prasha_tam
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Shabhi Updates Bhaut Hee Jabardast aur Lazawab Diyaa Hee
Keep It Up ️
Shabhi Updates Bhaut Hee Jabardast aur Lazawab Diyaa Hee
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Update 27[/QUOT
विवाह समपन्न हुआ आज से आप पति पत्नी..
संजय - आओ बेटी.. चलो.. चेतन.. ये सामान कमरे में पंहुचा दे..
चेतन - ठीक है पापाज़ी...
गायत्री - संजय बेटा.. दामाद ज़ी औऱ ऋतू को एक साथ ही ले जा.. कोमल तू भी साथ में जा...
आरती - मम्मी ज़ी अब तो अकेले छोड़ दो दामाद ज़ी औऱ ऋतू को.. सब हँसने लगते है..
गायत्री - रात के डेढ़ बज चुके है औऱ तू अभी भी मज़ाक़ मस्ती में लगी हुई है.. चल अब तू भी चेतन के साथ चली जा.. अब थोड़ा आराम कर लेते है.. कल विदाई में बहुत काम है..
संजय - सही कहा माँ.. आज का दिन बहुत थका देने वाला था..
कोमल - तुम तो रोज़ ही थके हुए लगते हो.. कोनसी नई बात है..
बात करते हुए सब अपने अपने रूम में चले गए थे..
राहुल औऱ उसके दो दोस्त अब साथ थे औऱ दोस्त राहुल को इशारे से बुला रहे थे..
एक दोस्त - क्या बात है साले.. शादी होते ही हमारी बात नहीं सुन रहा..
राहुल अलग जाकर - अबे तुम भी जाकर सो जाओ क्यों भूत की तरह सर पर घूम रहे हो..
दूसरा दोस्त - भाई तेरी नींद का जुगाड़ तो हो गया हम अकेले कैसे सोये?
राहुल - एकदूसरे की गांड मार लो.. अब चल.. जाने दे मुझे..
दोस्त - अभी से डरने लगा तू तो अपनी बीवी से..
राहुल - अबे टाइम देख अब तुम भी सो जाओ जाकर..
दोस्त हसते हुए - अरे यार थोड़ी सी दारु तो पिले.. बिल्ली कैसे मारेगा.. वरना..
राहुल - ठीक है मैं बोलके आता हूँ तुम रूम में जाओ..
दोस्त - हाँ हाँ बोलके आ.. अब तो परमिशन लेनी ही पड़ेगी तुझे..
राहुल ऋतू से थोड़ी देर दोस्तों के साथ बैठने की बात बोलके दोस्तों के साथ रूम में बैठकर शराबखोरी करने लगता है औऱ ऋतू अकेली अपने कमरे में सोफे पर बैठी हुई दिनभर की थकान से चूर होकर एक सिगरेट जलाकर कश लेने लगती है.. ऋतू ने अपने भारी भरकम दुल्हन वाले कपडे बदल लिए थे औऱ सादा सूट पहन लिया था.. ऋतू बैठी ही थी कि उसके फ़ोन पर अनजान नम्बरो से व्हाट्सप्प पर एक वीडियो आया औऱ नीचे टेक्स्ट आया - छत पर मिलो...
ऋतू वीडियो देखकर समझ गई कि ये विकर्म ने भेजा है क्युकी वीडियो में ऋतू औऱ विक्रम कि चुदाईलीला थी.. ऋतू समझ गई की विक्रम वापस उसे चोदने के लिए बुला रहा है इसलिए ऋतू सिगरेट का पैकेट लाइटर औऱ कंडोम का पैकेट लेकर छत पर चली गई.. छत पर अँधेरा था औऱ लोन की भी लगभग सभी लाइट बंद हो गई थी लोन की एक्का दुक्का लाइट से छनकर आती मामूली रोशनी छत के अँधेरे को दूर नहीं कर रही थी.. पूर्णिमा का चाँद निकला हुआ था मगर बदलो ने उसे ढक लिया था.. छत पर अंधेरा था औऱ किसीका चेहरा देख पाना मुश्किल था..
ऋतू को छत पर बने एक कमरे के बाहर परछाई दिखी जिसे उसने विकर्म समझ लिया औऱ ऋतू बोली - बोला था ना.. अब मत मिलना मुझसे.. तुम ब्लैकमेल करना बंद क्यों नहीं कर देते मुझे.. मेरी शादी हो चुकी है विक्रम..
परछाई में विकर्म नहीं गौतम था जिसने मुंह पर मास्क लगाया हुआ था औऱ गौतम ने कुछ नहीं कहा तो ऋतू फिर से बोली - मेरी लेने आये हो ना वापस? लो ये कंडोम औऱ जल्दी से मुझे चोदकर निकल जाओ यहां से.. मेरी गलती थी जो तुमको वीडियो बनाने दिया उस रात..
गौतम कंडोम लेकर ऋतू को पलट देता है औऱ उसे झुकाते हुए उसकी पज़ामी का नाड़ा खोलकर पज़ामी नीचे कर देता है, पेंटी भी नीचे सरकाते हुए कुर्ती ऊपर करके अपने लंड पर कंडोम पहन लेता है औऱ पीछे से ऋतू की चुत पर लोडा लगाते हुए एक जोरदार झटके के साथ अपनी बहन ऋतू की चुत चिरते हुए अपना लंड ऋतू की चुत में घुसा देता है...
ऋतू चिल्लाते हुए - अह्ह्ह्ह... ये क्या है.. विक्रम..?? आहहह... इतना बड़ा..
गौतम लंड घुसते ही एक हाथ से ऋतू के बाल पकड़कर झटके पर झटके मारना शुरू कर देता है जिससे ऋतू सिसकती हुई चिल्लाने लगती है औऱ छत पर ऋतू की चुदाई का संग्राम शुरू हो जाता है..
गौतम पीछे से ऋतू की चुत चोदे जा रहा था जिसमे ऋतू भी अब पूरी तरह शामिल हो चुकी थी उसे चोद रहे आदमी पर शक हो रहा था मगर उसे मज़ा आने लगा था औऱ अब वो काम सुख की हवा में बहकर गौतम को विकर्म समझती हुई उससे बात भी करने लगती है जो सिर्फ एक तरफा थी..
गौतम ऋतू की बात का कोई रिप्ली नहीं दे रहा था..
ऋतू - विकर्म क्या हो गया है आज तुम्हे... आहहह... औऱ ये तुम्हारा लंड.. ये आज इतना बड़ा कैसे लग रहा है... आहहह... तुम बदले बदले कैसे लग रहे हो.. विक्रम.. अह्ह्ह्ह.. मज़ा आ रहा है.. चोदो मुझे ऐसे ही चोदो.. अह्ह्ह्ह... फाड़ दो मेरी चुत..
गौतम बिना रुके धक्के पर धक्के लगाता हुआ ऋतू को पीछे से चोद रहा था औऱ चोदते चोदते गौतम ऋतू को छत पर उसी सामान से भरे हुए कमरे में ले आता है जहा उसने सुमन के साथ बातें की थी..
कमरे में घनघोर अँधेरे था औऱ बस लोन में लगे एक बल्ब से हलकी सी रौशनी आ रही थी.. ऋतू औऱ गौतम वहां चुदाई कर रहे थे औऱ चुदाई की आवाज यहां घूंज रही थी..
गौतम ने ऋतू को पलट कर अपनी तरफ मोड़ लिया औऱ दिवार से ऋतू की पीठ लगाते हुए उसकी एक टांग उठा कर उसकी चुत में अपना लंड घुसा कर फिर से तेज़ तेज़ झटको से चोदने लगा जिसमे ऋतू भी काम के वाशीभूत होकर आनंद उठा रही थी.. उसे परवाह नहीं रह गई थी कि उसे चोदने वाला विक्रम है या कोई औऱ..
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ऋतू को चुदाई के दौरान मिले रहे आंनद के बीच शक था कि उसे चोदने वाला विकर्म नहीं है.. औऱ अब वो अपने शक को यकीन में भी बदल लेना चाहती थी मगर उसे मिल रहे सुख ने उसे काफ़ी देर तक रोके रखा औऱ फिर चुदाई के बीच ऋतू ने अपने हाथ से गौतम का मास्क उतार दिया औऱ अँधेरे में बड़ी गौर से उसका गौतम का चेहरा देखा तो वो चौंक पड़ी..
ऋतू का कामसुख गुस्से में बदल गया औऱ वो बोली - ग़ुगु तू... शर्म नहीं आई तुझे अपनी बहन के साथ..
गौतम नीचे से किसी के आने कि आहट सुनकर चुदाई रोकते हुए - दीदी कोई आ रहा है.. चुप रहना वरना हम पकडे जाएंगे..
कमरे के अंदर खिड़की के पास ऋतू औऱ गौतम थे जो एकदूसरे से लिपटे हुए थे गौतम का लंड ऋतू की चुत में अभी भी तनकर खड़ा था वही छत पर एक औरत आकर उसी कमरे की खिड़की के करीब बाहर की तरफ खड़ी हो गई.. गौतम औऱ ऋतू दोनों ही औरत को नहीं देख पाए.. लेकिन फिर एक आदमी आता दिखा औऱ ऋतू औऱ गौतम को आदमी की चाल से औऱ उसकी आवाज से पता चल गया था की ये ऋतू का बाप संजय है..
संजय उस औरत के करीब आकर - क्यों नाराज़ होती हो.. जानबूझकर नहीं कहा कोमल ने वो सब.. तुम तो जानती हो कोमल की जबान कैसी है? वो कभी भी कुछ भी बोल देती है..
औरत रोते हुए - मैं अच्छी तरह जानती हूँ भईया भाभी की जबान कैसी है? एक तो अपनी ही बेटी की शादी में मेहमान बनकर आई हूँ ऊपर से भाभी मुझे अपने अहसान गिनाते हुए ताने मार रही है.. मेरे ग़ुगु को छीनना चाहती है.. ग़ुगु सही कह रहा था.. हम यहां नहीं आते तो ही अच्छा था..
गौतम औऱ ऋतू को आवाज से पता चल चूका था की ये औरत औऱ कोई नहीं गौतम की माँ सुमन है..
संजय - अरे तुम भी कैसी बातें लेकर बैठ गई सुमन.. आज भी बात बात पर नाराज़ होती हो.. कोमल ने हमारी ऋतू को कभी पराया नहीं समझा.. अपनी सगी बेटी समझकर पाला है.. हमारी कितनी मदद की है कोमल ने.. तुम तो सब जानती हो..
सुमन - भईया.. मदद की है तो फ़ायदा भी उठाया है भाभी ने.. ऋतू मेरी बेटी थी जिसे भाभी ने मुझसे छीन लिया..
संजय - छिना नहीं था मदद की थी हमारी.. शादी से पहले जो लड़की माँ बने उसे समाज क्या कहता है जानती हो ना?
ऋतू - ये बात तब याद नहीं थी आपको.. जब आप भाभी को अकेला छोड़कर रात रातभर मेरे साथ सोते थे? मैंने कितना समझा आपको ये सब गलत है पर आप नहीं माने..
संजय - पुरानी बातों पर मिट्टी डाल सुमन.. तू जानती है मैं जितना कोमल से प्यार करता हूँ उससे कहीं ज्यादा तुझसे करता हूँ.. मैं कब से तेरी मदद करने की कोशिश कररहा हूँ पर तू मानती ही नहीं..
सुमन - नहीं चाहिए भईया आपका अहसान.. मैं मेरे ग़ुगु के साथ उसी हाल में खुश हूँ..
संजय - सुमन.. ग़ुगु मेरा भी कुछ लगता है.. उसके लिए मैं कोई अहसान नहीं कर रहा हूँ.. पर मेरी मदद लेने में तो तेरी नाक नीची हो जायेगी ना..
गौतम औऱ ऋतू संजय औऱ सुमन की बात सुनकर ये जान चुके थे कि वो दोनों सुमन की औलादे है.. गौतम ये बात जानकार औऱ भी उत्तेजित हो चूका था कि ऋतू उसीकी बहन है जिसे सुमन औऱ संजय के व्यभिचार से जन्म मिला है.. औऱ ये बात जानने के बाद गौतम के लंड ने ऋतू की चुत में प्यार की पहली बरसात भी कर दी थी जिसे ऋतू महसूस कर सकती थी..
गौतम ने झड़ने के बाद भी ऋतू की चुत से लंड नहीं निकाला औऱ ना ही ऋतू ने गौतम को ऐसा करने का इशारा किया वो दोनों संजय औऱ सुमन की बात सुनने में लीन थे..
सुमन - भाभी तो चाहती नहीं थी कि मेरे कोई औलाद रहे.. तभी तो उस आदमी से मेरी जबरदस्ती शादी करवा दीं.. पहले भाभी ने मेरी ऋतू को मुझसे छीन लिया औऱ फिर मेरे ग़ुगु को भी मुझसे छीनने कि पूरी कोशिश की थी..
संजय - सुमन क्यों गड़े मुर्दे उखाड़ रही हो.. उन बातों को भूल जाओ.. जो हुआ सो हुआ.. अब उन बातों का क्या फ़ायदा..
सुमन - ये बात आप भाभी को क्यों नहीं समझाते.. वो खुद बच्चा पैदा नहीं कर सकती इसमें मेरी गलती थोड़ी है.. पहले माँ से चेतन को छिना.. फिर मुझसे ऋतू को.. फिर ग़ुगु को छीनने की कोशिश की औऱ अब मुझे ही हर दम ताने मारती रहती है.. बता दूँ चेतन को कि वो आपका बेटा नहीं छोटा भाई है? माँ ने कभी कोई शिकायत नहीं कि पर मैं अब बर्दास्त नहीं करुँगी भईया.. अब अगर भाभी ने कुछ औऱ कहा तो मैं भी चुप नहीं रहूंगी.. वो बाँझ है इसमें हमारा क्या दोष?
संजय - सुमन.. पागलपन छोड़.. मैं कोमल से बात करुँगा.. उसने जो कहा गलत था पर तू भी समझती है वो कैसी है फिर उसकी बात को दिल पर क्यों लगाती है..
सुमन गुस्से में चिल्लाकर - क्यों ना लगाऊ दिल से.. ग़ुगु मेरा बच्चा है.. मेरे जीने मरने का सहारा.. भाभी उसे अब मुझसे छीनना चाहती है.. बचपन में उसका मंसूबा कामयाद नहीं हुआ तो अब वापस से उन्होंने कोशिश शुरू कर दीं.. मुझे पैसो का लालच देती है.. मेरे ग़ुगु के लिए मैं सारे जहान कि दौलत छोड़ सकती हूँ..
संजय - क्या फर्क पड़ता है सुमन.. ग़ुगु यहां रहे या वहा.. तू तो जानती है मैंने जो कुछ कमाया है उसे चेतन अकेले नहीं संभाल पायेगा..
सुमन - भईया ग़ुगु को मैंने जन्म दिया है मैंने पाला है.. मैं उसे यहां नहीं छोड़ने वाली. आप भाभी को समझा दीजिये कि वो मेरे ग़ुगु से दूर रहे औऱ उसका ख्याल छोड़ दे..
ये कहकर सुमन नीचे चली जाती है औऱ उसके पीछे पीछे संजय भी नीचे चला जाता है..
सुमन औऱ संजय के नीचे जाने के बाद ऋतू अपने फ़ोन की फलेशलाइट ऑन करके गौतम का चेहरा देखती है औऱ उससे गुस्से में कहती है..
ऋतू - वो वीडियो कहा से आया तेरे पास?
गौतम फ्लशलाइट अपने चेहरे की तरफ से हटाकर - आपके उस आशिक विक्रम ने फ़ोन में दिखाया था..
ऋतू - तू उसे कैसे जानता है?
गौतम - शादी में मिला था आपके बारे में अनाप शनाप बक रहा था.. उसने आपका वीडियो दिखाया औऱ बाथरूम के पीछे जो आपके साथ किया वो बताया..
ऋतू - तो अब तू भी मुझे ब्लैकमेल करने लगा उसके साथ मिलकर? शर्म नहीं आई तुझे ये सब करते हुए?
गौतम ऋतू की चुत से लंड निकालकर - नहीं दीदी.. मैंने तो उसके फ़ोन से आपके सारे वीडियो डिलीट कर दिए.. औऱ नशे में उसका वीडियो बना लिया.. ये देखो.. मैं आपको सेंड करता हूँ.. अगली बार वो आपको ब्लैकमेल नहीं कर पायेगा.. आप चाहो तो उसे कर सकती हो.. उसका वीडियो भी वायरल कर सकती हो.. मैं तो बस आपको ये बताने के लिए छत पर बुलाया था..
ऋतू फ़ोन साइड में रख कर - बताने के छत पर बुलाया था तो मेरी लेने क्यों लगा?
गौतम सर झुकाकर - आपने ही कंडोम देकर कहा था मैं क्या करता? आप सेक्सी भी लग रही थी..
ऋतू मुस्कुराते हुए - सर ऊपर कर बुद्धू.. तूने विक्रम के साथ ये सब मेरे लिए किया?
गौतम - आप बड़ी बहन हो मेरी.. कोई आपको तंग करें मैं कैसे सहन कर सकता हूँ..
ऋतू हसते हुए - अच्छा तो फिर तुमने क्यों तंग किया अभी मुझे?
गौतम - मैंने कहा किया दीं.. अपने ही बोला था चोदने के लिए.. देखो मेरा तो आपकी चुदाई में कंडोम भी फट गया..
ऋतू हसते हुए घुटनो पर बैठकर गौतम के लंड से कंडोम उतारते हुए - भला कोई कंडोम पहन के भी अपनी बहन चोदता है? ग़ुगु तेरा ये लंड.. कितना बड़ा औऱ मजबूत है.. मुझे तो दर्द हो रहा था इससे चुदवाते हुए..
गौतम - दीदी यार आपकी चुत तो भाभी से भी ज्यादा चौड़ी है.. मेरा लंड तो आसानी से अंदर चला गया.. विक्रम सही कह रहा था पक्की रांड हो आप तो..
ऋतू धीरे धीरे गौतम का लंड हिलाती हुई - सगी बहन को रांड बोलता है.. तुझे तो सबक सीखना पड़ेगा ग़ुगु..
गौतम - अब रांड को रांड ही बोला जाता है दीदी.. यहां बिस्तर नहीं है मुझे सबक सिखाने के चक्कर में आपके गोड़े छील जाएंगे..
ऋतू सिगरेट सुलगाते हुए - छील जाए तो छील जाने दे ग़ुगु.. सुहागरात तो आज तेरी बहन तेरे साथ ही मनाएगी.. पहली बार कोई टक्कर का मर्द मिला है..
गौतम - फिर जीजाजी क्या करेंगे? वो क्या सारी रात हिलाएंगे अपना?
ऋतू - उसकी चिंता तू मत कर ग़ुगु.. वो साला ढीला है.. 2-4 मिनट में थक्के झड़ जाता है.. मैं 5-10 मिनट में उसको निपटा के तेरे पास आ जाउंगी..
गौतम हसते हुए - औऱ वो?
ऋतू - उसे नींद की गोली दे दूंगी.. पक्की खिलाड़ी हूँ मैं भी.. आज तो मेरी रात औऱ मेरी जवानी अपने भाई के नाम है..
गौतम - मत हिलाओ दीदी अब इसे खड़े होने में थोड़ा वक़्त लगेगा.. आज बहुत सारी चुते चोदी है इसने..
ऋतू सिगरेट के कश लेती हुई खड़ी होकर - इसे तो आज पूरी रात खड़ा रहना है..
गौतम - अब नीचे चलते है दीदी.. वरना कोई फिर से ऊपर आ जाएगा.. यहां किसी को चैन नहीं है..
ऋतू कश लेती हुई - सिगरेट तो ख़त्म हो जाए ग़ुगु.. फिर चलते है.. वैसे एक बात बता तुझे कैसे पता आरती भाभी की चुत का.. मुझसे ज्यादा टाइट है उनकी? सच सच बताना तूने कब चोदा भाभी को?
गौतम - कल दोपहर में दीदी.. औऱ आज भी भाभी लहंगा उठा के पीछे ही पड़ गई इसलिए अभी आपके फेरे होने से जस्ट पहले भी चोदना पड़ा..
ऋतू - भाभी तो बहुत चालु निकली.. देवर के साथ ही रासलीला शुरू कर दी..
गौतम - दीदी अब भाभी है.. देवर पर हक़ तो उनका भी है..
ऋतू सिगरेट का कश लेकर - दीदी नहीं ग़ुगु.. नाम से बुलाया कर.. 3-4 साल ही तो बड़ी हूँ तुझसे..
गौतम - जैसा आप कहो ऋतू ज़ी..
ऋतू - आप नहीं तूम.. अब से कोई फॉर्मेलिटी नहीं समझा.. औऱ अब नाराज़ हुआ तो बहुत मारूंगी..
गौतम ऋतू से सिगरेट लेकर फेंकता हुआ - ठीक है ऋतू.. अब चल नीचे..
ऋतू मुस्कुराते हुए - तू अपने कमरे में जा मैं राहुल को सेट करके आती हूँ..
गौतम - मेरे कमरे में तो तेरा पुराना यार लेता हुआ है नशे में धुत होकर.. सारे रूम्स भी फूल है.. अब क्या करें?
ऋतू - एक काम करते है गौतम.. मैं राहुल को सुलाने के बाद तुझे बुलाऊंगी तू मेरे रूम में आ जाना..
गौतम - ठीक है पर मुझे मेरी बहन दुल्हन की तरह सजी हुई चाहिए.. ऐसे सादा सलवार सूट में नहीं..
ऋतू - जैसा तू चाहे ग़ुगु..
ऋतू गौतम से ये कहकर अपने रूम में आ जाती है जहा कुछ देर बाद राहुल भी आ जाता है जो अपने दोस्तों के साथ शराब पिने के करण नशे में था.. राहुल को ऋतू पानी में नींद की दवा देकर जल्दी ही सुला देती है.. इधर गौतम जब अपने कमरे में पहूचता है तो देखता है कि विक्रम उसी तरह नधे में सो रहा है गौतम नहाने चला जाता है औऱ नहाने के बाद जैसे बाथरूम से बाहर आता है उसके कुछ देर बाद ऋतू का फ़ोन आ जाता है औऱ ऋतू गौतम को अपने रूम में आने के लिए कहती है..
गौतम ऋतू के कमरे में आकर - बहुत खूबसूरत लग रही हो ऋतू.. (राहुल को देखकर) बेड पर क्यों सुलाया है इसे?
ऋतू - खुद सो गया..
गौतम राहुल को बेड से उठाकर सोफे पर पटक देता है औऱ ऋतू को बाहों में भरके फूलो से सजी सेज पर आ ऋतू के साथ गिरता है..
ऋतू एक गोली गौतम के मुंह में डाल कर - इसे खा लो गौतम..
गौतम - मुझे इसकी जरुरत नहीं है ऋतू..
ऋतू - खा लो ना ग़ुगु मेरे लिए.. अपनी बहन कि बात नहीं मानोगे?
गौतम - थोड़ी देर बाद तुम ही पछताओगी...
ऋतू - अब बातें ही करते रहोगे क्या कुछ करोगे भी? मेरी चुत में बहुत जोरो से खुजली मचने लगी है ऊपर से तुम्हारा लंड भी ऐसा है कि चुत में लेने कि तलब हो रही है..
गौतम - ऋतू अगर मुझे पहले पता होता कि मेरी बहन इतनी चुदक्कड़ है तो कब का तुझे चोद चूका होता..
ऋतू - गौतम अगर मुझे भी मुझे पहले पता होता कि मेरे भाई के पास इतना बड़ा लंड है तुझे पहले ही अपनी चुत में घुसा लेती.. कितने प्यारे होंठ है तेरे.. बच्चों जैसे..
गौतम - चूमो ना ऋतू.. मेरे ये होंठ कब से तुम्हारे होंठों से मुलाक़ात करना चाहते थे..
ऋतू गौतम को चूमती हुई - आई लव यू गौतम..
गौतम और रितु एक दूसरे के साथ बिस्तर पर लिपटे हुए थे और एक दूसरे को चूम रहे थे जिससे दोनों के मुंह की लार एक दूसरे में घुल रही थी और दोनों को इसमें बहुत ही स्वाद और मजा आ रहा था रितु आज किसी भी कीमत पर गौतम को पा लेना चाहती थी और यही हाल गौतम का था गौतम भी किसी भी कीमत पर आज अपनी बहन ऋतु के साथ वह सब कर लेना चाहता था जो वह सोच चुका था..
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कुछ देर इसी तरह एक दूसरे को चूमने के बाद गौतम और रितु एक दूसरे के गले पर और चेहरे पर अपने अपने प्यार की अपनी-अपनी चुम्मिया बरसने लगे और एक दूसरे को इस बात का एहसास दिलाने लगी कि वह एक दूसरे से कितना आकर्षित है और कितना वह एक दूसरे को पढ़ने की ख्वाहिश रखते हैं..
गौतम और रितु ने एक दूसरे के बदन से एक-एक करके सारे कपड़े उतार कर बिस्तर के एक तरफ फेंक दिए और फिर दोनों लगभग एक सी अवस्था में नंगे होकर एक दूसरे के बदन को चूमने और चाटने लगे..
गौतम की तुलना में ऋतु का हाल और भी ज्यादा बुरा था मुझे तो बिल्कुल पागलों की तरह गौतम को अपनी बाहों में भरे हुए झूम रही थी और उसे अपने मुंह का सारा रस पिलाना चाहती थी.. गौतम रितु के इस व्यवहार से बहुत उत्तेजित हो चुका था और वह भी भर भर के अपने मुंह से ऋतु के मुंह का रस पी रहा था और अपनी बहन की हर इच्छा पूरी कर रहा था.. गौतम पर धीरे-धीरे गोली का नाश होने लगा था मगर उसे अब लगने लगा था कि कहीं ना कहीं जो ऋतू ने भी एक गोली खा ली है और यह उसी का असर है कि कामोतेजना से भरकर उसे चुम औऱ चाट रही है..
ऋतू ने काम उत्तेजना के वशीभूत होकर गौतम के होंठों को इतना जोर से अपने दांतों से काटा की गौतम की चीख निकल गई और वह ऋतु के दांतों से अपने होठों को छुड़वाकर रितु से बोला..
गौतम - पागल हो गई है क्या तू?
ऋतू वापस चूमती हुई - सॉरी छोटे भाई पर आज रात अपनी बहन को माफ़ कर देना..
गौतम रितु की हालत देखकर समझ गया था कि अब रितु काम के शिखर पर पहुंच चुकी है और जब तक उसकी उत्तेजना शांत नहीं हो जाती और उसकी चुत से बरसात का पानी निकाल कर बह नहीं जाता तब तक वह किसी भी बात को समझने और सोचने की हालत में नहीं आएगी इसीलिए गौतम ने अब रितु की काम उत्तेजना को ठंडा करने के लिए उसे अपने नीचे ले लिया..
गौतम ने रितु की टांग चोडी करते हुए उसकी चुत पर अपना लंड सेट करके की झटके में अंदर घुसा दिया अगर ऋतू पर गोली का असर ना होता तो वो चिल्ला पडती मगर इस वक़्त वो मज़े से चुदवाने लगी थी.. गौतम धीरे-धीरे चोदते हुए ऋतु के भारी भरकम चुचे पड़ककर मसलने लगा..
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ऋतू किसी रंडी की तरह सिसकियाँ लेते हुए चुदवाने लगी और उसकी सिस्कारिया पूरे कमरे में गूंजने लगी..
गौतम चोदते हुए ऋतु के चुचो को चूसने और चाटने लगा, मसलते हुए ऋतु के तनकर खड़े हुए चुचक को चूसने लगा..
गौतम की चोदने की रफ्तार के साथ रितु की सिसकारियां और चीख भी तेज होने लगी थी उसकी आवाज और कमरे से बाहर जाने लगी थी और कोई अगर कमरे के आसपास से गुजरता तो ऋतू की आवाज उसके कान में पढ़ जाती..
ऋतू की चुदी हुई चुत में गौतम इतनी जोर जोर से झटके मार रहा था कि अब रितु को भी चुदवाने में दर्द होने लगा था और रितु दर्द और सुख के मिश्रित अनुभव को अनुभव करते हुए गौतम से लिपट गई थी..
दोनों जवान थे और दोनों में सेक्स की गोली खाई थी जिससे दोनों की चुदाई को चलते हुए अब तक एक घंटा हो गया था जिसमें कई बार रितु की नदी बह चुकी थी मगर गौतम अब तक उसी तरह ऋतु की नदी में बाढ़ पर बाढ़ लाये जा रहा था
गौतम ऋतु को पोजीशन बदल बदल कर चोद रहा था कभी वह रितु को अपनी गोद में उठता
तो कभी बिस्तर पर लेटाता
कभी घोड़ी बनता
तो कभी दीवार से चिपकाकर चोदता..
रितु गौतम की हर बात मानते हुए उसके बताए गए हर पोज़ में चुदवा रही थी और गौतम अपनी बहन ऋतू को पिछले एक घंटे से चोदे जा रहा था..
ऋतू की चुत में दर्द अब ख़त्म हो चूका था औऱ जलन शुरू हो चुकी थी.. गौतम का लंड लेने का सुख उस जलन के मुक़ाबले में अतुलनीय था.. ऋतू बिलकुल रांड की तरह गौतम की हर बात मानकर चुदवा रही थी.. गौतम ने लगभग सवा घंटे चोदकर ऋतू की चुत में अपना माल भर दिया फुल ac ने भी दोनों पसीने से तर होकर पानी पानी थे..
ऋतू पेट बल बिस्तर पर लेटी हुई थी औऱ गौतम ऋतू के ऊपर उसकी चुत में लंड गुसाये हुए झड़ने के बाद भी ऋतू को चोद रहा था..
ऋतू - गौतम..
गौतम - हाँ.. बहना...
ऋतू - शुक्रिया भाई.. मेरी सुहागरात को याद गार बनाने के लिए.. ऐसा मज़ा तो आज तक कभी नहीं मिला.. एक बार में इतनी बार कभी नहीं झड़ी..
गौतम - शुक्रिया केसा बहन? तेरा सगा भाई हूँ.. जो तु बोलोगी वो तो मुझे करना ही पड़ेगा..
ऋतू - छोटे भाई .. ये सच्चाई माँ पापा ने हम दोनों से छिपाई है.. चेतन भईया औऱ भाभी को भी इसका नहीं पाता.. इसे छिपी ही रहने देना.. हम जैसे ज़ी रहे है वैसे ठीक है.. मेरी असली माँ कौन है ये सच्चाई कई घर तोड़ सकती है.
गौतम ऋतू की चुत से लंड निकालकर - मुझे फर्क नहीं पड़ता ऋतू कौन क्या है.. मैं बस इतना जानता हूँ की मैं अपनी माँ का दिल नहीं दुखा सकता.. औऱ अब जब मुझे आता चल चूका है की तू भी मेरी सगी बहन है.. तु भी मेरे दिल में उतर चुकी हो..
ऋतू - किस्मत भी कितनी अजीब है गौतम.. हम दोनों सगे भाई बहन है औऱ फिर भी एकदूसरे को इतना पसंद है कि साथ सो रहे है..
गौतम बिस्तर से उठता हुआ - इसमें किसका कसूर है ऋतू.. किसे दोष दे..
ऋतू उठती हुई - छोडो ना छोटे भाई.. हमें एक दूसरे कि जरुरत है.. अब कोई भी रिश्ता हमें एक दूसरे के साथ मिलने से नहीं कोई रोक सकता.. अब तक जो हुआ उसे भूल जाते है.. तुम्हारी नाराजगी ने तुमको इतने साल मुझसे दूर रखा.. पता है कितना कोसा है मैंने अपने आपको तुम्हारे लिए?
गौतम ऋतू का बोबा पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींचते हुए - ऋतू मैं मर्द हूँ किसी बात को दिल से लगा लू तो आसानी से नहीं मानता..
ऋतू - मर्द के साथ साथ भाई भी तो हो मेरे.. मेरी गलती को माफ़ नहीं कर सकते थे तुम?
गौतम ऋतू को दिवार से चिपका कर उसकी एक टांग उठाते हुए - मुंह से माफ़ी मांगी थी तुमने.. अगर चुत से मांगी होती तो कब का माफ़ कर देती मैं तुम्हे बहना..
ऋतू गौतम का लंड पकड़ कर अपनी चुत में घुसाती हुई - लो अब मांगती हूँ अपने छोटे भाई से चुत खोलकर माफ़ी.. करोगे कबूल अपनी बहन को माफी?
गौतम ऋतू की दोनों टांग उठाकर पहला झटका मारते हुए अपना पूरा लंड घुसाकर - कबूल है ऋतू.. तुम्हारे छोटे भाई को तुम्हारी माफ़ी कबूल है..
ऋतू सिसकियाँ लेती हुई - आराम से ग़ुगु.. ये तुम्हारी बहन की छोटी सी चुत है, चम्बल का मैदान नहीं.. एक बार में पूरा घुसा दिया.. हाय.. वापस से दर्द होने लगा है मुझे तो..
गौतम धीरे धीरे धक्के मारते हुए - छोटी सी कहाँ है बहना? तेरी चुत को तो तेरे आशिक़ो ने चोद चोद के चौडा कर दिया है.. मुझे सच में ऐसा लग रहा है जैसे मैं कोई रांड चोद रहा हूँ.. पता नहीं इस गांडु ने तुझे इस फटी हुई चुत के साथ कैसे पसंद कर लिया औऱ शादी कर ली?
ऋतू चुदवाते हुए - दहेज के लालची चुत की सील नहीं पैसो की डील देखते है छोटे भाई..
गौतम मुस्कुराते - ये तो सही कहा बहना.. चल बचपन की तरह अंतराक्षरी खेले?
ऋतू गीतम को चूमती हुई - चुदाई के बीच अंतराक्षरी खेलनी है तुझे?
गौतम - खेलते है ना ऋतू.. चल पहले तू गा..
ऋतू चुदते हुए - मुन्नी बदनाम हुई डार्लिग तेरे लिए.. मैं झंडुबाम हुई डार्लिंग तेरे लिए.. मुन्नी के गाल गुलाबी होंठ शराबी चाल नवावी रे.. मैं आइटम बम हुई डार्लिंग तेरे लिये..
गौतम ऋतू को बेड ओर लेटा कर धीरे धीरे चोदते हुए - ये शाम मास्तानी मदहोश किये जाए.. मुझे चुत तेरी खींचे मेरा लंड लिए जाये.. ये से गा ऋतू..
ऋतू चुदते हुए - ये गलिया ये चोबारा यहां आना ना दोबारा.. अब हम तो भये परदेसी की तेरा यहां कोई नहीं. कि तेरा यहां कोई नहीं.
गौतम ऋतू को बैठा देता है औऱ अपना लोडा उसके मुंह में देकर गाता है - होंठों से छू लो ऋतू, मेरा लंड अमर कर दो.. बन जाओ रांड मेरी, मुझे गांड भी दे दो..
ऋतू मुंह से लंड निकालकर अपने बूब्स के बीच रखकर गौतम को titjob देती हुई - दिल दीवाना ना जाने कब खो गया.. तूने ऐसे चोदा कि कुछ हो गया.. कुछ हो गया.. कुछ हो गया.. कुछ हो गया मेरी जा..
गौतम ऋतू को पीछे धकेल कर उसकी टांग फैलाते हुए उसकी चुत में लंड सेट करके धक्का मरते हुए - जिसका मुझे था इंतजार, जिसके लिए लंड था बेक़रार.. वो घड़ी आ गई आ गई.. आज चुत में तेरी उतर जाना है.. चोद देना है तुझको या चुद जाना है..
ऋतू सिसकियाँ लेते हुए - हर ग़म उठा लूँ तन्हा अकेली.. तेरे लिये भाई लोडा भी झेली.. इतना तुझे प्यार दू.. कपडे उतार दूँ.. चोद लो भईया.. चुत भी वार दूँ..
गौतम चोदने कि रफ़्तार बढ़ाते हुए - तुझको ना चोदू तो दिल घबराता है.. चोदके तुझको बहना मुझको चैन आता है.
ऋतू - आराम से ग़ुगु जलन हो रही है..
गौतम लगातार मिशनरी में चोदता हुआ. - सॉरी ऋतू..
गौतम औऱ ऋतू की चुदाई इस बार भी चलती रही औऱ तब तक नहीं रुकी जब तक गौतम ने ऋतू की चुत को चोद चोद कर सुज्जा नहीं दिया.. ऋतू की चुत लाल हो चुकी थी जलन औऱ सूजन भी चुत पर आ चुकी थी डबल रोती की तरह फूली हुई चुत हो चुकी थी ऋतू की...ऋतू की चाल में औऱ ज्यादा लचक आ गई थी..
सुबह के साढ़े पांच बज चुके थे औऱ ऋतू गौतम की बाहों ने नंगी लेटी हुई मुस्कुराते हुए गौतम को देख रही थी.. जो एक हाथ में ऋतू का बोबा पकड़कर ऋतू को अपनी बाहों में जकड़े हुए था औऱ दूसरे हाथ से सिगरेट के कश लगा रहा था.. राहुल अब भी बेसुध सोफे पर पड़ा था.
गौतम सिगरेट बुझाकार - बहना अब मुझे चलना चाहिए.. सुबह होने वाली भीड़ बढ़ जायेगी.. कोई भी तेरे कमरे से निकलते हुए देख सकता है.
ऋतू गौतम के होंठ चूमकर - दिल औऱ चुत लेकर जा रहे हो छोटे भाई.. ख्याल रखना मेरे दिल का..
गौतम उठकर कपडे पहनते हुए - तु भी मेरे दिल का ख्याल रखना ऋतू.. बहुत नाजुक है जल्दी टूट जाता है..
ऋतू मुस्कुराते हुए - एक बार तोड़ चुकी हूँ अब वो गलती नहीं करुँगी..
गौतम रूम से चला जाता है औऱ ऋतू नहाने चली जाती है..
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लाजवाब अपडेटUpdate 43
गौतम - इतने दिनों से बस सोच रही हो आप.. हर्ज ही क्या है आपको रूपा और माधुरी के साथ रहने में? कब से वो दोनों आपको बुला रही हैं मगर आप है की जाना ही नहीं चाहती.. ऐसी छोड़ दो माँ.. हम कब तक इस घर में रहेंगे? आप जो चाहती थी वह होने वाला है आपको एक नया घर मिलने वाला है आप घर की मालकिन बनने वाली हो मगर पता नहीं क्यों आपने अपनेआप को रोका हुआ है.. एक बार फिर से सोच लो माँ.. रूपा और माधुरी दिल की बुरी नहीं है.. वह दोनों आपको अपनी बड़ी बहन की तरह रखने को तैयार है.. आप कहेंगी तो मैं भी उन दोनों से दूरी बनाकर रखूंगा.. आप इस तरह वहां जाने से इंकार मत कीजिए..
गौतम ने समझाते हुए अपनी मां सुमन को यह सब कहा तो सुमन पलटकर गौतम को जवाब देती हुई बोली..
सुमन - मैं नहीं जानती ग़ुगु मेरा रूपा और माधुरी के साथ नहीं रहने का फैसला सही है या गलत.. मगर मैं बस इतना जानती हूं कि मैं तुझे उन दोनों के साथ अब और नहीं देख सकती.. मैं किसी भी कीमत पर रूपा और माधुरी के साथ उस घर में नहीं रहूंगी और ना ही तुझे रहने दूंगी..
गौतम सुमन की बातें सुनकर घर से निकलते हुए उसे कहता है..
गौतम - जैसी आपकी इच्छा माँ.. अगर आप नहीं जाना चाहती तो कोई बात नहीं.. मैं आपके ऊपर यहां से चलने के लिए और दबाव नहीं डालूंगा.. आपके साथ मैं यहां भी आराम से रह सकता हूं.. मैं बस आपकी ख़ुशी के लिए आपको समझा रहा था..
ये कहते हुए गौतम घर से निकल जाता है और कार लेके आदिल के चाचा के घर के पास एक मोड़ पर आकर रजिया को फ़ोन करता है और उसे बहाना बनाकर घर से बुलाकर अपने साथ कार में बैठा कर कहीं जाने के लिए निकल पड़ता है..
गौतम के फोन पर आदिल का फोन आ जाता है जो उसे एक जगह मिलने के लिए कहता है..
गौतम आदिल की बताइ किसी जगह पहुंचता है तो देखा है कि आदिल अपने मामू की लड़की नरगिस के साथ खड़ा था.
शाम के 5:00 बजे का समय था और इस वक्त आदिल नरगिस के साथ एक पार्क के पास खड़ा था साथ ही उसके करीब उसके मामा की लड़की नरगिस भी खड़ी थी जो की बुर्के में थी. गौतम रजिया को लेकर उसी पार्क के पास आदिल की खड़ी जगह आ जाता है..
आदिल रज़िया को देखता है तो वो चौंक जाता है रज़िया आदिल को सलाम करती है और आदिल गौतम से कहता है..
आदिल - अबे रज़िया ही मिली थी तुझे?
गौतम - अब तेरी अम्मी को साथ से लाने से मना कर दिया तूने.. तो और किसको लाता? एंट्री चाहिए ना..
आदिल गाडी मैं बैठते हुए - ठीक है चल..
गौतम आदिल नरगिस सबको को गाडी में बैठा लेता है और चल देता है..
आदिल - मास्क तो ले लिये ना तूने?
गौतम - हाँ.. सब है..
नरगिस - मास्क लगाकर फ़िल्म देखेंगे?
आदिल - हाँ ख़ास फ़िल्म है मज़ा आएगा तुझे..
रज़िया - गौतम.. कोनसी फ़िल्म है..
गौतम - अभी पता नहीं.. जाकर पता चलेगा..
नरगिस - कहा जाना है? नया सिनेमाहॉल खुला है?
आदिल - नहीं.. पुराना है.. बहुत ख़ास है.. आसानी से टिकट नहीं मिलती.. बड़ी मुश्किल से मिली है..
रज़िया मुस्कुराते हुए - अच्छा? फ़िल्म देखते टाइम हमारे साथ कुछ ऐसा वैसा तो नहीं करोगे ना..
आदिल नरगिस की चूची पकड़ता हुआ - ज्यादा कुछ नहीं बस एक राउंड लेंगे..
नरगिस आदिल से अपनी चूची छुड़वाते हुए - क्या?
गौतम रज़िया की चुत पर हाथ लगाते हुए - ये..
रज़िया गौतम की तरफ बढ़कर उसके गाल चूमते हुए - सिर्फ एक बार ही लोगे?
गौतम रज़िया के होंठ चूमते हुए - तू एक राउंड ही संभाल लेना मुझे..
आदिल - गौतम मेडिकल पर रोक कंडोम ले लेता हूँ..
गौतम - छोड़ यार.. ये तो तेरे घर की घोड़िया है इनके साथ भी क्या कंडोम लगा के करेंगे?
नरगिस आदिल से - नहीं.. मैं बिना कंडोम नहीं करने दूंगी..
आदिल - रोक ले यार तू.. ले आता हूँ..
गौतम मेडिकल पर ग़ाडी रोकता है और आदिल कंडोम लेने चला जाता है..
रज़िया गौतम के ऊपर चढ़कर उसके होंठो पर टूट पडती है और अपने होंठों से चूमने लगती है जिसे देखकर नरगिस कहती है..
नरगिस - रज़िया तू तो यही शुरु हो गई.. अरे जगह तो देख ले.. लोग है आस पास..
रज़िया kiss तोड़कर - क्या करू नरगिस.. जब पास में ऐसा हसीन लड़का हो तो कैसे सब्र करू..
आदिल कंडोम लेकर आ जाता है साथ अपने लिए सेक्स पावर की गोली भी ले लेता है..
रज़िया वापस सीट पर आ जाती है और गौतम गाडी को चला कर सीधा एक पुरानी ईमारत के पीछे की बेसमेंट में लगा देता है जहा कोई नहीं था सब सुनसान था..
नरगिस - यहां कोनसी मूवी चल रही है? कोई भी तो नहीं है..
रज़िया - हाँ.. यहां तो कोई नहीं है.. और ये इलाका भी बहुत सुनसान है..
आदिल - अरे ऊपर है सिनेमा हॉल..
नरगिस - इस बिल्डिंग में?
आदिल - हाँ..
रज़िया - झूठ मत बोलो आदिल भाई.. तुम दोनों हमें किसी फ्लेट में लेजाकर पेलने वाले लगते हो..
नरगिस - आदिल.. ये क्या मज़ाक़ है.. तुम्हे करना था तो वही कर लेते.. मैंने मना थोड़ी किया था..
गौतम गाडी से उतरते हुए - अरे ख़ुफ़िया फ़िल्म है.. चलो आ जाओ.. चलते है..
गौतम आदिल रजिया और नरगिस के साथ उस पुरानी बिल्डिंग के बेसमेंट में गाड़ी लगाकर आगे की तरफ आ जाता है और सीडीओ से चढ़ता हुआ तीसरी मंजिल पर पहुंचता है.. यहां तक सारा रास्ता सुनसान था और कोई भी नहीं था मगर जैसे ही वह एक दरवाजे से एंट्री लेकर अंदर घुसते हैं वहां बहुत चल पहला और शोर शराब सब कुछ था.. वहां लोगों की भीड़ लगी हुई थी और सब किसी न किसी के साथ थे.. सब ने मास्क लगाया हुआ था और यहां पर गौतम ने भी सबको मास्क लगाने के लिए कह दिया था..
वहां से एक दरवाजे पर एंट्री पॉइंट था जहां पर दो लोग खड़े हुए थे और पर कपल एंट्री कर रहे थे लोग अपनी टिकट दिखाकर अंदर हाल की तरफ जा रहे थे और अपनी-अपनी सीट पर बैठ रहे थे सामने एक बड़ा सा पर्दा था जैसे कि आमतौर पर सिनेमा हॉल में होता है..
इस हाल की खास बात यह थी कि यहां पर हर तरफ से एंटी और एग्जिट प्वाइंट बने हुए थे पूरा कमरा साउंड प्रूफ था जिससे कोई भी शोर बाहर नहीं जा सकता था. सामने का पर्दा भी बिल्कुल सिनेमा हॉल की तरह साफ सुथरा और क्लियर था जिस पर कुछ ही देर में कोई पिक्चर चलने वाली थी..
गौतम ने रजिया के साथ तो आदिल ने नरगिस के साथ एंट्री ली.. एंट्री लेकर चारों सबसे पीछे की सीट पर बैठ गए जो गौतम के फ्रेंड ने रिक्वेस्ट करके दिलवाई थी..
5:00 बजने वाले थे और 6:15 पर पिक्चर शुरू होने वाली थी जो की डेढ़ घंटे की थी.. आज पिक्चर का थीम incest पर था जिसमें पारिवारिक रिश्तों में व्यभिचार को दिखाते हुए अश्लीलता का प्रदर्शन किया जा रहा था.. फिल्म का पोस्टर देखने से ऐसा लगता था कि इसमें घर में होने होने वाले व्यभिचार को कामुकता के रंग में रंगकर परोसा गया है..
सीट पर बैठते ही गौतम ने नरगिस के गले में हाथ डालकर उसे अपनी तरफ खींच लिया और उसके होठों पर अपने होंठो रखते हुए उसके होठों को खींचते हुए इस तरह चुम्मा जैसे कि वह आदिल की गर्लफ्रेंड ना होकर उसकी अपनी गर्लफ्रेंड हो..
नरगिस विरोध करना चाहती थी मगर एकदम से हुए इस हमले पर वह अपनी प्रतिक्रिया देने में असमर्थ थी और उसके होंठ गौतम के होठों के गुलाम बन गए. उसने अपने होठों के जाम गौतम को पिला दिए और जब गौतम उसके होठों को चुमकर चुत पर अपना हाथ रखता है तब नरगिस गौतम को रोक देती है और उसके साथ चुंबन को तोड़ लेती है..
आदिल ये सब देख रहा था मगर उसने गौतम को रोकने का कोई इरादा नहीं किया और ना ही उसने कोई कोशिश की.. वो बस सामने देखता हुआ पर्दे की तरफ देखने लगा..
रज़ीया ने गौतम को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और उसके होठों पर होंठ लगाती हुई बोली..
रज़िया - मैं हूँ ना.. गौतम.. मेरे साथ करो..
गौतम ने रज़िया को चुमा और चूमते हुए उसके बदन का जायजा लेने लगा. उसके बदन और गांड पर हाथ फिरता हुआ वह रजीया को चूमे जा रहा था कि सामने पर्दे पर पिक्चर शुरू हो चुकी थी..
हॉल के अंदर बैठे हुए सभी कपल एक दूसरे के साथ चुम्माचाटी और दूसरी तरह की कामुक हरकतो में लीन हो चुके थे वही सामने फ़िल्म की शुरुआत में दिखाया जा रहा था की एक 45 के करीब की खूबसूरत औरत एक 25 साल के लड़के के आगे घोड़ी बनी हुई थी और लड़का उसे चोद रहा था.
फ्लिम में चुत और लंड का सम्पर्क दिखाते हुए उन दोनों के चेहरे भी दिखाए जाते है.. इसीके साथ सामने दिवार पर लटकी घड़ी में रात के 2 बजे का समय दिखाया जाता है और उसके पास एक तस्वीर दिखाई जाती है जिसमे एक 50 साल का आदमी का चेहरा था जिसकी फोटो पर माला चढ़ी हुई थी.. उसी तस्वीर के करीब बाजू में एक और बड़ी सी तस्वीर थी जिसमे वो आदमी इस वक़्त चुद रही उस औरत के साथ खड़ा था और जो लड़का औरत को चोद रहा था वो उन दोनों के पैर छू रहा था.. जिससे पता चलता है की इस वक़्त जो लड़का जिस औरत को चोद रहा है वो उसकी माँ है और उसके बाप की मौत हो चुकी है..
नरगिस और रज़िया को अब पता चल गया था की ये सेक्स मूवी है.. हाल में बैठे हुए कपल में से बहुत से कपल ने अपने कपड़े साइड में रख दिए थे और अपने लंड और साथ आई लड़की की चुत और चुचो को भी नंगा कर दिया था और सेक्स की शुरुआत कर दी थी..
आदिल सेक्स की गोली खा चुका था और इस वक्त उसने नरगिस को अपनी बाहों में लेकर चूमना शुरू कर दिया था इसी के साथ ही गौतम ने भी रजीया के साथ मुंह मारना शुरू कर दिया था और अपना लंड बाहर निकाल कर रजीया के मुंह में दे दिया था जिसे रजीया बड़ी जोर से चूसते हुए मुस्कुराकर गौतम को देख रही थी..
गौतम रजिया को लंड चूसते हुए नरगिस की चुत पर हाथ रखकर उसकी चुत मसल रहा था.. काजल की बाहों में नरगिस यह समझ नहीं पा रही थी कि उसकी चुत पर किसका हाथ है और वह गौतम को अपनी चुत पर हाथ लगाने से नहीं रोक रही थी.. आदिल में जब नरगिस को अपनी बाहों से थोड़ा ढीला छोड़ तब उसे पता चला कि उसकी चुत पर आदिल का नहीं बल्कि गौतम का हाथ था और उसने गौतम का हाथ हटाने की कोशिश की मगर गौतम ने नरगिस की चुत को कस के पकड़ लिया और मसल दिया जिससे नरगिस की आह निकल गई..
नरगिस की नजर जब गौतम के लंड पर गई तब उसकी आंखें खुली की खुली रह गई और लंड चुस्ती हुई रजिया को देखने के बाद में नरगिस की नजर गौतम के चेहरे पर पड़ी जिसपर एक कातिल मुस्कान छाई हुई थी..
गौतम का लंड देखने के बाद नरगिस ने गौतम के चेहरे पर मुस्कान देखी.. नरगिस भी मुस्कुराते हुए गौतम को देखने लगी और इस बार उसने अपनी चुत से गौतम का हाथ हटाने का कोई इरादा नहीं किया और गौतम को अपनी चुत से छेड़खानी करने की इज़ाज़त दे दीं. गौतम एक हाथ से नरगिस की चुत मसल रहा था दूसरे से अपना लंड चुस्ती हुई रज़िया की चुत को मसल रहा था..
आदिल भी नरगिस के होठों को चूमते हुए उसके बूब्स दबा रहा था और नरगिस के मज़े ले रहा था..
फिल्म मैं आगे दिखाया गया कि वह लड़का उस औरत के साथ घर के हर कोने में रोमांस कर रहा था और रोमांस करते हुए औरत को खुश रख रहा था साथ ही उसके साथ भर भर के चुदाई का काम भी कर रहा था.. दोनों की चुदाई की धमाकेदार आवाजे हॉल के स्पीकर से इतनी देर आ रही थी की हॉल में कपल की चुदाई की आवाजे उसमे दब कर रह जा रही थी..
आदिल ने नरगिस की सलवार नीचे करके उसे घोड़ी बना लिया और गौतम की तरफ नरगिस का मुंह करके पीछे से कंडोम लगाकर चोदने लगा..
गौतम के सामने जब नरगिस का चेहरा आया तो गौतम ने नरगिस के बाल पड़कर उसका चेहरा अपने लंड पर झुका दिया और नरगिस पीछे आदिल से चुदवाते हुए आगे रज़िया की तरह गौतम के लंड को चूसने लग गई..
गौतम के लंड पर रज़िया और नरगिस दोनों का मुंह था और दोनों बड़े चाव से लंड चूसती हुई गौतम के आंड चाट रही थी..
गौतम ने सामने हाल में देखा तो परदे की रोशनी मैं उसे कई कपल चुदाई करते हुए नज़र आ रहे थे उसके पास भी जो कपल बैठा हुआ था सेक्स करने लगा था...
गौतम को अब चुत चोदनी थी उसने नरगिस के मुंह से अपना लंड निकाल लिया और रज़िया की कमर में हाथ डाल कर उसे अपने लंड पर बैठा लिया..
गौतम ने चुत पर लंड लगाते हुए झट से रज़िया की चुत में अपना लंड घुसा दिया.. रज़िया बहुत कामुक लड़की थी उस ने अपनी चुत में गाजर मूली बैगन बैलन लोकी सब घुसाईं हुई थी तो गौतम के लंड को अंदर जाने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई मगर जब आधे से ज्यादा लंड जाने लगा तो रज़िया की चीख निकल गई और गौतम ने उसे चोदना शुरु कर दिया..
रज़िया की सडक छाप कुतिया की तरह सिसकते हुए गौतम के लंड पर उछल रही थी और आदिल नरगिस के बाल पकड़ कर पीछे से उसकी चुत मार रहा था और अब वो झड़ने वाला था.. रज़िया भी गौतम का लंड लेते ही झड़ गई और अब उसकी चुत पूरी गीली थी जिससे लंड ऊपर नीचे होने में ज्यादा दर्द नहीं हो रहा था.. चुदाई चरम पर थी चारो सम्भोग में सुख भोग रहे थे.. फ़िल्म भी अपनी गती से आगे बढ़ रही थी और चुदाई पर चुदाई हो रही थी हॉल में कपल खुलकर एक दूसरे को चोद रहे थे सबकी शर्म निकल चुकी थी..
आदिल भी झड़ गया और सीट पर बैठ गया.. गौतम ने रज़िया को लंड पर से उतार दिया और आगे सीट पर झुका कर पीछे से उसकी चुत मारने लगा.. इसके साथ उसने देखा की नरगिस भी सीट पर बैठकर आदिल का कंडोम बांध कर सीट के नीचे रख रही थी.. गौतम ने थोड़ी देर रज़िया को छोड़ तो वो काम के चरम पर पहुंचकर वापस झड़ गई..
गौतम ने रज़िया छोड़ दिया और नरगिस का हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींच लिया.. नरगिस भी बिना कुछ कहे गौतम के ऊपर आ गई और बिना कंडोम की परवाह किये गौतम के लंड को सिसकारियों और कामुक आवाजो के साथ चुत में ले गई..
गौतम ने नरगिस को गोद में उठाकर चोदना शुरुआत कर दिया जिसे आस पास के कपल देखकर तालिया बजाते हुए शोर करने लगे... .
फ़िल्म आधी ख़त्म हो चुकी थी और आदिल ने अब रज़िया का हाथ पकड़कर उसे सीट पर घुमा लिया और चुत में लंड डाल कर चोदने लगा रज़िया आदिल के लंड से आराम से चुद रही थी और गौतम को देख रही थी जो नरगिस को लोडे पर उछाल उछाल के चोद रहा था. नरगिस झड़ गई और हाफने लगी मगर गौतम चोदे जा रहा था.. और ताबड़तोड़ झटके माररहा था.
गौतम ने इशारे से आदिल को कुछ कहा तो वो रज़िया को छोड़कर गौतम के आगे आ गया और नरगिस के पीछे खड़ा हो गया.. गौतम ने चोदना रोका तो आदिल ने नरगिस की गांड के छेद पर अपना खड़ा लंड लगा के झटका मारा और अपना लंड नरगिस की गांड में पेल दिया..
नरगिस गांड मरवा चुकी थी इससे उसकी गांड में लंड आराम से चला गया और अब वो आदिल और गोतम के बीच आगे पीछे दोनों तरफ से चुद रही थी उसकी चीखे आदिल के कानो में मिश्री बनकर पड़ रही थी.. नरगिस की हालात खराब थी वो दोनों से छोड़ने को कह रही थी मगर दोनों उसको आगे पीछे से चोदे जा रहे थे..
आदिल ने चुदाई के दौरान नरगिस को कौशल की बात बता दीं और गाली देते हुए कहा..
आदिल - मुझे धोखा देगी रंडी.. ले.. चुदाई खानी छिनाल.. लंड चाहिए ना तुझे.. चुद अब..
नरगिस पहले ही इतनी हार्ड चुदाई से थक चुकी थी और अब उसे दर्द हो रहा था वही आदिल की बात सुनकर वो शर्म से लाल हो चुकी थी और अब उसने दोनों से छोड़ने की अपील करना भी बंद कर दिया था..
रज़िया सीट पर बैठी हुई नरगिस की चुदाई देखकर घबरा गई थी और उसने अपनी चुत कपडे से पोंछकर वापस चुदने का इरादा छोड़ दिया रहा..
आदिल और गौतम के साथ नरगिस की चुदाई देखकर लोग तालिया बजाते हुए अपने अपने साथी के साथ मज़े ले रहे थे फ़िल्म में भी चुदाई का सीन चल रहा था जहा माँ रसोई में खाना बनाते हुए बेटे से चुद रही थी..
आदिल वापस झड़ गया और नरगिस की गांड में खाली होकर सीट पर आ बैठा वही अब गौतम भी झड़ने वाला था उसने नरगिस को सीट पर पटक दिया और रज़िया के बाल पकड़कर उसके मुंह को नरगिस के मुंह के पास लाकर दोनों के मुंह के सामने अपना लंड हिलाते हुए उनके मुंह पर अपना वीर्य एक के बाद एक अपनी पिचकारी से कई धार छोड़कर झड़ गया..
नरगिस शर्म और चुदाई से बेहाल थी वही रज़िया दो बार झड़कर संतुष्ट और खुशहाल हो चुकी थी..
फ़िल्म समाप्ति की और थी..
रज़िया ने मुंह में लेकर गौतम का लंड साफ किया और अपने मुंह अपने दुप्पटे से.. नरगिस भी उसी दुप्पटे से मुंह साफ करने लगी..
आदिल का गुस्सा शांत नहीं हुआ था वो दो बार झड़ चूका था और होली खाने से अब भी उसका लंड सख्त था उसने पहिसे नरगिस को सीट पर घोड़ी बना लिया और नरगिस शर्म के मारे बिना कुछ बोले सिसकती हुई वापस आदिल से गांड मरवाने लगी..
थोडी देर बाद गौतम ने आदिल को नरगिस के पीछे से हटा दिया और अपना लंड नरगिस की गांड में घुसा दिया जिससे नर्गिस गला फाड़ फाड़ कर चिल्लाते हुए गांड मराने लगी आदिल के दिल को सुकून मिल गया और उसने रज़िया को भी उसी तरह घोड़ी बना लिया..
अगल बगल रज़िया और नरगिस एक जैसी पोज़ में घोड़ी बने हुए थे.. नरगिस की गांड में गौतम खलबली मचा रहा था और रज़िया की चुत में आदिल उतरा हुआ था मगर रज़िया को उससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ रहा था.. रज़िया अपने दाने को छेड़ती हुई वापस कामुक हो रही थी और आदिल से चुद रही थी वही नरगिस तो ऐसे फसी जैसे रज़िया गुंडों में..
नरगिस ने हाथ जोड़कर गौतम से छोड़ने को कहा तो गौतम को तरस आ गया और उसने नरगिस की गांड से लंड निकाल लिया.. आदिल भी रज़िया के साथ वापस झड़ गया था.
गौतम के लंड पर किसी की नज़र पड़ी तो उसने गौतम को देखकर कहा.. बड़े लंड वाल.. बड़े लंड वाला.. गौतम के आस पास की 3-4 लड़की जो अपने कपल के साथ थी गौतम का लंड देखकर गौतम पर टूट पड़ी और एक साथ उसके लंड को चूसने लगी..
गोतम को अचानक समझ नहीं आया की ये क्या हुआ.. आदिल रज़िया और नरगिस भी ये सब देख रहे थे.. गौतम सामने 4-5 लड़किया बैठकर उसके लंडपर टूट बड़ी किसी ने उसके टट्टे चाटे किसी ने लंड किसी ने जांघ किसी ने झाट वाला हिस्सा.. गौतम कामुकता से वापस भरने गया था..
फ़िल्म ख़त्म होने ही वाली थी और एक एग्जिट point खुल चूका था जहा से अब कपल बाहर जाने लगे थे.. गौतम लड़कियों के चारे के मास्क उतारे तो उसे बेहद खूबसूरत खूबसूरत लड़किया अपने लंड दिखी जो रसीसजाडीया मालूम पडती थी..
आदिल ने गौतम से इशारे ने निकलने को कहा तो गौतम ने उसे इशारे से जाने के लिए कहा और आदिल रज़िया को इशारा करके वहा से जाने लगा आदिल के पीछे पीछे रज़िया भी लचकती हुई निकल गई और नरगिस हॉल में लगी सीट का सहारा लेते लेते बाहर निकली उसकी आज हालात खराब हो चुकी थी.. गौतम का लंड बारी बारी से सबके मुंह में जा रहा था और गौतम को लगने लगा था की अब अगर वो नहीं निकला तो लाइट on हो सकती है और फिर उसका चेहरा कोई भी देख सकता है..
गौतम ने लंड हाथ में लिया और मुठियाते हुए सामने बैठी लड़कियों के ऊपर अपना माल छोड़ दिया और हाल से अपने जीन्स पहनते हुए भागकर निकल गया..
आदिल के दिल में सुकून भर गया था उसके सामने नरगिस शर्म से पानी पानी होकर अपनी गांड पकडे खड़ी थी और रज़िया हसते हुए गौतम के लंड से मिले सुकून को महसूस करते हुए..
हॉल से निकले सब लोग आगे पार्किंग में जारहे रहे और गौतम पीछे पार्किंग में आदिल के पास आ गया..
गौतम कार मैं बैठ गया और बाकी लोग भी बैठ गए आदिल वहां से निकल गया और रास्ते में एक चाय की दूकान पर गाडी रोककर चाय वाले से चार चाय देने को कहते हुए आदिल से नरगिस का हाल पूछने को कहा..
गौतम - लगता है नरगिस नाराज़ है..
आदिल हसते हुए - कौशल की याद आ रही होगी..
नरगिस चुप थी और शर्मिंदा भी..
रज़िया - कितना रगड़ के किया था तुम दोनों ने इसके साथ... मैं तो घबरा ही गई थी कही मुझे भी इसकी तरह ना चुदवाना पड़े..
चायवाला - आपकी चाय..
सबने चायवाले से अपना अपना कुल्हड़ लेके चाय पीना शुरु कर दिया.. नरगिस को समझ नहीं आ रहा था वो क्या करें.. वो चुपचाप चाय पी रही थी..
आदिल ने गौतम के कान में कुछ कहा और गौतम ने रज़िया के कान में.. रज़िया हस्ती हुई दोनों को देखने लगी..
सबने चाय पीकर कुल्हड़ बाहर फेंक दिया.. चायवाला आकर - भाईसाब आपकी 4 चाय के 60 हो गए..
गौतम आदिल को देखकर - मेरी पास तो नहीं है आदिल तू देदे..
आदिल - मेरी पास भी नहीं है यार.. रज़िया तू दे दे..
रज़िया - तुम्हारे पास नहीं है तो मेरी पास कय होंगे... मैं भी बिना पैसे आई थी..
गौतम - नरगिस तुम पैसे दे दो..
नरगिस शर्मिंदगी से - मेरी पास भी नहीं है..
आदिल नरगिस को बिना उसका पर्स लिए ही ले आया था इसलिए वो जानता था नरगिस के पास पैसे नहीं है.. वो गौतम और रज़िया के साथ मिलकर ये नाटक कर रहा था..
चायवाला - इतनी अच्छी कार है भाईसाहब आपके पास.. 60 रुपए तो होंगे ही..
गौतम - आज भूल गया पैसे लाना यार.. कुछ और हो सकता है..
चायवाला - क्या मतलब?
आदिल - अरे भाईसाब आप पीछे आओ ना..
चायवाला पीछे कार की खिड़की में देखता हुआ - क्या?
आदिल नरगिस के चुचे पकड़ कर - भाईसाब पैसे के बदले इसके चुचे चूस लो..
चायवाला हैरानी से चुप था..
आदिल - क्या हुआ भाईसाब? आओ अंदर बैठ जाओ.. चूस लो..
चायवाला कामुकता से भर गया और गाडी के अंदर बैठ गया..
आदिल ने नरगिस के चुचे कुर्ती से बाहर निकाल दिए और चायवाला झपट कर नरगिस के बोबे चूसने लगा.. आदिल और गौतम एक दूसरे को देखकर हसने लगे वही नरगिस चुपचाप शर्मिंदा बैठी हुई चायवाले को चुचे चूसा रही थी..
आदिल - भाईसाब सिगरेट मिलेगी..
चायवाला चुचे चूसता हुआ - अभी लाया भाईसाब..
चायवाला एक बड़ी एडवांस सिगरेट और लाइटर लेके आ गया और आदिल को दे कर वापस नरगिस के चुचे चूसने लगा..
आदिल ने एक कश लेकर सिगरेट गौतम को दे दी..
गौतम सिगरेट के कश लेते हुए चायवाले से बोला - भाईसाहब नाम क्या है आपका..
चायवाला - विनोद कुमार..
गौतम - विनोद भाई एक चाय और पीला दो..
नरगिस विनोद को अब अपने चुचे से हटा कर चुचे कुर्ती में वापस डाल लेती है और मुंह मोड़कर बैठ जाती है..
चायवाला - महगाई का टाइम है भाईसाब.. बिना वैसे कैसे चलेगा..
रज़िया विनोद के लंड पर हाथ रखकर - विनोद भाई.. पीला दो ना..
चायवाला विनोद - लता हूँ बहन जी..
आदिल हसते हुए - क्या बात है.. रज़िया रंडी..
रज़िया नरगिस से - नरगिस.. चुप क्यों है..
गौतम - ये तो कौशल बताएगा..
आदिल हसते हुए - सही कहा..
थोड़ी देर बाद चायवाल चाय लेकर आता है और आदिल और गौतम चाय पिने लगते है वही नरगिस चाय नहीं लती और मुंह बनाके बैठ जाती है रज़िया चाय की चुस्की लेकर चाय तो अच्छी बनाई है..
गौतम - हाँ इनाम तो मिलना चाहिए विनोद को..
चायवाला विनोद - क्या भाईसाहब...
गौतम रज़िया से - रज़िया मुंह में लेके thanks बोल विनोद को..
रज़िया हैरानी से - क्या?
आदिल चाय पीते हुए - बोल दे रज़िया.. तेरा क्या जाएगा बेचारे का भला हो जाएगा..
रज़िया कार का दरवाजा खोलकर इधर उधर देखती है और फिर विनोद की जीप खोलकर उसका लंड मुंह मे लेकर 2-3 बार चुस्ती है और thanks you भैया बोल देती है..
विनोद कामुकता से भरा हुआ देखता रह जाता है और सबके जाने के बाद दूकान के पीछे जाकर मुठ मारता है..
गौतम आदिल रज़िया और नरगिस को ड्राप करके वापस जब घर आया तो रात के 9 बज रहे थे..
कहा था अब तक? और फ़ोन क्यों नहीं उठाया तूने मेरा?
माँ साइलेंट था फ़ोन पता नहीं चला..
मैं यहां अकेली थी ग़ुगु..
माँ.. पुलिस क्वाटर है.. आसपास पुलिस वाले है.. इतने कैमरा और सेक्विरिटी है.. आप फिर भी डरती हो..
मुझे नहीं पता तू मुझे छोडके मत जाया कर शाम के बाद..
गौतम सुमन को बाहों में लेटा हुआ - अच्छा ठीक है मेरी शहजादी.. अब नहीं जाऊँगा शाम के बाद घर से बाहर...
सुमन मुस्कुराते हुए - खाना खा ले.. कब से इंतजार कर रही थी..
गौतम - क्या बनाया है?
सुमन - प्याज के पराठे तेरे पसंद के..
गौतम के गाल को चूमता हुआ - क्या बात है माँ.. आज तो बहुत प्यार आ रहा है अपने बेटे पर..
सुमन खाना ड़ालते हुए - तू नरकज़ तो नहीं है ना ग़ुगु मेरी फैसले से..
गौतम खाना खाते हुए - नहीं माँ.. रूपा और माधुरी के साथ रहना या ना रहना आपकी मर्ज़ी है.. मैं इसमें आपसे क्यों नाराज़ हूंगा? चलो आप भी खाओ.. मैं जानता हूँ आपने भी नहीं खाया होगा..
सुमन भी उसी प्लेट में गौतम के साथ खाना खाने लगती है और कहती है - ग़ुगु.. तू बता रहा था तेरे एग्जाम शुरु है 3 दिन बाद.. तैयारी ठीक चल रही है ना..
गौतम सुमन को खाना खिलाते हुए - आप फ़िक्र मत करो.. आज तक फ़ैल हुआ हूँ जो अब हूंगा.. टॉप करना नहीं है.. फैला होना नहीं है.. पास हो जाऊंगा..
सुमन - आज से हम अलग अलग सोयेंगे ग़ुगु..
गौतम - क्यों?
सुमन - कल रात तो तू बहक ही गया था.. अगर मैं नहीं रोकती तो तू छोटे ग़ुगु को मेरे अंदर डाल दी देता..
गौतम खाने की प्लेट देते हुए - वो तो मै मज़ाक़ कर रहा था माँ.. आप भी ना... चलो जल्दी आओ माँ मैं वेट कर रहा हूँ बिस्तर में..
सुमन मुस्कुराते हुए दिल ही दिल में गौतम को जाते देखकर मचलने लगी थी..
उसने जल्दी से बर्तन धोकर गौतम के पास की राह ले ली और उसके पास चली गई..
पिछली रात की तरह आज भी गौतम ने सुमन के बदन से चड्डी और ब्रा के अलावा सारे कपडे उतार दिए.. और खूबसूरत भी सिर्फ चड्डी में आ गया और सुमन से लिपटा हुआ थोड़ी देर उससे इधर उधर की बात करके सो गया..
.जबरदस्त अपडेटUpdate 44
अगले दिन दोपहर में..
लीला दरवाजा खोलकर - तू आ गया बेटा?
गौतम - बस आंटी आपका फ़ोन आते ही दौड़ा चला आया.. गाडी चालान जो सीखना था.. घर पर कोई नहीं है ना..
लीला - कोई नहीं है तू अंदर..
गौतम - कहा गये है सब?
लीला - नीरज के पापा शमा को लेके गाज़ियाबाद गए है कल नीरज और मैं भी जाने वाले है वही कोर्ट मैरिज करेंगे इन दोनों की..
गौतम - और नीरज आंटी?
लीला - अरे उसे मैंने सामान लेने भेज दिया है..
गौतम लीला को बाहों में उठा के कमरे के अंदर बिस्तर में ले जाता हुआ - आंटी आपकी सडक बहुत अच्छी है गाडी चलाने में मज़ा आ गया उस दिन..
लीला बिस्तर में साडी उठाकर - आज सडक की सफाई की है बेटा.. और मज़ा आएगा.
गौतम पेंट खोलकर लंड चुत पर लगाने ही वाला था की नीरज आ गया और उसने ये सब देख लिया.
गौतम नीरज को देखकर लीला से - आंटी केसा गांडू बेटा पैदा किया है? हर बार गलत टाइम पर आता है..
नीरज चौंकते हुए - साले तू फिर से मेरी माँ चोद रहा है..
गौतम - तो क्या जबरदस्ती चोद रहा हूँ गांडू? देख नहीं रहा कैसे तेरी माँ टागे खोलके पड़ी मेरी सामने चुदने के लिए..
लीला अपनी चुत को साडी से ढकती हुई नीरज से - तू इतनी जल्दी कैसे आ गया?
नीरज गुस्से से - जिस दुकान पे आपने भेजा था वो बंद है आज... और मुझे नहीं पता था मुझे दूकान पर भेजकर आप ये गुल खिलाओगी...
गौतम लीला की चुत से साडी ऊपर करके चुत चाटते हुए - अब खड़ा खड़ा क्या अपनी माँ की चुदाई देखेगा गांडू.. जा ना यहां से.. एक घंटे बाद आना..
नीरज लीला से - माँ इसको बोलो यहाँ से चला जाए वरना मेरे हाथ से आज खून हो जाएगा इसका...
लीला सिसकी लेती हुई नीरज से - ये तो यही रहेगा.. तू जा चाय बना.. वरना ये शादी जो तू कर रहा है होने नहीं दूंगी..
नीरज लीला की बात सुनकर खड़ा खड़ा रोने लगता है.. और गौतम चुत चाटने के बाद उसमे अपने लंड पेल देता है और चोदता हुआ बोलता है..
गौतम - अरे क्यों रो रहा है गांडू.. कोनसा तेरी माँ पहली बार चूद रही है...
लीला कामवासना से भरकर - अह्ह्ह इसे रौने दे बैठके... तू चोद मुझे बेटा...
गौतम मिशनरी में झटके मारता हुआ - मज़ा आ रहा है ना आंटी...
लीला - हाँ.. बेटा.. आह्ह..
गौतम नीरज से - नीरज कमाल की चुत है तेरी माँ की... बहुत टाइट है यार.. उफ्फ्फ...
लीला - अह्ह्ह्ह... अह्ह्ह्ह... बेटा.. उम्म्म्म.. अह्ह्ह्ह..
लीला की सिस्कारिया कमरे में गूंजने लगी थी और उसी के साथ में लंड चुत के मिलन से मधुर छप छप की आवाज भी..
नीरज अपने कान पर हाथ लगाकर वही बैठा वो अपनी माँ को चुदते हुए देखकर रो रहा था और गौतम उसे देखकर लीला को जबरदस्त तरीके से चोदे जा रहा था..
गौतम ने मिशनरी के बाद घोड़ी बनाके लंड चुत में पेल दिया और पट पट की आवाज के साथ लीला को चोदने लगा और नीरज से बोला..
गौतम - अबे क्या माल है तेरी माँ.. साले...
लीला - अह्ह्ह.. अह्ह्ह..
गौतम - आंटी आपको तो ब्लू फ़िल्म में होना चाहिए.. बहुत कमाओगी..
लीला - तू दिला दे काम बेटा.. फिल्मो में..
नीरज उठकर आंशू बहाते हुए बाहर जाने लगता है तभी गौतम उससे कहता है..
गौतम - चाय बनाने जा रहा है क्या?
नीरज पलट कर गुस्से से - तेरे लिए चाय बनाऊंगा क्या साले..
गौतम - अबे इतना गुस्सा क्यों है? शमा से चिकनी तो तेरी माँ लीला है.. एक बार चोद के देख शमा को भूल जाएगा..
लीला चुदते हुए सिसकियाँ लेकर - अह्ह्ह बेटा.. कैसी बातें कर रहा है.. आह्ह... अह्ह्ह्ह..
गौतम नीरज से - खड़ा क्या है गांडु? चाय बना रहा है या तेरी माँ को लंड पर बैठाके रसोई में ले जाऊ चाय बनवाने?
लीला - आह्ह... नीरज बना दे बेटा..
गौतम - हाँ.. चाय पीके चला जाऊंगा..
लीला झड़ते हुए - अह्ह्ह... अह्ह्ह...
नीरज रोते हुए रसोई में आकर चाय चढ़ा देता है और अपनी माँ के बारे में सोचने लगता है कि वो कितनी बड़ी वाली रांडी है..
गौतम लीला को उठाके चोदते हुए रसोई में ले आता है..
गौतम नीरज से - भाई हां या ना बोलके बता तो देता.. चाय बना रहा है या नहीं..
फ़ालतू तेरी माँ को कमरे से रसोई में लेके आया..
नीरज रोते हुए - माँ मैं पापा को सब बता दूंगा.. आपके और इस कमीने के बारे में..
लीला चुदते हुए एक थप्पड़ नीरज के गाल पर जड़ देती है और कहती है - सूअर.. ना जाने कोनसी रंडी को उठा के यहां ले आया.. और मुझे धमका रहा है.. बता दे तेरे पापा को.. अरे उसके लंड में दम नहीं है तभी तो इसके लंड पर बैठी हुँ... तेरे लंड में दम था तो तू बैठा लेता मुझे अपने लंड पर..
गौतम लीला कि चुत में झड़ते हुए - अह्ह्ह्ह.. आंटी.. आह्ह... मज़ा आ गया...
नीरज चाय कप में डालकर रख देता है और गौतम लीला को गोद से उतार कर बिना लंड पेंट में डाले चाय पिने लगता है..
गौतम चाय पीता हुआ - तेरी मा तो तेरा लेने के लिए भी तैयार है.. साले डाल क्यों नहीं देता..
लीला साडी सही करते हुए - ये क्या डालेगा डरपोक..
नीरज गुस्से में आकर अपने आंसू पोंछता है और अपनी माँ लीला कि साडी उठा कर अपना लंड लीला की चुत में पेलते हुए कहता है..
नीरज - बहुत गर्मी है ना माँ तेरी चुत में.. अब से मैं तेरी सारी गर्मी दूर करूँगा..
गौतम हसते हुए चाय पीकर रसोई की सिंक में मूतने लगता है और नीरज लीला को चोदने लगता है.. गौतम चाय पीते हुए मूत कर लंड पेंट में डाल लेता है और नीरज और लीला को देखने लगता है..
नीरज रसोई की स्लीब पर लीला को झुकाते हुए लीला को चोद रहा था और अपनी माँ को रांड छिनाल जैसे उपमा से अलंकृत करता है..
गौतम - अब बोल भोस्डिके.. है शमा तेरी माँ के आगे कुछ?
नीरज लीला को चोदते हुए - शमा की बात मत कर मैं उससे प्यार करता हूँ.. और रही बात माँ की तो इसकी चुत की सारी गर्मी अब मैं निकालूँगा..
गौतम जाते हुए - सोने मत देना रात भर आंटी को..
नीरज - इसे तो लंड पर सुलाऊंगा..
लीला मज़े से गौतम को देखकर - बाए बेटा..
गौतम - बाए आंटी...
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कुछ दिन बाद...
रूपा झील के पास करीम की रिक्शा में बैठी हुई सडक को देख रही थी.. गौतम एक बस से उतर कर रिक्शा के पास आ गया और टेक्सी में बैठ गया..
गौतम ने बिना कुछ बोले रूपा के होंठो को अपने होंठों से लगा लिया और चूमकर रूपा से बोला..
गौतम - माफ़ कर दो.. देरी हो गई आने में..
रूपा - करीम.. रिक्शा कहीं ले चल..
करीम - आपा वही ले चलू जहा पहली बार लेकर गया था..
रूपा - हाँ.. ले चल..
गौतम - ज्यादा टाइम नहीं है मम्मी.. रूम ले लेते है किसी होटल में..
रूपा - टाइम क्यों नहीं है..
गौतम - अरे आते आते शाम हो जायेगी.. माँ ने मना किया है शाम के बाद बाहर रहने से.. उन्हें डर लगता है अकेले..
रूपा - हम जल्दी आ जाएंगे..
गौतम - तुम कह रही थी कुछ बात करनी है तुम्हे?
रूपा - वही बैठ कर बात करेंगे..
गौतम रूपा के बूब्स पकड़कर मसलते हुए उसके चेहरे पर चुम्मिया करते हुए - ठीक है..
रूपा गौतम के सर को अपनी गोद में खींच लेती है और अपना ब्लाउज के बटन खोलकर एक चूची गौतम के मुंह पर रख देती जिसे गौतम चूसने लगता है और रूपा साडी का पल्लू गौतम के सर पर डाल कर उसका चहेरा आँचल में छुपा लेती है और रिक्शा से बाहर देखकर इतनी ख़ुशी से मुस्कुराने लगती है जैसे उसे कोई खज़ाना मिल गया हो..
करीब सब बैक मीरर में देख रह था और उसे समझ नहीं आ रहा था की रूपा इतनी खुश क्यों है?
गौतम ने रूपा का दूसरा चुचा भी निकाल लिया और मुंह में लेकर पूरी काम भावना के साथ चुचक चूसते हुए चुचो को चाट चाट कर पिने लगा.. रूपा के बदन में झुनझुनाहट हो रही थी और वो प्यार से गौतम का सर सहला रही थी..
रूपा गौतम को प्यार भरी और ममता भरी आँखों से देखने लगी.. उसे गौतम आज जान से प्यारा लग रहा था उसका करण सिर्फ वही जानती थी..
उसी जगह वापस आने के बाद गौतम ने रूपा को अपनी गोद में बैठा लिया और उसके होंठों का रस लेते हुए बोला - अब बताओ ना मम्मी क्या कह रही थी तुम?
रूपा फिर से गौतम के होंठ चूमते हुए - इतनी भी क्या जल्दी है पहले मुझे मेरे शैतान बच्चे के नजूक लबों को तो मन भरके चुम लेने दे..
गौतम चूमते हुए - सॉरी मम्मी.. मैं माँ को साथ रहने के लिए नहीं मना पाया..
रूपा - कोई बात नहीं नन्हे शैतान.. वैसे भी कल मैं वापस माधुरी के साथ उसी फ्लेट में रहने जा रही हूँ..
गौतम - क्यों?
रूपा पर्स से कुछ डॉक्यूमेंट निकालती हुई - हमने वो घर सुमन दीदी के नाम पर कर दिया है.. और अब मैं और माधुरी दोनों ये चाहते है की तू सुमन के साथ उस छोटे से पुलिसक्वाटर से निकलकर उस घर में रहे..
गौतम - पर इतनी मेहरबानी क्यों?
रूपा - कैसी मेहरबानी? उस घर की असली हक़दार तो सुमन दीदी ही है.. और अब तु इसे लेने से मना मत करना.. तुझे दीदी की कसम..
गौतम रूपा के ब्लाउज में हाथ डालकर - अच्छा ये सब छोडो.. प्यार करना शुरु करें?
रूपा मुस्कुराते हुए गौतम की जीन्स का हुक खोलकर चैन नीचे कर देती है और झट से उसका लंड मुंह में लेकर चूसने लगती है..
गौतम रूपा के पर्स में से सिगरेट लाइटर निकलकर सिगरेट सुलगाते हुए एक दो कश लेकर अपना लंड चुस्ती रूपा को सिगरेट देते हुए कश लेने के लिए कहता है तो रूपा मना कर देती है और लंड चूसने में फिर से मग्न हो जाती है..
गौतम - क्या हुआ मम्मी?
रूपा - मैने सिगरेट छोड़ दी..
गौतम - क्यों?
रूपा - डॉक्टर ने कहा है..
गौतम - डॉक्टर ने क्यों मना किया है?
रूपा - बच्चे को परेशानी होती है..
गौतम - मुझे क्या परेशानी होगी?
रूपा मुंह से लंड निकालकर गौतम को देखते हुए - तुझे नहीं मेरे नन्हे शैतान.. तेरे होने वाले बच्चे को जो मेरे अंदर पल रहा है..
गौतम स्तब्ध भाव से - क्या..
रूपा - क्या नहीं हाँ.. मेरे होने वाले बच्चे के पापा जी..
गौतम - मैं पापा बनने वाला हूँ? बहनचोद.. तुमने बच्चे रोकने वाली पिल्स नहीं ली थी..
रूपा लंड वापस चूसते हुए - तू फ़िक्र मत कर.. मैं संभाल लुंगी.. और मैं ही नहीं माधुरी का भी यही हाल है वो डॉक्टर के पास गई है.. मुझे उस दिन जब हम बाबाजी के पास से आ रहे थे तब पता चला मै पेट से हूँ और माधुरी को आज सुबह..
गौतम मुस्कुराते हुए - यार.. सब माँ बनती है तुम दोनों सीधा दादी बनगी..
रूपा टांग खोलते हुए - अच्छा अब धीरे धीरे चोदना.. पहले वाला शैतान नहीं अब प्यारा वाला शैतान बनकर रहना पड़ेगा तुझे..
गौतम चुत में लंड घुसाकार धीरे धीरे पेलता हुआ - पर तुम जानती हो मम्मी..
रूपा चुदवाते हुए - मैंने कहा ना मैं सभाल लुंगी.. तुझे फ़िक्र करने की जरुरत नहीं है.. बस मिलने जरुर आना.. हम दोनों ने जगमोहन से भी रिश्ता तोड़ दिया है..
गौतम रूपा ब्लाउज खोलकर उसके कबूतर आजाद कर देता है और अपनी टीशर्ट उतारकर रूपा के छाती से अपना सीना सटा देता है और होंठों के करीब होंठ लाकर रूपा की साँसों को महसूस करते हुए उसी तरह चोदते हुए कहता है - मुझे जब भी मौका मिलेग मैं मिलने आऊंगा मम्मी.. छोटी माँ से भी कहना.. आप दोनों अपना और बच्चे का अब और ज्यादा ख्याल रखना..
रूपा चुत में झटके खाकर मुस्कुराते हुए गौतम के होंठों को चुम लेती है और कहती है - हाँ शैतान...
रूपा और गौतम के मिलन में सिर्फ उनके बदन ही नहीं मिल रहे थे बल्कि उनकी आत्मा भी उनके शरीर से निकलकर एक दूसरे को का लेना चाहती थी और इसी उद्देश्य को अपने मन में लिए दोनों एक दूसरे को भोग रहे थे..
प्रेम की जितनी कला रूपा को आती थी वह अपनी कलाओं में गौतम को अपने शरीर का सुख दे रही थी..
गौतम घास में पीठ के बल लेटा हुआ था और रूपा उसके लंड पर बैठकर अपने कबूतरों को मसलती हुई और अपने चेहरे पर कामुकता के भाव लाती हुई इठलात हुई मुस्कुराती हुई गौतम को देखकर आंख मारती हुई और उसे छेढ़ती हुई गौतम के लंड को चुत में लेकर गांड हिलाती हुई सम्भोग और प्रेम के नए आयाम से परिचित करवा रही थी रूपा आज कई बार झड़ी थी उसी तरह जैसे पहली बार गौतम की चुदाई से झडी थी.. और आखिर में गौतम ने भी रूपा की चुत में झटके मारते हुए अपना पानी निकाल दिया..
गौतम - मम्मी...
रूपा - हाँ?
गौतम गांड पकड़ते हुए - प्लीज...
रूपा - अच्छा लेले.. आज गांड भी...
गौतम - मम्मी यार गांड उची करो ना अपनी.. लंड आराम से घुस जाएगा गांड में..
रूपा - धीरे... आहिस्ता घुसाना..
गौतम - फ़िक्र मत करो ज्यादा तकलीफ नहीं दूंगा..
गौतम गांड में लंड का टोपा फंसा कर गांड मारते हुए - लगता है आपसे सच्चा प्यार हो गया है..
रूपा - आहहह ग़ुगु धीरे ना.. बच्चा..
गौतम धीरे धीरे गांड मारते हुए - पता है उस जब उस रात तुम्हे और माँ को साथ में देखा था तब मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था तुम पर मगर फिर माँ के चेहरे पर ख़ुशी देखी तो तुम पर प्यार आने लगा था ..
रूपा - तुम्हारे प्यार ने ही तो मुझे इस तरह झुका रखा है ग़ुगु.. अब तेरे अलावा मुझे कुछ नहीं चाहिए..
गौतम - बहुत टाइट है मम्मी.. बहुत मज़ा आ रहा है अपनी गांड मारने में.. मम्मी आपकी चुत जन्नत तो गांड स्वर्ग का द्वार है सच में.. मेरा निकलने वाला है..
रूपा - ग़ुगु मुंह में देदे..
गौतम - लो मम्मी... आहहह...
रूपा लंड मुंह में लेकर चूसने लगती है.. और कुछ ही पलो में गौतम रूपा के मुंह में झड़ जाता है..
दोनों सम्भोग समाप्त हो चूका था और अब गौतम एक पेड़ के सहारे बैठा हुआ था वही रूपा भी गौतम की गोद में उसके सीने का सहारा लिए बैठी थी..
गौतम - पता है मम्मी जब पहली बार मैं तुमसे मिला था और तुमने वापस आने के लिए अपनी सोने की चैन मुझे दे दी थी तब मुझे लगा था कि तुम बेवकूफ हो.. मगर बाद में समझ आया कि तुम मेरे मोह में पड़ गई थी..
रूपा - मैं तुझे देखते ही समझ गई थी नन्हें शैतान.. कि तू जैसा भी हो दिल का बुरा नहीं है.. ऊपर से तेरी प्यारी सूरत मेरे मन में तेरे लिए ममता भी जगा रही थी..
गौतम अपने वॉलेट से एक मगलसूत्र निकालकर - ये वही चैन है मम्मी.. जो तुमने मुझे कोठे के उस कमरे में दी थी मैंने इसका मगलसूत्र बनवाया है.. अब मैं इसे अपने हाथों से तुम्हारे गले में पहनाना चाहता हूँ..
रूपा आँखों में आंसू लेकर - गौतम...
गौतम मगलसूत्र पहनाकर पास पड़ी कटीली झाडी के एक कांटे से अपना अंगूंठा लगाकर खून की दो बून्द निकाल लेता है और उस अंगूठे के खून से रूपा की मांग भरके कहता है - लो मम्मी अब से तुम पूरी तरह मेरी हुई..
रूपा की आँखों से ख़ुशी के आंसू निकल पड़ते है.. और वो गौतम को गले लगा कर अपने पुरे जीवन के सारे दुख दर्द पीड़ा को भुलाकर नए सपने आँखों में सजा लेती है.. और गौतम के गले लग कर ख़ुशी से रोने लगती है..
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