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VAJRADHIKARI

Hello dosto
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Update 7

गौतम ने बाइक उसी बरगद के नीचे लगा दी औऱ सुमन से बोला..

गौतम - चलो माँ.. चढ़ो वापस सीढ़िया..

सुमन - चलो.. चढ़नी तो मेरे ग़ुगु को भी पड़ेगी..

गौतम ने जैसे ही पहला कदम बढ़ाया उसके बगल से होते हुए करीम का रिक्शा आगे जाकर एक किनारे रुक गया जिसे गौतम ने पहचान लिया था.. रिक्शे से रूपा उतरकर एक नज़र गौतम पर डालती है औऱ फिर उसका हाथ पकडे खड़ी सुमन को देखती है..

रूपा को पहली बार किसी औरत से जलन हो रही थी मगर वो कुछ नहीं कर सकती थी.. रूपा के मन में जलन से ज्यादा इर्षा भरी हुई थी वो बनना चाहती थी उसके सामने था..

गौतम ने रूपा को देखकर भी अनदेखा कर दिया औऱ सुमन का हाथ थामे सीढ़ियों की औऱ बढ़ने लगा तभी रूपा सुमन से बोली..

रूपा - दीदी सुनिए..

सुमन रुककर - ज़ी.. बोलिये..

रूपा - वो आपका पर्स बाइक पर ही रखा हुआ है..

सुमन - अरे मैं भी कितनी भुल्लककड़ हो गई हूँ. जा ग़ुगु पर्स ले आ. आपका शुक्रिया बताने के लिए..

रूपा - शुक्रिया केसा दीदी.. छोटी सी तो बात है.. ये आपका बेटा है..

सुमन - हाँ.. ये मेरा ग़ुगु है..

रूपा - बहुत खूबसूरत है.. बिलकुल आपकी तरह.

सुमन - ज़ी शुक्रिया.. आप भी बाबाजी के पास आई है?

रूपा - हाँ वो कुछ मन्नत थी सोचा शायद यहां आकर पूरी हो जाए..

सुमन - चलिए चलते हुए बात करते है.

रूपा - ज़ी चलिए.. मेरा नाम रूपा है..

सुमन - ज़ी मेरा नाम सुमन..

रूपा - बड़ा ही प्यारा नाम है आपका.. सचमुच में आप सुमन जैसी खिली हुई खुश्बू से भरी हुई हो..

सुमन मुस्कुराते हुए - नाम तो आपका भी आप पर बहुत जचता है.. जैसा रूप वैसा नाम..

रूपा - आप इसी शहर में रहती है?

सुमन - हाँ.. ग़ुगु के पापा पुलिस में तो पुलिस क्वाटर में ही रहते है.. और आप?

रूपा - ज़ी वो मेरा तलाक़ हो चूका है.. कोई बच्चा तो है नहीं, इसलिए अकेली ही शहर के बीच एक फ्लेट में रहती हूँ..

सुमन - तलाक़ क्यों?

रूपा - अब मर्द जात क्या भरोसा दीदी, कोई और मिल गई तो छोड़ गए. मैंने भी नहीं रोका और तलाक़ ले लिया..

सुमन हमदर्दी से - बहुत गलत हुआ है आपके साथ..

रूपा - छोड़िये दीदी ये सब.. आपने ये साडी कहा से ली? बहुत खूबसूरत है..

सुमन - ये तो मुझे तोहफ़े में मिली थी. मेरी ननद ने दी थी..

रूपा - आप के ऊपर बहुत खिल रही है दीदी..

सुमन - शुक्रिया.. वैसे इस सूट में आप का मुक़बला करना भी बहुत मुश्किल है.. साधारण सूट को भी आपके इस रूप ने ख़ास बना दिया..

रूपा हस्ती हुई - क्या दीदी आप भी मज़ाक़ करती हो..


गौतम रूपा औऱ सुमन के बीच खड़ा था औऱ दोनों की बात सुन रहा था. रूपा अनजान बनने का नाटक बखूबी निभा रही थी औऱ गौतम समझ चूका था की रूपा सुमन से दोस्ती करना चाहती है मगर उसने भी अनजाने बनते हुए दोनों के बीच से किनारा ले लिया औऱ चुपचाप सीढ़िया चढने लगा..


रूपा सुमन से कई बातें उगलवा चुकी थी औऱ बहुत सी सही गलत बातें अपने बारे में भी बता चुकी थी.. सीढ़िया चढ़ते चढ़ते दोनों में अच्छी बनने लगी थी औऱ बाबा के दरवाजे पर पहुंचते पहुंचते दोनों आपसमे बात करते हुए खिल खिलाकर हसने लगी थी..

गौतम हमेशा की तरह बाहर ही रुक गया औऱ रूपा को आज साधारण लिबास में देखने लगा आज रूपा उसे बहुत आकर्षक लग रही थी..


रूपा का मकसद सुमन से दोस्ती करने का था औऱ वो उसी के साथ कतार में बैठ गई.. भीड़ ज्यादा थी मगर दोनों की बातचीत से समय का पता ही नहीं लगा.. सुबह ग्यारह बजे कतार में बैठी सुमन औऱ रूपा की बारी आते आते 2 बज गए थे तब तक दोनों पक्की सहेलियों की तरह बात करने लग गई थी..


सुमन की बारी आई तो वो बाबाजी को प्रणाम करके सामने बैठ गयी..

सुमन - बाबाजी आपने काम बताया था वो मैंने शुरु कर दिया है, बस अब जल्दी से अपना घर बनवा दो..

बाबाजी - बिटिया जो कहा था करते जा औऱ बाबा के सामने हाज़िरी लगाते जा.. सब हो जाएगा.. और याद रख तुझे घर से बढ़कर मिलेगा लेकिन उसके लिए तुझे एक कार्य करना होगा..

सुमन - बताइये बाबाजी..

बाबाजी - वक़्त आने पर तुझे पता चल जाएगा.. अभी उचित समय नहीं है..

सुमन - ज़ी बाबा ज़ी.. कहते हुए सुमन सामने से हट गयी औऱ रूपा बाबाजी के सामने बैठ गई..

बाबाजी - बोल बिटिया क्या चाहिए तुझे?

रूपा - मुझे जो चाहिए मैं कहकर नहीं बता सकती बाबाज़ी आप मेरे मन की बात समझो औऱ कोई उपाय बताओ उसे हासिल करने का..

बाबाजी - तुझे जो चाहिए वो तुझे जरूर मिलेगा लेकिन बटाइ में.. मैं पर्चा लिख देता हूँ तू अगर वैसा कर देगी तो जो तू मांग रही है तुझे जरूर मिल जाएगा..

रूपा - अगर ऐसा है तो बाबाजी.. मैं अपना सबकुछ आपको देने के लिए त्यार हूँ..

बाबाजी - मुझे तो खाने के लिए अन्न चाहिए बिटिया बाकी सब तू अपने पास रख.. ले पढ़कर आग में जला दे बाहर ये पर्चा.. जा..

रूपा ने पर्चा पढ़ा तो उसमें लिखा था की गौतम को अपने बेटे के रूप में हासिल करने के लिए उसे महीने में सिर्फ बार ही उसके साथ सम्भोग करना होगा उससे ज्यादा नही. रूपा ने पर्चा पढ़कर जला दिया..




गौतम हमेशा की तरह वही पेड़ के नीचे जाकर बैठ गया औऱ वापस उसे नज़ारे को देखने लगा जिसे वो बहुत बार देख चूका था.. आज फिरसे उसे नीचे कोई आता हुआ दिखा औऱ वो समझा गया की ये वही पागल है जिसे उसने पिछली बार जामुन तोड़कर दिए थे औऱ जिसे वो आदमी बड़े बाबा कहकर बुला रहा था..


बूढ़ा ऊपर आकर वापस गौतम से पानी माँगने लगा औऱ गौतम ने उसपर तरस खाकर वापस पानी दे दिया, बूढ़े ने उसी तरह कुछ बून्द हथेली में लेकर अपने सर पर दाल दी औऱ पानी पीकर बोतल वापस गौतम के पास रख दी..

बड़े बाबाज़ी - वापस आ गया तू?

गौतम - देख बुड्ढे मैं तेरे साथ बकचोदी करने के मूंड में नहीं हूँ.. तुझे चाहिए तो जामुन तोड़कर ला देता हूँ तू चला जा लेकर वापस नीचे चुपचाप..

बड़े बाबाज़ी - गुस्सा क्यू करता है बेटा.. मैं कुछ देने ही आया था तुझे पिछली बार की तरह..

गौतम - अबे ओ ढोंगी.. क्या लिया था मैंने तुझसे पिछली बार?

बड़े बाबाज़ी- अरे तूने ही तो बोला था ऐसा लिंग चाहिए जिसकी दीवानी हर औरत बन जाए.. भूल गया? वो तवयाफ जो अभी मठ के अंदर तेरी माँ के साथ बैठी है तेरी दीवानी बनी या नहीं.. बता? कहता है तो वापस ले लेता हूँ जो तुझे दिया है..


इस बार बाबाज़ी की बात सुनकर गौतम का सर चकरा गया औऱ वो बड़ी बड़ी आँखों से बाबाजी को देखने लगा, उसे अपने कानो पर यक़ीन नहीं आ रहा था..

बड़े बाबाजी - ऐसे क्या देख रहा है?

गौतम सकपका कर - आप कौन हो और ये सब कैसे जानते हो?

बड़े बाबाजी - मैं वीरेंद्र सिंह हूँ, और तेरे बारे में सब जानता हूँ.. बता कुछ चाहिए तो वरना मैं नीचे जाऊ?

इस गौतम हाथ जोड़कर - मुझे माफ़ कर दो..

बड़े बाबाजी - मैं तो तुझसे नाराज़ ही नहीं हूँ बेटा.. माफ़ क्यू मांगता है.. मुझे तो ये भी पता है वो तवायफ अभी तेरी माँ के साथ अंदर बैठी हुई तुझे होने बेटे के रूम में मांग रही है..

गौतम - मैं अपने किये पर शर्मिंदा हूँ बाबाजी.. आप सच में बहुत अन्तर्यामी हो.. मैं अगर आपके कोई काम आ सकता हूँ तो बता दो मैं जरूर काम आऊंगा..

बड़े बाबाजी - काम तो बहुत बड़ा है और बहुत मुश्किल है क्या तू कर पायेगा?

गौतम - आप कहकर देखिये बाबाजी मैं कुछ भी कर जाऊँगा..

बड़े बाबाजी - अभी तू मेरा काम करने को त्यार नहीं है.. जब होगा तब कह दूंगा.. अब तू अपनी जवानी का सुख भोग.. कुछ चाहिए तो मुझे बता.. मैं दे देता हूँ तुझे..

गौतम - मुझे कुछ नहीं चाहिए बाबाजी..

बड़े बाबाजी - अच्छा ठीक है फिर में चलता हूँ.. जब तू काम करने लायक़ हो जाएगा तब जरूर बताऊंगा..

ले धागा कलाई पर पहन ले जब ये काले से सफ़ेद हो जाए तब यहां आ जाना.. तब बताऊंगा मुझे क्या चाहिए.. औऱ हाँ जिस औरत का भी तेरे साथ सम्भोग करने का मन होगा, उसके सामने आते ही ये धागा लाल रंग का हो जाएगा..

गौतम - ठीक है बाबाजी..


बाबाजी ज़ी ये कहते हुए वापस नीचे चले गए औऱ गौतम उठकर वापस वही आ गया जहा से उसने रूपा औऱ सुमन को छोड़ा था.. उसने देखा कि रूपा सुमन के साथ खड़ी हुई आपस में हाथ पकडे हंसकर बातें कर रही थी..

गौतम - माँ चलना नहीं है?

सुमन - हाँ ग़ुगु.. चलते है, पर तू पहले आंटी का नम्बर फ़ोन में सेव कर ले.. बहुत पटेगी हमारी..

गौतम - ठीक है करता हूँ अब चलो.. आपके लिए एक सरप्राइज भी है..

सुमन - क्या?

गौतम - वो तो घर चलकर पता चलेगा..

रूपा - बुरा ना मानो नीचे साथ में एक एक कप चाय पीकर चले?

सुमन - हाँ हाँ क्यू नहीं..

सीढ़िया उतर कर सब वही पास में बनी एक चाय कि स्टाल पर आ गए.. औऱ चाय पिने लगे..

रूपा - कल आप क्या कर रही है?

सुमन - कुछ नहीं क्यू?

रूपा - तो फिर दीदी घर आइये ना ग़ुगु के साथ.. हम मिलकर खूब सारी बात करेंगे, एक साथ डिनर भी करेंगे और कोई अच्छी सी मूवी भी साथ बैठकर देखेंगे..

सुमन - ठीक है रूपा.. जैसा तुम कहो.. क्यू ग़ुगु.. चलोगे आंटी के घर मेरे साथ?

गौतम - हाँ हाँ क्यू नहीं.. ये भी तो घर की ही है..

सुमन - अच्छा अब इज़ाज़त दीजिये.. घर पर बहुत सा काम पड़ा है..

रूपा - हाँ बिलकुल.. पर याद रहे दीदी संडे को ग़ुगु के साथ घर आना होगा.. मैं कोई बहाना नहीं सुनूंगी..

सुमन - ज़ी पक्का..


गौतम औऱ सुमन रूपा से विदा लेकर घर की तरफ आ गए औऱ रूपा करीम की रिक्शा में बैठके वापस कोठे के लिए निकल पड़ी..

करीम - क्या हुआ बाजी.. पहली बार में ही मिल गया क्या जो चाहिए था?

रूपा - नहीं करीम.. पर लगता है मिल जाएगा.. अच्छा वो शहर वाला फ्लेट कब से बंद है जो कांति सेठ ने मेरे नाम किया था?

करीम - बाजी.. पहले तो किसी को किराए पर दिया था पर 3 साल से कोई औऱ आया नहीं वहा रहने.. तभी से बंद है..

रूपा पैसे देते हुए - अभी वहा की सारी साफ सफाई करवा दे.. मैं कल से अब वही रहूंगी..

करीम - जैसा आप बोले बाजी..

रूपा अपना फ़ोन देखती है तो गौतम का massage आया होता है..

गौतम - सूट में तुम बहुत प्यारी लग थी मम्मी.. अगर साथ में माँ नहीं होती तो इतना प्यार करता की याद रखती..


रूपा मुस्कुराते हुए मैसेज पढ़कर रिक्शा से बाहर देखने लगी.. और एक सिगरेट सुलगा कर गौतम को याद करते हुए मंद मंद मुस्कान अपने चेहरे पर सजा कर गौतम को याद करने लगती है..

Bhai ek doubt hai Rupa ne Suman ko uska naam nahi bataya toh Suman ko kaise pata chala
Aur ek dhaga mere liye bhi order karva dena
 
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Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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शहर में बनी झील के किनारे फुटपाथ पर चलते लोग औऱ सडक के किनारे खड़े वाहनों को देखती रूपा एक ऑटोरिक्शा में बैठी हुई सिगरेट के कश लेटे हुए गौतम का इंतजार कर रही थी.. तय समय से दो घंटा ऊपर हो चूका था मगर गौतम अभी तक रूपा से मिलने नहीं पंहुचा था.. रूपा की हालात में अब उदासी औऱ बेचैनी बढ़ रही थी की आगे बैठे करीम ने कहा..
करीम - बाजी.. मुझे लगता है वो लड़का नहीं आएगा.. ये सब स्कूल कॉलेज वाले लड़के है कहते कुछ है करते कुछ.. इनपर भरोसा करना मुश्किल है.. बारह बज चुके अब तो भूक भी लगने लगी है..
रूपा का ध्यान करीम की बातों से भंग हो गया औऱ वो सिगरेट का अगला कश लगाकर रिक्शा में आगे ड्राइविंग सीट पर बैठे 28 साल के पतले दुबले कम हाइट के सामान्य से भी कम दिखने वाले करीम से बोली..
रूपा - 10-15 मिनट औऱ इंतजार कर लू करीम फिर वापस चलते है..
करीम - जैसा आप कहो बाजी पर मेरी मानो उस लड़के का ख्याल छोड़ दो..
करीम की बात सुनकर रूपा का दिल दुखने लगा था मगर उसने अपने जज्बात जाहिर करना सही नहीं समझा.. उसे करीम की बातों पर धीरे धीरे यक़ीन हो रहा था मगर वो चाहती थी उसका ये यक़ीन गलत साबित हो.. रूपा ने पिछले दो घंटे में 20 से ज्यादा बार गौतम को फ़ोन किया था मगर गौतम ने एक बार भी उसके फ़ोन का रिप्लाई नहीं किया..


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रूपा के दिल में अलग अलग ख्याल आ रहे थे की शायद कुछ बुरा ना हुआ हो शायद कोई काम आ गया हो शायद गौतम को याद ना रहा हो मगर फिर करीम की बात याद आती तो वो सब ख्याल भूल जाती औऱ सोचती की क्या उसके साथ उस लड़के ने ये सही किया?

एक रात मिलकर गौतम ने रूपा के दिल में उसके लिए माँ की ममता औऱ प्रियतम का लगाव दोनों जगा दिए थे मगर अब रूपा को उसका दुख औऱ मलाल हो रहा था. उसे लग रहा था की उसने एक मक्कार लड़के पर भरोसा किया.. आखिर वो उस 40 साल की औरत से वापस क्यू मिलने आएगा?

इधर गौतम को सुबह जो स्वर्ग की सेर उसकी माँ सुमन ने करवाई थी उसके चलते औऱ रास्ते में जो उसकी बाइक खराब हो गई थी उसके करण उसे इतनी देरी हो गई थी. फ़ोन तो रात को गौतम ने अपनी माँ की रील्स पर मुठ मारते हुए साइलेंट कर लिया था जो अब तक साइलेंट ही था..

गौतम जब अपनी बाइक बनवाने के लिए दूकान पर छोड़कर झील पर पंहुचा तो उसने सामने ही रूपा को रिक्शा में बैठा दिख लिया औऱ फिर धीरे से नज़र बचाकर सामने एक हलवाई की दूकान से एक गरमा गर्म समोसा लेकर चुपचाप छुपते हुए अचानक रिक्शा के अंदर आ बैठा औऱ रूपा से बोला..
गौतम - माफ़ कर दो जरा सी देरी हो गई.. वो बाइक बिगड़ गई थी.. ई ऍम सॉरी.. देखो में क्या लाया हूँ तुम्हारे लिए? यहां का समोसा बहुत फेमस है.. तुम खाओगी तो उंगलियां चाटती रह जाओगी..
करीम तो गौतम के आने पर खामोश होकर चुपचाप आगे देखने लगा औऱ रूपा जो मानो गौतम के ना आने पर अपनी आँख से आंसू छलकाने वाली थी गौतम को देखकर उसकी जान में जान आ गई उसने फिर से अपने जज्बातो पर संयम रखा औऱ अपनी फीलिंग जाहिर नहीं होने दी..

रूपा ने गौतम की बात का कोई जवाब नहीं दिया औऱ रिक्शा में आगे ड्राइवर औऱ पीछे पेसेंजर की सीट के बीच लटका पर्दा खींचकर लगा दिया, इसके साथ ही अपनी उंगलियों में सुलगती सिगरेट को फेंक कर गौतम को अपनी औऱ खींच लिया औऱ समोसे की जगह उसके होंठों को चूमचुम कर खाने लगी.. गौतम भी रूपा को अपने होंठों का रस पिलाकर रूपा के होंठो की मदिरा पिने लगा. 5-7 मिनट के इस चुम्बन ने रूपा के सारे गीले सिकवे औऱ गौतम से नाराज़गी ख़त्म कर दी औऱ फिर से उसकी आँखों में गौतम के लिए वही ममता औऱ प्यार उतर आया जो वो उस रात से महसूस कर रही थी..

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करीम - बाजी कहीं चलना है या यही खड़े रहने दू रिक्शा को?
करीम की बात सुनकर चुम्बन दोनों का टूट गया औऱ गौतम रूपा को देखते हुए बोला..
गौतम - कनकपुरा के आगे जंगल की तरफ ले चल..
करीम - ठीक है.. कहते हुए रिक्शा स्टार्ट कर चलाने लगा..
रूपा - फ़ोन क्यू नहीं उठाया तुमने?
गौतम फ़ोन निकाल कर - साइलेंट पर है शायद.. अरे इतने फ़ोन कर दिए तुमने? यार रूपा सॉरी...
गौतम के मुंह से अपना नाम सुनकर रूपा को एक अजीब अहसास हुआ उसे फिर से अपनी बाली उम्र की याद आने लगी.. बहुत सालों के बाद किसीने उसे उसके नाम से बुलाया था वरना वो तो अब रूपा मौसी या बाजी.. सुनने की ही आदि थी..
रूपा ने गौतम से आगे उसके लेट होने की वजह के बारे में नहीं पूछा औऱ उसके हाथ से समोसा लेकर खाने लगी.. औऱ गौतम रूपा के बेहद नज़दीक आकर उसके कंधे गले को चूमते हुए रूपा की जुल्फों में आती खुशबु को सूंघता हुआ रूपा से छेड़खानी करने लगा जिसमे रूपा मुस्कुराते हुए गौतम का पूरा साथ दे रही थी औऱ प्यार से बीच बीच में उसके मासूम चेहरे को देख रही थी..
गौतम - बहुत प्यारी लग रही हो आज..
रूपा - पऱ तुम तो हमेशा प्यारे लगते हो..
गौतम - टट्टू बनवाया है?
रूपा - हम्म्म.. तुम्हारे नाम का..
गौतम - सच में? दिखाओ जरा..
रूपा अपनी साडी का पल्लू सरका कर ब्लाउज के दो तीन हुक खोलकर अपने राइट बूब्स पर लिखा गौतम के नाम का टट्टू उसे दिखाने लगती है.. गौतम के नाम के साथ एक दिल का छोटा सा निशान औऱ साथ में रूपा का नाम लिखा हुआ था.. गौतम टट्टू देखकर रूपा के बूब्स पर चुम लेता है..
गौतम - एक रात में इतनी मोहब्बत मुझसे?
रूपा - मोहब्बत तो एक नज़र में हो जाती है तुमसे तो पूरी रात लगी है होने में..
करीम - बाजी पहुंच गए..
गौतम - थोड़ा आगे से लेफ्ट लेना जंगल में.. गाडी आराम से निकाल जायेगी..
करीम रिक्शा जंगल में मोड़ लेता है औऱ थोड़ा आगे एक चट्टान के पास रोक लेटा है दिन के एक बज चुके थे..
रूपा - करीम तुम जाकर कुछ खा लो.. वापस यही आकर इंतजार करना..
गौतम वहा से रूपा को लेकर चट्टान के दूसरी तरफ चल पड़ता है..
थोड़ी दूर जाकर गोतम रूपा को एक घुफानुमा जगह के करीब ले आता है जहाँ से सामने का नज़ारा मनमोहक लग रहा था.. जंगल में खड़े बड़े बड़े पेड़ औऱ पेड़ो की छाव में पनप रहे पौधों पर खिले हुए फूल को देखकर रूपा की आँखों उनमे ही खो गई थी, छोटे छोटे खरगोश गीलेहरी औऱ बाकी जानवर उसकी आँखों के सामने स्वच्छन्द यहां से यहां उछाल कूद मचा रहे थे.. हिरन औऱ उसके जैसे दिखने वाले जानवर के साथ परिंदे पेड़ पर बने घोंसलों से अपनी मीठी आवाज में तराने सूना रहे थे.. रूपा ये सब देखकर उन्ही में खो सी गई थी, उसने आज से पहले कभी इस तरह का नज़ारा नहीं देखा था वो ऐसे ही गौतम के साथ बैठी हुई उसकी बाहे अपने हाथ से पकडे सामने देखे जा रही थी वही गौतम भी रूपा की हालात समझकर उसे अपने बाहों में समेटकर प्यार से उसकी जुल्फों को संवार रहा था..

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गौतम - जगह पसंद आई?
रूपा - बहुत खूबसूरत है.. पर तुमसे कम मेरे नन्हे मेहमान..
गौतम - नाम लेकर बुलाओ ना.. इतना छोटा नहीं हूँ मैं.
रूपा मुस्कुराते हुए - एक शर्त पर नन्हे मेहमान..
गौतम - औऱ वो क्या है?
रूपा गौतम के अंदर अपने ना बस सके परिवार को तलाश रही थी उसे गौतम में अपना ही बच्चा दिखाने लगा था औऱ वो चाहती थी की कोई हो जो उसे माँ कहकर बुलाआये औऱ उससे बात करें.. परिवार की चाहत उसे आज भी उतनी ही थी जितनी की पहले..
रूपा - तुम्हे भी मुझे मम्मी कहकर बुलाना होगा..
गौतम - ठीक है मेरी प्यारी मम्मी.. चलो अब अपने बेटे को प्यार तो कर लो थोड़ा सा..
रूपा अपना आँचल गिरा कर - आजा मेरे पास पहले तुझे अच्छे से दूध तो पीला दू.. ये कहते हुए रूपा ने भी सुमन की तरह ही गौतम के सर को अपनी गोद में रख लिया औऱ उसे अपना बोबा चूसाने लगी..

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गौतम ने भी पूरी कामुकता के साथ रूपा का बोबा चूसना चालू कर दिया अपने हाथो से मसलना भी. जिससे रूपा काम के सागर में उतरने लगी थी.. रूपा ने पास में रखे अपने पर्स से एक सिगरेट निकालकर लाइटर से जला ली औऱ कश लेते हुए कभी प्यार से गौतम को देखती तो कभी सामने के नज़ारे को.
गौतम ने जब रूपा के बूब्स पर तने हुए निप्पल्स को दांतो से काटा तो रूपा के मुंह से आह निकाल गई औऱ वो गौतम को देखकर बड़े प्यार से बोली..
रूपा - इतना तेज़ मत काटो ना गौतम.. मम्मी को दर्द होता है..
गौतम - सोरी मम्मी.. आपके दूध बहुत अच्छे है अनजाने में बाईट हो गई..
रूपा - कोई बात नहीं बेबी.. अच्छा अब तुमने मम्मा का दूदू चूस लिया तो मम्मा भी तुम्हारा दूदू चूसेगी..
गौतम अपने शर्ट उतारकर - पर मम्मी मेरे दूदू में दूध नहीं आता..
रूपा - कोई बात नहीं बेबी.. मम्मा को बस थोड़ा सा चूसना है..
गौतम - आओ ना मम्मी.. लो सकिंग कर लो..
रूपा - क्या बेबी..
गौतम - सकिंग मम्मी.. चूसने को इंग्लिश में सकिंग बोलते है अब आओ..
रूपा अपने होंठ गौतम के सीने के निप्पल्स पर लगा देती है प्यार से उसे चूसने चाटने लगती है..
गौतम - आह्ह. मम्मी.. कमाल हो यार तुम..
रूपा गौतम के निप्पल्स चूस रही थी औऱ गौतम को पूरा मज़ा दे रही थी कुछ देर बाद रूपा ने अपनी जीभ से गौतम के सीने को चाटने लगी रूपा पर चढ़ते काम के नशे को गौतम साफ साफ देख सकता था, रूपा उसके गले से लेकर पेट तक हर जगह चूमते हुए पागलो की तरह चाट रही थी आज गौतम उसे नहीं चोद रहा था बल्कि रूपा पर गौतम की चुदाई का भूत सवार होने लगा था..

रूपा ने गौतम की पेंट खोल दी औऱ उसके लंड को झट से अपने मुंह में लेकर चूसने लगी गौतम को रूपा वो सुख दे रही थी जो उसे बहुत कम मिला था..
गौतम ने रूपा को देखा वो इस तरह से उसका लंड मुंह में भरके चूस रही थी जैसे लॉलीपॉप हो.. इसमें गौतम को रूपा पर प्यार आने लगा था.. गौतम ने कुछ देर रूपा को प्यार से देखा तो उसे रूपा में अपनी असली माँ सुमन की शकल दिखाई देने लगी औऱ अचानक उसका माल रूपा के मुंह में छूट गया औऱ वो झड़ गया..

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रूपा सारा माल पीके - आज क्या हुआ मेरे बच्चे के हथियार को. जल्दी निकल गया..
गौतम ने बिना कुछ बोले रूपा का हाथ खींचकर अपने ऊपर गिरा लिया औऱ उसके होंठ चूमने लगा..

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कुछ मिनटों में वापस उसका लंड उसी तरह खड़ा हो गया जैसे पहले था गौतम ने रूपा को ऊपर से नीचे ले लिया औऱ साडी के साथ साया उठाकर कमर तक ले आया औऱ फिर नीचे जाकर रूपा की चुत चाटने लगा.. रूपा काम के सागर की गहराई में उतर चुकी थी औऱ यहां उसे भरपूर आनंद मिल रहा था.. गौतम ने चाटने पर कुछ ही पलो में उसने भी चुत से झरना बहा दिया जिसे गौतम ने रुमाल से साफ कर दिया..
गौतम - मम्मी?
रूपा - क्या?
गौतम - लोगी अपने बेटे का अपने अंदर?
रूपा शरमाते हुए - हाँ...
गौतम अपना लोडा एक बार में आधे से ज्यादा अंदर उतारकार रूपा की चुदाई शुरु करता है औऱ रूपा घास में आँखे बंद करके गौतम को अपनी बाहों में भरे कामसुख भोगने लगती है..

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अगले कुछ घंटे दोनों का मिलन यहां के परिंदे औऱ जानवर देखते है औऱ रूपा गौतम दोनों दो बार प्रेम की बारिश में नहा चुके होते है..

गौतम घास में चट्टान का सहारा लिए नंगा बैठा अपनी गोद में नंगी बैठी रूपा की चूत के आस पास उगे बालों/झांटो में उंगलियां घुमा रहा था औऱ रूपा सिगरेट के कश लेते हुए सामने देख रही थी..
गौतम - मम्मी, मुझे भी पिलाओ एक कश..
रूपा अपने हाथ से सिगरेट गौतम के होंठों पर लगा देती है औऱ एक कश पीला के कहती है..
रूपा - अच्छा अब फिर वापस कब मिलने आउ मैं अपने बेटे से?
गौतम - जब भी तुम्हारी इस चुत में खुजली चले मम्मी तब आ जाना.. मैं मिटा दूंगा..
रूपा - बेबी एक बात बोलू, तुम मुझसे एक वादा करोगे?
गौतम - हम्म बोलो ना.. अब तो मम्मी भी बोलने लगा हूँ तुम्हे..
रूपा - सिर्फ मम्मी बोलने से काम नहीं चलेगा.. मुझे अपनी माँ की तरह मानना भी होगा.. मुझसे बात करनी होगी.. अपना अच्छा बुरा सब बताना होगा.. तुम्हे जो चाहिए मुझसे माँगना होगा.. मैं तुझे सब दूंगी.. मेरे जिस्म के साथ साथ मेरे मन को भी तुम्हे सुकून देना होगा मुझे अपना मानकर..

गौतम रूपा की बातें सुनकर - अच्छा ठीक हैमेरी जान.. अब कपडे पहनो चलते यहां से वरना मेरे प्यारी मम्मी को वापस जगताल पहुंचते पहुंचते अंधेरा हो जाएगा..
रूपा - जैसे उतारे है वैसे पहना भी दो..
गौतम - मम्मी मुझे सिर्फ उतारना आता है.. कहते हुए गौतम ने रूपा की चुत के बाल हलके से खींच लिए जिससे रूपा का आह निकल गई..
रूपा - आह्ह.. शैतान कहीं का.. अगली बार मिलूंगी तो झांट साफ कर लुंगी सब.. तब खींचना मेरे बाल..
गौतम औऱ रूपा कपडे पहन कर वापस करीम के रिक्शा की तरफ आ जाते है.. औऱ उसमे बैठकर वापस शहर की तरफ चल देते है.. जहा गौतम रूपा से विदा लेकर अपनी बाइक दी हुई दूकान पर जाता है औऱ अपनी ठीक हो चुकी बाइक को लेके घर निकल पड़ता है..


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गौतम - माँ पापा कहाँ गए?
सुमन - उनको कुछ काम था इसलिए जल्दी चले गए..
गौतम - सालों से देखकर रहा हूँ.. घर पर तो रुकते ही नहीं है वो.
सुमन - बहुत मेहनत करनी पडती है तेरे पापा को इसलिए..
गौतम - काहे की मेहनत माँ.. कब इस पुलिस क्वाटर में रखा हुआ.. अब तक तो घर बना लेना चाहिए था.. पाता नहीं कहा छुपा के रखते है खज़ाना.. पता चल जाए लूट लू मैं..
सुमन - खज़ाना बाद में लूटना ग़ुगु.. पहली ले ये चाय पी ले..
गौतम - चाय नहीं माँ ? अब तो दूदू पिने का मन कर रहा है..
सुमन - अब मेरे ग़ुगु को माँ का दूदू अगली पूर्णिमा को मिलेगा.. औऱ कल याद से जल्दी उठ जाना बाबाजी के वापस माथा टेकने चलना है..
गौतम - सिर्फ पांच मिनट ना माँ.. फिर नहीं बोलूंगा..
सुमन - अब ऐसी प्यारी सूरत बनाकर बोलेगा तो कैसे माना करुँगी मैं आपने ग़ुगु को? चल कमरे में जा मैं आती हूँ रसोई का काम खत्म करके फिर पीला दूंगी.. बस..
गौतम - thanks माँ..
गौतम आपने रूम में आकर नहाने लगता है औऱ फिर एक स्लीवलेस्स टीशर्ट औऱ पज़ाम पहनकर फ़ोन देखने लगता है..
वो जैसे ही इंस्टा अकाउंट खोलता है उसकी आँखे फटी की फटी रह जाती है.. सुमन की रील्स पर लाखों में व्यूज आ गए थे औऱ हज़ारो में कमैंट्स.. फॉलोर्स की संख्या भी 4 हज़ार से 24 हज़ार के पार हो गई थी.. ना जाने कितने ही मैसेज उसके इनबॉक्स में आ गए थे.. गौतम एक बार के लिए फ़ोन बंद कर दिया औऱ कुछ सोचने लगा कि इतने में सुमन गौतम के कमरे में आ गयी औऱ उसके सामने बैठते हुए मुस्कुराकर उसका माथा चुम लिया..
सुमन - ले आजा ग़ुगु.. पिले जितना मन है.
गौतम के सामने बैठके सुमन ने ब्लाउज के हुक खोलकर सुबह कि तरह अपनी काली ब्रा ऊपर करके आपना बोबा उसके मुंह की तरफ बढ़ा दिया जिसे गौतम ने लपक के आपने मुंह में लेकर चूसना शुरु कर दिया.. सुमन अपना स्तनपान करवाकर एक मीठे सुख के अहसास में डूब रही थी औऱ प्यार से गौतम के सर पर अपना हाथ फेर रही थी जैसे उसे अपना दूध पिने का आशीर्वाद दे रही हो..

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गौतम ने भी एक एक करके अपनी माँ सुमन के दोनों बोबे चूसने चाटने शुरु कर दिए जिससे उसके दिल में अपनी माँ सुमन के प्रति जागरत हो चुकी काम इच्छा को औऱ बल मिल गया औऱ वो सुमन के प्रति औऱ कामुकता का भाव रखने लगा..
सुमन को होता मीठा मीठा अहसास जब उसकी चुत को गिला कर गया औऱ उसे जब आपने बेटे के प्रति आसक्ति महसूस हुई तो उसने घड़ी की तरफ देखा जो रात के आठ बजा चुकी थी सुमन की नज़र घड़ी से हटी तो गौतम के पज़ामे में खड़े घंटे पर जा टिकी जो पज़ामे के ऊपर ही देखने से लम्बा औऱ मोटा लग रहा था..

सुमन पांच मिनट के नाम पर पिछले पचीस मिनट से गौतम को अपना स्तनपान करवा रही थी, गौतम ने सुमन जे बूब्स पर कई गहरे निशान अपने दाँटों से काट काट कर बना दिए थे सुमन ने एक बार भी गौतम को बूब्स पर काटकर निशान बनाने से नहीं रोका अब दोनों के मन में काम की प्यास जागरत हो रही थी सुमन ने इस अहसास को समझ लिया औऱ गौतम के सर को सहलाती हुई बोली..
सुमन - औऱ कितनी देर पियेगा ग़ुगु? मन नहीं भरा मम्मी के दूदू से?
गौतम - माँ के दूध से कभी बच्चे का मन भरता है भला? माँ आज यही सो जाओ ना.. मेरे पास..
सुमन - हम्म ताकि तू मेरे रातभर मेरे दूदू पिता रहे.. क्यू?
गौतम - नहीं.. देखो आपकी रील्स पर बहुत सारे लोगों ने like कमैंट्स किये है.. औऱ 24 हज़ार लोगों ने फॉलो भी किया है आपकी रील वायरल हो रही है.. जल्दी ही अकाउंट मोनेटीज़ भी हो जाएगा..
सुमन - चल ठीक है.. आज में आपने ग़ुगु के पास ही सो जाती हूँ.. पर मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा तू क्या कह रहा है..
गौतम अकाउंट खोलता है औऱ इनबॉक्स के मैसेज दिखाने लगता है जहाँ कई लोगों ने कोलाब औऱ कई लोगों ने प्रमोशन के लिए massage किया था साथ बहुत से लोगों ने भद्दे भद्दे massage भी डाले थे..
गौतम - लो देखो आप.. Massage.. मैं बाथरूम जाके आता हूँ तब तक..
सुमन - इनबॉक्स के massage औऱ रील्स के कमैंट्स पढ़ने लगी तो उसे शर्म आ गयी. लोगों ने ऐसी बातें लिखी थी जिसे सुमन पढ़ने में शर्मा रही थी औऱ उसे लग रहा था की इन सबसे अच्छा तो ये की वो रील्स ही ना बनाये.. अकाउंट बंद कर दे.. जब गौतम बाथरूम से आया तो सुमन ने रूखे पन से कहा.. सुमन - कैसी कैसी बात लिखते है लोगों को बिलकुल शर्म नहीं है.. आपने घर की कोई होती तो भी ऐसे ही बातें करते ये लोग?
गौतम समझा गया की क्या माज़रा है औऱ वो सुमन को गले लगाते हुए बोला - अरे छोडो ना सब फालतू लोग है औऱ कोई काम. नहीं है उनको आप क्यू ध्यान देती हो.. आपने ये massage पढ़ा?
सुमन - क्यू क्या ख़ास है इसमें?
गौतम - बहुत ख़ास है मेरी प्यारी माँ.. जो MK ज्वेलर्स है ना.. उसीका massage है.. न्यू ब्रांच खोल रहा है शहर में इस इतवार को औऱ चाहता है आप उसकी मॉडल बने.. देखो.. क्या अमाउंट चार्ज करती हो पूछ रहा है.. नंबर भी दिया हुआ है..
सुमन - क्या.. सच में.. पर मुझे मॉडलिंग कहा आती है?
गौतम - अरे मेरी भोली माँ.. बस गहने पहनकर दो-चार फोटो खिचवानी है.. जिसकी पिक वो अपनी ब्रांच में लगाएगा, बस वही होती है..
सुमन - बस इतनी सी बात के लिए वो पैसे देंगे?
गौतम - हाँ.. आप तैयार हो तो मैं कॉल करू उन्हें?
सुमन - पर तेरे पापा?
गौतम - उनसे आप पूछ लेना.. इतनी बात के लिए मना थोड़ी करेंगे..
सुमन - कितने पैसे दे रहे है वो लोग?
गौतम - ये हमें बताना पड़ेगा.. आप बताओ कितना बोलू?
सुमन - एक काम कर दस-पंद्रह तो हज़ार बोल ही दे..
गौतम - आप भी ना माँ.. रुको मैं बात करता हूँ..

गौतम - हेलो MK ज्वेलर्स से बात कर रहे है? ज़ी अच्छा.. वो आपने सुमन ज़ी को इंस्टा पर massage डाला था. ज़ी.. वही वही.. मैं उनकी तरफ से बात कर रहा है.. ज़ी.. नहीं नहीं फ्री है इतवार को, कोई प्लान नहीं है आगे बन जाए कह नहीं सकते.. ज़ी.. हाँ बस वही डिसकस करने में लिए फ़ोन किया था आप कितना अमाउंट ऑफर कर रहे हो इसके लिए सुमन ज़ी को? अच्छा अच्छा.. ज़ी.. नहीं नहीं.. वो सब ठीक है लेकिन अभी सुमन ज़ी उदयपुर गई हुई है तो उनसे बात नहीं हो पाएगी औऱ जो अमाउंट आप बोल रहे हो उसमे तो उनका आना मुश्किल है.. अरे नहीं.. मैं पूरी कोशिश करूंगा.. ज़ी.. ठीक है मैं उनसे बात करके आपको बताता हूँ लेकिन पेमेंट एडवांस करनी होगी आपको.. नहीं उसकी चिंता आप मत करिये.. वो सब हमारी जिम्मेदारी है..

सुमन - क्या हुआ?
गौतम - 20 हज़ार देने को त्यार है..
सुमन ख़ुशी - क्या? जल्दी से हाँ बोल दे..
गौतम - रुको थोड़ा सब्र करो..
थोड़ी देर बाद वापस गौतम फ़ोन मिलता है..
हेलो.. ज़ी.. हाँ वो सुमन ज़ी से बात हो गयी है मैडम आने को त्यार पर 30 से कम में नहीं हो पाएगा.. ज़ी आप जैसा सही समझें.. ठीक है.. नहीं नहीं.. इसी नम्बर पर पेमेंट करना होगा में कॉन्फ्रेंस पर आपकी बात करवा देता हूँ.. ज़ी एक मिनट मैं सुमन ज़ी को लाइन पर लेता हूँ..
फ़ोन म्यूट करके..
गौतम - माँ वो मान गए बस आप थोड़ा कॉन्फिडेंस से बात करना.. ठीक है मैं म्यूट खोल रह हूँ..
गौतम -हेलो.. ज़ी.. वो मैडम कॉन्फ्रेंस पर है..
सुमन - हेलो.. ज़ी गुड इवनिंग.. नहीं आपसे बात कर ली होंगी ना उन्होंने? हाँ तो ठीक है आप पेमेंट कर दीजिये, मैं आ जाउंगी. ज़ी.. चलिए मैं बाद में बात करती हूँ..
गौतम - हेलो.. ज़ी अब तो तसल्ली हो गई आपको? ठीक है.. ज़ी कोई बात नहीं पेमेंट सुबह करवा दीजियेगा.. उसमे क्या बड़ी बात है.. ठीक है..
फ़ोन कट जाता है..
सुमन - क्या हुआ?
गौतम - वो त्यार है सुबह ऑनलाइन पेमेंट करवाने का बोला है.. आप तो अब सुपरस्टार बन गयी..
सुमन - सच वो लोग इतने से काम के इतने वैसे देंगे?
गौतम - माँ ये बड़े बड़े लोग इंस्टा सेलिब्रेती है वो सब लाखों में पैसे लेटे है.. आपके जितने ज्यादा फॉलोवर होंगे उतना ज्यादा पैसा मिलेगा..
सुमन - अच्छा.. फिर जल्दी से औऱ रील्स बना दे मेरी ताकि जल्दी से फोल्लोवेर्स बढ़ जाए..
गौतम - ठीक है पर आपने ही कहा था लोग गलत कमेंट करेंगे.. फिर मत बोलना..
सुमन - करने दो जिसको जो करना.. लोग तो वैसे भी कुछ भी बोलते है..
गौतम - ठीक है पर थोड़ा सा शोओफ भी करना पड़ेगा माँ अपनेआप को.. उसके बिना किसी को आपकी रील्स पसंद नहीं आएगी..
सुमन - शो.. क्या..
गौतम - शोओफ माँ.. आपको थोड़ा सा खुदको दिखाना होगा..
सुमन - मतलब क्या? कैसे दिखाना होगा?
गौतम - कितनी भोली हो आप.. मेरा मतलब है आपको हलके से अपने बूब्स दिखाने होंगे.. लोगों को अट्रैक्ट करने के लिए.. तभी लोग फ़ॉलो करेंगे..
सुमन - पर तेरे पापा ने देख लिया तो? मुश्किल हो जायेगी..
गौतम - उनके पास बाबाआदम के ज़माने का फ़ोन है.. उन्हें कैसे पाता चलेगा?
सुमन - ठीक है.. पर थोड़ा ख्याल रखना.. कुछ ज्यादा ना दिख जाए.. बिलकुल थोड़ा सा..
गौतम - जैसा आप बोलो.. औऱ कोई न्यू सोंग गाना जो ट्रेडिंग में हो.. गौतम फ़ोन का कैमरा ऑन करके..
सुमन - कोनसा गाना ग़ुगु?
गौतम थोड़ा सोचकर ये वाला..
सुमन गाना देखकर -थोड़ा वैसा नहीं है..
गौतम.- माँ इस तरह के ही सोंग गाने पड़ेंगे अगर जल्दी फोल्लोवेर्स चाहिए..
सुमन - ठीक है..
गौतम - माँ थोड़ा पल्लू सरका दो औऱ ब्रा की स्टेप्स ब्लाउज से बाहर कर दो..
सुमन - ग़ुगु.. थोड़ा ज्यादा नहीं हो जाएगा?
गौतम - कुछ नहीं होगा माँ.. गौतम कहते हुए सुमन का पल्लू हल्का हटा देता है औऱ ब्लाउज के अंदर से ब्रा की स्टेप्स कंधे पर कर देता है जिससे सबको हलकी सी ब्रा दिख सके.. चलो माँ गाना शुरु करो..
सुमन -
1st रिल..
रिंग रिंग रिंगा, रिंग रिंग रिंगा, रिंग रिंग रिंगा रिंगा रिंग
खटिये पे में पड़ी थी और गहरी नींद बड़ी थी
आगे क्या मैं कहूं सखी रे
एक खटमल था सायना
मुझपे था उसका निशाना
चुनरी में गुस गया धीरे धीरे
कुछ नहीं समझा वो बुद्धू कुछ नहीं सोचा
रेंग के जाने कहा पंहुचा
रिंग रिंग रिंगा, रिंग रिंग रिंगा, रिंग रिंग रिंगा रिंगा रिंग
2nd रिल..
कितना में तदपि थी
कितना में रोई थी
मैं तो थी अच्छी भली
क्यों भला सोई थी
निगोड़े ने मुझको चैन लेने ना दिया
रोना भी चाहा तो मुझको रोने ना दिया
ओ हो
ऐसी थी उस हरजाई की मक्कारी
मेरे तन बदन में थी लगी चिंगारी
ओ हो अरे हैया हैया हो
रिंग रिंग रिंगा, रिंग रिंग रिंगा, रिंग रिंग रिंगा रिंगा रिंग
रिंग रिंग रिंगा, रिंग रिंग रिंगा, रिंग रिंग रिंगा रिंगा रिंग
गौतम - माँ अब दूसरे सोंग पर..
सुमन - कोनसे?
गौतम - ये वाले..
सुमन - ठीक है..
गौतम - औऱ थोड़ा इस तरफ आ जाओ बैकग्राउंड चेंज कर लो.. एक जैसा अच्छा नहीं लगेगा..
सुमन - ठीक है ग़ुगु.. अब ठीक है?
सुमन - अच्छा ठीक है.. गौतम ने फ़ोन का कैमरा ऑन कर देता है औऱ सुमन से गाने के लिए कहता है..
3rd रिल
आ रे प्रीतम प्यारे
बन्दुक में ना तो गोली मेरे
आ रे प्रीतम प्यारे
सब आग तो मेरी चोली में रे
ज़रा हुक्का उठा, ज़रा चिलम जला
पल्लू के नीचे छुपा के रखा है
उठा दूँ तो हंगामा हो
पल्लू के नीचे दबा के रखा है
उठा दूँ तो हंगामा हो
4th
जोबन से अपने दुपट्टा गिरा दूँ तो
कमले कुवारों का चेहरा खिले
हाय मैं आँख मारूँ तो नोटों की बारिश हो
लख जो हिला दूँ तो जिल्ला हिले
ज़रा टूटी बजा, ज़रा ठुमका लगा
पल्लू के नीचे दबा के रखा है
उठा दूँ तो हंगामा हो
गौतम - सच में माँ कहर छाने वाला है इंस्टा पर तो, आपकी ये रील्स देखकर लोग दीवाने होने वाले है..
सुमन - चल पागल कुछ भी कहता है..
गौतम - माँ भूख लगी है आज क्या बनाया है?
सुमन - तेरे इस रिल औऱ दूदू के चक्कर में खान बनाना तो भूल ही गई.. रुक मैं बना देती हूँ..
गौतम - छोडो ना.. चलो बाहर चलते है आज खाना खाने..
सुमन - अभी पैसे नहीं आये ग़ुगु.. घर में ही खाले जब आएंगे तब चलेंगे.
गौतम - पैसो की चिंता छोडो आप.. आज मेरी तरफ से ट्रीट है मेरी प्यारी माँ को.. चलो मैं चेंज कर लेता हूँ आप भी त्यार हो जाओ..
सुमन - पर ग़ुगु..
गौतम - कोई पर वर नहीं.. अब चुपचाप चलो वरना मैं उठा के ले जाऊंगा आपनी बाहों में भरके आपको ..
सुमन - अच्छा ठीक है.. मैं आती हूँ..

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गौतम सुमन को लेकर शहर के एक महंगे औऱ नामी रेस्टोरेंट में चला गया जिसकी चकाचोध औऱ सजावट देखकर सुमन गौतम से कहती है - ग़ुगु.. बहुत महँगा लग रहा है.. किसी औऱ जगह चलते है..
गौतम - अब ऐसी जगह की आदत डाल लो माँ. औऱ सस्ते महंगे की चिंता मत करो.. अब चलो..
रेस्टोरेंट की खाली टेबल पर गौतम सुमन के सामने बैठ जाता है.. तभी एक वेटर आकर कहता है..
वेटर - सर.. हाउ कैन ई हेल्प यू..
गौतम - ब्रिंग अ वाटर बोतल फर्स्ट देन ई विल टेल यू..
वेटर - ok सर..
गौतम - माँ बताओ क्या खाना है?
सुमन - कुछ भी माँगा लो..
गौतम - यहां की चिकेन करी फमस है खाना है?
सुमन - ग़ुगु.. पागल हो क्या?
गौतम - अरे इसमें क्या मैं वही खाऊंगा. बहुत पसंद है मुझे..
सुमन - ठीक है पर मेरे कुछ मांगवाना..
वेटर - सर योर वाटर बोतल.. एनीथिंग एल्स?
गौतम - वन चीकेन करी without बोन, वन मलाई कोपता एंड वन दाल फ्राई तड़का.. एंड... फुल्का द तवा रोटी.. टु बटर मिल्क विथ बूदी मसाला..
वेटर - ok सर..
गौतम - माँ कुछ औऱ मँगवाना है?
सुमन - नहीं..
कुछ देर बाद वेटर ऑडर लेकर आ गया औऱ टेबल पर लगा दिया..
गौतम में मस्ती में चीकेन करी की प्लेट सुमन के सामने रख दी औऱ बोला - लो आपका मलाई कोपता.. मैं अपनी चीकेन करी खा लेता हूँ..
सुमन ने बिना कुछ सोचे समझें प्लेट से रोटी लेकर चीकेन करी के साथ रोटी खाने लगी औऱ चीकेन के बोनलेस पीस को मज़े से स्वाद लेकर मलाई कोपता मानकर खाने लगी..
गौतम मुस्कुराते हुए मलाई कोपते औऱ दाल के साथ खाना खाने लगा औऱ सुमन को चीकेन खाते देखने लगा..
गौतम - माँ है ना यहां खाना टेस्टी?
सुमन - सच में बहुत टेस्टी है ग़ुगु.. आज तक नहीं खाई ऐसी मलाई कोपते की सब्जी..
गौतम - कहा था ना.. मैं एक प्लेट औऱ मंगवा देता हूँ आपके लिए रुको..
गौतम वेटर को इशारे में वापस एक प्लेट बोनलेस चीकेन करी लाने का बोलता है जो वेटर लाकर टेबल पर रख देता है..
गौतम - माँ लो आपका मलाई कोपता.. मेरी चिकन टेस्ट करनी है बताओ?
सुमन - नहीं खानी तू ही खा उसे.. कहते हुए सुमन ने चीकन करी की दूसरी प्लेट भी उंगलियां चाट कर खाते हुए ख़त्म कर दी..
खाने के बाद वेटर बिल लेकर आ गया..
वेटर - सर योर बिल..
गोतम - ok..
गौतम बिलकर पैसे उस बिल के ऊपर रख देता है औऱ वेटर को दे देता है..
सुमन - ग़ुगु.. कितना हुआ?
गौतम - कुछ माँ मैंने पे कर दिया..
सुमन - दिखा तो..
गौतम - रहने दो..
सुमन वेटर से - भाईया दिखाओ मुझे..
वेटर ने बिल सुमन की तरह बढ़ा दिया जिसमे सुमन रेट देखकर चौंक पड़ी पर कुछ नहीं बोली लेकिन जब उसने देखा की बोनलेस चीकन करी 2 लिखा हुआ ही तो वो वेटर से बोली..
सुमन - भाईसाब ये चिकेन करी का बिल डबल क्यू जोड़ा है आपने हमने तो एक बार ली है..
वेटर - मैडम डबल आई है डबल ही ऐड होगी बिल में.. आपने ही तो मंगवाई औऱ खाई भी है.. इतना कहकर वेटर बिल लेकर चला गया औऱ गौतम सुमन से नज़र बचाने लगा..
सुमन गुस्से में धीरे से - ग़ुगु तूने मुझे नॉनवेज खिला दिया?
गौतम - माँ मैं तो मज़ाक़ कर रहा था आपके साथ, आप खाने लगी फिर मैं क्या करता? वैसे आप ही तो बोल रही थी बहुत टेस्टी है.. आपको पसंद आई..
सुमन - ग़ुगु.. तुझे पता था ना मैं औऱ तेरे पापा शराब औऱ नॉनवेज नहीं खाते फिर भी तूने ये मज़ाक़ किया?
गौतम - सॉरी माँ.. पर आज खाने में इतना खो गई की मैं रोक ही नहीं पाया..
सुमन - कितना बुरा लग रहा है मुझे.. पाता नहीं तेरे पापा को पता लगेगा तब मैं क्या जवाब दूंगी? मैं ना अब तुझसे बात ही नहीं करूंगी..
गौतम - माँ अगर आप ऐसा करोगी तो मैं घर छोड़कर कहीं दूर चला जाऊंगा..
सुमन - दुबारा घर छोड़ने की बात की तो थप्पड़ खायेगा मुझसे समझा? एक तो तेरी सब करतूत पर पर्दा डालू औऱ उसपर तुझसे नाराज़ भी नहीं हो सकती..
गौतम - अच्छा माँ अब चलो घर मुझे बहुत जोर की नींद आ रही है..
सुमन - चल.. मेरी नींद उड़ाकर अब खुद नींद लेना चाहता है..
घर पहुंचने पर गौतम ने मटके से पानी पिया औऱ अपने बेड ओर जाकर लेट गया.. सुमन को नॉनवेज खाने का गिल्ट हो रहा था मगर वो अब क्या कर सकती थी खाते वक़्त उसे इतना स्वाद लगा की वो समझा ही नहीं पाई की ये बिना हड्डी का चीकन है..
कुछ देर गिल्ट में रहने के बाद सुमन आपने बेड ओर लेट गयी औऱ सोने की कोशिश करने लगी मगर नींद उसकी आँखों से उतनी दूर थी जितना दूर धरती से चाँद होता है..
सुमन कुछ देर तो आँखे बंद करके लेटी रही फिर जब उसे नींद नहीं आई तो उसने आँखे खोल ली.. उसे दरवाजे पर गौतम खड़ा दिखा तो वो उसे देखकर बोली -
सुमन - ग़ुगु.. क्या हुआ.. यहां क्यू खड़ा हो?
गौतम - मैं बस देखने आया था आप ठीक तो हो?
सुमन - पहले आपने मन की करके मेरा दिल दुखता है फिर पूछता है ठीक तो हो.. नहीं हूँ मैं ठीक..
गौतम - अच्छा तो ठीक करने के लिए क्या करना पड़ेगा मुझे? पैर दबा दू या सर में तेल की मालिश करू?
सुमन मुस्कुराते हुए - इधर आ..
गौतम सुमन के पास चला जाता है बेड पर बैठ जाता है..
सुमन - आजा.. कुछ मत कर.. बस आज रात मेरे पास यही सोजा..
गौतम - जैसा आप बोलो.. होउत्तम कहते हुए बेड ओर लेट गया औऱ सुमन का हाथ पकड़ कर आँखे बंद कर सोने लगा.. सुमन ने भी प्यार से गौतम को आपने से लगा लिया औऱ उसका सर अपनी छातियों में छुपाकर सोने लगी.. इस बार उसे हलकी हलकी नींद आने लगी औऱ जो नॉनवेज खाने का गिल्ट उसके मन में था वो सब गायब हो गया.. दोनों को कब एक दूसरे के साथ नींद आई उनको पता ही नहीं लगा..

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Gautam ke dono hatho me filhal Ladoo hai 😊 Ghar ke maa bahar Rupa :girlcry:
 

Rudra Roy

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Update - 6


पहाड़ी पर बने उस मन्दिरनुमा हाल के भीतर लोगों की समस्याओ को सुनकर उसका निवारण करने के उपाय बटाने वाले बाबाजी एक कोने में चटाई बिछकार अपनी पत्नी कजरी के साथ भोग में लिप्त थे की तभी एक सेवक ने आकर दरवाजे पर दस्तक दी जिससे बाबाजी के भोग में विघ्न पड़ गया औऱ वो भोग से उठकर बैठ गए औऱ कजरी भी अपने नंगे बदन को चादर से ढककर बैठ गई. बाबाजी ने बाहर जाकर उस सेवक से इस विघ्न की वजह पूछने लगे..
बाबाजी - क्या हुआ किशोर? इस तरह आधी रात को यहां आने का क्या कारण है?
किशोर अपने घुटनो पर बैठ गया औऱ दंडवत प्रणाम कर बोला - बाबाजी बात ही कुछ ऐसी है कि मुझे जंगल छोड़कर यहां इस वक़्त आपके पास आना ही पड़ा..
बाबाजी - ऐसा क्या हो गया किशोर कि सुबह तक का इंतजार करना भी तेरे लिए मुश्किल हो गया?
किशोर - माफ़ी चाहता हूँ बाबाजी पर बड़े बाबाजी ने अविलम्ब आपको उनके समक्ष उपस्थित होने का आदेश दिया है..
बाबाजी हैरानी से किशोर को देखते है एक शॉल को कंधे पर लपेटकर - अचानक उनका मुझे बुलाना.. जरूर कोई बात है.. चल किशोर..
बाबाजी किशोर के साथ हॉल से निकल जाते है औऱ कच्चे रास्ते से होते हुए पहाड़ी के पीछे जंगल की ओर नीचे उतरने लगते है.. वही कजरी अपने वस्त्रो को वापस बहन लेती है और असमंजस में अचानक बाबाजी के जाने का कारण सोचने लगती है..
बाबाजी - कुछ ओर भी कहाँ था उन्होंने?
किशोर - नहीं बस साधना से निकले तो तुरंत आपको बुलाने का हुक्म दे दिया..
बाबाजी - किसी सेवक से कोई चूक तो नहीं हुई उनकी सेवा में?
किशोर - चूक कैसी बाबाजी? सब जानते है चूक का परिणाम क्या हो सकता है. हर दिन जैसा ही सब कुछ आज भी हुआ, पर साधना से उठते ही उनके चेहरे पर अजीब भाव थे.
बाबाजी - अच्छा चल..

बाबाजी ओर किशोर पहाड़ी से नीचे उतरकर जंगल में आ गए जहाँ आने से कोई भी डर सकता था.. और किसी का आना वहा सामान्य भी नहीं था. जंगल के अंदर कुछ दूर जाकर एक कुटिया दिखाई पड़ी जिसके बाहर दो लोग पहरा दे रहे थे. बाबाजी किशोर के साथ उस कुटिया तक आ पहुचे फिर बाबाजी ने किशोर को रुकने का कहा और कुटिया के अंदर जाने के लिए दरवाजे पर दस्तक देते हुए बोले - गुरुदेव..
बड़े बाबाज़ी - अंदर आजा विरम..

बाबाजी कुटिया में प्रवेश करते हुए कुटिया में एक तरफ बैठकर चिल्लम पीते बड़े बाबाज़ी के चरणों में अपना मस्तक रखकर सामने अपने दोनों पैरों पर उसी तरह बैठ गए जिस तरह सुबह सुबह खेतो में गाँव के लोग अपना मल त्यागने के लिए पानी का लोटा लेकर बैठते है..

बाबाजी - आधी रात को अचानक बुलावाया है गुरुदेव. जरूर कोई बहुत बड़ा कारण होगा. आदेश करें गुरुदेव आपका ये शिष्य आपकी किस तरह सेवा कर सकता है?
बड़े बाबाजी - विरम.. वक़्त आने वाला है.. सेकड़ों सालों पहले मेरे किये गलत निर्णय को बदलने का.. मुझे कोई मिल गया है जो मेरा काम कर सकता है..
बाबाजी - ऐसा कौन है गुरुदेव? मैंने इतने सालों में लाखों लोगों के माथे की लकीरें पढ़ी है.. इसी उम्मीद में की काश कोई आये जो अपने पिछले जन्म में जाकर आपकी मदद कर सके.. पर आज तक ऐसा नहीं हुआ..
बड़े बाबाज़ी - जो मुझे 300 सालों से कहीं नहीं मिला वो मुझे इसी कुटिया मैं बैठे बैठे मिल गया विरम.. बस कुछ दिनों का इंतज़ार और..
बाबाजी - पर क्या वो आपका काम कर पायेगा?
बड़े बाबाजी - अगर कारण हो तो आदमी सब कुछ कर गुजरता है विरम.. बस उसे एक वजह देनी होगी, मैं जल्दी ही उसे सब समझाकर इस काम के लिए सज्य कर लूंगा.. उसके मासूम चेहरे और सादगी भरे स्वाभाव से लगता है वो जरूर आसानी से अपने पिछले जन्म में जाकर मेरी गलती को सुधार सकता है. मेरे लिए बैरागी को ढूंढ़ सकता है. और मेरे हाथों उसका क़त्ल होने से बचा सकता है.
बाबाजी - इस अंधियारे में जो रौशनी आपने दिखाई है गुरुदेव, उससे नई उम्मीद मेरे ह्रदय के अंदर पनपने लगी है.. जिस जड़ीबूटी को अमर होने की लालच में अमृत मानकर आपने ग्रहण किया था अब उसी जड़ीबूटी से आपकी मुक्ति भी होगी..
बड़े बाबाजी - लालच नर्क की यातनाओ के सामान है विराम.. मेरे अमर होने के लालच ने मुझको उसकी सजा दी है.. मैं भूल बैठा था की जीवन और मृत्यु प्रकृति का अद्भुत श्रृंगार है जिसे रोकने पर प्रकृति की मर्यादा भंग होती है..
बाबाजी - आप सही कह रहे है गुरुदेव. जिस तरह पहले आप पर अमर होने का लालच हावी थी अब मृत्यु का लालच हावी है.. लेकिन गुरुदेव? जिसे आपने ढूंढा है वो अपने पिछले जन्म कौन था? उसका कुल गौत्र और लिंग क्या था? वो आपके जागीर की सीमा के भीतर का निवासी था या बाहर का? अपने उसका पिछला जन्म तो देखा होगा?
बड़े बाबाजी - वो मेरी ही जागीर की सीमा के भीतर का निवासी है विरम. मैंने अभी उसका पिछला जन्म देखा है. वो हमारी ही सेना में एक सैनिक धुप सिंह का पुत्र समर है.. मगर एक अड़चन है विरम..
बाबाजी - क्या गुरुदेव? कैसी अड़चन?
बड़े बाबाजी - प्रेम की अड़चन विरम.. मुझे साफ साफ दिखाई दिया है की उसे किसी से प्रेम हो सकता है जो हमारे कार्य के लिए अड़चन बन सकती है.. वो वही का होकर रह सकता है.. और बैरागी को ढूंढने से मना करके जड़ीबूटी लेकर वापस आने से भी इंकार कर सकता है..
बाबाजी - इसका उपाय भी तो हो सकता है गुरुदेव, अगर उसके पास वापस आने की बहुत ठोस वजह हो तो? अगर उसे वापस आना ही पड़े तो?
बड़े बाबाजी - इसीके वास्ते तुझे याद किया है विरम..
बाबाजी - मैं समझा नहीं गुरुदेव..
बड़े बाबाजी - बड़े दुख की बात है विरम की जो तुझे खुद से समझ जाना चाहिए वो तू मुझसे सुनना चाहता है.. मैंने पिछले 40 साल में तुझे इस प्रकर्ति के बहुत से रहस्य बताये है जिनसे तूने हज़ारो लोगों की मदद की. लेकिन तू अपनी मदद नहीं कर पाया. जब तू 16 साल की उम्र में घर से मरने की सोचके निकला था तब से लेकर आज तक मैंने हर बार तेरा मार्गदर्शन किया है. एकलौता तू ही है जिसे मैंने अपना रहस्य भी बताया है. पूरी दुनिया के सामने अपना छोटा भाई बनाकर रखा है.. मैंने अपनी पिछले 350 की जिंदगी में जितने भी रहस्य इस धरती और प्रकर्ति के बारे में जाने है उनमे से जो तेरे जानने लायक थे लगभग सही तुझे बता दिए है.. उनसे तो तुझे मालूम होना चाहिए था की मैं क्या कहा रहा हूँ..
बाबाजी - गुरुदेव. ये सत्य है की आज से 40 साल पहले जब मुझे मेरे घर से निकाल दिया गया था तब से लेकर आज तक आपने मुझे संभाला है. रास्ता दिखाया है. इस बार भी इस नादान को बताये गुरुदेव. मैं क्या कर सकता हूँ आपके लिए?
बड़े बाबाजी - विरम मैं जिस लड़के की बात कर रहा हूँ उसकी माँ तेरे मठ में आती है. तुझे उसे एक काम के लिए मनाना होगा.. क्युकी उसके बिना उस लड़के का वापस आना मुश्किल है..
बाबाजी - आप बताइये गुरुदेव, क्या करने के लिए मनाना होगा मुझे उस औरत को?
बड़े बाबाजी - ठीक है विरम, सुन..
बड़े बाबाज़ी अपनी बात कहना शुरुआत करते है जिसे बाबाजी उर्फ़ विरम ध्यान से सुनता है और समझ जाता है.. उसके बाद बड़े बाबाजी से विदा लेकर वापस मठ की और चला जाता है..

बड़े बाबाज़ी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह 325 साल पहले अजमेर की एक जागीर के जागीरदार थे और उनका अपना एक महल था सैकड़ो नौकरचाकर और इसीके साथ राजासाब की सेना की एक टुकड़ी भी हर दम बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह के महल की सुरक्षा में तनात रहती थी. 1699 में वीरेंद्र सिंह इस महल में एक राजा की तरह ही राज कर रहा था. वीरेंद्र सिंह का रुझान हकीमी और जादू टोने में बहुत ही ज्यादा था.. उसने सबसे छुपकर कई लोगों से इसका ज्ञान भी लेना शुरू कर दिया था और वैध की औषधियों के बारे में भी जानना जारी रखा..

बैरागी नाम के एक मुसाफिर आदमी की मदद से वीरेंद्र ने एक ऐसे पौधे को जमीन से उगवाया जो हज़ार साल में एक बार ही उग सकता है, जिससे आदमी अपनी उम्र के 11 गुना लम्बे समय तक ज़िंदा रह सकता है.. और अमर होने की लालच में आकर वीरेंद्र सिंह ने उस पौधे से मिली जड़ीबूटी का सेवन कर लिया..

बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह ने जड़ीबूटी का सेवन तो कर लिया मगर उसकी उम्र बढ़ना नहीं रुकी. जब उसने जड़ीबूटी खाई थी तब उसकी उम्र 35 साल थी और उसे लगा था की अब वो अमर हो जाएगा मगर.. धीरे धीरे उसकी उम्र बढ़ती गई जिससे वीरेंद्र सिंह को लगा की इस जड़ीबूटी का कोई असर नहीं हुआ और ये उसे अमर नहीं कर पाई.. वीरेंद्र सिंह ने गुस्से में आकर जड़ीबूटी बनाने वाले आदमी जिसे सब बैरागी के नाम से जानते थे को मरवा दिया.

लेकिन जब धीरे धीरे बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह 73 साल का हुआ तो उसकी उम्र बढ़ना रुक गई और फिर उसे समझ आया की उस जड़ीबूटी का असर आदमी के मरने की उम्र गुजरने के बाद शुरू होता है और जितने साल उसकी जिंदगी होती है उसके गयराह गुना साल आगे वो और ज़िंदा रह सकता है.. वीरेंद्र पहले तो ये सोचके बहुत ख़ुशी हुई की अब वो अपनी उम्र 73 साल के 11 गुना मतलब लगभग 800 साल ज़िंदा रहेगा मगर कुछ दिनों बाद ही उसे समझ आ गया की बैरागी को मारवा कर उसने बहुत गलत किया है.. 73 साल इस उम्र में उसका 800 साल ज़िंदा रहना वरदान नहीं अभिश्राप था.. ना तो भोग कर सकता था ना ही जीवन के वो सुख भोग सकता था जो जवानी आदमी को भोगने का अवसर देती है..

बड़े बाबाजी उर्फ़ वीरेंद्र सिंह अब अपने फैसले पर बहुत दुखी हुआ और फिर उसने अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया की उसे वही जड़ी बूटी वापस बनाकर अपनी ये जिंदगी समाप्त करनी है.. इसके लिए सालों साल वीरेंद्र सिंह उर्फ़ बड़े बाबाजी ने बड़े बड़े सिद्ध महात्मा, अघोरी और तांत्रिक की सेवा कर उनसे ज्ञान और रहस्य की जानकारी ली और हमारी धरती के बारे में बहुत सी बातें जानी. यहां जो आयाम है उसके बारे में जाना और बहुत बार भेस बदलकर लोगों से मिलते हुए वीरेंद्र सिंह ने इतनी जानकारी और ताकत हासिल कर ली और इस प्रकृति के कुछ रहस्य जान गया. वह अब ये जान गया था कि अगर कोई आदमी जिसका पिछला जन्म उसी वक़्त हो जब वीरेंद्र वो जड़ी बूटी बनवाने वाला था.. तभी उसका काम हो सकता है.. और वो इस अभिश्राप से बच सकता है..

वीरेंद्र सिंह उर्फ़ बड़े बाबाज़ी ने गौतम को ढूंढ़ लिया था गौतम पिछले जन्म में वीरेंद्र सिंह के सिपाही का लड़का था.. अब वीरेंद्र सिंह उर्फ़ बड़े बाबाजी यह चाहते थे कि गौतम अपने पिछले जन्म में जाकर बैरागी को ढूंढे और उससे वो जड़ीबूटी बनवा कर उसे वर्तमान में लाकर दे दे.. ताकि 350 सालों से इस उम्र में अटके बड़े बाबाजी के प्राण बह जाए और उनकी मुक्ति हो..

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सुबह जब गौतम की आँख खुली तो सामने का नज़ारा देखकर उसका लंड रबर के ढीले पाईप से लोहे की टाइट रोड जैसा तन गया जिसे उसने सोने का नाटक करते हुए छीपा लिया..
आज गौतम की आँख औऱ दिनों के बनिस्पत जल्दी खुल गई थी औऱ उसने अभी अभी नहाकर आई अपनी माँ सुमन की टाइट बाहर निकली हुई नंगी गोरी गांड देखी जिसे सुमन ने चड्डी पहनकर अब ढक लिया था औऱ बाकी कपडे पहनने लगी थी.. गौतम सोने का नाटक करते हुए सारा नज़ारा देखने लगा जब सुमन कपडे पहन कर बाहर चली गई तो आपने लंड को मसलते हुए सुमन की गांड याद करने लगा.. करीब आधे घंटे वैसा ही करने के बाद गौतम उठ गया औऱ कमरे में जाकर बाथरूम करके वापस आपने बेड पर सो गया जिसे एक घंटे बाद चाय लेकर आई सुमन ने बड़े लाड प्यार औऱ नाजुकी से उठा दिया..

सुमन - उठ जा मेरी सल्तनत के बिगड़ैल शहजादे.. बाबाजी के भी चलना है.. चाय पीले औऱ नहा ले जाकर..
गौतम अंगड़ाई लेकर उठ खड़ा होता है औऱ चाय पीकर उसी तरह खिड़की से बाहर देखता है.. तभी उसका फोन बजने लगता है..
गौतम - हेलो.. ज़ी? MK ज्वेलर्स से? हां बोल रहा हूँ.. अच्छा अच्छा.. ज़ी रात को बात हुई थी.. मगर.. नहीं वापस बात कर सकते है उस बारे में.. सुनिए.. हेलो..
फ़ोन कट गया था..
गौतम मन में - अरे यार किस्मत में लोडे लिखें है. एक ऑफर आया था वो भी गया नाली में..
गौतम जैसे ही फ़ोन काटता है उसके फ़ोन पर किसी औऱ का फ़ोन आने लगता है..

गौतम - हेलो..
सामने से कोई औरत थी - हेलो ग़ुगु..?
गौतम - हाँ.. पिंकी बुआ बोलो..
पिंकी -35
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पिंकी - ग़ुगु.. पापा कहाँ है?
गौतम - वो तो अभी थाने में है.. आजकल नाईट शिफ्ट है औऱ पोस्टिंग घर से थोडी दूर ग्रामीण इलाके में है तो घर देर से आते है.. 10 बजे तक आ जायेंगे..
पिंकी - ग़ुगु.. भईया से कहना मैं शाम को घर रही हूँ..
गौतम - क्यू मतलब कब? आज शाम की ट्रैन से?
पिंकी - ट्रैन से नहीं मेरे ग़ुगु.. गाडी से.. पर तू खुश नहीं है क्या मेरे आने से? लगता बहुत उल्टी सीधी पट्टी पढ़ा दी तेरी माँ ने तुझे अपनी बुआ के बारे में..
गौतम - अरे बुआ आप क्या बच्चों वाली बात कर रही हो.. मुझसे ज्यादा कोई खुश हो सकता है आपके आने पर? जल्दी से आ जाओ, आपसे ढेर सारी बात करनी है..
पिंकी - ओहो मेरा ग़ुगु इतना याद करता है अपनी बुआ को? पहले पता होता तो पहले आ जाती.. बता तुझे क्या चाहिए? क्या लाऊँ तेरे लिए?
गौतम - मुझे कुछ नहीं चाहिए बुआ? आप जल्दी से आकर मुझे मेरे गाल पर मेरी किस्सीया देदो उतना काफी है मेरे लिए..
पिंकी - ओह... मेरे ग़ुगु को हग भी मिलेगा औऱ किस्सी मिलेगी.. गाल पर भी औऱ लिप्स पर भी. तेरी बुआ कोई पुराने जमाने की थोड़ी है..
गौतम - बुआ माँ से बात करोगी?
पिंकी - अरे नहीं.. रहने दे ग़ुगु.. तेरी माँ पहले ही मुझसे चिढ़ती है.. तेरी माँ को तो मैं खुद आकर सरप्राइज दूंगी..
गौतम - सरप्राइज ही देना बुआ.. अटैक मत दे देना.. चलो मैं रखता हूँ,
पिंकी - ग़ुगु.. तू बस एड्रेस massage कर दे मुझे.. सरप्राइज तो देना है तेरी माँ को..
गौतम - ठीक है बुआ.. अभी करता हूँ..
पिंकी - ग़ुगु.. मन कर रहा है अभी फ़ोन में घुसके तुझे किस्सी कर लू..
गौतम - मैं वेट कर लूंगा शाम तक आपकी किस्सी का.. आप आराम से आ जाओ.. बाय बुआ..
पिंकी - बाये ग़ुगु.. अपना ख्याल रखना..

गौतम फ़ोन काटकर नहाने चला जाता है औऱ नहाकर एक डार्क नवी ब्लू शर्ट एंड लाइट ब्लू जीन्स के साथ वाइट शूज दाल लेटा है जिसमे आज बहुत प्यारा औऱ खूबसूरत लग रहा था.. उसे देखकर कोई भी कह सकता था की ग़ुगु आज भी स्कूल ही जाता होगा.. गौतम इतना मासूम औऱ मनभावन लग रहा था की सुमन ने आज घर से बाहर निकलने से पहले उसे कान के पीछे काला टिका लगा दिया था.. दोनों बाइक पर बैठके बाबाजी के पास चल पड़े थे..

सुमन - आज पेट्रोल नहीं भरवाना?
गौतम - नहीं माँ, है बाइक में तेल..
सुमन - अच्छा ज़ी.. औऱ कुछ खाना नहीं है रास्ते में?
गौतम - भूख नहीं है आपको खाना है?
सुमन - अगर मेरा ग़ुगु खायेगा तो मैं भी खा लुंगी..
गौतम थोड़ा आगे उसी कोटा कचोरी वाले की दूकान ओर बाइक रोक देता है औऱ जाकर कचोरी लेने लगता है तभी उसका फ़ोन बजता है..
गौतम - हेलो..
रूपा - मेरा बच्चा कहा है?
गौतम - अरे यार वो बाबाजी नहीं है *** पहाड़ी वाले? उनके पास जा रहा हूँ माँ को लेकर..
रूपा - अच्छा ज़ी माँ को लेकर जा रहे हो औऱ अपनी इस मम्मी से पूछा तक नहीं चलने के लिए?
गौतम - मैं नहीं मानता किसी बाबा-वाबा को.. माँ मुझे लेकर जा रही है.. वैसे सुबह सुबह कैसे याद कर लिया?
रूपा - अरे ये क्या बात हुई भला? अब मैं अपने बच्चे को याद भी नहीं कर सकती?
गौतम - मम्मी यार रास्ते में हूँ पहुँचके फ़ोन करता हूँ..
रूपा - अरे सुनो तो..
गौतम - जल्दी बोलो..
रूपा - कुछ नहीं रहने दो जाओ..
गौतम - ठीक है बाद में बात करता हूँ..
गौतम फ़ोन काट कर कचोरी ले आता है..
गौतम - माँ लो..
सुमन गौतम से कचोरी लेकर खाने लगती है औऱ कहती है..
सुमन - क्या बात है? कल रात को खाने का बिल औऱ आज गाडी में तेल फुल? कचोरी के पैसे भी नहीं मांगे तुने मुझसे? कोई लाटरी लगी है तेरी?
गौतम - कुछ नहीं माँ वो पुरानी कुछ सेविंग्स थी मेरे पास तो बस..
सुमन - अच्छा ज़ी? पर सेविंग तो आगे के काम के लिए बचा के रखते है ना? तू खर्चा क्यू कर रहा है?
गौतम - अब नहीं करुंगा माँ.. कितने सवाल पूछती हो आप इतनी छोटी बात के लिए?
सुमन - छोटी सी बात? तेरे छोटी बात होगी मेरे लिए नहीं है.. मुझे मेरा वही ग़ुगु चाहिए.. जो पेट्रोल से लेकर कचोरी तक चीज पर कमीशन खाता है..
गौतम - अच्छा ठीक है मेरी माँ.. अब चलो वैसे भी आज ज्यादा भीड़ मिलेगी आपके बाबाजी के.. अंधभगतो की गिनती बढ़ती जा रही है इस देश में..
सुमन - ठीक है मेरे ग़ुगु महाराज.. चलिए..

गौतम सुमन को बाइक पर बैठाकर बाबाजी की तरफ चल पड़ता है वही रूपा के मन में भी गौतम को देखने की तलब मचने लगती है और वो करीम को फ़ोन करती है..
रूपा - हेलो करीम..
करीम - सलाम बाजी..
रूपा - कहा है तू?
करीम - बाजी, सवारी लेने निकला हूँ स्टेशन छोडके आना है..
रूपा - आज तेरी बुक मेरे साथ है.. सबकुछ छोड़ औऱ कोठे पर आ जल्दी.. कहीं जाना है..
करीम - जैसा आप कहो बाजी.. अभी 5 मिनट में हाज़िर होता हूँ..

रूपा करीम से बात करके आईने के सामने खड़ी होकर आपने आपको निहारने लगती है.. सर से पैर तक बदन पर लदे कीमती कपडे औऱ जेबरात उसे ना जाने क्यू बोझ लगने लगे थे. आज उसका दिल कुछ साधारण औऱ आम सा पहनने का था. उसने अपने कमरे की दोनों अलमीराओ का दरवाजा खोल दिया औऱ कपडे देखने लगी, कुछ देर तलाशने के बाद उसे एक पुराना सूट जो कई बरस पहले करीम की इंतेक़ाल हो चुकी अम्मी ने उसे तोहफ़े में दिया था रूपा ने निकाल लिया औऱ अपने कीमती लिबास औऱ गहनो को उतारकर वो सूट पहन लिया.. फिर एक साधारण घरेलु महिलाओ की तरह माथे पर बिंदिया आँखों में काजल औऱ होंठों पर हलकी लाली लगाकर बाल बनाना शुरु कर दिया..
इतने में करीम का फ़ोन आ गया औऱ उसने नीचे खड़े होने की बात कही..

रूपा जब अपने कमरे से निकल कर बाहर जाने लगी तो रेखा काकी ने उसके इस रूप को देखकर अचंभित होते हुए कहा..
रेखा काकी - कहो रूपा रानी.. आज विलासयता त्याग कर ये क्या भेस बनाई हो?
रूपा - दीदी वो आज एक साधु बाबा के यहां जा रही हूँ तो सोचा कुछ साधारण पहन लू.
रेखा काकी - साधारण भी तुझपर महंगा लगता है रूपा रानी.. तेरा रूप तो इस लिबास में औऱ भी खिल कर सामने आ गया.. आज भी याद है, पहले पहल जब तू यहां आई थी तब इसी तरह के लिबास में अपने रूप से लोगों का मन मोह लिया करती थी.. मेरी चमक को कैसे तूने अपने इस हुस्न से फीका कर दिया था.
रूपा - आपकी चमक तो आज भी उसी तरह बरकरार है दीदी, जिस तरह जगताल के कोठो की ये बदनाम गालिया.. मैं तो कुछ दिनों की चांदनी थी अमावस आते आते बुझ गई..
रेखा काकी - ऐसा बोलकर मुझे गाली मत दे रूपा... मैं तेरा मर्ज़ तो जानती थी पर कभी तेरे मर्ज़ का मरहम तुझे नहीं दे पाई.. जो सपना तेरा है वो मैं भी कभी अपनी आँखों से देखा करती थी.. पर तवायफ के नसीब में सिर्फ कोठा ही होता है..
रूपा - मेरा सपना तो बहुत पहले टूट चूका है दीदी, कब रूपा रानी से रूपा मौसी बन गई पता ही नहीं चला.. अच्छा चलती हूँ आते आते शायद शाम हो जाएगी.
रूपा रेखा से विदा लेकर कोठे के बाहर करीम की रिक्शा में आ जाती है यहां करीम सादे लिबाज़ में रूपा को देखकर हैरात में पड़ जाता है मगर कुछ नहीं बोलता..

करीम - कहाँ चलना है बाजी?
रूपा - *** पहाड़ी पर कोई बाबा है उसके यहां..
करीम - पर आप तो मेरी तरह ऐसे बाबाओ औऱ खुदा पर यक़ीन ही नहीं करती थी..
रूपा - यक़ीन तो आज भी नहीं करीम.. पर सोचा मांग के देख लू शायद कोई चमत्कार हो जाए..
करीम - जैसा आप बोलो..
रूपा - करीम.
करीम - हाँ बाजी..
रूपा - तुझे बुरा तो नहीं लगा मैंने अचानक तुझे बुला लिया..
करीम - बुरा किस बात का बाजी, ये ऑटोरिक्शा आपने ही तो दिलवाया है अब आपके ही काम नहीं आएगा तो फिर इसका क्या मतलब? वैसे बाजी ये साधारण सा सूट भी आपके ऊपर बहुत खिल रहा है..
रूपा - हम्म.. कुछ साल पहले मुझे तोहफ़े में मिला था.. पाता है किसने दिया था?
करीम - नहीं.
रूपा - तेरी अम्मी ने. आज भी बहुत याद आती है वो.


करीम औऱ रूपा दोनों करीम की अम्मी खालीदा को याद करके भावुक हो चुके थे.. खालीदा भी उसी कोठे पर तवयाफ थी करीम को बहुत दिल से पाला था उसने. खालिदा की मौत के बाद करीम का ख्याल रूपा ने ही रखा था औऱ उसे ये ऑटोरिक्शा दिलाकर चलाने औऱ कोठे पर रंडियो की दलाली से दूर रहने के लिए कहा था.. थोड़ी सी रंजिश में करीम को उसीके दोस्तों ने नामर्द बना दिया था अब करीम अकेला था मगर खुश था.. उसे किसी चीज की जरुरत होती तो रूपा उसे मदद कर देती बदले में रूपा ने करीम की वफादारी खरीद ली थी..
bhai immortality wardan ya shrap ek psychological and philosophical subject raha hai hamesa se or uske uper time traveling ka concept....bohot mast idea hai story ka .
 

moms_bachha

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Galati se tutt gaya toh?
Ek mummy ke bandh dena usko bhi mza aa jaayega 😂
bhai immortality wardan ya shrap ek psychological and philosophical subject raha hai hamesa se or uske uper time traveling ka concept....bohot mast idea hai story ka .
Hmmm ye to hai..
Nice update bro।।
Waiting for next update 😜
Thanks❤️
Shaandar super hot erotic mast update 💓 💓 🔥 🔥 🔥 🔥
Gautam ke dono hatho me filhal Ladoo hai 😊 Ghar ke maa bahar Rupa :girlcry:
❤️❤️❤️😊
 
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