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moms_bachha

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Update 50


हेमा - सुमन नीचे ही सोजा मेरे पास तेरे पैरों में मोच है ना..
सुमन - ठीक माँ जी..
मानसी - ग़ुगु ऊपर वाले कमरे में चल मैं बिछोना लगा देती हूँ तेरा..
हेमा - जग्गू.. तू भी यही सोजा..
जगमोहन - हाँ माँ... बहुत सालों बाद मौका मिला है.. बहुत बात करनी है आज..
हेमा - कुसुम.. बृजमोहन कहा चला गया?
मानसी ऊपर जाते हुए - कहा जाएंगे माँ जी.. खेत कि तरफ गए है.. या अपनी मंडली की बैठक में होंगे शराब पिने..

गौतम - चाची.. आराम से.. मैं उठा लेता हूँ गद्दा..
मानसी मुस्कुराते हुए - तू मेरा जमाई राजा है ग़ुगु.. तुझसे काम थोड़ी करवाउंगी.. हट मैं खाट पर गद्दा डाल देती हूँ..
गौतम - चाची.. कितना काम करती हो थकती नहीं हो..
मानसी - इसमें थकावट कैसी बेटा.. शहर की औरत थोड़े हूँ जो थोड़ी सी मेहनत में थक जाऊ.. काम करने की आदत है मुझे तो..
गौतम - चाचा ऐसे ही देर तक बाहर रहते है आपको घर में अकेला छोड़कर?
मानसी हसते हुए - वो तो अपनी मर्ज़ी के मालिक है.. उसने कुछ कहना यानी दिवार में सर देना.. ले तेरा बिस्तर तैयार हो गया.. तू आराम कर..
गौतम मानसी का हाथ पकड़ते हुए - चाची आप कहा जा रही हो? थोड़ी देर बैठो ना मेरे साथ..
मानसी गौतम के साथ बैठते हुए - लगता है अकेले सोने में डर लगता है मेरे जमाई को..
गौतम - अब इतना अंधेरा है.. लाइट नहीं है ऊपर से बाहर का बिगड़ा हुआ मौसम.. डर तो लगेगा ही चाची..
मानसी गौतम के गाल चूमते हुए - डरने की क्या बात है बगल वाले कमरे में ही तो हूँ मैं.. कुछ चाहिए हो तो बता देना.. चाची के साथ साथ अब सासु माँ भी तो तू तेरी.. तेरा ख्याल रखना तो मेरा पहला काम है.. वैसे तू खुश तो है ना.. कुसुम के साथ तीन महीने बाद पति पत्नी की तरह रहेगा.. वो बहुत खुश रखेगी तुझे.. कल से तेरे बारे में ही सोच रही थी.. रित निभाने के बाद छत पर क्या बात की तुमने? कहीं कुछ ऐसा वैसा तो नहीं हुआ ना..

गौतम मानसी की गोद में सर रखकर सोते हुए - कहाँ चाची.. वो तो बंधन में आने से पहले कुछ करने को ही तैयार नहीं है.. पहले मेरे ऊपर रोब जमाया फिर मैंने हाथ पकड़ा तो छुड़ा के भाग गई..

मानसी गौतम के सर पर हाथ फेरती हुई - तो ले ले बंधन में.. फिर जो करना हो कर लेना अपनी घरवाली के साथ.. कोई रोकने थोड़ी आएगा तुम दोनों को..
गौतम - वैसे चाची आप बहुत खूबसूरत हो..
मानसी मुस्कुराते हुए - लगता मेरे जमाई की मुझपर नियत खराब है..
गौतम - आप तो दिल की बात जान जाती हो चाची..
मानसी हसते हुए - अपनी नियत सही कर ले मेरे जमाई राजा.. मेरे साथ तेरा कुछ नहीं होने वाला.. और ये बात कुसुम को पता चली तो तेरा हाल बुरा कर देगी.. उसका गुस्सा ऐसा है की दहकती आग.. अब मैं भी सो जाती हूँ जाकर.. इनका पता नहीं कब आएंगे..

गौतम - इतना अधेरा है रात को डर लगा तो?
मानसी - डर लगा तो मेरे पास आकर मुझे बता देना.. अब सो जाओ जमाई राजा..
मानसी अपने कमरे में चली जाती है और गौतम सोने लगता है... करीब दो घंटे बाद गौतम की नींद किसी आहट से खुलती है तो वो देखता है की अँधेरे में कोई आदमी कमरे के दरवाजे पर आ चूका है और उसके कदम बहुत लड़खड़ा रहे है.. गौतम समझ गया था कि ये और कोई नहीं बल्कि उसके चाचा या कहे सगा बाप बृजमोहन था जो नशे में धुत कमरे के दरवाजे पर दिवार का सहारा लेकर खड़ा था और उसके पास आ रहा था..

गौतम समझ चूका था कि बृजमोहन इतना नशे में है कि उससे चला भी नहीं जा रहा.. बृजमोहन लड़खड़ाते हुए अँधेरे में गौतम के बिस्तर तक आ गया और गौतम उठकर एक तरफ खड़ा होकर बृजमोहन को देखने लगा जो अँधेरे में बिस्तर पर लेटते ही बेहद नशे के करण नींद के हवाले हो गया.. बृजमोहन गौतम की जगह अब शराब के नशे ने धुत होकर सो गया था और गौतम अंधरे में उसे देखता ही रह गया था..

नीचे एक लालटेन जल रही थी मगर उसकी रौशनी ऊपर तक नहीं आ सकती थी.. बारिश ने भी आज बिगड़े हुए मौसम का साथ निभाना शुरु कर दिया था और गाँव को भीगाने लगी थी..

गौतम कमरे से बाहर निकल गया और बगल के कमरे जहा मानसी सो रही थी वहा आ गया.. अंधरे में कुछ भी देख पाना मुश्किल था.. गौतम को मुश्किल से कुछ दिखाई दे रहा था उसने आगे बढ़ते हुए इधर उधर संभल के कदम बढ़ाना शुरु कर दिया उसके कदम जब बेड से टकराये वो बेड के ऊपर सो रही मानसी पर गिर गया और मानसी नींद से जागते हुए गुस्से से बोली - आज भी नशे में धुत होकर आये हो.. चला भी नहीं जा रहा क्या तुमसे? कमसे कम आज तो शराब नहीं पीनी चाहिए थी तुमको..
मानसी को भी गौतम कि शकल दिखना मुश्किल था..
गौतम मानसी पर से हट कर बगल में आ गया और मानसी कि बात का कोई जवाब नहीं दिया..

मानसी करवट लेकर वापस सोते हुए बड़बड़ाने लगी - अजीब मुसीबत है.. दिनभर नोकर कि तरह घर में काम करो और रात को बिना देह का सुख भोगे यूँ ही सो जाओ.. तुमसे शादी करना सबसे बड़ी भूल थी..

गौतम मानसी कि बड़बड़ाहट सुन रहा था और सब समझ भी रहा था गौतम जानता था कि ऐसे मौसम में मानसी के बदन कि आग और भड़क रही होगी..

उसने मानसी को आज देह का सुख देने का सोचा मगर उसे सुमन से किया वादा याद आने लगा मगर मानसी की कमर चिकनाहट ने उसका दिल बदल दिया और वो सोचने लगा की सुमन को वो अपने इस काम की भनक नहीं लगने देगा..
गौतम ने अपनी टीशर्ट उतार दी और हलके से मानसी के पीछे उसके करीब आकर अँधेरे में उसकी पीठ फिर कमर पर हाथ रख दिया.. मानसी ने पहले तो दो चार कड़वी बातें कहकर गौतम को बृजमोहन समझते हुए उसका हाथ हटा अपनी कमर से हटा दिया मगर फिर गौतम के करीब आकर उसे पीछे से गले लगाकर अपना हाथ उसके कमर से होते हुए आगे लेजाकर मानसी की चुत पर रखकर धीरे धीरे सहलाने पर मानसी भी गर्म होने लगी और कड़वी बातें बोलना बंद करके गौतम का मोन समर्थन करने लगी..

गौतम ने पहले मानसी की चुत को सहलाया और फिर उसकी साड़ी के अंदर हाथ डालकर उसकी चुत में ऊँगली डालके मानसी की गर्मी महसूस की फिर उसकी गर्दन चूमते हुए अपना दूसरा हाथ उसकी छाती पर ले आया और उसके चुचे मसलने लगा.. मानसी गर्म होते हुए आँख बंद करके गौतम की हरकतो का आनद उठाने लगी.. गौतम ने महसूस किया की मानसी के चुचो पर चुचक तनकर खड़े होगये है और उसकी हिम्मत अब पूरी बुलंदी पर पहुंच गई.. गौतम पीछे से मानसी के कमर और कंधे को चुम और चाट रहा था.. जिससे मानसी अब अपने मुंह से हलकी हलकी काममई आवाजे निकलने लगी थी..

गौतम ने मानसी की शाडी को धीरे धीरे खींचकर उसकी कमर से ऊपर तक उठा दिया और अपनी जीन्स को भी खोल दिया..
मानसी करवट लेकर - आज शराब नहीं पी आपने? और ये आपके बदन को क्या हुआ? ऐसा लग रहा जैसे आपने सीने के सारे बाल कटवा लिए हो..
मानसी कुछ और बोलती इससे पहले गौतम मानसी के ऊपर आ गया और उसके लबों को अपने लबों में भरके चूमने लगा और अपने लंड को पकड़कर मानसी की चुत टटोलते हुए छेद पर रखकर मानसी की गीली फिसलन भरी चुत पर लगाने लगा..

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मानसी पुरे काम के प्रभाव में गौतम के चेहरे को अपने दोनों हाथों से थाम कर इस तरह चूमने लगी जैसे उसे आखिरी बार किसी को चूमना हो.. गौतम अपनी चाची मानसी की मुंह के गीलेपन से रूबरू हो रहा था और मानसी भी इस चुम्बन से काम के दरिया में बही चली जा रही थी.. गौतम ने जब चुम्बन तोड़कर मानसी के गाल और गर्दन पर चुम्बन देना शुरु किया तो मानसी आँख बंद किये हुए ही बोली - आज आपके बदन से खुशबु क्यों आ रही है.. और इतने नाजुक और मुलायम होंठ कैसे हो गए आपके..
गौतम को चुत का छेद मिल गया था और वो अब अपने लंड को मानसी की चुत पर सेट करके अंदर घुसाने लगा था मानसी अपने दोनों हाथों से गौतम को पकडे हुए अपनी टांग फैला कर अपनी चुत में लंड लेने को आतुर हो रही थी उसने ये तक महसूस नहीं किया की उसके पति और गौतम में कितना अंतर है और अब लंड में कितना अंतर है.. मानसी बिगड़े हुए मौसम की बारिश जैसे काम की भावना के साथ बरस रही थी..

गौतम ने वापस मानसी को मुंह से लगा लिया और बिलकुल धीरे धीरे मानसी की गहराई में उतरने लगा... मानसी की चुत पहले ही गाजर मूली घुसाने से बड़ी हो चुकी थी सो लंड को चुत में जाने में ज्यादा दर्द नहीं हुआ मगर फिर भी हल्का दर्द हो ही रहा था.. मानसी को लंड चुत में उतरने हो रहे दर्द से इस बात का शक हुआ की उसके साथ बृजमोहन की जगह कोई और तो नहीं.. मगर अबतक गौतम के लंड का मानसी की चुत से मिलन हो चूका था..

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लंड चुत की गहराई में उतर चूका था..
मानसी ने चुम्बन तोड़कर बड़ी हुई आवाज में सिसकियाँ लेते हुए एक हाथ से बेड के ऊपर अपना फ़ोन तलाशते हुये उठा लिया और उसकी स्क्रीन लाइट से अपने ऊपर लेटे हुए गौतम का चेहरा देखा तो वो हैरानी परेशानी और शर्म से लाल होकर उसी दबी हुई आवाज में बोली..
मानसी - ग़ुगु बेटा तू..
गौतम मानसी के हाथ से फ़ोन लेकर साइड में रखते हुए उसे धीरे धीरे चोदना शुरू करते हुए - ग़ुगु नहीं चाची.. आपका जमाई राजा.. चाचा तो नशे में तेरे बिस्तर पर आकर सो गए.. इसलिए मैं यहां आपके पास आ गया.. आपकी बातों से लगा आप प्यासी हो तो मैंने सोचा मैं ही आज रात आपकी प्यास मिटा देता हूँ..
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मानसी सिसकते हुए - बेटा हट ऊपर से.. ये अनर्थ मत कर.. किसीने देख लिया तो घर में कोहराम मच जाएगा..

गौतम धीरे धीरे चुत में लंड अंदर बाहर करता हुआ - आपने ही कहा था चाची रात के अंधरे में ऊपर कोई नहीं आता.. फिर इतनी फ़िक्र किस बात की.. कुछ देर की बात है.. और इस बरसात में तो किसीके आने का कोई चांस ही नहीं है..
मानसी अपने दोनों हाथ गौतम के कंधो पर रखकर उसके साथ चुदाई के सुख को भोगते हुए - बेटा तू ये बहुत गलत कर रहा है.. अगर किसीको भनक तक लग गई तो न जाने क्या होगा.. तू छोड़ मुझे..
गौतम मानसी की कमर में हाथ डालकर उसकी कमर थाम लेता है और मानसी को नीचे से अपने ऊपर खींचता हुआ खुद बेड पर पीठ के बल लेते जाता है और मानसी को अपने ऊपर ले लेता है.. चुत में लंड अपनी भी पूरी औकात में घुसकर खड़ा था..
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गौतम मानसी के बाल पीछे करके उसके चेहरे को थामते हुए मानसी को होंठ अपने होंठों के करीब लाकर प्यार से - अपने जमाई राजा को मना करोगी चाची.. ये तो गलत बात है.. और वैसे भी हमारे बिच जो हो रहा है ना मैं किसीको बताने वाला ना आप बताओगी..
मानसी काम की अग्नि में अंधी होकर - मुझे तेरे मुलायम बदन और नाजुक होंठ के छूने से ही समझ जाना चाहिए था की तू कौन है.. तू जो करना चाहता है कर ले.. मैं अब मना नहीं करुँगी जमाइराजा.. पर इसके बारे में किसी को कुछ भी ना पता लगे..
ये कहते हुए मानसी गौतम के होंठों पर टूट पडती है और चुदवाते हुए अपना ब्लाउज खोलकर किनारे रखती हुई खुलकर सम्भोग के रास्ते पर अग्रसर हो जाती है..

गौतम नीचे से झटके पर झटके मार रहा था और मानसी झटके खाते हुए गौतम के लब चूमती हुई सिस्कारी भरी जा रही थी बाहर बरसात ने भी बिकराल रूप धारण कर रखा था जो बरसते हुए दोनों के सम्भोग में उठती आवाजो को दबा रही थी..

गौतम के झटको ने मानसी को झड़ने पर मजबूर कर दिया और वो झड़कर गौतम के ऊपर गिर गई मगर गौतम ने चुदाई नहीं रोकी और लगातार ताबड़तोड़ झटके मारते हुए बरसात की छप छप के साथ चुत में लंड की थप थप भी जारी रखी..

मानसी कुछ ही देर में वापस मूंड में आ गई और गौतम के झटके को रोककर खुद उसके लंड पर उछलने लगी..
उछलने के दौरान मानसी ने गौतम के हाथ पकड़ कर अपने चुचो पर रख दिया और उछलते हुए दबवाने लगी.. मानसी के बदन की आग उसकी चुत से पानी बनकर बहाने लगी थी और गौतम को भी नई चुत मिल चुकी थी.. मानसी उछलते उछलते दूसरी बार भी झड़ गई थी और अब ढीली पड़कर गौतम से लिपटकर उसे अपने होंठों की चुम्बन वर्षा से अभीभुत कर रही थी..

गौतम का लंड अभी भी खड़ा का खड़ा था और दूर दूर तक झड़ने का अंदेशा नहीं था गौतम ने अपना चेहरा चुम रही मानसी का बोबा पकड़ के उसे अपने नीचे पेट के बल लिटा लिया और दोनों हाथ से कमर पकड़कर गांड उठाते हुए घोड़ी बनाकर चुत में वापस लंड पेल दिया और मानसी की रेल बनाना शुरु कर दिया..
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गौतम मानसी को घोड़ी बनाके चोदने लगा और उसकी चुत को लंड से और खोदने लगा..
मानसी की कामुक सिसकियाँ कमरे की हवा में काम और सम्भोग की मिठास घोल रही थी..

गाँव के इस घर में गौतम और मानसी के अलावा भी कोई जाग रहा था जो मानसी और गौतम की चुदाई से बेखबर नीचे कमरे में अपने बिस्तर पर टांग फैला के लेटी हुई गौतम की तस्वीर देखते हुए सपनो में उसके साथ सम्भोग करने की कल्पना करती हुई गौतम की तस्वीर को बार बार अपने होंठों से चूमती हुई अपनी बीच वाली को ऊँगली चुत में घुसाये चुत में ऊँगली कर रही थी..
कुसुम ने पिछली रात भी इसी तरह चुत में ऊँगली करते हुए जागकर निकाली थी.. और अब भी वही कर रही थी वो अनजान थी इस बात से की गौतम ऊपर उसकी माँ चोद रहा है..

पिछले एक घंटे में मैं तीन बार झड़ चुकी हूँ तू कब झडेगा बेटा..
गौतम - जब निकलेगा बता दूंगा चाची अभी चुसती रहो..
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मानसी बैड पर बैठी हुई गौतम का लंड मुंह में लिए चूसे जा रही थी और गौतम मानसी के बाल मुट्ठी में पकड़कर उसे लोडा चुसवा रहा था जैसे मानसी उसकी चाची नहीं कोई छिनाल थी..
गौतम लंड चूसाने के बाद वापस मिशनरी में आते हुए मानसी की चुत चोदी और फिर पूरा माल उसकी चुत में झाड़ दिया..
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गौतम रात के 1 बजे मानसी के कमरे में आया था और अब सुबह के 4 बज रहे थे मानसी अभी भी टांग खोलकर गौतम के नीचे लेटी हुई थी.. उसकी आँखों में आंसू थे और दोनों हाथ गौतम के सामने जुड़े हुए थे.. गौतम का लंड अब भी मानसी की चुत में घुसा हुआ था और मानसी हाथ जोड़कर गौतम से अब और नहीं चोदने की विनती कर रही थी..
मानसी - बस कर बेटा.. और कितना चोदेगा.. पता नहीं आज कितनी बार झड़ चुकी हूँ मैं.. अब और नहीं झेल पाउंगी तेरे जैसे मर्द को.. मेरे अंग अंग में दर्द होने लगा है बेटा.. अब सोने दे.. तुझे मेरी कसम..
गौतम - चाची आप तो कई बार झड़ गई मेरा तो अभी तक सिर्फ एक बार हुआ है.. अब मैं क्या करू? कम से कम एक बार और झड़ने दो..
मानसी - बेटा.. तू लेट जा मैं तेरे लंड को मुंह से शांत कर देती हूँ..
गौतम मानसी के ऊपर से हटकर लेटते हुए - ठीक है चाची..

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मानसी गौतम के लंड को चूसने लगती है और जोर जोर से लंड के साथ टट्टे भी चुस्ती हुई गौतम के लंड से माल निकालने की कोशिश करती है..

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काफी मेहनत मसक्कत के बाद गौतम झड़ने वाला होता है तो वो मानसी को लेटा कर उसकी चुत में लंड ड़ालकर चोदते हुए झड़ जाता है और पहले की तरफ इस बार भी मानसी की गहराईयो में काम के अमृत की वर्षा कर देता है और फ़ोन का टोर्च जला कर एक तरफ रख देता है ..
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गौतम - शुक्रिया चाची.. अपने जमाई राजा को इतना सुख देने के लिए..
मानसी गौतम का लंड साफ करते हुए - शकल से तो इतना मासूम और प्यारा दीखता है मगर बिस्तर इतना जालिम है की क्या कहु.. देख मेरी चुत को एक रात में कितनी सुज्जा दी..
गौतम - मानसून सीजन है चाची.. बेटी के साथ माँ तो चाहिए ही मुझे.. अच्छा मैं बाथरूम होके आता हूँ आप सो जाओ कपड़े पहनकर..
मानसी गौतम का मुंह वापस मुंह में लेकर - बाहर बरसात से खीचड़ बन गया है ग़ुगु.. कहा जाएगा.. ला मूत दे मेरे मुंह में..
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गौतम मानसी के मुंह में मूतते हुए - अह्ह्ह चाची.. आप तो दीवाना बना दोगी आज मुझे अपना.. मेरा मूत पानी जैसे पी रही हो..
मानसी मूत पीकर मुंह साफ करते हुए - चल बेटा अब अपनी जीन्स शर्ट पहन और सोजा मैं साडी बाँध लेती हूँ..
जैसा आप कहो चाची.. अब तो मुझे भी नींद आने लगी है... ये कहते हुए गौतम कपड़े पहनकर लेट गया..

मानसी भी पूरी संतुष्ट होकर मुस्कुराते हुए गौतम का सर अपनी छाती से लगाती हुई लेट गई.. और गौतम मानसी के चुचे चूसते हुए सो गया.. और मानसी भी मुस्कुराते हुए गौतम के बाल सहलाती हुई उसका सर चूमकर सो गई...
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सुबह 6 बजे का समय हो चूका था और जैसा कि गांव में अक्सर होता है लोग सुबह सवेरे ही उठकर अपने-अपने काम पर लगा चुके थे आसपास का वातावरण ऐसा था कि मनोरन् दृश्य देखने से ही बनता था गांव की ताजी हवा और रात को हुई बारिश से उठती हुई ठंडी महक सुबह के मौसम को और सुहाना बना रही थी.. गौतम उठ चुका था और उसने देखा कि उसके पास सब उसकी चाची नहीं सो रही.. गौतम उठकर अपना मुंह धोकर छत पर आ गया और काफी देर तक वहीं बैठ रहा.. सुबह के 7:00 बजे उसने देखा कोई ऊपर आ रहा है और जब उसने पीछे मुड़कर देखा तो पाया कि कुसुम हाथों में चाय का प्याला लिए उसी की तरफ बढ़ती हुई चली आ रही है..
कुसुम शरमाते हुए - चाय..
गौतम चाय लेकर साइड में रख देता है और कुसुम का हाथ पकड़ के अपनी बाहों में भरता हुआ कहता है - तूने बताया नहीं कल.. कोनसे होंठो कि बात कर रही थी..
कुसुम अपने लबों पर ऊँगली रखते हुए - इनकी..
गौतम कुसुम के होंठों के करीब अपने होंठो लाते हुए - चुम लु?
कुसुम शरामते हुए - हम्म..
गौतम - देखोगी नहीं मुझे?
कुसुम शर्म से - नहीं...
गौतम - जब तक नहीं देखोगी मैं नहीं चूमने वाला.
कुसुम - मत चूमो.. मुझे लाज आती है..
गौतम गाल पर चूमते हुए - सुहागरात को भी लाज आयेगी तो कैसे काम चलेगा?
कुसुम आँखे उठाते हुए - मेरा पहला चुम्बन है..
गौतम हल्का सा चूमकर - कितने नाजुक लब है तुम्हारे..
कुसुम मुस्कुराते हुए - बिलकुल तुम्हारे जैसे..
गौतम कुसुम कि कमर में हाथ डालकर उसके सीने से लगाता हुआ छत पर बने छज्जर के अंदर लेजाकर उसके होंठों पर अपने होंठो रखकर चूमता हुआ - कुसुम बहुत नाजुक हो तुम.. बिलकुल फूल सी..
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कुसुम अपने लब को गौतम कि गिरफ्त से आजाद करवाते हुए - चाय ठंडी हो जायेगी..
गौतम कुसुम कि जुल्फ पीछे करके गर्दन चूमते हुए - होने दे...
कुसुम गौतम के पेंट में बनते तम्बू को महसूस करने लगती है और समझा जाती है कि गौतम मूंड में आ रहा है..
गौतम गर्दन चूमता हुआ कंधे पर एक निशान देखकर - ये निशान..
कुसुम - बचपन से है.. इतने हैरान क्यों हो.. किसी और के भी कंधे ओर ये निशान है..
गौतम - नहीं.. कुछ नहीं..
कुसुम गौतम को धकेलते हुए - और नहीं.. मैं और कुछ देर रुकी तो तुम आज ही सब कुछ कर डालोगे मेरे साथ..
गौतम मज़ाक़ में - पति को नाराज़ कर रही हो तुम... चला जाऊँगा कहीं दूर छोड़कर..
कुसुम गौतम का गिरेबान पकड़ते हुए - चुपचाप चाय पी लो.. और मुझे ऐसा मज़ाक़ बिलकुल पसंद नहीं है.. इतनी प्यारी सूरत है कहीं मैं इसे बिगाड़ ना दूँ..
गौतम वापस कुसुम के लबों को चूमते हुए - उफ्फ्फ तेरा ये गुस्सा मेरी जान... तब भी वैसा था अब भी वैसा ही है..
कुसुम - तब कब?
गौतम - छोड़.. कुछ नहीं..
कुसुम प्यार और उदासी दोनों के मिले हुए भाव से -कल आये और आज चले भी जाओगे..
गौतम - जाना तो पड़ेगा फिर वापस कैसे आऊंगा..
कुसुम - 3 महीने कैसे रहूंगी मैं..
गौतम - हाय इतना प्यार.. ऐसे प्यार से मत बोल वरना मैं कहीं सारी हद ना पार कर दूँ...
कुसुम मुस्कुराते हुए गौतम को धक्का देकर जाती हुई - पहले अपने साथ ले जाओ मुझे.. फिर जो चाहो कर लेना मेरे पतिदेव...
गौतम छज्जर से बाहर आकर चाय उठता है तो एक आवाज आती है - इसे मत पीना मैं गर्म चाय लाती हूँ..
और कुछ पल बाद कुसुम एक गर्म चाय का कप दूर से छत पर रखकर गौतम को देखते हुए मुस्कुराकर वापस चली गई और गौतम चाय का कप लेकर चाय पीते हुए कुसुम कि मासूमियत भोलेपन और सादगी के बारे में सोचने लगा..

सुबह के 11 बजे गौतम सुमन और जगमोहन के साथ गाँव से वापस घर आने के लिए निकल गया जहा अजमेर रेलवे स्टेशन पर जगमोहन उतर गया और जयपुर जाने के लिए निकल गया.. गौतम जगमोहन को स्टेशन पर छोड़कर सुमन के साथ घर के लिए निकल पड़ा..


 
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Ajju Landwalia

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हेमा - सुमन नीचे ही सोजा मेरे पास तेरे पैरों में मोच है ना..
सुमन - ठीक माँ जी..
मानसी - ग़ुगु ऊपर वाले कमरे में चल मैं बिछोना लगा देती हूँ तेरा..
हेमा - जग्गू.. तू भी यही सोजा..
जगमोहन - हाँ माँ... बहुत सालों बाद मौका मिला है.. बहुत बात करनी है आज..
हेमा - कुसुम.. बृजमोहन कहा चला गया?
मानसी ऊपर जाते हुए - कहा जाएंगे माँ जी.. खेत कि तरफ गए है.. या अपनी मंडली की बैठक में होंगे शराब पिने..

गौतम - चाची.. आराम से.. मैं उठा लेता हूँ गद्दा..
मानसी मुस्कुराते हुए - तू मेरा जमाई राजा है ग़ुगु.. तुझसे काम थोड़ी करवाउंगी.. हट मैं खाट पर गद्दा डाल देती हूँ..
गौतम - चाची.. कितना काम करती हो थकती नहीं हो..
मानसी - इसमें थकावट कैसी बेटा.. शहर की औरत थोड़े हूँ जो थोड़ी सी मेहनत में थक जाऊ.. काम करने की आदत है मुझे तो..
गौतम - चाचा ऐसे ही देर तक बाहर रहते है आपको घर में अकेला छोड़कर?
मानसी हसते हुए - वो तो अपनी मर्ज़ी के मालिक है.. उसने कुछ कहना यानी दिवार में सर देना.. ले तेरा बिस्तर तैयार हो गया.. तू आराम कर..
गौतम मानसी का हाथ पकड़ते हुए - चाची आप कहा जा रही हो? थोड़ी देर बैठो ना मेरे साथ..
मानसी गौतम के साथ बैठते हुए - लगता है अकेले सोने में डर लगता है मेरे जमाई को..
गौतम - अब इतना अंधेरा है.. लाइट नहीं है ऊपर से बाहर का बिगड़ा हुआ मौसम.. डर तो लगेगा ही चाची..
मानसी गौतम के गाल चूमते हुए - डरने की क्या बात है बगल वाले कमरे में ही तो हूँ मैं.. कुछ चाहिए हो तो बता देना.. चाची के साथ साथ अब सासु माँ भी तो तू तेरी.. तेरा ख्याल रखना तो मेरा पहला काम है.. वैसे तू खुश तो है ना.. कुसुम के साथ तीन महीने बाद पति पत्नी की तरह रहेगा.. वो बहुत खुश रखेगी तुझे.. कल से तेरे बारे में ही सोच रही थी.. रित निभाने के बाद छत पर क्या बात की तुमने? कहीं कुछ ऐसा वैसा तो नहीं हुआ ना..

गौतम मानसी की गोद में सर रखकर सोते हुए - कहाँ चाची.. वो तो बंधन में आने से पहले कुछ करने को ही तैयार नहीं है.. पहले मेरे ऊपर रोब जमाया फिर मैंने हाथ पकड़ा तो छुड़ा के भाग गई..

मानसी गौतम के सर पर हाथ फेरती हुई - तो ले ले बंधन में.. फिर जो करना हो कर लेना अपनी घरवाली के साथ.. कोई रोकने थोड़ी आएगा तुम दोनों को..
गौतम - वैसे चाची आप बहुत खूबसूरत हो..
मानसी मुस्कुराते हुए - लगता मेरे जमाई की मुझपर नियत खराब है..
गौतम - आप तो दिल की बात जान जाती हो चाची..
मानसी हसते हुए - अपनी नियत सही कर ले मेरे जमाई राजा.. मेरे साथ तेरा कुछ नहीं होने वाला.. और ये बात कुसुम को पता चली तो तेरा हाल बुरा कर देगी.. उसका गुस्सा ऐसा है की दहकती आग.. अब मैं भी सो जाती हूँ जाकर.. इनका पता नहीं कब आएंगे..

गौतम - इतना अधेरा है रात को डर लगा तो?
मानसी - डर लगा तो मेरे पास आकर मुझे बता देना.. अब सो जाओ जमाई राजा..
मानसी अपने कमरे में चली जाती है और गौतम सोने लगता है... करीब दो घंटे बाद गौतम की नींद किसी आहट से खुलती है तो वो देखता है की अँधेरे में कोई आदमी कमरे के दरवाजे पर आ चूका है और उसके कदम बहुत लड़खड़ा रहे है.. गौतम समझ गया था कि ये और कोई नहीं बल्कि उसके चाचा या कहे सगा बाप बृजमोहन था जो नशे में धुत कमरे के दरवाजे पर दिवार का सहारा लेकर खड़ा था और उसके पास आ रहा था..

गौतम समझ चूका था कि बृजमोहन इतना नशे में है कि उससे चला भी नहीं जा रहा.. बृजमोहन लड़खड़ाते हुए अँधेरे में गौतम के बिस्तर तक आ गया और गौतम उठकर एक तरफ खड़ा होकर बृजमोहन को देखने लगा जो अँधेरे में बिस्तर पर लेटते ही बेहद नशे के करण नींद के हवाले हो गया.. बृजमोहन गौतम की जगह अब शराब के नशे ने धुत होकर सो गया था और गौतम अंधरे में उसे देखता ही रह गया था..

नीचे एक लालटेन जल रही थी मगर उसकी रौशनी ऊपर तक नहीं आ सकती थी.. बारिश ने भी आज बिगड़े हुए मौसम का साथ निभाना शुरु कर दिया था और गाँव को भीगाने लगी थी..

गौतम कमरे से बाहर निकल गया और बगल के कमरे जहा मानसी सो रही थी वहा आ गया.. अंधरे में कुछ भी देख पाना मुश्किल था.. गौतम को मुश्किल से कुछ दिखाई दे रहा था उसने आगे बढ़ते हुए इधर उधर संभल के कदम बढ़ाना शुरु कर दिया उसके कदम जब बेड से टकराये वो बेड के ऊपर सो रही मानसी पर गिर गया और मानसी नींद से जागते हुए गुस्से से बोली - आज भी नशे में धुत होकर आये हो.. चला भी नहीं जा रहा क्या तुमसे? कमसे कम आज तो शराब नहीं पीनी चाहिए थी तुमको..
मानसी को भी गौतम कि शकल दिखना मुश्किल था..
गौतम मानसी पर से हट कर बगल में आ गया और मानसी कि बात का कोई जवाब नहीं दिया..

मानसी करवट लेकर वापस सोते हुए बड़बड़ाने लगी - अजीब मुसीबत है.. दिनभर नोकर कि तरह घर में काम करो और रात को बिना देह का सुख भोगे यूँ ही सो जाओ.. तुमसे शादी करना सबसे बड़ी भूल थी..

गौतम मानसी कि बड़बड़ाहट सुन रहा था और सब समझ भी रहा था गौतम जानता था कि ऐसे मौसम में मानसी के बदन कि आग और भड़क रही होगी..

उसने मानसी को आज देह का सुख देने का सोचा मगर उसे सुमन से किया वादा याद आने लगा मगर मानसी की कमर चिकनाहट ने उसका दिल बदल दिया और वो सोचने लगा की सुमन को वो अपने इस काम की भनक नहीं लगने देगा..
गौतम ने अपनी टीशर्ट उतार दी और हलके से मानसी के पीछे उसके करीब आकर अँधेरे में उसकी पीठ फिर कमर पर हाथ रख दिया.. मानसी ने पहले तो दो चार कड़वी बातें कहकर गौतम को बृजमोहन समझते हुए उसका हाथ हटा अपनी कमर से हटा दिया मगर फिर गौतम के करीब आकर उसे पीछे से गले लगाकर अपना हाथ उसके कमर से होते हुए आगे लेजाकर मानसी की चुत पर रखकर धीरे धीरे सहलाने पर मानसी भी गर्म होने लगी और कड़वी बातें बोलना बंद करके गौतम का मोन समर्थन करने लगी..

गौतम ने पहले मानसी की चुत को सहलाया और फिर उसकी साड़ी के अंदर हाथ डालकर उसकी चुत में ऊँगली डालके मानसी की गर्मी महसूस की फिर उसकी गर्दन चूमते हुए अपना दूसरा हाथ उसकी छाती पर ले आया और उसके चुचे मसलने लगा.. मानसी गर्म होते हुए आँख बंद करके गौतम की हरकतो का आनद उठाने लगी.. गौतम ने महसूस किया की मानसी के चुचो पर चुचक तनकर खड़े होगये है और उसकी हिम्मत अब पूरी बुलंदी पर पहुंच गई.. गौतम पीछे से मानसी के कमर और कंधे को चुम और चाट रहा था.. जिससे मानसी अब अपने मुंह से हलकी हलकी काममई आवाजे निकलने लगी थी..

गौतम ने मानसी की शाडी को धीरे धीरे खींचकर उसकी कमर से ऊपर तक उठा दिया और अपनी जीन्स को भी खोल दिया..
मानसी करवट लेकर - आज शराब नहीं पी आपने? और ये आपके बदन को क्या हुआ? ऐसा लग रहा जैसे आपने सीने के सारे बाल कटवा लिए हो..
मानसी कुछ और बोलती इससे पहले गौतम मानसी के ऊपर आ गया और उसके लबों को अपने लबों में भरके चूमने लगा और अपने लंड को पकड़कर मानसी की चुत टटोलते हुए छेद पर रखकर मानसी की गीली फिसलन भरी चुत पर लगाने लगा..

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मानसी पुरे काम के प्रभाव में गौतम के चेहरे को अपने दोनों हाथों से थाम कर इस तरह चूमने लगी जैसे उसे आखिरी बार किसी को चूमना हो.. गौतम अपनी चाची मानसी की मुंह के गीलेपन से रूबरू हो रहा था और मानसी भी इस चुम्बन से काम के दरिया में बही चली जा रही थी.. गौतम ने जब चुम्बन तोड़कर मानसी के गाल और गर्दन पर चुम्बन देना शुरु किया तो मानसी आँख बंद किये हुए ही बोली - आज आपके बदन से खुशबु क्यों आ रही है.. और इतने नाजुक और मुलायम होंठ कैसे हो गए आपके..
गौतम को चुत का छेद मिल गया था और वो अब अपने लंड को मानसी की चुत पर सेट करके अंदर घुसाने लगा था मानसी अपने दोनों हाथों से गौतम को पकडे हुए अपनी टांग फैला कर अपनी चुत में लंड लेने को आतुर हो रही थी उसने ये तक महसूस नहीं किया की उसके पति और गौतम में कितना अंतर है और अब लंड में कितना अंतर है.. मानसी बिगड़े हुए मौसम की बारिश जैसे काम की भावना के साथ बरस रही थी..

गौतम ने वापस मानसी को मुंह से लगा लिया और बिलकुल धीरे धीरे मानसी की गहराई में उतरने लगा... मानसी की चुत पहले ही गाजर मूली घुसाने से बड़ी हो चुकी थी सो लंड को चुत में जाने में ज्यादा दर्द नहीं हुआ मगर फिर भी हल्का दर्द हो ही रहा था.. मानसी को लंड चुत में उतरने हो रहे दर्द से इस बात का शक हुआ की उसके साथ बृजमोहन की जगह कोई और तो नहीं.. मगर अबतक गौतम के लंड का मानसी की चुत से मिलन हो चूका था..

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लंड चुत की गहराई में उतर चूका था..
मानसी ने चुम्बन तोड़कर बड़ी हुई आवाज में सिसकियाँ लेते हुए एक हाथ से बेड के ऊपर अपना फ़ोन तलाशते हुये उठा लिया और उसकी स्क्रीन लाइट से अपने ऊपर लेटे हुए गौतम का चेहरा देखा तो वो हैरानी परेशानी और शर्म से लाल होकर उसी दबी हुई आवाज में बोली..
मानसी - ग़ुगु बेटा तू..
गौतम मानसी के हाथ से फ़ोन लेकर साइड में रखते हुए उसे धीरे धीरे चोदना शुरू करते हुए - ग़ुगु नहीं चाची.. आपका जमाई राजा.. चाचा तो नशे में तेरे बिस्तर पर आकर सो गए.. इसलिए मैं यहां आपके पास आ गया.. आपकी बातों से लगा आप प्यासी हो तो मैंने सोचा मैं ही आज रात आपकी प्यास मिटा देता हूँ..
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मानसी सिसकते हुए - बेटा हट ऊपर से.. ये अनर्थ मत कर.. किसीने देख लिया तो घर में कोहराम मच जाएगा..

गौतम धीरे धीरे चुत में लंड अंदर बाहर करता हुआ - आपने ही कहा था चाची रात के अंधरे में ऊपर कोई नहीं आता.. फिर इतनी फ़िक्र किस बात की.. कुछ देर की बात है.. और इस बरसात में तो किसीके आने का कोई चांस ही नहीं है..
मानसी अपने दोनों हाथ गौतम के कंधो पर रखकर उसके साथ चुदाई के सुख को भोगते हुए - बेटा तू ये बहुत गलत कर रहा है.. अगर किसीको भनक तक लग गई तो न जाने क्या होगा.. तू छोड़ मुझे..
गौतम मानसी की कमर में हाथ डालकर उसकी कमर थाम लेता है और मानसी को नीचे से अपने ऊपर खींचता हुआ खुद बेड पर पीठ के बल लेते जाता है और मानसी को अपने ऊपर ले लेता है.. चुत में लंड अपनी भी पूरी औकात में घुसकर खड़ा था..
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गौतम मानसी के बाल पीछे करके उसके चेहरे को थामते हुए मानसी को होंठ अपने होंठों के करीब लाकर प्यार से - अपने जमाई राजा को मना करोगी चाची.. ये तो गलत बात है.. और वैसे भी हमारे बिच जो हो रहा है ना मैं किसीको बताने वाला ना आप बताओगी..
मानसी काम की अग्नि में अंधी होकर - मुझे तेरे मुलायम बदन और नाजुक होंठ के छूने से ही समझ जाना चाहिए था की तू कौन है.. तू जो करना चाहता है कर ले.. मैं अब मना नहीं करुँगी जमाइराजा.. पर इसके बारे में किसी को कुछ भी ना पता लगे..
ये कहते हुए मानसी गौतम के होंठों पर टूट पडती है और चुदवाते हुए अपना ब्लाउज खोलकर किनारे रखती हुई खुलकर सम्भोग के रास्ते पर अग्रसर हो जाती है..

गौतम नीचे से झटके पर झटके मार रहा था और मानसी झटके खाते हुए गौतम के लब चूमती हुई सिस्कारी भरी जा रही थी बाहर बरसात ने भी बिकराल रूप धारण कर रखा था जो बरसते हुए दोनों के सम्भोग में उठती आवाजो को दबा रही थी..

गौतम के झटको ने मानसी को झड़ने पर मजबूर कर दिया और वो झड़कर गौतम के ऊपर गिर गई मगर गौतम ने चुदाई नहीं रोकी और लगातार ताबड़तोड़ झटके मारते हुए बरसात की छप छप के साथ चुत में लंड की थप थप भी जारी रखी..

मानसी कुछ ही देर में वापस मूंड में आ गई और गौतम के झटके को रोककर खुद उसके लंड पर उछलने लगी..
उछलने के दौरान मानसी ने गौतम के हाथ पकड़ कर अपने चुचो पर रख दिया और उछलते हुए दबवाने लगी.. मानसी के बदन की आग उसकी चुत से पानी बनकर बहाने लगी थी और गौतम को भी नई चुत मिल चुकी थी.. मानसी उछलते उछलते दूसरी बार भी झड़ गई थी और अब ढीली पड़कर गौतम से लिपटकर उसे अपने होंठों की चुम्बन वर्षा से अभीभुत कर रही थी..

गौतम का लंड अभी भी खड़ा का खड़ा था और दूर दूर तक झड़ने का अंदेशा नहीं था गौतम ने अपना चेहरा चुम रही मानसी का बोबा पकड़ के उसे अपने नीचे पेट के बल लिटा लिया और दोनों हाथ से कमर पकड़कर गांड उठाते हुए घोड़ी बनाकर चुत में वापस लंड पेल दिया और मानसी की रेल बनाना शुरु कर दिया..
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गौतम मानसी को घोड़ी बनाके चोदने लगा और उसकी चुत को लंड से और खोदने लगा..
मानसी की कामुक सिसकियाँ कमरे की हवा में काम और सम्भोग की मिठास घोल रही थी..

गाँव के इस घर में गौतम और मानसी के अलावा भी कोई जाग रहा था जो मानसी और गौतम की चुदाई से बेखबर नीचे कमरे में अपने बिस्तर पर टांग फैला के लेटी हुई गौतम की तस्वीर देखते हुए सपनो में उसके साथ सम्भोग करने की कल्पना करती हुई गौतम की तस्वीर को बार बार अपने होंठों से चूमती हुई अपनी बीच वाली को ऊँगली चुत में घुसाये चुत में ऊँगली कर रही थी..
कुसुम ने पिछली रात भी इसी तरह चुत में ऊँगली करते हुए जागकर निकाली थी.. और अब भी वही कर रही थी वो अनजान थी इस बात से की गौतम ऊपर उसकी माँ चोद रहा है..

पिछले एक घंटे में मैं तीन बार झड़ चुकी हूँ तू कब झडेगा बेटा..
गौतम - जब निकलेगा बता दूंगा चाची अभी चुसती रहो..
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मानसी बैड पर बैठी हुई गौतम का लंड मुंह में लिए चूसे जा रही थी और गौतम मानसी के बाल मुट्ठी में पकड़कर उसे लोडा चुसवा रहा था जैसे मानसी उसकी चाची नहीं कोई छिनाल थी..
गौतम लंड चूसाने के बाद वापस मिशनरी में आते हुए मानसी की चुत चोदी और फिर पूरा माल उसकी चुत में झाड़ दिया..
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गौतम रात के 1 बजे मानसी के कमरे में आया था और अब सुबह के 4 बज रहे थे मानसी अभी भी टांग खोलकर गौतम के नीचे लेटी हुई थी.. उसकी आँखों में आंसू थे और दोनों हाथ गौतम के सामने जुड़े हुए थे.. गौतम का लंड अब भी मानसी की चुत में घुसा हुआ था और मानसी हाथ जोड़कर गौतम से अब और नहीं चोदने की विनती कर रही थी..
मानसी - बस कर बेटा.. और कितना चोदेगा.. पता नहीं आज कितनी बार झड़ चुकी हूँ मैं.. अब और नहीं झेल पाउंगी तेरे जैसे मर्द को.. मेरे अंग अंग में दर्द होने लगा है बेटा.. अब सोने दे.. तुझे मेरी कसम..
गौतम - चाची आप तो कई बार झड़ गई मेरा तो अभी तक सिर्फ एक बार हुआ है.. अब मैं क्या करू? कम से कम एक बार और झड़ने दो..
मानसी - बेटा.. तू लेट जा मैं तेरे लंड को मुंह से शांत कर देती हूँ..
गौतम मानसी के ऊपर से हटकर लेटते हुए - ठीक है चाची..

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मानसी गौतम के लंड को चूसने लगती है और जोर जोर से लंड के साथ टट्टे भी चुस्ती हुई गौतम के लंड से माल निकालने की कोशिश करती है..

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काफी मेहनत मसक्कत के बाद गौतम झड़ने वाला होता है तो वो मानसी को लेटा कर उसकी चुत में लंड ड़ालकर चोदते हुए झड़ जाता है और पहले की तरफ इस बार भी मानसी की गहराईयो में काम के अमृत की वर्षा कर देता है और फ़ोन का टोर्च जला कर एक तरफ रख देता है ..
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गौतम - शुक्रिया चाची.. अपने जमाई राजा को इतना सुख देने के लिए..
मानसी गौतम का लंड साफ करते हुए - शकल से तो इतना मासूम और प्यारा दीखता है मगर बिस्तर इतना जालिम है की क्या कहु.. देख मेरी चुत को एक रात में कितनी सुज्जा दी..
गौतम - मानसून सीजन है चाची.. बेटी के साथ माँ तो चाहिए ही मुझे.. अच्छा मैं बाथरूम होके आता हूँ आप सो जाओ कपड़े पहनकर..
मानसी गौतम का मुंह वापस मुंह में लेकर - बाहर बरसात से खीचड़ बन गया है ग़ुगु.. कहा जाएगा.. ला मूत दे मेरे मुंह में..
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गौतम मानसी के मुंह में मूतते हुए - अह्ह्ह चाची.. आप तो दीवाना बना दोगी आज मुझे अपना.. मेरा मूत पानी जैसे पी रही हो..
मानसी मूत पीकर मुंह साफ करते हुए - चल बेटा अब अपनी जीन्स शर्ट पहन और सोजा मैं साडी बाँध लेती हूँ..
जैसा आप कहो चाची.. अब तो मुझे भी नींद आने लगी है... ये कहते हुए गौतम कपड़े पहनकर लेट गया..

मानसी भी पूरी संतुष्ट होकर मुस्कुराते हुए गौतम का सर अपनी छाती से लगाती हुई लेट गई.. और गौतम मानसी के चुचे चूसते हुए सो गया.. और मानसी भी मुस्कुराते हुए गौतम के बाल सहलाती हुई उसका सर चूमकर सो गई...
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सुबह 6 बजे का समय हो चूका था और जैसा कि गांव में अक्सर होता है लोग सुबह सवेरे ही उठकर अपने-अपने काम पर लगा चुके थे आसपास का वातावरण ऐसा था कि मनोरन् दृश्य देखने से ही बनता था गांव की ताजी हवा और रात को हुई बारिश से उठती हुई ठंडी महक सुबह के मौसम को और सुहाना बना रही थी.. गौतम उठ चुका था और उसने देखा कि उसके पास सब उसकी चाची नहीं सो रही.. गौतम उठकर अपना मुंह धोकर छत पर आ गया और काफी देर तक वहीं बैठ रहा.. सुबह के 7:00 बजे उसने देखा कोई ऊपर आ रहा है और जब उसने पीछे मुड़कर देखा तो पाया कि कुसुम हाथों में चाय का प्याला लिए उसी की तरफ बढ़ती हुई चली आ रही है..
कुसुम शरमाते हुए - चाय..
गौतम चाय लेकर साइड में रख देता है और कुसुम का हाथ पकड़ के अपनी बाहों में भरता हुआ कहता है - तूने बताया नहीं कल.. कोनसे होंठो कि बात कर रही थी..
कुसुम अपने लबों पर ऊँगली रखते हुए - इनकी..
गौतम कुसुम के होंठों के करीब अपने होंठो लाते हुए - चुम लु?
कुसुम शरामते हुए - हम्म..
गौतम - देखोगी नहीं मुझे?
कुसुम शर्म से - नहीं...
गौतम - जब तक नहीं देखोगी मैं नहीं चूमने वाला.
कुसुम - मत चूमो.. मुझे लाज आती है..
गौतम गाल पर चूमते हुए - सुहागरात को भी लाज आयेगी तो कैसे काम चलेगा?
कुसुम आँखे उठाते हुए - मेरा पहला चुम्बन है..
गौतम हल्का सा चूमकर - कितने नाजुक लब है तुम्हारे..
कुसुम मुस्कुराते हुए - बिलकुल तुम्हारे जैसे..
गौतम कुसुम कि कमर में हाथ डालकर उसके सीने से लगाता हुआ छत पर बने छज्जर के अंदर लेजाकर उसके होंठों पर अपने होंठो रखकर चूमता हुआ - कुसुम बहुत नाजुक हो तुम.. बिलकुल फूल सी..
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कुसुम अपने लब को गौतम कि गिरफ्त से आजाद करवाते हुए - चाय ठंडी हो जायेगी..
गौतम कुसुम कि जुल्फ पीछे करके गर्दन चूमते हुए - होने दे...
कुसुम गौतम के पेंट में बनते तम्बू को महसूस करने लगती है और समझा जाती है कि गौतम मूंड में आ रहा है..
गौतम गर्दन चूमता हुआ कंधे पर एक निशान देखकर - ये निशान..
कुसुम - बचपन से है.. इतने हैरान क्यों हो.. किसी और के भी कंधे ओर ये निशान है..
गौतम - नहीं.. कुछ नहीं..
कुसुम गौतम को धकेलते हुए - और नहीं.. मैं और कुछ देर रुकी तो तुम आज ही सब कुछ कर डालोगे मेरे साथ..
गौतम मज़ाक़ में - पति को नाराज़ कर रही हो तुम... चला जाऊँगा कहीं दूर छोड़कर..
कुसुम गौतम का गिरेबान पकड़ते हुए - चुपचाप चाय पी लो.. और मुझे ऐसा मज़ाक़ बिलकुल पसंद नहीं है.. इतनी प्यारी सूरत है कहीं मैं इसे बिगाड़ ना दूँ..
गौतम वापस कुसुम के लबों को चूमते हुए - उफ्फ्फ तेरा ये गुस्सा मेरी जान... तब भी वैसा था अब भी वैसा ही है..
कुसुम - तब कब?
गौतम - छोड़.. कुछ नहीं..
कुसुम प्यार और उदासी दोनों के मिले हुए भाव से -कल आये और आज चले भी जाओगे..
गौतम - जाना तो पड़ेगा फिर वापस कैसे आऊंगा..
कुसुम - 3 महीने कैसे रहूंगी मैं..
गौतम - हाय इतना प्यार.. ऐसे प्यार से मत बोल वरना मैं कहीं सारी हद ना पार कर दूँ...
कुसुम मुस्कुराते हुए गौतम को धक्का देकर जाती हुई - पहले अपने साथ ले जाओ मुझे.. फिर जो चाहो कर लेना मेरे पतिदेव...
गौतम छज्जर से बाहर आकर चाय उठता है तो एक आवाज आती है - इसे मत पीना मैं गर्म चाय लाती हूँ..
और कुछ पल बाद कुसुम एक गर्म चाय का कप दूर से छत पर रखकर गौतम को देखते हुए मुस्कुराकर वापस चली गई और गौतम चाय का कप लेकर चाय पीते हुए कुसुम कि मासूमियत भोलेपन और सादगी के बारे में सोचने लगा..

सुबह के 11 बजे गौतम सुमन और जगमोहन के साथ गाँव से वापस घर आने के लिए निकल गया जहा अजमेर रेलवे स्टेशन पर जगमोहन उतर गया और जयपुर जाने के लिए निकल गया.. गौतम जगमोहन को स्टेशन पर छोड़कर सुमन के साथ घर के लिए निकल पड़ा..


Next on 60❤️

Bahut hi gazab ki update he moms_bachha Bro,

Gugu ne shayad hi kisiko chhoda ho...........

Ab mansi ka hi band baja diya gugu ne............

Bade baba ke pass jana he use ab, suman se kya bahana banakar jayega gugu........

Keep rocking Bro
 

Rajpoot MS

I love my family and friends ....
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बले तो बवाल हे यारा क्या मस्त लिख रहे हो nice

चाची या सासु माँ को भी पेल दिया वाओ..... ❤️♥️❤️♥️❤️🙏
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हेमा - सुमन नीचे ही सोजा मेरे पास तेरे पैरों में मोच है ना..
सुमन - ठीक माँ जी..
मानसी - ग़ुगु ऊपर वाले कमरे में चल मैं बिछोना लगा देती हूँ तेरा..
हेमा - जग्गू.. तू भी यही सोजा..
जगमोहन - हाँ माँ... बहुत सालों बाद मौका मिला है.. बहुत बात करनी है आज..
हेमा - कुसुम.. बृजमोहन कहा चला गया?
मानसी ऊपर जाते हुए - कहा जाएंगे माँ जी.. खेत कि तरफ गए है.. या अपनी मंडली की बैठक में होंगे शराब पिने..

गौतम - चाची.. आराम से.. मैं उठा लेता हूँ गद्दा..
मानसी मुस्कुराते हुए - तू मेरा जमाई राजा है ग़ुगु.. तुझसे काम थोड़ी करवाउंगी.. हट मैं खाट पर गद्दा डाल देती हूँ..
गौतम - चाची.. कितना काम करती हो थकती नहीं हो..
मानसी - इसमें थकावट कैसी बेटा.. शहर की औरत थोड़े हूँ जो थोड़ी सी मेहनत में थक जाऊ.. काम करने की आदत है मुझे तो..
गौतम - चाचा ऐसे ही देर तक बाहर रहते है आपको घर में अकेला छोड़कर?
मानसी हसते हुए - वो तो अपनी मर्ज़ी के मालिक है.. उसने कुछ कहना यानी दिवार में सर देना.. ले तेरा बिस्तर तैयार हो गया.. तू आराम कर..
गौतम मानसी का हाथ पकड़ते हुए - चाची आप कहा जा रही हो? थोड़ी देर बैठो ना मेरे साथ..
मानसी गौतम के साथ बैठते हुए - लगता है अकेले सोने में डर लगता है मेरे जमाई को..
गौतम - अब इतना अंधेरा है.. लाइट नहीं है ऊपर से बाहर का बिगड़ा हुआ मौसम.. डर तो लगेगा ही चाची..
मानसी गौतम के गाल चूमते हुए - डरने की क्या बात है बगल वाले कमरे में ही तो हूँ मैं.. कुछ चाहिए हो तो बता देना.. चाची के साथ साथ अब सासु माँ भी तो तू तेरी.. तेरा ख्याल रखना तो मेरा पहला काम है.. वैसे तू खुश तो है ना.. कुसुम के साथ तीन महीने बाद पति पत्नी की तरह रहेगा.. वो बहुत खुश रखेगी तुझे.. कल से तेरे बारे में ही सोच रही थी.. रित निभाने के बाद छत पर क्या बात की तुमने? कहीं कुछ ऐसा वैसा तो नहीं हुआ ना..

गौतम मानसी की गोद में सर रखकर सोते हुए - कहाँ चाची.. वो तो बंधन में आने से पहले कुछ करने को ही तैयार नहीं है.. पहले मेरे ऊपर रोब जमाया फिर मैंने हाथ पकड़ा तो छुड़ा के भाग गई..

मानसी गौतम के सर पर हाथ फेरती हुई - तो ले ले बंधन में.. फिर जो करना हो कर लेना अपनी घरवाली के साथ.. कोई रोकने थोड़ी आएगा तुम दोनों को..
गौतम - वैसे चाची आप बहुत खूबसूरत हो..
मानसी मुस्कुराते हुए - लगता मेरे जमाई की मुझपर नियत खराब है..
गौतम - आप तो दिल की बात जान जाती हो चाची..
मानसी हसते हुए - अपनी नियत सही कर ले मेरे जमाई राजा.. मेरे साथ तेरा कुछ नहीं होने वाला.. और ये बात कुसुम को पता चली तो तेरा हाल बुरा कर देगी.. उसका गुस्सा ऐसा है की दहकती आग.. अब मैं भी सो जाती हूँ जाकर.. इनका पता नहीं कब आएंगे..

गौतम - इतना अधेरा है रात को डर लगा तो?
मानसी - डर लगा तो मेरे पास आकर मुझे बता देना.. अब सो जाओ जमाई राजा..
मानसी अपने कमरे में चली जाती है और गौतम सोने लगता है... करीब दो घंटे बाद गौतम की नींद किसी आहट से खुलती है तो वो देखता है की अँधेरे में कोई आदमी कमरे के दरवाजे पर आ चूका है और उसके कदम बहुत लड़खड़ा रहे है.. गौतम समझ गया था कि ये और कोई नहीं बल्कि उसके चाचा या कहे सगा बाप बृजमोहन था जो नशे में धुत कमरे के दरवाजे पर दिवार का सहारा लेकर खड़ा था और उसके पास आ रहा था..

गौतम समझ चूका था कि बृजमोहन इतना नशे में है कि उससे चला भी नहीं जा रहा.. बृजमोहन लड़खड़ाते हुए अँधेरे में गौतम के बिस्तर तक आ गया और गौतम उठकर एक तरफ खड़ा होकर बृजमोहन को देखने लगा जो अँधेरे में बिस्तर पर लेटते ही बेहद नशे के करण नींद के हवाले हो गया.. बृजमोहन गौतम की जगह अब शराब के नशे ने धुत होकर सो गया था और गौतम अंधरे में उसे देखता ही रह गया था..

नीचे एक लालटेन जल रही थी मगर उसकी रौशनी ऊपर तक नहीं आ सकती थी.. बारिश ने भी आज बिगड़े हुए मौसम का साथ निभाना शुरु कर दिया था और गाँव को भीगाने लगी थी..

गौतम कमरे से बाहर निकल गया और बगल के कमरे जहा मानसी सो रही थी वहा आ गया.. अंधरे में कुछ भी देख पाना मुश्किल था.. गौतम को मुश्किल से कुछ दिखाई दे रहा था उसने आगे बढ़ते हुए इधर उधर संभल के कदम बढ़ाना शुरु कर दिया उसके कदम जब बेड से टकराये वो बेड के ऊपर सो रही मानसी पर गिर गया और मानसी नींद से जागते हुए गुस्से से बोली - आज भी नशे में धुत होकर आये हो.. चला भी नहीं जा रहा क्या तुमसे? कमसे कम आज तो शराब नहीं पीनी चाहिए थी तुमको..
मानसी को भी गौतम कि शकल दिखना मुश्किल था..
गौतम मानसी पर से हट कर बगल में आ गया और मानसी कि बात का कोई जवाब नहीं दिया..

मानसी करवट लेकर वापस सोते हुए बड़बड़ाने लगी - अजीब मुसीबत है.. दिनभर नोकर कि तरह घर में काम करो और रात को बिना देह का सुख भोगे यूँ ही सो जाओ.. तुमसे शादी करना सबसे बड़ी भूल थी..

गौतम मानसी कि बड़बड़ाहट सुन रहा था और सब समझ भी रहा था गौतम जानता था कि ऐसे मौसम में मानसी के बदन कि आग और भड़क रही होगी..

उसने मानसी को आज देह का सुख देने का सोचा मगर उसे सुमन से किया वादा याद आने लगा मगर मानसी की कमर चिकनाहट ने उसका दिल बदल दिया और वो सोचने लगा की सुमन को वो अपने इस काम की भनक नहीं लगने देगा..
गौतम ने अपनी टीशर्ट उतार दी और हलके से मानसी के पीछे उसके करीब आकर अँधेरे में उसकी पीठ फिर कमर पर हाथ रख दिया.. मानसी ने पहले तो दो चार कड़वी बातें कहकर गौतम को बृजमोहन समझते हुए उसका हाथ हटा अपनी कमर से हटा दिया मगर फिर गौतम के करीब आकर उसे पीछे से गले लगाकर अपना हाथ उसके कमर से होते हुए आगे लेजाकर मानसी की चुत पर रखकर धीरे धीरे सहलाने पर मानसी भी गर्म होने लगी और कड़वी बातें बोलना बंद करके गौतम का मोन समर्थन करने लगी..

गौतम ने पहले मानसी की चुत को सहलाया और फिर उसकी साड़ी के अंदर हाथ डालकर उसकी चुत में ऊँगली डालके मानसी की गर्मी महसूस की फिर उसकी गर्दन चूमते हुए अपना दूसरा हाथ उसकी छाती पर ले आया और उसके चुचे मसलने लगा.. मानसी गर्म होते हुए आँख बंद करके गौतम की हरकतो का आनद उठाने लगी.. गौतम ने महसूस किया की मानसी के चुचो पर चुचक तनकर खड़े होगये है और उसकी हिम्मत अब पूरी बुलंदी पर पहुंच गई.. गौतम पीछे से मानसी के कमर और कंधे को चुम और चाट रहा था.. जिससे मानसी अब अपने मुंह से हलकी हलकी काममई आवाजे निकलने लगी थी..

गौतम ने मानसी की शाडी को धीरे धीरे खींचकर उसकी कमर से ऊपर तक उठा दिया और अपनी जीन्स को भी खोल दिया..
मानसी करवट लेकर - आज शराब नहीं पी आपने? और ये आपके बदन को क्या हुआ? ऐसा लग रहा जैसे आपने सीने के सारे बाल कटवा लिए हो..
मानसी कुछ और बोलती इससे पहले गौतम मानसी के ऊपर आ गया और उसके लबों को अपने लबों में भरके चूमने लगा और अपने लंड को पकड़कर मानसी की चुत टटोलते हुए छेद पर रखकर मानसी की गीली फिसलन भरी चुत पर लगाने लगा..

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मानसी पुरे काम के प्रभाव में गौतम के चेहरे को अपने दोनों हाथों से थाम कर इस तरह चूमने लगी जैसे उसे आखिरी बार किसी को चूमना हो.. गौतम अपनी चाची मानसी की मुंह के गीलेपन से रूबरू हो रहा था और मानसी भी इस चुम्बन से काम के दरिया में बही चली जा रही थी.. गौतम ने जब चुम्बन तोड़कर मानसी के गाल और गर्दन पर चुम्बन देना शुरु किया तो मानसी आँख बंद किये हुए ही बोली - आज आपके बदन से खुशबु क्यों आ रही है.. और इतने नाजुक और मुलायम होंठ कैसे हो गए आपके..
गौतम को चुत का छेद मिल गया था और वो अब अपने लंड को मानसी की चुत पर सेट करके अंदर घुसाने लगा था मानसी अपने दोनों हाथों से गौतम को पकडे हुए अपनी टांग फैला कर अपनी चुत में लंड लेने को आतुर हो रही थी उसने ये तक महसूस नहीं किया की उसके पति और गौतम में कितना अंतर है और अब लंड में कितना अंतर है.. मानसी बिगड़े हुए मौसम की बारिश जैसे काम की भावना के साथ बरस रही थी..

गौतम ने वापस मानसी को मुंह से लगा लिया और बिलकुल धीरे धीरे मानसी की गहराई में उतरने लगा... मानसी की चुत पहले ही गाजर मूली घुसाने से बड़ी हो चुकी थी सो लंड को चुत में जाने में ज्यादा दर्द नहीं हुआ मगर फिर भी हल्का दर्द हो ही रहा था.. मानसी को लंड चुत में उतरने हो रहे दर्द से इस बात का शक हुआ की उसके साथ बृजमोहन की जगह कोई और तो नहीं.. मगर अबतक गौतम के लंड का मानसी की चुत से मिलन हो चूका था..

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लंड चुत की गहराई में उतर चूका था..
मानसी ने चुम्बन तोड़कर बड़ी हुई आवाज में सिसकियाँ लेते हुए एक हाथ से बेड के ऊपर अपना फ़ोन तलाशते हुये उठा लिया और उसकी स्क्रीन लाइट से अपने ऊपर लेटे हुए गौतम का चेहरा देखा तो वो हैरानी परेशानी और शर्म से लाल होकर उसी दबी हुई आवाज में बोली..
मानसी - ग़ुगु बेटा तू..
गौतम मानसी के हाथ से फ़ोन लेकर साइड में रखते हुए उसे धीरे धीरे चोदना शुरू करते हुए - ग़ुगु नहीं चाची.. आपका जमाई राजा.. चाचा तो नशे में तेरे बिस्तर पर आकर सो गए.. इसलिए मैं यहां आपके पास आ गया.. आपकी बातों से लगा आप प्यासी हो तो मैंने सोचा मैं ही आज रात आपकी प्यास मिटा देता हूँ..
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मानसी सिसकते हुए - बेटा हट ऊपर से.. ये अनर्थ मत कर.. किसीने देख लिया तो घर में कोहराम मच जाएगा..

गौतम धीरे धीरे चुत में लंड अंदर बाहर करता हुआ - आपने ही कहा था चाची रात के अंधरे में ऊपर कोई नहीं आता.. फिर इतनी फ़िक्र किस बात की.. कुछ देर की बात है.. और इस बरसात में तो किसीके आने का कोई चांस ही नहीं है..
मानसी अपने दोनों हाथ गौतम के कंधो पर रखकर उसके साथ चुदाई के सुख को भोगते हुए - बेटा तू ये बहुत गलत कर रहा है.. अगर किसीको भनक तक लग गई तो न जाने क्या होगा.. तू छोड़ मुझे..
गौतम मानसी की कमर में हाथ डालकर उसकी कमर थाम लेता है और मानसी को नीचे से अपने ऊपर खींचता हुआ खुद बेड पर पीठ के बल लेते जाता है और मानसी को अपने ऊपर ले लेता है.. चुत में लंड अपनी भी पूरी औकात में घुसकर खड़ा था..
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गौतम मानसी के बाल पीछे करके उसके चेहरे को थामते हुए मानसी को होंठ अपने होंठों के करीब लाकर प्यार से - अपने जमाई राजा को मना करोगी चाची.. ये तो गलत बात है.. और वैसे भी हमारे बिच जो हो रहा है ना मैं किसीको बताने वाला ना आप बताओगी..
मानसी काम की अग्नि में अंधी होकर - मुझे तेरे मुलायम बदन और नाजुक होंठ के छूने से ही समझ जाना चाहिए था की तू कौन है.. तू जो करना चाहता है कर ले.. मैं अब मना नहीं करुँगी जमाइराजा.. पर इसके बारे में किसी को कुछ भी ना पता लगे..
ये कहते हुए मानसी गौतम के होंठों पर टूट पडती है और चुदवाते हुए अपना ब्लाउज खोलकर किनारे रखती हुई खुलकर सम्भोग के रास्ते पर अग्रसर हो जाती है..

गौतम नीचे से झटके पर झटके मार रहा था और मानसी झटके खाते हुए गौतम के लब चूमती हुई सिस्कारी भरी जा रही थी बाहर बरसात ने भी बिकराल रूप धारण कर रखा था जो बरसते हुए दोनों के सम्भोग में उठती आवाजो को दबा रही थी..

गौतम के झटको ने मानसी को झड़ने पर मजबूर कर दिया और वो झड़कर गौतम के ऊपर गिर गई मगर गौतम ने चुदाई नहीं रोकी और लगातार ताबड़तोड़ झटके मारते हुए बरसात की छप छप के साथ चुत में लंड की थप थप भी जारी रखी..

मानसी कुछ ही देर में वापस मूंड में आ गई और गौतम के झटके को रोककर खुद उसके लंड पर उछलने लगी..
उछलने के दौरान मानसी ने गौतम के हाथ पकड़ कर अपने चुचो पर रख दिया और उछलते हुए दबवाने लगी.. मानसी के बदन की आग उसकी चुत से पानी बनकर बहाने लगी थी और गौतम को भी नई चुत मिल चुकी थी.. मानसी उछलते उछलते दूसरी बार भी झड़ गई थी और अब ढीली पड़कर गौतम से लिपटकर उसे अपने होंठों की चुम्बन वर्षा से अभीभुत कर रही थी..

गौतम का लंड अभी भी खड़ा का खड़ा था और दूर दूर तक झड़ने का अंदेशा नहीं था गौतम ने अपना चेहरा चुम रही मानसी का बोबा पकड़ के उसे अपने नीचे पेट के बल लिटा लिया और दोनों हाथ से कमर पकड़कर गांड उठाते हुए घोड़ी बनाकर चुत में वापस लंड पेल दिया और मानसी की रेल बनाना शुरु कर दिया..
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गौतम मानसी को घोड़ी बनाके चोदने लगा और उसकी चुत को लंड से और खोदने लगा..
मानसी की कामुक सिसकियाँ कमरे की हवा में काम और सम्भोग की मिठास घोल रही थी..

गाँव के इस घर में गौतम और मानसी के अलावा भी कोई जाग रहा था जो मानसी और गौतम की चुदाई से बेखबर नीचे कमरे में अपने बिस्तर पर टांग फैला के लेटी हुई गौतम की तस्वीर देखते हुए सपनो में उसके साथ सम्भोग करने की कल्पना करती हुई गौतम की तस्वीर को बार बार अपने होंठों से चूमती हुई अपनी बीच वाली को ऊँगली चुत में घुसाये चुत में ऊँगली कर रही थी..
कुसुम ने पिछली रात भी इसी तरह चुत में ऊँगली करते हुए जागकर निकाली थी.. और अब भी वही कर रही थी वो अनजान थी इस बात से की गौतम ऊपर उसकी माँ चोद रहा है..

पिछले एक घंटे में मैं तीन बार झड़ चुकी हूँ तू कब झडेगा बेटा..
गौतम - जब निकलेगा बता दूंगा चाची अभी चुसती रहो..
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मानसी बैड पर बैठी हुई गौतम का लंड मुंह में लिए चूसे जा रही थी और गौतम मानसी के बाल मुट्ठी में पकड़कर उसे लोडा चुसवा रहा था जैसे मानसी उसकी चाची नहीं कोई छिनाल थी..
गौतम लंड चूसाने के बाद वापस मिशनरी में आते हुए मानसी की चुत चोदी और फिर पूरा माल उसकी चुत में झाड़ दिया..
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गौतम रात के 1 बजे मानसी के कमरे में आया था और अब सुबह के 4 बज रहे थे मानसी अभी भी टांग खोलकर गौतम के नीचे लेटी हुई थी.. उसकी आँखों में आंसू थे और दोनों हाथ गौतम के सामने जुड़े हुए थे.. गौतम का लंड अब भी मानसी की चुत में घुसा हुआ था और मानसी हाथ जोड़कर गौतम से अब और नहीं चोदने की विनती कर रही थी..
मानसी - बस कर बेटा.. और कितना चोदेगा.. पता नहीं आज कितनी बार झड़ चुकी हूँ मैं.. अब और नहीं झेल पाउंगी तेरे जैसे मर्द को.. मेरे अंग अंग में दर्द होने लगा है बेटा.. अब सोने दे.. तुझे मेरी कसम..
गौतम - चाची आप तो कई बार झड़ गई मेरा तो अभी तक सिर्फ एक बार हुआ है.. अब मैं क्या करू? कम से कम एक बार और झड़ने दो..
मानसी - बेटा.. तू लेट जा मैं तेरे लंड को मुंह से शांत कर देती हूँ..
गौतम मानसी के ऊपर से हटकर लेटते हुए - ठीक है चाची..

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मानसी गौतम के लंड को चूसने लगती है और जोर जोर से लंड के साथ टट्टे भी चुस्ती हुई गौतम के लंड से माल निकालने की कोशिश करती है..

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काफी मेहनत मसक्कत के बाद गौतम झड़ने वाला होता है तो वो मानसी को लेटा कर उसकी चुत में लंड ड़ालकर चोदते हुए झड़ जाता है और पहले की तरफ इस बार भी मानसी की गहराईयो में काम के अमृत की वर्षा कर देता है और फ़ोन का टोर्च जला कर एक तरफ रख देता है ..
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गौतम - शुक्रिया चाची.. अपने जमाई राजा को इतना सुख देने के लिए..
मानसी गौतम का लंड साफ करते हुए - शकल से तो इतना मासूम और प्यारा दीखता है मगर बिस्तर इतना जालिम है की क्या कहु.. देख मेरी चुत को एक रात में कितनी सुज्जा दी..
गौतम - मानसून सीजन है चाची.. बेटी के साथ माँ तो चाहिए ही मुझे.. अच्छा मैं बाथरूम होके आता हूँ आप सो जाओ कपड़े पहनकर..
मानसी गौतम का मुंह वापस मुंह में लेकर - बाहर बरसात से खीचड़ बन गया है ग़ुगु.. कहा जाएगा.. ला मूत दे मेरे मुंह में..
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गौतम मानसी के मुंह में मूतते हुए - अह्ह्ह चाची.. आप तो दीवाना बना दोगी आज मुझे अपना.. मेरा मूत पानी जैसे पी रही हो..
मानसी मूत पीकर मुंह साफ करते हुए - चल बेटा अब अपनी जीन्स शर्ट पहन और सोजा मैं साडी बाँध लेती हूँ..
जैसा आप कहो चाची.. अब तो मुझे भी नींद आने लगी है... ये कहते हुए गौतम कपड़े पहनकर लेट गया..

मानसी भी पूरी संतुष्ट होकर मुस्कुराते हुए गौतम का सर अपनी छाती से लगाती हुई लेट गई.. और गौतम मानसी के चुचे चूसते हुए सो गया.. और मानसी भी मुस्कुराते हुए गौतम के बाल सहलाती हुई उसका सर चूमकर सो गई...
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सुबह 6 बजे का समय हो चूका था और जैसा कि गांव में अक्सर होता है लोग सुबह सवेरे ही उठकर अपने-अपने काम पर लगा चुके थे आसपास का वातावरण ऐसा था कि मनोरन् दृश्य देखने से ही बनता था गांव की ताजी हवा और रात को हुई बारिश से उठती हुई ठंडी महक सुबह के मौसम को और सुहाना बना रही थी.. गौतम उठ चुका था और उसने देखा कि उसके पास सब उसकी चाची नहीं सो रही.. गौतम उठकर अपना मुंह धोकर छत पर आ गया और काफी देर तक वहीं बैठ रहा.. सुबह के 7:00 बजे उसने देखा कोई ऊपर आ रहा है और जब उसने पीछे मुड़कर देखा तो पाया कि कुसुम हाथों में चाय का प्याला लिए उसी की तरफ बढ़ती हुई चली आ रही है..
कुसुम शरमाते हुए - चाय..
गौतम चाय लेकर साइड में रख देता है और कुसुम का हाथ पकड़ के अपनी बाहों में भरता हुआ कहता है - तूने बताया नहीं कल.. कोनसे होंठो कि बात कर रही थी..
कुसुम अपने लबों पर ऊँगली रखते हुए - इनकी..
गौतम कुसुम के होंठों के करीब अपने होंठो लाते हुए - चुम लु?
कुसुम शरामते हुए - हम्म..
गौतम - देखोगी नहीं मुझे?
कुसुम शर्म से - नहीं...
गौतम - जब तक नहीं देखोगी मैं नहीं चूमने वाला.
कुसुम - मत चूमो.. मुझे लाज आती है..
गौतम गाल पर चूमते हुए - सुहागरात को भी लाज आयेगी तो कैसे काम चलेगा?
कुसुम आँखे उठाते हुए - मेरा पहला चुम्बन है..
गौतम हल्का सा चूमकर - कितने नाजुक लब है तुम्हारे..
कुसुम मुस्कुराते हुए - बिलकुल तुम्हारे जैसे..
गौतम कुसुम कि कमर में हाथ डालकर उसके सीने से लगाता हुआ छत पर बने छज्जर के अंदर लेजाकर उसके होंठों पर अपने होंठो रखकर चूमता हुआ - कुसुम बहुत नाजुक हो तुम.. बिलकुल फूल सी..
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कुसुम अपने लब को गौतम कि गिरफ्त से आजाद करवाते हुए - चाय ठंडी हो जायेगी..
गौतम कुसुम कि जुल्फ पीछे करके गर्दन चूमते हुए - होने दे...
कुसुम गौतम के पेंट में बनते तम्बू को महसूस करने लगती है और समझा जाती है कि गौतम मूंड में आ रहा है..
गौतम गर्दन चूमता हुआ कंधे पर एक निशान देखकर - ये निशान..
कुसुम - बचपन से है.. इतने हैरान क्यों हो.. किसी और के भी कंधे ओर ये निशान है..
गौतम - नहीं.. कुछ नहीं..
कुसुम गौतम को धकेलते हुए - और नहीं.. मैं और कुछ देर रुकी तो तुम आज ही सब कुछ कर डालोगे मेरे साथ..
गौतम मज़ाक़ में - पति को नाराज़ कर रही हो तुम... चला जाऊँगा कहीं दूर छोड़कर..
कुसुम गौतम का गिरेबान पकड़ते हुए - चुपचाप चाय पी लो.. और मुझे ऐसा मज़ाक़ बिलकुल पसंद नहीं है.. इतनी प्यारी सूरत है कहीं मैं इसे बिगाड़ ना दूँ..
गौतम वापस कुसुम के लबों को चूमते हुए - उफ्फ्फ तेरा ये गुस्सा मेरी जान... तब भी वैसा था अब भी वैसा ही है..
कुसुम - तब कब?
गौतम - छोड़.. कुछ नहीं..
कुसुम प्यार और उदासी दोनों के मिले हुए भाव से -कल आये और आज चले भी जाओगे..
गौतम - जाना तो पड़ेगा फिर वापस कैसे आऊंगा..
कुसुम - 3 महीने कैसे रहूंगी मैं..
गौतम - हाय इतना प्यार.. ऐसे प्यार से मत बोल वरना मैं कहीं सारी हद ना पार कर दूँ...
कुसुम मुस्कुराते हुए गौतम को धक्का देकर जाती हुई - पहले अपने साथ ले जाओ मुझे.. फिर जो चाहो कर लेना मेरे पतिदेव...
गौतम छज्जर से बाहर आकर चाय उठता है तो एक आवाज आती है - इसे मत पीना मैं गर्म चाय लाती हूँ..
और कुछ पल बाद कुसुम एक गर्म चाय का कप दूर से छत पर रखकर गौतम को देखते हुए मुस्कुराकर वापस चली गई और गौतम चाय का कप लेकर चाय पीते हुए कुसुम कि मासूमियत भोलेपन और सादगी के बारे में सोचने लगा..

सुबह के 11 बजे गौतम सुमन और जगमोहन के साथ गाँव से वापस घर आने के लिए निकल गया जहा अजमेर रेलवे स्टेशन पर जगमोहन उतर गया और जयपुर जाने के लिए निकल गया.. गौतम जगमोहन को स्टेशन पर छोड़कर सुमन के साथ घर के लिए निकल पड़ा..


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