Dhakad boy
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Maza aaya padh keUpdate 8
सुमन - अच्छा बता तो दे क्या सरप्राइज है ग़ुगु.. अब तो घर भी आ गए..
गौतम - कुछ देर में अपनी आँखों से देख लेना ना..
सुमन - कोई आने वाला है?
गौतम - हाँ..
सुमन - कौन आने वाला है ग़ुगु?
गौतम - बताने के लिए माना किया माँ सॉरी..
सुमन - अपनी माँ से भी छुपायेगा?
गौतम - हाँ छुपाना पड़ेगा माँ.. सॉरी..
सुमन - ठीक है मत बता मैं भी तुझसे नाराज़ हो जाउंगी..
गौतम - अगर बता दिया तो भी नाराज़ हो जाओगी माँ..
सुमन - अच्छा ऐसा है.. चल फिर रहने दे, मैं बाजार जा रही हूँ. कुछ लाना तेरे लिए?
गौतम - नहीं.. आप जल्दी आ जाना आपको हमेशा मार्किट घूमने में मज़ा आता है.. देर कर देती हो..
सुमन - अच्छा तो तू भी चल ना साथ में, मेरी मदद करवा देना..
गौतम - नहीं नहीं मैं नहीं जाऊ, आप के साथ मार्किट जाना मतलब फ़ालतू का झंझट.. आप ही जाओ..
सुमन - अच्छा ठीक है.. तू यही रुक मैं जाती हूँ.. आज बहुत सा सामान खरीदना है..
कहते हुए सुमन घर से चली जाती है औऱ गौतम दरवाजा बंद करके बेड पर आ जाता है..
गौतम थोड़ी देर लेटा ही था की दरवाजे पर दस्तक हुई..
गौतम ने उठकर दरवाजा खोला तो सामने पिंकी बुआ थी..
पिंकी अंदर आकर गौतम को गले से लगा लेती है औऱ उसके गाल औऱ होंठों पर कई चुम्मे कर देती है..
गौतम - बुआ आराम से.. खा जाओगी क्या?
पिंकी - हाँ खा जाउंगी मैं मेरे ग़ुगु को..
गौतम ने अपने कलाई पर बंधा धागा लाल देखा तो वो समझ गया की पिंकी के मन में क्या है औऱ वो मुस्कुराते हुए पिंकी से बोला..
गौतम - अंदर चल कर खा लेना बुआ यहाँ कोई देख लेगा.. मैं दरवाजा बंद कर देता हूँ..
पिंकी - ठीक है मेरे ग़ुगु ज़ी..
गौतम ने घर का दरवाजा बंद कर दिया औऱ अंदर अपने रूम में पिंकी के बेग रखकर बोला..
गौतम - बुआ चाय बनाऊ आपके लिए..
पिंकी - चाय वाई रहने दे तू इधर आ.. अपनी बुआ के पास.. 1 साल से तुझे ठीक से नहीं देखा.. अभी भी वैसा का वैसा ही है..
गौतम - आप भी कहा बदली हो बुआ.. पहले भी मेरे पीछे पड़ी रहती थी अब भी पड़ी हो..
पिंकी - ओह हो.. अब ग़ुगु ज़ी को बातें भी सूझने लगी है.. पहले तो एक शब्द नहीं निकलता था जुबान से.. वैसे तेरी माँ कहाँ है उन्हें तो सरप्राइज तो दू..
गौतम - मार्किट गई है आने थोड़ी देर लगेगी उन्हें..
पिंकी - ठीक है इधर आ.. तब तक तू अपनी बुआ की प्यास बुझा दे..
गौतम - काटना मत पिछली बार की तरह..
पिंकी - चल ठीक है मेरे दिल के टुकड़े.. नहीं काटूंगी.. अब इन लबों को मेरे हवाले कर दे..
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पिंकी बड़े चाव से गौतम के होंठों को चुम रही थी जैसे उसे कोई खिलौना मिल गया हो खेलने को. गौतम भी पिंकी का पूरा साथ देते हुए उसके लबों का रस पिने में मशगूल था और अब उसे ये अहसास हो रहा था की वो आगे कुछ एयर भी कर सकता है.
पिंकी गौतम को अपनी बाहों में लेकर चूमने लगती है तभी गौतम अपना हाथ पिंकी के बूब्स पर लेजाता है औऱ हलके से पिंकी के बूब्स दबाने लगता है जिसका मीठा अहसास पिंकी को जब होता है वो चुम्बन तोड़कर मुस्कुराती हुई गौतम से कहती है.. दबाना है तो ठीक से दबा ना, मैं मना थोड़ी करुँगी अपने ग़ुगु को किसी चीज के लिए.. रुक मैं कुर्ती उतार देती हूँ फिर अच्छे से कर लेना जो करना है तुझे?
गौतम - बुआ सोच लो.. अब मैं बच्चा नहीं रहा.. कुछ भी हो सकता है..
पिंकी - सोचना क्या है? तू मेरे साथ जो करना चाहता है कर ले. तुझे तो सब माफ़ है..
गौतम - सोच लो फूफा ज़ी को जवाब नहीं दे पाओगी बाद में.. क्या हुआ था औऱ किसने किया था?
पिंकी - उसकी चिंता छोड़.. वैसे भी जो बात मेरे मन में थी और मैं कहना चाहती थी तूने खुद ही बोल दी.. अब किस बात का इंतजार है आजा अपनी बुआ के पास..
कहते हुए पिंकी ने गौतम को अपने ऊपर खींच लिया औऱ उसके होंठों को वापस पागलो की तरह चूमने लगी जैसे उसे कोई रस मिल रहा हो गौतम के लबों से.. गौतम भी पूरा साथ देते हुए ब्रा के अंदर हाथ डालकर पिंकी के विकसित उन्नत उरोजो को मसलने लगा.. पिंकी की सिसकारियों से कमरे का माहौल कामुक हो रहा था..
गौतम चुम्बम तोड़कर बोला - बहुत प्यारे होंठ है बुआ आपके..
पिंकी - औऱ ये जो तूने मेरी ब्रा के अंदर पकड़े हुए है उनका क्या? कैसे है मेरे बूब्स?
गौतम - अभी चख के बताता हूँ बुआ.. गौतम थोड़ा नीचे आ गया औऱ पिंकी का बॉब्स मुंह में लेकर चूसने लगा.. पिंकी ने अपनी ब्रा उतार दी औऱ गौतम को बड़े प्यार अपने बूब्स चूसाते हुए छेड़ने लगी..
पिंकी - बता ग़ुगु.. किसका दूदू ज्यादा मीठा है मेरा या तेरी माँ का? हम्म? अब क्यू नहीं बोलता.. तब से बड़ी जुबान चला रहा था तू..
गौतम ने पिंकी की बात का जवाब न देते हुए उसका बोबा चूसना जारी रखा औऱ बीच बीच में उसके बूब्स पर लव बाइट भी कर दी जिससे पिंकी की कामुकता बढ़ती गई.. पिंकी ने गौतम को किसी भी हरकत पर नहीं रोका उल्टा उसके सर को सहलाते हुए उसे और भी आगे बढ़कर कुछ और करने का कहने लगी.
गौतम - बुआ बहुत मीठा दूध आता आपके इन चुचो से.. मज़ा आ गया पीके..
पिंकी - बुआ का दूध पीके तूने तो मज़ा ले लिया अब मुझे भी तो मज़ा चाहिए.. मेरा ग़ुगु का रस मुझे भी पीना है..
गौतम पिंकी का हाथ पकड़कर अपने लंड पर रखते हुए कहता है..
गौतम - बुआ आपका मज़ा यहां है, जितनी मर्ज़ी चाहो अपना मज़ा लेलो मैं रोकूंगा नहीं आपको..
इस बार पिंकी भी गौतम की बेशर्मी पर शर्मा गई लेकिन एक उत्तेजना उसके बदन में दौड़ गई..
पिंकी एक 35 साल की औरत थी जिसकी शादी एक 56 साल के आदमी के साथ हो गई थी क्युकी वो पैसे वाला था.. पिंकी को भोगविलास की वस्तु तो बहुत मिली पर जिस्मानी सुख से वो अब तक अनजान थी.. लोगों से हंसी ठिठोली करना उसके लिए आम था औऱ एक दो लोगों के साथ उसके नाजायज सम्बन्ध भी बने लेकिन सब शीघ्रपटन वाले थे, पिंकी की काम पिपासा जाग्रत हो चुकी थी..
पिंकी गौतम को बचपन से बड़ा लाड प्यार करती थी औऱ उसके साथ छेड़खानी भी करती थी.. उसके लिए गौतम उसका सबकुछ था.. पिंकी जैसे बेपरवाह को अगर किसी की परवाह थी तो वो बस गौतम ही था.. पिंकी औऱ सुमन की तो जैसे पुराने जन्म की दुश्मनी थी.. सुमन जानती थी की पिंकी उसके बेटे को गौतम को बिगाड़ रही है इसलिए वो पिंकी को ताने मारने का कोई मौका नहीं छोड़ती थी पिंकी भी वैसा ही कुछ करती थी..
गौतम - क्या हुआ बुआ? पसंद नहीं आया?
पिंकी ने जैसे ही गौतम की पेंट नीचे की उसकी आँखे फटी की फटी रह गई वो बूत बनकर गौतम के खड़े लंड को देख रही थी जैसे उसने कोई अजूबा देख लिया हो..
गौतम - सिर्फ देखती ही रहोगी क्या बुआ? मुंह लो ना..
गौतम की आवाज से पिंकी का ध्यान टुटा औऱ उसने गौतम को देखकर कहा..
पिंकी - ग़ुगु.. ये क्या है? इतना बड़ा? तू कोई इंजेक्शन वगैरह तो नहीं लेता ना? बहुत गलत असर होता है बाद में..
गौतम - बुआ सब नेचुरल है मैं कुछ नहीं लेता.. चलो अब अच्छे बच्चे की तरह मुंह खोलो अब, वरना मुरझा गया तो आप ही शिकायत करोगी मुझसे..
गौतम ये कहते हुए पिंकी के सर पर हाथ रख दिया मानो उसे आशीर्वाद दे रहा हो और अपने लंड उसके मुंह के पास ले जाता है जिसे पिंकी अपने हाथों से पकड़ कर मुस्कुराते हुए ग़ुगु को देखकर चूमने लगती है..
कुछ देर चूमने और ग़ुगु के लोडे पर अनगिनत चूमिया करने के बाद पिंकी ग़ुगु के लंड को अपने मुंह में भरने लगती है और धीरे-धीरे उसके लोडे को मुंह से सहलाने लगती है.
गौतम पिंकी के मुंह की गर्माहट औऱ लार अपने लंड पर महसूस कर जन्नत के अंदर पहुंच जाता है औऱ पिंकी के सर को दोनों हाथोंसे पकड़ कर अपना लोडा चुसवाने लगता है औऱ पिंकी भी अपने मुंह में जितना लंड ले सकती थी लेकर पूरी ईमानदारी के साथ चूस रही थी..
गौतम - एक बात तो कहनी पड़ेगी बुआ.. लंड चूसने में तो माहिर हो आप.. फूफाजी का तो मुंह में लेटे ही झड़ जाता होगा.. आअह्ह्ह... कमाल चुस्ती हो बुआ यार.. जब से आपके आने की खबर मिली है तब से खड़ा है आपके इंतजार में, अब चैन आया है इसे भी..
पिंकी - मुझे पता नहीं था मेरा ग़ुगु इतना बड़ा हो गया है वरना मैं अपने ग़ुगु के लिए कब का अपना मुंह खोल देती..
गौतम - बुआ सिर्फ मुंह से काम नहीं चलेगा कुछ औऱ भी खोलना पड़ेगा आपको आज..
पिंकी - तुझे अपनी बुआ का जो खुलवाना है खुलवा ले ग़ुगु.. बस आज मुझे ठंडा कर दे..
गौतम - तो फिर आ जाओ बुआ खोल लो अपनी टाँगे इससे पहले माँ बाजार से वापस आ जाए..
पिंकी - ठीक है ग़ुगु.. ले आजा अपनी बुआ के ऊपर.. बहुत बाल है ना मेरी चुत पर?
गौतम - मुझे बालों वाली चुत पसंद है बुआ.. अब देखना कैसे आपकी और मेरी झांट आपस में उलझ कर आग लगाती है...
गौतम पिंकी की चुत को अपनी मुट्ठी में भर लेटा है औऱ फिर से पिंकी के होंठों को चूमने लगता है.. गौतम झांटो से भरी चुत को मुट्ठी में पकड़े सहलाने लगता है औऱ एक उंगलि चुत के अंदर दाल देता जहाँ से चिपचिपा पानी बाहर आ रहा था.. अपनी बुआ की गीली हो चुकी चुत को गौतम अपनी मुट्ठी में पकडे उसे चुम रहा था..
गौतम - बुआ त्यार हो होने ग़ुगु को अपनी इज़्ज़त देने के लिए?
पिंकी - अपनी बुआ को पूरा नंगा करके अपने नीचे लेटा रखा है तू औऱ पूछ रहा है त्यार हो? अब जल्दी अंदर डाल दो वरना मैं ही पकड़ के दाल लुंगी तेरे इस लंड को अपने अंदर..
गौतम - बुआ एक गाली दू आपको? बुरा ना मानो तो..
पिंकी - ग़ुगु.. सो गाली दे, नाम से बुला मुझे पर अपनी बुआ की अब चुदाई भी शुरु कर दे.. मुझसे रहा नहीं जा रहा..
गौतम - ठीक है मेरी जान पिंकी.. थोड़ी सी गांड उठा के खोल पैर को..
पिंकी - लो.. अब आ जाओ अंदर..
गौतम - मादरचोद रंडी.. ठीक से खोल..
गौतम थूक लगा के अपना लंड पिंकी चुत में पेल देता है औऱ पिंकी एक दर्द की एक मीठी राह पर निकल पडती है जहाँ का सफर आज वो हर हाल में पूरा कर लेना चाहती थी.. अपने भाई के बेटे के साथ उसका व्यभिचार कई सालों से उसके मन में पनप रहा था जो आज जाके पूरा हुआ था.. गौतम अपने लंड औऱ चुदाई कला से पिंकी का दिल जितने में सफल रहा था औऱ जैसा बाबाजी ने आशीर्वाद दिया था वैसा ही हुआ.. आज दूसरी औरत गौतम के लंड की दिवानी बन चुकी थी.. पिंकी के मन पर गौतम ने ऐसी छाप छोडी जो पिंकी खुद भी नहीं उतार सकती थी..
गौतम के हर झटके पर पिंकी हवा में पेड़ के पत्ते की जैसे हिलती औऱ उसके बोबे उछल उछल कर ऊपर से नीचे गिरते..
पिंकी - ई लव यू ग़ुगु.. फाड़ दे अपनी बुआ की चुत आज अपने लंड से.. बना दे मेरी चुत का भोसड़ा बेटा.. बर्बाद कर दे मुझे.. तहस नहस कर दे मेरी इस चुत को.. इस बहन की लोड़ी ने बहुत परेशान कर रखा था मुझे.. आज जाके चैन मिला है ग़ुगु.. निकाल दे मेरी सारी गर्मी बेटा..
गौतम - रंडी कहा छुपा रखी थी तूने इतनी टाइट चुत.. आज जाके मिली है मुझे.. इसे तो मैं जबतक सुज्जा नहीं देता तब तक नहीं छोडूंगा..
पिंकी - सुज्जा दे ग़ुगु.. अपनी रंडी बुआ की इस चुत को बेटा.. मिटा दे इसकी सारी खुजली.. आहहह अह्ह्ह्ह...
आधे घंटे से चुदाई चालू थी औऱ पिंकी दो बार झड़ चुकी थी मगर ग़ुगु उसे रंडी मानकर चोदे जा रहा था..
गौतम - बुआ.. कहा निकालू पिंकी?
पिंकी - अंदर ही निकाल दे ग़ुगु..
गौतम - ठीक है..
कहते हुए गौतम ने अपना सारा माल चुत में दाल दिया औऱ पिंकी के ऊपर ही गिरकर उसके साथ वापस जापानी चुम्मा चाटी करने लगा..
गौतम - सोरी बुआ.. आपको रंडी बोला. नाम से भी बुलाया.
पिंकी - तूने तो एक बार में मुझे अपना गुलाम बना लिया ग़ुगु.. अब चाहे मुझे गाली दे या थप्पड़ मार लेकिन लोडा तो अब तेरा ही चाहिए मुझे..
गौतम - आपका ही है बुआ.. जब मन करें तब आकर पकड़ लेना मैं कुछ नहीं बोलूंगा..
पिंकी - तूने तो मेरी चाल बिगाड़ दी आज.. पूरी हालात खराब कर दी.. कितना काटा है मेरे बूब्स को जगह जगह दांतो के निशान छोड़ दिए.. बस देखने में बच्चा है अंदर से पूरा मर्द है मर्द..
गौतम - अच्छा अब खुदको सम्भालो बुआ.. माँ आने वाली होंगी..
गौतम औऱ पिंकी कपडे पहनकर फ्रेश हो जाते है तभी दरवाजे पर सुमन बेल बजती है औऱ गौतम दरवाजा खोलकर सुमन से कहता है..
गौतम - आज भी इतनी देर लगा दी माँ आपने.. कोई कब से आपका वेट कर रहा है..
सुमन मुस्कुराते हुए - अच्छा कौन है वो? ज़रा देखु तो..
सुमन जैसे ही पिंकी को देखती है उसकी ख़ुशी मातम में बदल जाती है..
पिंकी क़ातिल हंसी के साथ - कैसी हो भाभी? बड़े दिनों बाद मिलने का मौका मिला है.. आप तो दिन ब दिन औऱ खूबसूरत होती जा रही हो.. भईया ठीक से ख्याल रखते है शायद..
सुमन व्यंग से - मेरा ख्याल तो तेरे भईया ठीक से रखते है पर तेरा क्या पिंकी? कोई मिला ख्याल रखने वाला या अब तक ढूंढ़ रही है.. हर घट का पानी पीना सही नहीं है.
पिंकी - भाभी कैसी बात कर रही हो? शादीशुदा हूँ..
सुमन - तेरी उस बुड्ढे से शादी की वजह सब जानते है.. औऱ ये भी की तू शिकार की तलाश में रहती है.. कोई फंसा या नहीं अब तक..
पिंकी - क्या बताऊ भाभी.. इस बार तो मैं ही फंस गई.. ऐसा शिकारी मिला है कि मत पूछो.. पूरा निचोड़के रख देता है..
सुमन - चल अच्छा.. कम से कम तू घरवालों को छोड़ देगी..
पिंकी - क्या मतलब भाभी?
सुमन - कुछ नहीं..
गौतम अंदर से आता हुआ कहता है- माँ केसा लगा सरप्राइज?
सुमन आँखे दिखाकर - बहुत जोर का लगा है ग़ुगु.. ये सामान रख दे.. मैं चाय बनाती हूँ..
गौतम - आप बुआ के साथ बैठो ना.. मैं बनाता हूँ चाय..
पिंकी - हाँ भाभी चलो ना ढेर सारी बात करनी है आपसे.. और तोहफ़े भी है आपके लिए
पिंकी सुमन को उसके कमरे में लेजाकर बेड पर बिठाती हुई कहती है..
पिंकी - ये आपके लिए.. आपके ऊपर लाल रंग बहुत खिलता है भाभी.. पिंकी के मन में भले ही सुमन के लिए कुछ भी हो मगर मुंह से चाशनी ही टपक रही थी..
सुमन साड़ी लेते हुए - बहनोई ज़ी नहीं आये?
पिंकी - आये है ना भाभी पर अपने एक दोस्त से मिलने कि ज़िद की औऱ निकल गए.. कहा सुबह आ जाएंगे..
गौतम - बुआ चाय.. माँ लो..
पिंकी औऱ सुमन ने चाय लेली औऱ गोतम भी चाय लेकर दिवार के सहारे पीठ करके खड़ा हो गया..
पिंकी - भाभी ये भईया के लिए.. इसे पहनकर बिलकुल थानेदार लगेंगे भईया..
सुमन - औऱ इस बेग में क्या है?, बड़ा भारी लग रहा है.
पिंकी - इसमें? इसमें मेरे ग़ुगु के लिए कपडे औऱ जूते है.. औऱ हाँ ये फ़ोन भी है मेरे ग़ुगु के लिए..
गौतम - क्या बात है बुआ iphone? औऱ वो भी लेटेस्ट मॉडल...
सुमन - ये तो बहुत महंगा लग रहा है पिंकी..
पिंकी - मेरे ग़ुगु से कुछ भी महंगा नहीं है भाभी.. आप तो जानती हो मैं ग़ुगु को अपने बच्चे की तरह ही प्यार करती हूँ.. मेरी तो कोई औलाद है नहीं है तो जो कुछ मेरे पास है वो मेरे ग़ुगु का ही तो हुआ..
सुमन - वो सब ठीक है पर.. एक बार तेरे भईया से तो बात कर लेती..
पिंकी - बात क्या करनी इसमें? आप तो दिल दुःखाने वाली बात कर रही हो भाभी..
गोतम - माँ.. रहने दो ना ये बातें.. वैसे बुआ मुझे गिफ्ट बहुत पसंद आये.. थैंक्स..
सुमन - अचानक आने का प्लान कैसे बना पिंकी?
पिंकी - भाभी उदयपुर घूमने का प्लान था इनका.. जयपुर से निकले तो सोचा आपसे मिलते चले..
सुमन - अच्छा किया.. तू आराम कर मैं खाना बनाती हूँ..
सुमन अपने कमरे से निकलकर गौतम के कमरे में आ जाती है औऱ बेड पर बैठे गौतम के पास बैठ जाती है..
गौतम - क्या हुआ माँ?
सुमन - कुछ नहीं.. तू बस दूर रहना इस चुड़ैल से.. कहीं कीमती तोहफ़े देकर तेरे साथ कुछ उल्टा सीधा ना करने लगे..
गौतम - माँ.. तुम भी ना.. कुछ भी सोचती हो. कल सुबह तो बुआ चली जायेगी..
सुमन गौतम के होंठों पर गौर करके देखती है..
सुमन - यहां आ जरा.. ये तेरे होंठ लाल क्यू है इतने औऱ ये... उस डायन ने चूमा है तुझे?
गौतम - माँ क्यू इतना नाटक कर रही हो.. बुआ ने बस एक छोटा सा किस ही किया था.. उसकी का निशान होगा..
सुमन - होंठों पर? मैं अच्छे से समझ रही हूँ उसकी चालाकियाँ.. मैं जानती हूँ वो डायन कैसी है.. अभी बता के आती हूँ उसे..
गौतम - माँ.. बुआ एक साल बाद आई है औऱ सिर्फ एक रात की बात है.. जाने दो ना.. एक छोटी सी किस ही तो है.. आओ आप भी कर लो..
सुमन - मुझे जब तुझे चूमना होगा मैं चुम लुंगी पर ऐसे लोगों पहले तुझे बचा लूँ..
गौतम - वैसे माँ पिंकी बुआ मुझे बहुत अच्छी लगती है.. मैं खुद भी उनसे नहीं बचना चाहता..
सुमन - चुप बदमाश.. कुछ भी कहता है..
गौतम - माँ आप भी ना.. अब जल्दी से कुछ बना दो.. बहुत भूख लगी है.. अगर कल की तरह चिकेन करी खानी है तो बताओ बाहर चलते है..
सुमन - चुप कर पागल लड़का.. मैं खाना बनाती हूँ..
सुमन रसोई में खाना बनाने चली जाती है औऱ पिंकी गौतम के पास आ जाती है..
पिंकी - केसा लगा गिफ्ट?
गौतम - बहुत टाइट था बुआ मन कर रहा है वापस खोलके देखु..
पिंकी - उस गिफ्ट की बात नहीं कर रही.. इसकी बात कर रही हूँ.. मेरे घोड़े.. बिलकुल बेशर्म हो गया है तू..
गौतम - ये भी अच्छा पर उसकी बात ही अलग थी..
पिंकी - सब्र कर अब उसके लिए, वरना तेरी माँ मेरी जान ले लेगी गला घोंट कर..
गौतम - जान तो मैं ही लूंगा वो भी बिस्तर में..
पिंकी - थोड़ा सा सब्र कर ग़ुगु.. रात में सब मिलेगा..
कुछ देर में जगमोहन भी घर आ जाता है औऱ गौतम सबके साथ खाना ख़ाकर अपने बेड पर आ जाता है जहाँ पिंकी भी उसके साथ सोती है वही सुमन जगमोहन के साथ लेटी हुई गौतम औऱ पिंकी के बीच कुछ गलत ना हो जाए सोचने लगती है..
सुमन को नींद नहीं आ रही थी वह चाहती थी कि एक बार जाकर गौतम को और पिंकी को देख ले. उसे यूं ही लेटे लेटे रात की 2 बज चुके थे. सुमन उठकर अपने कमरे से बाहर निकली और गौतम के कमरे के पास आ गई. उसने दरवाजे को हाथ लगा कर देखा तो दरवाजा अंदर से बंद था सुमन का दिल जोरो से धड़क रहा था और उसके मन में कुछ अजीब होने का या कुछ गलत होने की आशंका उत्पन्न हो रही थी. उसके मन में अजीब अजीब ख्याल आ रहे थे उसे लग रहा था कि कहीं पिंकी उसके बेटे गौतम के साथ कुछ गलत ना कर दे. उसका मन एक बार गेट खोलकर अंदर गौतम को देख लेने का था मगर गेट बंद था गेट के साथ खिड़कियां भी अच्छे से बंद की हुई थी जिससे यह साफ जाहिर था कि अंदर पिंकी और गौतम के बीच कुछ ना कुछ जरूर गलत हो रहा है.
सुमन के मन में अजीब अजीब ख्याल आ रहे थे और वह सोच रही थी कि वह कैसे अंदर गौतम को और पिंकी को देखे. वह खिड़की के पास आ गई और खिड़की के आसपास अंदर झांकने की जगह तलाश करने लगी. सुमन को हल्का सा एक छेद खिड़की में मिल गया है जो ऊपर था सुमन एक स्टूल अपने पैरों के नीचे रखा और उसे पर चढ़ के खिड़की के पास आ गई और खिड़की में बने उसे कछेद से अंदर झांकने लगी..
अंदर का नजारा देखकर उसके पैरों तले की जमीन है खिसक गई. सुमन ने देखा कि अंदर रात के 2:00 बजे इस वक्त पिंकी अपने घुटनों पर बैठकर गौतम के भीमकाय लड को अपने मुंह में लेकर लॉलीपॉप के जैसे चूस रही थी और गौतम सिगरेट के कश लेटे हुए पिंकी को अपना लोडा चुसवा रहा है.. दोनों बिल्कुल नग्न अवस्था में थे. दोनों के बीच ये व्यभिचार देखकर सुमन का दिल जोरो से धड़कने लगा और उसकी धड़कन तेज होकर रुकने के करीब आ चुकी थी. सुमन यह देख रही थी कि कैसे पिंकी उसके बेटे गौतम का लंड मुंह में लेकर जोर-जोर से चूसे जा रही थी और गौतम को कामसुख देने के भरसक प्रयास कर रही थी.
सुमन गुस्से से लाल पिली होकर आग बबूला थी पर जैसे ही उसकी नजर गौतम के लड पर गई तब सुमन के गले का तुक भी सूख गया वह यह सोचने लगी कि कैसे गौतम के पास इतना बड़ा और भीमकाय लड है. सुमन को जो गुस्सा पिंकी पर आ रहा था वह अब आश्चर्य में बदल गया वह एक टक अंदर झांकती हुई यही सोचने लगी कि गौतम के पास इतना बड़ा और आकर्षक लड कैसे आ गया. सुमन ने आज तक किसी के पास इतना बड़ा और उतना आकर्षक मोटा लैंड नहीं देखा था उसके मन में आ रहा था कि वह अंदर जाए और अच्छे से एक बार गौतम के उसे लड की जांच करें. गौतम का लड देखकर सुमन की चुत गीली हो चुकी थी और उसे यह महसूस हो रहा था कि उसकी जांघों से चुत का पानी बह रहा है और उसकी चुत गीली हो चुकी है. सुमन को जो पिंकी पर गुस्सा आ रहा था वह अब जलन और ईर्ष्या में बदल चुका था वह यह सोचकर जल रही थी कि कैसे पिंकी इतने बड़े और आकर्षक मोटे लंड का स्वाद ले रही है और वह खुद इतने सालों से कम अग्नि में जल जा रही है.
सुमन अपने पति की नामर्दानगी जानती थी और वह यह भी जानती थी कि अब जगमोहन उसकी प्यास नहीं गुजार सकता इसलिए वह प्यासी ही थी. सुमन कई सालों से अपने जिस्म की प्यास खरे मूली गाजर बेलन जैसे सामानों से बुझती थी.
सुमन का मन था कि वह दोनों का यह पनपता वह विचार रोक दे और दोनों को सही रास्ते पर लाकर सही रास्ता दिखाएं पर उसकी खुद की हालत ऐसी थी जैसे बिना पानी मछली की होती है वह दोनों को रोकने में असमर्थ थी वह खिड़की से उतर गई और रसोई में जाकर खीरा उठा लिया. सुमन खीर लेकर बाथरूम में चली गई और गौतम के लैंड को देखकर जो पानी उसकी चुत में भर गया था और जो काम इच्छा उसके मन में उतर आई थी वह उसे खरे से शांत करने लगी. धीरे-धीरे सुमन खीरा चुत में अंदर बाहर करने लगी और आहे भरते हुए गौतम के मोटे लंबे लंड को याद करके सोचने लगी कि काश वह उसे मिल पाता.
सुमन के मन में अपने बेटे गौतम के लिए जो प्रेम था और जो स्नेह भरा हुआ था वह अब काम के साथ घुलने लगा था. सुमन का पवित्र प्रेम अब मैला होने लगा था सुमन के मन में गौतम को लेकर बहुत से ख्याल आने लगे थे जो एक औरत को एक मर्द के बारे में तब आते हैं जब वह उसे पति के रूप में पाना चाहती हो या अपने प्रीतम के रूप में प्रेम करना चाहती हो.
थोड़ी देर बाद ही सुमन के चुत से पानी की धार बह निकली और सुमन को जो आनंद मिला वह उसकी कल्पना करके अभिभूत हो गई और उठ खड़ी हुई उसके मन में उसके मन में पश्चाताप का बोध भी उत्पन्न हुआ जिससे वह शर्मा रही थी और अपने आप पर गुस्सा कर रही थी कि वह कैसे अपने बेटे के लिए ऐसे ख्याल अपने मन में ला सकती है और कैसे वह उसे अपने पति या प्रेमी के रूप में सोच कर इस तरह का काम कर सकती है. सुमन जब झड़कर फ्री हो गई तब उसने एक बार फिर से स्टॉल पर चढ़कर खिड़की के अंदर झांकने का सोची और वैसा ही किया.
सुमन जब अंदर का नजारा देखा तब पाया कि अब तक गौतम ने पिंकी को अपने गोद में उठा रखा है और किसी खिलौने की तरह वह खड़ा हुआ पिंकी को गोद में उठाकर चोद रहा है. पिंकी भी आहे भर्ती हुई अपनी जवानी के पूरे मजे ले रही थी और गौतम का पूरा रस पी रही थी वह दोनों ऐसे लग रहे थे जैसे काम देवता और काम देवी के साक्षात अवतार हो. दोनों के बीच चल रहे इस असीम प्रेम को देखकर सुमन का दिल फिर से जलन की आग में तपने लगा और वह पिंकी को मन ही मन गालियां देने लगी और उसे बुरा भला कहने लगी. मगर इसी के साथ सुमन का पूरा ध्यान गौतम के ऊपर था जो अपनी हुआ पिंकी को अपनी गोद में उठा किसी खिलोने की तरह चोद रहा था और उसकी जवानी निचोड़ रहा था इस तरह से पिंकी को अपने गोद में उठा काम के सागर में डूबा हुआ था जैसे कि उसे इसका पूरा अनुभव हो.
सुमन सामने का नजारा देखते हुए कब अपनी जांघों के बीच उंगलियां फेरने लगी उसे भी पता नहीं चला वह साड़ी के अंदर हाथ डालकर अपनी जांघों के जोड़ पर ऐसे उंगलियां कर रही थी जैसे कोई दोस्त गांड में उंगली करता है. सुमन ने आगे देखा कि गौतम ने पिंकी को बिस्तर पर पटक दिया है और उसे घोड़ी बनाकर उसकी गांड के छेद पर अपना लंड लगाते हुए अंदर घुसने की कोशिश कर रहा है सुमन की चुत से पानी फिर बाहर निकाला और वह एक बार फिर झड़ गई इसी के साथ गौतम ने अपना लंड एक साथ आधा पिंकी की गांड में उतार दिया जिससे पिंकी की एक चीज निकल गई जो सुमन के कान में साफ सुनाई दी. सुमन इस तरह अपने बेटे को अपनी बुआ को चोदते देखकर एक बार फिर से झड़ चुकी थी और यह सोचने को मजबूर थी कि कैसे उसका बेटा उसकी बुआ के साथ संबंध बन सकता है और उसकी पिंकी भी उसके बेटे गौतम के साथ इस तरह का काम कर सकती है?
सुमन का मन दोनों को रोकने का था मगर वह अब क्या कर सकती थी उसके मन में था कि वह दोनों को जाकर रोक दे और समझाएं कि यह सब गलत है मगर वह खुद ही इस जाल में अब फंस चुकी थी उसने खुद ने अभी-अभी अपने बेटे और अपनी ननद के बीच चल रहे इस व्यभिचार को देखकर अपनी चुत सहलाई थी और अपनी चुत का पानी निकला था सुमन चाहती थी कि यह सब बंद हो जाए मगर वह कुछ भी कर पाने में सक्षम नहीं थी. सुमन स्टूल से नीचे उतर गई और वापस अपने कमरे में आकर जगमोहन के पास बिस्तर पर लेट गई वह सोच रही थी कि कैसे गौतम इतना अनुभवी और इतना बेशर्म और इतना बदकार हो गया कि वह अपनी ही बुआ के साथ यह सब कर रहा है.
सुमन बिस्तर पर लेटी हुई यह सब सो रही थी और उसे नींद नहीं आ रही थी और उसे नींद आ भी कैसे सकती है जिसने अभी-अभी अपने बेटे को अपनी ननद के साथ सेक्स करते हुए देखा हो. सुमन का हाल बहुत बुरा था वह ना तो सो सकती थी ना हीं जाकर उनके सामने आ सकती थी वह बिस्तर पर लेटी हुई यही सब सो रही थी कि कैसे यह सब अचानक उसके घर में हो रहा है और हो सकता है?
सुमन को लेटे-लेटे सुबह के 5 बज चुके थे और अब तक उसे नींद नहीं आई थी उसने सोचा कि क्यों ना एक बार और वह गौतम के रूम मे झांक कर देखें कि आखिर वह दोनों सोए या नहीं. सुमन के मन में अभी बहुत से उल्टे सीधे और सही गलत ख्यालात चल रहे थे जिन्हें चाहकर भी अपने मन से उतर नहीं पा रही थी. उसके मन की जो हालत थी वह कोई जोगन ही समझ सकती थी. सुमन अपने कमरे से निकाल कर वापस उसी तरह गौतम के कमरे के बाहर स्टूल लगाकर उसकी खिड़की के ऊपर बने क्छेद से अंदर झांकने लगी और इस बार भी उसे वही सब देखने को मिला जो वह पहले देख चुकी थी मगर इस बार गौतम पिंकी को बाहों में भरे उसके होंठों पूरा स्वाद ले रहा था. इस बार भी सुमन की आंखें गौतम के लैंड पर ही टिक गई वह देखने लगी कि किसीके पास कैसे इतना बड़ा लैंड हो सकता है?
गौतम के लैंड को देखते ही सुमन की चुत एक बार फिर से पानी छोड़ने लगी और उसे एहसास हुआ कि उसकी जांघों के बीच की चुत से पानी बह रहा है उसकी चुत फिरसे पूरी तरह गीली है सुमन को अब पिंकी के साथ-साथ खुद पर भी गुस्सा आ रहा था कि वह कैसे अपने ही बेटे को देखकर कामुकता से भर सकती है. सुमन खिड़की से उतर गई और वापस बाथरूम में जाकर एक बार और अपनी भावनाओं में बहते हुए गौतम को याद करके गली पड़ी अपनी चुत में उंगलि करने लगी और गौतम के लैंड को याद करके कामइच्छा से भरने लगी.
सुमन के मन में अलग-अलग ख्याल चल रहे थे वह बिस्तर पर लेटे हुए यही सोच रही थी कि कैसे पिंकी और गौतम के बीच यह सब शुरू हो गया और मैं उन्हें रोक नहीं पाई मगर अब वह खुद भी इसी तरह के आनंद को अनुभव करना चाहती थी और चाहती थी कि अब कोई उसे भी इसी तरह का आनंद अनुभव कराये. सुमन को आज नींद नहीं आई थी वह सुबह जाकर घर के कामों में व्यस्त हो गई और जब गौतम का दरवाजा खुला तो वह उन्हें देखकर सामान्य ही व्यवहार करने लगी उसने यह तय किया कि जो कुछ अंदर उनके बीच हुआ वह ना तो उसके बारे में उन दोनों से कोई बात करेगी और ना ही उसके बारे में और ज्यादा सोचेगी. सुमन ने सोच लिया था की वह दोनों से सामान्य बर्ताव करेगी.
जगमोहन के जागने से पहले ही पिंकी अपने पति के आने पर उसके साथ गाड़ी में बैठकर उदयपुर के लिए रवाना हो गई और घर में अब सुमन जगमोहन और गौतम ही बाकी रह गए जगमोहन तो अभी भी नींद के आगोश में था. वही सुमन रसोई में चाय बनाने लगी थी उसके मन में रात की ही सारी बातें घूम रही थी और वह उसी के बारे में सोच जा रही थी मगर उसके दिल में हिम्मत नहीं थी कि वह इसके बारे में किसी से भी खुलकर कोई बात कर सके और वह गौतम को इसके बारे में समझा सके. सुमन भी ये नहीं चाहती थी कि गौतम और पिंकी एक दूसरे से इस तरह का रिश्ता रखें लेकिन जिस तरह से उसने रात को दोनों के चेहरे पर सुख देखा था और काम तृप्ति देखी थी उसे लग चुका था कि दोनों अब खुदपर नियंत्रण नहीं रख सकते है और वह अब इस रिश्ते को आगे भी जारी रखेंगे इसलिए सुमन ने दोनों को इसके बारे में कुछ भी ना बोलने का तय किया और जैसे सामान्य दिन चल रहे थे वैसे ही जीने का फैसला किया.
गौतम सुबह बाथरूम से वापस आया तो रसोई में जाकर सुमन को पीछे से पढ़ते हुए गाल पर एक चुंबन देते हुए कहने लगा..
गौतम - गुडमॉर्निंग माँ?
आज गौतम की पकड़ और चुम्बन ने सुमन को अजीब अहसास हो रहा था मगर सुमन ने भी सामान्य दिनों की तरह ही गौतम को देखकर पीछे मोड़ते हुए उसके गाल पर एक चुंबन करते हुए उसकी बात का जवाब दिया..
सुमन - गुडमॉर्निंग मार्निंग बेटा.. उठ गया.. ले चाय पिले..
गौतम चाय लेकर अंदर चला गया और पीते हुए उसी खिड़की पर आकर बाहर देखने लगा.. सुमन गौतम के पीछे-पीछे उसके रूप में आ गई और गौतम को पीछे से अपनी बाहों में भरते हुए बोली..
सुमन - बाहर क्या देखता है तू?
गौतम - कुछ नहीं माँ.. बस सुबह सुबह ये रास्ता कितना अच्छा लगता है सोचता हूँ.. आते जाते हुए लोगो को देखता हूँ बस..
सुमन अपने हाथ से एक कागज गौतम को देती हुई बोलती है
सुमन - ले.. जाते हुए तेरी बुआ दे गई थी.. कह रही आज शोरूम जाकर डिलेवरी लेने को..
गौतम - माँ पर इसकी क्या जरुरत है? आपने मना नहीं बुआ को?
सुमन - मैं क्यों मना करू? तू ही मना कर दे.. वैसे भी तुझे नई बाइक चाहिए थी.. तू ही बात कर ले अपनी बुआ से..
गौतम पिंकी को फ़ोन करके - बुआ यार.. बाइक की क्या जरुरत थी..
पिंकी - ज्यादा सवाल जवाब मतकर, चुपचाप जाकर शोरूम से ले आ. मेरी मर्ज़ी में कुछ भी दू तुझे.. भाभी के जितना ही हक़ है तुझपे मेरा.. समझा? अपना ख़याल रखना जल्दी वापस आकर मिलूंगी..
गौतम - ठीक है..
सुमन - ये लिखा हुआ है? रॉयल इंफील्ड..
गौतम - हाँ वही है..
सुमन - बहुत महँगी है?
गौतम - महँगी तो है..
सुमन - अच्छा क्या खायेगा मेरा ग़ुगु... बता मैं बना देती हूँ..
गौतम - पराठे ही खिला दो..
सुमन मुस्कुराते हुए - ठीक है.. ये गर्दन पर क्या हुआ तेरी? निशान केसा है?
गौतम के गले पर लव बाईट के निशान देखकर..
गौतम - वो माँ लगता मच्छर ने काट लिया..
सुमन - हम्म्म.. बहुत लम्बे दातो वाला था मच्छर.. पूरा लाल कर दिया.. चल मैं खाना बनाती हूँ तू नहा ले..
गौतम सुमन के कहे अनुसार नहाने के लिए चला जाता है और सुमन रसोई में जाकर उसके लिए खाना पकाने लगते हैं. जगमोहन जाग चुका होता है और नहा कर अपनी पुलिस की वर्दी पहनकर जाने को तैयार हो गया होता है..
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सुमन - अच्छा बता तो दे क्या सरप्राइज है ग़ुगु.. अब तो घर भी आ गए..
गौतम - कुछ देर में अपनी आँखों से देख लेना ना..
सुमन - कोई आने वाला है?
गौतम - हाँ..
सुमन - कौन आने वाला है ग़ुगु?
गौतम - बताने के लिए माना किया माँ सॉरी..
सुमन - अपनी माँ से भी छुपायेगा?
गौतम - हाँ छुपाना पड़ेगा माँ.. सॉरी..
सुमन - ठीक है मत बता मैं भी तुझसे नाराज़ हो जाउंगी..
गौतम - अगर बता दिया तो भी नाराज़ हो जाओगी माँ..
सुमन - अच्छा ऐसा है.. चल फिर रहने दे, मैं बाजार जा रही हूँ. कुछ लाना तेरे लिए?
गौतम - नहीं.. आप जल्दी आ जाना आपको हमेशा मार्किट घूमने में मज़ा आता है.. देर कर देती हो..
सुमन - अच्छा तो तू भी चल ना साथ में, मेरी मदद करवा देना..
गौतम - नहीं नहीं मैं नहीं जाऊ, आप के साथ मार्किट जाना मतलब फ़ालतू का झंझट.. आप ही जाओ..
सुमन - अच्छा ठीक है.. तू यही रुक मैं जाती हूँ.. आज बहुत सा सामान खरीदना है..
कहते हुए सुमन घर से चली जाती है औऱ गौतम दरवाजा बंद करके बेड पर आ जाता है..
गौतम थोड़ी देर लेटा ही था की दरवाजे पर दस्तक हुई..
गौतम ने उठकर दरवाजा खोला तो सामने पिंकी बुआ थी..
पिंकी अंदर आकर गौतम को गले से लगा लेती है औऱ उसके गाल औऱ होंठों पर कई चुम्मे कर देती है..
गौतम - बुआ आराम से.. खा जाओगी क्या?
पिंकी - हाँ खा जाउंगी मैं मेरे ग़ुगु को..
गौतम ने अपने कलाई पर बंधा धागा लाल देखा तो वो समझ गया की पिंकी के मन में क्या है औऱ वो मुस्कुराते हुए पिंकी से बोला..
गौतम - अंदर चल कर खा लेना बुआ यहाँ कोई देख लेगा.. मैं दरवाजा बंद कर देता हूँ..
पिंकी - ठीक है मेरे ग़ुगु ज़ी..
गौतम ने घर का दरवाजा बंद कर दिया औऱ अंदर अपने रूम में पिंकी के बेग रखकर बोला..
गौतम - बुआ चाय बनाऊ आपके लिए..
पिंकी - चाय वाई रहने दे तू इधर आ.. अपनी बुआ के पास.. 1 साल से तुझे ठीक से नहीं देखा.. अभी भी वैसा का वैसा ही है..
गौतम - आप भी कहा बदली हो बुआ.. पहले भी मेरे पीछे पड़ी रहती थी अब भी पड़ी हो..
पिंकी - ओह हो.. अब ग़ुगु ज़ी को बातें भी सूझने लगी है.. पहले तो एक शब्द नहीं निकलता था जुबान से.. वैसे तेरी माँ कहाँ है उन्हें तो सरप्राइज तो दू..
गौतम - मार्किट गई है आने थोड़ी देर लगेगी उन्हें..
पिंकी - ठीक है इधर आ.. तब तक तू अपनी बुआ की प्यास बुझा दे..
गौतम - काटना मत पिछली बार की तरह..
पिंकी - चल ठीक है मेरे दिल के टुकड़े.. नहीं काटूंगी.. अब इन लबों को मेरे हवाले कर दे..
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पिंकी बड़े चाव से गौतम के होंठों को चुम रही थी जैसे उसे कोई खिलौना मिल गया हो खेलने को. गौतम भी पिंकी का पूरा साथ देते हुए उसके लबों का रस पिने में मशगूल था और अब उसे ये अहसास हो रहा था की वो आगे कुछ एयर भी कर सकता है.
पिंकी गौतम को अपनी बाहों में लेकर चूमने लगती है तभी गौतम अपना हाथ पिंकी के बूब्स पर लेजाता है औऱ हलके से पिंकी के बूब्स दबाने लगता है जिसका मीठा अहसास पिंकी को जब होता है वो चुम्बन तोड़कर मुस्कुराती हुई गौतम से कहती है.. दबाना है तो ठीक से दबा ना, मैं मना थोड़ी करुँगी अपने ग़ुगु को किसी चीज के लिए.. रुक मैं कुर्ती उतार देती हूँ फिर अच्छे से कर लेना जो करना है तुझे?
गौतम - बुआ सोच लो.. अब मैं बच्चा नहीं रहा.. कुछ भी हो सकता है..
पिंकी - सोचना क्या है? तू मेरे साथ जो करना चाहता है कर ले. तुझे तो सब माफ़ है..
गौतम - सोच लो फूफा ज़ी को जवाब नहीं दे पाओगी बाद में.. क्या हुआ था औऱ किसने किया था?
पिंकी - उसकी चिंता छोड़.. वैसे भी जो बात मेरे मन में थी और मैं कहना चाहती थी तूने खुद ही बोल दी.. अब किस बात का इंतजार है आजा अपनी बुआ के पास..
कहते हुए पिंकी ने गौतम को अपने ऊपर खींच लिया औऱ उसके होंठों को वापस पागलो की तरह चूमने लगी जैसे उसे कोई रस मिल रहा हो गौतम के लबों से.. गौतम भी पूरा साथ देते हुए ब्रा के अंदर हाथ डालकर पिंकी के विकसित उन्नत उरोजो को मसलने लगा.. पिंकी की सिसकारियों से कमरे का माहौल कामुक हो रहा था..
गौतम चुम्बम तोड़कर बोला - बहुत प्यारे होंठ है बुआ आपके..
पिंकी - औऱ ये जो तूने मेरी ब्रा के अंदर पकड़े हुए है उनका क्या? कैसे है मेरे बूब्स?
गौतम - अभी चख के बताता हूँ बुआ.. गौतम थोड़ा नीचे आ गया औऱ पिंकी का बॉब्स मुंह में लेकर चूसने लगा.. पिंकी ने अपनी ब्रा उतार दी औऱ गौतम को बड़े प्यार अपने बूब्स चूसाते हुए छेड़ने लगी..
पिंकी - बता ग़ुगु.. किसका दूदू ज्यादा मीठा है मेरा या तेरी माँ का? हम्म? अब क्यू नहीं बोलता.. तब से बड़ी जुबान चला रहा था तू..
गौतम ने पिंकी की बात का जवाब न देते हुए उसका बोबा चूसना जारी रखा औऱ बीच बीच में उसके बूब्स पर लव बाइट भी कर दी जिससे पिंकी की कामुकता बढ़ती गई.. पिंकी ने गौतम को किसी भी हरकत पर नहीं रोका उल्टा उसके सर को सहलाते हुए उसे और भी आगे बढ़कर कुछ और करने का कहने लगी.
गौतम - बुआ बहुत मीठा दूध आता आपके इन चुचो से.. मज़ा आ गया पीके..
पिंकी - बुआ का दूध पीके तूने तो मज़ा ले लिया अब मुझे भी तो मज़ा चाहिए.. मेरा ग़ुगु का रस मुझे भी पीना है..
गौतम पिंकी का हाथ पकड़कर अपने लंड पर रखते हुए कहता है..
गौतम - बुआ आपका मज़ा यहां है, जितनी मर्ज़ी चाहो अपना मज़ा लेलो मैं रोकूंगा नहीं आपको..
इस बार पिंकी भी गौतम की बेशर्मी पर शर्मा गई लेकिन एक उत्तेजना उसके बदन में दौड़ गई..
पिंकी एक 35 साल की औरत थी जिसकी शादी एक 56 साल के आदमी के साथ हो गई थी क्युकी वो पैसे वाला था.. पिंकी को भोगविलास की वस्तु तो बहुत मिली पर जिस्मानी सुख से वो अब तक अनजान थी.. लोगों से हंसी ठिठोली करना उसके लिए आम था औऱ एक दो लोगों के साथ उसके नाजायज सम्बन्ध भी बने लेकिन सब शीघ्रपटन वाले थे, पिंकी की काम पिपासा जाग्रत हो चुकी थी..
पिंकी गौतम को बचपन से बड़ा लाड प्यार करती थी औऱ उसके साथ छेड़खानी भी करती थी.. उसके लिए गौतम उसका सबकुछ था.. पिंकी जैसे बेपरवाह को अगर किसी की परवाह थी तो वो बस गौतम ही था.. पिंकी औऱ सुमन की तो जैसे पुराने जन्म की दुश्मनी थी.. सुमन जानती थी की पिंकी उसके बेटे को गौतम को बिगाड़ रही है इसलिए वो पिंकी को ताने मारने का कोई मौका नहीं छोड़ती थी पिंकी भी वैसा ही कुछ करती थी..
गौतम - क्या हुआ बुआ? पसंद नहीं आया?
पिंकी ने जैसे ही गौतम की पेंट नीचे की उसकी आँखे फटी की फटी रह गई वो बूत बनकर गौतम के खड़े लंड को देख रही थी जैसे उसने कोई अजूबा देख लिया हो..
गौतम - सिर्फ देखती ही रहोगी क्या बुआ? मुंह लो ना..
गौतम की आवाज से पिंकी का ध्यान टुटा औऱ उसने गौतम को देखकर कहा..
पिंकी - ग़ुगु.. ये क्या है? इतना बड़ा? तू कोई इंजेक्शन वगैरह तो नहीं लेता ना? बहुत गलत असर होता है बाद में..
गौतम - बुआ सब नेचुरल है मैं कुछ नहीं लेता.. चलो अब अच्छे बच्चे की तरह मुंह खोलो अब, वरना मुरझा गया तो आप ही शिकायत करोगी मुझसे..
गौतम ये कहते हुए पिंकी के सर पर हाथ रख दिया मानो उसे आशीर्वाद दे रहा हो और अपने लंड उसके मुंह के पास ले जाता है जिसे पिंकी अपने हाथों से पकड़ कर मुस्कुराते हुए ग़ुगु को देखकर चूमने लगती है..
कुछ देर चूमने और ग़ुगु के लोडे पर अनगिनत चूमिया करने के बाद पिंकी ग़ुगु के लंड को अपने मुंह में भरने लगती है और धीरे-धीरे उसके लोडे को मुंह से सहलाने लगती है.
गौतम पिंकी के मुंह की गर्माहट औऱ लार अपने लंड पर महसूस कर जन्नत के अंदर पहुंच जाता है औऱ पिंकी के सर को दोनों हाथोंसे पकड़ कर अपना लोडा चुसवाने लगता है औऱ पिंकी भी अपने मुंह में जितना लंड ले सकती थी लेकर पूरी ईमानदारी के साथ चूस रही थी..
गौतम - एक बात तो कहनी पड़ेगी बुआ.. लंड चूसने में तो माहिर हो आप.. फूफाजी का तो मुंह में लेटे ही झड़ जाता होगा.. आअह्ह्ह... कमाल चुस्ती हो बुआ यार.. जब से आपके आने की खबर मिली है तब से खड़ा है आपके इंतजार में, अब चैन आया है इसे भी..
पिंकी - मुझे पता नहीं था मेरा ग़ुगु इतना बड़ा हो गया है वरना मैं अपने ग़ुगु के लिए कब का अपना मुंह खोल देती..
गौतम - बुआ सिर्फ मुंह से काम नहीं चलेगा कुछ औऱ भी खोलना पड़ेगा आपको आज..
पिंकी - तुझे अपनी बुआ का जो खुलवाना है खुलवा ले ग़ुगु.. बस आज मुझे ठंडा कर दे..
गौतम - तो फिर आ जाओ बुआ खोल लो अपनी टाँगे इससे पहले माँ बाजार से वापस आ जाए..
पिंकी - ठीक है ग़ुगु.. ले आजा अपनी बुआ के ऊपर.. बहुत बाल है ना मेरी चुत पर?
गौतम - मुझे बालों वाली चुत पसंद है बुआ.. अब देखना कैसे आपकी और मेरी झांट आपस में उलझ कर आग लगाती है...
गौतम पिंकी की चुत को अपनी मुट्ठी में भर लेटा है औऱ फिर से पिंकी के होंठों को चूमने लगता है.. गौतम झांटो से भरी चुत को मुट्ठी में पकड़े सहलाने लगता है औऱ एक उंगलि चुत के अंदर दाल देता जहाँ से चिपचिपा पानी बाहर आ रहा था.. अपनी बुआ की गीली हो चुकी चुत को गौतम अपनी मुट्ठी में पकडे उसे चुम रहा था..
गौतम - बुआ त्यार हो होने ग़ुगु को अपनी इज़्ज़त देने के लिए?
पिंकी - अपनी बुआ को पूरा नंगा करके अपने नीचे लेटा रखा है तू औऱ पूछ रहा है त्यार हो? अब जल्दी अंदर डाल दो वरना मैं ही पकड़ के दाल लुंगी तेरे इस लंड को अपने अंदर..
गौतम - बुआ एक गाली दू आपको? बुरा ना मानो तो..
पिंकी - ग़ुगु.. सो गाली दे, नाम से बुला मुझे पर अपनी बुआ की अब चुदाई भी शुरु कर दे.. मुझसे रहा नहीं जा रहा..
गौतम - ठीक है मेरी जान पिंकी.. थोड़ी सी गांड उठा के खोल पैर को..
पिंकी - लो.. अब आ जाओ अंदर..
गौतम - मादरचोद रंडी.. ठीक से खोल..
गौतम थूक लगा के अपना लंड पिंकी चुत में पेल देता है औऱ पिंकी एक दर्द की एक मीठी राह पर निकल पडती है जहाँ का सफर आज वो हर हाल में पूरा कर लेना चाहती थी.. अपने भाई के बेटे के साथ उसका व्यभिचार कई सालों से उसके मन में पनप रहा था जो आज जाके पूरा हुआ था.. गौतम अपने लंड औऱ चुदाई कला से पिंकी का दिल जितने में सफल रहा था औऱ जैसा बाबाजी ने आशीर्वाद दिया था वैसा ही हुआ.. आज दूसरी औरत गौतम के लंड की दिवानी बन चुकी थी.. पिंकी के मन पर गौतम ने ऐसी छाप छोडी जो पिंकी खुद भी नहीं उतार सकती थी..
गौतम के हर झटके पर पिंकी हवा में पेड़ के पत्ते की जैसे हिलती औऱ उसके बोबे उछल उछल कर ऊपर से नीचे गिरते..
पिंकी - ई लव यू ग़ुगु.. फाड़ दे अपनी बुआ की चुत आज अपने लंड से.. बना दे मेरी चुत का भोसड़ा बेटा.. बर्बाद कर दे मुझे.. तहस नहस कर दे मेरी इस चुत को.. इस बहन की लोड़ी ने बहुत परेशान कर रखा था मुझे.. आज जाके चैन मिला है ग़ुगु.. निकाल दे मेरी सारी गर्मी बेटा..
गौतम - रंडी कहा छुपा रखी थी तूने इतनी टाइट चुत.. आज जाके मिली है मुझे.. इसे तो मैं जबतक सुज्जा नहीं देता तब तक नहीं छोडूंगा..
पिंकी - सुज्जा दे ग़ुगु.. अपनी रंडी बुआ की इस चुत को बेटा.. मिटा दे इसकी सारी खुजली.. आहहह अह्ह्ह्ह...
आधे घंटे से चुदाई चालू थी औऱ पिंकी दो बार झड़ चुकी थी मगर ग़ुगु उसे रंडी मानकर चोदे जा रहा था..
गौतम - बुआ.. कहा निकालू पिंकी?
पिंकी - अंदर ही निकाल दे ग़ुगु..
गौतम - ठीक है..
कहते हुए गौतम ने अपना सारा माल चुत में दाल दिया औऱ पिंकी के ऊपर ही गिरकर उसके साथ वापस जापानी चुम्मा चाटी करने लगा..
गौतम - सोरी बुआ.. आपको रंडी बोला. नाम से भी बुलाया.
पिंकी - तूने तो एक बार में मुझे अपना गुलाम बना लिया ग़ुगु.. अब चाहे मुझे गाली दे या थप्पड़ मार लेकिन लोडा तो अब तेरा ही चाहिए मुझे..
गौतम - आपका ही है बुआ.. जब मन करें तब आकर पकड़ लेना मैं कुछ नहीं बोलूंगा..
पिंकी - तूने तो मेरी चाल बिगाड़ दी आज.. पूरी हालात खराब कर दी.. कितना काटा है मेरे बूब्स को जगह जगह दांतो के निशान छोड़ दिए.. बस देखने में बच्चा है अंदर से पूरा मर्द है मर्द..
गौतम - अच्छा अब खुदको सम्भालो बुआ.. माँ आने वाली होंगी..
गौतम औऱ पिंकी कपडे पहनकर फ्रेश हो जाते है तभी दरवाजे पर सुमन बेल बजती है औऱ गौतम दरवाजा खोलकर सुमन से कहता है..
गौतम - आज भी इतनी देर लगा दी माँ आपने.. कोई कब से आपका वेट कर रहा है..
सुमन मुस्कुराते हुए - अच्छा कौन है वो? ज़रा देखु तो..
सुमन जैसे ही पिंकी को देखती है उसकी ख़ुशी मातम में बदल जाती है..
पिंकी क़ातिल हंसी के साथ - कैसी हो भाभी? बड़े दिनों बाद मिलने का मौका मिला है.. आप तो दिन ब दिन औऱ खूबसूरत होती जा रही हो.. भईया ठीक से ख्याल रखते है शायद..
सुमन व्यंग से - मेरा ख्याल तो तेरे भईया ठीक से रखते है पर तेरा क्या पिंकी? कोई मिला ख्याल रखने वाला या अब तक ढूंढ़ रही है.. हर घट का पानी पीना सही नहीं है.
पिंकी - भाभी कैसी बात कर रही हो? शादीशुदा हूँ..
सुमन - तेरी उस बुड्ढे से शादी की वजह सब जानते है.. औऱ ये भी की तू शिकार की तलाश में रहती है.. कोई फंसा या नहीं अब तक..
पिंकी - क्या बताऊ भाभी.. इस बार तो मैं ही फंस गई.. ऐसा शिकारी मिला है कि मत पूछो.. पूरा निचोड़के रख देता है..
सुमन - चल अच्छा.. कम से कम तू घरवालों को छोड़ देगी..
पिंकी - क्या मतलब भाभी?
सुमन - कुछ नहीं..
गौतम अंदर से आता हुआ कहता है- माँ केसा लगा सरप्राइज?
सुमन आँखे दिखाकर - बहुत जोर का लगा है ग़ुगु.. ये सामान रख दे.. मैं चाय बनाती हूँ..
गौतम - आप बुआ के साथ बैठो ना.. मैं बनाता हूँ चाय..
पिंकी - हाँ भाभी चलो ना ढेर सारी बात करनी है आपसे.. और तोहफ़े भी है आपके लिए
पिंकी सुमन को उसके कमरे में लेजाकर बेड पर बिठाती हुई कहती है..
पिंकी - ये आपके लिए.. आपके ऊपर लाल रंग बहुत खिलता है भाभी.. पिंकी के मन में भले ही सुमन के लिए कुछ भी हो मगर मुंह से चाशनी ही टपक रही थी..
सुमन साड़ी लेते हुए - बहनोई ज़ी नहीं आये?
पिंकी - आये है ना भाभी पर अपने एक दोस्त से मिलने कि ज़िद की औऱ निकल गए.. कहा सुबह आ जाएंगे..
गौतम - बुआ चाय.. माँ लो..
पिंकी औऱ सुमन ने चाय लेली औऱ गोतम भी चाय लेकर दिवार के सहारे पीठ करके खड़ा हो गया..
पिंकी - भाभी ये भईया के लिए.. इसे पहनकर बिलकुल थानेदार लगेंगे भईया..
सुमन - औऱ इस बेग में क्या है?, बड़ा भारी लग रहा है.
पिंकी - इसमें? इसमें मेरे ग़ुगु के लिए कपडे औऱ जूते है.. औऱ हाँ ये फ़ोन भी है मेरे ग़ुगु के लिए..
गौतम - क्या बात है बुआ iphone? औऱ वो भी लेटेस्ट मॉडल...
सुमन - ये तो बहुत महंगा लग रहा है पिंकी..
पिंकी - मेरे ग़ुगु से कुछ भी महंगा नहीं है भाभी.. आप तो जानती हो मैं ग़ुगु को अपने बच्चे की तरह ही प्यार करती हूँ.. मेरी तो कोई औलाद है नहीं है तो जो कुछ मेरे पास है वो मेरे ग़ुगु का ही तो हुआ..
सुमन - वो सब ठीक है पर.. एक बार तेरे भईया से तो बात कर लेती..
पिंकी - बात क्या करनी इसमें? आप तो दिल दुःखाने वाली बात कर रही हो भाभी..
गोतम - माँ.. रहने दो ना ये बातें.. वैसे बुआ मुझे गिफ्ट बहुत पसंद आये.. थैंक्स..
सुमन - अचानक आने का प्लान कैसे बना पिंकी?
पिंकी - भाभी उदयपुर घूमने का प्लान था इनका.. जयपुर से निकले तो सोचा आपसे मिलते चले..
सुमन - अच्छा किया.. तू आराम कर मैं खाना बनाती हूँ..
सुमन अपने कमरे से निकलकर गौतम के कमरे में आ जाती है औऱ बेड पर बैठे गौतम के पास बैठ जाती है..
गौतम - क्या हुआ माँ?
सुमन - कुछ नहीं.. तू बस दूर रहना इस चुड़ैल से.. कहीं कीमती तोहफ़े देकर तेरे साथ कुछ उल्टा सीधा ना करने लगे..
गौतम - माँ.. तुम भी ना.. कुछ भी सोचती हो. कल सुबह तो बुआ चली जायेगी..
सुमन गौतम के होंठों पर गौर करके देखती है..
सुमन - यहां आ जरा.. ये तेरे होंठ लाल क्यू है इतने औऱ ये... उस डायन ने चूमा है तुझे?
गौतम - माँ क्यू इतना नाटक कर रही हो.. बुआ ने बस एक छोटा सा किस ही किया था.. उसकी का निशान होगा..
सुमन - होंठों पर? मैं अच्छे से समझ रही हूँ उसकी चालाकियाँ.. मैं जानती हूँ वो डायन कैसी है.. अभी बता के आती हूँ उसे..
गौतम - माँ.. बुआ एक साल बाद आई है औऱ सिर्फ एक रात की बात है.. जाने दो ना.. एक छोटी सी किस ही तो है.. आओ आप भी कर लो..
सुमन - मुझे जब तुझे चूमना होगा मैं चुम लुंगी पर ऐसे लोगों पहले तुझे बचा लूँ..
गौतम - वैसे माँ पिंकी बुआ मुझे बहुत अच्छी लगती है.. मैं खुद भी उनसे नहीं बचना चाहता..
सुमन - चुप बदमाश.. कुछ भी कहता है..
गौतम - माँ आप भी ना.. अब जल्दी से कुछ बना दो.. बहुत भूख लगी है.. अगर कल की तरह चिकेन करी खानी है तो बताओ बाहर चलते है..
सुमन - चुप कर पागल लड़का.. मैं खाना बनाती हूँ..
सुमन रसोई में खाना बनाने चली जाती है औऱ पिंकी गौतम के पास आ जाती है..
पिंकी - केसा लगा गिफ्ट?
गौतम - बहुत टाइट था बुआ मन कर रहा है वापस खोलके देखु..
पिंकी - उस गिफ्ट की बात नहीं कर रही.. इसकी बात कर रही हूँ.. मेरे घोड़े.. बिलकुल बेशर्म हो गया है तू..
गौतम - ये भी अच्छा पर उसकी बात ही अलग थी..
पिंकी - सब्र कर अब उसके लिए, वरना तेरी माँ मेरी जान ले लेगी गला घोंट कर..
गौतम - जान तो मैं ही लूंगा वो भी बिस्तर में..
पिंकी - थोड़ा सा सब्र कर ग़ुगु.. रात में सब मिलेगा..
कुछ देर में जगमोहन भी घर आ जाता है औऱ गौतम सबके साथ खाना ख़ाकर अपने बेड पर आ जाता है जहाँ पिंकी भी उसके साथ सोती है वही सुमन जगमोहन के साथ लेटी हुई गौतम औऱ पिंकी के बीच कुछ गलत ना हो जाए सोचने लगती है..
सुमन को नींद नहीं आ रही थी वह चाहती थी कि एक बार जाकर गौतम को और पिंकी को देख ले. उसे यूं ही लेटे लेटे रात की 2 बज चुके थे. सुमन उठकर अपने कमरे से बाहर निकली और गौतम के कमरे के पास आ गई. उसने दरवाजे को हाथ लगा कर देखा तो दरवाजा अंदर से बंद था सुमन का दिल जोरो से धड़क रहा था और उसके मन में कुछ अजीब होने का या कुछ गलत होने की आशंका उत्पन्न हो रही थी. उसके मन में अजीब अजीब ख्याल आ रहे थे उसे लग रहा था कि कहीं पिंकी उसके बेटे गौतम के साथ कुछ गलत ना कर दे. उसका मन एक बार गेट खोलकर अंदर गौतम को देख लेने का था मगर गेट बंद था गेट के साथ खिड़कियां भी अच्छे से बंद की हुई थी जिससे यह साफ जाहिर था कि अंदर पिंकी और गौतम के बीच कुछ ना कुछ जरूर गलत हो रहा है.
सुमन के मन में अजीब अजीब ख्याल आ रहे थे और वह सोच रही थी कि वह कैसे अंदर गौतम को और पिंकी को देखे. वह खिड़की के पास आ गई और खिड़की के आसपास अंदर झांकने की जगह तलाश करने लगी. सुमन को हल्का सा एक छेद खिड़की में मिल गया है जो ऊपर था सुमन एक स्टूल अपने पैरों के नीचे रखा और उसे पर चढ़ के खिड़की के पास आ गई और खिड़की में बने उसे कछेद से अंदर झांकने लगी..
अंदर का नजारा देखकर उसके पैरों तले की जमीन है खिसक गई. सुमन ने देखा कि अंदर रात के 2:00 बजे इस वक्त पिंकी अपने घुटनों पर बैठकर गौतम के भीमकाय लड को अपने मुंह में लेकर लॉलीपॉप के जैसे चूस रही थी और गौतम सिगरेट के कश लेटे हुए पिंकी को अपना लोडा चुसवा रहा है.. दोनों बिल्कुल नग्न अवस्था में थे. दोनों के बीच ये व्यभिचार देखकर सुमन का दिल जोरो से धड़कने लगा और उसकी धड़कन तेज होकर रुकने के करीब आ चुकी थी. सुमन यह देख रही थी कि कैसे पिंकी उसके बेटे गौतम का लंड मुंह में लेकर जोर-जोर से चूसे जा रही थी और गौतम को कामसुख देने के भरसक प्रयास कर रही थी.
सुमन गुस्से से लाल पिली होकर आग बबूला थी पर जैसे ही उसकी नजर गौतम के लड पर गई तब सुमन के गले का तुक भी सूख गया वह यह सोचने लगी कि कैसे गौतम के पास इतना बड़ा और भीमकाय लड है. सुमन को जो गुस्सा पिंकी पर आ रहा था वह अब आश्चर्य में बदल गया वह एक टक अंदर झांकती हुई यही सोचने लगी कि गौतम के पास इतना बड़ा और आकर्षक लड कैसे आ गया. सुमन ने आज तक किसी के पास इतना बड़ा और उतना आकर्षक मोटा लैंड नहीं देखा था उसके मन में आ रहा था कि वह अंदर जाए और अच्छे से एक बार गौतम के उसे लड की जांच करें. गौतम का लड देखकर सुमन की चुत गीली हो चुकी थी और उसे यह महसूस हो रहा था कि उसकी जांघों से चुत का पानी बह रहा है और उसकी चुत गीली हो चुकी है. सुमन को जो पिंकी पर गुस्सा आ रहा था वह अब जलन और ईर्ष्या में बदल चुका था वह यह सोचकर जल रही थी कि कैसे पिंकी इतने बड़े और आकर्षक मोटे लंड का स्वाद ले रही है और वह खुद इतने सालों से कम अग्नि में जल जा रही है.
सुमन अपने पति की नामर्दानगी जानती थी और वह यह भी जानती थी कि अब जगमोहन उसकी प्यास नहीं गुजार सकता इसलिए वह प्यासी ही थी. सुमन कई सालों से अपने जिस्म की प्यास खरे मूली गाजर बेलन जैसे सामानों से बुझती थी.
सुमन का मन था कि वह दोनों का यह पनपता वह विचार रोक दे और दोनों को सही रास्ते पर लाकर सही रास्ता दिखाएं पर उसकी खुद की हालत ऐसी थी जैसे बिना पानी मछली की होती है वह दोनों को रोकने में असमर्थ थी वह खिड़की से उतर गई और रसोई में जाकर खीरा उठा लिया. सुमन खीर लेकर बाथरूम में चली गई और गौतम के लैंड को देखकर जो पानी उसकी चुत में भर गया था और जो काम इच्छा उसके मन में उतर आई थी वह उसे खरे से शांत करने लगी. धीरे-धीरे सुमन खीरा चुत में अंदर बाहर करने लगी और आहे भरते हुए गौतम के मोटे लंबे लंड को याद करके सोचने लगी कि काश वह उसे मिल पाता.
सुमन के मन में अपने बेटे गौतम के लिए जो प्रेम था और जो स्नेह भरा हुआ था वह अब काम के साथ घुलने लगा था. सुमन का पवित्र प्रेम अब मैला होने लगा था सुमन के मन में गौतम को लेकर बहुत से ख्याल आने लगे थे जो एक औरत को एक मर्द के बारे में तब आते हैं जब वह उसे पति के रूप में पाना चाहती हो या अपने प्रीतम के रूप में प्रेम करना चाहती हो.
थोड़ी देर बाद ही सुमन के चुत से पानी की धार बह निकली और सुमन को जो आनंद मिला वह उसकी कल्पना करके अभिभूत हो गई और उठ खड़ी हुई उसके मन में उसके मन में पश्चाताप का बोध भी उत्पन्न हुआ जिससे वह शर्मा रही थी और अपने आप पर गुस्सा कर रही थी कि वह कैसे अपने बेटे के लिए ऐसे ख्याल अपने मन में ला सकती है और कैसे वह उसे अपने पति या प्रेमी के रूप में सोच कर इस तरह का काम कर सकती है. सुमन जब झड़कर फ्री हो गई तब उसने एक बार फिर से स्टॉल पर चढ़कर खिड़की के अंदर झांकने का सोची और वैसा ही किया.
सुमन जब अंदर का नजारा देखा तब पाया कि अब तक गौतम ने पिंकी को अपने गोद में उठा रखा है और किसी खिलौने की तरह वह खड़ा हुआ पिंकी को गोद में उठाकर चोद रहा है. पिंकी भी आहे भर्ती हुई अपनी जवानी के पूरे मजे ले रही थी और गौतम का पूरा रस पी रही थी वह दोनों ऐसे लग रहे थे जैसे काम देवता और काम देवी के साक्षात अवतार हो. दोनों के बीच चल रहे इस असीम प्रेम को देखकर सुमन का दिल फिर से जलन की आग में तपने लगा और वह पिंकी को मन ही मन गालियां देने लगी और उसे बुरा भला कहने लगी. मगर इसी के साथ सुमन का पूरा ध्यान गौतम के ऊपर था जो अपनी हुआ पिंकी को अपनी गोद में उठा किसी खिलोने की तरह चोद रहा था और उसकी जवानी निचोड़ रहा था इस तरह से पिंकी को अपने गोद में उठा काम के सागर में डूबा हुआ था जैसे कि उसे इसका पूरा अनुभव हो.
सुमन सामने का नजारा देखते हुए कब अपनी जांघों के बीच उंगलियां फेरने लगी उसे भी पता नहीं चला वह साड़ी के अंदर हाथ डालकर अपनी जांघों के जोड़ पर ऐसे उंगलियां कर रही थी जैसे कोई दोस्त गांड में उंगली करता है. सुमन ने आगे देखा कि गौतम ने पिंकी को बिस्तर पर पटक दिया है और उसे घोड़ी बनाकर उसकी गांड के छेद पर अपना लंड लगाते हुए अंदर घुसने की कोशिश कर रहा है सुमन की चुत से पानी फिर बाहर निकाला और वह एक बार फिर झड़ गई इसी के साथ गौतम ने अपना लंड एक साथ आधा पिंकी की गांड में उतार दिया जिससे पिंकी की एक चीज निकल गई जो सुमन के कान में साफ सुनाई दी. सुमन इस तरह अपने बेटे को अपनी बुआ को चोदते देखकर एक बार फिर से झड़ चुकी थी और यह सोचने को मजबूर थी कि कैसे उसका बेटा उसकी बुआ के साथ संबंध बन सकता है और उसकी पिंकी भी उसके बेटे गौतम के साथ इस तरह का काम कर सकती है?
सुमन का मन दोनों को रोकने का था मगर वह अब क्या कर सकती थी उसके मन में था कि वह दोनों को जाकर रोक दे और समझाएं कि यह सब गलत है मगर वह खुद ही इस जाल में अब फंस चुकी थी उसने खुद ने अभी-अभी अपने बेटे और अपनी ननद के बीच चल रहे इस व्यभिचार को देखकर अपनी चुत सहलाई थी और अपनी चुत का पानी निकला था सुमन चाहती थी कि यह सब बंद हो जाए मगर वह कुछ भी कर पाने में सक्षम नहीं थी. सुमन स्टूल से नीचे उतर गई और वापस अपने कमरे में आकर जगमोहन के पास बिस्तर पर लेट गई वह सोच रही थी कि कैसे गौतम इतना अनुभवी और इतना बेशर्म और इतना बदकार हो गया कि वह अपनी ही बुआ के साथ यह सब कर रहा है.
सुमन बिस्तर पर लेटी हुई यह सब सो रही थी और उसे नींद नहीं आ रही थी और उसे नींद आ भी कैसे सकती है जिसने अभी-अभी अपने बेटे को अपनी ननद के साथ सेक्स करते हुए देखा हो. सुमन का हाल बहुत बुरा था वह ना तो सो सकती थी ना हीं जाकर उनके सामने आ सकती थी वह बिस्तर पर लेटी हुई यही सब सो रही थी कि कैसे यह सब अचानक उसके घर में हो रहा है और हो सकता है?
सुमन को लेटे-लेटे सुबह के 5 बज चुके थे और अब तक उसे नींद नहीं आई थी उसने सोचा कि क्यों ना एक बार और वह गौतम के रूम मे झांक कर देखें कि आखिर वह दोनों सोए या नहीं. सुमन के मन में अभी बहुत से उल्टे सीधे और सही गलत ख्यालात चल रहे थे जिन्हें चाहकर भी अपने मन से उतर नहीं पा रही थी. उसके मन की जो हालत थी वह कोई जोगन ही समझ सकती थी. सुमन अपने कमरे से निकाल कर वापस उसी तरह गौतम के कमरे के बाहर स्टूल लगाकर उसकी खिड़की के ऊपर बने क्छेद से अंदर झांकने लगी और इस बार भी उसे वही सब देखने को मिला जो वह पहले देख चुकी थी मगर इस बार गौतम पिंकी को बाहों में भरे उसके होंठों पूरा स्वाद ले रहा था. इस बार भी सुमन की आंखें गौतम के लैंड पर ही टिक गई वह देखने लगी कि किसीके पास कैसे इतना बड़ा लैंड हो सकता है?
गौतम के लैंड को देखते ही सुमन की चुत एक बार फिर से पानी छोड़ने लगी और उसे एहसास हुआ कि उसकी जांघों के बीच की चुत से पानी बह रहा है उसकी चुत फिरसे पूरी तरह गीली है सुमन को अब पिंकी के साथ-साथ खुद पर भी गुस्सा आ रहा था कि वह कैसे अपने ही बेटे को देखकर कामुकता से भर सकती है. सुमन खिड़की से उतर गई और वापस बाथरूम में जाकर एक बार और अपनी भावनाओं में बहते हुए गौतम को याद करके गली पड़ी अपनी चुत में उंगलि करने लगी और गौतम के लैंड को याद करके कामइच्छा से भरने लगी.
सुमन के मन में अलग-अलग ख्याल चल रहे थे वह बिस्तर पर लेटे हुए यही सोच रही थी कि कैसे पिंकी और गौतम के बीच यह सब शुरू हो गया और मैं उन्हें रोक नहीं पाई मगर अब वह खुद भी इसी तरह के आनंद को अनुभव करना चाहती थी और चाहती थी कि अब कोई उसे भी इसी तरह का आनंद अनुभव कराये. सुमन को आज नींद नहीं आई थी वह सुबह जाकर घर के कामों में व्यस्त हो गई और जब गौतम का दरवाजा खुला तो वह उन्हें देखकर सामान्य ही व्यवहार करने लगी उसने यह तय किया कि जो कुछ अंदर उनके बीच हुआ वह ना तो उसके बारे में उन दोनों से कोई बात करेगी और ना ही उसके बारे में और ज्यादा सोचेगी. सुमन ने सोच लिया था की वह दोनों से सामान्य बर्ताव करेगी.
जगमोहन के जागने से पहले ही पिंकी अपने पति के आने पर उसके साथ गाड़ी में बैठकर उदयपुर के लिए रवाना हो गई और घर में अब सुमन जगमोहन और गौतम ही बाकी रह गए जगमोहन तो अभी भी नींद के आगोश में था. वही सुमन रसोई में चाय बनाने लगी थी उसके मन में रात की ही सारी बातें घूम रही थी और वह उसी के बारे में सोच जा रही थी मगर उसके दिल में हिम्मत नहीं थी कि वह इसके बारे में किसी से भी खुलकर कोई बात कर सके और वह गौतम को इसके बारे में समझा सके. सुमन भी ये नहीं चाहती थी कि गौतम और पिंकी एक दूसरे से इस तरह का रिश्ता रखें लेकिन जिस तरह से उसने रात को दोनों के चेहरे पर सुख देखा था और काम तृप्ति देखी थी उसे लग चुका था कि दोनों अब खुदपर नियंत्रण नहीं रख सकते है और वह अब इस रिश्ते को आगे भी जारी रखेंगे इसलिए सुमन ने दोनों को इसके बारे में कुछ भी ना बोलने का तय किया और जैसे सामान्य दिन चल रहे थे वैसे ही जीने का फैसला किया.
गौतम सुबह बाथरूम से वापस आया तो रसोई में जाकर सुमन को पीछे से पढ़ते हुए गाल पर एक चुंबन देते हुए कहने लगा..
गौतम - गुडमॉर्निंग माँ?
आज गौतम की पकड़ और चुम्बन ने सुमन को अजीब अहसास हो रहा था मगर सुमन ने भी सामान्य दिनों की तरह ही गौतम को देखकर पीछे मोड़ते हुए उसके गाल पर एक चुंबन करते हुए उसकी बात का जवाब दिया..
सुमन - गुडमॉर्निंग मार्निंग बेटा.. उठ गया.. ले चाय पिले..
गौतम चाय लेकर अंदर चला गया और पीते हुए उसी खिड़की पर आकर बाहर देखने लगा.. सुमन गौतम के पीछे-पीछे उसके रूप में आ गई और गौतम को पीछे से अपनी बाहों में भरते हुए बोली..
सुमन - बाहर क्या देखता है तू?
गौतम - कुछ नहीं माँ.. बस सुबह सुबह ये रास्ता कितना अच्छा लगता है सोचता हूँ.. आते जाते हुए लोगो को देखता हूँ बस..
सुमन अपने हाथ से एक कागज गौतम को देती हुई बोलती है
सुमन - ले.. जाते हुए तेरी बुआ दे गई थी.. कह रही आज शोरूम जाकर डिलेवरी लेने को..
गौतम - माँ पर इसकी क्या जरुरत है? आपने मना नहीं बुआ को?
सुमन - मैं क्यों मना करू? तू ही मना कर दे.. वैसे भी तुझे नई बाइक चाहिए थी.. तू ही बात कर ले अपनी बुआ से..
गौतम पिंकी को फ़ोन करके - बुआ यार.. बाइक की क्या जरुरत थी..
पिंकी - ज्यादा सवाल जवाब मतकर, चुपचाप जाकर शोरूम से ले आ. मेरी मर्ज़ी में कुछ भी दू तुझे.. भाभी के जितना ही हक़ है तुझपे मेरा.. समझा? अपना ख़याल रखना जल्दी वापस आकर मिलूंगी..
गौतम - ठीक है..
सुमन - ये लिखा हुआ है? रॉयल इंफील्ड..
गौतम - हाँ वही है..
सुमन - बहुत महँगी है?
गौतम - महँगी तो है..
सुमन - अच्छा क्या खायेगा मेरा ग़ुगु... बता मैं बना देती हूँ..
गौतम - पराठे ही खिला दो..
सुमन मुस्कुराते हुए - ठीक है.. ये गर्दन पर क्या हुआ तेरी? निशान केसा है?
गौतम के गले पर लव बाईट के निशान देखकर..
गौतम - वो माँ लगता मच्छर ने काट लिया..
सुमन - हम्म्म.. बहुत लम्बे दातो वाला था मच्छर.. पूरा लाल कर दिया.. चल मैं खाना बनाती हूँ तू नहा ले..
गौतम सुमन के कहे अनुसार नहाने के लिए चला जाता है और सुमन रसोई में जाकर उसके लिए खाना पकाने लगते हैं. जगमोहन जाग चुका होता है और नहा कर अपनी पुलिस की वर्दी पहनकर जाने को तैयार हो गया होता है..
ThanksMaza aaya padh ke
(Mosi aur mami ka seen jarur Lao aage)
hanksAnd Yes Brother Thanks for long and fabulous update
Padh kar mja aa gya
Samjh aa gya na logo bas utna hi chahiyeबहुत ही कामुक अपडेट दिया है मित्र! एक दम जबरदस्त ऐसे ही लिखते रहिए !
एक बात कहनी है मात्राओं का थोड़ा ध्यान रखिए मात्राओ की वजह से शब्द का अर्थ बदल जाता है !
जैसे लैंड इसका थोड़ा ध्यान रखें ! आप बहुत अच्छा लिख रहे हैं
Bahan k Lnd autat me..Yeh Katayi Galat Baat.
Aap Aur Nikku Unkil Apas Main DM DM Khel Loge aur kahani bhi jaan jaoge.
Aur Hame Kehte Ho ke
Dekho,Jarur Maja Aayega.