्हारे प्याज ने थोड़े पक गए गुगुजी.. अब आगे?
गौतम - अब पतिले में अदरक लसन का पेस्ट डालकर तब तक पकायेगे जब तक साड़ी ब्लाउज औऱ पेटीकोट नहीं खुल जाता.. ये कहकर गौतम सुमन की साडी ब्लाउज औऱ पेटीकोट उतार देता है औऱ सुमन को ब्रा पेंटी में खड़ा कर देता है..
सुमन अपना पेग ख़त्म करके - अब आगे क्या करना चाहिए ग़ुगु ज़ी?
गौतम - अब चीकन को पतिले में डाल देना चाहिए सुमन ज़ी..
सुमन मुस्कुराते हुए चीकन पतिले में डालकर कड़ची चलाती रहती है औऱ गौतम अब तीसरे पेग को बनाकर दोनों के सामने रख देता है..
सुमन नशे में - मुझे नंगा करके खुद कपडे पहन रखा है बेशर्म खोल तू भी.. सुमन भी गौतम के सारे कपडे उतार कर रसोई में वही रख देती है जहा सुमन की साडी ब्लाउज औऱ पेटीकोट रखा था.. गौतम भी अब चड्डी में आ चूका था..
गौतम कड़ची चलाते हुए - अब थोड़ा सा चिकन को भून लेंगे..
सुमन थोड़ी देर बाद एक सिगरेट जलाकर कश लेती हुई नशे में बोली - भूनने के बाद क्या करें ग़ुगु ज़ी..
गौतम सुमन से सिगरेट लेकर कश लेटे हुए सुमन के हाथ में कटोरी देकर बोला - अब सुमन ज़ी जो आपने कटोरी में दही औऱ मसाले डालकर मिक्सचर तैयार किया है उसे पतिले में डाल देंगे..
सुमन कटोरी में दही औऱ सभी मसालो का मिक्सचर डालकर कड़ची चलाते हुए बोली - अब ग़ुगु ज़ी..
गौतम एक सिगरेट का लम्बा कश लेकर सिगरेट सुमन को देते हुए तीसरा पेग ख़त्म करके घुटनो पर बैठकर सुमन की पेंटी नीचे करते हुए सुमन की चुत चाटकर - अब अपनी माँ की चुत तबतक चाटेगे जबतक माँ की चुत जड़ नहीं जाती..

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सुमन कड़ची चलाकर सिगरेट के कश लेटी हुई अपनी एक टांग उठाकर चुत खोल देती है औऱ गौतम से अपनी चुत चटवाने लगती है..
सुमन सिगरेट के कश लेटी हुई गौतम के बाल पकड़कर नशे में उससे अपनी चुत चटवाये जा रही थी औऱ दस पंद्रह मिनट बाद सुमन गौतम के मुंह में झड़ गई..

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गौतम चुत का पानी पीकर अपने पैरों पर खड़ा हो गया औऱ सुमन गौतम को देखकर नशे में कड़ची चलाते हुए बोली - अब क्या करना चाहिए ग़ुगु ज़ी..
गौतम पतिले को देखकर सुमन से बोला - अब सुमन ज़ी पतिले में मिट मसाला औऱ हरा धनिया डालकर धीमी आंच पर तब तक पकायेंगे जब तक मेरा लंड आपके मुंह में पानी नहीं छोड़ देता..
गौतम का इशारा पाकर सुमन मुस्कुराते हुए घुटनो पर आ गयी औऱ गौतम की चड्डी नीचे सरका कर उसका लंड मुंह में लेते हुए रंडियो की तरह चूसने लगी..

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गौतम ने कड़ची चला कर पतिले को ढक दिया औऱ एक सिगरेट जलाकर कश लेते हुए होनी माँ के बाल पकड़ कर उसके मुंह में झटके मारते हुए सुमन को अपना लंड चूसाने लगा..
सुमन ने बीच में तीसरा पेग भी ख़त्म कर लिया औऱ अब नशे में पूरी तरह उतर कर पूरी रांड जैसे गौतम के लंड के साथ साथ उसके आंड को भी चुसने लगी.. गौतम अपनी माँ का ये रूम देखकर मंतरमुग्ध हो गया था सुमन बिलकुल किसी रंडी की तरह गौतम के लंड के साथ साथ उसके टट्टे औऱ जांघो के आस पास की जगह को चूसने चाटने लगी थी..
करीब 20-25 मिनट बाद गौतम का माल सुमन के मुंह में झड़ गया जिसे सुमन पी गई औऱ अगला पेग बनाने लगी.. सुमन के पैर लड़खडाने लगे थे..

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गौतम ने उसे चौथा पेग बनाने से रोक दिया औऱ बाहों में भरता हुआ बोला - लो सुमन ज़ी त्यार है आपकी चिकन करी..
सुमन मुस्कुराते हुए नशे में - तू बहुत प्यारा है ग़ुगु.. आई लव यू..
गौतम एक बड़ी सी प्लेट पर चिकेन करी डालकर - गर्म है सुमन ज़ी थोड़ा ठंडा होने दो.. फिर बताना कैसी बनी है?
सुमन नशे में - तब तक एक पेग औऱ पीते है ग़ुगु..
गौतम - नहीं आपके ज्यादा हो गई है..
सुमन - नहीं हुई.. लो अपने हाथ से पिलाओ एक पेग..
गौतम शराब नहीं डालता औऱ सिर्फ पानी का पेग बनता है..
गौतम पानी का पेग पीलाते हुए - लो सुमन ज़ी पियो..
सुमन पेग पीकर समझ जाती है कि वो सादा पानी था औऱ कुछ नहीं..
सुमन नशे में ग़ुगु का लंड पकड़ कर - मज़ाक़ मत कर गौतम.. बना मेरा पेग मुझे पीना है..
गौतम - पहले ये खाओ.. लो ठंडा कर दिया..
सुमन चिकेन लग पीस उठाकर आधा गौतम को खिलाती है औऱ आधा खुद खा जाती है..
सुमन उंगलियां चाटते हुए - उफ्फ्फ... क्या मस्त बनी है चिकेनकरी ग़ुगु..
गौतम - पहले तो कितना नाटक करती थी. मैं ये नहीं खाती वो नहीं खाती.. घर में नहीं बनेगा.. औऱ अब देखो..
सुमन औऱ गौतम एक दूसरे को चिकेन करी खिलाते हुए हलकी फुलकी छेड छाड़ करते है औऱ खाने के बाद सुमन के जोर देने पर उसे गौतम एक छोटा सा पेग औऱ बना के पीला देता है..
सुमन नशे में गौतम के होंठ चूस कर - आई लव यू बच्चा.. आई लव यू..
गौतम सुमन को रूम में लाकर बेड पर बैठा देता है..
सुमन गौतम को बाहों में भरके नशे में बोलती है - देख तूने अपनी माँ के बोबे दबा दबा के कितने बड़े कर दिए है ग़ुगु.. मेरी ब्रा कितनी टाइट हो गई है.. अब तू ही मुझे नई ब्रा लाकर देगा..
गौतम मुस्कुराते हुए ब्रा उतारकर - ला दूंगा माँ.. अब अपने बच्चे को अपना दूध पीला दो..
सुमन अपना बोबा पकड़ कर गौतम के मुंह में देती हुई - ले बेटा.. पी ना अपनी माँ का दूध.. कौन रोकता है तुझे मेरा दूध पिने से? तेरे लिए ही तो है मेरा दूध.
गौतम बूब्स चूसता हुआ - आई लव यू माँ...
सुमन बोबा चूसाते हुए - आई लोब यू टू बेटा.. चूस मेरा बोबा.. खा जा इन दोनों बोबो को बेटा.. आह्ह..
गौतम बूब्स चूसकर सुमन को पीछे धकेल देता है औऱ बेड पर पीठ के बल गिरता हुआ उसके ऊपर आ जाता है औऱ सुमन के होंठ चूमकर कहता है - माँ ट्रुथ एंड डेयर खेलते है..
सुमन गौतम का चेहरा पकड़कर - ठीक है बेटा..
दोनों कि नज़र मिलती है सुमन कि हार हो जाती है..
गौतम -माँ बोलो ट्रुथ एंड डेयर?
सुमन मुस्कुराते हुए - ग़ुगु ट्रुथ.. पूछ क्या पूछना है तुझे..
गौतम जानता था सुमन पुरे नशे में है उसने सुमन से पूछा - आखिरी बार मामा से कब चुदवाया था?
सुमन नशे में थी उसे समझ नहीं आया था कि गौतम ने उसे कितना बड़ा सवाल पूछ लिया है सुमन नशे में ही बोल पड़ी - दो महीने पहले जब तेरे पापा ने तुझसे वो फ़ाइल मंगवाई थी ना.. इतना बोल कर सुमन को अहसास हुआ की गौतम ने क्या सवाल पूछा है औऱ उसने क्या जवाब दिया है.. सुमन का नशा हल्का हो गया था औऱ नज़र शर्म से नीचे..

गौतम सुमन का चेहरा उठाते हुए बोला - उस दिन आपकी अलमारी में कंडोम देखकर मुझे अजीब लगा था पर अब समझ आया.. उस दिन अलमारी में कंडोम क्यों औऱ किसके लिए रखा हुआ था.. आप चिंता मत करो माँ.. मैं किसी से भी आपके उस राज़ का जिक्र नहीं करूँगा..
सुमन बिस्तर से उठना चाहती थी मगर गौतम ने अब उसे अपनी बाहों में कसके जकड़ दिया था औऱ सुमन शर्म से लाल पड़ रही थी..
गौतम जानता था की सुमन अब कुछ नहीं बोलेगी इसलिए उसने सुमन से आगे अपनी बात कही - माँ शर्माओ मत.. शादी की रात जब आप छत पर मामा से बाटकर रही थी उस वक़्त में उस कमरे के अंदर ही था.. मैंने सारी बात सुन ली थी औऱ मुझे मालूम हो गया था की मेरी तरह ऋतू भी आपकी चुत से निकली है.. हम दोनों के बाप अलग अलग हो पर माँ एक ही है.. आपका ये राज़ किसी को नहीं पता लगेगा माँ.. मैं किसीको नहीं बताऊंगा..
सुमन नशे में - ग़ुगु मुझे माफ़ कर दे..
गौतम - किस बात के लिए माँ? आपने कोई गलती नहीं की.. आप एक खूबसूरत हसीन औरत हो.. अगर आपका ख्याल पापा नहीं रखते तो आपको पूरा हक़ है किसी से भी अपना रिश्ता बनाने का..
सुमन - ग़ुगु उस दिन तेरे मामा ज़ी आये थे.. मगर सालों से उनका हाल भी वैसा ही है.. जैसा तेरे पापा है.. अब वो भी एक मिनट में ही चित हो जाते है.. मैं नहीं जानती ग़ुगु तू मेरे बारे में क्या सोच रहा है ये जानने के बाद.. पर मैने औऱ किसी को अपने करीब नहीं आने दिया..
गौतम - मुझे सफाइ देने की जरुरत नहीं है माँ.. मैं आपसे नाराज़ नहीं हूँ.. ना ही कभी हो सकता हूँ.. मैं खुद चाहता हूँ आप खुश रहो.. मेरे साथ नहीं तो जिसके साथ आपका मन करें उसके साथ..

सुमन मुस्कुराते हुए नशे में लड़खड़ाती हुई उठकर अलमारी से वही कंडोम निकालकर उसमे से एक कंडोम फाड़कर गौतम के करीब आ जाती है औऱ गौतम के लंड को पकड़कर उसे कंडोम पहना देती है औऱ अपनी पेंटी उतारकर गौतम के ऊपर बैठते हुए उसका लंड अपनी चुत में घुसाने लगती है मगर गौतम का लंड टोपे से थोड़ा सा ज्यादा सुमन की चुत में घुसता है गौतम सुमन को रोक देता है औऱ बोलता है..
गौतम - रहने दो माँ.. आप अभी नशे में ही.. आप नहीं जानती आप क्या कर रही हो..
सुमन - मुझे मत रोक ग़ुगु.. मुझे बहुत पहले तुझे अपनी चुत दे देनी चाहिए थी.. तेरे जैसा सुन्दर संस्कारी औऱ सुशील बेटा कब से मेरी चुत के लिए तरस रहा है.. औऱ मैं तुझसे ही अपनी चुत बचा रही हूँ.. मुझे तो अब खुद पर शर्म आने लगी है.. तूने दिन में कहा था ना ले आज मैं खुद तेरा लंड पकड़कर अपनी चुत में डाल रही हूँ.. ले चोद ले अपनी माँ को ग़ुगु.. चोद दे ग़ुगु मुझे..
गौतम लंड पकड़कर उसपर से कंडोम उतार कर फेंकता हुआ - आप नशे में ये सब बोल रही हो माँ.. सो जाओ.. सुबह होने पर आपको पछतावा होगा अगर मैंने कुछ किया तो..
सुमन शराब की बोतल उठाकर पीते हुए - तेरी माँ को अब तेरा लंड चाहिए ग़ुगु.. अगर तू मुझे नहीं चोदेगा तो मैं तुझे चोद दूंगी..
गौतम हसता हुआ सुमन से शराब की बोतल लेकर साइड में रख देता है औऱ सुमन को चूमता हुआ बिस्तर में गिर जाता है औऱ एक हाथ से सुमन की चुत में उंगलि करने लगता है..
सुमन सिस्कारी लेटी हुआ गौतम को चूमने लगती है मगर कुछ देर बाद अपनी चुत से पानी का छिड़काव करके नशे में ही बिस्तर पर हलकी हलकी नींद में खोने लगती है.. गौतम सुमन को बच्चों की तरह सुला देता है औऱ सुमन को बाहों में भरके एक चादर ओढ़कर खुद भी उसीके साथ लेट जाता है..

गौतम का धागा लाल था वो समझ चूका था की अब सुमन की चुत उसके लिए तैयार है औऱ सुमन अब ज्यादा वक़्त नहीं लेगी उसे होनी चुत में एंट्री देने के लिए..

गौतम लेता हुआ था की ररूपा का फ़ोन आता है जिसपर रूपा औऱ माधुरी दोनों होती है औऱ गौतम दोनों से एक साथ बात जरता है.. गोयम बताता है कि कल वो सुमन के साथ बाबाजी के जाने वाला है औऱ वही सुमन से रूपा औऱ माधुरी मिलकर उसे साथ रहने के लिए मना सकती है.. बात करने के कुछ देर बाद गौतम भी सुमन की बाहों में सो जाता है..

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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
नशे में ही सही लेकीन सुमन गौतम से चुदने के लिये तयार हो गई लेकीन गौतम तो उसे बगैर नशे में चोदना चाहता है
खैर जल्दी ही माँ बेटे का मिलन होने वाला हैं
देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

insotter

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Bhai
Update 38

क्या हुआ बैरागी?
कुछ नहीं हुकुम.. बस आपके भय का निवारण होने ही वाला है.. आज आपको आपके भय से मुक्ति दिलाने के लिए मैं उस औषधि को तैयार कर दूंगा जिससे आपका भय समाप्त हो जाएगा..
ये तो बहुत अच्छी बात बताई तुमने बैरागी.. आखिकार मैं अपने भय औऱ पीड़ा से मुक्त हो ही जाऊँगा.. मैं बहुत खुश हूँ बैरागी.. मैं तुझे ये सारे पौधे औऱ औषधिया इस जगह के साथ देता हूँ तू जो चाहे कर मगर मुझे आज मेरा माँगा हुआ उपहार बनाकर दे दे..
आप निश्चिन्त रहिये हुकुम अभी रात के भोजन के साथ आपको उस औषधि का भी सेवन करना होगा.. मैं उसे बनाकर आपकी सेवा में प्रस्तुत कर दूंगा..

बैरागी ने औषधि का निर्माण कर दिया और उसे वीरेंद्र सिंह को खिलाने के लिए रात के खाने के साथ पेश कर दिया जिसे वीरेंद्र सिंह खाता हुआ बड़े चाव से अपने ख्यालों में गुम हो गया और अब उसे किसी बात का और कोई भय नहीं रहा अब वह हमेशा के लिए जीवित रहेगा और अपने जीवन को यूं ही राज करते हुए बरकरार रखेगा..

बैरागी ने औषधि बनाने के बाद वीरेंद्र सिंह को खिला दी थी और अब वह वीरेंद्र सिंह के महल में ही औषधालय में रहकर नई नई औषधि का निर्माण कर लोगों के रोगों का और कष्ट का निवारण करने लगा था वह कई रोगों का उपचार मात्रा देखने से ही कर देता और उसका नुस्खा सुझा देता..
बैरागी दिन ब दिन बहुत ही गुणी औऱ प्रसिद्ध होने लगा था. इसी के साथ उसका मेलझोल वीरेंद्र सिंह की धर्मपत्नी सुजाता से बढ़ने लगा था सुजाता और बैरागी एक साथ मिलकर कई बार घंटे तक लंबी-लंबी बातें करते और अपने बारे में और दूसरे के बारे में यानी एक दूसरे के बारे में नई-नई बातें जानते और पूछते हैं दोनों का मेल मिलाप इस कदर पड़ चुका था कि दोनों के मन में अब एक दूसरे के प्रति आकर्षण जागने लगा था महीनों गुजर गए थे और अब बैरागी और सुजाता का यह प्रेम संवाद अब वास्तविक प्रेम का रूप लेने लगा था बैरागी के मन में अभी भी मृदुला के लिए अकूत प्रेम था जो उसे सुजाता से प्रेम करने से रोक रहा था.

मगर अब सुजाता बैरागी के बिना एक पल भी जीने को तैयार नहीं थी वह चाहती थी कि बैरागी उसे अपना ले और वीरेंद्र सिंह की पीठ पीछे बैरागी और वह एक साथ संबंध बनाकर खुशी से जीवन जी सके और यह बात किसी और के सामने प्रकट नहीं हो.. जिसके लिए बैरागी कभी भी तैयार नहीं था..

समर भी पहरेदारी करते हुए रुकमा के प्यार में पड़ ही चुका था रुक्मा उसे अपने हुस्न और बातों से इस कदर अपने प्यार में उलझा लिया कि वह अब रुकमा के साथ प्रेम के मीठे बोल बोलने लगा था और उसके साथ जीवन बिताने को लालायता मगर घर पर समर का संबंध लीलावती से भी मधुरता था.. वह हर रात लीलावती को अपनी अर्धांगिनी की तरह ही प्यार करता और अब दोनों उसे घर में मां और बेटे की जगह पति और पत्नी की तरह रहने लगे थे..

लीलावती अपनी कोमकला से समर को मोहित कर चुकी थी और हर रात समर की भूख के साथ उसके बदन की भूख को भी ठंडा करती थी उनका प्रेम एक नया मोड़ ले चुका था..
लीलावती औऱ समर जब भी घर में होते दोनों के बदन पर एक भी कपड़ा नहीं होता और दोनों घर के भीतर नंगे ही एक दूसरे के बदन से लिपट मिलते..


वीरेंद्र सिंह औषधि का सेवन करके अब अपने आप को एक अजीत योद्धा समझता था जिसे कोई जीत नहीं सकता था उसने जयसिंह की मदद से अब जागीर के आसपास की जगह भी अपना अधिकार करना शुरू कर दिया था और वह बहुत गर्व से शासन करने लगा था उसे अब अपने घर परिवार की चिंता न होकर अपने साम्राज्य की चिंता ज्यादा होने लगी थी और उसकी वह और पीड़ा समाप्त हो चुकी थी वह बैरागी का सम्मान करता था मगर अब बैरागी उसकी आंखों में चुभने लगा था जिस तरह से बैरागी और सुजाता के बीच नजदीकी बढ़ने लगी थी वीरेंद्र सिंह की नजर उन पर बनी हुई थी वीरेंद्र सिंह सुजाता और वह बैरागी को अपने सामने ही कई बार लंबी-लंबी वार्तालाप करते हुए देखा तो जलन से सिकुड़ जाता और सोचता कि सुजाता उसकी पत्नी होकर एक नीचे कुल के लड़के के साथ इतनी लंबी लंबी बातें क्यों कर रही है और क्यों वह उसके काम में अब उसकी सहायता कर रही है सुजाता का स्वभाव और व्यवहार वीरेंद्र सिंह की तुलना में अब बैरागी के साथ बहुत ही मधुर और शालीन हो चुका था..

सुजाता के मन में बैरागी के प्रति एक अलग प्रेम का भी उद्धव हो चुका था जिसे वह मन ही मन बैरागी को बटा कर उसका प्रेम पाना चाहती थी और उसके साथ नया रिश्ता कायम करना चाहती थी मगर बैरागी इसके के लिए कते भी तैयार नहीं था.. मगर सुजाता ने इतना जरूर कर दिया था कि अब बैरागी मृदुला को याद करता था मगर फिर से प्रेम के बंधन में बंधने को भी आतुर होने लगा था..

**********

वीरेंद्र सिंह की नजर सुजाता पर थी मगर उसे क्या पता था कि उसकी बेटी राजकुमारी रुकमा एक सिपाही के प्रेम में पड़ी हुई है और वह उसके साथ अब अकेले मिलने भी मिलने लगी है..

वीरेंद्र सिंह के सिपाही जो उसके गुप्तचर थे उन्होंने वीरेंद्र सिंह को सुजाता और बैरागी के पनपते प्रेम और रुकमा और समर के पनपते हुए प्रेम के बारे में अवगत करवाया तो वीरेंद्र सिंह गुस्से से भरकर अपने सिंहासन से खड़ा हुआ और अपनी तलवार लेकर समर की तरफ चलता हुआ क्रोध से भर गया और सोचने लगा कि आज वह समर की जान ले लेगा और उसे बैरागी को भी यहां से निकल बाहर करेगा यह सोचते हुए वीरेंद्र सिंह जा ही रहा था कि उसे किसी गुप्तचर के आने की सूचना हुई..

गुप्तचर ने वीरेंद्र सिंह को बताया कि बैरागी और सुजाता औषधालय में एकांत में कुछ निजी पर गुजर रहे हैं और अब उनके बीच में जो फासला होना चाहिए था वह समाप्त हो चुका है. वीरेंद्र सिंह और गुस्से से भर गया और उसने फिर समर का ख्याल छोड़कर पहले बैरागी से निपटने का फैसला किया और बैरागी की तरफ चलने लगा वीरेंद्र सिंह औषधि में जैसे ही पहुंचा उसने देखा कि सुजाता और बैरागी के मध्य चुंबन हो रहा है..

दोनों के बीच उम्र का फैसला था मगर मन का फैसला मिट चुका था दोनों एक दूसरे को प्रेम करने लगे थे और इसी प्रेम का यह नतीजा था कि बैरागी और सुजाता ने एक दूसरे के होठों को आपस में मिल लिया था और दोनों एक दूसरे को प्रेम से चूमने लगे थे वीरेंद्र सिंह ने जैसे ही उनका चुंबन देखा वह गुस्से से चिल्लाता हुआ बैरागी की तरफ बड़ा और अपनी तलवार से बैरागी पर प्रहार करने लगा बैरागी वीरेंद्र सिंह के प्रहार से बच गया और उसे विनती करते हुए बोला कि मुझे माफ कर दो हुकुम मैं आपका दोषी हूं किंतु मैं रानी मां से प्रेम करने लगा हूं आप मेरी इस गलती को क्षमा कर दो... मगर वीरेंद्र सिंह गुस्से में था उसने बैरागी की एक बात नहीं मानी और उस पर दूसरा प्रहार किया जिससे भी बैरागी ने खुद को बचा लिया और फिर अपने गले में बंधा हुआ ताबीज उतरते हुए कहा कि हुकुम मुझे यह ताबीज उतार लेने दो लेकिन इस बार वीरेंद्र सिंह ने इतना सटीक और सीधा वार किया कि बैरागी के ताबिज़ उतारने से पहले ही उसका गला तलवार से एक ही झटके में अलग हो गया..

जैसे ही बैरागी की गर्दन कटी उसके खून से बहती हुई रक्त ने परछाई का रूप ले लिया जो वीरेंद्र सिंह की तरफ अपने विकराल स्वरूप को लेकर वीरेंद्र सिंह को मारने बढ़ी और उसे मारने वाली थी कि सुजाता बीच में आ गई और सुजाता ने परछाई से वीरेंद्र सिंह को बचाते हुआ अपनी जान दे दी.. वीरेंद्र सिंह की जगह परछाई सुजाता पर आ बड़ी और सुजाता की जान चली गई.. वीरेंद्र सिंह ने जब ऐसा होते देखा उसकी आंखों ने इस दृश्य पर विश्वास नहीं किया और वह सोचने लगा कि बैरागी ने आखिर ऐसा क्या ताबीज़ पहना था और क्यों यह परछाई उसके शरीर से निकालकर उसकी तरफ बड़ी थी लेकिन इसी के साथ अब उसे सुजाता के मरने का बहुत दुख हो रहा था और वह विलाप करते हुए जोर-जोर से सुजाता को देखकर रोने लगा और उसे अपनी गोद में उठाकर दहाड़े मारता हुआ चीखता हुआ रोने लगा...

सिपाहियों ने आकर जब यह हाल देखा तो वह वीरेंद्र सिंह को समझाते हुए उठाने लगे जयसिंह ने वीरेंद्र सिंह को संभालते हुए सारी परिस्थितियों समझी और फिर परिस्थितियों को समझने के बाद वीरेंद्र सिंह को वहां से ले जाकर एक कक्ष में बैठा दिया और बैरागी की लाश को वहां से ले जाकर महल से थोड़ा दूर ही पीछे एक खाली जगह में दफना दिया.. इसी के साथ में सुजाता का भी पूरी रीती और नीति के अनुसार क्रियाकर्म करते हुए अंतिम विदाई दी..

वीरेंद्र सिंह को अपनी हालत पर बहुत रोना आ रहा था उसकी की गई गलती अब उसे पछतावा दे रही थी और उसे बहुत पछतावा हो रहा था वीरेंद्र सिंह के हाथ में अब कुछ भी नहीं बचा था..

वीरेंद्र सिंह ने इसी के साथ में अपने गुस्से में एक औऱ निर्णय लिया औऱ समर को खत्म कर देने के लिए काफी सारे सिपाही उसके घर पर भेजें और जब समर अपनी मां लीलावती के साथ घर पर था तब वीरेंद्र सिंह के सिपाहियों ने उसके घर पर आक्रमण कर दिया और समर के साथ लीलावती को भी मौत के घाट उतार दिया..
समर और लीलावती अपनी मृत्यु को प्राप्त हो चुके थे. समर की खबर सुनकर रुक्मा ने भी आत्महत्या कर ली और उसका प्रेम अधूरा ही रह गया..

वीरेंद्र सिंह ने जब रुक्मा की खबर सुनी तो वो पूरी तरह से पत्थर दिल बन गया औऱ अब उसने अकेले ही जागीर पर शासन करने का निर्णय लिया और केवल अपने विश्वासपात्र सैनिकों को अपने करीब रखने लगा उसने जागीर के आसपास के इलाकों पर अपना कब्जा कर लिया और आसपास की जगीर भी जीत ली जिससे उसका कद और बढ़ चुका था..

वीरेंद्र सिंह अपने महल में आराम से शासन कर रहा था और अब उसने अकेले ही जीवन बिताने का फैसला कर लिया इसी के साथ वह अब नए-नए शौक पलने लगा था उसने वेश्याओं का सहारा लेकर सुजाता को बुलाने का निर्णय किया. इसी के साथ वह भोग विलास में जुट गया था वह अपने जीवन का पूरा आनंद लेना चाहता था इसलिए वह किसी और की परवाह किए बिना अपने ही बारे में सोचने लगा था और उसको अब सुजाता और अपनी पुत्री जो आत्महत्या करके मर चुकी थी उसके भी याद नहीं रही थी..

वीरेंद्र सिंह अब सत्ता के नशे में इतना चूर हो चुका था कि उसे और किसी की परवाह नहीं थी वह आसपास की जगीरो को जीत कर उन पर शासन करने में और भोग विलास करने में ही अपने दिन गुजरने लगा था वह अपनी सत्ता और बढ़ाना चाहता था और शासन बढाकर रियासत पर कब्जा करना चाहता था उसने आसपास और जागीर को जीत लिया था.. आसपास की 8 जागीर को जीतकर वीरेंद्र सिंह अब रियासत पर आक्रमण करने का प्लान बना रहा था और ऐसा ही वह करना चाहता था वीरेंद्र सिंह के मोसेरे भाई जो रियासत के राजा थे उनको वीरेंद्र सिंह का डर सताने लगा था और वह सोचने लगे थे कि वीरेंद्र सिंह रियासत पर कभी भी आक्रमण करके उनको गद्दी से हटा देगा और खुद अब रियासत पर शासन करके पूरी रियासत पर कब्जा जमा लगा..

वीरेंद्र सिंह भी इसी प्रयास में लगा हुआ था. उसने भोग विलास करते हुए और अपने शौक पूरे करते हुए जयसिंह से कहकर सेना को तैयार कर लिया था और अब वह रियासत पर आक्रमण करने ही वाला था..

वीरेंद्र सिंह की शक्तियां बढ़ गई थी उसने द्वन्द युद्ध में कई जागीरदारों को और सरदारों को मार गिराया था जिससे सारे जगह उसकी वाहवाही और बलवान होने की चर्चा थी.. वीरेंद्र सिंह अपनी सेना तैयार करके रियासत पर आक्रमण करने वाला था लेकिन उससे एक रात पहले वह हुआ जो होने की कल्पना किसी ने भी नहीं की थी और ना ही वीरेंद्र सिंह को इस बात का अंदाजा था कि ऐसा उसके साथ हो सकता है और कोई ऐसा भी है जो उसे कीड़ो की मरने के लिए छोड़ सकता है..

मृदुला को अपनी पुत्री मानकर पालने वाला आदमी जिसका नाम जोगी था वापस आ चुका था उसकी सिद्धियां पूरी हो चुकी थी और उसके साथ उसका शेर बालम भी जंगल में उसी जगह आ चुके थे जहां से वह मृदुला और बैरागी को छोड़कर गया था..
जोगी ने जब वापस वहां आकर स्थिति देखी तो पाया कि अब वहां कोई नहीं था और वहा जो कुटिया थी वह भी अब पुरानी सी हो गई थी.. किसी के नहीं रहने से वहां की हालत अब जंगल के बाकी हिस्सों जैसे ही हो गई थी.. आदमी ने जब कुटिया के पास बना हुआ कब्रनुमा खड्डे को देखा तो उसे अंदाजा हुआ कि कुछ ना कुछ अनहोनी जरूर हुई है उसने खड्डे को खोदना शुरू किया और जब उसने खड़े को खुदा तो उसमें मृदुल को पाया.. आदमी का मन इतना हताश निराश और दुखी पीड़ा से भर गया कि उसकी चीख से जंगल की सारी हवाएं ठहर गई और परिंदे पेड़ों से उड़ कर आकाश में इस तरह लहरा गए कि मानो कोई अनहोनी होने ही वाली हो..

जोगी ने मृदुल के सर पर हाथ रखकर उसके पीछे जो कुछ हुआ उसकी सारी कहानी जान ली और उसे पता चल गया कि उसकी जान कैसे गई है..

जोगी ने बैरागी से मिलने की ठानी और वह मृदुला को वापस वही उस कब्र में दफनाकर वहां से चला गया और जाते हुए लोगों से बैरागी के बारे में पूछने लगा पूछते पूछते उसे एक आदमी ने बताया कि उसने बैरागी को जागीरदार वीरेंद्र सिंह के महल में देखा था जहां वह कुछ महीने रहा था..
लोगों ने आदमी को बताया कि कैसे बैरागी ने नए-नए लोगों का उपचार करके लोगों को ठीक किया और उसकी प्रसिद्धि पूरी जागीर में इस तरफ फैली जैसे घास में आग फैल जाती है मगर एक दिन अचानक उसकी कोई खैर खबर नहीं मिली.. जोगी ने जब आगे पूछा तो लोगों ने उसे बताया कि उन्होंने अफवाह सुनी है कि वीरेंद्र सिंह ने बैरागी को मार कर महल के बाहर पीछे वाले खाली जगह में दफना दिया है..

आदमी को पहले ही क्रोध की अग्नि ने प्रज्वलित कर रखा था और बैरागी की खबर सुनकर वह और ज्यादा गुस्से से भर गया उसने महल के पीछे वाली खाली जगह पर जाकर बैरागी को कब्र से निकाल कर उसके सर पर हाथ रखा और उसके साथ हुई हर घटना को जान लिया जैसे ही उसने इस बात को जाना कि वीरेंद्र सिंह ने बैरागी को मारा है वह गुस्से से तिलमिला उठा..
जोगी मृदुला को बेटी मानता था और बेटी के पति को अपना बेटा.. और दोनों की मौत पर आदमी इतना गुस्से से भरा हुआ था कि उसने सारा गुस्सा वीरेंद्र सिंह और उसकी जागीर पर निकलने का तय कर लिया..

वीरेंद्र सिंह जिस सुबह रियासत पर हमला करने के लिए निकलने वाला था उसी सुबह जोगी ने वीरेंद्र सिंह को मारने के लिए उसपर चढ़ाई शुरू कर दी..
जोगी के रास्ते में जितने भी लोग आए जितने भी सैनिक आए जितने भी योद्धा है सभी जोगी के शेर बालम के द्वारा मारे गए..
जब जोगी के सामने एक सेना की एक टुकड़ी खड़ी हुई सी आई तो जोगी ने गुस्से से अपने पैर से ठोकर जमीन पर मारी और उनकी तरफ मिट्टी उड़ा दी.. आदमी की ठोकर मारने से उड़ी हुई मिट्टी का एक एक कण एक-एक परछाई में बदल गया और उन परछाईयों ने सामने खड़ी हुई संपूर्ण सेना की टुकड़ी को पलक झपकते ही एक ही बार में मार दिया..

जोगी को ऐसा करते देखकर बाकी लोग भय से भरकर भागने लगे और सोचने लगे कि वह कौन है और क्यों वीरेंद्र सिंह को मारना चाहता है.. महल औऱ आस पास के लोग जोगी से डरकर भाग निकले औऱ सब के सब जागीर छोड़कर भाग गए..

एक बार में सारी सेना को मारने के बाद में जोगी आगे बढ़ा और महल के भीतर घुस गया...

वीरेंद्र सिंह अपने भोग विलास में डूबा हुआ था कि उसे किसी भागते हुए सैनिक ने आकर इसकी सूचना दी कि किसी आदमी ने उसके सभी सैनिक और पूरी सेना को एक बार में मार दिया है और ऐसा लग रहा है कि वो आदमी उसे भी मार डालेगा..

वीरेंद्र सिंह वैश्याओ के पास से उठ खड़ा हुआ औऱ कश से बाहर निकला उसने देखा की सभी लोग अपनी जान बचाकार भाग रहे है.. अमर होने के नशे में चूर वीरेंद्र सिंह तलवार लेकर उस आदमी की तरफ बढ़ गया..
जोगी ने जैसे ही वीरेंद्र सिंह को देखा उसने वीरेंद्र सिंह के पैरों को किसी मन्त्र की सहायता से वही जकड़ दिया जहा वो खड़ा था..

जोगी वीरेंद्र सिंह के पास आया और उसे घूर कर देखने लगा.. जोगी ने वीरेंद्र सिंह से कहा कि उसने बैरागी को मार कर अच्छा नहीं किया.. वीरेंद्र सिंह ने आदमी का जवाब देते हुए कहा.. कि वह अमर है उसे कोई नहीं मार सकता..
जोगी ने वीरेंद्र सिंह से कहा कि वह उसे मारने नहीं आया बल्कि वह उसे जिंदा रखकर उसके जीवन को जहाँन्नुम बनाने आया है और उसे उसके किए हुए पापों की सजा देने आया है..
आज तक वीरेंद्र सिंह को मरने का डर था अब उसे जीने का डर लगेगा वह मौत को पाना चाहेगा मगर मौत उसे कभी हासिल नहीं होगी और वह कभी मर नहीं पाएगा.. इसी के साथ ही उसका जीवन अब इतना बड़ा और पीड़ादायक हो जाएगा कि उसे हर दिन एक साल के बराबर लगेगा..

वीरेंद्र सिंह को आदमी की बातें सुनकर अजीब लग रहा था और वह सोच रहा था कि यह आदमी कैसे उसके जीवन को नर्क बना सकता है और कैसे उसके वरदान को अभिशाप में बदल सकता है..
वीरेंद्र सिंह के वापस जवाब न देने पर आदमी ने कहा कि उसने प्रकृति के नियम से छेड़छाड़ कि है जो कि उसके दुखों का कारण बनेगा और उसके किए हुए पाप उसके साथ ही रहेंगे..

जोगी का किया विध्वंस इतना भीषण था की जागीर के सभी लोग अपनी जान बचाकर निकले थे महल सुनसान पड़ा हुआ था जहां बस अब एक वीरेंद्र सिंह खड़ा हुआ था और सामने जोगी जिसे अब और कोई धुन सवार नहीं थी..

जोगी ने बैरागी के शरीर के साथ क्रिया करके बैरागी की आत्मा को वीरेंद्र सिंह के ऊपर छोड़ दिया और उसे पाबंद कर दिया कि वह वीरेंद्र सिंह को कभी चैन से सोने और चैन से रहने नहीं देगा..

इसी के साथ ही जोगी ने वीरेंद्र सिंह को भी अपने ज्ञान कला और सिद्धि के माध्यम से औषधि को निषफल किये बिना ही जीने के लिए बाध्य कर दिया.. आदमी ने वीरेंद्र सिंह की दुर्गति करने के लिए उस पर जो सिद्धियों का उपयोग किया उससे अब वीरेंद्र सिंह ना ठीक से खा सकता था ना ही सो सकता था ना ही भोग विलास कर सकता था उसकी उम्र भी अब उसके मृत्यु के समय वाली अवस्था में आ गई थी..

जोगी ने वीरेंद्र सिंह ऐसी दुर्गति की जो वह सपने में भी नहीं सोच सकता था.. वीरेंद्र सिंह अब अपनी उम्र की 11 गुनी लम्बी जिंदगी जीने वाला था.. मगर जिंदा रहने के लिए ना वो कुछ अच्छा खा सकता था.. ना ही भोगविलास कर सकता था.. ना किसी महल में रह सकता था ना ही उसे पूरी नींद आ सकती थी.. ऊपर से उसके सर पर अब बैरागी का भूत भी बैठ गया था जो अक्सर उसे उसकी नींद से जगा देता उसे चैन से सोने नहीं देता.. ना ही उसे चैन से खाने देता.. वीरेंद्र सिंह कोई भी चीज खाता तो रख बन जाती है उसे सड़ा गला ही खाना पड़ता और उसे अब इस तरह जीना पड़ता है जैसे कोई बेसहारा बेबस लाचार तड़पकर जीता है..

वीरेंद्र सिंह ने इस बंधन को खोलने के लिए और इस बंधन से मुक्ति पाने के लिए बड़े से बड़े सिद्ध ज्ञानी पुरुष की शरण में जाकर सिद्धियां और ज्ञान हासिल करने की ठान ली और आसपास जितने भी महापुरुष और महासाधु लोग थे उनकी शरण में जाकर इस बंधन से आजाद होने का उपाय करने लगा लेकिन उसे कहीं भी इसका उपाय नहीं मिला..

वीरेंद्र सिंह जागीर के बाहर भी दूर दूर तक जाकर वापस आ गया.. बहुत सी सिद्धियां और ज्ञान हासिल किये जो समय के साथ उसके साथ ही रहे..
वीरेंद्र सिंह के साथ बैरागी की आत्मा होने के कारण बैरागी को भी उन ज्ञान की प्राप्ति हुई और वह वीरेंद्र सिंह के साथ-साथ सभी संतो महापुरुषों और सिद्ध बाबोओ और शानो तांत्रिको के चरणों में बैठकर वीरेंद्र सिंह के साथ ही ज्ञान प्राप्त कर रहा था.. इसी के साथ वह वीरेंद्र सिंह को कभी चैन से नहीं रहने दे रहा था वीरेंद्र सिंह अब मौत को तरस रहा था..

वीरेंद्र सिंह को जिंदगी का भय लगने लगा था और वह इसी तरह अपने दिन गुजरने लगा था.. देखते ही देखते दिन गुजरने लगे और फिर महीने साल बीतने लगे साल दर साल बीतने के बाद में बैरागी और वीरेंद्र सिंह साथ में ही रहे..

आखिर में बैरागी ने ही वीरेंद्र सिंह पर तरस खाकर उसे उसकी मुक्ति का राज़ बताया औऱ कहा की यदि कोई उसी जड़ी बूटी को जो बैरागी ने बनाई थी लाकर आपको खिला दे तो वीरेंद्र सिंह की मुक्ति हो जायेगी.. औऱ वीरेंद्र सिंह की मृत्यु के साथ बैरागी भी मुक्त हो जाएगा..

गौतम ये सब सपने में देखकर देखकर सुबह उठा तो उसने सपने के बारे में देर तक सोचा.. उसे समझ नहीं आ रहा था की उसे एक ही कहानी से जुड़े हुए सपने बार बार क्यों आ रहे है?
आज गौतम सुमन के साथ वापस आने वाला था सो उसने वापस सपने के बारे में सोचना छोड़कर नहाने का सोचा औऱ तैयार होकर गायत्री कोमल आरती शबनम सब से मिलकर वापस आने के लिए सुमन के साथ निकल पड़ा..

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प्रणाम बड़े बाबा जी...
किशोर.. तू इस वक़्त यहां? अभी तो सांझ होने में समय है फिर अचानक आने का कारण?
किशोर - बड़े बाबाजी.. बाबाजी के आश्रम में एक आदमी अपनी अंतिम साँसे ले रहा है अजीब रोग हो उसे उसके रोग के उपचार हेतु युक्ति पूछने को भिजवाया है..कहा है यदि आप आज्ञा दे तो बाबाजी आपके पास इसी समय आने को आतुर है..
बड़े बाबाजी - इस वक़्त? जानते नहीं एकान्त में हम अपने साथ समय व्यतीत कर रहे है.. विरम से कह देना अगली बार हम उसे बुलाएंगे.. तब तक वो किसी औऱ को हमारे पास ना भेजे.. किशोर.. तुमको भी नहीं..
किशोर - जो आदेश बड़े बाबाजी.. किशोर जाने लगता है तभी बैरागी वीरेंद्र से कहता है..

बैरागी - मरने वाले के प्राण अगर बच सकते है तो उसे बचाने में कोई परहेज नहीं होना चाहिए हुकुम.. जीवन अनमोल है उसकी सही कीमत मरने से पहले ही समझ आती है.. जब सारा जीवन आँखों के सामने आता है औऱ जीवन में किये अपने सही गलत कामो का तुलनात्मक अध्ययन होता है..
बड़े बाबाजी उफ़ वीरेंद्र सिंह - तू कहना क्या चाहता है बैरागी कि मुझे उस मरते हुए आदमी के जीवन की रक्षा करनी चाहिए? अरे प्रतिदिन सेकड़ो मनुष्य अपने प्राण त्याग कर इस दुनिया से अगले आयाम में चले जाते है.. वो भी यहां से वहा चला जाएगा तो क्या हो जाएगा?
बैरागी - प्रतिदिन मरने वाले सैकड़ो लोगो कि किस्मत में बचना नहीं लिखा होता हुकुम.. उनकी मृत्यु उनकी नियति है मगर जिसके प्राण बच सकते है औऱ आपके करण जा रहे है उसका मरना आपकी हठधर्मिता..
बड़े बाबाजी उफ़ वीरेंद्र सिंह - समझ गया बैरागी.. तू सही कहता है.. मेरे ही समझने का फेर था..

बड़े बाबाजी किशोर को बुलाते है औऱ बाबाजी उर्फ़ विरम तक ये सन्देश पहूँचवाते है की उस रोगी को उनके पास लाया जाए..

विरम उर्फ़ बड़े बाबाजी किशोर औऱ कुछ अन्य लोगों के साथ उस आदमी को बड़े बाबाजी की कुटीया के बाहर लाकर जंजीर से बाँध देते है..
बड़े बाबाजी कुटीया से बाहर आकर रोगी को देखते हुए - क्या हुआ है इसे?
बाबाजी बाकी लोगों को जाने का इशारा करते हुए - गुरुदेव कोई साया लगता है.. मैंने बहुत कोशिश की समझने की मगर समझ नहीं पाया.. इसलिए किशोर को आपके पास भेजा.. इसकी पत्नी औऱ एक बच्ची भी है जो ऊपर आश्रम में रोती हुई मुझसे इसके ठीक होने का गुहार लगा रही है.. अब ये आपकी शरण में है गुरुदेव.. आप इसका उद्धार करें...

बड़े बाबाजी उस आदमी को देखते हुए - साया तो जरूर है.. पर कोनसा? ये समझने में मैं चूक रहा हूँ विरम.. इसकी दशा किसी जंगल के उजड़े हुए बरगद की तरह है औऱ आँखे किसी बांधे हुए तीलीस्म की तरह.. मैं दोनों में अंतर समझने में चूक रहा हूँ..
विरम - अब आप ही आखिरी उम्मीद है गुरुदेव.. आप ही तय करें..
बड़े बाबाजी बैरागी की तरफ देखकर - क्या लगता है?
बैरागी - समझने का फेर तो आपसे पहले भी हो चूका है हुकुम.. मगर इस बार में आपकी मदद किये देता हूँ.. इसके गले के नीचे सीने से ऊपर तीलीस्म की निशानी है.. ये किसी का बाँधा हुआ तीलीस्म है हुकुम..
बड़े बाबाजी बैरागी की बात सुनकर उस रोगी के सर के बाल पकड़ कर उसके मुंह में मिट्टी के कुछ कण डालकर सर पर अपने हाथ में पानी लेकर छिड़काव करते है औऱ उस रोगी का बंधा हुआ तीलीस्म खोल देते है जिससे वो रोगी उस बांधे हुए तीलीस्म से आजाद हो जाता है..

विरम उर्फ़ बाबाजी उस रोगी को संभालते हुए - गुरुदेव ये क्या हो रहा है?
बडेबाबाज़ी उर्फ़ विरम - तेरा रोगी तीलीस्म से आजाद हो रहा है विरम.. इसे ले जा.. औऱ 3 दिन तक पीपल के पेड़ की छाया से भी दूर रख..
विरम उर्फ़ बाबाजी - जैसी आपकी आज्ञा गुरुदेव..
किशोर - आज्ञा बड़े बाबाजी..

विरम उर्फ़ बाबाजी किशोर के साथ उस रोगी को उन आदमियों की मदद से वापस ऊपर आश्रम में ले आता है औऱ उसकी बीवी औऱ बच्ची को 3 दिनों तक उस आदमी को पीपल से दूर रखने की सलाह देता हुआ उसी आश्रम में रहने का सुझाव देता है जिस पर सब राजी हो जाते है...

सबके जाने के बाद वीरेंद्र सिंह बैरागी से पूछता है - मुझसे पहले कब समझने में चूक हुई बैरागी? मैंने तो अब तक सब सटीक ही अनुमान लगाया है..
बैरागी - सबसे जरुरी अनुमान ही अगर गलत लग जाए तो पुरे इतिहास का क्या महत्त्व रह जाएगा हुकुम...
बड़े बाबाजी - मैं समझा नहीं बैरागी?
बैरागी - आपने उस लड़के का पिछला जन्म देखा था याद है आपको..
बड़े बाबाजी - कौन गौतम?
बैरागी - हाँ हुकुम..
बड़े बाबाजी - तो? उसमे क्या गलत अनुमान लगाया मैंने बैरागी? गौतम अपने पिछले जन्म में धुपसिंह का बेटा समर ही तो है..
बैरागी - नहीं हुकुम.. गौतम अपने पहले जन्म में अपने धुपसिंह का असली बेटा था.. समर तो गज सिंह औऱ लीलावती की संतान थी..
बड़े बाबाजी हैरानी से - मतलब धुपसिंह का समर के अलावा भी एक बेटा है.. मुझसे इतना बड़ी गलती हो गई?
बैरागी - अब आपने बिलकुल सही अनुमान लगाया हुकुम.. जो कीच आपने इतने बर्षो में सीधा है मैंने भी सीखा है हुकुम.. जिस तरह आपने ध्यान लगाकर गौतम का पुराना जन्म देखने की नाकाम कोशिश की है.. मैंने भी आपका पूरा इतिहास देखा है...याद है एक बार आप माघ की रात में जंगल से गुजर रहे थे औऱ आपके पीछे जयसिंह औऱ धुपसिंह के साथ कई औऱ सैनिक भी थे.. उस वक़्त आपके पिता कुशल सिंह जागीरदार हुआ करते थे..
बड़े बाबाजी - याद है.. हमने जंगल के बीच दरिया किनारे जमाव डाला था...
बैरागी - हाँ हुकुम.. उस वक़्त जमाव के करीब बनजारों औऱ अन्य काबिलो की बस्तीया भी आबाद थी जहा रात को अपना मन बहलाने धुपसिंह औऱ उसके साथ कई सैनिक गए थे..
बड़े बाबाजी - तो इसमें क्या बड़ी बात है बैरागी.. ये तो कई बार होता आया है.. जंगल से गुजरते वक़्त कबिलो की औरतों से सैनिक सम्बन्ध बनाते ही रहते है..
बैरागी - मगर प्यार नहीं करते हुकुम.. धुपसिंह ने यही किया.. काबिले में ना जाकर बंजारों की बस्ती में चला गया औऱ एक बंजारन से प्रेम कर बैठा.. उस प्रेम का परिणाम ये हुआ कि एक लड़के का जन्म हुआ.. जो धुपसिंह की असली संतान थी औऱ गौतम का पिछला जन्म भी..
बड़े बाबाजी - बैरागी इतनी बड़ी भूल.. मैं कैसे इतनी बड़ी भूल कर सकता हूँ? मेरा मस्तिक गौतम के मिलने के बाद बहुत विचलित रहने लगा है.. मैं ध्यान भी नहीं कर पा रहा हूँ..
बैरागी - आज तृत्या है हुकुम.. मेरा प्रभाव आप पर कमजोर है.. आप थोड़ा आराम कर लीजिये..

बड़े बाबाजी कूटया में जाकर चटाई पर लेटते हुए सो जाते है...

Bhai ye update to bahut hi tej tha story fast forward me chala but nice 👍
 

sunoanuj

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Waiting for next update mitr !
 

insotter

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Update 39

गौतम जब सुमन को लेकर वापस आने के लिए निकला तो आधे रास्ते में सुमन उससे कार चलाना सिखने की बात करने लगी औऱ गौतम गाडी हाईवे से नीचे उतार कर खड़ी रोड पर ले आया..

गौतम सुमन को गाडी चलाना सिखाने के लिए हाईवे के बगल वाली खाली सुनसान रोड पर ले आया था जहा सुमन गौतम की गोद में बैठकर गाडी चलाना सिख रही थी औऱ गौतम सुमन को धीरे धीरे गाडी चलाना सिखाते हुए उसे बदन का लुफ्त ले रहा था..

गौतम सुमन की कमर पकड़कर उसकी गांड को अच्छे से लंड पर टिकता हुआ - माँ ठीक से बैठो ना यार.. आप तो ऐसे डर रही हो जैसा मेरा लंड चला जाएगा आपकी चुत में..
सुमन स्टाइरिंग पकड़कर धीरे धीरे गाडी चलाते हुए - बेटा चुभ रहा है तेरा.. तूने लोअर क्यों नीचे सरका दिया है अपना..
गौतम - लोअर ही तो सरकाया है माँ.. कोनसी आपकी साडी उठा दी मैंने.. आप गाडी चलाने पर ध्यान दो.. देखो संभाल के ब्रैक औऱ क्लच दबाओ..
सुमन - बेटा मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा कब ब्रेक दबाना है औऱ कब क्लच दबाना है..
गौतम सुमन का ब्लाउज खोलकर उसकी ब्रा उतार देता है औऱ सुमन के दोनों चुचे अपने दोनों हाथों के पंजो में पकड़ लेता है औऱ सुमन से कहता है - देखो माँ मैं जब आपका राइट बोबा दबाउ तो आपको ब्रेक मारना है औऱ लेफ्ट बोबा दबाउ तो कल्च दबाना है..
औऱ जब दोनों बोबो एक साथ दबाउ तो हॉर्न दबाना है.. औऱ जब नीचे से गांड पर झटका मारु तो समझ जाना गाडी रोकनी है..
सुमन हसते हुए - गुगु मैं तेरी माँ हूँ बेटा.. औऱ तू मेरे ही मज़े ले रहा है.. बहुत शैतान है तू..
गौतम - अब आपको ही गाडी चलाना सीखना था मैं तो इसी तरह सिखाता हूँ.. नहीं सीखना तो बोलो..
सुमन - ठीक है बेटा.. तुझे जो दबाना है दबा.. पर आज मैं गाडी चलाना सिखकर रहूंगी.. तू मेरा गुरु मैं तेरी चेली..
गौतम - माँ थोड़ी देर के लिए भूल जाओ मैं आपका बेटा हूँ.. अब से मुझे गुरूजी कहना औऱ मैं आपको अपनी चेली समझ कर गाडी चलाना सिखाऊंगा..
सुमन - ठीक है गुरूजी.. आप जैसा बोलो..
गौतम जोर से सुमन का राइट बोबा दबा देता है औऱ सुमन ब्रेक मारने की जगह चिल्ला देती है..
गौतम - ब्रेक मारने की जगह चिल्ला क्यों रही है..
सुमन गौतम को देखती हुई - इतना जोर से क्यों दबाया तूने..
गौतम वापस बोबा दबाकर - गुरूजी से तू करके बात करती है.. कैसी चेली है?
सुमन वापस आह करते हुए - गुरूजी आप बहुत जोर से दबाते हो.. लाल हो गए मेरे चुचे..
गौतम लेफ्ट बोबा दबाते हुए - गुरूजी तो ऐसे ही दबाते है..
सुमन अहह करते हुए कल्च दबती है औऱ अब इसीलिए तरह गौतम हाईवे से सटे सुनसान रास्ते पर सुमन को गाडी चलाना सिखाने लगता है.. औऱ दोनों में बातें होती रहती है.. सुमन भी इस मीठी छेड़खानी का मज़ा लेटे हुए गौतम से गाडी चलाना सीखती है औऱ बार बार गौतम को देखकर उसे थोड़ा डांटते हुए कम छेड़खानी करने औऱ धीरे खेड़खानी करने को कहती रहती है.. मगर गौतम अपने ही हिसाब से सुमन के बदन से छेड़खानी कर मज़े लुटता रहता है..

करीब डेढ़ घंटे इसी तरह दोनों इधर उधर घूमते रहते है औऱ सुनसान जगह के काफी अंदर तक आ जाते है जहा देखने से जंगल सा नज़ारा दिखाई देता औऱ वहा उन दोनों को एक खंडर दिखाई देता है.. जिसके आस पास ना इंसान था ना जानवर.. दूर दूर तक लोगों का नमो निशान तक नहीं था.. गौतम ने जोर से सुमन की गांड पे लंड का झटका दिया तो गौतम का इशारा समझ कर सुमन ने गाडी रोक दी..
सुमन हैरानी से - इतनी सुनसान जगह पर ये खंडर..
गौतम - भूतिया खंडर है माँ.. एक दोस्त ने बताया था यहां के बारे में.. लोग यहां नहीं आते जाते औऱ दो किलोमीटर दूर से ही गुजर जाते है..
सुमन - बेटा मुझे भूतो से बहुत डर लगता है.. चल यहां से चलते है..
गौतम - रुको ना माँ.. कितनी खूबसूरत जगह है.. चलो ना देखते है इस खंडर को..
सुमन - बेटा पर भूत से डरना ही अच्छा है.. यहां से दूर चलते है..
गौतम - माँ आप भी ना.. फालतू ही डरती हो.. भूत जैसा कुछ नहीं होता है.. लोग तो अफवाह उड़ाते है उनसे ही डरते है. आप चलो देखते है इस खंडर को..
सुमन डरते हुए - पर बेटा..
गौतम उतरते हुए - आप भी ना माँ.. चलो उतरो.. मैं हूँ ना..
सुमन अपने कपडे पहन कर गाडी से उतर जाती है औऱ गौतम का हाथ कस कर पकड़ लेती है..
गौतम सुमन के साथ खंडर के अंदर आ जाता है औऱ सुमन डरते हुए कसके गौतम का हाथ पकड़कर उसके साथ चलती है..
सुमन - बेटा ये खंडर तो बहुत डरावना औऱ बड़ा है..
गौतम आगे चलते हुए - आज डरावना है माँ पहले के समय कितना सुन्दर रहा होगा..
सुमन डरते हुए - बस बेटा अब वापस चलते है.. औऱ नहीं देखना..
गौतम सुमन को बाहों में भरके - अभी तो कुछ देखा ही नहीं माँ.. देखो नीचे तहखना है ऊपर भी कमरे बने हुए है.. चलो सीढ़िओ से ऊपर चलते है..
सुमन - बेटा बहुत डर लग रहा है..
गौतम - क्यों बेवजह डरती हो माँ.. चलो ना अभी तो सिर्फ खंडर शुरू ही हुआ है..
गौतम सुमन को बाहों में भरके ऊपर सीढ़ियों की तरफ ले जाता है जहा ऊपर पहुंचने पर दोनों के कान में कुछ आवाजे सुनाई देती है.. जिससे सुमन डर जाती है औऱ गौतम से लिपट जाती है मगर गौतम धीरे धीरे आवाज की औऱ जाने लगता है सुमन भी मज़बूरी में गौतम के साथ जाने लगती है.. धीरे धीरे आवाज साफ होने लगती है औऱ उन दोनों को समझ आ जाता है की ये आवाजे कैसी है..
गौतम औऱ सुमन एक दूसरे को देखते है औऱ गौतम मुस्कुराते हुए आगे चलकर औऱ आवाजे सुनने लगता है अब सुमन को भी आवाजे सुनने की इच्छाहो रही थी.. ये आवाज खंडर के ऊपर पीछे बने आखिरी कमरे से आ रही थी.. जहा किसी की चुदाई का कार्यक्रम कर पुरे जोर के साथ चल रहा था.

गौतम औऱ सुमन उस कमरे के करीब आती है तो दोनों को दिखाई देता है कि एक 25 साल के करीब का लड़का एक 40-42 साल के करीब कि औऱत को चोद रहा था.. नीचे एक कपड़ा बिछाकार दोनों मस्ती से चुदाई कर रहे थे..
औरत चुदवाते हुए - जल्दी कर हरिया.. आज तेरा बाप शहर से वापस आने वाला है..
हरिया चोदते हुए - आ जाने दे मंजू.. कोनसा वो आके हम माँ बेटे के बारे में पता ही लगा लेगा..
मंजू - बेटा 5 साल से अपनी माँ को यहां लाकर चोद रहा है तू.. कभी कोई देख लेगा तो पता नहीं क्या होगा..
हरिया - 5 साल से कौन हमें देखने यहां आया है मंजू? तू क्यों इतना फालतू डरती है? तू अच्छे से जानती है मैं तेरी चुत के बिना औऱ तू मेरे लंड के बिना अब नहीं ज़ी सकते.. तो हर बार इतना क्यों डरती है..

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मंजू - घर में ही चोद लिया कर अपनी माँ को हरिया.. क्यों मुझे चोदने के लिए यहां लाता है बार बार?
हरिया - मंजू घर में जब भी तेरा घाघरा खोलता हूँ कोई ना कोई आ जाता है.. दादी भी घर में रहती है.. यहाँ जितना आराम औऱ सुकून से तुझे चोदने में मज़ा आता है उतना घर पर नहीं आता..
मंजू - शादी कि उम्र हो गई है तेरी.. अब अपनी माँ का पीछा छोड़ दे.. तेरी चाची बता रही थी उसके गाँव में एक अच्छी लड़की है.. मैंने तेरी बात चलाने के लिए कहा है.. अगर सब ठीक रहा तो लगे हाथ तेरा ब्याह इसी बरस हो जाएगा..
हरिया चुत मारता हुआ - मंजू तुझसे कितनी बार कहु मुझे सरला के अलवा किसी से ब्याह नहीं करना..
मंजू चुदते हुए - अरे अपनी उस विधवा भाभी से शादी करके तुझे क्या मिल जाएगा हरिया? तुझे अगर सरला पसंद है तो दो-चार बार चोदकर मज़े लेले.. मैं सब संभाल लुंगी.. पर शादी क्यों करता है.. तेरी चाची बता रही थी लड़की वाले दहेज़ में दुपहिया मोटर देने को त्यार है.. तू बस हाँ कर.. लड़की अठरा बरस की है हरिया.. अभी किसी ने हाथ नहीं लगाया उसे.. कच्ची कली है बिलकुल..
हरिया - क्यों चुदाई के समय सर ख़राब करती है मंजू? सरला को मैं पसंद नहीं करता बल्कि उससे प्यार करता हूँ.. जितना प्यार तुझसे करता हूँ उतना ही सरला से भी.. भईया की मौत के सदमे में भाभी जान देने वाली थी.. पर मैंने भाभी से शादी का वादा किया औऱ समझाया तब भाभी मानी.. मंजू मैं सिर्फ तुझे ही यहां लाकर नहीं चोदता.. सरला भी यहां मुझसे चुदवाती है..
मंजू - हरिया क्यों उस विधवा रांड के चक्कर में इतने अच्छे रिश्ते को लात मार रहा है.. एक बार फिर सोच ले.. मैं तेरी सगी माँ हूँ तेरा बुरा नहीं सोचूंगी..
हरिया एक जोरदार थप्पड़ मंजू के गाल पर जमाता हुआ - बहन की लोड़ी रांड वो नहीं तू है.. मुझसे पहले किस किस से चुद चुकी है तू.. भूल गई? मेरे दोस्तों को भी नहीं छोड़ा था तूने.. सरला तो सिर्फ भईया के बाद मेरे नीचे लेटी है पर तू तो साली कई लोगों के नीचे लेट चुकी है..
मंजू - एक औऱ थप्पड़ मार दे मगर मेरी बात समझ.. तू जवान मर्द है अपनी भाभी को रखैल बनाकर भी रखेगा तो कोई तुझपर सवाल नहीं उठायेगा..
हरिया मंजू के मुंह में लोडा देते हुए - समझ नहीं आता मंजू मेरे बाप ने तेरे जैसी लालची रांड से क्यों ब्याह किया? तेरी चुत अगर मेरी कमजोरी नहीं होती ना मंजू तो मैं कबका तुझे छोड़कर चला गया होता..

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मंजू लोडा चूसते हुए - लालची नहीं बेटा मैं तो बस तेरे भले के लिए बोल रही हूँ.. माँ जो हूँ तेरी..
हरिया मुंह में माल झाड़कर - मंजू ये माँ बेटे वाला रिश्ता गाँव में सबके सामने ठीक है.. अकेले में इस रिश्ते की दुहाई मत दिया कर मंजू.. चल अब कपडे पहन..
मंजू माल पीकर कपडे पहनकर - चल हरिया.. चलते है.
हरिया - चल मंजू..

हरिया औऱ मंजू को गौतम औऱ सुमन छुपकर देख सुन रहे थे.. जब वो दोनों जाने लगे तो गौतम ने चुपके से सुमन को खंडर के एक कोने में लेजाकर खड़ा कर दिया औऱ हरिया औऱ मंजू वहा से चले गए.. उनके जाने के बाद गौतम सुमन को उस कमरे में लाता हुआ बोला..
गौतम - देखा माँ? हर जगह कोई ना कोई बेटा अपनी माँ की चुदाई कर रहा है.. औऱ आप कहती है ऐसा कहीं कुछ नहीं होता.. यहां इतने सारे कंडोम औऱ चड्डीया पड़ी है जो सबूत है इस बात का की यहां हरिया औऱ मंजू ने सगा माँ बेटा होते हुए अपनी चुदाईयो को अंजाम दिया है.. अब आप अपनेआप को रोक रही हो? आप भी मेरे साथ सेक्स करना चाहती हो ये मैं अच्छे से जानता हूँ.. पर आप ना जाने क्यों अपनेआप को मेरे करीब आने से हर बार रोक लेती हो..

सुमन आंसू बहाते हुए - मुझे माफ़ कर दे बेटा पर मैं वो नहीं कर सकती.. मेरा मन उसके लिए गवाही नहीं देता.. तू चाहे तो यही मेरी आबरू लूट ले.. जो चाहता है कर ले मैं मना नहीं करुँगी.. ये कहते हुए सुमन ने साडी का पल्लू गिरा दिया..
गौतम - माँ मुझे अगर आपकी चुदाई इसी तरह करनी होती तो बहुत पहले कर चुका होता.. मुझे आपके बदन के साथ आपकी रूह भी चाहिए.. मुझे कुत्ते बिल्लियों वाली चुदाई नहीं करनी.. जब तक आप अपने हाथ से पकड़ कर मेरा लंड अपनी चुत में नहीं डलवाती.. तब तक मैं आपको नहीं चोदने वाला..
सुमन - मैं मजबूर हूँ बेटा..
गौतम - जब तक आपकी मज़बूरी ख़त्म नहीं हो जाती माँ मेरा लंड आपकी चुत का इंतजार कर लेगा..
ये कहकर गौतम वहा से जाने लगता है मगर सुमन गौतम का हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींच लेती है औऱ उसे गले लगाकर कहती है..
सुमन - ग़ुगु मुझे माफ़ कर दे बेटा.. मैं बहुत बुरी माँ हूँ.. तूने मुझसे पहली बार कुछ माँगा औऱ वो भी मैं तुझे नहीं सकती..
गौतम सुमन के आंसू पोछकर - किसने कहा की आप नहीं दे सकती? आप जरुर देंगी.. मुझे यक़ीन है.. अब चलो माँ.. घर चलते है..
गौतम सुमन को खंडर से वापस गाडी में ले आया.. औऱ गाडी चलाते हुए हाईवे पर आ गया औऱ थोड़ी देर बाद दोनों अजमेर पहुंच चुके थे..

सुमन - नाराज है ग़ुगु?
गौतम गाडी चलाते हुए - नहीं तो..
सुमन - तो फिर इतनी देर से चुप क्यों हो?
गौतम - बस यूँही..
सुमन - मैं जानती हूँ ग़ुगु.. तु क्यों चुप है पर तू समझ.. मैं वो सब नहीं कर सकती.. मैंने इस चुत से तुझे पैदा किया है अब इसी चुत में तुझे वापस लेने का ख्याल मुझे बहुत गलत लगता है..
गौतम - कोई बात नहीं माँ.. मैं आपसे कुछ नहीं कह रहा..
सुमन - ग़ुगु वहा गाडी रोक..
गौतम - माँ वो मिट शॉप है..
सुमन - पता है रोक ना..
गौतम मिट शॉप के आगे गाडी रोकते हुए - यहां क्या करना है आपको?
सुमन मुस्कुराते हुए - दो मिनट रुक मैं आती हूँ..
सुमन गाडी उतर कर मिट शॉप में जाती है औऱ कुछ देर बाद एक काली पन्नी में कुछ लेकर वापस आ जाती है..
गौतम काली पन्नी देखकर - इसमें क्या है?
सुमन - चीकन... तुझे चिकन करी पसंद है ना.. आज अपने हाथों से बनाकर खिलाऊंगी अपने ग़ुगु को..
गौतम गाडी चलाते हुए - अच्छा तो इस तरह से आप मेरा मन बहलाना चाहती हो.. पर आपको बनाना कहा आता है?
सुमन - नहीं आता तो रूपा से पूछ लुंगी..
गौतम ठेके के सामने गाडी रोककर - मिट के साथ दारू तो जरुरी है माँ.. कोनसा ब्राड पीना पसंद करोगी?
सुमन मुस्कुराते हुए - जो मेरे ग़ुगु को पसंद हो..
गौतम जाकर एक शराब की बोतल ले आता है.. औऱ गाडी घर के आगे लगा देता है.. सुमन औऱ गौतम घर के अंदर चले जाते है शाम होने लगी थी.. गौतम ने गाडी रूपा से कहकर वापस भिजवा दी थी..

गौतम शराब के दो पेग बनाकर - लो माँ.. शुरू करो..
सुमन चिकन धोती हुई - रुक ग़ुगु.. इसे धो लिया है बस हल्का सा काट दूँ..
गौतम - फ़ोन में देखकर क्यों बना रही हो माँ? मुझे आता है मैं सिखाता हूँ आज आपको..
सुमन पेग उठाकर गौतम से चर्स करके पेग पीते हुए - अच्छा.. तो सीखा मुझे..
गौतम पेग ख़त्म करके - ठीक है माँ.. आओ यहां..
सुमन पेग ख़त्म करके - चलो सिखाओ..
गौतम - सबसे पहले गैस ऑन करके उसपर पतीला रखो.. फिर सरसो का तेल डालकर गर्म करो..
सुमन मुस्कुराते हुए - इतना तो मुझे भी आता है मेरे शहजादे..
गौतम दूसरा पेग बनाकर एक सुमन को देते हुआ - तेल गर्म होने पर उसमे कुछ खड़े मसाले डालकर थोड़ी सी देर बाद कटे हुए प्यार औऱ हरी मिर्च डाल दो.. फिर उसमें थोड़ा सा नमक डालो..
सुमन पेग आधा ख़त्म करके - उसके बाद ग़ुगु ज़ी?
गौतम दूसरा पेग ख़त्म करके सुमन को बाहों में भरकर - उसके बाद में.. आपके जैसी किसी हसीन औऱ खूबसूरत औरत को तब तक चुम्मो जब तक प्याज थोड़े पक नहीं जाते.. ये कहते हुए गौतम सुमन को चूमने लगता है..

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सुमन गौतम को होंठों से होंठ लगाकर चूमते हुए एक हाथ से कड़ची चलाती रहती है..
थोड़ी देर बाद गौतम से चुम्मा तोड़कर सुमन - तुम्हारे प्याज ने थोड़े पक गए गुगुजी.. अब आगे?
गौतम - अब पतिले में अदरक लसन का पेस्ट डालकर तब तक पकायेगे जब तक साड़ी ब्लाउज औऱ पेटीकोट नहीं खुल जाता.. ये कहकर गौतम सुमन की साडी ब्लाउज औऱ पेटीकोट उतार देता है औऱ सुमन को ब्रा पेंटी में खड़ा कर देता है..
सुमन अपना पेग ख़त्म करके - अब आगे क्या करना चाहिए ग़ुगु ज़ी?
गौतम - अब चीकन को पतिले में डाल देना चाहिए सुमन ज़ी..
सुमन मुस्कुराते हुए चीकन पतिले में डालकर कड़ची चलाती रहती है औऱ गौतम अब तीसरे पेग को बनाकर दोनों के सामने रख देता है..
सुमन नशे में - मुझे नंगा करके खुद कपडे पहन रखा है बेशर्म खोल तू भी.. सुमन भी गौतम के सारे कपडे उतार कर रसोई में वही रख देती है जहा सुमन की साडी ब्लाउज औऱ पेटीकोट रखा था.. गौतम भी अब चड्डी में आ चूका था..
गौतम कड़ची चलाते हुए - अब थोड़ा सा चिकन को भून लेंगे..
सुमन थोड़ी देर बाद एक सिगरेट जलाकर कश लेती हुई नशे में बोली - भूनने के बाद क्या करें ग़ुगु ज़ी..
गौतम सुमन से सिगरेट लेकर कश लेटे हुए सुमन के हाथ में कटोरी देकर बोला - अब सुमन ज़ी जो आपने कटोरी में दही औऱ मसाले डालकर मिक्सचर तैयार किया है उसे पतिले में डाल देंगे..
सुमन कटोरी में दही औऱ सभी मसालो का मिक्सचर डालकर कड़ची चलाते हुए बोली - अब ग़ुगु ज़ी..
गौतम एक सिगरेट का लम्बा कश लेकर सिगरेट सुमन को देते हुए तीसरा पेग ख़त्म करके घुटनो पर बैठकर सुमन की पेंटी नीचे करते हुए सुमन की चुत चाटकर - अब अपनी माँ की चुत तबतक चाटेगे जबतक माँ की चुत जड़ नहीं जाती..

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सुमन कड़ची चलाकर सिगरेट के कश लेटी हुई अपनी एक टांग उठाकर चुत खोल देती है औऱ गौतम से अपनी चुत चटवाने लगती है..
सुमन सिगरेट के कश लेटी हुई गौतम के बाल पकड़कर नशे में उससे अपनी चुत चटवाये जा रही थी औऱ दस पंद्रह मिनट बाद सुमन गौतम के मुंह में झड़ गई..

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गौतम चुत का पानी पीकर अपने पैरों पर खड़ा हो गया औऱ सुमन गौतम को देखकर नशे में कड़ची चलाते हुए बोली - अब क्या करना चाहिए ग़ुगु ज़ी..
गौतम पतिले को देखकर सुमन से बोला - अब सुमन ज़ी पतिले में मिट मसाला औऱ हरा धनिया डालकर धीमी आंच पर तब तक पकायेंगे जब तक मेरा लंड आपके मुंह में पानी नहीं छोड़ देता..
गौतम का इशारा पाकर सुमन मुस्कुराते हुए घुटनो पर आ गयी औऱ गौतम की चड्डी नीचे सरका कर उसका लंड मुंह में लेते हुए रंडियो की तरह चूसने लगी..

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गौतम ने कड़ची चला कर पतिले को ढक दिया औऱ एक सिगरेट जलाकर कश लेते हुए होनी माँ के बाल पकड़ कर उसके मुंह में झटके मारते हुए सुमन को अपना लंड चूसाने लगा..
सुमन ने बीच में तीसरा पेग भी ख़त्म कर लिया औऱ अब नशे में पूरी तरह उतर कर पूरी रांड जैसे गौतम के लंड के साथ साथ उसके आंड को भी चुसने लगी.. गौतम अपनी माँ का ये रूम देखकर मंतरमुग्ध हो गया था सुमन बिलकुल किसी रंडी की तरह गौतम के लंड के साथ साथ उसके टट्टे औऱ जांघो के आस पास की जगह को चूसने चाटने लगी थी..
करीब 20-25 मिनट बाद गौतम का माल सुमन के मुंह में झड़ गया जिसे सुमन पी गई औऱ अगला पेग बनाने लगी.. सुमन के पैर लड़खडाने लगे थे..

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गौतम ने उसे चौथा पेग बनाने से रोक दिया औऱ बाहों में भरता हुआ बोला - लो सुमन ज़ी त्यार है आपकी चिकन करी..
सुमन मुस्कुराते हुए नशे में - तू बहुत प्यारा है ग़ुगु.. आई लव यू..
गौतम एक बड़ी सी प्लेट पर चिकेन करी डालकर - गर्म है सुमन ज़ी थोड़ा ठंडा होने दो.. फिर बताना कैसी बनी है?
सुमन नशे में - तब तक एक पेग औऱ पीते है ग़ुगु..
गौतम - नहीं आपके ज्यादा हो गई है..
सुमन - नहीं हुई.. लो अपने हाथ से पिलाओ एक पेग..
गौतम शराब नहीं डालता औऱ सिर्फ पानी का पेग बनता है..
गौतम पानी का पेग पीलाते हुए - लो सुमन ज़ी पियो..
सुमन पेग पीकर समझ जाती है कि वो सादा पानी था औऱ कुछ नहीं..
सुमन नशे में ग़ुगु का लंड पकड़ कर - मज़ाक़ मत कर गौतम.. बना मेरा पेग मुझे पीना है..
गौतम - पहले ये खाओ.. लो ठंडा कर दिया..
सुमन चिकेन लग पीस उठाकर आधा गौतम को खिलाती है औऱ आधा खुद खा जाती है..
सुमन उंगलियां चाटते हुए - उफ्फ्फ... क्या मस्त बनी है चिकेनकरी ग़ुगु..
गौतम - पहले तो कितना नाटक करती थी. मैं ये नहीं खाती वो नहीं खाती.. घर में नहीं बनेगा.. औऱ अब देखो..
सुमन औऱ गौतम एक दूसरे को चिकेन करी खिलाते हुए हलकी फुलकी छेड छाड़ करते है औऱ खाने के बाद सुमन के जोर देने पर उसे गौतम एक छोटा सा पेग औऱ बना के पीला देता है..
सुमन नशे में गौतम के होंठ चूस कर - आई लव यू बच्चा.. आई लव यू..
गौतम सुमन को रूम में लाकर बेड पर बैठा देता है..
सुमन गौतम को बाहों में भरके नशे में बोलती है - देख तूने अपनी माँ के बोबे दबा दबा के कितने बड़े कर दिए है ग़ुगु.. मेरी ब्रा कितनी टाइट हो गई है.. अब तू ही मुझे नई ब्रा लाकर देगा..
गौतम मुस्कुराते हुए ब्रा उतारकर - ला दूंगा माँ.. अब अपने बच्चे को अपना दूध पीला दो..
सुमन अपना बोबा पकड़ कर गौतम के मुंह में देती हुई - ले बेटा.. पी ना अपनी माँ का दूध.. कौन रोकता है तुझे मेरा दूध पिने से? तेरे लिए ही तो है मेरा दूध.
गौतम बूब्स चूसता हुआ - आई लव यू माँ...
सुमन बोबा चूसाते हुए - आई लोब यू टू बेटा.. चूस मेरा बोबा.. खा जा इन दोनों बोबो को बेटा.. आह्ह..
गौतम बूब्स चूसकर सुमन को पीछे धकेल देता है औऱ बेड पर पीठ के बल गिरता हुआ उसके ऊपर आ जाता है औऱ सुमन के होंठ चूमकर कहता है - माँ ट्रुथ एंड डेयर खेलते है..
सुमन गौतम का चेहरा पकड़कर - ठीक है बेटा..
दोनों कि नज़र मिलती है सुमन कि हार हो जाती है..
गौतम -माँ बोलो ट्रुथ एंड डेयर?
सुमन मुस्कुराते हुए - ग़ुगु ट्रुथ.. पूछ क्या पूछना है तुझे..
गौतम जानता था सुमन पुरे नशे में है उसने सुमन से पूछा - आखिरी बार मामा से कब चुदवाया था?
सुमन नशे में थी उसे समझ नहीं आया था कि गौतम ने उसे कितना बड़ा सवाल पूछ लिया है सुमन नशे में ही बोल पड़ी - दो महीने पहले जब तेरे पापा ने तुझसे वो फ़ाइल मंगवाई थी ना.. इतना बोल कर सुमन को अहसास हुआ की गौतम ने क्या सवाल पूछा है औऱ उसने क्या जवाब दिया है.. सुमन का नशा हल्का हो गया था औऱ नज़र शर्म से नीचे..

गौतम सुमन का चेहरा उठाते हुए बोला - उस दिन आपकी अलमारी में कंडोम देखकर मुझे अजीब लगा था पर अब समझ आया.. उस दिन अलमारी में कंडोम क्यों औऱ किसके लिए रखा हुआ था.. आप चिंता मत करो माँ.. मैं किसी से भी आपके उस राज़ का जिक्र नहीं करूँगा..
सुमन बिस्तर से उठना चाहती थी मगर गौतम ने अब उसे अपनी बाहों में कसके जकड़ दिया था औऱ सुमन शर्म से लाल पड़ रही थी..
गौतम जानता था की सुमन अब कुछ नहीं बोलेगी इसलिए उसने सुमन से आगे अपनी बात कही - माँ शर्माओ मत.. शादी की रात जब आप छत पर मामा से बाटकर रही थी उस वक़्त में उस कमरे के अंदर ही था.. मैंने सारी बात सुन ली थी औऱ मुझे मालूम हो गया था की मेरी तरह ऋतू भी आपकी चुत से निकली है.. हम दोनों के बाप अलग अलग हो पर माँ एक ही है.. आपका ये राज़ किसी को नहीं पता लगेगा माँ.. मैं किसीको नहीं बताऊंगा..
सुमन नशे में - ग़ुगु मुझे माफ़ कर दे..
गौतम - किस बात के लिए माँ? आपने कोई गलती नहीं की.. आप एक खूबसूरत हसीन औरत हो.. अगर आपका ख्याल पापा नहीं रखते तो आपको पूरा हक़ है किसी से भी अपना रिश्ता बनाने का..
सुमन - ग़ुगु उस दिन तेरे मामा ज़ी आये थे.. मगर सालों से उनका हाल भी वैसा ही है.. जैसा तेरे पापा है.. अब वो भी एक मिनट में ही चित हो जाते है.. मैं नहीं जानती ग़ुगु तू मेरे बारे में क्या सोच रहा है ये जानने के बाद.. पर मैने औऱ किसी को अपने करीब नहीं आने दिया..
गौतम - मुझे सफाइ देने की जरुरत नहीं है माँ.. मैं आपसे नाराज़ नहीं हूँ.. ना ही कभी हो सकता हूँ.. मैं खुद चाहता हूँ आप खुश रहो.. मेरे साथ नहीं तो जिसके साथ आपका मन करें उसके साथ..

सुमन मुस्कुराते हुए नशे में लड़खड़ाती हुई उठकर अलमारी से वही कंडोम निकालकर उसमे से एक कंडोम फाड़कर गौतम के करीब आ जाती है औऱ गौतम के लंड को पकड़कर उसे कंडोम पहना देती है औऱ अपनी पेंटी उतारकर गौतम के ऊपर बैठते हुए उसका लंड अपनी चुत में घुसाने लगती है मगर गौतम का लंड टोपे से थोड़ा सा ज्यादा सुमन की चुत में घुसता है गौतम सुमन को रोक देता है औऱ बोलता है..
गौतम - रहने दो माँ.. आप अभी नशे में ही.. आप नहीं जानती आप क्या कर रही हो..
सुमन - मुझे मत रोक ग़ुगु.. मुझे बहुत पहले तुझे अपनी चुत दे देनी चाहिए थी.. तेरे जैसा सुन्दर संस्कारी औऱ सुशील बेटा कब से मेरी चुत के लिए तरस रहा है.. औऱ मैं तुझसे ही अपनी चुत बचा रही हूँ.. मुझे तो अब खुद पर शर्म आने लगी है.. तूने दिन में कहा था ना ले आज मैं खुद तेरा लंड पकड़कर अपनी चुत में डाल रही हूँ.. ले चोद ले अपनी माँ को ग़ुगु.. चोद दे ग़ुगु मुझे..
गौतम लंड पकड़कर उसपर से कंडोम उतार कर फेंकता हुआ - आप नशे में ये सब बोल रही हो माँ.. सो जाओ.. सुबह होने पर आपको पछतावा होगा अगर मैंने कुछ किया तो..
सुमन शराब की बोतल उठाकर पीते हुए - तेरी माँ को अब तेरा लंड चाहिए ग़ुगु.. अगर तू मुझे नहीं चोदेगा तो मैं तुझे चोद दूंगी..
गौतम हसता हुआ सुमन से शराब की बोतल लेकर साइड में रख देता है औऱ सुमन को चूमता हुआ बिस्तर में गिर जाता है औऱ एक हाथ से सुमन की चुत में उंगलि करने लगता है..
सुमन सिस्कारी लेटी हुआ गौतम को चूमने लगती है मगर कुछ देर बाद अपनी चुत से पानी का छिड़काव करके नशे में ही बिस्तर पर हलकी हलकी नींद में खोने लगती है.. गौतम सुमन को बच्चों की तरह सुला देता है औऱ सुमन को बाहों में भरके एक चादर ओढ़कर खुद भी उसीके साथ लेट जाता है..

गौतम का धागा लाल था वो समझ चूका था की अब सुमन की चुत उसके लिए तैयार है औऱ सुमन अब ज्यादा वक़्त नहीं लेगी उसे होनी चुत में एंट्री देने के लिए..

गौतम लेता हुआ था की ररूपा का फ़ोन आता है जिसपर रूपा औऱ माधुरी दोनों होती है औऱ गौतम दोनों से एक साथ बात जरता है.. गोयम बताता है कि कल वो सुमन के साथ बाबाजी के जाने वाला है औऱ वही सुमन से रूपा औऱ माधुरी मिलकर उसे साथ रहने के लिए मना सकती है.. बात करने के कुछ देर बाद गौतम भी सुमन की बाहों में सो जाता है..

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Story jesi lag rhi hai comments me bta sakte ho aur koi suggestion hai to wo bhi share kr sakte hai..
Nice update bro 👍
 

moms_bachha

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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
नशे में ही सही लेकीन सुमन गौतम से चुदने के लिये तयार हो गई लेकीन गौतम तो उसे बगैर नशे में चोदना चाहता है
खैर जल्दी ही माँ बेटे का मिलन होने वाला हैं
देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
🙏🏿🙏🏿👍🏿👍🏿👍🏿
 
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