sunoanuj
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Bhut shandaar update.... बडे बाबा ने गौतम ki मौज कर दी.....Update 40
गौतम की जब आँख खुली तो उसने देखा कि उसकी मां सुमन उसके पैरों के पास बैठकर उसके लोडे को अपने मुंह में रखकर चूस रही थी और बड़े प्यार से उसके अंडकोष को हाथों से सहलाती हुई लोडे को मुंह में लेकर बार-बार ऊपर नीचे करती हुई चूसे जा रही थी..
सुमन को देखने ऐसा लगता था कि जैसे अभी-अभी वह नहा कर आई है.. और ब्लाउज पेटीकोट पहन कर इसी काम को अंजाम देने में लग गई है..
सुमन के बाल गीले थे जिसे उसने अपने हाथों से ऐसे ही बाँध दिया था..
गौतम ने अपना हाथ ले जाकर सुमन के सर पर रख दिया और प्यार से दो-चार बार अपनी माँ सुमन के सर पर हाथ फेरकर उसके गीले बाल जो सुमन ने बांध रखे थे उनको खोल दिया जिससे सुमन के बाल लहरा गए और खुलकर बिखर गए..
सुमन औऱ गौतम की नजर आपस में मिली तो दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा पड़े और प्यार से मुस्कुराते हुए आँखों ही आंखों में एक दूसरे से बात करने लगे.. दोनों ही आंखों की भाषा समझने में समर्थ थे..
गौतम ने प्यार से अपना लंड चुस्ती अपनी माँ सुमन से कहा - गुडमॉर्निंग माँ..
सुमन ने लोडा मुंह से निकाल कर कहा - गुडमॉर्निंग मेरे शहजादे.. बेड के सराहने चाय रखी है पिले..
गौतम थोड़ा पीछे होकर बेड का सहारा लेकर बैठ गया औऱ मुस्कुराते हुए बोला - आज क्या बात है माँ.. छोटे ग़ुगु इतनी सेवा?
सुमन भी थोड़ा आगे आकर बैठते हुए - क्यों सिर्फ तू ही मेरी सेवा कर सकता है? औऱ फिर से लंड मुंह में लेकर गौतम को देखते हुए चूसने लगी..
गौतम ने चाय की दो-तीन चुस्की ली और फिर सिगरेट उठाकर लाइटर से जलाकर पहला कश लेते हुए सुमन को देखकर कहा - मुंह में ही लेती रहोगी या कभी चुत में भी लोगी माँ? रात को तैयार हो गई थी लेने के लिए.. अब कहो.. लोगी चुत में?
सुमन लोडा मुह से निकालकर हाथ से लंड हिलाते हुए - रात को जो तूने मुझे हद पार करने से बचा लिया उसी का इनाम है ये.. मेरे शहजादे.. कल तो बहुत ज्यादा शराब पी ली थी.. अभी भी हल्का सा सर दर्द है..
गौतम कश लेकर सिगरेट सुमन को देकर चाय पीते हुए - मैंने तो रोका था आप ही नहीं मानी..
सुमन सिगरेट का कश लेकर - कल तेरे ऊपर हद से ज्यादा प्यार आ रहा था.. इसलिए बहक गई थी..
गौतम - अच्छा अब नहीं आ रहा?
सुमन - अब थोड़ा कम आ रहा है..
ये कहकर वापस सिगरेट का कश लेकर लंड मुंह में लेकर चूसने लगी..
गौतम सुमन से सिगरेट लेकर पीता हुआ अपनी माँ सुमन के बाल पकड़ कर प्यार से उसे अपना लंड चूसाने लगा..
कुछ ही देर में सुमन ने गौतम के लंड से अपने मुंह में वीर्य निकलवा लिया औऱ घट करके पी गई फिर लंड को चूसके साफ करती हुई बेड से खड़ी हो गई..
सुमन - नहा ले शहजादे.. आज बाबाजी के पास चलना है.. याद है ना..
गौतम - माँ..
सुमन - हम्म?
गौतम अपने फ़ोन में रूपा औऱ जगमोहन की पिक दिखा कर - पापा ने रूपा से शादी कर ली..
सुमन ये देखकर गुस्से से - लंड मुरझाये हुए पेड़ पर बेल की जैसे लटक रहा है औऱ शादी पर शादी किये जा रहा है हराम का जना.. नामर्द कहीं का..
गौतम हसते हुए - आपको गाली देना भी आता है?
सुमन - गाली नहीं दू क्या करू? औऱ ये रूपा.. मिलेगी तो इसे भी बताऊंगी मैं.. उस उजड़े हुए म्यार में क्या देख लिया उसने जो शादी कर बैठी..
गौतम - माँ सुना है अब रूपा औऱ माधुरी अब साथ रहती है..
सुमन गुस्से से - साथ रहे या चुत से चुत रगड़ के सोये मेरी बला से.. मुझे क्या? मुझे दोनों दिख गई ना तो खैर नहीं उनकी.. छोड़.. तू नहा ले.. बाबाजी के चलते है..
गौतम खड़ा होकर - माँ.. वहा रूपा औऱ माधुरी भी आ सकती है..
सुमन गुस्से से - तूने रूपा से बात की?
गौतम - अब तक नहीं.. पर क्या पता करनी पड़े?
सुमन - तू उन दोनों से बात नहीं करेगा.. समझा?
गौतम - पर वो करेंगी तो?
सुमन - वो सब मैं नहीं जानती.. मुझे मालूम है वो क्या चाहती है.. वो दोनों मिलके भी तुझे मुझसे नहीं छीन सकती..
गौतम - मुझे आपसे कोई नहीं छीन रहा माँ.. औऱ छोड़ दो ना ये गुस्सा.. मैं आप तीनो का ख्याल रख सकता हूँ.. आप तीनो आपस में बहन बनकर भी तो रह सकते हो.. हमें इस छोटे से पुलिस क्वाटर से भी आजादी मिल जायेगी..
सुमन - मुझे नहीं चाहिए आजादी.. मैं पूरी जिंदगी यहां तेरे साथ बिता लुंगी.. मगर घर की लालच में तेरा सौदा नहीं करुँगी..
गौतम - ये सौदा थोड़ी है माँ.. आप समझो ना.. देखो हम साथ में खुश रह सकते है औऱ मैं वादा करता हूँ की छोटी माँ औऱ मम्मी से आपको कोई परेशानी नहीं होगी.. मैं उनको अच्छे से समझा दूंगा कि आपको बड़ी बहन मानकर ही बात करें..
सुमन अपना पेटीकोट ऊपर करके पेंटी उतारकर फेंकती हुई बेड पर टांग चौड़ी करके लेट जाती है औऱ अपनी चुत खोलके गौतम से कहती है - तुझे मेरी चुत चाहिए ना.. ले आजा मारले मेरी चुत.. मैं नहीं रोकती तुझे.. मगर उन दोनों के साथ रहने के लिए मुझे मत मना..
गौतम मुस्कुराते हुए पेंटी उठाता है औऱ अपनी माँ सुमन को पहनाते हुए कहता है - आप ना बहुत भोली हो माँ.. अरे वो दोनों मेरी कनिज़ बनकर पड़ी रहेंगी.. आप तो इस शहजादे की शहजादी बनकर रहना.. हफ्ते में एक - दो बार उसकी चुदाई कर भी दू तो क्या बुरा है.. फुल टाइम रहूँगा तो आपके साथ ही..
सुमन कुछ देर सोचकर - नहीं गौतम.. मुझे नहीं रहना वहा उनके साथ..
गौतम - अच्छा ठीक है.. जैसा आप बोलो.. मैं अब कुछ नहीं बोलूंगा आपको.. नहाने जा रहा हूँ नाश्ता बना दो..
गौतम समझ गया था किसी मां के मन में अब उथल-पुथल मच चुकी है.. वह कहीं ना कहीं उसके प्रस्ताव को स्वीकार करने से कुछ ही दूरी पर है.. और अब सिर्फ उसके मन को थोड़ा सा खींचने की जरूरत है और सुमन उसकी बातों पर हामी भर सकती है मगर सुमन का मन साफ साफ उसे कह रहा था की वो गौतम को रूपा औऱ माधुरी से दूर ही रखेगी...
गौतम नहाकर वापस आया तो सुमन उसके कपड़े निकल चुकी थी जिसे गौतम पहनकर रसोई की तरफ आ गया और सुमन से बोला - माँ क्या बनाया है?
सुमन - सैंडविच है.. बस बन ही गए..
गौतम - साडी क्यों नहीं पहनी? वैसे इस गुलाबी सलवार सूट में भी कयामत लग रही हो माँ.. बहुत प्यारी लग रही हो इसमें..
सुमन - लो खा लो.. औऱ तारिक़ के लिए thanks लेकिन मैं अपना मन नहीं बदलने वाली..
गौतम सैंडविच खाते हुए - आपकी मर्ज़ी.. मैं कोनसा कह रहा हूँ..
सुमन भी नाश्ता करने लगती है.. औऱ दोनों फिर घर से बाबाजी के चल देते है..
सुमन बाइक पर गौतम के पीछे उसे दोनों हाथों से जकड़ कर अपना सारा बदन गौतम के बदन से चिपकाये बैठी थी जैसे गौतम उसका बेटा नहीं बॉयफ्रेंड हो.. औऱ बार बार अपने होंठों से गौतम को कान चूमते हुए दांतो से खींच रही थी..
गौतम - माँ इतना मत प्यार करो वरना बाबाजी के जगह आपको किसी oyo में लेजाकर पटक दूंगा..
सुमन हसते हुए - चल पागल.. मैं तो बस मेरे ग़ुगु को खुश करना चाहती हूँ.. तू नहीं चाहता तो रहने देती हूँ..
गौतम - जो करना है कर लो माँ.. मैं कुछ नहीं कहता..
सुमन औऱ गौतम कुछ देर बाद पहाड़ी के नीचे बरगद के पास आकर रुक जाते है औऱ गौतम बाइक खड़ी करके सुमन के साथ सीढ़ियों की तरफ चल देता है जहा से गौतम थोड़ा दूर करीम के ऑटो रिक्शा को देखकर पहचान लेता है औऱ रुक जाता है..
सुमन - क्या हुआ बेटा? रुक क्यों गया?
गौतम - माँ आप जाओ मैं आता हूँ..
सुमन - पर क्यों तू भी चल ऊपर..
गौतम - माँ मुझे सिगरेट की तलब लगी है.. समझो ना.. मैं पीकर आता हूँ आप जाओ..
सुमन - अच्छा ठीक है.. सिर्फ एक ही पीना ज्यादा नहीं..
गौतम - ok माँ..
सुमन ऊपर जाने लगती है औऱ गौतम चुपके से करीम के ऑटोरिक्शा की तरफ बढ़ जाता है..
गौतम जैसे ही रिक्शा के साइड में लगा पर्दा हटाता है तो उसे रिक्शा में रूपा के साथ माधुरी भी दिखाई देती है..
माधुरी औऱ रूपा जैसे ही गौतम को देखती है गौतम का हाथ पकड़कर उसे रिक्शा में खींच लेती है औऱ रिक्शा का पर्दा लगाकर गौतम को अपने बीच में बैठा लेती है..
गौतम दोनों को देखते हुए - मम्मी.. छोटी माँ.. तुम दोनों यहां.. पता है ना.. माँ ने देख लिया तो क्या कोहराम मचा देंगी..
रूपा गौतम की शर्ट के बटन खोलकर निप्पल्स चाटते हुए - ग़ुगु तुझे सिर्फ सुमन दीदी की परवाह है हमारी नहीं..
माधुरी bही दूसरा निप्पल मुंह लेकर - हाँ गौतम.. तू सुमन दीदी को दिल से प्यार करता है.. कल से कितने फ़ोन औऱ massages किये पर तू कोई ढंग का जवाब ही नहीं देता..
गौतम - अह्ह्ह.. बेटे को माँ अपना दूध पीलाती है खुद नहीं पीती... छोटी माँ यार.. माँ साथ में थी पूरा टाइम कैसे रिप्लाई करता.. औऱ कल ही तो आया था आज सुबह उनको सारी सच्चाई बता दी.. वो बहुत गुस्सा थी..
रूपा - तूने समझाया दीदी को?
गौतम - समझाया था पर वो माने तब ना.. तुम दोनों पर गुस्सा है औऱ मुझे सख्त हिदायत दी अगर तुम दोनों से मिला तो बहुत बुरा हाल करेंगी..
माधुरी गौतम के हाथ को पकड़कर - अब क्या करें रूपा? मैं तो गौतम के बिना नहीं रह सकती..
रूपा गौतम के दूसरे हाथ को पकड़कर - मैं कोनसा मेरे नन्हे शैतान के बिना रह लुंगी माधुरी..
रूपा करीम से - करीम रिक्शा कहीं ऐसी जगह ले चल जहा कोई ना हो..
करीम रिक्शा वहां से पहाड़ी के दाई तरफ खाली सुनसान पड़े जंगल की तरफ ले जाता है...
गौतम अपना हाथ छुड़ाकर - देखो तुम दोनों अभी ये सब रहने दो.. मैं माँ को घर छोड़ने के बाद तुम्हारे पास आ जाऊंगा..
रूपा गौतम के लंड पर हाथ रखकर - कोई तो रास्ता होगा दीदी को मनाने का.. क्या वो अपनी ज़िद नहीं छोड़ सकती?
माधुरी भी रूपा के साथ ही गौतम के लंड पर हाथ रख देती है औऱ कहती है - गौतम हमें सुमन दीदी को मनाना ही होगा..
गौतम - थोड़ा टाइम तो दो सोचने के लिए.. मैं कैसे एकदम से कुछ बताऊ?
रूपा गौतम के जीन्स का हुक औऱ चैन खोलकर लंड निकालते हुए हाथ से सहलाकर - मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती नन्हे शैतान.. तुम अच्छे से जानते हो.. तुम्हे कोई ना कोई उपाय ढूंढना ही होगा..
माधुरी भी लंड पर अपना हाथ लगा देती है औऱ रूपा के साथ लंड हिलाते हुए - हाँ गौतम.. रूपा की तरह मैं भी तुम्हारे बिना नहीं रह सकती.. तुम जल्दी से कोई रास्ता निकालो..
गौतम रूपा औऱ माधुरी के सर पर अपना हाथ रखकर उन दोनों का सर अपने लंड पर झुकाते हुए कहता है - मैं कुछ सोचता हूँ मेरी माताओ.. तब तक तुम दोनों मुझे थोड़ा प्यार तो करो...
रूपा औऱ माधुरी बिना किसी संकोच के गौतम का लंड एक साथ चूसने लगती है कभी रूपा तो कभी माधुरी गौतम के लंड औऱ आंड को अपने मुंह में भरकर चूसने लगती है.. गौतम प्यार से दोनों के बाल पकड़कर दोनों से एक अद्भुत blowjob ले रहा था जिसमे उसे अतुलनीय सुख की प्राप्ति हो रही थी..
सुमन का फ़ोन आता है औऱ गौतम फ़ोन उठाकर बोलता है..
गौतम - हेलो माँ..
सुमन - पिली सिगरेट?
गौतम - नहीं माँ दो बच्चीया मिल गई थी.. लॉलीपॉप चूसने की ज़िद करने लगी तो उन दोनों को मैं लॉलीपॉप चूसाने लग गया था..
सुमन - किसकी बच्चीया मिल गई ग़ुगु? उनको उनकी माँ के पास छोड़ देना.. औऱ वो रूपा औऱ माधुरी दिखाई दे तो उनसे दूर चले जाना..
गौतम - हाँ माँ.. छोड़ दूंगा..
सुमन - मैं अंदर जा रही हूँ मुझे समय लगेगा तू मुझे बाहर ही मिलना..
गौतम - ठीक है माँ.. फ़ोन काट देता है..
गौतम - मेरी माताओ लंड ही चुस्ती रहोगी क्या आंड भी तो चाट कोई..
रूपा लंड मुंह से निकालकर आंड चाटने लगती है हुए माधुरी लंड को मुंह में भरकर चूसने लगती है..
दोनों अपने मुंह से गौतम के लंड औऱ आंड की भरपूर सेवा कर रही थी औऱ गौतम दोनों के सर पर हाथ रखकर उनके बालों को प्यार से सावंरता हुआ सर पर हाथ फिरा रहा था..
थोड़ी देर लंड चूसाने के बाद गौतम ने कहा - किसी के पास सिगरेट है?
रूपा ने झट से अपने पर्स से सिगरेट निकालकर गौतम के होंठों पर लगा दी औऱ माधुरी ने अपने पर्स से लाइटर निकालकर गौतम के होंठों पर लगी सिगरेट जलाते हुए कहा - औऱ कुछ चाहिए गौतम?
गौतम ने सिगरेट का कश लेकर वापस लंड चूसने का इशारा करते हुए माधुरी से कहा- चुत चाहिए छोटी माँ..
माधुरी औऱ रूपा फिर से मुस्कुराते हुए गौतम के लंड औऱ आंड पर टूट पड़ी औऱ पूरी मेहनत औऱ शिद्दत से उसे खुश करने में लग गई..
गौतम ने दूसरा कश लिया ही था की आदिल का फ़ोन आ गया..
गौतम फ़ोन उठाकर - हाँ गांडु..
आदिल - अबे रंडी.. है कहा तू?
गौतम रूपा औऱ माधुरी को लंड चूसता देखकर - जन्नत में..
आदिल - क्या किस्मत है बहन के लंड तेरी भी.. पहले चुतो के लिए तरसता था अब चुतो में घुसा रहता है..
गौतम - तेरी आपा आ गई घर?
आदिल - नहीं यार.. असलम है साला.. बोला 3-4 रोज़ बाद आयएगी... तू आएगा मेरे घर? मिल लेना अम्मी से.. मौका मिले तो पेल भी देना.. मैं अब्बू को बिजी रखूँगा..
गौतम - अभी टाइम नहीं है यार.. माँ के साथ बाबा ज़ी के आया हूँ.. कल शाम को दोनों बैठते है फिर बात करेंगे..
आदिल - अच्छा भाई वो तू बोला था लंड बड़ा करवाएगा.. करवा दे यार.. अम्मी को कितना भी चोदू.. साली आराम से चुद जाती है कुछ होता ही नहीं उसको..
गौतम - शाम को बतऊँगा भाई उसके बारे में..
आदिल - भाई किसकी ले रहा है बता तो दे.. कौन है?
गौतम व्हाट्सप्प पर रूपा औऱ माधुरी की लंड चुस्ती तस्वीरे खींचकर आदिल को सेंड कर देता है जिसमे दोनों का चेहरा नज़र नहीं आता..
गौतम - देख ले..
आदिल फोटो देखकर - अबे रंडी.. एक साथ दो दो? बहनचोद तू तो पक्का रंडीबाज़ है.. भाई क्या किस्मत है यार..
गौतम - अच्छा फ़ोन रख अब.. बाद में बात करता हूँ..
आदिल - ठीक है.. (फ़ोन कट जाता है )
रूपा - कौन था?
गौतम - कोई दोस्त था मम्मी.. मिलने बुला रहा था.. अच्छा अब छोड़ दो.. बताओ पहले कौन आ रहा है लंड पर?
माधुरी अपनी साडी उठाकर गौतम के लंड पर बैठकर अपनी चुत में घुसाती हुई - पहले मैं गौतम.. बहुत खुजली चल रही है चुत में... अह्ह्ह्ह...
गौतम रूपा से - मम्मी छोटी माँ तो सच में बहुत प्यासी है.. लंड पर झट से चिपक गई..
माधुरी लंड पर उछलते हुए - चुदने में कैसी शर्म गौतम.. औऱ जब चोदने वाला कोई होना हो तो मज़ा ही आ जाता है..
रूपा थोड़ी देर बाद चुत में ऊँगली करती हुई - जल्दी कर माधुरी मुझे भी अपनी खुजली मिटवानी है मेरी शैतान से..
माधुरी - बस रूपा.. मेरा तो होने वाला है..
गौतम रूपा से - मम्मी दूदू पिलाओ ना..
रूपा अपना ब्लाउज खोलकर एक चूची गौतम के मुंह में देती हुई - पी ले मेरी शैतान..
गौतम रूपा की चूची को मुंह में भरकर चूसता हुआ - अहह.. बहनचोद...
माधुरी झड़ते हुए - अह्ह्ह्ह... गौतम.. अहह..
माधुरी झड़ने के बाद गौतम के लंड से उतर जाती है औऱ लंड चूसते हुए साफ करने लगती है..
गौतम - छोटी माँ आप बाहर जाओ ना.. मम्मी को घोड़ी बनाके चोदना है मुझे..
माधुरी पैंटी पहनते हुए रिक्शा से बाहर उतरकर - ठीक है गौतम..
गौतम रूपा को रिक्शा में घोड़ी बनाते हुए - कोठे पर इतने साल चुदवाने के बाद भी हर बार घोड़ी बनने में नखरे करती हो मम्मी.. कितनी बार कहु.. गांड ऊपर कमर नीचे..
रूपा - सॉरी नन्हे शैतान...
गौतम लंड पकड़कर चुत में लंड घुसते हुए झटका मारकर चोदते गए - सॉरी की बच्ची ये काण्ड करने के लिए मेरा बाप ही मिला था तुम्हे?
रूपा - अह्ह्ह्ह... शैतान.. तेरी माँ बनने के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूँ..
गौतम रूपा की गांड के छेद में थूक लगा कर ऊँगली घुसाते हुए - कुछ भी?
रूपा - हाँ... कुछ भी...
गौतम लंड चुत से निकाल कर गांड के छेद में घुसाते हुए - तो अपनी गांड की कुर्बानी दे दे आज मम्मी...
रूपा गांड में लंड जाते ही चीख पडती है
करीम चीख सुनकर रिक्शा के पास आकर - आप ठीक है ना आपा..
रूपा मीठे दर्द में - सब ठीक है करीम..
गौतम - हाँ करीम.. तेरी आपा गांड मरवा रही है मुझसे..
माधुरी पर्दा हटा कर हसते हुए - रूपा तेरी गांड तो गई आज..
रूपा - कमीनी.. तू तो चुत में लेकर बच गई औऱ मुझे गांड देने के लिए छोड़ दिया..
गौतम गांड मारते हुए - मम्मी थोड़ा रुक.. छोटी माँ की गांड भी आज ही मारूंगा..
माधुरी - मैं गांड नहीं देने वाली..
गौतम माधुरी का हाथ पाकर अंदर खींचते हुए रूपा के ऊपर घोड़ी बना देता है औऱ उसकी साडी उठाकर गांड के चीड़ में लंड घुसाने लगता है..
माधुरी दर्द से - थूक तो लगा ले गौतम..
रूपा - बहुत हस रही थी ना.. गौतम बिना थूक के डाल इस कमीनी की गांड में.. सुबह टट्टी करके हुए तेरी याद आये इसे..
गौतम माधुरी गांड चोदते हुए - मेरी माताओ तुम दोनों की गांड तो ऐसी है जैसे ava adems औऱ brandy love एक साथ मिल गई हो.. आज तो पूरा सुखी कर दिया तुम दोनों माताओ ने अपने बेटे को..
माधुरी - धीरे गौतम.. बहुत दर्द हो रहा है..
रूपा हसते हुए - अब पता चला ना साली..
गौतम माधुरी की गांड से लंड निकाल कर रूपा की चुत में ड़ालकर चोदते हुए - मज़ा आ गया आज तो..
रूपा थोड़ी देर चुदने के बाद वापस बैठकर लंड चुदने लगती है औऱ अब गौतम झड़ने वाला होता है..
गौतम - निकलने वाला है मेरा.. किसे पीना है..
माधुरी - दोनों को ही पीला दे गौतम...
गौतम के वीर्य की पहली 2-3 दार रूपा मुंह पर छुड़वा लेटी है औऱ बाकी माधुरी अपने मुंह पर
फिर अच्छे गौतम के लंड औऱ टट्टे चाट कर साफ कर देती है औऱ गौतम जीन्स वापस पहन लेता है...
रूपा औऱ माधुरी अपनी अपनी लिपस्टिक ठीक करने लगती है...
रूपा - करीम वापस ले चल रिक्शा...
करीम - ज़ी आपा..
गौतम - चलो ऊपर चलते है..
रूपा - नहीं.. नहीं.. दीदी ने देख लिया तो बहुत गुस्सा होगी हमारे ऊपर..
माधुरी - हाँ गौतम.. पता नहीं क्या करेगी दीदी हमारा.. मेरे बारे में तो वो पहले से ही जानती है..
गौतम - अरे कुछ नहीं होगा.. थोड़ा कुछ बोले भी तो सुन लेना.. माँ यहां बाबाजी के पास इसलिए आती है ताकि उनको घर मिल सके.. तुम बस इतना कह देना की तुम वो घर माँ के नाम कर दोगी तो वो शायद मान जाए.. औऱ फिर मैं तुम दोनों के साथ रह सकूँ..
रूपा - कोशिश करने में क्या बुराई है माधुरी..
माधुरी - ठीक है रूपा..
माधुरी और रूप भी पहाड़ी के ऊपर जाकर बने उसे चुतुरनुमा आकृति वाले स्थान पर जाकर कतार में बैठ गई वह दोनों सुमन के पीछे इस तरह से बैठी की सुमन उन्हें ना देख सके बाबा जी के पास सुमन का नंबर आने ही वाला था और बाबा जी सुमन की बातें सुनते ही वाले थे...
माधुरी और रूपा के सुमन के पास जाने के बाद गौतम पहाड़ी के पास वही आकर बैठ गया जहां पर वह अक्सर बैठा करता था.. जहां उसे बड़े बाबा जी मिले थे और उसे बतलाया था कि उसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं.. गौतम फिर से वापस इस झील को देख रहा था और यह सोच रहा था कि काश वह वहां जा सकता और उसे झील को करीब से देख सकता लेकिन उसका यह ख्याल उसकी ख्याली दुनिया का एक ख्याल बनकर ही रह गया उसे हकीकत बना नसीब नहीं हुआ.. गौतम अकेला बैठा हुआ था कि उसे नीचे से कोई आता हुआ नजर आया और वह समझ गया कि यह कोई और नहीं बल्कि बड़े बाबा जी उर्फ वीरेंद्र सिंह ही है..
गौतम ने बड़े बाबा जी को देखकर प्रणाम करते हुए उनके पैर छूने चाहे लेकिन बड़े बाबा जी ने गौतम को पैर छूने से रोक दिया और गले लगाते हुए कहा..
बड़े बाबाजी - अरे तुम तो मेरे लिए बहुत कीमती हो बेटा.. औऱ कीमती चीज पैरों से नही गले से लगाईं जाती है.. कहो सब ठीक तो है..
गौतम - हाँ बाबा ज़ी सब ठीक है.. बस कभी कभी थकान रहने लगी है..
बड़े बाबाजी - इतनी मेहनत करोगे तो थकान होगी ही बेटा.. शरीर की अपनी सीमा होती है.. जवानी भी उसे एक हद तक ही पार कर पाती है.. मगर तु चिंता ना कर मेरे पास तेरी थकावट का उपचार है.. जिससे तू जितना चाहे उतना अपनी सीमा को बढ़ा सकता है.. तुझे कभी भी कोई तकलीफ नहीं होगी..
गौतम - वो क्या है बाबाजी?
बड़े बाबाजी जामुन के पेड़ की तरफ इशारा करते हुए - वही.. जा तोड़ ला कुछ जामुन..
गौतम जामुन तोड़कर लाते हुए - लीजिये बाबाजी..
बड़े बाबाजी - अरे ये तेरे लिए है.. इसे खा ले.. तुझे बहुत जरुरत पड़ेगी.. औऱ अब मेरे काम का वक़्त भी नजदीक आने वाला है..
गौतम - आपका जो भी काम है बताइये बाबाजी.. मैं करने को तैयार हूँ.. कितना भी बड़ा औऱ केसा भी हो मैं करूंगा..
बड़े बाबाजी - समय पर सब पता लग जाएगा.. औऱ कुछ चाहिए तो बता..
गौतम - मैं क्या मांगू बाबाजी.. मेरे कुछ समझ नहीं आ रहा.. मुझे कुछ माँगना चाहिए या नहीं.. अब तक किसी से कुछ माँगा भी नहीं है..
बड़े बाबाजी - वो पौधा देख रहा है बेटा..
गौतम - वो नीले फूल वाला?
बड़े बाबाजी - हाँ.. कोई साधारण पौधा नहीं है वो.. आज इसके बारे में किसी को भी रत्ती भर ज्ञान नहीं है.. मगर एक समय था वैश्याव्रती में इसका बहुत इस्तेमाल होता था.. समय के साथ अत्यधिक तोड़ने औऱ इस्तेमाल करने से ये पौधा लुप्त हो गया था.. सैकड़ो सालों बाद फिर से धरती ने इसे अपने गर्भ से जन्म दिया है.. इसके फूलो का लेप यदि किसी महिला की फैली हुई योनि पर रातभर लगा कर रख दिया जाए तो ये उसकी योनि को सिकोड़कर संकुचित कर देता है.. तु इसे लेजा.. जिसके साथ भी मन करें सुख भोग..
गौतम - शुक्रिया बाबाजी..
बड़े बाबाजी - जा.. अब तू ना थकेगा कभी.. ना रुकेगा कभी.. जब मेरे कार्य का समय आएगा ये धागा तुझे याद दिला देगा.. तब तक अपने यौवन का सुख भोग..
गौतम - बहुत बहुत शुक्रिया बाबाजी...
बड़े बाबाजी - औऱ हाँ.. जो सपने तुझे आ रहे है उनको आम मत समझना.. वो तेरे पिछले जन्म से जुड़े हुए है.. उन्हें अच्छे याद रखना.. मेरे कार्य के लिए बहुत जरुरी है वो बातें..
गौतम - तभी मुझे एक ही तरह के सपने बार बार आ रहे है बाबाजी.. मुझे सब याद है.. आप निश्चिंत रहिये..
बड़े बाबाजी - चल मैं चलता हूँ..
गौतम - बाबाजी एक औऱ चीज है...
बड़े बाबाजी - बता बेटा..
गौतम - आपने वरदान तो दिया है जो मेरी साथ सम्भोग करेगा मेरा दीवाना हो जाएगा मगर मैं जिनके साथ भी सम्भोग करता हूँ वो सब मेरी पीछे ही पड़ जाते है.. मैं बहुत परेशान हो गया हूँ बाबाजी.. किसके बात करू किस्से नहीं.. किसके पास जाऊ किसके नहीं..
बाबाजी हसते हुए - बेटा ये धागा तेरी उस समस्या का भी निदान कर देगा.. इसपर हाथ रखकर तू जिसका नाम 11 बार लेगा उसके मस्तिष्क से तेरी सारी यादे चली जायेगी औऱ तू उससे आजाद हो जाएगा..
गौतम धागे को देखकर - शुक्रिया बड़े बाबाजी...
बड़े बाबा जी वहां से वापस नीचे की तरफ चले जाते हैं और गौतम इस पत्थर पर बैठकर वापस जामुन खाने लगता है और सोचने लगता है कि अभी-अभी जो बाबा जी ने कहा है वह सत्य है या नहीं लेकिन उसके मन में इस बात पर शक करने की जरा भी शंका नहीं थी और ना ही कोई और कारण था वह जानता था कि बड़े बाबा जी ने जो भी कहा है वह शत प्रतिशत सत्य ही होगा.. गौतम बेटा जामुन खा रहा था और जामुन खाने के बाद वह उसे पौधे की तरफ बड़ा और उसके कई फूल तोड़कर अपनी जेब में रख लिए और फिर वापस आ गया जहां उसने देखा कि उसकी मां रूपा और माधुरी को एक साथ देखकर उन पर चिल्ला रही थी और उन्हें जोर-जोर से तने मार कर उनके किए हुए काम बताते हुए अपने बेटे से दूर रहने की सलाह दे रही थी..
सुमन - समझ क्या रखा है तुम दोनों ने.. इस तरह किसी के भी घर में डाका डाल दोगी औऱ सुखी रहोगी.. अरे पाप लगेगा तुम दोनों पाप.. रूपा मैंने तो तुम्हे दोस्त माना पर तुम तो डायन निकली..
रूपा - ऐसा नहीं है दीदी.. आप मेरी बात समझो.. मैंने ये सब आपके लिए किया.. आपने ही कहा था ना कि जगमोहन ने आपको छोड़कर माधुरी के नाम पर घर लिया है.. मैंने माधुरी को मना लिया है दीदी.. वो आपके नाम पर घर कर देगी.. हम साथ रहेंगे दीदी.
माधुरी - हाँ दीदी.. रूपा सही कह रही है.. हम एक साथ रहेंगे.. आपकी तरह ही हम भी गौतम का ख्याल रखेगे..
सुमन - अरे थू ऐसे घरपर जो मेरे फूल से बच्चे को तुम दोनों चुड़ैल के हाथों में सौंपकार मिले.. वहा ना मैं आज रहू ना कल.. आज के बाद कभी मुझे अपनी शकले मत दिखाना.. मेरा तुम दोनों से कोई वास्ता कोई रिश्ता नहीं है.. ना ही उस जगमोहन से कोई लेना देना..
रूपा रोते हुए - ऐसा मत कहो दीदी.. मैंने जो किया भूल में किया मुझे माफ़ कर दो.. मैं आपको विश्वास दिलाती हूँ जैसे आप ग़ुगु को चाहती है वैसे ही मैं भी चाहती हूँ.. मेरा कोई गलत इरादा नहीं है.. मैं उसके करीब भी नहीं आउंगी.. बस दूर से हो देखकर रह लुंगी.. मगर ये बात कहकर मुझे लज्जित ना करो..
माधुरी - हाँ दीदी.. आप सब जानती हो.. मगर मैं भी आपको यक़ीन दिलाती हूँ.. आपको सच में अपनी बड़ी बहन मानकर ही आपका आदर करूंगी.. ग़ुगु से दूर रहूंगी.. उसे एक माँ की तरह ही प्यार करुँगी.. औऱ कभी अपनी हद पार नहीं करुँगी..
सुमन दोनों को देख कर - मैं कुछ नहीं जानती.. तुम दोनों मुझे औऱ मेरे ग़ुगु को अकेला छोड़ दो..
रूपा - दीदी.. हमारी बात मान लो.. मैं वादा करती हूँ हम कल ही आपके नाम वो घर औऱ अपनी वफादारी लिखकर आपको सौंप देंगे.. हमें औऱ सजा मत दो..
माधुरी - हाँ दीदी.. हम परिवार है औऱ परिवार में बिखराव अच्छा नहीं होता.. हम वादा करते है.. ग़ुगु से बस माँ बेटे वाला ही रिश्ता रखेंगे..
सुमन इस बार कुछ नहीं कहती है ग़ुगु को दूर खड़ा देखकर उससे कहती है - ग़ुगु चल.. घर जाना है..
गौतम सुमन के पीछे पीछे चल देता है औऱ रूपा औऱ माधुरी को देखकर मुस्कुराते हुए इशारे से well done.. कहता है..
गौतम नीचे आकर बाइक स्टार्ट करते हुए घर की तरफ चल देता है औऱ सुमन किसी गहरी सोच में पड़ जाती है जिसे गौतम ने उसके चेहरे पर पहले ही पढ़ लिया था.. गौतम बाइक चलाता हुआ बार-बार बैक मिरर से सुमन के चेहरे की तरफ देख रहा था और उसके चेहरे पर आते हुए भाव देखकर वह समझ गया था कि सुमन किसी बहुत गहरी और बहुत उलझी हुई सोच में गम है और कुछ तय करने का सोच रही है गौतम ने जिस तरह सुबह अपनी मां सुमन को रूपा और माधुरी के साथ रहने के लिए कन्वेंस किया था और अभी थोड़ी देर पहले पहाड़ी पर जीस तरह रूपा और माधुरी खुद सुमन को उनके साथ रहने के लिए मना रही थी और बदले में उसके नाम पर घर करने की बात कह रही थी उससे सुमन का दृढ़ संकल्प कहीं ना कहीं डगमगाने लगा था.. गौतम सुमन का चेहरा देखकर समझ गया था कि अब सुमन को मनाने में कोई परेशानी नहीं है वह खुद ब खुद कुछ ही समय में अपने आप मान जाएगी और उसके मन मुताबिक रूप और माधुरी के साथ रहने के लिए तैयार हो जाएगी.. मगर सुमन तो कुछ अलग ही सोच रही थी.. सुबह गौतम औऱ अब दोपहर में रूपा औऱ माधुरी की बातों से गौतम का मन भटका मगर अब वो संभल गई थी..
सुमन अपने ख्यालों में घूम थी और गौतम बाइक चलते हुए उसे ख्यालों में गुम देख रहा था
गौतम ने अब बाइक पर बार-बार ब्रेक मारने शुरू कर दिए जिससे सुमन की छाती गौतम की पीठ पर बार-बार टकराने लगी..
गौतम के ऐसा करने पर सुमन ख्यालों की दुनिया से बाहर आई हुई गौतम को जकड़ कर पकड़ने लगी और अपनी छाती को उसकी पीठ से सटा दिया..
गौतम और सुमन को घर आते-आते दोपहर के चार बज चुके थे और अब घर के अंदर दोनों दूसरे से इस बारे में बात कर रहे थे..
जिस तरह से रूपा और माधुरी ने सुमन से बात की थी रूपा और माधुरी की बात का सुमन पर असर तो हुआ था और वह गूगु को समझने में भी आ रहा था.. सुमन गौतम की बात पर सिर्फ इतना कह दिया था कि उसे सोचने का समय चाहिए इस पर गौतम ने आगे सुमन से कुछ नहीं कहा औऱ बाहर चला गया..
रात को जब सुमन औऱ गौतम एक साथ लिपटकर बिस्तर में सोये तो गौतम ने सुमन की चुत ओर उन फूलों का लेट लगा दिया जिसे सुबह उसने सुमन के नींद में होने के दौरान ही गीले कपडे से साथ भी कर लिया औऱ देखने लगा कि क्या वाक़ई सुमन की चुत सिकुड़ी है या नहीं.. मगर अब सुमन जागने लगी थी औऱ सुमन उसे देखकर सोने का नाटक..
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गौतम की जब आँख खुली तो उसने देखा कि उसकी मां सुमन उसके पैरों के पास बैठकर उसके लोडे को अपने मुंह में रखकर चूस रही थी और बड़े प्यार से उसके अंडकोष को हाथों से सहलाती हुई लोडे को मुंह में लेकर बार-बार ऊपर नीचे करती हुई चूसे जा रही थी..
सुमन को देखने ऐसा लगता था कि जैसे अभी-अभी वह नहा कर आई है.. और ब्लाउज पेटीकोट पहन कर इसी काम को अंजाम देने में लग गई है..
सुमन के बाल गीले थे जिसे उसने अपने हाथों से ऐसे ही बाँध दिया था..
गौतम ने अपना हाथ ले जाकर सुमन के सर पर रख दिया और प्यार से दो-चार बार अपनी माँ सुमन के सर पर हाथ फेरकर उसके गीले बाल जो सुमन ने बांध रखे थे उनको खोल दिया जिससे सुमन के बाल लहरा गए और खुलकर बिखर गए..
सुमन औऱ गौतम की नजर आपस में मिली तो दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा पड़े और प्यार से मुस्कुराते हुए आँखों ही आंखों में एक दूसरे से बात करने लगे.. दोनों ही आंखों की भाषा समझने में समर्थ थे..
गौतम ने प्यार से अपना लंड चुस्ती अपनी माँ सुमन से कहा - गुडमॉर्निंग माँ..
सुमन ने लोडा मुंह से निकाल कर कहा - गुडमॉर्निंग मेरे शहजादे.. बेड के सराहने चाय रखी है पिले..
गौतम थोड़ा पीछे होकर बेड का सहारा लेकर बैठ गया औऱ मुस्कुराते हुए बोला - आज क्या बात है माँ.. छोटे ग़ुगु इतनी सेवा?
सुमन भी थोड़ा आगे आकर बैठते हुए - क्यों सिर्फ तू ही मेरी सेवा कर सकता है? औऱ फिर से लंड मुंह में लेकर गौतम को देखते हुए चूसने लगी..
गौतम ने चाय की दो-तीन चुस्की ली और फिर सिगरेट उठाकर लाइटर से जलाकर पहला कश लेते हुए सुमन को देखकर कहा - मुंह में ही लेती रहोगी या कभी चुत में भी लोगी माँ? रात को तैयार हो गई थी लेने के लिए.. अब कहो.. लोगी चुत में?
सुमन लोडा मुह से निकालकर हाथ से लंड हिलाते हुए - रात को जो तूने मुझे हद पार करने से बचा लिया उसी का इनाम है ये.. मेरे शहजादे.. कल तो बहुत ज्यादा शराब पी ली थी.. अभी भी हल्का सा सर दर्द है..
गौतम कश लेकर सिगरेट सुमन को देकर चाय पीते हुए - मैंने तो रोका था आप ही नहीं मानी..
सुमन सिगरेट का कश लेकर - कल तेरे ऊपर हद से ज्यादा प्यार आ रहा था.. इसलिए बहक गई थी..
गौतम - अच्छा अब नहीं आ रहा?
सुमन - अब थोड़ा कम आ रहा है..
ये कहकर वापस सिगरेट का कश लेकर लंड मुंह में लेकर चूसने लगी..
गौतम सुमन से सिगरेट लेकर पीता हुआ अपनी माँ सुमन के बाल पकड़ कर प्यार से उसे अपना लंड चूसाने लगा..
कुछ ही देर में सुमन ने गौतम के लंड से अपने मुंह में वीर्य निकलवा लिया औऱ घट करके पी गई फिर लंड को चूसके साफ करती हुई बेड से खड़ी हो गई..
सुमन - नहा ले शहजादे.. आज बाबाजी के पास चलना है.. याद है ना..
गौतम - माँ..
सुमन - हम्म?
गौतम अपने फ़ोन में रूपा औऱ जगमोहन की पिक दिखा कर - पापा ने रूपा से शादी कर ली..
सुमन ये देखकर गुस्से से - लंड मुरझाये हुए पेड़ पर बेल की जैसे लटक रहा है औऱ शादी पर शादी किये जा रहा है हराम का जना.. नामर्द कहीं का..
गौतम हसते हुए - आपको गाली देना भी आता है?
सुमन - गाली नहीं दू क्या करू? औऱ ये रूपा.. मिलेगी तो इसे भी बताऊंगी मैं.. उस उजड़े हुए म्यार में क्या देख लिया उसने जो शादी कर बैठी..
गौतम - माँ सुना है अब रूपा औऱ माधुरी अब साथ रहती है..
सुमन गुस्से से - साथ रहे या चुत से चुत रगड़ के सोये मेरी बला से.. मुझे क्या? मुझे दोनों दिख गई ना तो खैर नहीं उनकी.. छोड़.. तू नहा ले.. बाबाजी के चलते है..
गौतम खड़ा होकर - माँ.. वहा रूपा औऱ माधुरी भी आ सकती है..
सुमन गुस्से से - तूने रूपा से बात की?
गौतम - अब तक नहीं.. पर क्या पता करनी पड़े?
सुमन - तू उन दोनों से बात नहीं करेगा.. समझा?
गौतम - पर वो करेंगी तो?
सुमन - वो सब मैं नहीं जानती.. मुझे मालूम है वो क्या चाहती है.. वो दोनों मिलके भी तुझे मुझसे नहीं छीन सकती..
गौतम - मुझे आपसे कोई नहीं छीन रहा माँ.. औऱ छोड़ दो ना ये गुस्सा.. मैं आप तीनो का ख्याल रख सकता हूँ.. आप तीनो आपस में बहन बनकर भी तो रह सकते हो.. हमें इस छोटे से पुलिस क्वाटर से भी आजादी मिल जायेगी..
सुमन - मुझे नहीं चाहिए आजादी.. मैं पूरी जिंदगी यहां तेरे साथ बिता लुंगी.. मगर घर की लालच में तेरा सौदा नहीं करुँगी..
गौतम - ये सौदा थोड़ी है माँ.. आप समझो ना.. देखो हम साथ में खुश रह सकते है औऱ मैं वादा करता हूँ की छोटी माँ औऱ मम्मी से आपको कोई परेशानी नहीं होगी.. मैं उनको अच्छे से समझा दूंगा कि आपको बड़ी बहन मानकर ही बात करें..
सुमन अपना पेटीकोट ऊपर करके पेंटी उतारकर फेंकती हुई बेड पर टांग चौड़ी करके लेट जाती है औऱ अपनी चुत खोलके गौतम से कहती है - तुझे मेरी चुत चाहिए ना.. ले आजा मारले मेरी चुत.. मैं नहीं रोकती तुझे.. मगर उन दोनों के साथ रहने के लिए मुझे मत मना..
गौतम मुस्कुराते हुए पेंटी उठाता है औऱ अपनी माँ सुमन को पहनाते हुए कहता है - आप ना बहुत भोली हो माँ.. अरे वो दोनों मेरी कनिज़ बनकर पड़ी रहेंगी.. आप तो इस शहजादे की शहजादी बनकर रहना.. हफ्ते में एक - दो बार उसकी चुदाई कर भी दू तो क्या बुरा है.. फुल टाइम रहूँगा तो आपके साथ ही..
सुमन कुछ देर सोचकर - नहीं गौतम.. मुझे नहीं रहना वहा उनके साथ..
गौतम - अच्छा ठीक है.. जैसा आप बोलो.. मैं अब कुछ नहीं बोलूंगा आपको.. नहाने जा रहा हूँ नाश्ता बना दो..
गौतम समझ गया था किसी मां के मन में अब उथल-पुथल मच चुकी है.. वह कहीं ना कहीं उसके प्रस्ताव को स्वीकार करने से कुछ ही दूरी पर है.. और अब सिर्फ उसके मन को थोड़ा सा खींचने की जरूरत है और सुमन उसकी बातों पर हामी भर सकती है मगर सुमन का मन साफ साफ उसे कह रहा था की वो गौतम को रूपा औऱ माधुरी से दूर ही रखेगी...
गौतम नहाकर वापस आया तो सुमन उसके कपड़े निकल चुकी थी जिसे गौतम पहनकर रसोई की तरफ आ गया और सुमन से बोला - माँ क्या बनाया है?
सुमन - सैंडविच है.. बस बन ही गए..
गौतम - साडी क्यों नहीं पहनी? वैसे इस गुलाबी सलवार सूट में भी कयामत लग रही हो माँ.. बहुत प्यारी लग रही हो इसमें..
सुमन - लो खा लो.. औऱ तारिक़ के लिए thanks लेकिन मैं अपना मन नहीं बदलने वाली..
गौतम सैंडविच खाते हुए - आपकी मर्ज़ी.. मैं कोनसा कह रहा हूँ..
सुमन भी नाश्ता करने लगती है.. औऱ दोनों फिर घर से बाबाजी के चल देते है..
सुमन बाइक पर गौतम के पीछे उसे दोनों हाथों से जकड़ कर अपना सारा बदन गौतम के बदन से चिपकाये बैठी थी जैसे गौतम उसका बेटा नहीं बॉयफ्रेंड हो.. औऱ बार बार अपने होंठों से गौतम को कान चूमते हुए दांतो से खींच रही थी..
गौतम - माँ इतना मत प्यार करो वरना बाबाजी के जगह आपको किसी oyo में लेजाकर पटक दूंगा..
सुमन हसते हुए - चल पागल.. मैं तो बस मेरे ग़ुगु को खुश करना चाहती हूँ.. तू नहीं चाहता तो रहने देती हूँ..
गौतम - जो करना है कर लो माँ.. मैं कुछ नहीं कहता..
सुमन औऱ गौतम कुछ देर बाद पहाड़ी के नीचे बरगद के पास आकर रुक जाते है औऱ गौतम बाइक खड़ी करके सुमन के साथ सीढ़ियों की तरफ चल देता है जहा से गौतम थोड़ा दूर करीम के ऑटो रिक्शा को देखकर पहचान लेता है औऱ रुक जाता है..
सुमन - क्या हुआ बेटा? रुक क्यों गया?
गौतम - माँ आप जाओ मैं आता हूँ..
सुमन - पर क्यों तू भी चल ऊपर..
गौतम - माँ मुझे सिगरेट की तलब लगी है.. समझो ना.. मैं पीकर आता हूँ आप जाओ..
सुमन - अच्छा ठीक है.. सिर्फ एक ही पीना ज्यादा नहीं..
गौतम - ok माँ..
सुमन ऊपर जाने लगती है औऱ गौतम चुपके से करीम के ऑटोरिक्शा की तरफ बढ़ जाता है..
गौतम जैसे ही रिक्शा के साइड में लगा पर्दा हटाता है तो उसे रिक्शा में रूपा के साथ माधुरी भी दिखाई देती है..
माधुरी औऱ रूपा जैसे ही गौतम को देखती है गौतम का हाथ पकड़कर उसे रिक्शा में खींच लेती है औऱ रिक्शा का पर्दा लगाकर गौतम को अपने बीच में बैठा लेती है..
गौतम दोनों को देखते हुए - मम्मी.. छोटी माँ.. तुम दोनों यहां.. पता है ना.. माँ ने देख लिया तो क्या कोहराम मचा देंगी..
रूपा गौतम की शर्ट के बटन खोलकर निप्पल्स चाटते हुए - ग़ुगु तुझे सिर्फ सुमन दीदी की परवाह है हमारी नहीं..
माधुरी bही दूसरा निप्पल मुंह लेकर - हाँ गौतम.. तू सुमन दीदी को दिल से प्यार करता है.. कल से कितने फ़ोन औऱ massages किये पर तू कोई ढंग का जवाब ही नहीं देता..
गौतम - अह्ह्ह.. बेटे को माँ अपना दूध पीलाती है खुद नहीं पीती... छोटी माँ यार.. माँ साथ में थी पूरा टाइम कैसे रिप्लाई करता.. औऱ कल ही तो आया था आज सुबह उनको सारी सच्चाई बता दी.. वो बहुत गुस्सा थी..
रूपा - तूने समझाया दीदी को?
गौतम - समझाया था पर वो माने तब ना.. तुम दोनों पर गुस्सा है औऱ मुझे सख्त हिदायत दी अगर तुम दोनों से मिला तो बहुत बुरा हाल करेंगी..
माधुरी गौतम के हाथ को पकड़कर - अब क्या करें रूपा? मैं तो गौतम के बिना नहीं रह सकती..
रूपा गौतम के दूसरे हाथ को पकड़कर - मैं कोनसा मेरे नन्हे शैतान के बिना रह लुंगी माधुरी..
रूपा करीम से - करीम रिक्शा कहीं ऐसी जगह ले चल जहा कोई ना हो..
करीम रिक्शा वहां से पहाड़ी के दाई तरफ खाली सुनसान पड़े जंगल की तरफ ले जाता है...
गौतम अपना हाथ छुड़ाकर - देखो तुम दोनों अभी ये सब रहने दो.. मैं माँ को घर छोड़ने के बाद तुम्हारे पास आ जाऊंगा..
रूपा गौतम के लंड पर हाथ रखकर - कोई तो रास्ता होगा दीदी को मनाने का.. क्या वो अपनी ज़िद नहीं छोड़ सकती?
माधुरी भी रूपा के साथ ही गौतम के लंड पर हाथ रख देती है औऱ कहती है - गौतम हमें सुमन दीदी को मनाना ही होगा..
गौतम - थोड़ा टाइम तो दो सोचने के लिए.. मैं कैसे एकदम से कुछ बताऊ?
रूपा गौतम के जीन्स का हुक औऱ चैन खोलकर लंड निकालते हुए हाथ से सहलाकर - मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती नन्हे शैतान.. तुम अच्छे से जानते हो.. तुम्हे कोई ना कोई उपाय ढूंढना ही होगा..
माधुरी भी लंड पर अपना हाथ लगा देती है औऱ रूपा के साथ लंड हिलाते हुए - हाँ गौतम.. रूपा की तरह मैं भी तुम्हारे बिना नहीं रह सकती.. तुम जल्दी से कोई रास्ता निकालो..
गौतम रूपा औऱ माधुरी के सर पर अपना हाथ रखकर उन दोनों का सर अपने लंड पर झुकाते हुए कहता है - मैं कुछ सोचता हूँ मेरी माताओ.. तब तक तुम दोनों मुझे थोड़ा प्यार तो करो...
रूपा औऱ माधुरी बिना किसी संकोच के गौतम का लंड एक साथ चूसने लगती है कभी रूपा तो कभी माधुरी गौतम के लंड औऱ आंड को अपने मुंह में भरकर चूसने लगती है.. गौतम प्यार से दोनों के बाल पकड़कर दोनों से एक अद्भुत blowjob ले रहा था जिसमे उसे अतुलनीय सुख की प्राप्ति हो रही थी..
सुमन का फ़ोन आता है औऱ गौतम फ़ोन उठाकर बोलता है..
गौतम - हेलो माँ..
सुमन - पिली सिगरेट?
गौतम - नहीं माँ दो बच्चीया मिल गई थी.. लॉलीपॉप चूसने की ज़िद करने लगी तो उन दोनों को मैं लॉलीपॉप चूसाने लग गया था..
सुमन - किसकी बच्चीया मिल गई ग़ुगु? उनको उनकी माँ के पास छोड़ देना.. औऱ वो रूपा औऱ माधुरी दिखाई दे तो उनसे दूर चले जाना..
गौतम - हाँ माँ.. छोड़ दूंगा..
सुमन - मैं अंदर जा रही हूँ मुझे समय लगेगा तू मुझे बाहर ही मिलना..
गौतम - ठीक है माँ.. फ़ोन काट देता है..
गौतम - मेरी माताओ लंड ही चुस्ती रहोगी क्या आंड भी तो चाट कोई..
रूपा लंड मुंह से निकालकर आंड चाटने लगती है हुए माधुरी लंड को मुंह में भरकर चूसने लगती है..
दोनों अपने मुंह से गौतम के लंड औऱ आंड की भरपूर सेवा कर रही थी औऱ गौतम दोनों के सर पर हाथ रखकर उनके बालों को प्यार से सावंरता हुआ सर पर हाथ फिरा रहा था..
थोड़ी देर लंड चूसाने के बाद गौतम ने कहा - किसी के पास सिगरेट है?
रूपा ने झट से अपने पर्स से सिगरेट निकालकर गौतम के होंठों पर लगा दी औऱ माधुरी ने अपने पर्स से लाइटर निकालकर गौतम के होंठों पर लगी सिगरेट जलाते हुए कहा - औऱ कुछ चाहिए गौतम?
गौतम ने सिगरेट का कश लेकर वापस लंड चूसने का इशारा करते हुए माधुरी से कहा- चुत चाहिए छोटी माँ..
माधुरी औऱ रूपा फिर से मुस्कुराते हुए गौतम के लंड औऱ आंड पर टूट पड़ी औऱ पूरी मेहनत औऱ शिद्दत से उसे खुश करने में लग गई..
गौतम ने दूसरा कश लिया ही था की आदिल का फ़ोन आ गया..
गौतम फ़ोन उठाकर - हाँ गांडु..
आदिल - अबे रंडी.. है कहा तू?
गौतम रूपा औऱ माधुरी को लंड चूसता देखकर - जन्नत में..
आदिल - क्या किस्मत है बहन के लंड तेरी भी.. पहले चुतो के लिए तरसता था अब चुतो में घुसा रहता है..
गौतम - तेरी आपा आ गई घर?
आदिल - नहीं यार.. असलम है साला.. बोला 3-4 रोज़ बाद आयएगी... तू आएगा मेरे घर? मिल लेना अम्मी से.. मौका मिले तो पेल भी देना.. मैं अब्बू को बिजी रखूँगा..
गौतम - अभी टाइम नहीं है यार.. माँ के साथ बाबा ज़ी के आया हूँ.. कल शाम को दोनों बैठते है फिर बात करेंगे..
आदिल - अच्छा भाई वो तू बोला था लंड बड़ा करवाएगा.. करवा दे यार.. अम्मी को कितना भी चोदू.. साली आराम से चुद जाती है कुछ होता ही नहीं उसको..
गौतम - शाम को बतऊँगा भाई उसके बारे में..
आदिल - भाई किसकी ले रहा है बता तो दे.. कौन है?
गौतम व्हाट्सप्प पर रूपा औऱ माधुरी की लंड चुस्ती तस्वीरे खींचकर आदिल को सेंड कर देता है जिसमे दोनों का चेहरा नज़र नहीं आता..
गौतम - देख ले..
आदिल फोटो देखकर - अबे रंडी.. एक साथ दो दो? बहनचोद तू तो पक्का रंडीबाज़ है.. भाई क्या किस्मत है यार..
गौतम - अच्छा फ़ोन रख अब.. बाद में बात करता हूँ..
आदिल - ठीक है.. (फ़ोन कट जाता है )
रूपा - कौन था?
गौतम - कोई दोस्त था मम्मी.. मिलने बुला रहा था.. अच्छा अब छोड़ दो.. बताओ पहले कौन आ रहा है लंड पर?
माधुरी अपनी साडी उठाकर गौतम के लंड पर बैठकर अपनी चुत में घुसाती हुई - पहले मैं गौतम.. बहुत खुजली चल रही है चुत में... अह्ह्ह्ह...
गौतम रूपा से - मम्मी छोटी माँ तो सच में बहुत प्यासी है.. लंड पर झट से चिपक गई..
माधुरी लंड पर उछलते हुए - चुदने में कैसी शर्म गौतम.. औऱ जब चोदने वाला कोई होना हो तो मज़ा ही आ जाता है..
रूपा थोड़ी देर बाद चुत में ऊँगली करती हुई - जल्दी कर माधुरी मुझे भी अपनी खुजली मिटवानी है मेरी शैतान से..
माधुरी - बस रूपा.. मेरा तो होने वाला है..
गौतम रूपा से - मम्मी दूदू पिलाओ ना..
रूपा अपना ब्लाउज खोलकर एक चूची गौतम के मुंह में देती हुई - पी ले मेरी शैतान..
गौतम रूपा की चूची को मुंह में भरकर चूसता हुआ - अहह.. बहनचोद...
माधुरी झड़ते हुए - अह्ह्ह्ह... गौतम.. अहह..
माधुरी झड़ने के बाद गौतम के लंड से उतर जाती है औऱ लंड चूसते हुए साफ करने लगती है..
गौतम - छोटी माँ आप बाहर जाओ ना.. मम्मी को घोड़ी बनाके चोदना है मुझे..
माधुरी पैंटी पहनते हुए रिक्शा से बाहर उतरकर - ठीक है गौतम..
गौतम रूपा को रिक्शा में घोड़ी बनाते हुए - कोठे पर इतने साल चुदवाने के बाद भी हर बार घोड़ी बनने में नखरे करती हो मम्मी.. कितनी बार कहु.. गांड ऊपर कमर नीचे..
रूपा - सॉरी नन्हे शैतान...
गौतम लंड पकड़कर चुत में लंड घुसते हुए झटका मारकर चोदते गए - सॉरी की बच्ची ये काण्ड करने के लिए मेरा बाप ही मिला था तुम्हे?
रूपा - अह्ह्ह्ह... शैतान.. तेरी माँ बनने के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूँ..
गौतम रूपा की गांड के छेद में थूक लगा कर ऊँगली घुसाते हुए - कुछ भी?
रूपा - हाँ... कुछ भी...
गौतम लंड चुत से निकाल कर गांड के छेद में घुसाते हुए - तो अपनी गांड की कुर्बानी दे दे आज मम्मी...
रूपा गांड में लंड जाते ही चीख पडती है
करीम चीख सुनकर रिक्शा के पास आकर - आप ठीक है ना आपा..
रूपा मीठे दर्द में - सब ठीक है करीम..
गौतम - हाँ करीम.. तेरी आपा गांड मरवा रही है मुझसे..
माधुरी पर्दा हटा कर हसते हुए - रूपा तेरी गांड तो गई आज..
रूपा - कमीनी.. तू तो चुत में लेकर बच गई औऱ मुझे गांड देने के लिए छोड़ दिया..
गौतम गांड मारते हुए - मम्मी थोड़ा रुक.. छोटी माँ की गांड भी आज ही मारूंगा..
माधुरी - मैं गांड नहीं देने वाली..
गौतम माधुरी का हाथ पाकर अंदर खींचते हुए रूपा के ऊपर घोड़ी बना देता है औऱ उसकी साडी उठाकर गांड के चीड़ में लंड घुसाने लगता है..
माधुरी दर्द से - थूक तो लगा ले गौतम..
रूपा - बहुत हस रही थी ना.. गौतम बिना थूक के डाल इस कमीनी की गांड में.. सुबह टट्टी करके हुए तेरी याद आये इसे..
गौतम माधुरी गांड चोदते हुए - मेरी माताओ तुम दोनों की गांड तो ऐसी है जैसे ava adems औऱ brandy love एक साथ मिल गई हो.. आज तो पूरा सुखी कर दिया तुम दोनों माताओ ने अपने बेटे को..
माधुरी - धीरे गौतम.. बहुत दर्द हो रहा है..
रूपा हसते हुए - अब पता चला ना साली..
गौतम माधुरी की गांड से लंड निकाल कर रूपा की चुत में ड़ालकर चोदते हुए - मज़ा आ गया आज तो..
रूपा थोड़ी देर चुदने के बाद वापस बैठकर लंड चुदने लगती है औऱ अब गौतम झड़ने वाला होता है..
गौतम - निकलने वाला है मेरा.. किसे पीना है..
माधुरी - दोनों को ही पीला दे गौतम...
गौतम के वीर्य की पहली 2-3 दार रूपा मुंह पर छुड़वा लेटी है औऱ बाकी माधुरी अपने मुंह पर
फिर अच्छे गौतम के लंड औऱ टट्टे चाट कर साफ कर देती है औऱ गौतम जीन्स वापस पहन लेता है...
रूपा औऱ माधुरी अपनी अपनी लिपस्टिक ठीक करने लगती है...
रूपा - करीम वापस ले चल रिक्शा...
करीम - ज़ी आपा..
गौतम - चलो ऊपर चलते है..
रूपा - नहीं.. नहीं.. दीदी ने देख लिया तो बहुत गुस्सा होगी हमारे ऊपर..
माधुरी - हाँ गौतम.. पता नहीं क्या करेगी दीदी हमारा.. मेरे बारे में तो वो पहले से ही जानती है..
गौतम - अरे कुछ नहीं होगा.. थोड़ा कुछ बोले भी तो सुन लेना.. माँ यहां बाबाजी के पास इसलिए आती है ताकि उनको घर मिल सके.. तुम बस इतना कह देना की तुम वो घर माँ के नाम कर दोगी तो वो शायद मान जाए.. औऱ फिर मैं तुम दोनों के साथ रह सकूँ..
रूपा - कोशिश करने में क्या बुराई है माधुरी..
माधुरी - ठीक है रूपा..
माधुरी और रूप भी पहाड़ी के ऊपर जाकर बने उसे चुतुरनुमा आकृति वाले स्थान पर जाकर कतार में बैठ गई वह दोनों सुमन के पीछे इस तरह से बैठी की सुमन उन्हें ना देख सके बाबा जी के पास सुमन का नंबर आने ही वाला था और बाबा जी सुमन की बातें सुनते ही वाले थे...
माधुरी और रूपा के सुमन के पास जाने के बाद गौतम पहाड़ी के पास वही आकर बैठ गया जहां पर वह अक्सर बैठा करता था.. जहां उसे बड़े बाबा जी मिले थे और उसे बतलाया था कि उसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं.. गौतम फिर से वापस इस झील को देख रहा था और यह सोच रहा था कि काश वह वहां जा सकता और उसे झील को करीब से देख सकता लेकिन उसका यह ख्याल उसकी ख्याली दुनिया का एक ख्याल बनकर ही रह गया उसे हकीकत बना नसीब नहीं हुआ.. गौतम अकेला बैठा हुआ था कि उसे नीचे से कोई आता हुआ नजर आया और वह समझ गया कि यह कोई और नहीं बल्कि बड़े बाबा जी उर्फ वीरेंद्र सिंह ही है..
गौतम ने बड़े बाबा जी को देखकर प्रणाम करते हुए उनके पैर छूने चाहे लेकिन बड़े बाबा जी ने गौतम को पैर छूने से रोक दिया और गले लगाते हुए कहा..
बड़े बाबाजी - अरे तुम तो मेरे लिए बहुत कीमती हो बेटा.. औऱ कीमती चीज पैरों से नही गले से लगाईं जाती है.. कहो सब ठीक तो है..
गौतम - हाँ बाबा ज़ी सब ठीक है.. बस कभी कभी थकान रहने लगी है..
बड़े बाबाजी - इतनी मेहनत करोगे तो थकान होगी ही बेटा.. शरीर की अपनी सीमा होती है.. जवानी भी उसे एक हद तक ही पार कर पाती है.. मगर तु चिंता ना कर मेरे पास तेरी थकावट का उपचार है.. जिससे तू जितना चाहे उतना अपनी सीमा को बढ़ा सकता है.. तुझे कभी भी कोई तकलीफ नहीं होगी..
गौतम - वो क्या है बाबाजी?
बड़े बाबाजी जामुन के पेड़ की तरफ इशारा करते हुए - वही.. जा तोड़ ला कुछ जामुन..
गौतम जामुन तोड़कर लाते हुए - लीजिये बाबाजी..
बड़े बाबाजी - अरे ये तेरे लिए है.. इसे खा ले.. तुझे बहुत जरुरत पड़ेगी.. औऱ अब मेरे काम का वक़्त भी नजदीक आने वाला है..
गौतम - आपका जो भी काम है बताइये बाबाजी.. मैं करने को तैयार हूँ.. कितना भी बड़ा औऱ केसा भी हो मैं करूंगा..
बड़े बाबाजी - समय पर सब पता लग जाएगा.. औऱ कुछ चाहिए तो बता..
गौतम - मैं क्या मांगू बाबाजी.. मेरे कुछ समझ नहीं आ रहा.. मुझे कुछ माँगना चाहिए या नहीं.. अब तक किसी से कुछ माँगा भी नहीं है..
बड़े बाबाजी - वो पौधा देख रहा है बेटा..
गौतम - वो नीले फूल वाला?
बड़े बाबाजी - हाँ.. कोई साधारण पौधा नहीं है वो.. आज इसके बारे में किसी को भी रत्ती भर ज्ञान नहीं है.. मगर एक समय था वैश्याव्रती में इसका बहुत इस्तेमाल होता था.. समय के साथ अत्यधिक तोड़ने औऱ इस्तेमाल करने से ये पौधा लुप्त हो गया था.. सैकड़ो सालों बाद फिर से धरती ने इसे अपने गर्भ से जन्म दिया है.. इसके फूलो का लेप यदि किसी महिला की फैली हुई योनि पर रातभर लगा कर रख दिया जाए तो ये उसकी योनि को सिकोड़कर संकुचित कर देता है.. तु इसे लेजा.. जिसके साथ भी मन करें सुख भोग..
गौतम - शुक्रिया बाबाजी..
बड़े बाबाजी - जा.. अब तू ना थकेगा कभी.. ना रुकेगा कभी.. जब मेरे कार्य का समय आएगा ये धागा तुझे याद दिला देगा.. तब तक अपने यौवन का सुख भोग..
गौतम - बहुत बहुत शुक्रिया बाबाजी...
बड़े बाबाजी - औऱ हाँ.. जो सपने तुझे आ रहे है उनको आम मत समझना.. वो तेरे पिछले जन्म से जुड़े हुए है.. उन्हें अच्छे याद रखना.. मेरे कार्य के लिए बहुत जरुरी है वो बातें..
गौतम - तभी मुझे एक ही तरह के सपने बार बार आ रहे है बाबाजी.. मुझे सब याद है.. आप निश्चिंत रहिये..
बड़े बाबाजी - चल मैं चलता हूँ..
गौतम - बाबाजी एक औऱ चीज है...
बड़े बाबाजी - बता बेटा..
गौतम - आपने वरदान तो दिया है जो मेरी साथ सम्भोग करेगा मेरा दीवाना हो जाएगा मगर मैं जिनके साथ भी सम्भोग करता हूँ वो सब मेरी पीछे ही पड़ जाते है.. मैं बहुत परेशान हो गया हूँ बाबाजी.. किसके बात करू किस्से नहीं.. किसके पास जाऊ किसके नहीं..
बाबाजी हसते हुए - बेटा ये धागा तेरी उस समस्या का भी निदान कर देगा.. इसपर हाथ रखकर तू जिसका नाम 11 बार लेगा उसके मस्तिष्क से तेरी सारी यादे चली जायेगी औऱ तू उससे आजाद हो जाएगा..
गौतम धागे को देखकर - शुक्रिया बड़े बाबाजी...
बड़े बाबा जी वहां से वापस नीचे की तरफ चले जाते हैं और गौतम इस पत्थर पर बैठकर वापस जामुन खाने लगता है और सोचने लगता है कि अभी-अभी जो बाबा जी ने कहा है वह सत्य है या नहीं लेकिन उसके मन में इस बात पर शक करने की जरा भी शंका नहीं थी और ना ही कोई और कारण था वह जानता था कि बड़े बाबा जी ने जो भी कहा है वह शत प्रतिशत सत्य ही होगा.. गौतम बेटा जामुन खा रहा था और जामुन खाने के बाद वह उसे पौधे की तरफ बड़ा और उसके कई फूल तोड़कर अपनी जेब में रख लिए और फिर वापस आ गया जहां उसने देखा कि उसकी मां रूपा और माधुरी को एक साथ देखकर उन पर चिल्ला रही थी और उन्हें जोर-जोर से तने मार कर उनके किए हुए काम बताते हुए अपने बेटे से दूर रहने की सलाह दे रही थी..
सुमन - समझ क्या रखा है तुम दोनों ने.. इस तरह किसी के भी घर में डाका डाल दोगी औऱ सुखी रहोगी.. अरे पाप लगेगा तुम दोनों पाप.. रूपा मैंने तो तुम्हे दोस्त माना पर तुम तो डायन निकली..
रूपा - ऐसा नहीं है दीदी.. आप मेरी बात समझो.. मैंने ये सब आपके लिए किया.. आपने ही कहा था ना कि जगमोहन ने आपको छोड़कर माधुरी के नाम पर घर लिया है.. मैंने माधुरी को मना लिया है दीदी.. वो आपके नाम पर घर कर देगी.. हम साथ रहेंगे दीदी.
माधुरी - हाँ दीदी.. रूपा सही कह रही है.. हम एक साथ रहेंगे.. आपकी तरह ही हम भी गौतम का ख्याल रखेगे..
सुमन - अरे थू ऐसे घरपर जो मेरे फूल से बच्चे को तुम दोनों चुड़ैल के हाथों में सौंपकार मिले.. वहा ना मैं आज रहू ना कल.. आज के बाद कभी मुझे अपनी शकले मत दिखाना.. मेरा तुम दोनों से कोई वास्ता कोई रिश्ता नहीं है.. ना ही उस जगमोहन से कोई लेना देना..
रूपा रोते हुए - ऐसा मत कहो दीदी.. मैंने जो किया भूल में किया मुझे माफ़ कर दो.. मैं आपको विश्वास दिलाती हूँ जैसे आप ग़ुगु को चाहती है वैसे ही मैं भी चाहती हूँ.. मेरा कोई गलत इरादा नहीं है.. मैं उसके करीब भी नहीं आउंगी.. बस दूर से हो देखकर रह लुंगी.. मगर ये बात कहकर मुझे लज्जित ना करो..
माधुरी - हाँ दीदी.. आप सब जानती हो.. मगर मैं भी आपको यक़ीन दिलाती हूँ.. आपको सच में अपनी बड़ी बहन मानकर ही आपका आदर करूंगी.. ग़ुगु से दूर रहूंगी.. उसे एक माँ की तरह ही प्यार करुँगी.. औऱ कभी अपनी हद पार नहीं करुँगी..
सुमन दोनों को देख कर - मैं कुछ नहीं जानती.. तुम दोनों मुझे औऱ मेरे ग़ुगु को अकेला छोड़ दो..
रूपा - दीदी.. हमारी बात मान लो.. मैं वादा करती हूँ हम कल ही आपके नाम वो घर औऱ अपनी वफादारी लिखकर आपको सौंप देंगे.. हमें औऱ सजा मत दो..
माधुरी - हाँ दीदी.. हम परिवार है औऱ परिवार में बिखराव अच्छा नहीं होता.. हम वादा करते है.. ग़ुगु से बस माँ बेटे वाला ही रिश्ता रखेंगे..
सुमन इस बार कुछ नहीं कहती है ग़ुगु को दूर खड़ा देखकर उससे कहती है - ग़ुगु चल.. घर जाना है..
गौतम सुमन के पीछे पीछे चल देता है औऱ रूपा औऱ माधुरी को देखकर मुस्कुराते हुए इशारे से well done.. कहता है..
गौतम नीचे आकर बाइक स्टार्ट करते हुए घर की तरफ चल देता है औऱ सुमन किसी गहरी सोच में पड़ जाती है जिसे गौतम ने उसके चेहरे पर पहले ही पढ़ लिया था.. गौतम बाइक चलाता हुआ बार-बार बैक मिरर से सुमन के चेहरे की तरफ देख रहा था और उसके चेहरे पर आते हुए भाव देखकर वह समझ गया था कि सुमन किसी बहुत गहरी और बहुत उलझी हुई सोच में गम है और कुछ तय करने का सोच रही है गौतम ने जिस तरह सुबह अपनी मां सुमन को रूपा और माधुरी के साथ रहने के लिए कन्वेंस किया था और अभी थोड़ी देर पहले पहाड़ी पर जीस तरह रूपा और माधुरी खुद सुमन को उनके साथ रहने के लिए मना रही थी और बदले में उसके नाम पर घर करने की बात कह रही थी उससे सुमन का दृढ़ संकल्प कहीं ना कहीं डगमगाने लगा था.. गौतम सुमन का चेहरा देखकर समझ गया था कि अब सुमन को मनाने में कोई परेशानी नहीं है वह खुद ब खुद कुछ ही समय में अपने आप मान जाएगी और उसके मन मुताबिक रूप और माधुरी के साथ रहने के लिए तैयार हो जाएगी.. मगर सुमन तो कुछ अलग ही सोच रही थी.. सुबह गौतम औऱ अब दोपहर में रूपा औऱ माधुरी की बातों से गौतम का मन भटका मगर अब वो संभल गई थी..
सुमन अपने ख्यालों में घूम थी और गौतम बाइक चलते हुए उसे ख्यालों में गुम देख रहा था
गौतम ने अब बाइक पर बार-बार ब्रेक मारने शुरू कर दिए जिससे सुमन की छाती गौतम की पीठ पर बार-बार टकराने लगी..
गौतम के ऐसा करने पर सुमन ख्यालों की दुनिया से बाहर आई हुई गौतम को जकड़ कर पकड़ने लगी और अपनी छाती को उसकी पीठ से सटा दिया..
गौतम और सुमन को घर आते-आते दोपहर के चार बज चुके थे और अब घर के अंदर दोनों दूसरे से इस बारे में बात कर रहे थे..
जिस तरह से रूपा और माधुरी ने सुमन से बात की थी रूपा और माधुरी की बात का सुमन पर असर तो हुआ था और वह गूगु को समझने में भी आ रहा था.. सुमन गौतम की बात पर सिर्फ इतना कह दिया था कि उसे सोचने का समय चाहिए इस पर गौतम ने आगे सुमन से कुछ नहीं कहा औऱ बाहर चला गया..
रात को जब सुमन औऱ गौतम एक साथ लिपटकर बिस्तर में सोये तो गौतम ने सुमन की चुत ओर उन फूलों का लेट लगा दिया जिसे सुबह उसने सुमन के नींद में होने के दौरान ही गीले कपडे से साथ भी कर लिया औऱ देखने लगा कि क्या वाक़ई सुमन की चुत सिकुड़ी है या नहीं.. मगर अब सुमन जागने लगी थी औऱ सुमन उसे देखकर सोने का नाटक..
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